बिहार / नालन्दा / पुष्करणी झील / पर्यटन



     बिहार / नालन्दा / पुष्करणी झील /  पर्यटन

     यात्रा वृतांत १ 



छायाचित्र कोलाज  : विदिशा 
          पिछले  साल की  बात है।  साल  के अंतिम दिनों में  हमलोग यू हीं  स्थानीय  जगहों  के भ्रमण  पर  थे। हमारे  साथ  मेरे  मित्र  नरेंद्र भी सपरिवार  थे जो गाड़ी चला  रहे थे । गोधूलि की वेला में झील  की  सतह  पर तिरोहित  होते  हुए सूरज  डूब रहा था। पानी  की  सतह  पर लालिमा बिखर  गयी  थी या  कहें पसर गई थी । हमलोग  नालन्दा  अवस्थित कुण्डलपुर  से महावीर  की जन्म तीर्थ भूमि देख कर लौट रहे थे। झील  कुछ  सौंदर्य  विहीन, वीरान ,उजड़ी सी  दिख रही थी। पानी नहीं  के  बराबर  था। नौकाएं कोने में शांत पड़ी ,फेंकी हुई बिखरी दिखी थी। मन अशांत  हो  गया। मैंने  तक़रीबन सम्पूर्ण भारत  का भ्रमण  किया है  बहुत  सारी प्रसिद्ध  झीलें भी  देखीं  है। विश्व में  यूनेस्को  की   प्रमुख विरासतों  में  से  एक नालंदा  ने हालियां नालंदा जिला में प्रथम  तथा बिहार में दूसरा अपना स्थान संरक्षित कर लिया है लेकिन  सोच कर चिंता हुई की इस झील के सौंदर्यीकरण के उपर अभी तक किसी का ध्यान नहीं गया।
         वे दिन भी मुझे याद है जब सरकारी पहल और रखरखाव से यहां वोटिंग की व्यवस्था की गई थी तब पर्यटक यहां आकर बोटिंग का ख़ूब आनंद लेते थे। अगर  जन श्रुतियों की मानें तो  यह  पुष्करणी झील  गौतम बुद्ध  के जमाने की है जब वे नालंदा अक्सर आते थे ।
      झील का दृश्य अत्यंत मनोरम है। इस के पूर्वी किनारे पर स्थित है व्हेनसांग मेमोरियल  हॉल तो  इसके पच्छिमी किनारे पर अवस्थित   है  कुंडलपुर जहां प्रत्येक दिन जैनियों का जत्था भारत के सुदूर प्रांत से भ्रमण करने के लिए आता रहता है। झील का विस्तार तथा इसके चारों तरफ का दृश्य देखेंगे तो आपको बहुत अच्छा लगेगा। नयनाभिराम दृश्य आंखों को सुकून पहुंचाते हैं। बताते चलें कि शीत ऋतु में दूरदराज प्रदेशों से आए प्रवासी पक्षियों के लिए यह झील पक्क्षियों के लिए पक्षी अभ्यारण्य बन जाती है।
     एक कल्पना है कि यदि झील के चारों तरफ घूमने लायक परिपथ  बना दिया जाए।  रास्तें  प्राकृतिक हो , पर्यावरण के हिमायती हो ,लाइट्स लगा दी जाए,बैठने के लिए  लोहे की कुर्सियां भी बना दी जाएं । और वोटिंग की व्यवस्था फिर की  जाए तो मेरा यह शर्तिया मानना है कि सालों भर पानी की बंदोबस्तगी  के आलम में यह स्थल पर्यटन का महत्व पूर्ण स्थल हो जाएगा।   सालों भर भी पर्यटकों का आना-जाना लगा रह सकेगा। राज्य की आमदनी बढ़ेगी और प्रदेश के राजस्व में बढ़ोतरी होगी।
    इस सलाह भरी सोच में तो पर्यटन की असीम संभावनाएं  छिपी  है।  बस जरूरत है सरकार की एक  पहल  की,एक छोटी प्रयास की जो उसे पुनः एकबारग़ी करनी है तो मुदत्तों  से  वीरान पड़ी झील की एक बार फिर से रौनक़ वापस लौट आएंगी मेरा यह मानना है।

दक्षिणी  कोने से खींची गई तस्वीर का दृश्य 



उत्तरी  कोने से खींची गई एक तस्वीर से दिखती झील 


डॉ  मधुप रमन
यूटूबर ,व्लॉगर ,व्यंग्य चित्रकार
दिनांक। ०८। ०४। २०२०

फोटो /लेख /कॉपीराइट @ MS Media

Comments

  1. आपका यह अद्वितीय संकलन नालंदा भ्रमण कर्ताओं के लिए बहुत ही लाभकारी सिद्ध होगा सर

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