Talk of the Day : Our Town Culture & Festival.

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कृण्वन्तो  विश्वमार्यम.     
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Page.1.About this Page.
e -Theme Magazine. Volume 1.Section. A.
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Talk of the Day : Our Town.
Culture & Festival.
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Volume 1.Section.A. 
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e-theme news blog magazine. Around My Town. 
A Complete Cultural Festival News Account .
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हिंदी अनुभाग. 
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शक्ति : आवरण पृष्ठ : ० 

शक्ति रूपेण संस्थिता : अंतर्मन की अपनी आत्म शक्ति की आराधना : डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया
शक्ति समूह.
सम्पादकीय डेस्क

राधिका महा शक्ति. नैनीताल डेस्क.
मीरा महाशक्ति. नैनीताल डेस्क.
रुक्मणि महाशक्ति.नैनीताल डेस्क.
महालक्ष्मी .कोलकोता डेस्क.
महाशक्ति. नैनीताल डेस्क.
महासरस्वती.नर्मदा डेस्क. जब्बलपुर.
नव शक्ति. शिमला.डेस्क.
रानी पदमावत. जयपुर डेस्क.
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आवरण : पृष्ठ सज्जा : पृष्ठ : ०
संपादन.



' शक्ति ' प्रिया रंजीता . दार्जलिंग.


सुबह सबेरे
जीवन : अध्यात्म : प्रकृति : प्रेम : सन्यास   
 पत्रिका  / अनुभाग. 
' तुम्हारे लिए. '
 मॉर्निंग / आफ्टर नून / इवनिंग पोस्ट


सुबह सबेरे. 
जीवन : अध्यात्म : प्रकृति : प्रेम : सन्यास 
शक्ति विचार धारा 


नालंदा हड्डी एवं रीढ़ सेंटर : बिहार शरीफ : डॉ. अमरदीप समर्थित 
सुबह सबेरे. शक्ति विचार धारा.  

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राधिकाकृष्ण : महाशक्ति : इस्कॉन डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / ० : 
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
संस्थापना वर्ष : १९७८. महीना : जुलाई : दिवस : ४.
 संपादन 
अनु ' राधा '

नैनीताल
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राधिका कृष्ण : महाशक्ति : दिव्य दर्शन : पृष्ठ : ० / ० :
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लघु फिल्म : तुझसे प्रीत लगी है राधे


दिव्य दर्शन : राधिकाकृष्ण : शॉर्ट रील.

राधिका : कृष्ण : बाँसुरी : अद्वैत प्रेम 

दिव्य दृश्यम तू है तो डर नहीं लगता. 

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राधिकाकृष्ण : महाशक्ति : दिव्य : विचार : पृष्ठ  : ० / ० / १  : 
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
संस्थापना वर्ष : १९७८. महीना : जुलाई : दिवस : ४.
संपादन. 


अनु ' राधा ' 
नैनीताल.

याद रखिए.

' प्रेम ' करना ही जीवन की 'खुशी ' है.
प्रसन्नता ही केवल सद्गुण है,' मानवता ' ही केवल धर्म है
और ' प्रेम ' ही केवल पुजारी है। प्रेम से ' मृत्यु ' अधिक बलवान है,
मृत्यु ' जीवन ' से अधिक बलवान है।
यह जानते हुए भी ' मनुष्य - मनुष्य ' के बीच कितनी संकुचित ' सीमायें ' खिंची है.
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 अपने ' शुभचिंतक ' सदैव व्यक्तिगत होते हैं वो आपसे अकेले में ही ' सलाह ' देंगे 
' निर्भीकता ' से आप से आपकी निजता में ही ' प्रसन्नता ' व ' नाराजगी ' जाहिर करेंगे  
वो आपके ' क्रिया कलापों ' के लिए कभी भी ' सार्वजनिक ' तमाशा नहीं करते  …
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कौन बताता है ' समन्दर ' का रास्तां ' नदी ' को 
जा मिलती है ' समन्दर ' में लाख ' बाधाओं ' के बाबजूद भी नदी ' खुद - ब - खुद ' 
जिन्हें ' मंजिल ' का ' जनून ' होता है वो गैरों से ' सलाह ' और ' रास्तां ' नहीं पूछते 

©️®️ डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया.
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रुक्मिणीकृष्ण : महाशक्ति : डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / २. 
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रुक्मिणी  डेस्क.नैनीताल  
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०.
संस्थापना वर्ष : १९९५. महीना : जनवरी : दिवस : ६.
संपादन.


शक्ति. डॉ. सुनीता सिन्हा.


लघु फिल्म : श्री : ' रुक्मिणी ' ' सत्यभामा ' ' जाम्बन्ती ' 



प्रेम ' के ' अटूट कच्चे धागे

बांधे गए हर ' प्रेम ' के  हर  ' कच्चे धागे ' में  तेरी हर ' दुआओं ', ' प्रीत ' की ' रवानी ' हूँ मैं  
कही अनकही  ' पहेली '  बनी न समझी गई तेरे मेरे  कई ' जन्मों ' से  मिलने की कहानी हूँ मैं   

©️®️ डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया. 

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मीराकृष्ण : महाशक्ति डेस्क : मुक्तेश्वर :  नैनीताल. पृष्ठ : ० / ३ . 
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मीरा डेस्क. 
प्रादुर्भाव वर्ष : १९८६.
संस्थापना वर्ष : १९८९. महीना : अक्टूबर  : दिवस : ६ .
 संपादन.


शक्ति. मीना सिंह  
मुक्तेश्वर. नैनीताल 
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मीराकृष्ण : मुक्तेश्वर डेस्क : दृश्यम : नैनीताल. पृष्ठ : ० / ३  : 
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कृष्ण दर्शन 


मीरा : ' गोविन्द ' बोलो  ' हरि ' गोपाल बोलो. 


ऐसी लागी ' लगन ' मीरा हो गयी मगन.



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विषय सूची : पृष्ठ. १ . 
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आवरण पृष्ठ : ० 

त्रि - शक्ति : विचार : प्रस्तुति. पृष्ठ : १ /० . 
त्रि - शक्ति : दर्शन पृष्ठ : १ /१ .
 जीवन सार संग्रह : पृष्ठ : १. 
सम्यक कर्म : जीवन सुरभि : त्रिशक्ति : महासरस्वती : नर्मदा डेस्क : पृष्ठ : १ / ३ .
आज का गीत : जीवन संगीत : पृष्ठ : २ : 
मेरी अनुभूति  : मेरी शक्ति : तेरी मेरी कहानी है : कोलाज पृष्ठ : ३ . 
संपादकीय : पृष्ठ : ४ .
सम्पादकीय : तुम्हारे लिए : ४ / ० .   
सम्पादकीय : तारे जमीन पर : आलेख : ५ .
आज की कला कृति : सम्पादकीय : कला दीर्घा : ६  
आज की तस्वीर : फोटो दीर्घा : ७     
आकाश दीप : पद्य संग्रह : सम्पादकीय . पृष्ठ : ८
 कही अनकही : सम्पादकीय : पृष्ठ : ९   
 आज  का समाचारहिंदी अनुभाग. पृष्ठ : १०.
फोटो, कोलाज : आज के : दीर्घा.पृष्ठ : १० / १  .
 कल का समाचार. हिंदी अनुभाग. पृष्ठ ११ .
कोलाज   : दीर्घा . हिंदी अनुभाग. कलआज : पृष्ठ ११  / ०१ . 
 विज़ुअल्स : लघु फिल्में : पृष्ठ : १२ 
आपने कहा : दिवस : शुभकामनाएं : पृष्ठ : १३   
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नव - शक्ति समर्थित. त्रिशक्ति : विकसित 
महाशक्ति अधिकृत 


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त्रि - शक्ति : प्रस्तुति. पृष्ठ : १ / ० . 
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त्रिशक्ति डेस्क / नैनीताल 
लक्ष्मी / शक्ति / सरस्वती.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६ .
संस्थापना वर्ष : १९७८. महीना : जुलाई. दिवस : ४.
शिव : शक्ति / हरि ( राम : कृष्ण ) पदमा दर्शन
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त्रि - शक्ति : दर्शन पृष्ठ : १ / १ .
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नैनीताल डेस्क



त्रिशक्ति  
लक्ष्मी / शक्ति / सरस्वती.
 त्रिशक्ति डेस्क / नैनीताल
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६ . 
संस्थापना वर्ष : १९७८. महीना : जुलाई. दिवस : ४.

 


शक्ति सीमा ' रंजीता ' अनीता. 
नैनीताल डेस्क 
संपादित 

त्रि - शक्ति : दर्शन

लक्ष्मी / शक्ति / सरस्वती .

 

त्रि - शक्ति : विचार : धारा

संपादन
शक्ति : सीमा रंजीता अनीता. 


सुरक्षा सूत्र


येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वाम् अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥

भावार्थ. 

जिस रक्षा सूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, 
उसी सूत्र मैं तुम्हें बांधती हूं, जो तुम्हारी रक्षा करेगा, हे रक्षा तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना.

' सन्मार्ग '

महाशक्तियों के निर्दिष्ट ' सत्यम ' ' शिवम् ' ' सुंदरम ' के ' सन्मार्ग ' पर चलना ही
व्यक्ति विशेष का ' नैतिक ', ' सामाजिक ', 'आध्यात्मिक ' ध्येय होना चाहिए 


सहयोग.


परमार्थ के लिए देश हित में 
त्रि शक्ति, अधिकृत, विकसित और समर्थित .
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जीवन सार संग्रह : पृष्ठ : १
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त्रि शक्ति : डेस्क : नैनीताल 
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संपादन 
महालक्ष्मी : महाशक्ति : महासरस्वती


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 सम्यक दृष्टि :  त्रिशक्ति : मुझे भी कुछ कहना है : महालक्ष्मी डेस्क : पृष्ठ : १ / १ / ० .
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९७९.
महा लक्ष्मी : डेस्क : कोलकोता :
संस्थापना वर्ष : २००३. महीना : जून. दिवस : २ 
संपादन : ' शक्ति ' सीमा सिंह.
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संपादन. 


सीमा सिंह  : कोलकोता .


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महा लक्ष्मी : विष्णु प्रिया : दर्शन पृष्ठ : १ / १ / ० . 
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महा लक्ष्मी : शब्द चित्र : विचार पृष्ठ : १ / १ / १ .
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कुछ लोगों से ही  जिंदगी होती  हैं : साभार. 
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सम्यक दृष्टि : मुझे भी कुछ कहना है : संकलन / संपादन.पृष्ठ : १ / १ / २  .
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शक्ति सीमा सिंह  /
 महालक्ष्मी डेस्क /  कोलकोता 
  

' लक्ष्मी ' और ' महालक्ष्मी ' में क्या अंतर है ?
जब वह अकेली होती है और अपनी सभी व्यक्तिगत स्त्री की महिमा के साथ वह महालक्ष्मी के रूप में जानी जाती है और अपने ही मंदिर में प्रतिष्ठापित होती है.
जब वह भगवान विष्णु से जुड़ी होती हैं तो उन्हें लक्ष्मी या श्री-देवी के रूप में जाना जाता है


' राम ' से बड़ा कोई ' सत्य ' नहीं ' हनुमान ' से बड़ा कोई ' भक्त ' नहीं
' रघुपति ' किन्ही बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय ' भरतहि ' सम भाई
 

यत्र ' नार्यस्तु ' पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र ' देवता '.

जब हम सभी एक दूसरे के लिए विश्वस्त,समर्थितसमर्पित और सर्वस्व न्योछावर के लिए तत्पर हैं 
तब इस समस्त दुनियां को बतला ही देंगे कि हमारे लिए कुछ भी असंभव नहीं है : त्रिशक्ति

 "...आप  त्रिशक्तियां जब तक़ मुझमें समाहित हैं ,गर्व है 
सत्यार्थ - प्रकाश  के लिए....आत्मसंघर्ष जारी ही रहना चाहिए..."



फूलों का तारों का सब का कहना है 
एक हजारों में मेरी बहना हैं : डॉ. सुनीता रंजीता.


"... त्रि - शक्तियों ( सरस्वती शक्ति ,और लक्ष्मी ) के मध्य असीम विश्वास, स्नेह  और संतुलन  
से उत्पन्न महाशक्ति से ही  समस्त जगत एवं  प्राणी मात्र का कल्याण सुनिश्चित हैं..."  



"...हमारे मन - मस्तिष्क , जिह्वा पर  सरस्वती बिराजे 
शक्ति नौ रूपों में हमें संरक्षित करें 
        लक्ष्मी हमारे ऐश्वर्य ,मान सम्मान का कारण बनें..." 




"...केवल मात्र नहीं...आप 
त्रिशक्ति हो नारी 
 संरक्षित हो हम आपसे ,आप हो 
आत्म शक्ति हमारी.. "

डॉ. सुनीता मधुप शक्ति प्रिया .


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सम्यक वाणी : त्रिशक्ति : जीवन सुरभि : महाशक्ति :  पृष्ठ : १ /२ .
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
शक्ति डेस्क / नैनीताल 
संस्थापना वर्ष : १९७८. महीना : जुलाई. दिवस : ४.
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संकलन  / संपादन
 


शक्ति रंजीता .
नैनीताल. डेस्क 

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शक्ति : दर्शन  : पृष्ठ : १ /२ /० .
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जय जय महिसासुर मर्दिनी.

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शक्ति : शब्द चित्र विचार : पृष्ठ : १ /२ /० .
संपादन शक्ति रंजीता .
नैनीताल. डेस्क 
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और अपने भीतर  की ' शांति ' ही महा ' लक्ष्मी ' है 


दोस्त , किताब, रास्ता और सोच सही मिले 


त्रि शक्ति : संतुलन : प्रार्दुभाव : महाशक्ति 




"...' धर्म ' की संस्थापना और ' अधर्म ' की समाप्ति के लिए ही हैं
 त्रि शक्तियां
      
और उनसे ही अवतरित हुई  शक्ति के नौ स्वरूप..." 
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शक्ति : सम्यक वाणी पृष्ठ : १ /२ /१ .
शक्ति डेस्क / नैनीताल 
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उन ' कलम ' के  ' सिपाहियों ' से कभी मत उलझो 
जो अपनी ' बंदूकें ' बेच कर ' कलम ' खरीदते है 

डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया .

 कोई  भी रिश्ता बड़ी बड़ी बातें करने से नहीं 
बल्कि छोटी छोटी बातों को समझने समझाने से सच्चा और गहरा होता है 



"..अपनी जिंदगी में हासिल यकीन और उम्मीद
हमारे लक्ष्य को आसान ही नहीं बल्कि हर संभव बना देते हैं... "



" ढूंढने पर ही रास्ते मिलते  हैं... 
यूँ ही खुद चलकर कभी आते नहीं ...यह तो मंजिलों की फितरत ही है,
कि परेशानियां आती रहेगी मगर साथ हो अपने सफ़र में तो बढ़ते कदम रुकते नहीं.."



" ...ज्यादा अपनापन दिखाने वाले लोग
    एक दिन बता ही देते है कि वो पराये हैं .."



"...अपनों का साथ अपने जीवन में बहुत ही आवश्यक है,
       सुख है तो बढ़ जाता है और दुःख हो तो बंट जाता है..."



"..
गुरुर में इंसान को इंसान नहीं दिखता 
छत पर चढ़ जाने से जैसे अपना ही मकान नहीं दिखता.."  

 

"
 ....लक्ष्य से जुड़े रहें ..अपने लक्ष्य से प्यार करना सीखें .... जितना आप लक्ष्य से जुड़े रहेंगे 
आलस्य , अकर्मण्यता और असफलतायें उतनी ही दूर रहेंगी.. "

 

" ...कठिनाइयां आती हैं सब पर मगर कोई बिखर जाता है 
         तो कोई  सोने की तरह
आग में तप कर निखर जाता है.."  

 

"...जीवन की  हर घड़ी हम कितने मशरूफ क्यों न हो...
न जाने हर सुबह खुदा के साथ अपनों की याद 
क्यों चली आती है.." 



"..बीता हुआ हर लम्हा जिंदगी को समझने का एक अच्छा मौका है,
आने वाला हर लम्हा जिंदगी को जीने का दूसरा मौका है..."

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सम्यक कर्म : जीवन सुरभि : त्रिशक्ति : महासरस्वती : नर्मदा डेस्क : पृष्ठ : १ / ३ .
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९८२.
नर्मदा डेस्क : जब्बलपुर.
संस्थापना वर्ष : १९८९. महीना : सितम्बर. दिवस : ९.  
 

संपादन

 

शक्ति : अनीता.

जब्बलपुर.

महासरस्वती दर्शन 


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जीवन सुरभि : त्रिशक्ति : महासरस्वती : शब्द चित्र : विचार : पृष्ठ :१ / ३ .
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९८२.
नर्मदा डेस्क : जब्बलपुर.
संस्थापना वर्ष : १९८९. महीना : सितम्बर. दिवस : ९.  
संपादन.
शक्ति अनीता : जब्बलपुर.

हमें हर ' प्रिय ' सम्बन्ध को समय देना चाहिए 
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जीवन सुरभि : त्रिशक्ति : महासरस्वती : विचार : पृष्ठ :१ / ३ . 
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नर्मदा डेस्क : जब्बलपुर.
संस्थापना वर्ष : १९८९. महीना : सितम्बर. दिवस : ९.  
संपादन
शक्ति अनीता : जब्बलपुर 

लोग ' जरूरत ' के मुताबिक ' हमलोगों ' का  ' इस्तेमाल ' करते हैं 
और हम समझते है कि लोग हमे ' पसंद ' करते है 
यही तो ' भ्रम ' है ' जिंदगी ' का......आपकी ' सोच ' का भी हो सकता है 
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नव  शक्ति.सम्यक संकल्प . शिमला  डेस्क :  : पृष्ठ : १ / ४ . 
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संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी . दिवस : ५
श्यामली : डेस्क : शिमला
शक्ति 
संपादन
रेनू  अनुभूति नीलम 
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नव शक्ति :  दिव्य दर्शन : पृष्ठ : १ / ४ / ०.

 
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नव शक्ति :  दिव्य दर्शन : पृष्ठ : १ / ४ / ०.
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नवशक्ति. विचार : शिमला : डेस्क : पृष्ठ : १ / ४ / १ .
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पहाड़ा वाली का विचार 

 हम ' पहाड़ ' वाले न कभी अपनी ' बातें ' बदलते है न अपने ' रास्तें ' बदलते है। ... 
' मुश्किलों ' से भरे एक ही ' रास्तें ' पर चलते  हुए भी 
न कभी अपने ' इरादें ' बदलते है 

डॉ. सुनीता रंजीता ' शक्ति ' प्रिया 


हम " व्यर्थ के ' उलझाव  ' व  ' टकराव ' से
यथासंभव सदैव बचने का प्रयास करें " :  श्री हरि चैतन्य महाप्रभु.

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महा शक्ति.सम्यक कर्म. नैनीताल डेस्क :  : पृष्ठ : १ / ५.   
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०.
संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी . दिवस : ६ 
नैनीताल डेस्क :

संपादन


डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया.
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महा शक्ति : दृश्यम : नैनीताल डेस्क : पृष्ठ : १ / ५ / ० . 
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सावन पूर्णिमा : शिव दर्शन.
नैना देवी परिसर. नैनीताल.  
 सत्य ही ' शिव ' है शिव ही ' सुन्दर ' है 


शक्ति लघु फिल्म : निर्माण :  डॉ. मधुप 
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महा शक्ति : शब्द चित्र  : नैनीताल डेस्क : पृष्ठ : १ / ५ / १ . 
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महाशक्ति :  दर्शन 


 नैनीताल डेस्क
संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी. दिवस : ६ . 
डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया.
हम ' तुम्हारे ' लिए 

महाशक्ति : रक्षा सूत्र विचार.
मेरी अभिलाषा ' शक्ति '

ऐसा प्रतीत होता है कि हमने दुनियाँ के  श्रेष्ठ जनों और  दिव्य भली शक्तियों का 
साथ जिनके ऊपर हमें अत्यंत ' गर्व ' है उनकी खोज की  अभिलाषा ' शक्ति ' पूरी हो रही  हैं  
सदैव उन्हें साथ रहने देना परमेश्वर ! बस यहीं ' सम्यक साथ ' चाहिए ' सम्यक सोच ' व ' कर्म ' के लिए 
 
डॉ. सुनीता रंजीता ' शक्ति ' प्रिया 

सुरक्षा सूत्र


येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वाम् अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥

भावार्थ. 

जिस रक्षा सूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, 
उसी सूत्र मैं तुम्हें बांधती हूं, जो तुम्हारी रक्षा करेगा, हे रक्षा तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना.

हमराज़. 

अक्सर ' हम ' उन्हीं लोगों के जरिए ही  ' मजाक ' बन जाते हैं ,
जिन्हें हम कमजोर ' लम्हों ' में ' अपना ' समझकर अपनी सारी ' सच्चाइयाँ ' उजागर कर  देते हैं 
बेहतर है हम अपना ऐसे ' राज ' बफादार हमराज़ ' दोस्त ' को ही कहें 
जो हमारे व हमारे ' राज़ ' के साथ ही इस ' दुनियाँ ' से ' रुख़सत ' हो जाए 
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ये मेरा  गीत : जीवन संगीत : कल भी कोई दोहराएगा : पृष्ठ : २ :  
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संपादन



डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया. 
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मेरी आपकी पसंद 
मेरे नयना सावन भादों 
 साभार : ख़ुशी : देहरा दून : उत्तराखंड 


जाने किसको किस की याद आई कि चली पुरवाई 


लघु फ़िल्म : ये नरगिसे मस्ताना बस इतनी शिकायत है 


शक्ति प्रिया : दार्जलिंग : शॉर्ट रील : नेपाल 
फ़िल्म : अनजाना.१९६९.
सितारे : राजेंद्र कुमार. बबीता 
गाना : रिमझिम के गीत सावन गाए 
गीत : आनंद बख्शी. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायिका : लता रफ़ी.



     गाना सुनने और देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएँ.  

 
फिल्म : सत्यम शिवम् सुंदरम. १९७८.
सितारे : शशि कपूर. ज़ीनत अमान. 
गाना : ईश्वर सत्य है.. सत्य ही शिव है.
गीत :नरेंद्र शर्मा.  संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायिका : लता मंगेशकर.



  गाना सुनने और देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएँ.   
https://www.youtube.com/watch?v=Aars5gbvQg0

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फिल्म : हम. १९९१. 
सितारे : अमिताभ बच्चन, रजनी कांत, दीपा शाही, गोविंदा.
गाना : एक दूसरे से करते है प्यार हम.
गायक : अलका. सुदेश. उदित. सोनाली


 

गाना सुनने और देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएँ. 
  
https://www.youtube.com/watch?v=YKnt69snQCQ

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फिल्म  : अमर प्रेम. १९७२.
सितारे : राजेश खन्ना. शर्मीला टैगोर. 
गाना : कुछ तो लोग कहेंगे. 
गीत : आनंद बख्शी. संगीत : आर डी वर्मन गायक : किशोर कुमार 


 


गाना सुनने और देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएँ. 
  
https://www.youtube.com/watch?v=56I2rxRPRLY



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मेरी अनुभूति : मेरी शक्ति : तेरी मेरी कहानी है : कोलाज पृष्ठ : ३ . 
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संपादन. 


रश्मि / कोलकोता.

एक हजारों में मेरी बहना है सारी उमर हमें संग रहना है : डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया . 
एक दूसरे के बास्ते मरना पड़े है तैयार हम : हम सब है ताले तू सब की चाबी : डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया .  
कुछ और न आता हो हमको ..हमें प्यार निभाना आता है : कोलाज : डॉ.सुनीता रंजीता प्रिया .  

जागो उठ कर देखो जीवन जोत उजागर है : सत्यम शिवम् सुंदरम : कोलाज : डॉ.सुनीता रंजीता प्रिया . 
आदमी जो कहता है आदमी जो सुनता है जिंदगी भर वो सदायें पीछा करती हैं : डॉ.सुनीता रंजीता प्रिया .
कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना : कोलाज : डॉ.सुनीता रंजीता प्रिया .
----------------
संपादकीय : पृष्ठ : ४ .
-----------------
सहयोग व स्व इच्छा की कड़ी.
  

------------
संरक्षिका.
-----------
⭐.


डॉ. भावना. 
उज्जैन. मध्य प्रदेश. 
-----------
 प्रधान संपादक.
-------------
शिमला डेस्क 


रेनू शब्दमुखर. जयपुर.
अनुभूति सिन्हा.शिमला 
नीलम पांडेय. वाराणसी.
-------------
कार्यकारी ⭐ संपादक  
----------------
नैनीताल डेस्क 


डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया .
  
---------
सहायक  
कार्यकारी  संपादक. 
-----------
 कोलकोता डेस्क 


 सीमा. अनीता
 कोलकोता 
------------

संयोजिका.


वनिता 
  शिमला.  
---------
स्थानीय संपादक 
नैनीताल. 

भारती मीना. 
---------
अतिथि संपादक.  
नैनीताल. 

मानसी कंचन पंत 
--------
  व्यवस्थापक.  
प्रकाशक 
   


डॉ. मनीष कुमार सिन्हा.
चेयर मैन : इ.डी.आर.एफ / नई दिल्ली. 
-----------------

दिग्दर्शक  ⭐ मंडल. 
.

रवि शंकर शर्मा. संपादक.नैनीताल.
डॉ.नवीन जोशी.संपादक.नैनीताल.
मनोज पांडेय.संपादक.नैनीताल.
           अनुपम चौहान.संपादक.लखनऊ .            
डॉ.शैलेन्द्र कुमार सिंह.लेखक.रायपुर. 
रणधीर : स्वतंत्र लेखक : स्तंभ कार : नैनीताल 
रंजना : नई दिल्ली 
नमिता सिंह : रानीखेत 
रीता रानी : जमशेदपुर 
डॉ. आर के दुबे : पटना 
डॉ. मीरा श्रीवास्तवा : पूना 
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सम्पादकीय : आकाश दीप : पद्य संग्रह : तुम्हारे लिए : ४ / ० .  
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 संपादन.
 
प्रधान सम्पादिका 
रेनू शब्द मुखर. जयपुर 
-----------
क्षणिकाएं.

राखी : प्रेम का धागा.

फोटो : रेनू 

राखी का धागा एक सूत नहीं,
प्रेम का मजबूत धागा है
जिसमें बंधी है वो मासूम यादें
जो बचपन की गलियों से आज भी गुजरती हैं।
बचपन के झगड़ों की मिठास,
वो खींचतान और फिर सुलह का वो प्यारा एहसास
सब दिल में समेटे हुए हरे हो जाती है।
हर बहन के दिल में बस एक ही चाह होती है 
कि भाई का जीवन सदा सुरक्षित हो 
और हर दुख उससे कोसों दूर रहे।
कलाई में बांधी ये राखी सिर्फ धागा नहीं ये एक वादा है,
हर मुश्किल में साथ निभाने का,
हर सुख-दुख को साथ बांटने का।
भाई की लंबी उम्र की कामना 
उसके खुशहाल जीवन की प्रार्थना
हर बहन की दुआओं का आधार है
ये राखी का पावन त्योहार है।
     राखी का ये त्योहार सिर्फ एक रस्म नहीं,
      ये है एक एहसास, प्यार,विश्ववास 
       और समर्पण का, जो सदियों से
   हर भाई-बहन के दिलों में
  प्रकाश बन जगमगा रहा है।

रेनू शब्दमुखर
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नन्हीं सी जलती जीवन जोत.


एक नन्हीं सी जलती जीवन जोत 
हो तुम हमारे लिए, 
सच कहें ! तो पूरे संसार का 
तमस भी कम होगा, 
इस समय 
हम सभी की, 
जिंदगी के लिए. 

डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया .
 
नैनीताल.
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एक प्यारी डोर सी बंधी है. 

फोटो : साभार 

एक प्यारी डोर, 
सी बंधी है, 
तुम्हारे बीच, 
हमारे बीच, 
विश्वास की, 
प्रीत की,
लगाव की, 
जुड़ाव की, 
बनती है, 
न बिगड़ती है 
सुलझती है,
न उलझती है 
मगर कभी टूटती 
नहीं है. 
एक प्यारी डोर, 
सी बंधी है. 
 
डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया .  
नैनीताल. 
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जिंदगी इम्तिहान लेती है : अमृता प्रीतम 


साभार
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लघु कविता.   

भूल गया सब कुछ.



डॉ मधुप.
 

एक आदमी 
जो खो गया हैं अपनी याददाश्त,
भटकता हुआ शहर दर शहर , 
 ढूंढ रहा है,
अपने...अतीत के खंडहर में,
यहाँ वहाँ, 
अपनों को, 
सपनों को,
  उन यादों की सुनहरी ईटों को , 
अपनों के लिए  
सपनों का  महल बनाने वास्ते, 
 अपने बारे में उसे 
कुछ भी मालूम नहीं, 
गर मिल जाए किसी को
तो पंहुचा देना, 
उसका पता है 
नैना देवी, 
नैनीझील,
नैनीताल. 
 
पुनः सम्पादित : प्रिया. दार्जलिंग 

मेरी तरह जताते नहीं : साभार : फेस बुक. 
उन रंगों में नहा जाना : सर्वेश्वर दयाल सक्सेना.


 
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सम्पादकीय : तारे जमीन पर : आलेख : ५ .  
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प्रधान सम्पादिका 

नीलम पांडेय. 
वाराणसी.


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तारे जमीन पर : सावन : ' मेघा रे मेघा रे : आलेख : ५ / ०
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सावन मास : समुद्र मंथन : हलाहल विष :

' मेघा रे मेघा रे, मेघा रे मेघा रे मत ' परदेस ' जा रे,

आज तू प्रेम का संदेस बरसा रे. '
नीलम पांडेय. वाराणसी. 


 नीलकंठ : जलाभिषेक :
फोटो : डॉ.सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया. 

बरसो रे मेघा-मेघा.., चूड़ी भी जिद पे आई है.., पायल ने शोर मचाया है। घोड़े जैसी चाल हाथी जैसी दुम..... ओ सावन के राजा कहां से आए तुम.., आया सावन झूम के...। सावन  का महीना पवन करे शोर...., तेरी दो टकिया की नौकरी मेरा लाखों का सावन जाए  ......
हिन्दी फिल्मों में कुछ ऐसे ही गानों के साथ  ' सावन ' आता है तो लोक जीवन में ' कैसे खेले जयबू  सावन में कजरिया बदरिया घेरे आई ननदी ' के रूप में ननद भौजाई की नोंक झोंक से सजा हुआ आता है।पर हमारे आध्यात्मिक जीवन में सावन के अनेकार्थ हैं।
भगवान शिव : सावन : श्रावण मास, जिसे उत्तर भारतीय राज्यों में सावन माह के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में सबसे पवित्र महीनों में से एक माना जाता है। अपने धार्मिक महत्व और अनुष्ठानों के लिए जाने वाले इस दिन भगवान शिव को समर्पित किया जाता है और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इसे शुभ माना जाता है। 
सावन मास : समुद्र मंथन : हलाहल विष : पौराणिक कथाओं में वर्णन आता है कि इसी सावन मास में समुद्र मंथन किया गया था। समुद्र मथने के बाद जो हलाहल विष निकला, उसे भगवान शंकर ने कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की ; लेकिन विषपान से महादेव का कंठ नीलवर्ण हो गया। 
इसी से उनका नाम ' नीलकंठ महादेव ' पड़ा। 

परमार्थ निकेतन : ऋषिकेश : तपस्वी भोले शिव की मुद्रा : डॉ सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया


शिव को जलार्पण :
विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया। इसलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाने का ख़ास महत्व है। यही वजह है कि श्रावण मास में भोले को जल चढ़ाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। 
कांवर यात्रा के दौरान ' बोल बम का नारा है बाबा एक सहारा है ' की गूंज से भक्ति का जो समा बंध जाता है यही सावन की असली खूबसूरती है। कंधे पर कांवर लिए शिव भक्त का तांता,हाथों में हरी चूड़ियां, केसरिया वस्त्र धारण किए मेहंदी रचाए सुहागिन महिलाएं शिव की आराधना में लीन दिखती हैं। सावन सोमवार व्रत, नाग पंचमी और भाई बहनों के अटूट बंधन का त्योहार रक्षा बंधन, रुद्राभिषेक, धार्मिक अनुष्ठान सावन को शिव मय बना देते हैं।
सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है. मान्यता है कि जो भक्त पूरे सावन के महीने में शिव जी की पूजा करता है और शिवलिंग का जलाभिषेक करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. वैसे तो सावन का हर दिन शिवजी की पूजा के लिए शुभ है, लेकिन सावन में सोमवार के दिन पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. ॐ नमः शिवाय 
स्तंभ : सज्जा : संपादन 
डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया 
नैनीताल डेस्क. 
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आलेख संदर्भित गाना
मेरी पसंद 
डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति '  प्रिया  
फ़िल्म : मंज़िल.१९७९.   
सितारे : अमिताभ बच्चन. मौसमी चटर्जी. 
गीत : योगेश. संगीत : आर डी वर्मन. गायिका : लता.

 
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 

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सम्पादकीय : आलेख  रक्षा बंधन : लक्ष्मी : हरि ५ / १ .
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जब लक्ष्मी ने अपने भाई बलि से रक्षा बंधन के बदले मांग लिया हरि
आलेख. 
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल.
वरिष्ठ संपादक : ब्लॉग मैगज़ीन 

संपादन. 
बीना नवीन जोशी 


नैनीताल 
 
येन बद्धो बली राजा, तेनत्वाम् अपिबंधनामि रक्षेः

जब लक्ष्मी ने अपने भाई बलि से रक्षा बंधन के बदले मांग लिया हरि. 

महाराजा बलि भगवान विष्णु  और देवी लक्ष्मी  : रक्षाबंधन  पर रक्षा धागा बांधने का मंत्र और इसका कारण ‘जन्यो-पुन्यू’, रक्षाबंधन पर ‘ येन बद्धो बली राजा, तेनत्वाम् अपिबंधनामि रक्षेः मा चल मा चल ’ मंत्र का प्रयोग किए जाने की भी दिलचस्प कहानी है। कहते हैं कि जब महाराजा बलि का गर्व चूर करने के लिए भगवान विष्णु ने बामन रूप लिया और उसके द्वारा तीन पग धरती दान में प्राप्त की और दो पग में धरती, आसमान और पाताल यानी तीनों लोक नाप दिये, तथा तीसरे पग के लिए राजा बलि ने अपना घमंड त्यागकर अपना सिर प्रभु के चरणों में रख दिया। 
तभी बलि की होशियार पत्नी ने भगवान विष्णु को पहचानते हुए सुझाया कि बलि भी विष्णु से कुछ मांगे। भगवान बिष्णु से आज्ञा मिलने पर बलि ने पत्नी के सुझाने पर मांगा कि भगवान उसके द्वार पर द्वारपाल बनकर रहें, ताकि वह रोज उनके दर्शन कर सके। इस कारण भगवान विष्णु को अपना वचन निभाते हुए बलि का द्वारपाल बनना पड़ा। उधर काफी दिन तक विष्णुलोक न लौटने पर विष्णु पत्नी लक्ष्मी ने देवर्षि नारद से जाना कि विष्णु राजा बलि के द्वारपाल बने हुए हैं। 
इस पर वह रूप बदलकर राजा बलि के पास गई और उसे अपना भाई बना लिया, तथा उसे रक्षाबंधन पर रक्षा धागा बांधते हुए बदले में द्वारपाल को मांग लिया। बलि ने बताया कि द्वारपाल कोई आम व्यक्ति नहीं, वरन विष्णु देव हैं तो लक्ष्मी भी अपने वास्तविक स्वरूप में आ गई। तभी से रक्षा धागा, मौली आदि बांधने पर इस मंत्र का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार जान लें कि माता लक्ष्मी ने दैत्यराज बलि को सबसे पहले राखी बाँधी थी।
उत्तराखंड के कुमाऊं अंचल के नगरीय क्षेत्र में अब यह त्योहार भाई -बहन के त्योहार के रूप में ही मनाया जाता है, लेकिन अब भी यहां के पर्वतीय दूरस्थ गांवों में यह त्योहार अब भी नया जनेऊ धारण करने और पुरोहित द्वारा बच्चों, बूढ़ों तथा महिलाओं आदि सभी को रक्षा धागा या रक्षा-सूत्र बांधा जाता है। इस दिन गांव के बुजुर्ग नदी या तालाब के पास एकत्र होते हैं, जहां पंडित मंत्रोच्चार के साथ सामूहिक स्नान और ऋषि तर्पण कराते हैं। इसके बाद ही नया जनेऊ धारण किया जाता है।
सामूहिक रूप से जनेऊ की प्रतिष्ठा और तप करने के बाद जनेऊ बदलने का विधान लोगों में बीते वर्ष की पुरानी कटुताओं को भुलाने और आपसी मतभेदों को भुलाकर परस्पर सद्भाव बढ़ाने का संदेश भी देता है। पंडित की अनुपस्थिति में ‘ यग्योपवीतम् परमं पवित्रम् ’ मंत्र का प्रयोग करके भी जनेऊ धारण कर ली जाती है, और इसके बाद यज्ञोपवीत के साथ गायत्री मंत्र का जप किया जाता है। इस दिन बच्चों को यज्ञोपवीत धारण करवाकर उपनयन संस्कार कराने की भी परंपरा है।

आलेख. 
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल.
वरिष्ठ संपादक : ब्लॉग मैगज़ीन 
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सम्पादकीय : आलेख  : ५  / २  .
लाल किले की प्राचीर से ' जय हिंद '.... सुन रहा है ज़माना..

" उठो ओर जाग कर देखो वतन में अनंत आनंद छाया है
गगन के शीर्ष पर लहरानेको ये तिरंगा फहराया है..!"

लाल किले की प्राचीर से जय हिंद.... सुन रहा है ज़माना। आज सारा देश आजादी के जश्न में डूबा हुआ है।सबके मन में देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज़्बा है। देश को विश्व गुरु के रूप में देखने के लिए भारत का हर युवा मन उत्साहित है। ' कुछ तो है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी '.
हम भारतीय हैं ही ऐसे कि जो ठान लें वो कर दिखाते हैं । केसरिया रंग जहां हममें ताक़त और हिम्मत भर देता है, सफ़ेद रंग सादगी और सच्चाई से जीवन बिताने की सीख देता है वहीं हरा रंग जीवन में खुशहाली और धरती पर हरियाली का संदेश देने वाला है। इन तीन रंगों से सराबोर भारतीय की नज़र समय के चक्र पर भी रहती है जो उसे विजेता बनाने वाली संजीवनी बूटी है। 
हर भारतवासी भारत मां के उन अमर सपूतों की कृतज्ञ और ऋणी है जिनकी वजह से आज हम ' जश्न ए आज़ादी ' का हिस्सा हैं।
भाषा  बोली, वेशभूषा, धर्म संप्रदाय, जात पात, ऊंच -नीच, धनी निर्धन, इन सारे शब्द युग्मों की विविधताओं के बीच से गुजरते हुए भी हम भारतीय हैं और भारतीयता हमारी पहचान है। विविधता में एकता है हमारी ताकत। सभी धर्मों का सम्मान करते हुए अपनी सभ्यता संस्कृति पर गर्व हर भारतीय को दुनिया के लोगों से अलग पहचान  दिलाता है।अगर राजनीति की बात करें तो व्यक्ति नहीं जीतता, जीतता है विजयी व्यक्ति के प्रति लोगों का भरोसा, विश्वास और लगाव। आज सारा विश्व भारत की गंगा जमुनी संस्कृति की ओर जिस आदर और आश्चर्य की मिले-जुले भाव से देख रहा है यही भारत के स्वर्णिम अतीत और वर्तमान की गौरवशाली पहचान है। किसी  भी देश की पहचान यूं ही नहीं बनती वहां के लोगों के विचारों से बनती है। इतिहास गवाह है जब भी भारतीयों को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है वे जांबाज़ की तरह मुकाबला करते हैं। कुछ दिनों पहले कोरोना ने जिस तरह से पूरे विश्व के साथ-साथ भारत को भी अपनी चपेट में लिया था और भारतियों ने उसका मुकाबला जिस तरह से किया था, हम भूले नहीं हैं ना भूल सकते हैं। मिलजुल कर खुशियां मनाना और एक दूसरे का दुख बांटना इन दोनों ही कलाओं  में हर भारतीय माहिर है और इसीलिए अलगाववादी हमेशा परास्त हो जाते हैं। आजादी के इस महापर्व पर भारत मां के आगे कृतज्ञ मेरे मन से बस एक ही आवाज़ उठ रही है मरने के बाद मैं इसी देश की मिट्टी में मिल कर भारत का हिस्सा बन जाऊं देश की आन बान शान पर मेरा तन- मन- कुर्बान....... सारे जहां से अच्छा हिंदुस्ता हमारा.... जय हिन्द।
संपादन. 
रंजीता / नैनीताल.डेस्क   

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आज की कला कृति : सम्पादकीय : कला दीर्घा : ६   
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संपादन 


कला सम्पादिका 
अनुभूति / शिमला.

मैं हूँ ख़ुश रंग हिना प्यारी ख़ुश रंग हिना ज़िंदगानी में कोई रंग नहीं मेरे बिना : कला : अज्ञात 
शक्ति का दुष्टों के ख़िलाफ़ शक्ति प्रदर्शन : कला कृति : सुमन. 
मेरे जीने का शहर : रात का शमा : शिमला रिज : कलाकृति : अनुभूति सिन्हा : शिमला.  
जीने का शहर : मेरे पहाड़ी शहर की एक कल्पना : कलाकृति : अज्ञात 
 
हम पंछी उन्मुक्त गगन के पिंजर बद्ध न हो पायेंगे : कृति : अज्ञात. 
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आज की तस्वीर : फोटो दीर्घा : ७    
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संपादन.

आशा / मसूरी 

दरिया का पानी सागर की ओर चले : हिमाचल : फोटो : फैजान : बरेली 
 
इब्राहिम मलिक वयां : बिहार शरीफ के पीछे ढलता सूरज : फोटो : डॉ.मधुप.  

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तुम्हारे लिए : गद्य पद्य संग्रह : पर्व विशेष : सम्पादकीय . पृष्ठ : ८    
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 नैनीताल डेस्क 
संपादन.

' शक्ति ' शालिनी रॉय.
इलाहाबाद 
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सावन विशेष 

लघु कविता 

सावन के झूले पड़ें. 


हरियाली की छटा बिखेरे सावन का यह महीना,
राजस्थान की रानी जयपुर की तीज का यह तराना।
लहराते हैं बादल बरसाते हैं फुहार
नाचते हैं मोर गाते हैं झूमकर यह बहार।
सजती -धजती महिलाएं हरी चुनरी में,
सोलह श्रृंगार करके चली बगिया में झूला झूलने।
मेहंदी रचे हाथ कंगन की खनक है
सावन के गीतों में प्रेम की चहक है।
गुलाबी नगरी की सड़कों पर झांकियों की अनुपम शोभा
तीज माता की आराधना मन में है उत्सव की लहर।
प्यारी तीज के इस पर्व पर सब मिलकर मनाएं
प्रकृति संग जीवन का आनंद हम सभी गाएं।
इस त्योहार की खुशबू से जीवन महकाएं,
प्रेम और सौहार्द की लहर हर दिल में बसाएं।


रेनू शब्दमुखर. 
प्रधान सम्पादिका 
जयपुर 
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लघु कविता 

पपीहे की सुन जरा पुकार,
रिमझिम फुहार,



सुन जरा... ओ री सखी!...सुन जरा,
सावन के बोल सुन जरा।
चल बगिया में झूले लगा लें ,
कजरी की धुन पर पेंग बढ़ा लें,
आ चल गगन को छू लें आज।
सुन जरा... ओ री सखी!...सुन जरा,
ओढ़ के हरी चुनरी,मेहंदी रचा के,
पिया के प्यार  के रंग में गा के,
हरी चूड़ियों की खनक की धुन सजा।
सुन जरा... ओ री सखी!...सुन जरा,
 धान की हरियाली,रिमझिम फुहार,
पपीहे की सुन जरा पुकार,
काली बदरी,बिजली की चमकार,
पुरवइया के बोल सुन जरा, 
सुन जरा... ओ री सखी!...सुन जरा।  
 हर हर गंगे की जयकार,
नमः शिवाय, जल की धार,
चल पड़ी कावरियों की कतार,
विल्व पत्र,सिर पर सजा मदार,
सावन तो लाए शिव का प्यार,
सुन जरा... ओ री सखी!...सुन जरा।  
बहना भेज के भी राखी,
बाट जोहती रहती है,
हर आहट पर ही लगता है,
जैसे भाई की ही हो पुकार,
रक्षा बंधन लाए बहना का दुलार।
सुन जरा... ओ री सखी!...सुन जरा।
  

नीलम पांडेय 
प्रधान सम्पादिका 
वाराणसी 
  ---------------

शिव भजन. 


डॉ.आर. के. दूबे.
संपादक.  



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लघु कविता. पृष्ठ : ८  

 पुकार रही है राधिका.
 कान्हा कब आओगे तुम ?


नीलम पांडेय 
वाराणसी.

 
 
बंशी बजा कर आओ कान्हा जी।
पुकार रही है राधिका ,
उसी कदम की डाल के नीचे।
सज धज के सारी गोपियां,
महारास को रहीं पुकार।
सुनने को बंसी की धुन,
है तैयार भारत फिर से।
कान्हा कब आओगे तुम ?


कुरुक्षेत्र में है अर्जुन फिर से,
चीरहरण हो रहा द्रोपदी का,
कंस,बकासुर,पूतना ने,
जमकर उधम मचाया है।
शिशुपाल के जैसे कितने,
ललकार रहे हैं आज फिर से।
दुर्योधन के चक्रव्यूह में,
फंस गया अभिमन्यु फिर से।
कान्हा कब आओगे तुम ?


बंशी बजा कर आओ कान्हा जी।
शर शय्या पर भीष्म पितामह,
पड़े पुकार रहे हैं फिर से,
भटकने लगे हैं पांडव वन में,
लौह गृह हो गया है तैयार।
बंसी बजा कर आओ कान्हा जी।
गुरु द्रोण ने अंगूठा फिर से,
है काट लिया एकलव्य का।
कान्हा कब आओगे तुम ? 

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 कही अनकही : सम्पादकीय : पृष्ठ : ९  
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संपादन. 
डॉ.सुनीता रंजीता प्रिया .
नैनीताल डेस्क.
पहला शब्द दुबारा पढ़ लो. 
ख्याल.


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 आज  का समाचारहिंदी अनुभाग. पृष्ठ : १०  .
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समाचार संपादन.

 
रंजना.स्वतंत्र लेखिका 
नई दिल्ली. 
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रक्षा बंधन विशेष समाचार 

उ  / सां / र  / स. १०  /०.

कुमाऊं में परंपरागत तौर पर ‘जन्यो-पुन्यू’ के रूप में मनाया जाता है रक्षाबंधन.
स्तंभ संपादन सज्जा 


बीना जोशी 
नैनीताल 

आलेख : डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल.
वरिष्ठ संपादक : ब्लॉग मैगज़ीन 
  
 ‘ जन्यो पुन्यू ’ ‘ रक्षा पून्यू ’ के रूप में मनाया जाने वाला लोक पर्व रक्षाबंधन

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल । वैश्वीकरण के दौर में लोक पर्व भी अपना मूल स्वरूप खोकर अपने से अन्य बड़े त्योहार में स्वयं को विलीन करते जा रहे हैं। उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के पर्वतीय क्षेत्रों का सबसे पवित्र त्यौहार माना जाने वाला ‘जन्यो पुन्यू’ यानी जनेऊ पूर्णिमा और देवीधूरा सहित कुछ स्थानों पर ‘रक्षा पून्यू’ के रूप में मनाया जाने वाला लोक पर्व रक्षाबंधन के त्योहार में समाहित हो गया है।
श्रावणी पूर्णिमा के दिन मनाए जाने इस त्योहार पर परंपरागत तौर पर उत्तराखंड में पंडित-पुरोहित अपने यजमानों को अपने हाथों से बनाई गई जनेऊ (यज्ञोपवीत) का वितरण आवश्यक रूप से नियमपूर्वक करते थे, जिसे इस पर्व के दिन सुबह स्नान-ध्यान के बाद यजमानों के द्वारा गायत्री मंत्र के साथ धारण किया जाता था। इस प्रकार यह लोक-पर्व भाई-बहन से अधिक यजमानों की रक्षा का लोक पर्व रहा है।
इस दिन देवीधूरा में प्रसिद्ध बग्वाल का आयोजन होता है। साथ ही अनेक स्थानों पर बटुकों के सामूहिक यज्ञोपवीत धारण कराने के उपनयन संस्कार भी कराए जाते हैं। इस दौरान भद्रा काल का विशेष ध्यान रखा जाता है। भद्रा काल में रक्षाबंधन, यज्ञोपवीत धारण एवं रक्षा धागे - मौली बांधना वर्जित रहता है।
इसके अलावा भी इस दिन वृत्तिवान ब्राह्मण अपने यजमानों को यज्ञोपवीत धारण करवाकर तथा रक्षा-धागा बांधकर दक्षिणा लेते हैं। वह सुबह ही अपने यजमानों के घर जाकर उन्हें खास तौर पर हाथ से तकली पर कातकर तैयार किए गए रक्षा धागे ‘येन बद्धो बली राजा, रक्षेः मा चल मा चल’ मंत्र का उच्चारण करते हुए पुरुषों के दांए और महिलाओं के बांए हाथ में बांधते हैं।
प्राचीन काल में यह परंपरा श्रत्रिय राजाओं को पंडितों द्वारा युद्ध आदि के लिए रक्षा कवच प्रदान करने का उपक्रम थी। रक्षा धागे और जनेऊ तैयार करने के लिए पंडितों-पुरोहितों के द्वारा महीनों पहले से तकली पर धागा बनाने की तैयारी की जाती थी। अभी हाल के वर्षों तक पुरोहितों के द्वारा अपने दूर-देश में रहने वाले यजमानों तक भी डाक के जरिए रक्षा धागे भिजवाने के प्रबंध किए जाते थे।




  

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बि / सां / आ / स. १०  /० .

सोल्लास मनाया गया समस्त बिहार के डी ए वी पब्लिक स्कूलों में ७७ वां स्वतंत्रता दिवस.

समाचार संकलन /  डॉ. सुनीता रंजीता.  


संवाद सूत्र / पटना. प्रगति के पथ पर अग्रसर भारत के पुष्प भी वीरों की पग की धूल में मिल जाने की चाहत रखने वाले हैं। अपनी जान की फिक्र तो हर जीव को होती है, इतिहास तो वे रचते हैं जो दूसरों की हिफाजत में फना होने का जज़्बा रखते हैं। 
कृण्वन्तो  विश्वमार्यम  बनाने के लिए समर्पित उन भारतीयों को भी सलाम जो दुनियाँ जहाँ के तमाम ताने सुनने के बाद भी सम्यक साथ, सम्यक दर्शन के लिए अपना सम्यक कर्म नहीं छोड़ते हैं । उन शक्तियों को नमन जो कर्म वीरों को प्रोत्साहित करने का अटूट हौसला रखती हैं । आये इस ७७ वां स्वतंत्रता दिवस के पावन उपलक्ष्य पर उन जागृत शक्तियों के लिए हम इस बात की शपथ ले कि हम उन्हें वो खुला आसमाँ देंगे  जिस गगन में  वो निर्वाध रूप से हौसलों की उड़ान भर सकेंगी। जय हिन्द। जय भारत।   
बिहार स्थित विभिन्न डी ए वी पब्लिक स्कूलों यथा गया, नवादा , मोहनिया, सासाराम, पटना, भागलपुर बेगूसराय, पूर्णिया ,समस्तीपुर,दरभंगा, मुजफ्फरपुर  तथा नालंदा  में वहाँ के प्राचार्यों, ने घर घर तिरंगा लहराने के क्रम में अपने अपने संस्थानों में भी ध्जारोहण कर तिरंगे को सलामी दी । शिक्षक - शिक्षिकाओं एवं विधार्थियों के सामने ध्जारोहण के साथ ही समस्त  डी ए वी पब्लिक स्कूलों के परिसर राष्ट्रीय गान : जन गण मन की ध्वनि तथा डी ए वी गान से गूंज उठा। भारत माता की जय..... स्वतंत्रता दिवस अमर रहे....के जय घोष में डूबा डी ए वी परिवार देश भक्ति के रंग में रंगा हुआ दिखा । बच्चों के द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम देश भक्ति का जज़्बा जगाने वाला था। 
विशेष कर नालंदा, बिहार शरीफ डी. ए. वी. पब्लिक स्कूल में महाभारत के सार प्रसंग के निमित नारी शक्ति,उनके अस्तित्व तथा उनकी स्मिता को अक्षुण्ण रखने का सन्देश रखने वाली आठवीं वर्ग की छात्रा वर्षा सुमन की नृत्य नाटिका को लोगों ने बहुत सराहा।  

स्वतंत्रता की ७७ वीं वर्षगांठ और सत्य प्रकाश आर्य डी..वी. पब्लिक स्कूल.


अपने महान राष्ट्र भारत की स्वतंत्रता की ७७ वीं वर्षगांठ के पावन अवसर पर बिहारशरीफ के हृदय में अवस्थित पब्लिक स्कूल तथा सत्य प्रकाश आर्य डी..वी. पब्लिक स्कूल के प्रांगण में बच्चों ने कमाल का सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
सत्य प्रकाश आर्य डी..वी. पब्लिक स्कूल में कार्यक्रम की शुरुआत प्राचार्या अंशिमा सिंह के कर - कमलों  द्वारा ध्वजारोहण से हुआ।
अमर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के पश्चात उन्होंने अभिभावकों एवं बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत का भविष्य संवारने वाले नौनिहालों को अपनी संस्कृति से जुड़े रहना है और नैतिक उत्थान करते हुए प्रगति के मार्ग पर अग्रसर होना है। 
आज के सांस्कृतिक कार्यक्रम में एल.के.जी से लेकर आठवीं कक्षा तक के छात्र-छात्राओं ने शिरकत कीनन्हे-मुन्ने बच्चों ने जय हो’ संगीत के साथ झूमकर नृत्य प्रस्तुत किया। 
नव्या ने संस्कृत, सौम्या ने हिंदी एवं मो.अफ़ान ने अंग्रेजी भाषा में अपने ज़ोरदार भाषण प्रस्तुत किए। अनेशा  सरकार और उसकी  सहयोगी छात्राओं ने मधुबन में राधिका के संगीत की लय पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। 
‘ रंगीलो म्हारो ढोलना ’ के संगीत के साथ आद्या प्रताप एवं उसकी सहयोगियों छात्राओं ने अपने मनमोहक अंदाज से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। आशी के समूह ने ऐसा देश है मेरा ’ की प्रस्तुति बहुत ही जोश में की। अंततः यह स्पष्ट परिलक्षित होता जा रहा है कि एस.पी.आर्य डी.. वी स्कूल की प्राचार्या के कुशल निर्देशन में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के नित नवीन मार्ग प्रशस्त हो रहे हैं।

संपादन : सीमा अनीता.  

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बि / सां / आ / स. १० /१.  

पर्यटन नगरी राजगीर में मलमास मास में लगने वाले  मेले की तैयारी शुरू.



पर्यटन नगरी राजगीर का ब्रह्म कुंड : फोटो : संजय कुमार. 

नालंदा / सा. स.  पर्यटन नगरी राजगीर में मलमास मास में लगने वाले मलमास मेले की तैयारी शुरू हो गयी है। मलमास को ही पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस महीने कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है। लोकोक्ति  है कि मलमास के पवित्र महीने में  हिंदू धर्म  के ३३ करोड़  देवी देवताओं का राजगीर में वास होता है। इसलिए  कुंड तथा सप्त धारा में स्नान अत्यंत शुभकारी समझा जाता है।   
कुंभ की तर्ज पर राजगीर के मन मास मेला को वैश्विक पहचान दिलाने की प्रयास में बिहार सरकार के आला अफसर और मंत्री गण लगे हुए  हैं। सूत्रों के मुताबिक १८ जुलाई से १६ अगस्त तक चलने वाले इस भव्य व प्रसिद्ध राजकीय मेला का उद्घाटन १९ जुलाई को बिहार के माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार करेंगे। इसी समय सरस्वती कुंड में  होने वाले गंगा आरती में भी वह शामिल भी होंगे अतः माननीय मुख्यमंत्री  के आगमन को लेकर के जिला प्रशासन तत्पर है। तैयारी बड़ी जोर शोर से चल रही है।  
बिहार राज्य के नालन्दा जिला स्थित विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी राजगीर में मल मास मेले के विधिवत संगीतमय उद्घाटन की आगाज़  के लिए जिले स्थित डी ए भी सहित अन्य सरकारी विद्यालयों के बच्चें प्रयासरत हो गए हैं। इसमें बाल तथा युवा कलाकारों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। ज्ञात हो इस साल यानी २०२३ में मलमास की शुरुआत १८ जुलाई से हो रही है। सनातन धर्म में मलमास या अधिक मास का बहुत महत्व माना गया है। 
भारतीय ज्योतिष के अनुसार हर तीन साल पर अधिकमास यानी मलमास आते हैं। इस साल मलमास १८  जुलाई से १६ अगस्त तक रहेगा।


आलेख / डॉ. सुनीता रंजीता.  
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 कोलाज : त्योहार : सभ्यता और संस्कृति : आजकल : फोटो दीर्घा : पृष्ठ : ११.
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संपादन.

सुमन 
नई दिल्ली.

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रक्षा बंधन विशेष : फोटो दीर्घा : पृष्ठ : ११.
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संपादन.


 
रश्मि रत्ना 
वाराणसी. 

 
भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना : फोटो : रेनू शब्द मुखर : जयपुर 

भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना : छोटी बहन को न भुलाना : फोटो : शैली : मुंबई 
रक्षा बंधन का त्योहार : फोटो : यादें : रिम्मी : पुणे 
 
देश के नौनिहाल की स्वाधीनता दिवस की कलात्मक प्रस्तुति : कोलाज : विदिशा 

बहना ने भाई की कलाई पर प्यार बांधा है : फोटो : अनिता पांडेय : इलाहाबाद
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 कल का समाचार. हिंदी अनुभाग. पृष्ठ : १२  . 
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समाचार संपादक .

 
डॉ.नूतन स्मृति. 
देहरादून. 
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बि / सां / स : १२ / १.

  यही वो देव स्थल है जहाँ योगी भगवान श्री कृष्ण को भी धर्म के संरक्षण के लिए  आना पड़ा था   
मगध की गौरव शाली सांस्कृतिक परंपरा : राजगीर महोत्सव.
 आलेख : डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया .  
 
एक मनोरम पर्यटन स्थल : राजगृह. फोटो : विदिशा.  

राजगृह पूर्व प्राचीन महाजनपद मगध की पहली राजधानी रही थी जहाँ बिम्बिसार तथा अजातशत्रु जैसे यशस्वी सम्राट कभी शासन किया करते थे। पंच पहाड़ियों से घिरी यही राजगीर बुद्ध ,महावीर,मख्दूम बाबा ,नानक की तपस्या और कर्म की भी पवित्र स्थली बनी जो अपनी ऐतिहासिकता के लिए विश्व प्रसिद्ध
रहीं  हैं । 
यही वो देव स्थल है जहाँ योगी भगवान श्री कृष्ण को धर्म के संरक्षण भी आना पड़ा था । यदि आप भूले नहीं तो मगध सम्राट जरासंध के अत्याचार से निस्तार दिलाने श्री कृष्ण पांडव के साथ राजगृह पधारे थे। उनके रथों के निशान अभी भी देखे जा सकते हैं। और कई दिनों के मल्ल युद्ध में अंततः अति बलशाली भीम से केशव ने बड़ी चतुराई से जरासंध का वध करवाया था। 
माने तो राजगीर पूरे विश्व के मान चित्र में गरम कुंड, झरनें, पांच मनोरम पहाड़ियों के नैसर्गिक सौंदर्य के लिए विश्व विख्यात रहीं है। हमें जानना चाहिए वही दूसरी तरफ मगध की सभ्यता संस्कृति को जीवंत करने वाली राजगीर महोत्सव को लेकर ९० के दशक से समस्त भारत में चर्चित होती  रही है। बताते चले इस संस्कृति की परम्परा की शुरुआत बिहार सरकार की पहल पर साल  १९८६ में  की गयी थी जो आज तक़ और अभी तक जारी है। उल्लेखनीय तौर पर राजगीर महोत्सव का आयोजन पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन के संयुक्त प्रयास द्वारा किया जाता रहा है जिसे दिनों दिन लोकप्रियता ही मिलती रही। 

राजगीर महोत्सव - २०२२ की गौरवशाली परम्परा की शुरुआत.

राजगीर महोत्सव - २०२२ : पुनः इस वर्ष भी आज दिनांक २९ नवंबर को  राजगीर महोत्सव - २०२२ की गौरवशाली परम्परा का उद्घाटन माननीय मंत्री वित्त विभाग-सह-प्रभारी मंत्री नालंदा श्री विजय कुमार चौधरी के कर कमलों द्वारा किया गया। इस अवसर पर माननीय मंत्री ग्रामीण विकास विभाग श्री श्रवण कुमार, माननीय विधायक राजगीर श्री कौशल किशोर, जिला परिषद उपाध्यक्ष श्रीमती अनुराधा देवी, सचिव पर्यटन विभाग श्री अभय कुमार सिंह, प्रबंध निदेशक बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम श्री कँवल तनुज, निदेशक पर्यटन श्री यशस्पति मिश्रा, उपविकास आयुक्त,नगर आयुक्त, अपर समाहर्ता सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहें। राजगीर महोत्सव के अवसर पर ग्राम श्री मेला तथा विभिन्न स्टॉल का निर्माण किया गया।  
राजगीर महोत्सव :  २०२२ की गौरवशाली परम्परा की शुरुआत.राजगीर महोत्सव में २९ नवंबर  संध्या ६ बजे लेजर शो के माध्यम से राजगीर के पुरातन से लेकर आधुनिक विरासत पर आधारित चित्रण किया गया । लगभग २० मिनट के लेजर शो के माध्यम से राजगीर के पुरातन से लेकर आधुनिक यात्रा के बारे में स्टेट गेस्ट हाउस मैदान में स्थित कंसोल द्वारा वैभारगिरी पर्वत पर चित्रण दिखाया गया ।
आलेख संपादन : अनीता जब्बलपुर . 


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    वा  / स / आ . १२  / २.
   
वर्तमान परिवेश में शिक्षक की भूमिका बहुआयामी.
नीलम पांडे. वाराणसी. 


'...अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया । 
...........चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः .........'  

इस कथन से जिस गुरु - शिष्य परंपरा का आरंभ हुआ, कबीर ने उस परंपरा को " गुरू कुम्हार शिष कुंभ है, गढि-गढि काढै खोट"- कहकर आगे बढ़ाया ; फिर स्वामी विवेकानंद जी से होते हुए स्वामी दयानंद सरस्वती तक पहुँचने तक की यात्रा पर गौर करें तो स्पष्ट है कि वैदिक काल में शिक्षा को व्यवस्थित रूप देने के क्रम में सर्वप्रथम जो दो प्रश्न उभरे उनमें प्रथम ‘क्या’ सिखाया जाए तथा द्वितीय ‘कैसे’ सिखाया जाए ? थे।डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म दिवस शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाना निःसंदेह सुखद अनुभव है। प्रथम उपराष्ट्रपति , द्वितीय राष्ट्रपति, महान शिक्षाविद्,डा. कृष्णन ने आधुनिक भारत में शिक्षक के महत्त्व को समझाने का जो रास्ता तैयार किया, अभूतपूर्व है। 
इन प्रश्नों के अन्तर्गत उन विषयों का समावेश हुआ जिनके ज्ञान से मानव, समाज में उपयोगी भूमिका निभाने में सक्षम हो सका। 
गुरुकुलीय शिक्षा का मूल उद्देश्य आध्यात्मिक विकास और चरित्र निर्माण के साथ विद्यार्थी को स्वावलंबी बनाना तथा भावी जीवन की चुनौतियों के लिए तैयार करना था। आध्यात्मिक विकास को अलग कर दें तो आज भी शिक्षा- दीक्षा का मूल उद्धेश्य यही है। शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए संकल्पित वर्तमान परिवेश में शिक्षक की भूमिका बहुआयामी हो चुकी है। दो वर्षों के कठिन कोरोना काल से लेकर अब तक ज्ञानार्जन के तमाम संसाधनों के बीच से गुजरते हुए आज भी शिक्षक की प्रासंगिकता बनी हुई है। ज्ञान और विज्ञान के साथ व्यक्तित्व के विकास की धुरी आज भी शिक्षक ही है।
महान शिक्षाविद् डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को उनके जन्मदिन पर शत - शत नमन - वंदन। उनकी इच्छा का पूरा -पूरा सम्मान करते हुए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में मौजूद अपने गुरु को भी नमन। जिनसे प्राप्त आत्मज्ञान हम सबके बौद्धिक और आध्यात्मिक ज्ञान का आधार है।

आलेख संपादन : सीमा धवन. 
कोलकोता. 
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    बि / स / आ . १२   / ३ .

छोटी सी मुलाकात में एक छोटी सी बात.
डॉ. आर. के. दुबे. सहायक संपादक.  

" बिहार - विहान " कार्यक्रम में भाग लेते संपादक डॉ. आर. के. दुबे.

पटना / डॉ. आर. के. दुबे. ६ अगस्त २०२२  की सुबह उठते ही मुझमें तत्परता समा गई थी। कारण दूरदर्शन केन्द्र पटना बिहार का आमंत्रण एक विशिष्ट प्रतिभा के रूप में " बिहार -विहान " कार्यक्रम के लिए स्वीकार जो कर लिया था। आज साढ़े सात बजे तक दूरदर्शन स्टूडियो पहुंचना था। 
डी ए वी से ये संस्कार तो मिला ही है। हम समय के पाबंद ज़रूर है। सात बज कर पच्चीस मिनट तक मैं दूरदर्शन केन्द्र के स्टूडियो पहुंच गया। मुलाकात हुई मेरे कार्यक्रम के होस्ट प्रेरणा प्रताप से। फिर मेकअप रुम से निवृत्त होकर स्टूडियो में। कैमरों को कैमरा मैन सेट किए और लाइट मैन लाइट। कार्यक्रम का प्रसारण अपने नियत समय पर शुरू हो गया। 
मेरी प्रशंसा में होस्ट  ने मुझे अनुभवी प्राचार्य,  शिक्षाविद,  इतिहासकार और साहित्यकार बताया। चर्चा के मुख्य बिंदु," अनुभूत शिक्षण विधियां, शिक्षण समस्याएं, अभिभावकों की बाल -शिक्षण में सहयोगात्मक भूमिका, इतिहास का हमारे जीवन पर प्रभाव, इतिहास और साहित्य, मेरी साहित्य -साधना एवं सर्जना। 
कार्यक्रम आठ बजे शुरू होकर नौ बजे तक चला। 
यह निर्विवाद सत्य है कि धारणा समय, स्थिति और स्थान विशेष के अनुसार बनती है। इसको अपने अष्टांग योग दर्शन में पातांजली भी स्वीकृति प्रदान करतें हैं। आर. जी.कलिंगवुड के मान्यता में भी "मानव मस्तिष्क अपने सांस्कृतिक परिवेश से अप्रभावित नहीं रहता।" तभी तो तुलसी भी " ताड़ना "और " नियरे " जैसे शब्दों का प्रयोग अपने मानस लेखन में करने से परहेज़ नहीं करते। 
तुलसी बांदा ( यू पी ) के रहने वाले थे जहां ताड़ना का अर्थ समझना और निअर का अर्थ नजदीक है। तब बाल शिक्षण में शिक्षा-परिवेश भी बनाना जरूरी है जिसके निर्माण में स्कूल,शिक्षक और अभिभावक के सम्मिलित प्रयास से ही संभव है।अगर इनमें से एक भी अपने जिम्मेदारी से मुकरे तो बाल मन विकसित के बजाय विकृत हो जाएगा।
शिक्षक का वर्ग संप्रेषण तभी प्रभावी होगा जब वह एक अच्छा प्रेरक होगा। अन्य तकनीक के अलावा इंटरैक्टिव शिक्षण विधि उसे अच्छा प्रेरक बनाने में अच्छी भूमिका अदा करती है। पाठ्यक्रम समाप्ति के बाद सिम्पोजियम विधि से पाठ  के पुनः याद  करने से बाल मन अधिक ग्राही बनता है। 
प्रधानाचार्य को शिक्षकों को समय समय पर प्रोत्साहित भी करना चाहिए। अभिभावकों को भी अपने बच्चों के प्रति जागरूक होना चाहिए। इस तरह हम अधिकांश शिक्षण समस्याओं का समाधान कर पाएंगे।
इतिहास का प्रभाव ही तो है हम आज बेहतरीन भोजन, वस्त्र और आवास पा सकें है। हम ट्राइबलिज्म के बाद, स्लेव सीसटम, सामंतवाद, एरा ऑफ बुलियनस एण्ड मरकैटलिज्म , कैपिटलिज्म और आज प्रजातांत्रिक व्यवस्था के अधीन सुखी जीवन जी रहे हैं। इसी प्रकार आज का हमारा विकसित समाज, संस्कृति, अर्थव्यवस्था आदि इतिहास के प्रभाव से ही तो संभव हुआ है। इतिहास मानवीय समाज के विकास का अगर दस्तावेज है और साहित्य समाज का दर्पण है तो स्पष्ट है कि दोनो में गहरा संबंध है।
जहां तक मेरी साहित्य सर्जना का प्रश्न है तो मैं कई कई किताबें और लेख लिख चुका हूं। मुख्य रूप से मैं कविताएं, गीत, ग़ज़ल हिंदी एवं भोजपुरी में लिखता हूं।

आलेख  संपादन . वनिता. 

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  दि  / स / आ . १२ / ४  .

लेने होंगे हम भारतीय को  पांच प्रण....
डॉ.मधुप.
 

नई दिल्ली, १५ अगस्त २०२२  यानि लाल किले से स्वतंत्रता दिवस को भारत की आजादी की ७५ वीं वर्षगांठ मनाई जा रही थी । हर घर तिरंगे का अभियान भी जारी था ।  लोग उत्साहित होकर अपने अपने घरों में तिरंगे फहरा रहें थे। हमारा देश विविधताओं का देश है। हम सर्वत्र एक ही सन्देश देना चाह रहें थे कि हम एक है। तिरंगा हमारी शान है जो हमें पूरब पश्चिम ,उत्तर दक्षिण के सिरे से जोड़ता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश वासियों के लिए २५ साल का खाका रखा और कहा कि यह तभी कामयाब होगा जब हम सभी भारतीय पांच प्रण लेंगे। 

आज़ादी,अनेकता में एकता  के संरक्षण के लिए सार्थक प्रयास : चित्र विदिशा 

उन्होंने हम सबों से कहा है कि भारतीय समाज आकांक्षाओं से भरा है और इन्हें पूरा करने के लिए हमें ‘ पंच प्रण ’ लेने होंगे जिनके बल पर शत-प्रतिशत विकसित भारत का निर्माण होगा, जो विकास की हर कसौटी पर खरा उतरेगा और जिसके केन्द्र में मानवता होगी। 
माननीय प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ७६ वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से करीब डेढ घंटे तक चले अपने नौवें संबोधन में पंच प्रणों का उल्लेख किया। 
पहला  प्रण : उन्होंने कहा कि सभी देशवासियों को पहला बड़ा संकल्प और प्रण भारत को पूरी तरह विकसित बनाने का लेना होगा। ऐसा विकसित राष्ट्र जो सभी कसौटियों पर खरा उतरे तथा जिसके केन्द्र में मानवता हो। 
दूसरा प्रण : हमारे मन के भीतर यदि गुलामी का कोई भी अंश है तो उसे जड़ से खत्म करना होगा, उससे मुक्ति पानी होगी। 
तीसरा प्रण : तीसरा प्रण हमें अपनी विरासत पर गर्व करने का लेना होगा। 
चौथा प्रण : चौथा प्रण देश में एकता और एकजुटता को बढ़ावा देना का और 
पांचवां प्रण : पांचवां प्रण यह है कि सभी नागरिक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें। 
सच में हमें स्वाधीनता अपार कष्ट एवं असंख्य बलिदानों के बावजूद मिली है । हमें उनकी कुर्बानियों को सदैव याद रखना होगा । किन्तु हमारी जिम्मेदारी भी है कि हम इन स्वाधीनता को बचाए रखने के लिए और देश सेवा के लिए सदैव तत्पर रहें । अपने नागरिक कर्त्तव्यों का पालन करने के  हम स्वयं सदैव प्रेरित हो और दूसरों को प्रेरित करते भी रहें । 

आलेख संपादन : प्रिया. दार्जलिंग.  

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दि  / स / आ . १२  / ५   .

वास्ते  निसार है, मेरा तन, मेरा मन ऐ वतन ! ऐ वतन ! ऐ वतन !
नीलम पांडे. वाराणसी. 

 
जश्न ए आजादी  में डूबा.. मेरा मुल्क, मेरा देश, मेरा ये वतन, कोलाज : ख़ुशी. नई दिल्ली. 


जश्न ए आजादी  में डूबा.. मेरा मुल्क, मेरा देश, मेरा ये वतन, 
शान्ति का, उन्नति का, प्यार का चमन, 
इसके वास्ते  निसार है, मेरा तन, मेरा मन ऐ वतन ! ऐ वतन ! ऐ वतन !

विश्व का सबसे बड़ा गणतंत्र भारत ! सोने की चिड़िया भारत ! विश्व गुरू भारत ! आज अपनी आजादी की पचहत्तरवीं सालगिरह " हर घर तिरंगा " अभियान के साथ मना रहा है। पूरा देश आजादी के इस जश्न को यादगार बनाने में लगा हुआ है। तीन रंगों से सराबोर यह स्वाधीनता दिवस समारोह हर भारतीय को एक सूत्र में पिरोता दिख रहा है। 
पूरे विश्व की नज़र हम पर है और " कुछ तो है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी "
हम भारतीय हैं ही ऐसे कि जो ठान लें वो कर दिखाते हैं । केसरिया रंग जहां हममें ताक़त और हिम्मत भर देता है, सफ़ेद रंग सादगी और सच्चाई से जीवन बिताने की सीख देता है वहीं हरा रंग जीवन में खुशहाली और धरती पर हरियाली का संदेश देने वाला है। 
इन तीन रंगों से सराबोर भारतीय की नज़र समय के चक्र पर भी रहती है जो उसे विजेता बनाने वाली संजीवनी बूटी है। हर भारतवासी भारत मां के उन अमर सपूतों की कृतज्ञ और ऋणी है जिनकी वजह से आज हम " जश्न ए आज़ादी "का हिस्सा हैं। भारत मां के अमर शहीदों ने जिस गर्भ से जन्म लिया उन माताओं बहनों के भी हम ऋणी हैं, जो कभी चुका नहीं सकते । 
प्रगति के पथ पर अग्रसर भारत के पुष्प भी वीरों की पग की धूल में मिल जाने की चाहत रखने वाले हैं। अपनी जान की फिक्र तो हर जीव को होती है, इतिहास तो वे रचते हैं जो दूसरों की हिफाजत में फना होने का जज़्बा रखते हैं। अमर शहीदों को नमन - वंदन करते हुए दिल से सलाम। 
तेरी मिट्टी में मिल जावां, 
गुल बन के मैं खिल जावां 
की ख्वाहिश के साथ  जय हिन्द, जय भारत, वंदेमातरम. 

आलेख संपादन : कंचन  पंत : नैनीताल 


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बि   / स / आ . १२  / ६ .स्वतंत्रता दिवस .

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समाचार.७५ वां स्वतंत्रता दिवस. ५  / ६     
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आज सम्पूर्ण  राष्ट्र पर्व  ७५  वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. 

डी ए वी  बिहारशरीफ़  के  छोटे छोटे बच्चों ने  अपने अपने घरों में ही रह कर  देशभक्ति  की अलख  जगाई. बिहारशरीफ़ / निज प्रतिनिधि : आज सम्पूर्ण देश ७५  वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, यश के स्वर्णिम पृष्ठ पर अंकित है यह क्षण। लोकतंत्र अब युवावस्था को भी पारकर परिपक्वता की राह पर है। देश की प्रगति में हमारे छोटे -छोटे प्रयास सदैव ही महती भूमिका निभाते आए हैं और निभाते रहेंगे।
७५ वे  स्वतंत्रता दिवस पर के शुभ अवसर पर इस कोरोना काल में स्थानीय डी ए वी विद्यालय पावर ग्रीड  एवं शहर स्थित  सत्य प्रकाश आर्य  डी ए वी  बिहारशरीफ़  के  छोटे छोटे बच्चों ने  अपने अपने घरों में ही रह कर  देशभक्ति  की अलख  जगाई। 
संयोजिका रंजीता दास के नेतृत्व में , अनीता  प्रीती सिंह रजनी , विजित , अभय कुमार मिश्रा , तथा  तनु श्री  चौधरी  की देख रेख में गीत, नृत्य , कविता वाचन , फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता  का मनमोहक रंगारंग कार्यक्रम बच्चों  द्वारा ऑनलाइन माध्यम से  प्रस्तुत किया गया।

डी ए वी  के छोटे छोटे बच्चों ने  अपने अपने घरों में ही रह कर  देशभक्ति  की अलख  जगाई.

इसके अलावा छात्र - छात्राओं  के ज्ञान वर्धन के लिए ' भारत को जानो ' के अंतर्गत सवाल - जवाब  का भी आयोजन किया गया था जिसमें उन्होंने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया । ज्ञात हो छात्र छात्राओं  ने अपने दादा - दादी, माता -पिता ,भाई - बहन  तथा  अभिभावकों के साथ अपने अपने घरों में ही राष्ट्रगान गा कर  अपनी सहभागिता सुनिश्चित की और इस राष्ट्रीय पर्व को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया ।
जबकि आज प्रातःकाल  पावर ग्रीड के 
डी जी एम  नीरज सिंह एवं विद्यालय के प्राचार्य  पी सी दास 
की गरिमामय उपस्थिति में विद्यालय परिसर में बड़ी शान से तिरंगा लहराया गया। शिक्षक - शिक्षिकाओं  ने समूह में लयबद्ध होकर राष्ट्र गान गाये । 
प्राचार्य 
७५ वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर
 विद्यालय के प्राचार्य ने कहा कि ,  इस प्रस्तुति में डी ए वी परिवार की राष्ट्रीयता दिखती है देश प्रेम दिखता है । हम सभी राष्ट्र के नव निर्माण के लिए सदैव प्रयत्नशील रहें हैं। और रहेंगे। आज समस्त डी ए वी परिवार ओलम्पिक गोल्ड 
मेडल विजेता नीरज चोपड़ा  पर गर्व रखता है क्योंकि वह भी इसी  डी ए वी परिवार के चमकते सितारे हैं  । 
स्वतंत्रता दिवस की ७४ वी वर्षगांठ पर शिक्षकों की तरफ़ से हिंदी में मुकेश ठाकुर तथा अंग्रेजी में वाम देव झा ने अपने अपने विचार  देश प्रेम के सन्दर्भ में प्रस्तुत किए। 

दिनांक : १५   अगस्त  २०२१.
Copyright @ M. S. Media.
समाचार  संपादन : अनीता : जब्बलपुर .   

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बि   / स / आ . १२ / ७  .समाचार.नवरात्रि.

     

नवरात्रि नौ दिनों तक चलने वाले शक्ति पूजन के स्त्रैण्य रूप का महिमा गान है.

हर तरफ ढाक बजने लगे हैं,मंगलमय मंत्रोच्चार लयबद्ध हो चहुं दिशाओं में गुंजायमान है,आह्लादित नर- नारी भाव विभोर हो प्रतिमा के आगे नतमस्तक हैं। नवरात्रि नौ दिनों तक चलने वाले शक्ति पूजन के स्त्रैण्य रूप का महिमा गान है। माता दुर्गा भुवन मोहिनी है, पालिका हैं,  तो विनाशिका भी। पोषण और संहार द्वय कर्मों का,मृदुलता और कठोरता उभय पक्षों का- अति मनोहर समन्वय है उनका दिव्य रूप। इस दिव्य स्त्री की शक्ति में समाहित है उसके चारों ओर के संपूर्ण सकारात्मक समाज की शक्ति। 
महिषासुर के दुराचार को सुनकर ब्रह्मा, विष्णु और शंकर भगवान के मुंह से पूर्ण क्रोध के कारण उत्पन्न हुए महान तेज एवं अन्य सभी देवताओं के शरीर से भी निकले अतुल तेज जब मिलकर एकाकार हो गए, तब इन सभी के उज्जवलतम सामूहिक स्वरूप से बना एक नारी का शरीर। आग उन्हें शक्ति  देते हैं ,  वायु धनुष, काल चमकती हुई ढाल और तलवार, हिमालय सिंह, वरुण पाश और शंख तो सूर्य देवी के समस्त रोमकूपों में अपनी किरणों का तेज भर देते हैं। जिसके पास जो उत्तम है सब ने दिया देवी को।
नवरात्र की सप्तमी के दिन मंगलवार को माता रानी के पट खुलते ही नवनिर्मित पंडालों और मंदिरों में मां भगवती और उनके रूप के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं,भक़्तजनों  की अनवरत भीड़ सड़कों गलियों में उमड़ पड़ी। समय के साथ जैसे जैसे पट अनावृत होता  गया , लोग माता की झलक पाने के लिए पंडाल के चल पड़े।  इस बार कोरोना वायरस के कारण  प्रशासनिक अनुमति के कारण कुछेक  जगह पर ही पंडाल का रूप दिया गया है।  लेकिन प्रतिमा काफी भव्य बनाया गयी  है दिखता हैं कि पूजा पंडालों के निर्माण में काफ़ी ख़र्च किया गया हैं। माता का एक से एक बढ़कर भव्य रुप देखने को मिल रहा हैं। 

समाचार  संपादन : डॉ.सुनीता रंजीता : नैनीताल. 


                  
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देश  / विदेश. कला दर्पण  
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दे   / सां  /  क  / स . १२ / ८  .समाचार.कला .

राष्ट्रीय कला शिविर आजादी का अमृत महोत्सव आरंभ.

आजादी का अमृत महोत्सव के तहत राष्ट्रीय कला शिविर का शुभारंभ : फोटो प्रवीण 

बहजोई / प्रवीण कुमार सैनी. १५ अप्रैल, उत्तर प्रदेश राज्य कला अकादमी एवं उड़ान आर्टिस्ट ग्रुप बबराला के संयुक्त तत्वावधान में आजादी का अमृत महोत्सव के तहत राष्ट्रीय कला शिविर का शुभारंभ बहजोई के डीएम श्री संजीव रंजन के मुख्य आतिथ्य  व पुलिस अधीक्षक श्री चक्रेश मिश्रा के सानिध्य में चंदोसी रोड़ स्थित डीएम आवास पर किया गया।
उड़ान आर्टिस्ट ग्रुप बबराला की संचालिका ममता राजपूत ने बताया कि शिविर का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित कर मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण के साथ किया गया। ग्रुप के सदस्यों ने अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया।  इस शिविर में उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, गुजरात के साथ ही पड़ौसी देश नेपाल के लुंबिनी विश्व शांति मंच के कलाकार भी अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश ललित कला अकादमी के सदस्य प्रवीण सैनी के अनुसार भारत की आज़ादी के ७५ साल होने पर आजादी का अमृत महोत्सव के तहत आयोजित इस शिविर में उतर प्रदेश के प्रवीण सैनी, अनुपम राघव, एल्फी कुमारी, कृपाशंकर अयोध्या, अनुपूर्णा पाठक, श्रीपाल सिंह, महेंद्र, नवनीत, ह्रदयेश, पारस, राजस्थान के बिरदीचन्द मालाकार (सैनी), राजेश कुमार शर्मा, मुकेश कुमार कुमावत, गुलाब कुमावत, डॉ अंचल अरविंद,  सुन्दर काठात, पिंकू, मुम्बई के तरूणेश शर्मा, गुजरात के फ्रांसीस जान डेविड, नेपाल के वासु गौतम, नरबहादुर विश्वकर्मा, दामोदर बराल, दीपक मेहला, प्रीतम थापा, दिनेश्वर मेहतो, सरोज मेहतो सहित अन्य कलाकार अपनी अपनी शैली में आजादी के उत्सव को प्रदर्शित कर रहे हैं। 
यह कला शिविर १६ अप्रैल तक चलेगा तथा नगर के कलाकारों एवं कला में अभिरुचि रखने वाले दर्शकों के अवलोकन के लिए खुला रहेगा। कार्यक्रम का संचालन उत्तर प्रदेश राज्य कला अकादमी के प्रवीण सैनी व उड़ान आर्टिस्ट ग्रुप की संचालिका ममता राजपूत ने किया।
समाचार  संपादन : माधवी  : नैनीताल . 


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प्रदेश  /  संस्कृति दर्पण  
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बि    / सां  /  क  / स . १२  / ९  .समाचार. संस्कृति .


वैदिक धर्म संवर्द्धन हेतु शहर में निकली एस.पी.आर्य डी.ए.वी.पब्लिक स्कूल की शोभायात्रा. 

कार्यक्रम का उद्घाटन करते डी.ए.वी.स्कूल्स,बिहार प्रक्षेत्र - डी के क्षेत्रीय निदेशक, कमल  किशोर सिन्हा

संवाद सूत्र / नालंदा . विदित हो कि आर्य समाज के ८९ वें वार्षिकोत्सव के पावन अवसर पर बिहार आर्य उप प्रतिनिधि सभा, आर्य समाज मथुरिया मोहल्ला बिहारशरीफ नालंदा के संयुक्त तत्वावधान में वैदिक धर्म संवर्द्धन समारोह सह राष्ट्र रक्षा महायज्ञ का आयोजन हुआ। आज इसको लेकर डी.ए.वी.पब्लिक स्कूल में आज उत्सव का वातावरण रहा।
कार्यक्रम का उद्घाटन श्री कमल किशोर सिन्हा , क्षेत्रीय निदेशक, डी.ए.वी.स्कूल्स,बिहार प्रक्षेत्र -डी , 
के कर कमलों से सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर उनके द्वारा ‛आर्य प्रहरी ’ पत्रिका का विमोचन भी किया गया। अपने भाषण में उन्होंने आर्य समाज की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए उपस्थित जनों को स्वामी दयानन्द की याद दिलाते हुए आम जनों से वेदों  की ओर लौटने का संदेश दिया। उन्होंने बताया कि वेदों का अनुसरण करके हम अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।


एस.पी.आर्य डी.ए.वी.पब्लिक स्कूल के बच्चों ने वैदिक धर्म संवर्द्धन हेतु निकाली शोभा यात्रा 

इस अवसर पर स्थानीय सत्य प्रकाश आर्य डी.ए.वी.स्कूल्स के बच्चों की तरफ से शोभायात्रा भी निकाली गयी , जिसमें एस.पी.आर्य डी.ए.वी.स्कूल्स के शिक्षक, शिक्षिकाओं ,छात्र ,छात्राओं ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। विद्यालय की प्राचार्या श्रीमती अंशिमा सिंह के कुशल नेतृत्व तथा देख रेख में  विद्यालय के शिक्षक- शिक्षिकाओं , शिक्षकेत्तर कर्मचारियों ने शोभायात्रा में बच्चों का भरपूर ध्यान रखा और उनका उत्साह बर्धन करते रहें ।
उन बच्चों का शहर के मुख्य मार्ग से निकाली गयी शोभा यात्रा में उत्साह देखने लायक था। आर्य समाज के निहित सन्देश यथा समस्त जगत को आर्य बनाएं को लेकर विद्यालय के विधार्थियों ने शहर में शोभा यात्रा निकाली थी जो शहर के मुख्य मार्ग से गुजरा और सब के आकर्षण का केंद्रविंदु बना । यथार्थतः इसका स्थानीय जन मानस पर व्यापक प्रभाव पड़ा ,लोगों ने इस उद्देश्य पूर्ण शोभा यात्रा की प्रशंसा की और इसे अत्यंत सराहनीय बतलाया । ज्ञात हो इससे हमारे भीतर हमारी भारतीय समृद्ध वैदिक परंपरा की नीवें ही मजबूत होगी और हम सभी नैतिक उत्थान की ओर प्रवृत होंगे। 


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समाचार.वैदिक सभ्यता . 
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वैदिक धर्म संवर्द्धन हेतु शहर में निकली एस.पी.आर्य डी.ए.वी.पब्लिक स्कूल की शोभायात्रा. 

कार्यक्रम का उद्घाटन करते डी.ए.वी.स्कूल्स, बिहार प्रक्षेत्र - डी के क्षेत्रीय निदेशक, कमल  किशोर सिन्हा

संवाद सूत्र / नालंदा . विदित हो कि आर्य समाज के ८९ वें वार्षिकोत्सव के पावन अवसर पर बिहार आर्य उप प्रतिनिधि सभा, आर्य समाज मथुरिया मोहल्ला बिहारशरीफ नालंदा के संयुक्त तत्वावधान में वैदिक धर्म संवर्द्धन समारोह सह राष्ट्र रक्षा महायज्ञ का आयोजन हुआ। आज इसको लेकर डी.ए.वी.पब्लिक स्कूल में आज उत्सव का वातावरण रहा।
कार्यक्रम का उद्घाटन श्री कमल किशोर सिन्हा , क्षेत्रीय निदेशक, डी.ए.वी.स्कूल्स,बिहार प्रक्षेत्र -डी , 
के कर कमलों से सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर उनके द्वारा ‛आर्य प्रहरी ’ पत्रिका का विमोचन भी किया गया। अपने भाषण में उन्होंने आर्य समाज की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए उपस्थित जनों को स्वामी दयानन्द की याद दिलाते हुए आम जनों से वेदों  की ओर लौटने का संदेश दिया। उन्होंने बताया कि वेदों का अनुसरण करके हम अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।


एस.पी.आर्य डी.ए.वी.पब्लिक स्कूल के बच्चों ने वैदिक धर्म संवर्द्धन हेतु निकाली शोभा यात्रा 

इस अवसर पर स्थानीय सत्य प्रकाश आर्य डी.ए.वी.स्कूल्स के बच्चों की तरफ से शोभायात्रा भी निकाली गयी , जिसमें एस.पी.आर्य डी.ए.वी.स्कूल्स के शिक्षक, शिक्षिकाओं ,छात्र ,छात्राओं ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। विद्यालय की प्राचार्या श्रीमती अंशिमा सिंह के कुशल नेतृत्व तथा देख रेख में  विद्यालय के शिक्षक- शिक्षिकाओं , शिक्षकेत्तर कर्मचारियों ने शोभायात्रा में बच्चों का भरपूर ध्यान रखा और उनका उत्साह बर्धन करते रहें ।
उन बच्चों का शहर के मुख्य मार्ग से निकाली गयी शोभा यात्रा में उत्साह देखने लायक था। आर्य समाज के निहित सन्देश यथा समस्त जगत को आर्य बनाएं को लेकर विद्यालय के विधार्थियों ने शहर में शोभा यात्रा निकाली थी जो शहर के मुख्य मार्ग से गुजरा और सब के आकर्षण का केंद्रविंदु बना । यथार्थतः इसका स्थानीय जन मानस पर व्यापक प्रभाव पड़ा ,लोगों ने इस उद्देश्य पूर्ण शोभा यात्रा की प्रशंसा की और इसे अत्यंत सराहनीय बतलाया । ज्ञात हो इससे हमारे भीतर हमारी भारतीय समृद्ध वैदिक परंपरा की नीवें ही मजबूत होगी और हम सभी नैतिक उत्थान की ओर प्रवृत होंगे। 

समाचार  संपादन : सीमा  : कोलकोता . 

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कोलाज  कल के : दीर्घा . हिंदी अनुभाग. कलआज : पृष्ठ १२ / ०१ . 
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संपादन.


मानसी पंत  / नैनीताल .

विभिन्नता में एकता खोजने की कोशिश : अमन का शहर : बिहारशरीफ : कोलाज  : विदिशा 


 
शिव लोक हॉस्पिटल : डॉ. बृज भूषण सिन्हा.नालन्दा : समर्थित :
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विज़ुअल्स : शॉर्ट रील : लघु फिल्में : चलो  री  : पृष्ठ : १२  
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  संपादन.


 मीना भारती.   
नैनीताल 

 साभार : ख़ुशी : देहरा दून : उत्तराखंड 

फूल आहिस्ता फेंको फूल बड़े नाजुक होते है 


दिल जो न कह सका वही राजे दिल कहने की रात आई 

 चलो सजना जहाँ तक घटा चले 


तराने : फिल्म : शर्मीली : शॉर्ट रील : कल रहे न रहें 

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आपने कहा : फोटो : समाचार : चलते चलते :  दिवस : शुभकामनाएं : पृष्ठ : १३. 
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संपादन.
 
वनिता 
शिमला 
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आपने कहा :  
फोटो : समाचार : पृष्ठ : १३ / ० . 
 
गत रात्रि : लैंड स्लाइड में तबाह हुई नैनीताल की इतिहास : टिफ़िन टॉप की  डोर्थी सीट 
मौके पर पहुंचें एस डी एम : प्रमोद कुमार : डोर्थी सीट : कल आज.... और कल क्या होगा ? फोटो : मीडिया
 
टिफिन टॉप में लैंड स्लाइड 


टिफिन टॉप में लैंड स्लाइड 
यूट्यूब : न्यूज़ लिंक : साभार : प्रमोद कुमार 
समाचार देखने व सुनने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 
https://youtu.be/abl3cCxPcpg?si=UvfB9m-i1pCbzpug 



दिवस विशेष : शुभकामनाएं : पृष्ठ : १३ / १ 


शक्ति सीमा अनीता 
कोलकोता डेस्क. 

"..प्रकृति ,संस्कृति , पर्यावरण को समर्पित देवभूमि
उत्तराखण्ड के लोकपर्व 
हरेला की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ..."

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दिवस विशेष : रक्षा बंधन : शुभकामनाएं : पृष्ठ : १३ / १ / १ . 
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संपादन 
रश्मि रत्ना.

 
वाराणसी.

चित्र : सन्देश 

भाई बहन के रिश्तें में पूरी मिठास हो 


तेरे ' सब ' देखे ' अनदेखे '  सपने पूरे हो. 


हमारी पसंद का गाना रक्षा बंधन विशेष 
फ़िल्म : काजल. १९६५ 
सितारे : मीना कुमारी शैलेश कुमार 
गाना : मेरे ' भइया ' मेरे ' चंदा ' मेरे अनमोल रतन
गीत : साहिर लुधियानवी संगीत : रवि. गायिका : आशा भोसले
 

गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 
रक्षा बंधन की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं
 
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English Section. Cover Page : 0 .
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Cover Page : Editor : Vidisha. the Victory of Shakti over evils. 
an Idol  of Godess  Durga Moiddinagar Biharsharif.2021 : Photo Dr. Sunita Madhup.

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English Section. Editorial Page : 1 .
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Tri - Shakti Powered, Processed & Promoted.




In Association with Nav Shakti.
 Mahashakti.
Contents : English 
English Section. Editorial Page : 0 .
Thought of the Day : Page :  1
Lines  of the Day : Page : 2 
 Contents : Art of the Day. Page : 3.
News of the Day. Contents Page : 4.
Photo Gallery. Present .Page : 5.
News of Yesterdays. Contents Page : 6.
Photo Gallery Past. Culture / Festival Page : 7.
You Said It : Page : 8.


English Section. Editorial Page : 1 .

Editorial 

Chief Editor 

Prof. Dr. Roop Kala Prasad 
Patna.

Executive Editor.
Nainital Desk.


Dr. Sunita Ranjita Priya 

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Asst. Executive Editor.
Kolkotta Desk .

Bhagwanti Seema Anita

--------------
Editor in Art.


Manjeet. Chandigarh. 
--------------
Editor in Chief.


Dr. Manish Kumar Sinha.
Chairman EDRF. New Delhi.


Mentor Editor.


Dr. R. K. Dubey.


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Guest Editors.
Anupam Singh. Dehradun / Mussoorie.
Dr. Amit Kumar Sinha / Ranchi
Dr. Pramod / Patna.
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Observers.
Dr. Raj Kishore Prasad. 
Sr. Consultant Orthopaedician.
Dr. Archana : Apolo Hospital. Kolkota.
 Dr. Rohit Vikas :  Orthopaedician. Pune.
Dr. Prashant :  Health Officer Gujrat.
Dr. Tejpal Singh :  Prof. Nainital. 
A. K. Jana : Educationist.
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Visitors.
Dr. Faizal. M.B.B.S. Health Officer. 
Dr. Suniti Sinha. M.B.B.S. M.S.( OBS Gyn.)
Dr. Sangita Verma M.B.B.S. M.S. Civil Assistant Surgeon.
Dr. Ranjana.
Dr. Ajay Kumar. Eye Specialist.
Anshima Singh. Educationist.
Er. Rishi Kishore. Canada
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Legal Umbrella.


Seema Kumari ( Sr. Advocate)
Sushil Kumar  ( Sr. Advocate)
Ravi Raman ( Sr. Advocate)
Dinesh Kumar ( Sr. Advocate)
Vidisha. ( Lawyer.)
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Photo Editor
Ashok Karan. 
Ex. Photo Editor ( Public Agenda )


Ex. HT Staff Photographer.
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CRs / Writers.
Dr. Amit Kumar Sinha.
Manoj Pandey
Alok Kumar.
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Clips Editors. 
Manvendra Kumar. Live India News 24.
Kumar Saurabh. Public Vibe.
Er. Shiv Kumar. Reporter. India TV 
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Stringers. Abroad
 Shilpi Lal. USA.
Rishi Kishore. Canada.
Kunal Sinha. Kubait.
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Custodian.


Chiranjeev Nath Sinha. A.D.S.P. Lucknow.
Satya Prakash Mishra. S.P.
Vijay Shankar. Retd. Sr. D.S.P.
Raj Kumar Karn. Retd. D.S.P.
Dr. Shivali Nomani. D.S.P.
Dr. Prashant. Health Officer. Gujarat.
Anoop Kumar Sinha. Enterpreneur. New Delhi.
Col. Satish Kumar Sinha. Retd. Hyderabad. 
N. L. Das. Educationist. Veergunj.

Contents Page : 2.
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Thought of the Day : Page :  2 / 0
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Editing & Collection.
 
Seema Singh. 
Kolkotta.


"..Believe in yourself and you will be Unstoppable.."


"..Trust the magic of new beginning.."
"..Follow your dreams they know the way.."
"..You learn something new everyday if you listen.."
"..Let your failures inspire you.."
"...Never say I can't always say I'll try.."
"...Expect nothing appreciate everything..."
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Editorial : Lines  of the Day : Page : 3 
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Editor.
 
' Shakti ' Priya / Darjeeling.
Chief Executive Editor.
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Being Special in One’s Heart
short poem.

The dense feelings of inner voice repeats
The worth of being special in one’s heart
With the sense of every word melting
Down the chain to a relationship of being worth

The thunderbolt sometime hits the speech with a loud crack
Releasing the power to negativity to empower with peace
Show casting the nature of feelings and devoting down the earth
Cherishing the calm and secrets unrevealed.

The hidden secrets are sometime worth to be acknowledged 
When the time comes to forecast the sense of unity
Bounded by the youth of unknown desires to shatter
Behind the self-explanatory note to be judged.

Let the fear vanish with the revolution to turn around
With the expressions of the deep feelings 
Profound to be known to the other person
With gratitude and respect to bound a relation.
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Life is a journey, 
Short Poem 

Life is a journey,

Ups and downs are it's part,
Strangers are rare to be known,
And self respect are to be shown.

Never low down your self,
As you know your value to be counted,
Always shine like a star,
To flourish your self with a smiling care.

The route may be tough,
May be hard to be fought,
Where no one can play with you as a player

 But always remember that you are everywhere,.
Our wishes and our strength lying still for you
Alive in our beating hearts here and there.

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 Contents : Art of the Day. Page : 4.
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 Editor.
 
Manjeet. 
 New Delhi.

Eternal love of Radhe - Krishna : courtesy Art :  Anonymous.

The love of Radha and Krishna is the blissful form of divine regality : Colonel S.K.Sinha.
sharable at. 
Page 9.
Contents. Page.

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News of the Day. Contents Page : 5.
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Editor.


Shakti Ranjita / Nainital desk. 
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T/ N/ I/ D/C 5 / 0.

When the Goddess Indrani tied first rakhi 
to her husband Devraj Indra for the victory.


Shakti Priya / Darjeeling..

festival of love and belief : Raksha Bandhan : between brothers & sisters.

Priya / Darjeeling. We all together unitedly wish you a very Happy Raksha Bandhan. As it has being observed as a festival for protection in Hindu mythology in our mother nation India. Today the holy festival Raksha Bandhan is being widely celebrated throughout India.
When wife Indrani tied first rakhi to her husband Lord Indra : It is a belief since Vedic Period there were many wars between the demons and gods. Goddess Indrani prayed Devguru Brihaspati for the victory of her husband Lord Indra in the continuing war. Guru gave her an enchanted thread to be tied over the wrist of her husband Lord Indra. As a result Lord Indra could assure her victory. 
Brihaspati Ji asked Lord Indra to get a Raksha - Sutra (Rakhi) or chasm tied on his wrist by his wife Sachi – the Indrani. Brihaspati Ji also told Lord Indra that this wristlet should be empowered by the sacred mantras chanted on the full moon day or Shravana Purnima.
A story about the lord Krishna & Draupadi :  Raksha Bandhan is celebrated to remember an ancient story from a Hindu scripture called the Mahabharata. Hinduism has many different gods and Raksha Bandhan is dedicated to a story about the lord Krishna. Krishna had a very strong bond of caring and love with a woman called Draupadi the wife of five Pandavas. Krishna used to call her Sakhi.
And he saved Draupadi while she was misbehaved badly by Dushasana.  
A bond between brother and sister : A bond between brother and sister is marked with a pure and clean heart which is basically known as Raksha Bandhan. On this occasion, a sister ties a rakhi around the wrist of her brother in order to pray for his good health, prosperity and well being. In return , the brother offers the gifts and promises to protect his sister from any harm under any circumstances from the evil forces.
It is celebrated in different ways in different parts of India due to the huge variation in the multi lingual culture. It is such a festival where every brother and sister worships different lords in their own way and ties a Rakhi as a mark of caring, love and  praying for each other.

T/ N/ I/ D/C 5 / 1

The 77th Independence Day Celebration
 a journey through the colors of India's history, culture, and aspirations.

News Report


Seema Singh. 
with E.R.

The 77th Independence Day Celebration was more than just an event ; it was a journey through the colors of India's history, culture, and aspirations. The performances and presentations wove together the threads of unity, diversity, and progress that define our nation. As the sun set on this remarkable day, it left behind a renewed sense of pride, responsibility, and commitment to propel India toward a brighter future.
In a symphony of vibrant hues and jubilant hearts, our school's 77th Independence Day Celebration painted a mesmerizing tableau of unity, culture, and pride. The sun-soaked morning of the 15th of August bore witness to a day that would stand as a testament to the spirit of our nation. The air was abuzz with excitement and patriotism, as our school embarked on its 77th Independence Day Celebration. The campus was adorned with tricolor, fluttering proudly in the breeze, setting the perfect stage for a day filled with joy, pride, and unity.
The celebration commenced with a heartwarming Welcome of the Chief Guest, a gesture that embodied respect and admiration. This marked the prelude to a momentous event that would weave together diverse elements of our country's heritage and aspirations.
As the tricolor unfurled gracefully, accompanied by the resonant strains of the National Anthem and the soul-stirring DAV Gan, a collective sense of reverence for our freedom fighters and their sacrifices swept through the gathering. This Flag Hoisting was not merely a ceremonial act; it was a proclamation of unity and the embodiment of our nation's collective spirit. The stage transformed into a canvas of recognition as bouquets were presented and the Principal's Welcome Address resonated with the audience. The tone was set for a day filled with inspiration, cultural exploration, and the expression of patriotism in myriad forms.
A rhythmic explosion of patriotism ensued as students of Std. 1 took to the stage with a Patriotic Dance. They lit up the stage with a patriotic dance that radiated innocence and fervor. Their spirited performance was a gentle reminder reminding us that the flame of patriotism is kindled at an early age and continues to burn bright.
The youngest stars of our school, the students of LKG and UKG, took center stage with a Fancy Dress Show that brought historical figures, freedom fighters, and iconic personalities to life. 
These little wonders wove a tapestry of history and imagination, showcasing India's diversity through their creative renditions.

These little wonders wove a tapestry of history and imagination : photo : Randheer.

A Blessing by the Guest of Honour infused a spiritual essence into the event, and the felicitation of the Xth and XIIth toppers exemplified the school's commitment to nurturing academic excellence. These bright minds represented hope for the future, bearing the torch of knowledge and progress.
The resonance of unity echoed through the powerful notes of the Patriotic Group Song performed by students from Std. V to Xth, with ' Bharat Maa Ki Santane ' Their harmonious voices painted a vivid picture of a united India, bound by a common thread of patriotism.
The cultural tapestry deepened as students of Std. IX and Xth took the audience on a linguistic journey through a Skit in Sanskrit. This performance not only celebrated the richness of our languages but also showcased the importance of preserving our cultural heritage.
The valor and strength of the nation were on full display as the Karate Team executed a Martial Art Demonstration, symbolizing resilience and discipline. The Pyramid Formation by the Cricket Team underscored the essence of teamwork and solidarity – values that have played a pivotal role in shaping our nation's history.
Adeeba Siddique's English Speech resonated with the audience, encapsulating the essence of freedom, unity, and the potential for positive change. Her words were a call to action, urging us to take the responsibility of shaping our nation's destiny.
Sarthak Gupta's Musical Performance struck a chord in everyone's hearts, and the Group Dance ' Bharat Ki Beti ' by Std. VI students embodied the empowerment of women – a crucial aspect of India's progress.
The afternoon was filled with acknowledgments and admiration as the toppers of Xth and XIIth students were felicitated for their exceptional achievements
The mellifluous melodies of the Patriotic Song ' Ye Dharti Hindustan Ki ' by students from Std. IV to VI evoked emotions of pride and gratitude. These young voices showcased the deep-seated connection between the land and its people.
The stage came alive with the dynamic performance of Raunit Sahay & Lakshya Sahay, whose rendition of "Suno Gaur Se Duniya Walon" conveyed a message of awareness and awakening. Their performance was a reminder that every individual contributes to the nation's transformation.

it was a journey through the colors of India's history, culture, and aspirations.

The vibrancy of "Shubh Din Aayo," a Group Dance by students of Std. VI encapsulated the joy of celebrating freedom and unity. The stage then belonged to Versha Suman, whose Solo Dance to the "Mahabharat Song" left the audience in awe with her graceful expressions and moves. The spirit of sportsmanship and unity took the form of a Duet Dance as Ardhya and Navya, students of Std.XII performed to "Chak de India." Their synergy echoed the nation's collective determination to overcome challenges. Enna Kiran's Hindi Speech mirrored the emotions and aspirations of every citizen, serving as a reminder of the importance of our national identity. Following this, Anushka's Solo Dance, "Lehra Do," wove a tale of freedom and movement through her expressive performance. Gujarati culture came to life with a vibrant Group Dance, "Ye Subharambh Mangal Bela," presented by students of Std. VII. Their spirited performance celebrated the essence of cultural diversity within the nation.
As the celebration neared its crescendo, a resplendent Group Dance by students from Std. VIII to X, set to ' Khetwa me sohe kisan ', paid homage to the tireless farmers who nourish the nation. 
In a moment of serenity and reflection, the Shanti Path concluded the day's festivities. It served as a poignant reminder of the struggles and sacrifices that paved the way for our freedom and the collective responsibility, we share to preserve it.
News Contents Editing :  Shakti Anita.
Jabbalpur.

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Photo Gallery. Present .Page 6.
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Editor.


Shakti Madhavi 
 
Nainital desk.

may our bond of love grow stronger with this Rakhi : Photo : Bhagwanti :Dehradun.

celebration of Raksha Bandhan at Pune : photo : Rimmi.

In a symphony of vibrant hues and jubilant hearts,77th Independence Day : Media.  
a scenic view of  Tara Devi Temple Shimla.: photo Nitin : Shimla.

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News of Yesterdays. Contents Page : 7.
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powered by.
.
Editor.

Priya.
Darjeeling.
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Bihar : Report / News in Archives. Arya Samaj : Balidan Diwas. Page 20  / 0
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Arya Samaji Shraddhanand  Balidan Diwas observed among the children .

Biharsharif / CR . Swami Shraddhanand ,has been  a  social worker , freedom fighter and a great teacher of Arya Samaj whose Balidan Diwas was observed in a great manner at S.P. Arya DAV Public School, Laheri ,Bihar Sharif on 23rd December 2021.On this occasion, speeches were made   and bhajans were sung by the kids and students.
As in the speeches children threw light upon the life of Swami Shraddhanand that he was born on 22 February 1856 in the village of Talwan in the Jalandhar District Jalandhar of the Punjab Province of India . And he served the society and died on 23 rd December at the age of 70.
He was the youngest child in the family of Lala Nanak Chand, who was a Police Inspector in the United Provinces  (now Uttar Pradesh ), then administered by the East India Company . His given name was Brihaspati Vij, but later he was called Munshi Ram Vij by his father, a name that stayed with him till he took sanyas.

children observing the  Arya Samaji Swami Shraddhanand. Balidan Diwas 


Independence activist and an Arya Samajj Sanyasi Arya Samaj Sanyasi who propagated the teachings of Dayanand Saraswati This included the establishment of educational institutions, like the Gurukul Kangari University. and played a key role on the Sangathan (consolidation and organization) and the Shuddhi   (purification), a Hindu Reform Movement in the 1920s.
The Principal of school, Mrs  Anshima Singh, made the students aware of the selfless act and sacrifices by Swami Shraddhanand ,his contribution in Independence movement and female education. She encouraged the students to follow the foot prints of Swamiji for betterment of society at large.

 paying tribute to the Arya Samaji Swami Shraddhanand.


Cpoy right 
@Media Feature  Desk Culture

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Bihar  : Report / News in Archives. Page.20  / 1. Corona Diwali.
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Festival. Talk of the Day. 
Page.12.1. Corona Diwali.
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Deeps and candles being lit to remove the corona darkness . 

a lady lighting the candle at 9.pm 

Biharsharif.CRTonight, at 9:00 pm, the event of lighting the deeps, candles and flashlights of the mobiles in the month of April has been observed by all of the residents of Biharsharif  for nine minutes only. It has been a very much appreciated  and  unforgettable night too.
We witnessed that all the people present in their homes lit the lamps, deeps, candles and mobile torches  and tried to drive away the hopelessness ,darkness and ill effects of coronavirus from their insides . Facing the depression and confinement for last twelve days in our life saddened our life .On the given call of our honorable Prime Minister Shree Narendra Modi ji, by lighting the deeps and candles all of us tried to prove some scientific aspects of lighting the lamp, deeps, candles, torches among us.
And perhaps there is a point in it that somewhere such an action is required  for somewhat religious, social aspects for health and hygiene purposes. And we can spiritualize any activity relates to health, is really betterment for all of  us.
Being freed from all narrow mindedness  of religions, caste and creed  many of us also enjoyed firing crackers with calling  upon the almighty to end the pandemic corona.
Once again in the month of April 2020 , this year unprecedentedly we observed  a scene of Diwali  in Biharsharif by 9 pm to 9.9 pm which we  often  sensed these in the month of October or November or Kartik Amavas.
We celebrate the  Deepawali  is supposed to be a new beginning day for us as we light the diyas to remove our inner darkness.
So tonight it was a moonlight when we all gathered together and lit the diyas and candles. We tried to give the  message to the world in  our way was, 'We all together are united can brave any difficulties like coronavirus. 
With our all capacity we will overcome the ill consequences of carona. By giving  the message to the whole world, we have to stand firmly, we have to unite ourselves for keeping compassion to  save the humanity removing corona effects .
And this is the beginning of a meaningful initiative hidden in the appeal  of Hon'ble Prime Minister of our country  that we have to be united. We have to join our hands together to achieve the aim is to solve the problems presented in front of us related to corona effects.
Report : Dr. Madhup Raman
Date : 5.4.20
Copyright @ M. S. Media.

Photo Gallery : 
photos of corona warriors against coronavirus 

Arial view of Biharsharif town on 5th of April,2020


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Bihar : Report / News in Archives. Page. 20 / 2. Make over Saloon
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Style of the City. Page 12 / 2 . Beauty.
Make over Saloon. Jawed Habib.
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inside the saloon.
CR / Biharsharif : We feel very proud to have the Jawed Habib Saloon ,a  nation wide famous common saloon for male and female has booked a corner in Biharsharif right now near  Atwari Bazar by the November 2020. 
It is a very famous well known, liked brand name and a craze  for the style loving young generations for  make over, beauty and bridal decoration throughout India. It has its own craze among the localite people.
With an advancement of being a smart city Bharsharif indeed witnesses the opening of different outlets of branded companies in and around. Perhaps Biharsharif is shaping a new in all.
Recently Jawed Habib Parlour is one of them has been heartedly welcomed  by youngsters for their own hair cut fashion.

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Bihar : Report / News in Archives. Page. 20 /3. Karva Chauth.
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Festival. Talk of the Day. 
Page.12 / 3Karva Chauth
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The moon peeping inside me : Karva Chauth

A Jharkhand -Bihar based lady celebrating Karwa Chauth at Delhi : Photo Rimmi.

It was an expected dusk converting into tonight. Just four days earlier it was the Sharad Poornima and we were having a photo session over the rising yellow moon for our file shots.
I tonight came to east side and I found a sick ,yellowish and a deshaped moon was coming out. Realising that today's moon has its own significance. On this day, married women follow a certain set of rituals like fasting and dressing up as newly-wed as they pray to the almighty for a longer and happier married life. Karva Chauth is celebrated every year on a full-moon day. The day, which falls on the fourth day of the full moon in the month of Kartik, also celebrates the union of Lord Shiva and Goddess Parvati. The festival holds much significance in the northern and north-western parts of the country. Women break their fast, which begins before sunrise, once the moon is sighted in the evening. This year it had to be  celebrated on 4th of November
Although it is greatly celebrated in Delhi and Punjab adjoining area rarely in Bihar. However  the residents from Bihar and Jharkhand settled in Delhi and Punjab have started celebrating this festival. Really it is a matter of my happiness knowing that now it is taking its root in some of us. I don't know why this celebration fascinates me too much. 
I always think that this festival should be celebrated more in UP, Bihar and Jharkhand too. Probably the earth, the rising and setting of the moon, and sun and altogether the nature whispers something to me .If anybody of you celebrate this festival in Bihar, Jharkhand and UP you can share your photos with me for my photo blog gallery.
Bade Achche Lagate Hai..... Ye Dharati Ye Nadiyan.... Ye Raina  aur Tum..... 
Dr. Madhup Raman.
Free Lanace Cartoonist, Vlogger and Blogger. 
4.11.20 / Report. 

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WB : Report : Festival Page : 15th August / 20 / 4.
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The cherishing moments that  bound us with joy and happiness. 
 Priya. Darjeeling.

joy of Independence throughout country : slide Vidisha.

Priya. Darjeeling.  Bharat a country which is basically known as INDIA which means Independent Nation declared in August is such a country which achieved its victory over the Britishers. The great worriers and the great freedom fighters are well remembered on this occasion of 15th August.
The cherishing moments that  bound us with joy and happiness is a celebration of such an occasion to remark and remember the pain and suffering that our leaders had fought for this day, to make us feel safe and secure.
The smile that we see today with freedom and rights are all the blessings and sacrifices of our leaders. 
So to remark this occasion and to remember the heroes of our nation...let us all join together to celebrate this joyous occasion of independence. 
Bande mataram. 
Jai hind.
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supporting.
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Photo Gallery.  
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Photo Gallery Past. Culture / Festival Page : 8.
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Editing / Selection. 


 Ranjita. Nainital.

Naina Devi...Naini Jheel and Nainital : Collage : Dr. Sunita.
Nainital Lake View 2008 : Collage : Dr. Sunita.
utmost belief over Shakti  :  Pulpar  Biharsharif. 2021 : Photo : Vidisha.
an effort for unity, integrity and liberty for our nation : photo Vidisha.
Ganesh Chaturthi by Tilak in Maharashtra now the festival of all : Dr. Sunita.
 



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You Said It : Meri Pasand : Page : 9.
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Editor.



Smita.
News Anchor.
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Philosophy of Life.


 "...Don't walk behind me, I may not lead.
Don't walk in front of me, I may not follow.
Just walk beside me and be my friend..."
Courtesy : Albert Camus. 

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Aapki Meri  Pasand.
Rashmi Ratna.
 
Varanasi.
Enjoy watching the Song.

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with wishes of Raksha Bandhan.



for being Happy & Tolerant 
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Film : Hare Rama Hare Krishna.1971.
Starring : Dev Ananad. Mumtaz. Zeenat Aman
Song : Phollon ka taron ka
Lyrics :Aanand Bakshi. Music : R.D. Burman. Singer :  Lata Mangeshkar.



To watch this song pl visit this link.
https://www.youtube.com/watch?v=Xg0smoVruAM
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Film  : Majboor. 1974.
Starring : Amitabh Bachchan. Pareen Babi.
Song : Aadmi Jo Kehta Hai.
Lyrics : Aanand Bakshi. Music : Laxami Kant Payrelal. Singer : Kishore Kumar




To watch this song pl visit this link.
https://www.youtube.com/watch?v=J4i7hGkR3g8


  Wishes from Us Unitedly We are in Ham Family.

Comments

  1. This is the beginning to win over corona 👍👍

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  2. अप्रतिम लेखन 👍👍👍⭐⭐💯💯👌👌

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  3. 15 August ke subh awsar par sabhi ko badhai.

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  4. Jai hind🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳

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  5. Excellent work sir 🇦🇹🇦🇹🇦🇹🇦🇹🇦🇹🇦🇹🇦🇹🇦🇹 jai hind 🇦🇹🇦🇹🇦🇹🇦🇹

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  6. 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳

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    Thank you so much M S MEDIA

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