Ye Wadiyan Ye Fizayen Bula Rahi Hai Tumhein : Yatra Visheshank

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Ye Wadiyan Ye Fizayen Bula Rahi Tumhein :
Yatra Visheshank.
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महा.शक्ति.त्रिशक्ति.नव शक्ति प्रस्तुति.  
यात्रा  विशेषांक. 
ये वादियां ये फिजायें बुला रही है तुम्हें : यात्रा विशेषांक.  
सांस्कृतिक पत्रिका.
महा.शक्ति.मीडिया.प्रेजेंटेशन@जीमेल.कॉम   
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हिंदी अनुभाग. प्रारब्ध. 
आवरण पृष्ठ : ०.
ये वादियां ये फिजाएं बुला रही है तुम्हें : कोलाज : सुनीता शक्ति प्रिया.


ख़ामोशियों की सदाएं बुला रहीं है तुम्हें :
 कोलाज : सुनीता शक्ति प्रिया.

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 त्रि -' शक्ति ' प्रोजेक्ट. 
 

सांस्कृतिक पत्रिका. ग्राफ़िक्स : आवरण पृष्ठ : ०.
चले थे साथ मिल के चलेंगे साथ मिल के : यात्रा विशेषांक.२.
महा.शक्ति.मीडिया.प्रेजेंटेशन@जीमेल.कॉम. 


ग्राफ़िक्स साभार : प्रस्तुति : विदिशा : नई दिल्ली.  
 
 


डॉ. अजय : जाह्नवी ऑय केयर रिसर्च सेंटर : बिहार शरीफ : नालन्दा : समर्थित  



दैनिक / अनुभाग.  त्रि 
' तुम्हारे लिए. '


मॉर्निंग / आफ्टर नून / इवनिंग पोस्ट.

 
 सुबह और शाम.
 



 मॉर्निंग / आफ्टर नून / इवनिंग : पोस्ट.
संक्षेप विशेष. 
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राधिका कृष्ण : महाशक्ति : वृन्दावन : इस्कॉन डेस्क : नैनीताल : पृष्ठ : ०
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संस्थापना वर्ष : १९७८. महीना : जुलाई. दिवस : ४.
संपादन.
अनु ' राधा '
इस्कॉन डेस्क. नैनीताल..
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राधिका : कृष्ण : महाशक्ति : दिव्य दर्शन : पृष्ठ : ० / ०.
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दिव्य दर्शन : राधिका कृष्ण
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प्यार : व्यवहार और जीवन : सार.
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राधिका : कृष्ण : महाशक्ति : दृश्यम : विचार : पृष्ठ : ० / १ .
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साभार.
राधा कृष्ण : अमर प्रेम



रहें न रहें हम महका करेंगे बन के सबा
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राधिका कृष्ण : महाशक्ति : डेस्क : वृन्दावन : शब्द चित्र विचार : पृष्ठ : ० / २.
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संस्थापना वर्ष : १९७८. महीना : जुलाई. दिवस : ४. 
संपादन.अनु ' राधा '



प्यार : 
व्यवहार 
और जीवन : सार. 
सोच  व्यवहार 
मानव की सबसे बड़ी सम्पदा उसके जीवन की ' सकारात्मक  सोच ' और  ' सम्यक साथ ' ही है 

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 त्रिशक्ति : महालक्ष्मी : डेस्क : कोलकोता : पृष्ठ : १ / १ 
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महालक्ष्मी दर्शन  पृष्ठ : १ / १ /० 


संस्थापना वर्ष : २००३. महीना : २ जून. 

महालक्ष्मी डेस्क : कोलकोता : ' संस्थापना ' वर्ष की

 दूसरी वर्षगांठ पर आपको 
' हम ' परिवार की तरफ़ से  हार्दिक ' बधाई ' और ढ़ेर सारी ' शुभकामनाएं ' 


संपादन.



 लक्ष्मी : महालक्ष्मी डेस्क : कोलकोत्ता. 

' हरि ' अनंत ' हरि ' कथा अनंता कहहि सुनहि बहु बिधि सब संता

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त्रिशक्ति : लक्ष्मी : डेस्क : कोलकोता : दिव्य दृश्यम : पृष्ठ : १ / १ / १   .
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संस्थापना वर्ष : २००३. महीना : २ जून . 
संपादन. 
महालक्ष्मी डेस्क : कोलकोता . 
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विष्णु प्रिया लक्ष्मी : दरवार : दर्शन : 


पंकज वासिनी देवसु पूजयति सतगुण वर्षनी 
यूट्यूब  लिंक : 
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धन मायने नहीं रखता 


आपके रिश्ते के बीच में ' समझ ' कितनी है ये मायने है
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मुझे भी कुछ कहना है : त्रिशक्ति : लक्ष्मी : डेस्क : कोलकोता : विचार : पृष्ठ : १ / १ / २ .
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संस्थापना वर्ष : २००३. महीना : २ जून . 
संपादन 
महालक्ष्मी डेस्क : कोलकोता . 


  विचार करें : जिन्दगी की  सबसे बड़ी सुखद अनुभूति है किसी की ख़ुशी का कारण बनना 
त्रिशक्ति : विचार धारा. 

' सत्य ' का परीक्षण तत्क्षण नहीं होता. निरंतर सत्य की तलाश में लगे रहिए 

आत्मार्थ प्रकाश. 
 डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया
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त्रिशक्ति : शक्ति : नैनीताल डेस्क : पृष्ठ : १ / २.
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शक्ति दर्शन : पृष्ठ : १ / २ / ०


नैना देवी डेस्क / नैनीताल.
संस्थापना वर्ष : १९९८. महीना : जुलाई. दिवस : ४.

संपादन.


शक्ति. नैना देवी डेस्क / नैनीताल.
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' शक्ति ' वंदना : पृष्ठ : १ / २ / १ .
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' शक्ति ' वंदना : पृष्ठ : १ / २ / १ .
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जय जय महिसासुर मर्दिनी.


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सम्यक दृष्टि : जीवन सुरभि : त्रिशक्ति : शक्ति प्रार्थना : डेस्क : पृष्ठ : १ / २ / २.
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साभार.
मेरी आत्म ' शक्ति ' की प्रार्थना

शक्ति प्रार्थना : विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा. 


सत्यम शिवम् सुंदरम : शक्ति : दृश्यम 
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सम्यक दृष्टि : जीवन सुरभि : त्रिशक्ति : शक्ति डेस्क : विचार : पृष्ठ : १ / २ / ४ .
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सत्यार्थ प्रकाश. 
संपादन. 

नैना देवी डेस्क / नैनीताल. 

 शक्ति मधुर : जीवन सार : आज का विचार.
अपने ' जीवन ' में ' असाधारण ' अवसरों की प्रतीक्षा मत करें
सामान्य अवसरों का लाभ उठा कर उन्हें
असाधारण ' विशेष ' बनायें.
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सम्यक आचरण : जीवन सुरभि : त्रिशक्ति : सरस्वती : नर्मदा डेस्क : पृष्ठ : १ / ३ .
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नर्मदा डेस्क : जब्बलपुर.
संस्थापना वर्ष : १९८९. महीना : सितम्बर. दिवस : ९. 

ज्ञान दायिनी : महासरस्वती : दर्शन : पृष्ठ : १ / ३ / ० .


संस्थापना वर्ष : १९८९. महीना : सितम्बर. दिवस : ९. 

संपादन.


महा सरस्वती. 

  
नर्मदा डेस्क : जब्बलपुर

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महासरस्वती : : नर्मदा डेस्क : प्रस्तुति सम्यक : ज्ञान  दृश्यम : पृष्ठ : १ / ३ / १  .
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नर्मदा डेस्क : जब्बलपुर.
संस्थापना वर्ष : १९८९. महीना : सितम्बर. दिवस : ९. 


जया : दृश्यम विचार : जिन्दगी तो जीनी ही पड़ेगी. 
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महासरस्वती : सम्यक : विचार : नर्मदा डेस्क : प्रस्तुति. पृष्ठ : १ / ३ / २  .
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नर्मदा डेस्क : जब्बलपुर.
संस्थापना वर्ष : १९८९. महीना : सितम्बर. दिवस : ९. 
ज्ञानार्थ प्रकाश 

आज  का विचार.


सम्यक सोच : सम्यक परिणाम.

  जिस समय से हमारा मन अपनों तथा दुसरों के लिए शिव और शुभ सोचना प्रारम्भ कर देता है तत्क्षण हमारे जीवन में ' उन्नति ' व ' शांति ' प्रविष्ट कर जाती है 

 
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आकाश दीप : पद्य संग्रह : ये वादियां ये फिजाएं बुला रही है तुम्हें : सम्पादकीय : पृष्ठ : ३ / ० 
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संपादन.


रेनू शब्द मुखर शक्ति '.
जयपुर.
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शब्द चित्र  : सात कस्में : रचना श्रीवास्तवा
 

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यात्रा विशेष : शीर्षक गीत : चले थे साथ मिल के चलेंगे साथ मिल के : प्रस्तुति. पृष्ठ : ३ .
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संपादन. 


डॉ. सुनीता ' शक्ति ' प्रिया. 
नैनीताल डेस्क. 


सर्वकालिक : सर्व प्रिय : यात्रा शीर्षक गीत.
मेरी आपकी पसंद 
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डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया. 
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साभार
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फ़िल्म : नादान.१९७१
सितारे : नवीन निश्चल. आशा पारेख.
गाना : बादल झूम के चल
गीत : हसरत जयपुरी संगीत : शंकर जयकिशन गायक : मुकेश


 
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिये गए लिंक को दवाएं  
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तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : सम्पादकीय लेख : आलेख : संग्रह. पृष्ठ : ४.
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संपादन.

नीलम पांडेय.' शक्ति '.
वाराणसी.
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सम्पादकीय : चैत नवरात्र : शक्ति  संस्मरण : आलेख : ४ / ० . 
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 ' शक्ति ' ही मेरी  सर्व - शक्ति बनी और  मेरा असीम विश्वास भी. 
मैं स्वयं एक ' शक्ति संरक्षित मानव रहा हूँ ...

डॉ मधुप. / शक्ति डेस्क / नैनीताल. 
 

नैनी झील : नैना देवी मंदिर और तेरी दो निगहबान आँखें : कोलाज : डॉ सुनीता शक्ति प्रिया. नैनीताल 

मैं स्वयं शक्ति संरक्षित मानव रहा हूँ। शक्ति में मेरा असीम विश्वास रहा है। और ऐसा मुझे लगता है पिछले जन्म जन्मांतर से शक्ति मेरे साथ रही है। मैं जो भी कुछ अपने जीवन में बुद्धि विवेक , धन ऐश्वर्य , मान प्रतिष्ठा अर्जित करता रहा वह समस्त शक्ति की ही देन रही।  मैं जो कुछ लिखता रहा ,ब्लॉगिंग करता रहा वह सब कुछ शक्ति डेस्क से ही सम्पादित होता रहा। इसलिए मेरी जो भी सृजनात्मक शक्ति रही है वो आध्यात्मिक रूप से भारत स्थित विभिन्न शक्ति पीठों से ही उद्धृत व समर्पित है। 
विशेषतः मैंने अपनी जीवन में जो भी सफलता, संघर्ष, उल्लास ,उदगार  हर्ष - विषाद, जय - पराजय  की गाथा लिखी है वो नैनीताल स्थित नैना देवी मंदिर स्थित नैना देवी मंदिर डेस्क को ही समर्पित है। प्रतीत होता है झील में गिरी शक्ति की आँखें मेरे स्वयं के सम्पूर्ण अस्तित्व की निगहबान है। 
बताते चले नैना देवी मंदिर का नाम उस पौराणिक कथा से पड़ा है कि देवी सती की आंखें (नयन) इस स्थान पर गिरी थीं जब भगवान विष्णु ने उनके शरीर को ५१ अलग-अलग हिस्सों में काट दिया था। दरअसल, पूरे शहर (नैनीताल), झील (नैनी झील) और नैनी मंदिर, इन तीनों का नाम किंवदंती के नाम पर रखा गया है। आप ज्यो ही नैनीताल शहर में प्रवेश करते है झील के दूसरे सिरे पर चाइना पीक के नीचे
नैना देवी मंदिर दिख जाता है।
बहुत ही मनोरम स्थान है यह नैनीताल का। आपको यहाँ पर्वत , प्रकृति , प्रेम और अध्यात्म का अद्भुत संगम मिलेगा।
नैनीताल में, नैनी झील के उत्त्तरी किनारे पर नैना देवी मंदिर स्थित है। १८८० में भूस्‍खलन से यह मंदिर नष्‍ट हो गया था। बाद में इसे दुबारा बनाया गया। यहां सती के शक्ति रूप की पूजा की जाती है। मंदिर में दो नेत्र हैं जो नैना देवी को दर्शाते हैं। नैनी झील के बारें में माना जाता है कि जब शिव सती की मृत देह को लेकर कैलाश पर्वत जा रहे थे, तब जहां-जहां उनके शरीर के अंग गिरे वहां-वहां शक्तिपीठों की स्‍थापना हुई। नैनी झील के स्‍थान पर देवी सती के नेत्र गिरे थे। इसीसे प्रेरित होकर इस मंदिर की स्‍थापना की गई है। आज का नैनीताल वही स्थान है, जहाँ पर उस देवी के नैन गिरे थे। नयनों की अश्रुधार ने यहाँ पर ताल का रूप ले लिया। तबसे निरन्तर यहाँ पर शिवपत्नी नन्दा ( पार्वती ) की पूजा नैनादेवी के रूप में होती है।
आप यहाँ नैनी झील के किनारे मंदिर में शक्ति नैनादेवी के दर्शन करें , अपनी मनोकामना के पवित्र धागे बांध दे। शक्ति आप की अभिलाषा पूर्ण करेंगी ऐसा मेरा सोचना है।

स्तंभ संपादन : सज्जा :
डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया
नैनीताल डेस्क

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नव शक्ति. विचार प्रस्तुति. शिमला डेस्क : दृश्यम पृष्ठ : ५ / ०
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संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी . दिवस : ५
संपादन :



रेनू ' अनुभूति ' नीलम.
शिमला डेस्क
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नव शक्ति. विचार प्रस्तुति. शिमला डेस्क : दृश्यम पृष्ठ : ५ / ० .
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संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी . दिवस : ५
संपादन : रेनू ' अनुभूति ' नीलम.
साभार : दृश्यम पृष्ठ : १ / ० .

कालातीत कल्याण कल्पानकान्तकारी : शिव


आपको परस्पर के सुख दुःख का ख़्याल रखना होगा


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नव शक्ति. रुक्मणि : विचार प्रस्तुति : विदर्भ : डेस्क : दृश्यम : पृष्ठ : ५ / ६ .
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मुम्बा देवी / मुम्बई डेस्क
संस्थापना वर्ष : १९७० . महीना : जनवरी . दिवस : ६ .
संपादन.


डॉ. सुनीता शक्ति .
नैनीताल.
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साभार.

दृश्यम : रुक्मिणी : सत्यभामा : जाम्बन्ती

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डॉ. आर के आर्थो आश्रम समर्थित.
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जीवन : धर्म : अध्यात्म : कर्म. और दर्शन सार .
महाशक्ति. डेस्क प्रस्तुति / नैनीताल. पृष्ठ : ८  .
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संस्थापना वर्ष : २००३. महीना : जनवरी : ६ 
संपादन.


डॉ. सुनीता ' शक्ति ' प्रिया.
 नैना देवी डेस्क.नैनीताल.

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 महाशक्ति : वंदना :  दृश्यम : पृष्ठ : ८ / १.
संस्थापना वर्ष : २००३. महीना : जनवरी. दिवस : ६.  
संपादन.
डॉ. सुनीता ' शक्ति ' प्रिया.
 नैना देवी डेस्क.नैनीताल.
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महाशक्ति वंदना : पृष्ठ : ८ / १ .


सरस्वती शक्ति लक्ष्मी : एकीकृत शक्तियों की वंदना 

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महाशक्ति  : दृश्यम : साभार : पृष्ठ : ८ / २ 
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संपादन.
डॉ. सुनीता ' शक्ति ' प्रिया.
 नैना देवी डेस्क.नैनीताल.
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चित्रलेखा : दृश्यम : राम ने मर्यादा सिखाई.

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चलते चलते : मिल गया था कोई सरे राह पृष्ठ : ९    .
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संपादन : शक्ति प्रिया 
नैनीताल डेस्क
 

तराने दिल से : सारे जग से निपट लूँ अकेली.



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हिंदी अनुभाग : विषय सूची.
महिला सशक्ति करण की एकमात्र ब्लॉग मैगज़ीन.
परमार्थ के लिए देश हित में.
महाशक्ति निर्मित,विकसित, त्रि - शक्ति अधिकृत और नवशक्ति समर्थित.
भगवान श्री कृष्ण के धर्म : अध्यात्म : कर्म. नीति और जीवन दर्शन की अनुयायी.



फोर स्क्वायर होटल : रांची : समर्थित : आवरण पृष्ठ : विषय सूची : मार्स मिडिया ऐड  : नई दिल्ली.
 
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शेष विस्तार
 पत्रिका अनुभाग में . 
 

समर्थित 

विषय सूची 

तुम्हारे लिए : पत्रिका अनुभाग  पृष्ठ : ० में  देखें. विस्तृत. 

विषय सूची 
प्रारब्ध आवरण पृष्ठ : ०.
आज का आभार.प्रदर्शन : पृष्ठ : ०
महाशक्ति. डेस्क प्रस्तुति / नैनीताल. पृष्ठ : ०.
ये वादियां ये फिजाएं बुला रही है तुम्हें : : कोलाज : महाशक्ति  : आवरण पृष्ठ : ०.
आज का आभार.प्रदर्शन : पृष्ठ : ०
महाशक्ति विचार. पृष्ठ : ० / १.
राधिका : महाशक्ति : वृन्दावन : डेस्क. पृष्ठ : ० / २.
गीता सार : कुरुक्षेत्र : हस्तिनापुर : डेस्क. पृष्ठ : ० / ३ . 
त्रि शक्ति. डेस्क प्रस्तुति : जीवन सुरभि सार : पृष्ठ : १.
सम्यक वाणी : मुझे भी कुछ कहना है : त्रिशक्ति : महालक्ष्मी : डेस्क : पृष्ठ : १ / १ .
सम्यक दृष्टि : जीवन सुरभि : त्रिशक्ति : शक्ति डेस्क : पृष्ठ : १ / २.
सम्यक आचरण : जीवन सुरभि : त्रिशक्ति : सरस्वती : डेस्क : पृष्ठ : १ / २.
नव शक्ति डेस्क. शिमला. विचार .सम्पादकीय : पृष्ठ : २.
दिल ने फिर याद किया : लघु फिल्म : चल चित्र : पृष्ठ : ६ . 
किस मोड़ से जाते है : ये कौन चित्रकार है : कला दीर्घा : २०२४.पृष्ठ : ७.
यात्रा विशेष : शीर्षक गीत : ये वादियां ये फिजायें बुला रही है तुम्हें : पृष्ठ : ८ .
यात्रा विशेष : जीवन स्मृतियों के फ़िल्मी कोलाज : दिल जो न कह सका :  पृष्ठ :९ .
यात्रा विशेष : फोटो दीर्घा ये वादियां ये फिजायें बुला रही है तुम्हें :  पृष्ठ : १०.
सीन्स  : कही अनकही : मुसाफ़िर हूँ मैं यारों : यात्रा : धर्म : जीवन : भारत : दर्शन : पृष्ठ : ११ .
चलते चलते : दिल जो न कह सका : दिल की पाँति : हिंदी अनुभाग : पृष्ठ : १२ .
संदेशे आते हैं संदेशे जाते हैं : आपने कहा : हिंदी अनुभाग :  पृष्ठ : १३.
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आज का आभार.प्रदर्शन : पृष्ठ : ०
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ये वादियां ये फिजाएं बुला रही है तुम्हें : 
 ब्लॉग मैगज़ीन पत्रिका के लिए हार्दिक आभार. 


रजनीश कुमार सिंह. 
समाजसेवी. नालन्दा. समर्थित  
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जीवन : धर्म : अध्यात्म : कर्म. और दर्शन सार .
महाशक्ति. डेस्क प्रस्तुति / नैनीताल. पृष्ठ : ०.
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 महाशक्ति विचार. पृष्ठ : ० / १.
संपादन.


डॉ. सुनीता ' शक्ति ' प्रिया.
 नैना देवी डेस्क.नैनीताल.


शक्ति के विभिन्न रूप.



' शैल पुत्री.' शक्ति : नवरात्रि : दिवस : १.
' ब्रह्मचारिणी '.शक्ति : नवरात्रि : दिवस : २.
' चंद्रघंटा ' शक्ति : नवरात्रि : दिवस : ३.
' कूष्मांडा ' शक्ति : नवरात्रि : दिवस : ४.
' स्कन्दमाता ' शक्ति : नवरात्रि : दिवस : ५.
' कात्यानी ' शक्ति : नवरात्रि : दिवस : ६.
' कालरात्रि ' शक्ति : नवरात्रि : दिवस : ७.
' अष्टम गौरी ' शक्ति : नवरात्रि : दिवस : ८.
' सिद्धि दातृ ' शक्ति : नवरात्रि : दिवस : ९.
शक्ति के रूप ' कालरात्रि ',' महागौरी ', ' सिद्धिदात्री '.

शक्ति के रूप ' कूष्मांडा ', ' स्कन्दमाता, ' कात्यानी '


महाशक्ति : दिव्य दर्शन. ० / ० / १
 
शक्ति के रूप :शैल पुत्री.ब्रह्मचारिणी.चंद्रघंटा.   


महाशक्ति : दिव्य विचार.० / ० / १

हमारे  भीतर की भरोसेमंद प्रेम ' शक्ति ' ही हम ' त्रिशक्ति ' या ' नवशक्ति ' कही जाने वाली 
बहनों को एक सूत्र में जोड़े रखती हैं. अपने भीतर वर्त्तमान ' संतुलित ', ' संयमित ' ' समझदार ' और ' शब्द शील ' आत्म ' शक्ति ' पर मुझे अत्यंत गर्व है जो ' असत्य ' और ' अधर्म ' के विरुद्ध हमसबों को क्रिया शील रखती है.
 

' शक्ति ' वंदना

सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्तिभूते सनातनि।
गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोह्यस्तु ते।।

भावार्थ

अर्थातः तुम सृष्टि, पालन और संहार की शक्ति
भूता, सनातनी देवी, गुणों का आधार तथा सर्वगुणमयी हो। 

ॐ जयन्ती, मङ्गला, काली, भद्रकाली, कपालिनी.
दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री, स्वाहा, स्वधा नमोऽस्तुते.

शक्ति : फोटो 

भावार्थ. 

जयंती, मंगला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा धात्री,
और स्वधा इन नाम से प्रसिद्ध जगदंबा में मेरी अनंत श्रद्धा है उन को मेरा नमस्कार है


महिषासुरमर्दिनी स्तोत्रम्

 

' कात्यानी ' :  ' कालरात्रि '  वंदना 



अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमोदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते ।
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि शम्भुविलासिनि विष्णुनुते।
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि [१] शैलसुते ॥१॥
अर्थ
हे हिमालयराज की कन्या,विश्व को आनंद देने वाली,नंदी गणों के द्वारा नमस्कृत,गिरिवर विन्ध्याचल के शिरो (शिखर) पर निवास करने वाली,भगवान् विष्णु को प्रसन्न करने वाली,इन्द्रदेव के द्वारा नमस्कृत,भगवान् नीलकंठ की पत्नी,विश्व में विशाल कुटुंब वाली और विश्व को संपन्नता देने वाली है महिषासुर का मर्दन करने वाली भगवती ! अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो,जय हो,जय हो।

महिषासुरमर्दिनी स्तोत्रम् सुनने के लिए यूट्यूब लिंक उपलब्ध है 


अन्ध रमा सम्बन्ध ते होत न अचरज कोय ।
कमल नयन नारायणहु रहे सर्प में सोय ॥

भावार्थ.

लक्ष्मीजी माया सरीखी है चंचला है उनकी आकांक्षा रखने वाला मनुष्य अभिमानी और अस्थिर चित वाला हो जाय, इसमें कोई आश्चर्य नहीं । कमल नयन ,लक्ष्मी नारायण भी रमा पति होने के बाद क्षीर सागर में
जा कर शेष नाग पर सो गए


 शक्ति : दिव्य दृश्यम : दर्शन. पृष्ठ : ० / १ / २.

शक्ति प्रार्थना : विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा. 


जया : तुम कार्य  करो पीछे मैं हूँ ना. 


शिव : महा उत्तरदायित्व तो उठाना होगा गौरी 


 चित्रलेखा : मानव जानता है कि वह क्या है ?

--------------
शक्ति : दिव्य दृश्यम : विंध्यवासिनी देवी
 
महालक्ष्मी : श्री नारायण : दृश्यम. विचार. 
जया : कमल नयन श्री हरि :  लक्ष्मी और क्षीर सागर.
श्री राम चंद्र : हरण भव भय दारुणं 
श्री रामचंद्र कृपालू भजु मन : अयोध्या. 

गणेश : विष्णु प्रिया : महालक्ष्मी ' शक्ति ' वंदना. ओम जय जगदीश हरे. 


महाशक्ति : रक्षा सूत्र विचार. ० / १ / ३ .

मेरी अभिलाषा ' शक्ति ' . 

नव शक्ति '  सिद्ध ' त्रि शक्ति ' अभिमंत्रित , तदोपरांत मान्य एकीकृत  महाशक्ति ' द्वारा 
संरक्षित दिव्य ' सुरक्षा 'के लाल कच्चे सूत का   अटूट रक्षा सूत्र 
मेरी दाहिनी कलाई पर ऐसी बंधी रहें कि आसन्न ' विपदा ' से मैं सदैव सुरक्षित रहूं  


येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वाम् अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥

भावार्थ. 

जिस रक्षा सूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, 
उसी सूत्र मैं तुम्हें बांधती हूं, जो तुम्हारी रक्षा करेगा, हे रक्षा तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना.


   महाशक्ति : सहन : शक्ति विचार. ० / १ / ४.


 इंसान के अंदर ही शांति का वास होता है,उसे बाहर न तलाशें अपने मन के 
भीतर झांक कर देखें यह आपको वही मिल जाएगी. 



जब समय ' न्याय ' करता है तो तो ' गवाहों ' की भी आवश्यकता नहीं होती 



' रघुकुल ' रीत सदा चली आई
' प्राण ' जाई पर ' वचन ' न जाई.

तुलसी दास.


 जीवन का ' सफ़र ' भी अज़ीब है हम सभी ' खाली हाथ ' आते है 
हर चीज, के लिए लड़ते हैं 
और अंत में सब कुछ यहीं छोड़ कर चले जाते हैं 


सहन ' शक्ति ' हो तो ' कागज़ ' जैसी ' कलम ' कुछ भी लिखे मनाही  नहीं है 


गलत लोग तभी आगे बढ़ते है जब सही लोग विरोध करना बंद कर देते है 
क्या गलत हैं क्या सही है आपका अन्तः मन जानता है...समाज नहीं 
मेरी माने तो आपके लिए ' स्वयं ' और आपसे जुड़ें ' मेरे अपने ' ज्यादा जरुरी है...समाज नहीं  


 ' त्रिशक्ति ' और ' नव शक्ति ' की सम्मिलित एकीकृत शक्ति है, महाशक्ति
कहती है : ' पवित्र मन ही संसार का सर्वोतम तीर्थ है...
      अतः अन्तः मन को शुद्ध रखें ....  

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राधिका : महाशक्ति : डेस्क : वृन्दावन : पृष्ठ : ० / २.
--------------
संपादन.

अनु ' राधा '


इस्कॉन डेस्क. नैनीताल..
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राधिका : महाशक्ति : चित्र : विचार : पृष्ठ : ० / २ / ० .
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पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ,पंडित भया न कोय ,
ढाई आखर प्रेम का , पढ़े सो पंडित होय
प्रेम न बाडी उपजे, प्रेम न हाट बिकाई
राजा परजा जेहि रुचे, सीस देहि ले जाई ॥

कबीर दास.
भावार्थ : कबीर दास जी कहते हैं, प्रेम खेत में नहीं उपजता ...


' प्रेम ' की कोई परकाष्ठा नहीं होती 
प्रेम ' संयोग ' में असीम और ' वियोग ' में अनंत है 


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राधिका : महाशक्ति : दृश्यम चित्र : विचार : पृष्ठ : ० / २ / १ .
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राधा : कृष्ण को दी जाने वाली मुझे कोई पीड़ा स्वीकार नहीं है. 


धर्म का पालन करने वालों के साथ इतना अन्याय क्यों होता है 


श्री हरि दर्शन  : श्री गोविन्दाय नमः 
 

कृष्ण : राधा : बांसुरी : प्रेम. 
 

गोविन्द : ईश्वर की ओर देखना सखी 

गोविन्द : धर्म के संस्मरण से निर्णय लेना सखी
द्रौपदी : गोविन्द ,आपके हाथ से तो रक़्त बह रहा है 
कृष्णा की महिमा है : शक्ति है : भक्ति है :
राधिका : कृष्ण : रोम रोम तेरा नाम पुकारे. 

राधिका कृष्ण : रहें न रहें हम : धुन


 दृश्यम : अपनी ठकुरानी तो श्री राधिका रानी. 


 : कृष्ण जैसे सखी की आवश्यकता हर किसी को है. 


भागवतगीता : कृष्ण ज्ञान और दर्शन.
 
दीवानी  राधिका : कृष्ण : दिव्य प्रेम दृश्यम : 
साभार : फ़िल्म : बाजीराव मस्तानी.
राधा : कृष्ण : रुक्मणि संवाद .
हमने तेरा नाम लिख दिया.
मैं पागल जग की रीत में.
राधा कृष्ण और बांसुरी : साध्वी. 
दृश्यम : विचार : श्री हरि : राम : कृष्ण : स्तुति 
रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये सृष्टि चला रहें हैं 
दृश्यम : शक्ति का शिव का चयन
 
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राधिका : महाशक्ति :  शब्द विचार : दिव्य प्रेम. क्षणिकायें. पृष्ठ : ० / २ / ३  .
 

मर्यादा में रहें वो ' राम ' जैसा 
 ' अनुराग ' करें तो ' प्रीत ' ' श्री कृष्ण ' जैसा
' क्रोध ' उनका है  ' भोले - नाथ ' जैसा  
जब वह करें तांडव   
तो मैं पार्वती की तरह शांत हो शमित रहूं,  
और ' कृष्ण  ' जैसा जब वो प्रेम करें  
तो ' राधा ' जैसी  बन मैं नखरें करूं. 

 रचना ' शक्ति ' 
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राधिका : महाशक्ति : शब्द विचार : शक्ति पृष्ठ : ० / २ / ४ .
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भागवतगीता. 

क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:।
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति।।

भावार्थ

इस श्लोक में मन के शांत होने के महत्व को बताया गया है। अगर व्यक्ति का मन शांत होगा तो वह किसी भी स्थिति में स्थिर रह सकेगा और यही स्थिरता उसके विवेक को जागृत कर करेगी। जिससे वह सूज-बूझ के साथ बिना क्रोध किए निर्णय ले पाएगा। इसलिए शत्रु के समक्ष अपने भी मन को शांत रखना चाहिए और गुस्सा नहीं करना चाहिए। तभी आप अपने दुश्मन की चाल से बाहर निकलने का रास्ता खोज पाएंगे।

मन की शांति के लिए इन मंत्रों का करें जाप.


अपनी ' संयमित ' ' संतुलित ' ' वाक्यपटु ' आत्म ' शक्ति ' पर हमें अत्यंत गर्व रखना चाहिए
 

' सीता ' होना कठिन है उससे भी कठिन है ' अग्नि परीक्षा ' देना 
ठीक उसी तरह 
' राधा ' होना कठिन है उससे भी अत्यंत कठिन है स्वयं अकेले रह कर ' रुक्मिणी ' को ' कृष्ण ' दे देना. 

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त्रिशक्ति : विचार धारा : सम्यक वाणी : सम्यक दृष्टि : सम्यक आचरण :  पृष्ठ : १ / ० .
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संपादन.

महालक्ष्मी डेस्क : कोलकोता  


त्रि शक्ति : दृढ़ शब्द : विचार. 

रहिमन धागा ' प्रेम ' का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय॥
रहीम.

' धीरज ', ' धर्म ', ' मित्र ' अरु ' नारी ',
आपद काल परखि आहिं चारी
तुलसीदास.


त्वमेव माता च पिता त्वमेव त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या च द्रविणं त्वमेव,त्वमेव सर्वम् मम देवदेवं
भावार्थ.
सरल -सा अर्थ है, 'हे भगवान ! तुम्हीं माता हो, तुम्हीं पिता, तुम्हीं बंधु, तुम्हीं सखा हो।
तुम्हीं विद्या हो, तुम्हीं द्रव्य, तुम्हीं सब कुछ हो।

 

' अपनों के लिए चिंता ' हृदय ' में होती है ' शब्दों ' में नहीं 
ठीक उसी प्रकार अपनों के लिए ' गुस्सा ' शब्दों में होता है  ' हृदय ' में नहीं 
बस यही है आपस के ह्रदय में रची बसी अटूट प्रेम की परिभाषा.. 
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सम्यक वाणी : मुझे भी कुछ कहना है : त्रिशक्ति : लक्ष्मी : डेस्क : कोलकोता : पृष्ठ : १ / १ .
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संपादन.



 लक्ष्मी : महालक्ष्मी डेस्क : कोलकोत्ता. 


' श्रेष्ठ ' जन और ' श्रेष्ठता ' प्राप्त करने के लिए ' आत्म जीवन ' में सार्वजनिक संघर्ष करो 
दूसरी तरफ़ ' छल ', ' बल ' प्रयोग करने वाले असंयमितदुराचारी खल जनों का 
जीवन पर्यन्त सदैव विरोधवहिष्कार करों 
डॉ सुनीता मधुप 


त्रिशक्ति.
 
आप के द्वारा दी गयी किसी अपने ' प्रिय ' के लिए ' संसार ' की  सबसे उत्तम बहुमूल्य ' भेंट ' यहीं है 
कि आप उन्हें ' अनुभूति ' दिला देते हैं कि आप उनके ' दिल ' की ' मधुर ' स्मृतियों में सर्वदा शेष है  
इसलिए तो आप उनके जीने के लिए विशेष हैं 
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  महालक्ष्मी  : दृश्यम. विचार. पृष्ठ : १ / १ / ० 

श्री हरि : राम : कृष्ण : स्तुति 
साध्वी : धैर्य ही सबसे बड़ी शक्ति है. 
विश्वास करना ही प्रेम का प्रथम कर्तव्य है. 
दृश्यम : तोरा मन दर्पण कहलाए 
जया किशोरी : लक्ष्मी, शक्ति, सरस्वती की एकीकृत शक्ति हैं तू.  

जया : कमल नयन श्री हरि  लक्ष्मी और क्षीर सागर. 
. 

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नव वर्ष विक्रम संवत २०८१ मंगल मय हो.  


चैत नवरात्रि : पाँव में पायल है माथे पर कुमकुम. 


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महालक्ष्मी  : शब्द : शक्ति : विचार. पृष्ठ : १ / १ / १ 
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 जिंदगी की ' परीक्षा ' में कोई नम्बर नहीं मिलते...
लोग आपको अपने ह्रदय  में ' स्थान '  दे दे..व्यवहार में ' मान सम्मान ' दे दें ...
बोल में दो सम्यक मधुर शब्द कह दें  
तो समझ लेना जिंदगी की परीक्षा में आप उत्तीर्ण  हो गये...


अन्ध रमा सम्बन्ध ते होत न अचरज कोय ।
कमल नयन नारायणहु रहे सर्प में सोय ॥

भावार्थ.

लक्ष्मीजी माया सरीखी है चंचला है उनकी आकांक्षा रखने वाला मनुष्य अभिमानी और अस्थिर चित वाला हो जाय, इसमें कोई आश्चर्य नहीं । कमल नयन ,लक्ष्मी नारायण भी रमा पति होने के बाद क्षीर सागर में
जा कर शेष नाग पर सो गए

 ' त्रिशक्ति ' और ' नव शक्ति ' की सम्मिलित, एकीकृत शक्ति है, ' महाशक्ति '
कहती है : ' पवित्र मन ही संसार का सर्वोतम तीर्थ है...
      अतः अन्तः मन को ' शांत ' ' संयमित ' ' संतुलित ' ' शुद्ध '  ' आश्वस्त ' रखें ....  

जिंदगी की परीक्षा में कोई नम्बर नहीं मिलते...
लोग आपको ह्रदय  में स्थान  दे दे..व्यवहार में मान सम्मान दे दें ...बोल में दो सम्यक मधुर शब्द कह 
तो समझ लेना जिंदगी की परीक्षा में आप पास हो गये...

आपस का  ' सहयोग ' जीवन का एक अनमोल ' तोहफ़ा ' है 
जो देने मे भी ' श्रेष्यस्कर '  लगता है , मिल जाये तो और भी ' अति उत्तम  ' प्रतीत होता है.


 शक्ति एकता ' नवरात्रि ' शपथ 

इस ' नवरात्रि ',' चैत्र छठ पूजा ' ,' रामनवमी '  के पावन अवसर पर   
हम सभी  परिवार के सदस्य गण शपथ लेते है कि 
समय ,साथ , समस्या, संयम ,सम्भाषण ( वाणी )  और सत्य के लिए  
हम सब एकीकृत, संगठित, व्यक्तिगत और एक दूसरे के आश्वस्त और 
विश्वस्त और सम्यक रहेंगे...हम अपनी समस्या का निराकरण शांत , संयमित और आपस में 
व्यकितगत करेंगे...हमारे मध्य कोई तीसरा नहीं होगा  

नव शक्ति , त्रिशक्ति ,महा शक्ति : विचार     


लोगों की ' निंदा ' से परेशान होकर अपना ' रास्ता ' कभी मत बदले  
क्योंकि  जिंदगी में सफलता ' शर्म ' और ' कायरता ' से नहीं 
अपनों तथा स्वयं के दृढ ' विश्वास ',' साथ ', ' साहस ' और सतत ' प्रयास ' से ही मिलती है  


जीवन छोटा है ,खुल कर जिए , प्रेम दुर्लभ है, करते रहे. 
क्रोध हानिकारक है ,दबा कर रखें, भय डरावना है, सामना करें. 
और स्मृतियाँ सुखद है संजोकर रखें. 


क़दर करिए ऐसे ' लोगों ' की  जो पैसे और तोहफ़े नहीं बल्कि आपकी ख़ुशी 
के लिए ' ख़ुद को ख़र्च ' करते हैं ऐसे लोग दुकानों में नहीं ' बमुश्किल नसीब ' से ही मिलते हैं. 


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सम्यक दृष्टि : जीवन सुरभि : त्रिशक्ति : शक्ति डेस्क : पृष्ठ : १ / २.
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संपादन.


शक्ति. 


नैना देवी डेस्क / नैनीताल. 


शक्ति  वंदना. शपथ : विचार  : पृष्ठ : १ / २ / ० 

  या देवी सर्वभूतेष...शक्तिरूपेण संस्थिता...
नमस्तस्यै नमस्तस्यै...नमस्तस्यै नमो नम:


चैत्र नवरात्रि एवं हिन्दू नववर्ष की आपको हार्दिक शुभकामनाएं।

शक्ति एकता ' नवरात्रि ' शपथ 

इस ' नवरात्रि ',' चैत्र छठ पूजा ' ,' रामनवमी '  के पावन अवसर पर   
हम सभी  परिवार के सदस्य गण शपथ लेते है कि 
समय ,साथ , समस्या, संयम ,सम्भाषण ( वाणी )  और सत्य के लिए  
हम सब एकीकृत, संगठित, व्यक्तिगत और एक दूसरे के आश्वस्त और 
विश्वस्त और सम्यक रहेंगे...हम अपनी समस्या का निराकरण शांत , संयमित और आपस में 
व्यकितगत करेंगे...हमारे मध्य कोई तीसरा नहीं होगा


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शक्ति : मधुर : दृश्यम : विचार.पृष्ठ : १ / २ / १. 
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शक्ति : दृश्यम : मानव स्वार्थी हो गया 

जया : व्यवहार संस्कार से ही प्यार होता है 
दृश्यम : जो जा रहा है उसे जाने दो

अमिताभ बच्चन : कविता पाठ.
ये पापियों को हक़ नहीं कि ले परीक्षा तेरी 

  तू चल तेरे वजूद की  समय को भी तलाश है. 

दृश्यम : पहाड़ा वाली शक्ति की वंदना  

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शक्ति : मधुर : विचार : सर्वोत्तम : नैनीताल डेस्क : पृष्ठ : १ / २ / २.  
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कोई ' हालात ' को नहीं समझता,  तो कोई ' जज़्बात ' को नहीं समझता...
कोई ' कोरा कागज ' भी पढ़ लेता है तो कोई ' पूरी किताब ' नहीं समझता.


' दुःख ' का कारण ' कर्म ' का ' अभाव ' है,  ' सुख ' का कारण कर्म का ' प्रभाव ' है, 
और ' शांति ' का कारण स्वयं का ' स्वभाव ' है


बुरी ' आदतें '  जो ' सिद्ध ' हो जाए तो  वक्त रहते ' बदल ' डालें 
वरना संभव है यही आदतें आपका ' वक्त ' बदल देंगी 

कभी ' अपनों ' के लिए ' स्वयं ' को बदल के देखें
' इंसान ' घर बदलता है, ' रिश्ते ' बदलता है, ' दोस्त ' बदलता है,
मगर फिर भी ' परेशान हैरान ' रहता है, क्योंकि वह खुद को ' कभी नहीं ' बदलता है .
विचार करें :

' चतुर युग ' चल रहा है इसलिए ये विचार छोड़ दीजिये जनाब कि बिना ' स्वार्थ ' के लोग आप से ' रिश्ता ' रखेंगे.

कुछ आपस में ' दिल ' के ' रिश्तें ' मुनाफा तो नहीं देते हैं
मगर बेशक़ जिन्दगी को ' बेशुमार खुशियों ' से भरकर को ' आने वाले पल ' को बेहद अमीर बना देते हैं.


' खुशियों ' के लिए किसी का इतना ' इंतज़ार ' क्यों,
जब ' आप ' ही तो हो अपने जीवन के ' शिल्पकार '.


जिसमें ' सब्र ' है, वही तो ' शबरी ' है और जो ' शबरी ' हो गया, 
उसे ' ईश्वर ' तक नहीं जाना पड़ता, अपितु स्वयं ' ईश्वर ( राम ) ' उसके द्वार पर आया करते हैं


अगर आपके ' समय ' और ' दिन ' अच्छा हैं ....तो किसी की मदद कर लें
और यदि वक्त बुरा है तो सबसे पहले ' संयम ' और ' विश्वास ' रख लें फिर मेहनत करते रहें
याद रखें : सब दिन होत नहीं एक समाना.

' सम्यक ', ' प्रेरक ', हितकारी ( शिव ) यादें ही अर्थपूर्ण ' कृष्ण : जीवन  शक्ति ' की आधारशिला है.. 
 हमसबों की ' कर्म नियति ' ही सिद्ध करेगा कि हमारी जिंदगी अन्य के लिए अनमोल  खजाना है, 
या बाकी की तरह हमें भी... खाली ' हाथ ' ही जाना है..


आत्मीय जनों के साथ मेरे सम्बन्ध ' अंतहीन ', ' निःस्वार्थ ', 'आस्थापूर्ण ' , ' विवेक सम्मत  ' ,' भावुक ' 
सम्यक वाणी युक्त तथा ' मधुर 'सम्बन्ध हो . यही मेरे अपनों के जीवन की ही वास्तविक ' शक्ति ' है ,
ईश्वर इसे  जन्म जन्मांतर तक़ स्थायी बनाए रखे  

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अच्छे लोग बहुत ही सस्ते होते हैं बस मीठा बोलो और खरीद लो…
शायद  इसलिए लोग उनकी कीमत ही नहीं समझते
सच है लेकिन अच्छे लोग सम्यक ' कर्म ', ' दृष्टि ' , ' वाणी ' और ' व्यवहार ' से ही 
आपके पास स्थायी  रह सकेंगे...विचार कीजिए  


जो जैसा सोचता और करता है, वह वैसा ही बन जाता है
हम जैसा सोचते हैं, वैसा ही बन जाते हैं जैसा हम सोचते हैं वैसा ही हम बनते हैं
वैसे ही आगे बढ़ते हैं वैसे ही कार्य करते चले जाते हैं
क्योंकि विचार एक ऐसी ताकत है जो आपको उसी दिशा में अग्रसारित करती है जिस दिशा की ओर आपके विचार उत्पन्न हो रहे हैं.


' सफलताओं ' का शीर्षक ना हो तो, ' संघर्षों ' की कहानी कोई नही पढ़ता लेकिन
अपनों को अपनों के संघर्ष की कहानी जरूर पढ़नी चाहिए क्योंकि इसमें आपका भी योगदान होता है


कोई शत्रु नहीं, बल्कि मनुष्य का मन ही अपना मित्र - शत्रु है ..जो उसका पथ नष्ट करता है. 
इसलिए स्वयं को सदैव सम्यक ' साथ ', सम्यक ' दृष्टि ', और सम्यक ' वाणी ' के अधीन रखें    


' व्यक्ति ' क्या है, यह ' महत्वपूर्ण ' नहीं है,
व्यक्ति में क्या ' गुण - अवगुण ' हैं यह हमारे लिए ' अत्यंत ' बहुत महत्वपूर्ण है।    


' निंदा ' से घबराकर अपने ' जीवन ' के परम ' लक्ष्य ' को कभी ना छोड़े 
क्योंकि लक्ष्य मिलते ही निंदा करने वालों की ' राय ' शीघ्र बदल जाती है।


सहयोग एक अनमोल तोहफ़ा है जो देने मे भी अच्छा लगता है और मिल जाये तो भी अच्छा लगता है।


' ईद ' मुबारक


क्यों नहीं आज हम ज़माने की निगाह में मेरे अपनों के लिए ' ईद ' की चाँद हो जाए
ईद-उल-फित्र के दिन गुम से हमारे ' दिल ' मिल जाए फिर
जिंदगी के तमाम ' शिक़वे ग़म ' भुला कर बस ताउम्र ईद -उल- फित्र की दिली मुबारकबाद भी हो जाए


गिले ' शिकवे ' तो सभी को है अपनी ' जिंदगी ' से दोस्तों ..
पर जो ' मुश्किलों ' में भी मौज से जीना जानते है वो
' अपनी ' जिंदगी से कभी शिकायत नहीं करते..


मुमकिन नहीं कि  हर वक्त मेहरबां  रहे जिन्दगी ....
कुछ लम्हें  जीने का तजुर्बा भी सिखाते हैं.
सही कही 
मगर यह भी मुमकिन कि हर वक्त मेहरबां रहे जिन्दगी ....
गर भरोसा हो अपनों का ,साथ हो अपनों का, इरादे हो अपनों का,
लड़े झगड़ें भी आपस में ही हो 
आपस की निजता में कोई तीसरा हमदोनों के बीच में न हो   


कल्पनाएं लिखना जितना आसान होता है भावनाएं लिखना उतना ही कठिन
सही कहा आपने। लेकिन ....यदि हम ' दिल से ' एक हो अन्तर्मन में उठती सुन्दर भावनाओं की कल्पनाशीलता भी मनचाहे शब्दों में मन के ' कोरे कागज़ ' पर लिपि बद्ध हो जाती है  

 
पता नहीं क्यों दुनियाँ में सबको अपना छोड़ कर दूसरों की जिंदगी के दरारों में झाकने की बड़ी बुरी आदत है,बेहतर हो संबंधों को मजबूत कर दरवाजे खुले रख दो, देखना कोई आस पास भी नही दिखेगा
लेकिन बात फिर वही है आपसी संबंधों में निजता की, प्रेम की , विश्वास की , और धैर्य की
....कम से कम अपनों के लिए आपसी संबंधों में तो इन चीजों को जरूर रखें

अपनों की ' परवाह ' वो ' संजीवनी बूटी ' है जो कभी भी 
      ताउम्र ' दिल' के रिश्तों को कभी मरने नही देती       


किसी व्यक्ति की ' शिक्षा ' यदि  उस  व्यक्ति के ' बर्ताव ' में आपको, न  दिखाई दे ,
   तो उसके द्वारा शिक्षा के लिए हासिल की गई  तमाम ' डिग्रियाँ ' ' महज एक कागज का टुकड़ा है.... 


यह ' जिंदगी ', पत्थर की वह ' मूरत ' है...
जिसे बिना ' चोट ' मारे, ' तराशा ' नहीं जा सकता... 


शौक से निकालिये हम में नुक्स ढूंढ़ ढूंढ़ कर हुजूर.. !
गर आप नहीं होंगे जौहरी हमारे तो हमें तराशेगा कौन हीरे की तरह


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शक्ति : मधुर : शब्द चित्र : विचार.पृष्ठ : १ / २ / ३ . 
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राधिका : कृष्ण 


 जो ' ठीक ' लगे वो ही देना ' प्रभु ' हमारा क्या है ?
हम तो कुछ भी मांग लेते हैं ..
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सम्यक आचरण : जीवन सुरभि : त्रिशक्ति : सरस्वती : नर्मदा डेस्क : पृष्ठ : १ / ३ .
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संपादन.


महा सरस्वती. 

  
नर्मदा डेस्क : जब्बलपुर

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महासरस्वती : दृश्यम : विचार : नर्मदा डेस्क : प्रस्तुति. पृष्ठ : १ / ३ / ०.
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दृश्यम : विचार :  श्री गोविन्दाय नमः 


चित्रलेखा : भगवान साथ है तो परेशानियाँ छोटी 

जया : दुनियाँ के सामने मत रोना 
  
रोना हो तो भगवान से सामने रोना 
दृश्यम : मध्य प्रदेश शक्ति पीठ दर्शन 
लक्ष्मी, शक्ति, सरस्वती की एकीकृत शक्ति हैं तू.
 रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये सृष्टि चला रहें हैं

 होहिए वही राम रचि राखा को करि तर्क बढ़ावे. 

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महासरस्वती : विचार : शक्ति : नर्मदा डेस्क : प्रस्तुति.पृष्ठ : १ / ३ / १. 
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 जो ' ठीक ' लगे वो ही हमें देना ' प्रभु ' हमारा क्या है ?
हम तो कुछ भी मांग लेते हैं ..


दुनिया में छोड़ने जैसा कुछ है तो दुसरो से ' उम्मीद ' करना छोड़ दो।
   अपनों से ही है ' जिंदगी ' एक ' आस ' के साथ उसे बंधे रहने दो 


              
आत्मीय जनों के साथ मेरे सम्बन्ध ' अंतहीन ', ' निःस्वार्थ ', 'आस्थापूर्ण ' , ' विवेक सम्मत  ' ,' भावुक ' 
' सम्यक वाणी ' युक्त तथा ' मधुर 'सम्बन्ध हो . यही मेरे अपनों के 
सम्मिलित जीवन की  वास्तविक ' शक्ति ' है ,
ईश्वर इसे  जन्म जन्मांतर तक़ स्थायी बनाए रखे.  

' अनुशासन ' कठिन जरूर लगता है 
लेकिन अपने जीवन में ' अपरिहार्य ' बन जाए तो ' सफलता ' निश्चित ही है 

हमारी आदतों में यदि घमंड शुमार हो जाए तो 
हमें बर्बाद के लिए शत्रु नहीं हम ही काफ़ी है 


' रघुकुल ' रीत सदा चली आई
' प्राण ' जाई पर ' वचन ' न जाई.

तुलसी दास.

' धीरज ', ' धर्म ', ' मित्र ' अरु ' नारी ',
आपद काल परखि आहिं चारी
तुलसीदास.



ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोए,
औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए.
कबीर 


रेत रेगिस्तान में ,चमकते  हैं रौशन सितारें सौभाग्य से किसी के आसमान में 
 मिलते है  मान और सम्मान अपनों से, अनमोल दोस्ती और बेहतर इंसान में 


सहयोग एक अनमोल तोहफ़ा है जो देने मे भी अच्छा लगता है और मिल जाये तो भी अच्छा लगता है।

मानव जीवन में कुछ से पवित्र सम्बन्ध वृक्ष स्नेह विश्वास की नम जड़ों से ही स्थायी
रूप से जुड़ें होते हैं वे किसी ' पद ', ' प्रतिष्ठा' ,और प्रलोभन ' के आकांक्षी नहीं होते  

हम जैसा सोचते हैं, वैसा ही बन जाते हैं जैसा हम सोचते हैं वैसा ही हम बनते हैं
वैसे ही आगे बढ़ते हैं वैसे ही कार्य करते चले जाते हैं


 ' सच ' माने तो अपने जीवन में ' अंधेरा ' नाम की कोई चीज ही नहीं है 
यह तो सिर्फ ' प्रकाश '  मात्र की अनुपस्थिति है
इसी तरह अपने जीवन में ' समस्या ' जैसी नाम की कोई चीज ही नहीं है 
यह तो सिर्फ आपके समाधान खोजने मात्र के लिए एक ' प्रयास विचार शक्ति ' का अभाव है
 

 अपनों की ' परवाह ' वो ' संजीवनी बूटी ' है जो कभी भी 
      ताउम्र ' दिल' के रिश्तों को कभी मरने नही देती 

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नव शक्ति. विचार प्रस्तुति. शिमला  डेस्क : पृष्ठ : २ / ० .
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संपादन :


 
रेनू ' अनुभूति ' नीलम. 


 ये जीवन है : इस जीवन का 
कारात्मक : शब्द : सुविचार.


रहिमन निज मन की व्यथा, मन में राखो गोय
सुनि इठलैहैं लोग सब, बाटि न लैहै कोय.

भावार्थ
अपने दु:ख को अपने मन में ही रखनी चाहिए।
दूसरों को सुनाने से लोग सिर्फ उसका मजाक उड़ाते हैं परन्तु दु:ख को कोई बांटता नहीं है।
रहीम


लाली मेरे लाल की , जित देखूं तित लाल,
लाली देखन मैं गई, मैं भी हो गई लाल

कबीर 


' लाल ' ना रंगाऊ, ' हरी ' ना रंगाऊ,अपने ही रंग में रंग दे ' सांवरिया ',
 ऐसी रंग दे कि ' रंग ' नहीं छूटे, ' धोबिया ' धोए चाहे सारी ' उमरिया '.

नीलम पांडेय. वाराणसी 


आप चाहकर भी अपने प्रति लोगों की ' धारणा ' को, नहीं बदल सकते, 
इसलिए अच्छे ' कर्म 'करते रहिए और सुकून से अपनी ' जिंदगी ' जिएं और ख़ुश रहें।


' ठेस ' तो हर रास्ते पर लगती ही है निश्चित आपको करना है कि 
गिरने के बाद आपको वही बैठ कर ' रोना है ' या ' हँसते हुए ' आगे बढ़ना हैं 


मुझे ' आज़माने ' के लिए तेरा शुक्रिया ' जिंदगी ' 
मेरी ' क़ाबलियत '  ही  निखरी है तेरी हर ' आजमाइश ' के बाद 

रेनू शब्द मुखर : जयपुर 

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नव शक्ति. दृश्यम : विचार : प्रस्तुति. मीरा डेस्क : जोधपुर  पृष्ठ : २/ १ .
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 संपादन. 

 

जया सोलंकी / जोधपुर.राजस्थान. 


नव शक्ति. दृश्यम : विचार : 

औरत होना आसान नहीं है. 


स्वामी पाप हरो देवा स्वामी सब कुछ है तेरा. 




नव शक्ति. दृश्यम : विचार : आर्य पुरुष का सम्मान करें. 

नव शक्ति दृश्यम : विचार :  प्रेम  निःस्वार्थ है. जया किशोरी.  
नव शक्ति : दृश्यम  : मीरा का कृष्ण प्रेम : कुमार विश्वास. 

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नव शक्ति डेस्क. शिमला.
सम्पादकीय : पृष्ठ : २.
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संस्थापिका.
मातृ शक्ति.
 
निर्मला सिन्हा.
१९४० - २०२३  
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प्रधान  संपादक.
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रेनू शब्द मुखर : जयपुर.
अनुभूति सिन्हा : शिमला. 
नीलम पांडेय : वाराणसी. 
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प्रधान
कार्यकारी  संपादक.
-------------
  


डॉ.सुनीता ' शक्ति ' प्रिया.
नैना देवी / नैनीताल डेस्क.
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सहायक 
कार्यकारी संपादक 

सरस्वती लक्ष्मी.
 

 नर्मदा डेस्क : जब्बलपुर.
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फोटो संपादक.
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बी. गुप्ता. शक्ति / देहरादून.
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अतिथि संपादक.

मानसी कंचन / नैनीताल.

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नेत्री .
डॉ. भावना माधवी.

 उज्जैन.
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कला संपादक.


अनुभूति शक्ति. 
शिमला.
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संयोजिका.


वनिता ' शक्ति ' / शिमला.
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वरिष्ठ संपादिका.



डॉ. मीरा श्रीवास्तवा / पूना.  
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क़ानूनी संरक्षण.

सीमा कुमारी.  
डिप्टी चीफ लीगल एड डिफेंस काउंसिल 

विदिशा.


अधिवक्ता / नई दिल्ली.  

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अभिभावक / संरक्षक.

 

चिरंजीव नाथ सिन्हा.
ए.एस.पी. लखनऊ.
रश्मि श्रीवास्तवा.
ए.एस.पी.
कर्नल सतीश कुमार सिन्हा.
सेवा निवृत.हैदराबाद.
अनूप कुमार सिन्हा.
व्यवसायी. नई दिल्ली.
मुकेश कुमार. पुलिस.उपाधीक्षक.रांची 
राज कुमार कर्ण.
सेवा निवृत वरिष्ठ पुलिस. उपाधीक्षक.पटना
विजय शंकर.
सेवा निवृत वरिष्ठ पुलिस. उपाधीक्षक.पटना
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दिग्दर्शक / मंडल.
रवि शंकर शर्मा. संपादक. दैनिक भास्कर.नैनीताल.
डॉ. नवीन जोशी.संपादक. नवीन समाचार .नैनीताल.
मनोज कुमार पांडेय.संपादक.ख़बर सच है.नैनीताल.
अनुपम चौहान.संपादक.समर सलिल.लख़नऊ.
अनिल लढ़ा .संपादक. टूलिप टुडे.राजस्थान.
डॉ.आर. के. दुबे. लेखक ,संपादक.नई दिल्ली.
रंजना : स्तंभ कार स्वतंत्र लेखिका. हिंदुस्तान :नई दिल्ली.
अशोक कर्ण : फोटो संपादक. पब्लिक एजेंडा. नई दिल्ली.
डॉ. मीरा श्रीवास्तवा / पूना.
रीता रानी : जमशेदपुर.
नमिता सिंह : रानीखेत 
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आकाश दीप : पद्य संग्रह : ये वादियां ये फिजाएं बुला रही है तुम्हें : सम्पादकीय : पृष्ठ : ३
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संपादन.


रेनू शब्द मुखर शक्ति '.
जयपुर.
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शब्द चित्र  : सात कस्में : रचना श्रीवास्तवा
 

स्त्रियों में खोजता है महानता. 



विश्व पुस्तक दिवस की शुभकामनाएं.

लघु कविता. 



ख्वाब आंखों में सजाती : किताबें. 

लाइब्रेरी में रखी किताबें 
मुझे अपने साथ सैर कराती हैं 
दुनिया से जोड़,ज्ञान के अथाह सागर में डुबोती जाती.
पास बैठा प्यार के अल्फाज सजा कुछ गुनगुनाती हैं.
अपने में समाहित कुछ ख्वाब आंखों में सजाती हैं.
 जीवन में सच्ची दोस्त बन साथ निभाती हैं.
ज्ञान का महासागर दे मंजिल 
पास ले आती हैं.

जीवन के रेखागणित को समझा सफलता दिलाती हैं.
मन मस्तिष्क को विस्तार दे खुशियों का अनंत सागर लुटाती हैं.
 शब्दों को पहचानने का हुनर दे अनमोल खजाना लुटाती हैं.
 समय की कीमत समझा जीवन को मूल्यवान बनाती है.
सच किताबें विचारों की सच्ची ताकत दे सही मायने में जीना सिखाती है.
 जीवन सुख दुख का मिलन है  रहस्य समझा सच का आइना दिखाती है 
जीवन के घनघोर नैराश्य में ईश्वर की स्तुति सा सुख दे जाती है
तो जीवन के इंद्रधनुषी रंगों में
जीवन को गुलजार बनाती है.
किताबें हाथ मेरा पकड़ जीवन में खुद्दारी से जीना सिखाती हैं.

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आकाश दीप : पद्य संग्रह : दृश्यम : कविता : पृष्ठ : 
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कहानी के तीन किरदार.
 


नियति : प्रकृति : ख़ूबसूरती. 


सीपिकाएँ / डॉ. मधुप. 

हसरत.


कौन सी तेरी मैं 
हसरत पूरी करू 
  बोलो न ? 
बात न करने की 
या फिर सलीक़े से 
की गयी बात 
का जबाव 
सुन कर भी 
न दिल से लेने की 
बोलो न ?

 क्षणिका : सूफी प्रेम. 

किसी के लिए धूप हो गए

' मधुप ' और ' माधव '
के शब्द विश्लेषण में
बस इतना ही अंतर है , प्रभु
चार अक्षर तक साथ चलकर
हम एक हो गए
अंत में आप ' व ' से विजयी हो गए
और हम किसी की जिंदगी के
अँधेरे में उसके
लिए धूप हो गए


डॉ. मधुप.
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मैं कहाँ हूँ ?


मैं कहाँ हूँ ?
तुम्हारे प्रीत का
रंग ओढ़ कर
देखो न !
मैं बन गई ख़ुश रंग हिना
तुम ही तुम हो मुझमें
हर रंग में
बोलो न ?
आख़िर मैं कहाँ हूँ ?

रचना ' शक्ति


रंग गए सखी मेरा मन  


 रंग सांवला था, 
 अपने मन की रंग गए 
वो सावरियां   
 बिना छुए ही मेरा तन,  
रंग गए सखी मेरा मन  
बोल सखी वो कहाँ गए
रंगरेज पिया ?
ढूँढें उनको तरसे मेरे नैन     
निशि दिन बाबरी हो कर जग में 
मैं ढूंढूं 
  खो कर मैं 
अपने दिल का सुख चैन.   
 
डॉ. सुनीता ' शक्ति ' प्रिया. 
नैनीताल डेस्क. 

 
सीपिकाएँ. 

परवाह


रुक गयी है 
सतरंगी शाम
तुम्हारे लिए 
तुम्हारे घर की दहलीज़ पर आके 
नजरें उठा कर देख लो 
कहीं सूरज तो नहीं थम 
गया है तुम्हारे लिए.

 डॉ. मधुप.
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अमर प्रेम. 


तुम ख़ोजते रहें मुझे
यहाँ वहाँ   
मैं  ढूंढता रहा
तुम्हें,कहाँ कहाँ 
 मिल गए एक दिन ख़ुदा 
तो कहा उन्होंने मुझ से 
उसको  कहाँ ढूंढें रे बन्दे 
वो तो तेरे पास में 
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प्रेम की इबारत.


सीपिकाएँ / रेनू 

 हरसिंगार बन मुझ पर छाए हो तुम.


 
मेरी हर सुबह को 
महकाते तुम,
प्रेम की खुशबू से 
रिझाते हो तुम,
मेरे अन्तस को 
लुभाते हो तुम,
बिखरी रहती हूं 
इश्क में तेरे,
हरसिंगार बन 
मुझ पर छाए हो तुम.

रेनू शब्दमुखर.
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दृश्यम : ३ / ० : अति मनभावन कविता. 

तू कितना ख़ास है मेरे लिए : रचना श्रीवास्तवा  

रचना श्रीवास्तवा : सिर्फ वक़्त की लड़ाई है 

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सात कसमें : रचना श्रीवास्तवा.
 
 रचना श्रीवास्तवा : मैंने तलाशा स्वयं को 
रचना श्रीवास्तवा : तुम्हारी याद : अंतहीन आसमां


सीपिकाएँ / डॉ. मधुप. 


हसरत.


कौन सी तेरी मैं 
हसरत पूरी करू 
  बोलो न ? 
बात न करने की 
या फिर सलीक़े से 
की गयी बात 
का  जबाव 
न सुनने  की 
बोलो न ?


 तेरे नाम . क्षणिका
 

फ़र्क है 
किसी के नाम 
कर  लिया किसी ने 
अपनी जिंदगी  तमाम. 
और किसी ने 
जान बूझ कर 
ले ली  
उसकी जिंदगी 
समझते हुए 
अपने नाम 

डॉ. मधुप. 

देखा उन्होंने 
पल भर में 
चेहरा ये बदल जायेगा. 
वे चुप थे 
ऐसे ही रहते थे  
शब्द विहीन थे 
क्योंकि उनकी आदत नहीं. 
सब के सामने बोलने की 
दोनों की आँखों में आँसू ही थे 
एक ने कहा,
 ' तुमने मुझे सब कुछ ख़ामोश रह कर ही 
जग में सिर्फ़ ' नाम ' ही दिया ' 
जबकि दूसरा ग़म में था 
कह भी न सका 
सोच भी न सका, 
उसने क्या काम किया  
नाम  किया  या... ?

हमराज़ 

उसने सब कुछ कह दिया
सब के सामने  
लेकिन किसी ने  कुछ भी न कहा
किसी के सामने
क्योंकि उसे सब कुछ 
सब के सामने कहने की आदत थी 
तो किसी  को अपनी बातें 
दूसरे से छिपाने की आदत थी 
इसलिए तो 
वो  मुझ पर 
बहुत यकीन और मुहब्बत रखते है  
क्योंकि मैं उनके  जीवन  के 
सबसे बेहतरीन हमसफ़र 
और हमराज़ हूँ 
 
 
सब कुछ मेरे साथ ही चला जाएगा 
कम कम 



न किसी मोड़ पर न किसी राह में 
यात्रा : गीत. 


हो सके तो इस 
जीवन की अंतहीन यात्रा में, 
न किसी मोड़ पर 
न किसी राह में, 
साथ कभी न छोड़ कर, 
अपने ह्रदय में 
क्लेश ,क्रोध,स्पर्धा को तज कर, 
युग युगांतर तक सम्बन्धों का निर्वाह कर, 
प्रेम में तोहफ़ा देना ही तो, प्रिय 
सिर्फ़ एक दूसरे को भरोसा 
और अनंत प्यार ही देना. 
बस और कुछ भी नहीं 
जिंदगी भर का साथ निभाना 
क्या बचेगा अपने साथ 
अशेष रह जाना 
जब ख़त्म हो तो यह सफ़र
शेष हो तो केवल स्मृतियाँ मधुर
हमदोनों के साथ 
पर्वत के उस पार तक जाना.   
 किसी राह में 
  किसी मोड़ पर थोड़ा बिलम्ब हो  
तो देखना  
ज़रा रुक जाना 
ठहर जाना.

डॉ. मधुप. 
तुम्हारे लिए ' काव्य संग्रह  से साभार 


  पहली कसम


तुम्हारे लिए ए ज़िंदगी ! 
उस पाक रिश्तें को भी दिल से 
 निभाया हमने बड़ी संजीदगी से 
चुप रह कर
सांसों में जी कर 
बिना कोई गिला शिकवा किए,तुमसे 
  जिस रिश्ते में पहली कसम ही ले ली थी,
तुमने 
बात न करने की हमसे. 


डॉ. मधुप. 
तुम्हारे लिए ' काव्य संग्रह  से साभार 
पुनः सम्पादित :


तेरी मेरी कहानी है.

 देखो न ? 
तेरे मेरे बीच में 
कुछ और नहीं,ज़िदगी  
बस जिद से शुरू हुई
ज़िद में ही ख़त्म हो जाएगी   
ये दो लफ्जों की 
 तेरी मेरी कहानी है.



अपनी तो कुछ भी नहीं  
बस तेरे मन की ही सुननी है 
तेरे मन की  ही करनी है 
 जीने की अपनी रस्में 
बस तुम्हारे ज़िद के लिए ही निभानी  है
ज़िदगी और कुछ भी नहीं 
   तेरी ख़ुशी के लिए बितानी है.
ये दो लफ्जों की तेरी मेरी कहानी है.

डॉ. मधुप. 
तुम्हारे लिए ' काव्य संग्रह  से साभार  
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सखी देखो वो ध्रुव  तारा 


आसमां में टंगे हुए
तारे को देख एक सखी ने 
दूसरी बेचैन सखी से कहा,   
 वो देखो ध्रुव  तारा 
चमक ही तो रहा है 
 तुम्हारी किस्मत का सितारा   
सिर्फ़ तुम्हारा 
भाग्य सारा 


 मैंने तुम्हें कल भी दिखलाया था 
आज भी बतला रही  हूँ 
तुम्हारे लिए उन रास्तों पर 
सदैव बिना दिन दिशा बदले 
चमकता रहेगा उसी रंग में 
तुम्हारे लिए. 
कह रही  हूँ न 
सिर्फ़ तुम्हारे लिए,
लेकिन देखना होगा तुम्हें ,सखी  
बस इतना ही कि फिर कोई धूल भरी 
आंधी न फ़िर से उड़ें...
और ढक ले न कही तुम्हारे सितारे को
इससे बेहतर है कि 
यहाँ से दूर पर्वतों के डेरों से ही 
देखना,
तुम अपने भाग्य के सितारे को 
 जहाँ देवदार हो 
और उसके उपर शाम का बसेरा हो   

डॉ. मधुप. 



तुम्हारे लिए ' मैं पल दो पल का शायर हूँ : काव्य संग्रह : 
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तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : सम्पादकीय लेख : आलेख : संग्रह. पृष्ठ : ४.
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संपादन.

नीलम पांडेय.' शक्ति '.
वाराणसी.
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सम्पादकीय : चैत नवरात्र : शक्ति  संस्मरण : आलेख : ४ / ० . 
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 ' शक्ति ' ही मेरी  सर्व - शक्ति बनी और  मेरा असीम विश्वास भी. 
मैं स्वयं एक ' शक्ति संरक्षित मानव रहा हूँ ...

डॉ मधुप. / शक्ति डेस्क / नैनीताल. 
 

नैनी झील : नैना देवी मंदिर और तेरी दो निगहबान आँखें : कोलाज : डॉ सुनीता शक्ति प्रिया. नैनीताल 

मैं स्वयं शक्ति संरक्षित मानव रहा हूँ। शक्ति में मेरा असीम विश्वास रहा है। और ऐसा मुझे लगता है पिछले जन्म जन्मांतर से शक्ति मेरे साथ रही है। मैं जो भी कुछ अपने जीवन में बुद्धि विवेक , धन ऐश्वर्य , मान प्रतिष्ठा अर्जित करता रहा वह समस्त शक्ति की ही देन रही।  मैं जो कुछ लिखता रहा ,ब्लॉगिंग करता रहा वह सब कुछ शक्ति डेस्क से ही सम्पादित होता रहा। इसलिए मेरी जो भी सृजनात्मक शक्ति रही है वो आध्यात्मिक रूप से भारत स्थित विभिन्न शक्ति पीठों से ही उद्धृत व समर्पित है। 
विशेषतः मैंने अपनी जीवन में जो भी सफलता, संघर्ष, उल्लास ,उदगार  हर्ष - विषाद, जय - पराजय  की गाथा लिखी है वो नैनीताल स्थित नैना देवी मंदिर स्थित नैना देवी मंदिर डेस्क को ही समर्पित है। प्रतीत होता है झील में गिरी शक्ति की आँखें मेरे स्वयं के सम्पूर्ण अस्तित्व की निगहबान है। 
बताते चले नैना देवी मंदिर का नाम उस पौराणिक कथा से पड़ा है कि देवी सती की आंखें (नयन) इस स्थान पर गिरी थीं जब भगवान विष्णु ने उनके शरीर को ५१ अलग-अलग हिस्सों में काट दिया था। दरअसल, पूरे शहर (नैनीताल), झील (नैनी झील) और नैनी मंदिर, इन तीनों का नाम किंवदंती के नाम पर रखा गया है। आप ज्यो ही नैनीताल शहर में प्रवेश करते है झील के दूसरे सिरे पर चाइना पीक के नीचे
नैना देवी मंदिर दिख जाता है।
बहुत ही मनोरम स्थान है यह नैनीताल का। आपको यहाँ पर्वत , प्रकृति , प्रेम और अध्यात्म का अद्भुत संगम मिलेगा।
नैनीताल में, नैनी झील के उत्त्तरी किनारे पर नैना देवी मंदिर स्थित है। १८८० में भूस्‍खलन से यह मंदिर नष्‍ट हो गया था। बाद में इसे दुबारा बनाया गया। यहां सती के शक्ति रूप की पूजा की जाती है। मंदिर में दो नेत्र हैं जो नैना देवी को दर्शाते हैं। नैनी झील के बारें में माना जाता है कि जब शिव सती की मृत देह को लेकर कैलाश पर्वत जा रहे थे, तब जहां-जहां उनके शरीर के अंग गिरे वहां-वहां शक्तिपीठों की स्‍थापना हुई। नैनी झील के स्‍थान पर देवी सती के नेत्र गिरे थे। इसीसे प्रेरित होकर इस मंदिर की स्‍थापना की गई है। आज का नैनीताल वही स्थान है, जहाँ पर उस देवी के नैन गिरे थे। नयनों की अश्रुधार ने यहाँ पर ताल का रूप ले लिया। तबसे निरन्तर यहाँ पर शिवपत्नी नन्दा ( पार्वती ) की पूजा नैनादेवी के रूप में होती है।

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शक्ति पहाड़ों वाली  :  विन्ध्यासिनी देवी का प्रसिद्ध मंदिर. आलेख : आलेख : ४ / १ .
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रंजना. 
स्वतंत्र लेखिका : हिंदुस्तान 

शक्ति स्वरूपा देवी  विन्ध्यवासिनी : कला : साभार 

मिर्जा पुर के आस पास  देवी  विन्ध्यवासिनी का प्रसिद्ध मंदिर हैं ,यह भी एक दर्शनीय स्थल है 
देवी  विन्ध्यासिनी त्रिकोण यन्त्र पर स्थित तीन रूपों को धारण करती हैं जहां स्वयं आदिशक्ति महालक्ष्मी विंध्यवासिनी के रूप में, अष्टभुजी अर्थात महासरस्वती और कालीखोह स्थित महाकाली के रूप में विराजमान हैं। मान्यता अनुसार सृष्टि आरंभ होने से पूर्व और प्रलय के बाद भी इस क्षेत्र का अस्तित्व कभी समाप्त नहीं हो सकता।
श्रीमद्देवीभागवत के दशम स्कन्ध में कथा आती है, सृष्टिकर्ता ब्रह्माजीने जब सबसे पहले अपने मन से स्वायम्भुवमनु और शतरूपा को उत्पन्न किया। तब विवाह करने के उपरान्त स्वायम्भुव मनु ने अपने हाथों से देवी की मूर्ति बनाकर सौ वर्षो तक कठोर तप किया। उनकी तपस्या से संतुष्ट होकर भगवती ने उन्हें निष्कण्टक राज्य, वंश-वृद्धि एवं परम पद पाने का आशीर्वाद दिया। वर देने के बाद महादेवी विंध्याचलपर्वत पर चली गई। इससे यह स्पष्ट होता है कि सृष्टि के प्रारंभ से ही विंध्यवासिनी की पूजा होती रही है। सृष्टि का विस्तार उनके ही शुभाशीष से हुआ।
विंध्याचल मंदिर की प्रसिद्धि दूर दूर तक है । शक्ति का भंडार है ।

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कैसे पहुँचे विंध्याचल मंदिर : गतांक से आगे. १ 
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रहने वैसे तो विंध्याचल एक छोटी सी जगह है । पहाड़ों के बीचोंबीच बसा हुआ है । मां विंध्यवासिनी तक पहुंचने के लिए बहुत सीढियां नहीं चढ़नी पड़ती है।यह नजदीकी रेलवे स्टेशन मिर्जापुर से तकरीबन नौ किलोमीटर दूर है । विंध्याचल रेलवे स्टेशन से तकरीबन दो किलोमीटर । स्टेशन के पास ही आटो , रिक्शा व अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं। कोई परेशानी नहीं होती है ढूंढने में । यदि बात की जाए ठहरने की तो फिलहाल विंध्याचल में वैसा कोई होटल नहीं है । हां मिर्जापुर में बहुत सारे होटल है ।
विंध्याचल में ढेरों धर्मशालाएं है जिनमें सारी सुविधाएं मिलेंगी रियायती दरों पर ।
यदि दिल्ली से आवागमन की बात करें तो मगध एक्सप्रेस , पुरुषोत्तम एक्सप्रेस व अन्य गया की तरफ से गुजरने वाली गाड़ियां रुकतीं है । जबकि बिहार से अनगिनत ट्रेन हैं  ।
हवाई मार्ग : हवाई मार्ग सबसे नजदीकी हवाई अड्डा बनारस में है । बनारस से रेल या सड़क दोनों मार्गों से पहुंचा जा सकता है । इतनी बेहतरीन हाईवे बनी हुई है कि सफर का अलग आनंद आएगा ।
विंध्याचल में अभी पाश्चात्य संस्कृति कम ही दिखती है नतीजतन आपको देशी भोजन खास कर अति स्वादिष्ट जलेबी कचौड़ी और सब्जी सुबह का नाश्ता मिलेगा ।
बिहारी लिट्टी चोखा : ऊपर पहाड़ी वाली माता जी के पास लिट्टी चोखा बनवा कर खाने की सुविधा भी है । सोचें इतने ऊंचे पहाड़ पर मनपसंद खाना वो भी बिल्कुल देशी अंदाज में खाट पर बैठ कर खाने को मिले फिर क्या कहने हैं । वैसे तो आईसक्रीम जूस सब कुछ यहाँ है तृप्ति के लिए । आप जो चाहे खाए। 
पहाड़ी पर जाने के लिए रोपवे , सीढियां और सड़क यानि गाड़ी तीनों विकल्प है । बावजूद इसके आपको मंदिर तक जाने के लिए तकरीबन सौ सीढियां चढनी ही पड़ेगी ।
कहा जाता है मां के दरबार में दिल से जो मांगों पुरा जरुर होता है । खासकर यह मां संतानों के मामले में बड़ी दया वान है । यहां पर लोग तंत्र साधना के लिए भी आते हैं । काली खोह वाली माता यानी पहाड़ पर बैठी मां सभी के संतानों पर कृपा दृष्टि रखती है । एक बार हाजिरी लगा दें बस 
अब जल्दी ही बनारस के तर्ज़ पर विंध्याचल कोरीडोर भी बन रहा है । तेजी से काम चल रहा है । 
कोरीडोर बनने के बाद यहां भी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हो जायेगी, ऐसी उम्मीद है । जय माता दी

देवी  विन्ध्यासिनी : विंध्याचलपर्वत 
रंजना / नई दिल्ली
स्तंभ : संपादन,सज्जा  : डॉ सुनीता ' शक्ति ' प्रिया / नैना देवी डेस्क. नैनीताल. 
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सम्पादकीय : नवरात्र : शक्ति  संस्मरण : आलेख : ४ / २   . 
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आव हो जगदम्बा : शक्ति  संस्मरण : आलेख : ४ / २   .


विनायक अंकिता / जोधपुर. 

रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान् ।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।।

आदिशक्ति अर्थात मूल में निवास करने वाली.

आदिशक्ति अर्थात मूल में निवास करने वाली, शप्तशति में लिखते भी हैं " मूलाधार निवासिनी इह पर सिद्धि प्रदे"जगतजननी मां जगदम्बा, जगतकल्याण के निमित्त जिनका देवताओं के तेज से प्रादुर्भाव हुआ ,जो पूरी पृथ्वी को अपनी मातृसत्ता से आच्छादित करती हैं ,जिनकी दस दस भुजाएं,महादेव के तेजोस्वरूप जो त्रिनेत्र को धारण करती हैं उन महादेवी को मैं प्रणाम करता हूं ।जो रोग और शोक का नाश करने वालीं है जिनके शरण में गया मनुष्य कभी भी विपन्नता को नही प्राप्त होता है उन महादेवी को मैं नमस्कार करता हूं।
बहुत सारे त्योहार हैं भारत में ,सबके अपने अपने उद्गार हैं लेकिन दशहरा एक ऐसा त्योहार हैं जो अपने आप में जीवन के विशुद्धिकरण का कारगर तरीका है। जहां की मां को सबसे सुगम माना जाता है और इसी कारण मातृसत्ता को हमेशा निस्वार्थ भाव से सेवा करने वाला माना गया है चाहे आप उसके एवज में उसके लिए कुछ प्रयत्न करते हैं भी या नहीं।
माताओं को दरकिनार करके तथा उनको सबसे आसानी से उपलब्ध मानकर जो दृष्टिकोण मानव जाति ने मनाया है उसी को तोड़ने का एक अवसर होता है ये दुर्गापूजा जिसमे आप किसी व्यक्तिगत प्राणिमात्र की आराधना नही करते बल्कि पूरी सृष्टि की मातृशक्ति को साक्षी मानकर एक सार्वभौमिक इकाई की आराधना करते हो।
मैने महसूस किया है तुम्हे मां, मैं। नही जानता क्यूं हमेशा मैं इस समय तुम्हारे करीब खींचने लगता हूं ,जहां पर सभी उत्सव में प्रणत होते हैं मैं तुम्हारे आगे नतमस्तक होता हूं,भले वो मृणमयी होती है लेकिन मैने तुम्हे अपने काफी पास महसूस किया है उतने की पास जितना हम किसी सजीव देहधारी के अपने इर्दगिर्द होने पर करते है।
जब आश्विन शुक्ल प्रतिप्रदा को तुम अपनी पायल छनकाती हुई मन मंदिर में प्रवेश करती हो न उसी समय से तुम्हारी सुगंध को मैंने अपने नथुनों में महसूस किया है,हालांकि उपस्थिति उतनी तीव्र नहीं होती फिर भी तुम जता हीं देती हो की तुम हो यहीं कही आस पास....
मां मैने तुम्हारी आंखे देखी हैं एक चमक से परिपूर्ण जब तुम सप्तमी को अपनी पूरी भाव भंगिमाओं के साथ अवतरित होती हो, इस क्षण जब मैं तुम्हे वर्णित कर रहा हूं मेरे नेत्र सजल हो उठे हैं,पूरा शरीर रोमांचित हो उठा है गला रूंध सा गया है,मैं हमेशा तुम्हे अपने इतने ही करीब पाता हूं ,जब भी अपने कदम तेरे अनुग्रह हेतु तेरी और बढ़ाएं हैं।
हां तो जब तुम अपनी पूरी भाव भंगिमाओं के साथ उस मृणमूर्ति में सजीव हो उठती हो तब सारे रोम मेरे एक अदृश्य शक्ति को महसूस करके रोमांच में पड़ जाते हैं,
मां मैं साक्षी बना हूं अपने छिछले ज्ञान से ,तुम्हारे सजीव होने का, मैने जितने भी मंत्र पढ़े उन सबमें सिर्फ तुम्हारी कृपा से मुझे तुम्हारी अनुभूति मिली। मैने तुम्हारी आंखों को सजीव होते हुए देखा हैं....तुम्हारे अधरों पर फैलती वो स्मित देखी है।
मुझे याद हैं मां महानिशा पूजा के समय कुष्मांड बलि अर्पण करते वक्त काली काली के उच्चारण के साथ ही मेरा गला रूंध गया था,आंखो से आंसू बह निकले थे और भय मिश्रित हर्ष से पूरा शरीर कम्पायमान हो गया था,फिर कैसे मान लूं की मैने बस एक चर्या के अंतर्गत पूजा का विधान किया जबकि यह एक साक्षात्कार था मेरा तुम्हारे उपस्थिति के साथ।
मैने देखी है तुम्हारी सजल होती आंखे तुमरे विसर्जन के समय ,जैसे बस आंसू अब तैर चले हों, पलको से ढुलककर गालों पर एक पदचिन्ह छोड़ते गए हों,और यही वो पल होता है जब तुम अस्तगामी सूर्य की लालिमा के बीच जल की अतल में विश्राम करने को उद्धत होती हो की मेरे सब्र का बांध टूट जाता है फिर आंखे विकल मन से अश्रुधाराओं का विमोचन करने लगती हैं। फूट फुटकर रोना, तुम्हारी विदाई के समय मेरी नियति बन चुकी है....और जब तुम सारे नेह के नाते तोड़कर सुतल में विश्राम करने चली जाती हो तभी से प्रारंभ हो जाता है मेरा इंतजार अगली बार तुमसे मिलने का .... प्रणाम मां
संपादन : पृष्ठ सज्जा : अंकिता / इलाहाबाद 
विनायक सत्यम. जोधपुर. राजस्थान.
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श्रांत और एकांत : कही अनकही मन की : अन्य : आलेख : ४ / ३    .
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विनायक अंकिता / जोधपुर. 

उसे लिखना था उन लंबी रातों को,आंखों में पसरे उन ख्वावों को : कोलाज : शक्ति

मैं क्यों लिखता हूं ? भरे पड़े हैं रचनाओं से,बड़ी बड़ी अलमारियां, बुकसेल्फ, ठसाठस भरी है तमाम तरह की कहानियां। फिर भी वो लिखना चाहता है ,वो लिखना चाहता है क्योंकि इतना लिखने के बाद भी लगता है बचा रह गया बहुत कुछ।
उसने पढ़ा है उसकी काली आंखों को लेकिन उसमे भरे इंतजार को पढ़ने की लालसा दबी रह गई थी... उसने उन होठों की नर्माहट तो पढ़ी थी लेकिन अपने प्रेमी को देखकर उस पे आई कंपकपाहट को कहीं पढ़ा नहीं जा सका था ....
उसने पढ़ा था प्रेम की गहराइयों को लेकिन सामाजिक दायरों में दबकर रह गई। उसकी घुटन को पढ़ने का इंतजार अनवरत जारी था...शायद इसीलिए उसने कलम उठा ली थी ,वो लिख देना चाहता था। अपनी उन सारे अनुभवों को जो उसे लगता था की शायद उससे ज्यादा और उससे बेहतर कोई जता ही नही सकता।
उसे लिखना था मां की आंखों को जो उसका बचपन सुनते हुए चमक उठती थी। और अपने पिता का त्याग । उसे लिखना था अपने उस प्रेमिका की नर्म नर्म हथेलियों को जिनके स्पर्श मात्र से उसका हृदय पुलकित हो जाता था।
उसे लिखना था उन दोस्तों की अक्खड़ बातें जो जीवन के एक मोड़ पर आकर विदा कह गए थे। उसे लिखना था उन एक जोड़ी आंखों को जो सामने पड़ जाने पर नजरें चुराने लगती थीं l
उसे लिखना था उन लंबी रातों को आंखों में पसरे उन ख्वावों को जिन्होंने अपने सुंदर भविष्य की रूपरेखा खींची थी। उसे ये भी तो लिखना था की कैसे अकेली अंधेरी रात में घर की याद ने उसे बच्चे की तरह फुटफुटकर रुलाया था l
उसे अपनी जिम्मेदारियों से घिरी हुई अपनी कुर्बानी लिखनी थी। उसे लिखनी थी उन कोमल आंखों में छलकते हुए आंसुओं को जिन्होंने जीवन के एक निर्जीव क्षण में विदा मांगी थी ।
उसे लिखना था अपना वादा जो उसने कभी किसी से किया था की उसके अक्स को धूमिल नही होने देगा। उसे लिखना था चिता पर राख होती हुई जिस्म को,और उस उस उदगार को जो उन लपटों के साथ साथ हीं आकाश में उठते जा रहे थे।
इतना कुछ दबा था उसके अंदर ,वो सब लिख देना चाहता था एक पन्ने पर ताकि वो स्वतंत्र हो सके। अपने उन जिम्मेदारियों से, मुक्त हो सके की अब सजग रहने की आवश्कता नही रह गई हैं क्योंकि सब कुछ सहेजा जा चुका हैं ,अब अगर मन कहीं डूब जाना भी चाह तो वो उसे छोड़ सकता है बिना किसी हिदायत के।
कोई क्या ही लिखा पाएगा उन तमाम मनोवृतियों को, किसी ने जाना नहीं होगा ? किसी ने जाना होगा तो उससे अपने मन को सींचा नही होगा। और वह इन अमूल्य जीवन निधियों को यूं ही व्यर्थ नहीं जाने दे सकता। शायद इसीलिए ...वो सब कुछ लिख देना चाहता है ,अपनी तरह से .....अपने शब्दों में ....
संपादन : पृष्ठ सज्जा : अंकिता ' शक्ति '  / इलाहाबाद. 
विनायक सत्यम. जोधपुर. राजस्थान.

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सुरकंडा देवी मंदिर मसूरी का प्राकृतिक आध्यात्मिक मंदिर.

शक्ति यात्रा अध्यात्म आलेख : ४ / ३
   विनायक अंकिता / जोधपुर.  

सती और शिव के अमर प्रेम का प्रतीक : सुरकंडा देवी : फोटो : अंकिता विनायक. जोधपुर 

मसूरी से लगभग ४५ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है सुरकंडा देवी का मंदिर ,भारतवर्ष के ५१ शक्तिपीठों में से एक जहा सती का मस्तक गिरा था ,पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रम्हा जी ने इस स्थान का नाम सुरकुट भी कहा है ,कालांतर में इसका अपभ्रंश बदलकर सुरकुंडा देवी हो गया है ।
ज्ञात हो कि जब महादेव सती का मृत शरीर लेकर भ्रमण कर रहे थे तब भगवान विष्णु ने उन्हें माया से ग्रस्त जानकर अपने सुदर्शन से उनके शरीर को ५१ हिस्सों में काट दिया था जिसका हरेक हिस्सा शक्तिपीठ के नाम से प्रसिद्ध हुआ । महादेव का सती के प्रति प्रेम को यहां अगर मैं नही लिखूं तो जैसे शरीर के हृदय को ही विलुप्त कर दूंगा ।
कितना उत्कृष्ट रहा है वो प्रेम ,कितना प्रबल वेग है जिसमें सारी सृष्टि को निगल जाने की शक्ति है ,वो तांडव जिसमे ब्रम्हांड को समाप्त कर देने की क्षमता है ,शिव अपने प्रेम के नष्ट होने पर जैसे चेतावनी दे रहें हो की इतना सहज नहीं है प्रेम का किसी के द्वारा नष्ट किया जाना प्रेम का सबसे विशुद्ध स्वरूप जिसमे दोनो एकाकार हो गए हैं ,शायद इसीलिए भी अर्धनारीश्वर का स्वरूप शिव के अलावा और कहीं नहीं दिखता। समर्पण का उत्कृष्ट स्वरूप।
प्रेम के लिए कृष्ण भी उदाहरणीय हैं लेकिन उन्होंने प्रत्यक्ष रूप से प्रेम को सरल रखा और राधा से उनकी विरक्ति के बाद उनका प्रेम हमेशा से परोक्ष प्रेम रहा लेकिन महादेव ने प्रत्यक्ष रूप से चेतावनी के स्वरूप में प्रेम को परिभाषित किया,
महादेव सा प्रेम करने की सामर्थ्य पाना महादेव के पास ही है।
तो मैं पहाड़ों की बीच ,जिसके दोनो ओर पाइन और चीड़ के वृक्ष पहाड़ों से कद मिलाने की होड़ में अपने सिर को उत्तुंग करके खड़े थे,बड़ा ही मनोरम दृश्य था पहाड़ों से आती ठंडी हवा हृदय को प्रफुल्लित कर रही थी जैसे सारा शरीर नया हो गया हो ,अपनी स्कूटी के साथ जैसे एक अलग ही दुनिया में घूम रहा था ,हम जैसे गंगा दोआब वालों के लिए प्राकृतिक सौंदर्य हमेशा से आकर्षक रहा है जहां पहाड़ों के हृदय स्थली हरे भरे बागानों से भरे पड़े हों ,घाटियों में बैंगनी मिश्रित गुलाबी फूलों के गुच्छे जैसे हृदय चुरा ले जाते हों,वस्तूतः प्रकृति जब श्रृंगार करती है तो उसके सामने सारी नवयौवनाएं भी नजरें चुराकर ही निकल पाती होंगी।अजीब सा आकर्षण।
मैने रुककर छटाओं को मानस पटल पर कैद किया और फिर दोनो बाहों को फैलाकर उस विहंगम दृश्य को अपने हृदय से लगा लेने का उपक्रम किया ,मुझे नहीं पता ये कितना सही है या गलत लेकिन मन को एक संदेश जाता है की उसे पूरे नयनाभिराम दृश्य ने एक अप्रतिम सौंदर्य की मूर्ति बनकर अपना सिर मेरे वक्षस्थल में छुपा लिया हो और आप उसको अपनी पूरे सामर्थ्य तक अपना पाए हों।इस सफर पर हरेक क्षण मुझे लगता रहा की गंतव्य से मनोरम तो ये घूमते हुए रास्ते है
करीब एक से दो घंटे के सफर के बाद मुझे चुनरी और पूजा सामग्री की दुकानें दिखनी शुरू हो गई, और फिर पहाड़ो की तलहटी में दिखा मंदिर जाने का रास्ता ,यहां आपको कोई ज्यादा भीड़-भाड़ नही मिलेगी ,करीब दो किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई के बाद शिखर पर आपको माता का मंदिर दिख जाएगा ,अगर आप चाहे तो रोपवे का इस्तेमाल भी कर सकते हैं जिसका किराया तकरीबन दो सौ रुपए तक आएगा नही तो आप पैदल मार्ग से अपनी चढ़ाई प्रारंभ कर सकते हैं।
दोपहर की धूप के बीच हवा की ठंडक आपको दिसंबर की सर्दी का एहसास करवा देगी ,जब बिहार और यूपी में गर्मी से लोग त्रस्त हो रहे होंगे तब आप खुद को गर्म कपड़े न लाने की वजह से कोस रहे होंगे।सुरकंडा देवी के मंदिर पंहुचने के बाद मैने माता का दर्शन किया ,यहां माता की मूर्ति शीला रूप में जिसमे पूरी आकृति उकेरी हुई है दिख जाएगी,वहां पुजारी जी से ज्ञात हुआ की ये सदेह मूर्ति स्वयंभू है जो जड़धारी गांव के एक व्यक्ति को माता के प्रेरणा स्वरूप प्राप्त हुआ था,जड़धारी वंश के साथ माता का संबंध के विषय में एक कहानी ज्ञात हुई जो काफी रोचक लगी।
जड़धारी गांव के व्यक्ति के द्वारा माता की प्राण प्रतिष्ठा के एवज में वो गांव माता का मायका के रूप में प्रचारित है जहा के लोग हरेक तीसरे साल माता को अपने मायके अर्थात जड़धारी गांव चैत्र नवरात्र में बुलाते हैं ,नंगे पांव चल मूर्ति को सिर पर रखकर करीब सोलह किलोमीटर तक चलकर अपनी बेटी को मायके ले जाते हैं और नवरात्रि के पश्चात नाम आंखो से मंदिर के लिए विदा करते हैं।इस गांव के लोग माता के चढ़ावे और मंदिर के किसी आय को कोई हिस्सा नहीं लेते जोकि भारत का हरेक पिता अपनी बेटी के ससुराल का कुछ नही लेता ,यहां के लोग माता के मामा कहलाते हैं।
कितना सहज प्रेम और रिश्ता है जगतजननी माता के साथ ,प्रेम का सहज स्वरूप जिसमे दिव्य शक्तियों को अपने रिश्तों से बांध दिया जाता है ताकि अध्यात्म का मार्ग सुगम हो जाए।
हमने वहां करीब एक घंटे बिताए, वहां लगे सूचना पट्ट से ज्ञात हुआ की सुरकंडा माता के नाम से कहीं डोली नचाई जाती है जोकि दावा करते हैं सुकंडा माता के दरबार का जबकि असली शक्तिपीठ जहां माता विराजमान है वहां ऐसी कोई प्रथा प्रचलन में नही है।
चारों तरफ के दृश्य को मन में सहेजकर अगली बार फिर जल्दी से जल्दी चक्कर लगाने की इच्छा लेकर हम समय की कमी के कारण वापस अपने गंतव्य के लिए निकल गए।
संपादन : पृष्ठ सज्जा : डॉ.सुनीता रंजीता प्रिया. / नैनीताल .
आलेख : अंकिता विनायक . जोधपुर. राजस्थान.



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सम्पादकीय : यात्रा संस्मरण : आलेख : ४ / ५ .  
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सहयोग.


डॉ. राजीव रंजन शिशु आरोग्य सदन : बिहार शरीफ. समर्थित. 


कितने जलवे फिजाओं में बिखरे मगर मैंने अब तक 
किसी को पुकारा नहीं : दार्जलिंग यात्रा संस्मरण.
डॉ. मधुप.

दार्जलिंग का नाईटएंगल पार्क : जिसे मैं आज तक नहीं भूलूंगा : फोटो : साभार इंटर नेट.   

दार्जलिंग : यही कोई २०१६ का वर्ष रहा होगा।  हम आठ दस की संख्या में थे। यह मेरी दूसरी यात्रा थी। इसके पहले २००६ में भी मैं दार्जलिंग सिक्किम आ चुका था। वो चाय के बगान, हैप्पी वैली टी स्टेट, बतसिया लूप,चौरास्ता और उसके आगे बढ़ने से ही तो  हमें  दार्जलिंग का नाईटएंगल पार्क मिला था। मुझे याद है उस समय चौरस्ते पर धुंध जैसी बादल बिछी हुई थी।
थोड़े ही देर खड़े रहने मात्र से ही कपड़ें गीले हो रहे थे। सच मेरे मन लायक जगह थी वो। बैठते ही बुलबुल की मधुर आवाजें कानों में गूंजती रही। एकदम सा शांत बगीचा था। हमलोग यथा डॉ. सुनीता,  विदिशा आदि ने घंटों वहाँ बिताए। विदिशा ने यात्रा संस्मरण के कई फोटो खींचे ...और ब्लॉग मैगज़ीन की कार्यकारी सम्पादिका  डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया यात्रा संस्मरण लिखने मात्र के लिए महत्वपूर्ण बिंदुओं को नोट करती रही। हम शाम ढ़ले वापस अपने कमरे में लौटे तो छाता सूखने दे दिया। सच कहें दार्जलिंग घूमते हुए रेन कोट , छाता जरूर रखिए , कब बादल छा जाएंगे कब बारिश हो जाएगी कोई बता नहीं सकता। 
श्रुबरी नाइटिंगेल पार्क : दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे से २. ५ किमी की दूरी पर, श्रुबरी नाइटिंगेल पार्क पश्चिम बंगाल राज्य में दार्जिलिंग के रिचमंड हिल क्षेत्र में स्थित एक सुंदर सार्वजनिक पार्क है। हिमालय पर्वतारोहण संस्थान और चौरास्ता के बीच स्थित, यह दार्जिलिंग में घूमने के लिए खूबसूरत जगहों में से एक है।
पहले 'द श्रुबरी' के नाम से जाना जाने वाला यह पार्क ब्रिटिश राज के दौरान सर थॉमस टार्टन के बंगले का निजी प्रांगण और अंग्रेजी महिलाओं के लिए एक मिलन स्थल था। यह पार्क वर्ष १९३४  में आए विनाशकारी भूकंप के दौरान नष्ट हो गया था। इसे फिर से बनाया गया और १९५०  और ६०  के दशक के दौरान इसे एक प्रसिद्ध बॉलीवुड फिल्म शूटिंग स्थल के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा। हालाँकि, समय बीतने के साथ दार्जिलिंग पहाड़ियों में बढ़ते तनाव के कारण पार्क की उपेक्षा की गई। 
जब मैं २०० ६ में गया था तब यह पार्क अस्तित्व में था। वॉकवे और बैठने की बेंचों के साथ पार्क को फिर से डिजाइन करने के बाद २०११  में इसे फिर से जनता के लिए खोल दिया गया। ऐसा कहा जाता है कि पार्क अंडाकार आकार में है और थोड़ा ऊंचे स्तर पर है। पार्क देवदार और कई अन्य ऊँचे पेड़ों से सुसज्जित है। यह आराम करने और पूर्वी हिमालय की बर्फ की चोटियों के सुरम्य दृश्यों का आनंद लेने के लिए एक आदर्श स्थान है। 
पार्क के मध्य में एक विशाल खुला गोलाकार मंच है जहाँ शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। वीआईपी के लिए, एक विशेष कांच से ढका हुआ लाउंज है, जहां से मंच दिखाई देता है। इस लाउंज को बुलेट प्रूफ़ डायस के नाम से जाना जाता है। दार्जिलिंग गोरखा हिल काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष सुभाष घीसिंग ने इस विशेष लाउंज का निर्माण किया जो वास्तव में बुलेट प्रूफ ग्लास से ढका हुआ है।
ओम नमः शिवाय : मुझे अब भी याद है पार्क के दाहिने छोर पर संबंधित मंदिर के साथ भगवान शिव की एक विशाल मूर्ति है। यहां एक झरना भी है जो भगवान शिव की मूर्ति के ऊपर से नीचे एक छोटी कृत्रिम झील तक गिरता है। यहां का म्यूजिकल फाउंटेन भी एक बड़ा आकर्षण है। शिव का आशीर्वाद ले और अपने मनन , चिंतन तथा अध्यात्म के क्षण बिताए। 

दार्जलिंग यात्रा संदर्भित संगीत. 
मेरी पसंद. 
डॉ. सुनीता ' शक्ति ' प्रिया.  
फिल्म : बरसात की एक रात.१९८१.  
गाना : अपने प्यार के सपने सच हुए.
सितारे : अमिताभ बच्चन. राखी. 
गीत :  आनंद बख्शी संगीत : आर. डी. वर्मन. गायक : लता. किशोर कुमार. 


गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दबाएं.
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गतांक से आगे : १. 

तुम अगर ' साथ ' देने का वादा करो मैं यू मस्त नग्में लुटाता रहूं.
 दार्जलिंग यात्रा संस्मरण. डॉ. मधुप.

मैंने अब तक किसी को पुकारा नहीं : कोलाज : दार्जलिंग यात्रा संस्मरण : डॉ. सुनीता ' शक्ति ' प्रिया 

दार्जलिंग और फ़िल्मी सफ़रनामा : दार्जलिंग : और घूम रेलवे स्टेशन से मुझे याद है मैंने कई फिल्में जिनकी शूटिंग दार्जलिंग में हुई थी मैंने देखी है । दार्जलिंग फिल्मकारों की पसंदीदा जगह रही हैं। कई बेहतरीन फिल्मों और उनके गाने की शूटिंग यहाँ हुई है। आप उन लोकेशंस को देख कर महसूस कर सकते हैं। 
उनमें शम्मी कपूर ,कल्पना की फिल्म प्रोफेसर १९६२, अभिनेता सुनील दत्त, विम्मी, राज कुमार अभिनीत १९६७ की फिल्म हमराज ,राजेश खन्ना ,शर्मिला टैगोर अभिनीत १९६९ की फिल्म आराधना, संजीव कुमार शर्मिला टैगोर अभिनीत फिल्म चरित्र हीन १९७७ ,अमिताभ बच्चन, राखी अभिनीत फिल्म १९८१ की बरसात की एक रात और न जाने और भी कुछ फिल्में होगी। 
जिनके शूटिंग्स ,लोकेशंस को मैं दार्जलिंग में रहते हुए मैं तलाश कर रहा था। उनमें से घूम रेलवे स्टेशन और  बतासिया लूप लोकेशंस प्रमुख थे। मुझे इन्हें देखना था। 
संजीव कुमार शर्मिला टैगोर अभिनीत फिल्म चरित्र हीन १९७७ से याद आ गया मेरी आवारगी की वज़ह से कुछ लोग मुझे बिना अच्छी तरह से जाने समझे चरित्र हीन भी कहने लगे हैं। दुःख तो होता है लेकिन व्यक्ति वादी ,एकाकी होने की वज़ह से मैं ज्यादा परवाह नहीं करता। कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना।
एक बात तो दीगर है यदि आपको अपनी खुद की जिंदगी जीनी है तो अकेले ही प्रारब्ध करनी होगी। लक्ष्य सुन्दर है तो हमसफ़र मिलते ही जाएंगे। 
दार्जिलिंग रेलवे स्टेशन और फिल्म हमराज : दार्जिलिंग प्रवास के दौरान जब मैं दार्जिलिंग रेलवे स्टेशन पहुंचा था तो मुझे हमराज का वो गाना तुम अगर साथ देने का वादा करो मैं यू मस्त नगमें लुटाता रहूं स्वतः याद आ गया। उस गाने में किसी पहाड़ी रेलवे स्टेशन को दिखलाया गया था। शर्तिया दार्जिलिंग रेलवे स्टेशन ही है। मैंने यह फ़िल्म पहले ही देख ली थी। मैं ,मेरी जिंदगी , इसमें पसरा एकाकीपन और फिल्में मेरी रचना शक्ति की प्रेरणा रही है। 
यहाँ  सुनील दत्त म्यूजिकल कंसर्ट के बाद बम्बई घर वापसी के लिए गाड़ी पकड़ने आते है।  विम्मी उन्हें विदा करने के लिए  पुष्प गुच्छ लेकर स्टेशन आती है,क्योंकि वो उनके शहर में एक अतिथि कलाकार बतौर आए थे । ठीक जाने के एक दिन पहले सुनील जो इस फिल्म में कुमार नाम के एक कलाकार का क़िरदार निभा रहें होते हैं तथा विम्मी से अपने प्यार करने की बात कभी अकेलेपन में कह चुके होते है। अभिनेत्री विम्मी को भी उनके लिए स्वयं के मध्य खिचाव का जबरदस्त एहसास था। वो भी उनकी मधुर भावनाओं की क़ैद में थी। दरअसल अभिनेता सुनील दत्त,विम्मी,राज कुमार अभिनीत १९६७ की बी आर चोपड़ा निर्देशित फिल्म हमराज एक मर्डर मिस्ट्री फिल्म है जिसमें सुनील दत्त,विम्मी,राज कुमार के इर्द गिर्द त्रिकोणात्मक प्रेम कहानी है। सुनील दत्त ( कुमार ) से मिलने से पहले विम्मी, आर्मी ऑफिसर कैप्टन राज कुमार से व्याही गयी थी जिनसे उन्हें एक नन्ही प्यारी बेटी भी थी। अकस्मात के छिड़े युद्ध में कैप्टन राज कुमार को सीमा पर जाना होता है जहाँ से वो गुम शुदा हो जाते हैं। 
वह स्टेशन पर समय से पहुंच जाती है। कुमार को वह फूलों का गुलदस्तां भेंट करती हैं। तभी टॉय ट्रेन समय पर खुलती है , कुमार गाड़ी पकड़ने के लिए उनसे विदा लेते हुए दौड़ते है। 
बाद के सीन में पूरे ट्रेन प्लेटफार्म से गुजर भी जाती है। विम्मी को आश्चर्य तब होता है जब अभिनेता सुनील दत्त ट्रेन को छोड़ देते हैं , प्लेटफार्म के दूसरे सिरे पर खड़े मिलते है। शायद यह अनंत प्यार ही था जिसमें कुमार  ने अपने प्यार को अपने स्वार्थ से ज्यादा प्राथमिकता दी। और फिर ये गाने  तुम अगर साथ देने का वादा करो की शुरुआत होती है। 
याद आ गया दिल उस प्रेम कहानी के लोकेशन्स को ही ढूंढ़ने गया था जहाँ से दिल में प्यार की कोपलें फूटी थी। दार्जलिंग स्टेशन और इसके चारों तरफ़ के दृश्य को देखते हुए मैंने उस प्यार की कहानी को आत्मसात करने की कोशिश भी की। ट्रैक पर कुछ दूर चला भी गाने को अनुभूत करने के लिए। 

दार्जलिंग यात्रा संदर्भित संगीत. 
मेरी पसंद. 
डॉ. सुनीता ' शक्ति ' प्रिया.  
फिल्म : हमराज.१९६७. 
सितारे : सुनील दत्त. विम्मी. राज कुमार. 
गाना : तुम अगर साथ देने का वादा करो. 
गीत : साहिर लुधियानवी. संगीत : रवि. गायक : महेंद्र कपूर.
 


गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दबाएं.

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गतांक से आगे : २. 
 
चल ' अकेला ' चल अकेला ....मेरे सपनों की रानी कब आएगी. 
 दार्जलिंग यात्रा संस्मरण. डॉ. मधुप.

दार्जिलिंग रेलवे स्टेशन तू और फ़िल्मी यादें : बीत जाए जिंदगानी कब आएगी : सुनीता शक्ति प्रिया.

दार्जिलिंग रेलवे स्टेशन : अगला स्टॉप बतासिया लूप : भाप और कोयले से चलने वाली विश्व विरासत की ट्रेन जब दार्जलिंग स्टेशन से आगे चली तो हमारा अगला डिस्टिनेशन स्टॉप बतासिया लूप ही था। रास्ते में साथ सड़क दौड़ रही थी। कलिम्पोंग,कुर्सियांग, सिलीगुड़ी  जलपाईगुड़ी जाने वाली कारें टैक्सी , जीप आ - जा रही थी। हम दार्जलिंग शहर के मध्य  ही बढ़ रहे थे। 
कभी कभी दौड़ती हुई किसी खुली जीप में १९६९ में प्रदर्शित हिट फिल्म आराधना के अभिनेता राजेश खन्ना , या कहें सम्बन्ध फिल्म के नायक देव मुखर्जी कल्पना में आ जाते जिन्हें अपने जीवन का सफ़र अकेले ही तय करना था।  गाना था ...चल अकेला... चल अकेला ...चल अकेला ....तेरा मेला पीछे छुटा राही चल अकेला... 
पार्श्व गायक मुकेश के गाए  हुए  इस गीत की पंक्तियाँ है ...' तेरा कोई साथ न दे तो खुद से प्रीत जोड़ ले...बिछौना धरती का करके अरे आसमां ओढ़ ले...।'.... सच में अपने जीवन के अकेले के जिद्दी,अंतहीन सफ़र का यह यात्रा दर्शन ही है। इस सफ़र में अपने स्वयं की मनः शक्ति ही तो होती है ना ...जो हर दुश्वारियों को झेलने की बात करती हैं। मैं मन की दृढ़ शक्तियां की बात कर रहा हूँ। साथ है यदि वो तो क्या गम है ?  
कोई साथ न भी दे तो रविंद्र संगीत में एकला चलो रे के सफ़र ...में अच्छे लोग मिलते ही चले जाएंगे। फिक्र न करें। 
बतासिया लूप : कुछेक मिनटों के बाद हम बतासिया लूप पहुंच गए थे। दार्जिलिंग शहर से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर एक विशाल, घुमावदार रेलवे मार्ग है जिसकी गिनती शहर के मुख्य पर्यटक स्थलों में आती है। पहाड़ों को काटकर उनकी जमीन को समतल करके इस रेलवे ट्रैक "बतासिया लूप" का निर्माण कराया गया।
सन् १९१९ में दार्जिलिंग की टॉय ट्रेन के सफर को सम्भव करने के लिए बतासिया लूप का अभियान शुरू किया गया था जो आज इंजिनीयरिंग की बेहतरीन मिसाल है ।
बतासिया लूप पर टॉय ट्रेन में सफर करते हुए पर्यटकों को विश्व की तीसरी ऊंची चोटी कंचनजंगा के मनोरम दृश्य और पूरे दार्जिलिंग शहर का सुंदर नज़ारा निहारने का मौका मिलता है। साथ ही यहां एक मार्केट भी मौजूद है जहां से पर्यटक स्थानीय वस्तुएं जैसे हैंडबैग्स, पर्स, सजावट का सामान आदि खरीद सकते हैं। 
बतासिया लूप के लिए मेरी एक सलाह है - मानसून रहे या ना रहे आप   दार्जिलिंग में बतासिया लूप देखने जा रहे हैं तो अपने साथ रेन कोट, छाता, बूट्स अवश्य रखें। कब पता रिमझिम गिरे सावन हो जाए 
दार्जिलिंग टूरिस्ट ब्यूरो द्वारा शहर में घूमने के लिए प्राइवेट टैक्सीज़ के रेट फिक्स किए गये हैं। यहां की टॉय ट्रेन में सफर अवश्य करें कभी भी न भूले ।


दार्जलिंग स्टेशन से वॉर ममोरियल तक का सफ़र : गाड़ी बुला रही हैं : कोलाज :
 सुनीता शक्ति प्रिया

गोरखा युद्ध स्मारक : लगेंगे शहीदों के डेरों पर हर वर्ष मेले। वतन पर मरने वालों का हमारे दिल में नामो निशान होगा। नमन करता हूँ , नमन किया है और नमन करता ही रहूँगा उन गोरखा शहीदों को जिन्होंने अपने प्राण उत्सर्ग किए। 
इसी बतासिया लूप के केंद्र में  भारत देश की स्वतंत्रता के बाद होने वाले युद्धों में शहीद हुए गोरखा सैनिकों को समर्पित, त्रिकोणीय आकार का एक ' युद्ध स्मारक ' निर्मित  है जो आम पर्यटकों के लिए एक अत्यंत मनोरम दर्शनीय स्थल । आप जरूर इसे देखें। अगर मौसम साफ हो तो आप भाग्य शाली हुए तो आपको  कंचनजंगा की चोटियां भी स्पष्ट दिख जाएगी। वॉर मेमोरियल सुबह के पांच से शाम के आठ बजे तक खुला रहता है तथा वॉर मेमोरियल के परिसर में प्रवेश करने का शुल्क लगता है।
यहाँ ट्रेन १० मिनटों के लिए रुकती है। आप इत्मीनान से रुक कर इस स्मारक को देख सकते है। इस युद्ध स्मारक का निर्माण जिला सैनिक बोर्ड, दार्जिलिंग द्वारा उन शहीद बहादुर गोरखा सैनिकों की स्मृति में किया गया था, जिन्होंने आजादी के बाद से राष्ट्र की संप्रभुता की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया था। इस स्मारक को २२  मार्च, १९९५  को पवित्र किया गया था।
सन् १९७६ में दार्जिलिंग के जिला सैनिक बोर्ड द्वारा गोरखा सैनिकों की याद में शहीद स्मारक बनाने का एक महत्वपूर्ण कारगर  फैसला लिया गया था । साल १९८४  में दार्जिलिंग के शहीद स्मारक के लिए बतासिया लूप की जगह को चुना गया व पसंद किया गया । १९९० में दार्जिलिंग जिला सैनिक बोर्ड ने रेलवे मिनिस्ट्री से बतासिया लूप के पास की जगह को महज़ ४६०००  रूपये में खरीद लिया। साल १९९४  में इस स्मारक का निर्माण कार्य शुरू किया गया और केवल एक साल में यह स्मारक बनकर तैयार हो गया। 
यह युद्ध स्मारक एक ग्रेनाइट पत्थर से बना स्मारक है जिसके नीचे सभी गोरखा शहीद सैनिकों के नाम लिखे हुए हैं। बतासिया लूप से गुज़रने वाली टॉय ट्रेन कुछ देर के लिए वॉर मेमोरियल के पास रूकती है, यात्री यहाँ उतरकर यहां के गार्डन और वॉर मेमोरियल को देख सकते हैं।

दार्जलिंग यात्रा संदर्भित संगीत. 
मेरी पसंद. 
डॉ. सुनीता ' शक्ति ' प्रिया.  
फिल्म : आराधना .१९६९ . 
सितारे : राजेश खन्ना . शर्मिला टैगोर . 
गाना : मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू . 


गीत : आनंद बख़्शी . संगीत : एस. डी. वर्मन. गायक : किशोर कुमार .
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दबाएं. 

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   गतांक से आगे : ३.  
वर्ल्ड हेरिटेज वाली टॉय ट्रेन : रेलवे ट्रेक : घूम रेलवे स्टेशन :
घूम मोनेस्ट्री.

वर्ल्ड हेरिटेज वाली टॉय ट्रेन  : घूम स्टेशन : कोलाज : सुनीता शक्ति प्रिया. 

वर्ल्ड हेरिटेज वाली टॉय ट्रेन  : छुक छुक करती ट्रेन बतसिया लूप से फिर खुली। बताते चले आप तीन तरीक़े से यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज वाली टॉय ट्रेन का लुफ़्त उठा सकते है। एक यदि आपके पास ८ से दस घंटे का पर्याप्त समय है तो न्यू जलपाईगुड़ी से दार्जलिंग टॉय ट्रेन से आ जाए। इसके लिए आपको प्रथम श्रेणी का किराया १४२० रूपए  लगेगा। रास्ते के मध्य चाय बगानों  की ख़ूबसूरती , प्रकृति के नज़ारे  का अप्रतिम लाभ उठाए। 
और यदि आपके पास अतिरिक्त समय नहीं है आप २ से ढाई घण्टे ही ख़र्च करना चाहते है तो १२०० रूपये की टिकट लेकर आप दार्जलिंग से ऊँचे रेलवे स्टेशन तक़ का सफ़र कर ले । भाप से चलने वाली जॉय राइड टॉय ट्रेन से ही सफ़र करे पैसे वसूल हो जाएंगे। वैसे डीजल वाली ट्रेन भी चलती है। 
तीसरी ट्रेन दार्जलिंग सफ़ारी ट्रेन जो सिलीगुड़ी से चलते हुए वापस सिलीगुड़ी जाती है।  इससे आप रेलवे म्यूजियम, सुखना , जंगल सफ़ारी , महानंदा सेंचुरी को देख सकते है। 
दार्जलिंग का रेलवे स्टेशन और भारत के सबसे ऊंचे रेलवे स्टेशन घूम का सफ़र : यहाँ  से करीब ५.५ किलोमीटर दूर आप पर्यटक भी इसी टॉय ट्रेन द्वारा भारत के सबसे ऊंचे रेलवे स्टेशन घूम  पहुंच सकते हैं। हमने भी सफर का आनंद लेने के लिए घूम स्टेशन तक का टिकट लिया था। यह सोच कर छोटी अवधि ही सही मगर टॉय ट्रेन का भी हमें आंनद उठाना है। 
घूम से दार्जिलिंग जाने के लिए ऊंचे पहाड़ों से सीधा नीचे की ओर रास्ता है जिसपर ट्रेन को चलाना संभव नहीं था इसीलिए पहाड़ों की ढलान को पहले कम करके मार्ग बनाया गया था। ब्रिटिशर्स ने दार्जिलिंग शहर को अपने सैरगाह के स्थल के तौर पर चुना था और उन्होंने ही इस सफर को मुमकिन बनाया। घूम से दार्जिलिंग के लिए १०००  फीट ढलान में ट्रेन उतरती है लेकिन पर्यटकों को किसी खतरे का एहसास नहीं होता।
रास्तें में संकरी ट्रेक पर सब्जी फल बेचने बाले ने भी अपनी पटरी लगा रखी थी।  रेलवे ट्रेक से सटी सड़कें भी दौड़ रही थी जिसपर फिल्म आराधना का राजेश खन्ना के उपर फिल्माया गया गाना ' मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू ...का लोकेशंस यू ही याद आ गया ...
मुकेश के द्वारा गाए गए फिल्म सम्बन्ध के इस लोकप्रिय  गीत ...चल अकेला चल अकेला ...तेरा कोई साथ न दे तो चल अकेला...में ही मेरे जीवन का सार छिपा है।  जहाँ आप के मन माफ़िक दुनियाँ न हो और लोग न अपनी विचार धारा के हो तो अकेले रहना ही बेहतर है।
कोई हमराज नहीं... कोई हमसफ़र नहीं। अपने मन की जी लो शायद इस रास्ते पर चलते हुए फिल्म के नायक देव मुखर्जी ने भी एहसास किया होगा। सच में मुझे अपने जीवन में भी ऐसा विवेकशील ,प्रवक्ता , हमसफ़र , हमराज चाहिए जो निहायत निजी हो , मौन हो और मेरी तरह व्यक्तिवादी हो तथा सयंमित भी हो । जिसे हर समय समय संकुचित समाज के लिए स्पस्टीकरण न देनी पडे ...वो कदाचित निर्भीक हो और संबंधों के प्रति संवेदनशील भी हो.....और शब्दों का जादूगर भी ...शायद किसी लेखक ,कवि दार्शनिक जैसा ।  स्टेशन से सटे ही एक रेलवे म्यूजियम भी है जहाँ पुराने ज़माने की गुड्स डब्बे मिलेंगे। 

घूम मठ : शांति और प्रेम की तलाश में : फोटो : नेट से साभार.

घूम मठ : के पास ही बुद्ध से जुड़ा ओल्ड घूम मठ है जहाँ आप पैदल जा सकते है। हम भी पैदल ही गए थे। थोड़ा नीचे ढ़लान पर उतरते ही हमें यह मठ मिल गया था। बुद्ध से याद आ गया उनका अष्टांगिक मार्ग। जीवन के लिए सर्वश्रेष्ठ मार्ग मध्यम मार्ग को ही माना गया। न वीणा के तार को इतना ढ़ीला छोड़ो जिससे सुर ही न निकलने पाए , न तार इतना कस दो धुन साधने में तार ही खंडित हो जाए।
इस मठ का चोएलिंग लोकप्रिय नाम है । यह मठ गेलुक्पा या येलो हैट संप्रदाय से संबंधित है और यहाँ मैत्रेय बुद्ध की १५ ऊंची शांत प्रतिमा है जिसे दर्शन के लिए लोगों का आना जाना लगा रहता है । इमारत की बाहरी संरचना १८५० में मंगोलियाई ज्योतिषी और भिक्षु सोकपो शेरब ग्यात्सो द्वारा स्थापित की गई थी , जो १९०५ तक मठ के प्रमुख थे।
१९०९ में, क्याबजे डोमो गेशे रिनपोछे न्गवांग कलसांग, जिन्हें लोकप्रिय रूप से लामा डोमो गेशे रिनपोछे कहा जाता था , शेरब ग्यात्सो के उत्तराधिकारी बने। उन्होंने ही मैत्रेय बुद्ध की प्रतिमा बनवाई और वे १९५२ तक इसके प्रमुख बने रहे।
१९५९ में तिब्बत पर चीनी कब्जे के दौरान कई उच्च पदस्थ मठाधीश भारत भाग गये और मठ में शरण ली। १९६१ में, धारदो रिम्पोछे यिगा चोएलिंग मठ घूम, दार्जिलिंग के प्रमुख बने। १९९० में उनकी मृत्यु हो गई और तीन साल बाद, तेनज़िन लेगशाद वांग्डी नाम के एक लड़के को उनके पुनर्जन्म के रूप में पहचाना गया।
मठ को बेहतर बनाने के लिए धारदो रिम्पोचे की देखरेख में प्रबंध समिति की स्थापना की गई थी। कुछ पहल सफल रही हैं, अन्य नहीं।
पिछले दो दशकों से मठ भिक्षुओं और वित्त दोनों के मामले में गंभीर संकट से गुजर रहा है। अब तक मठ को न तो सरकार से और न ही किसी अन्य स्रोत से सहायता अनुदान प्राप्त हुआ है। वर्तमान में मठ स्थानीय भक्तों के दान और योगदान के माध्यम से अपनी जरूरतों को पूरा कर रहा है।

फोटो : कोलाज : डॉ. सुनीता ' शक्ति ' प्रिया  
यात्रा संस्मरण संपादन : प्रिया शक्ति : दार्जलिंग 
क्रमशः जारी....

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कितने जलवे फिजाओं में बिखरे मगर मैंने अब तक 
किसी को पुकारा नहीं : दार्जलिंग यात्रा संस्मरण. आलेख : पृष्ठ : ४ / १
डॉ. मधुप.
    
  गतांक से आगे : ४ :

टाइगर हिल पहाड़ी रास्ते और वो कांची : चाय बेचने वाली नेपाली लड़की..
सत्य घटनाओं पर आधारित

रुत है पहाड़ों का यहाँ बारहों महीने यहाँ मौसम जाड़ों का. दिखती कंचन जंघा की चोटियां   

टाइगर हिल पॉइंट : मूलतः टाइगर हिल २५९० मीटर की ऊंचाई पर स्थित भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के दार्जिलिंग ज़िले में, दार्जिलिंग शहर के पास, का एक अत्यंत मनोरम पर्यटन स्थल है।
यहाँ से कंचनजंघा और अन्य पर्वत चोटियों का मनोरम दृश्य दिखता है, साथ ही यहाँ से विश्व की सर्वोच्च पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट भी देखी जा सकती है। दूर दराज़ से राइजिंग सन देखने के लिए अधिकाधिक देशी विदेशी पर्यटक यहाँ आते हैं ।
टाइगर हिल, यूनेस्को की विश्व धरोहरों में शामिल दार्जिलिंग हिमालयी रेलवे के घूम रेलवे स्टेशन के पास स्थित है, जो भारत का सबसे ऊँचाई पर स्थित रेलवे स्टेशन है।
टाइगर हिल दार्जिलिंग से लगभग ११ किलोमीटर की की दूरी पर घूम नामक स्थान से ऊपर की ओर स्थित है। यहाँ सड़क मार्ग से आराम से पहुंचा जा सकता है। दार्जिलिंग शहर से जीप द्वारा चोटी तक पहुंचने में लगभग ४० मिनट लगते हैं।
घूम स्टेशन से पहले जीप या पैदल चौरस्ता, अलबुनी और जोरबंगल पहुँचा जा सकता एवं उसके बाद पहाड़ की चढ़ाई कर जाया जा सकता है। पर्यटक आरक्षित टैक्सी बुक कर सकते हैं अथवा एक साझा जीप ले सकते हैं। नेहरू और चौक बाजार क्षेत्र में साझा जीप और टैक्सियां उपलब्ध है। यदि आप शहर से बाहर है, तो आपको पहाड़ी के पास एक होटल लेने की आवश्यकता है क्योंकि आपको अंधेरी सुबह में जल्दी जाना होगा तभी आप मनोरम दृश्यमान कर सकते हैं।
जाने की तैयारी : सुबह का समय था। मैं जब २००६ वर्ष में पहली बार दार्जलिंग आया था तो मेरे सहकर्मी संजय मेरे साथ थे। मॉल रोड के पास ही हमलोग ने होटल किराए पर ले लिया था। 
एक दिन पूर्व टाइगर हिल पॉइंट देखने के लिए हमलोगों ने टैक्सी ठीक कर ली थी। तीन बजे अहले हम सभी उठ गए थे। ड्राइवर समय पर आ भी गया था। थोड़ी देर बाद हम सभी इकट्ठे चल भी दिए थे। टाइगर हिल पॉइंट से पूर्व गाडिओं की लम्बी कतारें लग गयी थी।
पहाड़ी रास्ते और वो चाय बेचने वाली नेपाली बाला : कांची : चाय बेचने वाली नेपाली लड़की मुझे याद है हमारी टैक्सी जैसे ही जाम में फस गयी थी तब वहाँ उपस्थित झुण्ड की झुण्ड नेपाली बालायें कार के आस पास मंडराने लगी थी। नेपाली में लड़कियों को हम कांची भी कहते है।
उनके हाथ में थर्मस था और उसमें दार्जलिंग की सोंधी चाय चाय भरी थी।
वो सब को आवाजें लगा रही थी , ' सा'ब ...चाय लेंगे कॉफी लेंगे...सा'ब
उनमें कुछ बला की खूबसूरत थी,मासूम भी । इतनी की हमारे सहयात्री संजय ...उसके मासूम चेहरे को एक टक निहारते ही रहे।
कब ...चाय ढालने के क्रम में ...कप में चाय लेने की वजाय से पैंट पर ही गिरा ली थी उन्हें मालूम ही नहीं हुआ था। तब हम सभी संजय की दशा पर हँसने लगे थे।
मुझे यह भी याद है कि उनकी धर्म पत्नी मेरी भाभी जी से उन्हें हल्की डांट भी पड़ी थी। वे तब हँसते हुए झेंप भी गए थे।
बदली और फिर हम नहीं देख सके : हम सूर्योदय के पहले ही टाइगर हिल पॉइंट पहुंच चुके थे। अभी किरणों का प्रस्फुटित होना बाकी था।
पर्यटकों की संख्या धीरे धीरे बढ़ती ही जा रही थी। हलके बादल भी आसमां में दिखने लगे थे। तभी कोई स्थानीय कह गया था, बदली घिरी है , सा'ब हो सकता है आप सूर्योदय न देख सकें ...
सच में हम सूर्योदय नहीं ही देख सकें।
लोग सुनाते है सूर्योदय के समय अपनी शानदार नज़ारों के लिए यह टाइगर हिल सबसे प्रसिद्ध है। जहां आप कम ऊंचाई पर मद्धिम किरणों के सामने कंचनजंगा और माउंट एवरेस्ट की चोटियों का मनोहारी अवलोकन कर सकते हैं। सच माने तो कपासी बादलों के बीच बर्फ से ढके पहाड़ों का शानदार दृश्य पूरे देश के पर्यटकों को आकर्षित करता है।
दिलचस्प बात यह है कि घूम पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग हिमालयी पहाड़ी क्षेत्र में एक छोटा पहाड़ी इलाका है। यहाँ स्थित घूम रेलवे स्टेशन २२५८ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जो दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे अंतर्गत आता है। यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल है संभावित रूप से यह भारत का सबसे ऊंचा रेलवे स्टेशन भी समझा जा सकता है।
दार्जलिंग आने वाले टाइगर हिल हमेशा से पर्यटकों की पहला पसंदीदा पर्यटन स्थल रहा है। इसे दार्जलिंग में स्थित ' पहाड़ियों की रानी ' के रूप सेे भी जाना जाता है।
कंचनजंघा की चोटियों को सूर्योदय के समय सूर्य उगने से पहले यहाँ से देखना एक प्रमुख पर्यटन आकर्षण है। यहाँ टाइगर हिल से दिखने वाले माउंट एवरेस्ट के बीच की सीधी दूरी १०७ मील या १७२ किलोमीटर है।
स्वच्छ आकाश की दशा में दक्षिण की ओर स्थित कुर्सियांग शहर भी यहाँ से दिखाई देता है और बीच में तीस्ता, महानंदा, बालासोर और मेची नदियाँ भी दक्षिण की ओर प्रवाहित होती दिखती हैं। तिब्बत में स्थित चुमल राई पर्वत यहां से ८४ मील या कहें १३५ किलोमीटर दूर है, जो कोलरा पर्वत के ऊपर दिखाई देता है। सेंचल वन्यजीव अभयारण्य टाइगर हिल के बहुत ही समीप स्थित है।

दार्जलिंग यात्रा संदर्भित संगीत. 
मेरी पसंद
डॉ. सुनीता ' शक्ति ' प्रिया.  
फिल्म : आराधना .१९६९ . 
सितारे : राजेश खन्ना . शर्मिला टैगोर . 
गाना : कोरा काग़ज था ये मन मेरा  . 
गीत : आनंद बख़्शी . संगीत : एस. डी. वर्मन. गायक : किशोर कुमार . लता 



गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दबाएं. 

फोटो :  साभार 
यात्रा संस्मरण संपादन : डॉ सुनीता  शक्ति प्रिया : दार्जलिंग. 
क्रमशः जारी....
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दार्जलिंग यात्रा : गतांक से आगे : ५ :

पशुपति मार्केट : यही वो जगह है 
यही पर तो आप आ कर हम से मिले थे....


दार्जलिंग यात्रा संदर्भित संगीत. 
मेरी पसंद
डॉ. सुनीता ' शक्ति ' प्रिया.
  फ़िल्म : झुक गया आसमान. १९६८. 
गाना : कौन है जो सपने में आया 
सितारे : राजेंद्र कुमार. सायरा बानू.
गीत : आनंद बख़्शी. संगीत : शंकर जय किशन.  गायक : रफ़ी.
 


 गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दबाएं. 

और चौरास्ता : हमारे दार्जलिंग प्रवास का समय समाप्त होने को था। हमने कुछेक दिन निरंतर मॉल रोड के संकीर्ण रास्तें और चौरास्ता पर चहलक़दमी कर गुजारी थी। मॉल रोड से आगे बढ़ते हुए हम चौरास्ता पहुंच जाते है। चौरास्ता शिमला के रिज जैसा ही समतल क्षेत्र है जहाँ आप शुकून के दो पल बिता सकते है। 
यहाँ आपको चाय और ढ़ेर सारे खोमचें वाले मिल जाएंगे। 
इससे आगे बढ़ने से आपकी वायी तरफ़ पहाड़ों का विस्तार मिलेगा। इस शांत इलाके में आगे बढ़ने से आप ठंढ़ी हवा , बारिश के झोंकें और पहाड़ी शहर का विस्तार मिलेगा। मेरी सलाह है इस रास्ते का प्रयोग जरूर करें।  
दार्जलिंग से लौटने का समय था। सच कहें पहाड़ों अपने घर जैसे लगने वाले प्रदेश से कभी भी लौटने की इच्छा नहीं करती। जब कभी भी पहाड़ों से नीचे मैदान की तरफ लौटने की बारी आती है तो लगता है छल प्रप्रंच वाले कौरवों की वस्ती हस्तिनापुर में वापसी हो रही है। 
हमने मिरिक लौटने के लिए गाड़ी ठीक कर ली थी। दार्जलिंग में ठंड थी।  हमारे साथ ब्लॉग मैगज़ीन की छायाकार लेखक सहयात्री डॉ सुनीता थी , और भी कुछ लोग पटना से थे कुछ बंगाल से । 
हमारी पटना वापसी की ट्रेन जलपाईगुड़ी से थी और उसके पहले भारत नेपाल बॉर्डर स्थित पशुपति मार्केट और  मिरिक भी देखना था। गाड़ी जब दार्जलिंग से चली थोड़ी देर बाद ही धुंध मिलती रही। हम कोहरे में सावधानी से आगे बढ़ते रहें। मानना पड़ेगा पहाड़ों पर टैक्सी, सूमो चलाने वाले पहाड़ पुत्र बड़े ही सिद्ध होते हैं। बाबा भोले की कृपा तो होनी ही चाहिए।  
सिमाना व्यूपॉइंट से ६  किमी की दूरी पर, मिरिक से १५  किमी और दार्जिलिंग से २९  किमी की दूरी पर, पशुपति मार्केट मिरिक के पास पशुपति नगर में स्थित एक बाजार है। दार्जिलिंग - मिरिक रोड पर स्थित, यह मिरिक में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है।
यह बाज़ार दार्जिलिंग - मिरिक रोड से लगभग १  किमी की पैदल दूरी पर है और नेपाल क्षेत्र में है। यदि आप सीमा पार करना चाहते हैं और दुकानों पर जाना चाहते हैं तो आगंतुकों को फोटो पहचान पत्र दिखाना होगा और सीमा चेक पोस्ट पर रजिस्टर में विवरण दर्ज करना होगा। ध्यान दें कि केवल भारतीयों और नेपालियों को ही सीमा क्षेत्र को पार करने की अनुमति है। विदेशी नागरिकों को सीमा तक प्रवेश की अनुमति नहीं है। अंदर कैमरे ले जाने की अनुमति नहीं है. समय : सुबह ९ बजे से शाम ६  बजे तक ही आपको जाने की अनुमति प्राप्त होगी। 
हमें याद है यही पर नेपाल पशुपति मार्केट पहुंचने के पहले ही हमें किरण मिले थे। उन्होंने हमारी गाड़ी को हाथ देकर रुकने का इशारा किया था। मैंने ड्राइवर को रुकने का आदेश दिया , पूछने पर पता चला वह पशुपति मार्केट जा रहें थे। हमने उन्हें साथ रख लिया। हम आभारी है उनके जिसकी वजह से हम वहां घुम सकें, कुछ विदेशी चीन की बनी चीजें हमने खरीदी थी। और भारत : सीमा पर बने एक छोटे से ढावें में मैगी भी खायी थी....कैसे भूल सकते है यही वो जगह है यही पर आप आ कर हम से मिले थे।  

दार्जलिंग से लौटने की तैयारी : फोटो : प्रिया शक्ति : दार्जलिंग. 

भारत - नेपाल सीमा पर स्थित, पशुपति मार्केट एक व्यस्त जगह है जहां दुकानों और सड़क विक्रेताओं की कतारें अपना सामान प्रदर्शित करती हैं। यह विशेष रूप से सस्ते आयातित इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, जैकेट, इत्र, सौंदर्य प्रसाधन और कपड़ों के लिए जाना जाता है जो थाईलैंड से आयात किए जाते हैं। विभिन्न प्रकार की रंगीन ऊनी टोपियाँ, दस्ताने, मोज़े, जैकेट, अन्य ऊनी कपड़े, जूते, कलाकृतियाँ और घरेलू सामान मिल सकते हैं। इलेक्ट्रॉनिक सामान भी उचित मूल्य पर उपलब्ध हैं। यहां बिकने वाली कई वस्तुएं इतनी सस्ती हैं कि वे अच्छी नहीं हो सकतीं। नकली चीजों से सावधान रहें. पशुपति नगर के पास गोपालधारा टी एस्टेट भी जा सकते हैं। यह सबसे ऊंचे चाय बागानों में से एक है जो ३२०  हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है।....


फोटो : डॉ. सुनीता ' शक्ति ' प्रिया  
यात्रा संस्मरण संपादन : प्रिया शक्ति : दार्जलिंग 
क्रमशः जारी.....


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 दिल ने फिर याद किया : लघु फिल्म : वृत्त  चित्र :  : पृष्ठ : ६ . 
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संपादन.


डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया / नैनीताल डेस्क. 
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शक्ति : लघु वृत्त चित्र फिल्म : अभिनेता : नवीन निश्चल. पृष्ठ : ६ / १ . 
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मेरे लिए दुनियाँ के सर्वश्रेष्ठ , प्यारे भद्र इन्सान के लिए 

बैठो न दूर हमसे देखो खफ़ा न हो : एपिसोड :५ .

क़िस्मत से मिल गए हो मिल के जुदा न हो 
वो प्यार मिला पर नहीं मिला :
नवीन :एपिसोड :४.  
जीवन भर ढूंढ़ा जिसको : नवीन : 
एपिसोड : ३.    

तुम जो मिल गए हो
 : नवीन : एपिसोड : २    
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बादल झूम के चल : नवीन : एपिसोड : 



महाशक्ति : लघु फिल्म : अभिनेता ; नवीन निश्चल. 

महाशक्ति फिल्म : लघु वृत चित्र : कवि : प्रदीप . 
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लघु : यात्रा : शक्ति : वृत चित्र : फिल्म शोध : निर्माण : डॉ. मधुप : पृष्ठ : ६ / २ . 
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क्या देखें ऋषिकेश में : शॉर्ट फिल्म : डॉ. मधुप.
ऋषिकेश : शॉर्ट फिल्म : यूट्यूब लिंक.


नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.  
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किस मोड़ से जाते है : ये कौन चित्रकार है : कला दीर्घा : २०२४.पृष्ठ : ७.
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संपादन.   

 अनुभूति शक्ति.


शिमला. डेस्क. 

वाराणसी के घाटों की अतुलनीय शोभा : साभार कलाकृति : अज्ञात. 
आ अब लौट चले : हिमालय की गोद में : कला कृति : प्रवीण सैनी. मेरठ.

रावी नदी : चम्बे दा गांव में  गाँव के दो प्रेमी रहते हैं : कला कृति : प्रवीण सैनी. मेरठ

शक्ति स्वरूपा देवी हमारी समस्त दैविक क्रियाओं की अभिकेंद्र बनें  : कला : साभार 
एक ऐतिहासिक विरासत का शहर : शिमला : कृति : अनुभूति शक्ति . शिमला. डेस्क. 
ख़ामोशियों की सदाएं बुला रही है तुम्हें : जल रंगों का प्रयोग : कला कृति : अज्ञात 
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यात्रा विशेष : शीर्षक गीत : ये वादियां ये फिजायें बुला रही है तुम्हें : पृष्ठ : ८ .
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संपादन . 


डॉ. सुनीता ' शक्ति ' प्रिया. / नैनीताल. 


यात्रा संदर्भित संगीत. 
आपकी पसंद. नैनीताल डेस्क.
फ़िल्म : दो चोर.१९७२. 
सितारे : धर्मेंद्र. तनूजा. 
गाना : चाहे रहो दूर चाहे रहो पास सुन लो मगर एक बात 
एक डोर से दिन बँधोगी सनम किसी दिन मेरे साथ  
गीत : मजरूह सुल्तानपुरी. संगीत : आर.डी.वर्मन. गायक : किशोर कुमार. लता.


 
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दबाएं.


फिल्म : शोर.१९७२  
सितारे : मनोज कुमार. नंदा. जया भादुड़ी. 
गाना : एक प्यार का नगमा है.
गीत : संतोष आनंद. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायक : मुकेश .लता.
 

गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दबाएं.

 दिन विशेष : २०.०४. २०२४.  
फ़िल्म : धरती कहे पुकार के. १९६९. 
सितारे : जीतेन्द्र. नंदा. संजीव कुमार. 
गाना : जे हम तुम चोरी से 
गीत : मजरूह सुल्तान पुरी.  संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायक : मुकेश लता. 


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फ़िल्म : मृत्युदंड.१९९७.  
गाना : कह दो एक बार सजना. 
इतना क्यूं  प्यार सजना 
सितारे : माधुरी दीक्षित. अयूब खान.  
गीत : जावेद अख़्तर. संगीत : आंनद मिलिंद. गायक : उदित नारायण. अलका याग्निक.


 
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दबाएं.

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फ़िल्म : पत्थर के सनम. 
सितारे : मनोज कुमार  वहीदा रहमान. 
गाना : बता दूँ क्या लाना तुम लौट के आ जाना. 
गीत : मजरूह सुल्तानपुरी. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायिका : लता.


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विशेष अनुरोध : डॉ मधुप रमण. 
फ़िल्म : बेमिसाल.१९८२.  
सितारे : अमिताभ बच्चन राखी विनोद मेहरा 
गाना : कितनी खूबसूरत ये तस्वीर  है. 
गीत : आनंद वख़्शी.  संगीत : आर. डी. वर्मन. गायक : किशोर कुमार.सुरेश वाडेकर.लता.
 

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फिल्म : चरित्र हीन.१९७४.  
सितारे : संजीव कुमार. शर्मिला टैगोर.
गाना : दिल से मिलने का कोई कारण होगा


 
गीत : आनंद वख़्शी.  संगीत : आर. डी. वर्मन. गायक : किशोर कुमार. लता. 
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दबाएं.

 
फिल्म : दाग़ 
सितारे : राजेश खन्ना. राखी. शर्मिला टैगोर. 
गाना : मेरे दिल में आज क्या है 
गीत : साहिर लुधियानवी. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायक : किशोर कुमार.


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  फिल्म : अभी तो जी ले. १९७७. 
सितारे : जया भादुड़ी. डैनी.
गाना : तू लाली है सवेरे वाली 
गीत : नक़्श लायलपुरी. संगीत : सपन जगमोहन. गायक : किशोर कुमार. आशा भोसले. 
   

 गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दबाएं. 
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   फिल्म : नदियाँ के पार.१९८२.  
सितारे : सचिन साधना सिंह 
गाना : कौन दिशा में ले के चला रे बटोहिया 
गीत : रविंद्र जैन. संगीत : रविंद्र जैन. गायक : जसपाल सिंह. हेमलता. 


गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दबाएं.
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फिल्म : मन की ऑंखें. १९७०  
सितारे : धर्मेंद्र. वहीदा रहमान. 
गाना : दिल कहे रुक जा रे रुक जा..
गीत : साहिर लुधियानवी.संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारेलाल.गायक : रफ़ी.



गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दबाएं.   

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फ़िल्म : आज और कल.१९६३.  
गाना : ये वादियां ये फिजाएं बुला रही है तुम्हें 
सितारे : सुनील दत्त. नन्दा.
गीत : साहिर लुधियानवी. संगीत :रवि. गायक : रफ़ी. 



गाना देखने व सुनने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं. 

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दार्जलिंग यात्रा संदर्भित संगीत. 
मेरी पसंद. 
डॉ. सुनीता ' शक्ति ' प्रिया.  
फिल्म : हमराज.१९६७. 
सितारे : सुनील दत्त. विम्मी. राज कुमार 
गाना : तुम अगर साथ देने का वादा करो 
गीत : साहिर लुधियानवी संगीत : रवि  गायक : महेंद्र कपूर.
 


गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दबाएं.

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यात्रा विशेष : जीवन स्मृतियों के फ़िल्मी कोलाज : दिल जो न कह सका :  पृष्ठ :९ .
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संपादन. 


' शक्ति ' रश्मि / कोलकोता. 

प्यार का नगमा है जिंदगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है : सुनीता शक्ति प्रिया : नैनीताल.
जे हम तुम चोरी से बंधे एक डोरी से जइयो कहाँ ऐ हुज़ूर : सुनीता शक्ति प्रिया : नैनीताल
कह दो एक बार सजना इतना क्यूं प्यार सजना मुझमें भी : कोलाज : सुनीता शक्ति प्रिया. नैनीताल   
तुम लौट के आ जाना पिया याद रखोगे कि भूल जाओगे : सुनीता शक्ति  प्रिया. 
जन्नतों के दरमियाँ हो.. साथी ये हमारी तक़दीर है : बेमिसाल : सुनीता शक्ति  प्रिया. 
दिल से दिल मिलने का कोई कारण होगा बिना कारण कोई बात नहीं होती : सुनीता शक्ति  प्रिया. 
कोई ढूंढ़ने भी आए तो हमें न ढूंढ़ पाए तू मुझे कहीं छिपा दे : सुनीता शक्ति प्रिया.नैनीताल. 
अपने प्यार के सपने सच हुए सारी दुनियाँ छोड़ कर मनमीत मिल गए : सुनीता शक्ति प्रिया..नैनीताल.
तू लाली है सवेरे वाली जो सूरज तू मैं धरती तेरी तू साथी है मेरे जीवन का : सुनीता शक्ति प्रिया..नैनीताल.
तुम अगर साथ देने का वादा करो मैं यूँ मस्त नग्में लुटाता रहूं : सुनीता शक्ति प्रिया..नैनीताल.
पहले बार हम निकले है घर से किसी अनजान के संग हो : सुनीता शक्ति प्रिया..नैनीताल
दिल कहे रुक जा रे रुक जा है ये जो बात इस जगह है कहीं पर नहीं : सुनीता शक्ति प्रिया.  
ख़ामोशियों की सदाएं बुला रहीं है तुम्हें : कोलाज : सुनीता शक्ति प्रिया.नैनीताल. 
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यात्रा विशेष : फोटो दीर्घा ये वादियां ये फिजायें बुला रही है तुम्हें :  पृष्ठ : १०  .
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संपादन 

' शक्ति ' प्रिया. नैनीताल. 

अयोध्या : राम मंदिर का सौंदर्य संध्या वेला में : फोटो : सुदीप्ता सिद्धांत : कोलकोता. 
दार्जलिंग से दिखती की हिम आच्छादित कंचनजंघा की चोटियां : यशवंत : नई दिल्ली 

दार्जलिंग स्टेशन वॉर ,ममोरियल तक का सफ़र ,गाड़ी बुला रही हैं : कोलाज : डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया
पर्वत के पीछे चम्बे दा गांव में : खजियार : डलहौजी : फोटो : रुस्तम आज़ाद 
चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाए हमदोनों : ठंडी सड़क : नैनीताल : फोटो : डॉ. मधुप. 
 ये वादियां ये फिजायें बुला रही है तुम्हें : खज्जियार : डलहौज़ी हिमाचल : फोटो : रुस्तम आज़ाद. 
कैमूर हिल्स की खूबसूरत पहाड़ियां : बिहार : फोटो साभार : बिहार टूरिज्म.
पहाड़ी के मध्य खड़गपुर झील : बिहार : फोटो साभार : बिहार टूरिज्म
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 सीन्स  : कही अनकही : मुसाफ़िर हूँ मैं यारों : यात्रा : धर्म : जीवन : भारत : दर्शन : पृष्ठ : ११ . 
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संपादन.



स्मिता ' शक्ति ' / न्यूज़ एंकर / पटना.
नैनीताल डेस्क. 
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प्यार : परिवार : भरोसा : फ़िल्म बेमिसाल : सीन्स


अज़नबी थे लेकिन तीन मिलकर एक हो गए.  
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औरत होना आसान नहीं है. 


ये मेरे से ज्यादा तुम्हारी फ़िक्र करता है 

ये दिल तुम अपने पास रख लो 

किसी राह में किसी मोड़ पर : गाना : मुख़्तार 


साभार रितु सिंह : ब्लॉगिंग : कोयल व्यू पॉइंट 


 फिल्म : बेमिसाल. सीन :

 
साभार : शेमारू. अमिताभ : राखी : विनोद मेहरा 
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तुम्हारी याद आएगी : जीवन दर्शन : साभार : रितु सिंह. 


दृश्यम : ० : मेरा संडे बर्बाद कर दिए 



काशी : दृश्यम : ॐ नमः पार्वती पतये हर हर महादेव.


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चलते चलते : दिल जो न कह सका : दिल की पाँति : हिंदी अनुभाग : पृष्ठ : १२ .
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संपादन.


शक्ति प्रिया. 

नैनीताल डेस्क.
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दृश्यम : ० :

उल्फ़त के दुश्मनों ने कोशिश हज़ार की 


एक दिन यूँ आप हमसे मिल जायेंगे.

बिछड़े हम तो कभी रास्तें में तुम्हें ढूंढ़ लूंगी सदा

बुबू और डुडू : सोचे थे मिल कर दुनियाँ से लड़ेंगे 
ज़रा हँस ले 
भाभी जी : आपके वो पीछा करते हैं 


सीपिकाएँ
 
कहा है सहा है

डॉ. मधुप.  

एक ने जो मन में जो आया दूसरे को 
सब कुछ कहा है. 
दूसरे ने चुपचाप भला बुरा जो भी सुना 
किसी से भी नहीं कहा है. 
मौन रहकर 
 सिर्फ़ सब कुछ देखा है सहा है.
तभी तो  
इस तो दिल के रिश्तें में 
अब तक़ सब कुछ 
सही रहा है. 

दृश्यम : ० : प्रकृति : प्रेम : चाहत और खूबसूरती.

जिए तो जिए कैसे बिन आप के 

पारुल : आ गया किसी पर प्यार क्या कीजे 


मेरे हाथ पकड़ने से तुम्हारी दुनियाँ थम गयी क्या 


गाने जाने अनजाने : पर साथ छुटा नहीं अपना.
हमसे होती तो जो तुमको मुहब्बत.


भींगा भींगा प्यार का शमा : गाना : अनिल वाजपेयी. 

दृश्यम : गाने 
  मैं कहाँ  हूँ ? 

तुम्हारे प्रीत का 
रंग ओढ़ कर 
देखो न ! 
मैं बन गई ख़ुश रंग हिना 
तुम ही तुम हो मुझमें 
बोलो न ?
आख़िर मैं कहाँ हूँ  ?

रचना ' शक्ति


शब्द चित्र : विचार.
 

' धागा ' हो तो तोड़ भी दूँ ' प्रीत ' न तोड़ी जाए
जिन ' नैनों ' में तुम आन बसे ' दूजा ' कौन समाय  


' बदले बदले ' से लगते हो क्या बात हो गयी 
' शिकायत ' मुझसे है या फिर किसी से ' मुलाकात ' हो गयी 


प्रकृति : प्रेम : चाहत और खूबसूरती.

 तेरे हाथों में पहना के चूड़ियां : तराने गाने

मुखड़े : मेरा क्या होगा सोचो तो जरा 

दृश्यम  : विचार : ० : 
अमिताभ बच्चन : कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती 
पूजा : देर लगेगी  मगर सब सही होगा 
हाथ छुड़ा कर मैं फ़िर से तेरा हाथ थाम लूँ 
गाने : तराने : मुझे मेरी डगर तक याद नहीं 
रास्ते में किसने रास्ते बदला  
ये आँखें बोलती हैं 
 दृश्यम : पवित्र स्थान है ह्रदय 

दृश्यम : ० : मेरे हाथ पकड़ने से तुम्हारी दुनियाँ थम गयी क्या 
----------------
चलते चलते : दिल जो न कह सका : मुखड़े / शार्ट रील / हिंदी अनुभाग : पृष्ठ : १३. 
------------------
संपादन.
 
डॉ. सुनीता ' शक्ति ' .
नैनीताल डेस्क.
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दृश्यम : ० : प्रेम : प्रकृति : चाहत और खूबसूरती.

पारुल : गाना : दिन महीने साल गुजरते जाए


मन सौप दिया : कुछ और तो मेरे पास नहीं.



क्या क्या हुआ दिल के साथ.
लखनवी : पारुल : सजना जी आप क्यों बैचैन हैं

लखनवी : पारुल : अब तक़ तुमने क्या किया

दृश्यम : सब कुछ सही हो जाएगा तुम्हारे लिए

------------
यूं हसरतों के दाग मुहब्बत में धो लिए : संगीता  मालेकर 


पारुल : लखनऊ : जब तक़ फेरे न हो सात ..
  
लखनवी : पारुल : बैठ मेरे पास तुझे देखती रहूं.


लखनवी : पारुल : एक दिन झगड़ा एक दिन
प्यार अच्छा लगता है

लखनवी : पारुल : मस्ती : मेरा है तू ऐ मेरे हमदम

लखनवी पारुल की मस्ती : मस्ती : छोड़ जाना न मुझे


लखनवी : पारुल : ब्लॉगर : की मस्ती : मेरी पसंद 

तूने दिल तक तो मेरा ले लिया 

गाने :
तराने : रूप तेरा ऐसा दर्पण में न समाय.

गाने : तराने : बोल मेरे तक़दीर में क्या है

हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा : राधा कृष्ण संवाद

मैं तुम्हें भूली कहाँ कान्हा

दृश्यम : मैंने व्रत रखा है उस सती का

दृश्यम : जवां है मुहब्बत हसीं है जमाना

दृश्यम : चाहे मेरी जान जाए

दृश्यम : लोगों को कहने दो कहते ही रहने दो

दृश्यम : ० : रब जाने मैं किसके लिए बनी हूँ


दृश्यम : १ : सारे जग से निपट लूँ अकेली.

दृश्यम : २ : आज कहेंगे दिल का फ़साना.

जान भी ले ले सारा जमाना 

छोटी सी बात : प्यार में झुकना सही है ,मगर...

दृश्यम : ज़रा हँस भी ले : पति हुआ फ़रार

गाने : तराने.

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संदेशे आते हैं संदेशे जाते हैं : आपने कहा : हिंदी अनुभाग :  पृष्ठ : १३.
----------------- 
संपादन. 

अंकिता पांडेय. इलाहाबाद. 
 
दार्जिलिंग यात्रा, एक अविस्मरणीय यात्रा विशेषांक। सफर,प्रकृति के साथ जुड़ने का एक सहज संयोग, 
शब्दों से ही जैसे चित्र सजीव हो उठे हों,उत्कृष्ट लेखन, तथ्यात्मक तथा सूचनाओं से भरपूर ।
धन्यवाद शक्ति ग्रुप को निरंतर अथक प्रयासों के लिए । साधुवाद।

विनायक. सत्यम. जोधपुर. राजस्थान.  



English Section. 
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Editorial English : Page : 1
---------------
Chief Editor.


 Priya Shakti.
Darjeeling.

a Short Poem

Life Journey of Trust, Love & Endurance

To the most amazing couple ...
Whose marriage anniversary remains happy
In their sweet life, forever
On reaching this wonderful milestone together ...
With lots of trust,love and endurance after all
Congratulations from us to that united and undivided family.
That dies for the wishes of each other in their real life .
Here's our blessings
To another year of creating beautiful memories together. ...
In the endless life journey of trust love.and ...endurance with us.
Celebrating your love today and always....
May your anniversary be filled with joy, laughter, and lots of love.

Dr. Sunita ' Shakti ' Priya.
Nainital Desk.
-------
SHRI RAM.

a motivational short poem.


You are the one to show me my path,
With all your blessings and your love,
You filled my journey with your support,
And made me capable of my efforts.

You fought for peace and eternity,
To rid off the evil over the devil's,
You are the presence in every heart,
Who still prevails in every  act.

You are the divine whom I manifest,
Every single step that I take,
I claim you as my lord,
 Who cherished me with every prayer that I made.

May you heal every heart that beats,
With your name as angels of lord,
May you bless every soul,
That wakes with your golden words.

You are almighty that I have ever seen,
And I bow down to your feet with your name,
Spare me apart from all the evils,
And forgive me for the sins that I might have made.

JAI SHREE RAM.
Editing : Mahalaxmi : Mahasaraswati : Kolkotta Desk.
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Editorial : Travelogue Page : 2/0
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Editor :


Mahalaxmi Mahasaraswati : Kolkotta. Desk.
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Travelogue Page : World : 2 / 0
  Carrington Lake NSW ( New South Wales ) in a state of Australia. 
Travelogue Write Up and Photos : @ Ashok Karan.
Ex Staff Photographer : Hindustan Times. Patna / Ranchi.
Photo Editor : Public Agenda : New Delhi.

an evening at Carrington Lake New South Wales, Australia : photo : Ashok Karan

Carrington Lake NSW : New South Wales is a state in Australia under which the district New Castle a harbor city located, about 158 Kms South of Sydney. Its Hunter region possesses large deposit of coal that’s why it is also famous for largest coal exporting district of Australia.
Its affordable cost of living, stunning beaches all around and thriving education sector attracts people to live and settle there. It has friendly environment and people. This city enjoys great climate all round the year and living price is lower than other major city of Australia, that’s why people also love to live here. The place where I was residing was called Islington, located in the heart of the city very cool and calm. 
Neighboring people are very friendly, courteous, mixing and helpful. Just near the residence a park called Islington Park in which a cool and gentle river flows named Carrington Lake. I use to take regularly morning stroll around that lake and one day I saw mirror image formed of the morning clouds in the placid water of the river, luckily I had my beloved camera with me, so I went on shooting spree and got few telling shots. One of them I selected for my friends and viewers to judge. Text and Picture by - 
Ashok Karan. A request to my friends please encourage me by like and share. 
Thanks

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Travelogue Page : India : 2 / 1.
The ideal place for me for the clicks : Dassam Falls. Ranchi.
Travelogue Write Up and Photos : @ Ashok Karan.
Ex Staff Photographer : Hindustan Times.

The ideal place for me for the clicks : Dasam Falls. Ranchi.

Ranchi : It was 1986 when I bought a new Suzuki 100 CC bike. Being great motorbike enthusiasts and crazy about that, I did very long tour on that bike such as Ladakh, North East and other places. So in that way one day I set alone out for Ranchi from Patna about 350 Kms with my camera and stayed in Ranchi at my uncle’s house. One day I charted out a programme to shoot Dasam falls which was about 40 Kms away and deep into the jungle from my staying place.
Those were the era of B/W photography and there were no computer, whatsapp, e mails, facebook, mobile phones and other social medias, and color photography was just knocking at the door, so, with a manual analogue Nikon camera and few B/W film rolls I zoomed out to shoot Dasam falls, and shot the enchanting views of water falling from great high.
Later one day in 1987 my photo of Dasam waterfalls, bagged 1st prize with cash prize of Rs 2000/- by Bihar Tourism Deptt, which was a handsome amount those days.
Later in 2016, I went there with the family of my brother and again shot the same by sophisticated Canon 1D Mark III camera, which was applauded by all.
Same way once I was coming back to Ranchi and my flight was descending to land, I immediately captured the aerial view of the same fall surrounded by the cover of lush green all around.
Travelogue Write Up and Photos : @ Ashok Karan.
ashokkaran@gmail.com
Page making : Column Editing : Seema Shakti. Kolkotta.

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Editorial : Positive Vibes : English : Page : 2/0
--------------
Editor.
Mahasaraswati Mahalaxmi :
Narmada Desk : Jabbalpur.

Life requires a powerful mindset.
-------------
Incredible India : Travelogue Photo Gallery : English Page : 3
----------------
Editor.


Bhagwanti Shakti.
Dehradoon.
a twinkling night in Australia : Photo : Ashok Karan

an evening at Ayodhya,a sacred city, the birthplace of Rama : photo : Sudipta Siddhanta. Kolkotta.

from Dorthi Sheet view of  Saint  Jones School : Nainital :  Photo : Arup. Haldia 
an amature shot of the Dasam Fall . Ranchi : photo : Ashok Karan. Photo Editor. Public Agenda. ------------ You Said It / Day / Wishes : English : Page : 4. ---------------- Editor. Media Coordinator. Vanita Shakti. Shimla Desk. ------------ Festival Wishes : English : Page : 4 / 0 ----------------- Editor. Dr. Sunita ' Shakti ' Priya / Nainital Desk.
---------
Our Shakti Group

wishing you a great Mahanavami to all that fights against the  evil forces :
GIF thought.
wishes you for a Happy Coming Chaitra Chhath Puja
the Lok Parva of Bihar.
Our Media Family Belief Over
Day Special : 9 : Shakti ' Siddhidatre '
----------- Wishes.
Day / Special. English : Page : 4 / 1. -------------- Editor.
Madhavi Shakti Nainital Desk. ----------- we entire media family unitedly wishing you a Rama Janmotsav at Ramanavami & Mahanavami
picture thought.


Dr. Bhimrao Ramji Ambedkar Jayanti
Former Minister of Law and Justice of India
14.04.91. - 08.12.56
Our Media Family Wishes for all Eid Mubarak.
----------- Birth Day Wishes. / Day : Special. English : Page : 4 / 1. -------------- Editor. Media Coordinator Vanita Shakti / Shimla / Desk.

Happy Marriage anniversary Wishes. on 20.04.2024.
to ..Dr. Sunita Madhup.


a short  reel 

Iske Siva Dil Rab Se Kuchh Bhi Chahe Na
 
Renu Shabd Mukhar Blog Magazine Editor Jaipur. Birthday Wishes Upon 9.4.24. On Behalf of Entire Media Family.
Happy Birthday to You. -------- You Said It : Brief News : English Section : Page : 4 / 0 ------------ Editor.
Smita ' Shakti ' News Anchor.Patna. Nainital Desk.
---------- Brief Photo News ------------- removing their attitudes of misery and the evils at Charitra Nirman Shivir. photo A.K.Jana
Krinvanto Vishwam aryam to enhance the soul, the prosperity and the good deeds,
.
It is only a Shakti's Project ❤️ Powered by ' Tri Shakti ': Symbolically Shining Spiritually as 3 Stars in our united family life. ' Promoted by ' Nav Shakti ' And lastly Owned by ' Mahashakti ' Spiritually and Virtually the Shakti 🌹 with her 3 & 9 sisters turning the Mahashakti decides which contents have to be published...in terms of goodness and ultimate winning over the evil forces... following the Life Philosophy of Devine Maha Shakti Radhika Krishna...
---------- You Said it -------------
Excellent piece of writing. 
Thanks to the team of editors specially to the chief editor : Renu Anubhuti Neelam / Shimla Desk and the Executive Editor Dr.Sunita Shakti Priya / Nainital Desk for these wonderful contents...
Ankita Pandey. Allahabad.



The travel blogs specially are very useful as a travel guide if sometimes we would plan a trip.Thanks for the continuous updation. Wonderful



A great deal of thanks to the Editors, Shakti Group, specially to the Executive Editor : Dr. Sunita Shakti Priya for editing such a nice, worth reading Blog Magazine Page...


One of the unique pages in itself, presentation,contents
and regularity is commendable.
Efforts put forward by Dr Madhup is praiseworthy.

Satyam from Jodhpur. Rajasthan
--------------
Today's Happening & News Around Us : English Page : 5
--------------
Editor.


Mahalaxmi Shakti Saraswati.
Desk Nainital.
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Jeevan Shakti : Today's Prevention in Colic this Summer.
------------

@ Dr. Shiv Shankar. Patana.
©️®️ Jeevan Shakti Madhur Project .
Abdominal Pain 
Best Homeopathic Medicine applied in any short of Colic
Homeo Medicine : Colocynthis 30
Dose : 2 drops for 4 times.
b. Magnesia Phos 6x ( Biochemic )
Dose : 4 tablets 4 times with lukewarm water.
Abdominal Pain with Indigestion.
Nux Vom 30. Dose 2 drops 3 times in  a day. Continue it for 2 days.
 Abdominal Pain with Indigestion. Colic. Dysentery.
Merc Cor : 30. Dose : 5 to 6 times in a day.
be always in the touch of your family doctor.
------------------
Jeevan Shakti : Today's Prevention in Hot Waves : Loo
------------------

Dr. Indradeo.

Dr. Indra Deo Kumar.
Be always in touch of your Doctor.
Hot waves are around us How could save ourselves in loo.
Homeopaths Medicines are suggested for you
Before Loo Preventive Medicines are as follows
Medicine : Glonoine 30 :
Dose : 2 drops in a day for 2 times Morning Evening
Duration : Continue it for 2 or three days.
or
Gelsemium 30 :
Dose : 2 drops in a day 2 times
Duration : Continue it for 2 or three days.
Immune Power will be boosted up
Take ample water with salt before you come out in the scorching sun.
After Loo Suggested Medicines are as follows
Medicine : Antim Crudum : 30 :
Dose : 2 drops in a day 3 or 4 times
Duration : Continue it for 2 or three days.
2 drops in a day 3 times or as per the severity of the patient you can continue it at the interval of 5 minutes.

-------------------
Investiture ceremony held at Oak Grove School.
photo : Atul Saxena. Collage : MARS : Media. Nainital Desk.

Prefects for the year 2024 -2025 was held at Mussoorie Oak Grove School :

Mussoorie - The function of Investiture Ceremony for Prefects for the year 2024 -2025 was held today . The student council of fifty- two members was vested with various responsibilities for the new session. The appointment of the deserving students were made keeping in mind, their leadership qualities, reliability consistency and performance in academic and other related fields. They were judged on the basis of voting by their juniors. The Chief Guest on the occasion was Mr. Naresh Kumar, Principal, Oak Grove School, Jharipani.
The chief guest vested the newly appointed council members with the badges. The body of the prefects led by the Boys’ School Captain and Vice Captain, Sarthak Saxena and Anshuman Yadav respectively, Girls’ School Captain and Vice Captain, Pallavi Kumari and Sanskriti Dhulia respectively, Junior school Captain (Girls’ section) Shruti Kumari and Anmol Raj , Junior school Captain ( Boys’ section ) and Vedant Ranjan School Games Captain (Boys’ Section) and Vartika Gautam , Games Captain (Girls’ Section) respectively. Prateek Raj and Shreya were the Junior School Vice Captain in Boys and Girls Section respectively. Maneesh Kumar and Shagun Mandal were selected as Sports Captain of Boys’ and Girls’ section respectively.
All the selected students took the oath of sincerity, honesty, loyalty to the institution and their duty. They also vowed to work for the glory and honor of the institution and to fulfill the duties and responsibilities bestowed upon them in good faith. The Principal, Naresh Kumar, administered the oath of office to the respective members. Speaking on the occasion Naresh Kumar congratulated every post holder and advise them to becomes leaders by developing leadership qualities. Ability to overcome challenges, a resilient attitude and dedication are the true qualities of a successful leader.
With these responsibilities placed on their firm shoulders, the newly appointed office-bearers vowed to act as role models for the rest of the students to emulate. Finally, at the end of the programme the vote of thanks was proposed by Mr. Anupam Singh. The ceremony was witnessed by Savita Kumari, Kusum Kamboj, Head Mistress, Oak Grove senior Girls’ School , Vinay Kumar, Head Master, Oak Grove Boys’ School, Archana Shankar ,Incharge , Head Mistress, Oak Grove Junior School, Vipul Rawat, Atul Kumar Saxena, R.N Yadav, Dharya Nagpal ,Pratyesh Kumar,Anil Kumar Sengar, S.K Raza, Maneesha Sharma, Priyanka Jaiswal, Shadab Alam , Deepti ,Laxmi ,Radha Rani ,Yogesh Nautiyal, Abhishek Rawat, , Pramod Kumar ,G.D Raturi and other faculty members of the school.
Correspondent :
Dr. Atul Saxena : Mussoorie
8th April 2024:


@ Dr. M.R.Nainital.
©️®️ Jeevan Shakti Madhur Project .
Abdominal Pain 
Best Homeopathic Medicine applied in any short of Colic
Homeo Medicine : Colocynthis 30
Dose : 2 drops for 4 times.
b. Magnesia Phos 6x ( Biochemic )
Dose : 4 tablets 4 times with luke worm water

Comments

  1. Very nice and excellent coverage on travel stories. It will guide the readers Very well.

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  2. Excellent and mind blowing

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  3. Thank you Sir for the nice coverage of Investiture ceremony news of Oak Grove School, Jharipani, Mussoorie.

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  4. दार्जिलिंग यात्रा, एक अविस्मरणीय यात्रा विशेषांक।सफर ,प्रकृति के साथ जुड़ने का एक सहज संयोग, शब्दों से ही जैसे चित्र सजीव हो उठे हों ,
    उत्कृष्ट लेखन , तथ्यात्मक तथा सूचनाओं से भरपूर ।
    धन्यवाद शक्ति ग्रुप को निरंतर अथक प्रयासों के लिए ।
    साधुवाद।

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  5. The travel blogs specially are very useful as a travel guide if sometimes we would plan a trip .
    Thanks for the continuous updation
    Wonderful
    Satyam from jodhpur rajasthan

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  6. A great deal of thanks to the Editors, Shakti Group, specially to the Executive Editor : Dr. Sunita Shakti Priya for editing such a nice, worth reading Blog Magazine Page
    Satyam from Jodhpur Rajasthan

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    1. This comment has been removed by the author.

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    2. Excellent piece of writing.
      Thanks to the team of editors specially to the chief editor : Renu Anubhuti Neelam / Shimla Desk and the Executive Editor Dr.Sunita Shakti Priya / Nainital Desk for these wonderful contents.

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  7. One of the unique pages in itself, presentation,contents and above all the regularity is commendable.
    Efforts put forward by Dr.Madhup is praiseworthy.
    Special thanks to the group of editors,Shakti group.

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  8. Praiseworthy. Thanks to editorial group.

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  9. Really interesting sir . While reading the whole blog it feels like we are feeling the same emotions that you are conveying . Really enjoyed!!! Made my day beautiful 🥰. A bunch of thanks to you unbeatable efforts!

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  10. It is a too nice 🙂 Blog Magazine Page

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  11. It is an excellent and worth reading Blog Magazine page for everyone . Lots of thanks to the Shakti Editorial Team for its nice editing. ..Sunil Kumar, Retd. Sr. GM. Powergrid. Patna.

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  12. I like the travel stories written by my friend Dr. Madhup Raman as I am also a universal traveller so I want to read it . Dinesh Kumar. Advocate

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  13. Very nice blog and travel stories. The updates are worthy to be read.
    Efforts by my teacher Dr.Madhup are praiseworthy.
    Best wishes.
    Ankita Vinayak.Jodhpur.Rajasthan

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