Nalanda Darpan : The Seat of Learning.

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Nalanda Darpan.
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Volume 1.Series 1.
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हिंदी अनुभाग. 
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  आवरण पृष्ठ : ०  आवरण पृष्ठ : ०  संपादन. प्रिया. दार्जिलिंग. 
नालंदा : बुद्ध के सन्देश : सम्यक साथ, सम्यक ज्ञान, सम्यक वाणी : फोटो : डॉ. सुनीता रंजीता   
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पृष्ठ : ० 
महाशक्ति डेस्क.

 
महाशक्ति: विचार 
संपादन.
  

डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया. 
नैनीताल. 

कभी भी अपने ' रूप '  और  ' रुपए ' पर  घमंड नहीं करना , यह चंचलाअनिश्चित है 
क्योंकि ' गरीबी ' और ' बीमारी ' कब इसे तुमसे छीन ले जाएगी 
कोई कह नहीं सकता है 
 

सुविचार.
 
केवल नहीं हैं आप मात्र नारी, 
मेरे जीवन की मेरे अन्तर्मन की 
महाशक्ति, त्रि - शक्ति और नवशक्ति है हमारी.

विद्यापीठ पाठशाला. बिहार शरीफ. निदेशक : शिशुपाल : नालन्दा :समर्थित.

सुबह और शाम : पृष्ठ : ०
जीवन : प्रकृति प्रेम : अध्यात्म : सन्यास



दैनिक : पत्रिका / अनुभाग.
' तुम्हारे लिए. '
मॉर्निंग / आफ्टर नून / इवनिंग पोस्ट
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आज की बात / ख़बर / चर्चा :  पृष्ठ : ०
सम्पादिका.


 
दया जोशी 
सम्पादिका : केदार दर्शन.नैनीताल  
 दैनिक भास्कर. नैनीताल   
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बि / ना / शि / समाचार : पृष्ठ : ० /० 
 
विज्ञान प्रदर्श के निर्माण से बच्चों में सृजनात्मकता आती है कुलपति

राजगीर : २२ वॉ प्रांतीय गणित - विज्ञान मेला २०२४.

राजगृह : २२ वॉ प्रांतीय गणित -विज्ञान मेला २०२४  के उद्घाटन का दिवस : फोटो : शक्ति. मीडिया   

विज्ञान, प्रकृति के क्रमबद्ध ज्ञान को कहते हैं. विज्ञान शब्द का इस्तेमाल किसी ऐसी शाखा के लिए भी किया जाता है जो तथ्यों, सिद्धांतों, और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है. विशेष ज्ञान हमें सत्य के परीक्षण करने में सहायक होता है। हमारे जीवन में भी सत्यापित ज्ञान का
विशेष महत्व होना चाहिए जिससे हम सत्य निष्ठ परिणामों को पा सके और समझ सके।
राजगीर : संवाद सूत्र :  दिनांक : २२. ०९. २०२४. भारती शिक्षा समिति व शिशु शिक्षा प्रबंध समिति, बिहार के द्वारा २२ वॉ प्रांतीय गणित -विज्ञान मेला २०२४  के उद्घाटन नालन्दा विश्वविद्यालय, राजगीर के कुलपति प्रो० अभय कुमार सिंह, नालन्दा खुला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० संजय कुमार, प्रदेश सचिव श्रीमान् प्रदीप कुमार कुशवाहा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित एवं पुष्पार्चन कर मेला का शुभारम्भ किया। 
विद्यालय के प्राचार्य महोदय श्रीमान् अनन्त कुमार सिन्हा ने सभी अतिथियों का परिचय के साथ-साथ अभिनंदन भी किए । कार्यक्रम की उपादेयता प्रदेश सचिव ने कहा कि नालन्दा विश्वविद्यालय ज्ञान की स्थली रही है। हमारे सतरह जिलों के भैया -बहन ने गणित, विज्ञान, संगणक, प्रयोग, प्रदर्श, प्रश्नमंच प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं। 
विद्या भारती की नींव : हमारी पहचान अखिल भारतीय स्तर पर जानी जाती है। विद्या भारती की नींव सन् १९५२ ई० में रखी गई। वह बीज जो आज एक बट वृक्ष का रूप धारण कर लिया है। प्राचीन काल से ही हमारे रामायण में पुष्पक विमान की चर्चा एवं महाभारत की पुरी कहानी संजय ने सुनाई थी। 
आज चंद्रयान ३  का प्रक्षेपण हुआ था, जिसमें हमारे संस्था के छः भैया-बहनों ने सफलता पूर्वक प्रक्षेपण में भाग लेकर विश्व में एक नयाँ कीर्तिमान स्थापित किया है।
हमारे विशिष्ट अतिथि महोदय नालन्दा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० अभय कुमार सिंह ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण का भाव रखते हुए विज्ञान को परिभाषित किया। सबसे बड़ा विज्ञान हमारी पूरी सृष्टि ही है। इस मर्म को समझने के लिए वैज्ञानिक तत्व एवं अध्यात्म को भी समझना जरूरी है । सिद्धांत तो बहुत व्यापक है। आज भी कहा जाता है कि जहाँ विज्ञान खत्म होता है, वहाँ हमारा दर्शन शुरू होता है। 
लूईस्पाश्चर एवं आइंसटीन भी ईश्वर की सत्ता में विश्वास करते थे । आपलोग नन्हें मुन्हें बाल वैज्ञानिक हैं। आप भारत के उज्जवल भविष्य हैं। यदि हमें अपने देश की तीन अमूल्य धरोहरों की रक्षा करनी हो तो संस्कृति विज्ञान व देश का मूल्य को करनी चाहिए। जब हमारी संस्कृति पिछड़ी थी तो हमें भिखारी समझा गया। हमारा विज्ञान हमारी संस्कृति से प्रसूत है। अपने देश  की संस्कृति  से ही विज्ञान की तकनीकि का उद्भव  हुआ है। यह शिक्षा के क्षेत्र में हमारी पहचान बनाता है। 
नालन्दा खुला विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो० संजय कुमार ने कहा कि प्रोजेक्ट की क्षमता बढ़ती है। आज आपकी सोच कल के भविष्य के उपकरणों के निर्माण में साबित होगा ।
हमारे देश में मैकाले की शिक्षा नीति की चर्चा होती है। जबकि विद्या के अध्यय विद्या भारती भारतीय संस्कृति को संरक्षण करने का काम कर रही है।
हमारे विद्यालय के सचिव महोदय प्रो० राणा पुरूषोत्तम कुमार सिंह ने कहा कि पुरे भारत बाल से तीन विश्वविद्यालय ज्ञान की केन्द्र स्थली रही है। जिसमें नालन्दा, विश्वविद्यालय, तक्षशिला एवं विक्रमशिला विश्वविद्यालय ज्ञान की भूमि रही है। 
माँ सरस्वती की कृपा र्स से अमूर्त की ओर विकसित करती है। केरला के आचार्य ने भारत के गणित के इतिहास  विश्वविद्यालय का वर्णन चिकित्सा शास्त्र, खगोल शास्त्र के सन्दर्भ में अदभूत उन्नति का जिक्र किया था। लोग देशों से भी ईलाज कराने आते थें। यदि कर्तव्यनिष्ठा प्राणोत्सर्ग की जब बारी होगी  तो भारत का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित होगा। हमारे भैया/बहन सर्वश्रेष्ठ खोजों में शत-प्रतिशत प्रयोग में लायेंगे 
इस अवसर पर नालन्दा एवं पटना विभाग के प्रमुख राजेश कुमार, रोहतास विभाग के विभाग  प्रमुख 
उमाशंकर पोद्दार जी, भागलपुर विभाग के विभाग प्रमुख बिनोद कुमार, भोजपुर विभाग के विभाग प्रमुख 
बीरेन्द्र कुमार, मुंगेर विभाग के विभाग प्रमुख सतीश कुमार सिंह, गया विभाग के विभाग प्रमुख ब्रह्मदेव प्रसाद ,प्रवासी कार्यकर्त्ता श्री परमेश्वर कुमार , गंगा प्रसाद ,विद्यालय के सभी आचार्य बंधु भगनी ,मीडिया प्रमुख गोपाल जी रॉय एवं बी.पी सिंह उपस्थित रहे 

पृष्ठ सज्जा : संकलन : समाचार  आलेख : 
डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया. 

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विषय सूची : पृष्ठ. ०  . 
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सहयोग.

परमार्थ के लिए देश हित में 
त्रि शक्ति, अधिकृत, विकसित और समर्थित.



नव - शक्ति 
प्रायोजित.


हिंदी  अनुभाग. 


हिंदी  अनुभाग. 
आज : सुबह : सबेरे 
आवरण पृष्ठ : पृष्ठ ०. संपादन.प्रिया. 
महाशक्ति डेस्क : महाशक्ति: विचार : पृष्ठ : ०
विषय सूची : पृष्ठ.  . 
जीवन सार संग्रह : पृष्ठ : १.संपादन. त्रिशक्ति.
सम्यक चित्र : हिंदी अनुभाग : सरस्वती डेस्क : पृष्ठ : १ /०.
जीवन सुरभि : हिंदी अनुभाग : शक्ति डेस्क : पृष्ठ : १ / १.
 सम्यक चित्र : हिंदी अनुभाग : सरस्वती डेस्क : पृष्ठ : १ /२.
सम्पादकीय : पृष्ठ २.
सम्पादकीय पत्रिका : अनुभाग : पृष्ठ : २ 
आज का गीत : जीवन संगीत : पृष्ठ : २ / ०
मेरी अनुभूति  : मेरी शक्ति  :  पृष्ठ २ / १.
आज का पांति : पृष्ठ : २ / २   
सम्पादकीय.आलेख.पृष्ठ : ३
सम्पादकीय.आलेखशैक्षिक पर्यटन : पृष्ठ ३ / १. 
सम्पादकीय. आलेखआष्टांगिक मार्ग :  पृष्ठ ३ / २.
आज का समाचार.हिंदी अनुभाग. पृष्ठ ४ .
फोटो दीर्घा : आजकल. हिंदी अनुभाग.पृष्ठ : ५ .
कल का समाचार.हिंदी अनुभाग. पृष्ठ : ६ 
फोटो दीर्घा : अतुलनीय नालंदा. पृष्ठ ७ .
कही : अनकही : पृष्ठ ८ .
छोटी छोटी सी बात : जीने की राह : पृष्ठ ९.
 दिवस / शुभ कामनाएं. पृष्ठ : १०   
दृश्य माध्यम : यूट्यूब चैनल :  पृष्ठ : ११  . 
कटाक्ष :  कार्टून कोना : पृष्ठ १२ :
उसने कहा :  पृष्ठ : १३ 
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पृष्ठ : १. 



त्रि - शक्ति प्रस्तुति. 



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जीवन : सार संग्रह : पृष्ठ : १.
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त्रि - शक्ति डेस्क. नैनीताल 
संपादन 
त्रि - शक्ति
 

सीमा रंजीता अनीता 
 नैनीताल 


त्रिशक्ति : शब्द चित्र :

कृष्ण : ज्ञान : बल से ज्यादा बुद्धि आवश्यक है 


त्रिशक्ति : शब्द चित्र : विचार धारा
कृष्ण दर्शन 

जीवन के प्रत्येक दिन में ' चुनौती ' ही होती हैं .... जीवन संघर्ष के कुरुक्षेत्र में 
समस्याओं के मध्य ' छल ', ' बल ' के प्रतीक दुष्ट जनों : महा प्रपंचियों से सामना करते हुए 
यही एकमात्र ध्येय होता है कि ' सत्य ' ' अहिंसा '   और शिव - शक्ति के ' कल्याण ' मार्ग कैसे अक्षुण्ण रखा जाए 


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मुझे भी कुछ कहना है : सम्यक ज्ञान : लक्ष्मी डेस्क :
 पृष्ठ : १ /० .
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संपादन. 



सीमा धवन / कोलकोता.
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तुम्हारे लिए. 

मैं समझता हूँ शायद किसी कारण वश किया गया ' गाँधी ' की तरह ही 
यह ' सत्याग्रह '   के लिए किया गया   ' वहिष्कार '  था 
   मुझे दुःख है कि मुझे इसकी वज़ह जाननी चाहिए थी...तथापि आपको कोई हक नहीं हैं अपनी
आत्म पीड़ा पहुंचाने की 

डॉ. मधुप.   
  


" ...मन से ज्यादा : भवानीप्रसाद मिश्र .."



"....तनाव मत लें अपना सर्वश्रेष्ठ करें...."
 
"..गलतियों को भुला जाए और सबक को सर्वदा याद रखें.." 
"....जो भी आपके पास है , साथ है उसके साथ ही सदा खुश रहें.." 


"...यदि शक्ति अपने भीतर ज्ञान, विवेक, तथा वाणी की देवी  सरस्वती को  समाहित कर लें 
तो  वह ऐश्वर्य,मान,सम्मान की देवी लक्ष्मी को प्राप्त कर निश्चित ही महाशक्ति बन जाएंगी.."


" ..संवादहीनता .. डरे डरे लोग ..सहमी पिछड़ी बीमार मानसिकता..असंयमित वाणी ..
एक दूसरे में दोष ढूंढने की आदत ...
मैंने तो इस दुनियां की कल्पना भी नहीं की थी ,शक्ति.."
डॉ. सुनीता मधुप शक्ति प्रिया .    


"..सर्वोत्तम होने के लिए आपको निकृष्ट को संभालने की योग्यता रखनी होगी.."
"..अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए केवल इच्छाएं न करें बल्कि भरसक  प्रयत्न करें.." 
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जीवन सुरभि : समयक कर्म . शक्ति डेस्क : पृष्ठ : १ / १ .
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 नैना देवी डेस्क / नैनीताल. 
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संपादन.
 



रंजीता / नैनीताल.
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" सतर्कता अभियान " दिवस विशेष विचार 

उम्मीद है कि आपका ' साथ ' रहेगा इस ' जीवन संघर्ष ' में 
न भी मिला तो सच के लिए अकेले लड़ता ही रहूंगा ' स्वयं ' के लिए ' तुम्हारे लिए ' भी 

डॉ. मधुप. 


".....पूरी दुनिया जीती जा सकती हैं ...संस्कार से,
        और सर्वस्व जीता हुआ भी  हार जाते हैं, हम  ...अंहकार से.... "


"....हर श्रेष्यकर काम से जुड़ें लोगों को प्रथमतः दुनियां पागल ही कहती है 
इसलिए जब भी जिंदगी में कुछ बड़ा करने की कोशिश करेंगे 
तब, ना कोई ध्यान देगा, ना कोई साथ देगा..." 



"..आप स्वयं के उत्तरोत्तर, चतुर्दिक विकास के लिए देखें 
      अनायास ही लोग आपको बाद में देखने लग जायेंगे.."  


"..जिंदगी एक जंग है  तब तक बुद्धिमत्ता पूर्वक लड़ना न छोड़ो.. 
जब  तक अपनी तय की गई मंजिल पर पहुँच न जाओ..." 

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सम्यक वाणी 
सरस्वती : डेस्क : पृष्ठ : १ / २.
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संपादन.

 
अनीता. 
जब्बलपुर. 

" ..लेकिन सच माने तो आज सद्गुरुओं की बड़ी कमी है... 
मेरी अवधारणा है कि गुरु भी वशिष्ट, संदीपनी, द्रोण, 
नानक ,गुरु गोविन्द जैसे महाज्ञानी ही होने चाहिए 
जिससे राम, कृष्ण तथा अर्जुन जैसे योग्य व ज्ञानी शिष्य हो सकें, 
जिससे समाज का परमार्थ व चतुर्दिक विकास हो सकें.."
 
डॉ.सुनीता रंजीता. 

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सम्पादकीय : पृष्ठ २ .



 

प्रधान संपादक. 
डॉ. मनीष कुमार सिन्हा. 
नई दिल्ली. 

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.
सहयोग व स्व इच्छा की कड़ी.
  
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⭐.संरक्षिका.
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डॉ. भावना. 
उज्जैन. मध्य प्रदेश. 
-------------
 वरिष्ठ  ⭐ संपादक.  
----------------

  

रेनू शब्दमुखर. जयपुर.
अनुभूति सिन्हा : शिमला 
नीलम पांडेय. वाराणसी.

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कार्यकारी ⭐ संपादक  
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डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया 
नैनीताल.  
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सहायक  ⭐ कार्यकारी 
  संपादक. 
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अनीता सीमा. 
जब्बलपुर. 
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संयोजिका.


वनिता 
   पटना.   
--------------

व्यव्यस्थापक 
प्रधान संपादक
   


डॉ. मनीष कुमार सिन्हा.
चेयर मैन : इ.डी.आर.एफ / नई दिल्ली.
 
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संपादक ⭐ मंडल. 
.

रवि शंकर शर्मा. संपादक.नैनीताल.
डॉ.नवीन जोशी.संपादक.नैनीताल.
मनोज पांडेय.संपादक.नैनीताल.
           अनुपम चौहान.संपादक.लखनऊ .            
डॉ.शैलेन्द्र कुमार सिंह.लेखक.रायपुर. 
------------
अतिथि संपादक.
 

उषा / मसूरी. 
--------------
सम्पादकीय पत्रिका : अनुभाग :  पृष्ठ : २ / ० 
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आज का गीत : जीवन संगीत : पृष्ठ : २ / ० 
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संपादन / उषा / मसूरी. 

सहयोग.
 
फिल्म : विश्वास : १९६९.
सितारे : जीतेन्द्र. अपर्णा सेन.  
गाना : ले चल ले चल मेरे जीवन साथी.  
गीत : गुलशन बाबरा. संगीत : कल्याणजी आंनद जी. गायक : मुकेश.हेमलता. 

  
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 

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मेरी अनुभूति : मेरी शक्ति  :  कोलाज फ़िल्मी नामा : पृष्ठ २ / १. 
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संपादन. 


रश्मि / कोलकोता.

ज्ञान ,अध्यात्म और भावनाओं की सम्यक अनुभूति : कोलाज : डॉ.सुनीता रंजीता प्रिया . 
अब ये बंधन न टूटे ...युग युग ये साथ न छुटे  : कोलाज : डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया .नैनीताल  
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आज का पांति : पृष्ठ : २ / १ 
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संपादन.
 

कंचन पंत. नैनीताल.
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क्षणिकायें.

 सत्यमेव जयते. 

आज के
 अभिमन्यु,
आज भी देखते हैं, 
अपने जीवन संघर्ष में 
चारों ओर, 


अकेले है, 
निहत्थे है,
मात्र आत्मशक्तियों, 
के भरोसे है  
न कृष्ण हैं, 
न अर्जुन हैं,
इस युद्ध स्थल में , 
न  कोई अपना है, 
न सगा  हैं. 
साथ हैं तो 
केवल उसका विवेक, कौशल,
उसका ऐश्वर्य ,मान ,सम्मान, 
और उसकी अपनी ,
 आत्मशक्तियां, 
बोलो न ?
सामने असत्य है, 
कुचक्र है, 
एक बार फ़िर से
 शत्रु बड़ा विकट है.   
सत्य की लड़ाई में 
अभिमन्यु फिर से चक्रव्यूह 
 में  घिर गए है 
चारों ओर शत्रु बड़े बड़े हैं, 
निराशा का तिमिर हो, 
या आशा का प्रभात हो, 
तभी तो   
अभिमन्यु नितांत 
अकेले ही  निहत्थे खड़े है.
हमारे समक्ष, 
प्रश्न हो यक्ष, 
कि क्या अभिमन्यु सबसे हार कर 
मृत्यु शैया पर पड़े हो, 
या विजयी हो कर 
सत्यमेव जयते की तरह 
सब के सामने खड़े हो.
शक्ति बोलो न ? 


©️®️
डॉ.मधुप.
---------
मैं पल दो पल का शायर हूँ.  



  कह नहीं पाया वो पांति,  
सोचा था जो मैंने  तुमसे हर दिन,
देखो न ! वो सिंधु की कहानी बन गई, 
पढ़ा  सभी ने 
समझा किसी ने नहीं,  
शायद , किसी के  एहसास है , 
इतिहास है,   
देखो न ! कई दिनों के बाद भी 
आज वो शायरों की जुबानी बन गई.

डॉ.मधुप रमण.
  नैनीताल.    

अर्थ : सिंधु : सभ्यता की लिपि अभी तक नहीं पढ़ी गई हैं. 

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सम्पादकीय.आलेख.पृष्ठ : ३.
संपादन. 
रेनू शब्द मुखर / नीलम पांडेय .  
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सम्पादकीय.आलेखशैक्षिक पर्यटन : पृष्ठ ३ / १.
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संपादन / संकलन. 
 डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया. 
नैनीताल.
  
शैक्षिक पर्यटन क्या है ? शैक्षिक पर्यटन का अर्थ , महत्व एवं परिभाषा 
आलेख साभार. 
नालंदा के खंडहर शैक्षिक पर्यटन के श्रेष्ठ केंद्र : फोटो : कोलाज : डॉ : सुनीता रंजीता प्रिया .   
 

नालन्दा : सुबह की ठंड थी।  फ़रवरी का महीना  था। बच्चें उत्साहित थे। हम सभी उन्हें पिकनिक के लिए नालन्दा ले जा रहे थे। समझा जा सकता है यह उनके लिए मनोरंजन कम शैक्षिक पर्यटन हो सकता था।
चतुर्थ वर्ग के बच्चें कुछ सीख सकते थे। शेष तो बहुत ही छोटे थे उनकी संख्या ज्यादा थी ।  उनके लिए मस्ती ही ज्यादा थी। और हम सबों के लिए चरवाही ज्यादा थी।  
इतिहास : नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन भारत में उच्च शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विख्यात केंद्र था। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त काल के दौरान पांचवीं सदी में कुमारगुप्त प्रथम ने किया था। इतिहास के अनुसार, सन् ११९३ में कुतुबुद्दीन ऐबक के सेनापति बख्तियार खिलजी के आक्रमण के बाद इसे नेस्तनाबूत कर दिया गया था। 
इस शैक्षिक पर्यटन में हम सभी थी। हम सभी भी अपनी जानकारियां समृद्ध कर सकती थी। 
नालंदा अपने प्राचीन इतिहास के लिये विश्व प्रसिद्ध है। यहाँ विश्व के सबसे पुराने नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष आज भी मौज़ूद है, जहाँ सुदूर देशों से छात्र अध्ययन के लिये भारत आते थे। 
बुद्ध और महावीर कइ बार नालन्दा मे ठहरे थे। माना जाता है कि महावीर ने मोक्ष की प्राप्ति पावापुरी मे की थी, जो नालन्दा में  स्थित है।
इस परिभ्रमण में खींची  गयी  तस्वीरें  , शॉर्ट रील , वीडिओ जिसे छात्र चित्र के रूप में अपने पास रख सकते हैं जिसे बाद में पढ़ाई तथा जानकारी वर्धन  के लिए उपयोग में लाया जा सकता हैं। अवश्य उपयोगी हो सकता है। हमारे साथ हमारी सहयोगी प्रीति भी थी जो हमारे साथ शैक्षिक पर्यटन में साथ देती है। 
शैक्षिक पर्यटन से शिक्षण को अत्यंत रोचक व बोधगम्य बनाया जा सकता  है। छात्रों को प्रत्यक्ष अनुभव एवं वास्तविक अनुभव द्वारा ज्ञान कराया जाता है  छात्र जल्द ही विषय की बातें सीख लेते हैं। छात्रों शैक्षिक पर्यटन द्वारा ज्ञानात्मक एवं भावात्मक योग्यताओं का विकास होता है। 
डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया. 


शैक्षिक पर्यटन क्या है ? शैक्षिक पर्यटन का अर्थ एवं परिभाषा

प्रो. रेन ने इस विधि का विकास किया। शिक्षण की विधियों में शैक्षिक पर्यटन विधि एक महत्वपूर्ण विधि है। इस विधि द्वारा शिक्षण का उद्देश्य उन परिस्थितियों को उत्पन्न करना है, जिनमें छात्र स्वयं सीखने का अनुभव कर सकें। शैक्षिक पर्यटन विधि में छात्रों को विषयवस्तु का वास्तविक ज्ञान उस स्थल पर जाकर कराया जाता है। उदाहरण यदि छात्रों को ताजमहल का ज्ञान आगरा ले जाकर कराया जाये तो उन्हें वास्तविक ज्ञान होगा। इस विधि को अधिक प्रभावशाली माना जाता है, इसे शैक्षिक पर्यटन कहते हैं। इस विधि का उपयोग इतिहास एवं भूगोल विषयों एवं अन्य विषयों का अध्ययन कराने हेतु किया जाता है।

शैक्षिक पर्यटन का अर्थ एवं परिभाषा

प्रो. रेन ने विद्यालय पर्यटन प्रविधि का विकास किया, जिसके द्वारा भूगोल प्राकृतिक अध्ययन इतिहास तथा अन्य विषयों का शिक्षण वास्तविक रूप में किया जा सकता है। इस विधि द्वारा एक खुले तथा स्वतंत्र वातावरण में छात्र को लाया जाता है, जिससे सामाजिक प्रशिक्षण का अवसर प्राप्त होता है।


शैक्षिक पर्यटन विधि के सैद्धान्तिक आधार निम्नलिखित हैं -

यह विधि मनोवैज्ञानिक सिद्धांतो पर आधारित है। इसमें इन्द्रियों द्वारा ज्ञान से छात्रों को सीखने में सुगमता रहती है। यह सामाजिक सिद्धांतो पर आधारित है। यह छात्रों में सहयोगात्मक भावना का विकासकरती है।
यह विधि छात्रों में निरीक्षण शक्ति, कल्पना शक्ति तथा अन्वेषण क्षमताओं का विकास करने में सहायक है।

शैक्षिक पर्यटन का नियोजन.

इसके लिए निम्न सोपानों का अनुसरण होता है - शैक्षिक पर्यटन का उद्देश्य निर्धारण।
उस व्यवस्था का चयन जिसके द्वारा शैक्षिक उद्देश्य की प्राप्ति हो सके।
पर्यटन की निश्चित रूप से व्यवस्था करना इसके लिए अधोलिखित बातों का निर्धारण - १ . तिथि, २ . समय, ३ . छात्र संख्या, ४ . निर्देशक कौन होगा, ५ . पर्यटन के उद्देश्य का निर्धारण, ६  आर्थिक व्यवस्था।

भ्रमण हेतु यातायात एवं ठहरने की व्यवस्था करना

निर्देशन पत्र  शैक्षिक भ्रमण पर जाने से पहले निर्देशन पत्र की जांच करानी चाहिए। निर्देशन पत्र में उन संस्थाओं एवं स्थलों की सूची होती है, जिन्हें छात्र देख चुके हैं। निर्देशन पत्र एक चार्ट के रूप में तैयार किया जाता है। जिसे छात्र चित्र के रूप में अपने पास रख सकते हैं अथवा फोटों खींचकर भी रखा जा सकता है।

शैक्षिक पर्यटन का महत्व.

शिक्षण को रोचक व बोधगम्य बनाया जाता है। छात्रों को प्रत्यक्ष अनुभव एवं वास्तविक अनुभव द्वारा ज्ञान कराया जाता है। शैक्षिक पर्यटन द्वारा ज्ञानात्मक एवं भावात्मक योग्यताओं का विकास होता है।
भौगोलिक परिदृश्य जैसे औद्योगिक मिलें एवं ग्रामीण उद्योगों को देखने से दैनिक उपयोगी जानकारी प्राप्त होती है। शैक्षिक पर्यटन के सीमाएं या दोष
यह एक महंगी विधि है। आर्थिक दृष्टि से कमजोर छात्र इसका लाभ नहीं ले सकते।
इस विधि में छात्र भ्रमण को एक मनोरंजन के रूप में लेते हैं, अतः वांछित शैक्षिक उद्देश्य की प्राप्ति नहीं हो पाती।
पृष्ठ सज्जा : त्रि शक्ति डेस्क / नैनीताल.
अनीता सीमा / जब्बलपुर. 

शैक्षिक पर्यटन
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सम्पादकीय. आलेखआष्टांगिक मार्ग :  पृष्ठ ३  / ३ .
---------------------
 नालंदा : ज्ञान की धरती से आर्य सत्य : आष्टांगिक मार्ग ?  संकलन : डॉ.मधुप.  
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बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग से ही हम विश्व को आर्य बना सकते है. 


क्या है आष्टांगिक मार्ग ?

मैं सदैव से विश्वास करता हूँ अपने साथ के लोगों को बड़ी गहराई से परखें।  उसकी वाणी पर ध्यान दें। उसके आचरण पर ध्यान दें। देखें आपके,उसके अपनों के प्रति उसका व्यवहार कैसा है ? वह आपके लिए कितना सहिष्णु है ? आपकी खूबियों और कमियों को लेकर कितना संवेदनशील व व्यक्तिगत है ? उससे ही आपको आपके जीवन का सार मिल जाएगा। सम्यक साथ से ही तमाम हल मिलते हैं।  
१. सम्यक दृष्टि : इसे सही दृष्टि कह सकते हैं। इसे यथार्थ को समझने की दृष्टि भी कह सकते हैं। सम्यक दृष्टि का अर्थ है कि हम जीवन के दुःख और सुख का सही अवलोकन करें। आर्य सत्यों को समझें। 
२. सम्यक संकल्प : जीवन में संकल्पों का बहुत महत्व है। यदि दुःख से छुटकारा पाना हो तो दृढ़ निश्चय कर लें कि आर्य मार्ग पर चलना है।
३. सम्यक वाक : जीवन में वाणी की पवित्रता और सत्यता होना आवश्यक है। यदि वाणी की पवित्रता और सत्यता नहीं है तो दुःख निर्मित होने में ज्यादा समय नहीं लगता।
४. सम्यक कर्मांत : कर्म चक्र से छूटने के लिए आचरण की शुद्धि होना जरूरी है। आचरण की शुद्धि क्रोध, द्वेष और दुराचार आदि का त्याग करने से होती है।
५. सम्यक आजीव : यदि आपने दूसरों का हक मारकर या अन्य किसी अन्यायपूर्ण उपाय से जीवन के साधन जुटाए हैं तो इसका परिणाम भी भुगतना होगा इसीलिए न्यायपूर्ण जीविकोपार्जन आवश्यक है।
६. सम्यक व्यायाम : ऐसा प्रयत्न करें जिससे शुभ की उत्पत्ति और अशुभ का निरोध हो। जीवन में शुभ के लिए निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए।
७. सम्यक स्मृति : चित्त में एकाग्रता का भाव आता है शारीरिक तथा मानसिक भोग-विलास की वस्तुओं से स्वयं को दूर रखने से। एकाग्रता से विचार और भावनाएँ स्थिर होकर शुद्ध बनी रहती हैं।
८. सम्यक समाधि : उपरोक्त सात मार्ग के अभ्यास से चित्त की एकाग्रता द्वारा निर्विकल्प प्रज्ञा की अनुभूति होती है। यह समाधि ही धर्म के समुद्र में लगाई गई छलांग है।

पृष्ठ  सज्जा  : त्रि शक्ति डेस्क / नैनीताल. 
सीमा रंजीता अनीता  


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आज का समाचार.हिंदी अनुभाग. पृष्ठ ४ .
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समाचार संपादन. 
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ज्ञान और विज्ञान के साथ व्यक्तित्व के विकास की धुरी आज भी गुरु द्रोण ,वशिष्ट  जैसे शिक्षक ही है.

नीलम पांडेय. 
वाराणसी. 

शिक्षक दिवस : कोलाज. 

"...गुरु गोविन्द दोनों खड़े होते हो तो स्वयं गोविन्द ने प्रथमतः गुरु की ही वंदना करने की बात कही है। हम समझ सकते हैं कि गुरु की महत्ता कितनी बड़ी है। लेकिन सच माने आज सद्गुरुओं की बड़ी कमी है। मेरी अवधारणा है कि गुरु भी वशिष्ट, संदीपनी, द्रोण , नानक ,गुरु गोविन्द जैसे महाज्ञानी ही होने चाहिए जिससे राम , कृष्ण तथा अर्जुन जैसे शिष्य हो सकें। जिससे समाज का परमार्थ ,चतुर्दिक विकास हो सकें.." 

डॉ. सुनीता रंजीता. 

डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म दिवस शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाना निःसंदेह सुखद अनुभव है। प्रथम उपराष्ट्रपति , द्वितीय राष्ट्रपति, महान शिक्षाविद्, डा. कृष्णन ने आधुनिक भारत में शिक्षक के महत्त्व को समझाने का जो रास्ता तैयार किया ,अभूतपूर्व है।
'अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया । चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ' - से जिस गुरु- शिष्य परंपरा का आरंभ हुआ, कबीर ने उस परंपरा को 
नीलम पांडेय 
"गुरू कुम्हार शिष कुंभ है, गढि-गढि काढै खोट"- कहकर आगे बढ़ाया ; फिर स्वामी विवेकानंद जी से होते हुए स्वामी दयानंद सरस्वती तक पहुँचने तक की यात्रा पर गौर करें तो स्पष्ट है कि वैदिक काल में शिक्षा को व्यवस्थित रूप देने के क्रम में सर्वप्रथम जो दो प्रश्न उभरे उनमें प्रथम ‘क्या’ सिखाया जाए तथा द्वितीय ‘कैसे’ सिखाया जाए ? थे। 
इन प्रश्नों के अन्तर्गत उन विषयों का समावेश हुआ जिनके ज्ञान से मानव, समाज में उपयोगी भूमिका निभाने में सक्षम हो सका।
गुरुकुलीय शिक्षा का मूल उद्देश्य आध्यात्मिक विकास और चरित्र निर्माण के साथ विद्यार्थी को स्वावलंबी बनाना तथा भावी जीवन की चुनौतियों के लिए तैयार करना था। आध्यात्मिक विकास को अलग कर दें तो आज भी शिक्षा - दीक्षा का मूल उद्धेश्य यही है। शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए संकल्पित वर्तमान परिवेश में शिक्षक की भूमिका बहुआयामी हो चुकी है। 
दो वर्षों के कठिन कोरोना काल से लेकर अब तक ज्ञानार्जन के तमाम संसाधनों के बीच से गुजरते हुए आज भी शिक्षक की प्रासंगिकता बनी हुई है। ज्ञान और विज्ञान के साथ व्यक्तित्व के विकास की धुरी आज भी शिक्षक ही है।
महान शिक्षाविद् डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को उनके जन्मदिन पर शत-शत नमन-वंदन। उनकी इच्छा का पूरा-पूरा सम्मान करते हुए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में मौजूद अपने गुरु को भी नमन। जिनसे प्राप्त आत्मज्ञान हम सबके बौद्धिक और आध्यात्मिक ज्ञान का आधार है।
आलेख संपादन : डॉ. सुनीता रंजीता. नैनीताल 

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सम्पादकीय.आलेख.पृष्ठ २ / २. संस्कृत हमारी वैदिक भाषा  
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आलेख  : डॉ. सुनीता रंजीता  . नैनीताल
 

अपनी वैदिक संस्कृति से अथाह प्रेम रखने वाले संपूर्ण भारतीय अपनी देव भाषा संस्कृत के प्रचार प्रसार में लगे रहें .  

संस्कृत हमारी आदि भाषा हैं। और हमारी मातृ भाषा हिंदी की जननी मानी जाती हैं। इस आदि भाषा के सम्मान के निमित्त ही हमने संस्कृत दिवस मनाने की शुरुआत की हैं। ऐसी आशा की जाती है कि संस्कृत से भारत में कई भाषाओं का पुष्पन और पल्लवन हुआ हैं। संस्कृत भाषा की उत्पत्ति सम्भवतः लगभग ४००० साल पहले हुई थी ।  हिंदू संस्कृति में संस्कृत के मंत्रों  का 
वैदिक शिक्षा 
उपयोग सैकड़ों वर्षो से हमारे विभिन्न 
संस्कारों में विधिवत  किया जा रहा है। 
संस्कृत का अर्थ दो शब्दों से मिलकर बना है सम का अर्थ संपूर्ण और कृत का अर्थ है किया  हुआ । यह दोनों शब्द मिलकर संस्कृत शब्द की उत्पत्ति करते हैं।
भारत में वेदों की रचना सबसे पहले वैदिक काल में  १०००  ईसवी से ५००  ईसा  पूर्व की अवधि में हुई । वैदिक संस्कृत साहित्य  में वेदों ,पुराणों और उपनिषदों का विशेष महत्व है। वेद चार अलग-अलग खंडों में विभाजित है जिसमें ऋग्वेद यजुर्वेद ,सामवेद और अथर्ववेद है।  
श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को भारत प्रतिवर्ष संस्कृत दिवस के रूप में मनाता है संस्कृत प्रेमी ही नहीं अपितु अपनी संस्कृति से अथाह प्रेम रखने वाले संपूर्ण भारतीय पूरे सप्ताह तक संस्कृत के प्रचार प्रसार में लगे रहते हैं । 


आलेख संपादन : अनीता सीमाजब्बलपुर.  
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फोटो दीर्घा : आजकल. हिंदी अनुभाग.पृष्ठ : ५ .
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कल का समाचार.हिंदी अनुभाग. पृष्ठ : ६  
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  समाचार संपादन.


रंजना.स्वतंत्र लेखिका 
नई दिल्ली.
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बि / सां / आ / सं /.६  / १   
 


डॉ. 
सुनीता 
रंजीता. 

नवंबर की गुलाबी ठंढ में  राजगीर महोत्सव एक संगीत मय गौरवशाली परम्परा की शुरुआत.
 
माननीय मंत्री वित्त विभाग-सह-प्रभारी मंत्री नालंदा श्री विजय कुमार चौधरी का सम्बोधन. फोटो :  एम एस. मीडिया.

संवाद सूत्र : नालंदा. राजगृह पूर्व प्राचीन महाजनपद मगध की पहली राजधानी रही थी जहाँ बिम्बिसार तथा अजातशत्रु जैसे यशस्वी सम्राट कभी शासन किया करते थे। पंच पहाड़ियों से घिरी यही राजगीर बुद्ध ,महावीर,मख्दूम बाबा ,नानक की तपस्या और कर्म की भी पवित्र स्थली बनी जो अपनी ऐतिहासिकता के लिए विश्व प्रसिद्ध रहीं  हैं। यही वो देव स्थल है जहाँ योगी भगवान श्री कृष्ण को धर्म के संरक्षण भी आना पड़ा था । माने तो राजगीर पूरे विश्व के मान चित्र में गरम कुंड, झरनें, पांच मनोरम पहाड़ियों के नैसर्गिक सौंदर्य के लिए विश्व विख्यात रहीं है। हमें जानना चाहिए वही दूसरी तरफ मगध की सभ्यता संस्कृति को जीवंत करने वाली राजगीर महोत्सव को लेकर ९० के दशक से समस्त भारत में चर्चित होती  रही है। बताते चले इस संस्कृति की परम्परा की शुरुआत बिहार सरकार की पहल पर साल १९८६ में  की गयी थी जो आज तक़ और अभी तक जारी है। उल्लेखनीय तौर पर राजगीर महोत्सव का आयोजन पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन के संयुक्त प्रयास द्वारा किया जाता रहा है जिसे दिनों दिन लोकप्रियता ही मिलती रही। 
राजगीर महोत्सव - २०२२ : पुनः इस वर्ष भी  दिनांक २९ नवंबर को  राजगीर महोत्सव - २०२२ की गौरवशाली परम्परा का उद्घाटन माननीय मंत्री वित्त विभाग-सह-प्रभारी मंत्री नालंदा श्री विजय कुमार चौधरी के कर कमलों द्वारा किया गया। इस अवसर पर माननीय मंत्री ग्रामीण विकास विभाग श्री श्रवण कुमार, माननीय विधायक राजगीर श्री कौशल किशोर, जिला परिषद उपाध्यक्ष श्रीमती अनुराधा देवी, सचिव पर्यटन विभाग श्री अभय कुमार सिंह, प्रबंध निदेशक बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम श्री कँवल तनुज, निदेशक पर्यटन श्री यशस्पति मिश्रा, उपविकास आयुक्त,नगर आयुक्त, अपर समाहर्ता सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहें। राजगीर महोत्सव के अवसर पर ग्राम श्री मेला तथा विभिन्न स्टॉल का निर्माण किया गया है जिसमें विभिन्न प्रांतों के व्यवसायी अपने उत्पाद बेचेंगे । 

अपनी गायकी से श्रोताओं को लुभाते शान : फोटो :  एम. एस. मीडिया.

राजगीर महोत्सव के प्रथम दिवस में   पंच पहाड़ियों के बीच मगध की प्राचीन राजधानी में शाम के वक़्त  सर्व धर्म मंगलाचरण से राजगीर महोत्सव के संगीतमय  शाम की शुरुआत हुई थी ,वहीं काशी से आई ममता शर्मा ने मां गंगा की स्तुति से मनमोहक कार्यक्रम की शुरुआत कर सबका मन मोह लिया था।  वहीं बॉलीवुड के प्रसिद्ध गायक शान , इंडियन आइडल के विजेता सलमान अली  ने अपने सुरीले गानों से नवंबर की सर्द रात में भी दर्शकों - श्रोताओं के 
मध्य गर्माहट की अनुभूति ला दी थी।  यह एक यादगार शाम थी।
 
उधर तीन दिनों तक सुबह सवेरे राजगीर में उद्धाटन के बाद राजगीर में होने वाली खेल कूद,नृत्य ,पेंटिंग ,गायन वादन,वाद विवाद तथा रंगोली प्रतियोगिता को लेकर स्कूल से आए बालक - बालिकाओं, शिक्षक - शिक्षिकाओं में विभिन्न प्रतियोगिता को लेकर अजीब सा उत्साह मचा हुआ था। 
पर्यटन तथा जिला प्रशासन के संयुक्त प्रयास का ही परिंणाम है कि प्रान्त ,देश - विदेश के सैलानी अब राजगीर नालंदा की ओर रुख करने लगे हैं। 
समाचार अंश संपादन 
अनीता : जब्बलपुर.
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पहला दिवस. 

हिमालय से ऊँचा हमारा हौसला : राजगीर महोत्सव में रंगोली के रंग डी ए वी के संग

  रंगोली प्रतियोगिता में  विजेता डी ए वी की बालिकाएं एवं शिक्षिकाएं : फोटो रंजीता 

संवाद सूत्र : नालंदा. राजगीर महोत्सव का पहला दिवस था। जहां पंच पहाड़ियों के बीच मगध की प्राचीन राजधानी में शाम के वक़्त  सर्व धर्म मंगलाचरण से राजगीर महोत्सव के संगीतमय  शाम की शुरुआत हुई थी ,वहीं काशी से आई ममता शर्मा ने मां गंगा की स्तुति से मनमोहक कार्यक्रम की शुरुआत कर सबका मन मोह लिया था।  वहीं बॉलीवुड के प्रसिद्ध गायक शान ने अपने सुरीले गानों से नवंबर की सर्द रात में भी दर्शकों - श्रोताओं के मध्य गर्माहट की अनुभूति ला दी थी।  यह एक यादगार शाम थी। 
रंजीता 
सुबह सवेरे : उधर सुबह सवेरे राजगीर में उद्धाटन के बाद राजगीर में होने वाली खेल कूद ,गायन वादन ,वाद विवाद तथा रंगोली प्रतियोगिता को लेकर स्कूल से आए बालक - बालिकाओं, शिक्षक - शिक्षिकाओं में विभिन्न प्रतियोगिता को लेकर अजीब सी हलचल मची हुई थी। आज प्रथम दिवस था। स्थानीय डी ए वी पावर ग्रीड की एक छोटी सी टीम अपनी कुशल, कर्मठ , सुन्दर नेतृत्व प्रदान करने वाली शिक्षिकाओं, रंजीताअनीतासीमा ,एवं प्रीति सिंह के समूह साथ आई हुई थी। उन्हें यकीन था शायद आसमां को छूने का पल आ गया है। शायद आज और कल का दिन उनके नाम होना था। वक्त आ गया  रंगोली प्रतियोगिता के आयोजन का।  यह प्रतियोगिता १३१ प्रतिभागियों के मध्य किया जाना था। रंगोली के लिए डी ए वी  पावर ग्रीड की बालिकाओं ने अपनी टीम लीडर रंजीता की देख रेख में सर्वश्रेष्ठ कोशिश की, मन से जल जीवन हरियाली के जीवंत सन्देश को निर्णायक के मन में उतार दिया। परिणाम भी मन के अनुकूल ही आए। पहले पादान पर डी ए वी ,पॉवर ग्रीड स्कूल की टीम रही। 
सीमा 
रंगोली सीनियर में  डी ए वी और जूनियर वर्ग में मध्य विद्यालय इस्लामपुर रंगोली प्रतियोगिता के विजेता रहें। प्रतिभागियों में जहाँ सीनियर वर्ग में  डी ए वी पब्लिक स्कूल, पॉवर ग्रीड की ज्योत्सना,स्तुति ,प्रिया ,कृतिका मधुकर ,प्राची ,खुशी कुमारी ,साक्षी सिन्हा तथा सौम्या सिन्हा ने अपने विद्यालय का नाम रोशन  किया तो दूसरे स्थान पर जवाहर नवोदय विद्यालय के, सूरज कुमार, पवन कुमार निशु कुमारी ,अभिलाषा कुमारी ,अंकिता कुमारी ,मुस्कान कुमारी ,अंजली राय और अनामिका कुमारी, प्रेम भारती रहें।  तो वही तीसरे  स्थान पर एस.एस. बालिका हाई स्कूल बिहार शरीफ से निशु कुमारी ,निक्की कुमारी ,अनिशा कुमारी ,तथा जूनियर वर्ग में प्रथम स्थान मध्य विद्यालय राजगीर ,इस्लामपुर में मानसी कुमारी , मिंतु कुमारी ,गौरी कुमारी ,निशा कुमारी,पूनम कुमारी सुरुचि कुमारी, द्वितीय स्थान मध्य विद्यालय गोरार राजगीर मुस्कान कुमारी ,रूबी कुमारी ,ममता कुमारी मीशा  भारती, तृतीय  स्थान मध्य विद्यालय खपुरा ,नगरनौसा पायल कुमारी ,वर्षा कुमारी ,मुस्कान कुमारी ,मृदुला कुमारी तथा आंचल कुमारी को हासिल हुआ.
समाचार अंश  संपादन. 
सीमा धवन  : कोलकोता .
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राजगीर महोत्सव का दूसरा दिन. डी ए वी
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तबला वादन में प्रथम स्थान के लिए दिव्यांक. एकल नृत्य की  जाह्नवी : फोटो रंजीता. 

राजगीर महोत्सव का दूसरा दिन : सच में राजगीर महोत्सव का दूसरा दिन भी डी ए वी के लिए खास खुशियों की सौगात ही लेकर ही आया। यदि विद्यालय सूत्रों की माने तो वाद विवाद प्रतियोगिता में इसी विद्यालय की दशम वर्ग की छात्रा रिद्धिमा रंजन ने प्रथम स्थान हासिल किया तो तबला वादन में सप्तम वर्ग 
रिद्धिमा : फोटो रंजीता 
के 
दिव्यांक पहले पादन पर रहें। अन्य एकल नृत्य में अष्टम वर्ग की जाह्नवी गुप्ता ने विद्यालय परिवार का मान सम्मान बढ़ाया। 
डी ए वी विद्यालय के प्राचार्य वी के पाठक ने अपनी ख़ुशी जाहिर करते हुए हमसे बात चीत में बतलाया कि बच्चों की सार्थक भागीदारी के लिए हम अभिवावकों का आभार प्रगट करते हैं। तथा समूह को नेतृत्व प्रदान करने वाली शिक्षिकाओं रंजीता, सीमा ,प्रीति तथा अनीता का उत्साहवर्धन करते हुए उनके लिए भी विशेष धन्यवाद प्रेषित करते हैं । 
हमसे बात करते हुए विद्यालय की शिक्षिका प्रीति सिंह ने कहा कि हम सभी हिमालय से भी ऊँचा हौसला रखती हैं, हम जो ठान ले वो कर ले। यही हैं हम नारी शक्तियां। सच में हम अपनी सफलता के भावार्थ के लिए अपनी शक्ति में ही आश्रित होते है ना। फिर यहाँ तो नारी शक्तियां ही थी ,चाहे बालिकाओं के रूप में  या शिक्षिकाओं की प्रतीक में । 
समाचार अंश  संपादन 
अनीता : जब्बलपुर.
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राजगीर महोत्सव का तीसरा दिन. डी ए वी.
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गतांक से आगे १.
 
 हिमालय से ऊँचा हमारा हौसला : राजगीर महोत्सव में  डी ए वी के रंग.

राजगीर महोत्सव का तीसरा दिन था। पूरा दिन कोलाहल से भरा बीता था। काफी भागमभागी हो रही थी।दिवस का अवसान अब 
सीमा 
समीप था। शांति छायी हुई थी। मैं अपनी दोहरी भूमिका निभा रही थी। आज मेरे साथ मेरी सहयोगी 
सीमा थी। हमें समाचार संकलन भी करना था और बच्चों की समयबद्ध भागीदारी भी तय करवानी थी। इसके लिए मुझे फोटो समय सीमा के अंदर भेजनी थी क्योंकि मीडिया संभाग में समय की भी सीमा होती हैं। हमें बहुत ही अनुशासित होना पड़ता है। हम सभी जो मीडिया के न्यूज़ फीचर से जुड़े होते हैं, बड़े समयबद्ध होते हैं दायित्वों को बड़ी सूझ बूझ से निभानी होती हैं । निरंतर अपडेटस देने होते हैं। ब्लूटूथ इयर फ़ोन ,कॉलर माइकमोबाइल तथा हेड फ़ोन से निरंतर जुड़े होते हैं हम मीडिया कर्मी । सदैव सावधान और तत्पर रहना होता है। सदैव सच की खोज में सकारात्मक सोच के साथ हमलोग रिपोर्टिंग के लिए लगे होते हैं। हम में से कोई कंप्यूटर पर  समाचार लिख रहा होता है, प्रूफ रीडिंग भी साथ चल रही होती है ,कोई जानकारियां इकठ्ठी कर रहा होता हैं तो कोई अपने कैमरे से फोटो खींच रहा होता है। हमें न्यूज़ रूम में बैठे समाचार विशेषज्ञ के संपर्क में सदैव रहना होता है ताकि कोई जानकारी छूटने न पाए। बाद में सब की साझीदारी से ही जिम्मेवारियों  का परिणाम सुनिश्चित होता है। मैं अपने  कैमरे से विभिन्न कोणों से फोटों  खींच रही थी। 

पहले स्थान पर रही बाल विवाह की यह पेंटिंग : कृति हेम हर्षा. फोटो : रंजीता.
 
मेरी नज़र में आज का दिन भी  डी ए वी के लिए यादगार ही साबित हुआ। दशम वर्ग की छात्रा हेम हर्षा ने सबसे पहले पेंटिंग प्रतियोगिता में बाल विवाह जैसे ज्वलंत विषय को चुन कर सब का ध्यान अपनी ओर खींचा। और अपनी पेंटिंग से आम को यह बतलाने की कोशिश की बाल विवाह एक अभिशाप है ,एक अपराध है, इसे निषिद्ध होना ही  चाहिए। उसने सार्थक सफल प्रयास से अपने डी ए वी. विद्यालय के लिए प्रथम स्थान सुनिश्चित कर लिया। वह प्रथम घोषित हुई। विद्यालय परिवार के लिए निश्चित ही यह हर्ष का ही विषय रहा था। 

 राजगीर महोत्सव २०२२ दिव्यांशी आनन्द की एकल शास्त्रीय संगीत में सुर की साधना : फोटो रंजीता. 

दूसरी तरफ नवम वर्ग की होनहार छात्रा दिव्यांशी आनन्द मंच पर उमड़ी भीड़ के सामने एकल शास्त्रीय संगीत में अपनी सुर साधना की आजमाइश कर रही थी। लोगों की अच्छी खासी भीड़ जमा हो गयी थी। सुर साधना से ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसके गले में सरस्वती बिराज रही हो। 
हमसे बात करते  दिव्यांशी आनन्द  ने बताया कि उसने अपने एकल शास्त्रीय राग गायन में चार रागों का मिश्रण यथा राग सोहनी , राग बहार ,राग जैनपुरी तथा राग यमन का प्रयोग किया था। राग में ऐसा कुछ जादू था कि सब मन्त्र मुग्ध हो कर उसकी आवाज़ में खो गए थे। परिणाम अनुमानित था कि वह पहले स्थान कोअधिकृत कर ही लेगी। और ऐसा हुआ भी। डी ए वी. विद्यालय पुनः पहले पादान पर आसीन हो गया।
 
समूह गान में भाग लेती डी ए वी की छात्र छात्राएं : फोटो रंजीता. 

शायद एक मुठ्ठी आसमान और भी शेष था। खुशियां दरबाजे पर थी। मंच पर लोक समूह गान चल रहा था। फिर से डी ए वी की दिव्यांशी अपने साथियों यथा सेजल ,दिव्या ,साक्षी ,अनामिका ,एकता ,रवि ,दिव्यांक तथा सोनू के साथ मंच पर समूह गान का श्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही थी। जैसे ही खेतवा में शोभे किसान रे ...  लोक धुन पर उनकी सुर लहरी गूंजी लोग दम साध कर बैठ गए। यह एक अति कर्णप्रिय स्थानीय लोक धुन थी जिसमें लोक ग्रामीण संस्कृति की झलक थी।  निर्णायकों को अंततः समूह का प्रदर्शन पसंद आया। तय हो गया कि इसे पहले स्थान पर रखना है। शाम तो कब की हो चुकी थी। लेकिन डी ए वी के लिए नूतन सवेरा हो चुका था।  

समाचार अंश  संपादन. 
सीमा धवन  : कोलकोता.
©️®️ M.S.Media.

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बि / सां / आ / सं /.६  / २    

पी जी सी बिहार शरीफ तथा सत्य प्रकाश आर्य डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल में 
७४ वां गणतंत्र दिवस समारोह हर्षोल्लास के साथ संपन्न.

बच्चों में ७४ वां गणतंत्र दिवस समारोह का हर्षोल्लास : फोटो रणधीर. 

संवाद सूत्र :" प्रमुदित प्रफुल्लित दैदीप्यमान भारत, संकल्पित संवर्धित सामर्थ्यवान भारत, सुसज्जित तीन रंगों से प्रकाशवान भारत, समता स्वतंत्रता का आहवान भारत। " यह है हमारे गर्व का देश हिदुस्तान जिसने सदैव गणतंत्र को रक्षित किया।  
डी.ए.वी पब्लिक स्कूल  के प्राचार्य श्री विजय कुमार पाठक ने अपने उद्बोधन भाषण में माननीय अतिथियों, अभिभावकों एवं छात्रों  को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ  दी । ‘ जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ’ का संदेश छात्र - छात्राओं को देते हुए उन्होंने विद्यालय की उपलब्धियों एवं विशेषताओं से सभी को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि विद्यालय  में  अध्ययनरत सभी छात्र अत्यंत प्रतिभाशाली एवं सुयोग्य है । भविष्य में ये सभी बच्चे देश  के  विभिन्न क्षेत्रों में अपना उत्कृष्ट योगदान देंगे ।
आज स्थानीय विद्यालय डी.ए.वी पब्लिक स्कूल पीजीसी, बिहारशरीफ में ७४ वां गणतंत्र दिवस समारोह हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा था। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि श्री नीरज कुमार, उप महाप्रबंधक पावरग्रिड, बिहारशरीफ एवं विद्यालय के प्राचार्य श्री विजय कुमार पाठक द्वारा झंडोत्तोलन कर किया  गया । राष्ट्रगान समाप्त होते ही विद्यालय के चारों हाउस की टुकड़ियों द्वारा मार्च पास्ट एवं परेड कर तिरंगे झंडे को सलामी दी गई । कक्षा नवमी के छात्रों द्वारा पिरामिड बनाकर अद्भुत कलाबाजियों  की प्रस्तुति निःसंदेह प्रशंसनीय रहा। 
एलकेजी एवं यूकेजी के छोटे - छोटे बच्चों द्वारा प्रस्तुत नृत्य ‘ फिर भी दिल है हिंदुस्तानी ’ ने सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया । 
वहीं पहली और दूसरी कक्षाओं के बच्चों ने प्रीति सिंह , सीमा धवन , नृत्य निर्देशिका रंजीता की देख रेख में ‘ फिट इंडिया ’ का संदेश देते हुए नृत्य की शानदार प्रस्तुति की । रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बीच बच्चों ने हिंदी, अंग्रेजी एवं संस्कृत भाषा में देश के प्रति अपने भावोद्गार व्यक्त किया । 
मुख्य अतिथि श्री नीरज कुमार, उप महाप्रबंधक पावरग्रिड, बिहारशरीफ ने अपने संभाषण में कहा कि प्राचीन काल से नालंदा शिक्षा की भूमि रही है। इस विद्यालय के छात्रों से अभिभावकों को काफी अपेक्षाएं हैं। मैं सभी बच्चों से कहना चाहता हूं कि वह मोबाइल और लैपटॉप से दूरियां बनाकर अपने लक्ष्य की ओर निरंतर अग्रसर रहें। उन्होंने कहा कि यदि देश को संसार का सिरमौर बनाना है तो हमें नैतिक मूल्यों को समझना होगा। 
रंगारंग कार्यक्रम में बच्चों के ताल बद्ध नृत्य का निर्देशन रंजीता, सीमा धवन,अनीता केसरीप्रीति सिंह  तथा विद्यालय के संगीत शिक्षक श्री रामनाथ शर्मा  के द्वारा किया गया जिसमें अनीता कुमारी , प्रीति सागरसुदीप्ता सिद्धांतातथा अन्य की भी सहभागिता सराहनीय रही। 
कार्यक्रम का समापन विद्यालय के वरिष्ठ अध्यापक श्री पंकज कुमार सिन्हा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ । मंच संचालन अंग्रेजी शिक्षक श्री वामदेव झा एवं कक्षा नौवीं की छात्रा भव्या श्रीवास्तव एवं दिव्यांशी कुमारी द्वारा किया गया।

डीएवी एस.पी.आर्य लहेरी में  भी ७४ वे गणतंत्र दिवस.

दूसरी तरफ स्थानीय शहर के मध्य डीएवी एस.पी.आर्य लहेरी ,बिहार शरीफ में  भी ७४ वे गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर अति विशेष हर्षोल्लास का वातावरण बना रहा । इस महान राष्ट्रीय पर्व का आरंभ विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती अंशिमा सिंह के पावन कर कमलों द्वारा झंडोत्तोलन  से हुआ।
प्रधानाचार्या ने अपने संदेश में सर्वप्रथम माँ भारती की स्वतंत्रता के लिए वीरगति को प्राप्त अमर शहीदों को शत-शत नमन किया।  इसके साथ ही उन्होंने विद्यार्थियों, अभिभावकों एवं  शिक्षकों को अपने कार्य  और राष्ट्र के प्रति समर्पित रहने की भावना को हमेशा जीवंत रखने की प्रेरणा दी।
इस अवसर पर बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम से सभी का मन मोह लिया। ‘ ऐ मेरे वतन के लोगों ' संगीत की धुन पर आद्या और उसके समूह ने  नृत्य की प्रस्तुति द्वारा सभी के मन को  देशभक्ति की भावना से ओत - प्रोत कर दिया ।
जाह्नवी एवं उसके समूह ने ‘ य तारा - वो तारा ' संगीत की धुन पर बहुत ही मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया,साथ ही अनेशा सरकार ने ‘ वंदे मातरम मातरम ' के संगीत पर एकल नृत्य प्रस्तुत किया जानवी और उसके समूह ने तेरी मिट्टी में मिल जाऊंगा संगीत पर नृत्य प्रस्तुत किया। अभिलाषा, आकांक्षा, लिमेश, सारा फातिमा और कुछ अन्य बच्चों ने अंग्रेजी ,हिंदी एवं संस्कृत भाषा में अपने विचार व्यक्त किए। उनकी प्रस्तुति काफी सराहनीय रही।

नौनिहालों में गणतंत्र दिवस का उल्लास : फोटो रणधीर.कोलाज : विदिशा. 

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बि / सां / आ / सं /.६ / ३    
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शिक्षक  दिवस की स्मृतियाँ और उससे जुड़ी मर्यादाएं.  
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डी ए वी पब्लिक स्कूल,में याद किए गए सर्वपल्ली डाक्टर राधा कृष्णन.

शिक्षिकाओं द्वारा एक महान शिक्षक को दी गयी पुष्पांजलि : फोटो : विदिशा.   

नालंदा / गया / संवाद सूत्र . डी ए वी शैक्षणिक संस्थान अपने आर्यावर्त की राष्ट्र वादी परंपरा अपनी सनातनी सभ्यता और संस्कृति का सरंक्षण सदियों से करती आयी  हैं। और इस संस्थान ने देश हित में कई काम भी किए है। भारत के अन्य शैक्षणिक संस्थानों की तरह बिहार प्रक्षेत्र  में आने वाले गया , नालन्दा , नवादा ,के  डी ए वी पब्लिक स्कूलस के विद्यालय के प्राचार्यों,अध्यापकों तथा बच्चों  ने, शिक्षक दिवस मनाते हुए अपनी अपनी महती भूमिका को याद किया। 
डी ए वी पावर ग्रिड कैम्पस, बिहार शरीफ में भी आधुनिक भारत के महान शिक्षाविद, दार्शनिक और स्वतंत्र भारत के द्वितीय राष्ट्रपति सर्वपल्ली डाक्टर राधा कृष्णन का जन्मदिन आज शिक्षक दिवस के रूप में उनकी तस्वीर के समक्ष पुष्पांजलि देते हुए हर्ष उल्लास के साथ मनाया गया। दूसरी तरफ़ शहर स्थित सत्य प्रकाश आर्य डी ए वी पब्लिक स्कूल में भी बच्चों ने अपने प्रधान आचार्या श्रीमती अंशिमा सिंह की देख रेख में भी उत्साह पूर्वक शिक्षक दिवस मनाते हुए एक महान शिक्षक तथा द्वितीय राष्ट्रपति सर्वपल्ली डाक्टर राधा कृष्णन को स्मृत किया। 
कोरोना महामारी के कारण दो वर्षों तक सार्वजनिक कार्यक्रम का आयोजन न होने से विद्यालयों में इस प्रकार का आयोजन नहीं हो पा रहा था। ऐसे में आज छात्र ,छात्राओं और शिक्षक शिक्षिकाओं के मध्य   विशेष उत्साही और उमंग  नजर आया। शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य पर सफल सांस्कृतिक कार्यक्रम के सफल आयोजन में संयोजिका  शिक्षिका सुदीप्ता सिद्धांत चटर्जी सहित अन्य शिक्षक शिक्षिकाओं की भूमिका सराहनीय रही। 
डी ए वी परिवार के समस्त अन्य सदस्यों का विशेष योगदान भी कार्यक्रम के आयोजन को सफ़ल बनाने में महत्वपूर्ण रहा। इस अवसर पर छात्र-छात्राओं ने समूह गान, समूह नृत्य, काव्य पाठ, एकल गान, एकल नृत्य, वन एक्ट प्ले आदि के माध्यम से शिक्षा और शिक्षकों के प्रति अपना सम्मान और आभार प्रकट किया। 
विद्यालय के नए प्राचार्य श्री वी के पाठक के क्रियाशील, कुशल और अनुभवी नेतृत्व ने कार्यक्रम की सफलता को सुगम बना दिया। इस अवसर पर बिहार शरीफ पावर ग्रिड के डी जी एम एवं सम्माननीय अतिथि श्री नीरज कुमार जी का शालीनता और सम्मानपूर्वक विद्यालय प्रान्गण में स्वागत किया गया। 

जयपुर में शिक्षक दिवस पर बच्चों ने किया गुरुओं का सम्मान : फोटो रेनू शब्द मुखर  

समाचार अंश  संपादन 
अनीता : जब्बलपुर.
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भ्रष्टाचार मुक्त भारत, एक विकसित राष्ट्र.

 विजिलेंस सतर्कता पखवाड़ा के तहत वाद - विवाद प्रतियोगिता का आयोजन : डीएवी पब्लिक स्कूल में

विजिलेंस सतर्कता पखवाड़ा के तहत वाद - विवाद प्रतियोगिता का आयोजन. फोटो शैलेन्द्र. 

नालंदा : संवाद सूत्र .  भ्रष्टाचार मुक्त भारत, एक विकसित राष्ट्र निर्माण के निमित बच्चें ,भविष्य के सजग नागरिक वाद विवाद में बोल रहें थे .....' भ्रष्टाचार अर्थात भ्रष्ट आचरण।  भ्रष्ट यानी बुरा यह बिगड़ा हुआ तथा आचार का मतलब है आचरण। आज हम भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ मतलब रखते है जो आचरण किसी प्रकार से अनैतिक और अनुचित हो उसे हम भ्रष्टाचार कहते हैं। जब कोई व्यक्ति मौजूदा न्याय व्यवस्था के नियमों के विरुद्ध जाकर अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए गलत आचरण करने लगता है तो वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी कहलाता है। आज भारत जैसे सोने की चिड़िया कहलाने वाले देश में भ्रष्टाचार अपनी गहरी जड़ें फैला रहा है। आज भारत में कई ऐसे व्यक्ति मौजूद है जो भ्रष्टाचारी है आज पूरी दुनिया में भ्रष्टाचार के मामले में ९४ वे  स्थान पर है। भ्रष्टाचार के कई रंग रूप है जैसे पैसा लेकर काम करना आदि ..., 
वहां उपस्थित सभी श्रोता ध्यानमग्न हो  कर उनकी बातें गंभीरता से सुन रहें थे। बच्चें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेने आए थे। भारत सरकार के विभिन्न विभागों और उपक्रमों द्वारा आयोजित विजिलेंस सतर्कता पखवाड़ा के तहत मनाए जाने वाले कार्यक्रमों की कड़ी में पावर ग्रिड कार्पोरेशन आफ इंडिया की बिहार शरीफ इकाई के द्वारा डी ए वी पब्लिक स्कूल पी जी सी, बिहार शरीफ के प्रांगण में आज विभिन्न विद्यालयों के छात्रों के मध्य एक वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसका विषय था ' भ्रष्टाचार मुक्त भारत, एक विकसित राष्ट्र '।
इसमें आसपास के क्षेत्रों के दस विद्यालयों के कुल २० छात्रों ने भाग लिया जिनमें केन्द्रीय विद्यालय, राजगीर, जेएनवी राजगीरसैनिक स्कूल, राजगीर, सरस्वती विद्या मंदिर, राजगीर, सदर आलम, बिहार शरीफ, आरपीएस, बिहार शरीफ और डीएवी पब्लिक स्कूल, पावर ग्रिड कैम्पस, बिहार शरीफ आदि शामिल हैं। 
कार्यक्रम में पावर ग्रिड के डी.जी.एम श्री नीरज कुमार, डी ए वी पब्लिक स्कूल के प्राचार्य श्री वी के पाठक, प्रोफेसर श्री आर पी कच्छवे और शहर के अन्य स्वनामधन्य महानुभाव शामिल थे। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सफल प्रतियोगियों के नाम निम्नांकित है , प्रथम स्थान पर डीएवी पब्लिक स्कूल पीजीसी बिहारशरीफ  की छात्रा जहान्वी प्रियदर्शिनी  , कृतिका नारायण रही तो  द्वितीय स्थान  सैनिक स्कूल नानंद , राजगीर  कैडेट आदित्यराज  .कैडेट निवेदिता पांडे ने हासिल किया तो तृतीय स्थान पर  सदर आलम मेमोरियल सेकेंडरी स्कूल , बिहारशरीफ की अंशु चौधरी  व फातिमा हसन रहें। 
मेजबान विद्यालय के प्राचार्य श्री विजय कुमार पाठक ने अपने उद्बोधन भाषण में कहा कि देश भ्रष्टाचार मुक्त होगा तभी विकसित राष्ट्र की कल्पना हम कर सकते हैं। पावर ग्रिड बिहारशरीफ के उप प्रबंधक श्री नीरज कुमार ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि हम भ्रष्टाचार को पूर्णत: समाप्त करना चाहते हैं तो किसी नियम या कानून के दबाव में संभव नहीं है l बल्कि हम सभी को अपनी  नैतिकता का उत्कर्ष  कर  भ्रष्ट आचरण से बचना होगा।

समाचार अंश  संपादन. 
सीमा धवन  : कोलकोता.
©️®️ M.S.Media.

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सीबीएसई दसवीं की परीक्षा के  परिणाम  हुए घोषित. स्थानीय डी ए वी बिहार शरीफ पावर ग्रिड कैंपस में आए  शत प्रतिशत परिणाम.

बिहार शरीफ़ / शिक्षा प्रतिनिधि .  आखिरकार ज्ञान की स्थली नालन्दा जिला  में सी बी एस  दसवीं  परीक्षा के  परिणाम घोषित हो ही गए ।  ३  अगस्त  २०२१  का दिन था। सीबीएसई  १० वीं बोर्ड का चिर प्रतीक्षित परिणाम इस दिवस को  ही प्रकाशित हुआ जिसमें स्थानीय  डी ए वी, बिहार शरीफ पावर ग्रिड कैंपस के छात्र - छात्राओं ने  फिर से  उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। ध्यान देने योग्य बातें यह है कि यहाँ भी लड़कियों ने बाजी मारी।  अपनी श्रेष्ठता सिद्ध  करते हुए अपने ही स्कूल में पहले , दूसरे  , तथा तीसरे स्थान पर अपना स्थान सुरक्षित कर बेटियों ने यह  दिखला दिया कि हम  किसी से कम नहीं । 

दसवीं  परीक्षा में  डी ए वी, बिहार शरीफ , पावर ग्रिड कैंपस की सफल छात्राएं 

यह जानकारी देते हुए स्कूल के प्राचार्य श्री पी सी दास ने कहा कि कुल जमा  ३२५  विद्यार्थियों ने परीक्षा में भाग लिया था  जिसमें सभी बच्चों ने सफलता हासिल की। जिससे स्कूल के इतिहास में पुनः शत-प्रतिशत परिणाम जुड़े। 
यह बच्चों के स्वयं के कठिन परिश्रम , योग्य शिक्षकों के कुशल मार्ग निर्देशन तथा अभिभावकों के अथक सहयोग के परिणामस्वरुप  ही यह उल्लेखनीय सफलता  सामने आई । इसके लिए शिक्षक , छात्र छात्राओं एवं अभिभावकों को बधाई दी जा सकती है , तथा हम सभी डी ए वी , बिहार शरीफ , पावर ग्रिड कैंपस के समस्त परिवार उन के उज्जवल भविष्य  की कामना करते हैं । उत्तीर्ण छात्र छात्राओं में मुस्कान कुमारी ने ९८. ४ % अंक हासिल कर प्रथम स्थान प्राप्त किया तो दूसरे स्थान पर संस्कृति भारती तथा शाम्भवी  ने  ९७ .२ % अंक , तथा आरुषि  जीत एवं  बिनती को ९६ .८  % अंक हासिल हुए।  ९० % और उससे ऊपर लाने वाले छात्र - छात्राओं की संख्या ४० , ७५ % से ८९ % तक अंक  लाने वाले छात्र - छात्राओं की संख्या २३८ तथा ६० % से ७४.९  लाने वाले ४१  की गिनती में शुमार हुए । 
स्कूल के लिए यह गर्व का विषय रहा था कि इस कोरोना काल की विषम परिस्थितियों में भी सब ने मिलकर सराहनीय प्रयास किया जिसके सार्थक परिणाम सामने आए ।  

दिनांक :   ३  अगस्त  २०२१


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बि / सां / आ / सं /.६  / ६     
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संस्कृत दिवस का निर्वहन  

डी ए वी विद्यालय समूह संस्कृत को प्रश्रय प्रदान करने वाली एकमात्र शैक्षिक संस्थान है जो प्राचीन वैदिक संस्कृति के साथ साथ आधुनिक संस्कृतिज्ञान विज्ञान को साथ लेकर चलने के दायित्व का निर्वहन कर रही है । 

वेदों के प्रवर्तक 
डी ए वी ,
पावर ग्रिड कैंपस के छात्रों ने संस्कृत दिवस  के अवसर पर ऑनलाइन माध्यम से अपने प्रस्तुति को दर्ज किया । पांचवी कक्षा से आठवीं कक्षा तक के छात्रों के द्वारा चित्रांकन प्रतियोगिता , संस्कृत दिवस पर शुभकामना संदेश , संस्कृत गायन  आदि में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया । 
इन प्रतियोगिताओं में जिन प्रतिभागियों ने भाग लिया उनके  प्रमुख नाम इस प्रकार है शुभमसाइना प्रभाकर पलक सिन्हा, प्रियंवद : कोमल सिंह ,गीतांजलि प्रिया तथा प्रियांशु शाह आदि प्रमुख हैं  ।
वही जूम एप्लीकेशन के माध्यम से संस्कृत प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का  आयोजन नवमी तथा दसवीं कक्षा के छात्रों के लिए किया गया  
प्रतियोगिता की  शुरुआत डी ए वी गान  तथा विद्यालय के प्राचार्य  पी सी दास के आशीर्वचन  के साथ हुआ । अपने आशीर्वचन के दौरान उन्होंने कहा कि ' संस्कृत दिवस केवल एक दिन ना मना कर पूरे साल मनाए।  शिक्षकों और छात्रों से निवेदन किया कि आप साल भर इस संस्कृत भाषा के उत्थान के लिए कार्य करते रहें । संस्कृत शिक्षक छात्र और सामान्य जन सभी एकजुट होकर इस पवित्र और दिव्य भाषा को गति प्रदान करने का संकल्प लें । ' 
इसी क्रम में विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक गोविंद जी तिवारी ने छात्रों को संबोधित करते हुए बतलाया कि, अपनी संस्कृति को संरक्षित और सुरक्षित करने के लिए संस्कृत की सुरक्षा और अधिक से अधिक लोगों का वाग्व्यवहार आवश्यक है । एक संस्कृतनिष्ठ  व्यक्ति अपनी जिंदगी में सभी उतार-चढ़ाव को झेलने में सफल हो सकते हैं ।
इस संस्कृत प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में वेद उपनिषद रामायण महाभारत संस्कृत के प्रमुख साहित्य आदि से प्रश्न पूछे गए ।  यह संस्कृत प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता  विद्यालय के  सदनों के बीच कराया गया जिनमें दयानंद और  अरविंद सदन प्रथम स्थान पर रहेदूसरे स्थान पर टैगोर सदन एवं तृतीय स्थान पर विवेकानंद सदन के छात्र रहे । 
संपूर्ण  प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का  आयोजन विद्यालय के संस्कृत शिक्षक संजय कुमार सुमन ने किया संस्कृत प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता  के स्कोरर के रूप में  विजित कुमार थे ।  प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का समापन विद्यालय के संस्कृत शिक्षक सर्वेश कुमार के धन्यवाद ज्ञापन तथा शांति पाठ के द्वारा किया गया । 
इस अवसर पर विद्यालय के शिक्षक पंकज कुमार सिन्हावामदेव झा संतोष कुमार, शिक्षिका तनुश्री चौधरी ,  आदि  इस प्रतियोगिता के साक्षी बने ।

दिनांक : २२ अगस्त  २०२१

श्रावण पूर्णिमा
समाचार अंश  संपादन 
वनिता  : पटना .


सहयोग. 
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फोटो दीर्घा : अतुलनीय नालंदा. पृष्ठ ७ .   
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संपादन. 
वनिता : पटना.

ड्रोन कैमरे से ली गयी नालंदा खंडहर की चार तस्वीरें : साभार नेट. कोलाज : विदिशा. 
एक बार फिर से नालंदा की खोज : बुद्धम शरणम गच्छामि : कोलाज : विदिशा.  
आकाशीय व्यू  : नालन्दा विश्व विद्यालय : साभार फोटो  
मुख्य स्तूप से दिखता नालंदा के भग्नावशेष : फोटो 
 राजगीर की ऐतिहासिक झील  : घोड़ाकटोरा लेक : राजगीर : फोटो : डॉ.सुनीता.   
नालन्दा स्तूप के चार कोण : कोलाज : विदिशा. 
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संस्कृति की तस्वीर 
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२९ नवंबर को राजगीर महोत्सव २०२२.

संपादन.
 

अशोक कर्ण. 
पूर्व छाया कार.
हिंदुस्तान. पटना.रांची 
पूर्व फोटो संपादक. पब्लिक एजेंडा. नई दिल्ली. 

 उद्घाटन राजगीर महोत्सव का  मंत्री के कर कमलों से : फोटो 
सर्व धर्म मंगलाचरण से राजगीर महोत्सव के संगीतमय शाम की.
राजगीर महोत्सव में शिरक़त करते बॉलीवुड के गायक शान. 
ममता शर्मा ने मां गंगा की स्तुति से मनमोहक कार्यक्रम की शुरुआत
 इंडियन आइडल सलमान अली के गानों पर राजगीर महोत्सव में झूमे लोग 
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कही : अनकही : पृष्ठ ८ .  
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संपादन.


डॉ. सुनीता रंजीता.
     नैनीताल.    

परीक्षा.
 


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छोटी छोटी सी बात : जीने की राह : पृष्ठ ९  . 
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संपादन.


स्मिता / पटना.
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जीने की राह : पृष्ठ ९  / १.  
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फिर से पढ़ें नालंदा : ज्ञान की धरती से : जीने की राह :
 

डॉ. मधुप. 

पुनः सम्पादित. प्रिया / दार्जलिंग. 

जीने की राह : जब कभी भी मैं परेशां होता हूँ तो अपने शयन कक्ष में स्थापित शक्ति की प्रतिमा से बात करता हूँ।  यह परम सत्य है कि आज से २० साल पूर्व ठीक इसी तरह मानसिक झंझावात का दौर चला था ,तभी मैंने अपनी परेशानियों से निस्तार पाने के लिए शक्ति की प्रतिमा अपने शयन कक्ष में स्थापित की थी।परिणाम भी सार्थक मिले थे। मुक्ति का मार्ग प्रशस्त भी हुआ था। विरोधी पस्त हो गए थे। तब से यह विश्वास मेरे जीने की परमपराएं ही बन गयी हैं।  
और हाँ तभी  से ही जीने की राह शक्ति स्थल तथा इसके जैसे शक्ति पीठों से खोजता रहा हूँ। राहें मिलती रही हैं । देव और असुरों के मध्य होने वाले संग्राम में देवताओं के आह्वाहन पर ही शक्ति के अभ्युदय की मुझे कहानी सदैव स्मृत रही है। मैं कुछ भी नहीं भुला हूँ।   
मुझे याद है सुबह से ही आने वाली समस्याओं को अनुमानित करता हूँ। निदान ढूंढता रहता हूँ । संकटों और केदार नाथ त्रासदी ( २०१३ ), जानलेवा बस एक्सीडेंट जैसी दुर्घटनाओं से सुरक्षित रहा। 
यह भी सौ फीसदी सच है मेरे जीवन का कि मैं एक शक्ति संरक्षित, पोषित और निर्देशित व्यक्ति रहा हूँ ....यह भी मेरे अपने जानते ही हैं.... 
यह भी यथार्थ  है कि मैं अपने ब्लॉग के लिए मार्निंग पोस्ट अपने कमरे के पार्श्व में रखी राइटिंग टेबल जिसे मैं शक्ति स्थल मानता हूँ वहीं से  करता हूँ। यह मेरे स्वयं की अकेली लड़ाई हैं, लोग मेरे साथ रहें या न रहें। क्या कहती हैं मेरी आत्म शक्तियां जो त्रि - शक्तियों की समूह मात्र हैं  ?
प्रथमतः मेरी आत्म शक्ति  कहती हैं , मैं तुम्हारे अन्तःमन की शक्ति हूँ।  दृढ़ हूँ, एकीकृत हूँ ,निडर हूँ , स्वाभाविक हूँ ,अपरिवर्तनशील हूँ, सत्य अन्वेषणी रहीं हूँ , सर्वकालिक विश्वस्त हूँ। भरोसा रखें। 
द्वितीयतः  फिर कहती है सबसे प्रीत पूर्वक व्यवहार रखें ,और सदैव सत्य और कल्याण का मार्ग का अनुसरण करें । सर्वदा सदकर्म करें । फल की चिंता न करें।  
तृतीयतः वाणी पर संयम रखें ।  विवेक शील और धैर्य शील बने । असत्य और अफवाहों से विचलित न हो।  सच केवल सच की तलाश में रहें। देव और असुरों के मध्य होने वाले संग्राम में देवताओं के आहवाहन पर ही शक्ति के अभ्युदय की कहानी  हम सबों को स्मृत रखनी चाहिए... 
अच्छे बुरे की पहचान के लिए महाभारत के संजय जैसी दिव्य दृष्टि रखें, योगी कृष्ण की गीता में  कथित उपदेश से जुड़े कर्म फल  का सदैव स्मरण रहें। आपकी जीत सुनिश्चित है। ऐश्वर्य, मान सम्मान बढ़ता ही रहेगा। 
और अंत में देव और असुरों के मध्य होने वाले संग्राम में देवताओं के आह्वाहन पर ही शक्ति के अभ्युदय की कहानी भी सदैव स्मृत रही है। साथ ही साथ  गीता के अध्याय : ६, श्लोक : ६, अध्याय : ६, श्लोक : ७ में  कथित इस उपदेश " ..यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत....सम्भवामि युगे युगे " में मेरा अटूट विश्वास है। और निश्चित ही यह श्लोक हम सभी के लिए जीवन का संगीत भी होना चाहिए। इति शुभ। 


" ..यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत...."
गीता :  अध्याय : ६, श्लोक : ६  
गीता :  अध्याय : ६, श्लोक : ७    
 

श्लोक सुनने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.
 

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 दिवस / शुभ कामनाएं. पृष्ठ : १०  .
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जन्म दिन की. 


२० जुलाई को मीडिया  यू.एस.ए. विशेष संवाददाता रोहित कर्ण, 
 मीडिया  क़ानूनी सलाहकार विदिशा को उनकी मातृ शक्तियों की तरफ से 
उनके जन्म दिन की हार्दिक बधाई.
तथा उन सभी मिडिया टीम के मेरे अपनों को भी जिनका जन्म दिवस जुलाई मास में पड़ता हैं.   


 3 Idiots among five.
                
म्यूजिकल गिफ्ट : यू टुब लिंक : अकॉर्डियन : प्रसन्ना. बंगलोर.  
धुन  सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दबाएं.
 

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दृश्य माध्यम : यूट्यूब चैनल :  पृष्ठ : ११  . 
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 संपादन. 


डॉ. सुनीता रंजीता. 
   नैनीताल.
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फिल्म : जॉनी मेरा नाम.१९७०.
सितारे : देव आंनद , हेमा मालिनी. 
गाना : ओ मेरे राजा. 
गीत :  संगीत : कल्याण जी आंनद जी. गायक : किशोर कुमार. आशा 
 

नालंदा संदर्भित गाना 

गाना देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.
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यूट्यूब चैनल : मुझे भी कुछ कहना है.
नालंदा द वर्ल्ड हेरिटेज साइट.

Like : Share & Subscribe.
देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं    

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कटाक्ष :  कार्टून कोना : पृष्ठ १२   
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संपादन.


आशा / मसूरी. 

बाढ़ का कहर : भारत के विभिन्न प्रांतों में. 
कार्टून : डॉ. मधुप  
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उसने कहा था : दिवस : शॉर्ट रील : पृष्ठ : १३ 
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मीना सिंह 


मुक्तेश्वर / नैनीताल 


नैनीताल की हसीं वादियां : न्यूज़ रील : डॉ. नवीन जोशी 

मैं तुम्हारी कविता हूँ : रचना श्रीवास्तवा. 


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*Memorable Moments: Farewell to the 12th Graders
and blessings for class 10th Board Students *
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News Column Editor.


Dr. Sunita Ranjita.Nainital.

farewell of the departing 12 th Students : photo : Media.

On a sunny afternoon of February 10, 2024, amidst a buzz of anticipation and excitement, DAV public school came alive with the much-awaited farewell ceremony for the departing 12th graders. From 12:15 PM to 3:00 PM, the school grounds witnessed a kaleidoscope of emotions, laughter, and heartfelt farewells, orchestrated by the 11th graders and the school management.
The proceedings kicked off with the traditional tilak ceremony, a symbol of blessings and good wishes bestowed upon the seniors by their juniors and teachers. Asma and her group set the stage alight with a melodious welcome song, their voices echoing the warmth and camaraderie that permeated the air.
The atmosphere reached a crescendo as Ameesha and her group took to the stage, delivering a captivating mashup dance performance that showcased the diversity and talent within the school community. Laughter filled the hall during the truth and dare game, as students shared hilarious anecdotes and engaged in light-hearted banter.
One of the most anticipated segments of the event was the mimicry of teachers by the students, a playful yet heartfelt tribute to the educators who had left an indelible mark on their lives. The audience erupted into applause as each impersonation captured the nuances and idiosyncrasies of the beloved faculty members.
Anushka, representing the graduating class, mesmerized everyone with her graceful dance, while Tanushri ma'am and Upadhyay sir enchanted the audience with their soulful singing, their voices resonating with emotion and nostalgia.
The highlight of the ceremony was undoubtedly the distribution of sashes to each 12th-grade student, personalized according to their individual traits and contributions to the school community. It was a poignant moment, symbolizing the recognition and appreciation for the graduating class's unique talents and qualities.
Principal Sir took to the podium to deliver a stirring speech, reflecting on the journey of the outgoing batch and imparting words of wisdom for the road ahead. His words resonated with the audience, serving as a source of inspiration and encouragement for the future.
As the event drew to a close, Asma returned to the stage for the final time, delivering an emotional ending note and reciting a heartfelt poem that encapsulated the essence of friendship, resilience, and hope. Her words struck a chord with everyone present, serving as a poignant reminder of the bonds forged within the school community.
A round of applause filled the air as Asma concluded her speech, followed by a heartfelt vote of thanks expressing gratitude to everyone who had contributed to making the farewell ceremony a memorable success.
The afternoon ended on a celebratory note with a spirited group dance, bringing together the 11th and 12th-grade students in a display of unity and camaraderie.
As the sun began to set on the horizon, the echoes of laughter and chatter lingered in the air, serving as a testament to the memories created and the bonds strengthened during the farewell ceremony. It was a day filled with laughter, tears, and cherished moments, marking the end of one chapter and the beginning of a new adventure for the graduating class of 2024.
Page : 
Source :    Asma Iqbal.

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the Legacy of N.D. Grover a Social Reformer and a true Arya.

 Commemorating the Legacy of N.D. Grover a Social Reformer.
School Morning Assembly. 
 Morning  Assembly : A School Celebration.

CR / Once upon  a time I had a close meeting with a true Arya, known as a Jhole Bala Baba among the Davians . Really he has been a saint in his later life having no lust in worldly affairs. He spent his most time in undivided Punjab but did a splendid job for in term of spreading Dav Culture by opening a vast chain of DAV Schools in Bihar, Jharkhand, Chhattisgarh and Bengal. Even I heard name of this person in Nainital, Uttrakhand. 
In the hallowed halls of our D.A.V. Public School, there lies a tradition that transcends time and pays homage to those who have left an indelible mark on our institution.Today, we gather to commemorate the death anniversary of the venerable N.D. Grover, a figure whose contributions have shaped the very fabric of our school's ethos.
As the morning sun casts its warm glow upon the campus, teachers and principals alike emerge, bearing flowers as tokens of respect for Mr. Grover. Their solemn procession speaks volumes, a silent tribute to a man whose dedication to education and unwavering commitment to nurturing young minds continue to inspire generations.
N.D. Grover, a luminary in the field of education, served as a beacon of wisdom and guidance to all who crossed his path. His legacy lives on in the corridors where his footsteps once echoed, in the lessons imparted with passion and sincerity, and in the hearts of those privileged to have been his students.
In the spirit of remembrance and gratitude, our assembly today takes on a special significance. Ranjita Mam, a beloved member of our faculty, has orchestrated a poignant demonstration highlighting the invaluable contributions of the unsung heroes in our daily lives – our helpers.
With reverence and appreciation, junior students take center stage, each adorned with symbols representing different facets of assistance we often take for granted. From the diligent hands that tend to our school grounds to the friendly faces who ensure our safety on the journey to and from school, every role is acknowledged and honored.
Through this demonstration, Ranjita Mam imparts a profound lesson – that kindness knows no bounds, and every act of service, no matter how small, leaves an indelible impact on the lives of others. It is a reminder to cherish the bonds of community and to nurture a spirit of empathy and gratitude in our hearts.
As we offer our prayers and tributes to N.D. Grover and reflect on the invaluable contributions of our helpers, let us reaffirm our commitment to embodying the principles of compassion, kindness, and service in all that we do. May we carry forth the torch of his legacy with pride and honor, knowing that his spirit lives on in the lives we touch and the difference we make in the world.
In commemorating the life and legacy of N.D. Grover, we not only honor the past but also illuminate the path forward, guided by the timeless values he embodied – dedication, integrity, and a profound love for learning. Today, let us celebrate not only his memory but also the enduring spirit of community and unity that defines our school.
As we lay our flowers at the feet of a great educator and bow our heads in silent reverence, let us carry forth his legacy with humility and grace, knowing that the seeds of wisdom he sowed will continue to flourish in the hearts and minds of generations to come.
Source  : Asma Iqwal.


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News of the Days Gone : Yesterdays : Page : 5
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Editor.
Seema Anita./ Kolkotta.
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E/N/N/D/03/11/23.

.Vigilance Awareness Week being celebrated every year and coincides 
with the birthday of Sardar Vallabhbhai Patel.

ER / New Delhi.Today entire country is observing the Vigilance in a great deal of enthusiasm. Really corruption is such a evil that should be eliminated by root. and for this we have to be sheer vigilant towards ill mannered, corrupted people. 
Everybody witnesses that Awareness Week (VAW) is being celebrated every year and coincides with the birthday of Sardar Vallabhbhai Patel, the first deputy PM of India known to be a man of high integrity. In pursuit of the vision of the Government of India to make a New India corruption free  by the year 2026, which is the 76th anniversary of our independence, the Central Vigilance Commission, as the apex integrity institution of the country, endeavours to promote integrity, transparency and accountability in public life.
Vigilance Awareness Week would be observed with the theme Independent India Self Reliance with Integrity in different organisations ,schools and colleges.
The purpose of Vigilance Awareness Week is to generate awareness in the public at large about the ill effects of corruption.

children in schools being made for vigilance awareness week : MARS Photo.

Under the scheduled  programme of Vigilance Awareness 2023 DAV fraternity and P.G.C.I.L. collaboratively celebrated the Vigilance Awareness Day with this year's theme : Say No to Corruption, Commit to The Nation very enthusiastically. 
The motto of this program was to bring social awareness among the students. Different activities such as Inter House Quiz Competition, Inter House Painting Competition, Inter House English Elocutions and Inter House Hindi Speech Competition were conducted to sensitize students and stakeholders about the malpractices and how one should be vigilant. The objective of this programme was to stop corruption in future and make the students honest and responsible citizens of India.
Later on in the morning assembly winners students were awarded with the prizes to encourage their positive attitude towards new building characters. 
News Desk : Dr. Manish Kumar Sinha. New Delhi.
03.11.23.
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E/N/N/D/17/11/21.

Off line CBSE Workshop being organized at different schools. 
DAV PUBLIC SCHOOL BIHAR SHARIF keeps conducting one Day off line CBSE Workshop.

Nalanda / ER. It may be noted that fifty hours of in service training for the teachers is required for CBSE affiliated schools. With a talk of CBSE resource person Ajay Swaroop under COE Dehradun it comes to us the CBSE training of teaching staff is must for all. And it is being conducted everywhere. Out of fifty hours, twenty five hours online 
Resource Person
training is provided by CBSE which the school or the teachers register themselves by logging in on the CBSE training portal. As per the guide line of CBSE this training is a must for each and every teacher including principal. And again with a change of an off line training mode  for twenty five hours of training has to be provided by the school concerned. CBSE 
requires the complete  recording proof of the off line training session In this regard therefore all schools are kept in the alert mode. For the same purpose today the first workshop was organised.
As per the guidelines of Central government and New Education Policy a one day workshop on New Education Policy, 2020 was organised at DAV Public School, Power Grid Campus. It was organised by the school administration itself among the teachers and Principal.

Dav Powergrid Campus .Biharsharif.

Mr. Govind jee Tiwari, PGT Maths  conducted the very first workshop as the Resource Person.
He highlighted the salient features of the New Education Policy, 2020.
All the teaching staff members participated actively in the workshop.The Principal, Mr P C Das was also present on this occasion. The workshop lasted for one hour and forty minutes.
At the end of the session teachers assessment was done and their feedback was taken.
Report : Ashwini Kumar.
News Desk : Dr. Manish Kumar Sinha. New Delhi.
17.11.21.

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E/N/N/N/13/11/21.

Students participated in ( NAS ) National Achievement Survey,
Helpful in Making Education Policy.


Nalanda / ER. Covid pandemic Delayed the survey by one year. Under the combined aegis of NCERT and National Secondary Education Mission was conducted on Friday at 186 centers 
DEO Nalanda 
of Nalanda district in a peaceful manner maintaining the sanctity of examination. 
In all together 5 thousand 378 students appeared in the survey from class 3,5,8 and 10. The survey was conducted for the students in two ways first Assessment Test then Pupil Questionnaire. 
As per DEO Nalanda Mr. Keshav Prasad, the District Nodal Officer and Central Observers Observers and Field Investigators were deputed at every center for so smooth and fair conduction of survey..
The survey  was conducted at national level throughout  the country on the  same date and time. He added that the schools were randomly selected by the state government. He told that the survey was to be conducted in 2020 the last survey was conducted in 2017. 
But the Covid pandemic caused the delay. He further told that most of the students likely to be appeared at the test in the selected schools. Students OMR sheets and other related materials have been submitted by the respective observers at DLC center Dav Public School, P.G. Campus, Biharsharif. Different Subjects included in the survey.

observers reporting back to DLC Center, DAV Public School with Survey 

It may be noted that National Achievement Survey is a sample based examination which helps in collecting standard data for making qualitative improvement in education policy at national level.
It helps the government in making  educational policies. NCERT conducts National Achievement  Survey at a regular interval of the three years. The survey was conducted for  Hindi, Mathematics and Environmental science for standard 3,5 and 8 students and for English, Hindi, Mathematics, Science ,and Social Science for standard 10 students. After the evaluation of OMR sheets data will be prepared. Students level will be measured.
 
students appearing at NAS survey test 

The DEO Mr Keshav Prasad told that the purpose of survey  is to measure the learning  capacity of the students of government schools, government aided schools and other schools too. On the basis of these data future policy on education will be prepared for the schools and  and teachers' educational needs. 
Corona pandemic has badly affected education sector and the mental level of students . In such a situation this survey will be more useful and effective. After analyzing the data these data these will be measured on the basis of  rural, urban, private and government level. The mental level of students of different areas will be evaluated.  
.
Report : Ashwini Kumar.
13.11.21.
Dr. Manish Kumar Sinha. New Delhi


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Photo Gallary : Page : 6.
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Editor.


Madhavi / Naniltal Desk 

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Theme Page : Thought of the Day : Wishes : Page : 7.
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Editor.
 
 Seema Anita/ Kolkotta


wish you a happy Basant Panchami. 
" The prime duty of youth is to challenge corruption practised by the men."  
Seema Dhawan.

Comments

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  2. Itna सुध हिन्दी समझ नहीं आ रही है। Percentage konmath word mein likhiye

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  3. बहुत अच्छा आयोजन किया गया । ऐसे आयोजन न केवल बच्चों में संस्कृत भाषा के प्रति प्रेम बढ़ाते हैं , बल्कि अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखने में सहायता भी करते हैं । वर्तमान समय में जबकि अंग्रेज़ी भाषा ने अन्य भाषाओं को पीछे छोड़ दिया है , ऐसे में भाषा के प्रति यह सम्मान व्यक्त करता हुआ अत्यंत सराहनीय आयोजन हैं। सभी बच्चों , जिन्होंने भाग लिया आशीर्वाद ।
    शुभकामनाओं सहित
    प्रतिभा चौहान

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  4. M S MEDIA is so up to date and I m so so grateful to Dr Raman. 🙏🏼

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