O Sajana Barkha Bahar Aayi : Sawan Bhadon
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O Sajana Barkha Bahar Aayi.
कृण्वन्तो विश्वमार्यम.
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O Sajana Barkha Bahar Aayi.
Mere Naina Sawan Bhadon.
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बरखा रानी ज़रा जम के बरसो.
Volume 1.Series 2.
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ओ सजना बरखा बहार आई.
संस्कृति पर्यटन सभ्यता विशेषांक.३.
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.आवरण पृष्ठ :०.
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सम्पादकीय : शक्ति समूह : महाशक्ति दिव्य दर्शन : विचार : आज पृष्ठ :०
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सम्पादन / अलंकरण.
*
शक्ति*नैना.डॉ.सुनीता सीमा प्रिया.
शक्ति*शालिनी डॉ.अनीता रेनू अनुभूति.
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प्रथम मीडिया शक्ति प्रस्तुति.
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राधिका कृष्ण रुक्मिणी मीरा : दर्शन : पृष्ठ : ०.
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नैनीताल डेस्क. मुक्तेश्वर.
*
संपादन.
शक्ति* नैना.डॉ.सुनीता मीना प्रिया.
*
राधिका : कृष्ण : रुक्मिणी : मीरा : दर्शन : लिंक : पृष्ठ : ०.
अद्यतन देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवायें
*
*
राधिका कृष्ण रुक्मिणी मीरा शब्द चित्र विचार.
छुप छुप मीरा रोये दर्द न जाने कोय
*
मीराबाई.
*
पायो जी मैंने ' राम ' रतन धन पायो
वस्तु अमोलक दी म्हारे ' सतगुरु ', किरपा कर अपनायो
मीराबाई.
*
पायो जी मैंने ' राम ' रतन धन पायो
वस्तु अमोलक दी म्हारे ' सतगुरु ', किरपा कर अपनायो
*
*
सम्पादित.
शक्ति नैना @ डॉ..सुनीता शक्ति* प्रिया.
*
एम.एस.मीडिया.शक्ति.
प्रस्तुति.
ये जीवन है इस जीवन का :
![]() |
* अनंत शिव शक्ति. अनुभूति. * ये जीवन है इस जीवन का * हमसब : जिंदगी * ईश्वरीय शक्ति के ' समीप ' रहने की ' अभिलाषा ' और उन्हें खो देने का ' डर ' बस इतने में ही है हमसब की ' जिंदगी ' का सफर * सपने, ' सच ' और 'अपने ' * अपने ,सपने और ' सच ' को परखने के लिए ' स्वयं ' तथा ' अपनों ' को निरंतर प्रेरित व ' परीक्षित ' करते रहें * * मित्र ' ईश्वर ' जीवन.* ' ईश्वर ' का ' दर्शन ' और ' मित्र ' का ' मार्गदर्शन '
दोनों ही ' जीवन ' को ' प्रकाशित ' कर देते हैं सम्यक सोच सम्यक कर्म * *अगर आप सम्यक कुछ सोच सकते हैं तो यकीन मानिए आप उसे सम्यक कर्म में कर भी सकते हैं. * अकेलापन. * ' बारिश ' के बाद तार पर टंगी आखिरी ' बूंद ' से
समझना कि क्या होता है अपने अन्तःमन का अकेलापन.. * गिरना, संभलना, * अगर चुप कराने वाला कोई ना हो तो हालात गिरना, संभलना, सहना , मुस्कुराना सिखा ही देते हैं। स्वार्थ : रिश्ते * अपना हिस्सा मांग कर देखो सारे ' रिश्ते ' बेनकाब हो
जाएंगे, और अपना ' हिस्सा ' छोड़ कर देखो सारे ' कांटे '
भी ' गुलाब ' हो जाएंगे.
डर से आगे जीत है * डर से आगे जीत है ' हौसले ' और ' हिम्मत ' से काम लें क्या पता ' जय ' आगे ....और ' पराजय ' पीछे हो जाए * कसम, कदम और कलम * जिंदगी में ' कसम ', ' कदम ' और कलम बहुत सोच - समझकर उठाने चाहिए..... ये ' अल्फाज़ ' ही सब कुछ होते हैं जो दिल जीत भी लेते हैं ...और दिल चीर भी देते हैं..... * हर फ़िक्र को धुएं में उड़ाता चल * जीवन एक यात्रा है, हर फिक्र को धुएं में उड़ाते चलिए शोक मनाना फिजूल हैं हौसला रख कर, उम्मीद में हंस कर जीने पर कब पूरी हो जाएगी पता भी नहीं चलेगा * ईश्वर : कर्म : भाग्य * |
मेरा सत कर्म ही मेरा ईश्वर है , भाग्य है, ऐसा मानकर काम करने
वाला सच्चा कर्मयोगी कभी हारता नहीं है
*
टाइम्स मीडिया शक्ति प्रस्तुति
*
ये न सोचों इसमें अपनी
हार है कि जीत हैं ये जीवन है
*
महालक्ष्मी.कोलकोता डेस्क.
संस्थापना वर्ष : २००३. महीना : जून. दिवस :२.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७९.
*
संपादन.
शक्ति नैना @ डॉ.सुनीता सीमा प्रिया.
*
अनंत शिव शक्ति. अनुभूति.
*
राही ओ राही
*
न जाने कितनी ' मुश्किलें ' सही होगी उस ' इंसान ' ने
जो ' मन ' से पथ भ्रमित ' पथिकों ' को सही रास्ता
निरंतर बतलाने की ' कोशिश ' कर रहा था
*
' अभिमान ' सम्मान.
' अभिमान ' तब आता है, जब ' हम ' सोचते हैं
कि हमने कुछ किया है.. और ' सम्मान ' तब मिलता है,
जब दुनिया को लगता है कि ' आपने ' कुछ किया है..
*
फोटो : साभार : शक्ति.
*
आर्य : सम्बन्ध
सच कहें ' संबंध ' बड़े नहीं होते
उसे ढंग से संभालने वाले ही लोग ' कृष्ण ' जैसे बड़े होते हैं..
*
जन : समस्यायें : परीक्षण
सच मानिए समस्यायें हमारी परीक्षा लेने नहीं आती,
बल्कि हमें हमसे जुड़े लोगों की पहचान कराने आती हैं .......
*
संधि : शांति और बंदी कृष्ण
*
अपनी ' कीमत ' पहचानिए क्योंकि
अत्यधिक ' समझौते ' इंसान को लोगों की नजरों में लघु बना देते हैं
याद हैं न कौरव युवराज दुर्योधन.... ' कृष्ण ' को ' बंदी ' बनाने का प्रयास
*
हँसी और उम्र
' उम्र ' बढ़ने से ' मुस्कुराहट ' नहीं रुकती,
लेकिन ' मुस्कुराहट ' रुकने से ' उम्र ' जल्दी बढ़ जाती है...!
इसलिए, हमेशा मुस्कुराते रहिये...
* प्रथम मीडिया शक्ति प्रस्तुति. * हर पल एक दर्पण है ये जीवन है * महासरस्वती. नर्मदा डेस्क: जब्बलपुर. प्रादुर्भाव वर्ष : १९८२. संस्थापना वर्ष : १९८९. महीना : सितम्बर. दिवस : ९. संपादन शक्ति नैना @ डॉ.अनीता श्रद्धा प्रिया. * * आत्म बोध : सन्मार्ग अन्य के बताए गए ' मार्ग ' से ' श्रेष्यकर ' है ' आत्म बोध ' से सुनिश्चित किया हुआ स्वयं का सुविचारित परीक्षित ' सन्मार्ग ' जिस पथ पर सोना सज्जन साधु ' जन ' गमन करते हो * मतलब या साथ. कोई किसी का ' साथ ' देता है क्या ?
बस सब तो अपने ' मतलब ' के लिए ' साथ ' रहते हैं .... हैं न ? * जिंदगी ठोकरें कुछ ठोकरें जरूरी होती है जीवन में ,
हमें वो सिखाती है कि जिंदगी का असली मतलब क्या है ? * ख़्वाब और जिंदगी मुश्किल है तभी तो जिंदगी है आसान तो ख़्वाब होते है * वैष्णव जन तो : तेने कहिए जे पीड़ परायी जाने रे पर दुखे उपकार करे तो ये मन अभिमान न आने रे * शीर्षक गीत.पृष्ठ : ० |
![]() |
* स्वर्णिका ज्वेलर्स : निदेशिका.शक्ति तनु रजत.सोहसराय.बिहार शरीफ.समर्थित. ये मेरा गीत : जीवन संगीत कल भी कोई दोहराएगा * शक्ति * नैना डॉ.सुनीता मधुप प्रिया दार्जलिंग डेस्क. * |
*
फोटो : साभार. *
फिल्म : परख. १९६०.
सितारे : साधना.
गाना : ओ सजना बरखा बहार आई
रस की फुहार लाई अँखियों में प्यार लाई
गीत : शैलेन्द्र. संगीत : सलिल चौधरी. गायिका : लता
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं
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सम्पादकीय : पृष्ठ : २.
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संपादकीय शक्ति समूह.
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प्रधान शक्ति संपादिका. ⭐
*
शक्ति : शालिनी रेनू नीलम 'अनुभूति '.
नव शक्ति. श्यामली डेस्क.शिमला.
संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी. दिवस : ५.
⭐
शक्ति. कार्यकारी सम्पादिका.
⭐
*
शक्ति. डॉ.सुनीता शक्ति* प्रिया.
नैना देवी.नैनीताल डेस्क.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०.
संस्थापना वर्ष : १९९६. महीना : जनवरी : दिवस : ६.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०.
संस्थापना वर्ष : १९९६. महीना : जनवरी : दिवस : ६.
⭐
सहायक.कार्यकारी.
शक्ति.संपादिका.
⭐
शक्ति.डॉ.अर्चना सीमा वाणी अनीता.
कोलकोता डेस्क.
संस्थापना वर्ष : १९९९.महीना : जून. दिवस :२.
कोलकोता डेस्क.
संस्थापना वर्ष : १९९९.महीना : जून. दिवस :२.
*
*
![]() |
शक्ति. डॉ. रत्नशिला. आर्य डॉ. ब्रज भूषण सिन्हा: शिवलोक हॉस्पिटल : बिहारशरीफ : समर्थित. |
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तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : शक्ति : सम्पादकीय : प्रस्तुति. पृष्ठ :४.
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*
शक्ति नीलम अनुभूति शालिनी प्रीति.
*
शक्ति आलेख : ०
राखी का अर्थ : समाज की व्यापक सोच
धर्म रक्षित रक्षतः की सोच रखनी होगी हमें : कृष्ण : कृष्णा प्रसंग
शक्ति प्रिया रेनू @ डॉ. सुनीता मधुप.
*
राखी का अर्थ : समाज की व्यापक सोच : राखी का अर्थ अब सिर्फ बहन की कलाई नहीं, समाज की सोच भी है। राखी अब सिर्फ धागा नहीं, एक दृढ़ प्रतिज्ञा है - कि हर नारी सुरक्षित रहे, यही भाई की पूजा है।
रक्षाबंधन सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि रिश्तों की संवेदनशील परिभाषा है। वह कोमल धागा जो बहन अपने भाई की कलाई पर बांधती है, अब समय की मांग है कि वह रक्षा सिर्फ एक व्यक्ति तक सीमित न रहे, वह भावना पूरे समाज में प्रसारित हो।
आज जब अखबारों के पन्ने मासूम बेटियों के शोषण और समाज की संवेदनहीनता से भरे होते हैं, तब राखी एक प्रश्न बनकर सामने खड़ी है- क्या वाकई हमने बहनों को वो सुरक्षा दी, जिसका वचन हमने कलाई पर बांधे धागे के साथ दिया था ?
भगवान श्रीकृष्ण और कृष्णा की कथा : हमारी सोच में अपनी सभ्यता संस्कृति की संरक्षण की प्रवृति होनी चाहिए। बिना किसी लिंग भेद के मित्रता शक्ति की रक्षा होनी चाहिए। सखी के मैत्री पूर्ण प्रेम के धागे एक अन्य पौराणिक कथा में ही जीवन सार छिपा है ।
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कृष्ण : कृष्णा |
पूरी महाभारत में वो द्रौपदी को छेड़ते रहें उसके कष्टों का निवारण करते रहें।कृष्ण द्रौपदी से असीम स्नेह रखते थे उस को प्यार से सखी बुलाते थे। इसके लिए उन्हें भरी सभा में पर स्त्री से सम्बन्ध रखने के लांछन में शिशुपाल से अपमान, और अपशब्द भी झेलना पड़ा था। परिणाम वश शिशुपाल वध हुआ। इसलिए द्रौपदी का नाम कृष्णा भी विदित है। द्रौपदी, जिसे पांचाली और यज्ञसेनी भी कहा जाता है, महाभारत की एक प्रमुख पात्र हैं।
उनका रंग सांवला होने के कारण उन्हें कृष्णा भी कहा जाता था ऐसा समझा जा सकता था। कथा सूत्र के अनुसार, एक बार श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र धारण करते समय उंगली में चोट लग गई, जिससे रक्त बहने लगा। यह देखकर द्रौपदी परेशान हो गई और उन्होंने तुरंत अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली पर बांध दिया। द्रौपदी के इस प्रेम से श्रीकृष्ण अत्यंत भावुक हो गए थे और उन्होंने वचन दिया कि वे द्रौपदी के इस चीर का मान रखेंगे।इसलिए द्रौपदी के चीर हरण के समय, जब कौरव भरी सभा में उनका वस्त्र हरण करने का प्रयास कर रहे थे, तब द्रौपदी ने भगवान कृष्ण को पुकारा था। उस समय, द्रौपदी ने कृष्ण से प्रार्थना की कि वे उसकी लाज बचाएं। कृष्ण ने द्रौपदी की पुकार सुनी और उनकी साड़ी को अनंत रूप से बढ़ाते हुए, उनकी लाज बचाई।राखी का वास्तविक अर्थ अब बदलने की जरूरत है। यह केवल भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित न रह जाए, बल्कि हर पुरुष उस समाज के लिए संरक्षक बने, जिसमें हर लड़की बिना डर के साँस ले सके। स्कूलों, कॉलेजों, कार्यस्थलों और समाज के साथ ऐसी संरचना हो कि वो अपनी सम्यक इच्छा से जी सकें।
स्तंभ : संपादन : शक्ति नीलम अनुभूति शालिनी प्रीति.
पृष्ठ सज्जा : शक्ति मंजिता सीमा रश्मि अनुभूति
शक्ति आलेख : १.
आपबीती : जीने की राह : रिमझिम गिरे सावन
जाने कहाँ गए वो दिन पुल : बारिश : वो शिवाला और शक्ति मंदिर.
डॉ.मधुप.
फिर वही सावन। अंतिम सोमवार। सावन शिव और शक्ति याद स्वतः आने लगे। इधर इन दिनों जब कभी भी घटाएं बरस जाती हैं तो भूली दास्ताँ याद आ जाती है। आज सुबह के बाद धुप नहीं के बराबर खिली थी। बादल घिरे हुए थे।
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डॉ.मधुप :फोटो:शक्ति. |
बारिश का महीना है तो फुहारें पड़ेगी ही। कही कार्य वश जाना था। तर्ज मुसाफिर हूँ मैं यारों की आजमाइश करते हुए मैं गतिमान था। शहर के व्यस्त चौराहे पर पुल के उपर बोल्डर रखने का काम जारी था। इसलिए जाम की समस्या आम थी। वही शिवाला, शक्ति दुर्गा का मंदिर, कोने मार्ग से सटे बजरंग बली सब कुछ बैसा ही था।
राह चलते दिव्य शक्तियां याद आती ही रही जो हमारे मार्ग को संरक्षित करती रहती हैं। दो तीन के बाद लिफ्ट देने वाले मिल ही गए। इंसानियत ,अच्छाई,बुराई पर बातें होती रही। फुहारें पड़ने लगी थी। रास्तें बेहतर हो गए थे। हरितमा सर्वत्र दिख रही थी।
इस तरह कोई एक दो साल पहले कब की शाम हो चुकी थी। घने काले बादल क्षितिज़ में मंडरा रहे थे। कीचड़, रोड़ की माली हालत देखने लायक थी। शायद कोई परीक्षा खत्म हुई थी। रोड़ पर ढ़ेर सारे लोग खड़े कुछेक गाड़ियों का ताता लगा हुआ था। हाई वे पर कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा था। नुक्कड़ पर ही जाम की स्थिति हो गयी थी।
सड़कें, पुल के निरंतर काम से शहर का रंग रूप बदलने लगा है। सरे राह चलते एक दो साल पहले की बातें स्वतः याद आ रही थी। इस बार घर लौटते हुए भाई लक्ष्मण के साथ ही थे। पता नहीं उनपर इतना अधिकार क्यों कर सिद्ध है।
इस उम्र में अकेले मोटर साइकिल चलाते हुए जाना भी वो भी शाम के वक़्त आसान नहीं था। घर के लिए प्रस्थान करते हुए हम सभी अपने परिवार की भांति ही एक दूसरे का ख़्याल कर लेते ही हैं कि सब सुरक्षित ढंग से प्रस्थित हो। सावधानी पूर्वक आने जाने के तौर तरीक़े भी देख ही लेते हैं। आगे गाड़ियों का काफ़िला लगा हुआ था। जाम से ज्यादा इस बात से डर लग रहा था कि कहीं बारिश में फँस न जाए। अपने पास कोई रेन कोट भी नहीं था। मोबाइल भी भींग सकता था। बीच में कहीं कोई रैन बसेरा भी नहीं था।
अब भी कोई रेन कोट नहीं था। बारिश में भींगने का भला डर कैसा ? और सच में पूरी तरह से हम और मेरे भाई लक्ष्मण भींग ही गए थे। फुहारें भली लग रही थी।
कुछ याद आ गया तभी आत्म शक्ति ने ही रास्ता दिखलाया। सहृदय भाई थोड़ा पीछे हटे तो पार्श्व से एक संकीर्ण रास्ता मिल गया। जो ख़ुद पीछे रह कर साधु की तरह दूसरों के लिए रास्ता बनाते हो उनके लिए साधु वाद बनता है। अपनों को छोड़ कर जैसे सीमा पर अकस्मात जा रहें प्रहरी की तरह हमें आगे बढ़ना ही पड़ा।
बड़ी धैर्य के साथ काफिले में बढ़ता गया। हम उबड़ खाबड़ रास्ते से हम आगे तो बढ़ रहें थे लेकिन मेरे अपने कहीं पीछे ही छूट चुके थे। चिंता बनी हुई थी सब के सकुशल घर पहुंचने की।
उम्मीद है सभी अपने सुरक्षित मकाम तक पहुंच ही चुके होंगे। हम सभी रक्षित हो। कभी कभी हम बड़ी घुटन सी महसूस करते है कि आप चाह कर अपने लोगों को कुशल क्षेम जानने हेतू भी फोन नहीं लगा सकते।
![]() |
साभार : फोटो : शक्ति |
कभी कभी हम जरुरी फोन कॉल्स उठाते भी नहीं ..तो कभी कॉल का जवाब देना भी आवश्यक नहीं समझते। सच कहें कहीं कुछ छूटता है..
और हमारी सबसे बड़ी कमजोरी होती है कि हम खुद के ही बेहतर हमराज़ नहीं बन पाते हैं। कभी अपने भीतर ही सब राज छुपा कर देखें बड़ा अच्छा लगता है...
घर लौटे तो पूरे भींग ही गए थे। सड़कें सूनसान थी। दिखें नहीं अपने सब अपने डेरों तक़ पहुँच ही गए होंगे। शाम में भाई लक्ष्मण के काम हेतू थाने भी गए थे। तब भी कुछ अपने अंतर मन में बरस रहा था
यादों की लड़ी मन के आँगन में झड़ी बन कर बरस रही थी।
स्तंभ संपादन : शक्ति* शालिनी रेनू नीलम अनुभूति
सज्जा : शक्ति* प्रिया मंजिता सीमा तनु सर्वाधिकारी.
*
मेरी पसंद.
सन्दर्भ गीत :सफर का
शक्ति* प्रिया रेनू मीना सीमा
*
फिल्म : मेरे हमसफ़र.१९७०
गाना : किसी राह में किसी मोड़ पर
कही चल न देना तू छोड़ कर
मेरे हमसफ़र मेरे हमसफ़र
गीत : आनंद बख्शी संगीत : कल्याण जी आनंद जी गायक : मुकेश लता
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं
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आकाश दीप : पद्य संग्रह : सम्पादकीय : प्रस्तुति : पृष्ठ : ३.
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संपादन
*
*
भाविकाएँ
*
द्वापर कथाएं फिर
*
भाविकाएँ
*
कृष्ण
तुम्हारा दिया हुआ नाम.
याद ही होगा तुम्हें
तुमने कभी मुझे
कृष्ण कहा था
हँसी में
ही सही.
कहा न था
कभी सखी ?
तब से मैंने तुम्हारे लिए,
अपनें प्रिय जनों के लिए,
सहिष्णुता, सदा सहायता
मैत्री, और प्रीत रखी
न जाने मैंने कैसे
किसकी
कितनी पीड़ाएं सही
अब तो तुम ही बोलो,सखी
क्या मैंने ये सब बातें
झूठ कही.
डॉ.मधुप.
संपादन.
पृष्ठ सज्जा : शक्ति नैना @ डॉ.सुनीता प्रिया.
*
शक्ति.मानसी पंत.
*
सीपिकाएँ
रखो हिम्मत अपने सीने में-
रखो हिम्मत अपने सीने में-
अब भारत बंट ना जाए,
अब भारत कट ना पाए,
रखो हिम्मत अपने सीने में-
दुश्मन सीमा पर जुट ना जाय।
हम वतन के ताक़त हैं,
सेवा में हम नित रत हैं,
सरहद सुरक्षित अविरत है,
सत्य के हम पथ में हैं ।
जीवन निछावर करना है,
ऋण आकंठ उतारना है,
कोटि-कोटि की प्रार्थना है--
देश उजागर करना है।
मातृभूमि है तो हम हैं--
इस में निहित अपना दम है,
निछावर प्राण यह भी कम है,
सबकुछ वतन का धन तन मन है।
*
मान ,सम्मान बंधन : रक्षण : का
*
*
तुम्हारे मान सम्मान का
करूँ मैं संरक्षण
बन्धुत्व, सौहार्द, प्रेम,
प्रीति, का नन्दन कानन
सुख ,शांति, सुरक्षा, समृद्धि ,
सम्मान का अपना बंधन रक्षण
सफलता ,असीम आनन्द से
मुखरित हो संग जीवन
स्वस्थ चिंतन फुल सा मन
प्रफुल्लित कण-कण.
*
शक्ति. तनु सर्वाधिकारी.
बंगलोर
*
पृष्ठ सज्जा व संपादन
शक्ति मानसी शालिनी मंजिता प्रिया
*
*
शक्ति.शालिनी
लेखिका कवयित्री. प्रधान सम्पादिका.
*
भाविकाएँ.
*
अहिल्या
सौंदर्य विशेष तन सुलभ मान,
तुमने समझा मुझे व्यभिचारी।
हे ! पूजनीय पतिदेव मेरे,
मैं पतित पावनी हूँ नारी।।१ ।।
पावन प्रीत के अर्पण को,
प्रियतम क्यों ना पहचान सके।
मैं पतिव्रता एक नारी थी,
यह मर्म भला ना जान सके ।।
![]() |
फोटो : साभार : अहिल्या |
*
भाविकाएँ.
सखी बनूँ अतिसुन्दर.
मित्रता विशेष
*
फोटो साभार
कृष्ण : पांचाली.
जब चित्त मिला तब मित्र बने,
इस मनोभाव को व्यक्त किया।
स्व-सृजित स्वर्णिम पंक्तियों से,
भावना सभी अभिव्यक्त किया।।
शुभकामना रहे अनवरत यह,
प्रिय मित्र सदा ख़ुशहाल रहो।
शुभ-लाभ न छोड़ें साथ तेरा,
तुम सदा ही मालामाल रहो।।
फोटो : मानसी
*
ऋद्धि-सिद्धि भी बने सहचर,
संग मैं भी सहचरी रहूँ सदा।
सर्वथा सखी बनूँ अतिसुन्दर,
तेरे लिए बेहतरीं रहूँ सदा।।
इस हृदय में 'प्रेम-समुंदर' हो,
मन में 'ईश्वर' सी भक्ति हो।
यह मित्र-भाव भी अटल रहे,
मित्रता हमारी शक्ति हो।
*
शक्ति. शालिनी
लेखिका कवयित्री. प्रधान सम्पादिका.
भाविकाएँ.
मित्रता विशेष
*
अंश
तू पूर्णमासी का प्रभास बने
फोटो : शालिनी
खिल जाएँ कलियां ख़ुशियों की,
अतिसुन्दर एक सुंदरवन हो।
मह-मह महके जहाँ पुष्प सदा,
यह हर्षोल्लास का उपवन हो।।
इस हर्षोल्लास के उपवन की,
तुम ही इकलौती माली बनो।
हों बोल तुम्हारे, अति मधुरिम,
मधुरस से भरी तुम प्याली बनो।
'समृद्धि' समीप, सदैव स्थिर,
और सुन्दर, सुगम विजयपथ हो।
सूर्य-सम रक्तिम 'आभामंडल',
और निकट एक रश्मिरथ हो।।
प्रगतिशील पथ पर चलकर,
तू पूर्णमासी का प्रभास बने।
हे मित्र! हमारी मित्रता भी,
इस जगत में एक इतिहास बने।।
*
पृष्ठ सज्जा : संपादन
शक्ति.प्रिया कंचन सीमा अनुभूति.
*
भाविकाएँ
*
शरणार्थी
![]() |
फोटो : साभार |
एक युवक छीनता है एक बूढ़े से चादर
बूढ़ा ज़ोर लगाकर पकड़ता है उसे
फिर जवान भी
ज़ोर लगाकर छीनना चाहता है
आसपास के लोग अपनी अपनी चादरों को कसकर पकड़ते हैं
या उनके ऊपर बैठ अपने नीचे छिपाते हैं और इस
बूढ़े और जवान की
छीना झपटी का आनंद लेते हैं.
कुछ लोग बैठे बैठे जवान को कोसते हैं
और जवान लोग बूढ़े के सामने चादर उसकी होने का
प्रमाण प्रस्तुत करते हैं
तटस्थ प्रेक्षक तय करते हैंकि
युद्ध कितना ज़रूरी है.
बूढ़ा ज़ोर लगाकर पकड़ता है उसे
फिर जवान भी
ज़ोर लगाकर छीनना चाहता है
आसपास के लोग अपनी अपनी चादरों को कसकर पकड़ते हैं
या उनके ऊपर बैठ अपने नीचे छिपाते हैं और इस
बूढ़े और जवान की
छीना झपटी का आनंद लेते हैं.
कुछ लोग बैठे बैठे जवान को कोसते हैं
और जवान लोग बूढ़े के सामने चादर उसकी होने का
प्रमाण प्रस्तुत करते हैं
तटस्थ प्रेक्षक तय करते हैंकि
युद्ध कितना ज़रूरी है.
शक्ति. क्षमा कौल
कवयित्री.
जम्मू
तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : शक्ति : सम्पादकीय : प्रस्तुति. पृष्ठ :४.
*
![]() |
शक्ति. डॉ. रत्नशिला. आर्य डॉ. ब्रज भूषण सिन्हा: शिवलोक हॉस्पिटल : बिहारशरीफ : समर्थित. |
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शक्ति : यात्रा संस्मरण : आलेख : धारावाहिक आलेख : पृष्ठ : ५
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नैनीताल डेस्क.
संपादन.
शक्ति.शालिनी मानसी कंचन प्रीति.
नैनीताल डेस्क.
*
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धारावाहिक यात्रा संस्मरण
हरसिल : मुखवा :धराली : गंगोत्री : यात्रा संस्मरण : पृष्ठ : ५ / ० .
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डॉ.मधुप
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हरसिल : धराली : यात्रा संस्मरण :
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छोटे छोटे झरने हैं इन झरनों को छूकर हमें वादें जो करने हैं
शक्ति* प्रिया डॉ.सुनीता मधुप
'हम ' समस्त देव शक्ति मीडिया परिवार हर्षिल : धराली देव शक्ति भूमि में हुए जल प्रलय
से हुए ' धन ', ' जन ' निर्दोष मन की व्यापक हानि के लिए असीम अनंत हार्दिक संवेदनाएं रखते हैं...और इस प्राकृतिक आपदा से निस्तार पाने के लिए अनंत ( लक्ष्मी नारायण ) से प्रार्थना करते हुए उनके लिए मन , वचन,कर्म से शिवशक्ति की अभिलाषा रखते हैं .
वादियां तेरा दामन : हर्षिल और गंगोत्री : यही जून २०२५ का महीना था। हम चार यमुनोत्री गंगोत्री की यात्रा पर निकले हुए थे। शक्ति यात्रा मुसाफिर हूँ मैं यारों की कड़ी में देव, सुनील ,वनिता हमारे साथ थे। मुख्य मार्ग में जब और आगे बढ़ रहे थे हरसिल के बाद रात एक दम सी हो गयी थी। हम हरसिल की घाटी से गुजर रहे थे।
हर्षिल और गंगोत्री, उत्तराखंड के दो खूबसूरत स्थान हैं, जो माया नगरी के ग्रेट शो मैन राज कपूर की फिल्म राम तेरी गंगा मैली की शूटिंग के लिए प्रसिद्ध हैं। हर्षिल, गंगोत्री के पास एक घाटी है, जहां फिल्म में कई दृश्यों की शूटिंग हुई थी। यह फिल्म १९८५ में रिलीज़ हुई थी और इसमें मंदाकिनी और राजीव कपूर ने अभिनय किया था। तब से हरसिल आम पर्यटकों के निगाह में आ गया था।
यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित एक खूबसूरत घाटी है, जिसे भारत का स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है. यहाँ, बर्फ से ढके पहाड़, हरी-भरी घाटियाँ, और बहती नदियाँ मिलकर एक शानदार दृश्य बनाते हैं.
वो बहती धराली की तन्वी खीर गंगा : शाम हो रही थी। गंगानी में हम थोड़ी देर के लिए रुके थे। गर्म झरने में थोड़ी देर हाथ पैर धो लेने के बाद हम आगे बढ़ें। गंगानी के गर्म झरने के बारे में भी देहरादून के हमारे स्थानीय गाइड व ड्राइवर देव ने बतलाया था। हरसिल से मात्र ५ या ६ किलोमीटर की दूरी पर कब का गंगा का मायका मुखवा, धराली आ गया पता ही न चला। धराली से याद आया जब हम गुजर रहें थे रास्ते में होटल वाले के कितने एजेंट खड़े मिल गए जो कमरा खाली है,....उपलब्ध है की आवाज लगा रहें थे। चूकि हरसिल में होम स्टे व होटल कम है इसलिए ज्यादातर लोग धराली में ही रुकते है।
छोटे छोटे झरने हैं इन झरनों का पानी छूकर ही हमें कुछ वादें जो करने हैं : इस पूरे हरिद्वार - ऋषिकेश गंगोत्री राज्य मार्ग में हमने एक बात देखी की आस पास की फैली हिम शृंखलाओं से अनगिनत छोटे छोटे कई झरने हैं जो भागीरथी में मिलती है। इनमें से एक पतली धारा वाली धराली की खीर गंगा भी है जो हमें गंगोत्री से लौटते समय बायी तरफ़ मिली थी। कितनी दुबली पतली थी यह खीर गंगा। इन झरनों को छूकर ही हमें कुछ वादें जो करने हैं।
हम पहाड़ों का दर्द समझना है। हर्षिल, उत्तराखंड में प्रकृति की गोद में बसा एक खूबसूरत गांव है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, सेब के बागों और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। इसके पर्यावरण की रक्षा करनी है। यह गांव हिमालय की गोद में बसा है और ट्रेकिंग, धार्मिक पर्यटन, और ग्राम पर्यटन के लिए एक लोकप्रिय स्थान है, इसकी सभ्यता संस्कृति को हमें बचाना है ।
शाम और भी गहरा गयी थी। चूँकि हमें हर्षिल लौटने में रुकना था इसलिए मुख्य मार्ग से हरसिल गॉंव की
तरफ न मुड़ें। और आगे बढ़ते गए थे। नीचे जिले उत्तरकाशी के खूबसूरत एक छोटे से हरसिल पहाड़ी गांव के होमस्टे के बल्ब जल उठे थे। भागीरथी नीचे शोर करते हुए एक दम से पास में ही बह रही थी। उपर के पहाड़ी रास्ते से ही हरसिल अत्यंत मनभावन दिख रहा था। बहुत सुना था हरसिल के बारे में।
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हरसिल : धराली : यात्रा संस्मरण :
झरने तो बहते हैं : क़सम ले पहाड़ों की जो कायम रहते हैं.
गतांक से आगे : १
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फिल्म हरसिल : वो धुंधलाती शाम : हर्षिल घाटी में ८ गांव हैं, जिनमें सुक्की, मुखबा, हर्षिल, बागोरी, धराली, झाला, जसपुर और पुराली शामिल हैं। हाल में ही गंगोत्री जाते समय हम सुक्की, मुखबा, हर्षिल, बागोरी, धराली, झाला, से गुजरे थे। देखा भी था ,समझा भी था।
यदि सच माने तो १९८५ में राजकपूर निर्देशित फिल्म एक अत्यंत चर्चित संगीतमय फिल्म राम तेरी गंगा मैली की अधिकांश शूटिंग्स यहीं हुई थी। फिल्म प्रदर्शन के बाद उन्होंने इसे विश्व के मानस पटल पर ला दिया था। इसके बाद से ही हर्षिल घाटी में पर्यटकों की आवाजाही बढ़ गयी थी। देवदारों चीड़ के पेड़ के मध्य हर्षिल की सुंदरता एक मनोरम और मनमोहक अनुभव है।
अब मेरे हालिया बने हरसिल के मित्र डॉ. उनियाल उनकी छोटी सी डिस्पेंसरी....ऋषिकेश के पवन जी ....हर्षिल के पास मिली देहरादून की शक्ति मेघा ...धराली की घटना के बाद बेसाख़्ता याद आने लगे थे।
मचलती गंगा की धारा....... भागीरथी से सटे आर्मी कैम्प। सुना है कुछ जवान अभी तक़ लापता है।
सब कुछ वहां ठीक ही न होगा मेघा ....?
मन्दाकिनी झरना , वो पोस्ट बाबू की छोटी सी पोस्ट ऑफिस..... झरने तो बहते हैं : क़सम ले पहाड़ों की जो कायम रहते हैं गीत एकदम से गूंज रहा था। सब कुछ देखने के लिए मैं बेचैन था।
हरसिल : सेबों के बागान : हरसिल : यह उत्तरकाशी से ७८ कि मी और गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान से ३० किमी दूर है.यह अपने प्राकृतिक वातावरण और सेब उत्पादन के लिए जाना जाता है. यह राष्ट्रीय राजमार्ग ३४ पर गंगोत्री के हिन्दू तीर्थस्थल के मार्ग में आता है। समुद्र तल से ९००५ फ़ीट या कहें २७४५ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित एक खूबसूरत हिल स्टेशन है, जो गंगोत्री के रास्ते में आता है। यह भागीरथी नदी के किनारे बसा है और सेब उत्पादन के लिए विशेषतः जाना जाता है।
हर्षिल घाटी : कई दर्शनीय स्थल : हर्षिल घाटी में कई दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें शामिल हैं। प्रकृति का नायाब तोहफा है हर्षिल। ऐसा प्रतीत होता है यदि हम हर्षिल में विश्रामित होते है तो यह कही बेहतर होता है।
बागोरी गांव: यह हर्षिल के पास स्थित एक छोटा सा गांव है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है.
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भागीरथी : हर्षिल फोटो : डॉ मधुप |
गंगोत्री : गंगा लेने आए हम : हर्षिल से गंगोत्री का रास्ता बेहद खूबसूरत है, जिसमें हिमालय पर्वतमाला, बहती नदियाँ और हरीभरी घाटियाँ दिखाई देती हैं.
गरतांग गली: गरतांग गली एक ट्रेकिंग रूट है, जो हर्षिल से शुरू होता है और गंगोत्री की ओर जाता है.
सत्तल: सत्तल एक खूबसूरत झील है, जो हर्षिल से कुछ ही दूरी पर स्थित है. इसे स्थानीय की मदद से खोजना होगा।
लामा टॉप: लामा टॉप एक ऐसा स्थान है जहाँ से आप हर्षिल घाटी और आसपास के इलाकों का मनोरम दृश्य देख सकते हैं.
नेलोंग घाटी : नेलोंग घाटी एक और खूबसूरत घाटी है, जो हर्षिल के पास स्थित है.
श्रीलक्ष्मी-नारायण मंदिर : हर्षिल में भगवान श्रीहरि का मंदिर है, जिसे श्रीलक्ष्मी-नारायण मंदिर के रूप में जाना जाता है.
हरि शिला: भागीरथी और जलंद्री नदी के संगम पर एक शिला मौजूद है, जिसे हरि शिला कहते हैं. हर्षिल की सुंदरता को निहारने के लिए यह एक बेहतरीन जगह है.
गंगोत्री उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित भागीरथी नदी के किनारे एक हिंदू तीर्थस्थल है, जो गंगा नदी का उद्गम स्थल है।
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फोटो गंगोत्री : शक्ति श्रद्धा डॉ. सुनीता. |
रहने के विकल्प : हर्षिल में होटल, होमस्टे और गेस्ट हाउस सहित विभिन्न प्रकार के आवास विकल्प उपलब्ध हैं, जो आपकी यात्रा की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं.हर्षिल में आवास सीमित है, इसलिए यात्रा से पहले अपनी बुकिंग सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है.
गतांक से आगे : २
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हरसिल : धराली : गंगोत्री यात्रा संस्मरण : डॉ.मधुप
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गंगोत्री और गंगा : सुनो तो गंगा ये क्या सुनाये ?
शक्ति* प्रिया डॉ.सुनीता मधुप
गंगोत्री और गंगा : सुनो तो गंगा ये क्या सुनाय ? हमें याद है हम गंगोत्री गंगोत्री मंदिर शाम आठ बजे तक पहुंच चुके थे। एकदम समतल रास्ता था। मंदिर परिसर यही कोई ५०० मीटर के पास ही होगा। जल्द ही सब सामान दो कमरे में रख कर हम मंदिर दर्शन के लिए निकल गए थे। रात्रि के नौ बज रहे थे। मंदिर परिसर एकदम खाली था। दर्शन ड्योढ़ी बंद थी।
इसके दर्शन के लिए हमें सुबह आना था। मंदिर का सफ़ेद रंग मरकरी में एकदम से चमक रहा था।
सुबह चार बजे ही नहा धोकर हम तैयार हो गए थे।
मंदिर परिसर में हमें शक्ति श्रद्धा मिली, उत्तर काशी की रहने वाली एकदम शुचिता। एक स्थापित उत्तराखंड लोक गायिका। बातचीत के सिलसिले में ही उन्होंने गंगा स्तुति भी सुना दी। कितने साफ सुथरे खुले दिल वाले होते है ये पहाड़ी लोग।
यही पर गंगा मिली थी एकदम निर्मल शुद्ध। मैंने पूरी श्रद्धा से पात्र में सुरक्षित किया। कुछेक बूंदें अपने उपर छिटी। तेरा भी ख्याल किया। यही पर डॉ. श्वेता मिली थी। एक छोटा सा मैंने इंटरव्यू भी लिया था।
शक्ति सम्पादिका बनने के लिए हमने उन्हें आमंत्रित भी किया था। उन्होंने हामी भी भरी थी। यही शिव भी दिखे शक्ति भी। शिव की जटा से देव सरिता निःसृत हो रही थी।
गंगोत्री मंदिर का इतिहास : पौराणिक कथा : गंगोत्री मंदिर राजा भागीरथ से जुड़ा है, जिन्होंने गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए तपस्या की थी. कहा जाता है कि राजा भागीरथ ने गंगा को धरती पर लाने के लिए भगवान शिव की जटाओं में तपस्या की थी।
गंगा नदी के उद्गम स्थल के पास स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर १८ वीं शताब्दी में गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा द्वारा बनवाया गया था, और बाद में २० वीं सदी में जयपुर के राजा माधव सिंह द्वितीय द्वारा इसका जीर्णोद्धार किया गया. मंदिर, भागीरथी नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है और समुद्र तल से ३१४० मीटर की ऊंचाई पर है.
२० वीं शताब्दी में, जयपुर के राजा माधव सिंह द्वितीय ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। बताते चले गंगोत्री मंदिर, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है. यह मंदिर मई से अक्टूबर के बीच खुलता है और दिवाली के दिन बंद हो जाता है। तब भयंकर सर्दी पड़नी शुरू हो जाती है।
गंगोत्री से गौमुख की ट्रेकिंग : लगभग १८ किलोमीटर की दूरी है, जो ७ से ८ घंटे में तय की जा सकती है. यह ट्रेक अच्छी तरह से चिह्नित है और रास्ते में हरे-भरे जंगल और छोटे-छोटे गांव दिखाई देते हैं. आप भागीरथी नदी का भी लुत्फ उठा सकते हैं, जो गंगा नदी की एक सहायक नदी है. ट्रेक के दौरान आपको कुछ कठिन चढ़ाई भी करनी पड़ सकती है.
गंगोत्री से गोमुख तक पैदल चढ़ाई लगभग १६ किलोमीटर की है। गोमुख गंगा नदी का उद्गम स्थल है। गौमुख ट्रेक मध्यम से कठिन ट्रेक की श्रेणी में आता है।यह ट्रेक गंगोत्री ग्लेशियर की ओर ले जाता है, जो एक चुनौतीपूर्ण लेकिन सुंदर परिदृश्य है। ट्रेक की शुरुआत भोजबासा से होती है,जो भागीरथी नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है।
साभार : रेखा : अल्मोड़ा : एक पहाड़न
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वादियां मेरा दामन रास्ते मेरी बाहें
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पहाड़न : सादगी और खूबसूरती की प्रतिमा : जैसे मेरे ही पास तुझे आना है : मैंने बहुत सारे पहाड़न को देखा है। शोध जारी ही है। प्रकृति वश वे सकारात्मक दृष्टिकोण और मजबूत इच्छाशक्ति के लिए जानी जाती हैं, जो उन्हें जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद करता है। गज़ब की मेहनती होती है ये पहाड़न। एकदम से गोरी चिट्टी। रेखा अल्मोड़ा से है ,ख़ुशी देहरादून से जिनके रील मैं आपको दिखलाता रहता हूँ। और आप देखते भी है।
सनद रहें पहाड़ी लड़कियां हिमालयी क्षेत्र में पाई जाती हैं, जिसमें जम्मू, कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, दार्जलिंग बंगाल,और उत्तराखंड जैसे राज्य शामिल हैं।
प्राकृतिक सुंदरता : पहाड़ी लड़कियां अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सादगी के लिए भी जानी जाती हैं.
उनकी पारंपरिक जीवनशैली ध्यान देने योग्य है। वे अक्सर पारंपरिक पहाड़ी जीवनशैली और रीति-रिवाजों का पालन करती हैं....
दूसरे दिन क़रीब दस बजे हम वापसी के लिए निकल चुके थे।
गतांक से आगे : ३
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हरसिल : धराली : गंगोत्री यात्रा संस्मरण : डॉ.मधुप
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मुखबा : गंगा का मायका : धराली : जाने कहाँ गए वो लोग ?
शक्ति * प्रिया डॉ.सुनीता मधुप.
ड्राइवर देव को हमने कह रखा था कि रास्ते में पड़ने वाले महत्वपूर्ण स्थानों के बारे में बताते चले। भैरो घाटी में रुक कर हमलोगों ने ढावे में खाना खाया था। हमें याद है तब भैरो घाटी में नेट वर्क नहीं उपलब्ध था।
हम निरंतर आगे बढ़ रहे थे।
हरसिल के मुखबा गांव में : गंगा का मायका : यहाँ की लोक कथाओं में मुखबा गंगा का मायका समझा जा सकता है। भारत के उत्तराखंड राज्य के हर्षिल में गंगोत्री मंदिर के पास एक छोटा सा गाँव है, जहाँ सर्दियों के दौरान देवी गंगा की मूर्ति स्थापित की जाती है। लगभग नौ मील दूर स्थित मंदिर से एक अनुष्ठान समारोह के माध्यम से इसे नीचे लाया जाता है, क्योंकि बर्फबारी के बाद यह दुर्गम हो जाता है। गंगोत्री मंदिर के पुजारी इसी गाँव से आते हैं। दिवाली आमतौर पर अक्टूबर में के त्योहार के दौरान बड़े उत्सव के साथ मूर्ति को नीचे लाया जाता है,और वसंत ऋतु, अप्रैल में मंदिर में वापस लाया जाता है।
हरसिल के मुखबा गांव में : गंगा का मायका : यहाँ की लोक कथाओं में मुखबा गंगा का मायका समझा जा सकता है। भारत के उत्तराखंड राज्य के हर्षिल में गंगोत्री मंदिर के पास एक छोटा सा गाँव है, जहाँ सर्दियों के दौरान देवी गंगा की मूर्ति स्थापित की जाती है। लगभग नौ मील दूर स्थित मंदिर से एक अनुष्ठान समारोह के माध्यम से इसे नीचे लाया जाता है, क्योंकि बर्फबारी के बाद यह दुर्गम हो जाता है। गंगोत्री मंदिर के पुजारी इसी गाँव से आते हैं। दिवाली आमतौर पर अक्टूबर में के त्योहार के दौरान बड़े उत्सव के साथ मूर्ति को नीचे लाया जाता है,और वसंत ऋतु, अप्रैल में मंदिर में वापस लाया जाता है।
धराली : मुखबा भागीरथी नदी के दाहिने किनारे पर है। जबकि धराली गंगोत्री राज्य मार्ग से ही सटा एक गॉव है हर्षिल वैली के प्रमुख आकर्षण में शामिल धराली पर्यटन स्थल शानदार जगह हैं। यह हर्षिल घाटी से लगभग ३ से ४ किलोमीटर दूर स्थित हैं। धराली पर्यटन स्थल अपने सेव बाग और लाल सेम के लिए जाना जाता हैं।
एकदम दुबली पतली सी खीर गंगा : रास्ते में खीर गंगा मिली। एकदम दुबली पतली सी। वस्तुतः एक पहाड़ी नाले की तरह ही बह रही थी। ऊपर की ऊँची पहाड़ियों में ग्लेशियर के पिघलने से पतली धारा बन निकल कर आ रही थी। तब हमें क्या मालूम था कि ठीक एक महीने बाद यह खीर गंगा त्रासदी बन कर समस्त गांव धराली को अपने भीतर समाहित कर लेगी।
सोमेश्वर महादेव का मंदिर : धराली में तब सोमेश्वर महादेव का मंदिर भी मिला था । देखने लायक जगह है। हमारे मित्र डॉ. उनियाल ने बतलाया था कि खीर गंगा में जब सैलाब आया तो धराली के ज़्यादातर लोग सोमेश्वर महादेव मंदिर में पूजा कर रहे थे..जिसके वजह से उनकी जान भी बच गई।
पौराणिक कथाओं के अनुसार धराली गंगोत्री ही वह स्थान है जहां भागीरथ ने गंगा नदी को धरती पर लाने के लिए तपस्या की थी। धराली गंगोत्री में भगवान शंकर का बहुत ही खूबसूरत और प्राचीन मंदिर है जो कि हिन्दुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है।
धराली त्रासदी : जाने कहाँ गए वो लोग ? ५ अगस्त २०२५ को सुबह सब कुछ सामान्य था। दोपहर १ बजे के बाद मात्र ३० से ४० सेकंड में जो भी कुछ हुआ वह शायद हम कभी भूले।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में आई तबाही को ७ ,८ दिन से ऊपर हो गए हैं। अभी भी रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। तबाही का अंदाजा लगाया जा सकता है। मलबे में जिंदगी तलाशने का काम जारी है। समभावनाएं क्षीण है। फिर भी ये तो मालूम हो जाए गुमशुदा लोगों का आख़िर क्या हुआ ?
५० से अधिक लोग अभी तक लापता बतलाए जा रहें हैं। जाने कहाँ गए वो लोग ? फिर से केदार नाथ की त्रासदी आ गयी थी।
गंगानी के बाद हरसिल पहुँचने के रास्ते बाधित है। सड़कें ख़त्म हो गयी है। पुल बह गए है। सीएम धामी धराली गांव में ही कैंप किए हुए हैं, हिम्मत बंधा रहें है ?
आँखों से बहती जलधारा में सब कुछ खोने का दर्द समझा जा सकता है। लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए आईटीबीपी, सेना, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और उत्तराखंड पुलिस के जवान निरंतर लगे हुए हैं। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में वायुसेना के कई हेलिकॉप्टर लगे हुए हैं.... तबाही के वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं.... कई वीडियो में लोगों को मलबों से बचते हुए भाग रहे लोगों को देखा जा सकता है....
गतांक से आगे : ४
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हरसिल : धराली : गंगोत्री यात्रा संस्मरण : डॉ.मधुप.
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हरसिल : देवदार : हैलीपैड : मेरी यादें और तबाही का मंजर : जाने कहाँ गए वो लोग ?
शक्ति * प्रिया डॉ.सुनीता मधुप.
मुझे याद है जब हम मुखवा से गुजर रहे थे तब हमारे देहरादून के ड्राइवर देव ने उस तरफ ऊँची पहाड़ी की तरफ इशारा करते हुए बतलाया था वो देखिए साहब गंगा का मायका ....गंगा वही सर्दियों में रहती है।
गंगा के मंदिर से भजन या कीर्तन भी बज रहा था जिसकी पहाड़ी धुन हम तक पहुंच रही थी। पंडाल शामियाने भी इस किनारे से दिख रहें थे। शायद ऊँची पहाड़ी पर स्थित मुखवा गांव के रहने बालों ने ही सर्वप्रथम खीर गंगा के रौद्र रूप को देखा होगा , उन्होंने सीटियाँ भी बजाई होंगी लेकिन लोग बच पाते, भाग पाते ,संभल पाते तब तक तबाही उनके सामने आ चुकी थी।
प्रत्यक्ष दर्शी बतलाते है उनके सामने ही कितने लोग जिन्दा दफ़न हो गए। केवल १०० लोग ही बचाये जा सके। शेष होटल,होम स्टे में रहने वाले पर्यटक कहाँ गए ? तलाश अभी भी जारी है।
जाने कहाँ गए वो लोग ? : आखिर ये आपदा क्या मात्र बादल फटने से हुई। भूवैज्ञानिक कहते है यह केदार नाथ जैसी ही आपदा है। नदी के मार्ग में भूस्खलन होने से बड़े पत्थर ने धारा को अवरुद्ध कर दिया । उपर कही झील बनती गयी। जब पानी का दबाव बढ़ा तो पत्थर टूट कर अलग हो गया। पूरे वेग से पानी मलवा ,गाद , पत्थर खीर नाले में बहता हुआ नीचे गया। मुहाने के पास तीव्र मोड़ होने की वजह से सामने धराली गांव को पूर्णतः तहस नहस करता गया।
समय साक्षी है खीर गंगा में सबसे भीषण बाढ़ १८३५ में भी आयी थी तब भी इस पहाड़ी नाले ने इस कस्बे को पाट दिया था। यह एक शुद्ध गंगा है क्योंकि इसमें अन्य नदियों की भांति चूना नहीं मिला है। यथार्थ में हिमालय के चौखम्बा के पश्चमी सिरे का एक अंश है। साल १७०० में जब गढ़वाल में परमार राजवंश का शासन था तब एक बड़ा भूस्खलन होने से लगभग १४ किलोमीटर के दायरे में झाला के आस पास एक लम्बी झील बन गया था। इसलिए झाला में भागीरथी गंगा स्थिर दिखती है।
कल्प केदार : धराली : उत्तरकाशी के धराली में ५ अगस्त को आए सैलाब में धराली का कल्प केदार मंदिर भी समाधि ले चुका है। कल्प केदार मंदिर भागीरथी नदी और खीर गंगा के संगम पर बने २४० मंदिरों की श्रृंखला का एक प्रमुख मंदिर था। यह पहली बार नहीं है, जब कल्प केदार मंदिर ने समाधि ली है, इससे पहले भी कम से कम तीन बार यह मंदिर जमींदोज हो चुका है। आखिरी बार धराली के लोगों ने १९८० में खुदाई करके मंदिर को बाहर निकाला था. लेकिन तब भी आधा मंदिर जमीन के नीचे दबा हुआ था।
लगता है इस बार भी कल्प केदार को खोद कर ही बाहर निकालना होगा।
हरसिल हैलीपैड : जानकर बतला रहे है कि बादल फटने की घटना हर्षिल घाटी में तीन जगह सुखी टॉप ,धराली और हरसिल तीन जगह हुई। जिनमें सुखी टॉप में कही से भी जानमाल का नुकसान नहीं हुआ है जबकि हरसिल में हुए बादल फटने की घटना से हरसिल स्थित आर्मी कैम्प को हानि पहुंची है। कुछेक जवान लापता भी बतलाए जा रहे हैं।
मलबे व गाद से भगीरथी नदी का पानी भी अवरुद्ध हुआ है और एक बड़ी कृत्रिम झील भी निर्मित हो गयी है जिनसे निरंतर बसी आबादी के लिए खतरे का अंदेशा बना हुआ है।
मुझे याद है हमने हरसिल का हैली पैड देखा था जो हाई वे से सटा हुआ था। सुनते है पानी में पूरी तरह से डूब चुका है।
'हम ' समस्त देव शक्ति मीडिया परिवार हर्षिल : धराली देव शक्ति भूमि में हुए जल प्रलय से हुए ' धन ',' जन ' निर्दोष मन की व्यापक हानि के लिए असीम अनंत हार्दिक संवेदनाएं रखते हैं...और इस प्राकृतिक आपदा से निस्तार पाने के लिए अनंत ( लक्ष्मी नारायण ) से प्रार्थना करते हुए उनके लिए
मन , वचन,कर्म से शिवशक्ति की अभिलाषा रखते हैं।
हम कैसे भूल सकते है कि हम यहाँ डॉ उनियाल से मिले थे। उन्होंने ही हमें हरसिल बाज़ार में एक दिन के स्टे के लिए कमरा दिलवाया था जहाँ सेव के सात आठ पेड़ थे।
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स्तंभ संपादन : शक्ति.नैना @ श्रद्धा अनुभूति.
सज्जा पृष्ठ : शक्ति. मंजिता सीमा स्मिता शबनम.
आगे जारी
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धारावाहिक यात्रा संस्मरण किरौली पृष्ठ : ५ / ० .
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ऐ जाते हुए लम्हों जरा ठहरो : जरा ठहरो से साभार
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बेरीनाग की सुनहरी वादियों के बीच
मेरा छोटा सा गांव किरौली.
पिथौरागढ़ की अनभूली मधुर यादें.
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शक्ति.मानसी.
कवयित्री.लेखिका.चित्रकार.छायाकार.
नैनीताल.
हर साल की तरह शीत ऋतु का इंतजार खत्म होते ही शीतकालीन अवकाश से मन प्रफुल्लित हो उठता मानो सदियों से इंतजार हो रहा हो ईजा से मिलने ,अपने गाँव जाने का।
सुबह चार बजे की कड़ाके की ठंड में बस का इंतजार और मेरा ढेरों कॉमिक किताबों का चयन करना मेरी सबसे प्यारी यादों में से एक है।
कभी कभी पहाड़ों, पेड़ों, सड़क के तीव्र मोड़ और बलखाती कोसी नदी का चित्र बनाने को व्याकुल मेरी नटराज पेंसिल मेरी तरह ही स्टॉप का इंतजार करती और कभी कभी तो मेरी कोरे कागज वाली कॉपी उन कॉमिक किताबों की जगह ले लिया करती थी।
शहर की धुंध को भुलाने में असमर्थ मैं, और मुझे अपने आगोश में डुबोती महकती हवाएँ खिड़की से बाहर कोहरे की चादर ओढ़े पर्वत सृंखलाओं को एकटुक देखने को बार बार विवश करती।
इन सभी के बीच खैरना ( गरमपानी ) का अद्भुत दृश्य देखने मिलता,जहां ओस की बूंदों से ढ़के हुए आड़ू, खुमानी, पुलम और काफल सूर्य की किरण पढ़ते ही ऐसे चमक उठते जैसे सुनहरी पॉलिश से चमकाए गए हों।
खैर इत्मिनान से ठंडे वातावरण का लुफ्त उठाती मैं फिर इंतज़ार करती करीबन इग्यारह बजे के धौलछीना के गरमागरम आलू के पराठे एवं मसालेदार चने और साथ में राई की महक से लबालब रायता, जिसे मात्र सोच कर ही मुँह में पानी आने लगता है।
बेरीनाग चाय के सुंदर बागान : करीबन दो बजे बेरीनाग में चाय के सुंदर बागानों के बीच टेड़ी-मेड़ी सड़क का सफर अविस्मरणीय होता।
वहीं फिर उड़ियारी बैंड से मात्र तीन किमी का किरौली तक का सफर सबसे लंबा लगता।
'..... पापा और कितना दूर है ......? ' यही सवाल बार बार करती
और ...' बस पहुँचने ही वाले हैं ...' इतना सुनते ही उत्सुकता से मैं हर मोड़ में सीट में खड़े हो जाया करती।
चौकोड़ी को यहीं से सड़क कटती है, जो कि एक बहुत सुंदर पर्यटक स्थल है। हिमालय श्रृंखलाओं का अत्यंत सुंदर नज़ारा मन प्रफुल्लित कर देता है। यहीं चौकोड़ी की तलहटी पर बसा है मेरा सुंदर गाँव जहां चारों ओर देवताओं का वास और बीच में ' किरौली '। इस भूमि को ' नाग-भूमि ' भी कहते हैं, पिगलीनाग देवता यहां के ईष्ट देव हैं।
गतांक से आगे : १
मेरा छोटा सा गांव किरौली.
पिथौरागढ़ की अनभूली मधुर यादें.
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गगरी भर भर के नौले से पानी लाना : जाने कहाँ गए वो दिन
शक्ति.मानसी. पंत
यहां का इतिहास भी काफ़ी पुराना है,जिसकी वंशावली शाके १५१५ सन १५९४ में ताम्रपत्र में लिखी है,जब मनिकोटी राजा आनन्द चंद ने किरौली गाँव जागीर में दिया था। कहा जाता है कि किरौली के पन्त महाराष्ट्र से यहां आकर बस गए थे। आखिरकार ज़मीन में पाँव पड़ते ही नौ घण्टे के सफर की थकान अचानक खत्म हो जाया करती।
यहीं रोड़ के किनारे पत्थर पर बैठी दोपहर से हमारा इंतजार करती ईजा का आशीष पाते, और ' जी रैये,जग रैये,भल हरैये ' के साथ बड़ी सी मुस्कान लिए हम करीबन चार-पांच झोलों के साथ दस-पन्द्रह मिनट की खड़ी चढ़ाई चढ़ कर घर की ओर जाने लगते।
सबसे सौभाग्य की बात ये की हमारा घर सबसे आखिरी में पड़ता और रास्ता लगभग सभी बिरादरों के आँगन से होकर निकलता । शास्त्री जी के आँगन में पानी का नल टपकता देख थोड़ी निराशा हो जाती की शायद अब जाते ही नौले का ठंडा पानी लाने का मौक़ा नहीं मिलेगा। सपरिवार गगरी भर भर के नौले से पानी लाना सबसे यादगार क्षण था।
वहीं फिर प्रकाश ताऊजी के घर से गुजरते चाय पानी पी लिया करते, वे लोग भी कुशल स्वरूप पापा मम्मी से पूछते, ' नान-तीन ठीक छैना, हलदवाणि में मौसम कस हैरो ? ( बच्चे ठीक-ठाक हैं, हल्द्वानी में मौसम कैसा हो रहा है? )
उनकी ये आत्मीयता दिल को छू जाती। हम सभी का आशीष लेते हुए घर की ओर प्रस्थान करते। बाँज के जंगलों से घिरा हुआ किरौली अत्यंत सुंदर है।
मेरा सुंदर गाँव किरौली : हर जगह नींबू,माल्टा,संतरा एवं काफ़ल के पेड़ देखने को मिलते। फूलों से भरे
हुए खेत, पेड़ों में लबालब माल्टे एवं संतरे, कहीं कहीं तो लाल चमकते हुए पुलम मन को भा जाते।
वहीं दूर से दिखता हमारा छोटा सा घर, वही पत्थर की छत पर एंटीना नज़र आता, नीली खिड़की सफेद चूने की शोभा बढ़ाती हुई, सामने गाय के गोबर से लीपा हुआ सुगंधित आँगन, पीछे से गुहार लगाते गाय - बछिया ।
थके हुए हम खाट पर आराम से बैठते, और ईजा रसोईघर से गरमा-गर्म भट्ट के डुबके, झोली, राम-करेला, गिट्टी की सब्जी, और भात (चावल ) परोस कर लाती।
कोडग्याडी या कोकिला मैया : यहां से लगभग २० किमी दूर पांखू गांव में प्रसिद्ध भगवती मंदिर है, जिसे कोडग्याडी या कोकिला मैया के नाम से भी जाना जाता है, मां भगवती न्याय की देवी हैं,और देश विदेश से भक्त अपनी फरियाद लेकर यहाँ आते हैं ।
पूरे एक सप्ताह का ये सफर अलग ही उत्साह से भर देता है। सामूहिक भोज, कभी भंडारा, या कभी शादी-व्याह के बहाने सभी एकत्रित होकर मिलते, यूँ आधुनिकता की दौड़ में गाँव से पलायन होने के कारण गाँव की दशा तो बदल रही है,पर गांव के प्रति स्नेह भाव ना ही कभी किसी शहर की जगह ले पाया है,और ना ही कभी ले पाएगा। सबसे सुंदर सबसे मनोहर और सबसे अनूठा मेरा गांव मेरी यादों में यूं हमेशा ही आत्मसात रहेगा और ये सुनने के बाद शायद आपके भी।
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स्तंभ संपादन : शक्ति.नैना @ डॉ. सुनीता प्रिया अनुभूति.
सज्जा पृष्ठ : शक्ति. मंजिता सीमा स्मिता शबनम.
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ओ सजना बरखा बहार आई : ये मेरा गीत : जीवन संगीत : कल भी कोई दोहराएगा : पृष्ठ : ६.
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शक्ति * प्रिया.मीना शबनम श्रद्धा .
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प्रकृति : प्रेम : पहाड़ : धुंध : बादल :
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फिल्म : जहरीला इंसान.१९७४.
गाना :ओ हंसिनी मेरी हंसिनी कहाँ उड़ चली
मेरे अरमानों के पंख कहाँ उड़ चली
सितारे : ऋषि कपूर. मौसमी चटर्जी.
गीत : मजरूह सुल्तानपरी. संगीत : आर डी वर्मन. गायक : किशोर कुमार.
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.
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सांग्स लोकेशंस : दार्जलिंग. बागान
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फिल्म. अनुरोध.१९७७.
सितारे : राजेश खन्ना. सिंपल कापड़िया.
गाना : आ जा..... हो आ जा
मेरे दिल ने जब नाम तेरा पुकारा
देखे तेरी नजरों को भाये या न भाये ये नजारा
आ जा..... हो आ जा
गीत : आनंद बख्शी.संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारेलाल.गायक : किशोर कुमार.
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.
सांग्स लोकेशंस : दार्जलिंग.
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ओ सजना बरखा बहार आई : कला दीर्घा : रंग की फुहार लाई : पृष्ठ : ९.
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यमुनोत्री गंगोत्री डेस्क.
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सम्पादन.
*
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शक्ति.डॉ.श्वेता हिमानी.
नैना श्रद्धा.
*
उत्तरकाशी.
*
ए एंड एम मीडिया समर्थित.
![]() |
शक्ति.डॉ. ममता. सुनील. शिशु रोग विशेषज्ञ : ममता हॉस्पिटल : बिहार शरीफ. समर्थित. |
समाचार : चित्र : विशेष : दृश्य माध्यम : न्यूज़ शॉर्ट रील : पृष्ठ : ११.
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संपादन.
शक्ति. प्रिया.मीना सीमा हिमानी
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गंगोत्री : धराली : हर्षिल : आपदा
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पहाड़ों का दर्द समझें : संवेदनाएं
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' हम ' समस्त देव शक्ति मीडिया परिवार हर्षिल : धराली देव शक्ति भूमि में हुए जल प्रलय
से हुए ' धन ', ' जन ' निर्दोष मन की व्यापक हानि के लिए
असीम अनंत हार्दिक संवेदनाएं रखते हैं...और इस प्राकृतिक आपदा
से निस्तार पाने के लिए अनंत ( लक्ष्मी नारायण ) से प्रार्थना करते हुए उनके लिए
मन , वचन,कर्म से शिवशक्ति की अभिलाषा रखते हैं
*
शक्ति वनिता श्रद्धा @ डॉ.उनियाल मधुप
उत्तरकाशी : हर्षिल : धराली
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है गंगा पानी पानी
*
समसामयिकी. समाचार : दृश्यम
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साभार
शक्ति.वनिता श्रद्धा @ डॉ.उनियाल मधुप.
उत्तरकाशी : हर्षिल : धराली
शिव : शक्ति : नैना : सोमवार : शॉर्ट रील
*
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वीडियो क्लिप : शक्ति : मीना. मुक्तेश्वर. नैना देवी मंदिर नैनीताल : शक्ति फिल्म.
निर्माण : शक्ति .डॉ. सुनीता मधुप शक्ति प्रिया
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ओ सजना बरखा बहार आयी : फोटो दीर्घा : पृष्ठ : १२.
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संपादन.
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आपने कहा : जन्म दिन : शुभकामनाएं : दिन विशेष : शॉर्ट रील : पृष्ठ : १३
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संपादन.
आपने कहा : जन्म दिन : शुभकामनाएं : दिन विशेष : शॉर्ट रील : पृष्ठ : १३
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संपादन.
शक्ति.प्रिया @ डॉ. सुनीता सीमा अनुभूति
⭐
बार बार ये दिन आए.
*
११. ८. २५.
शक्ति. डॉ.भावना.लेखिका.
छायाकार.संरक्षिका
शक्ति.नमिता सिंह.स्वतंत्र लेखिका.
यूटूबर.रानीखेत.उत्तराखंड.
*
को उनके संयुक्त जन्म दिन : शक्ति अवतरण दिवस ११ अगस्त के मनभावन पावन अवसर पर
' हम ' एकीकृत देव शक्ति ' मीडिया ' परिवार की तरफ़ से ढ़ेर सारी प्यार भरी
' अनंत ' ' शिव शक्ति ' शुभकामनाएं '
*
बार बार ये दिन आए
१०.८.२५.
शक्ति. शालिनी
*
शक्ति अवतरण दिवस. *
की अप्रतिम भेंट
*
शक्ति.शालिनी रॉय.
प्रधान सम्पादिका. महाशक्ति मीडिया
कवयित्री.लेखिका.पत्रकार.
उत्तरप्रदेश
*
हमारे वेब ब्लॉग मैगज़ीन पेज महा शक्ति मीडिया की
निर्भीक,संवाद पूर्ण, संरक्षण दायिनी, शक्ति प्रधान ' सम्पादिका '
जिन पर भारती ( सरस्वती ) की विशेष कृपा है
जिनसे हम नैनीताल में मिले
को उनके जन्म दिन : शक्ति अवतरण दिवस १० अगस्त के मनभावन पावन अवसर पर
' हम ' एकीकृत देव शक्ति ' मीडिया ' परिवार की तरफ़ से ढ़ेर सारी प्यार भरी
' हम ' एकीकृत देव शक्ति ' मीडिया ' परिवार की तरफ़ से ढ़ेर सारी प्यार भरी
*
बार बार ये दिन आए
३.८.२०२५.
३.८.२०२५.
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' शुभकामनाएं '
तुम जिओ हजारों साल ये मेरी है आरजू
*
जीवन शक्ति ' प्रिया '
जीवन शक्ति ' प्रिया '
जन्म दिवस स्मृति विशेष
*
एक तेरा साथ हमको दो जहाँ से प्यारा है.
३.८.२०२५ .
बार बार ये ' दिन ' आए
बार बार ये ' दिन ' आए
*
शक्ति * प्रिया
शक्ति * प्रिया
दार्जलिंग
*
*
महाशक्ति वेब ब्लॉग मैगज़ीन पेज.
अनुभाग : अंग्रेजी : हिंदी
*
बार बार ये दिन आए : जन्म दिन विशेष
३.८.२०२५ .
३.८.२०२५ .
*
अनंत ' प्यार भरी ' शिव शक्ति ' शुभकामनाएं '
*
महाशक्ति वेब ब्लॉग मैगज़ीन पेज की जीवन ' रेखा ' कार्यकारी शक्ति ' सम्पादिका '
प्रिया. दार्जलिंग. नैनीताल डेस्क को उनके
महाशक्ति वेब ब्लॉग मैगज़ीन पेज की जीवन ' रेखा ' कार्यकारी शक्ति ' सम्पादिका '
प्रिया. दार्जलिंग. नैनीताल डेस्क को उनके
पावन त्रिशक्ति जन्म दिवस : ३.८.१९८७. के मनभावन अवसर पर,
' हम ' एकीकृत देव शक्ति ' मीडिया ' परिवार की तरफ़ से ढ़ेर सारी
अनंत ' प्यार भरी ' शिव शक्ति ' शुभकामनाएं '
*
बार बार ये दिन आए
२.८.२०२५.
२.८.२०२५.
*
शक्ति. मानसी पंत.
कवयित्री.लेखिका.चित्रकार.छायाकार.
नैनीताल.
विशेषांक सम्पादिका.महाशक्ति वेब ब्लॉग मैगज़ीन पेज.
*
तुम जिओ हजारों साल ये मेरी है आरजू.
हमारे ब्लॉग मैगज़ीन पेज की विशेषांक ' सम्पादिका '
शक्ति. मानसी पंत. विशेषांक सम्पादिका.महाशक्ति वेब ब्लॉग मैगज़ीन पेज.
नैनीताल.
को उनके जन्म दिन शक्ति दिवस : २.८.१९८८. के मनभावन अवसर पर
'हम ' एकीकृत देव शक्ति ' मीडिया 'परिवार की तरफ़ से ढ़ेर सारी प्यार भरी
अनंत शिव शक्ति ' शुभकामनाएं '
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चलते चलते : बरखा बहार : दिल जो न कह सका : दिन विशेष : शॉर्ट रील : पृष्ठ.१३
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भाविकाएँ
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पानी : पुल और किनारा
डॉ.मधुप.
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अलग होने का दर्द भला वो क्या जाने
जिनके अपने झेलम चनाब के इस पार रह गए
नीचे बहते दरिया पर बने पुल भी टूटे
कुछ इस पार तो कुछ उस पार
तकते पानी पुल और किनारे को
अपने कितने बेवश लाचार हो गए
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पृष्ठ सज्जा : संपादन
शक्ति नैना प्रिया @ डॉ सुनीता सीमा
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दिन विशेष : विश्व शेर दिवस
शक्ति के प्रतीक सिंहों के संरक्षण का संकल्प ले
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दिन विशेष. रक्षा बंधन
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येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वाम् अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥
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दिन विशेष.शक्तिरक्षा : शॉर्ट रील
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टाइम्स मीडिया शक्ति प्रस्तुति
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राजा बलि : शक्ति लक्ष्मी : श्री नारायण
दृश्यम : वंशी नारायण मंदिर : चमोली
साभार : आर्य : हिमांशु भट्ट.
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सम्पादित. शॉर्ट रील : पृष्ठ.१३
शक्ति. नैना @ डॉ.सुनीता शक्ति *प्रिया अनुभूति.
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फ़िल्मी तराने : शॉर्ट रील : साभार :
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साभार शक्ति : ख़ुशी : देहरादून
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कोई गीत गाओ तुम मेरे पास आओ
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शक्ति : चले ही जाना है नज़र चुरा के यूँ
फिर थामी थी साजन तूमने मेरी कलाई क्यों
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शक्ति : ओ सजना बरखा बहार आई
ऐसा लगता है तुम बन के बादल
मेरे बदन को भिगों के मुझे छेड़ रहे हो
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साभार शक्ति : रेखा : देहरादून
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फिर से आस बंधा जा रे
दिल से : पल भर में ये क्या हो गया ये मैं गयी
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चलते चलते :आपने कहा : दिन विशेष : पृष्ठ : १३
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दिन विशेष : रक्षा बंधन
संपादन.
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शक्ति डॉ.राशि शिल्पी रश्मि रत्ना .
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मेरी पसंद डॉ. मधुप.
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फिल्म : हरे रामा हरे कृष्णा.१९७१.
सितारे : देव आनंद जीनत अमान
गाना : फूलों का तारों का सबका कहना है
एक हजारों में मेरी बहना है
गीत : आनंद बख्शी. संगीत : राहुल देव वर्मन. गायक : लता. किशोर कुमार.
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है कौन वो दुनियाँ में न पाप किया जिसने
बिन उलझे काँटों से, है फूल चुने किसने
बेदाग़ नहीं कोई यहाँ पापी सारे है
न जाने कहाँ जाए हम बहते धारे हैं
Shakti.Dr. Rashi : Gynecologist : Muzaffarpur. Bihar
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English Section.
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Contents Page : English.
Cover Page : 0.
Contents Page : 1.
Shakti Editorial Page : 2.
Shakti Vibes English Page : 3
Shakti Editorial Writeups : 4.
Short Reel : News : Special : English : Page : 5.
Shakti Photo Gallery : English : Page : 6.
Shakti : Kriti Art Link : English : Page : 7
You Said It : Days Special : English : Page : 8.
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Editorial English : Page : 2
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Shakti Vibes English Page : 3
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Editor
Shakti * Priya Dr.Anita Seema Bhwana Singh.
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A mistake is an Opportunity
to learn not a Reason to give up
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MS Media Powered.
Shakti Priya Presenting.
*
It is ' humility ' that makes men as angels.
*
*
Saint Augustine.
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Shakti Editorial Write Ups : 4.
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Unforgettable Journey with You
Editorial : Poem Section Page :
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a short passionate poem.
Darjeeling.
Executive Shakti Editor
Social Media MS Web Blog Magazine Page
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Unforgettable Journey with You
With the sandy wash and soothing breeze
The gurgle of the water splashing the waves
Triggered my mind with the flow of gaze
Contemplated my thoughts for a sudden raise
And rolled me towards it with every haze
The waves took the victory over my feet’s
With the sandy wash and the smooth and soothing breeze
Stopped me where I was supposed not be freeze
But it took me away with it’s ease

Page Decoration
Shimla Desk.
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Shakti Editorial Write Ups : English Page : 4 /1
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Why is 2 Friendship Day celebrated?
An Overview : Friendship : In my View :
with other sources.
Shakti * Priya Anubhuti Dr.Sunita Madhup.
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Darjleeng Desk.
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Of late we all have observed the true friendship day on 30 th of july.By today morning itself whatsapp message also knocks us about the availability of friendship day once again while the sun has to still peep in my cottage. We get surprised of that.
If we don't forget we also celebrate the Friendship Day in the month of February. Is n't it ? Really it is.
Friendship : In my View : What dies it stand for ? I simply mean friends indeed who never hurt you before the others, who always protect you forever , who never quit you in the most difficult situation, who never disregard you publicly. Who respect your igo, and really we love those who maintain the secrecy of twos inside the heart till the last breath of one's life.
Friendship, in simple terms, is a relationship of mutual affection between people. It's a bond built on trust, honesty, and support, where friends enjoy spending time together and sharing experiences. Friends care about each other and are there for one another through both good and bad times.
Dr. Ramon Artemio Bracho in Paraguay advocating for a dedicated day :
The concept originated with Joyce Hall, the founder of Hallmark Cards, who proposed it in 1930 to foster global unity and peace through friendship. Later, Dr. Ramon Artemio Bracho in Paraguay advocated for a dedicated day to celebrate friendships and promote harmony, leading to the UN officially recognizing it in 2011
International Friendship Day : International Friendship Day is celebrated annually on July 30, as it was proclaimed by the UN General Assembly in 2011. The idea behind this celebration is that friendship between people, countries, cultures, and individuals can inspire peace efforts and build bridges between communities
And in India : It is celebrated to honor and appreciate the importance of friendships. While International Friendship Day is officially recognized on July 30th, many countries, including India, celebrate it on the first Sunday of August.
Page Column Editing Decorative :
Shakti Dr.Anita Manjita Seema Vanita.
Courtesy : Photo & Other Sources..
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Short Reel : News : Special : English : Page : 5.
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Editor.
Shakti Archana Seema Priya Vanita
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Chalte Chalte : English
Chalte Chalte : English
Dr.Sunita Seema Shakti Priya.
Proud to be Indian, forever free
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Dharali Cloud Brust : Shakti News Reporting
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Don't treat the mountain like a Weekend Masti
Uttarkashi cloudburst highlights the tears of Pahadis
Dr Uniyal : Short Reel : News
Shakti Photo Gallery : English : Page : 6.
Editor.
Shakti. Dr.Archana Tanu Rashmi Seema.
Heartfelt wishes for the Shakti Editorial team....for editing such a nice blog...
ReplyDeleteExcellent 👌
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