Chal Kahi Door Nikal Jaye : Yatra : Paryatan 1

 ©️®️M.S.Media.
Shakti Project.
कृण्वन्तो विश्वमार्यम. 
In association with.
A & M Media.
Pratham Media.
Times Media.
Presentation.
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आवरण : पृष्ठ. 
*

चल कहीं दूर निकल जाए : यात्रा विशेषांक :फो
टो कलाज : डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया अनुभूति.
ओ बसंती पवन पागल : आवरण पृष्ठ : कोलाज : विदिशा.

फोर स्क्वायर होटल : रांची : समर्थित : आवरण पृष्ठ : विषय सूची : मार्स मिडिया ऐड : नई दिल्ली.


 ⭐ 
एम. एस. मीडिया.महाशक्ति.प्रस्तुति. 
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 पत्रिका / अनुभाग. ब्लॉग मैगज़ीन पेज 
के निर्माण सहयोग के लिए. 
 'तुम्हारे लिए. '
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हार्दिक आभार प्रदर्शन : पृष्ठ : ० 
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शिमला.डेस्क.
 नैनीताल डेस्क. 
 इन्द्रप्रस्थ डेस्क 
 संपादन 
 ⭐
*
 

शक्ति.शालिनी.स्मिता.वनिता.शबनम 
 संयोजिका / मीडिया हाउस,हम मीडिया परिवार 
 की तरफ़ से 
 आपके लिए धन्यवाद ज्ञापन. 
 ⭐
 पत्रिका के निर्माण / संरक्षण के लिए. 
 * 
हार्दिक आभार. 
 *

डॉ. राजीव रंजन.
शिशु रोग विशेषज्ञ.बिहार शरीफ. नालंदा.
*


विषय सूची.
*
विषय सूची : पृष्ठ : ०.
कृष्ण दर्शन. संभवामि युगे युगे.प्रारब्ध : विषय सूची : पृष्ठ : ०.
सम्पादित. डॉ. सुनीता सीमा शक्ति * प्रिया.
आवरण पृष्ठ : ०.
हार्दिक आभार प्रदर्शन : पृष्ठ : ०
विषय सूची : पृष्ठ : ०.
कृष्ण दर्शन. संभवामि युगे युगे : प्रारब्ध : पृष्ठ : ०.
कृष्ण दर्शन. संभवामि युगे युगे : प्रारब्ध : शक्ति लिंक : पृष्ठ : ०.
राधिकाकृष्ण : महाशक्ति : इस्कॉन डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / १.
रुक्मिणीकृष्ण : महाशक्ति : दर्शन दृश्यम : विचार डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / २ .
मीराकृष्ण : महाशक्ति डेस्क : मुक्तेश्वर : नैनीताल. पृष्ठ : ० / ३.
त्रिशक्ति जीवन दर्शन विचार धारा : पृष्ठ : १.
त्रिशक्ति जीवन दर्शन विचार धारा लिंक : पृष्ठ : १.
त्रि - शक्ति : दर्शन. पृष्ठ : १ / ०.
त्रिशक्ति : विचार : दृश्यम : पृष्ठ : १ / ० .
त्रिशक्ति : लक्ष्मी डेस्क : सम्यक दृष्टि : कोलकोता : पृष्ठ : १ / १.
त्रिशक्ति : शक्ति डेस्क : सम्यक वाणी : नैनीताल : पृष्ठ : १ / २.
त्रिशक्ति : सरस्वती डेस्क :सम्यक कर्म : जब्बलपुर : पृष्ठ : १ / ३.
महाशक्ति : जीवन विचार धारा : पृष्ठ : १ / ४.
नव जीवन विचार धारा : पृष्ठ : १ / ५
सम्पादकीय : पृष्ठ : २.
सम्पादकीय शक्ति लिंक : पृष्ठ : २ / ०.
आकाश दीप : पद्य संग्रह : सम्पादकीय : प्रस्तुति : पृष्ठ : ३.
तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : शक्ति : सम्पादकीय : प्रस्तुति. पृष्ठ : ४.
ये मेरा गीत : जीवन संगीत : कल भी कोई दोहराएगा : पृष्ठ : ६.
चल कहीं दूर निकल जाए : फ़िल्मी कोलाज : पृष्ठ : ७
चल कहीं दूर निकल जाए : : कला दीर्घा : रंग बरसे : पृष्ठ : ९.
समाचार : चित्र : विशेष : दृश्य माध्यम : न्यूज़ शॉर्ट रील : पृष्ठ : ११.
चल कहीं दूर निकल जाएं : फोटो दीर्घा : पृष्ठ : १२.
चलते चलते : शुभकामनाएं : दिल जो न कह सका : पृष्ठ : १३.
आपने कहा : मुझे भी कुछ कहना है : पृष्ठ : १४.
*
*
किवा गैस्ट्रो सेंटर : पटना : बिहारशरीफ : डॉ.वैभव राज : लीवर. पेट. आंत. रोग विशेषज्ञ समर्थित
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शक्ति सम्पादकीय लिंक समूह : पृष्ठ : २
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शक्ति. संरक्षिका.


राष्ट्रपति पदक से सम्मानित
शक्ति. रश्मि श्रीवास्तव.भा.पु.से.
शक्ति.साक्षी कुमारी. भा.पु.से.
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संपादकीय शक्ति समूह. जीवन दर्शन : दिव्य विचार : दृश्यम लिंक समूह : पृष्ठ : २ /०.
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©️®️Shakti's Project.   
संपादन शक्ति समूह. 
@M.S.Media.
प्रथम मिडिया. संपादन : शक्ति.डॉ.नूतन.माधवी.सुष्मिता.वाणी. अनीता.
एम. एस. मीडिया. संपादन : शक्ति.डॉ.सुनीता.मंजिता.शक्ति* प्रीति प्रिया
ए. एंड. एम. मीडिया. संपादन : शक्ति. डॉ.भावना.रेनू. अनुभूति नीलम अंजू.
टाइम्स मिडिया. संपादन : शक्ति.डॉ.अनुपम.मीना.सीमा.रीता    
नवीन समाचार : संपादन : शक्ति : बीना नवीन जोशी 
केदार दर्शन : संपादन : शक्ति : दया जोशी.
ख़बर सच है : शक्ति : स्मृति. 
समर सलिल : शक्ति : नीरजा चौहान. 
शालिनी मीडिया : शक्ति : शालिनी.तनु. 

एम. एस. मीडिया समर्थित 
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राधिकाकृष्ण : जीवन शक्ति विचार धारा : लिंक.पृष्ठ : ० :
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सम्पादित
डॉ. सुनीता शक्ति * प्रिया.
आज व पूर्व के विचार देखने के लिए नीचे दिए गए
राधिकाकृष्ण : जीवन शक्ति विचार धारा :लिंक को दवाएं
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राधिका कृष्ण : जीवन शक्ति चित्र विचार धारा : आज : पृष्ठ : ० / १ 
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*
राधिकाकृष्ण : प्रेम रंग.
*
टाइम्स  मीडिया शक्ति प्रस्तुति.

*
अक्षय तृतीया 

मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

*
' अंत ' ही एक नया ' आरंभ ' है 
*
मैं प्रभु की सर्वश्रेष्ठ रचना हूँ 
कमियाँ तो तुम ढूंढते रहो 

*
एम. एस. मिडिया.शक्ति प्रस्तुति. 
नैना देवी : नैनीताल डेस्क 
*

सर्वव्यापकता. 

जब लगे तुम्हारा कोई नहीं है तब तुम मेरी तरफ़ देखना 
वो सब देख रहा है,सुन रहा है 
*
आत्मा : भटकन 

पहले ' लोग ' मरते थे ' आत्मा ' भटकती थी 
अब आत्मा मर चुकी है लोग भटकते है 
साथ : ईश्वर 
*
आज मैंने ईश्वर से पूछ लिया क्यों चलते हो मेरे साथ 
उन्होंने भी हँस कर कहा , दूसरा कौन है तेरे साथ

*
प्रथम मीडिया शक्ति. प्रस्तुति.


*
शब्दों  की कीमत
शब्द की कीमत उसके मुख से निकलने के बाद पता चलती है 
और ' रिश्ते ' की कीमत उसके ' ज़िंदगी ' से निकलने के बाद
*
वो सब देख रहा है न 
जब लगे तुम्हारा कोई नहीं, तब तुम मेरी तरफ देखना
*
डॉ. राजीव रंजन. शिशु रोग विशेषज्ञ. बिहार शरीफ. समर्थित.
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कृष्ण शक्ति : राधिका  रुक्मिणी : मीरा : विचार मंजूषा : पृष्ठ : ४ 
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*
संपादन 
शक्ति. डॉ. सुनीता.राधिका मीना 
मुक्तेश्वर.नैनीताल. 
*

अद्यतन.अंदर पढ़ें
 
*
टाइम्स  मीडिया शक्ति प्रस्तुति.
  

*

मेरे अपने 
*
जिनके ' साथ ' रहने से या मिलने से, 
साथ वक्त बिताने से या ' बातें ' करने से ही,
' दुःख ' आधा और ' खुशियाँ ' दोगुनी हो जाएं,
बस यही ' अपनों ' की परिभाषा है। 

*
दिल : रिश्ता : स्वार्थ 

हर रिश्ते में लाभ मत खोजिए ,
कुछ रिश्ते दिल के होते हैं वो हमें सुकून दे जाते हैं ।
*
विचार और व्यवहार 

विचार चाहे कितने भी उत्तम क्यों ना हो वह सार्थक तभी माने जाते हैं 
जब उनकी झलक व्यवहार में दिखती हो.! 
*
भगवान और भक्त 

' भगवान् ', ' प्रेम ', ' भक्ति ' और ' भरोसा '  पे इतना करो कि  
' संकट ' हम पर  हो और ' चिंता ' भगवान् को हो जाए 
*
एम एस  मीडिया. शक्ति. नैनीताल डेस्क. प्रस्तुति.
सम्यक कर्म ही व्यक्ति को महान बनाते है 

जब लगे तुम्हारा कोई नहीं है तब तुम मेरी तरफ़ देखना 
वो सब देख रहा है,सुन रहा है 
*

चुनौतियाँ.

जिंदगी में चुनौतियाँ हर किसी के हिस्से नहीं आती,
क्योंकि ' किस्मत ' भी किस्मत वालों  को ही आजमाती है 
*
दिल का रिश्ता 

कभी कभी मजबूत हाथों से भी ,पकड़ी हुई उँगलियाँ
छूट जाती हैं । क्योंकि ' रिश्ते ' ज़ोर से नहीं  दिल से थामे जाते हैं
*
जरुरी.
 
जीवन में ' बड़ों  'का ' आशीर्वाद ' ' छोटों ' का प्यार भी उतना ही जरूरी है, 
जितना एक ' पौधे  'को पनपने के लिए ' पानी '...

*
प्रथम मीडिया शक्ति प्रस्तुति.
 ईश्वर : अच्छाई : साथ 

आज मैंने ईश्वर से पूछ ही लिया क्यों रहते हो मेरे ह्रदय में  
क्यों चलते हो मेरे साथ 
उन्होंने भी हंस कर कहा, दूसरा और कौन ही है तुम्हारे साथ 
*
विनीतता 
नीचे झुककर किसी को ऊपर उठाना.
इससे अच्छा व्यायाम दिल के लिए कोई नहीं...
*
रिश्ते नाते 
एक अच्छी किताब कितनी भी पुरानी हो जाए उसके ' शब्द ' नहीं बदलते,
अच्छे ' रिश्ते ' की भी यही ख़ासियत है.

*
ए एंड एम मीडिया शक्ति प्रस्तुति. 



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त्रिशक्ति विचार धारा लिंक. पृष्ठ : १.
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शक्ति. सीमा शक्ति * अनीता.
*
पूर्व विचार देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.

लिंक खुलने के बाद अंदर पढ़ें
*
अद्यतन.अंदर पढ़ें


टाइम्स मिडिया  प्रस्तुति : पृष्ठ : ०
महालक्ष्मी डेस्क : कोलकोता : शब्द  चित्र विचार : शक्ति सीमा.
*
रामधारी सिंह दिनकर.
*
क्षमाशील हो रिपु - समक्ष तुम हुये विनत जितना ही
दुष्ट कौरवों ने तुमको कायर समझा उतना ही
( हस्तिनापुर : दुर्योधन का कृष्ण को बंदी बनाने का प्रयास )
*
आसान है किसी पर उंगली उठाना 

बहुत '....... ' है किसी पर ' ...... ' उठाना 
लेकिन बहुत ' ...... ' होता है किसी को उठाने के लिए ' ..... ' को पकड़ना 
*
दिल का रिश्ता 
जहाँ '....... ', ' प्यार ' की ' ...... ' बिना कहे 
' महसूस ' हो जाए वहीं ' ....... ' अच्छे ' ...... ' की ' ..... ' होती है 

*

एम. एस. मीडिया. शक्ति प्रस्तुति 
  शक्ति : नैना देवी डेस्क : नैनीताल : 

शब्द चित्र : दृश्यम : विचार : पृष्ठ : ० 
*
विनम्रता : सहनशक्ति और समझ 
*
' विनम्रता ' का अर्थ ' समर्पण ' नहीं है, ' सहनशक्ति ' है 
जो ' समझशक्ति ' को उन्नत करती है 
यह ' रिश्तों ' को बरकरार रखने के लिए अचूक ' अस्त्र ' है,
विनम्र रहिए ' सदैव ' मुस्कराते रहिए. 

ईर्ष्या : जलन 
*
जो ' फिक्र ' में होते हैं,वो ' खुद ' जलते हैं।
लेकिन जो बेफिक्र होते हैं,उनसे ' दुनियाँ ' जलती है।

*
मिट्टी : गीलापन : जड़.
*
' मिट्टी ' का गीलापन, जिस तरह से ' पेड़ ' की ' जड़ ' को पकड़ कर रखता है, 
ठीक उसी तरह शब्दों का ' मीठापन ', मनुष्य के ' रिश्तों ' को पकड़ कर रखता है।

*
उदंडता क्षमा शीलता और नेक कर्म 
*
क्षमा किसे कहते है...? ' कुचलने ' के बाद भी
फूलों की ' पंखुड़ियों ' द्वारा दी हुई सुगंध ही वास्तव में ' क्षमा ' है....

*
सत्य  और ' अहंकार ' 

' अहंकार ' सत्य को ' स्वीकार ' नहीं करता और
' सत्य ' को जानने  वाला कभी 'अहंकार ' नहीं करता.
*
दृश्यम : विचार : पृष्ठ : ० 

श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन हरण भवभय दारुणं
नव कंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुणं
*
प्रथम मिडिया शक्ति समर्थित.
*
भावनाओं का कहाँ द्वार होता है 
जहाँ ' हरि ' मिले वही ' हरिद्वार ' होता है 
*
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नव जीवन शक्ति लिंक : पृष्ठ : १ / ५.
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शक्ति. रेनू अनुभूति नीलम
अद्यतन * देखने पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं
अद्यतन :
सम्पादकीय : शक्ति आलेख : पृष्ठ : १
चैत्र नवरात्रि : शक्ति पूजा.
प्रकृति में व्याप्त वास्तविक शिव शक्तियों को सम उचित सम्मान दें
डॉ. सुनीता *शक्ति प्रिया
नवरात्रि का नवां  दिवस 
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता: '
*
स्तंभ संपादन : शक्ति शालिनी रेनू सीमा नीलम स्मिता.
पृष्ठ सज्जा : शक्ति. मंजिता स्वाति मीना वनिता अनीता.
*
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महाशक्ति लिंक : पृष्ठ : १ / ६ .
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शक्ति. डॉ सुनीता शक्ति* प्रिया
अद्यतन * देखने पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं
अद्यतन : पढ़ें
सत्यम शिवम् सुंदरम
*
शक्ति ही ' शिव ' हो ' शिव ' ही ' शक्ति ' हो
यही ' सत्य ' हो यही ' सुन्दर ' हो
*

संयुक्त मीडिया अधिकृत 
डॉ. राजीव रंजन. शिशु रोग विशेषज्ञ.बिहार शरीफ. नालंदा.समर्थित
-------
शक्ति समूह सम्पादकीय पृष्ठ : २. 
-------
आभार 
संस्थापिका.
शक्ति.
मातृ


निर्मला सिन्हा.
१९४० - २०२३.
*
------------
संपादकीय शक्ति समूह. पृष्ठ : २. ---------


संपादकीय शक्ति समूह.
----------
प्रधान शक्ति संपादिका.



शक्ति : रेनू ' अनुभूति ' नीलम. 
नव शक्ति. श्यामली डेस्क. शिमला.
संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी. दिवस : ५.
---------
कार्यकारी शक्ति *संपादिका.


नैना देवी. नैनीताल डेस्क. 
शक्ति.डॉ. सुनीता शक्ति * प्रिया.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०.
संस्थापना वर्ष : १९९६. महीना : जनवरी : दिवस : ६ .

सहायक. कार्यकारी शक्ति संपादिका .


शक्ति. सीमा वाणी अनीता.
कोलकोता डेस्क संस्थापना वर्ष : १९९९.महीना : जून. दिवस : २.
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विशेषांक शक्ति * संपादिका . .


शक्ति : मानसी शालिनी कंचन.
नैनीताल डेस्क .
---------

स्थानीय शक्ति * संपादिका.


शक्ति : बीना मीना भारती.
नैनीताल.
---------

कला शक्ति *संपादिका.
शिमला डेस्क


शक्ति.अनुभूति मंजिता सुष्मिता.


मीडिया शक्ति संयोजन.
नैनीताल डेस्क
शिमला डेस्क
जयपुर डेस्क.
इंद्रप्रस्थ डेस्क
पाटलिपुत्रा डेस्क.


शक्ति. 
शालिनी स्मिता शबनम वनिता. 

---------
क़ानूनी संरक्षण.
' शक्ति '

*
शक्ति. सुषमा कुमारी.चीफ लीगल एड डिफेंस काउंसिल.
शक्ति.सीमा कुमारी.डिप्टी चीफ लीगल एड डिफेंस काउंसिल.
शक्ति. विदिशा.अधिवक्ता.विधिवक्ता.
शक्ति.लीना शक्ति. अधिवक्ता. उच्च न्यायलय. रांची.

--------
 दिग्दर्शिका शक्ति.


शक्ति.डॉ. मीरा श्रीवास्तवा.पुणे.
शक्ति. दया जोशी. सम्पादिका
केदार दर्शन.दैनिक भास्कर.नैनीताल.
शक्ति. रंजना.स्वतंत्र लेखिका.हिंदुस्तान.नई दिल्ली.
शक्ति.जया सोलंकी.जयपुर.
*
------------ 
सम्पादकीय आलेख गद्य पद् संग्रह : शक्ति लिंक : आज : पृष्ठ : २ / १.
 ---------------- 
शक्ति.नीलम : प्रधान सम्पादिका. वाराणसी. 
 सम्पादकीय शक्ति आलेख लिंक : 
 press the shakti link : 2/1 
अद्यतन*
----------
आकाश दीप : नीलोउद्गार : पद्य संग्रह : पृष्ठ : ३ . 
-------------
*
लघु कविता.
धर्म : इंसानियत : पहलगाम
*
शक्ति .नीलम पांडेय.

*
दिल क्या करें : लघु फिल्में  : प्रस्तुति : पृष्ठ : ७ .
साभार : रिंकू झा : शॉर्ट फिल्म : 
*
रूठ जाए हम तो तुम हमको मना लेना सनम
दूर हो तो पास हमको तुम बुला लेना सनम

------------ सम्पादकीय मुझे भी कुछ कहना है : शक्ति लिंक : पृष्ठ : २/८. ---------------- सम्पादित. शक्ति.डॉ.सुनीता सीमा शक्ति* शालिनी प्रिया अनीता अनुभूति. ©️®️Shakti's Project.. शक्ति. दया जोशी.


* एम. एस. मीडिया समर्थित सहयोगी. शक्ति मीडिया. केदार दर्शन. नैनीताल.शक्ति दया. प्रस्तुति. आज का पचांग / राशि फल / सम्यक वाणी : अन्य के शक्ति विचार:
सम्पादकीय / शक्ति लिंक :पृष्ठ : २ /८.
अद्यतन*
२३.अप्रैल.ग्रेगोरीयन २०२५ / विक्रम संवत. २०८२ / शक संवत १९४७.आज का' पचांग :
देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दबाएं.

*
press the below given shakti link : 2/8.


टाइम्स मीडिया .कोलकोता डेस्क शक्ति. प्रस्तुति.
---------
दिन विशेष सम्पादकीय : पृष्ठ :
-------------
नैनीताल. डेस्क.
संपादन.

शक्ति * बीना मीना भारती
नैनीताल.
हम सभी देव - शक्ति मीडिया परिवार की 
तरफ़ से 
अक्षय तृतीया की अनंत श्री लक्ष्मी नारायण 
शिव शक्ति शुभकामनायें 


अस्यां तिथौ क्षयमुपैति हुतं न दत्तं तेनाक्षयेति कथिता मुनिभिस्तृतीया
उद्दिश्य दैवतपितॄन्क्रियते मनुष्यैः तच्चाक्षयं भवति भारत सर्वमेव
भावार्थ
अर्थात, इस तिथि को दिए हुए दान तथा किए गए हवन का क्षय नहीं होता।
इसलिए मुनियों ने इसे अक्षय तृतीया कहा है
*
हनुमान जयंती की 
शुभ अनन्त शिव शक्ति कामनाएं 
*
संकट कटे मिटे सब पीरा 
जो सुमिरे हनुमत बलबीरा 


*

*
रामनवमी सन्देश 


भए प्रगट कृपाला दीन दयाला कौशल्या हितकारी
हरषित महतारी,मुनि मन हारी,अद्भुत रूप बिचारी ॥
*
चैत्र नवरात्रि : शक्ति सन्देश
नैना देवी डेस्क नैनीताल एम एस मिडिया समर्थित
*

वनदुर्गा, मातंगी हो तुम, सुन्दरी, सुरसुन्दरी। हो मतंगमुनिपूजिता तुम, ब्राह्मी हो, माहेश्वरी।।



टाइम्स मीडिया. कोलकोता डेस्क .

अक्षय तृतीया : वर्ष २५ की शुभकामनाओं के साथ
स्वर्णिका ज्वेलर्स : सोह सराय : बिहार शरीफ
समर्थित.

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आकाश दीप : पद्य संग्रह : सम्पादकीय : प्रस्तुति : पृष्ठ : ३.
-----------
संपादन.


शक्ति. रेनू शब्दमुखर
प्रधान सम्पादिका
जयपुर.

सीपिकाएँ

यह सब क्या है ,अनु
प्रेम ही तो.


किसी ने मुझसे पूछा प्रेम क्या है
मैंने कहा
जैसे सूरज का रात
के लिए ढल जाना
जैसे स्वयं का होते हुए भी
अपना उसका अंतर मन से हो जाना ही
उसके लिए वर्तमान और भविष्य में जीना
अपने लिए लापरवाही
उसके लिए फ़िक्र कुछ ज्यादा होना
यह सब क्या है ,अनु
प्रेम ही तो .
*
डॉ. मधुप.
*
यह सब क्या है ,अनु प्रेम ही तो.
*
प्रेम : संदर्भित : संक्षिप्त रील
साभार : शक्ति : पूजा


सुनो कहो ! अरे कहा ...सुना !
कुछ हुआ क्या ? अभी तो नहीं कुछ भी नहीं

--------

लघु कविता.
*
भाविकाएँ 
*

शक्ति. स्मिता. 
*
 आतंक का खात्मा कर
अब बस यही दुआँ है.


*
बर्फ की सफेद चादर से लिपटी ज़मीन 
आज लाल रक्त में लिपटा है 
फ़िज़ाओं में गूंज थी जहां खुशियों की 
वो रुदन चीत्कार में डूबा है 
दर्द में है हिंदुस्तान 
जाति धर्म के नाम पर संसार दो गुट में बंटा है 
 आतंक का खात्मा कर संसार एक हो ये 
अब बस यही दुआँ है
*
भाविकाएँ 

क्या गलती थी हमारी ?



एक पल में खुशियाँ छिन गई 
 पलभर में दुनिया उजड़ गई 
क्या गलती थी हमारी ?
जो हमारे अपने हमसे बिछड़ गए 
आतंक ने ऐसा पाँव पसारा 
लहुलुहान हुआ देश हमारा. 
हर एक हिंदुस्तानी दर्द में है 
बदले की उम्मीद में है 
अब नींद आँखों से गायब है 
चैन से तब हम सोएँगे 
जब आतंक और आतंकवादी का 
नामोनिशान जड़ से मिटा पायेंगे 
तब चैन से सोएँगे हम

शक्ति.स्मिता. 
--------
*
लघु कविता.

जीवन की मुस्कान.


जीवन की मुस्कान
 मैंने पूछा जीवन से, 
तू इतना कठिन क्यों है ? 
 हर मोड़ पर पहेली सी, 
हर राह में कड़ी परीक्षा क्यों ?
 जीवन मुस्कराया धीरे से, 
आँखों में थी एक चमक, 
बोला-अगर मैं आसान होता, 
तो कहाँ होती तुममें ये दमक?

शक्ति. रेनू शब्दमुखर
*
तुम शब्द नहीं संवेदना हो 


*
इसतरह वक़्त  खाली जाया ना करो 


ख़्वाबों में यू ना हर रोज़ 
इस तरह आया न करो 
   जो आ जाते तो हो 
तो यूँ ना निहारा करो 
कुछ मेरी सुनो  
कुछ अपनी कहो 
ये रात भी फिर बीत जाएगी 
सुबह की दस्तक भी हो जाएगी 
हक़ीक़त की रोशनी में 
मुकम्मल यादें सब खो जाएगी 
जो वक़्त मिला है साथ दो दिन का 
इसतरह वक़्त  खाली जाया ना करो 
हाथ थामे यू ही साथ गुजार जाए 
तरूद्दतों से भरे इस जिंदगी के सफ़र में 
 हमसफ़र बन कर मुश्किलों में भी हम साया बन कर 
साथ निभाया करो 
जो वक़्त मिला है साथ दो दिन का 
इसतरह वक़्त खाली जाया ना करो. 
*
---------
लघु कविता 
शक्ति. स्मिता. 
*
कहानी अभी बाक़ी है 
ये हमारी और तुम्हारी है
*


उनकी खुशियाँ ही मेरे सपने थे 
क्यूँ कि वो तो मेरे अपने थे 
कहानी अभी बाक़ी है 
ये हमारी और तुम्हारी है
सपनों का राजकुनार आएगा 
पलकों पे बिठाएगा 
ऐसा सपना दिखाया 
राजकुमार आया 
परी भी बनाया 
पल भर को पल भर में परी से पत्नी बनाया 
नये सपने आँखीं में सजाए 
ज़िंदगी ने पत्नी बहू की ज़िम्मेदारी में ऐसा उलझाया 
खुद की पहचान भूल ही गई थी कि.
गोद में नन्ही परी को पाया 
जिसने मुझे माँ बनाया एक नयी ज़िम्मेदारी से मिलाया 
अब उसके सपने भी मेरे थे 
क्यूँ कि वो भी तो मेरे अपने थे
बल गोपाल की किलकारियों ने मुझे  फिर से जगाया 
फिर से नयी ज़िम्मेदारी का एहसास दिलाया 
उन्हें हाथ पकड़कर चलना सिखाया


+


शक्ति. स्मिता. 
पृष्ठ सज्जा संपादन : डॉ.सुनीता शक्ति प्रिया.   
*
उतना ही पहचान सके 


फोटो : मानसी पंत 

खुला आसमान है हद है मेरी 
तुम न मुझको जान सके 
जितनी दूर तक सोचा तुमने 
उतना ही पहचान सके 
काट दिए है पर तो क्या ?
मैं पैरों से उड़ जाउंगी 
मैं हूँ एक आज़ाद चिरैया 
पिंजरे में न आउंगी  

शक्ति.मानसी पंत .
नैनीताल. 
-------
भाविकाएं.

सर्वअसुरविनाशिनी , चण्डमुण्डनाशिनी हो,तुम.
शक्ति : जी. आई. एफ.

हे सती, हे साध्वी माँ, भवप्रीता, तू भवानी हो। आर्या हो भवमोचनी माँ, दुर्गा हो, महारानी हो।। राजा हो या रंक मईया भेद तुम ना करती हो। शरणागत हो कोई तेरे झोली उसकी भरती हो।। आदिशक्ति, त्रिनेत्रा माँ, आद्या शूलधारिणी हो। आर्या हो भवमोचनी माँ, दुर्गा हो, महारानी हो।। हे सती, हे साध्वी माँ, भवप्रीता, तू भवानी हो। आर्या हो भवमोचनी माँ, दुर्गा हो, महारानी हो।। चंद्रघंटा, महातपा तुम, मन, बुद्धि, अहंकार हो। चित्तरूपा हो चिता, चिति का करे विस्तार हो।। सर्वविद्या, दक्षकन्या, दक्षयज्ञविनाशिनी हो। आर्या हो भवमोचनी माँ, दुर्गा हो, महारानी हो।। हे सती, हे साध्वी माँ, भवप्रीता, तू भवानी हो। आर्या हो भवमोचनी माँ, दुर्गा हो, महारानी हो।। सत्ता, सत्यानंद हो तुम, अम्बे मातु स्वरूपिणी। हे अनंता, भाविनी माँ, भाव्या, भव्या रूपिणी।। अपर्णा हो अनेकवर्णा, दुर्गा दुर्गसाधिनी हो। आर्या हो भवमोचनी माँ, दुर्गा हो, महारानी हो।। हे सती, हे साध्वी माँ, भवप्रीता, तू भवानी हो। आर्या हो भवमोचनी माँ, दुर्गा हो, महारानी हो।। सद्गति, अभव्या मईया, शाम्भवी कहलाती हो। देवमाता, चिंता हो तुम, रत्नप्रिया बन जाती हो।। पाटला, पाटलावती, पट्टाम्बरपरिधानधारिणी हो। आर्या हो भवमोचनी माँ, दुर्गा हो, महारानी हो।। हे सती, हे साध्वी माँ, भवप्रीता, तू भवानी हो। आर्या हो भवमोचनी माँ, दुर्गा हो, महारानी हो।। वनदुर्गा, मातंगी हो तुम, सुन्दरी, सुरसुन्दरी। हो मतंगमुनिपूजिता तुम, ब्राह्मी हो, माहेश्वरी।। सर्ववाहनवाहना तुम, माँ निशुम्भशुम्भहननी हो। आर्या हो भवमोचनी माँ, दुर्गा हो, महारानी हो।। हे सती, हे साध्वी माँ, भवप्रीता, तू भवानी हो। आर्या हो भवमोचनी माँ, दुर्गा हो, महारानी हो।। वैष्णवी, चामुण्डा हो तुम, ऐन्द्री हो, कौमारी हो। वाराही तुम लक्ष्मी माता पुरुषाकृति सुकुमारी हो। मधुकैटभहन्त्री मईया, महिषासुरमर्दिनि हो। आर्या हो भवमोचनी माँ, दुर्गा हो, महारानी हो।। हे सती, हे साध्वी माँ, भवप्रीता, तू भवानी हो। आर्या हो भवमोचनी माँ, दुर्गा हो, महारानी हो।। विमला हो, उत्कर्षिणी, तू ही सुरवरवर्षिणि। ज्ञान-बुद्धि, नित्याक्रिया बहुला दुर्धरधर्षिणि।। सर्वअसुरविनाशिनी माँ, चण्डमुण्डनाशिनी हो। आर्या हो भवमोचनी माँ, दुर्गा हो, महारानी हो।। हे सती, हे साध्वी माँ, भवप्रीता, तू भवानी हो। आर्या हो भवमोचनी माँ, दुर्गा हो, महारानी हो।। कन्याकुमारी, किशोरी तुम, हो यति नारायणी। तुम अप्रौढ़ा और प्रौढ़ा, तपस्विनी, हे महोदरी।। सत्या, सर्वास्त्रधारिणी, सर्वदानवघातिनी हो। आर्या हो, भवमोचनी माँ, दुर्गा हो, महारानी हो।। हे सती, हे साध्वी माँ, भवप्रीता, तू भवानी हो। आर्या हो भवमोचनी माँ, दुर्गा हो, महारानी हो।। मुक्तकेशी, घोररूपा, बलप्रदा हो महाबला। कालरात्रि, भद्रकाली, रौद्रमुखी-अग्निज्वाला।। अनेकशस्त्रहस्ता माँ, अनेक अस्त्रधारिणी हो। आर्या हो, भवमोचनी माँ, दुर्गा हो, महारानी हो।। हे सती, हे साध्वी माँ, भवप्रीता, तू भवानी हो। आर्या हो भवमोचनी माँ, दुर्गा हो, महारानी हो।। विष्णुमाया, जलोदरी तू शिवदूती हो कराली माँ। अनंत हो परमेश्वरी, कात्यायनी, भद्रकाली माँ।। सर्वशास्त्रमयी, सावित्री, प्रत्यक्षा, ब्रह्मावादिनी हो। आर्या हो, भवमोचनी माँ, दुर्गा हो, महारानी हो।। हे सती, हे साध्वी माँ, भवप्रीता, तू भवानी हो। आर्या हो भवमोचनी माँ, दुर्गा हो, महारानी हो।।


लेखिका.कवयित्री.संयोजिका.
शक्ति. शालिनी.
*
भाविकाएं.

भूलकर इंसानियत अब,

हम साथ साथ है

सच जो लिखने मैं चली तो, लेखनी भी कंपकपाती। हिन्दू होना क्यों गुनाह है ? बात यह ना समझ आती।। मिट गया सिंदूर उसका, लाश पर आँसू बहाती। लरजते हैं अधर उसके, धधकती है उसकी छाती।। प्रश्न हैं अनगिनत मन में, मौन वो कुछ कह ना पाती। हिन्दू होना क्यों गुनाह है ? बात यह ना समझ आती।। हो शुरू सर्जिकल स्ट्राइक, अब न्याय की गुहार है। छप्पन इंच के सीने से, सबकी यही दरकार है।। बेरहम, बुज़दिल है पापी, आतंकवादी है वो घाती। हिन्दू होना क्यों गुनाह है ? बात यह ना समझ आती।। राजनीति की रोटी सेंके, कुछ नए कम्युनिस्ट यहाँ। है किसी की मांग उजड़ी, दिखता ना फेमिनिस्ट यहाँ।। भूलकर इंसानियत अब, अनर्गल है रास आती। हिन्दू होना क्यों गुनाह है ? बात यह ना समझ आती।। कुछ तो सीधे दोष मढ़ते, आज भी सरकार को। दोगलों की मानसिकता को यहाँ झटकार दो। क्या ये उनके साथ होता, तब भी इतनी बात आती? हिन्दू होना क्यों गुनाह है ? बात यह ना समझ आती।। कवयित्री. संयोजिका. शालिनी
पृष्ठ सज्जा : शक्ति सीमा अनुभूति अनीता




ए. एंड. एम. प्रस्तुति.

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तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : शक्ति : सम्पादकीय : प्रस्तुति. पृष्ठ : ४.
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संपादन.

शक्ति. नीलम पांडेय.
वाराणसी.
प्रधान सम्पादिका.

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सम्पादकीय : 
सम्पादकीय : शक्ति : आलेख : 

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टाइम्स मीडिया. कोलकोता डेस्क .

अक्षय तृतीया : वर्ष २५ की शुभकामनाओं के साथ
स्वर्णिका ज्वेलर्स : सोह सराय : बिहार शरीफ
समर्थित.
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 आतंक और पहलगाम : प्रेम, प्रकृति , मनुष्य :  शक्ति आलेख ४ / ३.
डॉ. मधुप / अरुण कुमार सिन्हा /

बैसरन घाटी : प्रकृति : नैसर्गिक खूबसूरती : पहलगाम :  तब  : फोटो : डॉ. सुनीता मधुप.  

पहलगाम : प्रकृति और प्रेम : मिनी स्विट्जरलैंड :कभी कभी सहिष्णु गौरव शाली भारतीय सभ्यता संस्कृति के संरक्षक होने के नाते सोचता हूँ हम कितना विनम्र है हम पीड़ा सहने वालों की श्रेणी में है ना की पीड़ा देने वालों की। पहलगाम की प्रकृति में शिव ही की शक्ति होती । क्योंकि यहीं से शिव भक्तों की बर्फानी बाबा अमरनाथ यात्रा  की यात्रा जुलाई में  शुरू होती है। शैतान तो कहीं दिखते नहीं थे। 
२२ अप्रैल २०२५ :  पहलगाम : ख़ौफजदा लोग : लेकिन  २२ अप्रैल २०२५ को, सब कुछ अचानक बदल गया। भारत प्रशासित जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग जिले में पहलगाम के पास बैसरन मैदान पर एक आतंकवादी हमले में कम से कम २८ नागरिक ,विदेशी पर्यटकों की जानें चली गयी।
इसमें २० से अधिक लोग घायल हो गए। कितनी दुल्हनों की मांगें सूनी हो गयी। अचानक २२ अप्रैल २०२५ को पहलगाम की खूबसूरत वादियों में मानवता को शर्मसार करने वाली कायराना बारदातें हुई जिसकी कितनी भी मज़म्मत की जाए कम ही होगी। निर्दोष की हत्या अंधाधुंद  फायरिंग में की गयी। धर्म पूछ कर मौत के घाट उतारने की शायद यह पहली वारदात है। शायद इस ज़ख्म के ठीक होने में दिन महीने साल लग जाए। किसका कितना नुकसान हुआ ये आतंकवादी कभी नहीं समझ सकते। ज़ख्म तो भारत तथा भारतीय को ही लगा चाहे वो बिहारी, उड़िया ,बंगाली हो या कन्नड़,तेलगू ,मलयाली महाराष्ट्रीय दर्द तो हमें ही हुआ।
यहाँ के लोग अच्छे ही हैं। इसलिए तो हिंदुओं के साथ मरने  वाला यहीं का स्थानीय एक ग़रीब टट्टू वाला सैयद भी था जिसने अपने साथ आए पर्यटक को बचाने की अंतिम कोशिश की,खुद भी न बच सका। 
बैसरन घाटी : मिनी स्विट्जरलैंड ': बैसरन घाटी,जिसे अक्सर इसके शानदार मनभावन दृश्यों के लिए ' मिनी स्विट्जरलैंड ' कहा जाता है,भारत के जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग जिले में मुख्य शहर पहलगाम से लगभग ५ से ७ किमी दूर स्थित एक सुरम्य घास का मैदान है।
लगभग ८००० फीट की ऊँचाई पर स्थित, यह घने देवदार के जंगलों, पीर पंजाल रेंज की बर्फ से ढकी चोटियों से घिरा हुआ है, यह विस्तृत घास का मैदान और पहलगाम शहर और पास में ही बहने वाली कोलाही ग्लेशियर से निकलने वाली लिद्दर घाटी के मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। सर्दियों में यह घास का मैदान पूरी तरह से बर्फ से ढका होता है क्योंकि तापमान शून्य से नीचे चला जाता है।
गर्मियों में यही विस्तृत मैदान पर्यटकों की पसंद में होता है। यहाँ कोई भी पक्का रास्ता नहीं है पहुंचने के लिए पैदल : कच्चा उबड़ खाबड़ टट्टुओं का ही मार्ग है। यहाँ घोड़े टट्टुओं से पहुँचने का समय १ से दो घंटे लग जाते है जब कि पैदल पहुंचने में सामान्य को तक़रीबन ३ से ज्यादा घंटे लग जाते है।
कन्नी मर्ग, झरना , कश्मीर घाटी, दवयन : मैं दो बार बैसरन घाटी जा चुका हूँ। घोड़े वाले के सहयोगात्मक रवैये को भी मैं भूला नहीं पाता हूँ। चलते चलते आपको कन्नी मर्ग, झरना , कश्मीर घाटी, दवयन, और अंत में हम घास के विस्तृत मैदान बैसरन घाटी या मिन्नी स्विट्ज़रलैंड कहे जाने वाले मैदान तक पहुंचते हैं।
सही में यह जगह पर्यटकों के लिए सुख शांति वाली जगह है। बच्चें अलमस्त हो के खेलते हैं। लेकिन जिन्होंने अपनों को खोया है उनके जेहन में इस बेसरन घाटी की तस्वीर कैसी होगी आप अंदाजा लगा सकते हैं।


 फिल्म : रोटी : शूटिंग और पहलगाम : मेरी यादें : कोलाज
फिल्म : शूटिंग और पहलगाम : मेरी यादें : यदि आपको १९७८ के आस पास पहलगाम का बाजार देखना है तो फिल्म रोटी यह गाना ये जो पब्लिक है सब जानती है या फिल्म रफ्फूचक्कर का गाना खुलम्म खुला प्यार करेंगे हम दोनों जरूर देख लें।
साल १९६५ में प्रदर्शित हुई शशि कपूर ,नंदा अभिनीत फिल्म का यह गाना एक था गुल और एक थी बुलबुल
या फिल्म सन्नी देयोल ,अमृता सिंह अभिनीत बेताब तो पूरी तरह से पहलगाम में ही शूट हुई थी।
मैं दो बार पहलगाम गया हूँ। कश्मीर की वादियों की सैर की हैं। 
पूरी तरह से दरख्तों से घिरा यहाँ के लोगों के कहने अनुसार मिनी स्विट्ज़रलैंड कहलाता है। गर्मियों में यहाँ पर्यटकों की काफ़ी भीड़ होती हैं। यह एक बुग्याल है जहाँ भेड़ें गाय चरती होगी। बस स्टैंड से ही पेड़ों,झरनों के मध्य से ही बैसरन घाटी तक ये रास्ता जाता है। यहाँ कई फिल्मों की शूटिंग भी हुई थी जिनमें रोटी , रफ्फूचक्कर आदि प्रमुख है । 
गतांक से आगे : १
पहलगाम : वैली ऑफ़ शेफर्ड : देखने लायक जगहें

पहल गाम : बर्फ़ से  लदी घाटियां  और साथ बहती लिद्दर नदी : फोटो : डॉ मधुप. 

पहलगाम को वैली ऑफ़ शेफर्ड भी कहा जाता है। यहाँ के कई शीर्ष दर्शनीय स्थल है जो देखने लायक है।
यहाँ नीले रंग वाली झीलें और नदियाँ हैं। तीर्थ स्थल में अध्यात्म भी है। प्रेम प्रदर्शित करती घाटियां भी जहाँ आप ये दिल और उनकी निगाहों के साए ढूंढ सकते हैं। जैसे जैसे आप श्रीनगर से पहलगाम की ओर बढ़ते हैं
आपको लिद्दर नदी साथ बहते हुए मिल जाएगी। पहलगाम एक छोटा सा कस्वाई शहर है यहाँ देखने लायक बहुत कुछ है ।
बेताब घाटी : पहलगाम से १५ किलोमीटर दूर स्थित बेताब घाटी अमरनाथ तीर्थयात्रा के रास्ते पर स्थित है । घाटी का नाम बॉलीवुड की उस ब्लॉकबस्टर फिल्म सन्नी देयोल अमृता सिंह अभिनीत फिल्म बेताब से ही लिया गया है जिसकी शूटिंग यहीं हुई थी।
यह ट्रेकर्स के लिए स्वर्ग है और कई उच्च-ऊंचाई वाले ट्रेल्स के लिए बेस कैंप के रूप में कार्य करता है। अपने हरे-भरे घास के मैदानों, बर्फ से ढकी पर्वत चोटियों और नदियों के साथ बेताब घाटी एक बेहतरीन पिकनिक स्थल के रूप में कार्य करती है, जिसे अक्सर हनीमून मनाने वाले और जोड़े पसंद करते हैं। चंदनवाड़ी : अमरनाथ यात्रा की शुरुआत : १५ - १६ किलोमीटर दूर चंदनवारी पहलगाम के बाहरी इलाके में स्थित है यह मनोरम प्राकृतिक स्थल। और यही से परम्परा गत अमरनाथ यात्रा की शुरुआत होती है । शिव आस्था का प्रतीक होने के कारण इस स्थान का धार्मिक महत्व बहुत ही अधिक है।
यह स्थान बर्फ पर स्लेजिंग के लिए भी जाना जाता है। पहलगाम के आस-पास के अधिकांश स्थानों की तरह चंदनवारी भी परिवारों और दोस्तों के लिए एक बेहतरीन पिकनिक स्थल है। सर्दियों के दौरान चंदनवारी बर्फ से लदी रहती है और यहाँ बर्फ से गेंद फेंकने वाले लोगों को कड़ी मेहनत करते हुए आसानी से देखा जा सकता है।
शेषनाग झील: चंदनवाड़ी से १२ किलोमीटर यह झील सुंदर देवदार के पेड़ों और पहाड़ों से घिरी हुई है. शेषनाग झील जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग जिले में, कश्मीर घाटी में ३५९० मीटर की ऊंचाई पर स्थित है,यह झील अमरनाथ यात्रा के रास्ते में पड़ती है. यह एक अल्पाइन झील है और इसे वासुकी झील के नाम से भी जाना जाता है.
अमरनाथ गुफा : चंदनवाड़ी से २६ किलोमीटर दूर शेष नाग से १४ किलोमीटर दूर पंजतरणी पड़ती है और वहां से ६ किलोमीटर दूर बाबा बर्फानी की गुफा पड़ती है। जहाँ पहुंचने के लिए सावन के महीने में शिवभक्तों का मेला लगा होता है।
पहलगाम गोल्फ कोर्स : यह एक सुंदर गोल्फ कोर्स है जो हरे-भरे मैदानों और पहाड़ों के बीच स्थित है.
कोलाहोई ग्लेशियर : लिद्दर नदी : यह एक बड़ा ग्लेशियर है जो लिद्दर नदी के पास स्थित है.कोलाहोई ग्लेशियर भारत के जम्मू और कश्मीर प्रदेश में एक हिमानी है जो लिद्दर नदी का मुख्य स्रोत है. यह कोलाहोई पीक के पास स्थित है और कश्मीर घाटी में एक लोकप्रिय ट्रेकिंग गंतव्य है.
अरु घाटी : अरु लिद्दर नदी घाटी में एक छोटा सा सुंदर शहर है। यह बर्फ से ढका हुआ एक घास का मैदान है, जिसका नज़ारा आपको तरोताज़ा कर देता है। अरु घाटी तक की ड्राइव शानदार पृष्ठभूमि से भरी हुई है, इसलिए कुछ शानदार तस्वीरें लेने के लिए तैयार रहें। अरु कोलाहोई ग्लेशियर के लिए ट्रेकर्स के लिए बेस कैंप के रूप में कार्य करता है। आप स्थानीय लोगों से बातचीत भी कर सकते हैं और अरुगाँव की दुकानों पर टहलने जा सकते हैं।
तुलियन झील : तुलियन झील पहलगाम से यही कोई १६ किलोमीटर दूर है। यह सुंदर और साफ झील बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच स्थित है। तुलियन झील पर्यटकों के लिए काफी आकर्षक है। इसे कश्मीर घाटी के आकर्षण का पता लगाने के लिए आदर्श मार्ग के रूप में वर्णित किया गया है।
बैसरन से तुलियन झील का रास्ता आसान नहीं है। यह कठिनाइयों से भरा है, बिना किसी ट्रेकिंग ट्रेल्स के और इसके किनारे तक पहुँचने के लिए आपको कुछ कठिन ऊँचाइयों को सहना पड़ता है। हालाँकि, यह सब इसके लायक है। तुलियन झील की सुंदरता वास्तव में एक आनंद है।इसे घूमने में एक दिन का समय लग सकता है लेकिन ट्रैकिंग का रास्ता बहुत ही कठिन है।

गतांक से आगे : २
विकल्प प्रकृति : प्रेम और मानवता में ही है :आतंकवाद की समाप्ति 

आतंकवाद : एक भ्रष्ट पंथ जिसके मानने वाले का हिंदी में अर्थ है आतंकवादी या आतंक फैलाने वाला". यह शब्द किसी ऐसे विचलित मानसिकता वाले व्यक्ति या समूह को संदर्भित करता है जो आतंकवाद में शामिल होता है या इसका समर्थन करता है।
आतंकवाद का अर्थ है, राजनीतिक या वैचारिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, आम नागरिकों को डराने के लिए हिंसा का उपयोग करना या हिंसा की धमकी देना। पहलगाम की घटना में भी प्रत्यक्ष है इसका उद्देश्य है डर ,भय का वातावरण पैदा करना।
२२ अप्रैल को हुए धर्म के आधार किए गये निर्दोष भारतीय पर्यटकों के नरसंहार ने ठीक हो रही ,पटरी पर लौट रही घाटी की अर्थ ,व्यापार , पर्यटन,आपसी विश्वास को पीछे ढकेला। घाव के भरने में यकीकन समय लगेगा। दोनों पड़ोसी देशों के सम्बन्ध तनातनी के चरम पर है कि युद्ध के बादल मंडराने लगें।
विकल्प प्रकृति : प्रेम और मानवता में ही है : मनुष्य युगों युगों से प्रेम और प्रकृति के बारे में पढ़ता, सुनता, लिखता, बोलता,गुनता, चिन्तन मनन करता रहा है पर आज भी इससे उतना ही दूर है जितना कि मृगतृष्णा और यथार्थ।
प्रेम ही प्रकृति है, प्रकृति का नियम है और समस्त ब्रह्माण्डीय क्रियाशीलताओं का आधार है। ब्रह्माण्ड के सारे पिण्ड इसी प्रेम से आबद्ध होकर क्रियाशील रहते हैं और अपने अक्ष पर घुमते हुए एक दूसरे की परिक्रमा करते हैं। भौतिक विज्ञान जिसे गुरुत्वाकर्षण कहता है, वह सूक्ष्म रुप में प्रेम ही है जिससे सब बंधे होते हैं और जीव जगत की भांति संचालित होते हैं। उल्लेखनीय है कि संसार के समस्त स्थावर जंगम अणुओं के बने होते हैं,अणु ऊर्जा से निर्मित हैं और ऊर्जा का आधार चेतना है और‌ इसी चेतना का नाम प्रेम है।
जीवन की सुन्दरता इसी में है कि हम मनुष्य होने के नाते किसी के सुख समृद्धि का कारण बनें और अगर ऐसा न हो सके या न कर सकें तो इतना तो कर ही सकते हैं कि किसी के दुःख या विपदा का कारण न बनें,यही श्रेष्ठ मार्ग है।
परमात्मा ने अपने नजरिए से सबको श्रेष्ठ और अद्वितीय ही बनाया है जिसकी परख आपकी समय समय पर होती रहती है पर आप अपनी श्रेष्ठता को नहीं समझ पाते हैं और स्वयं को अमहत्तवपूर्ण और अकर्मण्य मान लेते हैं पर ध्यान रहे कि सुई और तलवार की उपयोगिता और उपादेयता अलग अलग है कि दोनों अपनी जगह महत्वपूर्ण हैं।
He who loves mankind,he loves God and the heart which is not filled with the essence of love, can't live with God.

स्तंभ संपादन : शक्ति. डॉ. सुनीता शक्ति * प्रिया. 
स्तंभ सज्जा : शक्ति. तनु सीमा स्वाति अनुभूति. 

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यात्रा : कुछ नया सीखने का प्रयत्न : शक्ति आलेख ४ / २ .
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शक्ति. रीता सुनीता.


शॉर्ट रील : साभार : पहाड़ पर अपना घर बना लेते है 

यात्रा यानि की अपनी जगह से कहीं दूर घुमने फिरने के लिए जाना ताकि हम अपनी रोज की भाग दौड़ भरी जिंदगी से कुछ समय के लिए निजात पा सके। और अपने परिवार और दोस्तों को समय दे सके। कभी कभी आपकी यात्रा एकाकी भी हो सकती है, आप भीड़ में अकेले भी हो सकते हैं । जब आप अन्वेषक होते हो नई खोज में लग जाते है। मेरी पहल में यात्रा बस नए सम्यक लोगों से मिलने की कहानी है।
यात्रा के क्रम में नए लोगों से मिलने जुलने, परिवर्तन से व्यक्ति स्वयं में बहुत अच्छा महसूस करता है और सभी के साथ मिल जुलकर रहने का अच्छा समय भी मिलता है।
मेरी समझ में यात्रा का उदेश्य दो बिभिन्न सभ्यता संस्कृति के मध्य सीखने सिखाने का प्रयास मात्र होना चाहिए।
यात्रा अपने आप में दो विरोधी ध्रुवों तक प्रसारित चलायमान भी है और स्थिर भी। चलायमान अपने अगले गन्तव्य की ओर सिद्ध है और स्थिर अपने दैनिक गतिविधियों से मुक्त होकर। 
यात्रा में  वियोग व संयोग दोनों है : यात्रा में वियोग का बसाव भी ,अपने पूर्वस्थान, वहाँ बसित किसी प्रियजन से अलगाव में और संयोग भी है। मन के कई खानों में नवनिर्मित स्मृतियाँ पुरातन को साथ गूँथ सुवास लेने लगती हैं। सहयात्रा निष्क्रियता के साथ हो सकती  है, लेकिन इसके परिणाम बाद में स्थायी व मनभावन हो सकते है । 
सामान्य दिनचर्या बाधित होने के साथ साथ सक्रियता भी चरमोत्कर्ष पर होती है। अपने रोजाना के दायित्वों में जुते समय से कुछ पल नहीं, कई घंटे चुरा लें , सुन लें कोई प्रिय स्वर ऐसी कल्पनाएं सदैव मन में आती जाती रहती है।  
भावावेग पर शब्दों का बाँध निर्मित कर नवीन निर्मिति रच डालें, पढ़ लें कई दिनों से खरीदकर रखी गई प्रिय पुस्तक । किंचित कुछ मेरा भी कुछ प्रतिबिंबित होने लगे। मेरे मन  
वाचाल है यात्रा ,कई सम्मिश्रित ध्वनियाँ ,बालकंठ से लेकर उम्र के हर पड़ाव स्वर की, यंत्रों की  गुंजित होती रहती है। तो उतनी ही मौन भी ,हर ध्वनि के बीच तटस्थता, सम्मिश्रित उपस्थिति में भी वैराग्यरूपी भाव की मौजूदगी।
बाहर बाहर अविचल , निश्चल लेकिन अन्तर्मन विचारों के मंथन में ,अविराम चिंतनशील है ह्रदय । 
अंतः केन्द्र में सबकुछ लघुपरिसर में सिमटा हुआ तो बाह्यरूप में  प्रकृति का विस्तारित आँगन , अपने नग्न और वास्तविक रूप में भी दृष्टि को बाँध लेने की सक्षमता रखता हुआ हमें अपनी ओर खींचता है । 
प्रकृति और उसके श्रेष्ठतम संसाधन के मध्य सबकुछ बिखरा, सबकुछ उलझा हुआ प्रतीत होता है । प्रथमद्रष्टया तो ब्राह्यजगत की यात्रा परन्तु शनैः शनैः अन्तर्मन की पटरियों पर दौड़ती हुई, चेतन से अवचेतन 
स्थिति की तरफ़ ले जाती हैं। 

सह संपादन. शक्ति माधवी स्मिता रेनू प्रीती
पृष्ठ सज्जा : शक्ति मंजिता स्वाति सुष्मिता अनुभूति


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शक्ति आलेख : चैत्र रामनवमी / पृष्ठ : ४ / १ .
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डॉ. सुनीता मधुप शक्ति * शालिनी प्रिया
भारतीय संस्कृति के शिखर पुरुषों में से एक श्रीराम.
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मर्यादा के प्रतीक : राम विष्णु के दशवें अवतार थे। मर्यादा के प्रतीक। वे जब त्रेता युग में धरती पर अवतरित हुए तो उनके विनम्र स्वभाव ,हितकारी उद्देश्य से समस्त जगत हर्षित था। भए प्रगट कृपाला दीन दयाला कौशल्या हितकारी हरषित महतारी,मुनि मन हारी,अद्भुत रूप बिचारी ॥
राम नवमी मनाने का उद्देश्य भगवान राम के जन्म का जश्न मनाना और उनके आदर्शों को याद करना है. यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी है. राम नवमी को हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है।
राम मिथक थे अथवा इतिहास : राम लला के अयोध्या में मंदिर के निर्माण के साथ अब तो सिद्ध हो गया कि राम मिथक नहीं इतिहास थे। प्रमाणों पर चर्चा की लम्बी प्रक्रिया चली। राम सिद्ध हो गए।
रामनवमी हमारी भारतीय संस्कृति के शिखर पुरुषों में से एक श्रीराम का जन्मदिन है इस बात पर बहस होती रही कि राम मिथक थे अथवा इतिहास। लेकिन हमारी हजारों साल लंबी सांस्कृतिक परंपरा में ऐसे पहले व्यक्ति जरूर थे जिन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहां गया। वे प्रखर योद्धा भी थे ,अप्रतिम शासक भी और एक शालीन व्यक्तित्व के स्वामी भी थे।
वे ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन पर अपने समय के उच्चतम जीवन मूल्यों के आचरण के लिए देवत्व आरोपित किया गया। जिन पारिवारिक और सामाजिक मूल्यों को उन्होंने जिया वह उनकी मिसाले आज भी दी जाती है। उनकी शासन व्यवस्था रामराज्य को आज भी शासन का आदर्श माना जाता है। राम ऐसे पहले व्यक्ति थे जिनके जीवन पर महर्षि वाल्मीकि की रामायण और तुलसीदास के राम चरित्र मानस के अलावा देश और विदेश की कई भाषाओं में महाकाव्य रचे गए। राम भारत में ही नहीं नेपाल, थाईलैंड, इंडोनेशिया, सहित विश्व के कई देशों में आदर्श के रूप में पूजे जाते हैं।
आधुनिक समय में उनकी कुछ कृत्यों के लिए राम को कटघरे में भी खड़ा किया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि राम का मूल्यांकन हम आधुनिक लोकतांत्रिक मूल्यों की कसौटी पर कस कर करते हैं। राम की जो सीमाएं दिखती है वे सीमाएं राम की नहीं, तत्कालीन जीवन मूल्यों, परंपरा और स्थापित शासकीय आदर्शों की थी। अपनी तमाम करुणा, प्रेम और मानवीयता के बावजूद राम परंपराओं और राजकीय मर्यादाओं के पार नहीं जा सके।
कृष्ण ने नई स्थापनाओं को मान्यता भी दिलाई : समय बदला तो द्वापर युग में कृष्ण ने अपने समय के धार्मिक ,नैतिक और सामाजिक मूल्यों का बार-बार अतिक्रमण भी किया और समाज द्वारा अपनी नई स्थापनाओं को मान्यता भी दिलाई। तथापि किसी ऐतिहासिक पौराणिक व्यक्तित्व का मूल्यांकन उसके समय के सापेक्ष ही किया जाना चाहिए।

राम जी की निकली सवारी राम जी की लीला है प्यारी. : कोलाज : विदिशा.

राम जी की निकली सवारी राम जी की लीला है प्यारी : आज कहीं कहीं विभिन्न शहरों में राम लल्ला की शोभा यात्रा निकलेगी। गली गली में जय श्री राम के नारें गूंजेगे। कहीं कहीं तो कई कई शहरों में अयोध्या जैसा ही परिदृश्य होगा। अपनी दिल्ली में भी रामनवमी को लेकर उत्साह होता है।
दिल्ली की रामनवमी : दिल्ली उत्सवधर्मिता का शहर है बड़े ही जोश ख़रोश से यहां मिलजुलकर त्योहार मनाया जाता है ।इधर के कुछ सालों में मर्यादा पुरुषोत्तम राम को लेकर खासा उत्साह रहा है। हर मंगलवार को सुंदरकांड का पाठ, शनिवार को हनुमान चालीसा और अब रामनवमी से पहले हर दिन रामायण का पाठ तकरीबन हर बड़े मंदिरों में चलता है ।
इन आयोजनों का सबसे बेहतरीन समाजिक लाभ बुजुर्ग महिलाओं को मिलता है । भक्ति के बहाने वे घर से बाहर निकलती है । समूह बनाकर आपस में पाठ करतीं हैं भजन करती हैं । सुख - दुख बांटती हुई एक दुसरे की मदद करतीं हैं । कुल जमा बात यह है कि अकेले पन से बच कर वो जीवन को जीने की कोशिश करती हैं ।
आज दिल्ली में दस दिवसीय रामायण पाठ का समापन आज सुबह के शोभा यात्रा से हुआ। सुबह आठ बजे शोभा यात्रा ,ग्यारह बजे मंदिर में पूजन ,राम जन्मोत्सव और फिर खुल्ला भंडारा ।मर्यादा में रहते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्मोत्सव मनाया गया ।
पटना के महावीर मंदिर : रामनवमी का उत्साह : हालांकि रामनवमी का धार्मिक एकता का सबसे बेहतर उदाहरण पटना के महावीर मंदिर में देखा जा सकता है । स्टेशन स्थित महावीर मंदिर और उसके सटे मस्जिद दोनों के परिसर में आपसी सामंजस्य इस तरह है कि आजतक कितने भी राजनैतिक विवाद देश भर में होता रहे लेकिन पटना स्तिथ महावीर मंदिर और मस्जिद के आपसी भाईचारे तथा सामंजस्य में कोई फर्क नहीं पड़ता है ।
महावीर मंदिर और मस्जिद के आपसी भाईचारे तथा सामंजस्य की झलक : रामनवमी की पांच किलोमीटर दूर से लगनी वाली पंक्तियों को मस्जिद वाले भी सहेजते व संभालते हैं । उस दिन पटरी पर अपनी दूकान लगाने वाले दुकानदार खुद की दुकान समेट लेते हैं। उससे भी अधिक हुआ तो पंक्तिबद्ध राम के भक्तों को मुस्लिम युवक पानी या शरबत तक पिलाते हैं । कभी कभी रमजान के महीने में मंदिर की तरफ से सारी सुविधाएं नमाजियों को दी जाती है। यदि ऐसा भाई चारा पूरे देश में चले तब ही सार्थक होगा मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का रामराज्य जो कभी पहले था।
सह संपादन. शक्ति माधवी स्मिता रेनू नीलम
पृष्ठ सज्जा : शक्ति मंजिता स्वाति सुष्मिता अनुभूति
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विविध संस्कृतियों के महामिलन भूमि अपनी धरा : आर्यावर्त. शक्ति आलेख : ४ /० 
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शक्ति. रीता रानी.  
जमशेदपुर. 
* विक्रमसंवत हिन्दू नववर्ष का :
षष्ठी (छठी)  की पूजा : 

विविध संस्कृतियों के महामिलन भूमि के अंश हम सभी। आनंदपूरित क्षणों की अनेक धाराओं का संगम बिन्दु हमारी धरती। हम सभी शक्ति समूह बहनों की तरफ से आप समस्त को नूतन वर्ष अभिनन्दन है 
चैत्र,प्रथम मास, के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि : हिंदू नववर्ष की शुरुआत से एक दिन पहले  हमने अपने शहर को केसरिया ध्वज से आवृत होते देखा है चैत्र माह में नीम के पत्ते खाने की परंपरा धार्मिक और स्वास्थ्य दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मौसम परिवर्तन के दौरान बीमारियों से बचाव में मदद करता है और नीम में मौजूद गुण शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं.  
संध्या समय विशाल रैली : पूर्वनिश्चित दिशा निर्देश के अनुसार ,श्रीराम और पवनपुत्र के गगनभेदी जयकारों के साथ, सभी केसरिया वस्त्र, केसरिया साफे , केसरिया गमछे को धारण किए हुए, केसरिया तिलक के साथ जैसे लगता है चहुंदिशा ही केसरियामय हो गया हो। 
विक्रमसंवत हिन्दू नववर्ष का : ३० मार्च , २०२५ का  दिन रहा अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार विक्रमसंवत हिन्दू नववर्ष का। धार्मिक मान्यता के अनुसार हिंदू नववर्ष की शुरुआत के साथ ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना करने की शुरुआत की थी। इसी दिन भगवान विष्णु ने दशावतार में से पहला मत्स्य अवतार लेकर प्रलयकाल में अथाह जलराशि में से मनु की नौका को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया था। प्रलयकाल समाप्त होने पर मनु से ही नई सृष्टि की शुरुआत हुई।

अस्ताचलगामी सूर्य को नमन : सूर्य षष्ठी (छठी)  की पूजा : फोटो : अशोक करण 
षष्ठी (छठी)  की पूजा : इसी चैत्र में बिहार , उत्तरप्रदेश , झारखण्ड से लेकर नेपाल तक सूर्य देव की बहन छठी माता की पूजा - आराधना की जाती है । षष्ठी (छठी) माता या देवसेना हिंदू धर्म की एक महादेवी हैं। इन्हें भगवती की श्रेणी में रखा जाता है । बच्चों के दाता और रक्षक के रूप में  इनकी पूजा की जाती है। माता षष्ठी वनस्पतियों की भी देवी हैं और माना जाता है कि प्रजनन और बच्चों को जन्म देने के दौरान सहायता करती हैं ।संध्या अर्घ्य और प्रातः अर्ध्य के रूप में व्रती निराहार निर्जल रहकर शरीर को जल में आधा निमग्न कर सूर्य देव को फल - फूल अर्पित कर उनका अर्चन करते हैं ,साथ ही उनकी बहन का भी । चार दिनों का यह अनुष्ठान १ अप्रैल २०२५ से शुरू होकर ४ अप्रैल २०२५  को प्रातः अर्घ्य के साथ समाप्त हुआ। पंच भूतों से बने हमारे शरीर में एक कारक है - जल और इसी जल में खड़े रहकर सूर्य किरणों  के ताप को अपने अर्द्धजल निमग्न शरीर में ग्रहण करना वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत स्वास्थ्यवर्धक और गुणकारी है।

गुड़ी पड़वा , चन्द्र - सौर नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक, एक वसंत त्योहार : फोटो : शक्ति रीता . 

हिन्दूनववर्ष गुड़ीपड़वा चैत्र और नीमसेवन :  साथ ही शुरू  हो गई है चैत्र नवरात्रि शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापना के साथ। दूसरी ओर हिंदू पंचांग के पहले महीने चैत्र की शुरुआत में महाराष्ट्र,गोवा, दमन में और  उसके आसपास मनाया जाता है ---गुड़ी पड़वा ,मराठी और कोंकणी हिंदुओं के लिए चन्द्र - सौर नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक, एक वसंत त्योहार । 
रंगोली :  गुड़ी ध्वजा : नृत्य और उत्सवी भोजन : इस त्यौहार की विशेषता रंग-बिरंगी फर्श की सजावट है --रंगोली से । एक विशेष गुड़ी ध्वजा ; जो एक साड़ी या धोती या कपड़े का कोई अन्य टुकड़ा होता है जिस पर फूल, आम और नीम के पत्ते , नीम के फूल सजे होते हैं ।एक चीनी क्रिस्टल ( बताशा ) की माला जिसे गाठी कहा जाता है, पहना दी जाती है और  ऊपर उलटकर चांदी या तांबे का बर्तन (  लोटा ) रख दिया जाता है। 
उत्सव में सड़क पर सभा, नृत्य और उत्सवी भोजन भी शामिल होते हैं। घर के मुख्यद्वार पर भी चावल के आटे से शुभाकृतियाँ बनाकर पुष्प अर्पित किए जाते हैं। महिलाएँ पांरपरिक वस्त्र, जैसे साड़ी को मराठवाड़ा रीति से पहनकर , नथ ,पुष्पमाल आदि से स्वयं को सुसज्जित कर एक- दूसरे से शुभकामनाएँ प्रकट करने हेतु मिलती हैं। 
माएँ अपने छोटे बच्चों के गले में बताशे की माला या सूखे नारियल की भी माला पहनाती हैं, अपने ही नहीं अपने आत्मीय अन्य छोटे बच्चों को भी। मातृप्रेम तो विवाहिता बेटियों , दामादों , वधुओं  को भी उसी बालवत्सल स्नेह की भेंट देता हुआ उनके गले में भी इन बताशों की माला पहना देता है। माँओं की दृष्टि में उनकी संतान कभी बड़ी होती भी है क्या ?
इस दिन नीम के पत्तों को पीसकर उनकी चटनी या गुड़ के साथ गोली बनाकर प्रसाद स्वरूप सभी ग्रहण करते हैं-- परम्पराओं में कैसे रोगनिवारण रीतियाँ गूँथी हुई हैं -- जानना कितना सुखद आश्चर्य से भर देता है। चैत्र और नीमपत्र के सम्बन्ध से प्राचीन पीढ़ी के लोग कहाँ अछूते हैं--- नीमपत्र मौसम परिवर्तन के दौरान बीमारियों से बचाव में मदद करता है और इसमें मौजूद गुण शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं ।
शीतला माता की पूजा : चैत्र माह में शीतला माता की पूजा होती है और नीम को शीतला माता का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसे पूजा में शामिल किया जाता है और प्रसाद के रूप में भी खाया जाता है।
अपनी धरती पर सबकुछ कैसा सुमिश्रित है-- सुमिश्रित है परम्पराओं में सुपद्धति युक्त जीवन।
नूतन वर्ष अभिनन्दन : विदा ले चुके  हिन्दू वर्ष के  दिन मेरा वंदन स्वीकार हो..क्षमा करना अगर आपके सम्मान में मुझ से कोई भूल हुई हो.. आज विक्रम  संवत  २०८१ का अंतिम दिन हैं। 
कल से नववर्ष विक्रम संवत  २०८२ प्रारंभ होने जा रहा है।  मैंने यह महसूस किया कि मुझे उन सभी लोगों का धन्यवाद करना चाहिए जिन्होंने मुझे संवत् २०८२  में मुस्कराने की वजह दी है, आप उन्हीं में से एक हैं , इसलिए आपका हार्दिक आभार । 
संभव है कि जाने-अनजाने में मेरे कर्म, वचन , स्वभाव से आप को दुख हुआ हो, इसलिए मैं आपसे क्षमा प्रार्थी हूं ।
विश्वास है कि आगामी विक्रम सम्वत २०८२ में भी आप सबका मार्गदर्शन , स्नेह , सहयोग, प्यार , पूर्व की भांति मिलता रहेगा । सनातन हिन्दू नववर्ष  की आपको एवं आपके परिजनों को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाए.

स्तंभ संपादन : शक्ति. डॉ. सुनीता शक्ति * प्रिया. 
स्तंभ सज्जा : शक्ति. तनु सीमा स्वाति अनुभूति. 

समाज सेवी रवि रंजन : संयुक्त शक्ति मनीषा रंजन : शिशु उद्यान : बिहार शरीफ : समर्थित
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पर्यटन विशेषांक : आलेख : धारावाहिक आलेख : पृष्ठ : ५ 
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नैनीताल डेस्क. 
संपादन. 


शक्ति. शालिनी मानसी कंचन प्रीति. 
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दी लिटिल नेस्ट : सांगला : छितकुल :  किन्नौर : हिमाचल / उत्तराखंड : पर्यटन समर्थित 

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चल कहीं दूर निकल जाए : किन्नौर : सांगला हिमाचल : यात्रा संस्मरण : ५ /० .
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 यात्रा संस्मरण : डॉ.भावना सुनीता शक्ति * प्रिया. 
पृष्ठ सज्जा : शक्ति स्मिता सीमा अनुभूति.

शिमला : नारकंडा : हातू शिखर और बादलों के करीब.  
  

यहाँ बारहों महीने मौसम जाड़ों का : नारकंडा : हातू शिखर : हिमाचल फोटो : शक्ति. डॉ. भावना.
 

पिछले दिनों मैं दस दिनों की यात्रा पर थी। हम लोग कुल जमा तीन लोग थे। कॉलेज से दस दिनों की छुट्टियाँ स्वयं की यायावरी के लिए निकालनी थी। निकल पड़ी हम दो मस्तानी। आनन फानन में पटना से 
चंडीगढ़ के लिए महंगी हवाई टिकट खरीद ली थी मैनें। सामान रखा और गली गली ढूंढें हिमाचल की खोज के लिए निकल पड़ी हम दो बहनें। प्रकृति, प्रेम,पहाड़,उत्तम पुरुष, पुनःनव निर्माण, के दर्शन के साथ हमारी यात्रा आरंभ हुई। 
चंडीगढ़ पहुँचते ही हमने दस दिनों के जीप किराये पर ले ली और चल पड़ी हौसलों से हिमालय के उन दुर्गम घाटियों में दस दिनों के प्रवास के लिए ही सही उड़ान भरने के लिए। 
फीचर डेस्क पर हमारे अनुभवों को शब्दशः करने के लिए तत्पर थी शक्ति सम्पादिका  डॉ.सुनीता मधुप शक्ति प्रिया अनुभूति। शक्ति अनुभूति हमारी कला सम्पादिका हैं जिनका गृह राज्य हिमाचल ही हैं,इसलिए आशा रखती हूँ उन्हें मेरी यात्रा में विशेष दिलचस्पी होगी। 
नारकंडा : हम चंडीगढ़ से शिमला, शिमला से नारकण्डा पहुँच चुके थे। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शहर में हम रुके नहीं। शिमला में पर्यटकों की भीड़ सालों भर लगी ही होती है। 
नारकंडा भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के शिमला ज़िले में १२००० फुट पर स्थित एक सुन्दर नगर है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और स्कीइंग के लिए जाना जाता है। यह शिमला से लगभग ६५ किलोमीटर दूर देवदार के जंगलों चीड़ के वन से घिरा हुआ एक अत्यंत दिलकश पर्वतीय नगर है। 
नारकंडा  से मिलता जुलता नालदेहरा में, जो शिमला के पास है, एक प्रसिद्ध गोल्फ कोर्स है।
हातू शिखर : नारकंडा की सबसे प्रसिद्ध जगहों में से एक है हातू शिखर। इस जगह पर हातू माता का मंदिर है। यह सबसे ऊंचाई पर स्थित है जो कि समुद्र तल से करीब १२००० फुट ऊपर है। इस मंदिर के बारे में ऐसा माना जाता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी हाटू माता की भक्त थीं और उन्होंने ही इस मंदिर को बनवाया था। यहां पर आप हिमालय की सभी दिशाओं का दर्शन कर सकते हैं। यह नारकंडा से ६ कि.मी. दूर है। इसके साथ ही इस जगह पर आप स्कीइंग का भी आनंद ले सकते हैं।
भीम का चूल्हा : हाटू शिखर के पास में ही भीम का चूल्हा भी है जो कि हाटू मंदिर से ५०० मीटर आगे है। इनके बारे में कहा जाता है कि पांडवों को जब अज्ञातवास मिला था तो वह चलते-चलते इसी जगह पर रूके थे और खाना भी यहीं बनाया था।
नारकंडा बाज़ार * : नारकंडा का बाज़ार उतना ही है जितनी की एक सड़क। छोटा सा पहाड़ी कस्वां है। इस बाज़ार में छोटी-छोटी दुकानें हैं जिनमें छोले-पूरी से लेकर कीटनाशक दवाइयां आदि जरुरी सामान मिलती हैं। नारकंडा से ही हमने निकास व प्रवेश का द्वार चुना था   

गतांक से आगे : १ 
 यात्रा संस्मरण : हिमाचल 
 सांगला : ये पर्वतों के दायरे : बस्पा : चितकुल : नदियाँ किनारे मोरा गांव.

 
ये पर्वतों के दायरे : नीले गगन के तले : फोटो : शक्ति. डॉ.भावना.
                                                                                                  
किन्नौर : हम शिमला से पूर्व की ओर बढ़ना था। किन्नौर शिमला का निकटवर्ती जिला है। किन्नर कैलाश की परिक्रमा ' कैलाश की चर्चा खूब सुनती हूँ और यात्रा में होने वाली परेशानियों की जिक्र हो ही जाती है। किन्नौर हिमाचल का एक दुर्गम पर्यटक स्थल जहाँ पहुंचना मुश्किल ही है।
किन्नौर से पूर्व में चीन तिब्बत की सीमाएं सटी है तो पश्चिम में कुल्लू मनाली है । उत्तर पश्चिम में लौहल स्फीति जिला, किन्नौर से सटी है तो दक्षिण में हिमाचल की राजधानी शिमला जिला की सीमाएं है।
यहाँ उगाए जाने वाले सेब, चिलगोजा और अन्य सूखे मेवे के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं ।
यहाँ की ऊँची-ऊँची ज़मीन हर तरह के बेहतरीन एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए आकर्षक जगह बनाती है। खूबसूरत ट्रैकिंग रूट में ' पर्यटकों की मनपसंदीदा ट्रेक किन्नर कैलाश की परिक्रमा ' भी शामिल है, जो लोगों को सदियों से सदैव अपनी ओर खीचता रहता है।
चितकुल : आखिरी गांव :
यहाँ खूबसूरत नाको झील और तीन प्रसिद्ध वन्य जीव अभ्यारण्य भी हैं जो दर्शनीय है ।.
चितकुल : आखिरी गांव : ३४०० - ३४५० मीटर की ऊंचाई पर हिंदुस्तान- तिब्बत व्यापार मार्ग में  बसपा नदी के दाहिने किनारे पर स्थित चितकुल, बसपा घाटी का आखिरी भारतीय गांव है। और पुराने हिंदुस्तान-तिब्बत व्यापार मार्ग का आखिरी गांव भी समझा जा सकता है। यह भारत का आखिरी बिंदु भी है जहां बिना परमिट के जाया जा सकता है। ऊंचाई से ठण्ड का अनुमान लगाया जा सकता है। गर्मियों में भी जबरदस्त ठंड पड़ती है। 
क्योंकि पूरा गांव भारी बर्फबारी से ढक जाता है। इसलिए, इस गांव के लोगों को अपनी आजीविका के लिए किन्नौर जिले के अन्य हिस्सों या पहाड़ियों के निचले क्षेत्र में जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इसलिए, चितकुल घूमने के लिए सबसे अच्छे महीने मई, जून, सितंबर और अक्टूबर हैं।


बर्फ : बसपा नदी, चितकुल और भयानक सर्दी : फोटो : शक्ति. डॉ. भावना निगम. 

चितकुल : अभ्यारण्य : यह अभ्यारण्य ३४ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है और यहाँ तेंदुए, नीली भेड़, गोरल, कस्तूरी मृग, हिमालयी और काले भालू पाए जाते हैं। चितकुल में कुछ अन्य प्रसिद्ध स्थान हैं कग्यूपा मंदिर जिसमें शाक्यमुनि बुद्ध की मूर्ति स्थापित है और माथी मंदिर जो देवी श्री माथी को समर्पित है।
बर्फ : बसपा नदी, चितकुल और भयानक सर्दी : जैसे जैसे हम सांगला से चितकुल की तरफ बढ़ रहें थे सर्दी में भी इजाफ़ा हो रहा था।  इस इलाके  में इतनी भयानक ठण्ड थी हम मैदानी इलाके से आने वालों के लिए यह असहनीय सिद्ध हो रही थी। बर्फ़ की चादर से ढ़की चितकुल की घाटियाँ एकदम से बर्फिस्तान ही लग रही थी। हम सब मुश्किल से एक रात ही ठहर सकें। पानी सब बर्फ़ बन चुका था। टोटियां जम चुकी थी दूसरे दिन ही हमसभी  सांगला उतर चुकी 
थी। गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल मार्च के महीने में भी बर्फ में डूबा हुआ था। सर्दियों में यहाँ का तापमान - ११ डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है तब हम यहाँ के रहने वालों की दुश्वारियां समझ सकते है। 
यहाँ जिओ, बी एस एन एल तथा एयरटेल का नेटवर्क मिलते  हैं । यहाँ मोमबत्ती का प्रयोग आम है। 
सर्दियों में हजार तक के आस पास में यहाँ खाने पीने रहने की व्यवस्था मिल जाती है। 
आईटीबीपी की चौकी : भारत-तिब्बत सीमा पुलिस आईटीबीपी की चौकी चितकुल गांव से लगभग ४ किमी दूर है  आगे एक संवेदन शील चेक पोस्ट है जहाँ से अंदर जाने की मनाही होती है क्योंकि आगे चीन तिब्बत सीमा के संवेदन शील पोस्ट शुरू हो जाते है। यह पैदल चलने के लिए एक समतल सड़क है। रास्ते में दिखने वाले नज़ारे आपको पैदल चलने में बिताए समय को भूला देंगे। इस चौकी से आगे कोई नहीं जा सकता।
भगवान कृष्ण को समर्पित दुनिया का सबसे ऊँचा मंदिर : जन्माष्टमी के त्यौहार के दौरान, स्थानीय लोग धार्मिक उद्देश्यों के लिए चौकी से आगे पहाड़ों पर जाते हैं।
फिर आगे धुमती गॉव तक जाने की अनुमति सिर्फ़ कृष्ण जन्माष्टमी वाले दिन में ही होती है,जब आम आदमी जा सकता है । भारत में भगवान श्री कृष्ण का सबसे ऊंचा मंदिर हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में मौजूद है। युला कांडा ट्रैकिंग एक ट्रैक का नाम है। आप हिमालय के रास्ते में लंबी पैदल यात्रा करके, भगवान कृष्ण को समर्पित दुनिया के सबसे ऊंचे मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
हम बता दें कि सांगला से चितकुल की दुरी लगभग २४ किलोमीटर की है और रक्षम से अनुमानित सही दूरी १० से ११ किलोमीटर की होनी चाहिए। 
बंजारा रिसोर्ट : हमारे ठहरने की व्यवस्था वातेसरी स्थित में बंजारा रिसोर्ट  में की गयी थी।  जहाँ  सेबों  के कई बागान थे। बर्फ़ से ढ़के पहाड़ तो  चितेरों के लिए यहाँ पसंदीदा सांगला घाटी का  प्रमुख लैंडस्केप हो गया है। 
वातेसरी : बंजारा रिसोर्ट : हिमाचल : सेबों के बागान : फोटो : शक्ति. डॉ. भावना .

राक्छम : ट्रेकिंग व कैम्पिंग के लिए प्रसिद्ध : चितकुल के बाद सांगला के पहले राक्छम भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के किन्नौर ज़िले में स्थित एक गाँव है जिसकी ऊंचाई ३००० - ३०५० मीटर की होती है । यह बस्पा घाटी में बस्पा नदी के ठीक किनारे बसा हुआ है, और सांगला से छितकुल जाने वाले मार्ग में बीच में पड़ता है।
 
यह सांगला से १३ किलोमीटर की दूरी पर है।
यह गॉव भी ट्रेकिंग व कैम्पिंग के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ भी रहने लायक होटल व होम स्टे मिल ही जाते है। यहाँ के होटल संचालक सुशील नेगी जी से बात करने पर यह पता चला कि गर्मियों में यहाँ का मौसम बहुत ही सुहावना होता है। और जो लोग बर्फ़बारी देखना चाहते है फरवरी मार्च के महीने में यहाँ चले आए बर्फ ही बर्फ़ मिलेगी।


सांगला  गॉव  : किन्नौर घाटी :  संस्कृति की एक झलक : फोटो : प्रदीप : सांगला 


सांगला : बस्पा : नदियाँ किनारे मोरा गांव. भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के किन्नौर ज़िले में स्थित एक गाँव है। यह बस्पा घाटी में बस्पा नदी के किनारे बसा हुआ है और उस घाटी की सबसे बड़ी बस्ती है। शिमला से इसकी दूरी २२३ किलोमीटर है। हम तीन शक्तियां हम दो भावना और रंजना थी। 
हमने सांगला स्थित बंजारा रेसॉर्ट को ठहरने के चुना था। 
बताते चले सांगला के स्थानीय होटल  किन्नर कैम्पस के संचालक प्रदीप जी ने बातचीत के दरमियान हमें बताया कि बस्पा : नदी का उदगम स्थल चितकुल से  ४८ किलोमीटर आगे कोई ग्लेशियर है जहाँ से 
यह नदी निकलती है। और आगे बढ़ते हुए ये करचम गॉव में सतलुज नदी के वाए किनारे से जा मिलती है। 
बेरिंग नाग जी  का मंदिर : यहाँ कई मंदिर हैं और बेरिंग नाग जी यहाँ के अधिदेवता हैं। दो अन्य देवता सांगला से सम्बन्धित हैं: माजेन नाग जी और पिरी नाग जी। इनके मंदिरों के अलावा बद्रीनाथ जी और चितकुल माता के मंदिर हैं।
सांगला बासपा नदी के दाहिने किनारे पर स्थित एक गांव है ,यह समुद्र से २६२१ - २७००  मीटर की ऊँचाई पर स्तिथ ऊंची उपजाऊ मिट्टी के लिए प्रसिद्ध क्षेत्र है, और कर्चम से १७ किमी की दूरी पर स्थित है। इस घाटी के लोगो ने अपने घरों  का निर्माण कुछ इस प्रकार किया है कि एक के घर ऊपर दूसरा घर निर्मित  है।
सांगला होली : फागल उत्सव : * सांगला होली, की होली धीरे धीरे विश्व विख्यात हो रही है। होली का रंगपूर्ण त्योहार जिसे फागल उत्सव के नाम से भी जाना जाता है, किन्नौर जिले के सांगला घाटी में मनाया जाने वाला एक अनोखा और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध त्योहार है। यह मुख्यधारा के होली उत्सवों से काफी अलग है, जो संगीत, नृत्य और भगवान के साथ भक्ति पर केंद्रित है। इसलिए यहाँ विदेशी सैलानियों की भीड़ देखी जा सकती है।
कल्पा एक छोटा सा गाँव : सतलुज नदी :  किन्नौर का पूर्व जिला मुख्यालय : हमें याद है कुल्लू मनाली के रोहतांग दर्रे में हमने व्यास नदी का उदगम श्रोत देखा था। अब हमारे साथ सतलुज बह रही थी। 
सतलुज नदी का उद्गम स्थान दक्षिण - पश्चिम तिब्बत में समुद्र तल से ४६०० मीटर की ऊंचाई पर है। इसका उद्गम मानसरोवर के निकट राक्षस ताल से होता है, जहां इसका स्थानीय नाम लोगचेन खम्बाव पड़ जाता है। सतलुज नदी भारत की १० सबसे बड़ी नदियां में से एक है।
पूरे उत्तरी भारत में बहने वाली एक प्रमुख नदी है जिसका पौराणिक नाम शतुर्दि है। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित कल्पा एक छोटा सा गाँव है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।  यह सतलुज नदी की घाटी में २७५९ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। 


गतांक से आगे : २  
 यात्रा संस्मरण : हिमाचल : किन्नौर कैलाश
डॉ.भावना सुनीता शक्ति प्रिया.
गर्मी : फिर भी जाड़े की नरम धूप हो

गर्मी : फिर भी जाड़े की नरम धूप हो : वर्फ़ की सफ़ेद चादर : फोटो : प्रदीप : सांगला.
 
 
हम कई दिनों से किन्नौर में थे। यत्र तत्र घूम रही थी। भौगौलिक दशाओं से परिचित हो रही थी 
कल्पा एक छोटा सा गाँव : कल्पा पहले किन्नौर का जिला मुख्यालय था, लेकिन अब रिकांग पियो जिला मुख्यालय है हो गया है ।
शिमला, मनाली, धर्मशाला, मैकलॉडगंज आदि जगहों पर तो अक्सर आपने लोगों की भीड़ देखी होगी। अगर आप इस भीड़-भाड़ से दूर जाना चाहती हैं, तो किन्नौर जिले में स्थित एक प्यारे शहर कल्पा में घूम आइए।
यह शिमला से २६० किलोमीटर की स्थित  है। रिकांग पिओ से पहले यह किन्नौर जिला का मुख्यालय था। यह जिला मुख्यालय से १४ किलोमीटर की दूरी पर है । १९ वीं शताब्दी में ब्रिटिश गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौज़ी की यात्रा के बाद कल्पा को प्रसिद्धि महत्व दिया गया।
रिकांग पिओ : रिकांग पियो, किन्नौर जिले का मुख्यालय है, यहाँ देखने लायक कई जगहें हैं। प्रमुख आकर्षणों में किन्नर कैलाश पर्वत , चंडी माता मंदिर और भाभा घाटी शामिल हैं। आप राल्डांग पर्वत का भी दृश्य देख सकते हैं और सेब के बागों का आनंद ले सकते हैं।
राल्डांग पर्वत किन्नौर-कैलाश पर्वत श्रृंखला का हिस्सा है, जो किन्नौर जिले, हिमाचल प्रदेश में स्थित है। यह ५४९९ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और रिकांग पियो के पास दिखाई देता है।
किन्नौर कैलाश की वर्फ़ से ढकी चोटियां : हिंदू धर्म में कैलाश पर्वत को सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। कहते हैं कि भगवान शिव अपने परिवार के साथ यहीं रहते हैं। माना जाता है कि कोई आम इंसान कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ सकता है। तिब्बत में स्थित कैलाश पर्वत यानी कैलास उल्लेख कई हिंदू ग्रंथों में मिलता है।
अगर आप कल्पा घूमने आते हैं, तो यहां से किन्नौर कैलाश एकदम से पार्श्व में हैं। शिव के कैलाश का दर्शन का आप आनंद उठा सकते हैं। शिव की अनुभूति सदैव होती रहेगी। ओम नमः शिवाय के भाव को मन में रखें और विश्व के कल्याण की बात करते रहें।
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किन्नौर संस्कृति : अति लघु फिल्म : प्रदीप : सांगला
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किन्नर कैलाश की बर्फ से लदी - ढकी चोटी यहां से बेहद खूबसूरत दिखती है। इस चोटी को रंग बदलने के लिए जाना जाता है। माना जाता है कि यह भगवान शिव का घर है। अगर आप ट्रैकिंग करना चाहती हैं, तो उसके लिए भी यह जगह सटीक है। नमी के अभाव होने की वज़ह से ख़ुश्की की शिकायत रहती है।
नारायण नागिनी मंदिर : यहां का दूसरा आकर्षण केंद्र है यह मंदिर, जो पारंपरिक तिब्बतन पगोड़ा स्टाइल में बनाया गया है। यह मंदिर चीनी गांव के बिल्कुल टॉप पर बसा है, जहां से आप पूरे किन्नौर जिले की खूबसूरती को निहार सकती हैं। विदित हो कि यह मंदिर कुछ पांच हजार साल पुराना है। इस मंदिर के कुछ ही दूरी पर ही हु - बू -लान - कार नाम की एक मोनस्ट्री है, आप चाहें तो यहां भी जा सकते हैं।




आप सभी के लिए हिमाचल प्रदेश का मैप सामने है। भौगोलिक स्थिति देखते रहे कि आप किस दिशा की ओर अभिमुख हो रहें हैं। शिमला से 
किन्नौर पूर्व उत्तर में स्थित है। लौहल स्फीति शिमला से उत्तर कुल्लू मनाली और कुल्लू मनाली से भी उत्तर में स्थित है लौहल स्फीति का बर्फिस्तान।
करछम गॉंव : करछम बांध यह हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में सतलुज नदी पर स्थित एक जलविद्युत परियोजना है. यह १०९१ मेगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता वाली एक रन-ऑफ-द-रिवर जलविद्युत परियोजना है।
अब हमें नाको, ताबो के रास्ते लौहल  स्पीति  : जाना था।  किनौर तक रास्ता तो ठीक था लेकिन काजा के रास्ते बहुत ही कच्चे, व खतरनाक है। सदैव राह चलते हुए यहीं लगता है कि भगवत कृपा से ही हम लाहौल और स्पीति  घूम सकते हैं। 
लाहौल और स्पीति : लाहौल और स्पीति अपनी ऊंची पर्वतमाला के कारण शेष दुनिया से कटा हुआ था। रोहतांग दर्रा ३९७८ मी की ऊंचाई पर लाहौल और स्पीति को कुल्लू घाटी से पृथक् करता है। 
साल २०२१ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अटल टनल का उद्घाटन करने के बाद लाहौल तक पहुंचना आसान हो गया है। यह रास्ता लगभग पूरे साल खुला रहता है। जिले़ की पूर्वी सीमा तिब्बत से मिलती है, उत्तर में लद्दाख भू-भाग  जम्मू और कश्मीर में स्थित और किन्नौर एवं कुल्लू दक्षिण सीमा में हैं।

क्रमशः जारी 

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धुंध भरे मौसम : चकराता : यात्रा संस्मरण : ५ / १  
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धुंध भरे मौसम : चकराता -  एक मन भावन ठंढ़ी हवाओं वाला जादुई हिल स्टेशन : ५ /१  
यात्रा वृतांत : डॉ. सुनीता मधुप शक्ति * प्रिया . 


पिछली बार जब गर्मियों में मसूरी की यात्रा पर हमसब थे। तो लम्बे समय के लिए मसूरी में रुकना संभव हो पाया था। मसूरी के ओक ग्रोव स्कूल के अहाते में रुकना हुआ था। 
सवेरे से ही देहरादून के हेलीपैड से हेलीकॉप्टर के उड़ने की आवाजें सुनाई देती रहती थी। चर्चाएं होती थी चारों धाम की यात्रायें शुरू हो गयी थी। 
धुंध भरे मौसम : और चकराता : देहरादून के पास ही चकराता एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, जो धुंध भरे मौसम, हरे-भरे पत्तों और प्राचीन प्राकृतिक सुंदरता से घिरा हुआ है। जो आगंतुकों को एक आकर्षक काल्पनिक दुनियां  में ले जाता है। ऐसे आकर्षक स्थानों की तलाश करने वालों को इस अनोखे अनुभव में खुद को डुबोने के लिए कम से कम एक बार चकराता की यात्रा पर विचार करना चाहिए। एक दो शांति के क्षण आप गुजार सकते है। 
तब ही हमने चकराता को खोजने की बात की थी। यह पास का ही हिल स्टेशन था। कोई ज्यादा दूरी नहीं  थी। यहीं कोई ११८ किलोमीटर के आस पास। यहाँ एक दो दिन रुका जा सकता था। पहुंचने के बाद , नज़ारे देख लेने के पश्चात् ही तय हो सकता था कि यहाँ रुका जा सकता है या नहीं। 
यात्रा की शुरुआत : सुबह सुबह हम नाश्ते से फ़राग़त हो कर हम मसूरी से रवाना हुए। मसूरी के सिनेमा व्यू पॉइंट  के पास ही कोई पेट्रोल पम्प से ही साथी प्रत्येश ने तेल भरवा लिया। हम मसूरी से आगे बढ़ें। 
यमुना ब्रिज : जानकी चट्टी  व यमुनोत्री : हमें याद है हम किसी ऐसी जगह से मुड़ें थे वहां से यमुना ब्रिज दिख रहा था। और शायद वही से एक रास्ता ,वारकोट जानकी चट्टी  व यमुनोत्री के लिए जाता है । मसूरी से यमनोत्री की दुरी लगभग १४० किलो मीटर की है। एक बार तो लगा पहले यमुनोत्री ही घूम लेते हैं लेकिन हमारा गंतव्य स्थल चकराता था,इसलिए हमें चकराता जाने वाले मार्ग जीप मोड़नी पड़ी । यमुनोत्री धाम, जो यमुना नदी के स्रोत के पास स्थित है, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है और चार धाम यात्रा का पहला पड़ाव है।
चकराता, उत्तराखंड के देहरादून ज़िले में स्थित एक खूबसूरत हिल स्टेशन : देहरादून से ८७ किमी, मसूरी से ९८ किमी और कालसी से ४३ किमी की दूरी पर स्थित चकराता देहरादून जिले का एक खूबसूरत शहर है। यह टोंस और यमुना नदियों के बीच २११८ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
चकराता, उत्तराखंड के देहरादून ज़िले में स्थित एक खूबसूरत हिल स्टेशन है, जो समुद्र तल से २११८ मीटर की ऊंचाई पर बसा है। गर्मियों में ठंढ का एहसास हम यहाँ कर सकते है यह तो यहाँ भौगोलिक दशाओं से ही अनुमान किया जा सकता है। और अपने मनोरम परिदृश्य और शांत वातावरण के लिए चकराता, विशे षतः जाना जाता है।
चकराता की ऊंची पर्वत श्रृंखलाएं : कई साहसिक गतिविधियों की पेशकश करती है, जिसमें दिल को धड़काने वाली पर्वतारोहण भी शामिल है। पेशेवर पर्वतारोही खरम्बा चोटी पर चढ़ सकते हैं, जो चकराता का सबसे ऊंचा पर्वत है और इसकी ऊंचाई १०,००० फीट है। इसके अलावा चकराता में रोमांचक ट्रैकिंग, जंगल में कैपिंग और हिल स्टेशन के बाहरी इलाकों में गांवों की सैर भी की जा सकती है।

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क्या देखें : संदर्भित : शॉर्ट रील : चकराता में 


गतांक से आगे  : १. 
देखें : टाइगर फाल : बुधेर टॉप : चिरमिरी नेक :कालसी : लाखामंडल :

टाइगर फॉल : चकराता से ५ किमी पैदल चलने पर ८० मीटर ऊंचा टाइगर फॉल है। यह ट्रेकिंग के लिए अच्छी जगह है। यदि आप चकराता में एक दो दिन ठहरते हैं तो टाइगर फॉल देखने जरूर जाएं। उपर से गिरते झरने का दृश्‍य बडा खूबसूरत लगता है जब उंचें जगह से एक छोटे तालाब में गिरता हुआ हमें दिखता है।
नाम से ऐसा प्रतीत होता है कि यहाँ पर बाघ पानी पीने आते होंगे।
समुद्र तल से १३९५ मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह झरना चकराता के उत्तर पूर्व में स्थित है। शहरी शहर देहरादून की हलचल से दूर, टाइगर फॉल्स चकराता के पास पहाड़ी इलाके के बीच स्थित एक शानदार दर्शनीय झरना है। व्यवसायीकरण से अछूता, टाइगर फॉल बुनियादी ट्रेकिंग के बीच एक पसंदीदा आकर्षण है...


चकराता में : कहीं दूर जब दिन ढल जाए : संपादन : सोनिया : फोटो : हर्षित 

चिरमिरी नेक : चकराता से चार किमी दूर चिरमिरी नेक को प्रकृति ने अद्भुत सुंदरता प्रदान की है। यहाँ से ढलते सूरज का मनोहारी दृश्य पर्यटकों को बांधता है। मसूरी के गन हिल पॉइंट की तरह आसमां को छूते देवदार पेड़ों के जंगलों से घिरी चिरमिरी नेक चकराता की सबसे हरित ऊंची चोटी है,जहाँ से चकराता की क्षितिज में डूबते साँझ का चित्र शायद कभी भूल पाए ।
मौसम साफ होने पर यहां से हिमालय की बंदरपूंछ, रोहिणी आदि चोटियों के साथ आसपास की पहाड़ियों के शानदार नजारे का आनंद ले सकते हैं। यहां विभिन्न प्रजाति के पक्षियों के साथ रंग- बिरंगी तितलियों के दीदार भी होते हैं। चिरमिरी हिमालय के उन कुछ स्थानों में से एक है, जहां से विंटरलाइन दिखाई देती है।
बुधेर टॉप : सच कहें तो खाना पूर्ति के लिए हिल स्टेशन जाने के बजाय अन्वेषण के दृष्टिकोण से ही जाना चाहिए। चकराता से १५ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है बुधेर टॉप : गुफाओं व घास के मैदान के लिए प्रसिद्ध है, इसका स्थानीय नाम मोइला टॉप है। जो समुद्र तल से लगभग २७५० मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह क्षेत्र देवधार व चीड़ के घने जंगलों से ढका हुआ है, जो एशिया के सबसे घने जंगलों में से एक है।
कालसी : जब हम वापस मसूरी लौट रहें थे तो कालसी कस्वां भी मिला था। पास में यमुना नदी बह रही थी। चकराता और देहरादून के बीच डाकपत्थर के पास यमुना नदी के किनारे स्थित एक छोटा सा शहर है। कालसी शहर अपनी ऐतिहासिक विरासतों के लिए जाना जाता है। प्रसिद्ध मौर्य सम्राट अशोक के शिलालेखों को चट्टानों पर उकेरा गया है जो यहाँ प्राप्त हुए है ।
लाखामंडल : लाख से बने हुए घर। मसूरी - यमुनोत्री रोड़ पर स्थित लाखामंडल का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है। यहां पुरातत्व विभाग द्वारा करवायी गयी खुदाई में लाखों मूर्तियों के अवशेष मिले है, यह भी एक कारण है की इसका नाम लाखामंडल पड़ा। माना जाता है कि कौरवों ने पाड़ंवों को जलाने के लिए लाक्षागृह बनवाया था, और जहां उन्हें माता कुंती के साथ जिन्दा जलाने का षड़यंत्र रचा था। लाखामंडल में वह गुफा आज भी मौजूद है, जिससे होकर पांडव सकुशल बाहर आये थे, और इसके बाद पांडव द्वारा चक्रनगरी में एक महीने तक निवास किया गया था, जिसे आज चकराता नाम से जाना जाता है। यहां पांडवों, परशुराम, केदार और दिवा को समर्पित अनेक मंदिर भी बने हुए हैं। भीम और अर्जुन की आकृति को यहां बेहद खूबसूरती से पत्थर पर उकेरा गया है। लाखमंडल विशेषरूप से महाभारत काल से संबधित माना जाता है।
लाखामंडल यमुना नदी के उत्तरी छोर पर यमुना नदी के तट पर स्थित बर्नीगाड़ नामक स्थान से ३ - ४ किलोमीटर की दूरी पर है। लाखामंडल समुद्र तल से १३७२ मीटर की ऊंचाई पर स्तिथ है, लाखामण्डल चकराता से ६० किमी, मसूरी से ७५ वह देहरादून से १२८ किलोमीटर की दुरी पर स्तिथ है।
पृष्ठ संपादन : शक्ति मीना स्मिता रेनू नीलम. 
पृष्ठ सज्जा : शक्ति सीमा वनिता अनुभूति. 
क्रमशः जारी 
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गंगोत्री और यमुनोत्री धाम : उत्तराखंड : उत्तरकाशी यात्रा संस्मरण : ५ / २ 
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शक्ति. दया जोशी.

 
समाचार. सम्पादिका. केदार दर्शन. नैनीताल. 
 सह लेखिका. यात्रा. डॉ. सुनीता सीमा शक्ति* प्रिया 
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गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट बुधवार को अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर खुले : शक्ति कोलाज
*
यमुनोत्री धाम यमुनोत्री, यमुना नदी का स्रोत और हिंदू धर्म में देवी यमुना की सीट है. यह जिला उत्तरकाशी में गढ़वाल हिमालय में ३२८ ३ मीटर या १०८०४ फीट की ऊंचाई पर स्थित है। उत्तराखंड के चार धाम तीर्थ यात्रा में यह चार स्थलों में से एक है।
कितनी दूर है यमुनोत्री : चार धामों में सबसे पहले यमुनोत्री ही आता है। भारत के उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित है एक धाम । यह उत्तरकाशी से लगभग १५० किलोमीटर उत्तर में तथा ऋषिकेश से २१० किलोमीटर और हरिद्वार से २५५ किलोमीटर सड़क मार्ग से जुड़ा समुद्रतल से ३२८३ मीटर उँचाई पर स्थित है।
देहरादून से यमुनोत्री : सड़क मार्ग से कैसे पहुँचें ?

जानकी चट्टी से,तीर्थयात्री यमुनोत्री मंदिर तक पहुँचने के लिए ६ किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। जो लोग पैदल चलने में असमर्थ हैं, उनके लिए पालकी या टट्टू की सवारी जैसे अन्य विकल्प भी उपलब्ध हैं।
इस पवित्र जिले से हो वाली यमुना नदी की उपस्थिति तीर्थयात्रा की पवित्रता को बढ़ाती है, जो यमुनोत्री के आशीर्वाद की तल करने वालों के लिए एक आत्मा को झकझोर देने वाला अनुभव बनाती है।
ज्ञातव्य हो यमुनोत्री मंदिर तक कोई सीधा मोटर वाहन योग्य स्थान नहीं है। यमुनोत्री धाम के अंतिम मोटर वाहन योग्य स्थान उत्तरकाशी जिले में स्थित जानकी चट्टी है। इस पवित्र मार्ग पर, तीर्थयात्री हनुमान चट्टी और फूल चट्टी जैसे प्रतीकात्मक स्थानों से गुजरते हैं, जहाँ हर कदम पर भक्ति और प्राचीन आध्यात्मिकता की गूंज सुनाई देती है।
देहरादून से यमुनोत्री तक का मार्ग : देहरादून से यमुनोत्री तक के मार्ग में दो विकल्प उपलब्ध हैं, और इनमें से चुनाव पहुँच और पसंद के आधार पर किया जा सकता है क्योंकि दोनों मार्गों के बीच की दूरी में बहुत ज़्यादा अंतर नहीं है। हम यमुनोत्री की यात्रा के लिए अपनी सुविधा के हिसाब से सबसे अच्छा मार्ग चुन सकते हैं।
देहरादून से यमुनोत्री की दूरी १६७ किलोमीटर है और यात्रा का समय आम तौर पर ६ से ७ घंटे तक का समय लगना होता है। हालांकि, यात्रा की अवधि सड़क की स्थिति और ट्रैफ़िक जैसे कारकों से प्रभावित हो सकती है, जो समग्र यात्रा अनुभव को प्रभावित करती है। यदि हम मसूरी से यमुनोत्री की दूरी की बात करें तो १३२ किलोमीटर की दूरी होगी। यात्रा मार्गः में देहरादून ,मसूरी ,नैनबाग , कंडी , लाखामंडल ,नौगांव और यमुनोत्री आयेंगे।
हरिद्वार से यमुनोत्री वाया सेलाकुईः हरिद्वार से यमुनोत्री वाया सेलाकुई का मार्ग लगभग १८० किलोमीटर का है और सड़क मार्ग से आमतौर पर ७ से ८ घंटे का समय लग सकता है। इस यात्रा मार्ग में देहरादून ,सेलाकुई ,डुमेट, लाखा मंडल ,नौगांव ,यमुनोत्री आते है।
देहरादून से यमुनोत्री देहरादून से यमुनोत्री तक की पवित्र यात्रा एक ऐसी तीर्थयात्रा है जिसका आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है, प्रतिष्ठित चार धाम यात्रा का एक अभिन्न अंग है। यह पवित्र प्रयास भक्तों को यमुनोत्री धाम के प्राचीन परिवेन की ओर आकर्षित करता है, जहाँ दिव्य यमुनोत्री मंदिर धार्मिक उत्साह के प्रतीक के रूप में खड़ा है।
देहरादून से निर्बाध पहुंच एक गहन तीर्थयात्रा की शुरुआत का प्रतीक है, जो जानकी चट्टी में अंतिम मोटर योग्य बिंदु तक जाती है। इस मोड़ से, तीर्थयात्रियों के सामने एक विकल्प होता हैः लगभग ६ किलोमीटर की पैदल यात्रा, जो आसपास के आध्यात्मिक वातावरण में खुद को डुबो देती है, या यमुनोत्री के दिव्य निवास की ओर अधिक आरामदायक चढ़ाई के लिए टट्टू / पालकी की सवारी का विकल्प।
इस मनमोहक मार्ग पर, हिंदू पौराणिक कथाओं में देवी के रूप में पूजी जाने वाली पवित्र यमुना नदी राजसी ढंग से बहती है, जो यात्रा पर आध्यात्मिक जादू बिखेरती है। नदी की मधुर ध्वनि तीर्थयात्रियों के साथ चलती है, जो यमुनोत्री की ओर सुंदर परिदृश्यों को पार करते हुए तीर्थयात्रा की पवित्रता को बढ़ाती है।
देहरादून से यमुनोत्री हवाई मार्ग से कैसे पहुँचें ?
मुझे याद है २०२३ में जब हम मसूरी के ओक ग्रोव स्कूल में थे तो सवेरे सवेरे हेलीकॉप्टर के उड़ानों को देखते रहते थे। मौसम यदि साफ होता तो अधिकाधिक संख्या में हेलीकॉप्टर भी हमने उड़ते देखें।
हवाई मार्ग सेः यमुनोत्री में कोई हवाई अड्डा नहीं है जहाँ बड़े जहाज उड़ सकें । देहरादून में जॉली ग्रांट हवाई अड्डा वास्तव में निकटतम हवाई अड्डा है, और वहां से यात्रियों को आम तौर पर यमुनोत्री धाम तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग से आगे बढ़ना पड़ता है। जो लोग जल्दी से जल्दी पहुंचना चाहते हैं, उनके लिए देहरादून से यमुनोत्री तक हेलीकॉप्टर सेवाएं उपलब्ध हैं। ये हेलीकॉप्टर सेवाएं आमतौर पर तीर्थयात्रा के मौसम के लिए ही उपलब्ध होती है? चालित हेली सेवाओं के लिए हमें , और समय सारिणी, उपलब्धता और बुकिंग विवरण पहले से जांचना उचित है।
गंगोत्री यात्रा संदर्भित गीत.
हम सब की पसंद
डॉ. सुनीता स्मिता वनिता मंजूषा शक्ति * प्रिया
फिल्म : गंगा की लहरें.१९६४.
गाना : मचलती हुई हवा में छम छम
हमारे संग संग चले गंगा की लहरें
सितारे : धर्मेंद्र. किशोर कुमार. कुमकुम.



गीत : मजरूह सुल्तानपुरी. संगीत : चित्रगुप्त. गायक : किशोर कुमार. लता.
गाना सुंनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं


गंगोत्री : ३०४२ मीटर की ऊंचाई पर गंगा नदी का उद्गम स्थल गंगोत्री है और जब कि यमुना नदी का उद्गम स्थल यमुनोत्री है। ये दोनों तीर्थ उत्तरकाशी जिले में हैं। शिव जी का ११ वां ज्योतिर्लिंग केदारनाथ है भी इसी जिले में है ।
उत्तरकाशी से गोमुख : उत्तरकाशी से गोमुख तक जीप या टैक्सी से जाएं। ६५ किलोमीटर की दूरी तय करने वाली इस यात्रा में लगभग ७ घंटे लगते हैं।
गोमुख से गंगोत्री तक ट्रेक : यात्रा के अंतिम भाग में गोमुख से गंगोत्री तक १८ किलोमीटर का ट्रेक शामिल है, जो पैदल लगभग ४ घंटे से अधिक का समय लेता है।

उत्तरकाशी। विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट बुधवार को अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर वैदिक मंत्रोच्चराण व पूजा अर्चना के साथ श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए। गंगोत्री धाम के कपाट १० बजकर ३० मिनट पर और यमुनोत्री धाम के कपाट दोपहर ११ बजकर ५५ मिनट पर देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले गए तथा सभी दिव्य धार्मिक परंपराओं की भव्यता के साथ ही गंगा व यमुना के उद्गम क्षेत्रों की सांस्कृतिक समृद्धि में साक्षी बने। दोनो धामों के कपाट खुलने के बाद आज से चारधाम यात्रा का विधिवत शुभारंभ हो गया। इस अवसर पर गंगोत्री एवं यमुनोत्री मंदिर के ऊपर हैलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई।
गंगा की उत्सव डोली भैरव घाटी स्थित भैरव मंदिर से : बुधवार सुबह मां गंगा की उत्सव डोली भैरव घाटी स्थित भैरव मंदिर से गंगोत्री के लिए रवाना हुई। जो कि ठीक साढ़े आठ बजे गंगोत्री धाम पहुंची। जहां तीर्थ पुरोहितों ने विधिवत पूजा अर्चना,गंगा लहरी, गंगा सहस्त्रनाम का पाठ करने के बाद रीति-रिवाज और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ १० बजकर ३० बजे गंगोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिये गए।
मां यमुना की डोली अपने शीतकालीन प्रवास खरसाली (खुशीमठ) से अपने भाई शनिदेव की अगुवाई में कालिंदी पर्वत की तलहटी में स्थित यमुनोत्री धाम के लिए आज शुभ मुहूर्त को रवाना हुई,जो ११ बजे यमुनोत्री धाम पहुंची। खरसाली में ग्रामीणों एवं लोक देवताओं की डोलियों ने यमुना जी की डोली को भावुक कर देने वाले माहौल से विदा किया। यमुनोत्री धाम में हवन,पूजा के बाद वैदिक मंत्रोचार व विधि विधान के साथ ११ : ५५ पर यमुनोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए।
गंगोत्री धाम कपाट उदघाटन के अवसर पर मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी गंगोत्री पहुंचे। जहां उन्होंने मां गंगा की पूजा अर्चना की,और अखंड ज्योति के दर्शन किए। इस मौके पर उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नाम से पहली पूजा की और मां गंगा से देश व प्रदेश की कुशलता की कामना की। वहीं कपाट खुलने के अवसर पर देश विदेश से आए श्रद्धालुओं ने भी अखंड ज्योति के दर्शन किए ओर गंगा में स्नान कर पुण्य अर्जित किया।
अक्षय तृतीया का शुभ दिन : और खुले कपाट : मुख्यमंत्री ने कहा कि आज अक्षय तृतीया का शुभ दिन है और सभी को कपाट खुलने पर बधाई दी। आज शुभ घड़ी में चारधाम यात्रा का विधिवत शुभारंभ हो गया और गंगोत्री एवं यमुनोत्री धाम के कपाट आज खुल गए है। चारधाम यात्रा को देशवासियों को प्रतीक्षा रहती है।
उत्तराखण्ड वासियों को जो चारधाम यात्रा का संचालन करते है उनके साथ लिए महाउत्सव की तरह होता है। प्रशासन द्वारा चारधाम यात्रा की तैयारियां पूरी हो गई है। आने वाले श्रद्धालुओं तीर्थ यात्रियों की यात्रा सुगम,सुरक्षित व सरल हो जिसके लिए सारे प्रबन्ध सुनिश्चित किए गए है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि यात्रा का विधिवत तरीके से नियोजन किया जाए,चाहे यातायात हो या सुरक्षा के दृष्टि से पुलिस,परिवहन विभाग हो,पेयजल, सड़क से जुड़े विभाग हो सभी यात्रा को सुगम बनाने के लिए कार्य कर रहे है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है चारधाम यात्रा हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी अच्छी हो।
यमुनोत्री मंदिर में मुख्यमंत्री ने कहा कि सुरक्षित और सुगम चारधाम यात्रा उनकी प्राथमिकता है और उसके लिए सभी प्रबंध किए गए है तथा लगातार इसकी मॉनिटरिंग की जा रही है। जिसके लिए सीसीटीवी और ड्रोन के माध्यम से भी सुरक्षा और यातायात की दिशा में काम किया जा रहा है।बाहर से आने वाले यात्रियों के बारे में कहा कि उन्हें चारधाम यात्रा के लिए आमंत्रित करते है तथा चारधाम यात्रा सुगम और सुरक्षित है यहां दर्शन कर चारधामों की कृपा का फल प्राप्त कर सकते हैं।

संक्षिप्त वृत चित्र : गंगोत्री

प्रस्तुति : शक्ति दया जोशी
सम्पादिका : केदार दर्शन : नैनीताल

सम्पादिका : शक्ति बीना मीना भारती.  
पृष्ठ सज्जा : शक्ति अनुभूति स्वाति सुष्मिता 

डॉ. राजीव रंजन. शिशु रोग विशेषज्ञ.बिहार शरीफ. नालंदा. समर्थित
-------------- ये मेरा गीत : जीवन संगीत : कल भी कोई दोहराएगा : पृष्ठ : ६. ----------
शक्ति. स्मिता. प्रीति सहाय.  वनिता. 


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शीर्षक संदर्भित जीवन संगीत.
मेरी पसंद. 
*
डॉ. सुनीता मधुप शक्ति* प्रिया अनुभूति. 

ये मेरा गीत जीवन संगीत कल भी कोई दोहराएगा 
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फिल्म : माचिस.१९९६.  
गाना : चप्पा  चप्पा  चरखा चले 
सितारे : चंद्रचूड़. जिम्मी शेरगिल.तब्बू  



गीत : गुलजार. संगीत : विशाल भारद्वाज गायक : हरिहरण. सुरेश वाडेकर. 
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फिल्म : जब जब फूल खिले : १९६५. 
सितारे : शशि कपूर. नंदा 
गाना : एक था गुल एक थी बुलबुल 
गीत : आनंद बख्शी. संगीत : कल्याण जी आंनद जी गायक : रफ़ी.
 

गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 
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फिल्म : मन की आँखें. १९७०. 
गाना : दिल करे रुक जा है यहीं पर कहीं 
सितारे : धर्मेंद्र. वहीदा रहमान. 
गीत : साहिर लुधियानवी. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल गायक : रफ़ी
 


गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 
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फिल्म : आक्रमण.१९७५.  
गाना : ये मौसम आया है कितने सालों में 
सितारे : राकेश रौशन. रेखा. संजीव कुमार.



गीत : आनंद वक्शी. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारेलाल. गायक : किशोर कुमार. लता.  
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 

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फिल्म : एक महल हो सपनों का 
सितारे : धर्मेंद्र. लीना. शर्मिला
गाना : दिल में किसी के प्यार का जलता हुआ दिया 
दुनियाँ की आँधियों से भला ये बुझेगा क्या


 
गीत : साहिर लुधियानवी. संगीत : रवि. गायक : लता. 
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 
फिल्म : दूसरा आदमी.१९७७.  
सितारे : ऋषि कपूर. राखी. शशि कपूर.


गाना : चल कही दूर निकल जाए 
गीत : मजरूह सुलतानपुरी संगीत : राजेश रोशन गायक : किशोर कुमार लता 

गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 

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फिल्म विश्वास.१९६९. 
गाना : ले चल ले चल मेरे साथी 
ले चल इस दुनियां से प्यार ही प्यार है जहाँ 
सितारे : जीतेन्द्र. अपर्णा सेन.


गीत : गुलशन बावरा. संगीत : कल्याण जी आनंद जी गायक : हेमलता. मुकेश.
 गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 

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टाइम्स मीडिया शक्ति समर्थित.
कोलकोता डेस्क. 
डॉ. अमर दीप नारायण हड्डी एवं रीढ़ रोग विशेषज्ञ : बिहार शरीफ : नालन्दा समर्थित 
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चल कहीं दूर निकल जाए : फ़िल्मी कोलाज : यात्रा : पृष्ठ : ७.
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संपादन.
शक्ति.मीना शबनम सीमा स्मिता अनुभूति.

किसी राह में कही चल न देना तू छोड़ कर मेरे हमसफ़र सफ़रनामा :डॉ.सुनीता शक्ति प्रिया अनुभूति.
रिंद पोश माल ,फिर चिनार की शाखों पे, पंछी घर बनाएँगे कश्मीर :डॉ.सुनीता शक्ति प्रिया अनुभूति.
एक था गुल और एक थी बुलबुल दोनों चमन में रहते थे : डॉ.सुनीता शक्ति प्रिया अनुभूति.
नैना बरसे रिमझिम रिमझिम पिया तोरे आवन की आस : डॉ.सुनीता शक्ति प्रिया अनुभूति.
दिल करे रुक जा रे रुक जा है यही पर कहीं : डॉ.सुनीता शक्ति प्रिया अनुभूति.
हूँ बहुत नादान करता हूँ ये नादानी बेच कर खुशियाँ खरीदूं आंख का पानी
ये मौसम आया है कितने सालों में आजा खो जाए ख़्वाबों ख्यालों में डॉ.सुनीता शक्ति प्रिया अनुभूति.
सौ बार जन्म लेंगे सौ बार फना होंगे  कोलाज : डॉ.सुनीता शक्ति प्रिया अनुभूति.
उड़ते बादल फर्श बने और धुंध की हो दीवारें : खजियार  : हिमाचल : डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया अनुभूति. 
पर्वतों के पेड़ों पर शाम का वसेरा है : नैनीताल : डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया अनुभूति. 
जिसकी तमन्ना में कहीं करती होगी मेरा वो इंतजार :  डॉ. सुनीता शक्ति  प्रिया अनुभूति. 
गुमनाम है कोई बदनाम है कोई किसको पता अनजान है कोई  डॉ. सुनीता शक्ति  प्रिया अनुभूति 
ले चल ले चल मेरे साथी प्यार ही प्यार हो जहाँ : डॉ. सुनीता शक्ति  प्रिया.
ये मस्तियाँ ये बहार : चल कहीं दूर निकल जाए : डॉ. सुनीता शक्ति स्मिता प्रिया.
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समाचार : चित्र : विशेष : दृश्य माध्यम : न्यूज़ शॉर्ट रील : पृष्ठ : ११.
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नैनीताल डेस्क.
संपादन
शक्ति : रेनू बीना भारती मीना शबनम
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पहलगाम : २०१९ : की यादें : डॉ. मधुप : शॉर्ट रील :


*
शक्ति यात्रा लघु फिल्म : गंगोत्री से गोमुख ग्लेशियर 

*
प्रस्तुति : भारती : नैनीताल : दृश्यम :


तू जहाँ जहाँ रहेगा मेरा साया साथ होगा

*

नैनीताल : दृश्यम : शक्ति. बीना जोशी.


तुमको बारिश पसंद है मुझको बारिश में तुम.

डॉ. दीनानाथ वर्मा. फिजीशियन. दृष्टि क्लिनिक. समर्थित.  
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चल कही दूर निकल जाए : यात्रा : फोटो दीर्घा : पृष्ठ : १२  
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संपादन 
शक्ति. रेनू सीमा शबनम सिमरन प्रिया मीना. 
*
मसूरी में कल शाम की भीड़ : सकून की तलाश में : फोटो : शक्ति. मंजूषा प्रत्येश : मसूरी. 
बैसरन घाटी : प्रकृति : नैसर्गिक खूबसूरती : पहलगाम :  तब  : फोटो : डॉ. सुनीता मधुप.  
  
प्रेम ,प्रकृति : पहाड़ : पहलगाम : और : कन्नी मर्ग : फोटो कोलाज : शक्ति 
गर्मियाँ : पहलगाम : वादियाँ : वो दिन : फोटो : डॉ. मधुप. 
नाको की आधी जमी हुई झील : किन्नौर : शक्ति : डॉ. भावना : 
लौहौल से दिखती किन्नर कैलाश पर्वत श्रृंखलाएं : हिमाचल : शक्ति : डॉ.भावना. 
हमारे संग संग चले गंगा की लहरें : ऋषिकेश : फोटो : शक्ति. बीना नवीन जोशी. 
चकराता की सुहानी ढलती शाम : संपादन : शक्ति सोनिया : फोटो : हर्षित चांदना : देहरादून 
भए प्रगट कृपाला दीन दयाला : कौसल्या हितकारी : कोलाज : शक्ति डॉ.सुनीता स्मिता प्रिया अनुभूति .  
प्रकृति, प्रेम, पहाड़,अध्यात्म,सन्यास ,पुनर्जन्म : शक्ति. डॉ.भावना : किन्नौर : हिमाचल. 
रामलला के दर्शन : कण कण में भगवान : फोटो : शक्ति.डॉ.सुनीता स्मिता प्रिया अनुभूति 
क्या नज़ारे बस तेरा ही इंतिजार फोटो : शक्ति. डॉ.भावना : लौहोल स्पीति : हिमाचल. 
चलो बुलावा आया है : शक्ति वैष्णवी दरवार दर्शन :  प्रस्तुति : डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया अनुभूति.
 
दर्शन ड्योढ़ी : शक्ति वैष्णो देवी दर्शन : कटरा : फोटो कोलाज : शक्ति डॉ. सुनीता शबनम शक्ति प्रिया


*


डॉ. सुमित राज : हड्डी जोड़ एवं नस रोग विशेषज्ञ : बिहार शरीफ. समर्थित. 
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उसने कहा था : दिन विशेष : शुभकामनाएं : शॉर्ट रील : चलते चलते : पृष्ठ : १३ 
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उसने कहा था :  पृष्ठ : १३
संपादन शक्ति 
डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया अनुभूति
सर्वश्रेष्ठ बनें 
उनलोगों के साथ अधिक ' समय ' बिताए जो आप में ' सर्वश्रेष्ठ ' लाते है 
न कि आप में  ' तनाव ' 
जो लिखा है वो होकर रहेगा

जो लिखा है वो होकर रहेगा, एक रास्ता बंद करने से पहले ईश्वर १० खोल देते हैं , 
गर्मी के मौसम में पत्ते सूखने के बाद भी पंछी घोसला नहीं छोड़ते 
क्योंकि वो भी जानते हैं कि फिर से बरसात आएगी और पेड़ पर नए पत्ते आएँगे . 
जो हुआ उसे भूल कर नई शुरूआत करो और याद रखो 
जिसका कोई नहीं  होता उसका ईश्वर होता है।

श्री रघुपति सिंह 
न्यायधीश सेवा निवृत  
*
सहन समझ शक्ति 
*
कभी कभी ' इंसान ' सच में थक जाता है ' खामोश ' रहते रहते 
' दर्द ' सहते सहते ' सब्र ' करते करते 
' उम्मीदें ' रखते रखते 
' रिश्ते ' निभाते निभाते  ' सफाइयाँ ' देते देते …
*
भूल सुधार
' भूल ' करने के लिए कोई भी ' समय ' अच्छा नहीं होता ,
जबकि ' भूल ' सुधारने के लिए कोई भी ' समय ' हो वह अच्छा 
होता है
*
@ डॉ. सुनीता मधुप शक्ति प्रिया अनुभूति

*
एम. एस. मिडिया शक्ति.समर्थित 
*


समय सम्बन्ध और शब्द

हमें हर सम्बन्ध में 
समय और शब्द देना चाहिए ,क्या पता ?
कल हमारे पास समय हो पर सम्बन्ध न हो 

डॉ. सुनीता मधुप शक्ति *प्रिया अनुभूति 
*
मौन : दृढ : शक्ति.
 

बुद्धिमान व्यक्ति कई बार जवाब होते हुए भी,
पलट कर नहीं बोलते क्योंकि कई बार रिश्तों को 
जिताने और बनाए रखने के लिए
खामोश रहकर,हारना भी जरूरी होता है…
*
असंभव : संभव.

असंभव वो नही जो हम नही कर पाते
असंभव वो है जो हम करना नही चाहते

*
जीने का अर्थ 
*
लोग जरूरत के मुताबिक आपको ' इस्तेमाल ' करते हैं 
और आप समझते है कि लोग आपको ' पसंद ' करते है 
यही तो भ्रम है जिंदगी का....सच कहा आपने 
लेकिन यदि ये नश्वर ' शरीर ' किसी अपने ' आर्य ' जन के लिए ' दधीचि ' मुनि की तरह काम आ जाए 
तो यह ' भ्रम ' नहीं अर्थ होगा  ' जिंदगी ' का 

@ डॉ. सुनीता मधुप शक्ति प्रिया अनुभूति
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क्या याद रखें ?
*
किसी के लिए कितना भी कर लीजिए, 
पर वो भी याद वही रखेगा जो आप कर नहीं पाए
लेकिन आर्य विषम कटु परिस्थितियों में भी अपनों के सत्कर्म को कभी नहीं भूलते हैं 

@ डॉ. सुनीता 
मधुप शक्ति * प्रिया
©️®️M.S.Media.
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दिन विशेष : शुभकामनाएं : पृष्ठ : १३
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संपादन 
शक्ति प्रो. डॉ. ललिता 
मुंबई 
*
भावपूर्ण श्रद्धाअंजलि 


२२. अप्रैल २०२५. 
पहलगाम

की दुखद स्मृति. 
आतंक का सम्पूर्ण जगत से खात्मा हो 
विनय नरवाल , मनीष रंजन सहित मारे गए उन निर्दोष ,नागरिकों ,पर्यटकों 
के लिए हमारी तरफ़ से भावभीनी अंतिम विदाई 
*
१४. अप्रैल. 
डॉ.भीमराव अंबेडकर जयंती


डॉ.भीमराव अंबेडकर : भारतीय संविधान के जनक
और स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री
की स्मृति विशेष

*
हम सभी देव शक्ति समूह ' हम '
मिडिया परिवार की
तरफ़ से
*
शक्ति. रेनू शब्दमुखर
कवयित्री. लेखिका.प्रधान सम्पादिका

के अवतरण दिवस / जन्म दिवस
वर्ष : २०२५. मास : अप्रैल : दिवस : ९
को हार्दिक ' अनंत ' ' शिव ' - शक्ति ' मंगल ' शुभ कामनाएं
*
हमारी विशेष
जी. आई. एफ.प्रस्तुति.
डुडू की जन्म दिन की शुभकामनाएं
*

*
तुम जियो हजारों साल
ये मेरी है आरजू
*
*
हम सभी शक्ति समूह ' हम ' मिडिया परिवार की
तरफ़ से राम लला के जन्मोत्सव : रामनवमी
चैत्र नवरात्रि
की अनंत हार्दिक शुभकामनायें

*

श्रद्धांजलि
*
वो जब याद आए बहुत याद आए :

मनोज कुमार
२४.०७. ३७ - ४.४.२०२५.

*

वर्ष : २०२५ : अक्षय तृतीया की शुभकामनाओं के साथ


मुन्ना लाल महेश लाल आर्य एंड संस.बिहार शरीफ.समर्थित
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प्रेम : प्रकृति : यात्रा : लघु फिल्में : दर्शनीय : साभार : पृष्ठ : १३ 
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*
संपादन 
शक्ति. डॉ.सुनीता शक्ति मीना प्रिया.
मुक्तेश्वर नैनीताल  
*
शक्तिपूजा : शॉर्ट रील : साभार.

वादा रहा सनम होंगे जुदा न हम 


तेरे कारण तेरे कारण तेरे कारण मेरे साजन 


तुम्हारे लिए  : सारी दुनियां से हम बेगाने हैं 
*

शॉर्ट रील : श्वेता श्रीवास्तवा : बड़ी मस्तानी है मेरी महबूबा 
*
लघु फिल्में : मीना : बस एक उम्मीद वाकी है 


चले ही जाना है नजर चुरा के यूँ 
ऐसा कोई नहीं करता 
*

निकिता : साभार : शॉर्ट रील. 


अगर मैं जो  रूठ जाऊं तो तुम मुझे मानना 
मुझे छोड़ के न जाना वादें हजार कर के 
*
डॉ. सुमित राज : हड्डी जोड़ एवं नस रोग विशेषज्ञ : बिहार शरीफ. समर्थित. 
*
English Section
Times Media Powered
*
Shakti Editorial Link : English Page : 0
Editor.
Dr.Sunita Seema Shakti Priya Anubhuti.

Press the Shakti Vives Link. o2
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Shakti : Thought of the Day : Page 0
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MS Media Powered 
Nainital Desk.
Editor.
Dr.Sunita Seema Shakti* Priya Anubhuti.
Latest Updates
*


 Thought, Yours  people and  affairs,
*
focus on yourself , with your thought, affairs , and people 
don't get lost in others


Krishna & Devotees 
*
Shree  Krishna never leaves the hand of 
his beloved , innocent  pure and clear hearted devotees 
*
Being Kind but not Weak


Photo : Dr.Madhup.

Be strong but not rude be kind but not weak
Be humble but not timid be proud but not arrogant
*
Efforts are always better 
' Efforts ' are always better than ' promises '.
*
Caring 
Caring is a gift that no one can buy....

*
Your Behaviour

Time decides,whom you will meet in the life
Your heart decides,whom you want in life
But lastly your behaviour decides,who will stay in your life.
*
Time to bloom

Everything needs time to bloom, so do you

*
Simplicity and Humility. 
*
Simplicity and Humility are the key 
virtues for spiritual growth 

MS Media Powered
*

   Be happy make the good people  happy too 

Be ' good ' and be ' happy... make  ' others ' .......  happy too.
The most beautiful music in this ' universe ' is your own ' heart-beat ', 
the almighty has composed it for you....always listen the good one vibe of your inside heart 
care ' yourself ' by caring the others good ones

*
Passionate Relationship for Someone
*
Relationship is not an exam to pass or fail
Nor it is a competition to win or lose
It is a passionate feeling that you care for someone more than yourself.

*
True Forgiveness.

*
True forgiveness is when you can say,
' Thank you for ' bitter but better experiences given to me '
*
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Day Special. English Page : 1
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Editor.
Dr.Sunita Seema Shakti Priya Anubhuti
*
Let us remember
25.04.25 for World Malaria Day.

22.04.25 /World Earth Day too
.
Good Friday.
*
*
Christ
O Lord ! forgive them , for
they know not what they do.
*
Happy Baisakhi.


On this beautiful festival of harvest, 
may your life be blessed with love,  laughter, and endless happiness


*
Mahaveer Jayanti
*

*
Prayer : Peace : Pleasure : Prosperity.
@ Dr.Sunita Seema Shakti* Priya Anubhuti
*
Following the
the core principles of Jainism,
the ' Triratna ' or ' Three Jewels
Right Faith ( Samyak Darshan ),
Right Knowledge ( Samyak Jnana ),
and Right Conduct (Samyak Charitra),
*

*
Ode on Solitude :  Lines of the Day : English : Page  : 2
*
Editor 
 Dr.Madhup Sunita Shakti *Priya.
*
a Short Poem 
I don't wanna die. 


photo : around the hills : Harshit Chandana.

Too late .my time has come 
Sends shivers down my spine,
Body's aching all the time 
Goodbye ,everybody , I 've got to go 
Gotta leave you all behind and face the truth
Mama ,ooh 
Any way the wind blows 
I don't wanna die 
I sometimes wish I 'd never been born.
*

Harshit Chandna.
Chakrata : Dehradun.

*
--------
*
Don't let the life in the stake  
In realising your mistake
*

photo :Mansi : 

*
Always stand at the top.
In possessing smile on your face
Either in the grief or in the grace. 
In appreciating other's merit
Giving others for credit
In co - operating with people 
In excusing & donating for good cause,simple  
In nurturing relationship &
In realising your mistake
Don't let the life in the stake  
*
Dr.R.K.Dubey 
Editing : Dr.Madhup Sunita Shakti *Priya.
*
*
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Chief Patron.
Blog Magzine
*

*
Shree.Chiranjeev Nath Sinha.IPS
Shree.Vikash Vaibhav. IPS
Shree Mukesh Kumar.IPS
Shakti. Sakshi Kumari.IPS.
Shakti. Rashmi Srivastava.IPS
*

Times Media powered 
*
Ode on Solitude :  photos of the Day : English : Page  : 3
Editor 
Shakti. Baishakhi Vishwa Shakti * Seema 
*

*
CM Pushkar Singh Dhami in an inaugural function of Char Dham yatra : Shakti Daya.
Gulmarg : travelers seeking a mix of nature, adventure, and relaxation Photo : Vidisha
a Mud House on the way of Baisaran Valley : Pahalgam : photo Dr.Madhup.
A Journey of Amarnath Cave : Faith and Devotion for Shiva Shakti :Collage : photo Sanjay.
Chakrata sun setting emphasizing the beauty and tranquility of the nature : photo : Harshit

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M.S Media Powered 
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Jammu Kashmir : Map.

Dr. Rajeev Ranjan Child Specialist supporting 
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Travelogue Editorial Page : English : Page : 4
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Bam Bam Bhole: A Journey of Faith and Devotion for
Shiva - 'Shakti ' 4/ 0.
Write Up. 
Dr.  Sunita Madhup Shakti* Priya. 


I have visited Jammu Kashmir two times. I remember once passing through the Zojila Pass, the most dangerous pass in the Himalayas connecting Leh - Ladakh to Srinagar, we saw Baltal in 2019. We noticed some activities were there. It was reportedly said to me that the preparation of Amarnath Yatra was going on.
It is an important place perched at an elevation of 2,743 m (8,999 ft), the highland pastures.
We start with a chanted Shivaya Mantra Om Namah Shivay.The very famous holy Amarnath Temple is a Hindu shrine located in the Pahalgam tehsil of the Anantnag district of Jammu and Kashmir, India.
Amarnath the Holiest Cave * : It is a holy cave situated at an altitude of 3,888 m (12,756 ft),about 168 km from Anantnag city, the district headquarters, 141 km ( 88 mi) from Srinagar, the summer capital of Jammu and Kashmir. We have to reach through either Sonmarg or Pahalgam. It is an important shrine in Hinduism.
Near Sonamarg we get the two ways for reaching the holy cave of lord Shiva.
Reaching by two ways Baltal * : The Shortest but a Steep Climb :
Baltal serves as the base camp for pilgrims on their onward journey to Amarnath Caves, 14.75 km away. The site is seen with pitched tents meant for the pilgrims to spend the night.
We have to cover the distance 2.75. on foot at Domail Gate,Baltal. By this entry point we can hier pony. It is the shortest root to reach Panjtarni.
From Panjtarni to cave distance covers 6 kilometers if we resume that about a 6 kilometer tough journey tests the stamina of a pilgrim
Chandan Bari * : Simple, Easy, full of Natural Scenic Beauty but Long Distanced famous for its snow bridge and stunning beauty. Chandan Bari is also very famous because of starting point of the Amarnath Yatra. Amarnath yatra takes place ever year during June- July-August. The road from Pahalgam to Chandanwari is on fairly flat terrain and can be easily travelled by car. The Distance between Pahalgam to Chandan Bari is about 16 kilometer.
We assume that the fare through taxi is about 150/ rs for reaching Pahalgam Base Camp.
Pissu Top : and Ganesh Top also known as Mahagunas Mountain are not the same. They are distinct locations on the Amarnath Yatra route, though they are close to each other. Pissu Top is the name given to the high point where the Devas and Asuras supposedly fought,
Ganesh Top : while Ganesh Top also known as Mahagunas Mountain Mahagunas Mountain is a higher point where Lord Shiva is said to have left Lord Ganesha.
Sheshnag* : Chandan Bari stands 12 kilometers behind to Sheshnag. It means we have to walk for a 12 kilometer for reaching Sheshnag.We can get the night stay at Sheshnag as pitched tents.
The Sheshnag Lake is a high-altitude lake near Pahalgam in Kashmir, India. It is located on the trek route to the Amarnath Cave. The lake is named after Sheshnag, a Hindu serpent deity, and is believed to be the residence. It's a popular pilgrimage and tourist spot, offering stunning views of the surrounding snow clad mountains and glaciers. The trek to the lake, starts from Chandanwari, is a mix of trekking and horse riding. Trekking takes at least about 5-7 hours depending on the route and how many stops are taken by us.
Panjtarni *: From Sheshnag to Panjtarni we have to cover 14. It is important to us that the route coming from Baltal ends at Panjtarangani. All routes Helicopter services drop us at the Panjtarni point and ultimately we have to trek for 6 kilometer ahead for reaching the holy cave.
Holy Cave * : remains 6 kilometers from Panjtarni. The route from Panjtarni to cave is not so difficult it simply lies on the labelled road. We have not to take more effort in this route. Holy Cave distances itself for 6 kilometers from Panjtarni. If we calculate the entire total distance between Pahalgam to Holy caves remains 48 kilometers away from Pahalgam.
In this route you will get so many bhandaras run by the Delhi based people.And if you are first time coming out for this trip and you want to enjoy the scenic beauty then prefer Pahalgam Chandan Bari Route
Pahalgam is associated with the annual pilgrimage to the Shrine Amarnath Yatra. Chandanwari, located 16 kilometres away from Pahalgam. The town is the starting point of the yatra that takes place every year in the months of July–August, receiving hundreds of thousands of tourists.

collage Pahalgam Kashmir Baisaran Valley Mini Switzerland  : MARS.

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Travelogue : How to Register On Line / Off line Mode  for Amarnath Page : 4 / 1
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There are two ways for Registration 
a. Online Mode 
b. Offline Mode : Go to the PNB. Ask for Application, Medical  Form in a hard copy.
Go for acquiring a health certificate by the authorized Hospital and Doctors mentioned in Amarnath Yatra New Registration Online Medical Page.
Filling the Application, attaching a dully examined Medical Certificate with a xerox copy of Aadhar.
Go to your concerned bank. Submit the application. Ask the availability of Date and route. Get yourself verified  by Aadhar.Pay Chalan and get your permit.
a. Chandan Bari : It is a somewhat stretched way covers more distance
b. Baltal. : Near Sonamarg it is the shortest route but keeps straight climbing. In both the route Mule Facility is available.While from Baltal Base Camp Helicopter service is available
The cave, located in Sind Valley, is surrounded by glaciers, snowy mountains and is covered with snow most of the year, except for a short period in the summer, when it is open to pilgrims.
In 1989, pilgrims numbered between 12,000 and 30,000. In 2011, the numbers reached a peak, crossing 6.3 lakh (630,000) pilgrims. In 2018 pilgrims numbered 2.85 lakh (285,000). The annual pilgrimage varies between 20 and 60 days.
Registration for Barfani Baba gets started .In Kashmir Himalayas in the months of June-August. The Holy Shrine is managed by Shri Amarnathji Shrine Board (SASB) which was constituted by an Act of Jammu & Kashmir State Legislature in 2000. Hon’ble Lieutenant Governor, UT of J&K is the Chairman of the Shrine Board..
The Shrine Board is responsible for better management of the Shri Amarnathji Yatra, upgradation of facilities for holy pilgrims and matter connected therewith and incidental thereto. Assisted by a Chief Executive Officer, Additional Chief Executive Officer, and distinguished Board Members, the Board is endeavored towards fulfilling its mandate.
Dr. Madhup. 
Dr. Prashant.


*
Step 1 : Open the Shri Amarnath Ji Shrine Board official Website 
Step 2 : Official Website is as follows https://jksasb.nic.in/
Step 3 : Open this official website by scrolling choose the 2nd Option New Click here to register
Step 4 : The Page for the Instructions for Shri Amarnath Yatra Opens
Step 5 : Under the steps to follow we have to fill the Application Form Online.
Step 6 : Below the given page Box I Agree to be ticked and again Register to be clicked.

steps

Step : 7 : After Clicking that Registration Page will be opened. You have to fill the 
Yatra Details : as Route of  Yatra , Date of Yatra Yatri Details Name , Father's name,Gender, DOB, Mobile Number , Emergency Mobile Number ,Aadhar Number , Email, etc 
Note : One Mobile Number can be used for Registering Upto 4 Applicants.
Application once submitted can not be edited.

yatra details to be known and filled  a screenshot 

 
Step : 8 : Verification of OTP : After filling the farm SASB JK - welcome to Shri Amarnath Yatra.Your temporary registration no is  TEMPF12FB1 and OTP is like xxxxxxxx.Please Verify your application.
Step : 9 : Application Processing and SMS Sent to the Applicant. It takes a few minutes an application is processed. Message from SASB JK - Your application ( TEMP 00000 alike accepted . Please make payment in next 24 hours to download Yatra Permit 
Step : 10 : How to make a Payment : Open the authorised web site.From the above top menu bar choose the Online Services and to be clicked. Page will be opened in such a way.

payment page when it gets opened. 

Step : 11 :  By Clicking on line Services select the Make Payment / Download Permit .Above page to be filled you are said to pay in two accounts of Shrine Board in  HDFC/ ICICI
Step : 12 :   payment to be done through UPI / Net banking / Debit Card .Save 
Step : 13 : Download the Acknowledgement Permit . By saving & printing  Acknowledgement you can  download the Yatra Permit.

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Amarnath Yatra : A Good Opportunity for A Complete Health Check Up : Page : 4 /2.
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for a traveller. 


A Good Opportunity for a Complete Health Check Up : collage : Dr.Sunita.
*
Dr. Madhup Raman.
Dr. Prashant. Dr. Awdhesh  
Dr. Dhananjay. Dr.Kunal. 

Health is supposed to be the greatest  wealth. So before you strat for a high altitude based journey go for a routine check up for yourself.  
you have to prove yourself that you are fit for this difficult and tough some journey. 
Step : 8 : Know about the Medical Certificate . Under the medical examin you may be checked for Routine Blood Test, ECG, and Xray for facing cough problems 
Photo File : .jpg,.jpeg,max 1 MB ( File Capacity )
Medical Certificate :  Only pdf,max 1 MB ( File Capacity )
Medical Certificate : issued by  an authorised panel of doctors for the different states and district ct whenever you go for the checking of Location , Hospital and Authority Name while filling the form of Medical Details.  
a. CBC ( Complete Blood Count ), 
b. Liver Function Test, 
c. Kidney Function Test, 
d. Viral Marker : A viral marker test is a blood test that screens for viral infections like HIV, Hepatitis B, and Hepatitis C. It can also help detect other viral infections like chikungunya, dengue, malaria, and typhoid
e. Sodium Electrolytes : Test An electrolytes test, also known as an electrolyte panel, is a blood test that measures the levels of essential minerals in the body, which are called electrolytes. These electrolytes include sodium, potassium, chloride, and bicarbonate. The test helps assess fluid balance, muscle and nerve function, and acid-base balance in the body.
f.RBS Test : A random blood glucose (RBG) test measures your blood sugar level at any time of day. It's also known as a random blood sugar (RBS) test or casual blood glucose test.
g.ABO Rh test : An ABO Rh test, also known as a blood type test, determines a person's blood type and Rh factor. It's important for blood transfusions, donations, and assessing pregnancy risks
h.ECG Test : An electrocardiogram (ECG) is a painless test that records the electrical activity of your heart. It's a common test used to diagnose and monitor heart conditions.
i.Chest X Ray : A chest X-ray is a medical imaging test that uses X-rays to visualize the structures and organs within the chest, including the heart, lungs, and bones. It's a quick, painless procedure that helps doctors diagnose and monitor various conditions affecting the chest, such as lung infections, heart problems, and injuries.
j.Blood Pressure : Normal blood pressure is generally considered to be less than 120/80 mm Hg. This means the systolic pressure (the top number) is less than 120, and the diastolic pressure (the bottom number) is less than 80.
Systolic pressure is the first number in a blood pressure reading, and it represents the pressure in your arteries when your heart beats and pumps blood out. It's the maximum pressure your blood exerts against your artery walls during each heartbeat. A healthy systolic pressure is generally considered to be less than 120 mm Hg
Diastolic pressure : Diastolic pressure is the bottom number in a blood pressure reading, representing the pressure in arteries when the heart is at rest between beats. It measures the force of blood against artery walls during the heart's relaxation phase (diastole). A healthy diastolic pressure is typically below 80 mm Hg.

Medical Certificate to be known : a screenshot   

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Do's & Don'ts Page : 4 / 3.
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Understand : What is to do and what is not to do : for the travel of 
Barfani Baba.
Dr. Madhup / Dr. Prashant
Dr.Rashi. Dr Mayank. 


Amarnath  Yatra 
a Short : Video Clip : Sanjay.
*
Do's
These are the Do's & Don'ts should be followed by the pilgrim before he starts for a journey.
a.Regular Walk : Do prepare for the Yatra by achieving Physical Fitness – it is advisable to start a preparatory Morning/Evening walk, about 4-5 km per day, at least a month prior to the Yatra.
b.Yoga Pranayam : Start deep breathing exercise and Yoga, particularly pranayam for improving oxygen efficiency of the body.
c.Proper Fluid in a day : Do drink lots of water to combat dehydration and headaches ,about 5 litres of fluid per day.
d.More C
arbohydrates to reduce fatigue : Do consume plenty of carbohydrates to reduce fatigue and prevent low blood sugar levels. Many foods contain carbohydrates, including fruits, vegetables, grains, dairy, beans, and sweets.
e. Altitude illness symptoms : Do descend immediately to a lower elevation, if you start having altitude illness symptoms.
f. Nearest medical facility : In case of any signs of High Altitude Sickness or any other discomfort, immediately contact the nearest medical facility located at every 2 kms.
Don'ts.

a. Avoiding Alcohols : Don't drink alcohol, caffeinated drink, or smoke.
b. Don't accept everything a sick Yatri says since his/ her judgment is impaired.
c.Don't ignore the symptoms of high altitude illness.
Note:
Please keep in mind the following points before embarking on the yatra
a.Medical certificate should be issued by doctor/hospital authorised in your state.
b.Photo file should be - .JPEG or .JPG only and size should not be more than 1MB.
c.Medical certificate should be scanned and uploaded in .PDF format only while registering. Size should not be more than 1MB.
d.Persons with age below 13 years and above 70 years are not allowed.
e.Pregnant women with more than 6 weeks of pregnancy are not allowed.
f. Carry your original Photo ID and Medical Certificate with you during the yatra.

Column Editor *
Shakti : Dr. Ratnika Seema Smita. 
Page Decorative : Shakti : Anubhuti Manjita Sweta.
*
Visitor *:
Dr.Dhananjay Prasad.
Shree Uttam Kumar. BM. PNB.
Shree Anit Kumar. Deputy BM.PNB.

a Barfani Baba Short Reel.
*

Amarnath Caves : Video Clip : Sanjay Kumar.
*
*
Times Media Powered. 
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Doctors'  Life Line Suggestions : Amarnath Pilgrims 
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writer : 
 Dr. Madhup Dr.Prashant.Dr.Awdhesh. 
Dr.Rash.i Dr.Indradeo.
*
Visitors 
*
Dr.Rashi 
Shakti : Dr. Rashmi Narayan. 
Dr.Imtiyaz. Dr.Dinanath Verma 

 *
*caring Blood Pressure. Dr. Madhup Prashant 

*Health Chart 
Blood Pressure : Normal blood pressure is generally considered to be less than 120/80 mm Hg. This means the systolic pressure (the top number) is less than 120, and the diastolic pressure (the bottom number) is less than 80.
Systolic pressure is the first number in a blood pressure reading, and it represents the pressure in your arteries when your heart beats and pumps blood out. It's the maximum pressure your blood exerts against your artery walls during each heartbeat. A healthy systolic pressure is generally considered to be less than 120 mm Hg
Diastolic pressure : Diastolic pressure is the bottom number in a blood pressure reading, representing the pressure in arteries when the heart is at rest between beats. It measures the force of blood against artery walls during the heart's relaxation phase (diastole). A healthy diastolic pressure is typically below 80 mm Hg.
*
Doctors'  Life Line Suggestions : Medicines : Pilgrims 
*
Dr Madhup Prashant. Dr.Indradeo.
*
*Platelets to be cared .
Carica Papaya Q : How to maintain the Platelets : The term  platelets in the context of blood groups, platelets also known as thrombocytes are small, colorless blood cells that help in blood clotting. Platelet counts are measured in a blood test called a complete blood count (CBC) to determine the number of platelets per microliter of blood.
A normal platelet count is 150,000 to 450,000 platelets per microliter of blood.
If it drops we can adopt these measures.
Natural Ways : To increase platelet count, focus on a diet rich in folate, vitamin K, vitamin C, and vitamin B12, as these nutrients play a role in platelet production and function. 
Incorporating green leafy vegetables, beetroot, and certain fruits like kiwi and papaya can help. 
Homeopath Medicines : Dr.Indradeo. Ayush 
To increase  platelets :  Doctor.Homeopath suggests us  
Carica Papaya Q : 10 Drops with lukewarm water should be used for 10 days 
Soon it will enhance the number of Platelets surprisingly. 
*High Altitude Sickness : Loss of Oxygens Headache, Nausea,

Problems : *High Altitude Sickness : Loss of Oxygens
Coca 30 : The mother tincture of Coca is used for different types of diseases, such as:Altitude sickness: Coca can help alleviate symptoms such as headache, nausea, and shortness of breath. Dr.Indradeo suggests us
Dose : 5 to 6 drops thrice in a day.
Continuation : Continue for 2 or 3 Days


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You Said It . Brief News English : Page 5
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A.M. Media Supporting.
Brief News.
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Editor : Dr.Sunita Seema Shakti* Priya.
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A symbolic protest candle march throughout the country.

a candle march is being organised at Bihar Sharif photo : Shakti

CR : Nalanda.Patna : Nowadays as in the modern form of symbolic protest a candle march is being organised by all sensitive citizens throughout India against the brutal terrorist attack over the innocent tourists at Pahalgam.
In Biharsharif, Nalanda District Head Quarter town, the same symbolic protest was organised by different organisations in which intellectuals and women took part.
It is a form of protest or demonstration where participants walk while holding candles to convey a message or commemorate an event. It is a common practice in various countries, often used to raise awareness for specific issues or express solidarity with victims of tragedies. The practice is rooted in ancient traditions of lighting candles for remembrance or prayer, and has evolved into a modern form of symbolic protest.

News Desk.

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Her Silence is Louder : photo News 

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Condolence Message 
Strongly condemn such a Violence 
Attack on innocent tourists in Baisaran Valley Pahalgam, JK on  22.04.2025
News Desk.
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 Mahatma Hansraj : Founder of DAV
being remembered on 19th of April

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floral tribute to Mahatma  : Photo : Shakti. Anshima Singh.
 
CR / Patana : Mahatma Hansraj Jayanti, which translates to Mahatma Hansraj's birth anniversary, is celebrated on April 19th to honor the life and contributions of the Indian educationist and nationalist, Lala Hansraj. He is widely recognized as a founder of the Dayanand Anglo -Vedic (DAV) movement. The day is also known as ' Samarpan Divas ', meaning 'Day of Dedication. And it is observed by DAV institutions and all Davians including principals, students in their different cultural activities throughout India.
News Desk.

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@ Dr.Madhup Shakti * Priya.
Shree Krishna never leaves the hands of his beloved and pure devotees *
See not any ' innocent ' should be crucified by your ' ignorant ' act      
                                                                          

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