Sampadkiye : Shakti : Alekh : Chief Editor Renu*
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विषय सूची :
शक्ति रेनू शब्द मुखर सम्पादकीय आलेख :
विषय सूची : पृष्ठ : ०.
आवरण पृष्ठ : ०.
सम्पादकीय आलेख : प्रारब्ध : पृष्ठ : १.
सम्पादकीय : पृष्ठ : २.
आकाश दीप : पद्य संग्रह : सम्पादकीय : प्रस्तुति : पृष्ठ : ३.
तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : तेरी मेरी कहानी : सम्पादकीय : प्रस्तुति : पृष्ठ : ४ .
नमामि गंगे : शक्ति विचार धारा : पृष्ठ : ५.
दिल क्या करें : लघु फिल्में : प्रस्तुति : पृष्ठ : ६.
आप ने कहा : प्रस्तुति : पृष्ठ : ७.
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सम्पादकीय : शक्ति आलेख : गद्य पद्य संग्रह.
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लेखिका सम्पादिका कवयित्री विचारक.
प्रधान सम्पादिका
शक्ति.रेनू शब्द मुखर. जयपुर
*
कविता : फोटो : रेनू

फोटो : शक्ति मीना. मुक्तेश्वर.
गुज़रा साल था यादों का संग,
हर पल में छिपा या खुशियों का रंग.
छोटी-बड़ी उपलब्धियों का स्वाद,
सहेज रखा हमने हर पल का संवाद.
न सा ल की दस्तक है खास,
सपनों को दें अब नया प्रयास.
हर सुबह हो सुनहरी हर रात हो रोशन,
जीवन के गीतों में भरें नए राग.
चलो चलें अब उम्मीदों के साथ,
हर कठिनाई में भी हो अपनी बात.
हर कदम हो हक, हर मंजिल चमके,
सफलता के सितारे हर ओर दमके.
यादों की पोटली सहेज कर रख लें,
बीते पल की सील को मन में रख लें.
नए साल में करें नए सपनों की शुरुआत,
हर दिन बने उज्जवल, हर पल रहे खास.
रेनू शब्दमुखर.
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सम्पादकीय आलेख : प्रारब्ध : आज : पृष्ठ : १.
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दिल क्या करें : लघु फिल्में : प्रस्तुति : आज : पृष्ठ : १.
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शक्ति. रेनू शब्द मुखर.जयपुर.
स्वयं निर्मित : शॉर्ट रील : पृष्ठ : १
*
अखियों के झरोखें से मैंने देखा जो सावरें
तुम दूर नज़र आए तुम पास नजर आए
*
साभार : शक्ति पारुल* : लख़नऊ : शॉर्ट रील.
*
अपनी तो मंजिल है तेरी राहों में
तेरे नाम हमने किया है जीवन अपना सारा सनम
*
साभार : शक्ति पारुल * : लख़नऊ : शॉर्ट रील.
यही पर कहीं है मेरे मन का चोर
*
लघु कविता.
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
*
मैं प्रेम की पवित्र मूर्ति हूँ.
संपूर्ण सृष्टि रचती हूँ
मैं दया हूं, मैं करुणा हूँ,
ममता और प्रेम की पवित्र मूर्ति हूँ
मैं अटूट शक्ति हूँ , मैं प्रेरणा हूँ
न भूल दुर्गा काली का रूप भी हूँ
स्वयं को पहचान, शक्ति है अपार
स्वयं को नमन कर
और आगे बढ़ चल
ठोकर मार उसे जो तेरा वजूद न जाने
बढ़ चल,बढ़ चल,नई मंजिल तेरा स्वागत करें
तेरे आंचल में हैं अपार खुशियां,
क्योंकि सिर्फ आज नहीं हर रोज़ तेरा दिन है.
दृढ़ विश्वास रख अपने पे अपने पर
सूरज की रथ पर बैठे हैं, तनकर आज अँधेरे.
रच दो इन्हीं अँधेरों की छाती पर नए सवेरे.
*
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं
*
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नमामि गंगे : शक्ति विचार धारा : आज : पृष्ठ : १.
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शिमला डेस्क.
संपादन.
प्रधान सम्पादिका.
शक्ति. रेनू शब्द मुखर.जयपुर.
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असहज व सकारात्मक होना.
जब हम बदलाव के दौर से गुजरते हैं, तो कभी-कभी असहजता और भ्रम महसूस होता है।
लेकिन यह असहजता दरअसल इस बात का संकेत हो सकती है कि हम अपने पुराने विचारों, सीमाओं और पहचान को पीछे छोड़कर एक नए, अधिक परिपक्व रूप में विकसित हो रहे हैं।
यह हमें धैर्य रखने और अपने विकास की प्रक्रिया को स्वीकार करने की प्रेरणा देता है।
*
दिल में कब तक करोगे बसेरा साथ कब तक न छोड़ोगे मेरा
धरती छोड़ें न सूरज का फेरा साथ छोड़ेंगे यूँ न हम तेरा
*
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सम्पादकीय : आलेख प्रस्तुति : पृष्ठ : २.
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सम्पादकीय : आलेख प्रस्तुति : पृष्ठ : २.
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आकाश दीप : पद्य संग्रह : सम्पादकीय : प्रस्तुति : पृष्ठ : ३.
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शिमला डेस्क.
संपादन.
आकाश दीप : पद्य संग्रह : सम्पादकीय : प्रस्तुति : पृष्ठ : ३.
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शिमला डेस्क.
संपादन.
लघु कविता.
शक्ति. रेनू शब्द मुखर.जयपुर.
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लघु कविता. ३ / ८.
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
मैं प्रेम की पवित्र मूर्ति हूँ.
संपूर्ण सृष्टि रचती हूँ
मैं दया हूं, मैं करुणा हूँ,
ममता और प्रेम की पवित्र मूर्ति हूँ
मैं अटूट शक्ति हूँ , मैं प्रेरणा हूँ
न भूल दुर्गा काली का रूप भी हूँ
स्वयं को पहचान, शक्ति है अपार
स्वयं को नमन कर
और आगे बढ़ चल
ठोकर मार उसे जो तेरा वजूद न जाने
बढ़ चल,बढ़ चल,नई मंजिल तेरा स्वागत करें
तेरे आंचल में हैं अपार खुशियां,
क्योंकि सिर्फ आज नहीं हर रोज़ तेरा दिन है.
दृढ़ विश्वास रख अपने पे अपने पर
सूरज की रथ पर बैठे हैं, तनकर आज अँधेरे.
रच दो इन्हीं अँधेरों की छाती पर नए सवेरे.
*
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं
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लघु कविता. ३ / ७
उम्मीद की मुस्कान
कह दो कुछ ऐसा कि दिल चहक जाए
रूह की तहों में उम्मीद छलक जाए
वो जो दरारें किस्मत की हैं बेज़ुबां
आपकी दुआओं से थोड़ी भर जाएं
सदियों से सोई हैं धड़कनें मोहब्बत की
एक हल्की मुस्कान से जग जाएं
टूटे हुए सपनों की डोरी थाम लो
कि बिखरी ख्वाहिशें फिर से सुलझ जाएं
खुशियों के रंग में रंग दो ये दिन
कि सूखा मन भी अब खिल जाए
कह दो कुछ ऐसा जो असर कर जाए
दिल को सुकून का सफर मिल जाए
रेनू शब्दमुखर
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लघु कविता.३ / ६
लघु कविता.
कैसे - कैसे मंज़र देखे हैं हमने ?
जिंदगी में कैसे - कैसे मंज़र देखे हैं हमने ? अपनों के हाथ भी - खंजर देखे हैं हमने. धन के स्वार्थ में जो अपनों को ही सताते है
अपने लोग ऐसे भी भयंकर देखे हैं हमने थोड़ी मिठास होनी चाहिए शख्सियत मे कई दफा सुनसान- के समंदर देखे हैं हमने. ये जो दिखावे की चादर ओढ़े फिरते हैं - घर आंगन उनके भी बंजर देखे हैं हमने.
अपने लोग ऐसे भी भयंकर देखे हैं हमने थोड़ी मिठास होनी चाहिए शख्सियत मे कई दफा सुनसान- के समंदर देखे हैं हमने. ये जो दिखावे की चादर ओढ़े फिरते हैं - घर आंगन उनके भी बंजर देखे हैं हमने.
ये गिरगिट की तरह जो रंग बदलते हैं न-
ऐसे लोग को नक़ाब के - अंदर देखे हैं हमने.
मैं इस बे - मौसम - बारिश से क्यों डरूं..?
जिंदगी में ऐसे कई बबंडर देखे हैं हमने.
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लघु कविता.३ / ५
न जाने क्यों
नीला रंग मुझे भाता है ?
असीमित ऊर्जा लाता है ,
आत्मविश्वास की चमक से
चमकाता है
और हाँ,आकाश का
भी नीला होता है,
सुनो साँवरे !
साभार : फोटो
तुम तो नीले
साँवरा, नीला,आकाश का विस्तार,
न जाने क्यों मन को इतना भाता है ?
गतिमान और जीवनदायिनी
शक्ति प्रदान कर,
सकारात्मक और स्फूर्त भी रखता है,
सुकून की हवा से,
स्फूर्त रख न जाने कहाँ से गहरी,
ऊर्जा प्रदान कर जाता है ?
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लघु कविता.३ / ४
तेरी यादों की छांव में.
तू दूर है पर मेरे दिल में हरपल करीब है,
तेरी हंसी की गूंज मेरे कानों में अभी भी करीब है.
तेरी मासूम बातों का हर इक पल,
मेरे दिल की गहराइयों में है धड़कता पल-पल.
हर दिन पर तेरी आवाज़ की उम्मीद होती है,
तेरी हर आहट मेरे मन के दरवाजे पर दस्तक देती है.
भले तू मुझसे रूठा है या फासले दरमियाँ हैं,
मेरा दिल बस तुझसे जुड़ा है, ये एहसास गहरे समां हैं.
तेरी यादों के साथ जीती रही हूं हर लम्हा,
तेरे बिना भी पर तुझसे ही तो बंधा हर कदम है.
तू खुश रहे, तेरी राहें हों रोशन और हंसी से भरी,
यही दुआ है हमारी की, कि तेरी झोली खुशियों से भरी.
तू बस पुकार कर आवाज देना,
दिल की मुराद ये इंतजार पूरा कर देना.
तेरी मुस्कान से दुनिया रोशन हो जाएगी,
अधूरेपन में फिर से जान आ जाएगी.
तू कहीं भी हो, हर सांस में बसा है,
तू मेरी दुआओं का हर सपना है.
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लघु कविता.३ / २
शक्ति. रेनू शब्द मुखर. जयपुर.
नाम का प्रारम्भ.
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लिखने बैठती हूं तुम्हें
तो शब्द खुद-ब-खुद
मेरे मन से रिसते हैं।
तुम्हारे होने का आभास,
जैसे शून्य में अनुगूंज या
अनहद नाद
तुम सागर हो,
हर लहर में समेटे
अनगिनत रहस्यों की कहानी.
तुम आसमान हो,
जिसका विस्तार हर दिन
नई परिभाषा मांगता है.
सांवरे तुम मेरे
विचारों के बीज,
जो हर कविता में
फूटतें हैं नए रूप में.
तुम मेरी पहली रेखा,
और आखिरी विराम चिह्न.
मैं लिखती हूं तुम्हें
तो लगता है जैसे
स्वयं को लिख रही हूं.
तुम्हारे नाम का प्रारम्भ
मेरे शब्दों की इति है.
तुममें सिमटना
जैसे कण-कण में बिखर जाना,
और फिर हर जगह
तुम्हारा होना.
हा तुम्हीं से मेरा आरम्भ है
तुम्हीं में मेरी समाप्ति
ओमकार की गूंज हो तुम,
हर रचना का मूल.
आज लिख रही हूँ
कल भी यही लिखूंगी.
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लघु कविता.३ /१
शक्ति. रेनू शब्द मुखर.जयपुर.
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मैं बसंत हो जाती हूं.
फोटो : डॉ. सुनीता.
ओ मेरे बसंत
जब तुम आते हो
दिल को लुभाने वाली
पवन बहाते हो और
मैं मस्तमौला हो
सारी चिंताओं को
विस्मृत कर निडरता से
जिधर रुख कर जाना चाहती हूं
उधर चली जाती हूं.
क्योंकि मन बसंत हो जाता है
और बसंत होना
तुम जानते हो न ?
खुशी,उमंग और उत्साह से
रोम-रोम का पुलकित हो जाना
अप्रतिम खुशी का एहसास
जो प्रकृति के कण-कण में जर्रे-जर्रे में समा जाता है
तो मैं कैसे अधूरी रह सकती हूँ
और मैं बसंत हो जाती हूं
बसंत हो जाती हूं...
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©️®️Shakti's Project.
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लघु कविता.३ /०
यादों की पोटली.
लघु कविता.
लघु कविता.
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नए साल में करें.
नए सपनों की शुरुआत.
नए सपनों की शुरुआत.

फोटो : शक्ति मीना. मुक्तेश्वर.
गुज़रा साल था यादों का संग,
हर पल में छिपा या खुशियों का रंग.
छोटी-बड़ी उपलब्धियों का स्वाद,
सहेज रखा हमने हर पल का संवाद.
न सा ल की दस्तक है खास,
सपनों को दें अब नया प्रयास.
हर सुबह हो सुनहरी हर रात हो रोशन,
जीवन के गीतों में भरें नए राग.
चलो चलें अब उम्मीदों के साथ,
हर कठिनाई में भी हो अपनी बात.
हर कदम हो हक, हर मंजिल चमके,
सफलता के सितारे हर ओर दमके.
यादों की पोटली सहेज कर रख लें,
बीते पल की सील को मन में रख लें.
नए साल में करें नए सपनों की शुरुआत,
हर दिन बने उज्जवल, हर पल रहे खास.
रेनू शब्दमुखर.
©️®️Shakti's Project.
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नैनीताल डेस्क
स्तंभ संपादन.
शक्ति : शालिनी
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तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : तेरी मेरी कहानी : सम्पादकीय : प्रस्तुति : पृष्ठ : ४ .
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शिमला डेस्क.
तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : तेरी मेरी कहानी : सम्पादकीय : प्रस्तुति : पृष्ठ : ४ .
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शिमला डेस्क.
शक्ति. रेनू शब्द मुखर.जयपुर.
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साँवरे : तुम मेरे जीवन के वो मधुर गीत हो : तेरी मेरी कहानी : पृष्ठ : ४ /० .
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साँवरे तुम मेरे जीवन के वो मधुर गीत हो, जिसे मैंने हमेशा गुनगुनाने का स्वप्न देखा था। तुम वो निश्छल प्रकाश हो, जिसने मेरे हृदय के हर अंधियारे को प्रेम के उजास से, अपनी उपस्थिति से आलोकित कर दिया।
तुम्हारे सान्निध्य में हर पल एक नई कविता अपने आप रचती है, हर सांस प्रेम की अनुभूति में डूब जाती है। मंद पवन की सुखद छुअन सा आभास हर दम मेरे आस पास होता है।
तुम मेरे लिए केवल मेरे आराध्य ही नहीं बल्कि एक अनुभव हो—एक ऐसा एहसास जो शब्दों से परे, आत्मा की गहराइयों में उतरकर स्पंदित होता है। तुम्हारी हर मौजूदगी में मेरा हर दिन वसंत की तरह खिला रहता है।
#जब #भी #जीवन #के किसी मोड़ पर ठहरती हूँ,हताश होती हूँ,तुम्हारी उपस्थिति मुझे सहारा देती है। तुम मेरी शक्ति, मेरा विश्वास, मेरी हर दुआ का उत्तर हो। मैं ईश्वर से कुछ और नहीं माँगती, बस इतना कि हर जन्म में मुझे तुम्हारा प्रेम ऐसे ही स्नेह से आच्छादित करता रहे।
तुम मेरे शब्दों की कविता, मेरी साँसों की सरगम, मेरी आत्मा का सबसे पावन स्पर्श हो।
तुम मेरे प्रेम का अनमोल सुमन हो, जिसे मैं हर जन्म अपने हृदय में संजोकर रखना चाहूँगी।
तुम्हारी.
पृष्ठ स्तंभ सज्जा : शक्ति* सीमा अनीता मंजिता अनुभूति
स्तंभ संपादन : डॉ. सुनीता मधुप शक्ति* प्रिया
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नमामि गंगे : शक्ति विचार धारा : पृष्ठ : ५
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ए. एंड. एम. प्रस्तुति
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शिमला डेस्क.
संपादन..
स्वयं निर्मित : शॉर्ट रील : पृष्ठ : ५
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हर कदम पर इम्तेहां मिलेगा
*
*
अखियों के झरोखें से मैंने देखा जो सावरें
तुम दूर नज़र आए तुम पास नजर आए
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सकारात्मक बनें नकारात्मक नहीं.
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शॉर्ट रील.रेनू शब्द मुखर निर्मित
तुम देना साथ मेरा ओ हम नवाज़ :
जब कोई बात बिगड़ जाए जब कोई मुश्किल पड़ जाए
तुम देना साथ मेरा ओ हम नवाज़
सकारात्मक होना
जब हम बदलाव के दौर से गुजरते हैं, तो कभी-कभी असहजता और भ्रम महसूस होता है। लेकिन यह असहजता दरअसल इस बात का संकेत हो सकती है कि हम अपने पुराने विचारों, सीमाओं और पहचान को पीछे छोड़कर एक नए, अधिक परिपक्व रूप में विकसित हो रहे हैं।
यह हमें धैर्य रखने और अपने विकास की प्रक्रिया को स्वीकार करने की प्रेरणा देता है।
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दिल क्या करें : लघु फिल्में : प्रस्तुति : पृष्ठ : ६.
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संपादन
संपादन : डॉ.सुनीता सीमा शक्ति* शालिनी प्रिया.
दार्जलिंग डेस्क
पृष्ठ सज्जा : शक्ति. अनुभूति मंजिता
शिमला डेस्क.
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साभार : शक्ति पारुल* : लख़नऊ : शॉर्ट रील.
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अपनी तो मंजिल है तेरी राहों में
तेरे नाम हमने किया है जीवन अपना सारा सनम
यही पर कहीं है मेरे मन का चोर
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आधी सच्ची आधी झूठी तेरी प्रेम कहानी
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लिखा है तेरी आँखों में किसका अफ़साना
अगर इसे समझ सको तो मुझे भी समझाना
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तुमसे सनम क्या परदा बाँहों में चलो आओ
तेरे कारण तेरे कारण तेरे कारण मेरे साजन
जाग के मैं सो गयी सपनों में खो गयी.
चूड़ी नहीं मेरा दिल देखो देखो टूटे न
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थोड़ी सी दीवानी है मेरी महबूबा
तुझे लग जाए मेरी उमर बाजीगर ओ बाजीगर.
जब वो मिले मुझे पहली बार उनसे हो गयी आँखें चार
©️®️ M.S.Media.
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आप ने कहा : प्रस्तुति : पृष्ठ : ७ .
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संपादन.
ख़ुशी : वो है जरा ; ख़फ़ा ख़फ़ा
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सशक्त साहित्य सर्जक रेनू को एवं ब्लौग मैगजीन के शक्ति संयोजक डॉ. मधुप दोनों को बधाइयां और शुभकामनाएं उनके उत्कृष्ट सृजन एवं संयोजन के लिए - डॉ.आर. के. दुबे.
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteVery beautiful poems 🫶🏼
ReplyDeleteAmezing post.
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