Sampadkiye : Shakti : Alekh : Spandan *Neelam Chief Editor.
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सम्पादकीय : शक्ति आलेख : स्पंदन.
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लेखिका.कवयित्री.विचारक.
प्रधान सम्पादिका.ब्लॉग मैगज़ीन पेज.
शक्ति.नीलम पांडेय .
वाराणसी.
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विषय सूची : पृष्ठ : १
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आवरण : पृष्ठ : ०
विषय सूची : पृष्ठ : १
सम्पादकीय : पृष्ठ : २ .
आकाश दीप : नीलोउद्गार : पद्य संग्रह : पृष्ठ : ३.
तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : पृष्ठ : ४.
नमामि गंगे : शक्ति विचार धारा : पृष्ठ : ५.
कितनी खूबसूरत ये तस्वीर है : फोटो दीर्घा : प्रस्तुति : पृष्ठ : ६.
दिल क्या करें : लघु फिल्में : प्रस्तुति : पृष्ठ : ७.
आपने कहा : पृष्ठ : ८.
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सम्पादकीय : पृष्ठ : २
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गद्य : पद्य : विचार : संग्रह
पृष्ठ : संपादन.
शक्ति. मानसी कंचन
नैनीताल.
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पृष्ठ : सज्जा. संपादन.
शक्ति.अनुभूति एंजेल.
शिमला डेस्क
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शक्ति संरक्षिका.
शक्ति.साक्षी कुमारी.
भा. पु. से.
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आकाश दीप : नीलोउद्गार : पद्य संग्रह : पृष्ठ : ३ .
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आज की नारी.
लघु कविता.४.
शक्ति
छूने लगी है आसमान.
नारी के हौसलों की उड़ान,
छूने लगी है आसमान।
शायद ! अब उसको तुम भी,
मुश्किल से पाओगे पहचान।
कि कल तक जो डरती थी,
आये दिन के तानों से,
सुनसान राहों को देख,
कहीं भी अकेले जाने से।
लगाई जा रही पाबंदियों और,
रोज़ रोज़ के फरमानों से।
दफना के अरमानों को अपने,
झुक जाती थी,केवल समझाने से।
भागता था मन तितलियों के पीछे,
पर,डरती थी सखियों संग जाने में।
आज की नारी का हर रूप,
है अलग,बिल्कुल निराला है।
चूल्हे चौके से निकल के बाहर ,
घर की देहरी को करके पार ।
पहुंच चुकी है हर जगह अब वो,
किताबों का साथ और,
कलम की ताकत पाकर,
करती है सपने साकार।
बहू,बेटी, बहन, बीबी तक,
सिमटा था जिनका किरदार।
ऑफिस दूसरा घर अब उनका ,
सहकर्मी को समझती परिवार ।
गिला नहीं है उसे किसी से,
रखती बस कामों से दरकार।
कोर्ट कचहरी हो या फिर,
स्कूल हो, या कि अस्पताल।
रेल चलाती, जहाज़ उड़ाती,
सड़कों पर कारें दौड़ाती ।
वक्त आने पर बनके फौजी ,
हर मोर्चे पर लड़ वो जाती।
जलाती है दीया मंदिर का कभी,
कभी तो खुद रौशनी बन जाती।
हर चुनौती आमंत्रण है अब,
नहीं मानती ,वो अपनी हार।
जननी बन सृजती जगत को,
पालती बन के पालनहार।
लेती है बदला हर अन्याय का,
जीवन को समझती उपहार।
अबला नहीं रही आज की नारी,
बनाती वो ख़ुद की पहचान।
आंचल में भरा है प्यार उसके,
आंखों में छुपे हैं सपने हजार।
नीलम पाण्डेय
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लघु कविता.३.
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नया दौर. ' वेलेंटाइन डे '
' वेलेंटाइन डे ' का मतलब,
बोले तो,प्यार लुटाने का दिन,
कागज के पन्नों से,
फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम तक।
लाल गुलाब से सजे,
फूलों के महक भरे गुलदस्ते तक।
बिखरा हुआ है प्यार।
हफ़्ते भर पहले से ही,
चल पड़ा है ये कारोबार।
पांच सितारा होटल बुक हैं,
अर्द्धनग्न युवतियों से भरे सागर तट हैं।
देह की पूजा चल रही,
वासना के रूप में प्रेम की हलचल मची।
जेब में जिसके जितना ज़ोर है,
प्रेम उसका उतना ही प्योर है।
नज़र जिधर भी जाती है,
हर तरफ़ इसी प्रेम का शोर है।
राधा कृष्ण से सजे डी पी,स्टेटस,
पर हक़ीक़त में नाच रहा मन मोर है।
फ़रवरी में होती डेटिंग,
दिसंबर तक साथ होता कोई और है।
प्यार का ये अंदाज़ नया,
नए जेनरेशन का नया दौर है।
शक्ति. नीलम.
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लघु कविता.२
आया बसंत.
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आया बसंत, मन भाया बसंत,
मस्ती के रंग ले आया बसंत.
रंग बिरंगे फूलों से सज गई धरा,
खुशबू से देखो महक उठा है गगन.
मतवाली कोयल भी गा उठी है,
भौरों सा गुंजार कर रहा है मन.
मां शारदे के पड़ते पावन चरण,
ज्ञान के प्रकाश से पुलकित होता मन.
बज उठे ढोल और उड़े गुलाल,
पिया की याद से लाल गुलाबी गाल.
मंजरी से भर गई आम की डाल,
फैलाया है मदन ने ऐसा जाल.
पसरा है प्रेम ,पड़ती नज़र जिधर ,
जब से किया है बसंत ने असर.
रितुराज ने कर दिया कमाल,
मचा दिया चहुंओर धमाल.
काश! हो सकता नफ़रत का अंत,
आया बसंत, मन भाया बसंत.
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शक्ति.नीलम.वाराणसी.
लघु कविता : संपादन : शक्ति. रीता.
लघु कविता : सज्जा : शक्ति. सुष्मिता.
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लघु कविता : १.
नारी, ना होती किसी की वसीयत.
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शायद !
कामनाओं का खिलौना नहीं है नारी,
ना होती किसी की वसीयत है,
भावनाओं से जिसकी खेलो तुमअब।
बेबसी का मंजर से गुजरे होते कभी,
सहा होता उम्मीद के टूटने का दर्द ,
समझ पाते शायद तुम तब।
मन के हिसाब से होता है जब तक,
सही लगता है सब कुछ तब तक।
लेकिन ऐसा होगा कब तक?
सपना पूरा नहीं होता जब,
लोग बदले से लगते तब,
काश! ये सोच बदल भी पाते।
इच्छा की डोर पर नाचने वाली,
कठपुतली नहीं होती है नारी,
काश! ये हक़ीक़त जान भी पाते।
अभिलाषाओं का गुलदस्ता लिए,
भटकते रहे देह के इर्द गिर्द,
काश!मन तक कभी पहुंच भी पाते।
देह की सीमा से परे उठकर,
नारी के वजूद को देखने का हुनर,
पुरूष ने सीखा नहीं शायद अब तक।
*
शक्ति.नीलम पाण्डेय
लघु कविता : संपादन : शक्ति. रीता.
लघु कविता : सज्जा : शक्ति. सुष्मिता.
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*
लघु कविता.०
बसंती हवाएं.
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बसंती गुलाबी हवाएं,
तन में ऐसी अगन लगाए ,
बंद आंखों की नींद उड़ाए,
हौले से थपथपाए,
छू के यूं ही गुजर जाए,
कभी लुभाए,
कभी गुदगुदाए,
कभी मन को उड़ा ले जाए,
ना कोई रोक,
ना कोई टोक,
प्रीत के रंग में सबको डुबाए.
होंठ गुनगुनाए,
प्यार लुटाए,
मन ही मन में कभी मुसकाए.
तन में ऐसी अगन लगाए ,
बंद आंखों की नींद उड़ाए,
हौले से थपथपाए,
छू के यूं ही गुजर जाए,
कभी लुभाए,
कभी गुदगुदाए,
कभी मन को उड़ा ले जाए,
ना कोई रोक,
ना कोई टोक,
प्रीत के रंग में सबको डुबाए.
होंठ गुनगुनाए,
प्यार लुटाए,
मन ही मन में कभी मुसकाए.
दिल के दरवाज़े पर,
आ के चुपके से,
दस्तक बेखुद का फिर दे जाए.
रंगीन पंखों वाली,
मनमोहक और प्यारी,
तितलियां ढेर सारी जैसे लुभाए.
ऐसी बेसुध ,
ऐसी अलबेली,
गुलदस्ता हैं फूलों का गुलाबी हवाएं.
आ के चुपके से,
दस्तक बेखुद का फिर दे जाए.
रंगीन पंखों वाली,
मनमोहक और प्यारी,
तितलियां ढेर सारी जैसे लुभाए.
ऐसी बेसुध ,
ऐसी अलबेली,
गुलदस्ता हैं फूलों का गुलाबी हवाएं.
शक्ति नीलम. वाराणसी
*
पृष्ठ सज्जा : शक्ति. डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया
*
फोटो : डॉ. मधुप.
*
पृष्ठ सज्जा : शक्ति. डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया
*
फोटो : डॉ. मधुप.
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ए. एंड. एम. प्रस्तुति.
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तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : शक्ति : सम्पादकीय : प्रस्तुति. पृष्ठ : ४
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संपादन.
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तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : शक्ति : सम्पादकीय : प्रस्तुति. पृष्ठ : ४
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संपादन.
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भए प्रगट कृपाला शक्ति आलेख : पृष्ठ ४ / २.
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भए प्रगट कृपाला दीन दयाला...
भए प्रगट कृपाला दीन दयाला.......बीते साल अद्भुत ....अकल्पनीय.... अविस्मरणीय पल का गवाह बनी अयोध्या की पावन धरती, सरयू नदी,यह भारत भूमि ! सैकड़ों वर्षों बाद फिर से सनातन धर्म में आस्था रखने वालों ने राम के आगमन का वह पल जीया, जिसे अयोध्या वासियों ने राम श्री राम के चौदह वर्षों के वनवास के बाद जीया होगा।
राम मंदिर में बाल राम की प्राण प्रतिष्ठा : जय श्री राम, सियावर रामचंद्र की जय का उदघोष के बीच राम राम... जय राजा राम, राम आएंगे तो अंगना सजाऊंगी, मेरे घर राम आए हैं, हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता.....
आखिरकार सालों की प्रतीक्षा पूरी हो गई। राम रतन धन पायो की परिकल्पना साकार हो गई।
राम मंदिर में बाल राम की प्राण प्रतिष्ठा पूरी हो गई। मुख्य यजमान के रूप में प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पूरे विधि-विधान से पूजा की और अभिजीत मुहूर्त में रामलला प्रकट हो गए। मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए चौरासी सेकेंड का बेहद शुभ मुहूर्त वह ऐतिहासिक क्षण था जिसका हर भारतीयों को बेसब्री से इंतजार था।
सभी तरह की पूजा इसी मुहूर्त में पूरी की गई। इन पलों का गवाह बने पी एम मोदी के साथ आरएसएस चीफ मोहन भागवत, यूपी के राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और सी एम योगी आदित्यनाथ।
रामलला दिव्य और भव्य मंदिर में विराजमान हो चुके हैं। प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान संपन्न हो चुका है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भव्य आरती भी हो चुकी। मोदी जी ने रामलला को प्राण प्रतिष्ठा के बाद साष्टांग प्रणाम किया. रोमांचित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सियावर रामचंद्र की जय के साथ अपने संबोधन की शुरुआत की, सबको राम राम कहा और कहा कि अब हमारे रामलला टेंट में नहीं रहेंगे. सदियों की प्रतीक्षा के बाद हमारे रामलला आ गए. उन्होंने कहा कि २२ जनवरी २०२४ का ये सूरज एक अद्भुत आभा लेकर आया है. कैलेंडर में लिखी यह एक तारीख नहीं, एक नए कालचक्र का उद्गम है. पीएम मोदी ने कहा कि राम मंदिर के भूमिपूजन के साथ ही मंदिर निर्माण को लेकर उत्साह बढ़ता ही जा रहा था.
उन्होंने कहा कि आज के हजार साल बाद भी लोग आज की इस तारीख की चर्चा करेंगे. हमारा कितना बड़ा सौभाग्य है कि हम इस पल को जी रहे हैं. यह पल सामान्य पल नहीं है. यह कालचक्र पर लिखी अमिट लकीर है.
पीएम मोदी ने हनुमान और हनुमानगढ़ी के साथ ही माता जानकी, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और पवित्र अयोध्या पुरी, सरयु नदी को भी प्रणाम किया।
त्रेता युग में अवतरित श्रीराम रामायण के अनुसार,महाराज दशरथ और रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र, सीता के पति व लक्ष्मण, भरत तथा शत्रुघ्न के भ्राता थे। हनुमान उनके परम भक्त हैं। लंका के राजा रावण का वध उन्होंने ही किया था। उनकी प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है क्योंकि उन्होंने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र,माता-पिता तक का त्याग किया।
हरि अनंत, हरि कथा अनंता : उनके अनुसार देश-दुनिया में तमाम तरह की रामायण हैं, लेकिन उनमें एक समानता है कि सभी के नायक राम हैं। सभी रामायण में सीता का ही अपहरण हुआ है, कहीं पर भी उर्मिला या किसी अन्य स्त्री के अपहरण की बात नहीं आती है। सभी रामायण में हनुमान ही भगवान राम के सेवक या फिर कहें दूत हैं। कुछ चीजों में संभव है कि बदलाव नजर आ जाए।
ढोलक , झाल, मंजीरे, आतिशबाजी, घंटे घड़ियाल की ध्वनि के बीच जय श्री राम, जय सिया राम का उद्घोष के साथ हर सनातनी के घर दरवाज़े दीपों से जगमगा उठे आज। आख़िर क्यों?
जवाब आसान नहीं। क्योंकि भीतर झांके बिना मिलेगा नहीं। हर व्यक्ति के मन के किसी कोने में अनहद नाद गूंज रहा है राम नाम का। सांसों की डोर में पिरोया है राम नाम। महात्मा कबीर कहते है जवाब देना आसान नहीं ठीक उसी तरह जैसेअपनी सांसों से उठ रहे अनहद नाद को देख पाना।
कस्तूरी कुंडली बसे, मृग ढूंढे वन माहीं,
ऐसे घटि घटि राम हैं, दुनिया देखे नाहिं।
स्तंभ संपादन : डॉ.सुनीता शक्ति शालिनी प्रिया.
पृष्ठ सज्जा : शक्ति सीमा मंजीत अनुभूति.
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महिला दिवस : शक्ति आलेख : पृष्ठ ४ / १
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कम नहीं किसी से ये,साबित कर दिखलाएगी,
खोल दो इसके बंधन सारे,हर मंज़िल पा जाएगी '
थीम के साथ मनाया जा रहा है इस वर्ष महिला दिवस :
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस २०२५.
इस वर्ष यह दिन हम सब अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को एक राष्ट्रीय समारोह के रूप में मना रहे हैं।माननीया राष्ट्रपति जी के सान्निध्य में ' नारी शक्ति से विकसित भारत ' के आगाज के साथ यह दिन यादगार साबित होने वाला है।समाज में महिलाओं की भूमिका,संघर्ष और सफलता को दर्शाने वाला यह दिन महिला दिवस के रूप में महिलाओं की समानता, अधिकारों और उपलब्धियों को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। कई देशों में इसे अवकाश के रूप में मनाया जाता है।
समानता : अधिकारों में एकता : महिला दिवस का उद्देश्य लैंगिक भेदभाव समाप्त कर एक समान और सशक्त समाज का निर्माण करना है।एक महिला के रूप में तमाम आयोजनों के बीच से उभर कर जो प्रश्न मेरे सामने अकसर आ खड़ा होता है वह है- " मैं कौन हूं ? " इस प्रश्न का सटीक उतर नहीं है मेरे पास।और जो उत्तर मेरे पास है ,वह काफ़ी नहीं है।
मैं कौन हूँ ? जन्म के साथ बने हर रिश्ते जैसे,किसी की पुत्री, बहन, पत्नी ,मां , चाची, दादी ,शिक्षिका, दोस्त हूं मैं, जैसे उत्तर संतुष्ट नहीं कर पाते मुझे। यदि मैं कहूं कि मैं सनातन धर्म में विश्वास रखने वाली जागरूक हिंदू महिला हूं तो भी यह उत्तर भी मेरे अस्तित्व को परिभाषित नहीं करता। सनातन हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले मेरे जैसे बहुत सारे लोग हैं ।
जब दयानंद सरस्वती के मन में इस प्रश्न का जन्म हुआ तो उत्तर की तलाश में वे बरसों भटकते रहे । फिर एक दिन वह रात्रि आई,जब उस दरवाज़े पर उन्होंने दस्तक दी, जिसके अंदर से स्वामी विरजानंद जी की आवाज आई , " कौन है ? "
दयानंद ने जवाब दिया," मैं कौन हूं? यही जानने के लिए तो यहां आया हूं। "
स्वामी विरजानंद ने दरवाजा खोल दिया। उस रात्रि में एक वीतराग योगी और एक जिज्ञासु शिष्य का जो मिलन हुआ वह एक अभूतपूर्व घटना थी, जिसने स्वामी दयानंद जी को एक नया जीवन दर्शन दे दिया।और यह जानने के बाद कि," मैं कौन हूं? और यहां किस लिए आया हूं? " उन्होंने सबसे अलग हटकर अपनी पहचान बनाई। फिर ' सत्यार्थ प्रकाश ' के रुप में एक नया जीवन दर्शन संसार को मिला। अर्जुन ने जब कृष्ण से यह जानने की कोशिश की ' भगवतगीता ' के रुप में इक नया जीवन दर्शन सामने आया। मैं कौन हूं ? की पहचान में भटकते हुए, उत्तर तब तक नहीं मिलता जब तक सच्चे आत्म साक्षात्कार नहीं हो जाता।
महात्मा बुद्ध ने भी यूं ही तो घर नहीं छोड़ा। लौकिक चीजों के बीच उलझा मन कभी ख़ुद को जान नहीं पाता। आधी आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा आज भी जहां तक पहुंच पाया है वह उसके सम्पूर्ण वजूद को परिभाषित करने में सक्षम नहीं है।
नया हौसला : हमारी नयी उड़ान : उम्मीद करती हूं हमारी आगे की यात्रा हमें उस मुकाम तक पहुंचायेगी। परिदृष्य बदल चुका है, उमंग और नई ऊर्जा से भरी टीम नई कहानी लिखने को, उड़ान भरने को पंख फैला चुकी है। तमाम जिम्मेदारियों,रिश्तों को सफलता पूर्वक निभाने वाली सभी महिलाओं को महिला दिवस की बधाई और शुभकामनाएं।व्यतिगत रूप से भारत के संवैधानिक सर्वोच्च पद पर महामहिम राष्ट्रपति महोदया श्रीमति द्रौपदी मुर्मू की मौजूदगी,सक्रियता,सोच,दूरदर्शिता,शुचिता, उनकी सादगी से मैं आशान्वित और ऊर्जान्वित हूं। यह महिला दिवस निःसंदेह हमारे लिए गर्व का क्षण है।आगे का मार्ग उम्मीदों से भरा हुआ है। इस यात्रा में शामिल सभी महिलाओं के लिए चंद पंक्तियाँ निवेदित हैं -
तोड़ के वो बंधन सारे, ख़ुद की पहचान बना लो,
हर रिश्तों की हो जान तुम, रब करे छू लो आसमान तुम.
स्तंभ संपादन : डॉ.सुनीता शक्ति शालिनी प्रिया.
पृष्ठ सज्जा : शक्ति सीमा मंजीत अनुभूति
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नमामि गंगे : शक्ति विचार धारा : पृष्ठ : ५
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दिल क्या करें : लघु फिल्में : प्रस्तुति : पृष्ठ : ७ .
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©️®️ M.S.Media.
साभार : रिंकू झा : शॉर्ट फिल्म :
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रूठ जाए हम तो तुम हमको मना लेना सनम
दूर हो तो पास हमको तुम बुला लेना सनम.
यादों में तेरी खोई रातों को मैं न सोई
हालत ये मेरे मन की जाने न जाने कोई
कब के बिछड़ें हुए हम आज कहाँ आ के मिले
जैसे सावन से कही प्यासी घटा छा के मिले
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मेरा पागल जिया न माने मेरी बैचनी कोई न जाने
नींद उड़ा के ले गयी मेरी अंखियों से जीना किए दुश्वार सपने साजन के
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आप ने कहा : प्रस्तुति : पृष्ठ : ८ .
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संपादन
Very nice lines 👌
ReplyDeleteबेहतरीन रचनाएँ👏
ReplyDeleteBahut hi sunder
ReplyDeleteHeart touching lines.
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