Hindi : Mathe Ki Bindi


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Hindi : Mathe Ki Bindi.
कृण्वन्तो विश्वमार्यम. 
In association with.
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Hindi : Mathe Ki Bindi.
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आवरण पृष्ठ. ० 
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प्रस्तुति : त्रिशक्ति. 

फोर स्क्वायर होटल : रांची : समर्थित :आवरण पृष्ठ : विषय सूची :मार्स मिडिया ऐड : नई दिल्ली.

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पत्रिका / अनुभाग.
ब्लॉग मैगज़ीन पेज.
हिंदी.

विषय सूची.
आवरण पृष्ठ : ०.
विषय सूची : पृष्ठ :०.
शक्ति विचार धारा : पृष्ठ : १.
सम्पादकीय : पृष्ठ : २.
सम्पादकीय : शक्ति गद्य संग्रहआलेख : तारे जमीन पर : पृष्ठ ::३.
सम्पादकीय : शक्ति पद्य संग्रह आलेख : आकाश दीप : पृष्ठ :४.
हिंदी माथे की बिंदी : शक्ति फोटो दीर्घा : पृष्ठ :५.
 हिंदी माथे की बिंदी : शक्ति कला दीर्घा : पृष्ठ ६.
हिंदी माथे की बिंदी : शक्ति :समाचार दृश्यम : पृष्ठ :७.
हिंदी माथे की बिंदी : शक्ति : लघु फिल्में : दृश्यम : पृष्ठ :८.
आपने कहा : दिन विशेष : पृष्ठ :९.

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हम सभी ' देव शक्ति ' मीडिया परिवार की
तरफ़ से १४ सितम्बर हिंदी दिवस के उपलक्ष्य पर
अनंत शिव शक्ति शुभकामनायें
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सम्पादकीय : शक्ति : प्रस्तुति. पृष्ठ : २.
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संपादन
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*.
शक्ति शालिनी रेनू नीलम.
जयपुर डेस्क
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शक्ति : पूजा  आर्य डॉ राजीव रंजन : शिशु रोग विशेषज्ञ .भैंसासुर रांची रोड. बिहार शरीफ.समर्थित
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सम्पादकीय : शक्ति. गद्य संग्रहआलेख : तारे जमीन पर : पृष्ठ :३.
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संपादन.
शक्ति.रीता क्षमा प्रीति

शक्ति. समूह आलेख : ०

शक्ति शालिनी रेनू ' शब्दमुखर '

जिसे कमजोर माना जाता है अक्सर उसी का दिवस भी मनाया जाता है। उदाहरणतया: हिंदी दिवस, बालिका दिवस, अंतरराष्ट्रीय नारी दिवस, मजदूर दिवस, बेटी दिवस इत्यादि।
शक्ति व सामर्थ्य से परिपूर्ण माने जाने वाले लोगों को कोई दिवस नही मनाया जाता। क्या पुरुष दिवस, बेटा दिवस, अमीर दिवस, अंग्रेजी दिवस मनाया जाता है? नही ना ! यही तो विडम्बना है; जिन कमजोर वर्ग के लिए 365 दिन कार्य होना चाहिए, उन्हें एक ही दिन उत्सव मनाकर निपटा दिया जाता है। यूँ कहिए कि यह उनके लिए किसी सांत्वना पुरस्कार से कम नही, जिसकी प्रतीक्षा वो ३६४ दिन बड़ी बेसब्री से करते हैं। शालिनी राय.
हिंदी मेरी साँसों की लय है, मेरे शब्दों की पहचान है, मेरे अस्तित्व की धड़कन है, और मेरी आत्मा का सम्मान है। २७ वर्षों से जब-जब मैंने कलम उठाई, हिंदी ने ही मुझे अभिव्यक्ति दी, कभी आंसुओं को शब्द बना दिया, तो कभी हृदय की वेदना को गीत। हिंदी ने ही सिखाया- कैसे सरलता में गहराई होती है,कैसे मिट्टी से जुड़कर आकाश छूते हैं। आज हिंदी दिवस पर, मैं हृदय से यही कामना करती हूँ- हम सब अपने हर संवाद, हर लेखनी, हर विचार में हिंदी की आत्मा को जिंदा रखें। क्योंकि हिंदी केवल भाषा नहीं, यह हमारी जड़ों की शक्ति और हमारे भविष्य की रोशनी है। आप सभी को हिंदी दिवस की हार्दिक
रेनू ' शब्दमुखर '





शक्ति. आलेख : १

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शक्ति. रेनू शब्दमुखर
जयपुर 
प्रधान सम्पादिका : एम एस मीडिया ब्लॉग मैगज़ीन 

लघु कथा : हिंदी है हम 
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कालेज के प्रांगण में चहल-पहल थी। दोस्तों के बीच बहस छिड़ी आजकल तो अंग्रेजी ही सब कुछ है,हिंदी में बात करोगे तो लोग हंसेंगे, अजय ने ठहाका लगाया।
रवि भी मुस्कुराया, ' सही कह रहे हो, हिंदी में तो कोई फ्यूचर नहीं। '
उसी शाम रवि अपने गांव पहुंचा। उसकी दादी गंभीर रूप से अस्वस्थ थीं। डॉक्टर ने दवा की पर्ची दी, पूरा विवरण अंग्रेजी में। दादी ने कांपते हाथों से पर्ची रवि को थमाते हुए पूछा, ' बेटा, ये दवा कब लेनी है? '
रवि चुप रह गया। उसे पर्ची समझने में दिक्कत हो रही थी। अंग्रेजी जानने का गर्व उस क्षण बेमानी हो गया।
दादी ने धीमे स्वर में कहा, ' बेटा, अंग्रेजी जरूरी है, पर अपनी भाषा से रिश्ता मत तोड़ना। पेड़ अगर जड़ों से कट जाए तो कितना भी हरा-भरा क्यों न हो, सूखने में देर नहीं लगती।'
रवि की आंखों में आत्मग्लानि उतर आई। उसी रात उसने सोशल मीडिया पर लिखा -
'हिंदी दिवस पर संकल्प लें कि हम अपनी भाषा का मान बढ़ाएंगे। यह सिर्फ भाषा नहीं, हमारी पहचान है। अगले दिन कॉलेज में रवि मंच पर हिंदी कविता पढ़ रहा था- ' हिंदी छोड़ोगे, तो खुद को छोड़ दोगे। '
तालियों की गूंज ने उसे एहसास दिलाया भाषा का कर्ज आज से चुकाना शुरू हुआ है।
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स्तंभ संपादन : शक्ति. रीता प्रीति क्षमा 
पृष्ठ सज्जा : शक्ति. मंजिता सीमा स्वाति.  


शक्ति आलेख : २


' हिंदी है हम वतन है हिंदुस्तां हमारा '

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कवि.लेखक  : मुकेश ठाकुर. 
शक्ति : पल्लवी. 

हिंदी सिर्फ भाषा नहीं ज्ञान है, विज्ञान है, समझ है, संस्कार है :  भावों का निर्झर झरना है, जो अविरल बहता रहता है। असीमित शब्दों का गुलदस्ता है, जो विभिन्न भारतीय भाषाओं के शब्दों को स्वयं में समेटे हुए है। हम कह सकते हैं कि हिंदी अथाह सागर है, जिसमें सारी भाषाओं के शब्द मिलकर एक हो जाते हैं। हमारे हृदयगत  सारे भाव हिंदी भाषा में शब्दबद्ध हो  जीवंत और सार्थक हो जाते हैं।
आज हिंदी दिवस है। हम सभी हिंदी प्रेमियों के लिए स्वर्णिम दिन। जिस प्रकार बच्चों का लगाव अपनी मॉं से होता है उसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति का लगाव अपनी मातृभाषा हिंदी से है। हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जो संपूर्ण राष्ट्र को एक स्नेह सूत्र में बॉंधती है। अपना वतन, अपना चमन, अपनी धरती, अपनी भाषा की बात ही निराली है। वस्तुत: हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जो ' निज भाषा' कहलाने के सर्वथा  उपयुक्त है।
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल.... आधुनिक हिंदी के जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र की इन पंक्तियों को अक्षरशः  चरितार्थ करते हुए हम सभी हिंदी प्रेमी जन हिंदी के गौरवशाली इतिहास का सिंहावलोकन अवश्य करें।
हिंदी का इतिहास वस्तुतः वैदिक काल से प्रारंभ होता है। उससे पहले इस आर्य भाषा का स्वरूप क्या था, यह सब कल्पना का विषय बना हुआ है , कोई लिखित प्रमाण नहीं मिलता। वैदिक भाषा ही प्राचीनतम हिंदी है। इस भाषा का यह दुर्भाग्य है कि युग - युग से इसका नाम परिवर्तित होता रहा है। कभी वैदिक, कभी संस्कृत , कभी प्राकृत, कभी अपभ्रंश और अब हिंदी। लोगों ने उनके परिवर्तित रूप के प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक रूप तो बताए किंतु उनका नाम नहीं बदला। वैदिक और संस्कृत हिंदी के प्राचीन रूप है, पाली , प्राकृत और अपभ्रंश उसके मध्यकालीन रूप और हिंदी उन्हीं सबका वर्तमान रूप है।
हिंद' नाम भी वस्तुत: सिंधु का प्रतिरूप है :  हिंदी का नामकरण भी बड़ा विचित्र है। हम सभी जानते हैं कि संस्कृति के विकास से ही भाषा विकसित होती है और संस्कृति के ह्रास से भाषा का भी ह्रास हो जाता है। हिंदी संस्कृत की उत्तराधिकारिणी है। हिंदी की वर्णमाला भी वही है जो संस्कृत की है। उच्चारण भी वही है जो संस्कृत का है। हिंदी देवनागरी लिपि में लिखी जाती है जो ब्राह्मी का विकसित रूप है। प्रायः सभी भाषा शास्त्रियों ने हिंदी नाम का संबंध मूलतः संस्कृत शब्द ' सिंधु ' से माना है। यह शब्द नदी विशेष का वाचक था। हमारे देश का 'हिंद' नाम भी वस्तुत: सिंधु का प्रतिरूप है।
हिंदी साहित्य की सभी विधाओं का अभिकेंद्र : आज सांस्कृतिक दृष्टि से हिंदी भारत की किसी आधुनिक भाषा से कम नहीं है। हिंदी साहित्य इतना अधिक समृद्ध हो चुका है कि विश्व स्तर पर इसकी गणना समुन्नत साहित्य में की जाती है। साहित्य की सभी विधाओं-  काव्य, नाटक, एकांकी, उपन्यास , कहानी, रेखाचित्र, रिपोर्ताज, निबंध, आलोचना आदि के प्रकाशन की शक्ति हिंदी में है । वस्तुतः हिंदी जीवित भाषा है। जब किसी भाषा को समस्त राष्ट्र की भाषा मान लिया जाता है तब यह राष्ट्रभाषा कहलाती है । इसी प्रकार जब कोई भाषा समग्र रूप से संपूर्ण राष्ट्र के विचार - विनिमय का माध्यम बन जाती है तो वह राष्ट्रभाषा के पद को प्राप्त होती है। हिंदी भारत भूमि से उत्पन्न भारत की राष्ट्रभाषा है क्योंकि यह संपूर्ण राष्ट्र के विचार-  विनिमय  का माध्यम है।
आइए, हम सभी इस दृढ़ संकल्प के साथ हिंदी दिवस मनाऍं कि आने वाले भविष्य में हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में सांवैधानिक मान्यता दिलवाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे.....
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स्तंभ संपादन : शक्ति. रीता प्रीति क्षमा 
पृष्ठ सज्जा : शक्ति. मंजिता सीमा स्वाति  

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* लीवर. पेट. आंत. रोग विशेषज्ञ. शक्ति. डॉ.कृतिका. आर्य. डॉ.वैभव राज :किवा गैस्ट्रो सेंटर : पटना : बिहारशरीफ : समर्थित.
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सम्पादकीय : शक्ति पद्य संग्रह आलेख : आकाश दीप : पृष्ठ :४
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संपादन
शक्ति. शालिनी रेनू मीना.
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एम एस मीडिया शक्ति : प्रस्तुति
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भाविकाएँ.१
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शक्ति. शालिनी.
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हिंदी आज पुकारती...
शक्ति भारती... कैसे उतारूँ तेरी आरती


फोटो : शक्ति : भारती : हंस वाहिनी.
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ढूंढ रही अस्तित्व देश में,
हिंदी आज पुकारती...
शक्ति भारती... कैसे उतारूँ तेरी आरती

कोई कहे मैं सुता तुम्हारी,
माथे की तेरे बिंदी हूँ।
अंग्रेजी परदेश से आकर,
कहती सदा मैं चिंदी हूँ।
चीख-पुकार सुने ना कोई.
अंग्रेजी ललकारती...
शक्ति भारती... कैसे उतारूँ तेरी आरती

देवनागरी लिपि से निकली,
सभी विधा को तृप्त किया,
साहित्य जगत में हुई श्रेष्ठ मैं,
भारत माँ को दृप्त किया।
हिंदी दिवस पर मान के ख़ातिर,
हिंदी रही चिग्घाड़ती...
शक्ति भारती... कैसे उतारूँ तेरी आरती

सभी लगे हैं मुझे बचाने,
तेरे सुत जो प्यारे हैं।
हिंदी के संवर्धन ख़ातिर,
तन-मन-धन सब वारे हैं।
वीरांगना बन आई शालिनी.
सौम्य, स्वभाव जो धारती...
शक्ति भारती... कैसे उतारूँ तेरी आरती

शक्ति शालिनी
कवयित्री: प्रधान सम्पादिका
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प्रथम मिडिया शक्ति प्रस्तुति
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भाविकाएँ : २
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हिंदी
मत समझ लेना बिंदी चिन्दी
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मान सम्मान की तुम्हारी शक्ति 
भाल दिव्य पर सजी मैं बिंदी
रच बस लूँ तेरे सुन्दर भावों में 
मन की भाषा मैं प्यारी तेरी हिंदी
तुम्हारे लिए नई नवेली जैसी
कर अपना सोलह शृंगार
सबकी की प्यारी मनभावन रचना
कहानी कविता स्वप्निल संसार
कुमकुमऔर माथे की बिंदी
, ऐसी वैसी मत समझ लेना बिंदी चिन्दी

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शक्ति. प्रिया डॉ. मधुप सुनीता. 
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सज्जा : सीमा अनुभूति तनु 
*
आपने कहा : दिन विशेष : पृष्ठ :९.



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Comments

  1. Shree Ganeshay Namah
    Keep moving on : my wishes to the editorial team
    Shakti Suman. Chandigarh

    ReplyDelete
  2. Shakti Shalini : Shakti Chief Editor : Thanks a lot. Really it's so beautiful ❤️

    ReplyDelete

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