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नवशक्ति : जीवन दर्शन : विचार धारा
आवरण पृष्ठ : *आवरण पृष्ठ : ०.
विषय सूची : पृष्ठ : ०. सम्पादकीय : पृष्ठ : १. नवशक्ति नव जीवन : शब्द चित्र विचार : पृष्ठ : २. नवशक्ति नव जीवन : दृश्यम : पृष्ठ : ३. नव शक्ति : जीवन शिक्षण.विचार : सागर पृष्ठ : ४. आपने कहा : पृष्ठ : ५. ⭐
------- सम्पादकीय : पृष्ठ : १. --------- ⭐
संपादन. नव शक्ति रूपेण संस्थिता.
शक्ति : रेनू अनुभूति नीलम. ---------- ⭐
सम्पादकीय : शक्ति आलेख : पृष्ठ : १ प्रकृति में व्याप्त वास्तविक शिव शक्तियों को सम उचित सम्मान दें डॉ. सुनीता *शक्ति प्रिया * चैत्र नवरात्रि : शक्ति पूजा. प्रकृति में व्याप्त वास्तविक शिव शक्तियों को सम उचित सम्मान दें * या देवी सर्वभूतेषु ' शक्ति ' रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम :

* शक्ति आलेख. डॉ. सुनीता मधुप शक्ति * प्रिया अनुभूति. -------------- नवरात्रि के प्रथम दिवस शैलपुत्री : ----------------- चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। आदि शक्ति पूजा में मेरी श्रद्धा है। सृष्टि निर्माण संरक्षण के पीछे शक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं। नववर्ष विक्रम संवत २०८२ भी प्रारंभ हो गया। राम की शक्ति पूजा में यह मौलिक शक्ति आत्मान्वेषण से उपलब्ध हुई है कि हमें शिव रही शक्तियों की आराधना करनी ही चाहिए। मर्यादा पुरोषत्तम राम योग द्वारा मन को ऊपर उठाते हैं तथा उसे गगन मंडल में जाते है। यह आत्मान्वेषण की क्रिया है। दूसरी बात, शक्ति का मौलिक स्वरूप प्रकृति में व्याप्त है। हमारे आस पास है। आईये शक्ति सम्मान के साथ ही प्रारब्ध करें। शैलपुत्री : कल ३० ०३ २०२५ दिन प्रथम नवरात्र, शक्ति स्वरूप शैलपुत्री पूजी जाती हैं। शक्ति स्वरूपा, इनका रंग लाल है । पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। प्रथम दिन की उपासना में साधक जन अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते हैं। ऐसा माना जाता है कि शक्ति शैलपुत्री उन व्यक्तियों को आशीर्वाद देती हैं जो प्रतिबद्धता, समर्पण औरअच्छे इरादों के साथ काम करते हैं ।----------------- नवरात्रि के द्वितीय दिवस ------------------- ब्रह्मचारिणी : आज ३१ ०३ २०२५ है। दिन रविवार, द्वितीय नवरात्र का पवित्र दिवस । नवरात्रि के दूसरे दिन माता के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की उपासना की जाती है. इनको ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है. कठोर साधना करने की वजह से और ब्रह्म में लीन रहने की वजह से इनको ब्रह्मचारिणी कहा जाता है. विद्यार्थियों के लिए और तपस्वियों के लिए इनकी पूजा बहुत ही शुभ और फलदायी होती है आदि शक्ति का स्वरूप ब्रह्मचारिणी,रंग हरा। दुष्कर तपस्या के कारण इन्हें तपशचारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया। शक्ति का यह पवित्र स्वरुप भक्तों और साधकों को अनन्त फल देने वाला है। आज के दिन साधक जन अपने मन को स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित करते हैं।
----------------------- नवरात्रि के तृतीय दिवस ----------------
चंद्रघंटा : तृतीय नवरात्र : आज ०१ ०४ २०२५ है। दिन सोमवार, तृतीय नवरात्र, मां का स्वरूप चंद्रघंटा, रंग पीला। इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा नाम से अभिहित किया गया है। दुष्टों के विनाश करने में और आराधक के लिए शांति प्रदान करने में सक्षम हैं। आज के दिन साधक जन अपने मन को मणिपूर चक्र में स्थित करते हैं। परमात्मस्वरूपा देवी चंद्रघंटा के प्रसन्न होने पर जगत का अभ्युदय होता है। जगत का समस्त क्षेत्र हरा - भरा, पावन हो जाता है, परंतु देवी चंद्रघंटा के क्रोध में आ जाने पर तत्काल ही असंख्य कुलों का सर्वनाश हो जाता है। माता चंद्रघंटा की उपासना साधक को आध्यात्मिक एवं आत्मिक शक्ति प्रदान करती है।अपने मस्तक पर घंटे के आकार के अर्धचन्द्र को धारण करने के कारण माँ चंद्रघंटा नाम से पुकारी जाती हैं। भक्तवत्सल मां चंद्रघंटा सबकी रक्षा करने वाली है। हे जग जननी सांसारिक बंधनों में बंधे हम सबकी रक्षा करो। हमें शक्ति प्रदान करो ताकि हम सब अपने जीवन पथ पर अग्रसर हो सकें। शक्ति चंद्रघंटा : दृश्यम. *
----------------- नवरात्रि के चतुर्थ दिवस : कूष्मांडा की पूजा ----------------- सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्मांडा शुभदास्तु मे।
आज ०२ ०४ २०२५ का दिन। नवरात्रि के चौथे दिन देवी को कूष्मांडा के रूप में पूजा जाता है। इस देवी की आठ भुजाएं हैं, इसलिए अष्टभुजा कहलाईं। इस देवी का वाहन सिंह है और इन्हें कुम्हड़े की बलि प्रिय है। संस्कृत में कुम्हड़े को कुष्मांड कहते हैं इसलिए इस देवी की कूष्मांडा के नाम पूजा - अर्चना की जाती है। अपनी मंद, हल्की हंसी के द्वारा अण्ड यानी ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इस देवी को कूष्मांडा नाम से अभिहित किया गया है। जब सृष्टि नहीं थी, चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था, तब इसी देवी ने अपने ईषत् हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसीलिए इसे सृष्टि की आदिस्वरूपा या आदिशक्ति कहा गया है। इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। इनके ही दिव्य तेज़ से दसों दिशाएं आलोकित है। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में इन्हीं का तेज़ व्याप्त है। पवित्र मन से नवरात्रि के चौथे दिन इस देवी की पूजा - आराधना करने से भक्तों के रोगों और शोकों का नाश होता है तथा उसे आयु ,यश ,वल और आरोग्य प्राप्त होता है। अत्यल्प सेवा और भक्ति से ही प्रसन्न होने वाली माँ का आशीर्वाद सच्चे मन से पूजा करने वाले भक्तों को सुगमता से प्राप्त हो जाता है। जग जननी कुष्मांडा माता की जय हो। ----------------- नवरात्रि के पंचम दिवस : स्कंदमाता : की पूजा ----------------- स्कंदमाता : नवरात्रि के पांचवें दिन माता के श्रीविग्रह की स्कंदमाता नाम से पूजा अर्चना की जाती है । स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से अभिहित किया गया है। इनके विग्रह में भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं।स्कंद शिव और पार्वती के पुत्र षडानन कार्तिकेय का एक नाम है। स्कंद की मां होने के कारण ही इनका नाम स्कंदमाता पड़ा। भक्तों की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति : माना जाता है कि मां दुर्गा का यह रूप अपने भक्तों की सभीमनोकामनाओं की पूर्ति करता है और उन्हें मोक्ष का मार्ग दिखाता है। मान्यता है कि स्कंदमाता की कथा पढ़ने या सुनने वाले भक्तों को मां संतान सुख और सुख-संपत्ति प्राप्त होने का वरदान देती हैं। मां का यह स्वरूप भक्तों को मोक्ष प्राप्त कराने वाला है।माता का यह स्वरूप मातृ शक्ति को परिभाषित करता है और बच्चों के प्रति मां की ममता को दर्शाता है। सिंहासन पर विराजमान, अपने दोनों हाथों में कमल पुष्प धारण करने वाली मां शुभदा और अतिशीघ्र प्रसन्न होने वाली है। जय शक्ति ।
स्तंभ संपादन : शक्ति शालिनी रेनू सीमा नीलम स्मिता. पृष्ठ सज्जा : शक्ति. मंजिता स्वाति मीना वनिता अनीता.
----------------- नवरात्रि के छठवें दिवस : कात्यायनी : -----------------
षष्ठं कात्यायनीति च वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्। सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥ स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
मां कात्यायनी : नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की आराधना की जाती है। मां कात्यायनी अपने भक्तों को शक्ति प्रदान करती हैं। मां का यह स्वरूप बेहद शांत और हृदय को सुख देने वाला है। उत्तम वर प्राप्ति हेतु मां कात्यायनी की पूजा अर्चना करने का भी उल्लेख मिलता है। गोपियों के द्वारा श्रीकृष्ण को पतिरूप में पाने के लिए कात्यायनी की पूजा अर्चना की गई थी। देवी आदिशक्ति होने के बावजूद मां दुर्गा को कात्यायनी का रूप क्यों लेना पड़ा आइए जानते हैं। जब दानव महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बढ़ गया तब भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया। महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की। इसी कारण से यह कात्यायनी कहलाईं। पौराणिक कथा : इसके अलावा पौराणिक कथा के अनुसार जब महर्षि कात्यायन ने मां नवदुर्गा की घोर तपस्या की। तब माता उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी पुत्री के रूप में उनके घर में जन्म लेने का वरदान दिया था। देवी दुर्गा का जन्म महर्षि कात्यायन के आश्रम में हुआ था। मां का पालन-पोषण ऋषि कात्यायन ने किया था। देवी दुर्गा ने ऋषि कात्यायन के यहां आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन जन्म लिया था। माता के जन्म के बाद ऋषि कात्यायन ने अपनी पुत्री मां दुर्गा का तीन दिनों तक पूजन भी किया था। महिषासुर राक्षस का अत्याचार बढ़ जाने के कारण देवताओं ने आदिशक्ति मां कात्यायनी से विनती की कि वे ही उन्हें इस दानव से मुक्ति दिला सकती हैं। मां कात्यायनी ने उसका वध कर देवताओं की कामना पूरी की थी। चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दूलवर वाहना। कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानव घातिनी॥‘ इस मंत्र से देवी का ध्यान करके नवरात्र के छठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए। मां की शरण में जाने वाले को सुगमता से धर्म अर्थ काम मोक्ष की प्राप्ति होती है। जय माता आदिशक्ति।
----------------- नवरात्रि के सातवें दिवस : सप्तमं कालरात्री -----------------
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी। वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
सप्तमं कालरात्री ...उत्तर भारत के तकरीबन हर गांव में मां काली का मंदिर स्थापित करने के पीछे ज़रूर ही कोई ख़ास वजह है। वर्ष में एक बार गांव के पुजारी के द्वारा सार्वजनिक रूप से मां की पूजा अर्चना और ग्रामवासियों के सुख सौभाग्य की कामना करना इस बात का द्योतक है कि मां का यह रुप भक्तों की आस्था और विश्वास का केन्द्र है। कई घरों में आज भी विवाह के अवसर पर वर-वधू को पहनाए जाने वाले वस्त्र सबसे पहले मां काली को चढ़ाए जाते हैं। सदैव शुभफल देनेवाली माँ कालरात्रि का स्वरुप भयानक है। माँ कालरात्रि के स्मरण मात्र से नवग्रह बाधाएं शांत हो जाती है, इनकी उपासना से अग्निभय ,शत्रुभय , जलभय ,संकट सब खत्म हो जाते है। नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित है। मां कालरात्रि ने दुष्टों का संहार कर घने काले कोहरे में लिप्टी सृष्टि को प्रकाशमय बनाया था। दुर्गा देवी का सातवां स्वरूप कालरात्रि अत्यंत भयंकर है। इनका रंग काला होने के कारण ही इन्हें कालरात्रि कहते हैं। असुरों के राजा रक्तबीज का वध करने के लिए देवी दुर्गा ने अपने तेज से इन्हें उत्पन्न किया था। इनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है, सिर के बाल बिखरे हुए हैं और गले में बिजली की तरह चमकने वाली माला है। इनका रूप भले ही भयंकर हो, लेकिन ये सदैव शुभ फल देने वाली मां हैं। इसीलिए ये शुभंकरी कहलाईं और इनसे भक्तों को किसी भी प्रकार से भयभीत, आतंकित होने या डरने की जरूरत नहीं है। ये अपने भक्तों को हमेशा शुभ फल देती है। माता कालरात्रि का रूप यह दर्शाता है कि एक करूणामयी माँ अपनी सन्तान की सुरक्षा के लिए आवश्यकता होने पर अत्यंत हिंसक और उग्र भी हो सकती है। जगत जननी मां कालरात्रि मां दुर्गा की तीन महाशक्तियों में से एक हैं। नवरात्रि के सातवें दिन से मां का पट भक्तों के दर्शन करने के लिए खोल दिए जाते हैं । शीघ्र प्रसन्न होने वाली मां कालरात्रि सभी को शुभ फल देने वाली हों.... जय मां अम्बे।
----------------- नवरात्रि का आठवां दिवस ----------------- महागौरीति चाष्टमम्
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
महागौरी की पूजा : मधु - कैटभ, महिषासुर, शुंभ - निशुंभ के वध की कथा अत्यंत लोकप्रिय हैं। लेकिन क्या हम को उनका वास्तविक अर्थ पता है ? पौराणिक कहानियाँ में गहरे अर्थ छिपे हैं, जिन्हें यदि नहीं समझा गया तो आप कथा के पूर्ण लाभ से वंचित रह जाते हैं। नवरात्रि में आठवें दिन महागौरी शक्ति की पूजा की जाती है। नाम से प्रकट है कि इनका रूप पूर्णतः गौर वर्ण है। इनकी उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है। अष्टवर्षा भवेद् गौरी यानी इनकी आयु आठ साल की मानी गई है। इनके सभी आभूषण और वस्त्र सफेद हैं। इसीलिए उन्हें श्वेताम्बरधरा कहा गया है। माता की चार भुजाएं हैं और वाहन वृषभ है इसीलिए वृषारूढ़ा भी कहा गया है इनको। पति रूप में शिव को प्राप्त करने के लिए महागौरी ने कठोर तपस्या की थी। इसी वजह से इनका शरीर काला पड़ गया लेकिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर कांतिमय बना दिया। उनका रूप गौर वर्ण का हो गया। इसीलिए ये महागौरी कहलाईं। फलदायिनी माता : ये अमोघ फलदायिनी हैं और इनकी पूजा से भक्तों के तमाम कल्मष धुल जाते हैं। पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं। महागौरी की पूजा-अर्चना, उपासना-आराधना कल्याणकारी है। इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं। महाअष्टमी के दिन कुमारी कन्याओं का पूजन कर आशीर्वाद लिया जाता है। महाअष्टमी मां दुर्गा का महाशक्तिशाली स्वरूप है जो समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाला है। मां की कृपा सभी को प्राप्त हो। जय माता महागौरी ----------------- नवरात्रि का नवां दिवस ----------------- नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता: '.......
नवम शक्ति : मां दुर्गा का सिद्धिदात्री स्वरुप.... तप, त्याग, साधना के सोपानों से गुजरते हुए मां की कृपा प्राप्त करने, उस चरम-सुख, सौभाग्य को प्राप्त करने का अवसर है, जहां मानव की कोई कामना शेष नहीं रहती है । अष्ट सिद्धियों और नव निधियों को देनेवाली मां दुर्गा की नवम शक्ति का नाम है ' सिद्धिदात्री ' । नवरात्रिपर्व के नवें दिन माता सिद्धिदात्री सुख-समृद्धि प्रदायिनी रूप में भक्तों के बीच होती हैं। सिद्धिदात्री मां के कृपापात्र भक्त के भीतर कोई ऐसी कामना शेष बचती ही नहीं है, जिसे वह पूर्ण करना चाहे। वह सभी सांसारिक इच्छाओं, आवश्यकताओं और स्पृहाओं से ऊपर उठकर मानसिक रूप से मां भगवती के दिव्य लोकों में विचरण करता हुआ उनके कृपा-रस-पीयूष का निरंतर पान करता हुआ, विषय-भोग-शून्य हो जाता है। मां भगवती का परम सान्निध्य ही उसका सर्वस्व हो जाता है। इस परम पद को पाने के बाद उसे अन्य किसी भी वस्तु की आवश्यकता नहीं रह जाती।
' या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। '
मां सिद्धिदात्री का रूप कमल पर विराजमान चार भुजाओं वाली मां सिद्धिदात्री लाल साड़ी में होती हैं। इनके चारों हाथों में सुदर्शन चक्र, शंख, गदा और कमल रहता है। सिर पर ऊंचा सा मुकुट और चेहरे पर मंद मुस्कान .... 'मां सिद्धिदात्री' की पहचान है। जिस प्रकार भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही अष्ट सिद्धियों को प्राप्त किया था ,भगवान शिव को अर्द्धनारीश्वर नाम मिला, मान्यता है कि ठीक उसी तरह इनकी उपासना करने से अष्ट सिद्धि और नव निधि, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है। हिमाचल का नंदा पर्वत इनका प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। निम्न मंत्र से मां की आराधना कीजिए और मन वांछित कामनाओं का आशीर्वाद पाने का जो अवसर मिला है, उसका लाभ उठाइए। जय माता दी :- सिद्धगन्धर्वयक्षाघैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥ वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्। कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥ स्वर्णावर्णा निर्वाणचक्रस्थितां नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम्। शख, चक्र, गदा, पदम, धरां सिद्धीदात्री भजेम्॥
मां दुर्गा के हर रूपों में खोई हुई- सी जिस पथ पर अग्रसर हूं, दुर्लभ अनुभूति है। मां अपने में उलझा के रखें और सांसारिक बंधनों में बंधे हम सबका मार्गदर्शन करें... सदा-सर्वदा। 'ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।'
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---------- नव शक्ति : जीवन शिक्षण.विचार : पृष्ठ : २ ----------- ⭐ जीवन शिक्षण. ---------- नवशक्ति नव जीवन : शब्द चित्र विचार : पृष्ठ : २ /० . ------------- शिमला डेस्क सम्पादित : शक्ति रेनू अनुभूति नीलम * ' समझ शक्ति '
 * जीवन में सुखी रहने के लिए दो शक्तियों का होना बहुत जरुरी है पहली ' समझ शक्ति ' दूसरी ' सहन शक्ति ' ⭐ मन ' विजय ' करें ' धैर्य ', ' संयम ', अटल ' विश्वास ', सकारात्मक ' सोच ', ' संकल्प ', सम्यक ' वाणी ' और सतत सम्यक ' कर्म ' से ही असंख्य ' मानव मन ' जीत लेने के साथ साथ ' विश्व विजय ' की ' कामना ' संभव हैं ⭐

---------- नवशक्ति नव जीवन : दृश्यम विचार : पृष्ठ : ३ . ------------- शिमला डेस्क सम्पादित : शक्ति रेनू अनुभूति नीलम शक्ति के चपल चरण. -------- नव शक्ति : जीवन शिक्षण.विचार : संग्रह : पृष्ठ : ४ ---------- संपादन शक्ति डॉ. सुनीता सीमा स्मिता शक्ति* प्रिया * * हार
एक दिन सबकुछ जीत कर मृत्यु से हार ही जाना है
* चाय* जैसी है जिंदगी
कभी मीठी कभी फीकी कभी गर्म कभी ठंढी ये जिन्द्गगी हु ब हूं चाय जैसी है
* विशेषता
कैंची पेड़ नहीं काट सकती कुल्हाड़ी बाल नहीं काट सकती हर व्यक्ति में कुछ विशेष है किसी की तुलना किसी से नहीं की जा सकती है * कर भला हो भला
हम किसी के लिए कुछ अच्छा कर रहे होते हैं कहीं न कहीं कोई हमारे लिए अच्छा कर रहा होता है बस हम देख नहीं पाते हैं * ' हिंसा '
' हिंसा ' मात्र ' रक्त पात ', मार - काट ही नहीं प्रत्युत उन ' अमर्यादित ', ' असत्यापित ', कटु शब्दों की ' टीका टिप्पणी ' भी है जिससे किसी 'अन्य ' को अनावश्यक ' मानसिक ' ' कष्ट ' पहुँचता है
* -------- दिवस विशेष : आपने कहा : पृष्ठ : ५ ---------- डॉ. सुनीता मधुप शक्ति प्रिया अनुभूति. विदा ले रहे हिन्दू वर्ष के अंतिम दिन मेरा वंदन स्वीकार हो..क्षमा करना अगर आपके सम्मान में मुझ से कोई भूल हुई हो.. आज विक्रम संवत २०८१ का अंतिम दिन हैं। कल से नववर्ष विक्रम संवत २०८२ प्रारंभ होने जा रहा है। मैंने यह महसूस किया कि मुझे उन सभी लोगों का धन्यवाद करना चाहिए जिन्होंने मुझे संवत् २०८२ में मुस्कराने की वजह दी है, आप उन्हीं में से एक हैं , इसलिए आपका हार्दिक आभार । संभव है कि जाने-अनजाने में मेरे कर्म, वचन , स्वभाव से आप को दुख हुआ हो, इसलिए मैं आपसे क्षमा प्रार्थी हूं । विश्वास है कि आगामी विक्रम सम्वत २०८२ में भी आप सबका मार्गदर्शन , स्नेह , सहयोग, प्यार , पूर्व की भांति मिलता रहेगा । सनातन हिन्दू नववर्ष की आपको एवं आपके परिजनों को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाए.
* आपने कहा : पृष्ठ : ५ जीवन दर्शन : अपने कर्मों का हिसाब * ग़लत करते समय यह कभी मत भूले आपको इसी जीवन में अपने कर्मों का हिसाब बराबर करके यहीं जाना है ...कुछ भी आपके साथ उधार नहीं जाएगा ...आप नहीं तो आपकी संतति को इसका मूल्य अंततः चुकाना होगा * लोग जरूरत के मुताबिक आपको इस्तेमाल करते हैं और आप समझते है कि लोग आपको पसंद करते है यही तो भ्रम है जिंदगी का.... यदि ये नश्वर शरीर किसी अपने आर्य जन के लिए दधीचि मुनि की तरह काम आ जाए तो यह भ्रम नहीं अर्थ है जिंदगी का
@ डॉ. सुनीता मधुप शक्ति प्रिया अनुभूति.
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या देवी सर्वभूतेषु ' शक्ति ' रूपेण संस्थिता
ReplyDeleteनमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम