Wadiyan Mera Daman : Raste Meri Bahen : Travelogue


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वादियाँ मेरा दामन 

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Wadiyan Mera Daman : Raste Meri Bahen : 
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महा.शक्ति.त्रिशक्ति.नव शक्ति प्रस्तुति.  
यात्रा  विशेषांक. 
चले थे साथ मिल के चलेंगे साथ मिल के : यात्रा विशेषांक.3   
सांस्कृतिक पत्रिका.
महा.शक्ति.मीडिया.प्रेजेंटेशन@जीमेल.कॉम   
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हिंदी अनुभाग. प्रारब्ध. 
आवरण पृष्ठ : ०.
 वादियां मेरा दामन  : रास्ते मेरी बाहें : कोलाज : महाशक्ति  : आवरण पृष्ठ : ०.
समर्थित

वादियां मेरा दामन रास्तें मेरी बाहें जाओं मेरे सिबा तुम कहाँ जाओगे : कोलाज : विदिशा : नई दिल्ली

फोर स्क्वायर होटल : रांची : समर्थित : आवरण पृष्ठ : विषय सूची : मार्स मिडिया ऐड : नई दिल्ली.


पत्रिका / अनुभाग.
' तुम्हारे लिए. '
वादियां मेरा दामन रास्तें मेरी बाहें
पत्रिका / अनुभाग. ' तुम्हारे लिए.'
ब्लॉग मैगज़ीन पेज के निर्माण सहयोग के लिए
हार्दिक आभार प्रदर्शन
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आभार. प्रदर्शन.

 
वनिता / शिमला 
संयोजिका / मीडिया हाउस.
 
आपके लिए.
धन्यवाद ज्ञापन.
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आज का आभार / सहयोग .पृष्ठ : ०.   
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 निर्माण / संरक्षण.


डॉ.अमरदीप नारायण. 
हड्डी, नस रोग विशेषज्ञ.
नालंदा. 
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प्रकृति : प्रेम : अनुभूति.
सुबह सबेरे
के संग
पत्रिका / अनुभाग.
' तुम्हारे लिए. '
मॉर्निंग / आफ्टर नून / इवनिंग पोस्ट



सुबह सबेरे
जीवन अध्यात्म
शक्ति विचार धारा
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राधिकाकृष्ण : महाशक्ति : इस्कॉन डेस्क : नैनीताल.
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
संस्थापना वर्ष : १९७८. महीना : जुलाई : दिवस : ४.
संपादन
अनु ' राधा '

नैनीताल
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राधिका कृष्ण : महाशक्ति : दिव्य दर्शन : पृष्ठ : ० / ० :
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दिव्य दर्शन : राधिकाकृष्ण :

राधे राधे राधे बरसाने वाली ' राधे '


तुम ' प्रेम ' हो तुम ' प्रीत ' हो ' मनमीत ' हो राधे


कोई मेरी आँखों से देखे तो समझे
कि तुम मेरे क्या हो


जया किशोरी : राधिकाकृष्ण दर्शन
मेरे पीछे जो ' शक्ति ' है वो मुझे कभी ' हारने ' तो नहीं देंगी

कृष्ण कृष्ण करे आत्मा मेरी

राधा : कृष्ण : रुक्मिणी : बांसुरी : धुन

प्यार : व्यवहार और जीवन : सार
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 राधिका : कृष्ण : महाशक्ति : दृश्यम : विचार : पृष्ठ  : ०१  :
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
संस्थापना वर्ष : १९७८. महीना : जुलाई : दिवस : ४.
संपादन
अनु ' राधा '
साभार

तुम ' प्रेम ' हो तुम ' प्रीत ' हो ' मनमीत ' हो राधे 
 


राधिका कृष्ण


 प्रीत ' करो तो ऐसी करो जैसे करें ' कपास ' 
जीते जी या ' तन ' ढकें मरे न छोड़े ' साथ ' 




सम्यक ' कार्य ' जो किसी ' पूजा ' से कम नहीं, वो है
जिससे ' इंसान ' और ' भगवान ' दोनों प्रसन्न
होते हो,



तोरा ' मन ' दर्पण कहलाए
भले बुरे सारे ' कर्मों ' को देखे और दिखाए
' जग ' से कोई भाग ले प्राणी
' मन ' से भाग न पाए


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 राधिका :कृष्ण : महाशक्ति : दिव्य  : विचार : पृष्ठ  : ०१  :
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
संस्थापना वर्ष : १९७८. महीना : जुलाई : दिवस : ४.
संपादन
अनु ' राधा '
नैनीताल. राधिका कृष्ण विचार

तोरा ' मन ' दर्पण कहलाए

भले बुरे सारे ' कर्मों ' को देखे और दिखाए
' जग ' से कोई भाग ले प्राणी
' मन ' से भाग न पाए
' प्यार ' के रिश्तें कुछेक ' दिव्य प्रेम ' के रिश्तें जो मेरे ' जीवन ' में ' स्थायी ' होंगे ' ताउम्र ' भर मेरी मधुर ' भावनाओं ' की समस्त ' जमापूंजी ' होंगी निर्विवादतः उनमें से सबसे पहले आपका ही ' नाम ' होगा आप मेरी ' सांसों ' के ' अनमोल धरोहर ' आप होंगे ' वाणी ' मुख की ' वाणी ' ही तो अपने ' जीवन ' में आपसी ' द्वैत संबंधों ' का ' हल ' और ' समस्या ' दोनों है प्रिय 'अकेले ' का तो कोई ' प्रश्न ' ही नहीं कम से कम अपने ' प्रिय जनों ' के तो लिए ' सार्वजानिक ' तौर से बोलते हुए कई बार सोच तो लो....कई बार कही और ' मुख ' से कहीं गयी ' वाणी ' और ' कान ' से सुने गए ' शब्द ' वापस नहीं लौटते हैं

अमीर ख़ुसरो.

गोरी सोवे सेज पर, मुख पर डारे केस।
चल खुसरो घर आपने, सांझ भयी चहु देस।।
' उम्मीद ' ' उम्मीदों ' की ' धूप ' ,प्रीत की ' छाँव ' साथ में ' विश्वास ' की हवा मिलकर बन जाती अक्सर बन जाती है जीवन ' शक्ति ' की ' दवा ' पुनर्विचार

' विचार ' करें बिना ' सोचे समझें ' जो भी आपने मुझसे ' माँगा ' 
मैंने सोचा बहुत बार सोचा और ' तत्क्षण ' दे दिया 
पुनः सोचे आप और ' पुनर्विचार ' करें क्या कहना चाहिए था लेकिन क्या ' कह ' दिया ?
और क्या ' मांगना ' चाहिए था और क्या ' मांग ' लिया ?
' सम्बन्ध ' ' सम्बन्ध ' वो ' ब्रम्हास्त्र ' है जो तब काम आता हैं , जब ' बल ', ' धन ' और ' प्रभाव ' जैसे ' अस्त्र ' निष्फल हो जाते हैं अनंत प्रेम. ©️®️ डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया ' सोना ', ' सज्जन ', ' साधु ' जन की तरह अपने प्रिय ' स्वजनों ' की हज़ार गलतियों को भुला जाना ही स्वयं के जीवन में किया गया अनंत प्रेम है ' अपनों ' के द्वारा की गई हज़ार ' गलतियों ' के लिए ' स्वयं ' के ' निर्दोष ' होने के बाबजूद ' माफ़ी ' मांगना ही ' अनंत प्रेम ' है . राधिका कृष्ण अपने प्रिय ' वैष्णव ' जन तथा उनकी ' शिव ' इच्छाओं की पूर्ति के लिए ' पूर्ण ' समर्पित ' शक्ति ' बन जाना ही अनंत ' प्रेम ' है
©️®️ 
डॉ. सुनीता मधुप शक्ति प्रिया
अन्वेषी प्रश्न इस भव बाधा के मध्य इस मरणशील संसार में कहीं तो एक दुनियाँ होगी राधिके ! जहाँ लोग ' प्रेम ' वश बड़ी ' निर्भीकता ' से अपने जीवन की समस्त क्रियाएं ' श्रेष्ठता ' के लिए समर्पित कर देते होंगे ? ©️®️ डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति प्रिया
सबसे ख़राब ' समय ' को झेलने वाला व्यक्ति ही
सबसे अच्छे ' भविष्य ' का निर्माण करता है

सच में ये ' दुनियां ' इसलिए बुरी नहीं की
यहाँ बुरे लोग ज्यादा है बल्कि इसलिए ' बुरी ' है कि
यहाँ अच्छे लोग ' खामोश ' है
जब ' आत्मा ' को ' परमात्मा ' की याद सताने लगे तो समझ लीजिए 
आत्मा में ' ज्ञानार्थ प्रकाश ' की मात्रा बढ़ने लगी है 
मन ही ' स्वयं ' का दर्पण है 

' प्राणी ' अपने ' प्रभु ' से पूछे किस विधि पाऊं तोहे 
प्रभु कहे तू मन को पा ले पा जाएगा मोहे
तोरा ' मन ' ' दर्पण ' कहलाए
भले बुरे सारे ' कर्मों ' को देखे और दिखाए
राधिका कृष्ण महाशक्ति : प्रिय : संगीत
फिल्म : काजल : १९६५. सितारे : राज कुमार. मीना कुमारी. धर्मेंद्र. गाना : भजन : तोरा मन दर्पण कहलाए  
गीत : राम माहेश्वरी. संगीत : रवि. गायिका : आशा भोसले.  
भजन यूट्यूब लिंक देखने व सुनने के लिए दवाएं 

https://www.youtube.com/watch?v=c44Ah24hr9M
दोहे मेरी भव बाधा हरो, राधा नागरि सोय , जा तन की झाईं परे, स्याम हरित द्युति होय.
महाकवि बिहारी
भावार्थ 

राधा जी के पीले शरीर की छाया नीले कृष्ण पर पड़ने से वे हरे लगने लगते है। दूसरा अर्थ है कि राधा की छाया पड़ने से कृष्ण हरित (प्रसन्न) हो उठते हैं।



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त्रि - शक्ति : प्रस्तुति : पृष्ठ :  १ / ० . 
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
संस्थापना वर्ष : १९७८. महीना : जुलाई . दिवस : ४  
नैनीताल  डेस्क 


त्रि - शक्ति : दर्शन . 

संपादन.
शक्ति.


 सीमा ' रंजीता ' अनीता. 
नैना देवी / नैनीताल.डेस्क. 

त्रिशक्ति विचार संगम 
संस्थापना वर्ष : १९७८. महीना : जुलाई. दिवस : ४.


उठ जाग मुसाफ़िर भोर भई, अब रैन कहाँ जो सोवत है।
जो सोवत है सो खोवत है, जो जागत है सो पावत है।

वंशी धर शुक्ल 

ढ़ाई आखर ' प्रेम का 
' काशी ' काया हो गयी मन बद्री ' केदार ' 
ढ़ाई आखर ' प्रेम ' ने, रोम रोम किया ' हरिद्वार ' 


 की पवित्र दिव्य वर्षगांठ पर  

' हम ' परिवार यथा ' त्रि शक्ति ', ' नव शक्ति ', ' महा शक्ति '  ' राधिकाकृष्ण शक्ति '  की तरफ़ से  
' मानव ' ' देव ' शिव ( कल्याण ) ' के संरक्षण, ' दुष्टता ' व ' दानवों '  की संहारक  
' शक्ति ' के ' उद्गम ' और  ' उन्नयन ' के लिए हार्दिक ' बधाई ' और ढ़ेर सारी ' शुभकामनाएं '


त्रि ' शक्ति ' एकीकृत शब्द चित्र विचार
संस्थापना वर्ष : १९७८. महीना : जुलाई. दिवस : ४.


ऐ ' जिंदगी ' गले लगा ले 


अपने ' हाथों ' से भी छुट जाती है अक्सर ' उंगलियां ' 
रिश्ते ' ज़ोर ' से नहीं ' तमीज़ ' से थामे जाते हैं 

एक ' सच्चा ',' संवेदनशील ' ' हमराज ', ' हमसफ़र ' मित्र हज़ार ' रिश्तेदारों ' 
से कई गुणा ' बेहतर ' होता है 


 ' पा ' लेने की ' बेचैनी ' खो लेने का ' डर '
 बस इतना ही है ना तेरी मेरी ' जिंदगी ' का  ' सफर '


रिश्तें नाते 

रिश्तें ' ज़रूरत ' के हों तो कभी ' ख़ुशी ' नहीं देते 
और ' जज्बात ' के हों तो कभी ' साथ ' नहीं छोड़ते 


' जिंदगी ' एक ' किताब '

' जिंदगी ' एक ' किताब ' की तरह है 
कुछ अध्याय कुछ ' सुखद ' और कुछ रोमांचक है.
 लेकिन अगर आप कभी ' पन्ना ' नहीं पलटेंगे तो आपको कभी पता 
नहीं चलेगा कि अगले ' अध्याय ' में आपके लिए क्या है ? 


सब ' दिन ' होत नहीं एक ' समाना ' 


' रिश्ता ' सिर्फ़ वो नहीं जो ' ग़म ' या ' ख़ुशी ' में साथ दे 
रिश्ता वो है जो ' अपनेपन ' का एहसास दे 


सच है कि बुझते हैं सब के ' चिराग़ ' माना कि ' हवा ' किसी की नहीं होती
मगर बुझेगी नहीं मेरी आत्म ' शक्ति ' की अखंड ' ज्योति ' चाहे ' हवा ' चले या चले ' तूफ़ान '

©️®️ डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया.
' सद - गुरु '
वेद व्यास



' शक्ति ' की अखंड ' ज्योति '

सच है कि बुझते हैं सब के ' चिराग़ ' माना कि ' हवा ' किसी की नहीं होती
बुझेगी नहीं मेरी ' शक्ति ' की अखंड ज्योति चाहे ' हवा ' चले या चले ' तूफ़ान '

©️®️ डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया.
@ त्रि शक्ति

अपने अनमोल ' जीवन ' में ' गुरुर ' नहीं किन्तु ' सद - गुरु ' बहुत जरूरी है


' आत्मसंघर्ष '

इस जीवन के अकेले के ' आत्म संघर्ष ' में ' भ्रष्ट आचरण ' के ख़िलाफ़ ' निर्भीक ' मेरी ' आत्म शक्तियां ' मेरे साथ हैं तो मेरी ( सत्य ) ' पराजय ' कभी हो ही नहीं सकती....
' निर्भीक ' हो ' विवेक शील' बनें और ' एकीकृत' रहें

स्वच्छता 

स्वयं के जीवन में ' कपड़ों ' से ज़्यादा अपनी ' नीयत ' और  ' वाणी ' साफ़ रखिए 

डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया.
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त्रिशक्ति : सम्यक वाणी : लक्ष्मी : मुझे भी कुछ कहना है : पृष्ठ : १ / १
--------------
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७९.
महा लक्ष्मी : डेस्क : कोलकोता :
संस्थापना वर्ष : २००३. महीना : जून. दिवस : २ 
संपादन : ' शक्ति ' सीमा सिंह
--------------
महालक्ष्मी मंदिर : मुंबई.

महालक्ष्मी नमोस्तुते

विष्णु प्रियाय नमो नमः महालक्ष्मी : मंदिर : कोलकोता

संपादन. 

' शक्ति ' सीमा सिंह / कोलकोता. 
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ऐश्वर्य : मान : सम्मान, सम्पत्ति बर्द्धनी : शक्ति : महालक्ष्मी : दर्शन : पृष्ठ : १ / १ /०


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विष्णु प्रिया लक्ष्मी : दरबार  : दर्शन : 


पंकज वासिनी देवसु पूजयति सतगुण वर्षनी 
यूट्यूब  लिंक : 
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ऐश्वर्य : सम्पत्ति बर्द्धनी : शक्ति : महालक्ष्मी : शब्द चित्र : विचार  : पृष्ठ : १ / १ /०
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महा लक्ष्मी : डेस्क : कोलकोता :
संस्थापना वर्ष : २००३. महीना : जून. दिवस : २ 
संपादन : ' शक्ति ' सीमा सिंह


महालक्ष्मी : अमृत वाणी 


देखा है ' जिंदगी ' को कुछ इतना क़रीब से 
संस्थापना वर्ष : २००३. महीना : जून. दिवस : २. प्रादुर्भाव वर्ष : १९७९.
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ज्यादा ' समझदार ' और ' मूर्ख ' में कोई ' फर्क ' नहीं होता 
इन ' दोनों ' में से कोई भी किसी की नहीं ' सुनता ' !



सदव्यवहार 

' जीवन ' में चाहे कुछ भी हो ,लोगों के साथ अच्छा ' व्यवहार ' करें 
लोगों के प्रति ' अच्छा ' होना अपने पीछे छोड़ने के लिए अद्भुत ' विरासत ' है 

ऐ ' जिंदगी ' बहुत ' तेज़ ' है ' रफ़्तार ' तेरी
थोड़ा ' आहिस्ता ' चल मुझे ' समझने ' तो दे ये ' पड़ाव ' है या ' मंजिल ' मेरी


' ख्वाइशें ' बादशाहों को ' गुलाम ' बना देती है
पर रखा गया ' सब्र ' ग़ुलाम को ' बादशाह ' बना देता है

' भावनाएं ' ही तो हैं जो दूर रहकर भी ' अपनों ' की
नजदीकियां का ' एहसास ' कराती हैं वरना ' दूरी ' तो दोनों ' आंखों ' के बीच भी है

ऐ  ' जिंदगी ' गले लगा ले 

जब आपका ' शब्द ' प्रभाव खो देते हो 
तो मौन ही आपकी ' शक्ति ' बन कर  ' सम्मान ' वापस लाता   हैं  


जिंदगी भर ' महलों ' में समेटते रहें फ़िर भी सब ' बिखरा ' मिला 
' झोपड़ी ' में कुछ भी नहीं था फिर भी सब कुछ ' सँवरा '  ' निखरा ' मिला 

 

ये जिंदगी भी ' तमन्नाओं ' का गुलदस्तां ही तो है 
कुछ फूल ' खिल ' गए तो कुछ ' खिल ' के मुरझा गए  


' बदलाव ' के लिए ' समय ' का ' इंतजार ' मत करें 
बदलाव समय के ' हाथ ' में नहीं आपके हाथ में हैं 


' दूध ' और ' चीनी ' के  मिलने से पहले 
शायद ' कॉफी ' कभी नहीं जानती थी 
कि उसका स्वाद दूध और चीनी के मिलने के पहले इतना ' अच्छा ' और ' मीठा ' हो सकता है 
उसी तरह हम अलग अलग बेहतर ' इंसान ' से मिलकर भी 
और ' श्रेष्ठतम ' हो सकते हैं 


' संस्कारों ' से बड़ी कोई ' वसीयत ' नहीं होती 
और ' ईमानदारी ' से बड़ी कोई ' विरासत ' नहीं होती 

  शुक्रिया ' जिंदगी '
 

' जिंदगी ' वहीं है जो हम ' आज ' जी रहें हैं 
' कल ' जो जियेंगे , वो ' उम्मीद ' होगी 


दो ही सच्चे ' दोस्त ' मिलेंगे एक ' आइना ' दूसरी ' परछाई
आइना  कभी ' झूठ ' नहीं बोलता और  ' परछाई '  कभी साथ नहीं छोड़ती 

क्या खूब ' सफ़र ' है ये जिंदगी 
हर रोज़ वही ' सुबह ' और वही ' शाम ' 
फिर भी हर रोज़ का ' सवेरा ' नया क्यों लगता है  


थोड़ी ' फिकर ' थोड़ी  ' कदर ' 
कभी कभी ' खैर ख़बर ' 
इन सभी छोटी छोटी बातों का होता है 
जिंदगी में बड़ा ' असर ' 

©️®️ डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया

शुक्रिया ' जिंदगी '

आपके ' जीवन ' में  ' अच्छे कर्म ' ही होते हैं जो अदृश्य ' शक्ति ' बन कर आपकी ' रक्षा ' कर होते हैं
बरना अकेले के जीवन के लिए तो सौ ' दुश्वारियां '...आज की ' चिंता ', ' कष्ट ' दूर करने के लिए...

    

महा लक्ष्मी : सद विचार

जीवन में सारा खेल बस ' विचारों ' का है 
विचार अच्छे रखिए निःसंदेह सब ' अच्छा ' ही होता होगा 


सब के दिलों का ' एहसास ' अलग होता है 
इस दुनियाँ में सब का ' व्यवहार'  अलग होता है 
' आँखें ' तो सब की एक जैसी ही होती है 
पर सब के देखने का अलग ' अंदाज ' होता है 


सबसे गहरा अर्थ पूर्ण शब्द ' मेरे अपनों ' के लिए ' कुछ नहीं ' है 
जिसे कोई नहीं ' समझ ' सकता सिबाय  ' मेरे अपनों ' के 


गहरे पानी की तरह ' साफ़ '
 ' शांत चित ' और सार गर्भित रहें 


चरैवेति -चरैवेति

जीवन एक ' सफर ' है अगर रोते हुए जीए तो ' बोझिल ' और  ' लम्बा ' 
अगर इसे हँसतें हुए ' चुनौतियों ' का जुट कर ' सामना ' करते हुए जिए 
तो लोगों के लिए एक ' मिसाल ' बन जायेंगे 

 

.जीवन के ' अग्नि पथ ' पर ' सकरात्मकता ' के साथ बस आत्म ' शक्ति ' आत्म ' संघर्ष ' के सहारे  बढ़ते रहिए...हार गए तो ' यादों ' में ...जीत गए तो ' बातों ' ( इतिहास ) में...याद रखें जब तक़ ' साँस ' है 
तबतक किसी कंधे की ' आस ' नहीं...   




' जुबां ' का ज़्यादा चलना अपने ' जीवन ' में 
' अक्ल ' के कम होने की निशानी है 


' सूरज ' का ' उदित '  और ' अस्त ' होना भी हमारे जीवन की ' सीख ' ही हैं 
जब अस्त हो कर ' अवसान ' के  चिर ' शांति ' में मिल जाने 
तथा  उदित हो कर एक नई ' उम्मीद ' की ' रोशनी ' का सन्देश ही देता है 


' बारिश ' और ' धूप ' दोनों के मिलने से ही ' इन्द्रधनुष ' बनता है 
 इसलिए खुबसूरत ' जिंदगी ' के लिए ' सुख और दुःख ' दोनों ही जरूरी हैं


' वक्त ' सिखा देता है इंसान को ' फ़लसफ़ा ' ज़िंदगी का 
फिर तो ' नसीब '  क्या ' लकीर ' क्या और ' तकदीर ' क्या..


' पैसा ' मानव की ' जीवन शैली ' बदल सकता है 
व्यक्ति की ' दिमाग ' , ' नीयत ' और ' किस्मत ' नहीं 


---------
सुंदरता

मानवीय ' सौंदर्य 'तो बरबस ही सब का ' ध्यान ' अपनी ओर खींच लेता हैं
लेकिन ' अच्छा स्वभाव ' दिलों को ' स्थाई 'रूप से अपने वश में कर लेता हैं
------------
त्रिशक्ति : सम्यक दृष्टि : शक्ति : नैनीताल डेस्क : पृष्ठ : १ / २.
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
नैना देवी डेस्क / नैनीताल. 
संस्थापना वर्ष : १९९८. महीना : जुलाई. दिवस : ४.
संपादन. ' शक्ति ' रंजीता
------------
नव  : शक्ति उद्गम दृश्यम : 



नैना देवी : शक्ति पीठ : डॉ मधुप : लघु फिल्म  

संपादन. 
' शक्ति ' रंजीता / नैनीताल डेस्क .


 की पवित्र दिव्य  वर्षगांठ पर  

' हम ' परिवार यथा ' त्रि शक्ति ', ' नव शक्ति ', ' महा शक्ति '  ' राधिकाकृष्ण शक्ति '  की तरफ़ से  
' मानव ' ' देव ' शिव ( कल्याण ) ' के संरक्षण, ' दुष्टता ' व ' दानवों '  की संहारक  
' शक्ति ' के ' उद्गम ' और  ' उन्नयन ' के लिए हार्दिक ' बधाई ' और ढ़ेर सारी ' शुभकामनाएं '


नव शक्ति : त्रि शक्ति : राधिकाकृष्ण : महाशक्ति समर्थित : विचार.
©️®️ डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया.


   शक्ति ' शपथ ' पृष्ठ : १ / २.
 पद्मावत डेस्क / राजस्थान 
क्षत्रिय परंपरा 
संपादन 
@ ज्योति शक्ति सिद्धांत. जयपुर ©️®️

चरित्र जब पवित्र है : अमिताभ बच्चन : अग्नि पथ. 



कबीर 

कबीरा जब हम पैदा हुए, जग ' हँसे ' हम ' रोये ',
ऐसी ' करनी ' कर चलो, हम ' हँसे ' जग ' रोये '


जीवन भर हम अपनों का न ' साथ ' छोड़ेंगे न ' बात ' छोड़ेंगे न ' हाथ ' छोड़ेंगे 


अपने अपने ' जीने की राह ' ही बतलाएगी कौन ' हमराह ' रहा कौन ' गुमराह ' हुआ
.....' समय ',' शब्द ' और ' संस्कार ' ही साक्षी होंगे....


 हम सिंहों की भाँति अमूमन ' न हम अपने ' रास्ते ' बदलते हैं न अपनी ' बातें  ' बदलते हैं 
न अपने ' वादें ' बदलते है न अपनी ' आदतें '  बदलते है 


क्षत्राणियाँ ' शक्ति ' की प्रतीक ' निर्भीक ' होती है। 
बुराईओं और ' दुष्ट जनों '  के खिलाफ  निरंतर युद्ध 
करना,और  ' आर्य जनों ' को ' क्षत्र ' प्रदान करना  
उनका ' शक्ति धर्म ' होता है... ' मलेच्छों ' के हाथों में  पड़ने के बजाय   
' जौहर ' लेना उनकी परम्पराएं हैं....   


जन्म दिवस : मूलांक : ४. वाले : ' सत्याग्रही ' ' अच्छाई ' के संरक्षक  
' सत्य ', ' अहिंसा ', ' संयम ', ' बुराई के खिलाफ निरंतर ' संघर्ष ' वाली  ' क्षत्रिय ' परंपरा के पोषक 
होते हैं 


जन्म दिवस : मूलांक : ४. वाले : 
' सिंह ' की तरह , ' शक्ति ' संरक्षित,  शिव ( कल्याणार्थ ) दिव्य ' शक्ति ' का सदैव सम्मान करने वाले , 
निर्भीक, क्षत्रिय की भांति  देव ' प्रकृति ' ' प्रेम ' के संरक्षक तथा 
कभी भी किसी भी परिस्थिति में 
अपने ' रास्तें ', ' इरादे ' तथा ' बातें ' ( वचन ) नहीं बदलते....हैं     

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शक्ति सम्यक दर्शन : नैनीताल डेस्क : पृष्ठ : १ / २ / ०
------------



या देवी सर्वभूतेषु ' शक्ति ' - रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः



शक्ति. नैना देवी डेस्क / नैनीताल.
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' शक्ति ' वंदना : पृष्ठ : दृश्यम : १ / २ / १ .
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जय जय महिसासुर मर्दिनी.

नैना देवी : शक्ति पीठ : डॉ मधुप : लघु फिल्म  


संपादन. 

' शक्ति ' रंजीता / नैनीताल डेस्क .
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शक्ति : आत्म प्रार्थना : नैना देवी डेस्क : नैनीताल : पृष्ठ : १ / २ / २
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
नैना देवी डेस्क / नैनीताल. 
संस्थापना वर्ष : १९९८. महीना : जुलाई. दिवस : ४.
संपादन : ' शक्ति ' रंजीता 

साभार.

मेरी आत्म ' शक्ति ' की प्रार्थना

शक्ति प्रार्थना : विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा. 


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सत्यम शिवम् सुंदरम : शक्ति : विचार दृश्यम. 
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शक्ति : सम्यक विचार : नैना देवी डेस्क : नैनीताल :  पृष्ठ : १ / २ / ३
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
संस्थापना वर्ष : १९९८. महीना : जुलाई. दिवस : ४.
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नैनीताल डेस्क.
संपादन. ' शक्ति ' रंजीता


मेरी आत्म ' शक्ति ' विचार धारा
तुम्हारे लिए
शक्ति विचार
आज : २८ /०७ / २०२४


दिल की गहराईओं में जन्मे ' अपनों ' के लिए पवित्र ' अहसास ' सच्चे हो वही ' काफ़ी ' है
हम सबों के लिए ' यक़ीन ' तो लोग ' सच ' पर भी नहीं करते


कुछ ' पा ' लेना 'जीत ' नहीं , कुछ खो देना ' हार ' नहीं
केवल ' समय ' का ' प्रभाव ' है और ' परिवर्तन ' समय का ' स्वभाव ' है

' दुआँ '  मांगी थी ' आशियाने ' की चल पड़ी ' आंधी ' जमाने ' की, 
मेरा ' दर्द ' कोई नहीं समझ पाया क्योंकि मुझे ' आदत ' थी ' मुस्कुराने ' की.


दुनिया में लोग ' बुद्धि ' अपने ' पास ' और ' धन ' दूसरों के पास ' ज़्यादा ' समझते हैं।
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आज : २२ /०७ / २०२४

शिव - शक्ति 

' सत्य ' शिव हैं, ' अनंत ' शिव हैं ' अनादि ' शिव हैं,
' ओंकार ' शिव हैं, ' शिव ' ही ' ब्रह्म ', शिव ही ' शक्ति ' हैं..


"गुरु ' ब्रह्मा ' गुरु ' विष्णु ' गुरु देवो ' महेश्वर: ' गुरु साक्षात परं ' ब्रह्म ' तस्मै श्री ' गुरुवे ' नम:"


मेरी आत्म ' शक्ति ' विचार धारा
' बामन ' और ' त्रिलोक '
' नाम ' होने तक ' इंसान ' ' नर्क ( मुश्किलों ) ' में जीता है उसके बाद जहां भी वो ' कदम ' रखता है ' नारायण ' ' बामन ' की तरह वह ' जमीन ' उसकी ही हो जाती है.

शक्ति @डॉ. सुनीता सीमा रंजीता अनीता प्रिया

आप सभी ' शिव ' ( कल्याणकारी ) शक्तियां
सदैव प्रिय दिव्य आर्य जनों ,देवों यथा ' नर ' ' नारायण ' तथा ' शिव' की अंतरिम
' शक्ति ' बनी रहें , यही कामना है.
' दुष्टता ' की परछाई भी न छूने पाए...आप सभी शक्ति बहनों की ' एकता ' में ही
' शक्ति ' हो...साथ रहें ...साथ चले..... यह भी ' महाशक्ति ' ही सुनिश्चित करें..


' आपके ' कारण यदि कोई ' प्रसन्न ' है,तो सदैव ' याद ' रखिए
ये स्थिति आपके लिए ' संसार ', में सबसे ' दिव्य ' और ' उत्तम ' है


लघु कविता
हरेला : लाग हरयाव, लाग दशे,


लाग हरयाव, लाग दशे, लाग बगवाव। जी रये जागी रये, यो दिन यो बार भेंटने रये। दुब जस फैल जाए, बेरी जस फली जाईये। हिमाल में ह्युं छन तक, गंगा ज्यूँ में पाणी छन तक, यो दिन और यो मास भेंटने रये। अगाश जस उच्च है जे, धरती जस चकोव है जे। स्याव जसि बुद्धि है जो, स्यू जस तराण है जो। जी राये जागी राये। यो दिन यो बार भेंटने राये।
दुनियां में दो ही सच्चे ' ज्योतिषी ' हैं, मन की बात समझने वाली ' माँ ' और भविष्य को पहचानने वाला परम ' पिता '


किसी को ' समझने ' के लिए हमेशा ' भाषा ' की जरूरत नहीं होती कभी कभी उसका ' व्यवहार ' भी बहुत कुछ कह देता है
जब कोई ' जिंदगी ' अचानक ' समुंदर ' में ' डूबती ' है ' उतराती ' है या ' भँवर ' में फँसती है
तो ' वक्त ' और ' हालात ' उस डूबते को तैरना सिखा ही देते हैं ।


दुविधा ' और 'सुविधा '

जिन्दगी में ' दुविधा ' और 'सुविधा ',दोनों ज़रूरत से ज़्यादा मिलने लगे तो समझो दोनों ही ' जीवन ' की स्थिति के लिए ' खतरनाक ' ही है


अपनों ' के लिए तो असीम ' धैर्य '

' धैर्य ' का ' दामन ' कभी नहीं छोड़ना चाहिए,
कम से कम से ' अपनों ' के लिए तो असीम ' धैर्य ' जरूर रखना चाहिए क्योंकि सभी ' कार्य ' सफल होने से पहले कठिन ही दिखाई देते है


रोटी


' कमाई ' छोटी या बड़ी हो सकती है, पर ' रोटी ' का ' आकार ' लगभग हर ' घर ' में एक जैसा ही होता है

शक्ति : विचार
खो देने के बाद ही पता चलता है, ' जीवन ' में अपने लिए कितने कीमती थे ' समय ', ' सेहत ' और ' संबंध '

सीखना सिखलाना

ज्ञान की ' बारिश ' में जहाँ ' अनुभवों ' की बूंदें बरस रही हो वहाँ भीगते रहिये
हर ' शख्स ' कुछ न कुछ अपने वर्ताव से सिखाता है बस सीखते रहिये.


' जानकारी ' तो किसी भी ' उम्र ' में आ सकती है
मगर ' अनुभव ' पता नहीं क्यों आज भी उस ' उम्र ' का ही इंतजार करता है


दुःख तो अपने जीवन का साथी है ,
जो अपनों को न दुःख दे और उसकी पीड़ा को भी हँस कर झेले ,
जो अपनों के दर्द को अपना समझ ले
सच कहें तो उसी इन्सान में इंसानियत ज़िन्दा है.
आसमां में उड़ने वाला वो फरिश्ता परिंदा है

डॉ. सुनीता मधुप शक्ति प्रिया

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त्रिशक्ति : सम्यक आचरण : सरस्वती : नर्मदा डेस्क : पृष्ठ : १ / ३ .
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९८२.
नर्मदा डेस्क : जब्बलपुर.
संस्थापना वर्ष : १९८९. महीना : सितम्बर. दिवस : ९. 
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संपादन.
' शक्ति ' अनीता / जब्बलपुर. 

ज्ञान दायिनी : महासरस्वती : दर्शन : पृष्ठ : १ / ३ / ० .


वर दे वीणा वादिनी वर दे वर दे 


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ज्ञान दायिनी : शक्ति : महासरस्वती : नर्मदा डेस्क : दृश्यम : विचार  : पृष्ठ : १ / ३ / ० .
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प्रादुर्भाव वर्ष : 
नर्मदा डेस्क : जब्बलपुर.
संस्थापना वर्ष : १९८९. महीना : सितम्बर. दिवस : ९. 
 संपादन. 
' शक्ति ' अनीता. जब्बलपुर 

जया किशोरी : यदि अपने ' साथ ' खड़े हो 


जया किशोरी : समय दें : अपने वापस नहीं आते 


जया किशोरी : ' तू ' कर वही जो ' मैं ' चाहता हूँ 


जया किशोरी : शब्दों पर ध्यान दीजिए 

शक्ति : विंध्यवासिनी देवी : 

तुझसे नाराज़ नहीं जिंदगी 
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ज्ञान दायिनी : शक्ति : महासरस्वती : नर्मदा डेस्क : शब्द : चित्र : विचार : पृष्ठ : १ / ३ / १.
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९८२ 
नर्मदा डेस्क : जब्बलपुर.
संस्थापना वर्ष : १९८९. महीना : सितम्बर. दिवस : ९. 
 संपादन. 
' शक्ति ' अनीता. जब्बलपुर 

' विदया ' ददाति ' विनयम ' विनयाद् याति ' पात्रताम् ' ।
पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् ' धर्मं ' ततः ' सुखम् ' ॥

हिन्दी भावार्थ:
विद्या विनय देती है, विनय से पात्रता आती है, पात्रता से धन आता है,
धन से धर्म होता है, और धर्म से सुख प्राप्त होता है।

@ त्रि शक्ति : महासरस्वती :शब्द : चित्र : विचार :


समस्या तब शुरू होती है जब दिमाग़ जरुरत से ज्यादा सोचने लगता है


गुरु विष्णु

अपने अनमोल ' जीवन ' में ' गुरुर ' नहीं किन्तु ' सद - गुरु ' बहुत जरूरी है

उत्तम ' व्यक्तित्व ' 

गहरे पानी की तरह ' साफ़ ' ' शांत चित ' और ' सार गर्भित ' रहें 


' अच्छाई ' के पीछे कोई नहीं जाता, ' बुराई ' के पीछे सब जाते हैं,
' शराब ' बेचने वाले कहीं नहीं जाता, और ' दूध ' बेचने वाले को ' गली गली ' घूमना पड़ता है ...
 


मेरी आत्म ' शक्ति ' विचार धारा 
' बामन ' और ' त्रिलोक ' 
' नाम ' होने तक ' इंसान ' ' नर्क ( मुश्किलों ) ' में जीता है उसके बाद जहां भी वो ' कदम ' रखता है 
' नारायण ' ' बामन ' की तरह  वह ' जमीन ' उसकी ही हो जाती है.
@ शक्ति 


बचपन : वो सावन के झूले   

बड़े होकर क्या मिला ' दिमाग ' में ' बोझ ' और ' दिल ' में ' गम ' के सिवा 
इससे तो अच्छे पहले थे ' बच्चें ' थे,' सच्चें ' थे  जब ' बाग बगीचा ', ' खेत खलिहान ' वो आम का पेड़ 
वो सावन के ' झूले  '  


अपनों ' के लिए तो असीम ' धैर्य '

' धैर्य ' का ' दामन ' कभी नहीं छोड़ना चाहिए,
कम से कम से ' अपनों ' के लिए तो असीम ' धैर्य ' जरूर रखना चाहिए क्योंकि सभी ' कार्य ' सफल होने से पहले कठिन ही दिखाई देते है

जीवन एक ' सफर ' है अगर रोते हुए जीए तो ' बोझिल ' और  ' लम्बा ' 
अगर इसे हँसतें हुए ' चुनौतियों ' का जुट कर ' सामना ' करते हुए जिए 
तो लोगों के लिए एक ' मिसाल ' बन जायेंगे 


श्रेष्ठ ' आर्य जनों ' के ' व्यवहार ' में ' विनम्रता ' वाणी ' में ' मिठास 'और उसके ' चेहरे ' पर
' आत्मविश्वास ' की झलक और ' सच ' तथा अभय का ' आत्म प्रकाश ' होता है

डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया.
@ त्रिशक्ति

त्रि' शक्ति ' विचार 
नैनीताल डेस्क 

ए जिंदगी 



साभार : फोटो
 

' सड़क ' 

' युवा ' तेज़ चल सकते है लेकिन ' सड़क ' बड़ों को ही पता है 


' छल 'और ' जल '

एक लोटा ' जल ' मन में हजारों ' छल ' तो कैसे होगा समस्या का ' हल '
जो बोओगे ,वही पाओगे ' फल ' भले ही रोज चढ़ाओं ' जल

' भूख ', ' प्रेम ' और ' मृत्यु ' ये जीवन के तीन सत्य हैं
कुदरत के इन क्रूर सच से ' निर्भीक ' विवेकपूर्ण ' सामंजस्य ' क़ायम ही लक्ष्य ' विजय ' है


मुफ़्त में जो ' प्रकृति ' ने जो हमें दी है  सबसे ज़्यादा ' कीमती ' है  
वो है स्वच्छ ' हवा ', ' पानी ' ...ख़ुद की हासिल ' नींद ', ' शांति ' और ' सांसें ' हमारे लिए 

सम्यक दायित्व : सम्यक व्यक्तित्व

विदया : शिक्षण : सद विचारों : का ग्रहण किसी भी आर्य जन के लिए
सम्यक दायित्व हैं जो किसी व्यक्ति के ' चरित्र', ' क्षमता ' और उसके सम्यक व्यक्तित्व का
निर्माण कर सकता है
©️®️ डॉ. सुनीता मधुप ' त्रि - शक्ति ' प्रिया.



जिन्दा दिली 

हर पल मुस्कुराए बड़ी ख़ास है ' जिन्दगी ' 
क्या सुख क्या दुःख बड़ी आस है ' जिंदगी ' 
न ' शिकायत ' करो न कभी ' उदास ' हो 
' जिंदादिली ' से जीने का एहसास है ' जिंदगी ' 


जिंदगी एक ' किताब ' की तरह है 
कुछ अध्याय ' दुखद ' कुछ ' सुखद 'और कुछ ' रोमांचक ' हैं 
लेकिन अगर आप कभी ' पन्ना ' नहीं पलटेंगे तो 
आपको कभी ' पता ' ही नहीं चलेगा कि अगले ' अध्याय ' में आपके लिए क्या है ? 


' मंजिल ' तक पहुंचने के लिए बड़े बड़े ' कदमों ' की उतनी जरुरत नहीं 
जितनी सधे ' कदमों ' की जरुरत होती है 

अपनी ' सुंदरता ' दर्पण में नहीं लोगों के ' हृदय ' में खोजे


जब बारिश की ' बूंदों ' में उलझ जाओगे तो चाय की ' तलब ' समझ जाओगे 
 

प्रशंसा ' हृदय ' से हस्तक्षेप ' मस्तिष्क ' से एवं प्रतिक्रिया ' विवेक ' से
करने में ही समझदारी है अन्यथा ' मौन ' ही सर्वोत्तम ' स्थिति ' है.


' पेड़ ' और ' पूर्वज ' हमें अपना ' फल ' और ' कल ' दोनों ही देते हैं
अतः इनका उचित ' सम्मान ' व देख भाल कीजिए

' उपलब्धि ' और ' आलोचना ' एक दुसरे के मित्र हैं
' उपलब्धियां ' बढ़ेगी तो निश्चित ही ' आलोचनाएं ' भी बढ़ेगी ही
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नव शक्ति : सम्यक संकल्प . शिमला डेस्क : दृश्यम पृष्ठ : १ /४
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संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी . दिवस : ५
श्यामली : डेस्क : शिमला
शक्ति
संपादन
रेनू अनुभूति नीलम
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नव शक्ति : दिव्य दर्शन : पृष्ठ : १ / ४ / ०  .


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नवशक्ति. विचार : शिमला : डेस्क : पृष्ठ : १ / ४ / १ .
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ख़्वाहिशें और खुशियाँ

' ख़्वाहिशों ' के दाम अक्सर ऊँचे होते हैं
मगर ' खुशियाँ ' हरगिज़ महँगी नहीं होती
त्रिशक्ति
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समय


सदैव ' समय ' पर ' भरोसा ' रखो
हर चीज़ किसी ' कारण ' से होती है
नीलम पांडेय / वाराणसी


रेनू शब्द मुखर 


जीवन  यात्रा 

जीवन एक ' यात्रा ' है, जो ' अनुभवों ' और नई ' चीजों ' से भरी होती है।
हर नया अनुभव हमें कुछ नया सिखाता है, हमारे व्यक्तित्व को निखारता है, और हमें बेहतर इंसान बनाता है। नई चीजों का स्वागत करना जीवन के इस ' विकासक्रम ' का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

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महा शक्ति.सम्यक कर्म. नैनीताल डेस्क : : पृष्ठ : १ / ५.
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०.
संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी . दिवस : ६
नैनीताल डेस्क :
संपादन
डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया

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महा शक्ति. दिव्य दर्शन : पृष्ठ : १ / ५ /० .
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महाशक्ति : रक्षा सूत्र विचार.
मेरी अभिलाषा ' शक्ति '

सुरक्षा सूत्र


येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वाम् अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥

भावार्थ. 

जिस रक्षा सूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, 
उसी सूत्र मैं तुम्हें बांधती हूं, जो तुम्हारी रक्षा करेगा, हे रक्षा तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना.
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महाशक्ति. दिव्य दृश्यम : विचार : पृष्ठ : १ / ५ /१ .
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०.
संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी . दिवस : ६
नैनीताल डेस्क :
संपादन : शक्ति. डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया.

सावन विशेष ' शिव ' स्तुति 

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।



श्रावण कृष्ण पक्ष : प्रतिपदा 
 दृश्यम : ओम नमो शिवाय : साभार : सोमवार 


उत्तराखंड : हर हर महादेव 


सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके
कालिके दर्शन : कोलकोता


शक्ति दर्शन
साध्वी चित्रलेखा : सदा प्रसन्न माधवः 


कालातीत कल्याण कल्पांत कारी : शिव दर्शन 


महाशक्ति. दिव्य दृश्यम : विचार : पृष्ठ : १ / ५ /१ .

हे गिरि नंदनी , विश्व की स्वामिनी 


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महाशक्ति. दिव्य : शब्द चित्र : सद विचार : पृष्ठ : १ / ५ /१ .
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०.
संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी . दिवस : ६
नैनीताल डेस्क :
संपादन : शक्ति. डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया.


शब्द चित्र : विचार : लाजवाब

दुनियाँ का मेला

ये ' दुनियाँ ' कहने को तो ' अपनों ' का ' मेला ' हैं
' न जाने क्यों ' फिर भी इस ' अपनों ' की ' भीड़ ' में ' हर कोई ' अपना ही अकेला है

खाली हाथ 



कुछ ' ख्वाहिशें ' ' वारिश ' की उन बूंदों की तरह थी
जिन्हें पाने के लिए ' हथेलियां ' तो भींग गई लेकिन हाथ हमेशा ' खाली ' ही रहें


उसे क्या चढ़ाऊँ मैं जो अमृत छोड़ विष पीता है 



' लाजवाब ' हैं हर वो  ' इंसान ' जो सदा ' हँसते ' हैं 
ग़म छुपा कर ' अपने ', औरों के ' दिल ' में बसते हैं 



शब्द चित्र : विचार : परेशानियाँ.
' परेशानियाँ ' इतनी ' ताक़तवर ' नहीं होती


अपनी ' जिंदगी ' में ' परेशानियाँ ' इतनी ' ताक़तवर ' नहीं होती
जितना हम इन्हें ' मान ' लेते हैं क्या कभी सुना है कि अंधेरे ने ' सुबह ' नहीं होने दी


अमीर ख़ुसरो.

गोरी सोवे सेज पर, मुख पर डारे केस।
चल खुसरो घर आपने, सांझ भयी चहु देस।।


कृष्ण और कर्ण 



जिन्दगी में  ' मित्र ' हो तो  ' कृष्ण ' और  ' कर्ण ' जैसे 
एक ' कृष्ण ' जो ना लड़ें फिर भी ' जीत ' पक्की कर दे 
और दूसरा ' कर्ण ' जो हार सामने हो फिर भी ' साथ ' ना छोड़े 


सोच और साथ 
 

 स्थायी प्रिय ' सम्यक साथ ' तथा ' सम्यक सोच ' मात्र से ही 
जीवन पर्यन्त ' आनंदित ' और ' संतुष्ट ' रहा जा सकता है

©️®️ डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया
रेनू अनुभूति नीलम .
सीमा अनीता


शक्तियां : देव : आर्य जन और सम्यक ' साथ ' 


न धन, न ' दौलत ', न ' जागीर ', ऐशो - आराम अब कुछ भी नहीं चाहिए, मेरी दिव्य ' शक्तियां '
जीवन के इस अंतहीन सफ़र में यह आप सुनिश्चित करें
कि उन ' महाशक्तियों ', ' आर्य जनों 'का दिव्य ' साथ ' कभी न छूटे, जो मेरे जीवन में
' ध्रुव ' तारे सदृश ' दिशा ' और ' दशा ' के निर्धारक हो गए हैं


अनंत ' प्रेम ' 

 विषम से विषम परिस्थितियों में निहायत अपनों के लिए ' व्यक्तिगत 'आपसी परस्पर
असीम ' धैर्य ' 'सहिष्णुता', प्रेम पूर्ण ' वाणी ' अटूट ' विश्वास ' का प्रदर्शन ही ' वास्तविक ' अनंत ' प्रेम ' है

©️®️ डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति 'प्रिया.



'  हरि ' अनंत  ' हरि ' कथा अनंता, कहहि सुनहि बहुबिधि सब ' संता '


रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाई पर वचन न जाई


राधिका रुक्मणि कृष्ण शक्ति : नव शक्ति : त्रि शक्ति : महाशक्ति समर्थित :
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अग्निसुता द्रौपदी कृष्ण : शक्ति : दृश्यम : विचार : पृष्ठ :  १ / ५ / २ .
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कुरुक्षेत्र डेस्क हस्तिनापुर 


संपादन 
  ' शक्ति ' भगवन्ती / देहरादून 

कृष्ण : द्रौपदी संवाद

जिसके सखी ' गोविन्द ' हो। दिव्य ' संरक्षण ' मिलता ही रहेगा तो भय कैसा 
मेरे भीतर की दृढ़ ' आत्म शक्तियां '  ' भ्रष्ट् आचरण ' के ख़िलाफ़ निरंतर ' अथक प्रहार ' करती ही रहेंगी 

मुझे जब भी ' सहायता ' की ' आवश्यकता ' होती 
आप उपस्थित हो जाते है : गोविन्द 


अधर्म और छल 

 यदि ' अधर्म ' का नाश ' छल ' है 
तो ' छल ' ही ' धर्म ' है : कृष्ण : शकुनि : संवाद 


----------------- सम्पादकीय : पृष्ठ : २
-------------
संस्थापिका.
मातृ शक्ति.
 
निर्मला सिन्हा.
१९४० - २०२३  
------------
प्रधान संपादक
--------


रेनू ' अनुभूति ' नीलम.
नव शक्ति. श्यामली डेस्क. शिमला.
संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी. दिवस : ५.
----------
कार्यकारी संपादक


डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया
महाशक्ति डेस्क. नैनीताल
संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी. दिवस : ६ .
----------
कार्यकारी सहायक संपादक


सीमा वाणी अनीता कोलकोता डेस्क संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जून. दिवस : २ .
------------
संयोजिका
मीडिया हाउस.
 
वनिता. शिमला 

---------
 संरक्षिका नेत्री.
डॉ. भावना माधवी.

 उज्जैन. महाकाल 
----------------
वरिष्ठ सम्पादिका 



डॉ. मीरा श्रीवास्तवा 
पूना 
----------
अतिथि संपादक 
नैनीताल 
मानसी कंचन 
----------
स्थानीय संपादक 


भारती मीना 
 नैनीताल. 
----------
क़ानूनी संरक्षण.

सीमा कुमारी.  
डिप्टी चीफ लीगल एड डिफेंस काउंसिल 

विदिशा.


विधिवक्ता / नई दिल्ली. 
---------
अभिभावक / संरक्षक.

 

चिरंजीव नाथ सिन्हा.
ए.एस.पी. लखनऊ.
रश्मि श्रीवास्तवा.
ए.एस.पी.
कर्नल सतीश कुमार सिन्हा.
सेवा निवृत.हैदराबाद.
अनूप कुमार सिन्हा.
व्यवसायी. नई दिल्ली.
मुकेश कुमार. पुलिस.उपाधीक्षक.रांची 
राज कुमार कर्ण.
सेवा निवृत वरिष्ठ पुलिस. उपाधीक्षक.पटना
विजय शंकर.
सेवा निवृत वरिष्ठ पुलिस. उपाधीक्षक.पटना
---------
दिग्दर्शक / मंडल.


रवि अनुपम नवीन 

रवि शंकर शर्मा. संपादक. दैनिक भास्कर.नैनीताल.
अनुपम चौहान.संपादक.समर सलिल.लख़नऊ.
डॉ. नवीन जोशी.संपादक. नवीन समाचार .नैनीताल.
मनोज कुमार पांडेय.संपादक.ख़बर सच है.नैनीताल.
अनिल लढ़ा .संपादक. टूलिप टुडे.राजस्थान.
डॉ.आर. के. दुबे. लेखक ,संपादक.नई दिल्ली.
रंजना : स्तंभ कार स्वतंत्र लेखिका. हिंदुस्तान :नई दिल्ली.
अशोक कर्ण : फोटो संपादक. पब्लिक एजेंडा. नई दिल्ली.
डॉ. मीरा श्रीवास्तवा / पूना.
रीता रानी : जमशेदपुर.
नमिता सिंह : रानीखेत 



दिव्य भविष्यवाणी समर्थित. नक्षत्र : कहना है : अपने तारे सितारे : पृष्ठ : २ / ० संपादन.
स्मिता / पटना
नक्षत्र : हमारे तुम्हारे.

जन्म तिथि : मूलांक : २ वाले : मल्टी टास्कर होते हैं

जन्म तिथि : मूलांक : ४. वाले करें शिव में विश्वास
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आकाश दीप : पद संग्रह : सम्पादकीय प्रस्तुति. पृष्ठ : ३  .
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संपादन. 
रेनू शब्द मुखर.
 

जयपुर. 
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रेनू शब्दमुखर
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लघु कविता 

ना उसने कुछ कहा



और, हम बस चुप रहे,
ना उसने कुछ कहा ना मैंने
हम इंतज़ार करते रहे
एक दूसरे की चुप्पी टूटने का 
ख़ुद में सिमटे रहे 
लबों पर ताले लगाकर 
वक्त फिसलता रहा, रेत सा 
और उस खामोशी की आंच पर
हम बस जलते हुए, 
साथ साथ चलते रहे
और हम बस चुप रहे.

अज्ञात 

सदमा 




पिछले साल 
माँ चली गयी 
अनाथ हो गया 
एकाकीपन दुःख के 
बादल छटें भी नहीं थे 
ग़मज़दा हो कर 
अपनों को खोजने निकल गए 
मिले भी नहीं भी 
मगर पराए और बैरी मिल ही गए 
अपनों को देखा उन्हें 
तो बस अपनेपन का 
ख़्याल रखा...  
कि सर पर 
चरित्र हीन का इल्जाम 
लग गया 
निरंतर दुःख की बदली छा गयी 
न कोई मेरी सुनने पाया 
न  किसी से मैं कह भी  पाया 
क्योंकि आदत है 
अपनी तो
कि हम कुछ नहीं कहते 
अब तो उन हर चेहरों  से 
दहशत होती हैं 
हर तेज आवाज़ से 
डर लगता है 
जैसे , कोई 
मेरी बिन गवाही के 
ही सज़ा सुना रहा हो 
गुनाहगार बतला रहा हो 
वैसे मेरी गलती कहाँ थी ?
बोलो न ?
मैं इंसानियत निभा रहा था 
और तुम.... 
और ये दुनियां...

आपबीती : लघु कविता. डॉ. मधुप. 
सम्पादित प्रिया  


लघु कविता.

मलाल.


आज भी उनका प्यार दिल में  है, 
आज भी वो ख़्याल  दिल में  है, 
चाह के भी पा न सके उनको हम, 
आज भी ये मलाल दिल में  है । 
आज भी उनका प्यार..... 

दो कदम साथ चले थे उनके, 
दो घड़ी पास पास बैठे थे, 
चाह के भी मिल न सके उनको हम, 
आज भी ये मलाल दिल में  है। 
आज भी उनका प्यार.... 


उषा बोरा 
रानीखेत
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अंतहीन इंतजार

फोटो : मीना मुक्तेश्वर 

सूने रास्तों पर,चुपचाप खड़ी हूँ,
तुम्हारे लौटने का,अंतहीन इंतजार है.
फूलों की महक,हवा में घुली,
यादों की बगिया में,
बस तेरा ही ख्याल है.
वक्त का पहिया,
घूमता ही रहा,
मेरे दिल की धड़कन,
बस तुझसे ही जुड़ी है.
सूरज डूबा,चाँद भी निकला,
पर तेरे बिन ये रातें,
अधूरी ही रही है.
पलकें बिछाए,राह देखती हूँ,
हर आहट पे,दिल थम सा जाता है.
तेरे वादों का,सिलसिला जोड़ा,
बस इस इंतजार में,
जीवन बीत रहा है.
तुम आओगे,यही उम्मीद है,
इस अंतहीन इंतजार में,
बस तुम्हारा ही इंतजार है.

रेनू शब्दमुखर

--------
न जाने क्यों 


फोटो : मीना सिंह 


न जाने क्यों 

 मेरे ' दिल ' में ' ख्वाहिशों ' का खेल भी 
क्यों कर अजीब गरीब  होता है,  
चाहें लाख  छुपा लें, 
जितना भी राज ए दिल 
रह रह कर ' सरे आम '  हो ही जाता  है.  
भूलने की कोशिश में तुझको 
भुलाते  ही गए खुद को 
मधुर यादों के पन्नों पर 
न जाने क्यों 
हर्फ़ ही नहीं  
बस तेरा चेहरा ही रह रह कर नज़र आता है 

डॉ. मधुप 
पुनः सम्पादित / प्रिया / दार्जलिंग 
-----------
ढाई आखर प्रेम का 


' काशी ' काया हो गयी 
मन बद्री ' केदार ' 
ढ़ाई आखर ' प्रेम ' ने,
रोम रोम किया ' हरिद्वार ' 

----------

लघु कविता.

बादलों से कह  दूं कि 

बादलों से कह 
दूं कि 
छाँव हो जाओ,
सूरज से कह दूं कि 
जलवा बिखेर जाओ.
राहों में ठोकरों को 
चूमकर चलूँ



आँखों में सपनों को 
बुनकर चलूँ....हर मुश्किल को 
कर दूं मैं दरकिनार.
आत्मविश्वास मेरा सागर सा गहरा
खुद पर यकीन है मंजिलें भी मेरी,
आंधियों से कह दूं कि 
रुक जाओ तुम यहीं.
सपनों की चादर ओढ़ूँ 
 हौंसलों का 
हो परचम,
हर हाल में चलते जाना 
मुश्किलें भी सलाम करें 
हर कदम को अपनाना 
आत्मविश्वास से लबरेज़ हो 
जीवन के इस सफर में
रेनू   कभी न घबराना
 जीवन है एक जंग
 बस इसे लड़ते जाना.


रेनू शब्दमुखर.
जयपुर.
------- 
क्षणिकाएं 

चल ख़ुसरो घर आपने 

रह गया न यहाँ कोई जाने न 
चल ख़ुसरो घर आपने 


भूल गया सबकुछ 
यहाँ मिले रंजो गम को 
भुलाने की बात पर भी क्या 
 बेहतर कही है हमने 
मेरे हमसफ़र ! 
यह कह कर भूल जा 
 मुसाफ़िर 
अब रहना ही कहाँ है 
तूझे इस शहर में ?
कितने दिनों तक़ ?
चल ख़ुसरो घर आपने
रहना  

डॉ. मधुप.
  
©️®️ डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया.
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तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : सम्पादकीय प्रस्तुति. पृष्ठ : ४.
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संपादन. 

नीलम पांडेय / वाराणसी. 
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सम्पादकीय : आलेख : संवाद  : क़ायम रहें 
संवाद संबंधों की अहम कड़ी : दिल से संवाद क़ायम रखें  
रेनू निकिता जयपुर.



 
आँख भर आई किसी से जो मुलाक़ात हुई ख़ुश्क मौसम था मगर टूट के बरसात हुई
दिन भी डूबा कि नहीं ये मुझे मालूम नहीं जिस जगह बुझ गए आँखों के दिए रात हुई

मंज़र भोपाली का ये शेर आज याद आ गया जब लंबे अरसे बाद प्रिय सखी रेनू शब्द मुखर महासचिव संपर्क साहित्य संस्थान से हिमाद्री वर्मा के पुस्तक विमोचन समारोह में मिलना हुआ 
मिलनसार, मृदुभाषी, सरल सहज हृदय रेनू ने संपर्क के सभी सूत्रों को एक धागे में पिरोए रखने में अथक मेहनत की है .बहुत समय से मेरा किसी साहित्यक कार्यक्रम में जाना नही हो पा रहा है जिसका कारण मेरी व्यस्तता है आज जैसे ही रेनू को बांहों में भरा आत्मीय ऊष्मा से उनकी आंखो में स्नेह अश्रु भर आए मन द्रवित हो गया.... उलाहना भी दिया नही मिलने का... कार्यक्रम में न आने का.....ऐसा लगा जैसे निकिता कहीं खो गई है.....उनके इन शब्दो से मेरा मन भीग गया 
रेनू जी बहुत व्यस्त रहती है हिंदी विभागाध्यक्ष का पद, साहित्य सृजन, साहित्यकारों को मंच देना, पुस्तकों का संपादन, विभिन्न पुरस्कारों के लिए देश विदेश की यात्रा फिर भी सब पर यूं ही प्यार लुटाती है, परवाह करती है। 
सचमुच आप ईश्वर का दिया एक अनमोल तोहफ़ा हो, अद्भुत हो आपके आसुंओ के लिए मैं क्षमा चाहती हूं आप जब बुलायेंगी मैं चली आऊंगी।  
तुम्हारे प्यार के काबिल खुद को बनाएंगे 
आज से वादा है ,वादा निभाएंगे  
इन खूबसूरत आंखो को भिगोया न करो 
कैसे इन मोतियों का मोल चुकाएंगे 

स्वस्थ संबंधों की नींव संवाद और परामर्श पर आधारित होती है। यह दो व्यक्तियों के बीच की गहरी समझ और सम्मान को बढ़ावा देने का सबसे महत्वपूर्ण साधन है। जब हम अपने विचारों, भावनाओं और चिंताओं को खुलकर साझा करते हैं, तो यह न केवल हमें समझने में मदद करता है, बल्कि हमारे साथी को भी यह एहसास दिलाता है कि वे सुने जा रहे हैं और उनकी भावनाओं का महत्व है। ढेर सारा प्यार प्रिय
बातें जो मन के अंदर बसीं,जैसे हो कोई सुगंध,
स्वस्थ संबंधों के लिए संवाद,है जैसे जीवन का आनंद.
मन की गहराई से निकलें शब्द,बांधे रिश्तों की डोर,
भावना का करें आदान-प्रदान,
दिलों और जीवन में लाये प्रगाढ़ स्नेह और उमंग.
न रहे कोई भ्रांतियाँ,न हो कोई संशय,
सत्य और प्रेम के संग,रिश्ते बनें और गहरे.
संवाद से जुड़ें हर दिल,कहें अपनी हर बात,
स्वस्थ संबंधों का यही मंत्र,दिल से दिल की मुलाकात.

रेनू शब्दमुखर
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सम्पादकीय : आलेख : हरेला : हरितिमा बची रहें 
 
डॉ. नवीन जोशी समाचार संपादक. नवीन समाचार
हरेला पर्व उत्तराखंड के अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश में भी हरियाली पर्व के रूप में


आकाश की तरह ऊँचे होने और धरती की तरह चौड़े होने’ की आशीषों का भाव : फोटो : डॉ. नवीन जोशी

नैनीताल, १६ जुलाई २०२४ डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, त्रेता युग में देवर्षि विश्वामित्र द्वारा भगवान श्रीराम को दी गईं ,आकाश की तरह ऊँचे होने और धरती की तरह चौड़े होने’ की आशीषों का भाव भी होता है। इसलिए भी उत्तराखण्ड में श्रावण माह में पड़ने वाले हरेला का अधिक महत्व है। कि हरेला पर्व उत्तराखंड के अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश में भी हरियाली पर्व के रूप में मनाया जाता है। हरियाली या हरेला शब्द पर्यावरण के काफी करीब है। ऐसे में इस दिन सांस्कृतिक आयोजन के साथ ही पौधारोपण भी किया जाता है। जिसमें लोग अपने परिवेश में विभिन्न प्रकार के छायादार व फलदार पौधे रोपते हैं।
श्रावण मास संक्रांति की पवित्र वेला का स्वागत उत्तराखंड में हरेला पर्व द्वारा किया जाता है। पर्यावरण संरक्षण, समृद्धि एवं लोकास्था का अद्भुत संगम दर्शाता यह पर्व द्योतक है संस्कृति एवं दैवीय शक्तियों के प्रति इस प्रांत के जनमानस की अटूट श्रद्धा का, जो देवभूमि के नाम को सार्थकता प्रदान करता है।

लाग हरिया्व, लाग दसैं, लाग बग्वाल,
जी रये, जागि रये,
यो दिन यो मास भेटनैं रये, तिष्टिये,
पनपिये, हिमाल में ह्यूं छन तक,
गंग ज्यू में पांणि छन तक,
अगासाक चार उकाव,
धरती चार चकाव है जये,
स्याव कस बुद्धि हो,
स्यों जस तराण हो,
दुब जस पंगुरिये,
सिल पिसी भात खाये,

जाँठ टेकी झाड़ जाए…´ यानी १० वें दिन कटने वाला हरेला तुम्हारे लिए शुभ होवे, बग्वाल तुम्हारे लिए शुभ होवे, तुम जीते रहो, जाग्रत रहो, यह शुभ दिन, माह तुम्हारी जिन्दगी में आते रहें, समृद्ध बनो, विकसित होवो, हिमालय में जब तक बर्फ है, गंगा में जब तक पानी है, आकाश की तरह ऊँचे हो जाओ, धरती की तरह चौड़े हो जाओ, सियार की सी तुम्हारी बुद्धि होवे, दूब घास की तरह फैलो, (इतनी अधिक उम्र जियो कि ) भात भी पीस कर खाओ…..
यह वह आशीषें हैं जो कुमाऊं अंचल में एक ऋतु व प्रकृति पर्व हरेला के अवसर पर घर के बड़े सदस्य सातअनाजों की पीली पत्तियों (हरेले के तिनड़ों) को बच्चों, युवाओं के सिर में रखते हुऐ देते हैं। इन ठेठ कुमाउनी आशीषों में त्रेता युग में देवर्षि विश्वामित्र द्वारा भगवान श्रीराम को दी गईं ‘आकाश की तरह ऊँचे होने और धरती की तरह चौड़े होने’ की आशीषों का भाव भी है। प्रियजन घर की बजाय दूर प्रवास पर सात समुद्र पार भी हों तो उन्हें हरेले के पीले तिनके चिटि्ठयों के जरिऐ भेजे जाते हैं, जिनका उन्हें भी वर्ष भर इन्तजार रहता है।
एक अनूठी लोक मान्यताओं के अनुसार आज के दिन धरती और आसमान का विवाह हुआ था। यह लोक मान्यता यह भी बताती है कि कैसे धरती हो या आसमान, या प्रकृति की कोई भी वस्तु, सभी को हमारी मान्यताओं में देवी-देवता के रूप में माना गया है, या मानवीकृत किया गया है।

पृष्ठ सज्जा : शक्ति कला
नैनीताल डेस्क

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संपादकीय लेख : जीवन : फलसफा : अध्यात्म : पृष्ठ : ४.०    
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जीने की राह से साभार 
संपादन.

 

डॉ.सुनीता रंजीता. 
नैनीताल डेस्क. 

जीने की राह : रिमझिम गिरे सावन ..?  गतांक : ०   
डॉ. मधुप.  


सावन की घटा और रिमझिम गिरे सावन : फोटो आशा : मसूरी. 

सावन का महीना था । पवन शोर  कर रहा था । शाम का वक़्त था। सुबह से ही रुक रुक कर बारिश हो ही रही थी। रिमझिम गिरे सावन में कभी झमाझम तो कभी बारिश की फुहार हो रही थी। 
कब की शाम हो चुकी थी। घने काले बादल क्षितिज़ में मंडरा रहें थे। कीचड़,रोड़ की माली हालत देखने लायक थी। शायद कोई परीक्षा खत्म हुई थी। रोड़ पर ढ़ेर सारे लोग खड़े कुछेक गाड़ियों का ताता लगा हुआ था। हाई वे पर कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा था। नुक्कड़ पर ही जाम की स्थिति हो गयी थी। 
इस उम्र में अकेले मोटर साइकिल चलाते हुए जाना भी वो भी शाम के वक़्त आसान नहीं था। घर के लिए प्रस्थान करते हुए हम सभी अपने परिवार की भांति ही एक दूसरे का ख़्याल कर लेते ही हैं कि सब सुरक्षित ढंग से प्रस्थित हो। सावधानी पूर्वक आने जाने के तौर तरीक़े भी देख ही लेते हैं। आगे गाड़ियों का काफ़िला लगा हुआ था। जाम से ज्यादा इस बात से डर लग रहा था कि कहीं बारिश में फँस न जाए।  अपने पास कोई रेन कोट भी नहीं था। मोबाइल भी भींग सकता था। बीच में कहीं कोई रैन बसेरा भी नहीं था। 
तभी आत्म शक्ति ने ही रास्ता दिखलाया।  सहृदय भाई थोड़ा पीछे हटे तो पार्श्व से एक संकीर्ण रास्ता मिल गया। जो ख़ुद पीछे रह  कर साधु की तरह दूसरों के लिए रास्ता बनाते हो उनके लिए साधु वाद बनता है।अपनों को छोड़ कर जैसे सीमा पर अकस्मात जा रहें प्रहरी की तरह हमें आगे बढ़ना ही पड़ा। 
बड़ी धैर्य के साथ काफिले में बढ़ता गया। हम उबड़ खाबड़ रास्ते से हम आगे तो बढ़ रहें थे लेकिन मेरे अपने कहीं पीछे ही छूट चुके थे। चिंता बनी हुई थी सब के सकुशल घर पहुंचने की।  
उम्मीद है सभी अपने सुरक्षित मकाम तक पहुंच ही चुके होंगे। हम सभी रक्षित हो। कभी कभी हम बड़ी घुटन सी महसूस करते है कि आप चाह कर अपने लोगों को  कुशल क्षेम जानने हेतू भी फोन नहीं लगा सकते। 
क्योंकि आप और हम किस तरीके, किस भाव से भावनाओं को ले रहें हैं मालूम नहीं। हमारी सोचें  संकीर्ण हो गयी हैं। और यदि कहीं इसकी चर्चा  पिछड़ी ,दकियानूसी समाज के सामने हो गयी तो समझें फ़जीहत तय ही है। 
कभी कभी हम जरुरी फोन कॉल्स उठाते भी नहीं ..तो कभी कॉल का जवाब देना भी आवश्यक नहीं समझते ..सच कहें कहीं कुछ छूटता है..  
और हमारी सबसे बड़ी कमजोरी होती है कि हम खुद के ही बेहतर हमराज़ नहीं बन पाते हैं। कभी अपने भीतर ही सब राज छुपा कर देखें बड़ा अच्छा लगता है... 

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 जीने की राह : गतांक : १    
जीने की राह : हिमालय से ऊँचा तेरा हौसला पृष्ठ :४.१  
डॉ. मधुप.  




ये रास्तें हैं प्यार के : जीने की राह : कोलाज : शक्ति : कलाकृति  

डॉ. मधुप.  

१९७५ - १९७६ का वर्ष। १३ साल की अवस्था। जन्मदिन भी १३ को ही होता । उसके जन्म दिन का मूलांक जोड़ कर ४ ही बना था। राशि से था वो ' सिंह 'था । वह ' किशोर जन्मजः स्वभाव से बड़ा जहीन, ' जिद्दी ',' जबरदस्त ' और विद्रोही तेवर का निकला। ' सिंहों ' की तरह उसने अकेले रहने की आदत भी डाल ली थी और समाज में रहने मात्र के लिए उसने अपनी ' सभ्यता ',  ' शब्द ' और ' संस्कार' की परंपरा भी विकसित कर ली थी।    
उसने किसी से सुना था। जन्म दिवस : मूलांक : ४. वाले : ' सत्याग्रही ',' अच्छाई ' के संरक्षक ' सत्य ', ' अहिंसा ', ' संयम ', ' बुराई के खिलाफ निरंतर ' संघर्ष ' वाली ' क्षत्रिय ' परंपरा के पोषक होते हैं। 
'सिंह ' की तरह ,' शक्ति ' संरक्षित,  शिव ( कल्याणार्थ ) दिव्य ' शक्तियों  ' का सदैव सम्मान करने वाले ,निर्भीक, क्षत्रिय की भांति  देव ' प्रकृति ' ' प्रेम ' के संरक्षक तथा कभी भी किसी भी परिस्थिति में अपने 'रास्तें ', ' इरादे ' तथा ' बातें ' ( वचन ) नहीं बदलते....हैं।  
उसने इतिहास पढ़ी। शोध भी सम्पूर्ण किया। उसने ' सिकंदर ', ' अशोक ' महान, समुद्रगुप्त, ' न्याय प्रिय सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ,' हर्ष वर्धन ' ,' पृथ्वी राज चौहान ', अकबर ',' राणा प्रताप ', झाँसी की रानी, राणा रतन सिंह - पदमावती तथा नेपोलियन ' की कहानियां भी खूब पढ़ी थी । इतना सब कुछ पढ़ लेने के बाद उसने बस इतना ही याद रखा कि व्यक्ति को विषम से विषम परिस्तिथियों में भी अपने समय शब्द संस्कार से परे नहीं होना चाहिए। शनैः शनैः वह जीवन के हरेक क्षेत्र में सदैव तथा सर्वत्र विश्व विजय का आकांक्षी होने लगा था। हार शायद उसकी कुंडली में लिखी नहीं थी, देव - शक्ति योग से विजय जैसे उसकी भाग्य में ही थी । 
राम से ज्यादा भगवान ' कृष्ण ' को मानने वाला। क्योंकि ' राम ' ने मर्यादा में कैसे रहते हैं की बात की और कृष्ण ने मर्यादा में कैसे रखते है की ' युक्ति ' रखी। ' शिव ' से अधिक जगत के ' पालक ' 
' संरक्षणकर्ता ' नारायण में  विश्वास रखने वाला वो था । 
भगवान ' शिव ' द्वारा भोले पन में  दानवों को दिए गए वरदान का निराकरण भी  नारायण ही करते रहें। याद कीजिए दैत्य ' भस्मासुर ' की कथा। 
स्वयं को ' सिद्धार्थ ' की तरह ही समाज से पृथक कर आस पास में ही ' सत्य ',' अच्छाई ' को ढूंढ़ने की कोशिश कर रहा था। ईशा की तरह अपने प्रिय जनों  के लिए सर्वस्व लुटाने वाला था वो। 
दूसरी तरफ़ दकियानूसी समाज की तरफ़ जब कभी भी देखता तो इसकी प्रचलित घिसी पिटी ' परनिंदा ', छिद्रान्वेषण ',' शोर - गूल ',  चीखने - चिल्लाने से भरी आम अवाम की परिपाटी देख कर इसे भयंकर चिढ़ होती थी। 
जीने की राह के लिए जीवन में प्रयुक्त होने वाली ' वाणी ',अमर्यादित शब्दों और इससे उत्पन्न  ऊँची ' ध्वनि ' प्रदूषण पर ही शोध कार्य आरम्भ हुआ। क्योंकि महाभारत के द्रौपदी के उस कथित उपहास में कहे गए शब्द यथा,' अंधे का बेटा अंधा ही...,से उत्प्रेरित होने वाले ' महाभारत ' का कथानक,प्रसंग और होने वाले दुष्परिणाम को वह देख चुका था। 
पांचाली 

तब से ही अकेलेपन में रहने की शुरुआत हो चुकी थी। अक्सर उसे ऐसा लगा कि लोग बिना ' सत्य '  का सही परीक्षण किए हुए ही लोग सार्वजनिक परिवेश में अमर्यादित शब्दों की टिप्पणी कर जाते हैं जो अनर्थ है । तब से अनर्गल कहे गए शब्दों से उसे चिढ़ होने लगी थी । वह अलग थलग रहने लगा था । एकदम से वह व्यक्तिवादी हो चुका था,वो। 


सन्दर्भित गाना 
ये रास्तें है प्यार के.
फिल्म : इम्तिहान.१९७४  
गाना : रुक जाना नहीं तू कही हार के
सितारे : विनोद खन्ना. तनुजा.


गीत : मजरूह सुल्तानपुरी. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारेलाल.
 गायक : किशोर कुमार.
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गतांक से आगे : २    
   जीने की राह : एकला चलो रे पृष्ठ :४.२  
डॉ. मधुप.  

जीने की राह : ये रास्तें है प्यार के.

ये रास्तें है प्यार के। हमारी गौरवशाली  परम्पराओं, मधुर यादों  का मार्ग  है यह । मधुर यादों का है। चलते हुए इस रास्तें से हम गुजरते है तो हर बात याद आ जाती है। माना कि गड्ढ़े बहुत है। पानी भरा है। चलना दूभर है। हम गिर सकते है।  गिर कर फिर उठ भी सकते है। 

जिंदगी भी तो आसान नहीं है। रास्ता अत्यंत उबड़ खाबड़ है । चलना मुश्किल है। बहुत ख़राब ही सही लेकिन रास्ता तो प्यार का ही है। हमारे अडिग हौसलों के परीक्षण के ये रास्तें है कि हमें विचलित होना है या फिर क्षत्रिय परम्परा का निर्वहन करते इन कठिनाईओं के भरे मार्ग को नन्हें लेकिन बड़े कदमों से नाप देना है। रास्ता नहीं टूटे हैं सच कहें हमारा हौसला टूटा है, या नहीं भी ,स्वयं विचार करें   
सच कहें तो शक्ति संरक्षित मार्ग है यह। मेरे लिए तो सदियों से सर्वाधिक सुरक्षित है। 
दिव्य प्रतीकात्मक ' शक्तियाँ ' इन दुश्वारियों भरे रास्तें से होकर गुजरती है। तो आप बताए यह मार्ग असुरक्षित कैसे हुआ ? 
फिर रास्ते में पड़ने वाले ' शिव ' मंदिर से गुजरता हुआ यह शक्ति मार्ग ,जय माता दी, सीता राम , राधे कृष्ण, नव शक्ति, बजरंग बली  तथा भगवान शनि देव के देवाश्रय से होकर गुजरता है,तो ऐसी स्थिति में यह संकटों से भरा कैसे हुआ। 
संकट रहित यह दिव्य सुरक्षित मार्ग ही सिद्ध हुआ। हमने इस रास्तें पर चलते हुए अच्छी सर्दी ,गर्मी ,बरसात  झेली है। अब तो समय आने पर प्रतीक्षा पथ भी हमारी राह तकते है। पल पल भी डगर बुहारते है कि सिंहों की सवारी आने वाली है। अब हम कैसे छोड़ दें ? 
यदि छोड़ते हैं तो परम्पराएं छूटती हैं, यादें दूर होती हैं....हम इसका परित्याग नहीं कर सकते। यह हमारी क्षत्रिय परमपराओं के विपरीत होंगी। 

जोदी तोर डाक सुने केउना आसे, तोबे एकला चलो रे

संदर्भित गीत
मेरी पसंद 
डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया 
जीने की राह : ये रास्तें है प्यार के. 
फिल्म : यादगार. १९७० 
सितारे : मनोज कुमार. नूतन 
गाना : जिस पथ पर चला 
गीत : इंदीवर संगीत : कल्याण जी आनंद जी. गायिका : लता 


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उसने साहित्य भी पढ़ी थी। गुरु रविंद्र को जाना ,समझा। विलियम वर्ड्सवर्थ की कविताएं ' रेनबो ', ' सोलिटरी रीपर ' भी  पढ़ी। 
रविंद्र कहते है जोदी तोर डाक सुने केउना आसे, तोबे एकला चलो रे। रविंद्र नाथ टैगोर की लिखी यह पंक्तियाँ आत्मबल के लिए हैं। हमेशा से मुझे प्रेरित करती रही है। अपने भीतर ही इस गीत में सार्थक आत्मविश्वास भरे अपने जीवन का आत्म दर्शन हुआ है।
सच है हमें किसी के साथ की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। हम न तो सभी को प्रसन्न रख पाएंगे और न ही सभी को अपने साथ चलने के लिए प्रेरित कर पाएंगे। अगर अकेले ही चलते रहें तो एक न एक दिन दूसरे को साथ चलने के लिए जरूर ही प्रेरित करते रहेंगे। अगर अपने होंगे तो एक न एक दिन साथ जरूर आ जायेंगे। जो आपको मानते है आप में विश्वास रखते हैं वो कदापि आपको नहीं छोड़ेगे।
इस आस किसी के साथ में हम आगे बढ़ने के वजाए रुक जाए तो यह जीवन की सार्थकता की आहुति देने के समान होगा और हमारी मानसिक दुर्बलता का परिचायक ही होगा।
इसका गीत का यह कदापि अर्थ बिल्कुल नहीं है कि हम सबका विरोध करें। न ही यह हमें प्रेरित करता है कि हम सबके विपरीत चलें। इसका अर्थ तो सिर्फ़ यह है कि हम अपनी अंतरात्मा की आवाज़ का अनुपालन करें - चाहे इसमें हमारा कोई साथ दे या ना दे।
हम देखते हैं कि लोग सुधार तो चाहते हैं पर कोई इस मिशन में किसी का साथ लम्बे समय तक नहीं देता। लोग हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं किसी के आरम्भ करने की शुरुआत में । इससे तो अच्छा है कि हम अपने निर्धारित सम्यक मार्ग पर चलते ही रहें।
इतिहास गवाह है कि ऐसे मनुष्य ही मानवता के पथ -प्रदर्शक होते हैं जो एकला चलने में विश्वास रखते हैं। कई बार ऐसा हुआ है कि सभी उन्ही के पदों का अनुसरण करने लगते हैं।
स्तंभ संपादन / प्रिया / दार्जलिंग 
डॉ. मधुप.  
क्रमशः जारी   


डॉ. सुनील कुमार ममता हॉस्पिटल : बिहार शरीफ, समर्थित 
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यात्रा विशेष : शीर्षक गीत : वादियां मेरा दामन प्रस्तुति. पृष्ठ : ५ .
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संपादन. 



डॉ. सुनीता रंजीता  प्रिया. 
नैनीताल डेस्क.  
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 मेरी पसंद 


सितारे : राजीव तनूजा  
फिल्म : नयी उमर की नयी फसल.१९६६ 
 गाना : कारवां गुजर गया गुब्बार देखते रहें 
गीत : नीरज. संगीत : रोशन. गायक : रफी.
 

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फ़िल्म : मजबूर.१९७५.
सितारे : अमिताभ बच्चन. प्रवीण बॉबी 
गाना : आदमी जो कहता है आदमी जो सुनता है 
जिंदगी भर वो सदाएं पीछा करती है 
गीत : आनंद बख्शी संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायक : किशोर कुमार. 



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शक्ति विशेष संगीत  
तुम्हारे लिए. 
फिल्म : जुर्माना : १९७९ 
गाना : सावन के झूले पड़ें 
सितारे : अमिताभ बच्चन. राखी. विनोद मेहरा 
गीत : आनंद बख्शी. संगीत : आर डी वर्मन. गायिका : लता.


 
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२२ / ०७ / २०२४ 
श्रावण मास : प्रथम दिवस : प्रतिपदा : सोमवार : विशेष 
फ़िल्म : सत्यम शिवम् सुंदरम : १९७८ 
गाना : ईश्वर सत्य है सत्य ही शिव है शिव ही सुन्दर है 
सितारे : शशि कपूर. जीनत अमान. 
गीत : नरेंद्र शर्मा. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायिका : लता.


 
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आत्म शक्ति दिन विशेष संदर्भित गीत 
मेरी पसंद 
डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया

फ़िल्म : हमराज.१९६७  
सितारे : राज कुमार विम्मी  सुनील दत्त 
गाना : न मुँह छिपा के जियो 
और न सर झुका के जियो 
गीत : साहिर लुधियानवी. संगीत : रवि गायक : महेंद्र कपूर 
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फिल्म : यादगार. १९७० 
सितारे : मनोज कुमार. नूतन 
गाना : जिस पथ पर चला 
गीत : इंदीवर संगीत : कल्याण जी आनंद जी. गायिका : लता 


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१५ / ०७ / २०२४ 
आज का गीत : जीवन संगीत 
फिल्म : आरोप. १९७४. 
सितारे : विनोद खन्ना . सायरा बानू. विनोद मेहरा. 
गाना : नैनों में दर्पण है दर्पण में कोई . 
गीत : माया गोविन्द. संगीत : भूपेन हजारिका. गायक : किशोर कुमार. लता. 


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१३ / ०७ / २०२४. 
आज का गीत : जीवन संगीत 
फिल्म : क़यामत से क़यामत तक़. १९८८ 
सितारे : आमिर खान. जूही चावला.
गाना : अकेले है तो क्या गम है ?



गीत : मजरूह सुल्तानपुरी : संगीत : आनंद मिलिंद. 
गायक : उदित नारायण .अलका याग्निक
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साभार
११ /०७ / २०२४  
फिल्म : शर्मीली.१९७१.  
सितारे : शशि कपूर. राखी. 


गाना : आज मदहोश हुआ जाए रे 
गीत : नीरज. संगीत : एस डी वर्मन.गायक : किशोर कुमार. लता  
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०९/०७ /२०२४.
फिल्म : जुर्म. १९९० 
 गाना : जब कोई बात बिगड़ जाए 
जब मुश्किल पड़ जाए. 
सितारे : विनोद खन्ना. मीनाक्षी शेषाद्रि. 
गीत : इंदीवर. संगीत : राजेश रोशन. गायक : कुमार सानू 


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०७ / ०७ / २०२४.
फिल्म : मेरे हमसफ़र.१९७०  
गाना : किसी राह में किसी मोड़ पर
कहीं चल  न देना तू छोड़ कर : मेरे हमसफ़र  
सितारे : जीतेन्द्र. शर्मिला टैगोर  
गीत : आनंद बख्शी. संगीत : कल्याण जी आनंद जी  गायक : मुकेश. लता मंगेशकर. 


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६ /७ /२०२४. 
नैनीताल : नैना पीक : विशेष 
फिल्म : गुमराह : १९६३
गाना : इन हवाओं में इन फिजाओं में 
सितारे : सुनील दत्त.माला सिन्हा.अशोक कुमार 
गीत : साहिर लुधियानवी संगीत : गायक : महेंद्र कपूर. आशा भोसले.


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४ /७ / २०२४ 
फिल्म : बेमिसाल. १९८२
गाना : ऐ री पवन ढूंढ़े किसे तेरा मन  
सितारे : अमिताभ बच्चन. राखी. विनोद मेहरा. 
गीत : आनंद वक्शी. संगीत : आर. डी. वर्मन. गायक : लता .
 

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३ / ७ / २०२४  
मेरी पसंद 
फिल्म : कभी कभी : १९७६ 
गाना : मैं पल दो पल का शायर हूँ 
कल तुमसे जुदा हो जाऊंगा 
लो आज तुम्हारा हिस्सा हूँ 

सितारे : अमिताभ बच्चन. राखी. शशि कपूर.  
गीत : साहिर लुधियानवी. संगीत : ख़य्याम. गायक : मुकेश. 
नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 
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फिल्म : अभिलाषा.१९६८. 
गाना : वादियां मेरा दामन रास्तें मेरी बाहें 
सितारे : संजय खान. नन्दा. 
गीत : मजरूह सुल्तान पुरी. संगीत : आर डी वर्मन. गायिका : लता.

 

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https://www.youtube.com/watch?v=Z6mTQmspvL4 नालन्दा बोन एंड स्पाइन सेंटर. बिहार शरीफ़. समर्थित ---------- वादियाँ मेरा दामन : रास्तें मेरी बाहें : फ़िल्मी सफ़र नामा : कोलाज : पृष्ठ : ६ ------- संपादन

मीना सिंह मुक्तेश्वर / नैनीताल.

आदमी जो कहता है आदमी जो सुनता है जिंदगी भर वो सदायें पीछा करती हैं : डॉ.सुनीता रंजीता प्रिया. 
इतना ही फ़साना है एक धुंद से आना है एक धुंद में जाना हैं : डॉ.सुनीता रंजीता प्रिया. 
मेरे घर आई  एक नन्ही परी ..चांदनी के हसीन रथ पर सवार : डॉ.सुनीता रंजीता प्रिया. 
अकेले है तो क्या गम है.... बस एक ज़रा साथ हो तेरा : डॉ.सुनीता रंजीता प्रिया.

कोई मुश्किल पड़ जाए : तुम अंधेरों में न छोड़ना मेरा साथ : डॉ.सुनीता रंजीता प्रिया.
किसी राह में किसी मोड़ पर कही चल न देना तू छोड़ कर मेरे हमसफ़र : डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया.

इन हवाओं में इन फिजाओं में तुझको मेरा प्यार पुकारे : कोलाज : डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया

कल तुमसे जुदा हो जाऊंगा लो आज तुम्हारा हिस्सा हूँ : कभी कभी : कोलाज :डॉ.सुनीता रंजीता प्रिया 
ऐ री पवन किसे ढूंढें तेरा मन चलते चलते : नैनीताल डेस्क : कोलाज : डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया.
रास्तें मेरी बांहें जाओं मेरे सिबा तुम कहाँ जाओगे : कोलाज : डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया. नैनीताल.
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तुम्हारे लिए : शक्ति : लघु फिल्में : : पृष्ठ : ७ -----------

प्रिया शक्ति. दार्जलिंग डेस्क


साभार : इंस्टाग्राम. फेस बुक 

एक तेरा साथ हमको दो जहाँ से प्यारा हैं 

पारुल : लखनऊ : मस्ती : हर धड़कन में साँस है तेरी 



प्रिया : नेपाल : न कोई तुमसे जमाने भर में 


पारुल : बड़ी मस्तानी है मेरी महबूबा 


तू जहाँ जहाँ चलेगा मेरा साया साथ होगा. 



शार्ट रील : मैंने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चुने


पारुल : जाओं कही भी सनम तुम्हें 
इतनी कसम  हमें याद रखना 

साभार : रिंकू झा : शॉर्ट रील :


आग लगे सारी दुनियाँ को मैं तेरी हो गयी रे बालमा  


सारे जग से निपट लूँ अकेली 


छोड़ो झगड़े मिला लो दिल को न रहो ऐसे तन तन के 
मेरा पागल जिया न माने : शॉर्ट रील
शॉर्ट रील : फूल तुम्हें भेजा है ख़त में
----------- वादियाँ मेरा दामन : रास्तें मेरी बाहें : फोटो दीर्घा : पृष्ठ : ८ . ------------- संपादन

सिमरन मुक्तेश्वर. नैनीताल.

यही वो जगह है यही पर तो आप आकर हमसे मिले थे : मीना सिंह : मुक्तेश्वर
तुझे गीतों में ढालूँगा सावन को आने दो : मीना सिंह. मुक्तेश्वर. कोलाज : डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया. 
 मिल जाए भगवान मुझको आदमी के वेश में : नैनीताल : कोलाज : डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया.  

सुहानी शाम ढल चुकी न जाने तुम कब आओगे : मुक्तेश्वर : मीना सिंह
जब चली ठण्डी हवा जब उठी काली घटा : मुक्तेश्वर : जीरो पॉइंट : मीना सिंह. मेघालय : शिलांग की दिलक़श पहाड़ियाँ : फोटो : वाणी रॉय : कोलकोता नोहकलिकाइ जलप्रपात : मेघालय : पूर्वी खासी हिल्स : चेरापूँजी : वाणी रॉय : कोलकोता
देव लोक : दिव्य मानसिकता : देव लोग : नैनीताल : यात्रा :कोलाज : विदिशा ' शक्ति '.नई दिल्ली 

प्रेम की गली में एक छोटा सा घर बनायेंगे : मुक्तेश्वर : नैनीताल : फोटो : मीना सिंह. 
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आज की कला कृति : ये कौन चित्रकार है : कला दीर्घा : ९     
------------------
संपादन 

 
अनुभूति / 
श्यामली डेस्क : शिमला.

गोरी सोवे सेज पर, मुख पर डारे केस। चल खुसरो घर आपने, सांझ भयी चहु देस : अज्ञात
 इंद्र प्रकोप : अति वृष्टि : कृष्ण : उनके अपने : और गोवर्धन धारण : कला : मंजीत : चंडीगढ़ 
घने जंगलों से गुजरता हुआ मैं कहीं जा रहा था : कलाकृति : प्रवीण सैनी : मेरठ. 

चल कहीं दूर निकल जाए : नैनीताल की वादियाँ : कला कृति : प्रवीण सैनी : मेरठ 
------------- दृश्य माध्यम : न्यूज शॉर्ट रील : समाचार : विशेष : पृष्ठ : १० . -------------- संपादन


' शक्ति ' एंजेल. मुक्तेश्वर. नैनीताल


घर में सुख-समृद्धि के प्रतीक के रूप में हरेला
समाचार : विशेष : श्रावण माह भगवान भोलेशंकर का प्रिय माह :

फोटो : साभार
श्रावण मास संक्रांति की पवित्र वेला का स्वागत उत्तराखंड में हरेला पर्व द्वारा किया गया

श्रावण माह भगवान भोलेशंकर का प्रिय माह : जैसा कि हम सभी को विदित है कि श्रावण माह भगवान भोलेशंकर का प्रिय माह है, इसलिए हरेले के इस पर्व को कही कही हर- काली के नाम से भी जाना जाता है।
क्योंकि श्रावण माह शंकर भगवान जी को विशेष प्रिय है। यह तो सर्वविदित ही है कि उत्तराखण्ड एक पहाड़ी प्रदेश है और पहाड़ों पर ही भगवान शंकर का वास माना जाता है।
इसलिए भी उत्तराखण्ड में श्रावण माह में पड़ने वाले हरेला का अधिक महत्व है। कि हरेला पर्व उत्तराखंड के अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश में भी हरियाली पर्व के रूप में मनाया जाता है। हरियाली या हरेला शब्द पर्यावरण के काफी करीब है। ऐसे में इस दिन सांस्कृतिक आयोजन के साथ ही पौधारोपण भी किया जाता है। जिसमें लोग अपने परिवेश में विभिन्न प्रकार के छायादार व फलदार पौधे रोपते हैं।
श्रावण मास संक्रांति की पवित्र वेला का स्वागत उत्तराखंड में हरेला पर्व द्वारा किया जाता है। पर्यावरण संरक्षण, समृद्धि एवं लोकास्था का अद्भुत संगम दर्शाता यह पर्व द्योतक है संस्कृति एवं दैवीय शक्तियों के प्रति इस प्रांत के जनमानस की अटूट श्रद्धा का, जो देवभूमि के नाम को सार्थकता प्रदान करता है।
श्रावण माह में मनाये जाने वाला हरेला सामाजिक रूप से अपना विशेष महत्व रखता तथा समूचे कुमाऊँ में अति महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक माना जाता है। जिस कारण इस अन्चल में यह त्यौहार अधिक धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
घर में सुख -समृद्धि के प्रतीक : हरेला सावन लगने से नौ दिन पहले आषाढ़ में हरेला बोने के लिए किसी थालीनुमा पात्र या टोकरी का चयन किया जाता है। इसमें मिट्टी डालकर गेहूँ, जौ, धान, गहत, भट्ट, उड़द, सरसों आदि ५ या ७ प्रकार के बीजों को बो दिया जाता है। नौ दिनों तक इस पात्र में रोज सुबह को पानी छिड़कते रहते हैं। दसवें दिन इसे काटा जाता है। ४ से ६ इंच लम्बे इन पौधों को ही हरेला कहा जाता है।
घर के सदस्य इन्हें बहुत आदर के साथ अपने शीश पर रखते हैं। घर में सुख -समृद्धि के प्रतीक के रूप में हरेला बोया व काटा जाता है! इसके मूल में यह मान्यता निहित है कि हरेला जितना बड़ा होगा उतनी ही फसल बढ़िया होगी! साथ ही प्रभू से फसल अच्छी होने की कामना भी की जाती है।
हमारी पूरी शक्ति समूह मीडिया परिवार की तरफ़ से उत्तराखण्ड के लोक पर्व हरेला के अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें प्रगट करते हैं।
समाचार संकलन
डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया
नैनीताल डेस्क

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यात्रा लघु फिल्में : विशेष : पृष्ठ : १० /२.
---------------


संपादन : भारती : नैनीताल


शक्ति : यात्रा लघु फिल्में :

एक अकेला इस शहर में : नैनीताल. डॉ. मधुप.


चल चले ऐ दिल करें चल कर

किसी का इंतजार झील के उस पार : डॉ. मधुप.
---------
शक्ति : यात्रा लघु फिल्में : रानी झील : रानीखेत : डॉ. मधुप


नई दुनियाँ : नए लोग : गोरी तेरा गांव बड़ा प्यारा
------------
आपने कहा : जन्म दिन : शुभकामनाएं : दिवस : पृष्ठ : ११ .
----------------
संपादन
वाणी रॉय


कोलकोता डेस्क
वर्धमान


अनुपम चौहान. संपादक. समर सलिल. लख़नऊ. 


बहुत बहुत आभार आदरणीय बड़े भाई डॉ. रमन जी.....
आपका स्नेह और सहयोग सदैव इसी तरह से मिलता रहे मैं ईश्वर से ऐसी प्रार्थना करता हूँ... 
इसके साथ भी ग्रुप के सभी सम्मानित साथियों का भी ह्रदय से आभार 


सुनील. पटना. अति सुन्दर, प्रशंसनीय संपादन ...

रण चंडी  - शक्ति विचार 

 कदम ' चोर ' से,
१४  कदम लत ' खोर ' से
  और २४  कदम ' चुगलखोर ' से 
                      हमेशा दूर ही रहना चाहिए.                       

जन्मदिन :  विशेष : मातृ शक्ति : संगीत. 

 जन्म दिन संगीत : तुम्हारे लिए : विदिशा. 
गाना : मेरे घर आयी एक नन्ही परी 
सितारे : वहीदा रहमान. अमिताभ बच्चन. नीतू सिंह. नसीम. 
गीत : साहिर. संगीत : खय्याम. गायिका : लता मंगेशकर 


नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 


 आज का दिवस 
हिंदी तिथि आषाढ़ पूर्णिमा : गुरु पूर्णिमा 


' हम ' सभी एकीकृत मीडिया परिवार की तरफ से 

वेदों और ' महाकाव्य ' महाभारत के रचयिता वेद व्यास की स्मृति दिवस 
एवं ' गुरु पूर्णिमा ' के पावन अवसर पर आपको ढ़ेर सारी  हार्दिक शुभकामनाएं 
----------- चलते चलते : दिल जो न कह सका : दृश्यम : पृष्ठ :१२ -----------
संपादन

गरिमा चावला
कोटा / राजस्थान


पलक झपके यहाँ ' मौसम ' बदल जाए

कभी कभी मन धूप के कारण तरसता है 
कभी कभी फिर झूम के ' सावन ' बरसता है  
पलक झपके यहाँ ' मौसम ' बदल जाए 
' प्यास ' कभी मिटती नहीं एक ' बूंद ' भी मिलती नहीं 
और कभी रिमझिम घटाएं पीछा करती है 


आँख भर आई

आँख भर आई किसी से जो मुलाक़ात हुई 
ख़ुश्क मौसम था मगर टूट के बरसात हुई
दिन भी डूबा कि नहीं ये मुझे मालूम नहीं 
जिस जगह बुझ गए आँखों के दिए रात हुई

मंज़र भोपाली 

शॉर्ट रील : साभार : ख़ुशी : उत्तराखंड : 

मिले तो आँख चुराए हमें क्या हो गया है 


दिल का दिया जला के गया ये कौन मेरी तन्हाई में 


तुझे पाकर भी कोई इतनी मोहब्बत नहीं कर पाएगा 


कुछ कहो तो कहा नहीं जाता  


साभार : रिंकू झा : शॉर्ट रील 
 

कब के बिछड़े  हुए हम आज कहाँ आ मिले 

दृश्यम : कुछ कहो तो कहा नहीं जाता 


दर्दे दिल का सहा नहीं जाता 
-----------
 कही अनकही : सिर्फ़ तुम्हारे लिए : पृष्ठ : १३ 
-------------
संपादन 

डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया 
नैनीताल डेस्क 

 कही अनकही :

पहले न हम पागल थे : बुबू : डुडू : प्रेम कहानी  


संवाद 
रिश्तों की डोर : 

बातें जो मन के अंदर बसीं,जैसे हो कोई सुगंध,
स्वस्थ संबंधों के लिए संवाद,है जैसे जीवन का आनंद.
मन की गहराई से निकलें शब्द,बांधे रिश्तों की डोर,
भावना का करें आदान-प्रदान,
दिलों और जीवन में लाये प्रगाढ़ स्नेह और उमंग.
न रहे कोई भ्रांतियाँ,न हो कोई संशय,
सत्य और प्रेम के संग,रिश्ते बनें और गहरे.
संवाद से जुड़ें हर दिल,कहें अपनी हर बात,
स्वस्थ संबंधों का यही मंत्र,दिल से दिल की मुलाकात.

रेनू शब्दमुखर


शब्द चित्र : उसकी हर ' ना ' 

धीरे - धीरे, दिन ब  दिन 
एक रोज उसकी वो ' ज़िद ' भी 
ख़त्म हो गई 
न जाने कब क्यूँ और कहाँ 
उसकी हर ' ना ' 
उसकी ' हाँ ' में बदल गयी 

डॉ.  मधुप   


---------
 तुम्हारे लिए : 

मन बहका है कहीं : दो दोस्त : बहनें 

शॉर्ट रील : रोका  कई बार दिल की उमंग को 


पारुल : ब्लॉगर लख़नऊ : शॉर्ट रील. 
मुझे कितना प्यार है तुमसे अपने ही दिल से पूछो तुम 


शॉर्ट रील : मेरे जीवन की अनमिट कहानी है तू
 
दृश्यम : जो देता है सबको खुशियां 


रचना श्रीवास्तवा : बिना पाए ही ' मुहब्बत ' की है  हमने 


-------------
English Section. Editorial Page : 0.
-------------
Tri - Shakti Powered,  Nav Shakti Processed &
Radhika - Mahashakti Promoted.







Promoter.
Dr. Manish Kumar Sinha.
Chairman EDRF. New Delhi


Chief  Editor.
 Prof. Dr. Roop .Kala. Dubey. 
 Department of English
Executive Editor


Dr. Sunita Ranjita Priya 
Nainital
---------------
Asst. Executive Editor.

Seema Anita.
Kolkotta.
--------------
  Editor in Art. 


Anubhuti Sinha. Shimla. 
--------------
Mentors.
Anupam Singh. Dehradun / Mussoorie.
Dr. Amit Kumar Sinha / Ranchi
Dr. Brajesh Mishra / Patna.
-----------------------
Dr. Tejpal Singh :  Prof. Nainital. 
A. K. Jana : Educationist.
-------------
Dr. Ajay Kumar. Eye Specialist.
Anshima Singh. Educationist.
Er. Rishi Kishore. Canada
------------------------
Legal Umbrella.


Seema Kumari ( Sr. Advocate)
Sushil Kumar  ( Sr. Advocate)
Ravi Raman ( Sr. Advocate)
Dinesh Kumar ( Sr. Advocate)
Vidisha. ( Lawyer.)
------------------------

Ashok Karan. 
Ex. Photo Editor ( Public Agenda )


Ex. HT Staff Photographer.
------------------------
CRs / Writers.
Dr. Amit Kumar Sinha.
Manoj Pandey
Alok Kumar.
------------------------
Clips Editors. 
Manvendra Kumar. Live India News 24.
Kumar Saurabh. Public Vibe.
Er. Shiv Kumar. Reporter. India TV 
------------------------
Stringers. Abroad
 Shilpi Lal. USA.
Rishi Kishore. Canada.
Kunal Sinha. Kuwait.
-----------------------------------------
-------------
English Section. Contents Page : 11 .
-------------
sharable at. 
Page .
----------
Editorial Contents. English : Page : 2
------------
Executive Editor 


Priya Ranjita 
Darjeeling.

Short Poem.

Cherish those who leave a mark

Garima Chawla
 
People come and people go, like waves upon the shore,
Their laughter fades, their footsteps echo, yet life goes on for more.
In the grand theater of existence, roles change with the scene,
Some play leads, others extras, each part, a fleeting dream.

Friends depart, new faces arrive, in this ever-changing play,
Love and loss intertwine, as night follows the day.
But amidst the comings and goings, the show must always proceed,
With courage as our spotlight, and hope our guiding creed.

For life's a stage we all must grace, with moments bright and dark,
Cherish those who leave a mark, and ignite the eternal spark.


You be my
Philosopher : ' Friend ' and ' Guide '
 
Photo : Dr. Sunita Madhup.

The smile over your charming face
Is the zeal to start a day with hopes
The glittering eyes of your every look
Is the hope to fill you with every scope
To keep me smiling every now and a new day
You never let me know the difficulties that you were dealing
To bring me up with the comfort of living
You became my alarm to wake me up
You encouraged me to deal with every situation
And laid yourself back to lead me ahead with every condition.
The words are unlimited to express your love
But I promise to make you happy like a dove
May the almighty shower their blessings on you
And you be my beloved one
Philosopher : Friend and Guide
For every generations to rule.
-------------
  Positive Vibes : English Page : 3
-------------

Mahalakshmi Desk 
Kolkotta
Editor.


Seema Anita.
 Kolkotta


Tri -' Shakti ' Thought.

Grief is like the ocean; it comes in waves, ebbing and flowing.
Sometimes the water is calm, and sometimes it is overwhelming. ...
Grief is the price we pay for love...
Om Namah Shivay
It is all for the ' Shakti ' 🌹. of the Shakti and by the Shakti  

Due to extreme ' proclivity ' in worshipping with ' Shakti ' I am supposed to be one of the most ' haunted ' persons of the ' World ' that sheer stood for fulfilling of my ' just ' ,' divine ' and ' true ' wishes .
@ Dr.Sunita Madhup Shakti Priya 
Indira Gandhi
 let us not forget that in India the symbol of strength is women : the goddess
' Shakti '..
Your ' vibe ' attracts your ' tribe '. 
a man who dares to waste one hour of time has not discovered the value of life.
Charles Darwin
 The only way to do ' great ' work is to love what you ' desire ' to do 
Where is '  Unity ' there is always ' Victory '.

We all live with the objective of being happy ; 
our lives are all different and yet the same. 
" Sticks in a bundle are unbreakable."
Follow ' No one ' But learn from ' Everyone '.
----------
Art Gallery : Cultural : English Page :  4
-------------
Tri Shakti Desk / Nainital
Editing : 


Seema Ranjita Anita.

a women attiring herself in colorful costumes :Madhubani Art : Prachi :Seema Ranjita Anita

 Shakti rescuing his devotees from evils : Art : Divya Roopa : Seema Ranjita Anita 
Ganpati Bappa Morya : Trishakti Art : Seema Ranjita Anita : Nainital Desk.
-------------
My Feelings : Passions : Short Reel : English : Page : 5
-------------
Editor.


Manshi Kanchan
Nainital 


Shakti : Renu's Short Film 
Wafadari ki wo rasmein 
Nibhayenge ham tum kasmein 
Ek bhi sans zindagi ki 
Jab tak ho apne vash main 
Jab koi baat bigad jaye
Jab koi mushkil pad jaye
Tum dena saath mera o ' Ham Nawaj ' 
Na koi hai 
Na koi tha
Zindagi main tumhare siva  
Tum dena saath mera o ' Ham Nawaj ' 

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Today's Topics : Times News : English : Page : 6
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Economy : ITR : Suggestions.
Editor 


Monalisa Harsh
Corporate Lawyer 
New Delhi.
---------
1 . How to get Form 26AS : 
How to get Form 26 AS to know all sorts of deductions 
Quick Access : What to do ? 
Form 26AS / Annual Tax Statement
All TDS are shown. Get it first. Match your Tax Deduction
Long In your ITR Account.
Choose Second E Filing in top Menu
Type Assessments Year 24 - 25
View as HTML
Export as PDF. Match your TDS deducted by Deductor
---------
2. How to get Form AIS : 
Long In your ITR with your Log in ID & Password
At the top Menu Bar choose e-file
Then opt Income Tax Return.
Then opt the 6th one option.
View Annual Information Statement.
Download AIS as a PDF
---------
Dr. Madhup Raman. ITR Suggestion.
L.L.B
Mukesh Kumar : ITR Consultant.

------------
You Said it : Days : Wishes : English : Page : 7 .
---------------
Editor 


Media Coordinator 
Vanita : Shimla.
-----------
28.07.2024.
Happy Parent's Day.
-------
26.07.2024.
Kargil Vijay Diwas 
---------
22.07.1947.
National Flag Acceptance Day : 
Satymev Jayate 

It was adopted in its present form during
a meeting of the Constituent Assembly
held on 22 July 1947,
and it became the official flag of
the Union of India on 15 August 1947.
----------


wishes for ' Guru Purnima ' and remembering Ved Vyas, 
a composer of epic ' Mahabharat'   from ' Ham ' United Media family
to all of you. 


Birthday Wishings on 20th of July 2024.
Heartiest Blessings from Radhika Krishna : 
Tri ' Shakti ' : Nav Shakti  : Maha Shakti : Desk 
Naina Devi : Nainital & Shamli Devi Shimla 


Celebrating the Emergence of ' Shakti ' Vidisha from 
the Matri ' Shakti '
Vidisha : New Delhi
Web Page Promoter & Protector
Legal Umbrella Channel  Head 

wishes decorated with a
Happy Birthday GIF in Different Shakti's Colour
-------------
Birthday Wishings on 4th of July 2024.


Media Coordinator 
Vanita : Shimla.
with 
Sisters Shakti Editors Group
              

wishing our beloved Sister Ranjita, an Executive Editor : 
Nainital Desk and all whose birthday on 4th of July. 
the unforgettable occasions of her happy divine birthday. 
May God ! bring all happiness and prosperity in her life ... 

Besttejaswiniblog
I really feel imperative to unfurl my eulogy for this unforgettable publication of gripping writings and nice creativity on pages of history spot..
-----------
You Said it : English : Page : 7/1
----------
Editor.


Shakti Madhavi 
Nainital Desk.
-----------



Celebrating Jayanti of  Mangal  Pandey who sacrificed his life first for the Mother Nation has been the pioneered Mutineer &  Soldier 
of the Great Revolt of  1857 is remembered by our Shaktis' Editor Team  .
through 19 th of July 2024.


I try not to miss any part of the blog as each art of this blog has it's own fragrance which touches different aspect of human emotions. Continue empowering women with specially dedicated sections.
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Anshima singh, 
HM ,S.P.Arya DAV Public School
Garima Chawla.
Kota. Rajasthan
It's a very nice and fabulous page, relates to the women's empowerment.I wished to be an important part of this Shakti Group edited Blog Magazine Page. I will be very happy to join this group and hold the given responsibility given to me for editing any column. I will devote myself for promoting this page at my best.I do agree for whatever responsibility will be offered to me I will carry on with my all desires.
It is too nice sir, I liked it too much, thanks a lot for the best editing ,Shakti Editor Group
Anonymous

Excellent Dear  : Ashok Karan

Purpose & Need 
Purpose is more important than the need
as in the chase between loin and deer many times deer wins 
becuase a lion runs for food and deer , for life 


Disclaimer : M.S. Media.blogspot.com  
Joint Media Houses provide the intellectual spaces for the budding literary gems in different fields : Art / Painting / Photography /  Poem/ Stories / Travelogue  writings / Film Making / Short Film Making ...  to expose themselves ... in a very nice and cultured manner under different Spiritual Imaginary Shakti's Desk : like 
Naina Devi :  Nainital 
Shyamali : Desk : Shimla
Mahalaxmi Desk : Kolkotta.
Narmada Desk : Jabbalpur
Radhika Krishna Shakti Desk : Nainiatl  etc ....
Mahashakti Desk : Nainital
for only Blog Spot.Com : Social Media Featured Based Magazine only for reading and amusing purposes..and nothing else...
Editors / Writers : Visitors : are at  their own station devoting their time in an on line mode ...with their own due consent extend their services and support voluntarily for only positive ... constructive purposes...
We assume their due consent and pay gratitude for this .............
MD / Joint Media Houses : Blog Spot.com Social Media...

Comments

  1. अति सुन्दर, प्रशंसनीय संपादन
    .....सुनील, पटना।

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  2. I really feel imperative to unfurl my eulogy for this unforgettable publication of gripping writings and nice creativity on pages of history spot..

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  3. I accepted my responsibility to go through the ✨ Blog Magazine Page...it is a very nice page representing the women empowerment. I will be very happy to be a part of the Shakti Editor Desk... Bani Roy. Vardhman. Kolkotta....

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  4. It is too nice sir, I liked it too much, thanks a lot for the best editing , Shakti Editor Group

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  5. बहुत बहुत आभार आदरणीय बड़े भाई डॉ रमन जी.....आपका स्नेह और सहयोग सदैव इसी तरह से मिलता रहे मैं ईश्वर से ऐसी प्रार्थना करता हूँ... इसके साथ भी ग्रुप के सभी सम्मानित साथियों का भी ह्रदय से आभार 😊🙏🏼💐

    ReplyDelete
  6. अति सुंदर संपादन.. रमन सर का धन्यवाद

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  7. It's a very nice and fabulous page, relates to the women's empowerment. I wished to be an important part of this Shakti Group edited Blog Magazine Page. I will be very happy to join this group and hold the given responsibility given to me for editing any column. I will devote myself for promoting this page at my best. I do agree for whatever responsibility will be offered to me I will carry on with my all desires.

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    Kota. Rajasthan

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  8. The page is very motivating and inspiring

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