O Sajana Barkha Bahar Aayi : Sawan Bhadon
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O Sajana Barkha Bahar Aayi.
कृण्वन्तो विश्वमार्यम.
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O Sajana Barkha Bahar Aayi.
Mere Naina Sawan Bhadon.
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बरखा रानी ज़रा जम के बरसो.
Volume 1.Series 2.
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ओ सजना बरखा बहार आई.
संस्कृति पर्यटन सभ्यता विशेषांक.३.
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.आवरण पृष्ठ :०.
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सम्पादकीय : शक्ति समूह : महाशक्ति दिव्य दर्शन : विचार : आज पृष्ठ :०
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सम्पादन / अलंकरण.
*
शक्ति*नैना.डॉ.सुनीता सीमा प्रिया.
शक्ति*शालिनी मीना रेनू अनुभूति.
------------
राधिका कृष्ण रुक्मिणी मीरा : दर्शन : पृष्ठ : ०.
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नैनीताल डेस्क. मुक्तेश्वर.
*
संपादन.
शक्ति* नैना.डॉ.सुनीता मीना प्रिया.
*
राधिका : कृष्ण : रुक्मिणी : मीरा : दर्शन : लिंक : पृष्ठ : ०.
अद्यतन देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवायें
*
*
राधिका कृष्ण रुक्मिणी मीरा शब्द चित्र विचार.
*
सम्पादित.
शक्ति नैना @ डॉ..सुनीता शक्ति* प्रिया.
*
एम.एस.मीडिया.शक्ति.
प्रस्तुति.
*
ये जीवन है इस जीवन का :
*
फोटो : शिव शक्ति : डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया
*
मान भान और प्रायश्चित
*
लोग कहते हैं कि ' अपनों ' के आगे झुक जाना चाहिए,
किन्तु ' सत्य ' तो यह है कि जो अपने होते हैं
वे कभी ' झुकने ' नहीं देते....सच कहा आपने
लेकिन अपनों के लिए स्वयं की गलतियों का भान और प्रायश्चित
' हृदय ' में जरूर होना चाहिए
मान : अभिमान,धन और सौंदर्य
*
' मान ' किस बात का ' दौलत ' एक झटके में
' खूबसूरती ' एक बीमारी में और
' इज्जत ' एक गलती से फना हो जाती है।
' प्रशंसा ' और ' निंदा '
*
उन लोगों के जीवन में ' आनंद ' और ' शांति ' कई गुना
वर्धित हो जाती है, जिन्होनें ' प्रशंसा ' और ' निंदा ' दोनों में एक जैसा
रहना सीख लिया हो
बे वजह
उदास रहने की वजह बहुत है ' जिंदगी ' में,
बे वजह खुश रहने का मजा ही कुछ और..
भगवान : इंसान
*
लोग पत्थर में बसे भगवान को पूजते हैं, मान करते हैं
लेकिन भगवान के रूप में मिले सोना सज्जन साधु जन इन्सान का भान भी नहीं करते
*
सूरज की तरह तू जलता जा
*
अगर आप ' सूरज ' की तरह ' गगन मंडल ' में
चमकना चाहते है तो पहले सूरज की तरह जल कर
प्रकाशित हो कर अंधेरों से लड़ना सीखें
*
रिश्तों की अर्जित पूंजी.
*
अनुभव, रिश्ते, प्रेम. मान - सम्मान.
*
कमाई की ' जीवन ' में कोई निश्चित ' परिभाषा ' नहीं होती है,
अनुभव, रिश्ते, ' मान - सम्मान, ' प्रेम और अच्छी मैत्री
सभी कमाई के रूप हैं। रिश्तों की अर्जित पूंजी हैं।
*
परिस्थिति : विषम : शमन
*
चाहे कितनी विषम परिस्थिति क्यों न हो जाए
स्वयं को शांत रखना सीखिए ,क्योंकि धूप कितनी भी तेज हो
समुद्र को नहीं सम्पूर्ण रूप से नहीं सुखा सकती
*
ब्रह्मांड : शून्य : व्यक्तित्व
*
जीवन में अपना व्यक्तित्व ' ब्रह्मांड ' के ' शून्य ' की भांति रखें
ताकि कोई उसमें कुछ भी ' घटा ' न सके,परंतु जिसके साथ ' खड़े ' हो जाएं उसकी
कीमत दस ' गुना ' बढ़ जाये.
*
कोहरा : अँधेरा : सूरज
*
धुंध होगी, कोहरा भी छाएगा,
सूरज को फिर भी न कोई रोक पाया है न कोई रोक पाएगा
हार जीत.
*
हारे हुए इंसान की सलाह,जीते हुए इंसान का तर्जुबा,
और खुद का दिमाग, इंसान को कभी हारने नही देता है
*
साथ ' किसी ' हमसफ़र ' का '
' बीच में छोड़ना मना है...
*
हर ' पाठशाला ' में लिखा होता है, ' उसूल ' तोड़ना मना है..
हर ' उपवन ' में लिखा होता है,' फूल ' तोड़ना मना है..
हर खेल में लिखा होता है,' नियम ' तोड़ना मना है..
काश..रिश्ते, परिवार, दोस्ती जिंदगी में भी,
यह लिखा होता कि,जिंदगी के सफ़र में
साथ ' किसी ' हमसफ़र ' का ' बीच में छोड़ना मना है...
*
सोच : शिव : जीवन
*
आपकी सोच, आपके जीवन को प्रभावित करती है,
इसलिए कम से कम अपनी सोच को शिव और सकारात्मक रखें.
*
मोड़ और जिंदगी.
*
जिंदगी की ' राहें ' बड़ी ' सीधी ' है, ' माधव
मोड़ ' तो सारे ' स्वयं ' के बनाए हुए अपने 'मन ' के भीतर हैं..
*
सतकर्म : कल आज और कल
*
आज आप इतने ' सतकर्म ' करें ' अपनों ' के लिए
दूसरे आर्य जनों के लिए कि ' कल ' का हर सुनहरा ' पल ' तुम्हारा हो
*
सतकर्म : कल आज और कल
*
आज आप इतने ' सतकर्म ' करें ' अपनों ' के लिए
दूसरे आर्य जनों के लिए कि ' कल ' का हर सुनहरा ' पल ' तुम्हारा हो
फोटो .शक्ति.सीमा.शबनम.
*
राधिका कृष्ण वचन
*
जन्मों का संबंध
*
संबंध उसी आत्मा से जुड़ता है जिनका
हमसे पिछले जन्मों का कोई रिश्ता होता है
वरना दुनिया की इस भीड़ में कौन किसको जानता है ?
*
हमसब : जिंदगी
*
ईश्वरीय शक्ति के ' समीप ' रहने की ' अभिलाषा ' और
उन्हें खो देने का ' डर ' बस इतने में ही है हमसब की ' जिंदगी ' का सफर
*
सपने, ' सच ' और 'अपने '
*
अपने ,सपने और ' सच ' को परखने के लिए
' स्वयं ' तथा ' अपनों ' को निरंतर प्रेरित व ' परीक्षित ' करते रहें
*
![]() |
मित्र ईश्वर और जीवन : फोटो : शक्ति नैना @ डॉ सुनीता मधुप |
*
मित्र ' ईश्वर ' जीवन.*
' ईश्वर ' का ' दर्शन ' और ' मित्र ' का ' मार्गदर्शन '
दोनों ही ' जीवन ' को ' प्रकाशित ' कर देते हैं
सम्यक सोच सम्यक कर्म
*
*अगर आप सम्यक कुछ सोच सकते हैं
तो यकीन मानिए आप उसे सम्यक कर्म में कर भी सकते हैं.
*
गिरना, संभलना,
*
अगर चुप कराने वाला कोई ना हो तो
हालात गिरना, संभलना, सहना , मुस्कुराना सिखा ही देते हैं।
स्वार्थ : रिश्ते
*
अपना हिस्सा मांग कर देखो सारे ' रिश्ते ' बेनकाब हो
जाएंगे, और अपना ' हिस्सा ' छोड़ कर देखो सारे ' कांटे '
भी ' गुलाब ' हो जाएंगे.
डर से आगे जीत है
*
डर से आगे जीत है ' हौसले ' और ' हिम्मत ' से काम लें
क्या पता ' जय ' आगे ....और ' पराजय ' पीछे हो जाए
*
कसम, कदम और कलम
*
जिंदगी में ' कसम ', ' कदम ' और कलम
बहुत सोच - समझकर उठाने चाहिए..... ये ' अल्फाज़ ' ही सब कुछ होते हैं
जो दिल जीत भी लेते हैं ...और दिल चीर भी देते हैं.....
*बहुत सोच - समझकर उठाने चाहिए..... ये ' अल्फाज़ ' ही सब कुछ होते हैं
जो दिल जीत भी लेते हैं ...और दिल चीर भी देते हैं.....
हर फ़िक्र को धुएं में उड़ाता चल
*
जीवन एक यात्रा है, हर फिक्र को धुएं में उड़ाते चलिए शोक मनाना फिजूल हैं
हौसला रख कर, उम्मीद में हंस कर जीने पर कब पूरी हो जाएगी पता भी नहीं चलेगा *
टाइम्स मीडिया शक्ति प्रस्तुति
*
ये न सोचों इसमें अपनी
हार है कि जीत हैं ये जीवन है
*
महालक्ष्मी.कोलकोता डेस्क.
संस्थापना वर्ष : २००३. महीना : जून. दिवस :२.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७९.
*
संपादन.
शक्ति नैना @ डॉ.सुनीता सीमा प्रिया.
*
अनंत शक्ति. शिवअनुभूति.
*
*
ईश्वर : कर्म : भाग्य
*
ईश्वर : कर्म : भाग्य
*
मेरा सतकर्म ही मेरा ईश्वर है, ' भाग्य ' है, ऐसा मानकर ' काम ' करने
वाला सच्चा ' कर्मयोगी ' कभी ' हारता ' नहीं है
*
अकेलापन.
*
' बारिश ' के बाद तार पर टंगी आखिरी ' बूंद ' से
समझना कि क्या होता है अपने अन्तःमन का अकेलापन..
विचार करें आखिर ऐसा क्यों होता है ?
*
काबिल क़ामयाब
*
कितना ' अच्छा ' हो कि हम पहले ' काबिल ' इंसा बनें
' क़ामयाब ' बाद में
*
ये दिल और उनकी निगाहों के साए
*
स्मृत रहें ' प्रकृति ' मन सदैव 'आत्मा' से ' प्रेम ' के ही ' रंग ' अपनाती है
*
राही ओ राही
*
न जाने कितनी ' मुश्किलें ' सही होगी उस ' इंसान ' ने
जो ' मन ' से पथ भ्रमित ' पथिकों ' को सही रास्ता
निरंतर बतलाने की ' कोशिश ' कर रहा था
*
' अभिमान ' सम्मान.
' अभिमान ' तब आता है, जब ' हम ' सोचते हैं
कि हमने कुछ किया है.. और ' सम्मान ' तब मिलता है,
जब दुनिया को लगता है कि ' आपने ' कुछ किया है..
*
फोटो : साभार : शक्ति.
*
आर्य : सम्बन्ध
सच कहें ' संबंध ' बड़े नहीं होते
उसे ढंग से संभालने वाले ही लोग ' कृष्ण ' जैसे बड़े होते हैं..
*
जन : समस्यायें : परीक्षण
सच मानिए समस्यायें हमारी परीक्षा लेने नहीं आती,
बल्कि हमें हमसे जुड़े लोगों की पहचान कराने आती हैं .......
*
संधि : शांति और बंदी कृष्ण
*
अपनी ' कीमत ' पहचानिए क्योंकि
अत्यधिक ' समझौते ' इंसान को लोगों की नजरों में लघु बना देते हैं
याद हैं न कौरव युवराज दुर्योधन.... ' कृष्ण ' को ' बंदी ' बनाने का प्रयास
*
हँसी और उम्र
' उम्र ' बढ़ने से ' मुस्कुराहट ' नहीं रुकती,
लेकिन ' मुस्कुराहट ' रुकने से ' उम्र ' जल्दी बढ़ जाती है...!
इसलिए, हमेशा मुस्कुराते रहिये...
* प्रथम मीडिया शक्ति प्रस्तुति. * हर पल एक दर्पण है ये जीवन है * महासरस्वती. नर्मदा डेस्क: जब्बलपुर. प्रादुर्भाव वर्ष : १९८२. संस्थापना वर्ष : १९८९. महीना : सितम्बर. दिवस : ९. संपादन शक्ति नैना @ डॉ.अनीता श्रद्धा प्रिया. * * पतझड़ : सावन * जीवन में ' सुगंध ' का आनंद वही ले सकता है जो खिलने बिखरने वाले पलों के बीच ' महक ' जाने की ' क़ाबलियत ' रखता हो * आत्म बोध : सन्मार्ग * अन्य के बताए गए ' मार्ग ' से ' श्रेष्यकर ' है ' आत्म बोध ' से सुनिश्चित किया हुआ स्वयं का सुविचारित परीक्षित ' सन्मार्ग ' जिस पथ पर सोना सज्जन साधु ' जन ' गमन करते हो * मतलब या साथ. कोई किसी का ' साथ ' देता है क्या ?
बस सब तो अपने ' मतलब ' के लिए ' साथ ' रहते हैं .... हैं न ? * जिंदगी ठोकरें कुछ ठोकरें जरूरी होती है जीवन में ,
हमें वो सिखाती है कि जिंदगी का असली मतलब क्या है ? * * ख़्वाब और जिंदगी मुश्किल है तभी तो जिंदगी है आसान तो ख़्वाब होते है * वैष्णव जन तो : तेने कहिए जे पीड़ परायी जाने रे पर दुखे उपकार करे तो ये मन अभिमान न आने रे * शीर्षक गीत.पृष्ठ : ० |
![]() |
* स्वर्णिका ज्वेलर्स : निदेशिका.शक्ति तनु रजत.सोहसराय.बिहार शरीफ.समर्थित. ये मेरा गीत : जीवन संगीत कल भी कोई दोहराएगा * शक्ति * नैना डॉ.सुनीता मधुप प्रिया दार्जलिंग डेस्क. * |
फोटो : साभार.
*
फिल्म : परख. १९६०.
सितारे : साधना.
गाना : ओ सजना बरखा बहार आई
रस की फुहार लाई अँखियों में प्यार लाई
गीत : शैलेन्द्र. संगीत : सलिल चौधरी. गायिका : लता
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं
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सम्पादकीय : पृष्ठ : २.
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संरक्षण शक्ति
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संपादकीय शक्ति समूह.
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प्रधान शक्ति संपादिका. ⭐
*
शक्ति : शालिनी रेनू नीलम 'अनुभूति '.
नव शक्ति. श्यामली डेस्क.शिमला.
संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी. दिवस : ५.
⭐
शक्ति. कार्यकारी सम्पादिका.
⭐
*
शक्ति. डॉ.सुनीता शक्ति* प्रिया.
नैना देवी.नैनीताल डेस्क.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०.
संस्थापना वर्ष : १९९६. महीना : जनवरी : दिवस : ६.
⭐
सहायक.कार्यकारी.
शक्ति.संपादिका.
⭐
शक्ति.डॉ.अर्चना सीमा वाणी अनीता.
कोलकोता डेस्क.
संस्थापना वर्ष : १९९९.महीना : जून. दिवस :२.
*
*
![]() |
शक्ति. डॉ. रत्नशिला. आर्य डॉ. ब्रज भूषण सिन्हा: शिवलोक हॉस्पिटल : बिहारशरीफ : समर्थित. |
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तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : शक्ति : सम्पादकीय : प्रस्तुति. पृष्ठ :४.
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*
वाराणसी डेस्क.
शक्ति नीलम अनुभूति शालिनी प्रीति.
*
शक्ति. सम्पादकीय आलेख : २ / ०
*
भारतीय सभ्यता संस्कृति की अद्भुत कहानी : शक्ति - केंद्रित उत्सव : तीज.
हम शक्ति* है शिव को संरक्षण प्रदान करती है. आलेख
शक्ति. नैना डॉ. सुनीता सीमा प्रिया
*
शिव शक्ति की प्रेम कहानी : हरतालिका तीज: लोक पर्व
![]() |
शिव : गौरी : गणेश : तीज : फोटो शक्ति स्मिता |
ओ सजना बरखा बहार आयी। रस की फुहार लायी अँखियों में प्यार लायी। सच कहें तो सावन भादों झूले मेहंदी, सजनी सजना , शिव शक्ति की दिव्य प्रेम कहानी से ही जुड़ी है। शिव का प्रिय मास सावन भादों रहा है। बेल पत्र उन्हें चढ़ाया जाता है। अमर नाथ बर्फानी बाबा की यात्रायें भी इसी मास में होती है।
तीज : शिव शक्ति की प्रेम कहानी : हरतालिका तीज : जब कभी भी तीज आता है तो अम्मा याद आ जाती है। बड़ी विधि विधान से तीज व्रत करवाती थी। आज भी हम सभी इस लोक पर्व की संस्कृति को संरक्षित करने का प्रयास कर रही है।
तीज महोत्सव भारत में मानसून के आगमन के साथ मनाया जाने वाला एक महिला -केंद्रित उत्सव है, जिसे मुख्य रूप से श्रावण मास में मनाया जाता है. यह पर्व भगवान शिव और पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है, और विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु व वैवाहिक सुख के लिए व्रत रखती हैं. इस दौरान महिलाएं हरे रंग के वस्त्र पहनती हैं, मेहंदी लगाती हैं, झूला झूलती हैं और लोकगीत गाती हैं. यह त्योहार आस्था, उमंग, सौंदर्य और प्रेम का प्रतीक है.
मेरी माने तो लोक पर्व भारतीय सभ्यता संस्कृति की अद्भुत कहानी है तीज। भगवान शिव और पार्वती की कहानी सती के रूप में शिव की पत्नी के दोबारा जन्म से शुरू होती है, जो शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या करती हैं, शिव उनकी परीक्षा लेते हैं,और अंत में वे उन्हें वर के रूप में प्राप्त कर शिव की अर्धांगिनी बनती हैं.शिव के प्रति शक्ति का प्रेम अतुलनीय है। इस शिव शक्ति की प्रेम कहानी की तरह ही हर भारतीय नारी इस तालिका तीज : लोक पर्व में शिव जैसे एकनिष्ठ पति की कामना करती है।
भारतीय लोक सभ्यता संस्कृति :तीज की शक्ति : शक्ति स्मिता :
फसली पर्व : मानसून के मौसम में है यह तीज। चंद्रमा का चक्र निर्धारित करता है कि प्रत्येक वर्ष तीज कब मनाई जाती है। यह त्यौहार भारत के मानसून के मौसम में सालाना जुलाई या अगस्त में मनाया जाता है। यह त्योहार कई राज्यों में मनाया जाता है, मुख्य रूप से देश के मध्य और उत्तरी क्षेत्रों में। हालांकि केवल हरियाणा में यह तीज आधिकारिक सार्वजनिक अवकाश के साथ मनाया जाता है।
भारतीय सभ्यता संस्कृति : यह राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में विशेषतः मनाया जाता है। राजस्थान की राजधानी जयपुर, तीज के कुछ सबसे प्रसिद्ध उत्सवों का घर है। बिहार, में नालन्दा , गया ,नवादा आदि समस्त मगध क्षेत्र में यह लोक पर्व खूब धूमधाम से मनाया जाता है। महिलाएं २४ घंटे का निर्जला उपवास करती है।
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शक्ति स्मिता : तीज का श्रृंगार |
हम वैष्णव है। हरि,राम कृष्ण में विश्वास रखते है। शिव में भी आस्था है। क्योंकि शक्ति उनसे जुड़ी हैं। शक्ति का संरक्षण आवश्यक है। विष्णु रूपाय शिवाय शिवाय विष्णु रूपाय : शिवाय विष्णु रूपाय, शिव रूपाय विष्णुवे ' का अर्थ है कि शिव ही विष्णु का रूप हैं और विष्णु ही शिव का रूप हैं, अर्थात् दोनों एक ही हैं और एक-दूसरे में समाहित हैं।
इस अर्थ में भोले नाथ को पालनकर्ता ( विष्णु स्वरुप वाले ) पिता तुल्य अभिभावक हो तथा त्रुटि, गलती होने पर संशोधन करने वाले भी हो।
यह श्लोक भगवान शिव और भगवान विष्णु की एकता और अविभाज्यता को दर्शाता है, जहाँ शिव के हृदय में विष्णु और विष्णु के हृदय में शिव का वास होना है, जो सनातनी धर्म में हरिहर पूजा के रूप में भी व्यक्त होता है। यथार्थ है समस्त जगत के उन्नयन , संरक्षण के लिए शिव हरि के मध्य सामंजस्य होना अनिवार्य है।
*
स्तंभ संपादन : शक्ति. डॉ. अनीता तनु संगीता बीना जोशी.
पृष्ठ सज्जा :फोटो : शक्ति. मंजिता सीमा स्मिता माधवी.
*
अपेक्षाएँ ही दुख का मूल कारण
शक्ति रेनू शब्दमुखर
सह लेखन : डॉ.सुनीता शक्ति प्रिया.
हम इंसान हैं, और इंसान उम्मीदों से भरा रहता है। माता-पिता बच्चों से उम्मीद करते हैं कि वे हमेशा उनकी इच्छाओं का सम्मान करेंगे। दोस्त उम्मीद करता है कि उसका दोस्त हर समय उसके साथ खड़ा होगा। पति-पत्नी एक-दूसरे से अपेक्षा रखते हैं कि वे हर बात समझेंगे। लेकिन क्या ये हमेशा होता है ? नहीं ! और जब ये नहीं होता, तो दिल टूटता है, रिश्ते में दरार आती है।
अपेक्षा है तो आशा है, आशा टूटी तो निराशा है, जहाँ निराशा है वहीं दुख है। जरा सोचिए…
एक पिता ने बेटे को इंजीनियर बनाने का सपना देखा। बेटा कहता है - पापा, मुझे फोटोग्राफी पसंद है।” पिता का सपना टूटता है, क्योंकि उसने अपेक्षा रखी थी।
एक पत्नी सोचती है कि पति हर साल उसकी सालगिरह पर सरप्राइज देगा। पति भूल जाता है। गुस्सा क्यों आया? क्योंकि उम्मीद थी।
श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है - “कर्म करो, फल की चिंता मत करो।” इसका मतलब यही है कि बिना अपेक्षा के काम करो। उम्मीद जितनी ज्यादा, दुख भी उतना ज्यादा। जीवन का सच यही है:
जब हम रिश्तों को बिना शर्त जीते हैं, बिना लेने-देने के, तब मन हल्का रहता है। अपेक्षा छोड़ दी तो दुख अपने आप छूट गया। आज से मन में दृढ़ता से सोचियेगा -
मैं किसी से कुछ नहीं चाहूँगी / चाहूंगा। जो करेगा, उसके लिए आभार। जो नहीं करेगा, उसमें भी प्रेम।
यकीन मानिए, आपका मन शांत हो जाएगा। जितनी कम उम्मीदें, उतनी ज्यादा खुशियाँ। अपेक्षा छोड़ो, सुख का रास्ता पकड़ो।
दुःख है : दुःख का कारण भी है
सह लेखन : डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया.
हाँ, बुद्ध ने भी कहा है दुःख है ,अपेक्षाएँ ही दुख का एक प्रमुख कारण हैं, क्योंकि जब हमारी अपेक्षाएँ पूरी नहीं होतीं, तो हमें निराशा, दुःख और क्रोध का अनुभव होता है.
यदि हम किसी भी चीज़ या व्यक्ति से उम्मीद न करें, जो हो नहीं सकता तो हम दुखी नहीं होंगे, क्योंकि अपेक्षा छोड़ देने से हमें आंतरिक शांति और सुख मिल सकता है. अपेक्षा दुख का कारण क्यों बनती है:
अधूरी अपेक्षाएँ : जब हम किसी व्यक्ति, वस्तु या परिस्थिति से कुछ उम्मीद करते हैं और वह पूरी नहीं होती, तो हमें ठेस पहुँचती है.अति अपेक्षा का बोझ:बहुत अधिक उम्मीदें रखने से हम अक्सर अपनी वास्तविकता से दूर हो जाते हैं और किसी भी काम से संतुष्ट नहीं हो पाते.
अतुलनीय अपेक्षाएँ : जब हम खुद से या दूसरों से अवास्तविक अपेक्षाएँ रखते हैं, तो उन अपेक्षाओं और वास्तविक स्थिति के बीच का अंतर हमें दुखी करता है.
अपेक्षा से मुक्त होने का तरीका : अपेक्षा-मुक्त कर्म रखें। किसी भी काम को बिना किसी फल की अपेक्षा के करें. फूल से सुगंध अपने आप निकलती है, उसी तरह अपेक्षारहित कर्म करने से सुख मिलता है.
स्वीकार भाव : जो भी जीवन में आता है, उसे स्वीकार करें, भले ही वह हमारी उम्मीदों के विपरीत हो.
आत्म-संतुष्टि : स्वयं को दूसरों से अपेक्षा करने के बजाय स्वयं से ही संतुष्ट रहने का प्रयास करें.
अध्यात्म का मार्ग : अपेक्षा का त्याग ही असली त्याग है, और जो इस अवस्था को प्राप्त कर लेता है, उसे कोई दुखी नहीं कर सकता.
अधूरी अपेक्षाएँ : जब हम किसी व्यक्ति, वस्तु या परिस्थिति से कुछ उम्मीद करते हैं और वह पूरी नहीं होती, तो हमें ठेस पहुँचती है.अति अपेक्षा का बोझ:बहुत अधिक उम्मीदें रखने से हम अक्सर अपनी वास्तविकता से दूर हो जाते हैं और किसी भी काम से संतुष्ट नहीं हो पाते.
अतुलनीय अपेक्षाएँ : जब हम खुद से या दूसरों से अवास्तविक अपेक्षाएँ रखते हैं, तो उन अपेक्षाओं और वास्तविक स्थिति के बीच का अंतर हमें दुखी करता है.
अपेक्षा से मुक्त होने का तरीका : अपेक्षा-मुक्त कर्म रखें। किसी भी काम को बिना किसी फल की अपेक्षा के करें. फूल से सुगंध अपने आप निकलती है, उसी तरह अपेक्षारहित कर्म करने से सुख मिलता है.
स्वीकार भाव : जो भी जीवन में आता है, उसे स्वीकार करें, भले ही वह हमारी उम्मीदों के विपरीत हो.
आत्म-संतुष्टि : स्वयं को दूसरों से अपेक्षा करने के बजाय स्वयं से ही संतुष्ट रहने का प्रयास करें.
अध्यात्म का मार्ग : अपेक्षा का त्याग ही असली त्याग है, और जो इस अवस्था को प्राप्त कर लेता है, उसे कोई दुखी नहीं कर सकता.
*
स्तंभ :संपादन : शक्ति माधवी शालिनी नीलम प्रीति.
पृष्ठ सज्जा : शक्ति मंजिता सीमा रश्मि अनुभूति
*
शक्ति आलेख : २ /३
नकली चेहरा सामने आए असली सूरत छिपी रहें
शक्ति रेनू शब्दमुखर
प्रधान सम्पादिका. जयपुर.
अपने जीवन विस्तार में ऐसे जटिल लोगों से भी मिलना होता है जो एक रहस्य है। खुद से ही जो खुद को छुपाए, क्या उनसे पहचान करें,सवाल लाजिमी है। क्या उनके दामन से लिपटें, क्या उनका अरमान करें पता नहीं वो क्या करे।
आपको ईर्ष्या ,द्वेष , प्रतिस्पर्धा को समझना होगा। उस पर शोध करना होगा। जिनकी आधी नीयत उभरे, आधी नीयत छुपी रहे, नकली ...फिर भी मैं कहूंगा यदि अपने इसमें शामिल है तो उनके लिए सहिष्णुता रखे, कृष्ण की भांति।
आपको ईर्ष्या ,द्वेष , प्रतिस्पर्धा को समझना होगा। उस पर शोध करना होगा। जिनकी आधी नीयत उभरे, आधी नीयत छुपी रहे, नकली ...फिर भी मैं कहूंगा यदि अपने इसमें शामिल है तो उनके लिए सहिष्णुता रखे, कृष्ण की भांति।
चेहरों के पीछे के चेहरे- समाज में दोहरापन और हमारी जिम्मेदारी; सामने मुस्कुराहट, पीठ पीछे वार करते हैं, ऐसे लोग रिश्तों में जहर घोलते हैं। आज के समाज में ऐसी मानसिकता वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है, जो दिखावा करते हैं कि वे आपके अपने है-आपके हितैषी, आपके साथी। लेकिन जैसे ही आप पीठ फेरते हैं, वही लोग नकारात्मकता, अफवाहें और गलतफहमियाँ फैलाकर आपके चरित्र पर प्रहार करते हैं।
ऐसे लोग आपको आपके कार्यस्थल पर समाज में बहुत से मिलेंगे। ऐसे लोगों का दोहरापन न केवल व्यक्तिगत रिश्तों को बिगाड़ता है, बल्कि वह सामाजिक संतुलन और पारस्परिक विश्वास की नींव को भी हिला देता है।
यह व्यवहार एक धीमे जहर की तरह होता है-शुरुआत में पता नहीं चलता, लेकिन धीरे-धीरे संबंधों को नष्ट कर देता है। ऐसे लोगों की पहचान करना और उनसे, सावधान रहना जरूरी है। हमारा समाज तब सशक्त होगा जब हम दिखावे और सच्चाई में अंतर पहचानना सीखेंगे। जब हम चापलूसी और धोखे के बीच की रेखा को साफ देख पाएंगे। हर मुस्कराता चेहरा सच्चा नहीं होता, और हर आलोचना करने वाला आपका दुश्मन नहीं होता। समाज में जागरूकता की यह जिम्मेदारी हमारी भी है।
हमें ना केवल खुद को इन परिस्थितियों से बचाना है, बल्कि अगली पीढ़ी को भी सिखाना है कि- ' चेहरे पढ़ना सीखो, शब्दों से नहीं; सच्चाई पहचानो, दिखावे से नहीं।' चेहरों की भीड़ में अब चेहरा कहाँ है. हर मुस्कान के पीछे कोई साजिश छिया है। जो सामने थे अपने, पीछे वही छल कर गए, विश्वास की मिट्टी में जहर घोलकर चल दिए।
पर अब हम जागे है, अब चुप नहीं रहेंगे, दोगलेपन की दीवारों को सच से ढहा देंगे। हम हर उस चेहरों को बेनकाब करेंगे, जो रिश्तों की आड़ में समाज को छलते हैं। ये लेख नहीं, एक चेतावनी है उस सोच के लिए,
जो चालाकियों से खुद को ऊँचा समझते हैं। क्योंकि अब हर आंख में पहचानने की रोशनी है,
और हर दिल में खुद्दारी की लौ जल चुकी है। अब समय आ गया है कि हम संवेदनशीलता को कमजोरी समझने वालों को बता दें कि सहना हमारी संस्कृति है. लेकिन सहते-सहते टूट जाना हमारी नियति नहीं। हम सच्चाई के पथिक है-चुप है, पर कमजोर नहीं; नस है, पर अंधे नहीं। दुनिया को नकाब पहनाने वालों, याद रखो-एक दिन आईना भी बोल उठेगा, कि तू जो दिखा रहा है, वो तू है ही नहीं।
स्तंभ : संपादन : शक्ति नीलम अनुभूति शालिनी प्रीति.
पृष्ठ सज्जा : शक्ति मंजिता सीमा रश्मि अनुभूति
शक्ति आलेख : २ / २
राखी का अर्थ : समाज की व्यापक सोच
धर्म रक्षित रक्षतः की सोच रखनी होगी हमें : कृष्ण : कृष्णा प्रसंग
शक्ति प्रिया रेनू @ डॉ. सुनीता मधुप.
राखी का अर्थ : समाज की व्यापक सोच : राखी का अर्थ अब सिर्फ बहन की कलाई नहीं, समाज की सोच भी है। राखी अब सिर्फ धागा नहीं, एक दृढ़ प्रतिज्ञा है - कि हर नारी सुरक्षित रहे, यही भाई की पूजा है।
रक्षाबंधन सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि रिश्तों की संवेदनशील परिभाषा है। वह कोमल धागा जो बहन अपने भाई की कलाई पर बांधती है, अब समय की मांग है कि वह रक्षा सिर्फ एक व्यक्ति तक सीमित न रहे, वह भावना पूरे समाज में प्रसारित हो।
आज जब अखबारों के पन्ने मासूम बेटियों के शोषण और समाज की संवेदनहीनता से भरे होते हैं, तब राखी एक प्रश्न बनकर सामने खड़ी है- क्या वाकई हमने बहनों को वो सुरक्षा दी, जिसका वचन हमने कलाई पर बांधे धागे के साथ दिया था ?
भगवान श्रीकृष्ण और कृष्णा की कथा : हमारी सोच में अपनी सभ्यता संस्कृति की संरक्षण की प्रवृति होनी चाहिए। बिना किसी लिंग भेद के मित्रता शक्ति की रक्षा होनी चाहिए। सखी के मैत्री पूर्ण प्रेम के धागे एक अन्य पौराणिक कथा में ही जीवन सार छिपा है ।
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कृष्ण : कृष्णा |
पूरी महाभारत में वो द्रौपदी को छेड़ते रहें उसके कष्टों का निवारण करते रहें।कृष्ण द्रौपदी से असीम स्नेह रखते थे उस को प्यार से सखी बुलाते थे। इसके लिए उन्हें भरी सभा में पर स्त्री से सम्बन्ध रखने के लांछन में शिशुपाल से अपमान, और अपशब्द भी झेलना पड़ा था। परिणाम वश शिशुपाल वध हुआ। इसलिए द्रौपदी का नाम कृष्णा भी विदित है। द्रौपदी, जिसे पांचाली और यज्ञसेनी भी कहा जाता है, महाभारत की एक प्रमुख पात्र हैं।
उनका रंग सांवला होने के कारण उन्हें कृष्णा भी कहा जाता था ऐसा समझा जा सकता था। कथा सूत्र के अनुसार, एक बार श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र धारण करते समय उंगली में चोट लग गई, जिससे रक्त बहने लगा। यह देखकर द्रौपदी परेशान हो गई और उन्होंने तुरंत अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली पर बांध दिया। द्रौपदी के इस प्रेम से श्रीकृष्ण अत्यंत भावुक हो गए थे और उन्होंने वचन दिया कि वे द्रौपदी के इस चीर का मान रखेंगे।इसलिए द्रौपदी के चीर हरण के समय, जब कौरव भरी सभा में उनका वस्त्र हरण करने का प्रयास कर रहे थे, तब द्रौपदी ने भगवान कृष्ण को पुकारा था। उस समय, द्रौपदी ने कृष्ण से प्रार्थना की कि वे उसकी लाज बचाएं। कृष्ण ने द्रौपदी की पुकार सुनी और उनकी साड़ी को अनंत रूप से बढ़ाते हुए, उनकी लाज बचाई।राखी का वास्तविक अर्थ अब बदलने की जरूरत है। यह केवल भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित न रह जाए, बल्कि हर पुरुष उस समाज के लिए संरक्षक बने, जिसमें हर लड़की बिना डर के साँस ले सके। स्कूलों, कॉलेजों, कार्यस्थलों और समाज के साथ ऐसी संरचना हो कि वो अपनी सम्यक इच्छा से जी सकें।
स्तंभ : संपादन : शक्ति नीलम अनुभूति शालिनी प्रीति.
पृष्ठ सज्जा : शक्ति मंजिता सीमा रश्मि अनुभूति
शक्ति आलेख : २ / १.
आपबीती : जीने की राह : रिमझिम गिरे सावन
जाने कहाँ गए वो दिन पुल : बारिश : वो शिवाला और शक्ति मंदिर.
डॉ.मधुप.
आपबीती : जीने की राह : रिमझिम गिरे सावन
जाने कहाँ गए वो दिन पुल : बारिश : वो शिवाला और शक्ति मंदिर.
डॉ.मधुप.
फिर वही सावन। अंतिम सोमवार। सावन शिव और शक्ति याद स्वतः आने लगे। इधर इन दिनों जब कभी भी घटाएं बरस जाती हैं तो भूली दास्ताँ याद आ जाती है। आज सुबह के बाद धुप नहीं के बराबर खिली थी। बादल घिरे हुए थे।
सावन का महीना था । याद है न तुम्हें ? पवन शोर कर रहा था । शाम का वक़्त था। सुबह से ही रुक रुक कर बारिश हो ही रही थी। तब रिमझिम गिरे सावन में कभी झमाझम तो कभी बारिश की फुहार हो रही थी।
बारिश का महीना है तो फुहारें पड़ेगी ही। कही कार्य वश जाना था। तर्ज मुसाफिर हूँ मैं यारों की आजमाइश करते हुए मैं गतिमान था। शहर के व्यस्त चौराहे पर पुल के उपर बोल्डर रखने का काम जारी था। इसलिए जाम की समस्या आम थी। वही शिवाला, शक्ति दुर्गा का मंदिर, कोने मार्ग से सटे बजरंग बली सब कुछ बैसा ही था।
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डॉ.मधुप :फोटो:शक्ति. |
बारिश का महीना है तो फुहारें पड़ेगी ही। कही कार्य वश जाना था। तर्ज मुसाफिर हूँ मैं यारों की आजमाइश करते हुए मैं गतिमान था। शहर के व्यस्त चौराहे पर पुल के उपर बोल्डर रखने का काम जारी था। इसलिए जाम की समस्या आम थी। वही शिवाला, शक्ति दुर्गा का मंदिर, कोने मार्ग से सटे बजरंग बली सब कुछ बैसा ही था।
राह चलते दिव्य शक्तियां याद आती ही रही जो हमारे मार्ग को संरक्षित करती रहती हैं। दो तीन के बाद लिफ्ट देने वाले मिल ही गए। इंसानियत ,अच्छाई,बुराई पर बातें होती रही। फुहारें पड़ने लगी थी। रास्तें बेहतर हो गए थे। हरितमा सर्वत्र दिख रही थी।
इस तरह कोई एक दो साल पहले कब की शाम हो चुकी थी। घने काले बादल क्षितिज़ में मंडरा रहे थे। कीचड़, रोड़ की माली हालत देखने लायक थी। शायद कोई परीक्षा खत्म हुई थी। रोड़ पर ढ़ेर सारे लोग खड़े कुछेक गाड़ियों का ताता लगा हुआ था। हाई वे पर कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा था। नुक्कड़ पर ही जाम की स्थिति हो गयी थी।
सड़कें, पुल के निरंतर काम से शहर का रंग रूप बदलने लगा है। सरे राह चलते एक दो साल पहले की बातें स्वतः याद आ रही थी। इस बार घर लौटते हुए भाई लक्ष्मण के साथ ही थे। पता नहीं उनपर इतना अधिकार क्यों कर सिद्ध है।
इस उम्र में अकेले मोटर साइकिल चलाते हुए जाना भी वो भी शाम के वक़्त आसान नहीं था। घर के लिए प्रस्थान करते हुए हम सभी अपने परिवार की भांति ही एक दूसरे का ख़्याल कर लेते ही हैं कि सब सुरक्षित ढंग से प्रस्थित हो। सावधानी पूर्वक आने जाने के तौर तरीक़े भी देख ही लेते हैं। आगे गाड़ियों का काफ़िला लगा हुआ था। जाम से ज्यादा इस बात से डर लग रहा था कि कहीं बारिश में फँस न जाए। अपने पास कोई रेन कोट भी नहीं था। मोबाइल भी भींग सकता था। बीच में कहीं कोई रैन बसेरा भी नहीं था।
अब भी कोई रेन कोट नहीं था। बारिश में भींगने का भला डर कैसा ? और सच में पूरी तरह से हम और मेरे भाई लक्ष्मण भींग ही गए थे। फुहारें भली लग रही थी।
कुछ याद आ गया तभी आत्म शक्ति ने ही रास्ता दिखलाया। सहृदय भाई थोड़ा पीछे हटे तो पार्श्व से एक संकीर्ण रास्ता मिल गया। जो ख़ुद पीछे रह कर साधु की तरह दूसरों के लिए रास्ता बनाते हो उनके लिए साधु वाद बनता है। अपनों को छोड़ कर जैसे सीमा पर अकस्मात जा रहें प्रहरी की तरह हमें आगे बढ़ना ही पड़ा।
बड़ी धैर्य के साथ काफिले में बढ़ता गया। हम उबड़ खाबड़ रास्ते से हम आगे तो बढ़ रहें थे लेकिन मेरे अपने कहीं पीछे ही छूट चुके थे। चिंता बनी हुई थी सब के सकुशल घर पहुंचने की।
उम्मीद है सभी अपने सुरक्षित मकाम तक पहुंच ही चुके होंगे। हम सभी रक्षित हो। कभी कभी हम बड़ी घुटन सी महसूस करते है कि आप चाह कर अपने लोगों को कुशल क्षेम जानने हेतू भी फोन नहीं लगा सकते।
क्योंकि आप और हम किस तरीके, किस भाव से भावनाओं को ले रहें हैं मालूम नहीं। हमारी सोचें संकीर्ण हो गयी हैं। और यदि कहीं इसकी चर्चा पिछड़ी ,दकियानूसी समाज के सामने हो गयी तो समझें फ़जीहत तय ही है।
कभी कभी हम जरुरी फोन कॉल्स उठाते भी नहीं ..तो कभी कॉल का जवाब देना भी आवश्यक नहीं समझते। सच कहें कहीं कुछ छूटता है..
और हमारी सबसे बड़ी कमजोरी होती है कि हम खुद के ही बेहतर हमराज़ नहीं बन पाते हैं। कभी अपने भीतर ही सब राज छुपा कर देखें बड़ा अच्छा लगता है...
घर लौटे तो पूरे भींग ही गए थे। सड़कें सूनसान थी। दिखें नहीं अपने सब अपने डेरों तक़ पहुँच ही गए होंगे। शाम में भाई लक्ष्मण के काम हेतू थाने भी गए थे। तब भी कुछ अपने अंतर मन में बरस रहा था यादों की लड़ी मन के आँगन में झड़ी बन कर बरस रही थी।
*
स्तंभ संपादन : शक्ति* शालिनी रेनू नीलम अनुभूति
सज्जा : शक्ति* प्रिया मंजिता सीमा तनु सर्वाधिकारी.
सज्जा : शक्ति* प्रिया मंजिता सीमा तनु सर्वाधिकारी.
*
मेरी पसंद.
सन्दर्भ गीत :सफर का
शक्ति* प्रिया रेनू मीना सीमा
*
फिल्म : मेरे हमसफ़र.१९७०.
गाना : किसी राह में किसी मोड़ पर
कही चल न देना तू छोड़ कर
मेरे हमसफ़र मेरे हमसफ़र
गीत : आनंद बख्शी संगीत : कल्याण जी आनंद जी गायक : मुकेश लता
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं
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आकाश दीप : पद्य संग्रह : सम्पादकीय : प्रस्तुति : पृष्ठ : ३.
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संपादन
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ग़ज़ल
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ज़िंदगी ज़माने से कोई शिकायत न कर
लेखक कवि गीतकार
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पृष्ठ सज्जा : शक्ति मंजिता सीमा तनु स्वाति
*
*
कौन है जो कहता है कि वो परेशान नहीं है ?
काबिलियत गर आपकी मगरूर कर दे आपको
फ़िर आप कुछ भी हों मगर अच्छे इंसान नहीं है ।
ज़िन्दगी में ज़िंदादिली का होना लाज़मी है बेहद
वर्ना कौन है जो कहता है कि वो परेशान नहीं है।
खूबियों और खामियों का भी इल्म होना चाहिए
खुद के बारे मे खुद से ही आप अनजान नहीं हैं ।
रह करके हाशिए पे हुजूर खुद तजर्बा किजीए
उन मजलूमों के लिए कोई भी भगवान नहीं है ।
क्यों परखना चाहतें हैं आप अजय की ख़ुद्दारी को
क्या आप उसकी बेनूर शख्सियत से हैरान नहीं है।
*
प्रेरणा शक्ति पुष्पा.
कवि.अजय प्रसाद. आसानसोल.
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भाविकाएँ.
*
कौन है जो दर्द नहीं सहता है यहां
सब्र का बांध भी ऐसे नहीं टूटा होगा
उसकी आंखें यूं ही नम नहीं हुई होंगी
कुछ तो उसके भीतर जरुर टूटा होगा
दर्द संभाले नहीं संभला होगा उसका
दर्द आंसू बनकर आंखों से बहा होगा
कौन है जो दर्द नहीं सहता है यहां
सब्र का बांध भी ऐसे नहीं टूटा होगा
अनीश जीने का अब सलिका बदलो
जिन्दगी बची है उसे तो जीना होगा
शक्ति आरती अरुण
*
सीपिकाएँ
*
द्वापर कथाएं फिर
*
जब कृष्ण फिर जन्मेंगे
*
जब कृष्ण फिर जन्मेंगे
माखन की मटकी नहीं,
अब भूख से बिलखते बच्चे चुराएंगे उनका दिल।
गोपी के घड़े से नहीं,
अब प्यासे गाँव की टूटी कुएँ से बहती बूँदों में ढूंढेंगे प्रेम।
कंस अब महल में नहीं,
कभी संसद की कुर्सियों पर,
कभी सोशल मीडिया की झूठी मुस्कानों में बैठा है।
उसका चेहरा बदलता है,
पर उसकी हँसी वही-
निर्दोष के आँसुओं पर खिलखिलाती।
यदि आज कृष्ण जन्म लें,
तो शायद गोकुल की गलियों में नहीं,
किसी अस्पताल के बाहर जन्मेंगे,
जहाँ माँ के पास इलाज के पैसे न हों।
या किसी सूनी सड़क पर,
जहाँ भीड़ तमाशा देखे
और कोई अबला लहूलुहान पड़े।
कान्हा : गोकुल : बांसुरी
वे बांसुरी बजाएँगे तो
उसकी तान में मथुरा नहीं,
धरती के हर कोने का दर्द गूंजेगा।
गीत होगा-
'उठो, एक हो जाओ,
सिर्फ जन्माष्टमी मत मनाओ,
अन्याय के विरुद्ध चलो।'
क्योंकि आज की जन्माष्टमी,
सिर्फ झाँकी और दीपों की नहीं,
दिलों की सफाई की भी है।
सजाने को मंदिर कम हैं,
गिरते हुए मूल्य उठाने हैं,
तोड़ने हैं भीतर के कंस-
वो कंस, जो हमें चुप रहना सिखाते हैं।
और जब हम ऐसा करेंगे,
तभी सच में कह पाएँगे-
'कृष्ण आज भी जन्मे हैं,
हमारे भीतर,
हमारे कर्मों में।
*
शक्ति. रेनू शब्दमुखर.
प्रधान सम्पादिका. ब्लॉग मैगज़ीन पेज
जयपुर.
*
संपादन : सज्जा : शक्ति. शालिनी सीमा अनीता वाणी
भाविकाएँ
*
राधा मीरा रुक्मिणी सत्यभामा
राधा मीरा रुक्मिणी सत्यभामा
कैसे भूले एक मुख मंडल में
हरि राम कृष्ण की अलौकिक आभा
*
कृष्ण
तुम्हारा दिया हुआ नाम.
याद ही होगा तुम्हें
तुमने कभी मुझे
कृष्ण कहा था
हँसी में
ही सही.
कहा न था
कभी सखी ?
तब से मैंने तुम्हारे लिए,
अपनें प्रिय जनों के लिए,
सहिष्णुता, सदा सहायता
मैत्री, और प्रीत रखी
न जाने मैंने कैसे
किसकी
कितनी पीड़ाएं सही
अब तो तुम ही बोलो,सखी
क्या मैंने ये सब बातें
झूठ कही.
डॉ.मधुप.
संपादन.
पृष्ठ सज्जा : शक्ति नैना @ डॉ.सुनीता प्रिया.
*
शक्ति.मानसी पंत.
*
सीपिकाएँ
रखो हिम्मत अपने सीने में-
रखो हिम्मत अपने सीने में-
अब भारत बंट ना जाए,
अब भारत कट ना पाए,
रखो हिम्मत अपने सीने में-
दुश्मन सीमा पर जुट ना जाय।
हम वतन के ताक़त हैं,
सेवा में हम नित रत हैं,
सरहद सुरक्षित अविरत है,
सत्य के हम पथ में हैं ।
सबकुछ वतन का धन तन मन है।
जीवन निछावर करना है,
कोटि-कोटि की प्रार्थना है--
ऋण आकंठ उतारना है,
देश उजागर करना है।
मातृभूमि है तो हम हैं--
इस में निहित अपना दम है,
निछावर प्राण यह भी कम है,
*
मान ,सम्मान बंधन : रक्षण : का
*
*
तुम्हारे मान सम्मान का
करूँ मैं संरक्षण
बन्धुत्व, सौहार्द, प्रेम,
प्रीति, का नन्दन कानन
सुख ,शांति, सुरक्षा, समृद्धि ,
सम्मान का अपना बंधन रक्षण
सफलता ,असीम आनन्द से
मुखरित हो संग जीवन
स्वस्थ चिंतन फुल सा मन
प्रफुल्लित कण-कण.
*
शक्ति. तनु सर्वाधिकारी.
बंगलोर
*
पृष्ठ सज्जा व संपादन
शक्ति शालिनी सीमा मंजिता प्रिया
*
*
शक्ति.शालिनी
लेखिका कवयित्री. प्रधान सम्पादिका.
*
भाविकाएँ.
*
अहिल्या
सौंदर्य विशेष तन सुलभ मान,
तुमने समझा मुझे व्यभिचारी।
हे ! पूजनीय पतिदेव मेरे,
मैं पतित पावनी हूँ नारी।।१ ।।
पावन प्रीत के अर्पण को,
प्रियतम क्यों ना पहचान सके।
मैं पतिव्रता एक नारी थी,
यह मर्म भला ना जान सके ।।
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फोटो : साभार : अहिल्या |
आहत मन यह बेचैन हुआ,
जब चला दिया शापित आरी,
हे ! पूजनीय पतिदेव मेरे,
मैं पतित पावनी हूँ नारी।।२ ।।
इंद्रियां इन्द्र की हुईं विवश,
इसमें मेरा कोई दोष न था।
वह छद्मवेश धर आया था,
छली,कपटी वह निर्दोष न था।।
क्यों तरस न आया हे प्रियवर,
लाचार पड़ी मैं बेचारी !
हे ! पूजनीय पतिदेव मेरे,
मैं पतित पावनी हूँ नारी।।३ ।।
*
भाविकाएँ.
सखी बनूँ अतिसुन्दर.
मित्रता विशेष
*
फोटो साभार
कृष्ण : पांचाली.
जब चित्त मिला तब मित्र बने,
इस मनोभाव को व्यक्त किया।
स्व-सृजित स्वर्णिम पंक्तियों से,
भावना सभी अभिव्यक्त किया।।
शुभकामना रहे अनवरत यह,
प्रिय मित्र सदा ख़ुशहाल रहो।
शुभ-लाभ न छोड़ें साथ तेरा,
तुम सदा ही मालामाल रहो।।
*
फोटो : मानसी
*
ऋद्धि-सिद्धि भी बने सहचर,
संग मैं भी सहचरी रहूँ सदा।
सर्वथा सखी बनूँ अतिसुन्दर,
तेरे लिए बेहतरीं रहूँ सदा।।
इस हृदय में 'प्रेम-समुंदर' हो,
मन में 'ईश्वर' सी भक्ति हो।
यह मित्र-भाव भी अटल रहे,
मित्रता हमारी शक्ति हो।
*
शक्ति. शालिनी
लेखिका कवयित्री. प्रधान सम्पादिका.
भाविकाएँ.
मित्रता विशेष
*
अंश
तू पूर्णमासी का प्रभास बने
फोटो : शालिनी
खिल जाएँ कलियां ख़ुशियों की,
अतिसुन्दर एक सुंदरवन हो।
मह-मह महके जहाँ पुष्प सदा,
यह हर्षोल्लास का उपवन हो।।
इस हर्षोल्लास के उपवन की,
तुम ही इकलौती माली बनो।
हों बोल तुम्हारे, अति मधुरिम,
मधुरस से भरी तुम प्याली बनो।
इस जगत में एक इतिहास बने।।
'समृद्धि' समीप, सदैव स्थिर,
सूर्य-सम रक्तिम 'आभामंडल',
और सुन्दर, सुगम विजयपथ हो।
प्रगतिशील पथ पर चलकर,
और निकट एक रश्मिरथ हो।।
तू पूर्णमासी का प्रभास बने।
हे मित्र! हमारी मित्रता भी,
*
पृष्ठ सज्जा : संपादन
शक्ति.प्रिया कंचन सीमा अनुभूति.
*
भाविकाएँ
*
शरणार्थी
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फोटो : साभार |
एक युवक छीनता है एक बूढ़े से चादर
बूढ़ा ज़ोर लगाकर पकड़ता है उसे
फिर जवान भी
ज़ोर लगाकर छीनना चाहता है
आसपास के लोग अपनी अपनी चादरों को कसकर पकड़ते हैं
या उनके ऊपर बैठ अपने नीचे छिपाते हैं और इस
बूढ़े और जवान की
छीना झपटी का आनंद लेते हैं.
कुछ लोग बैठे बैठे जवान को कोसते हैं
और जवान लोग बूढ़े के सामने चादर उसकी होने का
प्रमाण प्रस्तुत करते हैं
तटस्थ प्रेक्षक तय करते हैंकि
युद्ध कितना ज़रूरी है.
शक्ति. क्षमा कौल
कवयित्री.
जम्मू.
*
शक्ति. पूजा : आर्य डॉ. राजीव रंजन. शिशु रोग विशेषज्ञ. बिहार शरीफ. समर्थित.
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तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : शक्ति : सम्पादकीय : प्रस्तुति. पृष्ठ :४.
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शक्ति नीलम अनुभूति शालिनी प्रीति.
*
शक्ति सम्पादकीय : आलेख : पृष्ठ ४ / २
गणपति बाप्पा मोरया
महाराष्ट्र केसरी तिलक का प्रयास
गणेशोत्सव की ऐतिहासकिता : राष्ट्रवाद की भावना जगाना:
शुरुआत के पीछे के मुख्य कारण : सार्वजनिक एकीकरण का उद्देश्य:
शक्ति सम्पादकीय : आलेख :०
शक्ति नैना डॉ.सुनीता रेनू प्रिया
*
गणपति का अर्थ सिर्फ विघ्नहर्ता नहीं,
बल्कि ज्ञान, बुद्धि और करुणा का संगम है
*
शक्ति. रेनू शब्द मुखर.
प्रधान सम्पादिका.
गणपति का अर्थ सिर्फ विघ्नहर्ता नहीं, बल्कि ज्ञान, बुद्धि और करुणा का संगम है मिट्टी से गढ़े गणपति, मन में जगाएं स्नेह, अहंकार का नाश करें, भर दें ज्ञान का मेह।जहाँ भरोसा, वहाँ विघ्न नहीं टिकता, जहाँ प्रेम, वहाँ जीवन का दीपक सदा दहकता। विघ्नहर्ता गणेश केवल मूर्ति में नहीं, वे हर उस क्षण में हैं जहाँ हम अहंकार छोड़ते हैं और विश्वास अपनाते हैं। आज जब हम मिट्टी के गणपति स्थापित करते हैं, तो यह भी संकल्प लें कि- अपनी सोच को स्वच्छ रखें, अपनी वाणी को मधुर रखें, अपने कर्म को सजग रखें।
गणपति का अर्थ सिर्फ विघ्नहर्ता नहीं, बल्कि ज्ञान, बुद्धि और करुणा का संगम है। आइए, इस पर्व पर रिश्तों में मिठास घोलें, मतभेद मिटाएँ और जीवन को सरल बनाएं। छोटी-सी शुरुआत भी बड़ी सफलता ला सकती है, जो झुकता है वही ऊँचा उठता है। आप सभी को गणेश चतुर्थी की मंगलमय शुभकामनाएँ ! गणपति बाप्पा मोरया! मंगलमूर्ति मोरया !
ब्रिटिश कालीन दासता : हम आजाद नहीं थे। १८९० के दशक में, ब्रिटिश अधिकारियों ने भारतीयों को बड़े पैमाने पर इकट्ठा होने से रोक दिया था क्योंकि उन्हें डर था कि लोग उनके खिलाफ विद्रोह कर सकते हैं. तिलक ने सार्वजनिक गणेश उत्सव की शुरुआत करके इस नियम का सहारा लिया, क्योंकि धार्मिक आयोजनों पर सख्त प्रतिबंध नहीं थे.
१९०४ - १९०५ का बंग भंग याद करें। हिन्दू मुस्लिम एकता को तोड़ने की कोशिश के निमित्त बंगाल को तोड़ने की कोशिश की गयी। वो हमें एकीकृत नहीं देखना चाहते थे।
राष्ट्रवाद की भावना जगाना : हम जातिवाद के जंजीरों में जकड़े पड़े थे। ब्रिटिश चाहते थे हम विभाजित रहें।लाल बाल पाल अंग्रेजों की मंशा भी समझ रहें थे। गणेशोत्सव के मंचों से देशभक्ति के भाषण और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे, जिससे लोगों के दिल में देश के प्रति प्रेम और सम्मान की भावना पैदा होती थी.
राष्ट्रवाद की भावना जगाना : हम जातिवाद के जंजीरों में जकड़े पड़े थे। ब्रिटिश चाहते थे हम विभाजित रहें।लाल बाल पाल अंग्रेजों की मंशा भी समझ रहें थे। गणेशोत्सव के मंचों से देशभक्ति के भाषण और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे, जिससे लोगों के दिल में देश के प्रति प्रेम और सम्मान की भावना पैदा होती थी.
जातिगत बाधाओं को तोड़ना : तिलक ने इस उत्सव का उपयोग ब्राह्मणों और गैर-ब्राह्मणों के बीच की खाई को पाटने और एक एकजुट हिंदू पहचान को बढ़ावा देने के लिए किया.
सामुदायिक एकता को बढ़ावा : तिलक का उद्देश्य गणेशोत्सव को एक सामुदायिक त्योहार के रूप में स्थापित करना था, जहाँ अलग- अलग पृष्ठभूमि के लोग एक साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ अपनी भारतीयता का दावा कर सकें.
जन-आंदोलन का एक मंच : तिलक ने गणेशोत्सव को एक जन आंदोलन में बदलकर स्वशासन और आजादी की लड़ाई के लिए लोगों को एकजुट किया.
इस प्रकार, तिलक ने गणेशोत्सव को एक रणनीतिक और प्रतीकात्मक कदम के रूप में इस्तेमाल किया, जो आज भी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में इसकी भूमिका के लिए जाना जाता है.
जन-आंदोलन का एक मंच : तिलक ने गणेशोत्सव को एक जन आंदोलन में बदलकर स्वशासन और आजादी की लड़ाई के लिए लोगों को एकजुट किया.
इस प्रकार, तिलक ने गणेशोत्सव को एक रणनीतिक और प्रतीकात्मक कदम के रूप में इस्तेमाल किया, जो आज भी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में इसकी भूमिका के लिए जाना जाता है.
कभी महाराष्ट्र केसरी तिलक के जरिए भारतीय सभ्यता संस्कृति की एकीकृत उद्देश्य के लिए महाराष्ट्र में गणेश उत्सव की शुरुआत की थी। जो धीरे धीरे समस्त भारत में होने लगी।
इस साल गणेश चतुर्थी उत्सव की शुरुआत २७ अगस्त से हो रही है, जिसका समापन ६ सितंबर को होगा. गणपति बप्पा को समर्पित यह पर्व पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जो पूरे १० दिनों तक चलता है.
विघ्नहर्ता, बुद्धि शुद्धि के देवता गणपति श्री गणेश को सादर नमन। हम सभी की ओर से गणेश चतुर्थी की अनंत हार्दिक शिव बधाईयां एवं शुभकामनाएं। श्री गणेश हम सभी समस्त जनों का क्लेश विघ्न का नाश करें,यही हमारी मनोकामना है ।
*
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा
वक्रतुण्ड मंत्र के शब्दों का अर्थ : वक्रतुण्ड जिनकी सूंड घुमावदार है। महाकाय विशाल शरीर वाले। सूर्यकोटि समप्रभ : करोड़ों सूर्यों के समान तेजस्वी और प्रतिभाशाली। निर्विघ्नं कुरु मे देव : हे देव प्रभु ! मेरे सभी कार्यों को बिना बाधा के पूरा करें। सर्वकार्येषु सर्वदा : हमेशा मेरे सभी कार्यों में।
पूरे मंत्र का भाव :यह मंत्र भगवान गणेश से विनती करता है कि वे अपनी विघ्नहर्ता शक्ति से सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करें और हर कार्य में सफलता प्रदान करें।
पूरे मंत्र का भाव :यह मंत्र भगवान गणेश से विनती करता है कि वे अपनी विघ्नहर्ता शक्ति से सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करें और हर कार्य में सफलता प्रदान करें।
किसी भी पूजा में विधान से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म रीती रिवाजों में किसी शुभ कार्य करने से पहले श्री गणेशाय नमः कहा जाता है। अपने मूषक की सवारी से ही अपने माता पिता पार्वती शिव की परिक्रमा कर विवेकशील बुद्धि शुद्धि के देवता गणपति ने अपने भाई कार्तिक को मूक कर दिया था। संस्कार यह भी रख दिया कि माता पिता का स्थान देव तुल्य है व सर्वोच्च है।
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पृष्ठ सज्जा : शक्ति. प्रिया मंजिता सीमा अनुभूति.
शिमला डेस्क
*
शक्ति सम्पादकीय : आलेख : पृष्ठ ४ / १
शक्ति आरती अरुण
श्री कृष्ण ही आज सत्यम शिवम् सुंदरम है
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हृदय की बात : प्यार : व्यवहार : संस्कार.
युग पुरूष और योगेश्वर वसुदेव कृष्ण : जिन्होंने सम्पूर्ण औपनिषदिक दर्शन और चिन्तन को एक काव्य : श्रीमद्भागवत गीता में ढाल दिया, जिन्होंने उद्दात्त और उन्मुक्त प्रेम को प्रदर्शित किया, जिन्होने सम्पूर्ण संसार को * निष्काम कर्म योग का दर्शन दिया, जो परम आनन्द के कारण है, जो सबको आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं , जो सभी प्रेमियों के लिए आराध्य हैं, जिनके स्मरण मात्र से लौकिक व्याधियाँ नष्ट हो जाती है, जो युग पुरूष और योगेश्वर हैं, उन वसुदेव कृष्ण को मैं बारम्बार नमन करता हूँ।
भारत की भारतीयता और आत्मा शिव राम और कृष्ण में बसती है। बुद्ध महावीर नानक कबीर रविदास तुलसी रहीम मीरा सूरदास और रसखान भारतीय चेतना रूपी उद्यान के सुगंधित पुष्प है जिनसे भारत भूमि सुवासित होती रहती है।
पर जब बात श्री कृष्ण की आती है तो एक अद्भुत अनुभूति हृदय में होती है। अपने काल के ही नहीं जो आज भी प्रासंगिक हैं और यथार्थ चेतना से युक्त है। मैं अकिंचन उन पर क्या लिखूँगा पर हृदय के भावना पुष्प तो इन शब्दों के माध्यम से समर्पित कर ही सकता हूँ पर विराट को तो शब्दों में नहीं बांधा जा सकता है।
एक भावुक प्रेमी : बालसखा : एक भावुक प्रेमी जो अपने बालसखा और सखियों से बिछुड़ कर एक आम आदमी की तरह अपने परम सखा निर्गुण ब्रह्म उपासक उद्धव जी के सामने विलाप करने लगते हैं,
उद्धव, मोहे ब्रज बिसरत नाहीं ,
यह पीड़ा जो प्रेम में अन्तस को आहत कर देता है, सम्पूर्ण वैश्विक साहित्य में अन्यत्र दुर्लभ है। एक महान कूटनीतिक रणनीतिकार जो साध्य की प्राप्ति करने में साधन की परवाह नहीं करते है कि यदि साध्य पवित्र, धर्म और न्याय आधारित हो तो उसकी विजय सुनिश्चित करने के लिए किसी भी मार्ग का अनुसरण किया जा सकता है।
पार्थ के सारथी नारी जाति के रक्षक, पार्थ के सखा सारथी और रक्षक, मैत्री धर्म पालन करने वाले, नारी जाति के समुद्धारक, आश्रितो के रक्षार्थ रणछोड़ बनने वाले और प्रेम की वंशी बजाने के साथ-साथ आपात्काल में सुदर्शन चक्र उठाने वाले, महान योद्धा पार्थसारथी का आज हम जन्मदिन मना रहे है परन्तु जरूरत है , उनकी तरह समय पर वंशी वादन की और धर्मार्थ- न्यायार्थ शस्त्र उठाने की ताकि न्यायार्थ अपने बन्धुओं को भी दण्डित किया जा सके।
पुनश्च परम चैतन्य आत्मा ब्रह्माण्डीय ऊर्जा शिव , श्री राम और श्री कृष्ण को बार-बार नमन करते हुए भारत के महान समाजवादी चिन्तक और राजनीतिक दार्शनिक डा. राम मनोहर लोहिया जी को उद्धृत करना चाहुँगा, उन्होने १९९५ में मैनकाइंड पत्रिका में लिखा था,
हे भारत माता, हमें शिव का मस्तिष्क दो, कृष्ण का विराट हृदय दो, राम का कर्म वचन और मर्यादा दो।
हमे असीम मस्तिष्क और उन्मुक्त हृदय के साथ-साथ जीवन की मर्यादा से रचो। '
अद्भुत, अनुपम, अद्वितीय, अप्रतिम और महामानव जो नाचता भी है और नचाता भी : एक अद्भुत, अनुपम, अद्वितीय, अप्रतिम और महामानव जो नाचता भी है और नचाता भी है, वंशी बजाता और गोपियों को रिझाता भी है, दही माखन चुराकर खाता और बांटता भी है।
रासलीला करता है तो अद्वैत का दर्शन देते हुए योग की विशद् और अनुपम व्याख्या करते हुए योगेश्वर भी कहलाता है। सबके अहंकार और मिथ्याभिमान का मानमर्दन भी करता है।
कहीं मर्यादाहीन तो कहीं मर्यादा के रक्षक : तो कहीं मर्यादा के रक्षार्थ सामाजिक नैतिक नीतियों में बंधा हुआ भी है तो उन्मुक्त और स्वच्छन्द भी है। प्रेम के द्वारा ही मुक्ति मिल सकती है का दर्शन भी देता है। कहीं मर्यादाहीन नजर आता है तो कहीं मर्यादा के रक्षार्थ चरम पर खड़ा भी दिखाई देता है और अन्त में कर्म की, कर्त्तव्य पालन की श्रेष्ठता का संदेश भी देता है।
ऐसे हैं योगेश्वर कृष्ण जिनकी महिमा आज भारत की सीमाओं के पार जा चुकी है और एशियाई देशों के साथ साथ यू एस, यूरोप, आस्ट्रेलिया और अफ्रीका की धरती हरे रामा हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे रामा की गायन से गूंजती दिखाई पड़ती है और आज भी इनकी प्रासंगिकता उतनी ही है जितनी द्वापर में थी। सभी श्री कृष्ण प्रेमियों और साधकों को श्री कृष्णाष्टमी की अनन्त शुभकामनाएँ बधाईयाँ ।सम्पूर्ण वैश्विक क्रियाशीलताओं मे प्रेम शान्ति और सद्भावना का संचार हो।
श्री राधा मोहन शरणम् । जय जय श्री राधेकृष्ण
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पृष्ठ सज्जा : शक्ति. प्रिया मंजिता सीमा अनुभूति.
शिमला डेस्क
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शक्ति. डॉ. रत्नशिला. आर्य डॉ. ब्रज भूषण सिन्हा: शिवलोक हॉस्पिटल : बिहारशरीफ : समर्थित. |
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शक्ति : यात्रा संस्मरण : आलेख : धारावाहिक आलेख : पृष्ठ : ५
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नैनीताल डेस्क.
संपादन.
शक्ति.शालिनी मानसी कंचन प्रीति.
नैनीताल डेस्क.
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धारावाहिक यात्रा संस्मरण
हरसिल : मुखवा :धराली : गंगोत्री : यात्रा संस्मरण : पृष्ठ : ५ / ० .
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डॉ.मधुप
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हरसिल : धराली : यात्रा संस्मरण :
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छोटे छोटे झरने हैं इन झरनों को छूकर हमें वादें जो करने हैं
शक्ति* प्रिया डॉ.सुनीता मधुप
'हम ' समस्त देव शक्ति मीडिया परिवार हर्षिल : धराली देव शक्ति भूमि में हुए जल प्रलय
से हुए ' धन ', ' जन ' निर्दोष मन की व्यापक हानि के लिए असीम अनंत हार्दिक संवेदनाएं रखते हैं...और इस प्राकृतिक आपदा से निस्तार पाने के लिए अनंत ( लक्ष्मी नारायण ) से प्रार्थना करते हुए उनके लिए मन , वचन,कर्म से शिवशक्ति की अभिलाषा रखते हैं .
वादियां तेरा दामन : हर्षिल और गंगोत्री : यही जून २०२५ का महीना था। हम चार यमुनोत्री गंगोत्री की यात्रा पर निकले हुए थे। शक्ति यात्रा मुसाफिर हूँ मैं यारों की कड़ी में देव, सुनील ,वनिता हमारे साथ थे। मुख्य मार्ग में जब और आगे बढ़ रहे थे हरसिल के बाद रात एक दम सी हो गयी थी। हम हरसिल की घाटी से गुजर रहे थे।
हर्षिल और गंगोत्री, उत्तराखंड के दो खूबसूरत स्थान हैं, जो माया नगरी के ग्रेट शो मैन राज कपूर की फिल्म राम तेरी गंगा मैली की शूटिंग के लिए प्रसिद्ध हैं। हर्षिल, गंगोत्री के पास एक घाटी है, जहां फिल्म में कई दृश्यों की शूटिंग हुई थी। यह फिल्म १९८५ में रिलीज़ हुई थी और इसमें मंदाकिनी और राजीव कपूर ने अभिनय किया था। तब से हरसिल आम पर्यटकों के निगाह में आ गया था।
यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित एक खूबसूरत घाटी है, जिसे भारत का स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है. यहाँ, बर्फ से ढके पहाड़, हरी-भरी घाटियाँ, और बहती नदियाँ मिलकर एक शानदार दृश्य बनाते हैं.
वो बहती धराली की तन्वी खीर गंगा : शाम हो रही थी। गंगानी में हम थोड़ी देर के लिए रुके थे। गर्म झरने में थोड़ी देर हाथ पैर धो लेने के बाद हम आगे बढ़ें। गंगानी के गर्म झरने के बारे में भी देहरादून के हमारे स्थानीय गाइड व ड्राइवर देव ने बतलाया था। हरसिल से मात्र ५ या ६ किलोमीटर की दूरी पर कब का गंगा का मायका मुखवा, धराली आ गया पता ही न चला। धराली से याद आया जब हम गुजर रहें थे रास्ते में होटल वाले के कितने एजेंट खड़े मिल गए जो कमरा खाली है,....उपलब्ध है की आवाज लगा रहें थे। चूकि हरसिल में होम स्टे व होटल कम है इसलिए ज्यादातर लोग धराली में ही रुकते है।
छोटे छोटे झरने हैं इन झरनों का पानी छूकर ही हमें कुछ वादें जो करने हैं : इस पूरे हरिद्वार - ऋषिकेश गंगोत्री राज्य मार्ग में हमने एक बात देखी की आस पास की फैली हिम शृंखलाओं से अनगिनत छोटे छोटे कई झरने हैं जो भागीरथी में मिलती है। इनमें से एक पतली धारा वाली धराली की खीर गंगा भी है जो हमें गंगोत्री से लौटते समय बायी तरफ़ मिली थी। कितनी दुबली पतली थी यह खीर गंगा। इन झरनों को छूकर ही हमें कुछ वादें जो करने हैं।
हम पहाड़ों का दर्द समझना है। हर्षिल, उत्तराखंड में प्रकृति की गोद में बसा एक खूबसूरत गांव है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, सेब के बागों और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। इसके पर्यावरण की रक्षा करनी है। यह गांव हिमालय की गोद में बसा है और ट्रेकिंग, धार्मिक पर्यटन, और ग्राम पर्यटन के लिए एक लोकप्रिय स्थान है, इसकी सभ्यता संस्कृति को हमें बचाना है ।
शाम और भी गहरा गयी थी। चूँकि हमें हर्षिल लौटने में रुकना था इसलिए मुख्य मार्ग से हरसिल गॉंव की
तरफ न मुड़ें। और आगे बढ़ते गए थे। नीचे जिले उत्तरकाशी के खूबसूरत एक छोटे से हरसिल पहाड़ी गांव के होमस्टे के बल्ब जल उठे थे। भागीरथी नीचे शोर करते हुए एक दम से पास में ही बह रही थी। उपर के पहाड़ी रास्ते से ही हरसिल अत्यंत मनभावन दिख रहा था। बहुत सुना था हरसिल के बारे में।
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हरसिल : धराली : यात्रा संस्मरण :
झरने तो बहते हैं : क़सम ले पहाड़ों की जो कायम रहते हैं.
गतांक से आगे : १
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फिल्म हरसिल : वो धुंधलाती शाम : हर्षिल घाटी में ८ गांव हैं, जिनमें सुक्की, मुखबा, हर्षिल, बागोरी, धराली, झाला, जसपुर और पुराली शामिल हैं। हाल में ही गंगोत्री जाते समय हम सुक्की, मुखबा, हर्षिल, बागोरी, धराली, झाला, से गुजरे थे। देखा भी था ,समझा भी था।
यदि सच माने तो १९८५ में राजकपूर निर्देशित फिल्म एक अत्यंत चर्चित संगीतमय फिल्म राम तेरी गंगा मैली की अधिकांश शूटिंग्स यहीं हुई थी। फिल्म प्रदर्शन के बाद उन्होंने इसे विश्व के मानस पटल पर ला दिया था। इसके बाद से ही हर्षिल घाटी में पर्यटकों की आवाजाही बढ़ गयी थी। देवदारों चीड़ के पेड़ के मध्य हर्षिल की सुंदरता एक मनोरम और मनमोहक अनुभव है।
अब मेरे हालिया बने हरसिल के मित्र डॉ. उनियाल उनकी छोटी सी डिस्पेंसरी....ऋषिकेश के पवन जी ....हर्षिल के पास मिली देहरादून की शक्ति मेघा ...धराली की घटना के बाद बेसाख़्ता याद आने लगे थे।
मचलती गंगा की धारा....... भागीरथी से सटे आर्मी कैम्प। सुना है कुछ जवान अभी तक़ लापता है।
सब कुछ वहां ठीक ही न होगा मेघा ....?
मन्दाकिनी झरना , वो पोस्ट बाबू की छोटी सी पोस्ट ऑफिस..... झरने तो बहते हैं : क़सम ले पहाड़ों की जो कायम रहते हैं गीत एकदम से गूंज रहा था। सब कुछ देखने के लिए मैं बेचैन था।
हरसिल : सेबों के बागान : हरसिल : यह उत्तरकाशी से ७८ कि मी और गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान से ३० किमी दूर है.यह अपने प्राकृतिक वातावरण और सेब उत्पादन के लिए जाना जाता है. यह राष्ट्रीय राजमार्ग ३४ पर गंगोत्री के हिन्दू तीर्थस्थल के मार्ग में आता है। समुद्र तल से ९००५ फ़ीट या कहें २७४५ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित एक खूबसूरत हिल स्टेशन है, जो गंगोत्री के रास्ते में आता है। यह भागीरथी नदी के किनारे बसा है और सेब उत्पादन के लिए विशेषतः जाना जाता है।
हर्षिल घाटी : कई दर्शनीय स्थल : हर्षिल घाटी में कई दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें शामिल हैं। प्रकृति का नायाब तोहफा है हर्षिल। ऐसा प्रतीत होता है यदि हम हर्षिल में विश्रामित होते है तो यह कही बेहतर होता है।
बागोरी गांव: यह हर्षिल के पास स्थित एक छोटा सा गांव है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है.
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भागीरथी : हर्षिल फोटो : डॉ मधुप |
गंगोत्री : गंगा लेने आए हम : हर्षिल से गंगोत्री का रास्ता बेहद खूबसूरत है, जिसमें हिमालय पर्वतमाला, बहती नदियाँ और हरीभरी घाटियाँ दिखाई देती हैं.
गरतांग गली: गरतांग गली एक ट्रेकिंग रूट है, जो हर्षिल से शुरू होता है और गंगोत्री की ओर जाता है.
सत्तल: सत्तल एक खूबसूरत झील है, जो हर्षिल से कुछ ही दूरी पर स्थित है. इसे स्थानीय की मदद से खोजना होगा।
लामा टॉप: लामा टॉप एक ऐसा स्थान है जहाँ से आप हर्षिल घाटी और आसपास के इलाकों का मनोरम दृश्य देख सकते हैं.
नेलोंग घाटी : नेलोंग घाटी एक और खूबसूरत घाटी है, जो हर्षिल के पास स्थित है.
श्रीलक्ष्मी-नारायण मंदिर : हर्षिल में भगवान श्रीहरि का मंदिर है, जिसे श्रीलक्ष्मी-नारायण मंदिर के रूप में जाना जाता है.
हरि शिला: भागीरथी और जलंद्री नदी के संगम पर एक शिला मौजूद है, जिसे हरि शिला कहते हैं. हर्षिल की सुंदरता को निहारने के लिए यह एक बेहतरीन जगह है.
गंगोत्री उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित भागीरथी नदी के किनारे एक हिंदू तीर्थस्थल है, जो गंगा नदी का उद्गम स्थल है।
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फोटो गंगोत्री : शक्ति श्रद्धा डॉ. सुनीता. |
रहने के विकल्प : हर्षिल में होटल, होमस्टे और गेस्ट हाउस सहित विभिन्न प्रकार के आवास विकल्प उपलब्ध हैं, जो आपकी यात्रा की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं.हर्षिल में आवास सीमित है, इसलिए यात्रा से पहले अपनी बुकिंग सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है.
गतांक से आगे : २
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हरसिल : धराली : गंगोत्री यात्रा संस्मरण : डॉ.मधुप
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गंगोत्री और गंगा : सुनो तो गंगा ये क्या सुनाये ?
शक्ति* प्रिया डॉ.सुनीता मधुप
गंगोत्री और गंगा : सुनो तो गंगा ये क्या सुनाय ? हमें याद है हम गंगोत्री गंगोत्री मंदिर शाम आठ बजे तक पहुंच चुके थे। एकदम समतल रास्ता था। मंदिर परिसर यही कोई ५०० मीटर के पास ही होगा। जल्द ही सब सामान दो कमरे में रख कर हम मंदिर दर्शन के लिए निकल गए थे। रात्रि के नौ बज रहे थे। मंदिर परिसर एकदम खाली था। दर्शन ड्योढ़ी बंद थी।
इसके दर्शन के लिए हमें सुबह आना था। मंदिर का सफ़ेद रंग मरकरी में एकदम से चमक रहा था।
सुबह चार बजे ही नहा धोकर हम तैयार हो गए थे।
मंदिर परिसर में हमें शक्ति श्रद्धा मिली, उत्तर काशी की रहने वाली एकदम शुचिता। एक स्थापित उत्तराखंड लोक गायिका। बातचीत के सिलसिले में ही उन्होंने गंगा स्तुति भी सुना दी। कितने साफ सुथरे खुले दिल वाले होते है ये पहाड़ी लोग।
यही पर गंगा मिली थी एकदम निर्मल शुद्ध। मैंने पूरी श्रद्धा से पात्र में सुरक्षित किया। कुछेक बूंदें अपने उपर छिटी। तेरा भी ख्याल किया। यही पर डॉ. श्वेता मिली थी। एक छोटा सा मैंने इंटरव्यू भी लिया था।
शक्ति सम्पादिका बनने के लिए हमने उन्हें आमंत्रित भी किया था। उन्होंने हामी भी भरी थी। यही शिव भी दिखे शक्ति भी। शिव की जटा से देव सरिता निःसृत हो रही थी।
गंगोत्री मंदिर का इतिहास : पौराणिक कथा : गंगोत्री मंदिर राजा भागीरथ से जुड़ा है, जिन्होंने गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए तपस्या की थी. कहा जाता है कि राजा भागीरथ ने गंगा को धरती पर लाने के लिए भगवान शिव की जटाओं में तपस्या की थी।
गंगा नदी के उद्गम स्थल के पास स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर १८ वीं शताब्दी में गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा द्वारा बनवाया गया था, और बाद में २० वीं सदी में जयपुर के राजा माधव सिंह द्वितीय द्वारा इसका जीर्णोद्धार किया गया. मंदिर, भागीरथी नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है और समुद्र तल से ३१४० मीटर की ऊंचाई पर है.
२० वीं शताब्दी में, जयपुर के राजा माधव सिंह द्वितीय ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। बताते चले गंगोत्री मंदिर, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है. यह मंदिर मई से अक्टूबर के बीच खुलता है और दिवाली के दिन बंद हो जाता है। तब भयंकर सर्दी पड़नी शुरू हो जाती है।
गंगोत्री से गौमुख की ट्रेकिंग : लगभग १८ किलोमीटर की दूरी है, जो ७ से ८ घंटे में तय की जा सकती है. यह ट्रेक अच्छी तरह से चिह्नित है और रास्ते में हरे-भरे जंगल और छोटे-छोटे गांव दिखाई देते हैं. आप भागीरथी नदी का भी लुत्फ उठा सकते हैं, जो गंगा नदी की एक सहायक नदी है. ट्रेक के दौरान आपको कुछ कठिन चढ़ाई भी करनी पड़ सकती है.
गंगोत्री से गोमुख तक पैदल चढ़ाई लगभग १६ किलोमीटर की है। गोमुख गंगा नदी का उद्गम स्थल है। गौमुख ट्रेक मध्यम से कठिन ट्रेक की श्रेणी में आता है।यह ट्रेक गंगोत्री ग्लेशियर की ओर ले जाता है, जो एक चुनौतीपूर्ण लेकिन सुंदर परिदृश्य है। ट्रेक की शुरुआत भोजबासा से होती है,जो भागीरथी नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है।
साभार : रेखा : अल्मोड़ा : एक पहाड़न
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वादियां मेरा दामन रास्ते मेरी बाहें
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पहाड़न : सादगी और खूबसूरती की प्रतिमा : जैसे मेरे ही पास तुझे आना है : मैंने बहुत सारे पहाड़न को देखा है। शोध जारी ही है। प्रकृति वश वे सकारात्मक दृष्टिकोण और मजबूत इच्छाशक्ति के लिए जानी जाती हैं, जो उन्हें जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद करता है। गज़ब की मेहनती होती है ये पहाड़न। एकदम से गोरी चिट्टी। रेखा अल्मोड़ा से है ,ख़ुशी देहरादून से जिनके रील मैं आपको दिखलाता रहता हूँ। और आप देखते भी है।
सनद रहें पहाड़ी लड़कियां हिमालयी क्षेत्र में पाई जाती हैं, जिसमें जम्मू, कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, दार्जलिंग बंगाल,और उत्तराखंड जैसे राज्य शामिल हैं।
प्राकृतिक सुंदरता : पहाड़ी लड़कियां अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सादगी के लिए भी जानी जाती हैं.
उनकी पारंपरिक जीवनशैली ध्यान देने योग्य है। वे अक्सर पारंपरिक पहाड़ी जीवनशैली और रीति-रिवाजों का पालन करती हैं....
दूसरे दिन क़रीब दस बजे हम वापसी के लिए निकल चुके थे।
गतांक से आगे : ३
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हरसिल : धराली : गंगोत्री यात्रा संस्मरण : डॉ.मधुप
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मुखबा : गंगा का मायका : धराली : जाने कहाँ गए वो लोग ?
शक्ति * प्रिया डॉ.सुनीता मधुप.
ड्राइवर देव को हमने कह रखा था कि रास्ते में पड़ने वाले महत्वपूर्ण स्थानों के बारे में बताते चले। भैरो घाटी में रुक कर हमलोगों ने ढावे में खाना खाया था। हमें याद है तब भैरो घाटी में नेट वर्क नहीं उपलब्ध था।
हम निरंतर आगे बढ़ रहे थे।
हरसिल के मुखबा गांव में : गंगा का मायका : यहाँ की लोक कथाओं में मुखबा गंगा का मायका समझा जा सकता है। भारत के उत्तराखंड राज्य के हर्षिल में गंगोत्री मंदिर के पास एक छोटा सा गाँव है, जहाँ सर्दियों के दौरान देवी गंगा की मूर्ति स्थापित की जाती है। लगभग नौ मील दूर स्थित मंदिर से एक अनुष्ठान समारोह के माध्यम से इसे नीचे लाया जाता है, क्योंकि बर्फबारी के बाद यह दुर्गम हो जाता है। गंगोत्री मंदिर के पुजारी इसी गाँव से आते हैं। दिवाली आमतौर पर अक्टूबर में के त्योहार के दौरान बड़े उत्सव के साथ मूर्ति को नीचे लाया जाता है,और वसंत ऋतु, अप्रैल में मंदिर में वापस लाया जाता है। सच पूछे तो मुखवा ठीक धराली गांव से उलटे भागीरथी नदी के उत्तरी सिरे ऊंचाई पर स्थित गांव है। यदि सूत्रों की माने तो गांव के ही लोगों पहाड़ी ढ़लानों से आती हुई आपदा को देखा था। सीटी बजा कर उन्होंने आगाह करने की
हरसिल के मुखबा गांव में : गंगा का मायका : यहाँ की लोक कथाओं में मुखबा गंगा का मायका समझा जा सकता है। भारत के उत्तराखंड राज्य के हर्षिल में गंगोत्री मंदिर के पास एक छोटा सा गाँव है, जहाँ सर्दियों के दौरान देवी गंगा की मूर्ति स्थापित की जाती है। लगभग नौ मील दूर स्थित मंदिर से एक अनुष्ठान समारोह के माध्यम से इसे नीचे लाया जाता है, क्योंकि बर्फबारी के बाद यह दुर्गम हो जाता है। गंगोत्री मंदिर के पुजारी इसी गाँव से आते हैं। दिवाली आमतौर पर अक्टूबर में के त्योहार के दौरान बड़े उत्सव के साथ मूर्ति को नीचे लाया जाता है,और वसंत ऋतु, अप्रैल में मंदिर में वापस लाया जाता है। सच पूछे तो मुखवा ठीक धराली गांव से उलटे भागीरथी नदी के उत्तरी सिरे ऊंचाई पर स्थित गांव है। यदि सूत्रों की माने तो गांव के ही लोगों पहाड़ी ढ़लानों से आती हुई आपदा को देखा था। सीटी बजा कर उन्होंने आगाह करने की
कोशिश भी की थी। लेकिन मात्र ४१ सेकेण्ड में सब कुछ तबाही आ गयी थी।
धराली : मुखबा भागीरथी नदी के दाहिने किनारे पर है। जबकि धराली गंगोत्री राज्य मार्ग से ही सटा एक गॉव है हर्षिल वैली के प्रमुख आकर्षण में शामिल धराली पर्यटन स्थल शानदार जगह हैं। यह हर्षिल घाटी से लगभग ३ से ४ किलोमीटर दूर स्थित हैं। धराली पर्यटन स्थल अपने सेव बाग और लाल सेम के लिए जाना जाता हैं।
एकदम दुबली पतली सी खीर गंगा : रास्ते में खीर गंगा मिली। एकदम दुबली पतली सी। वस्तुतः एक पहाड़ी नाले की तरह ही बह रही थी। ऊपर की ऊँची पहाड़ियों में ग्लेशियर के पिघलने से पतली धारा बन निकल कर आ रही थी। तब हमें क्या मालूम था कि ठीक एक महीने बाद यह खीर गंगा त्रासदी बन कर समस्त गांव धराली को अपने भीतर समाहित कर लेगी।
सोमेश्वर महादेव का मंदिर : धराली में तब सोमेश्वर महादेव का मंदिर भी मिला था । देखने लायक जगह है। हमारे मित्र डॉ. उनियाल ने बतलाया था कि खीर गंगा में जब सैलाब आया तो धराली के ज़्यादातर लोग सोमेश्वर महादेव मंदिर में पूजा कर रहे थे..जिसके वजह से उनकी जान भी बच गई।
पौराणिक कथाओं के अनुसार धराली गंगोत्री ही वह स्थान है जहां भागीरथ ने गंगा नदी को धरती पर लाने के लिए तपस्या की थी। धराली गंगोत्री में भगवान शंकर का बहुत ही खूबसूरत और प्राचीन मंदिर है जो कि हिन्दुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है।
धराली त्रासदी : जाने कहाँ गए वो लोग ? ५ अगस्त २०२५ को सुबह सब कुछ सामान्य था। दोपहर १ बजे के बाद मात्र ३० से ४० सेकंड में जो भी कुछ हुआ वह शायद हम कभी भूले।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में आई तबाही को ७ ,८ दिन से ऊपर हो गए हैं। अभी भी रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। तबाही का अंदाजा लगाया जा सकता है। मलबे में जिंदगी तलाशने का काम जारी है। समभावनाएं क्षीण है। फिर भी ये तो मालूम हो जाए गुमशुदा लोगों का आख़िर क्या हुआ ?
५० से अधिक लोग अभी तक लापता बतलाए जा रहें हैं। जाने कहाँ गए वो लोग ? फिर से केदार नाथ की त्रासदी आ गयी थी।
गंगानी के बाद हरसिल पहुँचने के रास्ते बाधित है। सड़कें ख़त्म हो गयी है। पुल बह गए है। सीएम धामी धराली गांव में ही कैंप किए हुए हैं, हिम्मत बंधा रहें है ?
आँखों से बहती जलधारा में सब कुछ खोने का दर्द समझा जा सकता है। लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए आईटीबीपी, सेना, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और उत्तराखंड पुलिस के जवान निरंतर लगे हुए हैं। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में वायुसेना के कई हेलिकॉप्टर लगे हुए हैं.... तबाही के वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं.... कई वीडियो में लोगों को मलबों से बचते हुए भाग रहे लोगों को देखा जा सकता है....
गतांक से आगे : ४
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हरसिल : धराली : गंगोत्री यात्रा संस्मरण : डॉ.मधुप.
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हरसिल : देवदार : हैलीपैड : मेरी यादें और तबाही का मंजर : जाने कहाँ गए वो लोग ?
शक्ति * प्रिया डॉ.सुनीता मधुप.
मुझे याद है जब हम मुखवा से गुजर रहे थे तब हमारे देहरादून के ड्राइवर देव ने उस तरफ ऊँची पहाड़ी की तरफ इशारा करते हुए बतलाया था वो देखिए साहब गंगा का मायका ....गंगा वही सर्दियों में रहती है।
गंगा के मंदिर से भजन या कीर्तन भी बज रहा था जिसकी पहाड़ी धुन हम तक पहुंच रही थी। पंडाल शामियाने भी इस किनारे से दिख रहें थे। शायद ऊँची पहाड़ी पर स्थित मुखवा गांव के रहने बालों ने ही सर्वप्रथम खीर गंगा के रौद्र रूप को देखा होगा , उन्होंने सीटियाँ भी बजाई होंगी लेकिन लोग बच पाते, भाग पाते ,संभल पाते तब तक तबाही उनके सामने आ चुकी थी।
प्रत्यक्ष दर्शी बतलाते है उनके सामने ही कितने लोग जिन्दा दफ़न हो गए। केवल १०० लोग ही बचाये जा सके। शेष होटल,होम स्टे में रहने वाले पर्यटक कहाँ गए ? तलाश अभी भी जारी है।
जाने कहाँ गए वो लोग ? : आखिर ये आपदा क्या मात्र बादल फटने से हुई। भूवैज्ञानिक कहते है यह केदार नाथ जैसी ही आपदा है। नदी के मार्ग में भूस्खलन होने से बड़े पत्थर ने धारा को अवरुद्ध कर दिया । उपर कही झील बनती गयी। जब पानी का दबाव बढ़ा तो पत्थर टूट कर अलग हो गया। पूरे वेग से पानी मलवा ,गाद , पत्थर खीर नाले में बहता हुआ नीचे गया। मुहाने के पास तीव्र मोड़ होने की वजह से सामने धराली गांव को पूर्णतः तहस नहस करता गया।
समय साक्षी है खीर गंगा में सबसे भीषण बाढ़ १८३५ में भी आयी थी तब भी इस पहाड़ी नाले ने इस कस्बे को पाट दिया था। यह एक शुद्ध गंगा है क्योंकि इसमें अन्य नदियों की भांति चूना नहीं मिला है। यथार्थ में हिमालय के चौखम्बा के पश्चमी सिरे का एक अंश है। साल १७०० में जब गढ़वाल में परमार राजवंश का शासन था तब एक बड़ा भूस्खलन होने से लगभग १४ किलोमीटर के दायरे में झाला के आस पास एक लम्बी झील बन गया था। इसलिए झाला में भागीरथी गंगा स्थिर दिखती है।
कल्प केदार : धराली : उत्तरकाशी के धराली में ५ अगस्त को आए सैलाब में धराली का कल्प केदार मंदिर भी समाधि ले चुका है। कल्प केदार मंदिर भागीरथी नदी और खीर गंगा के संगम पर बने २४० मंदिरों की श्रृंखला का एक प्रमुख मंदिर था। यह पहली बार नहीं है, जब कल्प केदार मंदिर ने समाधि ली है, इससे पहले भी कम से कम तीन बार यह मंदिर जमींदोज हो चुका है। आखिरी बार धराली के लोगों ने १९८० में खुदाई करके मंदिर को बाहर निकाला था. लेकिन तब भी आधा मंदिर जमीन के नीचे दबा हुआ था।
लगता है इस बार भी कल्प केदार को खोद कर ही बाहर निकालना होगा।
हरसिल हैलीपैड : जानकर बतला रहे है कि बादल फटने की घटना हर्षिल घाटी में तीन जगह सुखी टॉप ,धराली और हरसिल तीन जगह हुई। जिनमें सुखी टॉप में कही से भी जानमाल का नुकसान नहीं हुआ है जबकि हरसिल में हुए बादल फटने की घटना से हरसिल स्थित आर्मी कैम्प को हानि पहुंची है। कुछेक जवान लापता भी बतलाए जा रहे हैं।
मलबे व गाद से भगीरथी नदी का पानी भी अवरुद्ध हुआ है और एक बड़ी कृत्रिम झील भी निर्मित हो गयी है जिनसे निरंतर बसी आबादी के लिए खतरे का अंदेशा बना हुआ है।
मुझे याद है हमने हरसिल का हैली पैड देखा था जो हाई वे से सटा हुआ था। सुनते है पानी में पूरी तरह से डूब चुका है।
'हम ' समस्त देव शक्ति मीडिया परिवार हर्षिल : धराली देव शक्ति भूमि में हुए जल प्रलय से हुए ' धन ',' जन ' निर्दोष मन की व्यापक हानि के लिए असीम अनंत हार्दिक संवेदनाएं रखते हैं...और इस प्राकृतिक आपदा से निस्तार पाने के लिए अनंत ( लक्ष्मी नारायण ) से प्रार्थना करते हुए उनके लिए
मन , वचन,कर्म से शिवशक्ति की अभिलाषा रखते हैं।
हम कैसे भूल सकते है कि हम यहाँ डॉ उनियाल से मिले थे। उन्होंने ही हमें हरसिल बाज़ार में एक दिन के स्टे के लिए कमरा दिलवाया था जहाँ सेव के सात आठ पेड़ थे।
मुखवा गांव : धराली : न्यूज़ : शॉर्ट रील
शैलेन्द्र भंडारी : संवाददाता : हिमवंत टाइम्स
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गतांक से आगे : ५. अंतिम क़िस्त
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हरसिल : धराली : बागोरी. गंगोत्री यात्रा संस्मरण : डॉ.मधुप.
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हिमालय की गोद में : बागोरी.
बागोरी हर्सिल के पास ही था। शाम होने को थी। ठण्डी हवाएं बह रही थी। हम, तीन डॉ सुनीता वनिता शाम में बागोरी घुमने निकले थे। टहलते हुए ही एकदम पास ही में गॉव था। इसकी भौगोलिक स्थिति उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में एक अत्यंत साफ सुथरा गाँव है, जो भागीरथी नदी के तट पर गंगोत्री तीर्थस्थल के रास्ते में स्थित है। हम पंद्रह बीस मिनट में ही वहां पहुंच गए थे। हम वहां की जनजाति से मिले उनसे बातें की।
१९६२ में भारत-चीन युद्ध : बगोरी गाँव : कहते हैं १९६२ में भारत-चीन युद्ध के दौरान सीमा पर बसे जादुंग और नेलांग गाँव को खाली करा दिया गया था। वहाँ से अधिकतर लोग हरसिल के पास बगोरी गाँव आकर बस गए। उस दौर में जादुंग और नेलांग के लोग तिब्बत के साथ व्यापार किया करते थे, जो उनकी आजीविका का मुख्य साधन हुआ करता था।
बगोरी के ग्रामीणों का कहना है कि वे तिब्बत से नमक का व्यापार करते थे, लेकिन परिस्थितियाँ ऐसी बनीं कि उन्हें अपना गाँव छोड़ना पड़ा और उन्होंने भी आजीविका के नए साधन तलाश लिए। अब सेब की बागवानी के अलावा भी लोग अलग-अलग रोज़गारों से जुड़ गए हैं। बगोरी में एक बौद्ध मठ के साथ-साथ मंदिर भी है, जहाँ सभी आस्था के साथ सिर झुकाते हैं। हमने यहाँ एक मठ भी देखा था जहाँ भुटिया जन जाति के बच्चें हरी भरी घास उलट पलट रहें थे।
बगोरी में जादुंग और नेलांग के मूल निवासी रहते हैं, जिन्हें जाड़ कहा जाता है। इसके अलावा गाँव में एक आबादी ऐसी भी है, जो यहीं की मूल निवासी है। यहाँ कुल मिलाकर २५० के करीब परिवार रहते हैं, जो सिर्फ गर्मियों में यहाँ रहते हैं। सर्दियों में गाँव बर्फ की सफेद चादर से पूरी तरह से ढक जाती है और लोग नीचे डुंडा और उत्तरकाशी के आसपास चले जाते हैं।
गाँव की खासियत है लकड़ी के खूबसूरत घर, जिन पर फूलों से लेकर बेलों तक की नक्काशी की गई है। घरों के दरवाजों से लेकर खंभों तक की बनावट बरबस ही पर्यटकों का मन मोह लेती है। वहीं कई घरों पर बौद्ध मंत्र भी खुदे हैं, तो कहीं लोगों ने अपना नाम खुदा रखा है। गाँव की पतली सी गली से गुज़रते हुए हर एक घर। वहाँ रहने वाले पर नज़र ठहर जाती है।
लकड़ी के खूबसूरत घर, जाड़-भोटिया जनजाति : की अनोखी विरासत : यह जाड़-भोटिया जनजाति की अनोखी विरासत को अपने भीतर समेटे हुए है। यह पहाड़ी जनजाति वाला गांव अपनी विशिष्ट संस्कृति, परंपराओं, खान-पान और त्योहारों के लिए जाना जाता है।
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फोटो शक्ति श्रद्धा |
यह गांव जाड़-भोटिया समुदाय का एक प्रमुख केंद्र है, जो पहले उत्तराखंड की नेलांग और जादोंग घाटी में चरवाहा और खानाबदोश जनजाति के रूप में रहते थे।सांस्कृतिक महत्व के लिए विदित बागोरी अपनी अनूठी संस्कृति, लोकसंस्कृति, परंपराओं, पहनावे, बोली, खान-पान और मेलों के लिए प्रसिद्ध है, जो इसे एक खास पहचान देते हैं।
इसे ऐतिहासिक व्यापारी गांव कहते है। इसे प्राचीन व्यापारियों का गांव भी कहा जाता है, जो इसकी ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है। हमने इस छोटे से गॉंव में रेस्टोरेंट भी देखे थे।
हम कैसे भूल सकते है कि हम यहाँ डॉ उनियाल से मिले थे। उन्होंने ही हमें हरसिल बाज़ार में एक दिन के स्टे के लिए कमरा दिलवाया था जहाँ सेव के सात आठ पेड़ थे।
राम तेरी ' गंगा ' मिल गयी : एक छोटी सी मुलाकात : हम वो भी कैसे भूल सकते है एक छोटी सी मुलाकात। हर्सिल पोस्टऑफिस के पास मेघा मिली। वो भी गंगा की पोस्टमास्टर और पोस्टऑफिस ही देखने आयी थी। यहाँ हमें गंगा भी मिल गयी थी शुद्धता की प्रतीक। गंगोत्री में। सीधी सरल पवित्र। शक्ति श्रद्धा अनजाने में जो गंगोत्री में मिली जो हमारी ज्ञान की गंगा की सहायिका महासरस्वती सिद्ध हुई। उनके गले में सरस्वती का वास है। वो आज उत्तराखंड उत्तर काशी की प्रसिद्द लोक गायिका है। गंगोत्री मंदिर सुबह सुबह उन्होंने गंगा स्तुति भी सुनायी थी। आज हमारे ब्लॉग मैगज़ीन पेज की सम्मानित शक्ति सम्पादिका है।
*
स्तंभ संपादन : शक्ति.नैना @ श्रद्धा हिमानी अनुभूति.
सज्जा पृष्ठ : शक्ति. मंजिता सीमा स्मिता शबनम.
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धारावाहिक यात्रा संस्मरण किरौली पृष्ठ : ५ / ० .
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ऐ जाते हुए लम्हों जरा ठहरो : जरा ठहरो से साभार
*
बेरीनाग की सुनहरी वादियों के बीच
मेरा छोटा सा गांव किरौली.
पिथौरागढ़ की अनभूली मधुर यादें.
*
शक्ति.मानसी.
कवयित्री.लेखिका.चित्रकार.छायाकार.
नैनीताल.
हर साल की तरह शीत ऋतु का इंतजार खत्म होते ही शीतकालीन अवकाश से मन प्रफुल्लित हो उठता मानो सदियों से इंतजार हो रहा हो ईजा से मिलने ,अपने गाँव जाने का।
सुबह चार बजे की कड़ाके की ठंड में बस का इंतजार और मेरा ढेरों कॉमिक किताबों का चयन करना मेरी सबसे प्यारी यादों में से एक है।
कभी कभी पहाड़ों, पेड़ों, सड़क के तीव्र मोड़ और बलखाती कोसी नदी का चित्र बनाने को व्याकुल मेरी नटराज पेंसिल मेरी तरह ही स्टॉप का इंतजार करती और कभी कभी तो मेरी कोरे कागज वाली कॉपी उन कॉमिक किताबों की जगह ले लिया करती थी।
शहर की धुंध को भुलाने में असमर्थ मैं, और मुझे अपने आगोश में डुबोती महकती हवाएँ खिड़की से बाहर कोहरे की चादर ओढ़े पर्वत सृंखलाओं को एकटुक देखने को बार बार विवश करती।
इन सभी के बीच खैरना ( गरमपानी ) का अद्भुत दृश्य देखने मिलता,जहां ओस की बूंदों से ढ़के हुए आड़ू, खुमानी, पुलम और काफल सूर्य की किरण पढ़ते ही ऐसे चमक उठते जैसे सुनहरी पॉलिश से चमकाए गए हों।
खैर इत्मिनान से ठंडे वातावरण का लुफ्त उठाती मैं फिर इंतज़ार करती करीबन इग्यारह बजे के धौलछीना के गरमागरम आलू के पराठे एवं मसालेदार चने और साथ में राई की महक से लबालब रायता, जिसे मात्र सोच कर ही मुँह में पानी आने लगता है।
बेरीनाग चाय के सुंदर बागान : करीबन दो बजे बेरीनाग में चाय के सुंदर बागानों के बीच टेड़ी-मेड़ी सड़क का सफर अविस्मरणीय होता।
वहीं फिर उड़ियारी बैंड से मात्र तीन किमी का किरौली तक का सफर सबसे लंबा लगता।
'..... पापा और कितना दूर है ......? ' यही सवाल बार बार करती
और ...' बस पहुँचने ही वाले हैं ...' इतना सुनते ही उत्सुकता से मैं हर मोड़ में सीट में खड़े हो जाया करती।
चौकोड़ी को यहीं से सड़क कटती है, जो कि एक बहुत सुंदर पर्यटक स्थल है। हिमालय श्रृंखलाओं का अत्यंत सुंदर नज़ारा मन प्रफुल्लित कर देता है। यहीं चौकोड़ी की तलहटी पर बसा है मेरा सुंदर गाँव जहां चारों ओर देवताओं का वास और बीच में ' किरौली '। इस भूमि को ' नाग-भूमि ' भी कहते हैं, पिगलीनाग देवता यहां के ईष्ट देव हैं।
गतांक से आगे : १
मेरा छोटा सा गांव किरौली.
पिथौरागढ़ की अनभूली मधुर यादें.
*
गगरी भर भर के नौले से पानी लाना : जाने कहाँ गए वो दिन
शक्ति.मानसी. पंत.
यहां का इतिहास भी काफ़ी पुराना है,जिसकी वंशावली शाके १५१५ सन १५९४ में ताम्रपत्र में लिखी है,जब मनिकोटी राजा आनन्द चंद ने किरौली गाँव जागीर में दिया था। कहा जाता है कि किरौली के पन्त महाराष्ट्र से यहां आकर बस गए थे। आखिरकार ज़मीन में पाँव पड़ते ही नौ घण्टे के सफर की थकान अचानक खत्म हो जाया करती।
यहीं रोड़ के किनारे पत्थर पर बैठी दोपहर से हमारा इंतजार करती ईजा का आशीष पाते, और ' जी रैये,जग रैये,भल हरैये ' के साथ बड़ी सी मुस्कान लिए हम करीबन चार-पांच झोलों के साथ दस-पन्द्रह मिनट की खड़ी चढ़ाई चढ़ कर घर की ओर जाने लगते।
सबसे सौभाग्य की बात ये की हमारा घर सबसे आखिरी में पड़ता और रास्ता लगभग सभी बिरादरों के आँगन से होकर निकलता । शास्त्री जी के आँगन में पानी का नल टपकता देख थोड़ी निराशा हो जाती की शायद अब जाते ही नौले का ठंडा पानी लाने का मौक़ा नहीं मिलेगा। सपरिवार गगरी भर भर के नौले से पानी लाना सबसे यादगार क्षण था।
वहीं फिर प्रकाश ताऊजी के घर से गुजरते चाय पानी पी लिया करते, वे लोग भी कुशल स्वरूप पापा मम्मी से पूछते, ' नान-तीन ठीक छैना, हलदवाणि में मौसम कस हैरो ? ( बच्चे ठीक-ठाक हैं, हल्द्वानी में मौसम कैसा हो रहा है? )
उनकी ये आत्मीयता दिल को छू जाती। हम सभी का आशीष लेते हुए घर की ओर प्रस्थान करते। बाँज के जंगलों से घिरा हुआ किरौली अत्यंत सुंदर है।
मेरा सुंदर गाँव किरौली : हर जगह नींबू,माल्टा,संतरा एवं काफ़ल के पेड़ देखने को मिलते। फूलों से भरे
हुए खेत, पेड़ों में लबालब माल्टे एवं संतरे, कहीं कहीं तो लाल चमकते हुए पुलम मन को भा जाते।
वहीं दूर से दिखता हमारा छोटा सा घर, वही पत्थर की छत पर एंटीना नज़र आता, नीली खिड़की सफेद चूने की शोभा बढ़ाती हुई, सामने गाय के गोबर से लीपा हुआ सुगंधित आँगन, पीछे से गुहार लगाते गाय - बछिया ।
थके हुए हम खाट पर आराम से बैठते, और ईजा रसोईघर से गरमा-गर्म भट्ट के डुबके, झोली, राम-करेला, गिट्टी की सब्जी, और भात (चावल ) परोस कर लाती।
कोडग्याडी या कोकिला मैया : यहां से लगभग २० किमी दूर पांखू गांव में प्रसिद्ध भगवती मंदिर है, जिसे कोडग्याडी या कोकिला मैया के नाम से भी जाना जाता है, मां भगवती न्याय की देवी हैं,और देश विदेश से भक्त अपनी फरियाद लेकर यहाँ आते हैं ।
पूरे एक सप्ताह का ये सफर अलग ही उत्साह से भर देता है। सामूहिक भोज, कभी भंडारा, या कभी शादी-व्याह के बहाने सभी एकत्रित होकर मिलते, यूँ आधुनिकता की दौड़ में गाँव से पलायन होने के कारण गाँव की दशा तो बदल रही है,पर गांव के प्रति स्नेह भाव ना ही कभी किसी शहर की जगह ले पाया है,और ना ही कभी ले पाएगा। सबसे सुंदर सबसे मनोहर और सबसे अनूठा मेरा गांव मेरी यादों में यूं हमेशा ही आत्मसात रहेगा और ये सुनने के बाद शायद आपके भी।
*
स्तंभ संपादन : शक्ति.नैना @ डॉ. सुनीता प्रिया अनुभूति.
सज्जा पृष्ठ : शक्ति. मंजिता सीमा स्मिता शबनम.
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ओ सजना बरखा बहार आई : ये मेरा गीत : जीवन संगीत : कल भी कोई दोहराएगा : पृष्ठ : ६.
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शक्ति * प्रिया.मीना शबनम श्रद्धा .
*
प्रकृति : प्रेम : पहाड़ : धुंध : बादल :
*
फिल्म : शर्मीली.१९७१.
गाना : मेघा छायी आधी रात
बैरन बन गयी निंदियाँ
सितारे : राखी. शशि कपूर.
गीत : नीरज . संगीत :एस डी वर्मन. गायक : लता .
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.
*
फिल्म : जहरीला इंसान.१९७४.
गाना :ओ हंसिनी मेरी हंसिनी कहाँ उड़ चली
मेरे अरमानों के पंख कहाँ उड़ चली
सितारे : ऋषि कपूर. मौसमी चटर्जी.
गीत : मजरूह सुल्तानपरी. संगीत : आर डी वर्मन. गायक : किशोर कुमार.
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.
*
सांग्स लोकेशंस : दार्जलिंग. बागान
*
फिल्म. अनुरोध.१९७७.
सितारे : राजेश खन्ना. सिंपल कापड़िया.
गाना : आ जा..... हो आ जा
मेरे दिल ने जब नाम तेरा पुकारा
देखे तेरी नजरों को भाये या न भाये ये नजारा
आ जा..... हो आ जा
गीत : आनंद बख्शी.संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारेलाल.गायक : किशोर कुमार.
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.
सांग्स लोकेशंस : दार्जलिंग.
*
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ओ सजना बरखा बहार आयी : फ़िल्मी कोलाज : पृष्ठ : ७.
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संपादन
शक्ति. नैना प्रिया मीना अनुभूति
*
⭐
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ओ सजना बरखा बहार आई : कला दीर्घा : रंग की फुहार लाई : पृष्ठ : ९.
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यमुनोत्री गंगोत्री डेस्क.
*
सम्पादन.
*
*
शक्ति.डॉ.श्वेता हिमानी.
नैना श्रद्धा.
*
उत्तरकाशी.
*
![]() |
मेरे तो गिरधर गोपाल दुसरो न कोय : राधा : रुक्मिणी : मीरा : फोटो कोलाज : डॉ. सुनीता शक्ति शालिनी प्रिया. |
ए एंड एम मीडिया समर्थित.
![]() |
शक्ति.डॉ. ममता. सुनील. शिशु रोग विशेषज्ञ : ममता हॉस्पिटल : बिहार शरीफ. समर्थित. |
समाचार : चित्र : विशेष : दृश्य माध्यम : न्यूज़ शॉर्ट रील : पृष्ठ : ११.
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संपादन.
शक्ति. मीना सीमा श्रद्धा प्रिया..
उत्तरकाशी डेस्क
*
स्वर : शक्ति श्रद्धा प्रिया प्रस्तुति : शॉर्ट रील
ग़जल : दिले नादान तुझे हुआ क्या है
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है
भादों सावन : दृश्यम : तीज : शक्ति : गायन :
न्यूज़ शॉर्ट रील : जन्मों जन्मों तक पिया का साथ मिल जाए
*
ओम नमो शिवाय ओम नमो शिवाय
ओम नमो शिवाय ओम नमो शिवाय
गायन : शक्ति नैना @ डॉ सुनीता सीमा प्रिया.
*
गंगोत्री : धराली : हर्षिल : आपदा
*
पहाड़ों का दर्द समझें : संवेदनाएं
*
' हम ' समस्त देव शक्ति मीडिया परिवार हर्षिल : धराली देव शक्ति भूमि में हुए जल प्रलय
से हुए ' धन ', ' जन ' निर्दोष मन की व्यापक हानि के लिए
असीम अनंत हार्दिक संवेदनाएं रखते हैं...और इस प्राकृतिक आपदा
से निस्तार पाने के लिए अनंत ( लक्ष्मी नारायण ) से प्रार्थना करते हुए उनके लिए
मन , वचन,कर्म से शिवशक्ति की अभिलाषा रखते हैं
*
शक्ति वनिता श्रद्धा @ डॉ.उनियाल मधुप
उत्तरकाशी : हर्षिल : धराली
*
है गंगा पानी पानी
*
समसामयिकी. समाचार : दृश्यम
*
शक्ति समाचार विशेष रिपोर्टिंग
साभार
शक्ति.वनिता श्रद्धा @ डॉ.उनियाल मधुप.
उत्तरकाशी : हर्षिल : धराली
*
शिव : शक्ति : नैना : सोमवार : शॉर्ट रील
*
*
वीडियो क्लिप : शक्ति : मीना. मुक्तेश्वर.
नैना देवी मंदिर नैनीताल : शक्ति फिल्म.
निर्माण : शक्ति .डॉ. सुनीता मधुप शक्ति प्रिया
*
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ओ सजना बरखा बहार आयी : फोटो दीर्घा : पृष्ठ : १२.
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संपादन.
शक्ति नैना @ डॉ. सुनीता तनु प्रिया
दार्जलिंग.
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आपने कहा : जन्म दिन : शुभकामनाएं : दिन विशेष : शॉर्ट रील : पृष्ठ : १३
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संपादन.
शक्ति.प्रिया @ डॉ. सुनीता सीमा अनुभूति
⭐
बार बार ये दिन आए.
*
११. ८. २५.
शक्ति. डॉ.भावना.लेखिका.
छायाकार.संरक्षिका
शक्ति.नमिता सिंह.स्वतंत्र लेखिका.
यूटूबर.रानीखेत.उत्तराखंड.
*
को उनके संयुक्त जन्म दिन : शक्ति अवतरण दिवस ११ अगस्त के मनभावन पावन अवसर पर
' हम ' एकीकृत देव शक्ति ' मीडिया ' परिवार की तरफ़ से ढ़ेर सारी प्यार भरी
' अनंत ' ' शिव शक्ति ' शुभकामनाएं '
छायाकार.संरक्षिका
शक्ति.नमिता सिंह.स्वतंत्र लेखिका.
यूटूबर.रानीखेत.उत्तराखंड.
*
को उनके संयुक्त जन्म दिन : शक्ति अवतरण दिवस ११ अगस्त के मनभावन पावन अवसर पर
' हम ' एकीकृत देव शक्ति ' मीडिया ' परिवार की तरफ़ से ढ़ेर सारी प्यार भरी
' अनंत ' ' शिव शक्ति ' शुभकामनाएं '
*
बार बार ये दिन आए
१०.८.२५.
शक्ति. शालिनी
*
शक्ति अवतरण दिवस.
*
की अप्रतिम भेंट
*
शक्ति.शालिनी रॉय.
प्रधान सम्पादिका. महाशक्ति मीडिया
कवयित्री.लेखिका.पत्रकार.
उत्तरप्रदेश
*
हमारे वेब ब्लॉग मैगज़ीन पेज महा शक्ति मीडिया की
निर्भीक,संवाद पूर्ण, संरक्षण दायिनी, शक्ति प्रधान ' सम्पादिका '
जिन पर भारती ( सरस्वती ) की विशेष कृपा है
जिनसे हम नैनीताल में मिले
को उनके जन्म दिन : शक्ति अवतरण दिवस १० अगस्त के मनभावन पावन अवसर पर
' हम ' एकीकृत देव शक्ति ' मीडिया ' परिवार की तरफ़ से ढ़ेर सारी प्यार भरी
*
शक्ति.शालिनी रॉय.
प्रधान सम्पादिका. महाशक्ति मीडिया
कवयित्री.लेखिका.पत्रकार.
उत्तरप्रदेश
*
हमारे वेब ब्लॉग मैगज़ीन पेज महा शक्ति मीडिया की
निर्भीक,संवाद पूर्ण, संरक्षण दायिनी, शक्ति प्रधान ' सम्पादिका '
जिन पर भारती ( सरस्वती ) की विशेष कृपा है
जिनसे हम नैनीताल में मिले
को उनके जन्म दिन : शक्ति अवतरण दिवस १० अगस्त के मनभावन पावन अवसर पर
' हम ' एकीकृत देव शक्ति ' मीडिया ' परिवार की तरफ़ से ढ़ेर सारी प्यार भरी
'अनंत ' ' शिव शक्ति ' शुभकामनाएं '
*
बार बार ये दिन आए
३.८.२०२५.
⭐
' शुभकामनाएं '
तुम जिओ हजारों साल ये मेरी है आरजू
*
जीवन शक्ति ' प्रिया '
जन्म दिवस स्मृति विशेष
*
एक तेरा साथ हमको दो जहाँ से प्यारा है.
३.८.२०२५ .
बार बार ये ' दिन ' आए
*
शक्ति * प्रिया
दार्जलिंग
*
*
महाशक्ति वेब ब्लॉग मैगज़ीन पेज.
अनुभाग : अंग्रेजी : हिंदी
*
बार बार ये दिन आए : जन्म दिन विशेष
३.८.२०२५ .
*
अनंत ' प्यार भरी ' शिव शक्ति ' शुभकामनाएं '
*
महाशक्ति वेब ब्लॉग मैगज़ीन पेज की जीवन ' रेखा ' कार्यकारी शक्ति ' सम्पादिका '
प्रिया. दार्जलिंग. नैनीताल डेस्क को उनके
पावन त्रिशक्ति जन्म दिवस : ३.८.१९८७. के मनभावन अवसर पर,
' हम ' एकीकृत देव शक्ति ' मीडिया ' परिवार की तरफ़ से ढ़ेर सारी
अनंत ' प्यार भरी ' शिव शक्ति ' शुभकामनाएं '
*
बार बार ये दिन आए
२.८.२०२५.
*
शक्ति. मानसी पंत.
कवयित्री.लेखिका.चित्रकार.छायाकार.
नैनीताल.
विशेषांक सम्पादिका.महाशक्ति वेब ब्लॉग मैगज़ीन पेज.
*
तुम जिओ हजारों साल ये मेरी है आरजू.
हमारे ब्लॉग मैगज़ीन पेज की विशेषांक ' सम्पादिका '
शक्ति. मानसी पंत. विशेषांक सम्पादिका.महाशक्ति वेब ब्लॉग मैगज़ीन पेज.
नैनीताल.
को उनके जन्म दिन शक्ति दिवस : २.८.१९८८. के मनभावन अवसर पर
'हम ' एकीकृत देव शक्ति ' मीडिया 'परिवार की तरफ़ से ढ़ेर सारी प्यार भरी
अनंत शिव शक्ति ' शुभकामनाएं '
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चलते चलते : बरखा बहार : दिल जो न कह सका : दिन विशेष : शॉर्ट रील : पृष्ठ.१३
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: दिन विशेष :
सम्पादिका
शक्ति. मीना प्रिया भारती बीना जोशी.
*
दिन विशेष : जन्माष्टमी
*
*
यशुमति मैया से पूछे नंदलाला
राधा क्यूँ गोरी मैं क्यूँ काला.
*
*
१४ अगस्त विभाजन ' विभीषिका ' स्मृति दिवस
*
भाविकाएँ
*
पानी : पुल और किनारा
डॉ.मधुप.
*
अलग होने का दर्द भला वो क्या जाने
जिनके अपने झेलम चनाब के इस पार रह गए
नीचे बहते दरिया पर बने पुल भी टूटे
कुछ इस पार तो कुछ उस पार
तकते पानी पुल और किनारे को
अपने कितने बेवश लाचार हो गए
*
पृष्ठ सज्जा : संपादन.
शक्ति नैना प्रिया @ डॉ सुनीता सीमा
दिन विशेष : विश्व शेर दिवस
शक्ति के प्रतीक सिंहों के संरक्षण का संकल्प ले
*
दिन विशेष. रक्षा बंधन
*
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वाम् अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥
*
दिन विशेष.शक्तिरक्षा : शॉर्ट रील
*
टाइम्स मीडिया शक्ति प्रस्तुति
*
राजा बलि : शक्ति लक्ष्मी : श्री नारायण
दृश्यम : वंशी नारायण मंदिर : चमोली
साभार : आर्य : हिमांशु भट्ट.
*
सम्पादित. शॉर्ट रील : पृष्ठ.१३
शक्ति. नैना @ डॉ.सुनीता शक्ति *प्रिया अनुभूति.
*
फ़िल्मी तराने : शॉर्ट रील : साभार :
*
एम एस मीडिया प्रस्तुति
*
*
साभार. शक्ति : पारुल : लखनऊ.
*
जब कोई बात बिगड़ जाए जब कोई मुश्किल पड़ जाए
साभार शक्ति : ख़ुशी : देहरादून
*
कल रहें न रहें मौसम ये प्यार का खिलते है गुल यहाँ
*
दिल की गिरह खोल दो चुप न बैठों
कोई गीत गाओ तुम मेरे पास आओ
*
*
सुनो सुनो सुनो बांधे मैं न बंधी
मैं अलवेली मान लो बड़ी जिद्दी माने मुझको जहाँ
मेरा बेताब दिल ये कहता है तेरे साए से लिपट जाऊं मैं
मुझसे ये मेल तेरा न हो एक खेल तेरा
*
*
मैं तेरे इश्क़ में मर न जाऊं कही
तू मुझे आजमाने की कोशिश न कर
*
शक्ति : चले ही जाना है नज़र चुरा के यूँ
फिर थामी थी साजन तूमने मेरी कलाई क्यों
*
शक्ति : ओ सजना बरखा बहार आई
ऐसा लगता है तुम बन के बादल
मेरे बदन को भिगों के मुझे छेड़ रहे हो
*
टाइम्स मीडिया शक्ति प्रस्तुति.
साभार : सम्यक : शक्ति : रेखा : देहरादून.
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आ जा आई बहार दिल है बेक़रार ओ मेरे
राजकुमार तेरे बिना रहा न जाए
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जिसकी मुरली पर हम लहराते रहे बल खाते रहे
ये बता दो बता दो कही तुम वही तो नहीं
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जिसके सपने हमें रोज आते रहें दिल लुभाते रहे
ये बता दो बता दो कही तुम वही तो नहीं
आ जा रे आ जा रे ओ मेरे दिलवर आ जा रे
फिर से आस बंधा जा रे
दिल से : पल भर में ये क्या हो गया ये मैं गयी
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शक्ति. सीमा तनु *प्रिया अनुभूति.
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अनकही कहानी : रिमझिम गिरे सावन
शूटिंग : लोकेशंस : मेरिन ड्राइव : फिल्म : मंजिल
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तू अगर उदास होगा तो उदास हूँगी मैं भी
नज़र आऊँ या ना आऊं तेरे पास हूंगी मैं भी
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तुम मेरी आँखों से देखो दुनियां सारी
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रात कटेंगी होंगे उजाले गिर मत गिरना ओ गिरने वाले
इंसा वो खुद संभले औरो को भी संभाले *
प्रेम कहानी : इतनी सी छोटी सी होती है एक चिंगारी
जल जाती है बुझ जाती है इसमें दुनियां सारी
तुम तो मुझे पसंद हो क्या मैं तुझे पसंद हूँ
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चलते चलते :आपने कहा : दिन विशेष : पृष्ठ : १३
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दिन विशेष : रक्षा बंधन
संपादन.
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शक्ति डॉ.राशि शिल्पी रश्मि रत्ना .
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मेरी पसंद डॉ. मधुप.
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फिल्म : हरे रामा हरे कृष्णा.१९७१.
सितारे : देव आनंद जीनत अमान
गाना : फूलों का तारों का सबका कहना है
एक हजारों में मेरी बहना है
गीत : आनंद बख्शी. संगीत : राहुल देव वर्मन. गायक : लता. किशोर कुमार.
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आपने कहा : तेरे सुर और मेरे गीत : पृष्ठ : १३
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तराने : लो आज मैं कहती हूँ आई लव यूँ
तराने : लो आज मैं कहती हूँ आई लव यूँ
शक्ति गोस्वामी. डॉ. प्रशांत. बड़ौदा
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है कौन वो दुनियाँ में न पाप किया जिसने
बिन उलझे काँटों से, है फूल चुने किसने
बेदाग़ नहीं कोई यहाँ पापी सारे है
न जाने कहाँ जाए हम बहते धारे हैं
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Shakti.Dr. Rashi : Gynecologist : Muzaffarpur. Bihar
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English Section.
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Contents Page : English.
Cover Page : 0.
Contents Page : 1.
Shakti Editorial Page : 2.
Shakti Vibes English Page : 3
Shakti Editorial Writeups : 4.
Short Reel : News : Special : English : Page : 5.
Shakti Photo Gallery : English : Page : 6.
Shakti : Kriti Art Link : English : Page : 7
You Said It : Days Special : English : Page : 8.
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Editorial English : Page : 2
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Shakti Vibes English Page : 3.
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Editor.
Shakti Naina Dr. Sunita * Priya Seema .
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Decorative :
Shakti Manjita Seema Soni Anubhuti
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Shakti's lines
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Wait for the Perfect
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Don't ' wait ' for the ' perfect ' moment
Take the ' moment ' and make it ' perfect '.
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Life : ' Problems ' with Smile
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Problems are part of life
And facing them with smile is art of life.
Try & Time.
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The most certain way to succeed
is always to try just one more time
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Need Indeed
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You get what you ' focus ' on
So ' focus ' what you ' want ' indeed.
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We Remember We Remember
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The Success only comes, Remember,
If you don't stop trying ,Dear
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The change is never easy
but it is necessary for the inevitable growth
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Decorative :
Shakti Manjita Seema Soni Anubhuti
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Doubt kills more dream
than failure ever will
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This is the way not to delay
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Hey ! are you listening
Time is fleeting
This is the way to do
Never think of day two.
This is the way
Not to delay
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Dr.Sunita Shakti Seema Priya
The only way to do great work
is love what you do
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Education truly remains like sharpening a pencil.
It is painful,but it is necessary for the better results.
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Lovable : Friendship : Understanding.
any same race and age .....good understanding is enough
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A mistake is an Opportunity
to learn not a Reason to give up
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MS Media Powered.
Shakti Priya Presenting.
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It is ' humility ' that makes men as angels.
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Saint Augustine.
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Shakti Editorial Write Ups : 4.
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Unforgettable Journey with You
Editorial : Poem Section Page :
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a short passionate poem.
Darjeeling.
Executive Shakti Editor
Social Media MS Web Blog Magazine Page
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Unforgettable Journey with You
With the sandy wash and soothing breeze
The gurgle of the water splashing the waves
Triggered my mind with the flow of gaze
Contemplated my thoughts for a sudden raise
And rolled me towards it with every haze
The waves took the victory over my feet’s
With the sandy wash and the smooth and soothing breeze
Stopped me where I was supposed not be freeze
But it took me away with it’s ease
photo : Shakti priya
The glittering shine that the rays of the sun touched
Where the most beautiful view that shattered my eyes
With unforgettable journey to the beach with every sight
And created a memory full of joy and excite.
The pictures seemed so fresh and fruity
Where every flavour was captured with lots of equity
Forecasted my thoughts to go around with super goodie
Where every angel are around to bless me with their beauty.
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Edited : Decorated
Anubhuti.Shakti* Priya Dr.Sunita Madhup.
Page Decoration
Shimla Desk.
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Shakti Lines : a short Poem
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A mind wistful is Always a blissful
Short Poem : Shakti Aarti Arun
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A mind wistful
Is Always a blissful
Weeps and laments that we find
The real which we never mind
Over the days which r gone
Whether they r pleasant or sorrowful
Senses we enjoy both the moments,shown
They seem to be dreamy world
Both give dreams and pleasures that unfold
With the Passion the heart fences
indescribable feelings, emotions and chances
Life has not been made to be so far in lament
Enjoying every moment
With laughters,and tears.life keeps going in a movement
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Short Poem.
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Life is a melancholy,
Life is a blessing, sustain it.
Life is a flawless, admire it
Life is a fantasy, perceive it.
Life is a challenge, accept it.
Life is a task, consummate it.
Life is a riddle, solve it.
life is a melancholy, overcome it.
Life is a lullaby croon it.
Life is a tragedy. resist it.
Life is a commitment dare it.
Life is a luck, adorn it.
Life is a valuable redeem it.
life is a boon back up soon
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Poetess.Writer.
Editing : Decorative
Shakti. Dr.Sunita Priya Madhvee Seema
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Shakti Editorial Write Ups : English Page : 4 /1
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Why is 2 Friendship Day celebrated?
An Overview : Friendship : In my View :
with other sources.
Shakti * Priya Anubhuti Dr.Sunita Madhup.
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Darjleeng Desk.
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Of late we all have observed the true friendship day on 30 th of july.By today morning itself whatsapp message also knocks us about the availability of friendship day once again while the sun has to still peep in my cottage. We get surprised of that.
If we don't forget we also celebrate the Friendship Day in the month of February. Is n't it ? Really it is.
Friendship : In my View : What dies it stand for ? I simply mean friends indeed who never hurt you before the others, who always protect you forever , who never quit you in the most difficult situation, who never disregard you publicly. Who respect your igo, and really we love those who maintain the secrecy of twos inside the heart till the last breath of one's life.
Friendship, in simple terms, is a relationship of mutual affection between people. It's a bond built on trust, honesty, and support, where friends enjoy spending time together and sharing experiences. Friends care about each other and are there for one another through both good and bad times.
Dr. Ramon Artemio Bracho in Paraguay advocating for a dedicated day :
The concept originated with Joyce Hall, the founder of Hallmark Cards, who proposed it in 1930 to foster global unity and peace through friendship. Later, Dr. Ramon Artemio Bracho in Paraguay advocated for a dedicated day to celebrate friendships and promote harmony, leading to the UN officially recognizing it in 2011
International Friendship Day : International Friendship Day is celebrated annually on July 30, as it was proclaimed by the UN General Assembly in 2011. The idea behind this celebration is that friendship between people, countries, cultures, and individuals can inspire peace efforts and build bridges between communities
And in India : It is celebrated to honor and appreciate the importance of friendships. While International Friendship Day is officially recognized on July 30th, many countries, including India, celebrate it on the first Sunday of August.
Page Column Editing Decorative :
Shakti Dr.Anita Manjita Seema Vanita.
Courtesy : Photo & Other Sources..
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Short Reel : News : Special : English : Page : 5.
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Editor.
Shakti Archana Seema Priya Vanita
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Chalte Chalte : English
Dr.Sunita Seema Shakti Priya.
Proud to be Indian, forever free
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Dharali Cloud Brust : Shakti News Reporting
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Don't treat the mountain like a Weekend Masti
Uttarkashi cloudburst highlights the tears of Pahadis
Dr Uniyal : Short Reel : News
Shakti Photo Gallery : English : Page : 6.
Editor.
Shakti. Dr.Archana Tanu Rashmi Seema.
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Darjeeling : the scenic beauty, tea gardens, and tranquil atmosphere. Click. Shakti Priya.
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![]() * प्रकृति, प्रेम,पहाड़, पुरुषोत्तम ( श्री लक्ष्मी नारायण ),अध्यात्म, पुनःनव निर्माण,और पुनर्जन्म. |
Heartfelt wishes for the Shakti Editorial team....for editing such a nice blog...
ReplyDeleteExcellent 👌
ReplyDeleteLot's of wishes for shakti editorial team . I love this blog very much
ReplyDeleteअतिप्रशंसनीय संपादन। उज्ज्वल भविष्य की कामना👍
ReplyDeleteIt is really a nice, fabulous web blog magazine page..
ReplyDeleteI assure everyone will like this very much..
Shakti. Seema.
I go through this blog.l liked it very much.
ReplyDeleteAmazing one. My utmost gratitude.
ReplyDeleteAppreciable one ,My utmost gratitude towards this blog.Shakti Shahina Naaz
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