Aa Kahin Dur Chale Jayen Hum : Paryatan 2


 ©️®️ M.S.Media.
Shakti Project.
कृण्वन्तो विश्वमार्यम. 
In association with.
A & M Media.
Pratham Media.
Times Media.
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Aa Kahin Dur Chale Jayen Hum.  
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A Live / Archive  Blog Magzine Page.
Aa Kahin Dur Chale Jayen Hum : Tour 
Volume 1.Series 4. 
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आ कहीं दूर चले जाए हम. 
पर्यटन विशेषांक. 
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आवरण पृष्ठ :०. 

आ कही दूर चले जाए हम दूर इतना कि हमें छू न सके कोई गम : डॉ. सुनीता शक्ति* प्रिया अनुभूति
 
आ कही दूर चले जाए हम दूर इतना कि हमें छू न सके कोई गम.

फोर स्क्वायर होटल : रांची : समर्थित : आवरण पृष्ठ : विषय सूची : मार्स मिडिया ऐड : नई दिल्ली.

*
एम.एस.मीडिया.महाशक्ति.प्रस्तुति. 
शक्ति विचार धारा

विषय सूची 
आवरण पृष्ठ :
शक्ति विचार धारा : पृष्ठ :
संपादकीय शक्ति : पृष्ठ : २.
आकाश दीप : पद्य संग्रह : सम्पादकीय : प्रस्तुति : पृष्ठ : ३.
तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : शक्ति : सम्पादकीय : प्रस्तुति. पृष्ठ :४.
ये मेरा गीत : जीवन संगीत : कल भी कोई दोहराएगा : पृष्ठ : ६.
आ कही दूर चले जाए हम : फ़िल्मी सफर नामा : कोलाज : पृष्ठ : ७ 
आ कही दूर चले जाए हम : सफर नामा : कलाकृति : कोलाज : पृष्ठ : ९  
⭐ 
एम. एस. मीडिया.महाशक्ति.प्रस्तुति. 
⭐ 
 पत्रिका / अनुभाग. ब्लॉग मैगज़ीन पेज 
के निर्माण सहयोग के लिए. 
 'तुम्हारे लिए. '
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हार्दिक आभार प्रदर्शन : पृष्ठ : ० 
 --------------- 
शिमला.डेस्क.
 नैनीताल डेस्क. 
 इन्द्रप्रस्थ डेस्क 
 संपादन 
 ⭐
*
 

शक्ति.शालिनी.स्मिता.वनिता.शबनम. 
 संयोजिका / मीडिया हाउस,हम मीडिया परिवार 
 की तरफ़ से 
 आपके लिए धन्यवाद ज्ञापन. 
 ⭐
 पत्रिका के निर्माण / संरक्षण के लिए. 
 * 
हार्दिक आभार. 
 *

शक्ति तनु रजत
       धोलपुर.राजस्थान        
   निदेशिका . स्वर्णिका  ज्वेलर्स: 
     सोहसराय. बिहार शरीफ.समर्थित. 
*

 स्वर्णिका ज्वेलर्स : निदेशिका . शक्ति तनु रजत.सोहसराय. बिहार शरीफ. समर्थित. 
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शक्ति : विचार धारा लिंक : समूह : पृष्ठ : ०
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राधिकाकृष्ण : जीवन शक्ति विचार धारा : लिंक.पृष्ठ : ० / ०  :
सम्पादन : डॉ सुनीता शक्ति * प्रिया 
पूर्व विचार देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं
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*
त्रिशक्ति विचार धारा : लिंक. पृष्ठ : ० / १.
सम्पादन : शक्ति सीमा शक्ति अनीता   
पूर्व विचार देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं
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*
महाशक्ति विचार धारा लिंक : पृष्ठ : १ / ४. 
सम्पादन : डॉ सुनीता शक्ति * प्रिया 
पूर्व महा शक्ति : जीवन दर्शन : विचार धारा. देखने व पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 
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*
  नवशक्ति : जीवन दर्शन : विचार धारा लिंक : पृष्ठ : १ / ५ . 
सम्पादन : शक्ति रेनू अनुभूति नीलम 
पूर्व  विचार धारा. देखने व पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 

त्रि - शक्ति विचार धारा : पृष्ठ : १
*

त्रिशक्ति विचार धारा.
------------
त्रि - शक्ति : प्रस्तुति : पृष्ठ : १ / ०.
---------------
नैनीताल डेस्क.

नैनीताल डेस्क.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
संस्थापना वर्ष : १९७८.महीना : जुलाई .दिवस :४.



महालक्ष्मी : महाशक्ति : महासरस्वती.

त्रिशक्तियां ' लक्ष्मी ' ,' शक्ति ' और ' सरस्वती '
तीन पिंडियों रूप में : वैष्णो देवी कटरा के दर्शन.

महालक्ष्मी.कोलकोता डेस्क.प्रस्तुति.
संस्थापना वर्ष : २००३. महीना : जून.दिवस :२.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७९.
*
संपादन
शक्ति. सीमा.
*
टाइम्स मीडिया शक्ति : शब्द चित्र : प्रस्तुति : पृष्ठ : १ / १.
*
चंचल मन : नियंत्रण.

मन ' अशांत ' है और नियंत्रित करना ' कठिन ' है, माधव !
किन्तु ' प्रयास ' करने से इसे ' शांत ' किया जा सकता है,
*
जहाँ हरि मिले


मन की भावनाएं.
*
मन की ' भावनाओं ' का कहाँ ' द्वार ' होता है 
जहाँ लक्ष्मी नारायण ' हरि ' मिले वहीं ' हरिद्वार ' होता है 
*
तू लाली है सबेरे वाली


तू लाली है
सबेरे वाली
मेरे जीवन की हर सुबह एक नया अवसर है,
कुछ पाने का, कुछ सीखने का

*
एम. एस. मीडिया.पृष्ठ :१ / २.
महाशक्ति नैना देवी. नैनीताल डेस्क. प्रस्तुति.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
संस्थापना वर्ष : १९९८. महीना : जुलाई. दिवस : ४.
*
संपादन : शक्ति
*
शब्द चित्र : जीवन : परिस्थिति.
 

*
बुरे वक्त का साथ
*
' बुरे वक्त ' में कंधे पर रखा गया ' हाथ ' ' कामयाबी ' में मिली ' तालियों ' से कई गुना ' ताकतवर ' होता है।
*

समय और व्यक्ति

*
समय पर ' समय ' देने वाला ' व्यक्ति ' समय ' पर मिल जाए तो ' समय ' को अच्छा होने में ' समय ' नहीं लगता...
*
बेहतर ' इंसान '

बेहतर ' इंसान ' वो है, जो किसी का दिया हुआ ' दुःख ' तो भुला दे.... लेकिन किसी का किया हुआ, ' एहसान ' कभी ना भूले..
*
शांत रहकर ' परिस्थितियों ' को समझना सीखो, क्योंकि हर कोई आपके ' जवाब ' के लायक नहीं होता
*
जीवन एक अर्थ
*
जीवन एक यात्रा है, रो कर जीने से बहुत लम्बी और बोझिल लगेगी
और हंस कर जीने पर कब पूरी हो जाएगी पता भी नहीं चलेगा

*
एम. एस. मीडिया. शक्ति.

जिंदगी का सफ़र
*
' शून्य ' से ' बहुमूल्य ' होने का ' सफर '
अनगिनत ' ठोकरों ' से होकर ' गुजरता ' है.

*
कर्म और ' भाग्य '
' भाग्य ' कोई लिखा हुआ निश्चित ' दस्तावेज ' नहीं है... इसे तो हमें रोज - रोज ' स्वयं ' के अच्छे ' कर्म ' से ही लिखना पड़ता है
*

एम.एस. मीडिया. शक्ति.

समाज और बदलाव
*
समाज में ' बदलाव ' क्यों नहीं आता, क्योंकि गरीब में ' हिम्मत ' नहीं,
मध्यम वर्ग को ' फुर्सत ' नहीं और अमीर को ' जरूरत ' नहीं..


प्रथम मीडिया शक्ति प्रस्तुति :पृष्ठ : १ / ३.



निदान ' समस्या ' और भगवान 
*
दिल खोल कर साँस लो अंदर ही अंदर घुटने की कोशिश न करो 
कुछ बातें भगवान पर छोड़ दो 
सबकुछ खुद सुलझाने की कोशिश न करो 
------
श्री राधिका कृष्ण सदा सहायते


आ कही दूर चले जाए हम दूर इतना कि हमें छू न सके कोई गम :  


शक्ति. डॉ.ममता. डॉ.सुनील : शिशु रोग विशेषज्ञ  : ममता हॉस्पिटल : बिहार शरीफ. समर्थित. 

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 महाशक्ति : जीवन दर्शन : विचार धारा : पृष्ठ : १ / ४ 
-------------
*
महाशक्ति : जीवन दर्शन : विचार धारा. 
संपादन.


शक्ति. डॉ.सुनीता शक्ति* प्रिया.
*
महाशक्ति विचार धारा लिंक : पृष्ठ : १ / ४. 
*
पूर्व महा शक्ति : जीवन दर्शन : विचार धारा. देखने व पढ़ने के 
लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 

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नवशक्ति : जीवन दर्शन : विचार धारा : पृष्ठ : १ / ५ 
--------------
ए एंड एम मीडिया शक्ति प्रस्तुति.


*
संपादन.
शक्ति. रेनू अनुभूति नीलम.


*
पूर्व नवशक्ति : जीवन दर्शन : विचार धारा. देखने व पढ़ने के 
लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 
*
नवशक्ति विचार धारा लिंक.
https://msmedia4you.blogspot.com/2025/03/navshakti-jeevan-darshan-vichar-dhara.html

*
टाइम्स मीडिया .कोलकोता डेस्क शक्ति. प्रस्तुति.
---------
दिन विशेष : सम्पादकीय : पृष्ठ : १ / ६
----------
नैनीताल. डेस्क.
संपादन.

शक्ति*बीना मीना भारती
नैनीताल.
*
हम समस्त देव शक्ति मीडिया परिवार की तरफ़ से
*
अक्षय वट सावित्री पूजा.
*
' प्रेम ', विश्वास के प्रतीक अक्षय वट सावित्री पूजा की 
अनंत हार्दिक शिव शक्ति शुभकामनायें 
*

 हरि के कल्कि अवतार : गौतम बुद्ध.

दुःख है, दुःख का कारण भी है,
इसका निवारण भी है : मध्यम मार्ग : अष्टांगिक मार्ग.
सम्यक साथ : सम्यक दृष्टि : सम्यक कर्म
*
अहिंसा परमो धर्मः

हम सभी देव - शक्ति मीडिया परिवार की 
तरफ़ से 
बुद्ध पूर्णिमा की अनंत श्री लक्ष्मी नारायण 
शिव शक्ति शुभकामनायें. 
*
* किवा गैस्ट्रो सेंटर : पटना : बिहारशरीफ : डॉ.वैभव राज : लीवर. पेट. आंत. रोग विशेषज्ञ समर्थित
*
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संपादकीय शक्ति : पृष्ठ : २. ---------
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संरक्षिका.नेत्री 
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⭐.



  शक्ति.डॉ.भावना माधवी प्रीति .

संपादकीय शक्ति समूह.
----------
प्रधान शक्ति संपादिका.



शक्ति : रेनू ' अनुभूति ' नीलम. 
नव शक्ति. श्यामली डेस्क. शिमला.
संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी. दिवस : ५.

कार्यकारी शक्ति सम्पादिका.
*
नैना देवी. नैनीताल डेस्क 
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०.
संस्थापना वर्ष : १९९६. महीना : जनवरी : दिवस : ६ .
नैनीताल डेस्क


शक्ति. डॉ. सुनीता शक्ति* प्रिया.
सहायक. कार्यकारी संपादक.


शक्ति.सीमा वाणी अनीता.
कोलकोता डेस्क संस्थापना वर्ष : १९९९.महीना : जून. दिवस :२.
---------
विशेषांक शक्ति * संपादिका.


शक्ति : मानसी शालिनी कंचन.
नैनीताल डेस्क .
---------

स्थानीय शक्ति * संपादिका.


शक्ति : बीना मीना भारती.
नैनीताल.
---------
कला संपादिका.
शिमला डेस्क



शक्ति.मंजिता अनुभूति स्वाति.
मीडिया शक्ति संयोजन.


नैनीताल डेस्क
शिमला डेस्क
जयपुर डेस्क.
इंद्रप्रस्थ डेस्क
पाटलिपुत्रा डेस्क.
शक्ति.
शालिनी स्मिता शबनम वनिता.
----------
संपादकीय शक्ति समूह. जीवन दर्शन : दिव्य विचार : दृश्यम लिंक समूह : पृष्ठ : २ /०.
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*

©️®️Shakti's Project.   
संपादन शक्ति समूह. 
@M.S.Media.

प्रथम मिडिया. संपादन : शक्ति.डॉ.नूतन.माधवी.सुष्मिता.वाणी.अनीता.
एम. एस. मीडिया. संपादन : शक्ति.डॉ.सुनीता.मंजिता. प्रीति शक्ति *प्रिया
ए. एंड. एम. मीडिया. संपादन : शक्ति. रेनू अनुभूति नीलम अंजू.
टाइम्स मिडिया. संपादन : शक्ति.डॉ.अनुपम.मीना.सीमा.रीता    
नवीन समाचार : संपादन : शक्ति : बीना नवीन जोशी 
केदार दर्शन : संपादन : शक्ति : दया जोशी.
ख़बर सच है : शक्ति : स्मृति. 
समर सलिल : शक्ति : नीरजा चौहान. 
शालिनी मीडिया : शक्ति : शालिनी.तनु. 

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सम्पादकीय आलेख गद्य पद् संग्रह : मुझे भी कुछ कहना है : शक्ति लिंक : आज : पृष्ठ : २ / १.
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Shakti's Project.
प्रधान सम्पादिका. शक्ति.नीलम :
वाराणसी.

सम्पादकीय शक्ति नीलम आलेख लिंक : २ / १.
press the shakti link : 2/1
*
*
अद्यतन*
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सम्पादकीय आलेख गद्य पद् संग्रह : मुझे भी कुछ कहना है : शक्ति लिंक : आज : पृष्ठ : २ / २
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Shakti's Project.
प्रधान सम्पादिका.शक्ति रेनू शब्द मुखर.जयपुर.
सम्पादकीय पृष्ठ : में उपलब्ध. सम्पादकीय शक्ति आलेख लिंक : २ /२.
मुझे भी कुछ कहना है.
press the shakti link : 2/2.
अद्यतन*
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सम्पादकीय आलेख गद्य पद्य संग्रह : मुझे भी कुछ कहना है : शक्ति लिंक : आज : पृष्ठ : २ / ३.
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©️®️Shakti's Project.
संयोजिका. शक्ति शालिनी.
उत्तर प्रदेश.
*
संयोजिका शक्ति शालिनी.
२/ ३ में उपलब्ध.
सम्पादकीय शक्ति आलेख लिंक : संयोजिका शक्ति शालिनी : मुझे भी कुछ कहना है
में आगे पढ़ने के लिए सिर्फ दिए गए उपलब्ध लिंक को दबाएं और पढ़ें.
press the shakti link : 2/3.
भाविकाएँ
माँ बस तू ही एक समझती है,
*

ए एंड एम मीडिया समर्थित
शक्ति.डॉ. ममता. सुनील. शिशु रोग विशेषज्ञ : ममता हॉस्पिटल : बिहार शरीफ समर्थित.
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आकाश दीप : पद्य संग्रह : सम्पादकीय : प्रस्तुति : पृष्ठ : ३.
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संपादन.


शक्ति. रेनू शब्दमुखर
प्रधान सम्पादिका
जयपुर.

भाविकाएँ.
*
शायद इस जन्म में मुलाक़ात हो
*

फोटो : शक्ति प्रिया.

जब मिले थे आपसे,न ख़्वाब था न कोई सपना, न कोई झूठ था न कोई अपना, बस दोस्ती हो गई आपसे, बिना कुछ सोचे, और अब लगने लगे हो आप,कोई ख़ास,कोई अपना. बातें शुरू हुईं एक अजनबी की तरह,
रास्ता मुश्किल था कहाँ अंजान सफ़र में ?
सजने लगे ख़्वाब एक मुसाफ़िर की तरह,
बसने लगे धीरे - धीरे अजनबी प्रेम नगर में.
सोचा नहीं था कभी आपसे ऐसे मिलूंगी, अपने आप से एक ख़्वाब सजाने लगूंगी. अजनबी शहर में, मैं खो सी गई थी पहले, यक़ीन नहीं था खुद पर, कि आपसे जुड़ जाऊंगी. अब चाहत नहीं है कुछ पाने की यहाँ, बस आप हमेशा खुश हो जहाँ कहीं भी रहो ,
कोई सपना नहीं है जो सजाना हो यहाँ,
दुआ है ये रब से बस इस जन्म में मुलाक़ात फिर हो न हो


*
शक्ति. प्रिया.
कवयित्री.
कार्यकारी सम्पादिका
दार्जलिंग
*
पृष्ठ सज्जा : संपादन.
शक्ति डॉ. सुनीता मधुप

*
तुम्हारे बिना भी तुम.

तुम्हारे बिना भी : फोटो
तुम्हारे बिना भी एक सुबह मुस्कुराती है, चाय की पहली घूंट में तेरी खामोश सी आहट आती है. कोई आवाज़ नहीं होती, पर मन की खिड़कियों से तुम्हारी साँसें टकरा जाती हैं, जैसे पुरानी किताबों में छुपा कोई खत खुल जाए. मैं रोज़ अपनी व्यस्तता में तुम्हे कहीं न कहीं पा लेती हूँ, भीड़ में, सन्नाटे में, कभी खुद से बात करते हुए. तुम अब एक अनुभूति हो गए हो, एक आदत, जो छुड़ाई नहीं जाती, न कोई शिकवा, न कोई वादा, फिर भी तुम हर अधूरी कविता में पूरा लगते हो.
शक्ति. रेनू शब्दमुखर
जयपुर.
पृष्ठ सज्जा शक्ति. डॉ सुनीता सीमा अनीता
*
छू जाते हो मुझे
*

शक्ति. कला कृति.

कितनी ही बार मैंने महसूस किया है छू जाते हो मुझे कितनी ही बार यूँ ही कितनी ही दफा ख़्वाब बन के छा जाते हो और कितनी ही बार तेरे अहसास को मैं सहसा छू जाती हूं बंद आंखों से रूह को महसूस कर आत्मसात कर तुममें समा जाती हूं अब बताओ जरा कौन कहता है कि
दूर रह कर मुलाक़ात नहीं होती?
*
लघु कविता
*
प्रेम का चंदोबा है मां.

घरघर में आई खुशबू
क्योंकि वहां समाई है माँ
हर दुखड़े को सह जाती
क्योंकि सब्र की जायी है मां घर में आती कोई परेशानी
सब के साथ मुरझाई है माँ
बच्चों को खुशी पाकर
अपने तीरथ पूरे कर आई माँ

जीवन भर अपने लिए ना सही
बच्चों के लिए ही मांग पाई मां
अपनी हर सांस में बच्चों की
खुशहाली मांगती मां कहीं भी रहे पर हमारे
आंसुओं को पोछ कर
सारी बलाएं अपने सर लेती माँ
मत घर की दीवारों में भेद पनपाओ

जिंदगी भर यही मांगती आई मां
सच जिंदगी की कड़वाहट में
अमृत का प्याला है माँ
अपनी संवेदना से सबको संवारती हर रिश्ते की तुरपाई करती है मां
जग सारा अपवित्र है
जाने किस जगह से आई पाक माँ
अपनी बीमारी में भी जोड़
जोड़ दवाई के पैसे
बच्चों को सारी चीजें देती मां सय, कितना भी बड़ा दर्द हो
पहाड़ से दुख में
ठंडी राहत की सांस है मां

कुछ भी कहो सारे सुख की खुशबू बिखेरती
दुख की तपिश में
शीतल प्रेम का चंदोबा है मां
हाँ पूरी कायनात में ईश्वर का सबसे प्यारा तोहफा है मां
जो आज रेनू तू खड़ी है
बदौलत तेरी ही माँ

*
शक्ति. रेनू शब्दमुखर
प्रधान सम्पादिका
जयपुर.

*
भाविकाएँ
*
सिद्धार्थ ! क्या फिर तुम लौटोगे ?


तथागत : फोटो : साभार


आज फिर बुद्ध खड़े हैं मौन, शांति की भाषा लिए हुए, लेकिन भीड़ शोर में डूबी है, मन की पराजय सिए हुए। कपिलवस्तु से काठमांडू तक और कुशीनगर की भूमि तलक, बुद्ध की वाणी थकी नहीं है, पर आदमी अब सुनता कम। वो कह गए थे- 'दुख है, दुख का कारण है, उसे मिटाने का रास्ता भी है...' पर आज का मानव दुख को ही गहना पहन रहा है। आँखों में क्रोध की आग है, जिह्वा पर धर्म की बात, लेकिन भीतर? भीतर बस स्वार्थ की गूंगी घात। बुद्ध ! क्या फिर तुम लौटोगे? किसी रेल में, किसी रिपोर्ट में, किसी पोस्ट की नीचे दबे सत्य में, या किसी स्कूल के सूने गलियारे में जहाँ किताबें हैं, पर करुणा नहीं? इस बुद्ध पूर्णिमा पर हम दीप जलाएं, मगर ये संकल्प भी लें कि- बुद्ध को मंदिर नहीं, मूल्य की जरूरत है। कि अहिंसा का बोध शब्दों में नहीं, व्यवहार में उतरे। कि जब कोई टूटे, तो हम बुद्ध बनकर उसके पास जाएं, उपदेश नहीं-साहचर्य दें। क्योंकि बुद्ध सिर्फ एक इतिहास नहीं, जीवित विकल्प हैं -भीतर के अंधकार के विरुद्ध एक प्रकाशमान क्रांति। *
कविता संपादन :शालिनी प्रीति शक्ति प्रिया
पृष्ठ सज्जा : शक्ति सीमा स्वाति अनुभूति

दी लिटिल नेस्ट : सांगला : छितकुल :  किन्नौर : हिमाचल / उत्तराखंड : पर्यटन समर्थित

--------
तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : शक्ति : सम्पादकीय : प्रस्तुति. पृष्ठ :४.
----------
संपादन.

शक्ति. नीलम पांडेय.
वाराणसी.
प्रधान सम्पादिका.
* 
----------
जीने की राह : सही हमसफ़र हमसाया : सम्पादकीय यात्रा आलेख :पृष्ठ : २ /२
-------------
प्रतिक्रिया : बुराई : तारीफ़ : और दृष्टिकोण

*


शक्ति. डॉ.सुनीता रेनू आरती.
जयपुर डेस्क.

जीने की राह : हमसफ़र : हमसाया  : जीने की राह में सदैव सम्यक हमसफ़र हमसाया साथ चुनें। वह व्यक्ति जो सदैव आपका साथ कभी न छोड़ें।  मेरे लिए मेरे अपनों की परिभाषा थोड़ी अलग है। अगर तुम मुझे सुन सकते हो, समझ सकते हो, देख सकते हो और सम्यक व्यक्तिगत तरीके से मुझे समझा सकते हो। मेरे लिए एक समझ और सहन शक्ति की सीमा रख सकते हो तो तुम मेरे अपने हो। याद रहें योगिराज कृष्ण ने शिशुपाल को कितना सहा ? सदैव राधिका कृष्ण सदा सहायते का भाव रखता हो वही निज हैं।
विपदा में तत्क्षण मित्र सखी की पहचान हो ही जाती हैं। जो विपदा में आपका साथ निभाए वही आपका हितैषी मित्र है।
यह भी सही है कि तारीफ़ पीठ पीछे ही होनी चाहिए। सब के सामने चल सकती है। लेकिन यदि अपनों में कोई बुराई दिखती है,कही कमी दिखती है तो सुधारात्मक रवैया एकदम से निहायत व्यक्तिगत तरीके से करें। उसका एक अंश भी सार्वजनिक नहीं होना चाहिए। आम जन के सामने कही गयी कभी भी तीखे कड़वे शब्दों को ता उम्र नहीं भूल पाते हैं ।
दिल की बातें कभी कभी कह भी दें : फिर दूसरे तरीके से भी जरा सोचियेगा जो लोग पीठ पीछे आपकी तारीफ करते हैं, और सामने चुप रहते हैं... वो सच में आपकी इज़्ज़त करते हैं या सिर्फ अपने अहम की रक्षा ?अक्सर लोग दूसरों की अच्छाई को सामने कहने से कतराते हैं - शायद डरते हैं कि कहीं उनका खुद का कद छोटा न हो जाए। जबकि जीने की राह है यदि सर्व विदित किसी की अच्छाई सामने प्रतीत होती हो तो
सामने ही प्रशंसा हो जानी चाहिए इससे तथा कथित प्रोत्साहित होते है।
लेकिन सच ये है कि तारीफ जब सामने होती है, तभी उसका असर होता है। अगर किसी में गुण है, तो उसे कहिए खुलकर, ईमानदारी से, और समय रहते। क्योंकि ' काश कह दिया होता से बेहतर है - ' मैंने कहा था, और वह मुस्कराया था। ' चलो आज किसी को दिल से कहें - तुम योग्य हो, सराहनीय हो, प्रेरणास्रोत हो।
आम जीवन में प्रतिक्रियायें : आम जीवन में प्रतिक्रियायें सामान्य हैं। सब को झेलनी होती हैं। प्रतिक्रियायें जीवन की कसौटी है,जिसके जीवन में जैसी प्रतिक्रिया होती है, जीवन वैसे ही रुपान्तरित हो जाता है और प्रतिक्रिया विहीन जीवन तो जीवन जगत में हो ही नहीं सकता है। प्रतिक्रियायें सदैव सुधारात्मक होनी चाहिए। सदैव याद रखिये कोई बुरा यदि किसी सही, निर्दोष के विरुद्ध के लिए निरंतर करता है तो उसका अपराध सिद्ध है। उसकी सज़ा भी उसकी नीति और नियति में ही है।
यदि तंज रत्नावली जैसी हो जिस  तंज ने रामबोला को तुलसीदास बना दिया, रत्नाकर महर्षि वाल्मीकि हो गये, अंगुलीमाल बुद्ध के रोकने पर संन्यासी हो गया, महावीर और सिद्धार्थ जीवन में सांसारिक सुखों की निस्सारता और क्षण भंगुरता को देखकर अर्हंत हो गये। इसलिए हमारे जीवन में प्रतिक्रिया हमारे जीवित होने का प्रमाण है,वशर्ते उसमें सकारात्मक पक्ष हो ।
संवादहीनता एक शून्य : आप सुबह उठने के बाद और सोने से पहले अपने प्रियजनों और जरूरत के लोगों से वांछित संवाद करते ही रहते हैं। संवाद हमें एक दूसरे से जोड़े रहता है,आप अपने मन की कहते और दूसरे के मन की सुनते रहते हैं। इस पारस्परिक संवाद में सिर्फ जरुरयात बातें ही नहीं होती, जज्बातों की बातें भी होती है और जिस दिन आप एक संवाद न करें कितनी बेचैनी सी होती है। संवाद, सिर्फ निजी और पारिवारिक जीवन में ही नहीं सामाजिक, राष्ट्रीय और वैश्विक जीवन में भी बड़ा महत्व रखता है। संवादहीनता एक शून्य पैदा करती है जहां भय,संशय और घबराहट की भावनाएं स्वत: स्फूर्त पैदा होने लगती है। इसलिए हम सबको संवाद करते रहना चाहिए परन्तु जब कोई आपकी बातों को अनमने ढंग से या औपचारिक होकर सुने तो उसकी अनुभूति हो जाती है और उससे उपजे विषाद दुःख देते हैं इसलिए जब भी किसी से संवाद कीजिए तो उस विषय पर खुल कर बातें कीजिए, अपनी कहिए और उनकी सुनिए,इससे मानसिक अवसाद उत्पन्न नहीं होते और मन को शान्ति भी मिलती है। त्रासदी तो इस बात की है कि आज कोई न तो खुलकर कहना चाहता है और न सुनना चाहता है। मानव धीरे धीरे अपने आप में सिमटता जा रहा है और जिसकी परिणति हिंसा, अपराध, सम्बन्धों में बिखराव और यहां तक कि आत्महत्याएं भी इसी संवादहीनता की उपज है। इससे बचने का प्रयत्न करें।

जीने की राह : संदर्भित गीत : पृष्ठ : २ /२
मेरी पसंद
शक्ति मीना स्मिता प्रिया अनुभूति.


*
फ़िल्म : आरोप.१९७४.
सितारे : विनोद खन्ना. सायरा बानू.
गाना : नैनों में दर्पण है दर्पण में कोई देखूं जिसे सुबह शाम
बोलो जी बोलो ये राज खोलो हम भी सुने दिल को थाम
गीत : माया गोविन्द संगीत : ख़य्याम गायक : किशोर कुमार. लता मंगेशकर
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं

स्तंभ संपादन : शक्ति माधवी स्मिता कंचन प्रीति सहाय.
स्तंभ सज्जा : शक्ति * मंजिता सीमा अनुभूति प्रिया

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सम्पादकीय यात्रा आलेख : जीवन चलने का नाम : पृष्ठ : २ / १   
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नदी मिले सागर में सागर मिले कौन से जल में 
आलेख : अरुण कुमार सिन्हा : शक्ति. आरती 

चैरेवती चैरेवती : गति ही जीवन है पर लक्षयविहीन गति दुर्गति है.


गति ही जीवन है आ कही दूर चले जाए हम : फोटो : हिमाचल : शक्ति. डॉ.भावना.  

किस दिशा में किस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए : जीवन गति, अबाध गति अनवरत प्रवाह का नाम है। जो थम गया, ठहर गया, मर गया। मृत्यु शरीर की होती है, जीवन की मृत्यु नहीं होती है। जीवन सृजित होता रहता है,लयवस्था में रहता है फिर रूपान्तरित हो जाता है।जिस शरीर को धारण करता है वह शरीर नष्ट हो जाता है। चार्वाकों से लेकर जैनों से लेकर बौद्धों तक में जीवन को ऐसे ही परिभाषित किया गया है।
औपनिषदिक/ वेदान्त दर्शन और चिन्तन में भी कहा गया है चैरेवती चैरेवती अर्थात् चलते रहो चलते रहो। पर किस दिशा में किस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए, यह जानना भी जरूरी है। आप जब किसी यात्रा या सफर पर निकलते हैं तो स्टेशन/ लक्ष्य पहले से निर्धारित रहता है। उसी हिसाब से आप सारी तैयारियाँ करते हैं, धन एवं अन्य जरूरी संसाधनों का जुगाड़ करते हैं कि सफर में कोई परेशानी न हो। पर सफर और मंजिल तय है। 
जीवन की अंतिम परिणति : ठीक ऐसे ही मानव जीवन है। जीवन की अंतिम परिणति तय है। कभी-कभी किसी कारणवश आप सफर की दिशा दशा बदल भी लेते हैं, मंजिल भी बदल जाती है। जा रहे थे मसूरी तो रास्ते में मन हो गया कि शिमला चलते हैं फिर मसूरी यात्रा की दिशा बदल जाएगी  परन्तु जीवन यात्रा के अंतिम पड़ाव पर आप कोई बदलाव नहीं कर सकते हैं। 
इसे गंभीरता से समझते हुए ही भारतीय आर्ष पुरूषों ने शायद चैरेवती चैरेवती कहा होगा पर लक्षयविहीन होकर नहीं कहा होगा। आधुनिक युग में भी जो व्यवस्था और तंत्र गतिमान और लक्षयसिद्ध न हो,नष्ट हो जाता है। गति ही जीवन है पर लक्षयविहीन गति दुर्गति है। 
जीवन चलने का नाम : इस रुपान्तरण में गति और स्थिरता दोनों प्रक्रियाओं का महामिलन होता है। हमारे भीतर सबकुछ ठहर जाता है और चेतनाएं गतिमान हो जाती हैं। अगर हम सिर्फ शरीर ठहर भर जाते हैं और चेतनाएं  जाग्रत नहीं होती, गतिमान नहीं होती तो चैरेवती चैरेवती की सार्थकता सिद्ध नहीं हो सकती है,चलते रहने होगा। यह कितना व्यवहारिक और अनुभूत सच है कि जिसे आसानी से समझकर आत्मसात किया जा सकता है उसे हम न तो कभी समझने की कोशिश करते हैं और न समझ पाते हैं और नदी से सागर नहीं बन पाते हैं। यह निजी जीवन से लेकर वैश्विक स्तर पर सच है। एक विद्यार्थी,एक खिलाड़ी,एक वैज्ञानिक,एक शोधक एक कलाकार,एक चिकित्सक,एक साहित्यकार,एक योद्धा आदि को नियमित अभ्यास करते रहना पड़ता है तभी वह अपने कार्यक्षेत्र में सफल और स्थापित हो सकता है, अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर जीवन की सार्थकता सिद्ध कर सकता है।
नदी मिले सागर में सागर मिले कौन से जल में : गतिहीनता तो मृत्यु है सृष्टि, सृजन, लय और विनाश के साथ अनवरत, अबाध मंथर गति से चलती रहती है,कभी न रुकती न कभी थकती है और ऐसी ही प्रकृति और प्रवृत्ति नदियों की भी होती है, कभी स्थिर नहीं, सदैव गतिमान और जिस क्षण उसका प्रवाह रुक गया,वह अस्तित्वहीन होकर इतिहास का विषय बन जाती है और विश्व की कितनी नदियां आज विलुप्त हो गयी हैं।
पर ध्यान रहे, उसका महामिलन जब सागर के साथ होता है तो उनका नाम और अस्तित्व दोनों सागर बन जाते हैं पर यह अन्त उस अन्त से भिन्न स्तर पर होता है जो गतिहीन होकर,सूख कर अस्तित्वहीन हो जाती हैं। यहां वही नदी लघु से विराट बन जाती है।
ऐसे ही हम मनुष्यों की अवस्था और परिणीति होती है या तो हम मनुष्य के रुप में जन्म लेकर मनुष्य रुप में ही नष्ट हो जाते हैं या महामानव के रुप में रुपान्तरित होकर लघु से विराट बन जाते हैं। शरीर वही रहता है पर समस्त चेतनाएं बदल जाती है, दृष्टि वही रहती हैं पर दृष्टिकोण बदल जाता है और यह रुपान्तरण सिर्फ स्थूल ही नहीं सूक्ष्म भी हो जाता है। अन्दर बाहर मौलिक रुप से बदल जाता है। 
बगैर अभ्यास के कलम की धार और तलवार की धार कुंद हो सकती है इसलिए भारतीय संस्कृति और संस्कारों में चैरेवती चैरेवती कहा गया है। ब्रह्माण्ड के सारे छोटे - बड़े पिण्ड सदैव गतिमान हैं,एक क्षण भी रुके,स्थिर हुए कि इसके नतीजे विनाशकारी हो सकते हैं। सांसें थमीं नहीं कि प्राण निकल गए,शरीर निष्क्रिय और निष्प्राण हो गए। आधुनिक राज व्यवस्था में भी इसीलिए विधि विधान अर्थात् संविधान को समयानुकूल परिवर्तनशील बनाया गया है कि वह समय की मांग के अनुरूप बदलता रहे, चलता रहे अन्यथा वह और उससे संचालित राष्ट्र दोनों नष्ट हो जाएंगे।
इसी तरह वैचारिक रूप से गतिमान, प्रवाहमान और चलायमान रहना हमारे अस्तित्व के लिए जरूरी है। जिस दिन मनुष्य के भीतर बदलाव होना बन्द हो जाएगा,वह जीवित होते हुए भी निष्प्राण मांस का पिण्ड भर रह जाएगा। अब निर्णय आपके हाथों में है कि नदी बनकर, प्रवाहमान होते हुए सागर के साथ महामिलन करके लघु से विराट होना चाहते हैं या एक निष्क्रिय मांस पिण्ड होकर पोखर या नाले की तरह रहना चाहते हैं। परमात्मा ने, प्रकृति ने इसीलिए हम मनुष्यों को इच्छा स्वातंत्र्य और कर्म स्वातंत्र्य के अधिकारी बनाए हैं कि क्या-क्या चयन करें और क्या क्या करें। 
शिव इसीलिए सदैव गतिमान और प्रवाहमान हैं, जब वे आनन्द ताण्डव करते हैं तो सृजन होता है, स्थिर भाव से स्वस्थित हो जाते हैं, सदाशिव की अवस्था में आ जाते हैं  तो संसार लयवस्था में आ जाता है। और जब रूद्र ताण्डव करते हैं तो शंकर का स्वरूप धारण करके नये सृजन के लिए पुरानी सृष्टि को नष्ट कर देते हैं।यही जीवन का रहस्य और सत्य है जो मानव जीवन के लिए भी सत्य है।
शिव ही स्थूल और सूक्ष्म तथा कारणिक हैं, शेष सौर रश्मियों की तरह शैव ऊर्जा का प्रक्षेपण मात्र है।

यात्रा संगीत :
मेरी पसंद 
शक्ति  मीना स्मिता रेनू भारती प्रिया  
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फिल्म : अनोखी रात.१९६८.  
गाना :ओह रे ताल मिले नदी के जल में 
सूरज को धरती तरसे धरती को चन्द्रमा 
सितारे : संजीव कुमार. जाहिदा. 


गीत : इंदीवर. संगीत : रोशन गायक : मुकेश
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं  

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सिद्धार्थ : सुजाता :  सम्बोधि : तथागत सिद्धार्थ की प्रासंगिकता शक्ति : आलेख : २ / ०   
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आलेख : शक्ति.आरती अरुण.
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 हरि के कल्कि अवतार : गौतम बुद्ध.


दुःख है, दुःख का कारण भी है,
इसका निवारण भी है : मध्यम मार्ग : अष्टांगिक मार्ग.
सम्यक साथ : सम्यक दृष्टि : सम्यक कर्म.
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अहिंसा परमो धर्मः
  
छठी शताब्दी ई पू का दौर भारत के लिए संक्रमण काल : आज सम्पूर्ण विश्व एक महामानव अर्हंत भगवान बुद्ध की जयन्ती बना रहा है जिन्हें शाक्य मुनि के नाम से जाना जाता है। छठी शताब्दी ई पू का दौर भारत के लिए संक्रमण काल था जो एक महति परिवर्तन की प्रतीक्षा कर रहा था। 
यज्ञ और कर्मकाण्ड प्रधान समाज : तत्कालीन भारतीय समाज यज्ञ और कर्मकाण्ड प्रधान समाज था जहां ज्ञान और चेतना, मौलिक चिन्तन और विश्लेषण की जगह नहीं रह गयी थी। इस चेतना और ज्ञान को जगाने की दिशा में इनके पूर्व आजीवक सम्प्रदाय के अनेक मत और जैन मत के उदय हो चुके थे जिन्हें अपेक्षाकृत जन समर्थन और राजकीय संरक्षण कम मिलने के कारण बड़े वर्णपट पर नहीं जा सके पर और ये तत्कालीन भारत के कुछ क्षेत्रों में ही सिमट कर रह गए। परन्तु बौद्ध दर्शन और चिन्तन ज्यादा व्यवहारिक होने के कारण भारत भूमि की सीमाओं के पार चला गया। है तो बड़ा लम्बा और गंभीर विषय कि बुद्ध आज भी प्रासंगिक हैं पर मैं महत्तम प्रयास करुंगा कि कम से कम समय और कम से कम शब्दों में अपनी बातों को ग्राह्य बना सकुँ। 
धर्म-कर्म सुधार आन्दोलन : भगवान बुद्ध की महिमा कुछ ऐसी थी कि इन्हें एशिया का प्रकाश तक कहा गया आजीवक ( चार्वाक ) सम्प्रदाय, जैन मत और बौद्ध मत को तत्कालीन भारत में भारतीय सामाजिक आर्थिक, धार्मिक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आधारभूत संरचनाओं में एक मौलिक बदलाव के रुप में इनको देखा गया और इसलिए इतिहासकारों  का एक वर्ग इसे धर्म-कर्म सुधार आन्दोलन भी बताया है।
इस सन्दर्भ में भगवान बुद्ध ने अपनी धम्मदेसना में स्वयं कहा है कि, मैं किसी नवीन धर्म या मत सम्प्रदाय की बात नहीं कर रहा हूॅं पर स्थापित जीवन मोल और मूल्यों में परिवर्तन की बात कर रहा हूॅं जिससे जीवन परिष्कृत मर्यादित और चैतन्य हो और मनुष्य जीवन के अर्थों को समझ सके। 
सिद्धार्थ : सुजाता :  सम्बोधि : तथागत सिद्धार्थ ने इसीलिए वैदिक और वेदान्त दर्शन का भी अध्ययन चिन्तन और मनन किया और इसके लिए वे अनेक सिद्ध विद्वानों के पास जाकर ज्ञान भी हासिल की। उनके पहले गुरु आलार कलाम थे। परन्तु इन्हें कहीं भी आत्मसंतुष्टि नहीं मिली, प्यास नहीं बुझी और ये भटकते भटकते निरंजना नदी के किनारे आज का बोधगया  पहुंच कर साधनारत हो गए पर वहां भी इन्हें वह न मिला जिसकी खोज थी। 
जब ये खोज की अति पर पहुंच गए तो सुजाता के गीत सुनकर और उसके हाथों खीर खाकर इनकी चेतना का विस्फोट हुआ जिससे सम्बोधि की प्राप्ति हुयी और सिद्धार्थ एक निमिष में मानव से महामानव बन गए। 'बुद्ध ' को आमतौर पर लोग एक नाम समझते हैं पर ' बुद्ध ' तो एक संज्ञा नहीं  ' विशेषण है। ' बुद्ध ' होना एक ' चैतन्य अवस्था ' है और इस अवस्था की प्राप्ति स्वयं के श्रेष्ठ कर्म और गुण जनित संस्कारों से की जा सकती है। गौतम सिद्धार्थ के पूर्व भी कई ' बुद्ध ' हुए हैं जो विभिन्न कालखंडो में विभिन्न प्रदेशों में अवतरित जन्म के अर्थ में  हुए हैं।
जीवन के चार आर्य सत्य : मध्यम मार्ग : ढाई हजार साल से भी ज्यादा समय  ५४० ई पू  पूर्व जिन बातों को स्थापित , सत्यापित और   प्रमाणित किया गया था उनमें से बहुत सी बातें आज भी प्रासंगिक और सन्दर्भित हैं। उनके प्रथम धम्मदेसना को  धम्मचक्कपवत्तन अर्थात् धर्म चक्र प्रवर्तन कहा गया है। जिसमें जीवन के चार आर्य सत्य अर्थात्  चत्तारि अरिय सच्चानि की व्याख्या की गयी कि 
जीवन में दुःख है, 
दुःख के कारण हैं, 
उनके निदान हैं 
और निदान के मार्ग हैं अष्टांगिक मार्ग 

और उनके निदान का मार्ग मध्यम मार्ग और अष्टांगिक मार्ग है‌ जिसे पाली भाषा में अट्ठंगिकोमग्गो कहा गया है। बुद्ध के दर्शन ऐसे मूल रुप से वेदांत या औपनिषदिक दर्शन और चिन्तन से प्रेरित और प्रभावित हैं पर भगवान बुद्ध ने उसे अपने तरीके से आमजन के सामने लोकभाषा में प्रस्तुत किया जिसे आमजन के साथ साथ तत्कालीन बड़े बड़े सम्राटों ने भी स्वीकार किया, मान्यता प्रदान किया और संरक्षण भी दिया जिससे बौद्ध मत काफी लोकप्रिय होकर भारतीय सीमाओं के पार चला गया। 
अहिंसा, करुणा क्षमा, प्रेम और त्याग  : तथागत सिद्धार्थ के अहिंसा, करुणा क्षमा, प्रेम और त्याग की प्रेरणा  के साथ  साथ प्रचलित याज्ञिक कर्मकाण्ड के विरोध और‌ जीवन को नवीन रुप में परिभाषित करने के कारण उनका मत और विचार चतुर्दिक विस्तारित हो गया और तत्कालीन भारतीय आमजन समाज में स्थापित हो गया। 
लोग बलि, हत्या,यज्ञ हिंसा और अन्य कर्मकाण्डों से उबे हुए थे जिसकी प्रतिक्रिया स्वरूप बौद्ध मत ग्राह्य हो गया। ऐसे उनके जितने दर्शन और चिन्तन हैं, महत्वपूर्ण और व्यवहार के योग्य हैं परन्तु एक दर्शन ने सर्वाधिक श्रेष्ठ स्थान को पाया वह‌ ' पटिच्चसमुप्पाद् ' है जिसे संस्कृत में ' प्रतीत्यसमुत्पाद ' कहा गया है। इसका सीधा सादा मतलब  ' कार्य और कारण का सिद्धान्त ' हैं।
अब यह जानना जरूरी हो जाता है कि  तथागत बुद्ध के जीवन दर्शन और चिंतन से इस सिद्धान्त का क्या लेना देना है। लेना देना तो यह है कि यह सम्पूर्ण बौद्ध धर्म और दर्शन के मूल में  रीढ़ की हड्डी की तरह है, कहा जाता है कि इस दर्शन और चिंतन के बगैर सिद्धार्थ कभी तथागत बुद्ध नहीं हो सकते थे। शब्दार्थ के बाद इसके कार्यभेद को भी जानना जरूरी हो जाता है। 
अनात्मवाद और अनिश्वरवाद :  अर्थात् किसी का होना अगर उद्देश्यपूर्ण है तो निश्चय ही उसका कोई कारण होगा, 'प्रतीत्य' ( कारण ) है तो ' समुत्पाद ' उसका उत्पाद या परिणाम अवश्य होगा। सिद्धार्थ ने इसी नियम के आधार पर अपने ' धर्म दर्शन और चिंतन  को विकसित किया और ' अनात्मवाद और अनिश्वरवाद ' की व्याख्या की और बताया कि समस्त ब्रह्माण्डीय क्रियाशीलताओं का आधार कारण और कार्य का सिद्धान्त है जो स्वत: स्फूर्त क्रियाशील है जिसके पीछे कोई अलौकिक सत्ता का अस्तित्व नहीं हैं। 
यहां पर यह उल्लेखनीय है कि अगर बुद्ध किसी बाह्य सत्ता की बात करते तो उन्हें आत्मा परमात्मा और अन्य सत्ता के अस्तित्व को स्वीकार करना पड़ता और जिस बदलाव को वह लाना चाह रहे थे, नहीं आता और कोई परिवर्तन नहीं हो पाता और‌ यही कारण है कि उन्होंने ईश्वरीय सत्ता और इससे सम्बन्धित बारह सवालों के कोई जवाब नहीं दिए और ऐसे प्रश्न किए जाने पर या तो मौन हो जाते या उन प्रश्नों को अव्याकृत कहकर अस्वीकार कर देते। 
कर्म की श्रेष्ठता  : कर्म की श्रेष्ठता को स्थापित करते हुए  कर्म जनित श्रेष्ठता से उत्पन्न संस्कारों के द्वारा मोक्ष की जगह ' निर्वाण और महापरिनिर्वाण ' की बात की। मूलतः यह सिद्धान्त ' औपनिषदिक दर्शन और चिंतन में स्थापित ' कर्मवाद के सिद्धान्त ' से अभिप्रेरित और अनुप्राणित है जिसकी व्याख्या तथागत सिद्धार्थ ने अपने तरीके से की। यही सिद्धान्त विज्ञानवाद भी कहलाता है जिससे प्रकृति के सारे क्रियाकलापों की व्याख्या की जाती है।
इस कालखंड के बड़े भौतिकविद् आईजक न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त और न जाने कितने आधुनिक सिद्धान्त इसी पर आधारित है। सम्प्रति संसार की जो अवस्था है और हम मनुष्य जिस संक्रमण काल से गुजर रहे हैं, क्या यह बताने की जरूरत है कि हमें ' किसी भी क्रियाशीलता की अति से बचना ' चाहिए। या तो हमने इस प्रकृति के साथ अति किया है या विज्ञान के साथ अति अर्थात् विज्ञान को विकृत करने का काम  करने का काम किया है।
इस तरह अगर ' प्रतीत्य ' हम हैं तो त्रिविध ताप संकट इसका ' समुत्पाद ' है और यही परिदृश्य उस सिद्धान्त की प्रासंगिकता को सही सिद्ध करता है। हमने इसी आलेखों के माध्यम से कितनी बार कहा है कि सत्य का जो हिस्सा निरपेक्ष मूल्यों पर आधारित है वही टिकेगा शेष कालप्रवाह में बह  जाएगा। 
अब आज की वैश्विक व्यवस्था में  अहिंसा, क्षमा, दया,  करुणा, त्याग आदि की कितनी जरूरत और प्रासंगिकता है, विश्लेषण का विषय है। उनके सारे दर्शन और चिन्तन आज भी  व्यवहारिक और ग्राह्य‌ हैं बस बहस हिंसा और अहिंसा के उपर है। प्रेम, क्षमा ,दया , त्याग और करुणा सार्वकालिक और सार्वभौमिक है पर अहिंसा और हिंसा को नये सन्दर्भों में देखने की जरूरत है। 
अहिंसा परमो धर्म : जिस कालखण्ड में तथागत सिद्धार्थ ने अहिंसा परमो धर्म की बात की थी,वह कुछ और था और आज की वैश्विक व्यवस्था कुछ और‌ है। कोई भी दर्शन और चिन्तन में सामयिक जीवन मोल और मूल्यों के रक्षा के आधार होने चाहिए अन्यथा वह मूल्यहीन हो जाता है। रक्षा करने का सामर्थ्य सिर्फ शक्तिशाली में ही हो सकता है, निर्बल न तो स्वयं की रक्षा कर सकता है न औरों की रक्षा कर सकता है।  कहा भी गया है कि ,समरथ को नहीं दोष गुसाईं अर्थात् जो शक्तिशाली और सामर्थ्यवान हैं वे कभी दोषी नहीं ठहराए जाते हैं। भय नाग से किया जाता है,जलसर्प से कोई नहीं भयाक्रांत होता है। दिनकर जी ने भी कहा है, क्षमा शोभती उस भुजंग को  जिसके पास गरल हो उसको क्या जो दंतहीन विषहीन विनीत सरल हो। इसलिए अहिंसा जैसे सद्गुण की रक्षा तभी हो सकती है जब बुद्ध के पीछे कृष्ण हों अन्यथा अहिंसा की महत्ता समाप्त हो जाएगी। भगवान बुद्ध की प्रासंगिकता कल भी थी और कल भी रहेगी पर शान्ति और क्षमा के पीछे उनके रक्षार्थ वांछित शक्ति भी हो, शक्ति के बगैर अहिंसा कायरता और‌ और दुर्गुण है। वीर और सामर्थ्यवान के लिए अहिंसा और क्षमा आभूषण हैं पर कायरों के लिए अर्थहीन है। 
सत्य, धर्म, अहिंसा, करुणा,क्षमा,प्रेम और त्याग के लिए, बुद्ध और बुद्धत्व की रक्षा के लिए कृष्ण का होना अनिवार्य है।तथागत बुद्ध की जयन्ती पर उनको कोटिशः नमन । नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा सम्बुद्धस्स। नमो बुद्धाय।
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स्तंभ संपादन : शक्ति डॉ.सुनीता शक्ति* प्रिया  
सज्जा : शक्ति मंजिता स्वाति अनुभूति 
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 डॉ. दीनानाथ वर्मा
: दृष्टि क्लिनिक : बिहार शरीफ. समर्थित 
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पर्यटन विशेषांक : आलेख : धारावाहिक आलेख : पृष्ठ : ५ 
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नैनीताल डेस्क. 
संपादन. 


शक्ति.शालिनी मानसी कंचन प्रीति. 
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 स्वर्णिका ज्वेलर्स : निदेशिका.शक्ति तनु रजत.सोहसराय. बिहार शरीफ. समर्थित. 
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ये पर्वतों के दायरें,नैनीताल.
उत्तराखंड यात्रा वृतांत ३. धारावाहिक. अंक १०  से साभार ली गयी.
मुक्तेश्वर. यात्रा संस्मरण 
डॉ. मधुप रमण. 
यही वो जग़ह है यही वो फ़िजा है
यही पर कभी आप हमसे मिले थे
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आ जा रे परदेशी ....मैं तो कब से खड़ी इस पार कि ......फोटो : शक्ति : मीना सिंह.
दो कदम तुम भी चलो दो कदम हम भी चलें : पिछले साल २०२४ में गर्मियों के दिन थे। मैदानी इलाके में गर्मियों की छुटियाँ हो चुकी थी। हर साल की भांति मेरी यायावरी जारी थी, सुनिश्चित ही थी । जीवन के इस अंतहीन सफ़र के हमख्याल ,एकाकी हमराही थे पॉवर ग्रीड के सेवानिवृत अधिकारी सुनील कुमार। एक भले सहिष्णु इंसान है, समझौतावादी । अभी तक़ के सबसे अच्छे सहयात्रियों में से एक।
नैनीताल से एकदम से अनजान लखनऊ के योगी कमल घुमक्कड़ी में साथ हो गए थे। एक से भले दो दो से भले तीन। हम नैनीताल में मल्ली ताल स्थित आर्य समाज धर्मशाला में ही ठहरे हुए थे। अब बताते चले कमल अब हमारे मीडिया परिवार के अहम सदस्य हो गए हैं।
क्या आपको नहीं लगता जीवन ही समझौते की पटरी पर दौड़ती है ,दो कदम तुम भी चलो दो कदम हम भी चलें। सम्यक साथ का सफर वर्तमान में कट ही जायेगा। वैसे तो हम मुक्तेश्वर तीन दफा जा चुके हैं। नैनीताल की अपेक्षा यहाँ सैलानियों की आवाजाही कम ही होती है।
चल अकेला चल अकेला : सफ़र की शुरुआत तो हम चार को करनी थी, किसी कारणवश मेरे हमनवी शक्ति सम्पादिका तथा सुनीता - वनिता ने साथ छोड़ दिया था। यह तो एक इत्तफाक ही था उन दिनों हमारी प्रधान शक्ति सम्पादिका रेनू शब्द मुखर, जयपुर से अपनी साहित्यिक गतिविधियों को लेकर हल्द्वानी,नैनीताल की यात्रा पर ही थी। हम तो एक से भले दो ही रह गए थे।
फ़िल्म सम्बन्ध के गीत कार प्रदीप का लिखा हुआ यह गाना चल अकेला चल अकेला मेरे पूर्ण दिखने वाले मेरे एकाकी जीवन का संगीत हो चुका है।
तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो तू चल अकेला,चल अकेला, चल अकेला, चल तू अकेला, गुरू रविंद्र की पंक्तियों को हमें चाहे अनचाहे में गुनगुनाना ही पड़ता हैं !
भूल गया सब कुछ : अपने गॉंव जैसे नैनीताल जाने की उत्कट आकांक्षा सदैव ही रहती है। घर वापसी किसे अच्छी नहीं लगती। कुछ लिखने , ढूंढ़ने का काम शेष ही था।
पुनः, भवाली, कैंची धाम,अल्मोड़ा, रानीखेत, मजखाली,खुरपा ताल, रामगढ़ एवं मुक्तेश्वर की घुमक्कड़ी करनी थी। १९५८ में प्रदर्शित हुई, विमल रॉय निर्मित दिलीप कुमार, बैजंती माला, प्राण अभिनीत पुरानी फिल्म मधुमती, विवाह सहित अन्य फिल्मों के लोकेशंस तलाशने थे। ख़ोज करनी थी और लिखना था। बताते चले मधुमती के निर्माण के सिलसिले में फिल्म के निर्माता निर्देशक विमल रॉय अक्सर मुक्तेश्वर आया करते थे।
मुझे याद है मुक्तेश्वर की यह मेरी तीसरी यात्रा थी,और सच कहें तो यह यात्रा कल्पना और सपनों से भरी साबित हुई। बतौर एक ब्लॉगर, लेखक मैं यह यात्रा संस्मरण कैसे भूला सकता हूँ ?
आ जा रे परदेशी ....मैं तो कब से खड़ी इस पार कि ...अखियाँ थक गयी पंथ निहार... यथार्थ में कोई दूर पहाड़ी के मध्य हम सब की राहें ही तक रहा था। जीवन यात्रा में सम्यक ' जन ' का सम्यक ' साथ ' मिल जाए यह ईश्वर की ही असीम अनुकम्पा ही समझ लें ।
मुक्तेश्वर : उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जिले में स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह एक पहाड़ी क्षेत्र है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, शांत वातावरण और हरियाली के लिए जाना जाता है। मुक्तेश्वर समुद्र तल से लगभग २२८५ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और हिमालय पर्वतमाला के अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है। मुक्तेश्वर एक शांत और सुकून भरा स्थान है, जो शहर के शोर-शराबे से दूर प्रकृति के करीब समय बिताने के लिए आदर्श है। खेल गतिविधियाँ में ट्रेकिंग, रॉक क्लाइम्बिंग, कैंपिंग फोटोग्राफी के लिए मुक्तेश्वर एक पर्यटन के लिए मनोरम जग़ह हैं
कैसे पहुंचे : सड़क मार्ग : मुक्तेश्वर बरेली , मुरादाबाद , नैनीताल, भीमताल और अल्मोड़ा से सड़क द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। ले दे के सड़कें ही अंत तक साथ देती हैं।
हमने भी मल्लीताल से रिक्शा पकड़ कर तल्लीताल बस स्टैंड से भुवाली पहुँचने के लिए बस ही ले ली थी। फिर भुवाली से हम चार जने टैक्सी पकड़ कर मुक्तेश्वर पहुंचे थे।
निकटतम रेलवे स्टेशन : हल्द्वानी - काठगोदाम है, जो मुक्तेश्वर से लगभग ६२ किमी दूर है। यहाँ तक़ आने के बाद आपको पहाड़ी रास्तें का ही सफ़र जारी रखना पड़ेगा। यह रेलवे स्टेशन देश भर के विभिन्न शहरों जैसे लखनऊ, कोलकाता और दिल्ली से जुड़ा हुआ है। मुक्तेश्वर पहुँचने के लिए आप काठगोदाम रेलवे स्टेशन से आसानी से टैक्सी या बस ले सकते हैं।
निकटतम हवाई अड्डा : हवाई मार्ग से आने वालों के लिए पंतनगर निकटतम हवाई अड्डा है, जो लगभग ९४ किमी दूर है।

संदर्भित यात्रा गीत.
नैनीताल के परिदृश्य में फिल्माई गई
फिल्म : मधुमती.१९५८.

गाना : आ जा रे परदेशी.
सितारे : दिलीप कुमार बैजंती माला प्राण
गीत : शैलेन्द्र. संगीत : सलिल चौधरी. गायिका ; लता
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.

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प्रारंभ : सुहाना सफ़र और ये मौसम ...
गतांक से आगे : १.
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अभिनेता दिलीप कुमार, 
नैनीताल और यह गाना : सफ़रनामा : कोलाज : सुहाना सफ़र और ये मौसम.

चलते चलते मिल गया था कोई : बरेली हम समय पर पहुंच चुके थे। अब लखनऊ काठगोदाम मेल पकड़नी थी। गाड़ी आने में अभी तनिक देर थी। अत्यंत भद्र रहे सहयात्री सुनील जी के सलाह पर हम स्टेशन के ही वेटिंग हॉल में आराम फरमाने चले गए।  स्टेशन पर ही मिलते ,बोलने के क्रम में बरेली ,काश गंज के एकदम से अज़नबी शॉर्ट रील मेकर फैजान मिल गए।  उन्होंने ही मुझे पहली दफ़ा इंस्टा ग्राम पर शॉर्ट रील बनाना सिखाया, इसके लिए मैं उनका तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ। और मैं मानता हूँ जिंदगी के हर फन में कुछ न कुछ सीखने के लिए हमें किसी न किसी का शागिर्द बनना ही चाहिए। 
लखनऊ काठगोदाम मेल सही समय पर आई। और हम हल्द्वानी काठगोदाम सुबह सबेरे नौ बजे तक पहुंच चुके थे। थोड़ी देर फोटो शूट करने के बाद हमने स्टेशन से बाहर ट्रैवलर जीप  ले ली थी। तब कोई नैनीताल जाने का यही किराया १०० रूपये देने पड़े थे। यह हमारी नैनीताल - भुवाली - रामगढ़ की चौथी या पांचवी यात्रा थी। सच कहें तो नैनीताल हमारे लिए कोई गांव जैसा ही है। 


दो दिल मिल रहें हैं : शॉर्ट रील : फैजान : नैनीताल 


प्रकृति ; पहाड़ : प्रेम : जोली कोट से ही चढ़ाई शुरू हो जाती है । पहाडियां भी। मुझे याद है हल्द्वानी मुख्य शहर से थोड़ा आगे एक रास्ता कटता हुआ भीमताल भुवाली होते हुए नैनीताल जाता है । थोड़ा लम्बा पड़ता है। जोली कोट वाला रास्ता सक्षिप्त पड़ता है,इसलिए अधिकतर लोग जोली कोट वाले रास्तें का प्रयोग ज्यादा करते है । हालांकि भीमताल के रास्ते गुजरते , ठहरते हुए आप समय और ख़र्च दोनों बचा सकते हैं। 
प्रकृति ; पहाड़ : प्रेम और अध्यात्म मेरे जीवन का मूल मंत्र हो चुका हैं। प्रेम से अध्यात्म की तलाश मैं बैरागी की भांति हिमालय की श्रृंखलाओं में ही करता हूँ। सुख शांति, सम्यक साथ की तलाश में , बंधन रहित जीने की अभिलाषा ने मुझे आवारा बना दिया है। पहाड़ ,बादल धुंध जैसे मेरी जिंदगी का फ़साना बन गए हैं। जैसे शिव कैलाश मानसरोवर की तरफ अग्रसर होते हैं  किसी अनजानी सुख ,शांति और आत्मिक शक्ति की तलाश में...... !
नैनीताल ,कुमायूं की पहाड़ियां  और यह गाना : सुहाना सफ़र और ये मौसम ....एकाकी रहना , एकाकी फिल्में देखना ,समय व्यतीत करना मुझे बचपन से अच्छा लगता है। शायद यह मेरा शगल है मेरी आदत भी । ना जाने मैंने कितनी फिल्में अकेले ही देखी है। प्रकृति ,खूबसूरती , एकाकीपन से मेरा जन्मों का नाता रहा है। न जाने क्यों पहाड़ , झील ,वादियां, धुंध, चीड़ ,देवदार   की कल्पनाशीलता मेरे जीवनचित्र  के कैनवास के विषय तथा उनमें भरे जाने वाले शोख़ व चटकीले रंग रहें है। यह फ़िल्म पुनर्जन्म पर आधारित थी इसलिए मुझे यह फ़िल्म देखनी थी । काफ़ी अच्छी लगी थी। क्योंकि मैं भी सौ बार जन्म लेने में विश्वास करता हूं। ड्राइवर से मैंने मधुमती का गाना सुहाना सफ़र और ये मौसम .... बजाने को कहा ....
सुहाना सफ़र और ये मौसम .... मेरा यह बहुत ही पसंदीदा  गाना रहा हैं  क्योंकि यह घूमने के दरमियाँ गाया गया है। दिलक़श खूबसूरत अंदाज में फिल्माया गया यह एक गाना है । इस गाने में  दिलीप कुमार  एक मुसाफ़िर की तरह पहाड़ी वादियों में देवदारों चीड़ के मध्य गाना गाते हुए नज़र आते है। उनकी आवाज़ पहाड़ियों से टकरा कर प्रतिध्वनित होती रहती है। वह बल खाती नदियों , चीड़ और देवदारों से भरे पहाड़ों के मध्य गाने के अंतरा को पूरा करते है। 
पता नहीं मुझे बार बार ऐसा क्यों लगता था कि ये पहाड़ी वादियां नैनीताल के आस पास की होनी चाहिए थी । और यह मेरे दिल की कही थी मेरे दिल में 
कभी कभी यह ख्याल रह रह न जाने क्यों आ रहा था। क्योंकि दृश्य ही ऐसा कुछ मनभावन था, देखा हुआ, समझा हुआ । बचपन से ही न जाने क्यों नैनीताल और कुमायूं की पहाड़ियां से मेरी आसक्ति इतनी क्यों है ? मैं नैनीताल तीन चार दफ़ा आ चुका हूँ। मैंने बड़ी बारीकी से नैनीताल की पहाड़ियां देखी है। भ्रमण किया है। मुक्तेश्वर का भ्रमण किया है। देखी गयी सभी जगहें याद आने लगी थी। 
दिल करे रुक जा : है ये कहीं पर यहीं : क्या देखें ? 
रामगढ़  : नैनीताल मुक्तेश्वर मार्ग में ही भवाली से १४ किलोमीटर दूर १७८९ मीटर की ऊंचाई पर अवस्थित है रामगढ़ जो फलों के बागीचे के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इसने अपनी खूबसूरती से कभी प्रकृति प्रेमी कवि गुरु  रविंद्रनाथ तथा महादेवी वर्मा को प्रभावित किया था। 
भगवान शिव मुक्तेश्वर मंदिर : मुझे याद है यहाँ के मुख्य आकर्षण में : हमने कई बार देख रखा था। वह था मुक्तेश्वर मंदिर : यह ३५० साल पुराना भगवान शिव को समर्पित मंदिर है। मंदिर तक पहुँचने के लिए खड़ी चढ़ाई करनी पड़ती है, लेकिन यहां से हिमालय की चोटियों का मनोरम दृश्य देखने को मिलता है।
यहां पहाड़ी के शीर्ष पर भगवान शिव के नाम पर बने मंदिर से ही मुक्तेश्वर शहर का नाम मिला। कहते है यहां भोले से मन की मांगी गई मुरादें  पूरी होती है।  शिव के  मंदिर  से नयनाभिराम प्राकृतिक दृश्यों का अवलोकन किया जा सकता है। 
चौली की जाली : यह एक चट्टानी संरचना है, जो एडवेंचर प्रेमियों और फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए आदर्श स्थान है। यहां से घाटियों और पहाड़ों का दृश्य बेहद आकर्षक होता है। यहाँ प्रेम से जुड़ी कुछ गाथाएं भी हैं। पुनः देखना था
जंगल सफारी और ट्रेकिंग : क्षेत्र के घने जंगलों में ट्रेकिंग और वन्यजीव देखने का मौका मिलता है।
तेंदुए, भालू, और विभिन्न प्रकार के पक्षी यहां पाए जाते हैं।
एप्पल गार्डन और स्थानीय उत्पाद : मुक्तेश्वर अपने सेब के बागानों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ स्थानीय जैविक उत्पाद जैसे शहद और जड़ी-बूटियाँ भी मिलती हैं। मुझे याद है मुक्तेश्वर पहुंचने से पहले हमने एप्पल गार्डन देखी थी जहाँ दिल्ली के कई एक सैलानी मिले थे। हमने उनका इंटरव्यू भी लिया था। पास के स्टॉल से हमने मिक्स्ड फ्रूट्स की जूस भी पी थी।

सुहाना सफ़र और ये मौसम हसीन
संदर्भित यात्रा गीत.
गतांक से आगे : १.
नैनीताल के परिदृश्य में फिल्माई गई


फिल्म : मधुमती.१९५८.
गाना : सुहाना सफ़र और ये मौसम हसीन....
सितारे : दिलीप कुमार. बैजंती माला. प्राण.
गीत : शैलेन्द्र. संगीत : सलिल चौधरी. गायिका ; लता
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.

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डॉ. मधुप रमण. ये पर्वतों के दायरें,नैनीताल.
उत्तराखंड यात्रा वृतांत ३. धारावाहिक. अंक १०  से साभार ली गयी.
यात्रा संस्मरण : गतांक से आगे : २.
भवाली : घोडा खाल : फिल्म मधुमती के सेट्स : एक दिखती झील,वादियाँ मेरा दामन.
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आ जा रे मैं तो कब से खड़ी इस पार अँखियाँ पंथ निहार : कोलाज : डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया अनुभूति. 
 
आर्य समाज मंदिर से उस दिन हम तीन सुबह आठ बजे निकल गये थे। भीड़ नहीं थी। आर्य समाज मंदिर में ठहरे  हमारे साथ लखनऊ के छायाकार कमल भी साथ थे। नैनीताल एक ख़ोज में हम फिर से भुवाली, मुक्तेश्वर जाने वाले थे। कुछेक मिनटों में ही हम मल्लीताल से तल्ली ताल पहुंच गए थे। टैक्सी ली और ५० रूपये किराया दे कर एकाध घंटे में ही भुवाली पहुंच गए थे ।
भवाली : भवाली समुद्र तल से १७०६ मीटर की ऊंचाई पर तथा नैनीताल से ११ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । चूँकि नैनीताल में फ्लैट्स बनने बंद हो गए हैं तब से भवाली का महत्त्व बढ़ गया है। हमें रिहायशी मकान भी देखना था। हम दोनों अपने लिए एक सस्ते रहने के लायक आशियाने की तलाश कर रहें थे।
पर्वतीय भवन निर्माणी संस्थानों में प्रसिद्ध माउंटेन एक्सल्टेर, शिखर हाइट्स के भी हमने कई फ्लैट्स देखें। भवाली में धीरे धीरे कंक्रीट के जंगल बड़ी तेज़ी से बढ़ रहा हैं।
स्थानीय अभय सिंह ने प्राइवेट फ्लैट्स दिखलाने के क्रम में ही पूरी भवाली दिखा दी थी। हमें कुछ विचारधीन फ्लैट्स पसंद भी आए थे। दाम भी ठीक ही थे। हम उनके लिए हम आभार प्रगट करते हैं।
यह स्थान नैनीताल को नजदीकी पर्यटक स्थलों यथा कैंची धाम ,अल्मोड़ा, रानीखेत ,भीम ताल , घोड़ा खाल, से जोड़ने हेतु एक जंक्शन का कार्य करता है। अतः सड़क मार्ग के लिए यह एक महत्व पूर्ण पहाड़ी कस्वां हैं। मुझे भुवाली सुविधा जनक लगा। यहाँ होटल्स आदि सब कुछ है।
भवाली टी.वी. सैनेटोरियम :भवाली अपनी प्राकृतिक सुंदरता एवं पहाडी फल मण्डी के रूप में जाना जाता है । भवाली की पहचान यहॉ पर स्थित ब्रिटिश कालीन टी.वी.सैनेटोरियम से भी होती है। यह अस्पताल सन् १९१२ में खोला गया था । यहाँ कमला नेहरू इलाज के लिए लाई गयी थी।
हमारे सहयात्री सुनील बहुत ज्यादा उत्साहित थे। उनकी नैनीताल की पहली यात्रा थी। हम जब भी भुवाली अल्मोड़ा पहुंचते हैं तो हम १९५७ - ५८ के आस पास मधुमती के सेट्स याद आने लगता हैं।
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मैं, मेरे हमसफ़र, घोड़ाखाल का मंदिर, ख़ूबसूरत नज़ारे : मधुमती की तलाश. छाया चित्र : शक्ति

घोड़ाखाल ,रामगढ़ ,मुक्तेश्वर की गलियों  की हमने खाक़ छानने  की भी सोची क्योंकि इन जगहों की चर्चा फिल्म में हुई थी और हमें जग़ह देखनी थी। स्थानीय लोगों से खूब बातें की। उनसे जितनी हो सकी जानकारियाँ इकट्ठी की। सेट्स देखना था। सभ्यता समझनी थी ,और मंदिर आदि की भी तलाश करनी थी। सच कहें तो हमने इस बार पूरी भवाली ही छान डाली। 
घोड़ाखाल : मधुमती का सेट्स : भवाली से पांच किलोमीटर दूर एक छोटा सा सुन्दर पहाड़ी गांव है जो उत्तराखंड में न्यायी देवता गोलू देवता के लिए जाना जाता है । महिलाएं ठीक वैसी वेशभूषा पहाड़ी घाघरा-पिछौड़ा व गले में हंसुली, पहनी हुई दिखी जैसे फिल्म मधुमती में  मधुमती दिखी थी। 
पता नहीं क्यों नीचे घाटियों में देखने पर सभी जग़ह फिल्म दिलीप कुमार,बैजंती माला अभिनीत मधुमती के ही लोकेशंस और सेट्स नज़र आ रहे थे लेकिन वह पूजा स्थल नहीं दिखा जहां वैजयंती माला या मधुमती अपनी मन्नत मांगने आई थी। जहां उनके चढ़ाए गए फूल जमीन पर गिर गए थे। 
घोड़ाखाल का प्रसिद्ध सैनिक स्कूल : देखने के क्रम में घोड़ाखाल का प्रसिद्ध सैनिक स्कूल भी मिल गया था, जिसकी मैंने कई फोटो भी शूट्स किए थे। 
अभय जी बतला रहें थे यहाँ पर भी कुछ शूटिंग्स हुई थी। मैंने स्वयं भी देखा था कि घोड़ा  खाल से मधुमती की चर्चित किसी झील शायद भीम ताल ही यहाँ से स्पष्ट दिख रही थी। अभय जी की प्रॉपर्टी देखने के क्रम में जब उनके टेरिस पर गए तो नीचे घाटियों में दिखने वाली भीम ताल ही थी।  
फिल्म मधुमती में किसी तूफानी रात में आनंद ( दिलीप कुमार ) वीराने हवेली में रुके थे। अपने पूर्व जन्म की याद करते हुए उन्हें किसी झील की स्मृति होती है। शायद वो दिखने वाली भीम ताल ही थी।  
स्थानीय लोगों ने बतलाया था कि यह हवेली आज घोड़ा खाल अवस्थित सैनिक स्कूल ही है जहाँ से कोई एक झील निश्चित ही भीम ताल ही दिखती है। और जहाँ पर मधुमती की शूटिंग्स हुई थी। 
घोड़ाखाल : गोलू देवता के मंदिर : थोड़े समय के लिए अभय जी से मैंने कहा ज़रा दर्शन कर आता हूँ। तेज़ी से मैंने सीढियाँ चढ़नी शुरू कर दी थी। मंदिर की ख़ोज हुई तो यहां हमें गोलू देवता के मंदिर ही मिले जहाँ घंटियों ही घंटियां बंधी थी। शायद मनोकामना पूर्ण होने के लिए लोगों ने बांधी थी। इसलिए इसे घंटियों के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।...... 
यह मंदिर, भवाली से पांच किलोमीटर की दूरी पर है। यह मंदिर,सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के ऊपर एक पहाड़ी पर बना है, इस मंदिर में हज़ारों घंटियां हैं। इस मंदिर में सफ़ेद घोड़े पर पगड़ी पहने गोलू देवता की मूर्ति है। इस मंदिर में लोग अपनी मनोकामनाएं कागज़ पर लिखकर टांगते हैं। मन्नत पूरी होने पर लोग घंटियां चढ़ाते हैं। इस मंदिर में नवरात्रों के दौरान काफ़ी भीड़ रहती है...
शायद यही कही देव स्थल में अभिनेता दिलीप कुमार और बैजंती माला ने एक दूसरे के लिए हो जाने की पवित्र कस्में खायी थी।
संदर्भित यात्रा गीत : जीवन संगीत
फिल्म : मधुमती.१९५८.
गाना : घड़ी घड़ी मोरा दिल धड़के क्यों धड़के ....

सितारे : दिलीप कुमार.बैजंती माला.प्राण.
गीत : शैलेन्द्र. संगीत : सलिल चौधरी. गायिका : लता.
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.


डॉ. मधुप रमण.
लेखक, फ़िल्म समीक्षक. 
नैनीताल डेस्क. 
क्रमशः जारी.

धारावाहिक : संपादन : ये पर्वतों के दायरें,नैनीताल 
डॉ.सुनीता शक्ति* मीना तनु प्रिया.
पृष्ठ सज्जा : शक्ति स्मिता सीमा स्वाति अनुभूति

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पर्यटन विशेषांक : आलेख : धारावाहिक आलेख : पृष्ठ : ५ / १ 
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शक्ति स्मिता
अयोध्या : पर्यटन : उत्तर प्रदेश : श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन, हरण भवभय दारुणं


सरयू घाट : अयोध्या : संध्या आरती का दृश्य : फोटो : शक्ति. संगीता. 

अयोध्या भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में सरयू नदी के तट पर स्थित एक प्राचीन ऐतिहासिक नगर है। यह अयोध्या जिले के साथ - साथ भारत के उत्तर प्रदेश के अयोध्या मंडल का प्रशासनिक मुख्यालय है।
राम की अयोध्या का असली नाम साकेत था। स्कंदगुप्त नामक राजा ने इसका नाम अयोध्या रखा था।
अयोध्या एक प्राचीन शहर है,जिसे हिंदुओं के सात पवित्र शहरों में से एक माना जाता है, क्योंकि इसका संबंध महान भारतीय महाकाव्य ' महाभारत ' से है। रामायण के जन्म के साथ राम और उनके पिता दशरथ के शासन के साथ। इस स्रोत के अनुसार, यह शहर समृद्ध और अच्छी तरह से किलेबंद था और इसकी आबादी बहुत बड़ी थी।
अयोध्या सरयू नदी के तट पर बसा एक पौराणिक शहर जहां के कण कण में श्री राम हैं अभी पिछलें हफ़्ते वहाँ जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ अपने शहर पटना से वन्दे भारत से ६ घंटे की दूरी तय कर जब श्री राम की जन्मभूमि पर ट्रेन की रफ़्तार कम हुई और उस धरती पर कदम रखते ही एक अजीब सी शांति का अनुभव हुआ हर तरफ़ श्री राम की गूंज मानो पूरा शहर शहर की हर सड़क और सड़क पर स्थित हर मकान हर दुकान में मानो श्री राम विराजमान हैं और ये हनरे लिए बड़े सौभाग्य की बात रही कि हम इस पावन शहर में रामनवमी के शुभ त्यौहारपर गए थे हर मंदिर में सुंदरकांड रामवरितमान का पाठ वातावरण को और भी भक्तिमय बना रहा था हमने अपने सफ़र की शुरुआत हनुमान गढ़ी से की जो की श्री राम के रक्षक कहे जाते हैं...
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स्तंभ संपादन : डॉ. सुनीता वनिता शक्ति * प्रिया
सज्जा : शक्ति अनुभूति श्वेता
क्रमशः जारी

 
स्वर्णिका ज्वेलर्स : निदेशिका.शक्ति तनु रजत.सोहसराय. बिहार शरीफ. समर्थित.
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पर्यटन विशेषांक : आलेख : धारावाहिक आलेख : पृष्ठ : ५ / २  
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मेरे ही पास तुझे आना है : यमुनोत्री, यात्रा संस्मरण पृष्ठ : ५ / २
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पहाड़ों की सैर करने से पहले स्वच्छ हो : पवित्र हो : गतांक : ५ / २ /०

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डॉ.सुनीता सीमा शक्ति * प्रिया
सह लेखिका : शक्ति *नमिता सिंह.रानीखेत

निर्दोष, निर्मल, दुग्ध धवल,और स्वच्छ होना ही होगा : यमुनोत्री दर्शन : फोटो : शक्ति. दया

पहाड़ों की सैर करने से पहले स्वच्छ हो : उत्तराखंड में हिन्दुओं के चार धाम हैं। यमुनोत्री,गंगोत्री केदार नाथ और बद्रीनाथ धाम। गंगा,यमुना सरस्वती बहनों में चर्चित यमुनोत्री, चार धाम यात्रा का पहला धाम है, जो उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। लगभग ३२३५ मीटर की ऊंचाई पर बन्दर पूंछ शिखर के पश्चिमी किनारे यह यमुना नदी के उदगम स्रोत के निकट स्थित यह पहला धाम है जहां देवी यमुना का मंदिर है। यात्रा करने के लिए,आप ऋषिकेश से बड़कोट और फिर जानकी चट्टी जा सकते हैं, जहां से यमुनोत्री तक ५ -६ किलोमीटर का ट्रेक है। मसूरी से मात्र १८० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यमुनोत्री। याद है न हमलोग यमुना ब्रिज तक तो जा ही चुके थे न ?
मत भूले गर्म कपड़ें व रेन कोट या छाता साथ लाना। रुत है पहाड़ों का यहाँ बारह महीने मौसम है जाड़ों का। बारिश कभी भी हो सकती है। तब लैंड स्लाइड भी कभी भी हो सकती है। पहाड़ी होने के लिए हिमालय से ऊँचा हौसला रखना होगा। पहाड़ी संस्कृति अपनानी होगी। निर्मल, दुग्ध धवल,स्वच्छ होना ही होगा। यदि आप पहाड़ों की सैर करने आते हैं इतना तो वादा करते ही जाइये।
शक्ति यमुना की भांति जीवन दायिनी हो : यमुना नदी को हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है, क्योंकि इसे पवित्र नदी माना जाता है। यमुना नदी को जीवन दायिनी माना जाता है, और इसे शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है। यमुना नदी की जलधारा जीवन को आगे बढ़ाती है, और यह एक शक्तिशाली और पवित्र नदी है। यमुना नदी का जल स्नान करने से पाप दूर होते हैं, और यह व्यक्ति को यमलोक जाने से बचाता है। यमुना नदी के आसपास की भूमि उपजाऊ होती है, और यह नदी के जल से कृषि को बढ़ावा मिलता है।
सूर्य देव की पुत्री और यम ( मृत्यु के देवता ) की बहन है यमुना : यह सूर्य देव की पुत्री और यम ( मृत्यु के देवता ) की बहन भी है। इसलिए भाई दूज में यम सदृश्य भाई के यमुना नदी में स्नान कर दीर्घ जीवी होने का लाभ प्राप्त करते हैं। यमुनोत्री मंदिर में देवी यमुना की काले संगमरमर की मूर्ति है और ऐसा माना जाता है कि उनके जल में स्नान करने से भक्तों को यमलोक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु भक्त गण देवी यमुना की पूजा करते हैं और पवित्र जल में स्नान करते हैं। यमुनोत्री मंदिर का एक अलग धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है.यमुनोत्री मंदिर का इतिहास प्राचीन और धार्मिक कथाओं से भरा है। माना जाता है कि यमुनोत्री मंदिर का निर्माण टिहरी गढ़वाल के महाराजा प्रताप शाह ने १९ वीं शताब्दी में करवाया था. मंदिर का निर्माण ग्रेनाइट पत्थरों से किया गया है और इसके शीर्ष पर पीला शंकु आकार का टॉवर है।
यमुनोत्री गंगोत्री में लगने वाला समय : यदि आरामदायक यात्रा करना चाहते है तो सदैव स्मृत रखें अक्षय तृतीया के १५ -२० दिन के बाद चारों धाम की यात्रा करनी अच्छी होती है। थोड़ी भीड़ भाड़ कम होगी
यमुनोत्री गंगोत्री घूमने में कुल समय ५ -६ दिन लग सकते हैं। ३ दिन यमुनोत्री के लिए सही है। यदि आप
यमुनोत्री के उदगम स्थल सप्तऋषिकुंड झील तक ट्रेक करना चाहते है तो एक दिन और जोड़ लें।सप्तऋषि कुंड झील, यमुनोत्री से लगभग १० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। और यह ४४२१ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इसे यमुना नदी के उद्गम स्थल के रूप में जाना जाता है. इस स्थान तक का ट्रेक काफी चुनौतीपूर्ण है और अनुभवी ट्रेकर्स के लिए उपयुक्त है. के अनुसार, यह ट्रेक हिमालय की चोटियों और ग्लेशियर का शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है। यदि आप स्वस्थ है युवा है दम फूलने वाली बीमारी से पीड़ित नहीं है तो यमुनोत्री की धारा खोजने निकल ही जाए।

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सुहाना सफ़र और ये मौसम हसीन
संदर्भित यात्रा गीत.
मेरी पसंद
शक्ति : मीना स्मिता अनुभूति शक्ति* प्रिया
फिल्म : अपने रंग हज़ार.१९७५.


गाना : गंगा में डूबा ना यमुना में डूबा.
डूब गया रे मेरा मन सजन तेरी दो अखियन में
सितारे : संजीव कुमार..लीना चंदावरकर.
गीत : अंजान. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारेलाल. गायिका : लता मंगेशकर.
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 
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* किवा गैस्ट्रो सेंटर : पटना : बिहारशरीफ : डॉ.वैभव राज : लीवर. पेट. आंत. रोग विशेषज्ञ समर्थित
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दो रास्ते पहुँचने के : ये रास्ते पहाड़ के : गतांक से आगे : ५ / २ /
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डॉ.सुनीता सीमा शक्ति * प्रिया

दो रास्ते पहुँचने के : ये रास्ते पहाड़ के : यमुनोत्री पहुँचने के लिए दो रास्तें हैं। आप की सुविधा के लिए हमने एक यात्रा मैप भी उपलब्ध करवा रखा है। खोजी प्रवृति के यायावर अपने रास्तें और अपनी मंजिल स्वयं बना सकते हैं।
एक रास्ता : एक रास्ता मसूरी, नौगांव,बरकोट, हनुमान चट्टी,जानकी चट्टी होते हुए यमुनोत्री पहुँचता है। देहरादून से यमुनोत्री की दूरी लगभग १८५ किलोमीटर के आस पास है। और यात्रा का समय आम तौर पर ७ से ८ घंटे तक का समय लगना होता है। हालांकि, यात्रा की अवधि सड़क की स्थिति और ट्रैफ़िक जैसे कारकों से प्रभावित हो सकती है, जो समग्र यात्रा अनुभव को प्रभावित करती है।
दूसरा रास्ता : यदि हम मसूरी से यमुनोत्री की दूरी की बात करें तो १३२ किलोमीटर की दूरी होगी। यात्रा मार्गः में देहरादून,मसूरी,नैनबाग, कंडी, लाखामंडल ,नौगांव, बरकोट, हनुमान चट्टी,जानकी चट्टी और यमुनोत्री आयेंगे।
तीसरा रास्ता :तो तीसरा रास्ता हरिद्वार,ऋषिकेश,चम्बा,धरासू बरकोट,हनुमान चट्टी, जानकी चट्टी होते हुए यमुनोत्री पहुँचता है। बरकोट में ही आने वाले दोनों रास्तें मिलते हैं। हरिद्वार से यमुनोत्री की दूरी
२२० किलोमीटर की पड़ती है।
ज्ञातव्य हो यमुनोत्री मंदिर तक कोई सीधा मोटर वाहन योग्य स्थान नहीं है। यमुनोत्री धाम के अंतिम मोटर वाहन योग्य स्थान उत्तरकाशी जिले में स्थित जानकी चट्टी है। इस पवित्र मार्ग पर, तीर्थयात्री हनुमान चट्टी और फूल चट्टी जैसे प्रतीकात्मक स्थानों से गुजरते हैं, जहाँ हर कदम पर भक्ति और प्राचीन आध्यात्मिकता की गूंज सुनाई देती है।
यात्रा का खर्च : आने जाने का किराया : हरिद्वार स्थित टूर एंड ट्रैवेल्स चलाने वाले हमारे मित्र अजीत श्रीवास्तव, अन्य अनुराग तथा दिनेश जी बात करने पर २० सीटर, १७ सीटर,१४ सीटर,१२ सीटर, टेम्पो ट्रैवेलर्स के लिए प्रत्येक दिन का किराया १०००, ९०००, ८००० ( १४ - १२ ) रुपये प्रत्येक दिन का ठहरता है। ४ यात्री के लिए मारुति अर्टिका ४५०० /- मारुति डिजायर ३५०० का किराया लगभग बतलाया गया।
जबकि सेवन सीटर इनोवा का किराया ६५०० /- होता है। जबकि पार्किंग के लिए ५० रुपया प्रत्येक दिन का किराया यात्रियों को ही उठाना होता है.
पूछने पर मालूम हुआ हरिद्वार देहरादून स्टेशन के पास से उत्तराखण्ड पथ परिवहन की बसें भी जाती है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति का एक तरफ़ का किराया ८०० के आस पास होता है।
सोलो ट्रैवेलर्स के लिए स्कूटी भी किराये पर मिलती है जिसका प्रत्येक दिन का किराया ५०० रुपया होता है। तेल का ख़र्चा आप स्वयं वहन कर सकते हैं।
रजिस्ट्रेशन कराना जरुरी है : चार धाम पर आने वाले पर्यटकों के लिए रजिस्ट्रेशन आवश्यक है। ऑन लाइन ऑफ़ लाइन दोनों तरीक़े से पर्यटक अपना रजिस्ट्रेशन : करवा सकते हैं। ऑन लाइन आवेदन देने के लिए नीचे वेव साइट लिंक दिया गया है। https://registrationandtouristcare.uk.gov.in/signin.php
ऑफ़ लाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा भी हरिद्वार,देहरादून तथा प्रमुख धामों में उपलब्ध हैं फिर भी बेहतर हैं कि आप ऑन लाइन ही रजिस्ट्रेशन करवा लें। भीड़ भाड़ अनावश्यक समय गवानें से बचें रहेंगें।
कब जाएं : चारों धाम के कपाट अक्षय तृतीया के पास खुलते हैं। शुरूआती दिनों में काफी भीड़ होती हैं।
अतः कपाट खुलने के १५ से - २० दिन गुजरने के बाद ही जाना बेहतर होता है। भीड़ अपेक्षा कृत कम मिलती है। प्रारंभ के अप्रैल,मई,मानसून के बाद अक्टूबर, नवंबर का महीना सबसे अच्छा है। बारिश, मानसून में जाने से परहेज ही करें क्योंकि इन दिनों लैंड स्लाइड, रास्ते बंद होने की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं।
कहाँ रहें : वैसे तो बरकोट में रहने के लिए बहुत सारे लॉज,रेस्ट हाउस,होटल्स हैं। आम आदमी सस्ते में
बरकोट में ही ठहर सकता है। उत्तराखंड की सरकार की गढ़वाल निगम ने भी यात्रियों के लिए जानकी चट्टी में भी ढ़ेर सारी सुविधाएँ उपलब्ध करवा रखी हैं। लेकिन इसके पहले उनके अधिकृत वेव साइट पर जाकर पहले से कमरे बुक करवाने होंगे।

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मंजिलें अपनी जगह हैं रास्ते अपनी जगह : क्या क्या देखें : गतांक से आगे : ५ / २ / २
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डॉ.सुनीता सीमा शक्ति * प्रिया
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सप्तऋषि कुंड : यमुना नदी का उद्गम स्थल : महा शक्ति : मीडिया कोलाज : साभार 

चंबा : १६०० मीटर भारत के उत्तराखंड राज्य के टिहरी गढ़वाल जिले में नई टिहरी शहर के पास एक शहर और हिल स्टेशन है । चंबा समुद्र तल से १६०० मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह मसूरी और ऋषिकेश को टिहरी बांध जलाशय और नई टिहरी से जोड़ने वाली सड़कों के जंक्शन पर स्थित है।
यह शहर मसूरी से लगभग ५० किमी दूर है और धनोल्टी, सुरकंडा देवी मंदिर, रानीचौरी, नई टिहरी और कनाताल, टिपरी के पास भी है जो चंबा और धनोल्टी के बीच में है। दिल्ली से हरिद्वार, ऋषिकेश और नरेंद्रनगर २९० किमी होते हुए चंबा तक लगभग ७ - ८ घंटे में पहुंचा जा सकता है।
धरासू : १३९९ मीटर की ऊंचाई पर एक खूबसूरत शहर है जो भारतीय राज्य उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले का हिस्सा है। यह चिन्यालीसौड़ तहसील का हिस्सा है। राष्ट्रीय राज मार्ग संख्या १०८ धरासू से निकलती है और राष्ट्रीय राज मार्ग संख्या ९४ शहर से होकर गुजरती है। प्रसिद्ध धरासू पावर स्टेशन यहाँ भागीरथी नदी पर स्थित है। धरासू से बरकोट ६१ किलोमीटर के आस पास है यमुनोत्री १०२ किलोमीटर दूर है तो उत्तरकाशी से १२३ किलोमीटर दूर है.

बरकोट : १२२० मीटर की ऊंचाई पर बता दें बरकोट से जानकी चट्टी ४५ किलोमीटर दूर एक अत्यंत महत्वपूर्ण पड़ाव है। और यहाँ ठहरने के लिए बहुत सारे सस्ते होटल,रेस्ट हाउस मिल जाते है अतः विश्रामित होने के लिए एक अच्छा पड़ाव हैं। बड़कोट उत्तराखण्ड राज्य के उत्तरकाशी ज़िले में स्थित एक नगर है। यमुना नदी के किनारे अवस्थित बड़कोट नगर जिसकी पृष्ठभूमि में बंदरपूंछ की हिमाच्छादित चोटी है। एक मनोरम पर्यटन स्थल है जहाँ हम सभी समशीतोष्ण जलवायु को अनुभूत कर सकते हैं।
हनुमान चट्टी : २४०० मीटर स्थित बरकोट से आगे बढ़ने पर हनुमान चट्टी मिलता हैं जो यमुनोत्री से १५ किलोमीटर दूर है। शायद आम जनों के लिए अंतिम बस पड़ाव भी। यहां देखने लायक हनुमान मंदिर है इसलिए इस स्थान का नाम हनुमान चट्टी पड़ा।
जानकारी रखें यहाँ भी आपको ढ़ेर सारे पर्यटक आवासगृह, सरकारी विश्रामगृह व सामान्य होटल,ढाबे मिल जायेंगे। यमुनोत्तरी १३ - १४ कि.मी. जाने के लिए यहां घोड़े, खच्चर, डंडी कंडी वाले भी मिल जाते हैं। इन की दरें जिला प्रशासन द्वारा तय की हुई हैं। प्रसिद्ध डोडीताल झील से एक पैदल मार्ग यहां पहुंचता है, जिस पर चल कर पर्यटक प्रकृति का भरपूर आनंद उठाते हैं.
जानकी चट्टी : २६५० मीटर की ऊंचाई पर यमुनोत्री जानकी चट्टी यमुनोत्री से ६ किलोमीटर से पहले एक छोटा सा गाँव है जो भारत के उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। यह यमुनोत्री मंदिर के मार्ग पर है और अपने गर्म पानी के झरनों के लिए प्रसिद्ध है। जानकी चट्टी में गर्म पानी के झरनों में डुबकी लगाना यमुनोत्री की यात्रा से पहले बहुत पवित्र माना जाता है।
जानकी चट्टी से यमनोत्री का पैदल मार्ग ४ से ५ किलोमीटर का रास्ता सुगम और समतल ही है। एक से डेढ़ किलोमीटर का रास्ता चढ़ाई भरा और कठिन है। राही ओ राही , हिमालय से ऊँचा हौसला रखें,  तेरे सर पर दुआओं के सायें रहें तू निराशा में आशा की दीपक जला लें। ईश्वर सदैव साथ होगा। शक्तियां हमसाया बनेगी ऐसी मेरी सोच है।
यमुनोत्री : लगभग ३२३५ मीटर की ऊंचाई पर ठंडी जलवायु के मध्य बन्दर पूंछ शिखर के पश्चिमी किनारे यह यमुना नदी के उदगम स्रोत के निकट स्थित यह पहला धाम है जहां देवी यमुना का मंदिर है।
यही सब का गंतव्य स्थल है। ठंडी हवा के झोंके होंगे। सर्दी होगी। गर्म कपड़े, छाते,रेन कोट अपने साथ रखें। शक्ति यमुना के दर्शन के लिए प्रतीक्षा भी करनी होगी। धैर्य रखें।
सप्तऋषिकुंड झील : ४४२१ मीटर : यात्रा अभी शेष है। उदगम स्थल तक पहुंचना अभी बाकी है। यमुना बाहें उठा कर हमें बुलाती है। कहती है थोड़ा प्रयास करो, मेरे उदगम तक आओ मुझसे मिल लो। ४४२१ मीटर की ऊंचाई पर स्थित यमुनोत्तरी से १० कि.मी. की विकट चढ़ाई के बाद इस सप्तऋषिकुंड सरोवर के किनारे पहुंचते ही अलौकिक सुख की अनुभूति होती है। यही यमुना का उद्गम स्थल है, पूरे मार्ग में सघन जंगल हैं, झाड़ियों, घास व फूलों से ढकी ढलानें हैं। प्रकृति का नजारा है। कहींकहीं ग्लेशियर दिखाई देते हैं. दुर्लभ ब्रह्मकमल फूल दिखाई देते हैं. झील का पानी गहरे नीले रंग का है. झील के किनारे चौकोर स्लेटें कुदरती तौर पर बिछी हुई हैं। यमुनोत्तरी से चल कर और थोड़ी देर यहां रुक कर शाम को वापस यमुनोत्तरी पहुंचा जा सकता है। इतने दुर्गम स्थल में गंगोत्री की तरह यमुनोत्री के उद्गम स्थल में रात को रहने की कोई व्यवस्था नहीं है आपको नीचे लौटना ही होगा। यथार्थ में सप्तऋषिकुंड स्थल के पास सात कुंड है जिसमें से दो तीन ही दिखते है शेष ग्लेशियर में दबे होते हैं।
सप्तऋषिकुंड ट्रेकर्स के अनुभव : ट्रेकर्स की अनुभवों की बात करें तो उन्होंने बतलाया कि सुबह प्रातः तीन बजे हमने सप्तऋषिकुंड के लिए शुरुआत की थी। बहुत ही दुर्गम रास्ता था। खड़ी चढ़ाई थी। कभी कभी तो लगता था ट्रेकिंग पूरा नहीं कर पाऊंगा लेकिन हमने हिम्मत नहीं हारी। नौ घंटे के अथक परिश्रम के बाद नर्म ग्लेशियर के मध्य से रास्ता बनाते हुए हम हिम नदों तक पहुंचे थे। वहां बर्फिस्तान में यमुना मंदिर के दर्शन के बाद हम वापस यमुनोत्री देर शाम तक मंदिर लौटे थे। यह एक यादगार रोमांच मिश्रित ट्रेकिंग थी।
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सुहाना सफ़र और ये मौसम हसीन
संदर्भित यात्रा गीत.
मेरी पसंद
शक्ति : मीना सीमा स्मिता भारती अनुभूति शक्ति* प्रिया
फिल्म : हिमालय से ऊँचा.१९७५.  
सितारे : सुनील दत्त. मल्लिका साराभाई. 
गाना : राही ओ राही तेरे सर पर दुआओं के सायें रहें 


तू निराशा में आशा की दीपक जला
हो हिमालय से ऊँचा तेरा हौसला  
गीत : इंदीवर संगीत कल्याण जी आनन्द जी गायिका : लता
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं
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यमुनोत्री, यात्रा संस्मरण : शक्ति सम्पादिका नमिता : मेरी यादें : पृष्ठ : ५ / २ / ३
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गतांक से आगे : ३ : कल्पनाओं से परे है : यमुनोत्री यात्रा

हर मनुष्य  की इच्छा होती है कि वह भ्रमण करें ,भ्रमण में तीर्थ यात्रा इस की तो बात ही कुछ अलग है, मनुष्य जब अपने उम्र के पड़ाव पर पहुंचने लगता है,तो वह अपने लिए जीना चाहता है। उसके जीने का अर्थ है, कि अपनी ढलती उम्र में भोजन और वस्त्र नहीं बल्कि गृहस्थ आश्रम में ही रहकर सन्यासी के रूप धरकर भगवान को पाने की इच्छा ।
इसी इच्छा को मैं भी अपने हृदय में संजोग कर रखती हूं। इसी प्रयास के तहत मेरी यात्रा २०१९ के अक्टूबर माह के दशहरे की छुट्टी में प्रारंभ हुई इस बार की इच्छा यमुना मैया और गंगा मैया तक पहुंचने की थी,मेरे कहने का अर्थ तो आप समझ ही गए होंगे कि मेरा उद्देश्य यमुनोत्री और गंगोत्री की यात्रा से थी ,हमने अपनी यात्रा हरि के द्वार अर्थात हरिद्वार से प्रारंभ की जहां की गंगा मैया के पावन जल में स्नान कर अपने को शुद्ध कर लिया, फिर भी गंगा का उद्गम स्थान देखने की इच्छा किसे नहीं होती है ।
उसी इच्छा को पूरी करने के लिए हमारी गाड़ी हरिद्वार, ऋषिकेश ,देहरादून, मसूरी के रास्ते हिमालय की पहाड़ियों की ओर धरासू, बड़कोट के रास्ते जानकीचट्टी की ओर बढ़ने लगी ।
यमुनोत्री जानकीचट्टी इसका अंतिम पड़ाव : यमुनोत्री उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में है,जानकीचट्टी इसका अंतिम पड़ाव है ,जहां से हम घोड़े, खच्चर,पालकी पैदल,के रास्ते समुद्र तल से १०००० फीट की ऊंचाई पर चढ़ाई कर सकते हैं ।
जानकी चट्टी से ६ किलोमीटर कि खड़ी चढ़ाई : यह रास्ता ६ किलोमीटर कि खड़ी चढ़ाई वाली है ,मन में अटल विश्वास और श्रद्धा ही आपको सूर्य की पुत्री यमुना माता के दरबार यमुनोत्री तक पहुंचा सकती है ।
काशी विश्वनाथ की धरती पर यमुनोत्री को मोक्ष प्राप्ति का स्थान माना गया है, यमुना मां शनि महाराज की बहन के रूप में मोक्ष पाने वाली आत्माओं की शांति के लिए प्रवाहित हुई थी ,हमारा हिंदू शास्त्र पौराणिक कथाओं पर आश्रित है ,यमुनोत्री जाने के रास्ते पतली पत्थर की बने रास्ते एक तरफ विशालकाय कलिंदी पर्वत दूसरी तरफ खाई और यमुना की पतली धारा। इतनी रमणीक कि ना लेखनी में इतनी ताकत है,ना की कल्पना में।
केवल अपने अनुभव द्वारा और आंखों में कैद दृश्यों को अपनी भावनाओं द्वारा व्यक्त करने की कोशिश की जा रही है ,यमुना मैया के सप्त ऋषि गरम कुंड में स्नान कर अपने मन के पापो को धोकर उनके दर्शन कर मोक्ष की प्राप्ति के बाद लौटना एक अलग ही अनुभव है।
शक्ति.नमिता सिंह
रानीखेत
आगे भी जारी
स्तंभ संपादन : शक्ति माधवी स्मिता प्रीति तनु सर्वाधिकारी
सज्जा : शक्ति. डॉ.भावना वनिता अनुभूति श्वेता

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पर्यटन विशेषांक : आलेख : धारावाहिक आलेख : पृष्ठ : ५ / ३   
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न ऐसी गंगा कही मिलेगी : गंगोत्री, यात्रा संस्मरण : पृष्ठ : ५ / ३
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लेखक समूह
डॉ. सुनीता मधुप
शक्ति* प्रिया
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न ऐसी गंगा कही मिलेगी : तुझे बुलाए है मेरी बाहें : गंगोत्री, यात्रा संस्मरण : प्रारब्ध. पृष्ठ : ०
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डॉ. सुनीता मधुप शक्ति* प्रिया
 
गंगा की सौगंध : साथ निभाए, रिश्तों को अपनाए : १९८५ में राजकपूर निर्देशित फिल्म एक अत्यंत लोकप्रिय फिल्म आई थी राम तेरी गंगा मैली जिसे सबने सराहा था। यह रविंद्र जैन की एक संगीतमय फिल्म थी जिसके गाने अत्यंत कर्णप्रिय थे। सबसे प्रसंशनीय थी इस फिल्म की दृश्यावली जिसमें गंगोत्री,गोमुख के प्राकृतिक सौंदर्य को दिखलाया गया था।
इस फिल्म को मैंने देखा था। न ऐसी गंगा कही मिलेगी : तुझे बुलाए है मेरी बाहें आदि गाने अब तक नहीं भूला नहीं पाया। अभी भी शिव की जटा से निकली पवित्र पतित पावनी गंगा कब ,कहाँ और कैसे मिलती है तलाश जारी ही है।
गंगा हमारी सभ्यता है हमारी देव संस्कृति है। मानो तो गंगा माँ है न मानो तो बहता पानी।युगों युगों से निरंतर बहती आ रही गंगा की निर्मल लहरें मोक्ष दायिनी रही है। हमारी गंगा देव सरिता जो हमारी सौगंध हैं। कहने और करने की मन की पवित्रता सिद्ध हुई है। हम कैसे भूल सकते है ? जिन्होंने ऐसे नियम बनाए कि प्राण जाए पर वचन न जाएतो हम अपनी भारतीय देव संस्कृति को कैसे न संरक्षित करें?
सच कहें तो गंगा के उदगम की तलाश में ही जा रहा हूँ। गंगा से मिलने की मधुर दास्ताँ आप को भी थोड़ी थोड़ी बतलाऊंगा। गंगा की सौगंध साथ निभाए, रिश्तों को अपनाए। गंगा तेरा पानी अमृत झर झर बहता जाए।
कितने दिन : ३ दिन : हरिद्वार से उत्तरकाशी एक दिन उत्तरकाशी से गंगोत्री दूसरा दिन फिर वापसी में रात्रि निवास फिर तीसरे दिन उत्तरकाशी से हरिद्वार की वापसी। यानि कुल मिला कर तीन दिन यथेष्ठ ठहरते हैं। यदि आप गंगोत्री से गोमुख के लिए १८ किलोमीटर ट्रेक करना चाहते हैं तो आने जाने के दो दिन और शेष रख लें।
चारों धामों में गंगोत्री तथा बद्रीनाथ ही दो ऐसे धाम हैं जहाँ देव शक्ति स्थल तक गाड़ी चली जाती है और आप एकदम से परिसर के पास ही होते हैं।
किराया : आने जाने का : हरिद्वार रेलवे स्टेशन से उत्तराखंड की बसें सुबह सुबह चार पांच बजे गंगोत्री के लिए जाती है सोलो ट्रैवेलर्स के लिए प्रत्येक व्यक्ति का किराया ७०० से ८०० रूपया होता है।
दूरी गंगोत्री की : विभिन्न शहरों की : मसूरी से गंगोत्री २५० किलोमीटर, देहरादून से गंगोत्री २९२ किलोमीटर, हरिद्वार से गंगोत्री ऊंचाई ३४१५ मीटर की दूरी २७४ किलोमीटर, तथा ऋषिकेश से गंगोत्री २४९ किलोमीटर , नरेंद्र नगर से २३४ किलोमीटर, टिहरी से १६७ किलोमीटर, धरासू से १२५ किलोमीटर तथा उत्तर काशी से १०० किलोमीटर दूर है।
हरिद्वार से उत्तरकाशी ऊंचाई ११५८ मीटर की दूरी १९२ किलोमीट, हरिद्वार से हर्षिल ऊंचाई २७४५ मीटर की दूरी २५२ किलोमीटर और अंत में हर्षिल से गंगोत्री की दूरी ३० किलोमीटर बनती है। गंगोत्री से गोमुख ऊंचाई ४०२३ मीटर के लिए १८ किलोमीटर दूर है।
मोबाइल नेटवर्क : का कोई समस्या नहीं है। गंगोत्री रास्तें की बात करें तो नेटवर्क आता जाता रहेगा,
लेकिन बिना किसी समस्या के आप अपने प्रिय जनों के संपर्क में रहेंगे,ऐसी आशा है।
ये रास्ते पहाड़ के : हरिद्वार,ऋषिकेश, टिहरी,उत्तरकाशी,गंगनानी होते हुए गंगोत्री पंहुचा जा सकता है.
एक सामान्य परंपरा बन गयी है कि पर्यटक उत्तरकाशी में ही विश्रामित होते है।
संदर्भित यात्रा गीत : सुहाना सफ़र और ये मौसम हसीन संदर्भित यात्रा गीत के लिए मेरी पसंद शक्ति मीना सीमा स्मिता भारती अनुभूति रेनू शक्ति* प्रिया प्रस्तुत कर रही है। मेरे सर्वकालिक पसंदीदा अभिनेता, नवीन निश्छल जो फ़िल्मी दुनियाँ के अति भद्र,शालीन सितारे माने जाते हैं, की अभिनीत फिल्म गंगा तेरा पानी अमृत,साल १९७१. अभिनेत्री योगिता बाली, सह नायक शत्रुघ्न सिन्हा का गीत मैं कभी नहीं भूला पाऊंगा। जब यह फिल्म रिलीज़ हुई थी तब मैं इसके पोस्टर देखने सिनेमा घर तक गया था। उन दिनों यह गाना गंगा तेरा पानी अमृत,साल खूब बजता था। आप भी इस गाने को सुनें।
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सुहाना सफ़र और ये मौसम हसीन
संदर्भित यात्रा गीत.
मेरी पसंद
शक्ति : मीना सीमा स्मिता भारती अनुभूति रेनू शक्ति* प्रिया.
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फ़िल्म : गंगा तेरा पानी अमृत. १९७१.
सितारे : नवीन निश्छल. योगिता बाली. शत्रुघ्न सिन्हा
गीत : साहिर लुधियानवी. संगीत : रवि. गायक : रफ़ी
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं

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वहां कौन है तेरा मुसाफ़िर जायेगा कहाँ : टिहरी गढ़वाल : गंगोत्री, यात्रा संस्मरण :
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गतांक से आगे : १ : पृष्ठ : ०
डॉ. सुनीता मधुप शक्ति* प्रिया.


टिहरी झील : फ्लोटिंग हट्स : तैरते हुए कैफे हाउस : फोटो : साभार : 
हरिद्वार से १०३ किलोमीटर की दूरी पर ऋषिकेश चम्बा टिहरी मार्ग झीलों में तैरता हुआ शहर नई टिहरी है
जो पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र है ,जिसे भारत का मिनी मालदीप भी कहा जाता है।
झील में डूब गया : यादों का शहर : पुराना टिहरी : साल १८१५ में इस शहर टिहरी को बसाया गया था. जब इसके लिए पूजन हो रहा था, तभी पंडित ने भविष्यवाणी की थी कि इस शहर की ज्यादा उम्र नहीं होगी और हुआ भी ऐसा ही, साल २००५ में यह डूब गया. इस शहर में राजा द्वारा बनाए गए शीश महल, चांदी का महल, राज दरबार, टिहरी का घंटाघर समेत कई पुराने मंदिर भी डूब गए। यादों का शहर बन गया प्राचीन टिहरी शहर।
विध्वंस और पुनः नवनिर्माण : नई टिहरी : नई टिहरी एक नवनिर्मित शहर और टिहरी गढ़वाल का जिला मुख्यालय है। यह समुद्र तल से १५५० से १९५० के बीच की ऊंचाई पर स्थित है। यह एक आधुनिक और सुव्यवस्थित शहर है जो चम्बा से ११ किलोमीटर और पुरानी टिहरी से २४ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| बांध निर्माण के फलस्वरूप पुरानी टिहरी शहर के स्थान पर ४५ कि०मी० लम्बी एक कृत्रिम झील का निर्माण हुआ है जिसमें प्राचीन शहर पुराने टिहरी ने जलसमाधि ले ली थी।
तेरी झील सी गहरी : फ्लोटिंग हट्स : इंडिया का मालदीप के रूप में जाने जाना वाला टिहरी आप के पसंद में सर्वोपरि होगा। वर्तमान में यही विशालकाय गहरी झील पर्यटन एवं आकर्षण का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गयी है। सबसे दिलचस्प है फ्लोटिंग रेस्ट हाउस टिहरी झील का बहता पानी आपको तुरंत शांति से भर देता है। यह स्वतंत्र रिसॉर्ट २० हट्स, २ सर्विस हट्स और एक फ्लोटिंग कैफे प्रदान करता है। ले रोई फ्लोटिंग हट्स एंड इको रूम सचमुच बदलते पानी के साथ चलते हैं। दिलचस्प बात यह है कि यह फ्लोटिंग रिसॉर्ट प्रतिष्ठित डोबरा चांटी ब्रिज से सिर्फ ४. ३ किमी दूर स्थित है।
उत्तराखंड के टिहरी बांध पर बने फ्लोटिंग हट्स को ' उत्तराखंड का मिनी मालदीव ' कहा जाता है क्योंकि ये हट्स पानी के ऊपर तैरते हैं, जैसा कि मालदीव के प्रसिद्ध वाटर विला होते हैं। ये हट्स पर्यटन के लिए एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करते हैं, जहां आप पानी के ठीक ऊपर रहते हैं,हिलते रहते हैं और सुंदर विस्तृत झील के दृश्य का आनंद ले सकते हैं।
नई टिहरी गढ़वाल : टिहरी गढ़वाल में देखने और करने लायक कई चीजें हैं, जैसे कि टिहरी बांध, टिहरी झील, चंद्रबदनी मंदिर, और साहसिक खेल। टिहरी बांध भारत का सबसे ऊंचा बांध है और टिहरी गढ़वाल का मुख्य आकर्षण है. टिहरी झील एक खूबसूरत झील है जो विभिन्न जल खेलों जैसे कि बोटिंग, पैरासेलिंग, कयाकिंग और विंडसर्फिंग के लिए प्रसिद्ध है, ने बताया. चंद्रबदनी मंदिर देवी सती के शक्तिपीठों में से एक है, ने बताया. टिहरी गढ़वाल साहसिक खेलों के लिए भी प्रसिद्ध है, जिसमें ट्रैकिंग, माउंटेन बाइकिंग, और वाटर स्पोर्ट्स शामिल हैं. यहां कुछ विशिष्ट बातें हैं जो टिहरी में देखी और की जा सकती हैं:
टिहरी बांध : यह भारत का सबसे ऊंचा बांध ऊंचाई २६०. ५ मीटर,लम्बाई ५७५ मीटर है जो भगीरथ नदी पर निर्मित है और टिहरी गढ़वाल का मुख्य आकर्षण है.भागीरथी नदी गंगा नदी का ही एक हिस्सा है और देवप्रयाग में अलकनंदा नदी से मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती है.
टिहरी झील : यह एक खूबसूरत झील है जो टिहरी बांध के बनने से निर्मित हुई है विभिन्न जल खेलों जैसे कि बोटिंग, पैरासेलिंग, कयाकिंग और विंडसर्फिंग के लिए प्रसिद्ध है,
चंद्रबदनी मंदिर : यह देवी सती के शक्तिपीठों में से एक है, देखने लायक है।
दल्ला आरगढ़ : घनसाली से करीब १५ कि मी की दूरी पर बसा यह सुंदर गांव है, जो आरगढ़ पट्टी के अंतर्गत आता है.
बूढ़ाकेदार: यह एक पवित्र तीर्थस्थल है जो एक सुरम्य स्थल भी है,
थाती : यहां श्रीगुरुकैलापीर देवता के नाम से मार्गशीर्ष प्रतिपदा को बलिराज मेला लगता है और दीपावली मनाई जाती है, पंवाली कांठा, नागटिब्बा, और खतलिंग ग्लेशियर:ये कुछ अन्य ट्रैकिंग स्थल हैं, जो टिहरी गढ़वाल में उपलब्ध हैं.
सुहाना सफ़र और ये मौसम हसीन
संदर्भित यात्रा गीत.
मेरी पसंद
शक्ति : मीना सीमा स्मिता भारती अनुभूति रेनू शक्ति* प्रिया.
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फिल्म : झील के उस पार. १९७३
सितारे : धर्मेंद्र. मुमताज़.
गाना : चल चले ऐ दिल करें ये चल कर किसी का इंतजार
झील के उस पार
गीत : आनंद बख्शी. संगीत : आर डी वर्मन. गायक : लता.
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं

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वहां कौन है तेरा मुसाफ़िर जायेगा कहाँ : उत्तरकाशी : गंगोत्री, यात्रा संस्मरण :
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गतांक से आगे : २ : पृष्ठ : ०
डॉ. सुनीता मधुप शक्ति* प्रिया.
उत्तरकाशी : गंगोत्री के पहले : एक आरामदायक ठहराव : हरिद्वार से १९२ किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित उत्तरकाशी भारत के उत्तराखण्ड राज्य के उत्तरकाशी ज़िले में स्थित एक नगर और हिन्दूओं का प्रमुख तीर्थस्थल है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है और हिमालय में भागीरथी नदी के किनारे ११५८ मीटर की ऊँचाई पर बसा हुआ है। गंगोत्तरी यात्रा मार्ग पर उत्तरकाशी सब से रमणीक,दर्शनीय व बड़ा नगर है।
आने जाने का किराया : हरिद्वार से गंगोत्री तक की औसत बस टिकट की कीमत लगभग ८०० से १००० के आस पास है। रेड बस के साथ, आप विशेष ऑफ़र, छूट और डील का लाभ उठा सकते हैं, जिससे आपको निजी और सरकारी या आर टी सी बस ऑपरेटरों दोनों के लिए हरिद्वार से गंगोत्री तक की सबसे सस्ती बस टिकटें भी मिलेंगी।
११५८ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है उत्तरकाशी से गंगोत्तरी की दूरी ९९ कि.मी. रह जाती है। ऋषिकेश या अन्य धामों से आने वाले पर्यटक व यात्री यहां जरूर रूकते हैं। यहां आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण दर्जनों होटल व रेस्टोरेंट हैं। होटलों, रेस्ट हाउस धर्मशालाओं व आश्रमों की भरमार है।
क्या देखें : भगीरथी तट पर बसी यह निराली नगरी मंदिरों से भरपूर है और यह सनातनी नगरी परंपरा व आधुनिकता का बेजोड़ संगम है। इस खूबसूरत नगरी की तुलना में गढ़वाल में इससे सुंदर दूसरा कोई पहाड़ी नगर नहीं है।
उत्तरकाशी में ढ़ेर सारे मंदिर यथा विश्वनाथ मंदिर, शक्ति स्तंभ, नेहरू पर्वतारोहण संस्थान, कुरेटी देवी, उजेली, मणिकर्णिका घाट,कालेश्वर मंदिर, गोपेश्वर मंदिर, गंगा मंदिर, एकादश रुद्र मंदिर, हनुमान मंदिर, महिषमर्दिनी मंदिर, जड़भरत मंदिर, लक्षवेश्वर मंदिर, भीमगुफा, भैरव मंदिर, गोपाल मंदिर आदि स्थान हैं,जिन्हें आप देख सकते हैं।
उत्तरकाशी के पास अन्य नजदीकी दर्शनीय स्थल हैं जो आस पास ही है वे हैं : रेणुका मंदिर, विमलेश्वर मंदिर, नचिकेता ताल झील, नागणी देवी, हरिमहाराज पर्वत आदि.

सुहाना सफ़र और ये मौसम हसीन
संदर्भित यात्रा गीत.
मेरी पसंद
शक्ति : मीना सीमा स्मिता भारती अनुभूति रेनू शक्ति* प्रिया.
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फ़िल्म : गंगा की लहरें.१९६४.
गाना : मचलती हुई हवा में छमछम
हमारे संग संग चले गंगा की लहरें
सितारे : धर्मेंद्र किशोर कुमार. कुमकुम.
गीत : साहिर लुधियानवी. संगीत : चित्रगुप्त. गायक : किशोर कुमार.लता

आगे भी जारी
स्तंभ संपादन : शक्ति. माधवी स्मिता प्रीति तनु सर्वाधिकारी
सज्जा : शक्ति. डॉ.भावना वनिता अनुभूति श्वेता
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रुत है पहाड़ों का यहाँ बारहों महीने मौसम है जाड़ों का हरसिल : गंगोत्री, यात्रा संस्मरण :
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गतांक से आगे : ३ : पृष्ठ : ०
डॉ. सुनीता मधुप शक्ति* प्रिया

भागीरथी नदी के किनारे एक हिंदू तीर्थस्थल है गंगोत्री : फोटो : शक्ति : बीना जोशी.

यदि सच माने तो १९८५ में राजकपूर निर्देशित फिल्म एक अत्यंत चर्चित संगीतमय फिल्म राम तेरी गंगा मैली की अधिकांश शूटिंग्स यहीं हुई थी। देवदारों चीड़ के पेड़ के मध्य हर्षिल की सुंदरता एक मनोरम और मनमोहक अनुभव है। यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित एक खूबसूरत घाटी है, जिसे भारत का स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है. यहाँ, बर्फ से ढके पहाड़, हरी-भरी घाटियाँ, और बहती नदियाँ मिलकर एक शानदार दृश्य बनाते हैं.
हरसिल : सेबों के बागान : हरसिल : यह उत्तरकाशी से ७८ कि मी और गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान से ३० किमी दूर है.यह अपने प्राकृतिक वातावरण और सेब उत्पादन के लिए जाना जाता है. यह राष्ट्रीय राजमार्ग ३४ पर गंगोत्री के हिन्दू तीर्थस्थल के मार्ग में आता है। समुद्र तल से ९००५ फ़ीट या कहें २७४५ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित एक खूबसूरत हिल स्टेशन है, जो गंगोत्री के रास्ते में आता है। यह भागीरथी नदी के किनारे बसा है और सेब उत्पादन के लिए विशेषतः जाना जाता है।
हर्षिल घाटी : कई दर्शनीय स्थल : हर्षिल घाटी में कई दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें शामिल हैं। प्रकृति का नायाब तोहफा है हर्षिल। ऐसा प्रतीत होता है यदि हम हर्षिल में विश्रामित होते है तो यह कही बेहतर होता है।
बागोरी गांव: यह हर्षिल के पास स्थित एक छोटा सा गांव है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है.
गंगोत्री : हर्षिल से गंगोत्री का रास्ता बेहद खूबसूरत है, जिसमें हिमालय पर्वतमाला, बहती नदियाँ और हरीभरी घाटियाँ दिखाई देती हैं.
सत्तल: सत्तल एक खूबसूरत झील है, जो हर्षिल से कुछ ही दूरी पर स्थित है. इसे स्थानीय की मदद से खोजना होगा।
लामा टॉप: लामा टॉप एक ऐसा स्थान है जहाँ से आप हर्षिल घाटी और आसपास के इलाकों का मनोरम दृश्य देख सकते हैं.
गरतांग गली: गरतांग गली एक ट्रेकिंग रूट है, जो हर्षिल से शुरू होता है और गंगोत्री की ओर जाता है. नेलोंग घाटी : नेलोंग घाटी एक और खूबसूरत घाटी है, जो हर्षिल के पास स्थित है.
श्रीलक्ष्मी-नारायण मंदिर : हर्षिल में भगवान श्रीहरि का मंदिर है, जिसे श्रीलक्ष्मी-नारायण मंदिर के रूप में जाना जाता है.
हरि शिला: भागीरथी और जलंद्री नदी के संगम पर एक शिला मौजूद है, जिसे हरि शिला कहते हैं. हर्षिल की सुंदरता को निहारने के लिए यह एक बेहतरीन जगह है.
गंगोत्री उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित भागीरथी नदी के किनारे एक हिंदू तीर्थस्थल है, जो गंगा नदी का उद्गम स्थल है।
हर्षिल घाटी के बारे में कुछ अन्य बातें: यह समुद्र तल से ९००५ फ़ीट २७४५ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। पर्यटकों के लिए यह एक शांत और एकांत गंतव्य है, जो प्रकृति प्रेमियों और शांत वातावरण की तलाश में यायावर होते हैं। शांति पसंद करने वालों के लिए यह एक आदर्श जगह है। गंगोत्री के पहले यह भी एक उत्तम ठहरने का विकल्प हो सकता है। यहां सेब और राजमा की खेती भी की जाती है। हर्षिल में होमस्टे और कैम्पिंग के ढ़ेर सारे विकल्प उपलब्ध हैं। यहाँ से बंदरपूंछ और श्रीकांत जैसी चोटियों खूबसूरत दृश्य देखे जा सकते हैं। हर्षिल घाटी में ८ गांव हैं, जिनमें सुक्की, मुखबा / मुखवा, हर्षिल, बागोरी, धराली, झाला, जसपुर और पुराली शामिल हैं।
रहने के विकल्प : हर्षिल में होटल, होमस्टे और गेस्ट हाउस सहित विभिन्न प्रकार के आवास विकल्प उपलब्ध हैं, जो आपकी यात्रा की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं.हर्षिल में आवास सीमित है, इसलिए यात्रा से पहले अपनी बुकिंग सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है.

सुहाना सफ़र और ये मौसम हसीन
संदर्भित यात्रा गीत.
मेरी पसंद
शक्ति : मीना सीमा स्मिता भारती अनुभूति रेनू शक्ति* प्रिया.
*
*
फिल्म : राम तेरी गंगा मैली. १९८५ 
गाना : हुस्न पहाड़ों का ओ  ! साहिबा 
क्या कहना की बारहों महीने 
यहाँ मौसम जाड़ों का 
सितारे : मन्दाकिनी. राजीव कपूर. दिव्या राणा.
गीत : रविंद्र जैन. संगीत : रविंद्र जैन गायिका : लता. सुरेश वाडेकर 
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 


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तेरे ही पास मुझे आना है तेरे ही पास मुझे जाना है : गंगोत्री, यात्रा संस्मरण :
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गतांक से आगे : ४ : पृष्ठ : ०
डॉ. सुनीता मधुप शक्ति* प्रिया

गंगोत्री से गौमुख की ट्रेकिंग लगभग १८ किलोमीटर की दूरी है, जो ७ से ८ घंटे में तय की जा सकती है. यह ट्रेक अच्छी तरह से चिह्नित है और रास्ते में हरे-भरे जंगल और छोटे-छोटे गांव दिखाई देते हैं. आप भागीरथी नदी का भी लुत्फ उठा सकते हैं, जो गंगा नदी की एक सहायक नदी है. ट्रेक के दौरान आपको कुछ कठिन चढ़ाई भी करनी पड़ सकती है.
गंगोत्री से गोमुख तक पैदल चढ़ाई लगभग १६ किलोमीटर की है। गोमुख गंगा नदी का उद्गम स्थल है। गौमुख ट्रेक मध्यम से कठिन ट्रेक की श्रेणी में आता है।यह ट्रेक गंगोत्री ग्लेशियर की ओर ले जाता है, जो एक चुनौतीपूर्ण लेकिन सुंदर परिदृश्य है। ट्रेक की शुरुआत भोजबासा से होती है, जो भागीरथी नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है।
मार्ग: ट्रेक में खड़ी चढ़ाई, हिमोढ़ पथ और अस्थिर मौसम की स्थिति शामिल है।
परिदृश्य: ट्रेक के दौरान आपको ग्लेशियर, बर्फ और चट्टानों के मनोरम दृश्य देखने को मिलेंगे।
अंतिम भाग: ट्रेक का अंतिम भाग गंगोत्री ग्लेशियर को पार करना है, जो एक रोमांचक अनुभव है। सजावट: गौमुख पहुंचने के बाद, आप बर्फीले-ठंडे पानी में डुबकी लगा सकते हैं और मंदिर में प्रार्थना कर सकते हैं।
ट्रेक के लिए सुझाव:शारीरिक फिटनेस: गौमुख ट्रेक एक मध्यम से कठिन ट्रेक है, इसलिए ट्रेक से पहले अच्छी शारीरिक फिटनेस और अनुकूलन की आवश्यकता होती है।
मौसम: मानसून के मौसम में ट्रैकिंग से बचें, क्योंकि बारिश से मार्ग फिसलन भरा हो जाता है और भूस्खलन और बादल फटने का खतरा रहता है।
ट्रेक का विवरण:
यात्रा कार्यक्रम : गौमुख की ट्रेकिंग लगभग १८ किलोमीटर की दूरी है, जो ७ से ८ घंटे में तय की जा सकती है.
पहला दिन: गंगोत्री से चिरबासा भोजबासा लगभग १४ किलोमीटर है जिसे आप पैदल चल कर या टट्टू के सहारे पूरा कर सकते हैं.
दूसरा दिन: भोजबासा से गौमुख लगभग ४ किलोमीटर .यात्रा का समय : भोजबासा से गौमुख तक पहुंचने में लगभग २ घंटे लगते हैं, और वापसी में भी उतना ही समय लगता है।
ध्यान दें : गौमुख में ठहरने का कोई विकल्प नहीं है रास्ते में भोजबासा ही है जहाँ एकमात्र रात रुकने की जगह है.आप टट्टू की सवारी भी कर सकते हैं.

आगे भी जारी
स्तंभ संपादन : शक्ति माधवी स्मिता प्रीति तनु सर्वाधिकारी
सज्जा : शक्ति. डॉ.भावना वनिता अनुभूति श्वेता


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ये मेरा गीत : जीवन संगीत : कल भी कोई दोहराएगा : पृष्ठ : ६.
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संपादन.
शक्ति. प्रिया स्मिता. प्रीति सहाय. वनिता. 
*
शीर्षक यात्रा गीत जीवन संगीत
मेरी पसंद 
*
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डॉ. सुनीता मधुप स्मिता शक्ति* प्रिया सीमा मीना अनुभूति 
*
फिल्म : रफ़्तार. १९७५. 
सितारे : विनोद मेहरा. मौसमी चटर्जी.
गाना :  है कौन वो  दुनियां में न पाप किया जिसने 
बिन उलझे काँटों से है फूल चुने जिसने 
बेदाग नहीं कोई यहाँ पापी सारे है 
न जाने कहाँ जाए हम बहते धारे है


गीत : अभिलाष संगीत : सोनिक ओमी गायक : मुकेश  आशा भोसले 
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं

*
फिल्म : जानवर. १९६५. 
सितारे : शम्मी कपूर. राजश्री. 
गाना : मेरी मोहब्बत जवां रहेगी.
 

गीत : सचिन भौमिक संगीत : शंकर जयकिशन गायक : रफ़ी 
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं


फिल्म : नागिन .१९७६. 
गाना : हफ़्ते महीने बरसों नहीं सदियों से है ये पुराने
 तेरे मेरे याराने हो 
सितारे : फ़िरोज खान. मुमताज 

गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं
गीत : वर्मा मलिक. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायक : रफ़ी. लता. 

फिल्म : राज. १९६७. 
गाना : अकेले है चले आओ कहाँ हो 
सितारे :राजेश खन्ना. बबिता. 
गीत : शमीम जयपुरी. संगीत : कल्याण जी आंनद जी. गायक : रफ़ी.


 
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं
 
*
फिल्म : प्रेम पुजारी.१९७०  
गाना : लेना होगा जनम  हमें  कई कई बार 
बादल, बिजली, चन्दन, पानी जैसा अपना प्यार 
सितारे : वहीदा रहमान देव आंनद जाहिदा 
गीत : नीरज. संगीत : एस डी वर्मन.  गायक : किशोर कुमार.


 
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 
*
फिल्म : तीसरी कसम. १९६६ 
गाना : सजन रे झूठ मत बोलो.१९६६  
ख़ुदा के पास जाना है भला कीजे भला होगा 
बुरा कीजे बुरा होगा बही लिख के क्या क्या होगा 
यही सब कुछ चुकाना है 
सितारे ; राज कपूर. वहीदा रहमान. 

*
गीत : शैलेन्द्र संगीत : शंकर जयकिशन. गायक : मुकेश चंद्र माथुर 
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 
*
फिल्म : लावारिस. १९९९  
सितारे : अक्षय खन्ना. मनीषा कोइराला.  डिम्पल.जैकी श्रॉफ 
 गाना : आ कही दूर चले जाए हम दूर 
इतना कि हमें छू न सके कोई गम.

गीत : जावेद अख्तर संगीत : राजेश रोशन गायक उदित नारायण अलका याग्निक 
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 
*
संयुक्त मीडिया अधिकृत 

डॉ. राजीव रंजन. शिशु रोग विशेषज्ञ.बिहार शरीफ. नालंदा.समर्थित
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आ कही दूर चले जाए हम : फ़िल्मी सफर नामा : कोलाज : पृष्ठ : ७ 
----------
संपादन.
शक्ति.शालिनी मीना शबनम सीमा स्मिता अनुभूति.
*
चलते चलते मुझे कोई मिल गया था सरे राह चलते चलते : डॉ.सुनीता सीमा तनु शक्ति*प्रिया.  
नैनों में दर्पण है दर्पण में कोई देखूं जिसे मैं सुबह शाम : डॉ.सुनीता तनु शक्ति*प्रिया.  
चलते हुए जीवन की रफ़्तार में एक लय है : सफ़रनामा : डॉ.सुनीता तनु शक्ति*प्रिया. 
मेरी मुहब्बत जवां रहेगी सदा रही है सदा रहेगी : सफ़र नामा :  डॉ.सुनीता तनु शक्ति*प्रिया. 
पानियों में बह रहें है कई किनारे टूटे हुए.. हो मांझी रे : डॉ.सुनीता तनु शक्ति*प्रिया. 
बरसो महीने सदियों से है पुराने : तेरे मेरे याराने हो : डॉ.सुनीता तनु शक्ति*प्रिया.  
अकेले है चले आओ कहाँ हो कहाँ आवाज़ दे तुमको : सफ़रनामा : डॉ.सुनीता तनु शक्ति*प्रिया.   
काहे बनाए तूने माटी के पुतले : सफ़रनामा : डॉ.सुनीता तनु शक्ति * प्रिया.  
लेना होगा जनम हमें कई कई बार : कोलाज : डॉ.सुनीता तनु शक्ति प्रिया.  

दूर इतना कि हमें छू न सके कोई गम :सफर नामा : कोलाज : डॉ.सुनीता तनु शक्ति प्रिया.  
----------
आ कही दूर चले जाए हम : सफर नामा : कलाकृति : कोलाज : पृष्ठ : ९  
----------
संपादन 
शिमला डेस्क 
शक्ति. मंजिता स्वाति अनुभूति.
*

चल चले ऐ दिल करें चल कर किसी का इंतजार : झील के उस पार : चयन :
शक्ति स्वाति 

----------
आ कही दूर चले जाए हम : सफर नामा : फोटो दीर्घा : पृष्ठ : १२.   
----------
संपादन 
शक्ति. रेनू मीना सीमा शबनम प्रिया संगीता.

स्पीति की बर्फीली वादियों में बादलों का जमावड़ा : शक्ति. डॉ. भावना : हिमाचल 
ककोलत जल प्रपात : नवादा : बिहार : शाही शक्ति स्नान : फोटो : शक्ति स्मिता. 

कैंची धाम बाबा का धाम : नैनीताल : फोटो :
शक्ति तनु : धौलपुर : राजस्थान 


इक  धुंध से आना है इक  धुंध में जाना है : हिमाचल : सफ़र नामा : फोटो :
शक्ति. डॉ. भावना 
*
श्रीधि क्रिएशन्स : शक्ति : बुटीक : पटना समर्थित प्रायोजित 
--------- तुम्हारे लिए : शुभकामनाएं : दिल जो न कह सका : शॉर्ट रील : पृष्ठ : १३. ------------- डॉ. सुनीता शक्ति* प्रिया अनुभूति दार्जलिंग डेस्क * -------- तुम्हारे लिए. शुभकामनाएं :पृष्ठ : १३. -------- * जन्म दिवस की : २९ मई : मूलांक : २ *
शक्ति.शबनम. इंद्रप्रस्थ डेस्क. संयोजिका. एम. एस. मीडिया ब्लॉग मैगज़ीन.

के लिए ' हम ' मीडिया ' देव ' शक्ति परिवार की तरफ़ से हार्दिक अनंत, शिव - शक्ति शुभकामनाएं : *
* शिव शक्ति दिवस ०९.०५.२०२५. शादी की साल गिरह.
संयोजिका. एम. एस. मीडिया ब्लॉग मैगज़ीन शक्ति. स्मिता रंजीत एंकर. पटना दूरदर्शन. को हम मीडिया ' देव ' शक्ति परिवार की तरफ़ से आप दोनों को हार्दिक अनंत, शिव - शक्ति शुभकामनाएं :
०६.०५.२०२५.
सम्पादिका.मीरा डेस्क
शक्ति. मीना सिंह. मुक्तेश्वर. नैनीताल. * --------- दिल जो न कह सका : शॉर्ट रील : पृष्ठ : १३. ----------- मुक्तेश्वर डेस्क. नैनीताल संपादन शक्ति. मीना स्मिता शबनम रेनू प्रिया. * शॉर्ट रील : हा तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे मेरी खामोशियों को समझो तुम जिंदगी याद में गुजारी है
*
शक्ति. शॉर्ट रील : जाते जाते ये तो बता जा हम जीयेंगे किसके लिए *

*
शॉर्ट रील : पूजा : कभी कभी कुछ तो कहो पिया हमसे आज तो मुझसे मिलो ज़रा हमसे
* मस्ती : सफ़र : और गाना : साभार शॉर्ट रील : बहुत प्यार करते है तुमको सनम

*
शक्ति यात्रा फिल्म : लोकेशंस : नैनीताल : तेरे घर के सामने एक घर बनाऊंगा
निर्माण : डॉ. सुनीता मधुप शक्ति प्रिया
शॉर्ट रील : पूजा : मेरा दिल भी कितना पागल है *
*
शॉर्ट रील : चाहूंगा मैं तुझे सांझ सबेरे

निर्माण : शक्ति मीना सिंह 

--------
चलते चलते : मुझे भी कुछ कहना है : पृष्ठ : १३.
----------
नैनीताल डेस्क 
संपादन 
डॉ. सुनीता मीना  शक्ति * प्रिया 
*

जब सभ्यता की ' भीड़ ' में ' करुणा ' खो जाए, तब ' बुद्ध को फिर लौटना चाहिए हमारे ' व्यवहार ' में, हमारी ' सोच ' में, हमारे मौन में...
सम्यक ' साथ ', ' दृष्टि ' और सम्यक ' कर्म '
*
शक्ति. जया. रेनू शब्दमुखर
जयपुर
 *
*
Dr.Akhilesh Kumar.Recent Diagnostics  Khandak Par : Bihar Sharif Supported 

English Section.
 *


*
Contents Page : English.
*

Cover Page : 0.
Contents Page : 1.
Editorial Page : 2.
Shakti Editorial Link : 2.
Shakti Vibes Link.2/0 : English Page 2/1.
Shakti Writeups  Link : English  : 2/2.
  Shakti :Kriti Art  Link :  English :  Page : 2/3.
Short Reel : News : Special : English : Page : 4.
Shakti Photo Gallery : English : Page : 5.
You Said It : Days Special : English : Page : 6.

---------
Editorial English : Page : 2
------------
Chief Editor.
Bengaluru* Desk.


*
Shakti : Prof. Dr. Roop Kala Prasad.
Shakti : Prof. Dr. Bhwana
Shakti : Tanushree Sarvadhikari.
--------
Executive Editor. English
Nainital Desk.
*

*
Dr.Sunita ' Shakti ' Priya.
--------
Assistant. Executive Editor
--------------
Kolkotta Desk.



*
Shakti. Madhvee Seema Bhagwanti.
*
Times Media Powered.

Positive Vibe 
--------
Thought of the Day : Today's Vibes Picture : Page : 2/1
--------
Editor :  Dr.Sunita Seema  Shakti* Priya Anubhuti
Nainital  Desk
*
Times Media Powered 

Dr.Sunita Seema Shakti* Priya
*
Radhika : I need you Madhav !
To listen all my problems, at the end of the day 
Hey ! through the jungles in Vrindavan on the Way 
*
M.S Media Powered : Vibes.
The intuition 

*
 Is the intuition  the ' GPS ' of the ' Soul 'is n't it ? 
*
Dr. Sunita Seema Shakti* Priya. 
*
Your wings already exist all you have to do is fly
*
Pratham Media Powered : Vibes 
*

 Thought, Yours :  People and  Affairs,


*
Keep following your dreams they know the righteous path 
Dr.Anita Seema Shakti Priya 

*

*
 Thought, Yours  people and  affairs,

*
focus on yourself , with your thought, affairs , and people 
don't get lost in others
*
One Small Positive thought can change
your whole day.


*
Faith : Dedication : Work.
*
a person can attain ' perfection ' 
if he works with ' faith ' and ' dedication '



--------
Editorial Shakti : English : Page : 3  
------------
Editor.
Dr.Sunita Seema Shakti* Priya.
Darjeeling

*
a short poem 
So long since the journey was all alone,

photo : courtesy

It’s been so long since the days have passed by,
The nights have waved its route,
The sun has twisted his move, 
And the souls have departed their suits.

It’s been so long, the lips are mute,
The eyes have shut their brows,
The heart has stopped its pump,
And the remnants have lasted numb.

It’s been so long, the frozen and the cold,
The icy hands on my shoulder without a note,
The glisters of every drop that never to be seen again,
And left me alone with me and my soul.

It’s been so long since the journey was all alone,
The crowds are now not to be known,
The faces all turned strangers,
And everyone is moving forward with a ranger.

So was me and myself.

*
Poetess Shakti Priya 
Darjeeling
Editing : Dr.Sunita Madhup Shakti* Priya.    
Page Decorative : Shakti Anubhuti Shweta Manjita  
*
MS Media Powered 

*

 All Above the Sky
a short poem 
*
In every time 
Stay calm cool
Don't be impatient  
And emotional fool
You have worked hard ,
Stay focusing in your goal , 
Oh ! dear oh dear 
 All above the sky and world 
And you will rule 
Dr.Sunita Seema Shakti* Priya.

*

With care and love a lot  for you
Call someone who never leaves you 
*
a short poem 
Dr.Sunita Madhup Shakti* Priya.   


*
With care and love a lot  for you
Call someone who never leaves you 
Call someone who never leaves you 
Missing  you daily and remembering. 
Don't ignore who stands forever in the life journey 
With care and love a lot  for you waiting 
Always love them who love you 
In your  life time distress caring
Don't miss that one who  found  your mistakes 
Without failed solving and correcting 
Bank only those who keep your sweet relationship 
Stories  inside the heart lying

*
Dr.Sunita Madhup Shakti* Priya.    
Page Decorative : Shakti Anubhuti Shweta Manjita  
*
Editor : Shakti Rashmi Suruchi 
Nagpur

----------
Short Reel : News : Special : English : Page : 4.
-------
Around Us Brief  News : English Page : 4/1
-------
Editor 
Shakti. Dr. Sunita Shakti Priya. 

7 th of May 2025 under Operation Sindoor India strikes 9 terror bases in Pakistan, PoK.


Er.Madhulika Ram Shankar. Bangalore. 
Dr.Madhup Sunita 
*
The 2025 Pahalgam attack was an attack on non-Muslim male tourists by five armed militants near Baisaran Valley : Mini Switzerland at Pahalgam in the Indian-administered Jammu and Kashmir. In which at least 28 Indian civilians were killed on 22 April 2025. Many innocent wives were put behind the life time
sorrow as they witnessed their husbands being shot down.Even the Indian Governance was put under warning by the militants.
Search operation is still going on. However the Indian Government just after the completion of 15 days on 7 th of May 2025 under Operation Sindoor strikes 9 terror bases in Pakistan, PoK.
All of us unitedly stand against the Pak sponsored cross border terrorism.
This message is for all daughters in our family regardless of your age . Look at this image carefully. This is the image of Col. Sofia Qureshi and Wing Cdr Vyomika Singh , Two of our most distinguished officers in our armed forces . Why are they here ? They are here as they are the best . Better than their male counterparts !! They are leading the charge against Pakistan . They demonstrated mental and physical strength , coordination and supreme confidence. How did they become like this ? Because they worked on their physical and mental strength. They were as upright as a Bow String. Girls you have to be as strong or even better than these Brave officers . You have got to be really strong physically . What does strength mean ? It means making nothing of a 5k run . It means going for treks or running the city . It means climbing the mountains and lifting those weights , Running for that train or running to work . Make the world bow down to you not for your gender but for your strength. Be the champion you are!!
Column : Editing  :  Page Decoratives 
Shakti. Seema Bhagwanti


----------
For 24 Hours : Only .You Said It : English : Page :5 
--------
Editor 
Dr.Sunita Seema Shakti Priya.


Homage 
Wo Jab Yaad Aaye Bahut Aaye 

*
Shree D.B.Parsad 
Puny Tithi.5.5.2019.
*
Remembering him for the Day of Reverence, Reflection
and for the foundation of Simplicity , Truthfulness Honesty and the above all Tolerance in me however .
*
Shakti Seema Ravi
Dr. Sunita Madhup

*
Pratham Media Powered 
Narmada Desk.
--------
You Said It : Messages : English : Page :5
--------
Decorated with a Bubu Dudu Love GIF


*
Editor 
Dr. Anita Seema Singh Rashmi Tanu Sarvadhikari
Baroda.
*
So Enthusiastic and Wonderful*
*
I like this blog very much. It is so enthusiastic and wonderful for the readers and visitors.I wish. May MS Media reach its peak and everyone should appreciate it ...and like visiting the link of this Blog Magzine Page.

Shikha Sinha. Patna..



डोडीताल : उत्तरकाशी गंगोत्तरी मार्ग पर गंगोत्तरी स्टेशन से एक मार्ग संगमचट्टी (7 कि.मी.) तक जाता है जहां से ट्रैकिंग करते हुए दिलकश झील डोडीताल (3,024 मीटर) पहुंचते हैं. हर साल देशविदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं दयारा स्कीइंग : उत्तरकाशी से 30 कि.मी. आगे गंगोत्तरी रोड पर प्रमुख है-घटवाड़ी. यहां से एक मोटर मार्ग रैथल के लिए (10 कि.मी.) जाता है तो दूसरा मार्ग बारसू (8 कि.मी.) के लिए जाता है. इन दोनों गांवों से क्रमशः 8 व 7 कि. मी. बाद दयारा बुग्याल (3,307 मीटर) में पहुंचा जाता है. यहां मीलों फैली खूबसूरत ढलानें हैं. बर्फ गिरते ही यहां स्कीइंग खेल वाले पहुंच जाते हैं. सरकार इसे स्कीइंग केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना बना चुकी है. गरमियों में यहां असंख्य फूल खिले रहते हैं. कुछ महत्त्वपूर्ण सूचनाएं पर्वतारोहण एवं साहसिक खेल गंगोत्तरी क्षेत्र अनेक सुप्रसिद्ध ऊंचेऊंचे शिखरों से घिरा हुआ है, जो हमेशा मानव के दुस्साहस को चुनौती देते आ रहे हैं. दुनिया में पर्वतारोहण आकर्षण की दर्जनों चोटियां अकेले इस क्षेत्र में हैं. यही वजह है यहां पर्वतारोही दलों की व्यस्त आवाजाही रहती है. उत्तरकाशी स्थित नेहरू पर्वतारोहण संस्थान पर्वतारोहण के कई पाठ्यक्रम चलाता है. तापमान यहां का तापमान गरमियों में अधिकतम 20 डिग्री सेंटीग्रेड, न्यूनतम 0.6 सेंटीग्रेड तथा सरदियों में हिमाच्छादन शून्य डिग्री के आसपास रहता है. वस्त्र गरमियों में हलके ऊनी, सरदियों में भारी ऊनी ले जाएं. भोजन मादक पेय व मांसाहार पूर्णतः वर्जित हैं. स्थानीय भोजनालय व फास्ट फूड सेंटर हैं. अन्य जानकारियां प्राकृतिक सौंदर्य को करीब से देखने के लिए तपोवन का भ्रमण सुविधाज आनंददायक है. तपोवन आवासीय सुविधाएं हैं वस की व्यवस्था है. गंगोत्री से तक अच्छा पैदल मार्ग है. तपा लिए गाइड की आवश्यक सकती है जो गंगोत्तरी में मि हैं. पर्वतारोहण में रु पराक्रमी प्रवृत्ति रखने वाले के लिए यहां जीताजागता उत्तरकाशी शहर में ऐसी कई व माउंटेनियरिंग संस्थाएं/एजें जो पूरे पर्वतारोहण की जुटाते हैं. यहां सभी उ सामान, गाइड, पोर्टर, कुक का इंतजाम रहता है. अन्य सुविधाएं डाकघर, प्राथमिक केंद्र, किराए के लिए टै सामान ढोने के लिए भार गोमुख जाने हेतु टट्टू की व मजदूर, गाइड, पोर्टर की व्यव


Comments

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  6. I am very much obliged to Res. Dr.Raman and the editorial group for giving response and recognition to the articles on Budhism and the theme of life. Actually Budhism is a way of life not a Religion as Gautam Sidharth himself told his beloved disciple Anand regarding Dhamma.
    Globally it must be realized that Budhism is the refined abstract of Upanishads.
    Thanks with best wishes.

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