Shakti Vijaya : Navratri : Dashmi

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  Shakti Project.
Shakti Vijaya : Navratri : Dashmi.
कृण्वन्तो विश्वमार्यम. 
In association with.
A & M Media.
Pratham Media.
Times Media.
Presentation.
Blog Address : msmedia4you.blogspot.com
email : m.s.media.presentation@ gmail.com.
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 Theme Address.
*
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आवरण पृष्ठ.

शक्ति विजया : शक्ति रूपेन संस्थिता : शक्ति कोलाज :
नैना. डॉ.सुनीता शक्ति प्रिया.

फोर स्क्वायर होटल : रांची : समर्थित :आवरण पृष्ठ :विषय सूची : मार्स मिडिया ऐड : नई दिल्ली.

*
पत्रिका.
अनुभाग.ब्लॉग मैगज़ीन पेज.
हिंदी.

विषय सूची.
विषय सूची : पृष्ठ :०.

कृष्ण दर्शन. संभवामि युगे युगे.प्रारब्ध : विषय सूची : पृष्ठ :०.
सम्पादित. डॉ. सुनीता सीमा शक्ति * प्रिया.
आवरण पृष्ठ :०.
हार्दिक आभार प्रदर्शन : पृष्ठ : ०
कृष्ण दर्शन. संभवामि युगे युगे : प्रारब्ध : पृष्ठ : ०.
कृष्ण दर्शन. संभवामि युगे युगे : प्रारब्ध : शक्ति लिंक : पृष्ठ : ०.
राधिकाकृष्ण : महाशक्ति : इस्कॉन डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / १.
रुक्मिणीकृष्ण : महाशक्ति : दर्शन दृश्यम : विचार डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / २ .
मीराकृष्ण : महाशक्ति डेस्क : मुक्तेश्वर : नैनीताल. पृष्ठ : ० / ३.
त्रिशक्ति जीवन दर्शन विचार धारा : पृष्ठ : १.
त्रिशक्ति जीवन दर्शन विचार धारा लिंक : पृष्ठ : १.
त्रि - शक्ति : दर्शन. पृष्ठ : १ / ०.
त्रिशक्ति : विचार : दृश्यम : पृष्ठ : १ / ० .
त्रिशक्ति : लक्ष्मी डेस्क : सम्यक दृष्टि : कोलकोता : पृष्ठ : १ / १.
त्रिशक्ति : शक्ति डेस्क : सम्यक वाणी : नैनीताल : पृष्ठ : १ / २.
त्रिशक्ति : सरस्वती डेस्क :सम्यक कर्म : जब्बलपुर : पृष्ठ : १ / ३.
महाशक्ति : जीवन विचार धारा : पृष्ठ : १ / ४.
नव जीवन विचार धारा : पृष्ठ : १ / ५.
सम्पादकीय : पृष्ठ : २.
सम्पादकीय शक्ति लिंक : पृष्ठ : २ / ०.
आकाश दीप : पद्य संग्रह : सम्पादकीय : प्रस्तुति : पृष्ठ : ३.
तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : शक्ति : सम्पादकीय : प्रस्तुति. पृष्ठ :४.
 विशेषांक : आलेख : धारावाहिक आलेख : पृष्ठ : ५. 
ये मेरा गीत : जीवन संगीत : कल भी कोई दोहराएगा : पृष्ठ : ६.
शक्ति विजया : फ़िल्मी कोलाज : पृष्ठ : ७.
शक्ति विजया : कला दीर्घा : रंग बरसे : पृष्ठ : ९.
समाचार : चित्र : विशेष : दृश्य माध्यम : न्यूज़ शॉर्ट रील : पृष्ठ : ११.
शक्ति विजया : फोटो दीर्घा : पृष्ठ : १२.
चलते चलते : शुभकामनाएं : दिल जो न कह सका : पृष्ठ : १३.
आपने कहा : मुझे भी कुछ कहना है : पृष्ठ : १४.

हार्दिक आभार प्रदर्शन : पृष्ठ : ०
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हार्दिक आभार प्रदर्शन : पृष्ठ : ०
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संयोजन. शिमला.डेस्क. नैनीताल डेस्क. इन्द्रप्रस्थ डेस्क.
पाटलिपुत्र डेस्क.
*
शक्ति.शालिनी.स्मिता.वनिता. शवनम .
संयोजिका / मीडिया हाउस ,हम मीडिया परिवार की तरफ़ से आपके लिए धन्यवाद ज्ञापन ⭐ पत्रिका के निर्माण / संरक्षण के लिए हार्दिक आभार.
*

*
शक्ति.डॉ. ममता
सह
आर्य. डॉ. सुनील कुमार. शिशु रोग विशेषज्ञ
निदेशक. ममता हॉस्पिटल. बिहार शरीफ़.
समर्थित
*
supporting with

राधिका : कृष्ण : रुक्मिणी : सदा सहायते 
*
स्वर्णिका ज्वेलर्स : निदेशिका.शक्ति तनु रजत.सोहसराय.बिहार शरीफ.समर्थित.
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 राधिका कृष्ण रुक्मिणी  मीरा : दर्शन : पृष्ठ : ०.
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 नैनीताल डेस्क. मुक्तेश्वर.
*
संपादन.
 शक्ति* नैना.डॉ.सुनीता मीना प्रिया. 
*
संघर्ष : हार : कारण 
*
जैसे ही आप हार मानने की सोचें,
उस कारण को याद कर लें जिसकी
वजह से आप अभी तक डटे हुए थे
*

राधिका : कृष्ण : रुक्मिणी : मीरा : दर्शन : लिंक : पृष्ठ : ०. 
अद्यतन देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवायें. 

*
महाशक्ति .मीडिया.शक्ति. 
प्रस्तुति. 

*
शक्ति विजया विचार पृष्ठ : ०/१ . 
*
मुन्ना लाल महेश लाल आर्य एंड संस ज्वेलर्स समर्थित
*


*
शक्ति : विचार धारा : शब्द चित्र : पृष्ठ :० 

*

*
महाशक्ति. नैना देवी डेस्क. 
नैनीताल. प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६. 
संस्थापना वर्ष : १९९८. महीना : जुलाई. दिवस : ४.
*
सम्पादित. 
शक्ति नैना डॉ..सुनीता शक्ति* प्रिया.

*
एम.एस.मीडिया.शक्ति. 
प्रस्तुति. 

*
ये जीवन है इस जीवन का :


फोटो : शिव शक्ति : डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया 

*
दोस्ती : दुश्मनी

मैत्री दुश्मनी  का हिसाब तो आपस में बाद भी  कर लेंगे 
पहले आप और हम साबित तो कर लें ..
 कि हम इंसान  हैं ..पहले 

*
*                                                            कृष्ण :कर्म :आस्था                                                               *
किसने कहा आदमी अच्छा था....
यह सुनने के लिए मरना पडता है ?..... 
जी नहीं....' दुर्जनों  ' से दूरी..... सोना ' सज्जन  ' साधु ' जन  ' के लिए 
सम्यक, ' साथ ', ' सोच ' और ' कर्म  ' कभी भी न बदलें 
विश्वास रखें ' आप  ' सब के ' हृदय  ' में बसेंगे
 *
शक्ति प्रिया.©️®️ डॉ.सुनीता 
*
शांति : अंतर्मन 
*
जीवन में अगर खुश रहना है तो स्वयं को वह ' शांत ' सरोवर बनाएं,
जिसमें कोई ' अंगार ' भी फेंके तो, खुद ब खुद बुझ जाए.
*
नीति नीयत और ईश्वर
*

आस्था ' भगवान ' और श्रद्धा
*
श्रद्धा यह नहीं होती कि भगवान कर सकते हैं
श्रद्धा यह होती है कि भगवान ही करेंगे
*
समय ' साथ ' और भावना 
*
महत्व ' समय ' का नहीं मन की  ' भावना ' का होता है
कोई मिनटों में दिल जीत लेता है
कोई ' जिंदगी ' भर ' साथ ' रहकर भी नही.
*
का बरसा जब कृषि सुखाने
*
  फ़ना होने के बाद की गई तारीफ 
और जाने दिल दुखाने के बाद, मांगी गई माफी की  
कोई अहमियत नहीं होती  है, जनाब 
*
कहाँ ढूंढ़े रे बन्दे : मैं तो तेरे पास में

आत्म शुद्धि व्रत उपवासों में नहीं
भगवान मंदिर गुरूद्वारे मस्जिद में नहीं
मन, वचन ( वाणी ) और कर्म से मिलते हैं
इसे परिमार्जित रखें

जिंदगी जमीन ज़मीर 
*
जीने  के लिए अपनी ' मिट्टी ', ' हवा ' ,' जमीन ' अपने लोग, ज़मीर ही चाहिए   
बरना संगमरमर के तराशे महलों में जी नहीं लगता अपना 

*
गुजरा हुआ जमाना आता नहीं दुबारा 
*
खोई हुई चीज अक्सर सुंदर लगती हैं
जैसे वक्त, बचपन और जवानी 
*
साथ  मार्गदर्शन और अंधेरे.
*
' साथ ' और ' मार्गदर्शन ' अगर सही हो,
तो छोटे से ' दिए ' का ' प्रकाश ' भी
अँधेरे में ' सूरज ' का काम कर जाता है

समय और शिक्षक. 

*
' समय ' और ' शिक्षक ' दोनों ही सिखाते है 
अंतर इतना ही है शिक्षक सिखाकर ' इम्तिहान ' लेते  हैं 
तो समय ' इम्तिहान ' लेकर सिखाता है

*

' परेशान ' अनदेखा  हैरान 
*
जानते हुए ना किसी को ' परेशान ' कीजिए,
ना किसी को ' हैरान ' कीजिए,
कोई लाख ' गलत ' भी बोले वहां से हटिए 
बस मुस्कुरा कर ' अनदेखा ' कर दीजिए

*
इंतजार : फिक्र : मेरे अपने  
*

फोटो : साभार : शक्ति अनु 
*
इंतजार सिर्फ मेरे अपनों का ही करना है ,
जिन्हें आपकी फ़िक्र है और जो आपके हर एक लम्हें की कीमत पता हो

*
यह संसार कागज़ की पुड़िया,
बूँद पड़े घुल जाना है

*
 ' महाश्मशान ' काशी में आकर देखा तो यहां 
उन रसूख वालों की राख भी बिखरी पड़ी थी 
जो कभी कहा करते थे, हमारे बिना तो पत्ता भी नहीं हिलता है
*
फिसलता वही है जो चलता है

*
गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में,
वो तिफ़्ल ( बच्चा ) क्या गिरे जो घुटनों के बल चले।

*
कौन है धनवान : लक्ष्मी नारायण 

*
' धनवान ' वो नही होता, जिसकी तिजोरी हीरे जेवरात 
से भरी हो , बल्कि असल में धनवान तो वो होता है, जो अपने भीतर 
सम्यक ' साथ ', ' कर्म ' और वाणी रखता है 
जिसकी जिंदगी में, खूबसूरत,भावुक,संवेदनशील,सदैव   
रिश्तें निभाने वालों  की कमी नही होती है ... !

*
टाइम्स मीडिया.शक्ति. प्रस्तुति : पृष्ठ :० / २  
*

*

महालक्ष्मी डेस्क. कोलकोता.
*
कोलकोता डेस्क.
प्रादुर्भाव वर्ष १९७९.
संस्थापना वर्ष : १९९९.महीना : जून. दिवस :२.
सम्पादित.
शक्ति नैना @  डॉ.सुनीता सीमा प्रिया.



संदर्भित फोटो : साभार  शक्ति डॉ. अनु 

*
जय हो 
*
 ' जिंदगी ' और ' जंग ' ' हथियारों ' से नहीं 
' समझ ' और ' हौसलों ' से जीती जाती है, प्रिय  

*
प्रथम मिडिया शक्ति.प्रस्तुति : पृष्ठ : ० / ३ 
*
 

महासरस्वती.नर्मदा  डेस्क. 
प्रादुर्भाव वर्ष : १९८२.
संस्थापना वर्ष : १९८९. महीना : सितम्बर. दिवस : ९.
*
संपादन
शक्ति.नैना @ डॉ.अनीता श्रद्धा प्रिया.
*
इस जीवन का यही है
*
*
शक्ति : फोटो :साभार. 
*
रिश्ते : अहंकार : क्रोध
*
प्रत्येक के जीवन में
*
' अहंकार ' व ' क्रोध ' एक ऐसा ' मेहमान ' है जो आता तो ' अकेला ' अकस्मात है लेकिन जाते जाते ' समझ ' और सब ' रिश्ते ' साथ ले जाता है
विचार करें
*
ए एंड एम मीडिया शक्ति प्रस्तुति 
*

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नवशक्ति : शब्द चित्र विचार : पृष्ठ : ०४
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*
 शक्ति रूपेण संस्थिता  
*
श्यामली : डेस्क : शिमला.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९९९. 
संस्थापना वर्ष : २०००. महीना : जनवरी. दिवस :५ 
*
सम्पादन
शक्ति शालिनी रेनू अनुभूति नीलम


जीवन शिक्षण.
नवशक्ति नव जीवन विचार
*

*
फोटो :
शक्ति मीना नैनीताल  
*
' डर '  ' हौसला 'और  ' प्रेरणा '
*
' डर ' अगर दिल में है ' हौसला ' भी वहीं कहीं छिपा है 
फ़र्क बस इतना है कि 
' विजेता ' डर को ' कमज़ोरी ' नहीं , ' प्रेरणा ' बना लेते हैं 
 

तुम्हारे ' हिस्से ' में अगर कठिन  ' संघर्ष ' है 
तो तुम्हारे हिस्से में ' जीत ' भी ' सुनिश्चित ' ही होगी 


*
ममता हॉस्पिटल बिहार शरीफ : शक्ति डॉ.ममता आर्य डॉ.सुनील कुमार : समर्थित 
*
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सम्पादकीय : पृष्ठ : २.
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संरक्षण शक्ति
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शक्ति. रश्मि श्रीवास्तवा.भा.पु.से. शक्ति. अपूर्वा.भा.प्र.से.
शक्ति.साक्षी कुमारी.भा.पु.से.
शक्ति.जसिका सिंह. अधिवक्ता.उच्च न्यायलय प्रयाग राज
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संपादकीय शक्ति समूह.
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प्रधान शक्ति संपादिका.


*
शक्ति : शालिनी रेनू नीलम 'अनुभूति '
नव शक्ति.श्यामली डेस्क.शिमला.
संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना :जनवरी. दिवस :५.


शक्ति. कार्यकारी सम्पादिका.


*
शक्ति. डॉ.सुनीता शक्ति* प्रिया.
नैना देवी.नैनीताल डेस्क.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०.
संस्थापना वर्ष : १९९६. महीना : जनवरी : दिवस : ६.

सहायक.कार्यकारी.
शक्ति.संपादिका.

*
शक्ति.डॉ.अर्चना सीमा वाणी अनीता.
कोलकोता डेस्क.
प्रादुर्भाव वर्ष.१९७९.
संस्थापना वर्ष : १९९९.महीना : जून. दिवस :२.
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कला : सम्पादिका. 
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शक्ति. मंजिता सोनी स्मिता शबनम.
*
दृश्यम :फोटो 
सम्पादिका 
*

शक्ति. डॉ.अनु मीना नैना श्रद्धा
नैनीताल डेस्क.
*

शक्ति:आर्य अतुल : मुन्नालाल महेश लाल आर्य एंड संस ज्वेलर्स.रांची रोड बिहार शरीफ.समर्थित.
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आकाश दीप : आत्म शक्ति : पद्य संग्रह : सम्पादकीय : प्रस्तुति : पृष्ठ : ३.
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संपादन.
*
संपादन
शिमला डेस्क.


शक्ति. रेनू अनुभूति शालिनी मानसी.
*
भाविकाएँ
-------------
गांधी होना आसान नहीं होता. 

 
किसी की जान ले लेना,
 किसी समस्या का समाधान नहीं होता।
 किसी को  मांरने के पहले ,
अपनी आत्मा को मारना पड़ता है ।
जो खुद विचारों की मौत मरा हो,
 किसी और को क्या दे पाता है ?
लड़नी होती है जंग विचारों की,
 सामने से हो रहे वारों की ,
और यह सब कुछ जानना,
 इतना आसान नहीं होता।
 गांधी बनना आसान नहीं होता  ।। १ 
हर सिक्के के पहलू दो होते हैं ,
किसी एक को देखकर,
 पूरी कहानी का अंदाजा लगाना,
 बुद्धिमानों का काम नहीं होता ,
क्या खोया क्या पाया हमने ,
वक्त  सब सामने लाता जाता है ,
कर गुजरने के बाद जब होश आता है,
 तब क्या खोया हमने,
 इंसान समझ पाता है।
 सच को पहचानना आसान नहीं होता ।
गांधी बनना आसान नहीं होता  ।। २ 
उम्मीदों की कश्ती ,
जब डूब रही होती है।
 इंसान खुद में ही डूबता-उतराता होता है ,
लड़ रहा होता है,
 अपने  विचारों की लड़ाई,
 सामने वाले को फिर,
 वह कुछ समझा नहीं पाता है। 
विचारों की बोई फसल ,
जब पक कर तैयार हो जाती है,
 पता चलता है तब उसको,
 फसल में नई बीज के भी दानें हैं, 
सोचता है इंसान तब शिद्दत से,
 बोया था मैंने  तो बीज गेहूं का,
चना फिर कैसे उग आया है?
प्रकृति की तरह इंसान का भी,
मस्तिष्क बहुत ही उर्वर है,
विचारों की खेती में 
नित नए फूल खिलते हैं,
पर उन्हीं फूलों के बीच,
कब शूल पनप आता है?
समझ पाता है इंसान जब तक,
तूफ़ान आ के लौट भी जाता है।
फैसला कर पाना आसान नहीं होता,
गांधी बनना आसान नहीं होता ।।३ 
*
*
शक्ति. नीलम पांडेय.वाराणसी 
लेखिका कवयित्री 
प्रधान सम्पादिका.
*
पृष्ठ सज्जा : शक्ति प्रिया सीमा मंजिता अनुभूति
*
जब भी ये दिल उदास होता है 
*

*
फोटो : डॉ. सुनीता मधुप 
स्थान : शिमला 

*
कुछ आघात…
इतने गहरे होते हैं,
कि समय की मरहम भी
उन पर असर नहीं कर पाती.
शब्दों का प्रहार
अक्सर तलवार से भी तीखा होता है;
भीड़ में कही गई कठोर बातें
एकांत में हज़ार बार
प्रतिध्वनित हो उठती हैं.
मन भले ही
सामान्य दिखने लगे,
पर हृदय के किसी एकांत कोने में
वह पीड़ा चुपचाप ठहर जाती है,
जैसे मौन का कोई
अनचाहा साथी…

*
शक्ति. रेनू शब्द मुखर
पृष्ठ सज्जा : शक्ति प्रिया सीमा मंजिता अनुभूति

*
आकाश दीप : पद्य संग्रह : सम्पादकीय : प्रस्तुति : पृष्ठ : ३.
*
ग़ज़ल.


शक्ति : फोटो

बहारें जब भी आर्ती खिज़ा के बाद आती हैं,

हवाओं की तबाही को सभी चुपचाप सहते हैं,
चिरागों से हुई गलती तो सारे लोग कहते हैं।

बहुत आसां तो लगता है किसी को चोट पहुंचाना
मगर उसको खुशी देने में लम्बे अरसे लगते हैं।

बहारों की नंजर में फूल कांटे तो बराबर हैं
मुहब्बात क्या करेंगे दोस्त जो दुश्मन समझाते है।

बहारें जब भी आर्ती खिज़ा के बाद आती हैं,
समझ में बात ये आई उनको जो अक़्ल रखते हैं।

अशांति मन की हो तो ये उजाले भी डराते हैं,
बशर शांति से रातों में भी राहें खोज सकते हैं

इंसा का मोल तो उसके तबीयत से ही होता है
तभी दिल पल में कोई जीत कोई हार पड़ते हैं।

यहाँ हर शख्स बैचनी के आलम में ही जीता है
मयस्सर हो खुशी केसे सभी चिंता में रहते हैं।



डॉ.आर के दुबे.
गीत कार. गजल कार.
*
एम एस मीडिया शक्ति : प्रस्तुति
*
भाविकाएँ.३
शक्ति. शालिनी.
*
हिंदी आज पुकारती...
शक्ति भारती... कैसे उतारूँ तेरी आरती


फोटो : शक्ति : भारती : हंस वाहिनी
*
ढूंढ रही अस्तित्व देश में,
हिंदी आज पुकारती...
शक्ति भारती... कैसे उतारूँ तेरी आरती

कोई कहे मैं सुता तुम्हारी,
माथे की तेरे बिंदी हूँ।
अंग्रेजी परदेश से आकर,
कहती सदा मैं चिंदी हूँ।
चीख-पुकार सुने ना कोई.
अंग्रेजी ललकारती...
शक्ति भारती... कैसे उतारूँ तेरी आरती

देवनागरी लिपि से निकली,
सभी विधा को तृप्त किया,
साहित्य जगत में हुई श्रेष्ठ मैं,
भारत माँ को दृप्त किया।
हिंदी दिवस पर मान के ख़ातिर,
हिंदी रही चिग्घाड़ती...
शक्ति भारती... कैसे उतारूँ तेरी आरती

सभी लगे हैं मुझे बचाने,
तेरे सुत जो प्यारे हैं।
हिंदी के संवर्धन ख़ातिर,
तन-मन-धन सब वारे हैं।
वीरांगना बन आई शालिनी.
सौम्य, स्वभाव जो धारती...
शक्ति भारती... कैसे उतारूँ तेरी आरती

शक्ति शालिनी
कवयित्री: प्रधान सम्पादिका
*
लघु कविता : १
*
स्त्री अनमोल कृति.

फोटो : शक्ति

विचार कर,
रोम-रोम में पवित्र प्रेम भर,
गढ़ डाला उस ईश्वर ने उत्कृष्ट,
'एक अनमोल कृति' 
और वो है ' स्त्री '
चाहती है वह
थोड़ा स्नेह,
और थोड़ा सम्मान,
और देती है,
प्रेम का प्रतिदान.
क्योंकि अथाह प्रेम देना,
है उसकी नियति जो बनाती है उसे,
संसार की सबसे सुन्दरतम 'अनमोल कृति'
*
और मन धुंआ - धुंआ सा है.
लघु कविता : २
*

फोटो : शालिनी
*
एक अज़ीब सी बेचैनी है,
और मन धुंआ-धुंआ सा है.
न जाने ये कैसी कश्मकश है,
न जाने क्या हुआ सा है ?
अधूरी सी कोई आरजू है,
न जाने कैसी ख़्वाहिश है ?
तेरी उल्फ़त का असर है ये,
या कुछ बद्दुआ सा है...
एक अज़ीब सी बेचैनी है,
और मन धुंआ-धुंआ सा है.

*

शक्ति. शालिनी.
*
कवयित्री लेखिका.प्रधान सम्पादिका
एम एस मीडिया ब्लॉग मैगज़ीन
*
भाविकाएँ
आदिशक्ति.


कृति : शक्ति प्रिया डॉ सुनीता सीमा
*
हे सती, हे साध्वी शक्ति , भवप्रीता, तू भवानी हो। आर्या हो भवमोचनी शक्ति , दुर्गा हो, महारानी हो।।
राजा हो या रंक मईया भेद तुम ना करती हो। शरणागत हो कोई तेरे झोली उसकी भरती हो।। आदिशक्ति, त्रिनेत्रा शक्ति , आद्या शूलधारिणी हो।
आर्या हो भवमोचनी शक्ति, दुर्गा हो, महारानी हो।।
हे सती, हे साध्वी शक्ति , भवप्रीता, तू भवानी हो। आर्या हो भवमोचनी शक्ति , दुर्गा हो, महारानी हो।। चंद्रघंटा, महातपा तुम, मन, बुद्धि, अहंकार हो। चित्तरूपा हो चिता, चिति का करे विस्तार हो।। सर्वविद्या, दक्षकन्या, दक्षयज्ञविनाशिनी हो। आर्या हो भवमोचनी शक्ति , दुर्गा हो, महारानी हो।।
हे सती, हे साध्वी शक्ति, भवप्रीता, तू भवानी हो।
आर्या हो भवमोचनी शक्ति, दुर्गा हो, महारानी हो।।
सत्ता, सत्यानंद हो तुम, अम्बे मातु स्वरूपिणी। हे अनंता, भाविनी शक्ति, भाव्या, भव्या रूपिणी।।
अपर्णा हो अनेकवर्णा, दुर्गा दुर्गसाधिनी हो। आर्या हो भवमोचनी शक्ति, दुर्गा हो, महारानी हो।।
हे सती, हे साध्वी शक्ति, भवप्रीता, तू भवानी हो।
आर्या हो भवमोचनी शक्ति, दुर्गा हो, महारानी हो।।
सद्गति, अभव्या मईया, शाम्भवी कहलाती हो। देवमाता, चिंता हो तुम, रत्नप्रिया बन जाती हो।। पाटला, पाटलावती, पट्टाम्बरपरिधानधारिणी हो। आर्या हो भवमोचनी माँ, दुर्गा हो, महारानी हो।। हे सती, हे साध्वी शक्ति, भवप्रीता, तू भवानी हो।
आर्या हो भवमोचनी माँ, दुर्गा हो, महारानी हो।। वनदुर्गा, मातंगी हो तुम, सुन्दरी, सुरसुन्दरी। हो मतंगमुनिपूजिता तुम, ब्राह्मी हो, माहेश्वरी।। सर्ववाहनवाहना तुम, शक्ति निशुम्भशुम्भहननी हो।
आर्या हो भवमोचनी माँ, दुर्गा हो, महारानी हो।। हे सती, हे साध्वी शक्ति, भवप्रीता, तू भवानी हो।
आर्या हो भवमोचनी शक्ति, दुर्गा हो, महारानी हो।।
वैष्णवी, चामुण्डा हो तुम, ऐन्द्री हो, कौमारी हो। वाराही तुम लक्ष्मी माता पुरुषाकृति सुकुमारी हो। मधुकैटभहन्त्री मईया, महिषासुरमर्दिनि हो। आर्या हो भवमोचनी शक्ति, दुर्गा हो, महारानी हो।।
हे सती, हे साध्वी शक्ति, भवप्रीता, तू भवानी हो।
आर्या हो भवमोचनी शक्ति, दुर्गा हो, महारानी हो।।
विमला हो, उत्कर्षिणी, तू ही सुरवरवर्षिणि। ज्ञान-बुद्धि, नित्याक्रिया बहुला दुर्धरधर्षिणि।। सर्वअसुरविनाशिनी शक्ति, चण्डमुण्डनाशिनी हो।
आर्या हो भवमोचनी शक्ति, दुर्गा हो, महारानी हो।।
हे सती, हे साध्वी शक्ति, भवप्रीता, तू भवानी हो।
आर्या हो भवमोचनी शक्ति, दुर्गा हो, महारानी हो।।
कन्याकुमारी, किशोरी तुम, हो यति नारायणी। तुम अप्रौढ़ा और प्रौढ़ा, तपस्विनी, हे महोदरी।। सत्या, सर्वास्त्रधारिणी, सर्वदानवघातिनी हो। आर्या हो, भवमोचनी शक्ति, दुर्गा हो, महारानी हो।।
हे सती, हे साध्वी शक्ति, भवप्रीता, तू भवानी हो।
आर्या हो भवमोचनी शक्ति, दुर्गा हो, महारानी हो।।
मुक्तकेशी, घोररूपा, बलप्रदा हो महाबला। कालरात्रि, भद्रकाली, रौद्रमुखी-अग्निज्वाला।। अनेकशस्त्रहस्ता शक्ति, अनेक अस्त्रधारिणी हो।
आर्या हो, भवमोचनी शक्ति, दुर्गा हो, महारानी हो।।
हे सती, हे साध्वी शक्ति, भवप्रीता, तू भवानी हो।
आर्या हो भवमोचनी शक्ति, दुर्गा हो, महारानी हो।।
विष्णुमाया, जलोदरी तू शिवदूती हो कराली शक्ति
अनंत हो परमेश्वरी, कात्यायनी, भद्रकाली शक्ति।।
सर्वशास्त्रमयी, सावित्री, प्रत्यक्षा, ब्रह्मावादिनी हो। आर्या हो, भवमोचनी शक्ति, दुर्गा हो, महारानी हो।।
हे सती, हे साध्वी शक्ति, भवप्रीता, तू भवानी हो।
आर्या हो भवमोचनी शक्ति, दुर्गा हो, महारानी हो।।
* शक्ति शालिनी
कवयित्री. प्रधान सम्पादिका.
पृष्ठ संपादन सज्जा :
शक्ति प्रिया तनु सीमा अनुभूति
*

ए एंड एम मीडिया प्रस्तुति
आकाश दीप : विजया : पद्य संग्रह : रेनू : पृष्ठ : ३.
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भाविकाएँ. १
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यूँ ही साथ चलते चलते

फोटो : साभार : शक्ति अनु
कई बरस हुए यूँ ही साथ चलते-चलते, स्नेह के हर रंग में डूबते - पलते। तुम्हारी हंसी में सजती हर सुबह, मेरी बातों में बसी हर वो वजह। हमारी राहें भी होती सदा साथ-साथ , हर कदम में बस एक होती नई आस । संग ये सफ़र बेमिसाल यूँ ही गुजरे , जैसे दिलों में प्रेम का ही ख्याल उभरे । मगर आज कुछ अलग सा है एहसास, मानो ना मानो कोई राह चुन रहे हो खास। बरसो का ये साथ अनमोल खजाना, तुम्हारी परवाह में बसता है हर अफसाना। जाओ,जहाँ जाना है तुम्हें मगर जान लो, साँसे बसती है तुममें यूँ ही सदा, तुम्हारा अक्स मेरे दिल में सदा रहेगा। मिलो चाहे न मिलो रहोगे रहोगे मुझमें ही सदा। *
शक्ति.रेनू शब्दमुखर ११ सितम्बर २०२५
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पृष्ठ सज्जा संपादन:
शक्ति प्रिया तनु मंजिता सीमा
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भाविकाएँ. २
सबसे भरोसेमंद पुरुष हो तुम
.

अपनों से आहत हुई स्त्री
तुम्हारे कंधे पर सर
रखकर मौन हो जाये
तब जान ले संसार कि
उस स्त्री के लिए
सबसे भरोसेमंद पुरुष हो तुम।
उसकी आँखों की नीरवता में,
उसके दिल की दरारों में,
तुम्हारी मूक समझ,
तुम्हारी सहानुभूति,
एक उजियारा बनकर फूट पड़ती है।
जब उसकी पीड़ा की ध्वनि,
तुम्हारे सीने में समा जाती है,
और उसके आँसू की हर बूंद,
तुम्हारे धैर्य की धरती पर गिरती है,
तब जान ले
संसार के सबसे
भरोसेमंद पुरुष हो तुम।


फोटो : शक्ति शबनम

उसके टूटे ख्वाबों के टुकड़े,
तुम्हारे हाथों में संभलते हैं,
उसके मौन के सागर में,
तुम्हारे शब्द उसे किनारा देते हैं।
जब उसकी जख्मी आत्मा को,
तुम्हारे स्पर्श से आराम मिलता है,
और उसकी खोई हुई हिम्मत,
तुम्हारे साथ से फिर जगती है,
तब जान ले संसार के सबसे भरोसेमंद पुरुष हो तुम।
उसके जीवन की राह पर,
तुम्हारा साथ एक प्रकाश है,
जो हर अंधेरे को मिटा देता है,
और हर भय को दूर कर देता है



शक्ति. रेनू शब्द मुखर
कवयित्री लेखिका.प्रधान सम्पादिका
एम एस मीडिया ब्लॉग मैगज़ीन

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टाइम्स मीडिया शक्ति प्रस्तुति.
भाविकाएँ : डॉ. मधुप
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क्षणिकाएं. ३
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शक्ति है भक्ति है

डॉ मधुप : मयंक : कला कृति : 

शुभ नवरात्रि.
*
मन में बसने वाले
राम से आसक्ति है
रावण से विरक्ति है
यही तो मेरी आत्म शक्ति है
अपने मन की भक्ति है
निहारती डगर तेरा,
पड़ें धरा पर जो शक्ति तेरे चपल चरण,
चिर प्रतीक्षित है तेरा आना,
अधीर है यह चंचल मन.
स्वागत के लिए,
आतुर थे कब से मेरे नयन.

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भाविकाएँ : ३ / १
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मान सम्मान की हिंदी बिंदी


तुम्हारे मान सम्मान की शक्ति 
भाल दिव्य पर सजी मैं तुम्हारी बिंदी
रच बस लूँ तेरे सुन्दर भावों में 
तुम्हारे मन की भाषा मैं हिंदी
*
सज्जा : शक्ति* प्रिया डॉ. सुनीता.अनुभूति
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भाविकाएँ : ३ / २
मेरे मन की सर्व शक्ति हो तुम
*
फोटो : साभार : शक्ति

मेरे सपने
मेरे अपने
मेरे मन की सर्व शक्ति हो तुम,
मेरे नव जीवन के
नव निर्माण की भक्ति हो तुम.
हो प्रेमपूर्ण सुन्दर
भविष्य का निर्माण फिर
असत्य ,भय औरअसुरों का संहार
फिर डरें नहीं,थमें नहीं,


साभार : फोटो :
शक्ति. रेखा.देहरादून.
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हो मधुर सम्भाषण
की बस थोड़ी सी पहल
अपनों के साथ,
हो वैसी ही पुराने सन्मार्ग पर टहल
देख लेंगे इस जनम में ही ,आप
विश्वामित्र की तरह
विश्व के मित्रों का
इस धरा पर
एक नई धरा का
निर्माण फिर.
*

डॉ.मधुप. 
*पृष्ठ सज्जा : संपादन 
शक्ति. डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया अनुभूति.  
*
* लीवर. पेट. आंत. रोग विशेषज्ञ. शक्ति. डॉ.कृतिका. आर्य. डॉ.वैभव राज :किवा गैस्ट्रो सेंटर : पटना : बिहारशरीफ : समर्थित.
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तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : शक्ति : सम्पादकीय : प्रस्तुति. पृष्ठ :४.
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संपादन
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वाराणसी डेस्क.
शक्ति नीलम अनुभूति शालिनी प्रीति.

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शक्ति आलेख : ४ / ६  
आज की बात नवरात्र नव रात्रियों का समाहार
शक्ति सृजन, संरक्षण और संवर्धन तथा शक्ति साधना
के महाआयोजन के पर्व  ' नवरात्र '
शक्ति आलेख : शक्ति आरती अरुण.

शक्ति सृजन, संरक्षण और संवर्धन तथा शक्ति साधना :फोटो : शक्ति शैली कृष्णा.मुंबई  
वैसे तो आज नवरात्र की पूर्णाहुति की तिथि है पर नवरात्र की महिमा और सार्थकता को हमने लिपिबद्ध करने की कोशिश भर की है। नवरात्र पर इस आलेख का अवलोकन करने का कष्ट करें। आज की तिथि से आठ दिनों पूर्व,भारतीय पौराणिक,धार्मिक एवं अध्यात्मिक दृष्टिकोण से शक्ति सृजन, संरक्षण और संवर्धन तथा शक्ति साधना के महा आयोजन के पर्व  'नवरात्र' की साधना शुरू होती है।
चैतन्य बोध, अहंकार नाश, बुद्धि और विवेक के जागरण : शक्ति सृजन, ऋद्धियों- सिद्धियों की प्राप्ति,स्वयं चैतन्य बोध, अहंकार नाश, बुद्धि और विवेक के जागरण, आध्यात्मिक साधना और शिव ( पुरूष ) और शक्ति ( प्रकृति ) के समाहार को जानने और आत्मसात करने की नौ रात्रियों की अर्थात् नव अहोरात्र की सुमंगल यात्रा है। वैसे शक्ति साधना की अवधारणा हमारे यहाँ काफी प्राचीन है
और प्राचीन वैश्विक स्तर पर भी अन्य रूपों में संधारित होता रहा है। वैदिक काल से लेकर सैंधव सभ्यता में भी पाशुपत शिव और मातृ शक्ति की आराधना- साधना के प्रमाण मिलते है।
इस नवरात्र में प्रयुक्त 'रात्रि' शब्द जिससे अंधकार का बोध होता है, हिन्दु आध्यात्मिक दर्शन और चिंतन में ' स्वयं प्रकाश जागरण ' शिव- शक्ति साधना' और 'सिद्धि प्राप्ति' का साधन है।यह अंधकार( असत् ) से प्रकाश ( सत् ) की और ले जाने वाली साधना की ' नवरात्र' है न कि नौ दिनों तक चलने वाला कोई त्योहार या मेला।
नौ दिवसीय आत्म - शरीर शुद्धिकरण व्रत ' ,भारतीय मनीषियों ने इस नवरात्र की आध्यात्मिक और मानसिक तथा शारीरिक क्षमताओं को बढाने वाली क्रियाओं की अद्भुत व्याख्याएँ भी दी है। यह ' नौ दिवसीय आत्म - शरीर शुद्धिकरण व्रत ' , नौ दिनों तक विभिन्न अलग-अलग विधि- विधानों और क्रियाओं से संचालित होने वाली साधना है जिससे साधक को अष्ट सिद्धियों और नौ निधियों की प्राप्ति होती है। आभार तौर पर इस नवरात्र में व्रतधारी सुबह से शाम तक इसके क्रियाओं की समाप्ति  कर देते है परन्तु आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसके साधना का समय ब्रह्म मुहूर्त और रात्रि वेला है। यह शुद्ध ध्वनि विज्ञान और ऊर्जा के रूपान्तरण और  समावेशीकरण के सिद्धांत पर आधारित है। दिन के समय  वातावरण में कोलाहल और कई प्रकार के प्रदूषण होते है परन्तु उन दो वेला में सब कुछ स्थिर और स्वच्छ होता है। हवन कुंड से निकली अग्नि और धुआँ वातावरण को शुद्ध और परिष्कृत कर देते है। मंत्र और वाणी के उच्चारण से ध्वनित ऊर्जा का प्रसारण,  वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का सृजन करते है और साधक उसकी ऊर्जा से प्राणवान होते हैं ।
नवरात्र शारीरिक - मानसिक स्वास्थ्य के सशक्तिकरण : जहाँ सीधे व्यवहारिक जीवन से जुड़ने का सवाल है तो यह नवरात्र हमारे शारीरिक - मानसिक स्वास्थ्य के सशक्तिकरण से जुड़ा हुआ है। यह ऐसे तो मूलतः चार ॠतुओं के संधिकाल से जुड़े होने के कारण चार बार एक वर्ष मे होते हैं पर दो गुप्त और दो प्रत्यक्ष होते है और यही वासंती नवरात्र और शारदीय नवरात्र के रूप में मनाये जाते हैं । छः - छः माह के अन्तराल में हमारे आहारीय और अन्य प्रदूषणकारी कारकों के कारण हमारा शरीर व्याधियों से प्रभावित होता रहता है और रोग ग्रस्त शरीर मानसिक व्याधियों को भी जन्म देता है। उन्हीं व्याधियों से बचने के लिए यह नवरात्र साधना है। नौ दिन विधि विधान से साधना, दिन चर्या और आहार - विहार की शुद्धि हमारे शरीर के " नवांग आंगिक तंत्र " को परिष्कृत और पुष्ट कर देती है। शरीर के अंदर जमा विषैले पदार्थ या तो बाहर निकल जाते हैं  या नष्ट हो जाते हैं। यह प्रक्रिया एक वर्ष में दो बार की जा सकती है जो शरीर मन और आत्मा के सहमना सम्बन्ध को बनाये रखने मे सहायक होती है। यही तो अध्यात्म धर्म कर्मकांड लौकिक जीवन और आत्म शुद्धिकरण का पर्व है। यही कारण है कि इसे ' षष्ठ मासिक शुद्धिकरण नवरात्र साधना व़त ' भी कहते हैं ।
पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि चैत्र प्रतिपदा को ही ब्रह्माण्डीय शक्ति, सृजन करने हेतु आद्द शक्ति के रूप में अवतरित हुयी थी जिनका आह्वान इन्हीं चार नवरात्रों में सबके सुख शान्ति आरोग्य समृद्धि और कल्याण के लिए किया जाता है।
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता : ऐसा देवी भागवत  दुर्गा  सप्तशति और अन्य पुराणों में उल्लेखित है। जहाँ तक भारतीय दर्शन और चिंतन तथा धार्मिक , आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों पर नारी को स्थापित करने का प्रश्न है, कहा गया है कि, "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता" अर्थात् जिस स्थान/ घर में नारी को सम्यक् सम्मान मिलता हो या दिया जाता हो ,वहाँ देवता अर्थात् ( सुख शान्ति समृद्धि आरोग्य और विकास ) का वास होता है और यही वजह है कि हमनें नारी को मर्यादित स्थान दिया है।
हाँ, ये बात अलग है कि इस संस्कार के  समावेशन न होने के कारण समाज मे प्रदूषण है जो आए दिन लज्जाजनक और दुखद घटनाओं को सुनने के लिए बाध्य होते है। नवरात्र वास्तव मे भारतीय सभ्यता और संस्कृति के उन उच्चतम मूल्यों की स्थापना करता है जो अन्यत्र दुर्लभ है। इसे आधुनिक सन्दर्भ और प्रसंग में ज्यादा प्रभावकारी बनाने की जरूरत है। आज घरेलू हिंसा और अमानवीय अत्याचार से हमारा देश अपेक्षाकृत ग्रसित है और नवरात्र का आयोजन इसी देश में व्यापक पैमाने पर होता है। आज का आधुनिक संसार इसे हिन्दु धर्म और सामाजिक परम्पराओं से भले जोड़कर देखे, पर एक समय था जब पुरी दुनियाँ में किसी न किसी रूप में सारे प्राचीन समाज ने ज्ञान की; सौन्दर्य की, धन- लक्ष्मी की, युद्ध की और सृजन की देवी के रूप मे शक्ति अर्थात् सृजनकारी प्रकृति ( नारी शक्ति ) की पूजा की है जो आज भी साहित्यों
मे द्रष्टव्य है।
नवरात्र की दशमी तिथि विजयादशमी या दशहरा : यह हमारे यहाँ " दशहरा" से भी प्रसिद्ध है और आमजनों की भाषा में यह विजयादशमी या दशहरा ही है कि नवरात्र का जब दशमी तिथि के साथ समाहार होता है तब यह विजयादशमी या दशहरा कहलाता है और इस दशहरे की पृष्ठभूमि में अनेकानेक कथाएँ हैं ।
यह सिर्फ त्योहार नहीं धर्म और दर्शन, सामाजिक परम्पराओं, कर्मकांड, अध्यात्म और विज्ञान का मणिकांचन योग से सृजित साधना पर्व है और दशहरा त्योहार है।
तो आइए, विश्व मंगलकामना के लिए शक्ति का आह्वान करें और नारी की सृजनात्मकता शक्ति का सम्मान करें। समस्त विश्व में शान्ति हो सद्भावना हो प्रेम हो करुणा हो। सबका कल्याण हो।
नवरात्र की पूर्णाहुति तिथि महानवमी ( माॅं सिद्धिदातृ) की हार्दिक मंगलकामनाएँ एवं बधाईयाँ ।

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स्तंभ संपादन : शक्ति.रितु माधवी शालिनी तनु
पृष्ठ सज्जा : शक्ति.मीना सीमा मंजिता अनुभूति.

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केदार दर्शन 
सम्पादिका शक्ति. दया जोशी
नैनीताल प्रस्तुति 
शक्ति आलेख : ४ / ५  
बंगाली लोक संस्कृति का विशिष्ट प्रतीक है धुनुची नृत्य
शक्ति.दुर्गा को समर्पित.
धुनुची नृत्य बंगाल की परम्परा एकता, सकारात्मकता को बढ़ावा : फोटो : शक्ति. मीडिया. शक्ति की आराधना : शक्ति के द्वारा : फोटो : शक्ति. रितु *
शक्ति की आँखों में करुणा और क्रोध का अदभुत संयोग : नवरात्रि के पवित्र पावन समय में विशाल पंडालों में, रोशनी की लहरों के बीच, शक्ति दुर्गा की प्रतिमा साक्षात दुर्गा स्वरूप में विराजमान होती है, देवी की आँखों में जो करुणा और क्रोध का संयोग है, वही भाव धीरे धीरे मनुष्यों की देह में उतरने लगता है, इसी क्षण शुरू होता है एक ऐसा नृत्य, जिसमें शरीर का नृत्य नहीं, आत्मा का नर्तन दिखता है.. धुनुची नृत्य !!
देवी दुर्गा को समर्पित है धुनुची नृत्य। कई लोगों का मानना ​​है कि धुनुची नृत्य के बिना दुर्गा पूजा अधूरी है। यह धुनुची नृत्य दुर्गा पूजा का एक महत्वपूर्ण बंगाली शक्ति नृत्य है, जो देवी दुर्गा के सामने किया जाता है। धुनुची नृत्य बंगाल और आसपास के कई राज्यों में दुर्गा पूजा के दौरान किया जाता है और भक्त इसमें उत्साह से भाग लेते हैं।
धुनुची नृत्य की शुरुआत सबसे पहले दुर्गा पूजा के दौरान जमींदारों के घरों में हुई थी। बाद में, यह परंपरा कोलकाता और बंगाल के विभिन्न हिस्सों में बारवारी पूजा के दौरान लोकप्रिय हो गई। आज, यह न केवल दुर्गा पूजा का एक अनिवार्य हिस्सा है, बल्कि एक प्रतियोगिता का रूप भी ले चुका है। पुराणों के अनुसार, महिषासुर का वध करने से पहले, देवी दुर्गा ने शक्ति संचय हेतु धुनुची नृत्य किया था।तब से, यह माना जाता है कि इस नृत्य के माध्यम से व्यक्ति स्वयं को पूर्णतः देवी दुर्गा के प्रति समर्पित कर सकता है और इससे सभी बुरी शक्तियां दूर हो जाती हैं। हाथों में जलती हुई धुनुची लेकर नृत्य करने की यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है।
धुनुची नृत्य पश्चिम बंगाल का एक पारंपरिक नृत्य : धुनुची मूलतः एक मिट्टी का बर्तन होता है जिसमें जलते हुए नारियल के खोल या कोयले पर धूप जलाई जाती है। प्राचीन काल से ही इसका उपयोग वातावरण को शुद्ध करने और पूजा के दौरान देवताओं की पूजा के लिए किया जाता रहा है। धुनुची नृत्य पश्चिम बंगाल का एक पारंपरिक नृत्य है। माता की आरती के दौरान हाथ में मिट्टी का बर्तन लिया जाता है जिसमें जलती हुई धूपबत्ती होती है। यह नृत्य देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। नृत्य के दौरान जलती हुई धूपबत्ती से निकलने वाला धुआं वातावरण को भक्ति और ऊर्जा से भर देता है।
धुनुची नृत्य दुर्गा पूजा के आनंद को कई गुना बढ़ा देता है। ढोल, बांसुरी, शंख और धुनुची के धुएं का मेल एक मनोरम वातावरण का निर्माण करता है। लिंग भेद के बिना हर कोई इस नृत्य में भाग लेता है और एक सामाजिक समागम का निर्माण करता है। धुनुची नृत्य बंगाली लोक संस्कृति का एक विशिष्ट प्रतीक है। यह परंपरा पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है। चाहे अष्टमी की सुबह हो या नवमी की रात, सप्तमी की शाम हो या दशमी की भोर, बंगाली दुर्गा पूजा धुनुची नृत्य के बिना अधूरी है। धुनुची को धूप और अगरबत्ती से जलाया जाता है,और जलती हुई धुनुची को कभी हाथ में, कभी मुंह में, कभी कमर पर रखकर ताल पर नृत्य किया जाता है।
एकता, सकारात्मकता और परंपरा की निरंतरता को भी बढ़ावा : ढाक की थाप के साथ तालमेल बिठाने वाला यह नृत्य बंगालियों के लिए एक अनूठा आयाम रखता है।
दुर्गा पूजा के दौरान संध्या आरती के समय धुनुची नृत्य किया जाता है। यह नृत्य बंगाल की समृद्ध परंपराओं और संस्कृति की झलक भी प्रस्तुत करता है। यह नृत्य केवल बंगाल तक ही सीमित नहीं है, अब यह देश भर के कई राज्यों में किया जाता है। कई महिलाएं पारंपरिक लाल और सफेद साड़ियां पहनकर यह नृत्य करती हैं। धुनुची नृत्य केवल एक पारंपरिक नृत्य ही नहीं है, यह बंगाल की सांस्कृतिक विरासत, मान्यताओं और त्यौहारों का एक जीवंत प्रतीक है। दुर्गा पूजा जैसे प्रमुख त्यौहार के दौरान, धुनुची नृत्य उत्सव की रौनक बढ़ा देता है। यह नृत्य न केवल देवी की आराधना का एक अंग है, बल्कि सामूहिक एकता, सकारात्मकता और परंपरा की निरंतरता को भी बढ़ावा देता है।
धुनुची नृत्य ने आधुनिक युग में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखी है और पीढ़ी-दर-पीढ़ी लोगों को अपनी जड़ों और संस्कृति से जोड़े रखा है। परंपरा केवल एक रीति-रिवाज नहीं, बल्कि एक विरासत है जो समाज की आत्मा को पोषित करती है। इसलिए, दुर्गा पूजा के दौरान धुनुची नृत्य देखना और उसमें भाग लेना न केवल एक आनंददायक अनुभव है, बल्कि भक्ति, समर्पण और सांस्कृतिक गौरव का उत्सव भी है।
दुर्गा पूजा के अंतिम दिन, विसर्जन से पहले, जब सबका मन भारी होता है, तब धुनुची नृत्य और उन्मुक्त हो जाता है, मानो लोग माँ को आखिरी बार दिखाना चाहते हैं कि उन्होंने पूरे मन से भक्ति की है, धुएँ से भरा पंडाल, थकान से भरे चेहरे, लेकिन हर कदम माँ की छवि में घुला हुआ, यही वह तिलस्म है जो किसी दर्शक को भी भक्त बना देता है।
कोई इसे भक्ति कहे,उत्सव कहे या लोकनृत्य, पर सच यह है कि धुनुची नृत्य एक आध्यात्मिक यात्रा है, इसमें समय थम जाता है, शरीर मिट्टी में बदल जाता है, और आत्मा माँ की आँखों में घुल जाती है,इसीलिए तो बंगाल में कहा जाता है कि *मा’र पूजा शेष होये जाबे, किन्तु धुनो’र गन्धो ठाकबे* माँ की पूजा भले ही ख़त्म हो जाए,लेकिन धूप की गंध बनी रहेगी.
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कुमार कृष्णन : विभूति फीचर्स

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स्तंभ संपादन : शक्ति.रितु माधवी शालिनी तनु
पृष्ठ सज्जा : शक्ति.मीना सीमा मंजिता अनुभूति.


शक्ति आलेख : ४ / ४
नवरात्रि : शक्ति, साधना और आत्ममंथन :
शक्ति रेनू शब्दमुखर. जयपुर
प्रधान सम्पादिका
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सह लेखन डॉ.सुनीता शक्ति* प्रिया
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नवराते : शक्ति दैवीय स्त्री ऊर्जा का जागरण : ठाणे : महाराष्ट्र


न्यूज़ वीडिओ क्लिप संपादन : डॉ.सुनीता शक्ति* प्रिया

नवरात्रि नौ रातों का एक ऐसा पावन शक्ति पर्व है जो शक्ति की उपासना, गहन साधना और आत्ममंथन की याद दिलाता है,जहाँ व्यक्ति अपनी आंतरिक शक्ति को जागृत कर आध्यात्मिक विकास प्राप्त करता है. इन दिनों शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक शुद्धता पर ध्यान केंद्रित करते हुए, साधक शक्ति की कृपा से अपने जीवन की नकारात्मकताओं को दूर कर आंतरिक शांति और आनंद की प्राप्ति करता है. शक्ति दैवीय स्त्री ऊर्जा का जागरण : नवरात्रि स्त्री शक्ति की आराधना का पर्व है, जो व्यक्ति के भीतर की दिव्य स्त्री ऊर्जा से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है. आत्मबल का संवर्धन: सच्ची शक्ति भीतर की आस्था और सकारात्मक सोच से आती है; नवरात्रि इसी आंतरिक शक्ति को पहचानने और सशक्त बनाने का संदेश देती है.

सृष्टि का आधार नारी शक्ति : नवरात्रि का आगमन हर वर्ष हमें स्मरण कराता है कि सृष्टि का आधार केवल पुरुषार्थ नहीं, अपितु स्त्री-शक्ति भी है। नौ रातों तक माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना हमें यह सिखाती हैं कि जीवन के हर अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ना संभव है, यदि भीतर जाग्रत शक्ति का संधान किया जाए।


यह पर्व केवल उपवास, व्रत और आराधना का नहीं, बल्कि आत्ममंथन का भी अवसर है। शास्त्र कहते हैं। यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता। यदि नारी का सम्मान है, तो वही स्थान देवभूमि है। किंतु आज जब समाज में आए दिन स्त्रियों पर अत्याचार की घटनाएँ हमें विचलित करती हैं, तब नवरात्रि को संदेश और भी गहन हो जाता है।
शमशान की निस्तब्धता हमें याद दिलाती है कि जीवन अस्थायी है। न धन साथ जाता है, न अहंकार, न ही सत्ता। केवल कर्म और संस्कार ही शाश्वत हैं। इस दृष्टि से नवरात्रि हमें आत्मा की शक्ति पहचानने और भीतर के महिषासुर अहंकार,क्रोध ,लोभ और अन्याय का संहार करने का अवसर देती है।
स्त्रियाँ सम्मान पाएं : बेटियाँ सुरक्षित हों : मंदिरों में घंटियां बजाना तभी सार्थक है जब घर परिवार में बेटियाँ सुरक्षित हों कार्य स्थलों पर स्त्रियाँ सम्मान पाएं और समाज नारी को देवी नहीं इन्सान मानकर उसका आदर करे। यही नवरात्रि की सच्ची साधना है।
आज आवश्यकता है हम देवी की प्रतिमा के सामने जलाने के साथ साथ अपने भीतर भी एक दीप प्रज्वलित करें जो अज्ञान को दूर करें, जो विवेक को जागृत करे, जो हमें स्मरण कराये कि शक्ति पूजने की नहीं अपनाने की वस्तु है।
नवरात्रि केवल पूजा का पर्व नहीं,बल्कि भीतर सोई शक्ति को जगाने और नारी सम्मान का केवल संकल्प लेने का अवसर है।

फोटो : शक्ति रेनू शब्द मुखर
स्तंभ संपादन : शक्ति. माधवी शालिनी तनु नीलम
पृष्ठ सज्जा : शक्ति.मीना सीमा मंजिता अनुभूति. 



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यादें न जाए बीते दिनों की : शक्ति आलेख : ४ / ३
शक्ति रेनू शब्दमुखर.
प्रधान सम्पादिका
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सह लेखन डॉ.सुनीता शक्ति * प्रिया
' कभी खोकर भी पाया है, कभी पाकर भी खोया है ,

वर्ष १९६३। एक फिल्म आयी थी दिल एक मंदिर। एक पुराने हिंदी गाने का बड़ा ही मशहूर बोल है, जिसे राजेंद्र कुमार पर फिल्माया गया था। यह गीत फिल्म राजेंद्र कुमार , राज कुमार मीना कुमारी अभिनीत फिल्म दिल एक मंदिर का है, जिसमें यह पक्तियां .....याद ना जाए, बीते दिनों की, जाके ना आए वो दिन, दिल क्यों बुलाए उन्हें .....हम नहीं भुलाये । याद ना जाए बीते दिनों की अक्सर हम बीते दिनों की ओर लौट जाते हैं।
सवाल है आख़िर दिल क्यों अतीत में लौट जाना चाहता है। क्यों भूली यादों को याद करना चाहता है ? ना जाने, भूली दास्ताँ और बीते दिनों की याद इस तरह से क्यों आती है ? यह गाना बीते हुए दिनों की यादों और भूली हुई यादों से जुड़े भावनात्मक दर्द को व्यक्त करता है.
यादों की तारीख़ जीवन की यात्रा में कुछ पड़ाव ऐसे आते हैं, जो सिर्फ़ कैलेंडर की एक तारीख़ भर नहीं होते, बल्कि हमारी धड़कनों का हिस्सा बन जाते हैं। समय की सुइयाँ चाहे कितनी भी आगे क्यों न बढ़ जाएँ, कुछ पल अपनी जगह पर स्थिर हो जाते हैं। वे न मिटते हैं, न धुंधले पड़ते हैं। कहते हैं - ' यादें कभी बूढ़ी नहीं होतीं, वे हमेशा अपनी ताजगी के साथ लौट आती हैं '। ऐसा ही रिश्ता होता है उन खास दिनों से, जो कभी खोने का दर्द देते हैं तो कभी पाने की खुशी का एहसास कराते हैं। कुछ तारीख़ें हमारे जीवन में पत्थर पर लिखी लकीरों की तरह होती हैं। हर साल जब वही दिन लौटकर आता है, तो हम फिर से उन पलों में जी उठते हैं। आंखें कभी नम होती हैं, तो कभी मुस्कान बिखर जाती है। यही जीवन का अद्भुत संगम है-आंसू और हंसी का, खोने और पाने का। यादें दरअसल हमारी पूँजी हैं। ये हमें बार-बार यह एहसास कराती हैं कि हम कौन हैं, कहाँ से आए हैं और किस राह पर चल रहे हैं। ये स्मृतियाँ हमें मज़बूत भी बनाती हैं और संवेदनशील भी। वे हमें सिखाती हैं कि बीता हुआ समय कभी लौटकर नहीं आता, लेकिन उसका असर हमें जीवनभर दिशा देता रहता है। इसलिए जब भी कोई ऐसी तारीख़ सामने आती है, जो दिल में बसी हुई है, तो उसे बोझ न मानें। वह तारीख़ आपके जीवन की कहानी का वह अध्याय है, जिसमें आपकी आत्मा की धड़कनें दर्ज हैं। जीवन की दौड़ में बहुत कुछ पीछे छूट जाता है, लेकिन स्मृतियों की यह पोटली हमेशा हमारे साथ चलती रहती है। और यही हमें इंसान बनाए रखती है। यही तो है ज़िंदगी-यादों के धागों से बुना एक अनमोल तोहफ़ा।'

स्तंभ संपादन : शक्ति. माधवी शालिनी तनु नीलम
पृष्ठ सज्जा : शक्ति. मीना सीमा मंजिता अनुभूति. 



शक्ति आलेख : २
शब्दों की चोट जिंदगी भर की ख़ामोशी : पृष्ठ :४ / २ .

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अल्फ़ाज़ : ख़ामोशी : खूबसूरती : कोलाज : नैना डॉ.सुनीता शक्ति प्रिया
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कहना आसान है भूल जाना, लेकिन सुनने वाले के लिए नामुमकिन
शक्ति. रेनु शब्दमुखर.

 

शब्दों की चोट तलवार से भी गहरी : शब्दों की चोट तलवार से भी गहरी होती है, बस फर्क इतना है कि इसमें खून नहीं निकलता। हमारे समाज में यह कहावत आम है- ' रात गई, बात गई।' लोग कहते हैं, बातें भूल जाओ, गिले-शिकवे छोड़ दो। पर क्या सच में ऐसा होता है? क्या दिल इतनी आसानी से भूल जाता है. जितनी आसानी से जुयान कह देती है? नहीं सच्चाई यह है कि कुछ बातें ऐसी होती है जो वक्त के साथ फीकी नहीं पड़ती। वे जख्म बनकर हमारे मन में रह जाती - है और हर बार दर्द देती हैं।
कभी गौर किया है? लोग जब गुस्से में होते हैं, वे एक झटके में रिश्तों को बुनियाद हिला देते हैं। गुस्से के उन कुछ सेकण्ड में वे ऐसे शब्द उछाल देते हैं. जी सामने वाले की आत्सा तक की चौर जाते हैं। और फिर जब गुस्सा ठंड़ा ही जाता है, वहीं लोग ऐसे बर्ताव करते हैं जैसे कुछ हुआ ही न हो ।
दिल कोई कप्यूटर नहीं कि एक क्लिक में डिलीट हो जाए। दिल की लगी चोट मिटती नहीं, बस छुप जाती है। समय घाव का भर देता है, पर निशान नहीं मिटाता। और यह निशान हर बार याद दिलाता है कि किसी ने कमी केसा व्यवहार किया था।
रिश्ते गुस्से से नहीं ,गुस्से में निकले शब्दों से टूटते है : मेरा अपना अनुभव कहता है रिश्ते गुस्से से नहीं ,गुस्से में निकले शब्दों से टूटते है। गुस्सा जाना स्वाभाविक है, पर गुस्से में किसी का सम्मान तोड़ देला, यह अस्वाभाविक है।
कहते हैं-'समय सब ठीक कर देता है।' सच तो यह है कि समय सिर्फ दर्द को सहने की आदत डालता है। जख्म भर सकता है, लेकिन दिल की गहराइयों में बनी दरारें कभी नहीं मिटती।
क्योंकि रात गई बात गयी सिर्फ कहावत है,हकीकत नहीं : और जब-जब हम उन लम्हों को याद करते हैं, दिल फिर से. लहुलुहान हो उठता है। तो क्यों न हम गुस्से में बोलने से पहले एक पल ठहर जाए? सोचे- क्या जो हम कहने जा रहे है, उसका असर किसी की आत्मा तक नहीं पहुंचेगा? एक पल की झुंझलाहट, सामने वाले की पूरी जिदगी का बोझ बन सकती है।
गुस्से में निकले शब्द पिघलते नहीं, वे पत्थर बनकर दिल पर हमेशा के लिए रखे रह जाते हैं। याद रखिए ज़ख्म तलवार से ही नहीं जुवान से भी लगते हैं। फर्क बस इतना है कि इनसे खून नहीं निकलता पर दिन हमेशा लहूलुहान रहता है
अगली बार जब गुस्सा आए तो जुबान खोलने से पहले दिल खोल कर सोचिए क्योंकि रात गई बात गयी सिर्फ कहावत है,हकीकत नहीं
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स्तंभ संपादन : शक्ति. माधवी शालिनी तनु नीलम
पृष्ठ सज्जा : शक्ति. मीना सीमा मंजिता अनुभूति. 


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शक्ति आलेख : अमरप्रेम. पृष्ठ :४ / १
कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना
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शक्ति. रेनू शब्द मुखर.
सह लेखन व संपादन .डॉ सुनीता शक्ति प्रिया.
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प्रेम के प्रीतम आकाश में उड़ान भरती एक स्त्री अमृता.


विद्रोह की भाषा में लिखा प्रेम. अमृता प्रीतम. साभार फोटो : शक्ति कोलाज

३१ अगस्त का दिन. हमारे लिए शक्ति मूलांक का दिन था. अमृता प्रीतम का जन्म दिन है .साहित्य के आकाश पर चमकते उस सितारे का स्मरण कराता है, जिसने न केवल शब्दों को अर्थ दिया,बल्कि जीवन को भी एक नई दिशा दी। अमृता प्रीतम - एक ऐसा नाम जिसने स्त्री की चुप्पी को आवाज़ दी, जिसने समाज की जंजीरों को तोड़कर प्रेम को नई परिभाषा दी।
अमृता का जीवन सिर्फ़ एक लेखिका का जीवन नहीं था; यह एक स्त्री के भीतर उठे विद्रोह और आत्मसम्मान की गाथा थी। विभाजन के दर्द से लेकर स्त्री की स्वतंत्रता तक, उनकी कलम हर उस मुद्दे पर चली, जिस पर समाज मौन था। उनकी कविता आज भी विभाजन की त्रासदी की गवाही देती है, और उनकी आत्मकथा ‘ रसीदी टिकट ’ स्त्री की आत्मिक मुक्ति का दस्तावेज़ है।
कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना का अर्थ है कि समाज में लोग हमेशा बातें करते रहेंगे, चाहे आप कुछ भी करें. आप चाहे स्वयं को जिए या फिर समाज को . यह एक प्रसिद्ध पंक्ति है जो किशोर कुमार के गाए गायक अमर प्रेम फिल्म के एक गाने से ली गई है और इसका मतलब है कि लोगों की आलोचना करने की आदत होती है, इसलिए उनकी परवाह न करें और बेकार की बातों में अपना समय बर्बाद न करें.
इस पंक्ति का संदर्भ: यह गाना जीवन के उतार-चढ़ावों और लोगों की बातों के प्रभाव को दर्शाता है. यह पंक्ति एक सामान्य कहावत या मुहावरे के रूप में भी प्रयोग की जाती है, जिसका अर्थ है कि समाज में कोई भी व्यक्ति पूरी तरह से सही नहीं होता है और हर किसी की कोई न कोई आलोचना करता है, इसलिए उनकी बातों को नज़रअंदाज़ करना चाहिए.
इस पंक्ति का उपयोग : यह पंक्ति अक्सर तब कही जाती है, जब कोई व्यक्ति किसी की आलोचना से निराश हो या किसी काम को करने से पहले लोगों के सोचने या बोलने की चिंता करता हो. इसका उद्देश्य लोगों को उनकी चिंता छोड़कर अपने दिल की सुनने और अपने रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करना है.
विद्रोह की भाषा में लिखा प्रेम. : परंतु अमृता को केवल उनकी साहित्यिक शक्ति से नहीं, उनके प्रेम से भी याद किया जाता है। उन्होंने यह साबित किया कि सच्चा प्रेम स्वामित्व नहीं होता, सच्चा प्रेम बंधन नहीं बनाता- वह आत्मा को उड़ान देता है। इमरोज़ के साथ उनका रिश्ता प्रेम का वह आयाम है, जहाँ न सामाजिक बंधन है, न अधिकार की दीवारें। यह रिश्ता बताता है कि प्रेम तब ही सार्थक है जब वह सम्मान, स्वतंत्रता और सृजन की प्रेरणा बने।
आज के समय में, जब रिश्ते तात्कालिक और दिखावे के बोझ तले दबते जा रहे हैं, अमृता की सोच हमें झकझोरती है। वह कहती हैं-' प्रेम वह नहीं जो हमें एक पिंजरे में क़ैद करे, प्रेम वह है जो हमारी रूह को आकाश दे'।
स्त्री को केवल देह नहीं, विचार समझो : समाज के लिए यह संदेश उतना ही जरूरी है जितना पहले था - स्त्री को केवल देह नहीं, विचार समझो; रिश्तों को केवल अधिकार नहीं, सम्मान दो। अमृता ने प्रेम को पवित्र बनाया क्योंकि उन्होंने प्रेम को साहस और आत्मसम्मान से जोड़ा। उन्होंने स्त्री को यह विश्वास दिलाया कि वह अपनी शर्तों पर जी सकती है। यही चेतना आज हमें अपने रिश्तों, अपने विचारों में लानी होगी।
अंत में मैं यही कहूंगी कि- अमृता प्रीतम का जन्मदिन हमें यह याद दिलाता है कि कलम सिर्फ़ शब्द नहीं लिखती, वह समाज को नई सोच देती है। और प्रेम? प्रेम वह नहीं जो सिर्फ़ कहानियों में हो, प्रेम वह है जो हमें बेहतर इंसान बना दे।
आज के रिश्तों में अगर अमृता की वह गहराई और इमरोज़ का वह धैर्य आ जाए, तो शायद प्रेम फिर से सार्थक हो जाए।

स्तंभ संपादन : शक्ति मानसी शालिनी तनु नीलम
पृष्ठ सज्जा : शक्ति मीना सीमा मंजिता अनुभूति. 


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 शक्ति : यात्रा संस्मरण : आलेख : धारावाहिक आलेख : पृष्ठ : ५ 
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नैनीताल डेस्क. 
संपादन. 
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शक्ति.शालिनी मानसी कंचन बीना जोशी 
नैनीताल डेस्क. 

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धारावाहिक यात्रा संस्मरण 
: नैनीताल। नैनी झील। नैना देवी : शक्ति नंदा - सुनंदा : पृष्ठ  : ५  / ० . 
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डॉ.मधुप.

नैनी झील : नैना देवी : शक्ति. नंदा - सुनंदा. फोटो कोलाज : डॉ. सुनीता मधुप शक्ति प्रिया. 
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शक्ति :विजया:आलेख : पृष्ठ : २. 
डॉ.सुनीता मधुप शक्ति * प्रिया. 

नैनीताल। नैनी झील। जब कभी हम आए हमने शक्ति के संरक्षण में मनभावन क्षण बिताए। आसक्ति रही है इस पीठ से। मंदिर का शीर्ष ७० , ८० के दशक से ही भूल नहीं पाते है हम। शक्ति सपने में ही आती रही। पुजारी बतला रहें थे सती की वायी आँख यही कही झील के आस पास गिरी थी न ? तब से शक्ति नैना की स्मृति में नैना मंदिर निर्मित बनी। सती हमेशा याद आती है।
२०२४ का साल। गर्मियाँ थी। हम नैनीताल में ही थे। मंदिर परिसर में शक्ति नंदा सुनन्दा की भव्य तस्वीर लगी थी। शक्ति नंदा - सुनंदा के बारे में जानने की जिज्ञासा हुई। हमारी शक्ति सम्पादिका समूह में कई शोधार्थी शक्तियां हैं।
नवीन दा बतला रहें थे इन दिनों नैनीताल में नंदाष्टमी की सभी तैयारियां पूरी होने लगी है। इस सन्दर्भ में शक्ति नंदा सुनन्दा की प्रतिमाएं नयना देवी मंदिर में विराजमान होते ही दर्शन को भक्तों की भीड़ जुटने लगी है और समस्त नैना देवी मंदिर परिसर नंदा सुनंदा मां के जयकारों से गुंजित हो रहा है ।
नंदा - सुनंदा पूजा की परंपरा : शक्ति नंदा - सुनंदा पूजा की परंपरा का ऐतिहासिक पहलू अत्यंत समृद्ध है। मान्यता है कि यह परंपरा कुमाऊं के चंद राजाओं के समय से शुरू हुई। लोकदेवी की आराधना और राज्य की समृद्धि से शुरू यह उत्सव नगर और गांवों की सामूहिक आस्था का पर्व बन गया। याद है आज भी इस पूजा में वही ऐतिहासिक गौरव, झलकता है,जो सदियों पहले लोगों की धार्मिक भावनाओं और सामाजिक एकजुटता को मजबूत करने के लिए प्रारंभ हुआ था।
सूत्रों की माने तो श्री राम सेवक सभा द्वारा आयोजित १२३ वे श्रीनंदा देवी महोत्सव में स्थानीय लोक पारंपरिक कलाकारों द्वारा नंदा सुनंदा की मूर्ति निर्माण को भव्य एवं जीवंत रूप दिया गया है। शक्ति नंदा जो हिमालय संस्कृति के साथ शक्ति की देवी से रूप में कुलदेवी की भांति पूजित है। जबकि शक्ति सुनंदा उनकी सहचरी स्वरूप मानी जाती हैं। नंदा-सुनंदा की पूजा स्त्री-शक्ति और बहनत्व का प्रतीक मानी जाती है। इस अवसर पर नगर और ग्रामीण अंचलों से भक्तजन डोला और छंतोली सजाकर मंदिरों में पहुंचते हैं।


शक्ति. आलेख : नंदा - सुनंदा : गतांक से आगे : १.
शक्ति नंदा : द्वापर युग में नंद यशोदा की पुत्री ' महामाया '
डॉ.सुनीता अनुभूति बीना नवीन जोशी
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शक्ति नंदा : उत्तराखंड की विजय देवी : फोटो : डॉ. सुनीता अनुभूति बीना नवीन जोशी

शक्ति नंदा : द्वापर युग में नंद यशोदा की पुत्री ' महामाया '

एक शताब्दी से अधिक पुराना, १२३ वें वर्ष में आयोजित हो रहा सरोवरनगरी का नंदा महोत्सव लगातार समृद्ध हो रहा है। पिछली शताब्दी और इधर तेजी से आ रहे सांस्कृतिक शून्यता की ओर जाते दौर में भी यह महोत्सव न केवल अपनी पहचान कायम रखने में सफल रहा है, वरन इसने सर्वधर्म संभाव की मिशाल भी पेश की है। हम यहां बताना चाहते हैं कि आप बुधवार सुबह पांच बजे से अपने प्रिय एवं भरोसेमंद ‘ नवीन समाचार ’ पर भी माता नंदा-सुनंदा की प्राण प्रतिष्ठा एवं दर्शनों के ‘लाइव दर्शन’ कर सकेंगे। इसके लिए सुबह से आप ‘ नवीन समाचार ’ पर जुड़ सकते हैं।
नंदा-सुनंदा की प्राण प्रतिष्ठा : पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी यह देता है, और उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं व गढ़वाल अंचलों को भी एकाकार करता है। यहीं से प्रेरणा लेकर कुमाऊं के विभिन्न अंचलों में फैले मां नंदा के इस महापर्व ने देश के साथ विदेश में भी अपनी पहचान स्थापित कर ली है।
इस मौके पर मां नंदा सुनंदा के बारे में फैले भ्रम और किंवदंतियों को जान लेना आवश्यक है। विद्वानों के इस बारे में अलग अलग मत हैं, लेकिन इतना तय है कि नंदादेवी, नंदगिरि व नंदाकोट की धरती देवभूमि को एक सूत्र में पिरोने वाली शक्तिस्वरूपा मां नंदा ही हैं। यहां सवाल उठता है कि नंदा महोत्सव के दौरान कदली वृक्ष से बनने वाली एक प्रतिमा तो मां नंदा की है, लेकिन दूसरी प्रतिमा किन की है। सुनंदा, सुनयना अथवा गौरा पार्वती की।
द्वापर युग में नंद यशोदा की पुत्री महामाया : एक दंतकथा के अनुसार मां नंदा को द्वापर युग में नंद यशोदा की पुत्री महामाया भी बताया जाता है जिसे दुष्ट कंस ने शिला पर पटक दिया था, लेकिन वह अष्टभुजाकार रूप में प्रकट हुई थीं। त्रेता युग में नवदुर्गा रूप में प्रकट हुई माता भी वह ही थी। यही नंद पुत्री महामाया नवदुर्गा कलियुग में चंद वंशीय राजा के घर नंदा रूप में प्रकट हुईं, और उनके जन्म के कुछ समय बाद ही सुनंदा प्रकट हुईं।
राज्यद्रोही षड्यंत्रकारी ने उन्हें कुटिल नीति अपनाकर भैंसे से कुचलवा दिया था।
उन्होंने कदली वृक्ष की ओट में छिपने का प्रयास किया था लेकिन इस बीच एक बकरे ने केले के पत्ते खाकर उन्हें भैंसे के सामने कर दिया था। बाद में यही कन्याएं पुर्नजन्म लेते हुए नंदा-सुनंदा के रूप में अवतरित हुईं और राज्यद्रोहियों के विनाश का कारण बनीं। इसीलिए कहा जाता है कि सुनंदा अब भी चंदवंशीय राजपरिवार के किसी सदस्य के शरीर में प्रकट होती हैं। इस प्रकार दो प्रतिमाओं में एक नंदा और दूसरी सुनंदा हैं। अन्य किंवदंती के अनुसार एक मूर्ति हिमालय क्षेत्र की आराध्य देवी पर्वत पुत्री नंदा एवं दूसरी गौरा पार्वती की हैं।
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गतांक से आगे : / २.
शक्ति :विजया:आलेख : पृष्ठ : २.
डॉ. सुनीता मधुप शक्ति * प्रिया.
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शक्ति नयना की नगरी नैनीताल में देवी नंदा -सुनंदा
की ' लोक जात ' का आयोजन.

नैनीताल झील से सटे नैना देवी मंदिर का परिसर : फोटो कोलाज : शक्ति. विदिशा.
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शक्ति नैना देवी मंदिर : नैनीताल मेरे जीने का शहर। मेरी आँखों में बसता है। शक्ति नैना देवी मंदिर सदैव मेरे समक्ष होती है। जीवन के समस्त क्रियाओं के अभिकेंद्र में शक्ति हैं। मैं स्वयं मान बैठा हूँ कि मैं एक शक्ति संरक्षित जीव हूँ।
सबेरे के आठ बज रहे थे। आर्य समाज मंदिर से पैदल टहलते हुए ही यहाँ तक चला आया था। धूप अभी तीखी नहीं हुई थी। मंदिर में सैलानी थे ही नहीं। ले दे के स्थानीय लोग ही थे। मैंने चढ़ावे के लिए कुछ प्रसाद ले लिया था। मंदिर में प्रवेश करते ही हनुमान जी दिख गए।
नैनीताल में नैनी झील के ठीक उत्तरी किनारे पर जन आस्था का मंदिर नैना देवी मंदिर स्थित है। सन १८८० में जब भयंकर भूस्खलन नैनीताल में आया था तब यह मंदिर उस प्राकृतिक आपदा में नष्ट हो गया था। बाद में भक्त जनों और श्रद्धालुओं ने इसे दोबारा बनाया था । यहाँ सती या कहें देवी पार्वती की शक्ति के रूप की पूजा की जाती है। इस मंदिर में उनके दो नेत्र वर्त्तमान हैं जो नैना देवी को दर्शाते हैं।
नैनी झील के बारे में माना जाता है जब शिव सती की मृत देह को लेकर कैलाश पर्वत जा रहें थें तब जहां जहां उनके शरीर के खंडित अंग गिरे वहां वहां शक्ति पीठों की स्थापना हुई। नैनी झील के स्थान पर देवी सती के नेत्र गिरे थे। इसलिए इसी धार्मिक भावना से प्रेरित होकर इस मंदिर की स्थापना की गयी थी।
माँ नयना देवी के मंदिर के देखभाल का जिम्मा अमर उदय ट्रस्ट करती है।
नंदा-सुनंदा की लोक जात का आयोजन : शक्ति नंदा-सुनंदा की लोक जात का आयोजन हर साल शक्ति नैना देवी मंदिर से ही होता है। नंदा देवी मेला के दौरान किया जाता है, जो कुमाऊं क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक उत्सव है। यह देवी नंदा और उनकी बहन सुनंदा की याद में मनाया जाता है, जिसमें देवी की पालकी ( डोला ) की विशाल शोभायात्रा निकाली जाती है। यह उत्सव १७ वीं शताब्दी से मनाया जा रहा है और स्थानीय संस्कृति और अर्थव्यवस्था को दर्शाता है।
उत्सव का विवरण नाम : नंदा देवी मेला या नंदा देवी उत्सव के नाम से विदित मूलतः नैनीताल, उत्तराखंड में ही प्रचलित है । प्रारंभ समय सितंबर के महीने में, नंदाष्टमी के दौरान ही होता है । महत्वपूर्ण है यह देवी नंदा और उनकी बहन सुनंदा को समर्पित है, जो इस पहाड़ी क्षेत्र की संरक्षक देवी मानी जाती हैं।
मुख्य आयोजन बतौर देवी नंदा और सुनंदा की डोला ( पालकी ) की शोभायात्रा निकाली जाती है। बांस की खपच्चियों, केले के पेड़, रुई और कपड़े से मां की मूर्ति बनाई जाती है,जो पर्यावरण के अनुकूल होती है।ऐतिहासिक पृष्ठभूमि इस उत्सव की शुरुआत १७ वीं शताब्दी में चंद राजा द्योत चंद द्वारा नंदा देवी का मंदिर बनवाने के बाद हुई।सांस्कृतिक महत्व यह उत्सव उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र की समृद्धि, संस्कृति और अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण प्रतिबिंब है। यह एक पारंपरिक सांस्कृतिक उत्सव है जो स्थानीय परंपराओं और आस्था को दर्शाता है।


गतांक से आगे : ३ .

नैनीताल :नंदा देवी और नए आयाम.

शक्ति. मीना भारती बीना नवीन जोशी


नंदा सुनन्दा महोत्सव : नैनीताल: जन आस्था का सैलाब : फोटो : शक्ति. भारती. नैनीताल. 

अपनी पुस्तक कल्चरल हिस्ट्री आफ उत्तराखंड के हवाले से प्रो. रावत ने बताया कि सातवीं शताब्दी में बद्रीनाथ के बामणी गांव से नंदा देवी महोत्सव की शुरूआत हुई, जो फूलों की घाटी के घांघरिया से होते हुए गढ़वाल पहुंची। तब गढ़वाल ५२ गणपतियों ( सूबों ) में बंटा हुआ था। उनमें चांदपुर गढ़ी के शासक कनक पाल सबसे शक्तिशाली थे। उन्होंने ही सबसे पहले गढ़वाल में नंदा देवी महोत्सव शुरू किया। प्रो. रावत बताते हैं कि आज भी बामणी गांव में मां नंदा का महोत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
वर्तमान नंदा महोत्सवों के आयोजन के बारे में कहा जाता है कि पहले यह आयोजन चंद वंशीय राजाओं की अल्मोड़ा शाखा द्वारा होता था, किंतु १९३८ में इस वंश के अंतिम राजा आनंद चंद के कोई पुत्र न होने के कारण तब से यह आयोजन इस वंश की काशीपुर शाखा द्वारा आयोजित किया जाता है, जिसका प्रतिनिधित्व वर्तमान में नैनीताल सांसद केसी सिंह बाबा करते हैं।
नैनीताल की स्थापना के बाद वर्तमान बोट हाउस क्लब के पास नंदा देवी की मूल रूप से स्थापना की गई थी, १८८० में यह मंदिर नगर के विनाशकारी भूस्खलन की चपेट में आकर दब गया, जिसे बाद में वर्तमान नयना देवी मंदिर के रूप में स्थापित किया गया। यहां मूर्ति को स्थापित करने वाले मोती राम शाह ने ही १९०३ में अल्मोड़ा से लाकर नैनीताल में नंदा महोत्सव की शुरुआत की। शुरुआत में यह आयोजन मंदिर समिति द्वारा ही आयोजित होता था।
१९२६ से यह आयोजन नगर की सबसे पुरानी धार्मिक सामाजिक संस्था श्रीराम सेवक सभा को दे दिया गया, जो तभी से लगातार दो दो विश्व युद्धों के दौरान भी बिना रुके सफलता से और नए आयाम स्थापित करते हुए यह आयोजन कर रही है। यहीं से प्रेरणा लेकर अब कुमाऊं के कई अन्य स्थानों पर भी नंदा महोत्सव के आयोजन होने लगे हैं। आज के अन्य ताजा ‘ नवीन समाचार ’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
मां नयना की नगरी में होती है मां नंदा की ‘ लोक जात ’, वर्ष दर वर्ष लगातार समृद्ध हो रहा है नंदा देवी महोत्सव - यहां राज परिवार का नहीं होता आयोजन में दखल, जनता ने ही की शुरुआत, जनता ही बढ़चढ़ कर करती है प्रतिभाग।
प्रदेश में चल रही मां नंदा की ‘ राज जात ’ से इतर मां नयना की नगरी नैनीताल में माता नंदा-सुनंदा की 'लोक जात' का आयोजन किया जाता है। अमूमन १२ वर्षों के अंतराल में आयोजित होने वाली ' लोक जात ' के इतर सरोवरनगरी में १२३ वर्षों से हर वर्ष अनवरत, प्रथम व द्वितीय दो विश्व युद्ध होने के बावजूद बिना किसी व्यवधान के न केवल यह महोत्सव जारी है, वरन हर वर्ष समृद्ध भी होता जा रहा है। बिना राज परिवार द्वारा शुरू किए जनता द्वारा ही शुरू किए गए और जनता की ही सक्रिय भागेदारी से आयोजित होने वाले इस महोत्सव को आयोजक भी मां नंदा की ‘लोक जात’ मानते हैं।
गढ़वाल को एक सूत्र में पिरोने वाली मां नंदा का महोत्सव १९०३ से लगातार बीच में दो विश्व युद्धों के दौरान भी जारी रहते हुऐ १२३ वर्षों से अनवरत जारी है। यहां के बाद ही प्रदेश के अनेक स्थानों पर नंदादेवी महोत्सवा आयोजित हुए हैं, लिहाजा नैनीताल को नंदा महोत्सवों का प्रणेता भी कहा जाता है। सरोवरनगरी में नंदा महोत्सव की शुरुआत नगर के संस्थापकों में शुमार मोती राम शाह ने १९०३ में अल्मोड़ा से लाकर की थी।

स्तंभ संपादन : शक्ति. रेनू नीलम रीता तनु.
स्तंभ सज्जा : शक्ति. डॉ.अनु मंजिता सीमा अनुभूति.
गीत लघु फिल्म : संकलन : शक्ति मीना श्रद्धा नैना भारती.
supporting
रिश्तों की जमापूंजी : बैंक ऑफ़ इंडिया : प्रबंधक : आर्य लक्की समर्थित.

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स्वर्णिका ज्वेलर्स : निदेशिका.शक्ति तनु रजत.सोहसराय.बिहार शरीफ.समर्थित.

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शक्ति पर्व : नवरात्रि : दशहरा : की अनंत मंगल शक्ति शिव कामनाओं के साथ


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हिंदी धारावाहिक : यात्रा संस्मरण.पृष्ठ : ५ /२ .
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धारावाहिक यात्रा संस्मरण 
डॉ. मधुप
शक्ति. नैना सुनीता प्रिया अनुभूति
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नवरात्रि : नैनीताल और शक्ति नैना देवी मंदिर,का दर्शन.
यात्रा वृतांत ये पर्वतों के दायरें से साभार.

यात्रा वृतांत ये पर्वतों के दायरें से साभार. कोलाज  : नैना शक्ति डॉ सुनीता शक्ति प्रिया  

डॉ. मधुप रमण.
©️®️ M.S.Media.

इस बार सितम्बर महीने में ही नवरात शुरू हो रहा था। सितम्बर महीने में ही शक्ति नंदा-सुनंदा की लोक जात का आयोजन हर साल की भांति इस बार भी शक्ति नैना देवी मंदिर में हुआ । नंदा देवी मेला गढ़वाल, कुमाऊं क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक उत्सव है। यह देवी नंदा और उनकी बहन सुनंदा की याद में मनाया जाता है, जिसमें देवी की पालकी ( डोला ) की विशाल शोभायात्रा निकाली जाती है। यह उत्सव १७ वीं शताब्दी से मनाया जा रहा है और स्थानीय संस्कृति और अर्थव्यवस्था को दर्शाता है।
नवरात्रि की शुरुआत : नवरात्रि की शुरुआत होने वाली थी। पितृ पक्ष के कुछ ही दिन शेष रह गए थे। दिल्ली से हमारी पत्रिका के प्रधान संपादक मनीष दा ने फ़िर से मुझे आग्रह किया कि इस साल भी नैनीताल से दशहरे की कवरेज मुझे ही करनी होगी। क्योंकि मैं नैनीताल से प्रारंभ से ही जुड़ा हुआ हूँ वहां के पत्रकारों के संपर्क में हूँ ,और लिखता रहा हूँ इसलिए उन्होंने यह दायित्व मुझे ही सौप दिया।
हालांकि इस बार मैं पश्चिम बंगाल में किसी पहाड़ी जगह सिलीगुड़ी , मिरिक, कलिम्पोंग, कुर्सियांग या दार्जलिंग जैसे इलाक़े से दशहरे की कवरेज करना चाहता था। पश्चिम बंगाल के दशहरे के बारे में मैंने काफ़ी कुछ सुन रखा था। सोचा था इस बार अपनी आँखों से वहां की धार्मिक ,सांस्कृतिक,आस्थां से परिचित हूँगा। लेकिन मुझसे कहा गया वहां से प्रिया नवरात्रि की कवरेज कर रहीं हैं या करेंगी इसलिए मुझे अपनी मन पसंदीदा जग़ह नैनीताल से ही नवरात्री की कहानी लिखनी होगी।
अतः इसके लिए मुझे तैयार होना होगा। सच कहें बात तो दरअसल में कुछ और थी। आप इन दिनों प्रशासकीय कार्यों के निमित यूरोप में हो रहे सम्मलेन में शिरक़त करने के लिए दस दिनों के लिए स्विट्ज़र लैंड के दौरे पर थी। और आपकी अनुपस्थिति में नैनीताल में रहना ,भ्रमण करना फिर लिखने जैसे दायित्व को पूरा करना एक बड़ा ही मुश्किल कार्य प्रतीत हो रहा था। सच ही है ना ? तुम्हारे बिना नैनीताल में कुछेक दिन गुजार लेना कितना मुश्क़िल होगा ,अनु। शायद मैं ही जानता हूँ। संभवतः प्रेत योनि में भटकने जैसा ही मात्र। लेखन कार्य के लिए शक्ति व परिश्रम चाहिए । मानसिक शांति भी तो जो निहायत ही जरुरी है। मेरी मानसिक शांति ,मेरी शक्ति सब कुछ तुममें तो निहित है ,न। शायद निहित रहता है और युग - युगांतर तक तुम में ही केंद्रित रहेगा। और फिल वक़्त तुम मेरे साथ हो नहीं तो इस कार्य को सफलता पूर्वक कैसे कर पाऊंगा, मैं वही सोच रहा था ? मैं दुविधा की स्थिति में था। लेकिन पत्रकारिता से जुड़ा एक महत्वपूर्ण दायित्व दिया गया था इसलिए इसे भी मुकम्मल करना ही था, इसलिए दृढ़ होना पड़ा । जाने की तैयारी करनी ही पड़ी। रिपोर्ट,फोटो और कवरेज के लिए इधर उधर भटकना,वो भी आपके सहयोग के बिना कितना दुष्कर कार्य होगा, हैं न अनु ? रात - दिन तुम्हारी यादों की घनी धुंध अपने मनो मस्तिष्क पर छाई रहेंगी। बाक़ी की कल्पनाएं धुंधली धुंधली सी दिखेंगी , ऐसे में मैं लिखने जैसे गुरुतर भार के साथ कितना न्याय कर पाऊंगा यह तो गोलू देवता ही जानेंगे। सच तो यही है न जो कुछ भी मैं लिखता हूँ, वह अंतर्मन के प्रभाव में रहता है। इधर हाल फिलहाल जो भी लिखता रहा ,उसके पीछे की छिपी प्रेरणा शक्ति तो आप ही रहीं हैं न ! शायद एक बजह भी।
आपने फ़ोन पर मुझे सख़्त हिदायत दे दी थी कि मुझे अयारपाटा वाले बंगले में ही ठहरना है,आपके नए बंगले में। लेकिन मैंने मन ही मन में निश्चित कर लिया था कि मैं वहां नहीं ठहरूंगा। मल्ली ताल के आर्य समाज मंदिर में ही रुकूंगा क्योंकि शायद थोड़े पल के लिए आपकी यादों के घने सायों से बाहर निकलने की नाकामयाब कोशिश क़ामयाब हो जाए.....और मन चित शांत कर लिख सकें। इस सन्दर्भ में मैंने अपने संपादक मित्र नवीन दा से बातें कर भी ली थी। वह जाकर वहां कमरा ठीक कर देंगे। मैं यह भी भली भांति जानता था इस लिए गए आत्म निर्णय से आप हमसे बेहद नाराज़ होंगी। लेकिन कुछ कहेंगी भी नहीं यह भी मैं जानता ही हूँ।
कोई अपने घर के रहते मंदिर ,धर्मशाला और गुरुद्धारे में भला रुकता है क्या ,नहीं न ? पागल पंथी ही है, सब यही कहेंगे न ?....

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धारावाहिक यात्रा संस्मरण
नवरात्रि नैनीताल और शक्ति नैना देवी मंदिर.
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डॉ.मधुप.
शक्ति. नैना सुनीता प्रिया अनुभूति
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यात्रा वृतांत ये पर्वतों के दायरें से साभार.
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गतांक से आगे : १.
तू इस तरह से मेरी जिंदगी में शामिल है
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कहानीकारों का जीवन : जीवन चलने का नाम


ये आसमां ये बादल ये रास्तें ये हवा : डोर्थी सीट : और सिर्फ तुम : कोलाज : नैनीताल :
शक्ति प्रिया 

डोर्थी सीट : टिफिन टॉप और सिर्फ तुम  : याद है पिछले साल ही जब जून महीने में गया था तभी एक बड़ी सी दरार दिखी थी। तभी थोड़ा थोड़ा डर लगने लगा था। आशंकाएं तब भी हुई थी।
तब क्या मालूम था कि ठीक दो तीन महीने बाद ही लगातार हुई मानसूनी बारिश के कारण. पहाड़ी में दरारें आ जायेंगी , जिससे डोर्थी सीट की संरचनात्मक अखंडता प्रभावित होगी और डोरोथी की सीट का मंच ढह जायेगा । हमारी कितनी यादें जुड़ी थी ?
अगस्त २०२४.पिछले साल की ही तो बात थी। नवीन दा बतला रहें थे भारी मानसूनी बारिश के कारण नैनीताल का लोकप्रिय पर्यटन स्थल डोरोथी की सीट, जिसे टिफिन टॉप भी कहते हैं, भूस्खलन की चपेट में आकर नष्ट हो गया था। तब नैनीताल के एस डी एम साहिब प्रमोद जी से मेरी बातें हुई थी इसे पुनः निर्मित किया जा सकता है या नहीं। उन्होंने कहा था प्रयास तो जारी ही रहेगा , तब छपने के लिए उन्होंने ढ़ेर सारी फोटो भेज दी थी।
यह सुन कर मैं कितना भावुक हो गया था अनु ? हमने कितने क्षण यहाँ बिताये थे अनु तुम्हें तो याद ही होगा। नवीन दा कह रहें थे ,इस घटना में हालाँकि किसी के हताहत होने की सूचना नहीं थी , लेकिन पहाड़ी में दरारें आने से यह संरचना पूर्णतः ढह गई थी।
तू इस तरह से मेरी जिंदगी में शामिल है शॉर्ट रील : नैनीताल का यह प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है जो २२९० मीटर की ऊंचाई पर स्थित है,जहाँ शांति ही थी शांति। हमने अपनी मीडिया के लिए कितनी शॉर्ट रील बनायी थी। शेरवुड स्कूल , इसका स्विमिंग पूल, राज भवन का गोल्फ कोर्स सब की क्लिपिंग हमने ली थी। तू इस तरह से मेरी जिंदगी में शामिल है इस गाने की शॉर्ट रील बहुत ही अच्छी बनी थी। महेश दा की कैंटीन में चाय और मैगी भी खायी थी।
इसे ब्रिटिश अधिकारी कर्नल केलेट ने अपनी पत्नी डोरोथी की याद में बनवाया था, जो उनकी पत्नी को प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने के लिए एक मंच प्रदान करता था। यह टिफिन टॉप के नाम से भी जाना जाता है और नैनीताल के स्थानीय यहाँ आ कर पिकनिक भी मनाते है। झील के अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है। अब तो वहां से झील भी नहीं दिखती है ,अनु। एक बड़ा कोना ही टूट कर गिर गया है।
कहानीकारों का जीवन : जीवन चलने का नाम : देर रात ही हमें दिल्ली से अपने गंतव्य स्थान के लिए निकलना पड़ा। पत्रकारों ,कहानीकारों का जीवन ऐसे ही जोख़िम भरा होता है। कब हमें रिपोर्टिंग के लिए जाना पड़े ,कहाँ जाना पड़े ,कोई सुनिश्चित नहीं होता । हम आदेश के पालक होते हैं। पल में हम कहाँ होंगे हम भी नहीं जानते है।
कैमरा , लैप टॉप , मोबाइल ,बैटरी, वाई फाई ,चार्जर,आई कार्ड, डेविड कार्ड बगैरह आदि सब मैंने अपने बैग में सुबह रख लिया था। देर दोपहर तक़ ९०२ किलोमीटर की दूरी तय कर हमें नैनीताल पहुंच ही जाना था । सुबह नौ के आस पास मैं बरेली पहुंच चुका था।
मेरी सुविधा के लिए ही मेरे बड़े भाई जैसे हल्द्वानी के संपादक रवि शर्मा ने अपनी कार भिजवा दी थी जिससे मैं शीघ्र अति शीघ्र नैनीताल पहुंच सकूँ । कितना ख़्याल रखा था भैया ने ? कैसे मैं आपका आभार प्रगट करूँ।
सच अनु कभी कभी ख़ुद से मन के बनाए गए रिश्तें कितने संवेदनशील होते है । स्थायी भी , है ना। कभी कुछ कहना नहीं पड़ता है। हम बेजुबान होते हुए भी सब समझ जाते है। जरुरत के हिसाब से एक दूसरे के चुपचाप काम आ जाते हैं। इसी आस्था का नाम ही तो पूजा है ना, ..किंचित समर्पण भी ।
अपराहन तीन बजे तक़ मैं नैनीताल में पहुंच चुका था। थोड़ी ठंढ मेरे एहसास में थी। नीचे तो मैदानों में अभी भी उमस वाली गर्मी ही थी।
तल्ली ताल बस स्टैंड से गुजरते हुए जब लोअर माल रोड के लिए मेरी गाड़ी मुड़ी तो अनायास ही तुम्हारा सलोना चेहरा मेरे सामने आ गया था। यहीं कोई पिछले साल की ही तो बात थी न ? दशहरे का समय भी था। आपके गृह प्रवेश के सिलसिले मैं आया हुआ था। आपने अयारपाटा में एक पुराना ही मकान ख़रीदा था।
सामने वायी तरफ़ माँ पाषाण देवी का मंदिर दिखा तो सबकुछ देखा अनदेखा दृश्य चल चित्र की भांति अतीत से निकल कर मेरी आखों के समक्ष आने लगा था । एक बड़ा सा चट्टान का टुकड़ा न जाने कब पहाड़ से टूट कर झील में समा गया था। शायद पिछले साल ही अगस्त के महीने में । लेकिन माँ पाषाण देवी को रत्ती भर नुकसान नहीं हुआ था। अभी भी इस तरफ़ से बड़े बड़े बोल्डर गिरे पड़े दिख रहें थें । तुमने कभी कहा था माँ पाषाण देवी ही नैनीताल की रक्षा करती है।
मुझे याद है ........मैं आपके अयारपाटा के बंगले में ठहरा हुआ था ,ऊपर वाली बालकनी से सटे रूम में जिसकी खिड़कियां बाहर खुलती थी । एक इकलौता कम पत्तों वाला पेड़ शायद अभी भी हो वहां पर।

अयारपाटा के डोर्थी सीट से दिखती नैनीताल की पहाड़ियां : गवाह है : फोटो महेश.

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धारावाहिक यात्रा संस्मरण
नवरात्रि नैनीताल और शक्ति नैना देवी मंदिर.
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डॉ.मधुप.
शक्ति. नैना सुनीता प्रिया अनुभूति
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यात्रा वृतांत ये पर्वतों के दायरें से साभार.
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गतांक से आगे : २.
सप्तमी : शक्ति पाषाण देवी : नैनी झील.
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कहानीकारों का जीवन : जीवन चलने का नाम.


नैनी झील ,ठंढी सड़क और माँ पाषाण देवी मंदिर : फोटो कोलाज : शक्ति. विदिशा 
नवीन दा बतला रहे थे नैनीताल में दुर्गा पूजा महोत्सव की तैयारियां चल रही हैं, जिसमें साफ-सफाई, लाइटिंग, मोबाइल टॉयलेट, यातायात नियंत्रण और शांति व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन, पुलिस और विभागों को निर्देश दिए गए हैं. यह धार्मिक और पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण शहर अपनी धार्मिक और पर्यटन नगरी की पहचान को मजबूत करते हुए इस आयोजन को भव्य रूप में मनाता है हमेशा की तरह इस साल भी बजरी वाले मैदान में ही रावण दहन की व्यवस्था की गई है। हम सभी शक्ति के आगमन की प्रतिक्षा में ही है। यह उत्सव देवी दुर्गा के कैलाश पर्वत से अपने मायके लौटने का प्रतीक है और पश्चिम बंगाल में सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है।
शक्ति महोत्सव के दौरान विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ, जैसे कलात्मक पंडालों का निर्माण और देवी दुर्गा की सुंदर मूर्तियों की स्थापना शामिल है.लोग नए कपड़े पहनते हैं, पारंपरिक भोजन और मिठाइयों का आनंद लेते हैं.उत्सव के दौरान नृत्य, नाटक, राम लीला और संगीत जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। शक्ति पीठ नैना की सरोवर नगरी में शक्ति पूजा की विशेष धूम होती है।
फोटो : शक्ति अनु 
सप्तमी की देर रात ही हमें अपने गंतव्य स्थान के लिए निकलना पड़ा। पत्रकारों ,कहानीकारों का जीवन ऐसे ही जोख़िम भरा होता है। कब हमें रिपोर्टिंग के लिए जाना पड़े ,कहाँ जाना पड़े ,कोई सुनिश्चित नहीं होता । हम आदेश के पालक होते हैं। पल में हम कहाँ होंगे हम भी नहीं जानते है। कैमरा , लैप टॉप , मोबाइल ,बैटरी, वाई फाई ,चार्जर,आई कार्ड, डेविड कार्ड बगैरह आदि सब मैंने अपने बैग में सुबह रख लिया था। देर दोपहर तक़ ९०२ किलोमीटर की दूरी तय कर हमें नैनीताल पहुंच ही जाना था ।
सुबह नौ के आस पास मैं बरेली पहुंच चुका था। मेरी सुविधा के लिए ही मेरे बड़े भाई जैसे हल्द्वानी के संपादक रवि शर्मा ने अपनी कार भिजवा दी थी जिससे मैं शीघ्र अति शीघ्र नैनीताल पहुंच सकूँ । कितना ख़्याल रखा था भैया ने ? कैसे मैं आपका आभार प्रगट करूँ।
सच अनु कभी कभी ख़ुद से मन के बनाए गए रिश्तें कितने संवेदनशील होते है । स्थायी भी , है ना। कभी कुछ कहना नहीं पड़ता है। हम बेजुबान होते हुए भी सब समझ जाते है। जरुरत के हिसाब से एक दूसरे के चुपचाप काम आ जाते हैं। इसी आस्था का नाम ही तो पूजा है ना, ..किंचित समर्पण भी ।
अपराहन तीन बजे तक़ मैं नैनीताल में पहुंच चुका था। थोड़ी ठंढ मेरे एहसास में थी। नीचे तो मैदानों में अभी भी उमस वाली गर्मी ही थी।
तल्ली ताल बस स्टैंड से गुजरते हुए जब लोअर माल रोड के लिए मेरी गाड़ी मुड़ी तो अनायास ही तुम्हारा सलोना चेहरा मेरे सामने आ गया था। यहीं कोई पिछले साल की ही तो बात थी न ? दशहरे का समय भी था। आपके गृह प्रवेश के सिलसिले मैं आया हुआ था। आपने अयारपाटा में एक पुराना ही मकान ख़रीदा था।
सामने वायी तरफ़ पाषाण देवी का मंदिर दिखा तो सबकुछ देखा अनदेखा दृश्य चल चित्र की भांति अतीत से निकल कर मेरी आखों के समक्ष आने लगा था । एक बड़ा सा चट्टान का टुकड़ा न जाने कब पहाड़ से टूट कर झील में समा गया था। शायद पिछले साल ही अगस्त के महीने में । लेकिन पाषाण देवी को रत्ती भर नुकसान नहीं हुआ था। अभी भी इस तरफ़ से बड़े बड़े बोल्डर गिरे पड़े दिख रहें थें । तुमने कभी कहा था माँ पाषाण देवी ही नैनीताल की रक्षा करती है।
मुझे याद है ........मैं आपके अयारपाटा के बंगले में ठहरा हुआ था ,ऊपर वाली बालकनी से सटे रूम में जिसकी खिड़कियां बाहर खुलती थी । एक इकलौता कम पत्तों वाला पेड़ शायद अभी भी हो वहां पर।

अयारपाटा के डोर्थी सीट से दिखती नैनीताल की पहाड़ियां : फोटो महेश.
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हिंदी धारावाहिक : यात्रा संस्मरण. 
गतांक से आगे : ३ .
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सप्तमी , महाष्टमी के दिन मैं कैसे भूल सकता हूँ ? 
शक्ति स्वरूपा लाल सुर्ख साड़ी,

तुमने कभी मुझे बतलाया था नैनीताल का पाषाण देवी मंदिर आस्था और चमत्कार का अद्भुत केंद्र है. नैनी झील के किनारे स्थित ठण्डी सड़क से सटे यह मंदिर शक्ति दुर्गा के नौ स्वरूपों का अद्वितीय स्थल है, जहाँ सब की अभिलाषा पूरी हो सकती है ...पंडित जी महाराज बतला रहें थे आज सप्तमी अष्टमी दोनों की मिश्रित तिथि है। कल शाम तक़ अष्टमी तिथि रहेगी ....ये हिंदी महीने की तिथि गणना कभी समझ में नहीं आयी..... अनु !
महाष्टमी : आज की तरह ही एक साल पूर्व भी  नवरात्रि अष्टमी महागौरी की तिथि थी।आपने सुबह  सबेरे चाय की प्याली देते समय यह बतला दिया था कि आज हमें माँ पाषाण देवी के दर्शन करने हेतु जाना है। आप अष्टमी का व्रत भी रखेंगी।
फोटो : डॉ. मधुप 
मां पाषाण देवी के दर्शन के बाद ही कुछ फल का आहार लेंगी। दिन भर उपवास में बीतेगा। 
मैंने यह तय कर लिया था कि मैं नहा धोकर पूरी तरह से तैयार मिलूंगा ताकि आप की पूजा,आराधना में तनिक भी विलंब ना हो सके और आप नियमित समय से पूजा कर सके । 
याद है अनु  हम कितना समयबद्ध थे। प्रातः ८ बजे तक हम तैयार भी हो गए थे।
यहीं तो शाश्वत प्रेम हैं न, अनु.....? बिन बोले सम्यक मार्ग ,सम्यक कर्म की ओर हम सभी प्रवृत हो। है ना ....! 
माल रोड पर लम्बा जाम लगा हुआ था, और मेरी गाड़ी कतार में खड़ी थी। मुझे शायद इसकी तनिक फ़िक्र भी नहीं थी ,मैं तो कहीं और खोया हुआ था । अतीत में ,ये वही पल दो पल की हमारी तुम्हारी यादें हैं जो मेरे जीवन भर की अर्जित सम्पत्ति है। 
महाष्टमी के दिन मैं कैसे भूल सकता हूँ ? शक्ति स्वरूपा लाल सुर्ख साड़ी,पैरों में आलता लगाए, पीली चुनरी और हल्के आभूषण के श्रृंगार में आप दिव्य रूप में जैसे मां की शक्ति का प्रतीक ही दिख रही थी।शांति  स्वरूपा भी। 
सच कहें तो मुझे शांति और शक्ति दोनों अधिकाधिक चाहिए था ,है न। शांति लिखने मात्र के लिए और शक्ति स्वास्थ्य के लिए। ये दोनों चीजें ही अहम हैं हमारे लिए। मन अशांत हो तो लिख नहीं पाता हूँ। सब ख़ुशी व्यर्थ रहती है । शक्ति नहीं है तो जीवन आश्रित और निरर्थक हो जाता है ,किसी शरणार्थी की भांति । 

नैनी झील ,ठंढी सड़क और माँ पाषाण देवी मंदिर : फोटो कोलाज : शक्ति डॉ सुनीता शक्ति प्रिया अनुभूति 

पूजा की थाली,चढ़ाई जाने वाली दूध की बनी आवश्यक सामग्री आदि लेकर घर से चलते हुए हम 
तल्लीताल स्टैंड तक पहुंच गए थे। और वहां तक मैंने खुद ही गाड़ी चलाई थी। तल्लीताल के बस स्टैंड में कार को खड़ी करते हुए हम ठंडी सड़क की तरफ पैदल ही बढ़ गए थे। मुझे मालूम था पाषाण देवी का मंदिर यही कहीं झील के मध्य में ही स्थित है। 
फोटो : शक्ति अनु 
आगे बढ़ते हुए तुम कह रही थी, '..जानते हैं ...तल्लीताल मल्लीताल में इन दिनों नवरात्रि के अवसर पर रामलीला का जबरदस्त आयोजन होता है जिसे देखने के लिए स्थानीय लोगों की काफी भीड़ जमा होती है...' 
सच में मुझे रामलीला की भीड़ भी दिखी थी मल्ली ताल में। निर्माण कार्य प्रगति पर था इसलिए आम लोगों को काफ़ी परेशानी हो रही थी। 
मुझे याद आया प्रत्यक्ष था कि ५०० मीटर की दूरी तक हमें पैदल ही चलना था क्योंकि इधर ठंडी सड़क पर कोई रिक्शा आदि नहीं चलता है । हम बड़े आराम से कदम बढ़ा रहे थे,ताकि बातें भी होती रहें, कहानी भी बयां होती रहे। 
हाथ में पूजा की थाली लिए ठंडी  सड़क पर चलते हुए आपने माता पाषाण देवी के बारे में बतलाना शुरू कर दिया था। मैं जिज्ञासु बना आपकी बातों को बड़ा एकाग्रता से ध्यान पूर्वक सुन रहा था।
जानते है, ......' नैनी झील के किनारे पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर में शक्ति भगवती विराजमान हैं। मंदिर में माता की प्राकृतिक रूप से मूर्ती स्थापित है और माना जाता है कि यहां देवी शक्ति साक्षात रूप से वास करती हैं।
आगे तुम बता रही थी , ' मंदिर की एक विशेषता ये भी है यहां आप देवी भगवती के पूरे नौ रूपों के दर्शन कर सकते हैं। यहां आने वाले हर चर्म रोगी को अपनी बीमारी से छुटकारा मिलता है। यही नहीं, अगर किसी को भी हकलेपन की समस्या है, वो भी पाषाण देवी दूर कर देती है।.....सुन रहें है ना ? '

ठंढी सड़क और  पाषाण देवी प्रवेश द्वार : नैनीताल फोटो : साभार 

मां पाषाण देवी : शक्ति पीठें  '..माता  की भक्ति में ही अपरंपार शक्ति है। मां तो सती का रूप ही है। आपको भी ज्ञात है कि माँ पार्वती की देह से अलग होकर उनके अंग जहाँ - जहां गिरे वहां शक्तिपीठें निर्मित होती चली गईं। प्रतीत होता है माता पार्वती के नयन नैनीताल में गिरे थे और उनसे निःसृत होती आंसुओं की धारा से नैनी झील का निर्माण हुआ था । .....क्योंकि दिखने इस झील की आकृति ही आँख जैसी ही हैं। '
'.....याद है आपको ...जब हम चाइना पीक गए थे तो वहां से नीचे झील देखी थी ,तो यह झील माँ की आँखों जैसी दिख रही थी । .....दिख रही थी  न ?' 
' ...इस झील के किनारे ही मल्लीताल में माता नैना देवी का मंदिर है जो आपने देखा ही है। और ठीक उस जगह से ही तल्लीताल की तरफ जाने के लिए ठंडी सड़क आरम्भ होती है। ...हमलोग तो मंदिर कितनी दफ़ा गए है,गए है न ....?
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पाषाण देवी : लघु फिल्म : 
शक्ति. बीना नवीन जोशी. 
निदेशिका सम्पादिका : शक्ति बीना नवीन जोशी : नवीन समाचार : नैनीताल : 
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हिंदी धारावाहिक : यात्रा संस्मरण. 
गतांक से आगे : ४  .
नैनीताल, शक्ति पीठ नैना देवी मंदिर,का दर्शन. मल्ली ताल
गतांक से आगे. ४ . झील के उस पार,तल्लीताल :

नैना देवी शक्ति का दर्शन.नैनी झील और तुम : कोलाज फोटो : शक्ति. प्रिया डॉ.सुनीता मधुप.

आज आश्विन शुक्ल पक्ष की नवमी की तिथि थी। सिद्धिदात्री  का दिन था। आर्य समाज मंदिर से सुबह सबेरे ही मैं नहा धो कर माता के दर्शन के लिए निकल गया था। सोचा पहले माता के दर्शन के बाद कुछ काम करूँगा। 
इस मंदिर परिसर में तो हम कितनी बार आ चुके थे अनु ..? ...है ना ! यही कोई चार पांच बार ..
शक्ति नैना देवी मंदिर : सबेरे के आठ बज रहे थे। धूप अभी तीखी नहीं हुई थी। मंदिर में सैलानी थे ही नहीं। ले दे के स्थानीय लोग ही थे। मैंने चढ़ावे के लिए कुछ प्रसाद ले लिया था। मंदिर में प्रवेश करते ही हनुमान जी दिख गए। 
नैनीताल में नैनी झील के ठीक उत्तरी किनारे पर जन आस्था का मंदिर नैना देवी मंदिर स्थित है। सन १८८० में जब भयंकर भूस्खलन  नैनीताल में आया था तब यह मंदिर उस प्राकृतिक आपदा में नष्ट हो गया था। बाद में भक्त जनों और श्रद्धालुओं ने इसे दोबारा बनाया था । यहाँ सती या कहें माता पार्वती की शक्ति के रूप की पूजा की जाती है। इस मंदिर में उनके दो नेत्र वर्त्तमान हैं जो नैना देवी को दर्शाते हैं। 
नैनी झील के बारे में माना जाता है जब शिव सती  की मृत देह को लेकर कैलाश पर्वत जा रहें  थें  तब जहां जहां उनके शरीर के खंडित अंग गिरे  वहां वहां शक्ति पीठों की स्थापना हुई। नैनी झील के स्थान पर देवी सती के नेत्र गिरे थे। इसलिए इसी धार्मिक भावना से प्रेरित होकर इस मंदिर की स्थापना की गयी थी। 
माँ नयना देवी के मंदिर के देखभाल का जिम्मा अमर उदय ट्रस्ट करती है। 
पौराणिक गाथा : वही है जो हमने कई बार सुनी है। जब शिव सती के जले अंग को लेकर की कैलाश पर्वत की तरफ जा रहें थे तो उनके भीतर बैराग्य भाव  उमड़ पड़ा था। उन्होंने सती के जले हुए शरीर को कंधे पर डालकर आकाश भ्रमण करना शुरू कर दिया था तो देव गण चिंतित हो गए थे। ऐसी स्थिति में सती के शरीर को खंडित किया गया। अतएव जहां जहां पर सती के शरीर के विभिन्न अंग गिरे वहां वहां पर शक्तिपीठों के निर्माण हो गए। यहां पर नैनीताल में सती  के नयन  गिरे थे इसलिए यह स्थान नैनीताल हो गया। वहीं पर नैना देवी के रूप में उमा अर्थात नंदा देवी का स्थान हो गया आज का नैनीताल वही स्थान है जहां पर उस देवी के नयन  गिरे थे। नैनों  से बहते अश्रुधार ने यहाँ ताल का रूप ले लिया था इसलिए यह ताल नैनीताल कहलाया। तब से निरंतर यहां पर शिव - पार्वती की पूजा नैना देवी के रूप में की जाती है। 
अन्य मंदिर : नैना देवी जो मुख्य मंदिर है इसके अलावह यहाँ भैरव ,माँ संतोषी ,नवग्रह ,राधा कृष्ण ,भगवान शिवबजरंग वली का मंदिर तथा, दशावतार कक्ष भी बने हुए हैं । मंदिर से सटे नैना देवी का धर्मशाला भी हैं जहाँ भक्त गण ठहर भी सकते हैं। 
इसके लाल टिन वाली छत देखते ही मुझे राजेश खन्ना ,तथा आशा पारेख अभिनीत  फ़िल्म कटी पतंग याद आ गयी थी जिसमें पूजा करने के लिए दोनों यहाँ आते हैं। तब उसी फ़िल्म में मैंने नैना देवी मंदिर को पहली बार सिल्वर स्क्रीन में देखा था। इसके बाद तो न जाने कितनी बार देखा। जब कभी भी मैं नैनीताल आता आप मुझे यहाँ दर्शन के लिए ले ही आती थी। 
पंडित जी ने कुछ फूल दे कर प्रसाद मुझे वापस कर दिया था। नैना देवी के दर्शन के बाद मैंने परिसर में अन्य देवी देवताओं के भी दर्शन किए। लेकिन न जाने क्यों मुझे यह बार बार लगता रहा जैसे तुम मेरे साथ हो ...और  मंदिर की परिक्रमा साथ कर रही हो ...
मंदिर परिसर में कई धागें और कई चुनरियाँ बंधी मिली थी जो लोगों ने अपने मन्नतों के लिए बाँधी थी । अरमानों के धागें, मनोकामनाओं की अनगिनित चुनरियाँ ,है न ,अनु । इनमें से दो तीन तो आपकी भी होंगी ही न ?
याद है ,मैंने एक बार इन धागों के बारें में आपसे पूछा भी था तो आप हंस कर टाल गयी थी... ' क्या करेंगे जान कर ? ,...जिस दिन आपकी हमारी मनोकामना पूरी होगी आप भी जान ही लेंगे ......। 
फ़िर एक बार बिना पूछे ही बतला दिया था ... ' ..कुछ नहीं ...बस आपके साथ जनम जनम का साथ चाहती हूँ ....'
तब मैंने कहा भी था ...' आख़िर मुझमें क्या है ,अनु ...मैं तो बस एक साधारण इंसान हूँ ...तुच्छ प्राणी मात्र हूँ ...
'.... साधारण नहीं ..बहुत कुछ है आप में ..! ..कितना ख़्याल रखते है ,मेरा ...सब का.. ! ..सच कहें ... तो लोग ठीक से समझ ही न पाए आपको ....!
'..सही तो है ... क्या लोग समझ पाए मुझे ...नहीं न ..? ' , स्वयं की तरह व्यक्तिवादी होने की बजह से मैं अन्य से अपने लिए शांति ,धैर्य और सत्य के अन्वेषण की ही बात करता हूँ न ...? 
तुमसे ही तो मैंने जीने की कला सीखी  है , तुम अक़्सर मुझे समझाते रहती थी,  ' ...किसी नतीजें पर पहुँचने से पहले ....रुक जाओ ,ठहर जाओ ,समझ लो ..सत्य जान लो ,अपनों से संवाद कर लो ..सारी समस्याएं निराकृत हो जाएंगी ..शीघ्रता मत करो ..। 

था झील का किनारा.नैना देवी से दिखती नैनी झील :कोलाज फोटो : शक्ति.प्रिया डॉ.सुनीता मधुप.

सच में तुम्हारे बिना कितना अकेला हूँ , मैं ..भाव से ...संवाद से ..अस्तित्व से ..व्यक्तित्व से। एकदम सा अधूरा ..अपूर्ण...। 
तुम्हारी अनुपस्थिति में आज उदासी के बादल फ़िर से मेरे मन में घनीभूत हो गए थे। जैसे मेरी ऑंखें कब की बरस जाएंगी। 
उदास होते हुए मैं मंदिर से सटे रेलिंग के किनारे झील को देखने सरक आया था कि झील के मध्य में तैरती हुई नौकाओं को देख कर मुझे फिर से कुछ याद आ गया.....  
सच कहें तो झील के बीच में तुम्हें ही तलाश कर रहा था ,अनु । तुम्हारे लिए, तुम्हारी तलाश में पहाड़ियों में चिर निरंतर से भटकती हुई आत्मा ही बन गया हूं ना मैं ? हैं ना। 
तुम्हें याद हैं ना ,अनु इसी झील के किनारे इसी मंदिर परिसर में वापस लौटने के क्रम में तुमने मेरी सूखी हाथों को अपनी बर्फ़ जैसी कनकनी देने वाली नर्म हथेली से स्पर्श कर कहा था , ' ....ऐसा करते है नाव किराये पर ले लेते है ...और यही से तल्ली ताल चलते है...।' 
झील के उस पार,तल्लीताल :ऐसा कह कर तुम अपनी बच्चों वाली ज़िद ले कर बोट में बैठ गयी थी,है ना ? 
क्या करता,मुझे भी तुम्हारा साथ देने के लिए तुम्हारे लिए नाव में बैठना पड़ा था। नाव वाले से तुमने चप्पू भी ले लिए थे या कहें छीन ही लिया था और हम सभी नाव खेते हुए झील के बीचोबीच पहुंच गए थे। पानी से कितना डर लग रहा था। हमदोनों में से कोई भी तैरना नहीं जानता था। सामने ठंढी सड़क पर स्थानीय लोग आ जा रहें थे। बाहर वाले शायद कम ही होंगे। 
गोलू देवता मंदिर की तरफ़ देखते हुए न जाने तुम इतना भावुक क्यों हो गयी थी ..' इस झील में मैं डूब कर मर जाऊं ...और आप मेरी आँखों के सामने हो तो समझूंगी जीना सार्थक हो गया है ... भला  तुम कैसी बहकी बहकी बातें कर रही थी ,अनु । 
भगवान न करें ऐसा हो जाए। गोलू देवता का आशीर्वाद सब के ऊपर हो। सभी लोग सुखी रहें और निरोग भी। पहाड़ी लोगों के आराध्य देव है गोलू देवता। तुम भी तो अतीव विश्वास करती हो ना। तब संध्या  आरती का वक़्त हो रहा था ...न ? 
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लिखी हैं मैंने चिट्ठी : गोलू देवता को
शॉर्ट रील : शक्ति प्रिया मीना सुनीता मानसी
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हिंदी धारावाहिक : यात्रा संस्मरण. 
 नैनीताल और शक्ति नैना देवी मंदिर, 
बजरी वाला मैदान : रावण दहन 
आखिरी क़िस्त .गतांक से आगे.५ .विजयादशमी
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डॉ.मधुप.
शक्ति. नैना सुनीता प्रिया अनुभूति.
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यात्रा वृतांत ये पर्वतों के दायरें से साभार.
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विजयादशमी
. और जलते रावण के पुतले : फोटो : महेश सुनाथा : नैनीताल. 

आज विजयादशमी की तिथि थी। महानवमी के बाद पूरे देश में असत्य पर सत्य की विजय का पर्व दशहरा धूमधाम से मनाया जाता है। इसी​ दिन भगवान श्रीराम ने दशानन रावण का वध किया था ,तभी से इस दिवस को समस्त भारत में विजयादशमी के पर्व बतौर मनाया जाता है। 
नवरात्रि समाप्त हो चुकी थी। आज दशमी का पर्व था। लोगों से मिलकर उनके साथ की गई बातचीत के आधार पर ख़ास कर आज की विशेष रिपोर्टिंग कर मुझे लौटना भी था।  सामान बगैरह मैंने पूर्व में ही बांध लिया था। मल्लीताल के फ्लैटस एवं तल्लीताल बस स्टैंड के पास में रावण तथा उसके कुल के पुतले दहन की तैयारी की जा चुकी थी। तल्लीताल में चूंकि जगह ज्यादा नहीं थी इसलिए रावण के पुतले को छोटा आकार ही दिया गया था। 
मल्लीताल के बजरी वाले मैदान में इसकी पूरी तैयारी प्रशासन ने कर ली थी। चूँकि यह मैदान बड़ा था मेरे आर्य समाज मंदिर के समीप था तो शाम सवा सात बजे की रिपोर्टिंग कर लौट भी सकता था। हल्द्वानी लौटने के लिए कार का इंतजाम हो चुका था। इसलिए कोई हड़बड़ी या चिंता वाली बात नहीं थी। हमें महज़ समयबद्ध रहना था। 
हम विजयादशमी पर्व के निहित संदेश पर अब भी हम गौर कर ले। इस त्योहार का यह संदेश हमारे समक्ष है ,इसे देने का प्रयास इसके निमित इसलिए किया गया है कि व्यक्ति के द्वारा किए गए हज़ार महान कर्मों के उपर उसके पाप भारी पड़ जाते हैं। और उसका पतन आरम्भ हो जाता है। इसलिए हमें अधर्म से बचना चाहिए। और धर्म के रास्ते में आने वाली हर रुकावट व्यक्ति के धैर्य की परीक्षा है, पर उस संघर्ष के आगे जीत भी है जैसे राम की हुई थी ।
हर युग में राम और रावण जैसे लोग होते हैं। सतयुग में थे कलयुग में तो भरे पड़े हैं। यहाँ सीता भी बदनाम हो जाती हैं।  सीता पर उंगली उठाने वाले लोग भी बहुतेरे हैं । कल्पना कीजिए सीता पर भी प्रश्न  उठ गए तो हम और आप कहाँ है । कैकई मंथराशबरी केवट , विभीषण , कुंभकर्ण ,जटायु , सूर्पनखा जैसे लोग हमारे आस पास ही मौजूद रहते  हैं। हमारा जीवन एक रंगमंच के समान है जहां हर मानव को अपना किरदार मिला हुआ है।  ईमानदारी से अच्छें क़िरदार निभाने का अवसर मिला है जिसे बड़ी शिद्दत से निभाने का प्रयास कीजिए। सच के लिए खड़े हो जाए। 
फोटो : शक्ति अनु
रावण दहन : शाम होते ही लोगों की भीड़ जमा होने लगी थी। सैकड़ों की तादाद में लोग आ रहें थे। उनमें से कुछ रावणत्व वाले भी लोग होंगे ही जो विद्वान लंकेश को भस्म करने पहुंचे थे। समय के साथ ही राम ने पुतले में आग लगा दिया गया और रावण जलने लगा इस सवाल के साथ कि हर साल तुम लोग तो मुझे जला रहें हो लेकिन मुझे सिर्फ़ इतना बता दो कि रामराज कब ला रहें हो...। 
धीरे धीरे भीड़ हटने लगी थी। मैं भी आर्य समाज मंदिर लौट चुका था। अब लौटने की बारी थी। मैंने नवीन दा को दिल से आभार प्रगट करते हुए घर लौटने की सूचना दे दी थी। 
वहाँ से वापसी का सफ़र : समय गतिशील था। आठ बजे के आस पास मेरी गाड़ी काठ गोदाम लौट रही थी। नौ बजे वहाँ से वापसी की ट्रेन थी। तुम्हारी यादों के साथ ही इस भागमभागी में मैंने अपना कार्य  भलीभांति पूरा कर लिया था।
अब सिर्फ़ तुम : मेरे मानस पटल के एक कोने में जैसे तुम शक्ति स्वरूपा हो कर हर समय उपस्थित रही थी, और मुझे जैसे निर्देशित करती  रही थी । ...इतना सब कुछ तुम्हारे बिना , लेकिन बिना किसी बाधा के  समस्त कार्य का संपन्न हो जाना ,अनु .. आश्चर्य ही था न। बोलो न ... सच कहें ....प्रतीत हो रहा था जैसे कोई दिव्य शक्ति काम कर रही हो ...
आप हरदिन अपनी प्रशासकीय व्यस्तता के बाबजूद  भी स्विट्जरलैंड से नित्य दिन टेलीफ़ोन,मोबाइल  से मेरे बारें में पूछती रहीं थी ,स्वास्थ्य के बारें में जानकारी लेती रही। हिदायत देती रहीं।  
इस भावना के लिए मैं तुम्हारे लिए क्या कहूं ...कौन से शब्द दूँ ,समझ नहीं पाता हूँ। ..शून्य में खो जाता हूँ। सोचता हूँ ...आभार प्रगट करूँ ..या आँखें बंद कर मान लूँ कि यही शाश्वत  प्रेम है। एक दूसरे को समझ लेना ,वक़्त बेवक़्त ख़्याल रखना ही तो अमर प्रेम है ....
समय पर मैं काठ गोदाम पहुँच चुका था। ...ट्रेन खुल चुकी थी, समय पर ही। अब आगे का सफ़र जारी था वापसी का .... इति शुभ । 


नैनीताल से रावण दहन की डॉ. मधुप सह डॉ.नवीन जोशी की वीडियो न्यूज़ रिपोर्ट पूर्व 

स्तंभ संपादन : शक्ति. रेनू मानसी कंचन श्रद्धा
स्तंभ सज्जा : शक्ति. तनु.मंजिता सीमा अनुभूति.
गीत लघु फिल्म : संकलन : शक्ति. डॉ.अनु मीना माधवी बीना जोशी .

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ये मेरा गीत : जीवन संगीत : कल भी कोई दोहराएगा : विजया शक्ति : तराने : पृष्ठ : ६.
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संपादन
*
शक्ति प्रिया मीना श्रद्धा शबनम
*
शक्ति प्रार्थना
फिल्म : अंकुश.१९८६
सितारे : निशा सिंह नाना पाटेकर मदन जैन
गाना : इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन का विश्वास कमजोर हो न


गीत : अभिलाष. संगीत : कुलदीप सिंह. गायिका : पुष्पा पगधरे सुषमा श्रेष्ठा
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं
*
फिल्म : बत्ती गुल मीटर चालू. २०१८

*
सितारे : शाहिद कपूर.श्रद्धा कपूर.
गाना : मन पावन हो गंगा में डूबे  नहाय 
मन रावण जो लहरों में क्यों न बहाय 
गीत : सिद्दार्थ गरिमा संगीत : सचेत परम्परा. गायक : अर्जित सिंह 
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 
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विजया शक्ति : फ़िल्मी कोलाज : पृष्ठ : ७.
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संपादन
शक्ति नैना डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया.
 
पावन जो गंगा में नहाए मन रावण जो तुमने लहरों में बहाए : नैना डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया.

नफरतों के इस जहां में हमको प्यार की वस्तियां बसानी है : शक्ति कोलाज : नैना डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया
  

इतनी शक्ति हमें देना दाता भूल कर भी कोई भूल हो न : डॉ.सुनीता अनीता शक्ति प्रिया 
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शक्ति विजया : कला कृति दीर्घा : पृष्ठ : ९.
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संपादन
शक्ति. मंजिता सीमा अनुभूति प्रिया.
*
लाली मेरे लाल की जित देखो तित लाल : इस्कॉन मुंबई : चयन : शक्ति प्रिया मीना सेजल अनुभूति.
दूसरों की जय से पहले खुद को जय करें : शक्ति : कलाकृति : डॉ.सुनीता शक्ति नैना प्रिया.
इतनी शक्ति हमें देना मन का विश्वास कमजोर हो न : नैना शक्ति माधवी सीमा प्रिया . साभार 
*
* वायरएक्सिस प्राइवेट लिमिटेड : मार्केट रिसर्च सर्विसेज अक्रॉस वर्ल्ड : मुंबई : समर्थित.

*
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समाचार : चित्र : विशेष : दृश्य माध्यम : न्यूज़ शॉर्ट रील : पृष्ठ : ११.
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सम्पादिका
डॉ सुनीता रेनू शक्ति प्रिया
*
भाविकाएँ
*
कोई राम मिले तो
तुम मुझे बतलाना
*

कार्टून : मधुप
*
रावण के दर्द को
मैं तब समझ पाया
जब रावण ने मुझसे पूछा
हर साल विजया दशमी को
पूरी भीड़ लेकर
मुझे जलाने चले आते हो
क्या इस जन समूह में किसी में राम को पाते हो
पाते हो तो तुम मुझे बतलाना
फिर मुझे उसके हाथों से ख़ुशी पूर्वक जलाना

डॉ. मधुप

*
नन्ही शक्तियों के अधिकारों के लिए मनाये डॉटर्स डे.
*
*
दृश्यम : बेटी दिवस : शॉर्ट रील : शक्ति. रेनू शब्द मुखर 

 नन्ही शक्तियां : विदिशा ऐशान्या छवि 
आज बेटी दिवस है। बेटियां हमारी शक्ति है। परिवार की आधार है। माता पिता की सांस और आस है। हमने बेटियों को अपने सम्पूर्ण परिवार के लिए संवेदनशील देखा है। कुछ लोग इस दिन को लड़कियों के अधिकारों और सशक्तिकरण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाते हैं। भारत में, बेटी दिवस, अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस के साथ मेल खाता है क्योंकि यह २८ सितंबर को मनाया जाता है. या कहें सितम्बर के चौथे रविवार को यह दिवस मनाने की परंपरा है।
लेकिन विकसित देशों में बेटी दिवस, बेटी होने और बेटी के पालन-पोषण की खुशी और आश्चर्य का जश्न मनाने का दिन है। कैसे मनाएँ: पिताओं को बेटियों को डेट पर ले जाना चाहिए, चाहे पार्क में हों या खाने पर। माताओं को प्रोत्साहन और ज्ञान के शब्द साझा करने चाहिए।
हर बिटिया के लिए  डॉटर्स डे पर आज डॉटर्स डे पर, बिटिया के लिए एक छोटी सी दुआ कहना चाहती हूँ - कि तेरी दुनिया हमेशा फूलों से भरी रहे, कदमों में सफलता के दीप जलें, और चेहरे पर हर पल मुस्कान खिली रहे। बिटिया सिर्फ एक बच्ची नहीं, एक सपना है,एक उम्मीद है, जो प्यार और संघर्ष की सबसे सुंदर गाथा है। और आज मैं यही प्रार्थना करती हूँ - कि हर बिटिया की ज़िन्दगी में कभी कोई अँधेरा न आए, सिर्फ रोशनी, प्यार और स्नेह ही उसके साथ रहे। और मैं तो यही चाहूंगी कि हर  बेटी के किस्मत में रोशनी प्यार और स्नेह उसके साथ हो

स्तंभ संपादन 
शक्ति शालिनी सीमा प्रीति अनुभूति  

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समाचार : चित्र : दिन विशेष : दृश्य माध्यम : न्यूज़ शॉर्ट रील : पृष्ठ : ११.
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संपादन
शक्ति. शालिनी रेनू प्रिया मीना
*
दिन विशेष : ८ अक्टूबर
भारतीय वायु सेना दिवस. की शुभकामनायें
*



दिन विशेष : ४ अक्टूबर
विश्व पशु कल्याण दिवस
*

*
सोलह शृंगार है हिंदी
*
जैसे हम सब के माथे पर
लगी हो कुमकुम बिंदी
वैसे ही सब भाषाओं के उपर
सोलह शृंगार है हिंदी
*

*

हम सभी देव शक्ति मीडिया परिवार की
तरफ़ से १४ सितम्बर हिंदी दिवस के उपलक्ष्य पर
अनंत शिव शक्ति शुभकामनायें
*
*
* लीवर. पेट. आंत. रोग विशेषज्ञ. शक्ति. डॉ.कृतिका. आर्य. डॉ.वैभव राज :किवा गैस्ट्रो सेंटर : पटना : बिहारशरीफ : समर्थित.
*
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शक्ति विजया : फोटो दीर्घा : कोलाज पृष्ठ : १२.
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संपादन
शक्ति नैना मीना अनुभूति बीना जोशी
नैनीताल डेस्क.
*
विजयादशमी : सिन्दूर खेला अनुष्ठान : रांची : फोटो : अशोक कर्ण : चयन : जावा सेन : दिल्ली
बजरी वाला मैदान : नैनीताल : रावण दहन : कोलाज : शक्ति बीना नवीन भारती मोहित. 
पर्व : नंदी : शिव : शक्ति : पंडाल : केदार नाथ : बिहारशरीफ : कोलाज शक्ति प्रिया डॉ.सुनीता सीमा 
शक्ति  की सौम्य शमित प्रतिमा : ऐरोली : ठाणे : महाराष्ट्र : फोटो :शक्ति.अंजलि 
शक्ति रूपेण संस्थिता : शक्ति : शिमला : फोटो : शक्ति प्रिया अनुभूति नैना. 
नव शक्ति पंडाल का अदभुत दृश्य : चयन : शक्ति : डॉ. रेनू : फोटो : अशोक करण : रांची. 
शक्ति पंडाल प्रारूप वर्धनाथ मंदिर पुणे महाराष्ट्र: बिहारशरीफ : फोटो शक्ति प्रिया डॉ. सुनीता सीमा   
अयि गिरि नंदिनी महिषासुरमर्दिनी : नन्ही शक्ति : भाव भंगिमा : कोलाज : शक्ति 
बारिश धुंध : और कभी कोहरे का शहर : महाबालेश्वर : फोटो : अनिल चौहान : कोलाज : शक्ति 
गंगा : काशी: शिव: शक्ति विंध्यवासिनी : दर्शन : फोटो साभार : शक्ति रितु : कोलाज : महाशक्ति 
विसर्जन के साथ गणपति उत्सव का समापन : नालन्दा : शक्ति. डॉ.भावना माधवी सीमा सुनीता.


शक्ति यात्रा : गंगा : विंद्याचल शक्ति की आराधना : 
साभार :फोटो :शक्ति रितु : कोलाज : शक्ति 
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डिवाइन  प्रेडिक्शन. ज्योतिषाचार्य. अश्विन कुमार : पाटलिपुत्र. समर्थित 
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चलते चलते : शुभकामनाएं : दिल जो न कह सका : पृष्ठ : १३.
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संपादन
शक्ति प्रिया डॉ. सुनीता मीना अनुभूति
*

शुभकामनाएं : जन्म दिन की.
३ अक्टूबर. शक्ति अवतरण दिवस.
* शक्ति. इं.मधुलिका कर्ण संरक्षिका.आई टी. संयुक्त मीडिया एम एस वेब ब्लॉग मैगज़ीन पेज बैंगलोर. * को उनके जन्म दिन : शक्ति अवतरण दिवस ३ अक्टूबर के मनभावन पावन अवसर पर 'हम ' एकीकृत देव शक्ति ' मीडिया ' परिवार की तरफ़ से ढ़ेर सारी प्यार भरी 'अनंत ' ' शिव शक्ति ' शुभकामनाएं '

*

शुभकामनाएं : जन्म दिन की.
२९. सितम्बर
शक्ति अवतरण दिवस.
*

शक्ति.शैली
वेब ब्लॉग मैगज़ीन पेज महाशक्ति मीडिया
फोटो. शॉर्ट रील सम्पादिका.
ठाणे.महाराष्ट्र
*
को उनके जन्म दिन : शक्ति अवतरण दिवस २९ सितम्बर के मनभावन पावन अवसर पर
' हम ' एकीकृत देव शक्ति ' मीडिया ' परिवार की तरफ़ से ढ़ेर सारी प्यार भरी
'अनंत ' ' शिव शक्ति ' शुभकामनाएं '

*
शुभकामनाएं : जन्म दिन की.
२७. सितम्बर
शक्ति अवतरण दिवस.


शक्ति. रश्मि
सम्पादिका.
नागपुर. महाराष्ट्र
*
हमारे वेब ब्लॉग मैगज़ीन पेज महाशक्ति मीडिया की
फोटो ' सम्पादिका '



को उनके जन्म दिन : शक्ति अवतरण दिवस २७ सितम्बर के मनभावन पावन अवसर पर
' हम ' एकीकृत देव शक्ति ' मीडिया ' परिवार की तरफ़ से ढ़ेर सारी प्यार भरी
'अनंत ' ' शिव शक्ति ' शुभकामनाएं '
*
शुभकामनाएं : जन्म दिन की.
२३. सितम्बर
शक्ति अवतरण दिवस.
*

शक्ति.सम्पादिका.
बंगलोर.
प्रेरणा शक्ति.तनु सर्वाधिकारी.


*
हमारे वेब ब्लॉग मैगज़ीन पेज महा शक्ति मीडिया की
निर्भीक,संवाद पूर्ण, संरक्षण दायिनी, प्रेरणा शक्ति ' सम्पादिका '
को उनके जन्म दिन : शक्ति अवतरण दिवस २३ सितम्बर के मनभावन पावन अवसर पर
'हम ' एकीकृत देव शक्ति ' मीडिया ' परिवार की तरफ़ से ढ़ेर सारी प्यार भरी
'अनंत ' ' शिव शक्ति ' शुभकामनाएं '

*
आ रहे प्रकाश पर्व : दीपावली की हमारी हार्दिक अनंत शिव शक्ति शुभकामनायें


रिश्तों की जमापूंजी : बैंक ऑफ़ इंडिया : प्रबंधक. शक्ति. नेहा : समर्थित
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दिल जो न कह सका : पृष्ठ : १३.
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डॉ सुनीता शक्ति प्रिया अनुभूति
*
तुम्हारे लिए
*
*
फ़िल्मी तराने : कही ये वो तो नहीं


शॉर्ट रील : फिल्मी तराने : साभार
तुम जो मिल गए हो तो ये लगता है
कि जहाँ मिल गया है



मुंबई / बारिश / मेरिन ड्राइव और मेरी यादें
चयन : शक्ति प्रिया मीना श्रद्धा अनुभूति
*
लिखे जो ख़त तुझे जो तेरी याद में : शॉर्ट रील :
शक्ति प्रिया मीना श्रद्धा अनुभूति : नैनीताल डेस्क
*

साथी तेरे नाम एक दिन : जीवन कर जायेंगे


फ़िल्म देवदास : पारो और चंद्र मुखी की पहली मुलाक़ात


राधा ने यही पूछा था एक दिन रूठ कर श्याम से


काहे को बुलाया मुझे बालमा प्यार के नाम से

साभार : शक्ति : मृगनयनी : तेरी बिंदिया रे


*
English Section.
Shakti.Pooja. Arya.Dr.Rajeev Ranjan. Child Specialist.Biharsharif. supporting 


*
Shakti.Dr. Rashi : Gynecologist : Muzaffarpur. Bihar
*
supporting
*
O Sajana Barkha Bahar Aayi : Blog Magazine Page
English Section.

*
Contents Page : English.
Cover Page : 0.
Contents Page : 1.
Shakti Editorial Page : 2.
Shakti Vibes English Page : 3
Shakti Editorial Writeups : 4. 
Short Reel : News : Special : English : Page : 5.
Shakti Photo Gallery : English : Page : 6.
 Shakti : Kriti Art  Link :  English :  Page : 7
 Days Special : English : Page : 8.
You Said It : Page : 9
*
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Shakti Editorial : English Page : 2.
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*
*
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Shakti Editorial : Page : 2
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Chief Editor.
Bengaluru* Desk.


*

Shakti : Prof. Dr. Roop Kala Prasad.
Shakti : Prof. Dr. Bhwana
Shakti : Tanushree Sarvadhikari.
Shakti : Baisakhi.
*
Executive Editor 
*

*
Editor :
Shakti Manjita Seema Priya Tanu Sarvadhikari.
*

Shakti.Pooja.Arya.Dr.Rajeev Ranjan.Child Specialist.Biharsharif.supporting

*
 A Celebration of Faith, Culture & Togetherness Puja Fervor 2025
*
a Divine Shakti Article *by
*

*
Ashok Karan.
Hindustan Times ( Patna. Ranchi ) Ex.Staff Photographer
Public Agenda Ex.Photo Editor :New Delhi
Present : Photo Editor M.S Media Blog Magazine Page
Free Lance.
*
Photo & Text : Ashok Karan.
* 
shakti pandals have stood out this season with their unique themes : Photo.

Durga Puja with spiritual energy, cultural pride : Durga Puja has once again transformed the city into a vibrant tapestry of faith, devotion, and festivity. From early morning rituals to late-night pandal hopping, the atmosphere is alive with spiritual energy, cultural pride, and collective joy.
This year, pandals across the city have drawn massive crowds — families, children, and elders alike — dressed in colorful new attire, immersing themselves in the festive spirit. Law and order personnel and volunteers are working tirelessly to manage the surging crowds, ensuring everyone experiences the celebration safely.
Several Shakti pandals stood out this season for their unique themes  : Durga Puja symbolizes the eternal triumph of good over evil, as Goddess Durga defeats Mahishasura. The festival is marked by elaborately themed pandals, dazzling LED illuminations, devotional music, and soul-stirring beats of dhak and conches. The celebrations are further enriched by cultural performances, dances like Garba in some regions, and the irresistible aroma of festive food.
Several pandals have stood out this season with their unique themes and artistry. Harmu Bazaar, Garikhana, and Bakri Bazaar have recreated iconic structures. including a replica of Angkor Wat, the world’s largest Hindu temple in Cambodia. Meanwhile, Rajasthan Mitra Mandal has chosen an inspiring theme around the value of education. Each pandal not only entertains but also carries a positive social message.
Trishakti : Goddess Durga with Saraswati, Lakshmi :   The idols of Goddess Durga and her divine entourage — Saraswati, Lakshmi, Ganesha, and Kartikeya — are a sight to behold. Painstakingly sculpted by artisans, many from West Bengal, the idols radiate lifelike expressions, making devotees feel as if Ma Durga herself is conversing with them. Importantly, many artisans are now using eco-friendly materials like bamboo, coir, clay, and cloth, adding a sustainable touch to the festival.
On Maha Shasthi, priests at Durga Bari performed rituals to mark the formal beginning of the puja. By evening, the Goddess was adorned in vibrant new attire, her idol decorated with traditional artistry, signaling the start of days filled with devotion and festivities.
Kolkata’s Durga Puja a UNESCO Intangible Cultural Heritage : Kolkata’s Durga Puja has already been recognized as a UNESCO Intangible Cultural Heritage, and its influence resonates across other regions too. Digital innovations, themed artistry, and cultural vibrancy are making pandals not just centers of worship but also hubs of creativity and community spirit.
The pleasant Sunday weather only added to the enthusiasm, with thousands thronging the streets and pandals. The rhythmic beats of dhak, the blowing of conches, and the joyful dancing of devotees created an atmosphere of pure euphoria. Volunteers and police personnel guided the crowds with dedication, ensuring a smooth and safe celebration.
The festival also brought a boost to local businesses. Street vendors, auto-rickshaw drivers, and food sellers enjoyed brisk trade as people indulged in mouth-watering treats — from Tikki Chaat and Samosa Chaat to Litti Chokha, Pav Bhaji, and more. Truly, Durga Puja is as much about shared meals and laughter as it is about faith and devotion.
The state capital is now fully immersed in puja fervor — its streets bathed in colorful lights, its people bound together in celebration, and its spirit soaring high in devotion.
Text & Photos: Ashok Karan
Column Editor : Shakti Anubhuti Madhavee Tanu Shahina
Decorative : Shakti Naina Manjita Seema Shweta.

*
Shakti Editorial : Write up : Page 2/0
My Teacher : a Friend Philosopher and Guide for me
Dr. Sunita Shakti Priya Seema.
*

Shaktis Celebrating Teacher's Day in Dav : Collage : Photo  Shakti* Priya.Dr. Sunita Seema Anshima Singh
*
In India, Teacher's Day is celebrated on September 5th, marking the birth anniversary of Dr. Sarvepalli Radhakrishnan, a renowned philosopher, statesman, and former President of India....
With all enthusiasm the entire teaching community and faculty celebrates teacher's day throughout the world specially in India.
Teacher's Day ! Really we need a teacher. And 5th of September is a very special day to remember, appreciate and honor the hard work and dedication of teachers that shaped the valuable future. I have a respect for those including my teacher students,kids and above all divine powers that guide me in a very different way.
I remember my beloved power, teacher, and my mentor that insists me to be the unique.I keep striving it still in my life.I become a free lance cartoonist,writer and a blogger due to her proper guidelines. I used to very happy while sharing my
published cartoons to my mentor power.
Like others we remain also very grateful to the persons who have made a significant impact differently on my life. I decided to do something anew.Your teaching has helped me grow and learn in ways I never thought possible in my life.
I come here with some ideas for Teacher's Day wishes that remain in our mind. My beloved power, teacher,my mentor : First of all I wish a very Happy Teacher's Day to all the amazing educators linked with me and us out there ! their patience, guidance, and support make a huge difference in students' lives."
I always assume that my teacher should be alike Shree Krishna that always protect the good ones in our life.He removes the darkness lying in the mind sets of like Arjuna.
We are really thankful to you all for being an inspiration and a role model in our life.You're not only just a teacher, you're indeed a mentor and a friend for me forever in my life that keeps guiding me on and on. They feel free to modify us to fit our personal style and relationship with others.
*
Column Editor : Shakti Anubhuti Madhavee Tanu Shahina
Decorative : Shakti Naina Manjita Seema Farheen.
Karma Puja :
A Celebration of Nature, Brotherhood & Sisterhood.
*
a Divine Shakti Article *by
*

*
Ashok Karan.
Hindustan Times ( Patna. Ranchi ) Ex.Staff Photographer
Public Agenda Ex.Photo Editor :New Delhi
Present : Photo Editor M.S Media Blog Magazine Page
Free Lance.
*
Photo & Text : Ashok Karan.
*
Photo : Young boys and girls dancing during Karma Puja celebrations in Ranchi
Jharkhand are filled with color, rhythm, and joy Today : The streets of Jharkhand are filled with color, rhythm, and joy as young boys and girls, draped in vibrant red, white, green, and yellow traditional attire, celebrate Karma Puja (Karam Festival) with immense enthusiasm. This age-old festival, rooted deeply in Jharkhand’s tribal culture, is dedicated to Karam Devta – the God of strength, youth, and vitality. It is a festival of brothers and sisters, symbolizing prosperity, fertility, and the eternal bond of family. Falling on the 11th day of the lunar month of Bhadra, it also marks the harvest season, making it both cultural and agrarian in essence. Rituals & Traditions * Youth venture into forests to collect wood, fruits, and flowers. * Karam tree branches are brought to the village and planted at the center of celebration. * Sisters observe fasts for the well-being of their brothers. * Jawa seeds are planted and nurtured, later used in rituals. * Villages echo with the sounds of Mandar, Dhol, and flute as people sing and dance in harmony. A Festival of Brothers & Sisters : One of the most emotional aspects of Karma Puja is the bond between brothers and sisters. Married sisters, residing in their in-laws’ homes, eagerly await their brothers to bring them back to their parents’ home. Songs like “Parlai Bhado Mas, Laglak Naihar ke Aas, Kabe Aitak Bhaiya Layu Nihar” beautifully reflect this longing, adding depth and emotion to the celebration. Even in difficult weather and overflowing rivers, brothers never fail to reach their sisters—showing the unbreakable bond nurtured by this festival. Women, adorned in red-and-white attire with Karam flowers tucked in their hair, dance gracefully in groups, symbolizing unity, love, and devotion. Nature is the True Deity : Unlike many other festivals, Karma Puja has no idols or grand temples. Instead, nature itself is worshipped—the earth, sun, seeds, and Karam tree are at the heart of devotion. This makes the festival not just cultural, but also ecological, highlighting the belief that “God is Nature.” Folklore of Karma & Dharma : Legend speaks of two brothers—Karma and Dharma. When Dharma once insulted Karma, he faced endless hardships. On advice from an old woman, he worshipped the Karam God with sprouted seeds of wheat, barley, grams, moong, and urad. His penance and fasting pleased Karma Devta, who forgave him, teaching generations the importance of respect, balance, and harmony with nature. Celebration Across States While most popular in Jharkhand, Karma Puja is also celebrated in Bihar (Magadh region), West Bengal, and Chhattisgarh, especially among tribal communities like the Oraon, Munda, and Baiga. Everywhere, it is observed with vibrant dances, drum beats, and heartfelt prayers for prosperity. This festival is not just about rituals; it is about heritage, identity, and the inseparable bond between people and nature. Pictures: Text & Photos by – Ashok Karan and Shashti Ranjan
*
Column : Editing : Shakti. Dr.Bhwana Shahina Rashmi Sujata.
Decorative : Shakti Er.Snigdha.Bani Madhvee Sangeeta.

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Shakti Vibes : English Page : 3.
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*
Times Media Powered
Mahalaxmi Desk.Kolkotta.
*

*
Editor.
Shakti.
Seema Soni.Naina * Priya
*
Effort of the Day.
*
Today's effort brings
Tomorrow's success in your life
*
The Secret Success.
*
The Secret of your success is determined by
your hard work and strong focus on your goal
*
Conscience
Indeed conscience lays inside us
that justifies our deeds what we do .
*
Preparation Journey Courage
*
Believe in your preparation , trust your journey,
and ace your exams with courage
*
Silence & Success
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Work hard in Silence
Let the Success be your Noise
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Doing best forgetting the rest.

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Don't stress Do your best
Forget the rest.
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No One
No one likes you
No one is like you
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Love what you do
The only way to do great work is love what you do
*
Every ' failure ' is just another ' step ' closer
to a ' win '...never stop trying
*
Your Behaviour & Talent
*
Talent takes you to the top but
Your behaviour decides how long you stay there
*
Education Pain and Outcomes.
*
Education is like sharpening a pencil.
It is painful,but it is necessary for the best possible outcomes and results.
*
with warm wishes of Navratri : Editor : Shakti Shahina supporting & Editing 
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Shakti Photo Gallery : English Page : 6.
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Editor
Shakti Dr.Sunita Madhvee Seema Priya
Desk Darjeeling.
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a few decorative pandals of Biharsharif : photo Shakti Priya. Dr.Sunita Seema.
the Shakti  worshipping the Durga at Kolkotta Pandal : photo : Shakti Priya Sunita Dr..Archna 
a decorative pandal of Shakti : Biharsharif : Nalanda : Photo : Shakti Priya Dr.Sunita Seema 
an impressive Idol of Shakti Durga : Biharsharif : Click : Shakti Priya Dr.Sunita Seema 
Ganpati Bappa Moriya, it's a promise of your return.photo Shakti.Dr.Sunita Preeti Shailly Ram Krishna
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You Said It : English : Page : 9
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Editor
Shakti Dr Bhwana Madhvee Shahina Tanu Sarvadhikari
Desk Bangalore.
*
Let's get lost in the nature
*
 
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Our Blog Magazine Forever 
Cultural Social Media Partner
Courtesy to 
Dr. Sunil Kumar Child Specialist 
Dr. Rajeev Ranjan. 
Child Specialist 
Dr Dinanath Verma 
Dr Amardeep Narayan
Dr.Ajay 
Dr. Brij  Bhushan
Munna Lal Mahesh Lal Arya
Swarnika Jewellers 

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Nainital is a must visit place for every nature lover.Trust me,you will never regret it.No, planning needed for this trip go and enjoy the nature,lets get lost in the nature Shakti. Shahina 
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Parvato Ke Dayre : It is a really passionate travelogue story that co relates human feelings with travel experiences of Nainital in a nice way.
My heartiest greetings to the travelogue writer and the Shakti Editorial team for publishing this.

Shakti Suman.Chandigarh.
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Comments

  1. ' ॐ श्री गणेशाय नमः '

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  6. It is a very important.Shakti based page worth reading page...

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  7. Parvato Ke Dayre : It is a really passionate travelogue story that co relates human feelings with travel experiences of Nainital in a nice way.
    My heartiest greetings to the travelogue writer and the Shakti Editorial team for publishing this.
    Shakti Suman.Chandigarh.

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  8. Nainital is a must visit place for every nature lover.Trust me,you will never regret it.No, planning needed for this trip go and enjoy the nature,lets get lost in the nature.Shakti Shahina Naaz

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  9. It's a very nice page. I went through it.
    Shakti Sejal Mumbai

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  10. It's a nice page prashad more

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  12. It's a very nice page . Adv reena

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  13. It is a very nice page, Sir. Anupriya.

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  14. The way of writing that is articulate graceful and full of meaning.May the divine blessings of Maa Durga fill our lives with joy&peace during this nine auspicious nights.Let's celebrate the triumph of good over evil with devotion.
    Shakti: Shahina Naaz principal Soghra high school.

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  15. Nice clicks which we saw .in this page .. and a very nice editing of the Blog Magazine Page by the Shakti Editorial Team ....and wonderful reporting of Shakti Contents ... Anupriya.Patna.

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  16. I went through this page liked it too much. Shakti. Shailly krishna. Mumbai

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  17. I went through this page. I liked it too much.
    Shakti Shailly Krishna.

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