Dil Kahe Ruk Ja Re Ruk Ja : Paryatan 3

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कृण्वन्तो विश्वमार्यम. 
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 Dil Kahe Ruk Ja Re Ruk Ja : Paryatan.3.    
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दिल कहे रुक जा है यहीं पर कहीं.  
Volume 1.Series 4. 
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दिल कहे रुक जा है यहीं पर कहीं. 
पर्यटन विशेषांक.३. 
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आवरण पृष्ठ :०.


दिल कहे रुक जा रे रुक जा है यही पर कहीं : डॉ.सुनीता सीमा शक्ति * प्रिया.दार्जलिंग.
   
फोर स्क्वायर होटल : रांची : समर्थित : आवरण पृष्ठ : विषय सूची : मार्स मिडिया ऐड :नई दिल्ली.


*
दिल कहे रुक जा रे रुक जा है यही पर कहीं : आवरण पृष्ठ : यात्रा कोलाज.


विषय सूची.
विषय सूची : पृष्ठ : ०.
कृष्ण दर्शन. संभवामि युगे युगे.प्रारब्ध : विषय सूची : पृष्ठ : ०.
सम्पादित. डॉ. सुनीता सीमा शक्ति * प्रिया.
आवरण पृष्ठ : ०.
हार्दिक आभार प्रदर्शन : पृष्ठ : ०
कृष्ण दर्शन. संभवामि युगे युगे : प्रारब्ध : पृष्ठ : ०.
कृष्ण दर्शन. संभवामि युगे युगे : प्रारब्ध : शक्ति लिंक : पृष्ठ : ०.
राधिकाकृष्ण : महाशक्ति : इस्कॉन डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / १.
रुक्मिणीकृष्ण : महाशक्ति : दर्शन दृश्यम : विचार डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / २ .
मीराकृष्ण : महाशक्ति डेस्क : मुक्तेश्वर : नैनीताल. पृष्ठ : ० / ३.
त्रिशक्ति जीवन दर्शन विचार धारा : पृष्ठ : १.
त्रिशक्ति जीवन दर्शन विचार धारा लिंक : पृष्ठ : १.
त्रि - शक्ति : दर्शन. पृष्ठ : १ / ०.
त्रिशक्ति : विचार : दृश्यम : पृष्ठ : १ / ० .
त्रिशक्ति : लक्ष्मी डेस्क : सम्यक दृष्टि : कोलकोता : पृष्ठ : १ / १.
त्रिशक्ति : शक्ति डेस्क : सम्यक वाणी : नैनीताल : पृष्ठ : १ / २.
त्रिशक्ति : सरस्वती डेस्क :सम्यक कर्म : जब्बलपुर : पृष्ठ : १ / ३.
महाशक्ति : जीवन विचार धारा : पृष्ठ : १ / ४.
नव जीवन विचार धारा : पृष्ठ : १ / ५.
सम्पादकीय : पृष्ठ : २.
सम्पादकीय शक्ति लिंक : पृष्ठ : २ / ०.
आकाश दीप : पद्य संग्रह : सम्पादकीय : प्रस्तुति : पृष्ठ : ३.
तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : शक्ति : सम्पादकीय : प्रस्तुति. पृष्ठ : ४.
पर्यटन विशेषांक : आलेख : धारावाहिक आलेख : पृष्ठ : ५ 
ये मेरा गीत : जीवन संगीत : कल भी कोई दोहराएगा : पृष्ठ : ६.
दिल कहे रुक जा रुक जा : फ़िल्मी कोलाज : पृष्ठ : ७.
दिल कहे रुक जा रुक जा : कला दीर्घा : रंग बरसे : पृष्ठ : ९.
समाचार : चित्र : विशेष : दृश्य माध्यम : न्यूज़ शॉर्ट रील : पृष्ठ : ११.
दिल कहे रुक जा रुक जा : फोटो दीर्घा : पृष्ठ : १२.
चलते चलते : शुभकामनाएं : दिल जो न कह सका : पृष्ठ : १३.
आपने कहा : मुझे भी कुछ कहना है : पृष्ठ : १४.


*
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सुबह सवेरे : शाम  : राधिका कृष्ण दर्शन : पृष्ठ : ०. 
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 नैनीताल डेस्क. मुक्तेश्वर.
*
संपादन.
 डॉ. सुनीता मीना शक्ति* प्रिया. 
*
राधिका कृष्ण शक्ति  शब्द चित्र विचार.
*
हासिल 

*

किसी राधा में खोकर. 

किसी राधा में खोकर,मैं उसका श्याम हो जाऊं.
पागल मीरा का वो प्यारा, गोविंद हरिनाम हो जाऊं.
कृष्ण कन्हैया बना के खुद को, बृंदावन धाम हो जाऊं,
मैं भी  सूरदास की आंखे होकर सुबह शाम हो जाऊं.

*


*
नीति : नीयत : नियति : ईश्वर
*
जिंदगी ' जीने ' के दो तरीके बना लो,
एक वो जो पसन्द है उसे ' हासिल ' करो,
दूसरा वो जो ' हासिल ' है उसे ' पसंद ' करो

*
' अंहकार ' , ' संस्कार ' और कड़वे ' व्यवहार '
*
पूरी ' दुनिया ' जीती जा सकती हैं ' संस्कार ' से,
और जीता हुआ भी ' हार ' जाते हैं ' अंहकार ' से,
और अपनों को तीखे कड़वे ' व्यवहार ' से 

*
आत्म का विश्वास 
*
' आत्मविश्वास ' के साथ ' पैदल '
चलना... ' संदेह ' में दौड़ने से कहीं बेहतर है...


 

टाइम्स  मीडिया.महाशक्ति.प्रस्तुति. 

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प्रीत : गीत और भक्ति संगीत पृष्ठ : ० 
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संपादन. डॉ. सुनीता सीमा मीना शक्ति* प्रिया. 
*
 

साभार : शागिर्द.१९६७.
भजन : कान्हा कान्हा आन पड़ी मेरे तेरे दवार
मोहे चाकर समझ निहार... हाँ तेरी राधा जैसी नहीं मैं.
सितारे : जॉय मुखर्जी. सायरा बानू.
गीत : मजरूह सुल्तानपुरी. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायिका : लता.
गाना भजन सुनने व देखने के लिए दिए गए लिंक को दवाएँ
https://www.youtube.com/watch?v=3FrlKIIntYU
 पत्रिका / अनुभाग. ब्लॉग मैगज़ीन पेज. 
*

 स्वर्णिका ज्वेलर्स : निदेशिका.शक्ति तनु रजत.सोहसराय.बिहार शरीफ.समर्थित.

*
 
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संपादकीय शक्ति : पृष्ठ : २.
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संरक्षिका.नेत्री. 
⭐.



  शक्ति.डॉ.भावना माधवी प्रीति.
*

संपादकीय शक्ति समूह.
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प्रधान शक्ति संपादिका.


*

*
शक्ति : शालिनी रेनू  नीलम 'अनुभूति '
नव शक्ति. श्यामली डेस्क.शिमला.
संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी. दिवस : ५.

शक्ति कार्यकारी सम्पादिका.
नैना देवी.नैनीताल डेस्क.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०.
संस्थापना वर्ष : १९९६. महीना : जनवरी : दिवस : ६.
*

शक्ति. डॉ.सुनीता शक्ति * प्रिया.

सहायक.कार्यकारी.
शक्ति.संपादिका.



शक्ति.डॉ.अर्चना सीमा वाणी अनीता.
कोलकोता डेस्क.
संस्थापना वर्ष : १९९९.महीना : जून. दिवस :२.
सम्पादिका.विशेष.
यमुनोत्री गंगोत्री डेस्क.उत्तरकाशी.
संस्थापना वर्ष : २०२५.महीना : जून.दिवस : ५.
*

शक्ति.डॉ.श्वेता हिमानी.
नैना श्रद्धा.
*
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स्थानीय शक्ति संपादिका.
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शक्ति. बीना मीना भारती कंचन.
नैनीताल.
*

क़ानूनी संरक्षण.
' शक्ति '
*

शक्ति.मंजुश्री.
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी.( वर्त्तमान )
शक्ति.सीमा कुमारी.डिप्टी चीफ लीगल एड डिफेंस काउंसिल.
शक्ति.विदिशा.अधिवक्ता.विधिवक्ता.
शक्ति.लीना शक्ति.अधिवक्ता.उच्च न्यायलय.रांची.

दिग्दर्शिका संरक्षण.' शक्ति '
*

*
शक्ति. रश्मि श्रीवास्तवा. पुलिस अधीक्षक. ( भा पु से )
शक्ति.अपूर्वा रस्तोगी. सहायक आयुक्त. ( भा प्र से )
शक्ति. साक्षी कुमारी. पुलिस अधीक्षक. ( भा पु से )
*


ए एंड एम मीडिया समर्थित
शक्ति.डॉ. ममता. सुनील. शिशु रोग विशेषज्ञ : ममता हॉस्पिटल : बिहार शरीफ. समर्थित.
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आकाश दीप : पद्य संग्रह : सम्पादकीय : प्रस्तुति : पृष्ठ : ३.
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संपादन
शिमला डेस्क


शक्ति. रेनू अनुभूति प्रीति .


क्षणिकायें

सुबह और शाम.

सुबह और शाम
जीवन चलने का नाम,
माना कि निस्तब्धता हो जाए
रात जैसी, जीवन में
भले ही निशब्द हो जाए.
दूसरों के लिए
पर ...तुम्हारे लिए,
जो ध्वनि है,
इसमें झंकार है,
वह भले ही गैर सुन पाय
तुम तक जो संसार है
हृदय तक बस
सुनो, वह अवश्य ही पहुंच जाता है.


*
शक्ति तनुश्री सर्वाधिकारी.
नैनीताल डेस्क.
पृष्ठ सज्जा : डॉ सुनीता मधुप शक्ति प्रिया.
*
ऐसी हूँ मैं..
जो हर टूटन से एक नई खुद को गढ़ती हूं, हर अंत से एक शुरुआत रचती हूं. और दृढ़ता से कहती हूं मैं हूँ ऐसी... और यूँ ही रहूंगी, जैसी हूँ..... वैसी ही रहूंगी ! *
तुम्हारा होना.


तुम कुछ कहो या न कहो, तुम्हारा होना ही, मेरे भीतर एक संगीत जगा देता है, जो शब्दों में नहीं, धड़कनों में गूंजता है
*
भाविकाएँ 
किसी पर नहीं अब


फोटो : मीना : मुक्तेश्वर. 

अब किसी पर नहीं होता यकीन, 
ना कोई चेहरा, ना कोई नाम यकीन के काबिल रहा. 
जिसे अपना कहा हालातों ने उसे ही छीन लिया, 
और समाज ने कहा-सब नसीब का खेल रहा.
कभी किसी के संग हँसी थी जो बेफिक्र सी, 
वक्त की आंधी में खो गई वह मुस्कान भी. 
अब प्रश्न भी मौन हैं, उत्तर भी थमे हैं, 
मन की अदालत में अब फैसले अकेले ही अपने हैं 
कहते हैं लोग-क्या चाहती हो अब?
जवाब में बस एक चुप्पी है हर बार।
ना चाह है, ना स्वप्न किसी साथी का,
अब शब्दों का संसार ही आत्मा की पुकार है.
कविता, किताब, कलम्-यही अब अपना संसार है,
जहाँ भावों का मेल है, पर छल का नहीं कोई व्यापार है.
ना कोई बांधने वाला, ना कोई तोड़ने वाला,
हर रिश्ता अब सिर्फ हो आत्मा से जोड़ने वाला.
कहते हैं-ऐसी जिंदगी तो अधूरी है,
मैं कहती हूँ-यह पूर्णता की पहली सीढ़ी है.
जहाँ स्त्री खुद को चुनती है,
और यही उसकी सबसे बड़ी जीत होती है.

शक्ति. रेनू शब्दमुखर.जयपुर
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तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : शक्ति : सम्पादकीय : प्रस्तुति. पृष्ठ : ४.
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संपादन.


शक्ति. शालिनी अनुभूति नीलम .
वाराणसी.
प्रधान सम्पादिका.
*
*

आर के पारा मेडिकल कॉलेज : दरभंगा : डॉ. आर के प्रसाद समर्थित 
*
सम्पादकीय शक्ति आलेख : पृष्ठ : ४ / १.

जीवन चलने का नाम : जिंदगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है :



शक्ति. रेनू शब्दमुखर.
प्रधान सम्पादिका लेखिका. कवयित्री.

ये पर्वतों के दायरें ये शाम का धुआँ : फोटो : शक्ति रेनू शब्द मुखर.

जीवन चलने का नाम : जिंदगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है। जो जीवन से हार मानता, उसकी हो गयी छुट्टी। धैर्य रखें। अंतिम तक प्रयास करते रहें। जिसने भी हार मानी नाक चढ़कर कहे ज़िन्दगी, तेरी मेरी हो गयी कुट्टी। इस जीवन के सफर में रूठे यार को मना लें, मितरा। के यार को यार बना मितरा ना खुद से रहो खफा मितरा खुद ही से बने खुदा मितरा जीवन चलने का नाम...
प्रकृति का साथ और इसका साया : जब जीवन की आपाधापी में मन थकने लगे और हृदय एकांत की पुकार करे, तब पर्वतों की गोद में बैठकर प्रकृति से संवाद करना आत्मा को सबसे गहरा सुकून देता है। ऐसा ही एक क्षण मुझे अपनी यात्रा के मध्य मनाली के वॉटरफॉल ट्रैक पर मिला, जब मैं प्रकृति के आलिंगन में थी,खुद को खोती और स्वयं को ही पाती।
हरे भरे देवदार और चीड़ के वृक्षों की छांव, और घाटी में बिखरे रंग-बिरंगे मकानों की छटा… सब कुछ जैसे किसी कुशल चित्रकार की ब्रश से उकेरी गई कल्पना हो। आज इन फोटोज को देखकर प्रकृति के वातावरण में जो आनंद लिया था, ताजे हो गए।
जीवन से हारना नहीं, निराशा के गर्त में जाना नहीं : जीवन में अक्सर ऐसा समय आता जो हमें निराशा और अवसाद की खाई में पटक देता है मन नहीं लगता, सब चीजें परेशान कर हमारा चैन छीन लेती है।ऐसे मुश्किल समय में हमें हमारे मन को सबल बनाने के जरूरत है। हमें सोचना होगा कि मनुष्य जन्म हमें बड़ी मुश्किलों से हासिल हुआ है, कहा जाता है चौरासी लाख योनियों के बाद हमें ये अमूल्य जीवन प्राप्त हुआ है। इस जीवन से हारना नहीं है और निराशा में इसे व्यर्थ न गवां कर अपने जीवन और समय को नष्ट नहीं करना है। हमें सकारात्मक सोच हमारे अंदर ही विकसित करनी होगी हमें ऐसे मौकों पर खुद को अपने परिवेश की अच्छी चीजों की याद दिलानी पड़ती है।
जीवन करम करने का नाम : ऐसा करने से उल्टा करते है तब भी उसकी लौ सतत ऊपर की ओर ही जाती है इसी तरह जिंदगी में इतनी सारी घटनाएं होंगी, जब आपका उत्साह, जोश कम होने लगेगा। परिस्थितियां प्रतिकूल होगी। हताशा तुम्हें घेरने लगेगी लेकिन उस समय अपने को मोयबत्ती की तरह सोचना कि मैं हर प्रतिकूल परिस्थिति से लड़कर हौसले और उत्साह से अपने को यथावत बनाये रखूंगा। कहा भी गया है..

होसले के तरकश में कोशिश का वो तीर जिंदा रखो
हार जाओ चाहे जिदगी में सब कुछ
लेकिन फिर से जीतने की उम्मीद जिन्दा रखो
समस्याएं आती हैं । इनका सामना कर हम जीवन रुपी संग्राम में मजबूती के साथ खड़ा पाते हैं। इनसे हमारा व्यक्तित्व पहले की अपेक्षा अधिक साफ, चमकीला और बेहतरीन होता है।
हमारा जीवन अपने आप में बहुत सुलझा हुआ होता है, इसे उलाएं नहीं। जेटी-छोटी बातों को नज़रअंदान कर तनावपूर्ण माहौल से बच सकते हैं।
जो हमें पसंद नहीं है यदि उसे बदल सकतें है तो बदल दें अन्यथा उस पर ध्यान देना छोड़ दें।
कुछ भी इतना बुरा नहीं होता जितना हमें दिखता है और हम प्रतिक्रिया देना शुरू कर देते हैं। खुद पर विचार रखें जब भी ऐसी परिस्थिति यां आये यही पंक्तियां गुनगुनाये

कभी न कहो कि, दिन अपने खराब है.
समझ लो कि हम, काँटों से घिर गए गुलाब है
ऐसे में भी खुशबू से महकाते सबको रहेंगे
भूत से प्रेरित हो,वर्तमान में जीते हुए भविष्य का सुन्दर निर्माण : जो होगा अच्छा ही होगा वाला जो गीता सम्मत विचार व नजरिया हो उसे अपनाएं। इससे आप हमेशा प्रसन्न रहेंगे इस प्रसन्नता के लिए स्वयं के सच्चे मन से प्रथास करें।कीमत कभी भी मायने नहीं रखती व्यकि का कृत्य मायने रखता है। सत कर्म करते रहें। हर आने वाला दिन आपके लिए नया खाता खोलता है, नयी उम्मीद का भंडार लेकर आता है बस फिर क्या था इतनी सुंदर और आनंद में वातावरण में हमने कुछ फोटोज क्लिक करवा लिए क्योंकि ध्यान रहे बीता हुआ समय कभी भी लौटकर नहीं आता। भूत से प्रेरित हो ,वर्तमान में जीते हुए भविष्य निर्माण के लिए सदैव प्रयत्नशील हो जाएं।
*
संदर्भित गीत : जीवन संगीत
जीवन चलने का नाम :
मेरी पसंद
डॉ. सुनीता अनीता सीमा मीना शक्ति * नैना प्रिया
फिल्म : लोफर.१९७३.


गाना : हो आज मौसम है बड़ा बेईमान है बड़ा
सितारे : धर्मेंद्र मुमताज
गीत : आनंद बख्शी. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायक : रफ़ी.
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.  

आलेख  संपादन : शक्ति. शालिनी डॉ. सुनीता शक्ति * प्रिया
पृष्ठ सज्जा : शक्ति. नैना सीमा अनुभूति मंजिता  


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अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस : सम्पादकीय शक्ति आलेख : पृष्ठ : ४ / २.
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योग: कर्म सु कौशलम् योगश्चित्तवृत्ति निरोध:
शक्ति आरती अरुण.


आज वैश्विक समाज ११ वां अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस : साभार : फोटो : कोलाज

आज वैश्विक समाज ११ वां अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मना रहा है जो मूलतः भारत भूमि की वैश्विक समाज को एक अनमोल देन है। यद्यपि यह भारतीय आध्यात्मिक जीवन दर्शन, चिन्तन एवं व्यवहार आचरण से निकल कर आया है फिर भी इसका स्वरूप किसी मत,पंथ, विश्वास, विचार आदि से उपर उठकर वैश्विक आदर्श एवं व्यवहार बन गया है। इसकी जड़ें आदियोगी शिव से निकल कर, वेदों, उपनिषदों, योग शास्त्रों,जैन, बौद्ध मतों और समस्त विश्व में फैल गयी और आज वैश्विक धरोहर बन गया है।
ऐसे तो यह मूलतः दो शब्दों यथा,योग और आसन से बना है परन्तु आमतौर पर लोग योग के नाम से ही जानते हैं परन्तु इसकी समग्र व्याख्या तो अद्भुत है जैसे ईश्वर की समग्र व्याख्या नहीं की जा सकती है वैसे ही योग भी है।
योग : शाब्दिक अर्थ जोड़ना : जब हम इसके व्यूत्पत्ति पर विचार करते हैं तो यह * यूज् धातु से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ जोड़ना होता है और यहीं से इसकी गहराईयों से पड़ताल शुरू हो जाती है कि किससे और कैसे जोड़ना और क्यों जोड़ना तो हम ज्यादा गहराईयों में न जाकर इस रुप में आपके समक्ष‌ रखने का प्रयास करुंगा कि आप सहजता और सरलता से समझ लें और इसे आत्मसात करने की कोशिश करें।
ऐसे तो शिव संवाद, वेदों, उपनिषदों,योग शास्त्रों,जैन और बौद्ध मतों में इसकी विशद् व्याख्या की गयी है जिससे अनुप्रेरित अनुप्राणित होकर यह चीन, जापान, तिब्बत, कोरिया और अन्य द पू एशियाई देशों में भी व्यापक रुप में फैल गया। द पू एशियाई देशों में इसे स्थापित करने का काम बोधिधर्मन ने किया जो भारतीय ध्यान पद्धति से झेन या जेन बन गया। हम दो सूत्र वाक्यों पर ही इसकी महत्ता, उपयोगिता और उपादेयता पर प्रकाश डालने की कोशिश करता हूॅं,वे दो सूत्र वाक्य, है

योग: कर्म सु कौशलम्
और योगश्चित्तवृत्ति निरोध:

और इसे हम सहज तरीके से आपके समक्ष रखने की कोशिश करेंगे।लेकिन इसके पहले यह बताना भी उचित प्रतीत होता है कि जैसे मानव शरीर स्थूल, सूक्ष्म एवं कारणिक होता है वैसे ही योग विद्या के तीन आयाम होते हैं,आसन, स्थूल अवस्था, प्राणायाम,सूक्ष्मावस्थाऔर योग,कारणिक अवस्था से जुड़ा है जो हमारे समस्त क्रियाशीलताओं से युक्त है। 
आसन से शरीर शुद्ध और स्वस्थ होता है तो प्राणायाम, हमारे प्राणशक्ति को सशक्त करता है और योग साधना आत्मा और अन्तश्चेतना को परम शक्ति से जोड़ने का काम करता है और ये समस्त क्रियाशीलताऍं 
अष्टांगयोग या मार्ग से जुड़े हैं जिनमें ध्यान की बड़ी महत्ता और महिमा है जिसे मेडिटेशन भी कहा जाता है जो वैश्विक स्तर पर सभी मत,पंथ और सम्प्रदायों में द्रष्टव्य है। अब हम उपरोक्त दो सूत्र वाक्यों पर आते हैं जिसे समझना बहुत जरूरी है। 
कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक पालन करना ही योग है : भगवद्गीता : पहला सूत्र क्या कहता है जो भगवद्गीता से उद्धृत है,योग: कर्म सु कौशलम् अर्थात् योग और कुछ नहीं आपके विहित और निर्धारित कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक पालन करना है,इसे समझना ही संसार चक्र को समझना है। हम सभी मनुष्यों को कुछ न कुछ कामों के लिए निर्दिष्ट किया गया है जिसका पालन करना
हमारा परम धर्म ( कर्तव्य) है और इससे पलायन ही अपकर्म या पाप है। अर्जुन कुरुक्षेत्र में युद्ध करने से इन्कार कर रहा है तब श्री कृष्ण उसे कर्मयोग का ज्ञान देते हुए बताते हैं कि इस कर्मक्षेत्र में जो कर्म तुम्हारे लिए निर्धारित है अर्थात् युद्ध करना, उसमें श्रेष्ठता ही योग है। जो जिस कर्म करने के लिए चयनित हैं,उसका श्रेष्ठतापूर्वक पालन करना ही योगी का धर्म और धर्म का मर्म है और वही कर्मयोगी भी है। कितना सुन्दर और व्यवहारिक संदेश है कि बगैर किसी पुर्वाग्रह या दूराग्रह के हमें अपने अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए,क्या इससे कोई इन्कार कर सकता है, नहीं और यही परम सत्य है जो हमें हमारे संसार चक्र से मुक्त करता है।
अपनी निरंकुश चित्तवृत्तियों का निरोध ही योग : दूसरा सूत्र जो योग शास्त्रों, औपनिषदिक दर्शन और जैन तथा बौद्ध मतों का सार है, योगश्चित्तवृत्ति निरोध: अर्थात् अपनी अपनी चित्तवृत्तियों का निरोध ही योग है। मनुष्य के दुःख के मूल में इच्छा, कामना, तृष्णा, वासना,मोह, आकर्षण,अतीत आदि की सत्ता है। इच्छा और कामना हमारी चित्तवृत्तियों को संचालित, नियमित और नियंत्रित करती हैं और इच्छाओं के संसार का कोई अंत नहीं है,एक की प्राप्ति हुयी नहीं कि दूसरी पैदा है गयी, रक्तबीज की तरह अनन्त हैं ये इच्छाएं और कामनाएं जो कभी तृप्त ही नहीं हो सकती हैं और इनका तृप्त न होना ही दुःख और क्लेश को जन्म देता है। हमारे संसाधन सीमित और न्यून हैं जिनसे वांछित की प्राप्ति हो ही नहीं सकती है।यदि आप समस्त संसाधनों से युक्त भी हैं तो आरोग्य,भूख, नींद, शान्ति आदि नहीं खरीद सकते हैं तब क्या करना है, अपने मन चित्त को योग-साधना के द्वारा नियंत्रित करने की कोशिश करनी है ताकि जीवन संयमित, मर्यादित और परिमार्जित हो सके।
चित्त की चंचलता हम मनुष्यों को दिग्भ्रमित करती रहती है,माया,भ्रम और कल्पनाओं के संसार का सृजन करती रहती है, हमें सत्य से सदैव दूर ले जाने का काम करती है, इसलिए योग-साधना के द्वारा ही हम सुखी रह सकते हैं।
यह औषधियों का औषधि है,मानव जाति के लिए वरदान है और निरपेक्ष भाव से युक्त है।
इसे गहराई से समझने की जरूरत है कि किसे सुख और शान्ति नहीं चाहिए पर उनकी खोज हम बाहर करते हैं जबकि वह हमारे भीतर ही उपलब्ध है, इसलिए योग सिर्फ अपने अपने इष्ट से जुड़ने की कला और विज्ञान नहीं है बल्कि स्वयं को स्वयं से जोड़ने की कला और विज्ञान भी योग है।सादर धन्यवाद।
*
आलेख  संपादन : शक्ति. शालिनी डॉ. सुनीता शक्ति * प्रिया
पृष्ठ सज्जा : शक्ति. नैना सीमा अनुभूति मंजिता  

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जीवन चलने का नाम : शक्ति. सम्पादकीय आलेख : पृष्ठ : ४ / ३.
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शक्ति : रीता रानी.जमशेदपुर
सम्पादिका
*
सहयात्रा : सक्रियता भी चरमोत्कर्ष पर : सुन लें कोई प्रिय स्वर :


सफ़र : एक धुंध से आना है एक धुंध से जाना है : यात्रा : कोलाज : शक्ति. डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया 

जीवन ही चलने का नाम : हम सफ़र में है निरंतर। जो जी रहें है वर्तमान में वही जीवन है। सुकर्म के साथ चलंत रहना ही जीवन है। जीवन ही चलने का नाम है। स्थिरता मृत्यु है। जीवन यात्रा का हिंदी में अर्थ है जीवन का सफर या सतत जीवन की यात्रा। यह शब्द स्वयं के जीवन अनुभवों, उतार-चढ़ावों, और विभिन्न पड़ावों को दर्शाता है। यह एक व्यापक अवधारणा है जो जन्म से लेकर मृत्यु तक मनुष्य के पूरे जीवनकाल को अनुभवों से युक्त कर समाहित करती है।
विस्तार में: जीवन यात्रा शब्द का उपयोग अक्सर जीवन के अनुभवों, संघर्षों, और खुशियों को दर्शाने के लिए किया जाता है। यह एक रूपक है जो जीवन को एक यात्रा के रूप में चित्रित करता है, जिसमें विभिन्न पड़ाव, कठिनाइयाँ और सफलताएँ होती हैं।
कुछ मुख्य पहलू जो ' जीवन यात्रा में शामिल हो सकते हैं आपका जन्म और बचपन। जीवन की शुरुआत और शुरुआती अनुभव। शिक्षा और विकास ज्ञान प्राप्त करना, कौशल सीखना और मानसिक रूप से विकसित होना। कैरियर और कार्य: काम करना, सफलता प्राप्त करना और पेशेवर जीवन में आगे बढ़ना।रिश्ते और संबंध : परिवार, दोस्त, और अन्य लोगों के साथ संबंध बनाना और उन्हें निभाना। सुख और दुख:जीवन के अच्छे और बुरे समय का अनुभव करना। संघर्ष और चुनौतियां: कठिनाइयों का सामना करना और उनसे पार पाना। सफलता और असफलता:लक्ष्यों को प्राप्त करना या उनसे चूक जाना।मृत्यु और अंत: जीवन का अंतिम पड़ाव। उदाहरण हर किसी के जीवन यात्रा अलग-अलग होती है - यह दर्शाता है कि हर व्यक्ति अपने जीवन में अलग-अलग अनुभवों से गुजरता है।
किसी लेखक की पुस्तक मेरी जीवन यात्रा पर आधारित है - यह दर्शाता है कि पुस्तक लेखक के जीवन के अनुभवों पर आधारित है।जीवन एक यात्रा है, इसे खुशी से जिएं - यह जीवन को एक सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने का सुझाव आप सबों के लिए है।साहित्य और कला में जीवन यात्रा : यह शब्द अक्सर साहित्य, कविता और कला में उपयोग किया जाता है, जहां इसे जीवन के विभिन्न पहलुओं को व्यक्त करने और भावनाओं को व्यक्त करने के लिए एक रूपक के रूप में उपयोग किया जाता है।
यात्रा  : चलायमान भी और स्थिर भी : यात्रा अपने आप में दो विरोधी ध्रुवों तक प्रसारित चलायमान भी और स्थिर भी। चलायमान अपने अगले गन्तव्य की ओर और स्थिर अपने दैनिक गतिविधियों से मुक्त होकर। यात्रा में वियोग का बसाव भी अपने पूर्वस्थान , वहाँ बसित किसी प्रियजन से अलगाव में और संयोग भी है  मन के कई खानों में नवनिर्मित स्मृतियाँ पुरातन को साथ गूँथ सुवास लेने लगती हैं। 
सुन लें कोई प्रिय स्वर : सहयात्रा निष्क्रियता के साथ होती है। सामान्य दिनचर्या बाधित और सक्रियता भी चरमोत्कर्ष पर अपने रोजाना के दायित्वों में जुते समय से कुछ पल नहीं, कई घंटे चुरा लें, सुन लें कोई प्रिय स्वर। भावावेग पर शब्दों का बाँध निर्मित कर नवीन निर्मिति रच डालें।  पढ़ लें कई दिनों से खरीदकर रखी गई प्रिय पुस्तक । वाचाल है यात्रा कई सम्मिश्रित ध्वनियाँ बालकंठ से लेकर उम्र के हर पड़ाव स्वर की , यंत्रों की तो उतनी ही मौन भी  हर ध्वनि के बीच तटस्थता , सम्मिश्रित उपस्थिति में भी वैराग्यरूपी भाव की मौजूदगी।
बाहर - बाहर  अविचल , निश्चल लेकिन अन्तर्मन विचारों के मंथन में , अविराम चिंतनशील। अंतः केन्द्र में सबकुछ लघुपरिसर में सिमटा हुआ तो बाह्यरूप में प्रकृति का विस्तारित आँगन, अपने नग्न और वास्तविक रूप में भी दृष्टि को बाँध लेने की सक्षमता रखता हुआ प्रकृति और उसके श्रेष्ठतम संसाधन के मध्य सबकुछ बिखरा , सबकुछ उलझा । प्रथमद्रष्टया तो ब्राह्यजगत की यात्रा परन्तु शनैः शनैः अन्तर्मन की पटरियों पर दौड़ती हुई चेतन से अवचेतन । यात्रा के अनुभव  में एक विचार बस यूँ ही आ गया। 

संदर्भित गीत : जीवन यात्रा 
मेरी आपकी पसंद 
फिल्म : इम्तहान.१९७४.  
सितारे : विनोद खन्ना. तनूजा.
गाना : साथी न कारवां है ये तेरा  इम्तहा है
तू तो चला था सपने ही ले के


गीत : मजरूह सुल्तानपुरी. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारेलाल गायक : किशोर कुमार
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.


आलेख संपादन : शक्ति. शालिनी डॉ. सुनीता शक्ति * प्रिया
पृष्ठ सज्जा : शक्ति. नैना सीमा अनुभूति मंजिता  


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मुन्ना लाल महेश लाल आर्य ज्वेलर्स : रांची रोड : बिहारशरीफ : समर्थित : यमुनोत्री यात्रा. 
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पर्यटन विशेषांक : आलेख : धारावाहिक आलेख : पृष्ठ : ५ 
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नैनीताल डेस्क. 
संपादन. 


शक्ति.शालिनी मानसी कंचन प्रीति. 

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यमुनोत्री यात्रा संस्मरण : पृष्ठ : ४ / १.

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तुझे बुलाए है मेरी बाहें न ऐसी यमुना कहीं मिलेंगी.
संपादन : डॉ.सुनीता सीमा शक्ति * प्रिया.



यात्रा संस्मरण : डॉ.मधुप.

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हमारे संग संग चले गंगा की लहरें : मचलती हुयी हवा में छम छम : हरिद्वार : प्रारंभ.



ज़माने से कहो अकेले नहीं हम हमारे संग संग चले गंगा की लहरें : डॉ. सुनीता वनिता शक्ति प्रिया. 

हरि का द्वार : यायावरी : हरिद्वार में नरसिंह धर्मशाला में ठहरने के साथ ही हमें हर की पैड़ी में आरती देखने जानी ही थी। शाम में ही जयपुरिया धर्मशाला के पास स्थित राम घाट में हम सभी ने गंगा स्नान किया और अपने पाप मुक्त होने का संकल्प ले लिया था। सत्कर्म करना ही जीवन का धरम होना चाहिए ,पाप स्वतः धुलते रहेंगे। जयपुरिया धर्मशाला के पास लगाए गए ठेले वाले चाट का स्वाद मैं कैसे भूल सकता हूँ।
सुबह की बेला थी । हरिद्वार हरि के गृह तक पहुंचने का द्वार है। साधु, संतों, सन्यासियों की जमातों के चलते हमें यह बारबार प्रतीत होगा कि कहीं हम मठों के शहर में तो नहीं आ गए है ?
यह चारों धामों की प्रवेश नगरी है अतः इस नगरी की सांस्कृतिक तथा धार्मिक महत्ता अत्यंत है । यही से हम चार धाम यथा गंगोत्री ,यमनोत्री , केदारनाथ तथा बद्रीनाथ की यात्रा के लिए अपनी यात्रा शुरू कर सकते है शायद इसलिए हरिद्वार में सालों भर पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। न जाने मैं कितनी बार हरिद्वार आ चुका हूँ।
रेलवे स्टेशन के बाहर ही शिव की मूर्ति सबों को ओम नमो शिवाय करते मिल जाएगी। प्रतीत होता है शिव की कृपा आवश्यक है। हरि द्वार में भी शिव के दर्शन यत्र तत्र हो जाते हैं। मत भूले भोले का सुसराल रहा है कनखल हरिद्वार। और यही सती ने स्वयं को यज्ञ की अग्नि में स्वयं को आहूत कर लिया था।
इस साल एक और देखने वाली नयी बात यह मिली कि स्टेशन परिसर में ही रेलवे कोच के डिब्बें वाली एक रेस्टोरेंट। यह आपको भी दिखेगा जिसमें आप हरिद्वार के सुस्वादु भोजन का लुफ़्त उठा सकते हैं।
शिव की जटा से निसृत होती गंगा की मूर्ति आपको हरिद्वार में मिल ही जाएगी।


हरिद्वार : गंगा आरती : शॉर्ट रील : डॉ.सुनीता शक्ति * प्रिया

हरिद्वार की यादें : मैं आज तक नहीं भूला साल १९९८,हरिद्वार की इस पहली यात्रा के लिए मैं विशेषतः अत्यंत आहलादित था। मुझे याद है जब मैंने पहली बार गंगा की दुग्ध धवल मचलती हुई धारा को हर की पौड़ी में स्पर्श किया था ,तब न जाने कौन कौन से भाव हृदय में तरंगित हो रहें थे। वो प्रातःकालीन वेला थी जिसे मैं कदापि नहीं भूल सकता हूं। तुरंत छू कर हाथ हटाना पड़ा था क्योंकि पानी हद से ज़्यादा ठंढा था। भागती हुई भीड़ में सरकते हुए लोगों का वहां अम्बार था। मैं अकेला यायावर हर की पौड़ी पर खड़ा हो कर यही सोच रहा था कि यदि यह देवसरिता नहीं होती तो हमारी सभ्यता और संस्कृति ही नहीं होती। हरिद्वार के प्रति मेरा लगाव इस तरह असीमित है कि मेरे शब्द कम होंगे इसके विवरण के लिए। मुझे वहां के साधु ,संत ,भिखमंगे भी अत्यंत भाग्यशाली प्रतीत होते है कि वे यहाँ रहते हैं। इसके बाद तो मेरी हरिद्वार यात्रा सदैव होती ही रही। हर हर गंगे, मैं तुम्हें नमन करता हूं कि तू अपनी इस अतुलनीय भारतीय संस्कृति की जननी है। पालने पोषने वाली है । तू नहीं होती तो यह आर्यावर्त नहीं होता।
हर की पौड़ी : और संध्या आरती : हरिद्वार के सबसे महत्वपूर्ण घाटों में से एक है हर की पौड़ी। सभ्यता संस्कृति के संरक्षण के लिए जरुरत के अनुसार इन घाटों से गंगा की कृत्रिम धाराएं इस तरफ मोड़ी गयी है। अन्यथा मानों तो मैं गंगा माँ हूं की मूल नील धाराएं तो थोड़ा हट कर शहर से बहती हैं ।
यहाँ की संध्या गंगा आरती की शोभा अप्रतिम है। देखने योग्य है। वर्णनातीत है। सम्पूर्ण भारत के  विभिन्न प्रदेशों की सभ्यता संस्कृति की एकतागत झलक देखनी हो यहाँ आ जायें। शाम होते ही जय गंगे माँ की आरती की स्वरलहरी पर्यटकों को अनायास ही गंगा घाटों की तरफ़ खींच लेती हैं। पूरा घाट स्थानीय,बाहरी श्रद्धालुओं,पर्यटकों,से पट जाता है। अन्यथा संध्या काल में देर होने के पश्चात तो यहाँ तिल रखने मात्र की भी जग़ह नहीं मिल पाती है। लेकिन कर्मकांड में अतीव विश्वास रखने बाले लोग यहाँ के साधु,संतों और पंडों से ज़रा  होशियार ही रहें ,नहीं तो इस जन्म मरण ,इहलोक परलोक ,पाप पुण्य के जटिल प्रश्नों और उनकी समस्याओं के  निवारण  के चक्कर में आप अपनी आर्थिक हानि ही कर बैठेंगे। याद रहें सम्यक सोच ,सम्यक दर्शन व सम्यक कर्म ही सम्यक धर्म है। सनातनी वैदिक संस्कृति बाले इस पौराणिक शहर में निरामिष लोगों के लिए खाने पीने की कहीं भी कमी महसूस नहीं होगी। फल फूल ,दूध दही ,से परिपूर्ण इस नगरी में लस्सी शर्वत ,मेवे, मिठाईयां खाने के शौक़ीन लोग यहाँ घाटों के पास मौज़ूद ढ़ेर सारे रेस्टुरेंट ,ढाबों  ,होटल ,खोमचे वालों से अपनी इच्छा अनुसार कुछ भी नाश्ता ,लंच, डिनर आदि ले सकतें हैं।
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न ऐसी यमुना कहीं मिलेंगी : यात्रा आलेख : डॉ.मधुप.
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ये रास्ते पहाड़ के : ज़रा संभल के चलें : गतांक से आगे : १.


यादें न जाए बीते दिनों की : गंगा : हरिद्वार : देहरादून : मसूरी : डॉ.सुनीता वनिता शक्ति प्रिया 
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रजिस्ट्रेशन जरुरी : पता चल गया था कि यात्रा के पहले रजिस्ट्रेशन जरुरी है। पूछने पर पता चला हरिद्वार के ऋषिकुल मैदान में ऑफ़ लाइन रजिस्ट्रेशन हो रहा है। मात्र २० रुपये ऑटो का किराया देकर दस बजे के आस पास हम चार वहाँ ऋषिकुल मैदान में पहुंच चुके थे। बड़ी लम्बी लाइन थी। चार धाम रजिस्ट्रेशन करवा रहें हमारे परिचित अधिकारी सुमन रजत ने हमारी मदद की। उनकी वजह से कुछ पल के भीतर ही हम सबों का दो धाम का रजिस्ट्रेशन हो चुका था। इससे हम स्वतंत्र पत्रकार, लेखक,ब्लॉगर का महत्वपूर्ण समय जाया होने से बच गया। अब हम दूसरे दिन यमुनोत्री गंगोत्री की यात्रा आरंभ कर सकते थे। वही हमने बेहतर , उम्दा दिखने वाले १०० रुपए के सफ़ेद रंग के ४ रेन कोट भी खरीद लिए थे।
यह भी सही था कि दोनों धामों की यात्रा के दरमियाँ रजिस्ट्रेशन के बारें में हमसबों से दो बार पूछताछ की गयी थी।
तो मुझे भी कुछ कहना है जब आप चार धामों की यात्रा के लिए निकल रहें हो आप ऑन लाइन या ऑफ़ लाइन रजिस्ट्रेशन जरूर करवा लें।
मधुर वाणी : मित्रता : यात्रा का दूसरा दिन : आकाश साफ़ ही था। यमुनोत्री जाने की तैयारी हो चुकी थी। हमने हरिद्वार स्थित आशुतोष के अन्नपूर्णा ट्रेवल्स से चार जनों के लिए मारुति डिजायर ३००० प्रत्येक दिन के लिए किराये पर ले ली थी। पांच दिन के कुल १५००० रुपए मात्र किराया देना था।
कुछ वापसी में टिहरी झील, चम्बा, न्यू टिहरी तथा ऋषिकेश के निकटतम एकमात्र हिल स्टेशन नरेंद्र नगर
की भी देखने की बात तय कर ली गयी थी। सच पूछे तो मधुर वाणी : मित्रता : का ही सुपरिणाम था।
सच माने तो मीडिया से जुड़ें रहने की वजह से तुलनात्मक रूप से यह सबसे कम किराया मैंने तय किया था। अन्यथा आप लोगों को इससे अलग हट कर अधिक किराया भी देना हो सकता है। यह भी सच है कि यदि कोई आपके साथ कोई अनुभवी गाइड हमसफ़र हो तो वह आप की अच्छी खासी वचत करवा देता है। आप एक प्रभाव शाली मधुर वक्ता हैं तो भगवान की कृपा से सैकड़ों लोग मिल जायेंगे जो आपके सहायक हो जायेंगे। बस कर भला तो हो भला में विश्वास रखें।
ये रास्ते पहाड़ के : शक्ति में आस्था : भोले का विश्वास : वन वे : या कहें यातायात प्रतिबंधित क्षेत्र होने की वजह से हमें पैदल चलते हुए हरिद्वार के कोतवाली चौक आना पड़ा। वहां हमारी टैक्सी आ गयी। देहरादून के पहाड़ी नेपाली मूल के निवासी देव हमारे स्थानीय गाइड और ड्राइवर थे। डिक्की में सामान रखने के बाद यमुनोत्री की यात्रा शुरू हो गयी।
देहरादून : विकास नगर : सीधा : बेहतर सड़कें : मैं मसूरी के रास्ते जाना चाह रहा था। लेकिन हमारे स्थानीय गाइड और ड्राइवर देव ने हरिद्वार, देहरादून विकास नगर, बड़कोट और फिर जानकी चट्टी के रास्ते यमुनोत्री जाना सुनिश्चित किया था। कारण वही था लम्बे जाम की समस्या। देहरादून विकास नगर, से यमुनोत्री की दूरी १७२ - १८० किलोमीटर की दूरी पड़ती है। रास्ते ऊँचाई से नहीं जाता हैं ,और चौड़ा है । ट्रैफिक भी कम ही है।
दूसरा रास्ता : मसूरी के रास्ते : सबसे संक्षिप्त : यदि हम मसूरी से यमुनोत्री की दूरी की बात करें तो १३२ किलोमीटर की दूरी होगी। यात्रा मार्गः में देहरादून,मसूरी,नैनबाग, कंडी, लाखामंडल ,नौगांव, बरकोट, हनुमान चट्टी,जानकी चट्टी और यमुनोत्री आयेंगे।
स्थानीय बतला रहे थे टूर वाले मसूरी के रास्ते को पसंद नहीं करते है क्योंकि मसूरी के लाइब्रेरी चौक, कैम्पटी फाल पर नौ बजे सुबह और शाम पॉँच सात बजे जाम लगना एक फितरत सी हो गयी है। इसलिए यदि मसूरी से अहले सुबह निकले तो यमुनोत्री का संक्षिप्त रास्ता मसूरी हो कर ही जाता है।
तीसरा रास्ता :तो तीसरा रास्ता हरिद्वार,ऋषिकेश,चम्बा,धरासू बरकोट,हनुमान चट्टी, जानकी चट्टी होते हुए यमुनोत्री पहुँचता है। बरकोट में ही आने वाले दोनों रास्तें मिलते हैं। हरिद्वार से यमुनोत्री की दूरी
२२० किलोमीटर की पड़ती है।
यात्रा करने के लिए,आप ऋषिकेश से बड़कोट और फिर जानकी चट्टी जा सकते हैं, जहां से यमुनोत्री तक ५ - ६ किलोमीटर का ट्रेक है। मसूरी से मात्र १८० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यमुनोत्री। याद है न हमलोग यमुना ब्रिज तक तो जा ही चुके थे न ? मत भूले गर्म कपड़ें व रेन कोट या छाता साथ लाना।
उत्तराखंड में हिन्दुओं के चार धाम हैं।
पहाड़ों की सैर करने से पहले मन विचार से स्वच्छ हो लें : रुत है पहाड़ों का यहाँ बारह महीने मौसम है जाड़ों का। बारिश कभी भी हो सकती है। तब लैंड स्लाइड भी कभी भी हो सकती है। पहाड़ी होने के लिए हिमालय से ऊँचा हौसला रखना होगा। पहाड़ी संस्कृति अपनानी होगी। निर्मल, दुग्ध धवल,स्वच्छ होना ही होगा। यदि आप पहाड़ों की सैर करने आते हैं इतना तो वादा करते ही जाइये। क्रोध को शमित कर लें। मन को पवित्र कर लें .....


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न ऐसी यमुना कहीं मिलेंगी : यात्रा आलेख : डॉ.मधुप.
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दूरी : समय : वादियां मेरा दामन : रास्तें मेरी बाहें : गतांक से आगे : २ .

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सप्तऋषि कुंड : यमुना नदी का उद्गम स्थल : महा शक्ति : मीडिया कोलाज : साभार. 

यमुनोत्री,गंगोत्री केदार नाथ और बद्रीनाथ धाम। गंगा,यमुना सरस्वती बहनों में चर्चित यमुनोत्री, चार धाम यात्रा का पहला धाम है, जो उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। लगभग ३२३५ मीटर की ऊंचाई पर बन्दर पूंछ शिखर के पश्चिमी किनारे यह यमुना नदी के उदगम स्रोत के निकट स्थित यह पहला धाम है जहां देवी यमुना का मंदिर है।
हनुमान चट्टी : जानकी चट्टी : खरसिल : यमुनोत्री :यदि आरामदायक यात्रा करना चाहते है तो सदैव स्मृत रखें अक्षय तृतीया के १५ -२० दिन के बाद चारों धाम की यात्रा करनी अच्छी होती है। थोड़ी भीड़ भाड़ कम होगी यमुनोत्री गंगोत्री घूमने में कुल समय ५ - ६ दिन लग सकते हैं।
हनुमान कूद की नीति : कहाँ रहें : वैसे जीवन के अनुभवों की बात करें तो कभी कभी हनुमान कूद की नीति में भी भरोसा रखें। परिस्थितियां के सामने करने में हम बहुत कुछ सीख जाते हैं। सुनी सुनाई बातों की सच्चाई कुछ और ही होती है। परिणाम हैरत अंगेज हो सकते हैं। मैंने भी ढ़ेर सारी अफवाहें सुनी थी।
बरकोट में रहने के लिए बहुत सारे लॉज,रेस्ट हाउस,होटल्स हैं। आम आदमी सस्ते में बरकोट में ही ठहर सकता है। उत्तराखंड की सरकार गढ़वाल निगम ने भी यात्रियों के लिए जानकी चट्टी में भी ढ़ेर सारी सुविधाएँ उपलब्ध करवा रखी हैं। लेकिन इसके पहले उनके अधिकृत वेव साइट पर जाकर पहले से कमरे बुक करवाने होंगे।
वादियां मेरा दामन : रास्तें मेरी बाहें : वैसे मैंने बरकोट में न रुकते हुए निरंतर चलते हुए यमुनोत्री के बेस कैंप पहुंचने का निर्णय ले लिया था। गाड़ी अपने गंतव्य स्थान की तरफ़ बढ़ रही थी। तीव्र मोड़ों पर
बहुत सावधानी बरतनी पड़ रही थी। मेरी सलाह है शाम के बाद यदि आपके साथ पहाड़ी ड्राइवर न हो रात होने से पहले कहीं विश्रामित हो जाए।
हमारे साथ नेपाली ड्राइवर देव थे , उनका लम्बा अनुभव था। हमें जल्दी थी , इसलिए हम बढ़ते ही रहें थे । क्योंकि मुझे दूसरे दिन ही यमुनोत्री ट्रेकिंग के लिए चढ़ाई करनी थी। हम तक़रीबन आठ बजे तक़ हनुमान चट्टी होते हुए जानकी चट्टी पहुँच चुके थे। होटल आकाशदीप हमारा रैनबसेरा हो गया था।
याद है हमने बच्चों को ऊंचाई स्थित चारागाह बुग्याल के बारे में बताया था। आज गड़ेडियों को उनके भेड़ समूह के साथ बुग्याल में हमने देख ही लिया। शाम हो रही थी। लकड़ियां जलाकर वे रोटियाँ सेंक रहें थे।
बरकोट के बाद वन वे ट्रैफिक होने की वजह से हमें अधिक समय लगा।
याद करता हूँ २००० मीटर से अधिक की ऊंचाई पहुंचने पर देवदारों चीड़ों के मध्य बहती गंगा यमुना का दृश्य एक समान ही लग रहा था। गाड़ी के विंड स्क्रीन पर पड़ी बूंदें दिखला रही थी बाहर रिमझिम फुहार पड़ रही थी।
वो तीन दिन : कितने दिन : ३ दिन यमुनोत्री के लिए सही है। आप हरिद्वार से सुबह चलते हुए सीधे जानकी चट्टी यमुनोत्री पहुँच जाए। कही भी १००० से १५०० के किराये के होटल में ठहर लें। दूसरे दिन अहले सुबह ट्रेकिंग के लिए निकल जाए। शाम तक आपके दर्शन हो ही जायेंगे। एक रात्रि का विश्राम उसी होटल में कर लें।
यदि आप यमुनोत्री के उदगम स्थल सप्तऋषिकुंड झील तक ट्रेक करना चाहते है तो एक दिन और जोड़ लें।
सप्तऋषि कुंड झील : यमुनोत्री का उदगम श्रोत : यमुनोत्री से लगभग १० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। और यह ४४२१ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इसे यमुना नदी के उद्गम स्थल के रूप में जाना जाता है. इस स्थान तक का ट्रेक काफी चुनौतीपूर्ण है और अनुभवी ट्रेकर्स के लिए उपयुक्त है. के अनुसार, यह ट्रेक हिमालय की चोटियों और ग्लेशियर का शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है। यदि आप स्वस्थ है युवा है दम फूलने वाली बीमारी से पीड़ित नहीं है तो यमुनोत्री की धारा खोजने निकल ही जाए।

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न ऐसी यमुना कहीं मिलेंगी : यात्रा आलेख : डॉ.मधुप.
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सुबह के ४ : हम चार : खरसाली : यमुनोत्री : डूब गया रे मेरा मन गतांक से आगे : ३ .


गंगा में डूबा कि यमुना में डूबा डूब गया रे मेरा मन : यमुनोत्री : कोलाज : डॉ. सुनीता शक्ति* प्रिया
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सुबह के ०४ बजे थे। हम चार थे। मैं स्वयं ,डॉ. सुनीता, वनिता तथा सुनील। हममें से प्रत्येक दृढ़ था कि पैदल चल लेंगे। स्थानीय घोड़े वाले निरंतर हमारे संपर्क में थे कि हम शायद घोड़े ले लें। दाम भी तोड़े जा रहे थे। लालिमा हट गयी थी प्रकाश हो रहा था।
आकाश दीप होटल के पीछे बर्फ़ से लदी कालिंदी शिखर दिख रही थी। आकाश दीप होटल के मालिक राणा ने बतला दिया था हमें उस तरफ ही जाना था जिधर सफ़ेद बर्फ़ की चादर चोटियों पर दिख रही थी। पूर्व की चोटियों के शीर्ष पर कुछ सफेदी दिख रही थी। और उसे विश्वास था, ट्रेकिंग के लिए सत्तर के आस पास जाते हुए बूढ़े बुढ़ियों की तरफ इशारा करते हुए वह किंचित हमें जतला रहें थे कि हम सभी भी ट्रेकिंग पूरा कर लेंगें।
जीवन
खरसाली के हेलीपैड पर मँडराते हेलीकॉप्टर : तब इतनी सुबह भी खरसाली के हेलीपैड पर हेलीकॉप्टर मँडराने लगे थे। देहरादून के जॉली ग्रान्ट हवाई अड्डे से उड़ते उड़नखटोले से पर्यटकों की आवजाही शुरू हो गयी थी।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यमुनोत्री यमुना नदी का उद्गम स्थल है और कहा जाता है कि इसके पवित्र जल में स्नान करने से जन्मों के सभी पाप धुल जाते हैं। ज्ञात हो यमुनोत्री मंदिर का निर्माण १९ वीं शताब्दी में जयपुर की रानी ने करवाया था। हम तो कहते है पाप सत्कर्मों से नष्ट हो जाते है।
देखिए मंदिर के आस पास ठंडे पानी में गर्म पानी के झरने,व कुंड भी मिश्रित हैं जिनका उपयोग स्नान,प्रसाद तैयार करने के लिए किया जाता है।
पानी इतना ठंढा व सर्द की हड्डियां कांप जाए। लेकिन हमने बहुतेरे को यमुना में डुबकी लगाते हुए देखा। छोटे छोटे डिब्बियों में लोग यमुना का पानी भर कर ले जा रहे थे। गर्म कुंड में चावल पका हुआ प्रसाद ही होता जिसे देवता को चढ़ाया जाता है।
हमने भी एक गर्म पानी के श्रोत के पास अच्छी खासी भीड़ देखी थी पूछने पर विश्वास और आस्था की कहानी मालूम हुई।
खरसाली : यमुनोत्री मंदिर : भारत के उत्तराखंड में यमुनोत्री मंदिर के पास एक छोटा सा गाँव है, जहाँ सर्दियों के दौरान देवी यमुना की मूर्ति को मंदिर से एक अनुष्ठान समारोह में लाया जाता है। लगभग पंद्रह सौ फीट ऊँचा,क्योंकि यह बर्फ में गिरने के बाद दुर्गम हो जाता है। यमुनोत्री मंदिर के पुजारी इसी गांव से आते हैं।
होटल आकाश दीप से खरसाली में यमुनोत्री मंदिर की अति सुन्दर मनभावन अनुकृति दिख रही थी।
बताते चले जब शीत काल में यमुनोत्री मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं तब लोग जानकी चट्टी स्थित टीले पर बने दूसरी यमुनोत्री के दर्शन कर श्रद्धालु वापस लौटते हैं। रात में छोटे छोटे पीले बल्बों से खरसाली की यमुनोत्री मंदिर की छटा ही देखने लायक थी। इतना मन भावन की पावन यमुना में नहाए।
ट्रेकिंग : ठण्डी : गर्मी : प्रकृति का अद्भुत संयोग : यमुनोत्री जाने का सबसे अच्छा समय मई से जून और सितंबर से नवंबर तक है। इन महीनों के दौरान, मौसम सुखद और ट्रेकिंग के लिए आदर्श होता है। हालाँकि, जुलाई से अगस्त तक के मानसून,बारिश के मौसम से बचना चाहिए क्योंकि इस क्षेत्र में भारी वर्षा होती है, जिससे ट्रेकिंग मार्ग फिसलन भरा और जोखिम भरा हो सकता है।
हालिया इसी साल भारी बारिश की वजह से कुछ दुर्घटना की खबरें भी आई जिसमें लैंड स्लाइड की वजह से कुछ लोगों ने अपनी जान गवां दी।
यमुनोत्री ट्रेक को मध्यम से कठिन स्तर का ट्रेक माना जाता है। और एक साधारण व्यक्ति भी इसे पूर्ण कर सकता है। बस इसके लिए आम के पास अच्छी शारीरिक फिटनेस और ट्रेकिंग का पूर्व अनुभव होना ज़रूरी है। ज़्यादा नहीं। इस ट्रेक में खड़ी चढ़ाई और उतराई, नदियों पर पुल पार करना और चट्टानी इलाकों पर चलना शामिल है। यमुनोत्री की यात्रा जानकी चट्टी से शुरू होती है, जो यमुनोत्री से लगभग ५ से ६ किमी दूर है। कुल ३ किलोमीटर की चढ़ाई साधारण है लेकिन डेढ़ से दो किलोमीटर की सीढ़ियों की चढ़ाई दम फुलाने वाली है। यह यात्रा लगभग ६ किमी से ज्यादा लंबी नहीं है और इसे पूरा करने में लगभग आम ७ से ८ घंटे लगते हैं। उतरने में आपका समय कम लगेगा।
राम मंदिर : राम जानकी हनुमान के दर्शन : गढ़वाल निगम के होटल से गुजरते हुए २ किलोमीटर दूर हम राम जानकी मंदिर पहुंच चुके थे। प्रसाद के लिए चने वितरित किए जा रहें थे। चाय के स्टॉल भी वहां लगा हुए थे।
यह यात्रा हरे-भरे जंगलों, झरनों और चट्टानी इलाकों से होकर गुजरती है, जहाँ से हिमालय पर्वतमाला के शानदार नज़ारे दिखाई देते हैं। यमुनोत्री की सफल यात्रा के लिए सही सामग्री और उपकरण ले जाना बहुत ज़रूरी है।


यात्रा : शॉर्ट रील : यमुनोत्री : हम चार
जीवन मिलने का नाम :डॉ सुनीता शक्ति * प्रिया
चयन : शक्ति नैना शबनम


यमुनोत्री ट्रेक के लिए यहां कुछ महत्वपूर्ण सुझाव : यहाँ कुछ ट्रेकिंग के लिए ज़रूरी चीज़ें बताई गई हैं जिन्हें आप सभी को साथ रखना चाहिए : यथा ट्रैकिंग या स्पोर्ट्स जूते,छाते, गर्म कपड़े रेनकोट, पोंचो, पानी की बोतलें, ओ आर एस : हाइड्रेशन पैक, स्नैक्स,लेमनचूस और ऊर्जा सीमित ड्राइड फ्रूट्स।
यमुनोत्री ट्रेक पर आवास और भोजन के विकल्प यमुनोत्री ट्रेक पर रहने और खाने के लिए कई विकल्प हैं। जानकी चट्टी और यमुनोत्री में आपको गेस्ट हाउस और होटल मिल जाएंगे। ज़्यादातर गेस्ट हाउस और होटल गर्म पानी, कंबल और भोजन जैसी बुनियादी सुविधाएँ प्रदान करते हैं।
प्राथमिक चिकित्सा किट: कपूर, सनस्क्रीन लोशन और धूप का चश्मा टॉयलेटरीज़, डंडे या ट्रेकिंग पोल वैकल्पिक भी आप रख सकते हैं।
आपको यमुनोत्री ट्रेकिंग ट्रेल के किनारे कई छोटे - छोटे चाय, मैगी, बिस्कुट के स्टॉल और ढाबे भी मिल जाएँगे जो गर्म स्नैक्स,भोजन और चाय परोसते हैं। लेकिन जैसे जैसे ऊपर आप बढ़ते जायेंगे कीमतें दूगनी होती चली जायेंगी। हमने भी अमूल कूल दूध २० के बजाय ४० रुपये दिए थे। आप बेहतर समझ सकते हैं।इसलिए बेहतर है नीचे से ही बंदोबस्त कर लें।
यमुनोत्री ट्रेक के लिए यहां कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं जो आपको यमुनोत्री तक आरामदायक और सुरक्षित ट्रेक करने में मदद कर सकते हैं: अपनी यात्रा सुबह जल्दी शुरू करें पर्याप्त पानी और नाश्ता साथ रखें अपने आप को हाइड्रेटेड रखें नियमित अंतराल पर ब्रेक लें,आराम से जाए अपनी फिटनेस के स्तर के अनुसार अपनी गति बनाए रखें बदलती मौसम स्थितियों के अनुकूल ढलने के लिए कई परतों में कपड़े पहनें अपने अनुभवी गाइड के निर्देशों को सुनें और उनका पालन करें और सर्वोपरि पर्यावरण का सम्मान करें और कूड़ा न फैलाएं।

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न ऐसी यमुना कहीं मिलेंगी : यात्रा आलेख : डॉ.मधुप.
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लाल पीले रंग में रंगी बहुमंजली इमारत में मंदिर यमुनोत्री के प्रथम दर्शन  गतांक से आगे : ४ .

यमुनोत्री का शांत वातावरण और प्राकृतिक सुंदरता, आध्यात्मिक शांति और स्थिरता की तलाश करने वाले लोगों के लिए एक आदर्श स्थान है। यमुनोत्री की यात्रा एक अद्भुत अनुभव हो सकता है, जहां आप प्राकृतिक सुंदरता, आध्यात्मिक शांति और रोमांच का अनुभव कर सकते हैं।


भैरव : मेरे हमसफ़र : और यमुनोत्री के प्रथमतः दर्शन : कोलाज : डॉ सुनीता शक्ति * प्रिया 

भैरव मंदिर : हम सभी आगे बढ़ रहे थे। दो दो के समूह में। रास्ते में भैरव मंदिर पड़ा था। दर्शन भी जरुरी ही था। भैरव मंदिर के बाद से एक दो किलोमीटर की चढ़ाई थोड़ी थकान देने वाली थी। जब मन करता किनारे बैठ जाते। सुस्ता लेते फिर आगे बढ़ जाते। 
जब हम एक से डेढ़ किलोमीटर से कम की दूरी पर पीछे थे तो पहली बार लाल पीले रंग में रंगी बहुमंजली इमारत में मंदिर यमुनोत्री के दर्शन हुए। थकान पल भर काफूर हो गयी थी। लगा मंजिल एकदम समीप है। इस स्थान पर बंदरपूंछ की बर्फ से २००० मीटर से अधिक ऊंचाई पर एक शानदार झरना गिरता है। नीचे गहराई में यमुना शोर करते हुए बह रही थी। 
जब हम मंदिर के पास पहुंच गए थे तो दूरी ५०० मीटर की दिखी। हम पास ही थे। तो देखा प्रवेश करने का मार्ग दाहिनी ओर था। 
द्रौपदी कुंड : उठती हुई भाप : एक छोटा सा पुल था। पुल के पास रुक कर हमने बहती हुई यमुना में गर्म झरने से उठती हुई भाप देखा था। सामने सीढ़ियों को चढ़ते हुए हमें द्रौपदी कुंड दिखा यह एक गर्म जल का कुंड है जिसमें स्थानीय के अनुसार चूड़ाकर्म संस्कार होता है।  कहानी यह भी है कि द्रौपदी ने इसमें अपने केश धोये थे।चूड़ाकर्म या मुंडन, हिंदू धर्म में सोलह संस्कारों में से एक है, जिसमें बच्चे के पहले बाल काटे जाते हैं। यह एक महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है, जो बच्चे के जीवन में एक नया अध्याय शुरू होने का प्रतीक है।जब हम यमुनोत्री पहुंचे थे तो यमुनोत्री मंदिर के आस पास गर्म झरने देखें। यह दो गर्म झरनों के करीब है।
सूर्य कुंड :उबलते हुए चावल का प्रसाद : सूर्य कुंड में गर्म उबलता पानी है,इसके आस पास हमने अच्छी खासी भीड़ देखी। पता किया और गौरी कुंड में नहाने के लिए उपयुक्त गुनगुना पानी है। इन दोनों में सबसे महत्वपूर्ण सूर्य कुंड है। कुछ आलू या चावल को कपड़े में बांधकर कुछ मिनटों के लिए कुंड में डुबोया जाता है, जब यह पक जाता है, तो इसे प्रसाद के रूप में घर ले जाया जाता है। एक और पानी का कुंड यमुना बाई कुंड है, जहाँ भक्त मंदिर में जाने से पहले स्नान करते हैं।  
यमुनोत्री मंदिर : निर्माण का इतिहास : यमुनोत्री मंदिर देवी यमुना को समर्पित है। काफ़ी भीड़ थी।  लोगों में आपाधापी मची हुई थी। कह सकते है सु व्यवस्था की कमी थी।  देवी की मूर्ति काले संगमरमर से बनी है। 
यह स्थान प्रसिद्ध बंदरपूंछ चोटी ६३१५ मीटर के पश्चिमी किनारे पर स्थित है।
यमुनोत्री मंदिर के पुजारी जानकी चट्टी के पास खरसाली गाँव से आते हैं। गंगोत्री में १८ वीं सदी का एक मंदिर भी है, जिसे गढ़वाल नरेश प्रताप शाह ने बनवाया था, जिसे १९ वीं सदी में क्षतिग्रस्त कर फिर से पुनर्निर्मित किया गया। मंदिर को दोबारा बनाने से पहले दो बार बर्फ और बाढ़ से नष्ट किया गया था। यह बंदरपूंछ की पृष्ठभूमि में स्थित है। यह मंदिर प्रतिष्ठित चार धाम तीर्थयात्रा सर्किट का हिस्सा है। थर्मल स्प्रिंग्स के पास स्थित यह मंदिर देवी यमुना को समर्पित है। 
इस मंदिर का निर्माण १८३९ में टिहरी नरेश सुदर्शन शाह ने करवाया था। हालाँकि, चूँकि यह स्थान भूकंप के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है, इसलिए मंदिर को कई बार नुकसान पहुँचा है। इसे १९ वीं शताब्दी में जयपुर की महारानी गुलेरिया ने फिर से बनवाया था। उसके बाद भी मंदिर का कई बार जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण किया गया है। मंदिर के अंदर काले पत्थर में उकेरी गई देवी यमुना की मूर्ति है जिसकी मुख्य रूप से पूजा की जाती है। जैसा कि कहानी में बताया गया है, यमुना को धारणा की देवी की पुत्री और यमराज : मृत्यु के देवता की बहन माना जाता है। 
यही कारण है कि इस नदी का हिंदुओं के बीच बहुत महत्व है। प्राचीन कथा के अनुसार, ऋषि असित मुनि का आश्रम यहीं था। अपने पूरे जीवन में, वे प्रतिदिन गंगा और यमुना दोनों में स्नान करते थे। यह भी माना जाता है कि अपने अंतिम दिनों में, जब वे यमुना से गंगा की यात्रा नहीं कर सकते थे, तो गंगा की एक धारा पास में ही निकलती थी ताकि वे अपने अनुष्ठान जारी रख सकें।
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यमुनोत्री : यात्रा : लघु फिल्म : गतांक से आगे : ४ .


निर्माण : डॉ सुनीता  शक्ति प्रिया 
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धारावाहिक संपादन : शक्ति. शालिनी रेनू कंचन बीना 
पृष्ठ सज्जा : शक्ति. सीमा अनुभूति मंजिता
शॉर्ट रील : चयन : संपादन : शक्ति. मीना शबनम नैना

क्रमशः जारी
*
बिहार : दर्शन : पर्यटन : पृष्ठ : ५ 
संपादन : शक्ति : डॉ. भावना स्मिता माधवी वनिता


बिहार पर्यटन दर्शन : सुलभ 
और सुरक्षित  : बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के जरिए : *
चैनल : मुझे भी कुछ कहना है
नालन्दा : विश्व : की : दर्शनीय विरासत
नालन्दा विश्व विद्यालय : वृत्त : चित्र : फिल्म : जानी मेरा नाम विज़ुअल्स : निर्माण : संपादन : स्वर : डॉ. मधुप. नालन्दा विश्व विद्यालय : वृत्त : चित्र देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं   https://www.youtube.com/watch?v=pmmj9d0Bo8E
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नालंदा हड्डी एवं रीढ़ सेंटर : डॉ. अमर दीप नारायण : बिहार शरीफ: समर्थित 
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ये मेरा गीत : जीवन संगीत : कल भी कोई दोहराएगा : पृष्ठ : ६. ------------- सम्पादिका.
डॉ.सुनीता सीमा शक्ति*प्रिया.दार्जलिंग. *
सुहाना सफ़र और ये मौसम हसीन.
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संदर्भित यात्रा शीर्षक गीत.
मेरी पसंद. डॉ सुनीता मधुप शक्ति*प्रिया.दार्जलिंग.
शक्ति समूह सम्पादिका : डॉ.श्वेता हिमानी श्रद्धा नैना.
डॉ.अनीता मीना स्मिता तनु भारती मानसी कंचन रेनू अनुभूति नीलम.
 *
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संदर्भित आज का गीत : जीवन संगीत 
कल भी कोई दोहराएगा
मेरी आपकी पसंद 
फिल्म : इम्तहान.१९७४.  
सितारे : तनूजा.विनोद खन्ना. बिंदु. 
गाना : साथी न कारवां है ये तेरा  इम्तहा है
तू तो चला था सपने ही ले के


गीत : मजरूह सुल्तानपुरी. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारेलाल गायक : किशोर कुमार
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.

फिल्म : थ्री इडियट्स.२००९.  
सितारे : आमिर खान. करीना कपूर.माधवन  
गाना : बहती हवा सा था वो 
उड़ती पतंग सा था वो 
गीत : संगीत : शांतनु मोइत्रा. गायक : शान शांतनु मोइत्रा.



गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.  


फिल्म : राम तेरी गंगा मैली.१९८५.
गाना : लोकेशंस : हर्षिल : गंगोत्री के आस पास. 
सितारें : मंदाकिनी. राजीव कपूर. दिव्या राणा.   
गाना : हुस्न पहाड़ों का क्या कहना कि बारह महीनों यहाँ मौसम जाड़ों का  
झरने तो बहते हैं कसम लें पहाड़ों की जो क़ायम रहते हैं.
गीत : रविंद्र जैन संगीत : रविंद्र जैन गायक : सुरेश वाडेकर.लता मंगेशकर.


गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.  

*
*
फ़िल्म : मन की आँखें. १९७०. 
सितारे : धर्मेंद्र. वहीदा रहमान.
गाना : दिल कहे रुक जा रुक जा 
यहीं पर कहीं जो बात इस जग़ह है कहीं पर नहीं 
गीत : साहिर लुधियानवी संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायक : रफ़ी.
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं  
 

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दिल कहें रुक जा रे यहीं पर कहीं  : फ़िल्मी सफर नामा : कोलाज : पृष्ठ : ७ 
----------
संपादन.
शक्ति*.शालिनी मीना शबनम सीमा स्मिता अनुभूति.
*
ओ री पवन ढूंढ़े किसे तेरा मन चलते चलते : कोलाज डॉ.सुनीता सीमा तनु शक्ति*प्रिया. 
तुममें जो हिम्मत हो जग से मुझे छीन लो : डॉ.सुनीता सीमा तनु शक्ति*प्रिया. 
बहती हवा सा था वो : कहाँ गया उसे ढूंढों  :डॉ.सुनीता सीमा तनु शक्ति*प्रिया. 
फिर मिलोगी इस बात का वादा कर लो : यात्रा कोलाज :  डॉ.सुनीता सीमा तनु शक्ति*प्रिया. 
ए मेरे यार ए हुस्न वाले दिल किया मैंने तेरे हवाले : डॉ.सुनीता सीमा तनु शक्ति*प्रिया. 
झरने तो बहते हैं क़सम ले पहाड़ों का जो क़ायम रहते हैं :डॉ.सुनीता सीमा तनु शक्ति*प्रिया. 
पर्वत के उपर खिड़की खोले झांकें सुन्दर भोर चले पवन सुहानी : डॉ.सुनीता सीमा तनु शक्ति*प्रिया.

श्रीधि क्रिएशन्स : शक्ति : बुटीक : पटना समर्थित प्रायोजित. 

*


रीसेंट डायगनोस्टिक : जाँच घर : बिहार शरीफ : डॉ अखिलेश कुमार : समर्थित  


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दिल कहे रुक जा रुक जा : कला दीर्घा : रंग बरसे : पृष्ठ : ९.
--------
संपादन
शक्ति श्वेता अनुभूति मंजिता हिमानी.
*
राढ़ : सीढ़ी : साढ़ : सन्यासी : इससे बचे तो बसे काशी : कृति : रणजीत : संपादन : शक्ति. श्वेता

ये वादियां ये फिजायें बुला रही हैं तुम्हें : संकलन / संपादन : शक्ति अनुभूति मंजिता हिमानी.

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समाचार : चित्र : विशेष : दृश्य माध्यम : न्यूज़ शॉर्ट रील : पृष्ठ : ११.
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सम्पादिका
शक्ति. डॉ. श्वेता हिमानी मेघा रेनू शब्द मुखर .
नैनीताल / देहरादून डेस्क.
*
शॉर्ट न्यूज़ रील : गोमुख : शक्ति एकता.ग्वालियर.

शॉर्ट रील : साभार : लंढौर बाजार : मसूरी
भटकती आत्माएं : प्रेम कहानियां
स्टेचू ऑफ़ यूनिटी : गुजरात : शॉर्ट रील
शक्ति बीना नवीन जोशी : नैनीताल
मसूरी : धुंध : बारिश : बादल : न्यूज़ रिपोर्ट : डॉ. सुनीता मधुप

*

 डॉ. दीनानाथ वर्मा
: दृष्टि क्लिनिक : बिहार शरीफ. समर्थित 
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दिल कहे रुक जा रे रुक जा : यात्रा : फोटो दीर्घा : पृष्ठ : १२.
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संपादन
शक्ति डॉ.अनीता सीमा शबनम श्रद्धा नैना प्रिया .
उत्तरकाशी डेस्क
झरने तो बहते हैं : मसूरी : कैम्पटी फॉल : थीम फोटो : कोलाज : कृति : शक्ति. विदिशा. 


ये दिल और उनकी निगाहों के साए : मुक्तेश्वर : फोटो : शक्ति डॉ. सुनीता मीना शक्ति * प्रिया   
धुंध : बादल : बारिश : नैनीताल : बोट हाउस क्लब : फोटो कोलाज : शक्ति. विदिशा. 
गंगोत्री : भोजवासा : गोमुख : फोटो : कोलाज : डॉ. सुनीता एकता शक्ति *प्रिया.उत्तरकाशी.डेस्क.  
बरखा रानी ज़रा जम के बरसो : नैनीताल : फोटो : फैजान : संपादन : शक्ति.भारती

एलोरा का कैलाश मंदिर,स्थापत्य प्रतिभा :अध्यात्मवाद दोनों का समागम : शक्ति. संगीता राजीव
--------- तुम्हारे लिए : शुभकामनाएं : दिल जो न कह सका : शॉर्ट रील : पृष्ठ : १३. -------------
डॉ. सुनीता शक्ति* प्रिया अनुभूति दार्जलिंग डेस्क. *
दिन विशेष : १ जून
*
एम. एस. मीडिया. समर्थित
*
*
अंतर्राष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस की शुभकामनाएं.




*
अंतर्राष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस की शुभकामनाएं
*
* किवा गैस्ट्रो सेंटर : पटना : बिहारशरीफ : डॉ.वैभव राज : लीवर. पेट. आंत. रोग विशेषज्ञ समर्थित.
*
-------- तुम्हारे लिए. शुभकामनाएं :पृष्ठ : १३. --------
दिन विशेष : शुभकामनाएं :
*
टाइम्स मीडिया समर्थित.
*

* जन्म दिवस : २ जून : मूलांक : २.

*
शक्ति.सीमा. सम्पादिका. महालक्ष्मी डेस्क.
कोलकोता.
एम. एस. मीडिया ब्लॉग मैगज़ीन.

के लिए ' हम ' मीडिया ' देव ' शक्ति परिवार की तरफ़ से. हार्दिक अनंत, शिव - शक्ति शुभकामनाएं : *
*
ए एंड एम मीडिया समर्थित


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दिल ने फिर याद किया : शॉर्ट रील : पृष्ठ : १३.
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सम्पादिका.
यमुनोत्री गंगोत्री डेस्क.उत्तरकाशी.
*


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शक्ति. मीना शबनम नैना श्रद्धा .
मसूरी

लोग बुरे नहीं : बाबू मोशाय
आप हद से ज्यादा अच्छे हो

जिंदगी के सफ़र में गुजर जाते है जो मकां


शॉर्ट रील : साभार : ख़ुशी : देहरादून.


जब तुम मुझे अपना कहते हो 
अपने पे गुरुर आ जाता है 


शॉर्ट रील : मोहब्बत जो करते है मोहब्बत जताते नहीं 
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परायी हूँ परायी मेरी आरजू न कर


शॉर्ट रील : ख़ुशी : वो है ज़रा ख़फ़ा ख़फ़ा.

अभिनय : गायन : शक्ति श्रद्धा.

साभार : शॉर्ट रील : आस तुझसे मिलने की ( गढ़वाली )

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Short Reel : News : Special : English : Page : 4.
Shakti Photo Gallery : English : Page : 5.
You Said It : Days Special : English : Page : 6.

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Shakti : Prof. Dr. Bhwana
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Travelogue : Photo Gallery : English : Page : 5
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Darjeeling Desk

 Rishikesh today : the Yoga Capital of the world in and around the clouds : Samridhi
Kempty Falls Mussoorie known for its breathtaking falls lush surroundings : Dr.Sunita Priya

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Travelogue : News : Clip Gallery : Page : 6
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Editing : Dr. Bhawana Seema Shakti Priya
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Rishikesh : Clouds Around News Clipping


Reporting : English : Samridhi  : New Delhi.

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  1. It is a very nice page written and composed by Dr.Raman,Sir.
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