Govind Bolo Hari Gopal Bolo : Krishna : Janmashtami

  

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Title Page Govind Bolo Hari Gopal Bolo
  
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Govind Bolo Hari Gopal Bolo.
Krishna : Janmashtami   
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महा.शक्ति.त्रिशक्ति.नव शक्ति प्रस्तुति.
सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा : अंक : १    
 राष्ट्रीय पर्व विशेषांक.    
सांस्कृतिक पत्रिका.
महा.शक्ति.मीडिया.प्रेजेंटेशन@जीमेल.कॉम   
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हिंदी अनुभाग. प्रारब्ध.आवरण पृष्ठ : ०

 
राधा रमण ' हरि ' गोपाल बोलो गोविन्द बोलो ' हरि ' गोपाल बोलो : आवरण पृष्ठ : शक्ति प्रिया.

फोर स्क्वायर होटल : रांची : समर्थित : आवरण पृष्ठ : विषय सूची : मार्स मिडिया ऐड : नई दिल्ली.


सम्पादकीय डेस्क 
राधिका महा शक्ति. नैनीताल डेस्क. 
मीरा महाशक्ति. नैनीताल डेस्क. 
रुक्मणि महाशक्ति.नैनीताल  डेस्क. 
महा लक्ष्मी .कोलकोता डेस्क. 
महाशक्ति. नैनीताल  डेस्क.  
महासरस्वती.नर्मदा डेस्क. जब्बलपुर 
नव शक्ति. शिमला.डेस्क.
रानी पदमावत. जयपुर डेस्क

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गोविन्द बोलो ' हरि ' गोपाल बोलो
पत्रिका 
विषय सूची   

राधिकाकृष्ण : महाशक्ति : इस्कॉन डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / ०.
रुक्मिणीकृष्ण : महाशक्ति : डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / २.
मीराकृष्ण : महाशक्ति डेस्क : मुक्तेश्वर : नैनीताल. पृष्ठ : ० / ३.
त्रि - शक्ति : प्रस्तुति : पृष्ठ : १ / ०. 
सम्पादकीय : पृष्ठ :२
आकाश दीप :पद्य संग्रह :सम्पादकीय :प्रस्तुति. पृष्ठ : ३.
कृष्ण जीवन दर्शन : राधिका : कृष्ण : रुक्मिणी : मीरा : सम्पादकीय : प्रस्तुति. पृष्ठ : ४.
तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : सम्पादकीय : प्रस्तुति. पृष्ठ : ५ .
राधिका कृष्ण : मीरा : ये मेरा गीत जीवन संगीत : पृष्ठ : ६.
राधिका कृष्ण : मीरा : फ़िल्मी कोलाज़ : पृष्ठ : ७ .
आपने कहा : दिवस : त्यौहार : विशेष :पृष्ठ : ८ .
राधिका कृष्ण : ये कौन चित्रकार है : कला दीर्घा : ९
दृश्य माध्यम : लघु फिल्में राधिका कृष्ण : पृष्ठ : १०
समाचार : चित्र : विशेष : दृश्य माध्यम : न्यूज शॉर्ट रील : पृष्ठ : ११.
राधिका कृष्ण : दर्शन : रुक्मिणी मीरा : फोटो दीर्घा : विशेष : पृष्ठ : १२.
चलते चलते : पृष्ठ : १३.
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समर्थित
विद्यापीठ पाठशाला. बिहार शरीफ. नालन्दा समर्थित

सुबह और शाम
जीवन : अध्यात्म : प्रकृति : प्रेम : सन्यास
पत्रिका / अनुभाग.
' तुम्हारे लिए. '
मॉर्निंग / आफ्टर नून / इवनिंग पोस्ट


सुबह और शाम .
जीवन : अध्यात्म : प्रकृति : प्रेम : सन्यास
शक्ति विचार धारा

मेरी दिव्य श्रेष्ठ आत्म ' शक्ति ' प्रस्तुति 
 गणपति वंदना : प्रथमतः
श्री गणेशाय नमः
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ
 निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥



सुबह और शाम
जीवन : अध्यात्म : प्रकृति : प्रेम : सन्यास
पत्रिका / अनुभाग.
' तुम्हारे लिए. '
मॉर्निंग / आफ्टर नून / इवनिंग पोस्ट

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राधिकाकृष्ण : महाशक्ति : इस्कॉन डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / ० :
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
संस्थापना वर्ष : १९७८. महीना : जुलाई : दिवस : ४.
संपादन
अनु ' राधा '

नैनीताल
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राधिका कृष्ण : महाशक्ति : दिव्य दर्शन : पृष्ठ : ० / ० :
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दिव्य दर्शन : राधिकाकृष्ण : शॉर्ट रील.

मोहिनी राधा : बांसुरी : मुग्ध रुक्मिणी 


दिव्य साथ : राधा रुक्मिणी रुक्मिणी राधा
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कृष्ण है विस्तार यदि तो सार है राधा
कृष्ण की हर बात का आधार है राधा : साभार : दृश्यम


दृश्यम : प्यारी प्यारी राधिका के प्यारे प्यारे कृष्ण.


मेरे तो छोटे सो मदन गोपाल


राधिका कृष्ण : तुम हंस दो तो मैं मुस्कुराऊँ मैं 

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 राधिकाकृष्ण : महाशक्ति : दिव्य : विचार : पृष्ठ : ० / ० / १.
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
संस्थापना वर्ष : १९७८. महीना : जुलाई : दिवस : ४.
संपादन
अनु ' राधा '
नैनीताल.

राधिका कृष्ण विचार.



प्रेम के कच्चे ' अटूट धागे '




मेरे जीवन के ' सार ' में ' प्रेम ' मात्र एक शब्द था जब तक तुम ' अर्थ ' बन के आए न थे

©️®️ डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया
.


' प्रशंसा ' को सदैव ' विनम्रता ' से स्वीकार करें और
' आलोचना ' पर ' गंभीरता ' से विचार करें
सच ही कहा है किसी ने, अगर जीवन में ' समस्याएं ' पास न होती
तो सफलता के लिए ' संघर्ष ' करने में इतनी भली दिव्य ' त्रिशक्तियाँ ' साथ न होती

©️®️ शक्ति : डॉ सुनीता रंजीता सीमा अनीता


सुख - दुःख और क्रोध

जीवन की तीन ' बातें ' मेरे अपनों के लिए सदैव ' स्मृत ' रखें
अतिरेक ' आनंद ' में अति शीघ्र अपनों को ' वचन ' मत दीजिए
' क्रोध ' में अपनों को अति शीघ्र ' उत्तर ' मत दीजिए
' दुःख ' में स्वयं अपनों के लिए कभी अति शीघ्र ' निर्णय ' मत लीजिए

©️®️ डॉ.सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया.

प्रकृति ' प्रेम ' और विश्वास

' जीवन ' में विश्वास है तो प्रेम है, तब ' प्रेम ' है तो विश्वास रखना ही चाहिए
जिसे ' जाना ' होगा वो कभी ' अपना ' नहीं होगा
जो ' अपना ' हैं उसका कभी ' जाना ' नहीं होगा,
विकट से विकट परिस्थितियों में भी
' शांत ' रहें , ' संतुलित ' रहें, ' संयमित ' रहें ...' संवाद ' सतत रखें....
कृष्ण के जीवन की सार ही है राधा...
©️®️ डॉ.सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया.

' मन और मस्तिष्क '

' मस्तिष्क ' को खूब पढाएं, लेकिन ' मन ' को हमेशा ' अनपढ़ ' ही रखें ताकि ये ' भावनाओं ' को समझने में ' हिसाब किताब ' ना करे.


स्वार्थ से ' रिश्ते ' बनाने की कितनी भी कोशिश करें, वो कभी नही ' बनते ' हैं
और ' प्रेम ' से बने ' रिश्तों ' को कितना भी ' तोड़ने ' की कोशिश करें, वो कभी नहीं ' टूटते ' हैं.
न ' उम्र ' की ' सीमा ' हो न ' जन्म ' का हो बंधन.


प्रत्येक ' सम्यक ' श्रेष्ठ ' शिवार्थ ' विचार का अनुपालन कीजिए जिससे आपकी आत्म ' शक्ति ' वर्धित
हो और आप अपनी ' इन्द्रियों ' पर ' विजय ' प्राप्त कर सकें

अहंकार और संस्कार.
नीचा वही दिखला सकता है जिसमें ' अहंकार ' होता है
जिनमें ' संस्कार ' होता है वो सदैव दूसरों का ' सम्मान ' ही करते हैं

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रुक्मिणीकृष्ण : महाशक्ति : डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / २.
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रुक्मिणी डेस्क.नैनीताल
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०.
संस्थापना वर्ष : १९९५. महीना : जनवरी : दिवस : ६.
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संपादन.


शक्ति. डॉ. सुनीता सिन्हा.

सम्पादित.

रुक्मिणीकृष्ण : महाशक्ति : डेस्क : दृश्यम : नैनीताल. पृष्ठ : ० / २.

' वैष्णव ' जन तो तेने कहिए जी ' पीड़ ' ' परायी ' जाने रे


श्री ' विष्णु प्रिया हरि ' में आस्थां है तो ' उलझन ' में भी रास्ता है


कृष्ण : तुमने हमारे लिए बहुत कष्ट सहे है, राधे


प्यारी नन्ही राधिका नन्हें कृष्ण : दर्शन : बाल रूप.

रुक्मणी : कृष्ण से यह प्रश्न
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शब्द चित्र विचार. पृष्ठ : ० / २.
शक्ति. डॉ.सुनीता सिन्हा.


समय परिवर्तित है जो ' विनम्र ' है, ' संयमित ' है कर्मयोगी ,' विवेकशील ' हैं मधुर ' वक्ता ' है
वही आज के जीवन महाभारत के विजेता है..

सूरदास

दोहे : कृष्ण का सच : विचार करें


सूरदास

मैया मोरी मैं ' नहीं ' ' माखन ' खायो
मैया ' मोरी ' ' मैंने ' ही माखन खायो

मंदिरों में बंधी बेशुमार ' घंटियाँ ' व ' मन्नतों के ' धागे '


रुक्मिणी राधा विचार.



भगवान को ' मंदिर ' से अधिक ' मन ' में रहना अधिक पसंद है.

रहीम.
रहिमन धागा ' प्रेम ' का, मत तोरो चटकाय,
टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे ' गाँठ ' परी जाय'
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' कृष्ण ' और ' शिशुपाल '

आज के दौर की सबसे बड़ी ' विडंबना ' यह है कि हम दुःख ' इंसानों ' को देते हैं और ' क्षमा ' ईश्वर से माँगते हैं.
हम उन ' अपनों ' के प्रति भी ' कृष्ण ' की भांति ही ' क्षमाशील ' हो जाए....
.......जब ' शिशुपाल ' की गई ' गलतियों ' की गिनती करना ही भूल जाए

©️®️ डॉ.सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया.


सम्यक ' सोच ' ' व्यवहार ' और कर्म

सर्व प्रथम आपका ' विषयवस्तु ' को लेकर आपकी ' सम्यक सोच '
द्वितीयतः आपकी ' सम्यक वाणी ' और अंततः
तृतीयतः आपका किया गया धैर्य पूर्ण ' सम्यक व्यवहार ' ही
आपके अपने द्वैत मनभावन मधुर ' रिश्तों ' के ' स्थाइत्व ' का ' निर्धारण ' करता है
इसलिए सार्वजनिक तौर पर अपने संवेदनशील ' रिश्तों '
के बारें में बोलने से पूर्व कई बार विचार करें
©️®️ डॉ.सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया.

इस 'कलयुग' में हम शक्ति बहनें द्वापर युग ' की ' एकता ' और ' अमर प्रेम ' की '
वो 'कहानी ' लिख जाएंगी जिसका ' साक्षी ' स्वयं ' इतिहास ' और 'समय ' होंगे
©️®️ डॉ.सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया.

मंदिरों में बंधी बेशुमार ' घंटियाँ ' व मन्नतों के ' धागे ' इस बात के ' सबूत ' है कि
रब ने हर किसी की ' कहानी ' कहीं न कहीं कुछ न कुछ ' अधूरी ' ही लिखी छोड़ दी है
जिसे पूरी होनी है
©️®️ डॉ.सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया.
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मीराकृष्ण : महाशक्ति डेस्क : मुक्तेश्वर : नैनीताल. पृष्ठ : ० / ३ .
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मीरा डेस्क.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९८६.
संस्थापना वर्ष : १९८९. महीना : अक्टूबर : दिवस : ६ .
संपादन.



शक्ति. मीना सिंह
मुक्तेश्वर. नैनीताल. 
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मीराकृष्ण : मुक्तेश्वर डेस्क : दृश्यम : नैनीताल. पृष्ठ : ० / ० :
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मीरा : ' गोविन्द ' बोलो ' हरि ' गोपाल बोलो.

यशोदा का नन्द लाला सब का दुलारा है

वो तो संतों के संग रंगी मोहन के रंग


वो तो गली गली ' हरि ' गुण गाने लगी


कृष्ण में शक्ति की भक्ति : फोटो : मीना : मुक्तेश्वर. 


जौहरि की गति जौहरी जाणै, की जिन जौहर होय,
सूली ऊपर सेज हमारी, सोवण किस बिध होय.


मेरे तो गिरधर ' गोपाल ' दूसरों न कोय


दिव्य भविष्य वाणी समर्थित 
-------------
त्रि - शक्ति : प्रस्तुति : पृष्ठ : १ / ०. 
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महा लक्ष्मी : महा शक्ति : महासरस्वती 
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
संस्थापना वर्ष : १९७८. महीना : जुलाई . दिवस : ४.  
नैनीताल  डेस्क 


त्रि - शक्ति : दर्शन. 

संपादन.
शक्ति.


 शक्ति. सीमा ' रंजीता ' अनीता. 
 नैनीताल.डेस्क. 


सम्पादित 

  त्रिशक्ति : विचार : दृश्यम : पृष्ठ : १ / ०.

महालक्ष्मी : तोरा मन दर्पण कहलाए 


मन ही देवता मन ही ईश्वर मन से बड़ा न कोय 


महालक्ष्मी : राधिका कृष्ण दर्शन ,मोहिनी सूरत 

बड़ा नटखट है ए कृष्ण कन्हैया 

 
     त्रिशक्ति : विचार : शब्द चित्र : पृष्ठ : १ / ०.  
सम्पादित त्रि - शक्ति   
 शक्ति. सीमा ' रंजीता ' अनीता. 
 नैनीताल.डेस्क. 
 



कृष्ण दर्शन वाणी


देखा है ' जिंदगी ' को कुछ इतना करीब से


घड़ी में ' फूल और कांटें ' नहीं ' तीर ' के ' निर्देश चित्र ' और मूल ' अंक ' होते हैं
जो आपको ' ज़ख्म ' नहीं ' सीख ' देते हैं कि समय को पहचाने और समय के सम्यक साथ दें
मूल अंक में ही आपका ' भाग्य ' छिपा है

©️®️ डॉ.सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया.


सहारा ' आत्म शक्तियों ' को प्रणाम करना हमारा अर्जित ' संस्कार ' होता है
जो सदैव हमारे साथ ' साए ' की तरह ' वर्तमान ' होती है
जो सदैव हमें सम्यक ' दृष्टि ', ' वाणी ', ' संकल्प ' के लिए सर्वदा ' प्रेरित ' करती रहती हैं


एक दूसरे के बारे में ' बोलने ' के बजाय 
अगर हम एक दूसरे से ' सही ' से बोलना सीख जाए 
तो सच कहें हम सही में ' जीना ' जान जाए 
और  बहुत सारी ' गलतफहमियां ' भी दूर हो जाए 


स्थायी ' सम्बन्ध '

जो रिश्तें ' हृदय ' के होते हैं वो ' जन्म जन्मांतर ' के होते हैं 
नहीं तो ' आँखों ' का  दृश्य क्या बदलता हैं... ?
कई आती जाती ' छवियाँ '  परिवर्तित और धूमिल हो जाती हैं 

©️®️ डॉ.सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया.



प्रशंसा की ' अभिलाषा ' तो ' असफल ' लोगों के स्वभाव में होती है सफल ' सभ्य जनों ' के तो ' शत्रु ' भी प्रशंसक होते हैं…

सबसे ' अलग ' होना आपकी ' कमज़ोरी ' नहीं आपकी ' आत्मशक्ति ' मात्र हैं
इससे आपमें ' रचनात्मक ' शक्ति विकसित हो सकती हैं
-----------
यदि ' प्रेम ' का मतलब सिर्फ़ ' पा ' लेने होता
तो हर हृदय में ' राधा कृष्ण ' का नाम नहीं होता
--------- त्रिशक्ति : सम्यक वाणी : महालक्ष्मी : मुझे भी कुछ कहना है : पृष्ठ : १ / १ -------------- महालक्ष्मी दर्शन.


प्रादुर्भाव वर्ष : १९७९.
महा लक्ष्मी : डेस्क : कोलकोता :
संस्थापना वर्ष : २००३. महीना : जून. दिवस : २.
-------------
संपादन.

' शक्ति ' सीमा सिंह.
कोलकोता डेस्क
--------------
साभार : दृश्यम : विचार.पृष्ठ : १ / १.

श्री हरि के श्रेष्ठ अवतारों में हैं राम कृष्ण


भगवान विष्णु के दस अवतार.
भगवान विष्णु के श्रेष्ठ अवतार : राम : कृष्ण.
--------
महालक्ष्मी : कोलकोता डेस्क : विचार. पृष्ठ : १ / १.
-------------
मुझे भी कुछ कहना है
संपादन : ' शक्ति ' सीमा सिंह.

' कर्म ' सर्वोपरि ज्ञान है, ' मुक्ति ' और ' मोक्ष ' का साधन है फल नहीं ' कर्म ' पर ध्यान दो
मन और ' क्रोध ' पर काबू रखो ' अधिकार ' की लड़ाई सर्वथा उचित है

रश्मि रवि.हल्द्वानी नैनीताल.


मेरी जीवन सहन शक्ति के भीतर ' अपनों ' ' अन्य ' की कही कितनी कही अनकही कड़वी वाणी,
के घाव और लांछन छिपे हैं ....जो अव्यक्त हैं ...न भूले है ....फिर भी अपनों के लिए मैंने अनंत धैर्य ही रखा... एक दो तीन को छोड़ कर सच कहें जिंदगी का सफ़र कोई समझा नहीं


कर्मों के ' परिणाम ' से भला कौन बचा है
जैसा ' करम ' करेगा वैसा ' फल ' देगा भगवान
ये है गीता का ज्ञान

हरि ही ' श्रीकृष्ण ' है 

पार्थ : अर्जुन के ' सारथी ' पथ प्रदर्शक 
सम्पूर्ण संसार को गीता का ' ज्ञान ' देकर कर्म के ' कर्तव्यपथ ' से विचलित न होने की प्रेरणा देनेवाले 
धर्म एवं ' मर्यादा ' की रक्षा हेतु वगैर शस्त्र उठाये ' महाभारत ' युद्ध मे विजय के महानायक 
' सुदामा ' के साथ मित्रता एवं ' राधा ' के साथ निश्छल प्रेम, 
भ्राता ' शिशुपाल ' के लिए असीम धैर्य रखने... 
सखी ' पांचाली ' के मान सम्मान के रक्षण  का आदर्श प्रस्तुत करनेवाले 
अनेक अद्भुत चमत्कारी , गोवर्धनधारी जगतपालनहार ' हरि ' के अवतार ही है प्रभु श्रीकृष्ण  

©️®️ डॉ.सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया.

सत्कर्म 

मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने ' सुग्रीव '  के लिए बानर राज ' बाली ' को छल से मारा था, 
तथा धोबी के कहने पर ' सीता ' का ' परित्याग ' कर दिया था,  यह सर्व विदित है. 
शिव भक्त लंका पति ' रावण ' महाज्ञानी व ' विद्वान ' था 
स्वयं मर्यादा पुरुषोत्तम ' राम ' ने अपने भ्राता ' लक्ष्मण ' को 
मरणासन्न रावण से  ' सीख ' लेने की बात कही थी. 
अतः सब की अपनी पृथक सोच है इसलिए कुछ रावण में भी गुण देख लेते हैं 
और कुछ राम के चरित्र में भी दोष पा लेते हैं 

©️®️ डॉ.सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया.

जिस ' क्षण ' हमने ' मन वचन और कर्म ' से  ' सरस्वती ' ( विवेक वाणी ) और ' लक्ष्मी ' 
( ऐश्वर्य सम्पदा ) में ' संतुलन ' बनाना सीख लिया हमें  ' महाशक्ति ' बनने में कही बाधा नहीं होगी 


अपने अंतर ' मन ' में उठे ' सदविचार ' की ' आवाज़ ' सुन कर
किया गया ' सत्कर्म ' ही सर्वश्रेष्ठ सम्यक ' धर्म ' हैं
-------------
मन ही देवता, मन ही ईश्वर, मन से बड़ा न कोय,
मन उजियारा जब जब फैले, जग उजियारा होय.


------------
त्रिशक्ति : सम्यक दृष्टि : महा शक्ति : नैनीताल डेस्क : पृष्ठ : १ / २.
----------
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
नैना देवी डेस्क / नैनीताल. 
संस्थापना वर्ष : १९९८. महीना : जुलाई. दिवस : ४.
संपादन. 


' शक्ति ' रंजीता.
शक्ति : दर्शन


सिंहवाहिनी ' शक्ति '
नैना देवी : नैनीताल डेस्क
--------------
साभार : दृश्यम : विचार.पृष्ठ : १ / २ / १
----------
संपादन. ' शक्ति ' रंजीता.
 

राधा कृष्ण एक संग मनभावन जीवंत दर्शन



साध्वी : सारी दुनियाँ मिल भी गयी तो क्या है 
 

------------
शक्ति : नैना देवी : नैनीताल डेस्क : शब्द चित्र विचार : पृष्ठ : १/ २ /२ .
----------
संपादन.' शक्ति ' रंजीता.


मेरी ' आत्मशक्ति ' विचार धारा.


जिंदगी एक सफर है 



सम्यक ' साथ ' ' सोच  ' और कर्म 
 

' धैर्य ' वह गुण है जो तुम्हें ' स्थिर '  रखेगा 




जिसके होने से आपकी दुनियाँ खूबसूरत है


अच्छा या बुरा तो केवल भ्रम है


ईश्वर के हर फैसलें पर ख़ुश रहें


' हालात ' को ऐसे न होने दें.....कि आप ' हिम्मत ' हार जाएं...
--------------
त्रिशक्ति : सम्यक आचरण : महा सरस्वती : नर्मदा डेस्क : पृष्ठ : १ / ३ / ० .
----------------
प्रादुर्भाव वर्ष : १९८२.
नर्मदा डेस्क : जब्बलपुर.
संस्थापना वर्ष : १९८९. महीना : सितम्बर. दिवस : ९.
संपादन.


' शक्ति ' अनीता. जब्बलपुर

शारदा : श्वेतपद्मासना : दर्शन


-----------
त्रिशक्ति : सम्यक आचरण : दृश्यम विचार : नर्मदा डेस्क : पृष्ठ : १ / ३ /०.
----------
संपादन ' शक्ति ' अनीता. जब्बलपुर.


त्रिशक्तियां ' लक्ष्मी ' ,' शक्ति ' और ' सरस्वती '

तीन पिंडियों रूप में : वैष्णो देवी कटरा के दर्शन
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जया किशोरी : कृष्ण का सच :
' मैंने ' ही ' माखन ' खायो

जया किशोरी : कृष्ण जो सब को आकर्षित करे


जया किशोरी : दृश्यम : कृष्ण में क्या नहीं


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महा सरस्वती : शब्द चित्र : विचार : पृष्ठ : १ / ३ / १.
------------
संपादन ' शक्ति ' अनीता. जब्बलपुर

गौ पालक : मनमोहन की अति मनभावन छवि 


भोर भय गैयन के पीछे ' मधुबन ' मोहे पठायो.


ए ' जिंदगी ' गले लगा ले.

' शब्द ' कोष में मिलता नहीं ' अर्थ ' 
इंसान को ' इंसान ' समझने में ही ' असमर्थ ' 



जो प्रवेश द्वार  ' ईश्वर ' स्वयं ' खोलते ' हैं उसे कोई बंद नहीं कर सकता 


यकीन माने यदि जो ' चालाक ' बनकर दूसरों के ' दिल ' और ' जज़्बात ' के साथ खेलते हैं ,
 वो एक दिन वो खुद नियति का ' खिलौना ' बनकर रह जाते हैं.. 


' ख्वाहिशें ' सब की हैं कि ' रिश्तें ' सुधारें... 
पर चाहत सब की ये है कि ' शुरुआत ' उधर से हो 
हल तो यह है कि जिसने ' गलती ' की है ' पहल ' उसकी तरफ़ से हो 
और दूसरा उसका ' ह्रदय ' से स्वागत करे  


न्याय की मूर्ति और बंधी पट्टी 

सर्वविदित उस न्याय की मूर्ति की आँखों पर बंधी पट्टी का कही अर्थ यह  तो नहीं 
बिना सत्य  के परीक्षण किए किसी निर्दोष  को गैरों की झूठी गवाही पर 
 उसे कसूरबार ठहरा दिया गया हो, .....विचार करें   

' नेकनामी ', ' बदनामी ' 

जो अपनों के लिए ' जबाव देह ' हैं , कर्तव्य निष्ठ  हैं लोगों की ' उम्मीदें ', ' सफलता ', ' असफलता ' 
'  नेकनामी ', ' बदनामी ' सब उनके ही खाते में जमा होनी होती है 
' असफलता ',' बदनामी ' के डर से जीना छोड़ दे 
   तो फिर अपने ' सपनों ' का क्या होगा ? विचार करें 


हर जगह अपने ' सामर्थ्य ' का प्रदर्शन करना ' जरुरी ' नहीं होता है..
' मूर्खों ' की भीड़ में ' बुद्धिमानों ' का मौन रहना ही सही में समझदारी है। 

लिखें वही जिसके नीचे अपने हस्ताक्षर कर सकें, 
सोचें वही जो बेहिचक बोल सकें और बोलें वही जिसका जवाब सुन सकें.
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नव शक्ति.सम्यक संकल्प . शिमला डेस्क : : पृष्ठ : १ / ४ .
----------------
संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी . दिवस : ५
श्यामली : डेस्क : शिमला
शक्ति
संपादन
रेनू अनुभूति नीलम
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नव शक्ति : दिव्य दर्शन : पृष्ठ : १ / ४ / ०

मेरी गर्व पूर्ण आत्म ' शक्ति ' का दर्शन

नव शक्ति.सम्यक संकल्प. दृश्यम. शिमला डेस्क : पृष्ठ : १ / ४ / ०.


दर्शन मोर मुकुट धारी : राधा क्यूँ गोरी मैं क्यूँ काला
---------

नव शक्ति.सम्यक संकल्प . शब्द विचार पृष्ठ : १ / ४ / १ .

' समस्याओं ' के सामने झुकने के बजाय, हम उनके ' समाधान ' पर ध्यान देंगे।
समाधान की खोज में ही हमारी सच्ची ' सफलता ' और ' संतोष ' निहित है

रेनू शब्द मुखर 
जयपुर 


मुस्कुराहट भी एक ' ख़ुशी ' है ' लीजिए ' या ' दीजिए ' कुछ भी कम नहीं होगा


कभी-कभी आप बिना, कुछ ' गलत ' किये भी ' बुरे ' बन जाते हैं, क्योंकि जैसा लोग चाहते थे आप वैसा करते नहीं ....और आपकी ' सत्यता ' प्रमाणिक नहीं हो पाती है

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महा शक्ति.सम्यक कर्म. नैनीताल डेस्क : पृष्ठ : १ / ५.
--------------
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०.
संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी . दिवस : ६
नैनीताल डेस्क :
संपादन.


डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया.
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महाशक्ति : दृश्यम विचार : पृष्ठ : १ / ५ / ० .
-------------
डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया.

अच्युतम केशवं कृष्ण-दामोदरं
राम - नारायणम जानकी वल्लभं


कौन कहते है भगवान आते नहीं
तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं
रुक्मिणी : राधा : मोहन की गीता जैसी हो तुम

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महाशक्ति : शब्द चित्र विचार : पृष्ठ : १ / ५ / १ .
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संपादन.


डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया.


साझेदारी

यदि हो सके भगवन तो ' अपनों ' को मिले  ' सुख़ - दुःख ' में  उनके ' दुख ' में अकेले हमारी ' साझेदारी 'जरूर निश्चित रखना  उनके सुख के ' हिस्से दार ' तो अनेक होंगे... 
परन्तु उनके दुख में ' एकमात्र ' मैं ही रहूं.. 

डॉ. सुनीता मधुप शक्ति प्रिया 


मात्र ' अच्छाई '

हम ' स्वयं ' तथा अपनों के ' सर्वांगीण विकास ' के लिए  क्रमशः 
चेहरे, वाणी, ' वर्ताव ', ' सोच ' ,' समर्पण ' और ' कर्म ' सभी में अद्भुत सौंदर्य  देखते हैं   
बुराई के लिए तो हमने जगह ही सोची  नहीं है 


 आनंद, क्रोध और दुःख की अवस्था में 


सदैव याद रखें  जीवन के : ३ मंत्र :



जब भावनाएं ' गंगा ' जैसी ' शुद्ध ' हो और मन ' बद्री ' जैसा विशाल और पवित्र हो
तो ' राधा - मीरा ' जैसा ' प्रेम ' कभी ' अशुद्ध ' हो ही नहीं सकता


शिव शक्ति ' दृश्यम '
आदि ' शक्ति ' यदि ' शिव ' के साथ हो तो ' व्यक्ति ', ' परिवार',' समाज'
और समस्त ' जगत ' का ' कल्याण ' सिद्ध ही हैं.
©️®️ डॉ.सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया.


डॉ.आर. के. प्रसाद समर्थित. 
------------ सम्पादकीय : पृष्ठ :२ -------------
संस्थापिका.
मातृ शक्ति.


निर्मला सिन्हा.
१९४० - २०२३
-------------
संपादकीय शक्ति समूह. --------- प्रधान संपादिका. रेनू ' अनुभूति ' नीलम. नव शक्ति. श्यामली डेस्क. शिमला. संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी. दिवस : ५. ----------


---------
कार्यकारी सम्पादिका.


डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया
महाशक्ति डेस्क.नैनीताल
संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी. दिवस : ६
---------

सहायक कार्यकारी सम्पादिका.


सीमा वाणी अनीता कोलकोता डेस्क संस्थापना वर्ष : १९९९.महीना : जून. दिवस : २.
---------
विशेषांक संपादक


मानसी शालिनी कंचन
नैनीताल.
---------
स्थानीय संपादक


बीना मीना भारती
नैनीताल.
---------
वरिष्ठ सम्पादिका

डॉ. मीरा श्रीवास्तवा
पूना.
---------
अतिथि सम्पादिका


अंशिमा सिंह 
शिक्षाविद.
---------
संरक्षिका नेत्री.


 डॉ. भावना माधवी.
उज्जैन. महाकाल.

---------
संयोजिका
मीडिया हाउस.
वनिता. शिमला
---------
क़ानूनी संरक्षण.
' शक्ति '

सीमा कुमारी.
डिप्टी चीफ लीगल एड डिफेंस काउंसिल
विदिशा.
विधिवक्ता / नई दिल्ली.


डॉ. आर. के. प्रसाद. हड़्डी रोग विशेषज्ञ समर्थित 
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आकाश दीप :पद्य संग्रह :सम्पादकीय : प्रस्तुति. पृष्ठ : ३.
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शिमला डेस्क 
 संपादन. 


प्रधान सम्पादिका 
रेनू शब्द मुखर जयपुर 


लघु कविता.

प्रश्न था मन में यही कि कृष्ण तुम कहाँ रहे.



चिथड़े  उड़ते रहे और अस्मिता लुटती रही,
रक्तरंजित नैन उसके अधर पर भी खून था,
रो रही थी, मर रही थी कोई ना रक्षक वहां,
प्रश्न था मन में यही कि कृष्ण तुम कहाँ रहे ?

माँ बचाओ कह रही थी, चीखती चिग्घाड़ती,
क्या किया अपराध उसने कर रही पुकार थी,
दर्द से व्याकुल बदन था अग्नि जैसा तप रहा,
प्रश्न था मन में यही कि कृष्ण तुम कहाँ रहे ?

दानवों से थी घिरी, संवेदना से रिक्त थे जो,
नज़र में था दोष उनके मन से भी विक्षिप्त वो
वासना से थे भरे और जिस्म नापते रहे वो,
प्रश्न था मन में यही कि कृष्ण तुम कहाँ रहे?

प्रतीक्षा करती रही अहिल्या भी पाषाण सी,
 युगों- युगों से स्त्री की है अस्मिता लुटती रही,
राम बनके तारोगे या कृष्ण बनके आओगे,
प्रश्न था मन में यही कि कृष्ण तुम कहाँ रहे ?


शालिनी रॉय
नैनीताल डेस्क
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कृष्ण भजन

ज़रा कान्हा से जोड़ दो प्रीत डोरी 



डॉ. आर. के. दुबे. 
दिग्दर्शक / पत्रिका 


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क्षणिकाएं. पृष्ठ : ३.

रुक्मणी राधा के जीवन का
आधार तुम ही हो


राधा कृष्ण


बस जाओ मेरे मन मंदिर में
गोपाल बनो फिर ' गोकुल ' में
रुक्मणी ' राधा ' के जीवन का आधार तुम ही हो
जीवन नैया मीरा के पतवार तुम ही हो
द्वारिका, हस्तिनापुर, कुरुक्षेत्र छोड़
कर वृन्दावन में आन बसो तुम
जी लेंगे ' रुक्मणि ' सखी ' द्रौपदी ' के संग
छोड़ प्रेम बरसाने की गलियाँ
किस महाभारत के चक्रव्यूह में
फंस गए किशन कन्हैया , तुम


डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया.
नैनीताल डेस्क
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सीपिकाएँ 

हे माधव ! तुम्हें फिर से आना ही होगा



हे कृष्ण ! तुमको आना ही होगा,
धरा पे फिर से धर्म जगाना ही होगा
जग में फैले आतंक और अत्याचार से हमें अब तो बचाना ही होगा.
द्रोपदी का चीर फिर से लुट रहा है,
उसकी पुकार सुन लाज बचानी ही होगी,
हे केशव ! तुम्हें फिर से आना ही होगा.
कलियुग के कंस ,शकुनि और दुर्योधन
हर कोने में छिपे हैं घात लगाए हुए,
तुम्हें फिर से अपने सुदर्शन चक्र से,
इन अधर्मियों को मिटा कर अधर्म का अंत तुमको करना ही होगा.
रक्त में डूब रही है धरती हमारी ,
धर्म की स्थापना फिर से है करने आना ही होगा.
हे माधव ! समय आ गया है अब,
तुम्हें फिर से जग में अवतरित होना ही होगा.
गीता का संदेश फिर से सुना,
अधर्मियों को धर्म का पाठ पढ़ाना होगा.
हे गोविंद ! ये युग फिर से तुमको पुकार रहा,
तुम्हारे चरणों में धरती का उद्धार मांग रहा,  
आकर इस धरती पर अंधकार को मिटाना होगा.
तुम्हें फिर से इस संसार को रोशन करना ही होगा..
हे जनार्दन !तुमको आना ही होगा.....

रेनू शब्द मुखर.

जयपुर.
 
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पहली लघु कविता.
राधे कृष्ण
कृष्ण सीप,राधा मोती.
 


 
कृष्ण दीप,राधा ज्योति. कृष्ण सीप,राधा मोती.
कृष्ण तीर,राधा धारा.कृष्ण व्योम,राधा वारा.
कृष्ण फुल, राधा गंध,कृष्ण चाल,  राधा छंद.
कृष्ण वृक्ष, राधा पान, कृष्ण गान, राधा तान.
कृष्ण नेत्र, राधा आसूं, कृष्ण ओठ, राधा हासू.
कृष्ण अर्थ, राधा बोल,कृष्ण चाल,राधा तोल.
कृष्ण देह,राधा बाहू, कृष्ण राई राधा कूऽहू.
 कृष्ण भाल. राधा बिंदी. कृष्ण हाथ राधा मेंहदी.


रंजना. 

स्वतंत्र लेखिका.हिंदुस्तान. 
नई दिल्ली 
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दूसरी  लघु कविता.

राधिका मुरलीधर.   




कान्हा : फोटो : रंजना 


मुरलीधर की बांसुरी सुन रही है तान
घर से निकली राधिका, छोड़ साज  समान. 
 प्रेम राज में गा रहे हैं, पंछी सारे गीत
ताल नदी बन वाटिका, सब कान्हा के मीत.


राधा : फोटो : रंजना 

 
 मुख माखन निपटा दिखे गोपी पड़े कान
बाल रूप में सज रहे कैसे श्री भगवान.
बातों से रस घोलते वो  गिरधर गोपाल
प्रेम पाश  में गोपियों घूम-घूम ते ताल.  
वृंदावन में प्रेम से गइया रहे चराय 
हाथों में बंसी लिए, मोहन रहे लुभाय. 
 

रंजना 
स्वतंत्र लेखिका.हिंदुस्तान. 
नई दिल्ली 
 -------- दरस दिखा दो, कन्हैया. 

फोटो : साभार 

फिर वही पायलिया,
वही मुरलिया,
ग्वालों संग लिए लकुटी कमलिया,
वृंदावन की गलियों में वंशी बजैया,
राधा, गोपी, ग्वाल संग में गईया,
 दरस दिखा दो मुझे भी हे कन्हैया।
मोह निद्रा से जगा दो,
अज्ञान सारा दूर भगा दो।
एक बार मोहनी सुरतिया की,
झलक दिखला जाओ मोहन।
दिल की गलियों ऐसे गुजर जाओ,
कि बस नज़रें निहारती रह रह जाएं।

नीलम पांडेय.
प्रधान सम्पादिका
वाराणसी.

शिव लोक : हॉस्पिटल : बिहार शरीफ : नालन्दा : डॉ. बृज भूषण सिन्हा समर्थित 
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  कृष्ण जीवन दर्शन
 : राधिका : कृष्ण : रुक्मिणी : मीरा : सम्पादकीय : प्रस्तुति. पृष्ठ : ४.
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दृश्यम संपादन.


कार्यकारी सम्पादिका 
डॉ.सुनीता रंजीता प्रिया. 
नैनीताल डेस्क .
--------
मथुरा वृन्दावन : राधिका :बरसाने डेस्क :लघु फिल्म : पृष्ठ : ४ /०
-----------
संपादन

अनु ' राधा '
नैनीताल

साभार : सोनाली : जब जब बजाय मोहन मुरलिया


लघु फिल्म : श्यामा आन बसो वृंदावन में


दृश्यम : जय श्री ' कृष्णा ' बोलो जय ' राधे '.



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अग्निसुता द्रौपदी कृष्ण : शक्ति : सखी मैत्री डेस्क : हस्तिनापुर : पृष्ठ : ४ /१  
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अग्निसुता द्रौपदी कृष्ण : शक्ति : सखी डेस्क :
 हस्तिनापुर इंद्रप्रस्थ डेस्क


संपादन.
सुमन : नई दिल्ली

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अग्निसुता द्रौपदी कृष्ण : दृश्यम : विचार : पृष्ठ :  ४ /१ / १ .
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हस्तिनापुर इंद्रप्रस्थ डेस्क
संपादन सुमन : नई दिल्ली


  ' शक्ति ' सुमन / नई दिल्ली


दृश्यम : विचार :

माधव : द्रौपदी : नारी सम्मान की रक्षा


मेरी मित्रता पर विश्वास रखो सखी


मुझे जब भी ' सहायता ' की ' आवश्यकता ' होती 
आप उपस्थित हो जाते है : गोविन्द 


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अग्निसुता द्रौपदी कृष्ण : विचार : पृष्ठ : ४ / १ / २ .
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संपादन 
  ' शक्ति ' सुमन / नई दिल्ली

कृष्ण : द्रौपदी संवाद

जिसके सखी ' गोविन्द ' हो। दिव्य ' संरक्षण ' मिलता ही रहेगा तो भय कैसा 
मेरे भीतर की दृढ़ ' आत्म शक्तियां '  ' भ्रष्ट् आचरण ' के ख़िलाफ़ निरंतर ' अथक प्रहार ' करती ही रहेंगी 

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कृष्ण : अर्जुन संवाद : कुरुक्षेत्र : विचार : पृष्ठ : ४ / २
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कृष्ण अर्जुन : कुरुक्षेत्र डेस्क
हस्तिनापुर :
संपादन.


शक्ति. सुदीप्ता. कोलकोता
माधव : भूत और भविष्य की चिंता करना व्यर्थ है, पार्थ ! वर्तमान ही सत्य है इसलिए
वर्तमान में सम्यक कर्म के साथ सम्यक जीवन की चेष्टा करनी चाहिए

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कृष्ण : अर्जुन संवाद : कुरुक्षेत्र : दृश्यम : पृष्ठ :  ४ / २ / ०
-------------
संपादन.
शक्ति. सुदीप्ता. कोलकोता.

अर्जुन : माधव सफल जीवन क्या होता है

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कृष्ण : महाभारत : कुरुक्षेत्र : विचार : पृष्ठ :  ४ / ३ .
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कौरव पांडव डेस्क
हस्तिनापुर :
संपादन

शक्ति. वाणी कोलकोता
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कृष्ण : महाभारत : कुरुक्षेत्र : दृश्यम : विचार : पृष्ठ : ४ / ३ /०
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सम्पादन शक्ति. वाणी कोलकोता

दृश्यम : कृष्ण : शिशुपाल : सहन ' शक्ति '


तुम्हें मृत्यु का भय नहीं हैं न अश्वत्थामा

अधर्म और छल  कृष्ण : शकुनि : संवाद


यदि ' अधर्म ' का नाश ' छल ' है तो ' छल ' ही ' धर्म ' है :

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कृष्ण राधिका : रुक्मिणी : द्वारिका डेस्क : दृश्यम : पृष्ठ : ४ / ४ / .
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संपादन.


डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया.
नैनीताल.

भजन 

श्री रुक्मणि राधे राधे श्री सत्यभामा राधे राधे



मोहिनी राधा : बांसुरी : मुग्ध रुक्मिणी 


राधा रुक्मिणी रुक्मिणी राधा
एक स्वरुप है आधा आधा


साभार : कुमार विश्वास : कवि : शॉर्ट रील


कृष्ण अकेले पुण्य पुरुष जिन्हें दो युगों में दो
शक्तियों ने प्रेम किया


साध्वी : कृष्ण को सही अर्थों में जाने

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कृष्ण : मीरा : डेस्क : विचार : पृष्ठ : ४ / ५ / .
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संपादन.


शक्ति. मीना सिंह
मुक्तेश्वर. नैनीताल. 


मीना सिंह : निर्मित शॉर्ट रील ' हरि ' प्यार रहे

दृश्यम : मीरा के प्रभु गिरधर नागर

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तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : सम्पादकीय : प्रस्तुति. पृष्ठ : ५ .
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संपादन.


प्रधान सम्पादिका
नीलम पांडेय.
 वाराणसी.

धर्म,नारी सम्मान व सत्य की रक्षार्थ अवतरित हुए भगवन श्रीकृष्ण
सम्पादकीय : आलेख : नीलम पाण्डेय.

आज की प्रातः कालीन सभा में पहली कक्षा के एक बालक ने जो की कान्हा बन के आया था जब ये कहा कि ..."मैं कान्हा हूं। मेरे कई रूप हैं। मैं कभी माखन चोर बन जाता हूं तो कभी ग्वाला बनाकर गाय चराता हूं।तो कभी उंगली पर पर्वत उठाकर लोगों की रक्षा करता हूं। जब-जब इस धरती पर धर्म का नाश होगा तब तब मैं इस धरती पर अनेक रूपों में जन्म लेता रहूंगा ।" मैं आवाक उसका मुंह ताकती रही। ये है कृष्ण का विलक्षण व्यक्तित्व जिसे हर धर्म , समाज यहां तक की विश्व में अधिकांश जानते हैं। उन्हें वह अपना लगता है क्योंकि श्री कृष्ण का जीवन समाज के हर तबके के लोगों के जीवन में कहीं ना कहीं घुला मिला हुआ है। जीवन-दर्शन के पुरोधा श्रीकृष्ण : जीवन-दर्शन के पुरोधा बनकर आए थे। एक ऐसा महामानव जिसके जीवन के अथ से इति तक का पूरा सफर पुरुषार्थ की प्रेरणा है। उन्होंने उस समाज में आंखें खोलीं जब निरंकुश शक्ति के नशे में चूर सत्ता मानव से दानव बन बैठी थी। सत्ता को कोई चुनौती न दे सके इसलिए दुधमुंहे बच्चे मार दिए जाते थे।
खुद श्रीकृष्ण के जन्म की कथा भी ऐसी है। वे जीवित रह सकें इसलिए जन्मते ही माता-पिता की आंखों से दूर कर दिए गए। उस समय के डर से जमे हुए समाज में बालक श्रीकृष्ण ने संवेदना, संघर्ष, प्रतिक्रिया और विरोध के प्राण फूंके।
महाभारत का युद्ध तो लगातार चलने वाली लड़ाई का चरम था जिसे श्रीकृष्ण ने जन्मते ही शुरू कर दिया था। हर युग का समाज हमारे सामने कुछ सवाल रखता है। श्रीकृष्ण ने उन्हीं सवालों के जवाब दिए और तारनहार बने। आज भी लगभग वही सवाल हमारे सामने मुंह बाए खड़े हैं। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि श्रीकृष्ण के चकाचौंध करने वाले वंदनीय पक्ष की जगह अनुकरणीय पक्ष की ओर ध्यान दिया जाए ताकि फिर इन्हीं जटिलता के चक्रव्यूह से समाज को निकाला जा सके।
उनका संपूर्ण व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व धार्मिक इतिहास का एक अमिट आलेख बन चुका है। उनकी संतुलित एवं समरसता की भावना ने उन्हें अनपढ़ ग्वालों, समाज के निचले दर्जे पर रहने वाले लोगों, उपेक्षा के शिकार विकलांगों का प्रिय बनाया। श्रीकृष्ण का चरित्र : श्रीकृष्ण का चरित्र अत्यंत दिव्य है। हर कोई उनकी ओर खिंचा चला जाता है। जो सबको अपनी ओर आकर्षित करे, भक्ति का मार्ग प्रशस्त करे, भक्तों के पाप दूर करे, वही श्रीकृष्ण है। वह एक ऐसा आदर्श चरित्र है जो अर्जुन की मानसिक व्यथा का निदान करते समय एक मनोवैज्ञानिक, कंस जैसे असुर का संहार करते हुए एक धर्मावतार, स्वार्थ पोषित राजनीति का प्रतिकार करते हुए एक आदर्श राजनीतिज्ञ, विश्व मोहिनी बंसी बजैया के रूप में सर्वश्रेष्ठ संगीतज्ञ, बृजवासियों के समक्ष प्रेमावतार, सुदामा के समक्ष एक आदर्श मित्र, सुदर्शन चक्रधारी के रूप में एक योद्धा व सामाजिक क्रान्ति के प्रणेता हैं। उनके जीवन की छोटी से छोटी घटना से यह सिद्ध होता है कि वे सर्वैश्वर्य सम्पन्न थे। धर्म की साक्षात मूर्ति थे। सामाजिक समता का प्रतीक श्रीकृष्ण जन्मोत्सव :
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव सामाजिक समता का उदाहरण है। उन्होंने नगर में जन्म लिया और गांव में खेलते हुए उनका बचपन व्यतीत हुआ। इस प्रकार उनका चरित्र गांव व नगर की संस्कृति को जोड़ता है, गरीब को अमीर से जोड़ता है, गो चारक से गीता उपदेशक होना, दुष्ट कंस को मारकर महाराज उग्रसेन को उनका राज्य लौटाना, धनी घराने का होकर गरीब ग्वाल बाल एवं गोपियों के घर जाकर माखन खाना आदि जो लीलाएं हैं ये सब एक सफल राष्ट्रीय महामानव होने के उदाहरण हैं। कोई भी साधारण मानव श्रीकृष्ण की तरह समाज की प्रत्येक स्थिति को छूकर, सबका प्रिय होकर राष्ट्रोद्धारक बन सकता है। कंस के वीर राक्षसों को पल में मारने वाला अपने प्रिय ग्वालों से पिट जाता है, खेल में हार जाता है। यही है दिव्य प्रेम की स्थापना का उदाहरण। भगवान श्रीकृष्ण की यही लीलाएं सामाजिक समरसता एवं राष्ट्रप्रियता का प्रेरक मानदण्ड हैं।
श्रीकृष्ण में नृत्य है, गीत है, प्रीति है, समर्पण है : अध्यात्म के विराट आकाश में श्रीकृष्ण ही अकेले ऐसे व्यक्ति हैं जो धर्म की परम गहराइयों व ऊंचाइयों पर जाकर भी न तो गंभीर दिखाई देते हैं और न ही उदासीन दीख पड़ते हैं, अपितु पूर्ण रूप से जीवनी शक्ति से भरपूर व्यक्तित्व हैं। श्रीकृष्ण के चरित्र में नृत्य है, गीत है, प्रीति है, समर्पण है, हास्य है, रास है, और है आवश्यकता पड़ने पर युद्ध को भी स्वीकार कर लेने की मानसिकता।
धर्म, नारी सम्मान व सत्य की रक्षा के लिए अवतरित हुए भगवन : धर्म व सत्य की रक्षा के लिए महायुद्ध का उद्घोष है। एक हाथ में बांसुरी और दूसरे हाथ में सुदर्शन चक्र लेकर महाइतिहास रचने वाला कोई अन्य व्यक्तित्व नहीं हुआ संसार में। श्रीकृष्ण के चरित्र में कहीं किसी प्रकार का निषेध नहीं है, जीवन के प्रत्येक पल को, प्रत्येक पदार्थ को, प्रत्येक घटना को समग्रता के साथ स्वीकार करने का भाव है। वे प्रेम करते हैं तो पूर्ण रूप से उसमें डूब जाते हैं, मित्रता करते हैं तो उसमें भी पूर्ण निष्ठावान रहते हैं, और जब युद्ध स्वीकार करते हैं तो उसमें भी पूर्ण स्वीकृति होती है। जय श्री कृष्ण

स्तंभ संपादन
शक्ति डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया
पृष्ठ सज्जा : शक्ति सीमा अनीता

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सम्पादकीय आलेख : कृष्ण विशेष : ५ / २.
त्रेता में राम और द्वापर में श्री कृष्ण
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी में याद आ गयी अपनी माँ

सम्पादकीय : आलेख : डॉ सुनीता मधुप.

आज जन्माष्टमी है। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के उत्सव का दिन। जन्माष्टमी की हमारी भी कुछ यादें हैं जो भूले नहीं भूलती हैं। अपनी माँ याद आ जाती है। इस दुनियाँ से प्रस्थित होते हुए भी हमारी फिक्र करती रही। चिंतित रही कैसे मैं जीवन यापन कर पाऊंगा ? दिन भर पूरी दुनियाँ से मेरी शिकायत ही सुनती रही और भोले भाव मिले रघुराई में मैं यहीं सोचता रहा या तो दुनियाँ मुझे नहीं समझ पायी या मैंने दुनियाँ को भली भाँति समझते हुए ....दुनियाँ की रीत समझ नहीं पाया।
वो जन्माष्टमी के दिन। मध्य रात्रि बारह बजने का इंतजार करना। तब मंदिर में घड़ी घण्ट घड़ियाल बजते रहते थे। गोविंदा आला रे आला का संगीत भी बजता रहता था। कुछ भी भूले नहीं हैं हम ....
शक्ति की उपासना के साथ साथ मेरे आराध्य देव भगवान श्रीकृष्ण ही रहें हैं जिनके सिद्धांत,दर्शन, कर्म का मैं सौ फ़ीसदी अनुयायी रहा हूँ।
यदि पौराणिक तथ्यों को माने तो माधव, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म ३११२ ईसा पूर्व में मथुरा में हुआ था। श्रीमद भागवत के वर्णन अनुसार द्वापरयुग में भोजवंशी राजा उग्रसेन मथुरा में राज करते थे। उनका एक आततायी पुत्र कंस था और उसकी एक बहन देवकी थी। कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था। वे माता देवकी और पिता वासुदेव की ८ वीं संतान थे।
चार युगों : हिंदू धर्म में मुख्य रूप से चार युगों का उल्लेख मिलता है। सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलियुग। धर्म शास्त्रों के जानकार कहते हैं कि सतयुग में भगवान विष्णु के चार अवतार आए थे। इसके बाद त्रेता में राम और द्वापर में श्री कृष्ण का जन्म हुआ।
हालांकि उनका बचपन वृंदावन, बरसाना, नंदगांव, गोकुल और द्वारका आदि जगहों पर बीता। बताया जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद श्रीकृष्ण ने द्वारका पर ३६ वर्षों तक राज किया, जिसके बाद उन्होंने अपना देह त्याग दिया था। उस समय उनकी आयु १२५ वर्ष थी।
कृष्ण के जन्मोत्सव पर माँ याद आ गयी। भगवन भादो कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में जन्मे थे।


योगी राज श्री कृष्ण मेरे प्रिय क्यों हैं : गतांक से आगे : १.
 
सूरज ढल चुका था। अँधेरा  कायम होने लगा था। बस वापसी के लिए लौट रही थी। हँसी, मजाक अंताक्षरी चल रही थी। हम सब लोग आनंदित थे और ऐसे खुशियों के पल विरले ही मिलते हैं जब मन और मस्तिष्क भय रहित हो। और हम सभी खुल के हँस सके।    
उसी घर वापसी के सिलसिले में जब से ' शक्ति ' विशेष  ने किसी प्रसंग में हंसी वश ही यह कह दिया कि ' ये हमारे बीच के कृष्ण है ' ......
वाक्य कही गयी थी .....कभी ये नाम मेरे लिए कहा गया ...तभी से कृष्ण के जीवन दर्शन, कर्म उनकी कूटनीति उनका मैत्री धर्म पर शोध करने का मेरा मन बनता गया। लेकिन कही न कही हास परिहास में भी गंभीरता थी । हमारे मध्य कहीं न कहीं  शिशु पाल जैसे लोगों का चरित्र भी वर्तमान होता ही है । शोध अभी भी जारी ही हैं। अपने भीतर दिव्य चरित्र को जीना ही एक कठिनतम कार्य है। सत्य है कि उस दिव्य चरित्र के पैरों की धूलि के बराबर भी नहीं होते हैं। 
प्रश्न है हरि ही ' श्रीकृष्ण ' है और हरि के अवतार द्वापर युग में जन्मे श्री कृष्ण मेरे प्रिय क्यों हैं ? सर्व प्रथम हमने सुना है ,जाना है श्रीकृष्ण एक समपूर्ण कला वाले पुरुष थे। योगी श्री कृष्ण ने मानव जीवन में आदर्श वाद से ज्यादा उन्होंने व्यवहार वाद को अधिक प्राथमिकता दी। कर्म को ही धर्म माना बिना फल प्रतिफल की चिंता किए हुए कर्म करते रहने की सलाह दी । उन्होंने दुष्टों ,खलों को मर्यादा में रखने के लिए समाज की मर्यादायें  भी तोड़ी। दुष्टों के लिए किये गए छल को धर्म माना।   
पार्थ : अर्जुन के ' सारथी ' पथ प्रदर्शक सम्पूर्ण संसार को गीता का ' ज्ञान ' देकर कर्म के ' कर्तव्यपथ ' से विचलित न होने की निरंतर प्रेरणा दी। भौतिक सांसारिक प्रेम मोह में फसतें देख कर अर्जुन को आत्मा के अजर अमर होने के रहस्य की बात  भी उजागर की । 
उलेल्खनीयतः धर्म एवं ' मर्यादा ' की रक्षा हेतु वगैर शस्त्र उठाये ' महाभारत ' युद्ध में  वे विजय के महानायक सिद्ध हुए अधर्म के विरुद्ध धर्म के राज्य की संस्थापना में पांडवों की यथेष्ठ सहायता भी दी।
राधा ' के साथ निश्छल निःस्वार्थ ,आध्यात्मिक  प्रेम , आजीवन ' सुदामा ' के साथ निभाई गयी मित्रता '  एवं भ्राता 'शिशुपाल ' के लिए असीम धैर्य रखने... ९९ गलतियों को क्षमा करने  की सहनशक्ति रखने वाले एकमात्र कृष्ण ही हो सकें। अन्य कोई और नहीं। 
सामाजिक परम्पराओं के विपरीत नरकासुर का वध करके बंदी १६ हज़ार नारियों को अपने नाम दे कर उन्हें  समाज में सम्मान के साथ जीने देने का सामर्थ्य प्रदान करने वाले भी भगवान श्री कृष्ण में ही थे । जब उन बंदियों के समक्ष कारागार से निकलने के उपरांत सम्मान पूर्वक जीने का प्रश्न आया तब जगन्नाथ ने ही उनके लिए सहारे हेतू हाथ बढ़ाया। जब अग्नि परीक्षा देने के बाद भी सीता पर लांक्षण आया तो सामाजिक व्यवस्था और परिवेश को भी आप समझ सकते है। 
कौरवों की भरी सभा में शकुनि,दुर्योधन के प्रपंच वश, जुए में हारे , चीर हरण करते दुःशासन से  सखी ' पांचाली ' के मान सम्मान के रक्षण  का आदर्श प्रस्तुत करनेवाले, अनेक अद्भुत चमत्कारी , गोवर्धनधारी जगतपालनहार ' हरि ' के अवतार ही है प्रभु श्रीकृष्ण.....  

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क्या सत्य के लिए मौन  रहना उचित है  ..? गतांक से आगे : २  
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चीर हरण : द्रौपदी : सखी : और माधव 

डॉ. सुनीता मधुप शक्ति प्रिया .  

कृष्ण अग्नि सुता द्रौपदी को प्यार से सखी कहते थे। उनकी सहायता के लिए सदैव प्रयत्न शील व वर्तमान रहते थे। पांचाली का भी कृष्ण से असीम स्नेह था। अक्षय पात्र के सन्दर्भ में दुर्वासा ऋषि के कोप से भगवन ने उनकी यथेष्ठ मदद की थी। इसलिए जब भी यज्ञ सेनी दुविधा और संकट में रही उन्होंने कृष्ण को सदैव स्मृर्त्त किया। सत्य तो यह है कि वो आए भी। 
अतः हम देखते है जब कभी आपको ईश्वर पर अटूट विश्वास होगा,तो किसी भी संकट के मध्य आपकी मौन प्रार्थना सुनी जाएगी, बशर्ते आपके विचार नैतिक रूप से सत्य हों।
चाहे कुछ भी हो जाए, हमें किसी संकट के कारण अपने नैतिक विचार को बदलने के लिए मजबूर नहीं होना चाहिए। जब ​​हम असहाय दिख रहें हों, तो हमें ईश्वर पर भरोसा करना चाहिए और उसके समयानुकूल हस्तक्षेप की प्रतीक्षा अवश्य करनी चाहिए।
प्रत्यक्ष है सुदर्शन चक्र की वजह से रक्तरंजित हुई स्वयं माधव की ऊंगलियों को  द्रौपदी ने अपने चीर के टुकड़ें से बांध कर रक्षित किया था। प्रतिफल में जिस प्यार भरे रख रखाव, स्नेहिल सम्बन्ध की रक्षां मधुसूदन ने कौरवों की सभा में की थी।   
कौरवों की भरी सभा में शकुनि,दुर्योधन के प्रपंच वश, जुए में हारे , चीर हरण करते दुःशासन से  सखी 'पांचाली ' के मान सम्मान के रक्षण  का आदर्श प्रस्तुत करनेवाले, अनेक अद्भुत चमत्कारी , गोवर्धनधारी जगतपालनहार ' हरि ' के अवतार ही है प्रभु श्रीकृष्ण..... 
उस दिन भी आकाश में अपनी दिनचर्या के लिए सूरज अपनी वैसी ही ऊर्जा व शक्ति के साथ अभ्युदित हुआ था । दोपहर होते होते अकस्मात कहीं से असत्य के घने बादल आ जाते है । अपरीक्षित सत्य को अपने घेरे में लेने की भरसक कोशिश भी करते हैं। तत्क्षण सफल भी हो जाते हैं । कुछ पल के बाद सूरज के गोले में ध्यान पूर्वक देखने से कुछ काले धब्बें नजर भी आने  लगते है.. अंतर मन पूछता है अपनी आत्म शक्ति से इस प्रकाश युक्त गोले में काले अंधेरें क्यों ...? यह कैसे हुआ...बताएं ...?  
पांचाली 
तभी इससे हटकर अकस्मात महाभारत का प्रसंग भी याद आ जाता है , कौरवों की भरी सभा में पांचाली की लाज की रक्षा करने वाले  माधव भी अच्छी तरह से जान रहे थे कि दुर्योधन और दुःशासन के कुकृत्य के विरुद्ध , धृतराष्ट्र , संजय , गुरु द्रोण , और भीष्म पितामह की अंतर वेदना क्या हैं ? लेकिन वो मौन रहें। 
आप ( त्रिशक्तियाँ ) बताएं क्या वो मौन उचित था ? क्या संसार के सत्य की मर्यादा के लिए शब्दों की उद्घोषणाएं होनी चाहिए थी ..या नहीं..? खड्ग उठने चाहिए थे या नहीं ? अपने भीतर की आत्म शक्तियां कहती है..शब्द होने चाहिए थे। स्वयं का विरोध दर्ज होना ही चाहिए था। 
पांचाली के रक्षक थे माधव । योगी राज कृष्ण सदैव धर्म और सत्य के साथ ही अकेले ही खड़े रहें।  पांचाली उन्हें ह्रदय से अत्यंत स्नेह करती थी।  इसलिए उन्हें प्यार से सखि कहती थी। 
आत्म शक्तियां त्रिशक्तियाँ ) जानती है  कुछ पल के लिए असत्य के घने अंधियारे में सत्य  का सूरज ढक भी जाता है ...लेकिन सूरज अंततः उस ऊर्जा के साथ आकाश में उग आता है । ...

स्तंभ सज्जा : संपादन
शक्ति : सीमा रंजीता अनीता

नैनीताल डेस्क
क्रमशः जारी
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राधिका कृष्ण : मीरा : भक्ति : ये मेरा गीत जीवन संगीत : पृष्ठ : ६.
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संपादन

डॉ. सुनीता रंजीता मीना 
नैनीताल डेस्क 
शीर्षक संगीत
मेरी पसंद.
राधिका कृष्ण महाशक्ति. त्रिशक्ति. नव शक्ति. महाशक्ति.
फिल्म :लगान. २००१.
सितारे : आमिर खान. ग्रेसी सिंह.
गाना : मधुबन में जो कन्हैया किसी गोपी से मिले
राधा कैसे न जले

गीत : जावेद अख़्तर. संगीत : ए आर रहमान. गायक : उदित नारायण. आशा भोसले.
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं


फ़िल्म : जॉनी मेरा नाम.१९७०
सितारे : देव आनंद. हेमा मालिनी.
गाना : गोविन्द बोलो हरि गोपाल बोलो
राधा रमण हरि गोपाल बोलो.


गीत : इंदीवर संगीत : कल्याण जी आनंद जी. गायक : लता.
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं

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मीरा : राधिका कृष्ण : जीवन दर्शन : फ़िल्मी कोलाज़ : पृष्ठ : ७ .
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संपादन
नैनीताल डेस्क


सहायक सम्पादिका
शक्ति. सीमा रंजीता अनीता.

गोपियाँ तारें है चाँद है राधा.फिर क्यूँ है उसको विश्वास आधा : कोलाज : डॉ.सुनीता रंजीता प्रिया 


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आपने कहा : दिवस : त्यौहार : विशेष :पृष्ठ : ८ .
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संपादन


डॉ.सुनीता स्मिता वनिता.
शिमला डेस्क.


 ' शक्ति ' दिवस २,  मूलांक भी २ के लिए  ' शिव ' की 
आराधना के प्रतीक ' सोमवती अमावस्या ' एवं सोमवार की 
हार्दिक शुभकामनाएं ओम नमो शिवाय 



जन्माष्टमी : माधव का जन्म : झांकी : पृष्ठ : १३ / ० .


वासुदेव का गोकुल जाना 

यशोदा माधव को झूला झुलाते हुए : झांकी : पृष्ठ : ८ / ०.


जन्माष्टमी : दही हांडी की शुभकामनाएं


२९.८.२०२४. राष्ट्रीय खेल दिवस : ध्यानचंद जयंती 



जन्माष्टमी : की अनंत शुभकामनाएं.

मीडिया के एकीकृत
' हम ' शक्ति ' बहनों ' तथा उनके समस्त परिवार की तरफ़ से
भगवन श्री कृष्ण के जन्मोत्सव : जन्माष्टमी : की अनंत शुभकामनाएं.
शक्ति सम्पादिका समूह.
डॉ. सुनीता.रंजीता.प्रिया. रेनू. अनुभूति. नीलम.सीमा.अनीता. वनिता.
तथा अन्य
मीना. भारती. शालिनी. मानसी. कंचन.

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आपने कहा : पृष्ठ : ८ / १ .
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दया जोशी.

सम्पादिका. वेव पत्रिका. केदार दर्शन.
नैनीताल

सहमति अनुमति पत्र 

आप सभी को मेरा सादर प्रणाम ग्रुप में जोड़ने के लिए साधुवाद मैं दया जोशी, पत्रकार, हल्द्वानी जिला नैनीताल ( उत्तराखंड ) समाचार संपादक
, श्री केदार दर्शन.नेट, वेब पोर्टल दैनिक भास्कर, कुमाऊं ब्यूरो, दैनिक प्रधान टाइम्स,

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राधिका कृष्ण : ये कौन चित्रकार है : कला दीर्घा : ९
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संपादन.


शक्ति : अनुभूति रंजीता.
शिमला डेस्क.

कृष्ण की हर बात का आधार है राधा : कलाकृति : कर्नल सतीश कुमार सिन्हा. हैदराबाद.

यशोदा का नन्द लाला सब का दुलारा है : स्केच : अज्ञात : सम्पादन : सीमा अनीता : कोलकोता 

राधिका  कृष्ण : आदि है कृष्ण अनंत है राधे : कला : अज्ञात : संपादन : शक्ति अनुभूति रंजीता.

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आपने कहा : दिवस : त्यौहार : विशेष : पृष्ठ : ८ .
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दृश्य माध्यम : लघु फिल्में राधिका कृष्ण : पृष्ठ : १०
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वृन्दावन मथुरा : डेस्क.
संपादन.

' शक्ति ' जया सोलंकी
जोधपुर.

शॉर्ट रील : राधे कृष्ण की जोत अलौकिक
तीनों लोक में छाए रही हैं

फिल्म : लघु फिल्म : विवाह
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कान्हा आन बसो वृन्दावन में
मेरी उमर गुजर गयी गोकुल में


लघु फिल्म : हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे
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समाचार : चित्र : विशेष : दृश्य माध्यम : न्यूज शॉर्ट रील : पृष्ठ : ११.
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सम्पादिका.


रंजना.
स्वतंत्र लेखिका : हिंदुस्तान
नई दिल्ली.
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संक्षिप्त समाचार : कृष्ण विशेष : आस पास : देश : विदेश पृष्ठ : ११ / ०.
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संपादन.

रश्मि. कोलकोता डेस्क
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संस्कृति / स. समाचार / उत्तराखण्ड : पृष्ठ : ११ /० / ०.


उधम सिंह नगर.श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव के तीन दिवसीय विराट धर्म सम्मेलन

गढीनेगी : उधम सिंह नगर. संवाद सूत्र । श्री हरि कृपा पीठाधीश्वर, युगदृष्टा, प्रेमावतार श्री श्री १००८ स्वामी श्री हरि चैतन्य पुरी जी महाराज ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव के तीन दिवसीय विराट धर्म सम्मेलन में श्री हरि कृपा धाम आश्रम में भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि महापुरुषों, संतों, गुरुओं व अवतारों की जयंती मनाना तभी पूर्णरूपेण सार्थक है जब उनसे प्राप्त शिक्षाओं, प्रेरणाओं व उपदेशों को अपने जीवन में उतारकर कल्याण पथ पर अग्रसर हो सकें।
मात्र अपनी कमियाँ छुपाने की ढाल ही ना बनाएँ। महापुरुषों, शास्त्रों व अवतारों को परमात्मा श्रीकृष्ण मात्र मक्खन या चित चोर ही नहीं ‘अनेक जन्मार्जित पाप चोरम’ अनेक जन्मों के अर्जित पापों को चुरा लेते हैं जैसे ही जीव शरणागत होता है।
जैसे श्रीराम कहते हैं ‘ सन्मुख होइ जीव मोहे जबहि, जन्म कोटि अघ नासहीं तबही ' उन्होंने माखन चोरी, चीर हरण, अनेक रानी-पटरानी होते हुए भी योगीराज होने इत्यादि के सूक्ष्म रहस्य समझाकर लोगों द्वारा की जाने वाली शंका का पूर्ण विज्ञान सम्मत समाधान किया।
श्रीमद्भागवत गर्ग संहिता व महाभारत में से अनेक प्रसंग श्रीकृष्ण लीला के सुनाकर भक्तों को भाव विभोर व मंत्रमुग्ध करा दिया। अन्य भक्ति गीत नित्य महाराज जी ने प्रेम से गाकर सभी को भाव विभोर कर दिया। भाव विभोर होकर लोग नृत्य करने लगे।
विश्व नायक जन-जन के आराध्य देव भगवान श्री कृष्ण का पावन प्राकट्योत्सव श्री महाराज जी के संरक्षण, सानिध्य व अध्यक्षता में बहुत ही श्रद्धा पूर्वक उत्साह और प्रेम के साथ मनाया गया । नन्हे मुन्ने बच्चों ने संस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए ।


स्मृति पांडेय : ख़बर सच हैं
नैनीताल.

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अल्मोड़ा : ताकुला में धूमधाम से मनाया गया श्री कृष्ण जन्मोत्सव

दया जोशी.


सम्पादिका.केदार दर्शन
दैनिक भास्कर
नैनीताल.

राधा,कृष्ण बनने की बच्चों में दिखी होड़ : फोटो : दया जोशी. अल्मोड़ा.

अल्मोड़ा : संवाद सूत्र. राजकीय प्राथमिक विद्यालय मनान विकासखण्ड,ताकुला में कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव बड़े ही धूम धाम से मनाया गया। सर्वप्रथम कार्यक्रम की शुरुआत मनान क्षेत्र में राधा कृष्ण झांकी निकाली गई। कार्यक्रम में राधा,कृष्ण सजाओ प्रतियोगिता आयोजित की गई।इस अवसर पर प्रधानाध्यापिका सोनू पाण्डेय द्वारा बताया गया कि पढ़ाई के साथ इस तरह के कार्यक्रम बच्चों की सृजनशीलता को बढ़ाते हैं। विद्यालय के बच्चों द्वारा कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री रमेश पाण्डेय जी को पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया गया।जूनियर वर्ग में सबसे सुंदर राधा काव्या पाण्डेय ,नताशा आर्य दिव्यांशी उप्रेती , सबसे सुंदर कृष्ण कार्तिक कुमार, लोकेश पंत रहे सीनियर वर्ग में सबसे सुन्दर राधा दीप्ती जोशी और ज्योति अधिकारी व सबसे सुंदर कृष्ण आशुतोष जोशी व मानस छिमवाल रहे।निर्णायक मण्डल में रमेश चन्द्र पाण्डेय , गोविन्द सिंह नयाल,कविता कांडपाल, नेहा भण्डारी ,सुनीता जोशी,ममता छिमवाल जानकी जोशी आदि रहे।प्रधानाध्यापिका श्रीमती सोनू पाण्डेय द्वारा सभी अभिभावकों का आभार व्यक्त किया गया।

पृष्ठ सज्जा स्तंभ संपादन
शक्ति सीमा रंजीता अनीता
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संस्कृति / स. समाचार / बिहार पृष्ठ : ११ /० / ०.

राधा और कृष्ण की झांकी से सजा डी ए वी पब्लिक स्कूल परिसर बना वृंदावन


राधा और कृष्ण की झांकी से सजा डी ए वी पब्लिक स्कूल परिसर बना वृंदावन

निष्काम कर्मयोगी , युगपुरुष भगवान श्रीकृष्ण एक राजनीतिक,आध्यात्मिक और योद्धा ही नहीं थे वरन हर तरह की विद्याओं में पारंगत थे। भगवान श्रीकृष्ण से धर्म का एक नया अध्याय शुरू होता है। श्रीकृष्ण ने धर्म, राजनीति, समाज और नीति-नियमों का व्यवस्थीकरण किया था। हम कर्मभूमि में कर्म करने के निमित्त मात्र हैं। "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन" को जीवन का मूल मंत्र बताने वाले , अर्जुन को मोहनिद्रा से जगाने वाले श्री कृष्ण का जन्मोत्सव सभी के लिए मंगलमय हो।
राधा और कृष्ण की झांकी के साथ डी ए वी पब्लिक स्कूल रतवार परिसर में जन्माष्टमी महोत्सव मनाया गया। नन्हें नन्हें बच्चों ने राधा कृष्ण की मनमोहक छवि से सभी का मन मोह लिया। योगीराज श्री कृष्ण का जन्मोत्सव २६ अगस्त को है।
जन्माष्टमी महोत्सव पर नन्हें नन्हें बच्चों ने राधा और कृष्ण बनकर अत्यंत ही मनोहारी दृश्य प्रस्तुत किया। कक्षा एल के जी से दूसरी कक्षा तक के नन्हें बच्चों ने राधा और कृष्ण बनकर सबको कृष्ण भक्ति रस से सराबोर कर दिया। पांचवी कक्षा की छात्रा आराध्या ने कृष्ण की जीवनी पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर बच्चों ने "अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम" भजन गायन भी प्रस्तुत किया।

फोटो : समाचार संकलन
नीलम पाण्डेय. वाराणसी


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संस्कृति / स. समाचार / बिहार पृष्ठ : ११ /० / १ .

सत्य प्रकाश आर्य डी ए वी के बच्चों ने भगवान श्रीकृष्ण की दिलाई याद.

जन्माष्टमी के उपलक्ष्य पर सत्य प्रकाश आर्य डी ए वी के बच्चों की प्रस्तुति : फोटो : शक्ति

संवाद सूत्र : डॉ.सुनीता रंजीता : जन्माष्टमी के उपलक्ष्य पर सत्य प्रकाश आर्य डी ए वी के बच्चों ने अपनी निर्देशिका शिक्षिका शालिनी, प्रेरणा , मंजू तथा अल्पना की देख रेख में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म तथा उनकी लीलाओं से सम्बंधित पाठ्य सहगामी क्रिया के अंतर्गत जन्माष्टमी का रंगा रंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया। उपस्थित बालक बालिकाओं ने इस मनभावन सतरंगी प्रस्तुति का अतिरेक आंनद उठाया।
जन्माष्टमी का त्यौहार सोलह कलाओं के स्वामी भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है जिन्होंने भारत वर्ष को कंस ,जरासंध तथा कौरवों के अत्याचारी अधर्म युक्त कुशासन से मुक्ति दिलवाई थी । युद्ध क्षेत्र में अर्जुन को मात्र कर्म की सीख देने वाले भी भगवान श्रीकृष्ण ही थे।
हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी २६ अगस्त २०२४ को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है और कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।

समाचार स्तंभ संपादन
शक्ति : सीमा अनीता
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संस्कृति / स. समाचार / बिहार पृष्ठ : ११ /० / २.

मनाया गया ‘ वेद प्रचार सप्ताह '
‘ बहुजन हिताय बहुजन सुखाय ’ की भावनाओं से ओत-प्रोत है संस्कृत भाषा.


डीएवी पब्लिक स्कूल में मनाया गया  वेद प्रचार सप्ताह : फोटो : शक्ति.  
संवाद सूत्र : बिहार : संस्कृत एक महत्वपूर्ण भाषा है जिसकी महता देश की मातृभाषा में निरंतर सुधार लाने में हैं। कर्त्तव्य अकर्तव्य का ज्ञान शास्त्रों से प्राप्त होता है तथा सभी शास्त्र संस्कृत भाषा में निबद्ध है अतः: संस्कृत भाषा चरित्र निर्माण के लिए आवश्यक है।
संस्कृत भाषा आर्यों की भाषा है तथा हम सभी संस्कृत भाषा की विकास के लिए तत्पर रहते हैं। विद्यार्थियों में संस्कृत की रूचि जगाने के लिए हम सभी शिक्षक प्रयासरत हैं। बच्चों की भूमिका अनिर्वचनीय रही।
इसी अभियान के अंतर्गत ‘वेद प्रचार सप्ताह ‘ के अवसर पर १९ अगस्त से डीएवी पब्लिक स्कूल पावरग्रिड कैम्पस बिहारशरीफ सहित कई स्कूलों में चल रहा साप्ताहिक कार्यक्रम हर्षोल्लास के साथ दिनांक २४ अगस्त को सम्पन्न हो गया।
इस दौरान प्रत्येक दिन विद्यालय के यज्ञशाला में हवन कार्यक्रम का आयोजन भी होता रहा । जिसमें विद्यालय के संस्कृत शिक्षक ने अलग- अलग वर्ग के विद्यार्थियों के साथ हवन कराकर ईश्वरीय अस्तित्व का महत्व बताते हुए किसी भी कार्य को करने के पूर्व ईश ध्यान के साथ कार्य प्रारंभ करने की सीख दिया।
संस्कृत विषय पर बोलते हुए विद्यालय के प्राचार्य श्री विजय कुमार पाठक ने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है यह सभी भाषाओं की पूरिका तथा पोषिका भाषा है। ‘बहुजन हिताय बहुजन सुखाया’ की भावनाओं से ओत-प्रोत है यह भाषा ।
इस अवसर पर विद्यालय में आयोजित बच्चों के द्वारा मन्त्रोच्चारण,नाटक का मंचन , पर्यावरण संरक्षण,गीता पाठ,संकल्प मंत्र, वैदिक भजन, आदि का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के अंतिम दिन शनिवार को हवन यज्ञ तथा नौवीं एवं दसवीं कक्षा के बच्चों के बीच वैदिक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें प्रतिभागी छात्र छात्राओं ने प्रश्नो का सही जबाब देते हुए एक दूसरे से आगे बढ़ने की प्रतिस्पर्धा दिखाई तथा इस कार्यक्रम में वर्ग चतुर्थ का छात्र ‘अभ्युदय अमर ’ ने अपने मंत्रोंच्चारण के द्वारा सवों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
विद्यालय के चतुर्थ,छठी, सप्तमी,आठवीं,नौवीं और दसवीं के छात्र,छात्राएं मान्या,अभ्युदय अमर, काव्या, सौन्दर्या,अभ्यासी,शांति ,प्रगति,हर्षिता,संस्कृति,अर्नव,सिमरन,श्वेता आदि छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए संस्कृत के वरिष्ठ शिक्षक ने कहा कि संस्कृत के उत्थान एवं विकास के लिए केवल संस्कृतज्ञों को अपितु सभी भारतीयों को आगे रहना चाहिए।
संपादन.
शक्ति रश्मि. कोलकोता डेस्क.

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राधिका कृष्ण : दर्शन : रुक्मिणी मीरा : फोटो दीर्घा : विशेष : पृष्ठ : १२ ------------ इस्कॉन डेस्क : नैनीताल : पृष्ठ : १२ ---------- संपादन.
शक्ति. रंजीता प्रिया.
शक्ति नीलम की जन्माष्टमी : मेरे तो गिरधर गोपाल : फोटो : निवेदिता : वाराणसी 
त्योहारों के संग : बच्चों के कला के रंग : तारे जमीन पर : फोटो : डॉ सुनीता रंजीता प्रिया. 
 कृष्ण ; दर्शन : जन्माष्टमी की झलक : बच्चों की भागीदारी : फोटो : डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया. 
नई दिल्ली इस्कॉन मंदिर : राधा रमण हरि गोपाल बोलो  : फोटो : रंजना 
अमरावती इस्कॉन मंदिर  : शक्ति राधिका कृष्ण के  अद्वैत प्रेम की अनुभूति : फोटो : रंजना 

अमरावती इस्कॉन मंदिर : आंध्र प्रदेश : राधिका कृष्ण : फोटो : रावी वत्स.
 

माखन चोर नन्द किशोर : ग्वाल वाले सखी गोपियाँ : फोटो : डॉ.सुनीता रंजीता प्रिया.

जन्माष्टमी: कृष्ण जीवन दर्शन:मीरा कृष्ण राधिका में नौनिहालों की झलक :डॉ.सुनीता रंजीता प्रिया.
 
जहाँ हर बालक इक मोहन है और राधा इक इक बाला:फोटो : डॉ.सुनीता रंजीता प्रिया.

----------- आपने कहा : दिवस : माधव : विशेष : त्यौहार : चलते चलते : पृष्ठ : १३.
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संपादन


शक्ति. सीमा रंजीता प्रिया.
दार्जलिंग डेस्क
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लघु : फिल्मी गाना : बड़ा नटखट है ये कृष्ण कन्हैया

गायन : साभार दो शक्ति बहनें

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त्यौहार : दिवस : विशेष : पृष्ठ : १३ / ० .
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सम्पादन


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अच्छा तो हम चलते है चलते चलते : पृष्ठ : १३.
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संपादन

गरिमा कोटा / राजस्थान.

प्रकृति : प्रेम : तेरा बिना जिंदगी से शिकवा


दो बहनें : पंक्षी बनू उड़ती फिरुँ मस्त गगन में








Comments

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