Shakti's Thought : Navshakti : Trishakti : Mahashakti : Samyak Vichar


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Shakti's Thought : Navshakti : Trishakti : Mahashakti : Samyak Vichar
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विचार  विशेषांक. 
ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोए,
सांस्कृतिक पत्रिका.
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आवरण पृष्ठ : ० 

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः कोलाज : विदिशा 

हिंदी अनुभाग.
 आवरण पृष्ठ : ०.


हिंदी अनुभाग : विषय सूची.
महिला सशक्ति करण की एकमात्र ब्लॉग मैगज़ीन. 
परमार्थ के लिए देश हित में. 
महाशक्ति निर्मित अधिकृतविकसित, त्रि - शक्ति समर्थित और नवशक्ति प्रस्तुति.. 
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समर्थित 


विषय सूची 
 आवरण पृष्ठ : ० 
महाशक्ति. डेस्क प्रस्तुति. 
धर्म : अध्यात्म : कर्म. और जीवन दर्शन. 
महाशक्ति. डेस्क प्रस्तुति / नैनीताल. पृष्ठ : ० 
राधिका : महाशक्ति : वृन्दावन डेस्क : पृष्ठ : ० / १ .
 राधिका कृष्ण : महाशक्ति वृन्दावन डेस्क. पृष्ठ : ० / २ .
मेरो तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोय : मीरा : जोधपुर डेस्क : पृष्ठ : २ / २. 
गीता सार : कुरुक्षेत्र : हस्तिनापुर : डेस्क. पृष्ठ : २ / १  .
त्रि शक्ति. डेस्क प्रस्तुति. 
जीवन सार : पृष्ठ : ३ .
सम्यक वाणी : मुझे भी कुछ कहना है : त्रिशक्ति : महालक्ष्मी  डेस्क : पृष्ठ : ३ / १ . 
सम्यक दृष्टि : जीवन सुरभि : त्रिशक्ति : शक्ति : नैना देवी डेस्क : पृष्ठ : ३  / २.
सम्यक आचरण : जीवन सुरभि : त्रिशक्ति : सरस्वती : नर्मदा डेस्क : पृष्ठ : ३  / ३ .
नव शक्ति. डेस्क प्रस्तुति : 
नव शक्ति. डेस्क प्रस्तुति :  शिमला : नव जीवन सार : पृष्ठ : ४.
 दशावतार विचार : विष्णु प्रिया डेस्क : पृष्ठ : ५ .
 शिव शक्ति विचार : शक्ति डेस्क : पृष्ठ : ६ .
अन्य महापुरुषों के विचार : पृष्ठ : ७ .  
सम्पादकीय : पृष्ठ : ८ .
फोटो दीर्घा : पृष्ठ : ९ .
  प्रेरक प्रसंग :  पृष्ठ :१०  .
कला दीर्घा : पृष्ठ : ११ . 
प्रेरक दृश्यम : शॉर्ट रील :  पृष्ठ : १२ . 
भक्ति संगीत : पृष्ठ : १३ . 

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महाशक्ति. डेस्क प्रस्तुति / नैनीताल. पृष्ठ : ० 
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धर्म : अध्यात्म : कर्म. और जीवन दर्शन 

 
 महाशक्ति विचार. पृष्ठ : ० / १.
संपादन.



डॉ.सुनीता ' शक्ति ' प्रिया.
 नैना देवी डेस्क. नैनीताल.

 

शक्ति वंदना.

ॐ जयन्ती, मङ्गला, काली, भद्रकाली, कपालिनी.
दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री, स्वाहा, स्वधा नमोऽस्तुते.

शक्ति : फोटो 

भावार्थ. 

जयंती, मंगला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा धात्री,
और स्वधा इन नाम से प्रसिद्ध जगदंबा में मेरी अनंत श्रद्धा है उन को मेरा नमस्कार है

रक्षा सूत्र : विचार.

मेरी अभिलाषा.

' नव शक्ति सिद्ध ' त्रि शक्ति ' अभिमंत्रित महाशक्ति ' द्वारा 
संरक्षित दिव्य ' सुरक्षा ' के लाल कच्चे सूत का अटूट रक्षा सूत्र 
मेरी दाहिनी कलाई पर ऐसी बंधी रहें कि आसन्न ' विपदा ' से मैं सदैव सुरक्षित रहूं  

 

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वाम् अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥

भावार्थ. 

जिस रक्षा सूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, 
उसी सूत्र मैं तुम्हें बांधती हूं, जो तुम्हारी रक्षा करेगा, हे रक्षा तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना.


' बोलना ' और ' प्रतिक्रिया ' देना जरूरी है लेकिन विकट परिस्थितियों में भी
जो व्यक्ति, ' वाणी ', ' व्यवहार ' में ' संयम ' और ' सभ्यता ' का दामन नहीं छोड़ता

वही सच्चा देवतुल्य इंसान है.

' भवतः अपेक्षया उत्तमः भगीदारः नास्ति.' 
अर्थ. स्वयं से बढ़कर कोई हमसफ़र नहीं

ख़ुदा.

नुक़्स निकालते है लोग कुछ इस तरह मुझमें
कि जैसे उन्हें ख़ुदा चाहिए था हम तो इंसान निकले

समय.
' समय ' के ' अर्थ ' को समझ कर इसकी ' महत्ता ' को जानते हुए
सदैव समय के ' साथ ' चलना, संभलना, पालन करना
इसे ' शेष ' रखना और इसका ' सम्मान ' करना ही
हमारे ' जीवन ' की परम ' नियति ' होनी चाहिए...तो सफलता सिद्ध है...


तुलसी : रामचरितमानस. 

  विनय न मानत जलधि जड़ गए तीन  दिन बीत 
बोले राम सकोप तब भय बिन ना होए प्रीत. 

भावार्थ. 

समुद्र इतना कठोर हो गया है कि वह रामचंद्र जी के निरंतर मार्ग देने के 
विनय तथा प्रार्थना नहीं मान रहा था. प्रार्थना करते करते भगवान को तीन  दिन बीत गए 
जब वह किसी भी प्रकार की अनुनय विनय नहीं मान रहा था तो रामचंद जी नाराज हुए और 
उन्होंने कहा, कि बिना भय के प्रीति अब नहीं हो सकता है .


तुलसी इह संसार में भाँति -भाँति के लोग
सबसों हिल मिल चलिए, नदी-नाव संजोग.

भावार्थ. 

तुलसीदास कहते हैं कि इस संसार में अलग - अलग तरह तरह के लोग रहते हैं। इसलिए आप सब से हँसकर मिलकर रहो, और विनम्रता से पेश आओ। बिल्कुल उसी तरह जैसे नाव नदी के साथ सहयोग करके ही पार लगती है। वैसे ही आप इस संसार में सब लोगों के साथ मिलजुलकर इस भवसागर को पार कर लो.

' धीरज ', ' धर्म ', ' मित्र ' अरु ' नारी ' , 
आपद काल परखि आहिं चारी... 
तुलसीदास. 

भावार्थ. 


विपत्ति काल में ही ' धीरज '  अर्थात धैर्य , ' धर्म ' , ' मित्र ' तथा ' नारी ' की परीक्षा होती है कि 
  वो आपके लिए 
आपदा में कितना सम्यक साथ निभाती हैं 
    और सम्यक वाणी के साथ साथ क्यों कर  सम्यक कर्म करती हैं 

ॐ विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परासुव ।
यद् भद्रं तन्न आ सुव ॥१॥
भावार्थ.
मंत्रार्थ – हे सब सुखों के दाता ज्ञान के प्रकाशक
सकल जगत के उत्पत्तिकर्ता एवं समग्र ऐश्वर्ययुक्त परमेश्वर!
आप हमारे सम्पूर्ण दुर्गुणों, दुर्व्यसनों और दुखों को दूर कर दीजिए,
और जो कल्याणकारक गुण, कर्म, स्वभाव, सुख और पदार्थ हैं,
उसको हमें भलीभांति प्राप्त कराइये।
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राधिका : महाशक्ति : डेस्क : वृन्दावन : . पृष्ठ : ० /२.
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संपादन.

अनु ' राधा '


इस्कॉन. नैनीताल.

मेरी अभिलाषा.
 

राधे कृष्ण : साभार : फोटो 

धागा हो तोड़ दूँ प्रीत न तोड़ी जाए. 
जिन नैनों में तुम बसे दूजा कौन समाए  

शॉर्ट रील : धुन.
दृश्यम : लघु कविता : छटा छवि निहार ले. 


कविता पाठ : साभार : मनु वैशाली. 

वृन्दावन : प्रेम भरी  होली की झलक.  
 
कृष्ण की  कितनी शादियां.
 
रुक्मिणी. सत्यभामा. जाम्वती. : साध्वी  


मानव जीवन में शब्दों के पड़ने  वाले प्रभाव को देखना व समझना होगा 
जिस प्रकार से मिट्टी की नमी पेडों की जड़ों को बांधे रखता हैं 
ठीक उसी भांति शब्दों की मिठास आपस के रिश्तों को बड़ी मजबूती से जोड़े रखता है

 
  ' राधा - कृष्ण ' के मध्य अध्यात्मिक व आत्मीय प्रेम सिर्फ
    ' सूरदास ', ' बिहारी ', ' रसखान '  और ' मीरा '  ही समझ सकते हैं. 



माधव . 



बिहारी. 
मेरी भव - बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ । 
जा तन की झाई परै, स्यामु हरित-दुति होइ॥
भावार्थ.
वे चतुर राधिका जी मेरी सांसारिक बाधाओं को दूर करें, 
जिनके शरीर की झलक पड़ने से भगवान् कृष्ण भी प्रसन्नमुख ( हरित - कान्ति ) हो जाते हैं।


मनुष्य की सकारात्मक सोच ही, 
 स्वयं खुश रहने, अन्य को  प्रसन्न रखने का एकमात्र कारण हो सकती  है.


जो प्राप्त है वही पर्याप्त है 
इन दो शब्दों में ही जीवन का यथार्थ है 

लघु कविता पाठ : अनामिका जैन.
 
 
रुक्मिणी पूछे  : कृष्ण के साथ राधा क्यों 


काश ! तुम भी मेरी तुम्हारी ' याद ' की तरह बन जाते,
न वक़्त देखते न बहाना, बस मेरे पास चले आते.


प्रसन्नता तो चंदन है दूसरे के माथे पर लगाइए
आपकी उंगलियां खुद महक जाएगी.

राधाकृष्ण : रहें न रहें हम : धुन  

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जीवन सुरभि : राधिका कृष्ण : महाशक्ति : डेस्क. पृष्ठ : ० / ३ 
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संपादन.



राधाकृष्ण  : आत्मीय प्रेम का भला सात फेरों से क्या सम्बन्ध.

 
प्रेरक बातें : 

  मानव के शांति तथा सुखपूर्ण जीवन के दो ही ' शाश्वत ' नियम हैं :
असफलता में ' अवसाद ' कभी भी दिल तक नहीं जाना चाहिए,
तथा सफलता में ' अहंकार ' कभी दिमाग में नहीं जाना चाहिए.


    

हमेशा धर्म के साथ अन्याय के विरुद्ध खड़े हो 

श्री कृष्ण की वसंत पंचमी : लघु फिल्म. 

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' अधर्म '  को मूक बनकर जो मात्र निहारे जाते है 
' भीष्म ' हों , ' द्रोण ' हों या ' कर्ण ' सब मारे जाते हैं 
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गीता सार : कुरुक्षेत्र : हस्तिनापुर : डेस्क. पृष्ठ : २ / १ .
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संपादन.


राधिका कृष्ण. 


इस्कॉन डेस्क / नैनीताल. 

गीता : अध्याय : २ 

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। 
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।
 भावार्थ.
तुम्हें केवल कर्म करने का अधिकार है, उसके फल पर कभी नहीं। 
आपकी प्रेरणा कर्म फल की नहीं होनी चाहिए 
और न ही आपको निष्क्रियता से आसक्त होना चाहिए।


उसे भय कैसा : शॉर्ट रील.
 
अर्जुन : जिसकी चिंता स्वयं माधव करते हो. 
हमेशा धर्म के साथ अन्याय के विरुद्ध खड़े हो.

कृष्ण कुमार मिश्रा. शाखा प्रबंधक. इंडियन बैंक. की तरफ से शिवरात्रि और होली की मंगल कामनाएं  
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समर्थित  
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मेरो तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोय : मीरा डेस्क : जोधपुर : पृष्ठ : २ / २.  
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मीरा बाई : राजस्थान की राधा 
संपादन.


जया सोलंकी. जोधपुर. राजस्थान.  


मनमोहन कान्हा विनती करूं दिन रैन। राह तके मेरे नैन।
अब तो दरस देदो कुञ्ज बिहारी। मनवा हैं बैचेन।
 

मीराबाई 
रुस्तम आज़ाद. शाखा प्रवन्धक. धर्मशाला. शिमला. समर्थित. 
समर्थित 
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त्रि शक्ति. डेस्क प्रस्तुति : 
नैनीताल : जीवन सार : पृष्ठ : ३ .
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नैनीताल .
 
संपादन. 

लक्ष्मी शक्ति सरस्वती. 
नैनीताल डेस्क.
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सम्यक वाणी : मुझे भी कुछ कहना है : त्रिशक्ति : महालक्ष्मी : डेस्क : पृष्ठ : ३ / १ .
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संपादन.

लक्ष्मी


 महालक्ष्मी डेस्क. कोलकोता.


भय ' के उपर ' विजय ' है , ' अधर्म ' के उपर ' धर्म ' स्थित  है , अफवाहों से सचेत रहें 
अपनों से अपनों के लिए विश्वस्त रहें आज का सबसे कीमती दोस्त वही है 
जो संकट में भी आपके ' विश्वास ', ' प्रेम ' और ' निजता ', ' सम्मान ' को अक्षुण्ण रखता है  

डॉ. सुनीता ' शक्ति ' प्रिया .

अभीष्ट शक्तियों यथा ' महाशक्तियों ' , ' त्रिशक्तियों ' , ' नव शक्तियों ' का सम्मान तो आमने - सामने 
आगे -पीछे ही नहीं  सर्वकालिक, सार्वभौमिक तथा सर्वत्र  होना चाहिए 


तेरी ख़ुशी मेरा गम 

माना कि जिन्दगी गुजर रही है तकलीफ़ में है आजकल , 
मगर इस तरह यूँ चेहरे पर उदासी न ओढ़िये जनाब
 मुस्कुरा कर बस एक बार मुतमईन हो जाइए ख़ुद, 
मेरी जिंदगी में अपने नसीब का रंजो - गम देकर बे हिसाब 

डॉ.सुनीता मधुप. 

एक दूसरे के विश्वास भरे रिश्तों की जमापूंजी है हम
विषम परिस्थितियों और कष्ट में भी हमेशा सहिष्णु हो कर
तुम्हारे लिए सहृदय बन कर मुस्कुराते ही रहेंगे
कभी ' तुम्हारे लिए ' तो कभी मेरे ' अपनों ' के लिए..
डॉ. मधुप. 

मैं सर्वदा तुम्हारे लिए ध्रुव तारे की तरह ' अटल ', 'अपरिवर्तनशील '
सम्मान का कारण, ' आशा पूर्ण ', ' सकारात्मक ', ' पूर्णतः ' ' हाँ ' ही रहूंगा.
' सहिष्णु ' , ' धैर्यवान ', ' सृजनात्मक ' बन कर
तुम्हारे सर्वकालिक विकास के लिए प्रतिबद्ध और विश्वस्त, यदि मैं ऐसा समझा जाऊं तो
डॉ. मधुप.

किसी उदास चेहरे की मुस्कुराहट की वजह तो बनो
तुम्हें ख़ुशी ही नहीं अपने जीवन का सुकून भी मिलेगा



अहंकार बताता है कि आप अकेले ही काफी हैं,
वक्त समझाता है कि कभी भी, कहीं भी,  किसी की भी ज़रूरत पड़ सकती है.

सत्य के परीक्षण के लिए ' समय ', ' सद्बुद्धि , ' मानसिक संतुलन ' और ' संयम ' चाहिए
क्योंकि सत्य को सदैव तीन चरणों से गुजरना होता है, ' उपहास ', ' विरोध ' अंततः ' स्वीकृति '


....' समय 'और ' साथ ' को ही साबित करने दें कि
किसने कितना अपनों के लिए ' समर्पण ' ,' संस्कार ', ' संयम ' , ' सहिष्णुता ' ,
अगाध ' विश्वास ' , असीम ' प्रेम ', और ' वाणी ' पर नियंत्रण  रखा...? ,
.....सुख दुःख में सम भाव रखते हुए आपसी सम्बन्धों का निर्वाह किया.. "

त्रि शक्ति समर्थित नव शक्ति विचार. 

डॉ. मधुप.
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सम्यक दृष्टि : जीवन सुरभि : त्रिशक्ति : शक्ति डेस्क : पृष्ठ : ३  / २.
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संपादन.


शक्ति.


नैना देवी डेस्क / नैनीताल. 


शक्ति. विचार करें.

जीवन का वही ' रिश्ता ' सच्चा है,
जो पीठ पीछे भी आपको ' सम्मान ' दे ...सही है 
मेरी समझ में  रिश्ता वही सच्चा व पवित्र है 
जो कभी भी, गलती से अपनों को किसी के समक्ष  किसी काल में 
सार्वजानिक ' रूप से अपमानित होने का
अवसर ही न प्रदान करें 
 


खुशी ' के लिये बहुत कुछ इकट्ठा करना पड़ता है ऐसा हम समझते है.
किन्तु हकीकत में ' खुशी ' के लिए बहुत कुछ छोड़ना पड़ता हैं,
ऐसा जीवन का ' अनुभव '  कहता है    


अपने अपनों की शक्ति होते है ...उन्हें बदलना नहीं चाहिए 
लेकिन  जिसने भी अपनों को बदलते देखा है... 
वह ज़िन्दगी में हर परिस्थिति का सामना कर सकता है

अपने ' स्वभाव ' को हमेशा ' सूरज ' की तरह रखें,
न उगने का ' अभिमान ' और न ही ' डूबने ' का डर.


सोच का ही फर्क होता है न , वरना ' समस्याएं ' तो हमें कमजोर करने नहीं, 
बल्कि ' मजबूत ' बनाने ही आती हैं.


' नकारात्मक ' लोगों से सदैव दूर रहना चाहिए,
क्योंकि उन्हें ' समाधान ' में भी समस्या ही नज़र आती है.


जीतने का मजा तभी आता है, जब सभी आपके हारने का इंतजार कर रहे हों 
आप जीत ही रहें हो और दूर दूर तक़ हारने की कोई संभावना नहीं दिखती हो 


' बोलना ' और ' प्रतिक्रिया ' देना जरूरी है लेकिन विकट परिस्थितियों में भी
जो व्यक्ति, ' वाणी ', ' व्यवहार ' में ' संयम ' और ' सभ्यता ' का दामन नहीं छोड़ता
वही सच्चा देवतुल्य इंसान है.


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सम्यक आचरण : जीवन सुरभि : त्रिशक्ति : सरस्वती : डेस्क : पृष्ठ : ३  / ३ .
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संपादन.


सरस्वती 

  
नर्मदा डेस्क. जब्बलपुर.


जिंदगी में कभी ऐसी ' निरर्थक ' बहस मत करना 
जिससे बहस तो जीत जाओ लेकिन अपने मधुर रिश्ते का ' अर्थ ' ही हार जाओ. 


अपनों के लिए कड़वा पन क्यों


     वाणी में भी अजीब शक्ति होती है... 
कड़वा बोलने वाले का शहद भी नहीं बिकता ...और मीठा बोलने वाले की मिर्ची भी बिक जाती है

विचार करें: 
हमें उस ' शिव ' की ' शक्ति ' सर्वदा बननी चाहिए 
जो ' देव पुरुष ' इस ' आर्य जगत ' को ' कृण्वन्तो विश्वमार्यम ' बनाने 
के लिए निरंतर प्रयत्न शील व संघर्ष शील है .

 

ठीक हूं ' हम किसी से भी कह सकते हैं, 
पर ' परेशान हूं ' कहने के लिए हमें कोई अपना बहुत खास ' निजता ' का ख़्याल रखने वाला, 
अजीज ' , ' वफ़ादार ' ,हमराज ' ही चाहिए.
 
  
अपने सम्यक जीवन में कल के लिए चिंता नहीं 
उत्सुकता पूर्ण ' नूतन कार्य ' व ' नव निर्माण ' के लिए '  शक्ति ', ' उन्नति ' और  ' जागृति ' होनी चाहिए 


 ⭐

जिसकी मीठी बोली उसके संग सारी दुनियाँ हो ली 
जिसकी कड़वी बोली उसने जीत कर भी दुनियाँ खो ली 


' इंसान ' की सबसे बुरी आदत यह है,
कि उसे कुछ ना मिले तो वह ' सब्र ' नहीं करता..
और अगर ' मिल ' जाए तो उसकी ' कद्र ' नहीं करता.

' मेरे अपनों ' के मध्य असीम
' सहयोग ',' साथ ', ' स्वइच्छा ', ' स्नेह ', ' समर्पण ' ' सम्मान ' व ' सहिष्णुता ' की ' महाशक्ति ' 
सदैव बनी रहें.... हम सभी को इसके अनुरूप ही ' सम्यक आचरण ' करना चाहिए.

कभी कभी आपकी सहज उपलब्धता की उपयोगिता समझ में नहीं आती है 
जैसे  गंगा के निर्मल तट पर रहने वाले अक्सर लोग देव सरिता पुण्य सलिला 
गंगा को प्रणाम करना ही भूल जाते है 
: डॉ मधुप.


ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोए,
औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए.
कबीर. 

 समर्थित. 
-------------
नव शक्ति. डेस्क प्रस्तुति : शिमला 
: नव जीवन सार : पृष्ठ : ४ .
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संपादन.

 
रेनू शब्द मुखर : जयपुर.
अनुभूति सिन्हा : शिमला. 
नीलम पांडेय : वाराणसी. 
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रेनू शब्द मुखर ' अनुभूति '  नीलम 
   शिमला.


रहीम.
 
रहिमन निज मन की व्यथा, मन में राखो गोय, 
सुनि इठलैहैं लोग सब, बाटि न लैहै कोय. 

भावार्थ. 

अपने दु:ख को अपने मन में ही रखनी चाहिए. 
दूसरों को सुनाने से लोग सिर्फ उसका मजाक उड़ाते हैं परन्तु दु:ख को कोई बांटता नहीं है.

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शक्ति शिव : विचार : शक्ति डेस्क : पृष्ठ : ६ . 
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संपादन 
शक्ति प्रिया.  नैना देवी डेस्क नैनीताल

' शक्ति ' के ' क्रोध ' ( कलिका ) को शमित करने का एकमात्र ' दैविक उपाय ' 
' शिव ' को उनके ' मार्ग ' में लेटना ही है  तभी तो उन्हें ' भूल ' का ज्ञान होगा 

' शिव ' में ' शक्ति ' निहित हो और ' शक्ति ' ' शिव ' में समाहित  हो जाए. 
त्रिशक्ति 
मैं  किसी देव के शिव ( कल्याणकारी ),' मन ', ' वचन ', ' कर्म ' से बनी सृष्टि की शक्ति बनूँ   
एक ' पुष्प ', एक ' बेलपत्र ', और  एक लोटा ' गंगा जल ' की धार 
' शिव - शक्ति ' कर दें ' आप ' - सभी का ' उद्धार ' 
महाशक्ति प्रस्तुति .
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं आपके लिए. महादेव शिव की कृपा आप पर 
सदा बनी रहें 
कोलाज : शिव - शक्ति : डॉ. सुनीता शक्ति ' प्रिया. 


' शिव ' और ' शक्ति ' का प्रेम परिणति ' विवाह ' एक कठिन तपस्या है. 


महशिवरात्रि की हमारी ढ़ेर सारी शुभकामनाएं. : शॉर्ट रील

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सम्पादकीय : पृष्ठ : ८
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इंतज़ार ,इज़हार ,इबादत सब किया मैंने
मैं तुम्हें क्या बताऊँ कितना इश्क़ किया मैंने

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प्रेरक प्रसंग : महाशक्ति. प्रस्तुति. पृष्ठ :१०.
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संपादन.



डॉ.सुनीता ' शक्ति ' प्रिया.
 नैना देवी डेस्क. नैनीताल.


प्रेरक प्रसंग : माखन चोर.

   दुर्योधन ने श्री कृष्ण की पूरी नारायणी सेना मांग ली थी
और अर्जुन ने केवल श्री कृष्ण को मांगा था
उस समय भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन की चुटकी लेते हुए कहा, ' तेरी हार निश्चित है, पार्थ
हरदम रहेगा उदास...
माखन दुर्योधन ले गया
केवल छाछ बची है तेरे पास...'
तब अर्जुन ने कहा,
' हे प्रभु ! जीत निश्चित है मेरी
दास हो नहीं सकता उदास
माखन लेकर मैं क्या करूं
जब माखन चोर है मेरे पास...'



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