Koi Lauta De Mere Beete Huye Din : Bachpan : 2

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कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन : पत्रिका.  
  
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Bachpan : 2 : Koi Lauta De Mere Bite Huye Din
 Childhood Memories Visheshank : 2
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महा.शक्ति.त्रिशक्ति.नव शक्ति प्रस्तुति.  
 विशेषांक. बचपन
कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन : अंक : २    
सांस्कृतिक पत्रिका.
महा.शक्ति.मीडिया.प्रेजेंटेशन@जीमेल.कॉम   
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हिंदी अनुभाग. प्रारब्ध.आवरण पृष्ठ : ०.
कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन : कोलाज : शक्ति.समर्थित : आवरण पृष्ठ : ०

बचपन : भाग २ : कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन : कोलाज : विदिशा : नई दिल्ली

फोर स्क्वायर होटल : रांची : समर्थित : आवरण पृष्ठ : विषय सूची : मार्स मिडिया ऐड : नई दिल्ली.


सम्पादकीय डेस्क 
राधिका महा शक्ति. नैनीताल डेस्क. 
मीरा महाशक्ति. नैनीताल डेस्क. 
रुक्मणि महाशक्ति.नैनीताल  डेस्क. 
महा लक्ष्मी .कोलकोता डेस्क. 
महाशक्ति. नैनीताल  डेस्क.  
महासरस्वती.नर्मदा डेस्क. जब्बलपुर 
नव शक्ति. शिमला.डेस्क.
रानी पदमावत. जयपुर डेस्क    


पत्रिका / अनुभाग.
' तुम्हारे लिए. ' बचपन ' कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन

पत्रिका / अनुभाग. ' तुम्हारे लिए.'
ब्लॉग मैगज़ीन पेज के निर्माण सहयोग के लिए
हार्दिक आभार प्रदर्शन
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आभार. प्रदर्शन.

 
वनिता / शिमला 
संयोजिका / मीडिया हाउस.
 
आपके लिए.
धन्यवाद ज्ञापन.
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आज का आभार / सहयोग .पृष्ठ : ०.   
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 निर्माण / संरक्षण.



डॉ.बृज भूषण सिन्हा
चिकित्सक. शिव लोक हॉस्पिटल 
बिहार शरीफ / नालंदा. 
शिव लोक : हॉस्पिटल : बिहार शरीफ : नालन्दा : डॉ. बृज भूषण सिन्हा समर्थित 
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विषय सूची.

हिंदी अनुभाग. प्रारब्ध.आवरण पृष्ठ : ०.
विषय सूची : पृष्ठ : ० 
मॉर्निंग / आफ्टर नून / इवनिंग पोस्ट
राधिका कृष्ण : महाशक्ति : दिव्य दर्शन : पृष्ठ : ० / ० :
त्रि - शक्ति : विचार प्रस्तुति : पृष्ठ :  १ / ०.
त्रिशक्ति विचार धारा : संगम : पृष्ठ : १ / ० .
त्रिशक्ति : सम्यक वाणी : महालक्ष्मी : मुझे भी कुछ कहना है : पृष्ठ : १ / १
त्रिशक्ति : सम्यक दृष्टि : महा शक्ति : नैनीताल डेस्क : पृष्ठ : १ / २.
त्रिशक्ति : सम्यक आचरण : महा सरस्वती : नर्मदा डेस्क : पृष्ठ : १ / ३.
नव शक्ति : सम्यक संकल्प . शिमला डेस्क : पृष्ठ : १ / ४ .
महा शक्ति : सम्यक कर्म. नैनीताल डेस्क : पृष्ठ : १ / ५.
सम्पादकीय : पृष्ठ : २. 
तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : सम्पादकीय : प्रस्तुति. पृष्ठ : ३.
आकाश दीप : पद संग्रह : सीपिकाएँ : पृष्ठ : ४.
कही अनकही : तुम्हारे लिए : शॉर्ट रील : दिल जो न कह सका : पृष्ठ : ६  
आज की कला कृति : ये कौन चित्रकार है : कला दीर्घा : ९.   
दृश्य माध्यम : न्यूज शॉर्ट रील : समाचार : विशेष : पृष्ठ : १०.
आपने कहा : जन्म दिन : शुभकामनाएं : दिवस : पृष्ठ : ११.
फोटो दीर्घा : विशेष : पृष्ठ : १२.
ये मेरा गीत : जीवन संगीत कल भी कोई दोहराएगा : तराने : गाने : पृष्ठ : १३.




प्रकृति : प्रेम : अनुभूति.
सुबह सबेरे
के संग
पत्रिका / अनुभाग.
' तुम्हारे लिए. '
मॉर्निंग / आफ्टर नून / इवनिंग पोस्ट


सुबह सबेरे
जीवन : अध्यात्म : प्रकृति : प्रेम : सन्यास
शक्ति विचार धारा
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राधिकाकृष्ण : महाशक्ति : इस्कॉन डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / ० :
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
संस्थापना वर्ष : १९७८. महीना : जुलाई : दिवस : ४.
संपादन
अनु ' राधा '

नैनीताल
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राधिका कृष्ण : महाशक्ति : दिव्य दर्शन : पृष्ठ : ० / ० :
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दिव्य दर्शन : राधिकाकृष्ण : शॉर्ट रील


एक राधा एक मीरा अंतर क्या है दोनों के प्यार में बोलो

दृश्यम : गोविन्द बोलो चाहे गोपाला बोलो

कान्हा  वृन्दावन में : राधिका कृष्ण 
तोरा ' मन ' ' दर्पण ' कहलाए

राधे राधे राधे बरसाने वाली ' राधे '


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 राधिकाकृष्ण : महाशक्ति : दिव्य : विचार : पृष्ठ  : ० / ० / १  :
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
संस्थापना वर्ष : १९७८. महीना : जुलाई : दिवस : ४.
संपादन
अनु ' राधा '
नैनीताल. राधिका कृष्ण विचार


राधिका शोभा

हरि राधा राधा भई हरि, निसि दिन के ध्यान।
राधा मुख राधा लगी, रट कान्हर मुख कान॥


श्री मतिराम.

तजि तीरथ, हरि-राधिका, तन-दुति करि अनुरागु। जिहिं ब्रज-केलि-निकुंज-मग, पग-पग होत प्रयागु॥ भावार्थ. कवि कह रहा है कि तू तीर्थ छोड़कर श्रीकृष्ण एवं राधिका की शारीरिक कांति के प्रति अपना अनुराग बढ़ा ले जिससे कि ब्रज के विहार निकुंजों के पथ में प्रत्येक पथ पर तीर्थराज प्रयाग बन जाता है।
भाव यह है कि श्रीकृष्ण एवं राधा के प्रति भक्ति बढ़ाने से करोड़ों तीर्थराज जाने का फल प्राप्त होता है।


सुबरन बेलि तमाल सौं, घन सौं दामिनी देह। तूँ राजति घनस्याम सौं, राधे सरिस सनेह॥ भावार्थ. सोने की बेल तमाल वृक्ष से और बादल से बिजली का शरीर जिस प्रकार शोभित होता है,
हे राधिका ! सदृश स्नेह के कारण तू वैसे ही घनश्याम से शोभित होती है।
भाव यह है कि तमाल ' वृक्ष ' , ' बादल ' और ' कृष्ण ' , इन तीनों श्याम वर्ण वालों से ' स्वर्णलता' , ' बिजली ' और ' राधिका ' ये तीनों गौर वर्ण वाली अत्यंत सुशोभित होती हैं।


बिहारी

मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरि सोई ।
जा तन की झाँई परें, स्यामु हरित दुति होइ।


मन की ' व्यथा '
रहीम

रहिमन निज ' मन ' की ' बिथा ' , मन ही राखो गोय।
सुनि अठिलैहैं लोग सब, .....' बाँटि ' न लैहैं कोय॥


मन ही ' स्वयं ' का दर्पण है 

' जग ' से कोई भाग ले ' प्राणी '
' मन ' से ' भाग ' न पाए
तोरा ' मन ' ' दर्पण ' कहलाए
भले बुरे सारे ' कर्मों ' को देखे और दिखाए


' अटूट ' प्रेम बंधन

 विषम से ' विषम ' परिस्थितियों में निहायत अपनों के लिए ' व्यक्तिगत 'आपसी परस्पर
असीम ' धैर्य ' 'सहिष्णुता', प्रेम पूर्ण ' वाणी ' अटूट ' विश्वास ' का प्रदर्शन ही ' वास्तविक ' अनंत ' प्रेम ' है

©️®️ डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति 'प्रिया.

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रुक्मिणीकृष्ण : महाशक्ति : डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / २.
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रुक्मिणी डेस्क.नैनीताल
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०.
संस्थापना वर्ष : १९९५. महीना : जनवरी : दिवस : ६.
संपादन.


शक्ति. डॉ. सुनीता सिन्हा .



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रुक्मिणीकृष्ण : महाशक्ति : विचार डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / २ .
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कृष्ण ' दर्शन '



संयोग 

' सोना ' सज्जन ' और ' साधू '  लोग ' संयोग ' और ' भाग्य ' से ही मिलते है 
और यह ' संयोग ' प्रत्येक की ' जिन्दगी ' में नहीं होता 

 विचार ही ' शत्रु ' और ' मित्र ' 

' विचार ' ही हर व्यक्ति का ' शत्रु ' और ' मित्र ' होता है.
श्रीकृष्ण कहते हैं, इसलिए मनुष्य को सदैव अपने ' सदकर्मों ' और स्वयं के ' सदविचारों ' पर विश्वास करते हुए अकेले चलते रहना चाहिए.


जिंदगी एक स्वयं निर्मित भरोसेमन्द ' बैंक ' में एक ' प्रेम पूर्ण रिश्तों ' की अर्जित ' जमा पूंजी ' है,
आप उन व्यक्तिगत ' खातों ' के कुशल ' प्रबंधक ' है.
सबके ' व्यक्तिगत खाते ' अलग अलग हैं
उनकी ' गोपनीयता ', ' निजता ', ' विश्वसनीयता ' उनका ' शाश्वत प्रेम '
.....उनके ' हिसाब ' अलग अलग है ...ध्यान रहे सब की ' सुरक्षा ' उनकी ' आवश्यकता '
सुनिश्चित करें ' गोविन्द '
©️®️ डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया. 

' प्राणी ' अपने ' प्रभु ' से पूछे किस विधि पाऊं तोहे 
प्रभु कहे तू ' मन ' को पा ले पा जाएगा मोहे
तोरा ' मन ' ' दर्पण ' कहलाए
भले बुरे सारे ' कर्मों ' को देखे और दिखाए
©️®️ डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया. 
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मीराकृष्ण : महाशक्ति डेस्क :
मुक्तेश्वर : नैनीताल. पृष्ठ : ० / ३ .
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मीरा डेस्क.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९८६.
संस्थापना वर्ष : १९८९. महीना : अक्टूबर : दिवस : ६ .
संपादन.



शक्ति. मीना सिंह  
मुक्तेश्वर. नैनीताल 
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मीराकृष्ण : मुक्तेश्वर डेस्क : दृश्यम : नैनीताल. पृष्ठ : ० / ० :
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मीरा : ' गोविन्द ' बोलो  ' हरि ' गोपाल बोलो. 


मीना सिंह : निर्मित शॉर्ट रील ' हरि ' प्यार रहे  


दृश्यम : मीरा के प्रभु गिरधर नागर


ऐसी लागी ' लगन ' मीरा हो गयी मगन


वो तो गली गली ' हरि ' गुण गाने लगी
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मीराकृष्ण : मुक्तेश्वर डेस्क : सुविचार : नैनीताल. पृष्ठ : ० / ० :
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संपादन : शक्ति. मीना सिंह  
मुक्तेश्वर. नैनीताल.


मीरा बाई 

 जो मैं ऐसा जानती, ' प्रेम ' करे दुख होय। 
नगर ' ढिंढोरा ' पीटती ' प्रीत ' ना करियो कोई।

राणा ने ' विष ' दिया  मानो ' अमृत ' पिया 
मीरा ' सागर ' में ' सरिता ' समाने लगी 


मेरे तो गिरधर ' गोपाल ' दूसरो न कोई
जाके .. सिर ' मोर ' मुकुट मेरा ' पति ' सोई​​


 जग की ' निंदा ' बिना सोचे ' मीरा कृष्ण '  की भांति ' अन्तर्मन ' से
'  श्याम रंग ' में रंग जाना ,एक दूसरे की ' ख़ुशी ' के लिए ' तन मन धन ' 
से सम्पूर्ण समर्पित हो जाना ही ' अनंत प्रेम ' है  
माधव
©️®️ डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति 'प्रिया.
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त्रि - शक्ति : प्रस्तुति : पृष्ठ :  १ / ० . 
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
संस्थापना वर्ष : १९७८. महीना : जुलाई . दिवस : ४  
नैनीताल  डेस्क 


त्रि - शक्ति : दर्शन . 

संपादन.
शक्ति.


 शक्ति. सीमा ' रंजीता ' अनीता. 
नैना देवी / नैनीताल.डेस्क. 


सम्पादित 
  त्रिशक्ति विचार शब्द चित्र ' दृश्यम ' पृष्ठ : १ / ० .
संस्थापना वर्ष : १९७८. महीना : जुलाई. दिवस : ४.

तुम्हारी ' जंग '  शक्तियां  लड़ेंगी 


जया किशोरी : यदि अपने ' साथ ' खड़े हो 




  त्रिशक्ति : त्रिवेणी : विचार धारा : संगम : पृष्ठ : १ / ० .



भूलना 

' ज़ुबान ' से माफ करने में ' वक्त ' नहीं लगता लेकिन..
दिल  से माफ करने में ' उमर ' गुज़र जाती है लोगों  की..!!

ज्ञान और 'अनुभव '

' ज्ञान और ' अनुभव ' दोनों एक ही ' सिक्के ' के दो पहलू हैं ,
ज्ञानी होने से ' शब्द ' समझ में आने लगते हैं,
और ' अनुभवी ' होने से,उनके अर्थ..
 
' सत्कर्म '

' बुराइयों ' से दूर रहने का एक ही मात्र उपाय है 
संत, ' सज्जनों ', ' सत्कर्म ' और  ' सदविचारों ' को अपने जीवन में सदैव स्वागत करें 

' जिंदगी ' और कुछ भी नहीं 

जीये तो ऐसे ' जिए ' कि उनके ' अन्तःमन ' के भावनाओं के अथाह सागर 
में  जहाँ कई ' देव सरिताएं ' समाहित हो जाती हो समुन्दर की ' रेत ' पर  कभी न मिटने वाली 
अपने सम्यक जीवन की ' अदृश्य ' अनुभूत निशानी छोड़ जाए 


श्रेष्ठ सम्बन्ध.

पवित्र, ' दिव्य ' और निःस्वार्थ ' प्रेम सम्बन्ध ' का नाता 
समस्त संसार के सभी ' संबंधों ' से ऊपर व ' श्रेष्ठ ' है 


प्यार ' व्यवहार '

अपनों से किये गए अपने ' व्यवहार ' में ' प्यार ', ' सुंदरता ' रखिए 
रंग ' रोगन ' से ' चेहरे ' चमकते हैं ' क़िरदार ' नहीं 


संबंध 

' संबंध ' कभी ' जीत ' कर नहीं निभाए जा सकते है 
संबंधों की ' ख़ुशहाली ' झुकने ,सहने और ' वाणी ' से संयमित रहने में हैं 


देखा हें ' जिंदगी ' को कुछ इतना ' क़रीब ' से 

उस निरंतर की ' सम्यक स्मृति ' से बेहतर है जब तक़ रहें अपने ' प्रिय जनों ' के समक्ष ही 
' सम्यक वाणी ' के साथ ' सम्यक व्यवहार ' और ' सम्यक कर्म ' करते रहें, .....क्या पता 
कौन किस ' मोड़ ' पर ' हमेशा ' के लिए ही ' जुदा ' हो जाए...? 

' शख़्स ' बन कर नहीं बल्कि ' शख़्सियत ' बन कर जियो इस जहाँ में 
' शख़्स ' तो एक न एक दिन इस ' जहाँ ' से ' जुदा ' हो जाएगा 
लेकिन ' शख़्सियतें ' उसकी ' अच्छाईयां ' कभी ' फ़ना ' नहीं होती   


 मुझको मेरे बाद ' जमाना ' ढूंढेगा....

कुछ ' दिनों ' के बाद लोग तुम्हें भी ' याद ' रखेंगे....था कोई एक बहती 
हवा सा.... यदि ' तुमने '  दूसरे के द्वारा दी गई सब ' पीड़ाएं ' अपने ऊपर ' हँस ' कर झेल ली   
लेकिन अपनों के ऊपर ' कष्ट ' न आने दिया  
 ' मन वचन कर्म ' से अपने ' परिजनों ' के लिए
 ' सत्य ', ' प्रेम ' , ' अहिंसा 'और ' सम्यक वाणी '  के ' सुपथ ' 
से तनिक भी ' विचलित ' नहीं हुए ...तो    


किसी को ' दोष ' मत दो क्योंकि अच्छे लोग ' खुशियां ' लाते है 
' बुरे ' लोग ' अनुभव ' , ' मतलबी ' लोग ' सबक ', तो ' पसंदीदा ' लोग ' यादें ' छोड़ जाते हैं 

सही ' मौके ' पर खड़े होकर विषम ' परिस्थितियों ' में ' बोलना ' भी एक ' साहस ' है
उसी प्रकार ' खामोशी ' से बैठकर दूसरों को सुनना भी एक ' साहस ' है

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त्रिशक्ति : सम्यक वाणी : महालक्ष्मी : मुझे भी कुछ कहना है : पृष्ठ : १ / १
--------------

प्रादुर्भाव वर्ष : १९७९.
महा लक्ष्मी : डेस्क : कोलकोता :
संस्थापना वर्ष : २००३. महीना : जून. दिवस : २ 
संपादन : ' शक्ति ' सीमा सिंह.
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साभार : दृश्यम : विचार.पृष्ठ : १ / १
भगवान विष्णु के दस अवतार.


भगवान विष्णु के श्रेष्ठ अवतार : राम : कृष्ण.


भगवान श्री ' राम ' १२ कलाओं तथा
भगवान श्री ' कृष्ण ' १६ कलाओं के स्वामी
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महालक्ष्मी : कोलकोता डेस्क : विचार. पृष्ठ : १ / १.



' सूर्योदय ' और ' सूर्यास्त ' की सीख 

' सूर्योदय ' और ' सूर्यास्त '  हमें बताता है कि ' जीवन ' में कुछ भी स्थाई नहीं है, 
 इसलिए हंमेशा खुश रहें एवं जीवन की ' यात्रा ' का भरपूर आनंद ले!

' हालात ' और ' निर्णय '

' हालात ' और ' निर्णय ' का ' रिश्ता ' बहुत गहरा होता है 
कई बार हालात , ' निर्णय ' के कारण होते हैं और बहुत से ' निर्णय ' हालात के कारण होते हैं 


सोना ' सज्जन ' साधु ' जन '
 
मन से जुड़ें ' रिश्तों ' को यूँ न ' ग़लतफहमियों ' का शिकार बनाइयें 
आपस के मधुर ' संबंधों ' में ' मनमुटाव ' की ' गांठ ' को इतना कस कर न लगाईयें 

' सहमति '

' विचारों ' से ' असहमत ' होते हुए भी ' सहमति ' के ' बिंदुओं ' को खोजना ही
' प्रसन्न ' और ' सुखी ' रहने का एकमात्र ' मूल मंत्र ' है


प्रभाव

जिस तरह ' झंझावत ' एक मजबूत ' जमीन ' से जुड़ें ' पत्थर ' को हिला नहीं पाता ,
उसी तरह से महान ' व्यक्ति ' ' प्रशंसा ' या ' आलोचना ' से दुष्प्रभावित नहीं होते

परिवर्तन

आप ऐसे ' व्यक्ति ' को कभी भी नहीं ' बदल ' सकते
जिसको अपने ' व्यवहार ' में कभी कोई ' दोष ' नज़र नहीं आता है

दोस्त

हर ' मोड़ ' पर ' मुकाम ' नहीं होता : दिल के ' रिश्तों ' का कोई ' नाम ' नहीं होता
चिराग़ की ' रोशनी ' से ढूंढा है आपको आप जैसा ' दोस्त ' मिलना आसान नहीं होता


रिश्तें नाते.

' संयमित ' बोलना जिसे ' अपनों ' से आ गया समझो उसे ' जीना ' आ गया
अपने आपसी ' मधुर ' रिश्तों में ' दास्ताने -ए - इश्क ' की ' चासनी ' मिलाए ' बहस ' का ' नमक ' नहीं


बेहतर


' परिवर्तन ' से कभी डरे नहीं जितना ' बेहतर ' आप ' खो ' रहें हैं
शायद उससे ' लाख ' गुना बेहतर आपको ' जरूर ' मिलेगा




ज्यादा ' समझदार ' और ' मूर्ख ' में कोई ' फर्क ' नहीं होता 
इन ' दोनों ' में से कोई भी किसी की नहीं ' सुनता ' !

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त्रिशक्ति : सम्यक दृष्टि : महा शक्ति : नैनीताल डेस्क : पृष्ठ : १ / २.
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शक्ति : दर्शन


सिंहवाहिनी ' शक्ति '


प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
नैना देवी डेस्क / नैनीताल. 
संस्थापना वर्ष : १९९८. महीना : जुलाई. दिवस : ४.
संपादन. ' शक्ति ' रंजीता.
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शक्ति : नैना देवी : नैनीताल डेस्क : विचार : पृष्ठ : १ / २.
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मेरी ' आत्मशक्ति ' विचार धारा


चरित्र निर्माण 

अपने सम्यक जीवन में प्राप्त धीमी ' सफ़लता ' व्यक्ति के दृढ़  चरित्र का निर्माण करती है,
और और अल्प अवधि में प्राप्त तेज़ सफ़लता ' अहंकार ' का


' सन्मार्ग ' और सम्यक  ' साथ ' 

कभी कभी ' रास्ते ' को नहीं , ' खुद ' को बदल लेना ही ' बेहतर ' होता है 
क्यों नहीं हम सदैव ' सन्मार्ग ' सही ' दोस्त '  हमसफ़र को ही चुने 
जिससे ' स्वयं ' को बदलना ही नहीं पड़ें  


एक ' दिया ' ही काफी ' रोशनी ' के लिए

सच्चाई वो ' दीपक ' है साहब, जिसे अगर ' पहाड़ ' की चोटी पर भी रख दो 
तो बेशक ' रोशनी ' कम करे पर दिखाई तो बहुत ' दूर ' से भी देता है।


' वाणी ' और ' संयम '

' वाणी ' मनुष्य के व्यवहार  का ऐसा ' प्रभावी ' संस्कारगत वर्ताव   है, 
जिसमें ' मनुष्य ' के  सब कुछ  ' गुण - अवगुण ' प्रदर्शित  होते  हैं . 
इसलिए इस पर ' संयम ' अवश्य रखें 


अपनी ' मंज़िल ' का रास्ता ' दूसरों ' से पूछेंगे  तो ' भटक ' जायेंगे ,
क्योंकि आपकी  ' मंज़िल ' की अहमियत जितनी ' आप ' जानते हैं उतनी और  ' कोई' नहीं जानता

' जीवन ' में हम सबकी ' अपेक्षाएं ' जहां खत्म होती हैं  
असल में ' सुकून ' की ' शुरुआत ' वहीं से होती है.


ये ' जिंदगी ' तू बेहद ही ' आसान ' हो जाती है जब तुम्हें ' परखने ' वाले नहीं
' दिल ' से ' समझने ' वाले मिल जाते है ' अपने '


आपस के ' मधुर ' द्वैत ' संबंधों ' को ' अटूट ' बनाए रखने  का
एक ही ' मंत्र ' हैं...सदैव अपनी ' कमियां और उसमें ' सुधार '
और दूसरें ' अपनों '  की ' अच्छाइयों  ' को ग्रहण करने के अवसर ढूंढें  

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त्रिशक्ति : सम्यक आचरण : महा सरस्वती : नर्मदा डेस्क : पृष्ठ : १ / ३ .
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शारदा : श्वेतपद्मासना : दर्शन


प्रादुर्भाव वर्ष : १९८२.
नर्मदा डेस्क : जब्बलपुर.
संस्थापना वर्ष : १९८९. महीना : सितम्बर. दिवस : ९.
संपादन :' शक्ति ' अनीता. जब्बलपुर.  
------------
महा सरस्वती : शब्द चित्र : दृश्यम विचार : पृष्ठ : १ / ३ .


जया :  समय अत्यंत मूल्यवान है इसे बचा कर रखें 


जया : जिंदगी किसी के लिए भी आसान नहीं है 



मैथिली शरण गुप्त 
' तप्त हृदय को, सरस स्नेह से ..जो सहला दे मित्र वही है...' 



महा सरस्वती : शब्द :  विचार : नर्मदा डेस्क : पृष्ठ : १ / ३ .

भली  मित्रता दिव्य प्रेम

मित्रता आनन्द को ' दुगना ' और  ' दुःख ' को आधा कर देती है 
अच्छे से भली  मित्रता को बनाए रखना ही अपने आप में अर्जित दिव्य प्रेम है 


मैत्री 

तुम ' दोस्ती ' भी ' मौसम ' की तरह निभा जाते हो 
कभी ' बरस ' जाते हो तो कभी एक ' बूंद ' के लिए ' तरसा ' जाते हो 


समय, ' साथ ',

समय, ' साथ ', ' सम्मान ' और विश्वास यह एक ऐसे पक्षी हैं 
जो एक बार उड़ जाए तो ' वापस ' नहीं आते 


ईश्वर : इंसान : धन 

ईश्वर ने ' इंसान ' को बनाया था  'प्रेम ' करने के लिए और ' पैसा ' बनाया था ' इस्तेमाल ' करने के लिए 
लेकिन आजकल लोग इंसानों का ' इस्तेमाल ' करते हैं   और पैसे से  ' प्रेम ' करते हैं …..


जीवन का ' लक्ष्य ' 

किसी मक़सद के लिए खड़े हो तो एक पेड़ की तरह 
गिरो तो एक बीज की तरह जिससे दुबारा पनप कर 
जीवन के उसी परम लक्ष्य के लिए संघर्ष कर सकें  

प्रेम : प्रकृति : मधुर रिश्ता 

प्रेम से बढ़कर ' त्याग ' है, दौलत से बढ़कर ' मानवता'  है परन्तु 
भावुक प्रेम पूर्ण सुन्दर ' रिश्तों ' से बढ़ कर इस दुनियाँ में  कुछ भी नहीं है 


हँसना 

 सब ' रोगों ' से लड़ते रहने की एक ही मात्र ' दवाई ' 
' मुसीबत ' में भी ' हँसते ' रहने का कर लो ' उपाय ' 

गुनाह 

दूसरों के ' गुनाह ' गिनाने से अपने ' पाप ' नहीं कमते  
 
कार्य - अनुभव 

' सफल ' होने के लिए ' व्यवहार ' में ' बच्चा ' काम में ' युवा ' 
और ' अनुभव ' में ' वृद्ध ' होना आवश्यक है 


सम्यक दायित्व : सम्यक व्यक्तित्व

विदया : शिक्षण : सद विचारों : का ग्रहण किसी भी आर्य जन के लिए
सम्यक ' दायित्व ' हैं जो किसी व्यक्ति के ' चरित्र', ' क्षमता ' और उसके सम्यक ' व्यक्तित्व ' का
निर्माण कर सकता है

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नव शक्ति.सम्यक संकल्प . शिमला डेस्क : : पृष्ठ : १ / ४ .
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संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी . दिवस : ५
श्यामली : डेस्क : शिमला
शक्ति
संपादन
रेनू अनुभूति नीलम
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नव शक्ति : दिव्य दर्शन : पृष्ठ : १ / ४ / ०  .


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नवशक्ति. विचार : शिमला : डेस्क : पृष्ठ : १ / ४ / १ .
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' हाथ ' और ' सहारा ' सही ' समय ' पर दे
यदि ' समय ' बीत गया तो दोनों में से कोई भी किसी के लिए ' सार्थक ' नहीं रहेगा
हर ' ख़ामोशी ' की ' धुन ' को गहराई से सुनते रहें. हर ' क्षण ' को जी भर के महसूस कर ' आगे ' बढ़ते रहे अपने ' अस्तित्व ' को नया ' आयाम ' दें ' सपनों ' को ' साकार ' करते रहें.

रेनू ' अनुभूति ' नीलम
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महा शक्ति.सम्यक कर्म. नैनीताल डेस्क : : पृष्ठ : १ / ५.
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०.
संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी . दिवस : ६
नैनीताल डेस्क :
संपादन
डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया.
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कर्म : दृश्यम : शॉर्ट रील : साभार 

शिव ही सुन्दर है : शक्ति जीवन यात्रा : लघु फ़िल्म 
वीडियो ग्राफी : मीना सिंह. निर्माण : डॉ मधुप.
 


प्रेम के लिए ' काशी ' से ख़ूबसूरत क्या है 
' काशी ' में ' शिव ' कान्हा ' वृन्दावन ' में 


©️®️ महा ' शक्ति ' मीडिया प्रस्तुति 
 दृश्यम : विचार : अनंत ' प्रेम ' : डॉ. मधुप  


संपादन
डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया.
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महा शक्ति.विचार. नैनीताल डेस्क : पृष्ठ : १ / ५.
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जीवन : अध्याय और पाठ्यक्रम
सारी पढ़ाई ' लिखाई ' धरी की धरी रह जाती है
जब ' जिंदगी ' अकस्मात ही ' जीवन ' के ' अध्याय ' और ' पाठ्यक्रम ' बदल देती है

पहेली. 

' वक़्त ' भी न जाने यह कैसी ' पहेली ' सुलझाने के लिए दे गया 
' उलझने ' की सारी जिंदगी ' समझने ' को सारी उम्र दे गया 

ग़लत जग़ह और गलत व्यक्ति

जब ' शब्दों ' में बताने पर भी कोई तुम्हारे ' कष्ट ' को ' अनुभूत ' न करें तो समझ लेना कि 
तुमने अपना कष्ट ' ग़लत जग़ह ' और ' गलत व्यक्ति ' के सामने ...व्यक्त कर दिया 

अनंत ' प्रेम

 विषम से विषम परिस्थितियों में निहायत अपनों के लिए ' व्यक्तिगत 'आपसी परस्पर
असीम ' धैर्य ' 'सहिष्णुता', प्रेम पूर्ण ' वाणी ' अटूट ' विश्वास ' का प्रदर्शन ही ' वास्तविक ' अनंत ' प्रेम ' है


नफ़रत 

अगर कुछ ' लोग ' आपसे ' नफ़रत ' करते है 
तो इसके दो ' कारण ' हो सकते है आप में कुछ ऐसा है जो वह ' पसंद ' नहीं करते 
या आपमें कुछ ऐसा है जो ' उनमें ' नहीं है 


 ' जिंदगी ' तो ' क़िस्मत ' ,' सद्कर्मों ' से चलती है , साहेब 
दिमाग़ से चलती तो ' बीरबल ' भी बादशाह होता 

©️®️ डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति 'प्रिया.

अपनों को ' मदद ' करना सीखिए ' फ़ायदे ' के बगैर
©️®️ डॉ. सुनीता मधुप ' त्रि - शक्ति ' प्रिया.

----------------- सम्पादकीय : पृष्ठ : २
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संस्थापिका.
मातृ शक्ति.
 
निर्मला सिन्हा.
१९४० - २०२३  
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प्रधान संपादक
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रेनू ' अनुभूति ' नीलम.
नव शक्ति. श्यामली डेस्क. शिमला.
संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी. दिवस : ५.
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कार्यकारी संपादक


डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया
महाशक्ति डेस्क. नैनीताल
संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी. दिवस : ६ .
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कार्यकारी सहायक संपादक



सीमा वाणी अनीता कोलकोता डेस्क संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जून. दिवस : २ .
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संयोजिका
मीडिया हाउस.
 
वनिता. शिमला 

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 संरक्षिका नेत्री.
डॉ. भावना माधवी.

 उज्जैन. महाकाल 
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वरिष्ठ सम्पादिका 



डॉ. मीरा श्रीवास्तवा 
पूना 
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अतिथि संपादक 
नैनीताल 
मानसी कंचन 
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स्थानीय संपादक 


 मीना भारती
 नैनीताल. 
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क़ानूनी संरक्षण.

सीमा कुमारी.  
डिप्टी चीफ लीगल एड डिफेंस काउंसिल 

विदिशा.


विधिवक्ता / नई दिल्ली. 

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तारे जमीन पर  : गद्य संग्रह : सम्पादकीय प्रस्तुति. पृष्ठ : ३  .
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संपादन. 
रेनू शब्द मुखर.
 

जयपुर. 
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था झील का किनारा पानी बरस रहा था : यात्रा प्रसंग : पृष्ठ : ३ .
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चम्पावत : लोहाघाट : कोलीढेक झील : पर्यटन प्रसंग.  
और एक ' छोटी सी मुलाक़ात ' दीपक रावत के साथ.


यात्रा पर्यटन प्रसंग. 
डॉ. मधुप.  

चम्पावत : लोहाघाट कोलीढेक झील : कश्मीर की याद : फोटो : साभार : इंटरनेट 

नैनीताल डेस्क .चम्पावत का लोहाघाट तहसील। डेढ़ किलोमीटर के दायरें में फैली एक खूबसूरत झील।कोलीढेक झील पर्यटन का सन्दर्भ था। यहाँ एक अच्छी ख़ासी बड़ी झील हैं। .....था झील का किनारा पानी बरस रहा था.....।  किसी पुराने फिल्म का कर्ण प्रिय गाना था जो बरबस ही याद आ रहा था। पता नहीं क्यों मुझे शांत झीलें मन को भाती है। लगता है चल चले ये दिल करें चल कर किसी का इंतिजार। झील के उस पार। शायद  झील के उस पार कोई अपना मिल ही जाए। इस जीवन मरण के अंतहीन सफ़र में  मन सदा सत्संग की तलाश में ही भटकता रहा , कई सदियों से , कई जन्मों से। 
आज ठीक शाम के वक़्त अपने संपादक मित्रों नैनीताल विशेष न्यूज वेव देख रहा था। उनमें से एक ख़बर चम्पावत के पर्यटन को लेकर थी। सोचा आज इस पर लिख देता हूँ। 
दीपक रावत : आयुक्त : इसी प्रसंग में उत्तराखंड के उच्च प्रशासनिक अधिकारी कमिश्नर माननीय दीपक रावत जी बातें हो रही थी झील के बारे में ही । उत्तराखंड कैडर के वह एक ईमानदार ,कर्तव्य निष्ठ, अनुशासन प्रिय और अत्यंत लोकप्रिय अधिकारी रहें हैं। 
अपने उत्तराखंड यात्रा के सिलसिले में जब कभी भी नैनीताल ,अल्मोड़ा ,रानीखेत, मुक्तेश्वर की यात्रा पर गया तो उनसे मिलने की इच्छा रखी,लेकिन मिल नहीं पाया। आज भी एक छोटी सी वार्ता में हमने एक दूसरे से मिलने की अभिलाषा की। सुनना अच्छा ही लगा। 
अपने ब्लॉग मैगज़ीन पेज पर उत्तराखंड पर्यटन विशेष पर लिखने के सन्दर्भ में  उनसे मेरी बातें यदा कदा अक्सर हो ही जाती हैं। पर एक साल पूर्व से ही दूर से ही व्हाट्सएप्प के ज़रिए छोटी सी मुलाकात का सिलसिला जारी हैं।आप एक व्यस्त प्रशासनिक अधिकारी होने के साथ साथ एक अच्छे यूटूबर भी है जिनके ४० लाख सब्सक्राइबर है ,यह भी मेरी पूर्व की जानकारी में था।  
मैं उनके साथ अपने ब्लॉग मैगज़ीन पेज का लिंक सदैव साझीदारी करता रहता हूँ। वो किंचित देख भी लेते हैं। उन्हें मेरी याद थी ,यह अनुभूति अच्छी लगी। जनपद चम्पावत के लोहाघाट कोलीढेक झील के बाबत बातें हो रही थी।मैंने सोचा चम्पावत के लोहाघाट कोलीढेक झील के फोटो के सन्दर्भ में बातेँ कर लूँ ,शायद उनके पास कुछ खींची हुई तस्वीरें मिल जाए। 
जिले के प्रशासनिक मुख्यालय चंपावत नगर में स्थित हैं। 
लेकिन मुझसे बात चीत के सिलसिले में ही उन्होंने बतलाया कि , उनके पास फोटो तो उपलब्ध नहीं है झील की अच्छी फोटो इंटर नेट पर उपलब्ध हो जाएगी। कि जनपद चम्पावत को आदर्श पर्यटन के हब के रूप में विकसित किया जायेगा। प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा इस सम्बन्ध में लगातार समीक्षा की जा रही है। कहा कि कोलीढेक झील विकसित होने से पर्यटकों को कश्मीर जैसा अहसास उत्तराखण्ड के चम्पावत में मिलेगा। 
लोहाघाट : यह ऐतिहासिक शहर चम्पावत नगर से १४ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान लोहावती नदी के तट पर स्थित है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। इसके अलावा यह स्थान गर्मियों के दौरान यहां लगने वाले बुरास के फूलों के लिए भी जाना जाता है।
कोलीढेक झील : मंगलवार को कैम्प कार्यालय हल्द्वानी में जनपद चम्पावत के लोहाघाट कोलीढेक झील एवं टी गार्डन को पयर्टन के लिए विकसित करने हेतु प्रेजेंटेशन के माध्यम से कार्यदायी संस्था द्वारा प्रस्तुति दी जा रही थी । चम्पावत जनपद के लोहाघाट में सिचाई विभाग द्वारा निर्मित कोलीढेक झील जिसकी लम्बाई १५०० मीटर, चौडाई ८० मीटर तथा झील की गहराई २१ मीटर है। 
स्वयं आयुक्त दीपक रावत इस झील में कई दफ़ा नौकायान कर चुके हैं। उन्होंने  बताया कि इस झील में वोटिंग, पार्किंग, कैफेटेरिया, ओपन थियेटर, एरोमैटिक प्लांट, फारेस्ट टेल, शौचालय, पर्यटकों के ठहरने के लिए झील के किनारे कॉटेज  बनाये जायेंगे। इसके लिए लगभग २५ करोड की डीपीआर तैयार हो चुकी है जल्द ही योजना पर कार्य प्रारम्भ कर दिया जायेगा। उन्होने कहा शीघ्र ही पर्यटको को कश्मीर जैसा अहसास, इस चम्पावत के लोहा घाट तहसील में होगा।
चम्पावत : बताते चले चम्पावत भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक जिला है। इसका मुख्यालय चंपावत नगर में है। उत्तराखंड का ऐतिहासिक चंपावत जिला अपने आकर्षक मंदिरों और खूबसूरत वास्तुशिल्प के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। पहाड़ों और मैदानों के बीच से होकर बहती नदियां यहाँ अद्भुत छटा बिखेरती हैं। चंपावत में पर्यटकों को वह सब कुछ मिलता है जो वह एक पर्वतीय स्थान से चाहते हैं। वन्यजीवों से लेकर हरे-भरे मैदानों तक और ट्रैकिंग की सुविधा, सभी कुछ यहां पर है।
चंपावत समुद्र तल से १६१५ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। चंपावत नगर कई सालों तक कुमाऊं के शासकों की राजधानी रहा है। चन्द शासकों के किले के अवशेष आज भी चंपावत में देखे जा सकते हैं।
प्रशासनिक कार्यों से जिले को ५ तहसीलों और २ उप - तहसीलों में बांटा गया है। 
ये हैं: चंपावत, लोहाघाट, पाटी, बाराकोट, श्री पूर्णागिरी, पुल्ला गुमदेश ( उप-तहसील ) तथा मंच ( उप-तहसील )। इसके अतिरिक्त, जिले को ४ विकासखंडों में भी बांटा गया है: चंपावत, लोहाघाट, पाटी और बाराकोट। पूरा जिला अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है, और इसमें २ उत्तराखण्ड विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं; लोहाघाट और चम्पावत।
स्तंभ संपादन : डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया. 
समाचार आधार : मनोज पांडेय.
नैनीताल डेस्क
संदर्भित यात्रा गीत. 
   फिल्म : झील के उस पार.१९७३.  
सितारे : धर्मेन्द्र. मुमताज. 
गाना : चल चले ऐ दिल करें चल कर किसी का इंतिजार 
गीत : आंनद बख़्शी. संगीत : आर डी वर्मन गायिका : लता.


 
गीत सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 
  
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        संपादकीय लेख : फलसफा : जीने का अर्थ : पृष्ठ : ३ / २ .      
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जीने की राह : 
संपादन.

 

डॉ.सुनीता रंजीता. 
नैनीताल डेस्क. 

जीने की राह :  रिमझिम गिरे सावन ..?    
डॉ. मधुप.  


सावन की घटा और रिमझिम गिरे सावन : फोटो आशा : मसूरी. 

सावन का महीना था ।  पवन शोर  कर रहा था । शाम का वक़्त था। सुबह से ही रुक रुक कर बारिश हो ही रही थी। रिमझिम गिरे सावन में कभी झमाझम तो कभी बारिश की फुहार हो रही थी। 
कब की शाम हो चुकी थी। घने काले बादल क्षितिज़ में मंडरा रहें थे। कीचड़, रोड़ की माली हालत देखने लायक थी। शायद कोई परीक्षा खत्म हुई थी। रोड़ पर ढ़ेर सारे लोग खड़े कुछेक गाड़ियों का ताता लगा हुआ था। हाई वे पर कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा था। नुक्कड़ पर ही जाम की स्थिति हो गयी थी। 
इस उम्र में अकेले मोटर साइकिल चलाते हुए जाना भी वो भी शाम के वक़्त आसान नहीं था। घर के लिए प्रस्थान करते हुए हम सभी अपने परिवार की भांति ही एक दूसरे का ख़्याल कर लेते ही हैं कि सब सुरक्षित ढंग से प्रस्थित हो। सावधानी पूर्वक आने जाने के तौर तरीक़े भी देख ही लेते हैं। आगे गाड़ियों का काफ़िला लगा हुआ था। जाम से ज्यादा इस बात से डर लग रहा था कि कहीं बारिश में फँस न जाए।  अपने पास कोई रेन कोट भी नहीं था। मोबाइल भी भींग सकता था। बीच में कहीं कोई रैन बसेरा भी नहीं था। 
तभी आत्म शक्ति ने ही रास्ता दिखलाया।  सहृदय भाई थोड़ा पीछे हटे तो पार्श्व से एक संकीर्ण रास्ता मिल गया। जो ख़ुद पीछे रह  कर साधु की तरह दूसरों के लिए रास्ता बनाते हो उनके लिए साधु वाद बनता है।अपनों को छोड़ कर जैसे सीमा पर अकस्मात जा रहें प्रहरी की तरह हमें आगे बढ़ना ही पड़ा।  
बड़ी धैर्य के साथ काफिले में बढ़ता गया। हम उबड़ खाबड़ रास्ते से हम आगे तो बढ़ रहें थे लेकिन मेरे अपने कहीं पीछे ही छूट चुके थे। चिंता बनी हुई थी सब के सकुशल घर पहुंचने की।  
उम्मीद है सभी अपने सुरक्षित मकाम तक पहुंच ही चुके होंगे। हम सभी रक्षित हो। कभी कभी हम बड़ी घुटन सी महसूस करते है कि आप चाह कर अपने लोगों को  कुशल क्षेम जानने हेतू भी फोन नहीं लगा सकते। 
क्योंकि आप और हम किस तरीके, किस भाव से भावनाओं को ले रहें हैं मालूम नहीं। हमारी सोचें  संकीर्ण हो गयी हैं। और यदि कहीं इसकी चर्चा  पिछड़ी,दकियानूसी समाज के सामने हो गयी तो समझें फ़जीहत तय ही है। 
कभी कभी हम जरुरी फोन कॉल्स उठाते भी नहीं ..तो कभी कॉल का जवाब देना भी आवश्यक नहीं समझते ..सच कहें कहीं कुछ छूटता है..  
और हमारी सबसे बड़ी कमजोरी होती है कि हम खुद के ही बेहतर हमराज़ नहीं बन पाते हैं। कभी अपने भीतर ही सब राज छुपा कर देखें बड़ा अच्छा लगता है... 

 बरखा रानी जरा जम के बरसो ...मेरा दिल भर जाए न पाए   

 ये अभी तो आए है ...बरखा रानी जरा जम के बरसो ...  

रास्तें में फुहारें पड़ती रहीं। लेकिन तेज़ बारिश नहीं हुई। मैं तो घर पहुंच गया था। लेकिन शेष के बारें में मालूम नहीं। बचते बचाते जैसे ही घर पंहुचा जोरों की बारिश शुरू हो गयी थी। यह इत्तिफ़ाक़ कहें या रक्षित करने वाली शक्ति की मंशा बता सकता हूँ , जिसकी निगाहें सदा मेरा पीछा करती है तथा मुझे मेरे रास्तें में आने वाली आपदाओं से बचाती रहती है । 
न मोबाइल भींगा न मैं ही। 
दूसरे दिन आसमां में बादल छाए हुए ही थे। फिर याद नहीं रहा रेन कोट लेने का। लगता है आने वाले दिनों में इस तरह सब कुछ भूला जाऊंगा। खुद को भी। वक़्त बेवक़्त कुछ भी नहीं याद रहता है। 
कुछ दूर चलने पर ही बारिश शुरू हो गयी। बगल बाले परचून की दूकान से एक पॉलीथिन भीख मांगनी पड़ी। समय का पालन करना था इसलिए आगे निकल पड़ा। सोचा थोड़ा भींग भी जाए तो कोई समस्या नहीं होगी । लेकिन बारिश तेज हो गयी। आख़िरकार दुकान के नीचे शरण के लिए मुझे रुकना ही पड़ा। 
थोड़े देर में बारिश रुक गयी तो सफ़र फिर से जारी हो गया। सात बजने में कुछेक मिनट बचे थे। मैनें थोड़ा जोख़िम उठाते हुए मोटर साइकिल की रफ़्तार तेज कर दी थी। 
सोच रहा था शक्ति जो है मेरी रक्षा करने के लिए। कितना अंध विश्वास है तुम पर मेरी आत्मशक्ति ! कभी गलत भी हो सकता है ना ?....यह भी सच है कि रास्तें भर बारिश नहीं ही हुई। मैं सकुशल पहुंच गया था ।
हाज़िरी बनाई। छ बज कर अंठावन मिनट हो रहे थे। मैं समय पर ही था जैसे खुद का सुना कहा महाभारत का श्लोगन याद आ गया ..मैं समय हूँ.. 

गतांक से आगे : १ 
सम्यक लोग, के साथ  सम्यक चिंतन, दर्शन और सम्यक कर्म. 
 
जीवन का अर्थ ढूंढने निकला हूँ । उन अर्थों को शब्दों में पिरोना भी है। कलमकार जो ठहरा। मेरे कहे गए शब्दों के भी मायने है। उनके अर्थ भी है जिसे अन्य को समझना है, समझाना है। सच कहें तो  हर दिन  सम्पूर्ण जीवन ही चुनौती  है। इस तरह जीने की राह भी ढूंढनी भी हैं। 
दिन भर बेहतर ही रहा। कार्य सफलता पूर्वक समाप्त हो गया था। शाम को घर की वापसी थी। समय पर मैं चल दिया। बीते दिन की तरह  उतनी भीड़ नहीं थी जितनी परसो थी। इक्का दुक्का बादल छाए हुए थे। बारिश नहीं के बराबर ही हो रही थी। रोड पर कीचड़ पसरा पड़ा था। सावधानी से गाड़ी चलानी पड़ रही थी। 


जीने की राह 
:  रिमझिम गिरे सावन .. 

रास्तें में ही शाम को अपने भाई सरीखे थाना इंचार्ज दीपक कुमार से मिलने का मैंने मिलने का मन बना लिया था। पटना में कभी पदस्थापित रहें डी.एस.पी. भैया राज कुमार कर्ण ने कह रखा था, ' दीपक से मिल लेना, बातें कर लेना।  एक बहुत ही बेहतर इंसान तुम्हारे शहर में आया है। ' 
थाना पहुंचने के बाद मैंने जैसे ही मिलने का सन्देश भिजवाया तुरंत ही मिलने की अर्जी आ गयी। एक फिल्म में  दिखने वाले पुलिस इंस्पेक्टर को हकीक़त में देखना बड़ा अच्छा लग रहा था। 
लम्बे ख़ूबसूरत दिखने वाले इतने मिलनसार व्यक्ति से मिलना भी अच्छा ही लगा। उन्होंने खाने के लिए नाश्ते में भूंजा पत्तल के दोने में दिया। प्रेम पूर्ण बात करने में ही मन स्नेह से सिक्त हो गया। लगा हम जिस पुलिस ऑफिसर की फ्रेंडली होने की बात करते हैं सच्चाई में कुछेक होते भी हैं। आम जीवन में दिखते भी हैं।  
थाने में चल रहें सी सी टी वी कैमरे में बाहर का दृश्य भी दिख रहा था। थोड़े समय उपरांत मैंने जाने की इजाजत भी मांगी। प्रेम वश घर पर आने का न्योता भी दे दिया।  उन्होंने हामी भी भर दी । बाहर निकला तो गहरी शाम हो ही गयी थी। 
सोचा अब तक़ तो आप लोग अपने घर सुरक्षित पहुंच ही गए होंगे। थाना के गेट बाहर निकलते हुए दुर्गा मंदिर से पार कर ही रहा था कि आगे भाई दिख गए।
आश्चर्य ही हैं न कि जिसके बारे में सोच रहें थे, चिंता लगी हुई थी आख़िर स्नेहिल भाई दिख ही गए। बड़ी धीमी गति से स्कूटी चला रहे थे। 
शक्ति की कृपा हम सभी अपने अपने घरों में सुरक्षित पहुँच चुके थे। आगे सोचता हूँ बुद्धि विवेक, ऐश्वर्य, आदि प्रतीकात्मक शक्तियों का जीवन में साथ रहा तो सारी समस्याएं ऐसे ही दूर होती रहेगी। हम एक दूसरे के लिए रक्षा कवच बनते रहें .. आत्मीय शक्ति से ऐसी ही हमारी अभिलाषा रहेगी। अपने   लोगों की अनेकता में भी एकता बना कर रखनी ही होगी। हम की भावना वाले परिवार में असीम विश्वास रखना ही होगा। ऐसा लगता है मेरे सपने मेरे अपनों के जरिए जरूर पुरे होंगे । 
कह सकते है शाम अच्छी बीती। अपनी  जिंदगी का एक दिन और भी पूरा हुआ ...सम्यक लोग, सम्यक साथ, सम्यक चिंतन, दर्शन  और सम्यक कर्म के  साथ...यहीं है मेरे नित्य दिन जीने का अर्थ जिसे मैं अनुभूत करता हूँ और उसे लिपि बद्ध करता हूँ ...


इति शुभ. 
डॉ. मधुप.नैनीताल डेस्क.  
सम्पादकीय आलेख : पृष्ठ : ३ / १ .
कलम के सिपाही मुंशी ' प्रेमचंद '. 


नीलम पांडेय / वाराणसी.


सम्पादकीय / आलेख : जयंती पर  याद किए गए कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद। शायद यह प्रेम चंद ही है जिनकी वज़ह से मात्र कायस्थ जाति में उत्पन्न ही नहीं अन्य पढ़े लिखे सभ्य सुसंस्कृत लोग भी  भला अपने को कलम के सिपाही मानते हैं। बताते चले मुंशी प्रेमचंद का बचपन घोर अभावों में बीता था । 
प्रेमचंद का मूल नाम धनपतराय था और उनका जन्म ३१ जुलाई १८८० को वाराणसी के नज़दीक लमही गांव में हुआ था। पिता का नाम अजायब राय था और वे डाकखाने में मामूली नौकरी करते थे।
वे जब सिर्फ आठ साल के थे तब मां का निधन हो गया। पिता ने दूसरा विवाह कर लिया लेकिन वे मां के प्यार और वात्सल्य से महरूम रहे।

फिर भी उनके साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है क्योंकि इसमें समाज की क्रूर सत्य घटने वाली परिस्थितियों का एकदम हू ब हूं चित्रण किया गया है ।
आज भी गोदान के होरी और धनिया, ईदगाह का हामिद,पंच परमेश्वर के जुम्मन शेख और अलगू चौधरी आदि पात्र हमारे समाज में हमारे आसपास मौजूद हैं।जब तक समाज में कृषक समाज असहाय और उपेक्षित रहेगा, महिलाएं उत्पीड़ित होती रहेंगी,छुआछूत और रूढ़िवाद मौजूद रहेगा प्रेमचंद प्रासंगिक रहेंगे। यही कारण है कि साहित्य में प्रेमचंद मील का वह पत्थर हैं, जिसे भूलना असंभव है। 
एक लड़ाई प्रेमचंद के अंदर चल रही थी दूसरी देश में 
अंग्रेज़ी शासन और सामाजिक विसंगतियों और कुप्रथा के विरूद्ध। यह लड़ाई उनकी साहित्यक यात्रा में १९०८ में सोजे वतन के साथ शुरू हुई, गोदान से होते हुए मंगल सूत्र पर १९३६ में आकर अपनी दिव्य आभा छोड़ती अवसान की ओर बढ़ गई। ......दिव्यात्मा को नमन..... 

गतांक से आगे : १ : कलम के सिपाही मुंशी ' प्रेमचंद '. 
नीलम पांडेय. वाराणसी.
 
प्रेमचन्द तमाम कठिनाइयों और बाधाओं को पार करती हुई भारतीय जनता से कहते हैं - ' यह अंत नहीं है, और आगे बढ़ो और आगे बढ़ो जब तक कि रंगभूमि में विजय न हो, जब तक कि देश का कायाकल्प न हो, जब तक कि इस कर्मभूमि में गबन और गोदान के होरी और रमानाथ का त्रस्त होना बन्द न हो और हमारा देश एक नई तरह का सेवासदन, एक नई तरह का प्रेमाश्रम न बन जाए।’’  प्रेमचन्द का किसानों के प्रति यह आशावादी दृष्टिकोण जाहिर करता है कि वो किसानों को संघर्ष करने की प्रेरणा देते हैं और बिना रूके जीवन को जीने की प्रेरणा देते हैं।
प्रेमचंद के ईदगाह का हामिद अपने साथियों संग होकर भी अपनी छोटी दुनिया में डूबा हुआ है।जहां सारे दोस्त तरह तरह के खिलौनों के मोल भाव कर रहे हैं,पैकेट के पैसे गिनकर हिसाब लगा रहे हैं कि क्या लें, क्या न लें।वहीं हामिद अपनी दादी के लिए चिमटे के मोल भाव में लगा है क्योंकि रोटी बनाते समय उनका हाथ जल जाता है।आप सारे दोस्तों को भूल कर आगे बढ़ जाते हैं किंतु हामिद को भूल नहीं पाते। 
"क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात ना कहोगे " खाला की यह बात पंच को परमेश्वर बना देती है।
गोदान का होरी किसान जानता था कि उसका सिर जमींदारों के पैरों तले दबा है। वह उसे अपनी नियति और भाग्य मान लेता है। 
धनिया को झिड़क देता है 'तू जो बात नहीं समझती, उसमें टाँग क्यों अड़ाती है भाई! मेरी लाठी दे दे और अपना काम देख। यह इसी मिलते-जुलते रहने का परसाद है कि अब तक जान बची हुई है, नहीं कहीं पता न लगता कि किधर गए। गाँव में इतने आदमी तो हैं, किस पर बेदखली नहीं आई, किस पर कुड़की नहीं आई। जब दूसरे के पाँवों-तले अपनी गर्दन दबी हुई है, तो उन पाँवों को सहलाने में ही कुशल है।'
लेकिन आज का किसान थोड़ा शिक्षित हो गया है, उसे सरकार के खोखले वादों का पता है जिसका जीता-जागता उदाहरण है, जंतर-मंतर पर किसानों का विरोध-प्रदर्शन, मध्य प्रदेश किसानों का विरोध आंदोलन और उसकी लहर अन्य राज्यों तक फैलना। यह सब आज के किसान की जागरूकता का परिणाम है लेकिन फिर भी प्रेमचन्द के होरी की तरह आज का किसान धैर्यवान व सन्तोषी नहीं है जिस कारण से वह आत्महत्या की तरफ विवश होता है।   
प्रेमचन्द ने ‘गोदान’ में एक जगह किसान के आर्थिक शोषण का बड़ा ही व्यंगपूर्ण प्रसंग उद्धृत किया है।महाजन उसे पाँच रूपये देता है और कहता है कि ये दस रूपए हैं, घर जाकर गिन लेना। किसान जब जिद करता है तो महाजन बताता है,‘‘.... एक रूपया, नजराने का हुआ कि नहीं...?’’
"हाँ, सरकार...!’
"एक तहरीर का ....?"
" हाँ सरकार....!
" एक कागज का -?"
"हाँ सरकार.....!"
" एक दस्तूरी का....?"
"हाँ, सरकार.....!
" एक सूद का ...? "
" हाँ, सरकार!’
" पाँच नकद, दस हुए कि नहीं?’’
आधी रकम महाजन पहले से ही हड़प जाता है। उसके बाद किसान के पास आधी (पाँच) रकम भी नहीं बचती। क्योंकि कुछ और रस्में भी होती हैं। 
हास्य का पुट देते हुए किसान कहता है, ‘‘ नहीं सरकार, एक रूपया छोटी ठकुराइन के नजराने का, एक रूपया बड़ी ठकुराइन के नजराने का, एक रूपया और यही सुनने की लड़ाई गोदान को अमर साहित्य बनाकर रखती है। 
प्रेमचंद जहां सुधारवादी रहे हैं अपने पूरे साहित्य में उनके सारे पात्र आगे चलकर एक आदमी हो जाते हैं लेकिन गोदान का एक पात्र होरी वह मिल का पत्थर है दिन रात कड़ी मेहनत करता है कि उसके गोदान की साध पूरी हो जाए। लेकिन दुख की बात तो यह है कि अंत समय तक वह साध पूरी नहीं होती।'आजीवन दुर्धर्ष संघर्ष के बावजूद उसकी एक गाय की आकांक्षा पूर्ण नहीं हो पाती'। प्रेमचंद ने पाठक को जिस मार्मिक मोड़ पर लाकर छोड़ा, हतप्रभ करने वाला होता है। वह काफ़ी देर होरी और धनिया की कहानी के बीच उलझा रहता है।
 
क्रमशः अभी जारी 

प्रेमचंद जयंती
नीलम पांडेय. वाराणसी 

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आकाश दीप : पद संग्रह : सीपिकाएँ : पृष्ठ : ४ 
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संपादन 


नीलम पांडेय 
वाराणसी 

हसिकाएँ
' बाढ़ '

नेता : मुझे आपके ' हालात '
पर ' रोना ' आ रहा है
जनता : बस कीजिए हुजूर
' पानी ' पहले से ही
ख़तरे के ' निशान '
ऊपर बह रहा है

डॉ.मधुप.

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कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन : कोलाज फ़िल्मी नामा : पृष्ठ : ५ 
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संपादन.
 

शक्ति रश्मि. 
कोलकोता 
 

कुछ खो कर पाना है  जिंदगी कुछ और नहीं तेरी मेरी कहानी है : कोलाज : डॉ सुनीता रंजीता प्रिया.
 

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कही अनकही : तुम्हारे लिए : शॉर्ट रील : दिल जो न कह सका : पृष्ठ : ६
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संपादन

शक्ति. मीना सिंह
मुक्तेश्वर. नैनीताल

हम चार : शॉर्ट रील : दिल जो न कह सका

पारुल : लखनऊ : पल पल दिल के पास तुम


कुछ ऐसे पल होते है जो यादों में बस जाते हैं 


सीधे साधे लोग कहाँ इस दिल से वापस जाते है 

साभार : ख़ुशी : उत्तराखण्ड : शॉर्ट रील.

प्रेम का ऐसा बंधन है जो बंध के फिर न टूटे


हमने देखी है उन आँखों की महकती खुशबू  
प्यार को ' प्यार '  ही रहने दो कोई ' नाम ' न दो  

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आज की कला कृति : ये कौन चित्रकार है : कला दीर्घा : ९     
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संपादन 

 
अनुभूति / 
श्यामली डेस्क : शिमला.

गोरी सोवे सेज पर, मुख पर डारे केस। चल खुसरो घर आपने, सांझ भयी चहु देस : अज्ञात


नालंदा हड़्डी एवं रीढ़ सेंटर : डॉ. अमरदीप नारायण : बिहार शरीफ : समर्थित 

------------- दृश्य माध्यम : न्यूज शॉर्ट रील : समाचार : विशेष : पृष्ठ : १० . -------------- संपादन


संकलन : भारती : नैनीताल
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नैना देवी मंदिर : ओम नमो शिवाय : नैनीताल


लघु फिल्म : मीना सिंह : मुक्तेश्वर : नैनीताल :


नैनीताल : १० दिन तक जारी रहेगा एन. सी. सी.


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आपने कहा : जन्म दिन : शुभकामनाएं : दिवस : पृष्ठ : ११ .
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संपादन.
स्मिता

तुम जिओ हजारों साल 
ये मेरी है आरजू 


  जन्म दिवस ' प्रिया ' स्मृति विशेष : 
३.८.२०२४.
बार बार ये ' दिन ' आए 
डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया 


प्रिया
कार्यकारी सम्पादिका
महा शक्ति ब्लॉग मैगज़ीन पेज

बार बार ये दिन आए 
३.८.२०२४.

हमारे महाशक्ति ब्लॉग मैगज़ीन पेज की जीवन ' रेखा ' कार्यकारी ' सम्पादिका '
प्रिया ( दार्जलिंग ) नैनीताल  डेस्क को उनके जन्म दिन : .८.१९८७. के मनभावन अवसर पर,
' हम ' एकीकृत ' मीडिया ' परिवार की तरफ़ से ढ़ेर सारी प्यार भरी अनंत ' शुभकामनाएं '


बार बार ये दिन आए 
२.८.२०२४.

हमारे ब्लॉग मैगज़ीन पेज की अतिथि ' सम्पादिका '
मानसी पंत / नैनीताल को उनके जन्म दिन : २.८.१९८८. के मनभावन अवसर पर
' हम ' एकीकृत ' मीडिया ' परिवार की तरफ़ से ढ़ेर सारी प्यार भरी ' शुभकामनाएं '


मानसी पंत

' शुभकामनाएं '

महालक्ष्मी डेस्क.कोलकोता.
महाशक्ति डेस्क.नैनीताल.
महासरस्वती.नर्मदा डेस्क.जब्बलपुर.
नव शक्ति. श्यामली डेस्क.शिमला.


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फोटो दीर्घा : प्रेम : प्रकृति : विशेष : पृष्ठ : १२ .
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संपादन.


गरिमा.
कोटा. राजस्थान.

आ जा रे परदेशी मैं तो कब से खड़ी इस पार : मुक्तेश्वर : फोटो : मीना सिंह. 
कही दूर जब दिन ढल जाए साँझ की दुल्हन बदन चुराए : फोटो : मीना सिंह : मुक्तेश्वर 

बरखा रानी ज़रा जम के बरसो : फोटो : अशोक करण
 
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ये मेरा गीत : जीवन संगीत : कल भी कोई दोहराएगा : तराने : गाने : पृष्ठ : १३.
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संपादन.

 
 डॉ. सुनीता रंजीता 
प्रिया 
नैनीताल  डेस्क 


 फिल्म : जॉनी मेरा नाम.१९७०.  
गाना : गोविन्द बोलो हरि गोपाल बोलो 
राधा रमण हरि गोपाल बोलो 
सितारे : देव आनंद. हेमा मालिनी.
गीत : इंदीवर. संगीत : कल्याण जी आनंद जी . गायक : लता


गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 
 https://www.youtube.com/watch?v=to6xIzVLOEs

फिल्म : शोर.
१९७२. 
सितारे : मनोज कुमार. नंदा.
गाना : एक प्यार का नगमा है 
जिंदगी कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है  
 गीत : संतोष आनंद संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायक : मुकेश. लता 




गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 

https://www.youtube.com/watch?v=HD6JPjWF9z4



मेरी पसंद : डॉ.मधुप. 
  फ़िल्म : दोस्त.१९७४.  
गाना : आ बता दे तुझे कैसे जिया जाता है. 
गीत : आनंद बख़्शी. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारेलाल. गायक : रफ़ी. लता. 



गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 
https://www.youtube.com/watch?v=CbALz5gKfxw




फिल्म : हाथी मेरे साथी.१९७१.
सितारे : राजेश खन्ना. तनूजा.
गाना : नफ़रत की दुनियाँ को छोड़ के
गीत : आनंद बख़्शी. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायक : रफ़ी


गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 


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Editorial : Page : 1
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News : Around Us : English Page : 2.
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Editor
 Ranjita Seema.
 Nainital  Desk 
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Harela Mahotsav Celebrated at Oak Grove School

News Report.  Dr. Atul Saxena. 


Oak grove celebrated Harela Mahotsav with great enthusiasm : photo : Dr. Atul Saxena.


Mussoorie : Dr. Atul Saxena. 16thJuly:-. Oak grove celebrated Harela Mahotsav with great enthusiasm today. Various activities aimed at sensitizing the students on plants and nature were taken up during the programme.

Speaking on the occasion, Naresh Kumar Principal OGS advised the students not only to plant but to nurture them  till they matures. He also exhorted students to adopt one plant each. The students, staff and soldiers from TA battalion planted approx.170 saplings of silver Oak, Baanj and Deodar trees on different hill slopes and campus of the school under the project "Aur Oak".Sunny Bakshi, Ex-Colonel and an alumnus of the school further added that the trees are the green lungs of mother nature and especially in hilly areas they are instrumental in checking soil erosion. It is a moral duty of every individual to plant trees. 

Principal OGS emphasized that school students should regularly be connected with sapling plantation and awareness programs, which will encourage others to realize their social and moral duty towards our environment.

Oak Grove School express its gratitude to its alumni behind project “AUR OAK”, CO and staff of 127 TA Bn,  Amit Kanwar DFO Mussoorie for their contribution and efforts for this plantation drive.

Ms Savita, Kusum Kamboj, R.K Nagpal, Dhairya Nagpal ,Vipul Rawat ,Atul Kumar Saxena ,Ketan Khule ,Neeroo Kushwaha ,Vijay Saini, Archana Shankar, Jagjeet Parmar , personnel of 127 TA battalion, Staff and students of the three wings of the school actively participated in the celebration of Harela festival.



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You Said It : Messages : English Section : Page : 0
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Media Coordinator.

Vanita : Shimla Desk. 
Gaurav Karan. Gurugram.
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Ashok Karan. Ex Hindustan Times Photographer 
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Comments

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