Tumhare Liye : Main Pal Do Pal Ka Shayar Hoon : Kavyanjali

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Tumhare Liye : Main Pal Do Pal Ka Shayar Hun
Kavyanjali : Paddh Sangrah.
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नव शक्ति.त्रिशक्ति.महा.शक्ति.प्रस्तुति  
तुम्हारे लिए : मैं पल दो दो पल का शायर हूँ : काव्यांजलि.  
सांस्कृतिक पत्रिका.
महा.शक्ति.मीडिया.प्रेजेंटेशन@जीमेल.कॉम   
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हिंदी अनुभाग. प्रारब्ध 
आवरण पृष्ठ : ०.

मैं पल दो दो पल का शायर हूँ  : कोलाज : डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया. नैनीताल.
 


समर्थित 


विषय सूची.

प्रारब्ध आवरण पृष्ठ : ०.
सम्पादकीय : पृष्ठ : १.
क्षणिकायें : सूफी प्रेम. डॉ. मधुप. पृष्ठ : २
क्षणिकायें : दिव्य प्रेम. डॉ. मधुप. पृष्ठ : ३
सीपिकाएँ : तुम्हारे लिए : डॉ. मधुप. पृष्ठ : ४
कविताएं : यात्रा : गीत. : डॉ. मधुप. पृष्ठ :५
हसिकाएँ : व्यंग्य : डॉ. मधुप. पृष्ठ : ६.
कटाक्ष : कविताएं : डॉ. मधुप. पृष्ठ : ७.
त्योहार विशेष : मधुप : दिल की पाँति : हिंदी अनुभाग : पृष्ठ : ८
चलते चलते : दिल जो न कह सका : दिल की पाँति : हिंदी अनुभाग : पृष्ठ : ९
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सम्पादकीय : पृष्ठ : १.
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प्रधान संपादक.

रेनू शब्द मुखर : जयपुर.
अनुभूति सिन्हा : शिमला.
नीलम पांडेय : वाराणसी.
शिमला डेस्क

कार्यकारी संपादक .
डॉ. सुनीता ' शक्ति ' प्रिया.
नैना देवी डेस्क.नैनीताल.
---------
सहायक
कार्यकारी सम्पादिका.




महालक्ष्मी / सरस्वती
कोलकोता डेस्क
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अतिथि संपादक.

मानसी कंचन / नैनीताल.

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 शक्ति : काव्य गीत : संगीत : सम्पादकीय : पृष्ठ : १ / ०  
-----------------
संपादन.


शक्ति / नैनीताल डेस्क.
 

सरकार 

लोकतंत्र की सुनकर 
 अपने मन की पुकार
जात पात तज कर 
अपना क़ीमती मत देकर 
चुनों अपने मत की 
सही जनमत की सरकार.
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शब्द चित्र : संगीत : मधुप : काव्य गीत : सम्पादकीय : पृष्ठ : १ / १ 
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संपादन.


 शक्ति  कंचन :  नैनीताल. 

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ये ख़ामोशी बोलती है बहुत कुछ : शक्ति ' प्रिया. नैनीताल.   


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जो शोख रंग भरा है मैंने कोलाज : ' शक्ति ' प्रिया. नैनीताल   


खुशियों के रंग. जीवन के संग : कोलाज : ' शक्ति ' प्रिया. नैनीताल   


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काव्यांजलि : विषय वस्तु : सूची
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क्षणिकायें : सूफी प्रेम. डॉ. मधुप. पृष्ठ : ०२
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संपादन.


अनुभूति शक्ति
शिमला डेस्क



डॉ. राजीव रंजन शिशु आरोग्य सदन : बिहार शरीफ. समर्थित. 

क्षणिकायें : सूफी प्रेम. 

किसी की जिंदगी के लिए धूप हो गए.

चित्र : डॉ। मधुप 

' मधुप ' और ' माधव '
के शब्द विश्लेषण में
बस इतना ही अंतर है , प्रभु
चार अक्षर तक साथ चलकर
हम एक हो गए
अंत में आप ' व ' से विजयी हो गए
और हम किसी की जिंदगी के
अँधेरे में उसके
लिए धूप हो गए


डॉ. मधुप.
---------

रंग गए सखी मेरा मन.

रंग सांवला था,
अपने मन की रंग गए
वो सावरियां
बिना छुए ही मेरा तन,
रंग गए सखी मेरा मन
बोल सखी वो कहाँ गए
रंगरेज पिया ?
ढूँढें उनको तरसे मेरे नैन
निशि दिन बाबरी हो कर जग में
मैं ढूंढूं
खो कर मैं
अपने दिल का सुख चैन.

डॉ. सुनीता ' शक्ति ' प्रिया.
नैनीताल डेस्क.

मैं कहाँ हूँ ?


मैं कहाँ हूँ ?
तुम्हारे प्रीत का
रंग ओढ़ कर
देखो न !
मैं बन गई ख़ुश रंग हिना
तुम ही तुम हो मुझमें
बोलो न ?
आख़िर मैं कहाँ हूँ ?

डॉ. मधुप. रचना ' शक्ति

' तुम्हारे लिए ' काव्य संग्रह

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क्षणिकायें : दिव्य प्रेम : डॉ. मधुप. पृष्ठ : ३
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संपादन.

अनु ' राधा '

इस्कॉन डेस्क. नैनीताल..

मैं पार्वती की तरह शमित हो जाऊं

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मर्यादा में रहें वो ' राम ' जैसा
' अनुराग ' करें तो ' प्रीत ' ' श्री कृष्ण ' जैसा
' क्रोध ' उनका है ' भोले - नाथ ' जैसा
जब वह करें तांडव
तो मैं पार्वती की तरह शांत हो शमित रहूं,
और ' कृष्ण ' जैसा जब वो प्रेम करें
तो ' राधा ' जैसी बन मैं नखरें करूं.
रचना ' शक्ति '
डॉ. मधुप.
' तुम्हारे लिए ' काव्य संग्रह

---------

प्रेम के सात रंग.
डॉ मधुप.  
 
अति लघु कवितायें.
पहली. 

समर्पण. 


 तुम्हारी, 
लरजती आँखों की 
 उठती गिरती पलकों में 
 हमेशा मैंने
केवल ' हां ' ही देखा. 
' न ' कहाँ था ?
बोलो न 

दूसरी 
लघु कविता.

साहस.

फोटो : साभार 


घर छोड़ा,
द्वार छोड़ा, 
नाता तोड़ा
 आप से जोड़ा
लो रंग गयी राधा बन 
तेरे श्याम रंग में, 
बनकर मीरा जैसी 
बावली हो गयी मैं,
लो मैं तेरे वास्तें
सब छोड़ के 
आ गयी मैं. 

तीसरी लघु कविता. 

ख़ामोशी.


ज्यादा कुछ कहा नहीं 
कुछ ज़्यादा सुना नहीं, 
हमने पढ़ी सिर्फ़,  
नैनों की भाषा, 
और क़िताबें दिल की


नैनों की भाषा. 

जैसे  पूरे हो गए, 
सारे,अनकहें अरमान,
 धरा पर ही, जैसे
झुक गया हो आसमान.
 ------------ 

चौथी लघु कविता. 

साथ. 


रहें वो हमारे साथ 
ता ज़िन्दगी
हमसफ़र बन कर,  
फिर भी शिकायत रहीं 
ताउम्र उनको, 
कि हम कहाँ उनके साथ थे ?
अब तुम ही बतलाओ,न ?
हम कहाँ थे 
और किसके साथ थे ?
 
--------
पांचवी लघु कविता.

ख़्याल.


परवाह इतनी 
तुम्हारी 
कि खुद का वजूद 
भी याद नहीं  
हर पल,
बस एक ही,  
तुम्हारा ख़्याल 
तुम्हारे लिए
कि तुम कहीं भी रहो 
ख़ुश रहो. 
-------
छठवीं लघु कविता.

समझ. 

 
स्वर हमारे, 
शब्द तुम्हारे,
दृष्टि हमारी 
दृश्य तुम्हारे, 
वहीं सुनना है,हमें  
जो सुनाओ तुम,
जीत आपकी हो,
हमेशा.   
देखो न !
हम तो 
तुम्हारे लिए ही , 
सिर्फ़ तुमसे 
हम ही हारे.  
------------

सातवीं लघु कविता.

विश्वास.


दिन के उजाले में, 
देखना
वो तुम्हारा ध्रुब तारा 
दिखेगा नहीं.
 घबड़ाना नहीं,
जब कभी शाम होगी, 
फिर रात भी होगी, 
तुम्हारे मन के क्षितिज में, 



वो तेरे आस का 
तारा
सितारा  
मिलेगा वहीं,
स्थिर,उसी दिशा में,
चमकता हुआ, 
दिशा बतलाता हुआ,
था, है और रहेगा,   
सिर्फ तुम्हारे लिए. 

दिव्य भविष्यवाणी समर्थित
------------
सीपिकाएँ : क्षणिकायें : तुम्हारे लिए : डॉ. मधुप. पृष्ठ : ४.
--------------
संपादन.


डॉ. सुनीता ' शक्ति '
नैनीताल डेस्क

तुम्हारे लिए.

---------
क्षणिका 

जो बदलते है ' ज़माने ' को 

जो बदलते नहीं है कभी 
किसी हालात में खुद को
  यक़ीनन वो ही बदलते है 
हर हाल में लोग, ज़माने  
और ख़ुदा को.   

डॉ.मधुप.

---------

इस हाँ का क्या होगा ?



जरा सोचो ना ...!
यदि सूरज कह दे हम से
 कि हम तुम्हें गरमी न देंगे,
तो क्या होगा  ?
चाँद कह देंगे हम से
 कि हम तुम्हें चांदनी न देंगे,
तो क्या होगा  ?
धरा कह दे हम से 
कि हम तुम्हें फ़सल न देंगे 
तो क्या होगा  ?



सब अगर ना ही कहने लगे 
तो इस हाँ का क्या होगा ?
सोचा है कभी तुमने 
मेरे अपने 
मेरे सपने ?
फिर कष्टों से निर्वाण 
नूतन विश्व का निर्माण 
कैसे होगा ?
जरा सोचो ना ...!

डॉ.मधुप.
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 मैं हूँ न   



मैं रहूं या ना रहूं, 
ये मायने नहीं.
मगर हसरत है कि, 
जिन्दा रहें हम, 
सदा तुममें,
 धड़कन बन कर  
तुम्हारी आँखों में, 
तुम्हारी सांसों में, 
तुम्हारी बातों में.
सदा देते रहें 
मैं हूँ न. 

डॉ.मधुप 


पहली कसम.


तुम्हारे लिए ए ज़िंदगी !
उस पाक रिश्तें को भी दिल से
निभाया हमने बड़ी संजीदगी से
चुप रह कर
सांसों में जी कर
बिना कोई गिला शिकवा किए,तुमसे
जिस रिश्ते में पहली कसम ही ले ली थी,
तुमने
बात न करने की हमसे.

डॉ. मधुप.
' तुम्हारे लिए ' काव्य संग्रह

तेरी मेरी कहानी है.
देखो न ?
तेरे मेरे बीच में
कुछ और नहीं,ज़िदगी
बस जिद से शुरू हुई
ज़िद में ही ख़त्म हो जाएगी
ये दो लफ्जों की
तेरी मेरी कहानी है.

अपनी तो कुछ भी नहीं
बस तेरे मन की ही सुननी है
तेरे मन की ही करनी है
जीने की अपनी रस्में
बस तुम्हारे ज़िद के लिए ही निभानी है
ज़िदगी और कुछ भी नहीं
तेरी ख़ुशी के लिए बितानी है.
ये दो लफ्जों की तेरी मेरी कहानी है.


डॉ. मधुप.
' तुम्हारे लिए ' काव्य संग्रह

-----------

सखी देखो वो : ध्रुव तारा

आसमां में टंगे हुए
तारे को देख एक सखी ने
दूसरी बेचैन सखी से कहा,
वो देखो ध्रुव तारा
चमक ही तो रहा है
तुम्हारी किस्मत का सितारा
सिर्फ़ तुम्हारा
भाग्य सारा

मैंने तुम्हें कल भी दिखलाया था
आज भी बतला रही हूँ
तुम्हारे लिए उन रास्तों पर
सदैव बिना दिन दिशा बदले
चमकता रहेगा उसी रंग में
तुम्हारे लिए.
कह रही हूँ न
सिर्फ़ तुम्हारे लिए,
लेकिन देखना होगा तुम्हें ,सखी
बस इतना ही कि फिर कोई धूल भरी
आंधी न फ़िर से उड़ें...
और ढक ले न कही तुम्हारे सितारे को
इससे बेहतर है कि
यहाँ से दूर पर्वतों के डेरों से ही
देखना,
तुम अपने भाग्य के सितारे को
जहाँ देवदार हो
और उसके उपर शाम का बसेरा हो

-----------
कविताएं : यात्रा : गीत. : डॉ. मधुप. पृष्ठ : ५.
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प्रिया ' शक्ति '
दार्जलिंग

न किसी मोड़ पर न किसी राह में

हो सके तो इस
जीवन की अंतहीन यात्रा में,
न किसी मोड़ पर
न किसी राह में,
साथ कभी न छोड़ कर,
अपने ह्रदय में
क्लेश ,क्रोध,स्पर्धा को तज कर,
युग युगांतर तक सम्बन्धों का निर्वाह कर,
प्रेम में तोहफ़ा देना ही तो, प्रिय
सिर्फ़ एक दूसरे को भरोसा
और अनंत प्यार ही देना.
बस और कुछ भी नहीं
जिंदगी भर का साथ निभाना
क्या बचेगा अपने साथ
अशेष रह जाना
जब ख़त्म हो तो यह सफ़र
शेष हो तो केवल स्मृतियाँ मधुर
हमदोनों के साथ
पर्वत के उस पार तक जाना.
किसी राह में
किसी मोड़ पर थोड़ा बिलम्ब हो
तो देखना
ज़रा रुक जाना
ठहर जाना.

------------
हसिकाएँ : व्यंग्य : डॉ. मधुप. पृष्ठ : ६.
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रेनू शक्ति
शिमला डेस्क.

डॉ. मधुप.
' तुम्हारे लिए ' काव्य संग्रह
--------------
कटाक्ष : कविताएं : डॉ. मधुप. पृष्ठ : ७.
---------------
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नीलम शक्ति
वाराणसी
---------
बहुरूपिये.
फिर घुम रहें हैं
हम सबों के आस पास
कुछ बहुरूपिये
नक़ाब लगाए
अफवाहों का बाज़ार
ग़र्म करने के लिए
बस झूठी बातें
हवा में फैलाने के लिए
बस अमन चैन लूटने के लिए
डॉ. मधुप.

---------

बीमारी 


एक अंधों के शहर में, 
सब कुछ देखने वाला, 
एक शख्स ग़लती से पहुंच गया. 
उसके पास प्रकाश देखने की शक्ति थी, 
लोगों ने उसे बीमार बता दिया, 
क्योंकि  
बाकी सब अँधेरे देखते थे, 
वह उजाले की बात करता था. 

डॉ. मधुप 
------------
त्योहार विशेष : मधुप : दिल की पाँति : हिंदी अनुभाग : पृष्ठ : ८
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मानसी ' शक्ति '
नैनीताल
---------
 लघु कविता.
डॉ.मधुप.
 ©️®️ M.S.Media.

हो ली.


अपनी कही आँखों से 
जैसे उसने 
सब कुछ कह डाला 
मैंने तो खुद को  
तेरे प्यार में 
कब का रंग डाला ?
पिछली हो री 
कब की हो ली  ?
अब तो कई सदियों तक़ 
कई जन्मों तक  
खेलेंगे सात रंगों में  
बस साथ की होली. 
रिश्तों की रंगोली
बस हमजोली
------------ 
रंग.
 

ए जिंदगी ! 
सात रंगों में से, 
जीने के कुछ रंग दे दे, 
हमें भी तुम्हें भी. 
खुशियों के अपने रंग में रंग डाले तुमको. 
या फिर तुमही अपनी चाहत के रंग में 
रंग डालो मुझको....  

डॉ.मधुप.
 ©️®️ M.S.Media.  
पुनः सम्पादित : प्रिया दार्जलिंग. 
-----------------
चलते चलते : दिल जो न कह सका : दिल की पाँति : हिंदी अनुभाग : पृष्ठ : ९
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संपादन.

शक्ति प्रिया.
नैनीताल डेस्क

अति लघु कविता
ध्रुव तारा

आसमां में टंगा हुआ
हमारी किस्मत का सितारा
सारा हमारा और तुम्हारा

मैंने तुम्हें कल भी दिखलाया था
आज भी दिखला रहा हूँ
कल भी दिखलाऊंगा
तुम्हारे लिए उन रास्तों पर
सदैव बिना दिन दिशा बदले
चमकता रहेगा उसी रंग
में
तुम्हारे लिए
कह रहा हूँ न
सिर्फ़ तुम्हारे लिए
लेकिन देखना होगा तुम्हें
बस इतना ही कि
फिर कोई धूल भरी
आंधी न फ़िर उड़ें...
और ढक ले न कही तुम्हारे सितारे को

कही ये वो तो नहीं.

साभार : फोटो.

बारिश ... फिसलन...
दुर्घटना
से बचना,
घर पहुंचना,
तब फिर जोर से बरसे,
आज भावनाओं के बादल,
सारी राह चलते,
प्रेम के छीटें पड़ते रहें.
अभिरक्षित रहा,
सुरक्षित रहा,
लगा कोई तो
अदृश्य सी,
हमेशा साथ
बनी रही.
कहीं ये वो तो नहीं ..?
डॉ. मधुप.
-------
' तुम्हारे लिए ' काव्य संग्रह.

Comments

  1. It is a nice literary page expressing the poet' feelings in a nice way

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  2. It is a very nice page,Sir

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