Shakti Shashti : Dev Aditya : Lok Parv : Chhath


©️®️M.S.Media.
Shakti Project.
कृण्वन्तो विश्वमार्यम. 
In association with.
A & M Media.
Pratham Media.
Times Media.
Presentation.
Cover Page.0.
 
Shakti Shashti :  Dev Aditya : Lok Parv : Chhath. 
Volume : 1 Series : 6.
a Social Media.Web Blog Magazine Page. 
Address.
https://msmedia4you.blogspot.com/2025/10/shakti-shashti-dev-aditya-lok-parv.html
2025.Cover Page.0.
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Shakti Shashti :  Dev Aditya : Lok Parv : Chhath : Shakti : Collage. 
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शक्ति : षष्ठी : सूर्य देव : छठ पूजा : की अनंत शिव शक्ति शुभकामनाओं के साथ.
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 आवरण पृष्ठ: शक्ति :षष्ठी : सूर्य देव : छठ पूजा :आवरण : शक्ति.प्रिया शालिनी डॉ.सुनीता अनुभूति.

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शक्ति.डॉ. प्रीति.आर्य.डॉ.प्रवीण कुमार. पाटलिपुत्र पैथोलॉजिकल लैब.बिहार शरीफ़.समर्थित. 

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श्री गणेशाय नमः 
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दैनिक / पत्रिका / अनुभाग..
ब्लॉग मैगज़ीन पेज. 
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शक्ति.आर्य डॉ संतोष कुमार. डेंटल एंड ओरल सर्जन. जलालपुर सोहसराय. बिहार शरीफ.समर्थित 


 :अभिषेक : शाखा प्रबंधक. आई डी वी आई बिहारशरीफ समर्थित दीपावली : भाई दूज 

: चित्रगुप्त पूजा : शक्ति षष्ठी आदित्य देव की अनंत शिव शक्ति कामनाओं के साथ  
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शक्ति षष्टी आदित्य देव पूजन : जी आई एफ 

विषय सूची :पृष्ठ :०.

सम्पादित. डॉ. सुनीता सीमा शक्ति * प्रिया.
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राधिका कृष्ण रुक्मिणी मीरा : दर्शन : पृष्ठ :०.
आवरण पृष्ठ :०.
हार्दिक आभार प्रदर्शन : पृष्ठ : ०
नव जीवन विचार धारा : पृष्ठ : १ / ५.
सम्पादकीय : पृष्ठ : २.
सम्पादकीय शक्ति लिंक : पृष्ठ : २ / ०.
आकाश दीप : पद्य संग्रह : सम्पादकीय : प्रस्तुति : पृष्ठ : ३.
तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : शक्ति : सम्पादकीय : प्रस्तुति. पृष्ठ :४.
 विशेषांक : आलेख : धारावाहिक आलेख : पृष्ठ : ५. 
ये मेरा गीत : जीवन संगीत : कल भी कोई दोहराएगा : पृष्ठ : ६.
 शक्ति षष्ठी : फ़िल्मी कोलाज : पृष्ठ : ७.
 शक्ति षष्ठी : कला दीर्घा : रंग बरसे : पृष्ठ : ९.
समाचार : चित्र : विशेष : दृश्य माध्यम : न्यूज़ शॉर्ट रील : पृष्ठ : ११.
 शक्ति षष्ठी : आदित्य देव : फोटो दीर्घा : पृष्ठ : १२.
चलते चलते : शुभकामनाएं : दिल जो न कह सका : पृष्ठ : १३.
आपने कहा : मुझे भी कुछ कहना है : पृष्ठ : १४.

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शक्ति : षष्ठी : सूर्य देव : छठ पूजा की अनंत शिव शक्ति शुभकामनाओं के साथ.

वायरलेस प्राइवेट लिमिटेड : मार्केट रिसर्च : मुंबई : 
शक्ति. ज्योति.आर्य. नरेंद्र.समर्थित.

हार्दिक आभार प्रदर्शन : पृष्ठ : ०
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हार्दिक आभार प्रदर्शन : पृष्ठ : ०
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संयोजन. शिमला.डेस्क. नैनीताल डेस्क. इन्द्रप्रस्थ डेस्क.
पाटलिपुत्र डेस्क.
पद्मावत डेस्क.
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शक्ति.शालिनी.स्मिता.वनिता. शवनम .
संयोजिका / मीडिया हाउस ,हम मीडिया परिवार की तरफ़ से आपके लिए धन्यवाद ज्ञापन ⭐ पत्रिका के निर्माण / संरक्षण के लिए हार्दिक आभार.
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आर्य डॉ. दीनानाथ वर्मा
फिजिसियन.हृदय तथा शूगर रोग विशेषज्ञ
निदेशक. दृष्टि क्लिनिक किसान बाग बिहार शरीफ़.
समर्थित
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स्वर्णिका ज्वेलर्स : शक्ति : षष्ठी : सूर्य देव : छठ पूजा की अनंत शिव शक्ति शुभकामनाओं के साथ.

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स्वर्णिका ज्वेलर्स : निदेशिका..शक्ति. तनु.आर्य. रजत.सोहसराय.बिहार शरीफ.समर्थित.
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शक्ति : महाशक्ति दर्शन : पृष्ठ : १ / २.
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शक्ति  रूपेण संस्थिता नमस्तस्य 
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शक्ति : महाशक्ति : डेकोरेटिव : जी आई एफ. 
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महाशक्ति मीडिया एडवरटाइजिंग : शक्ति. 
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महाशक्ति. नैना देवी डेस्क. 
नैनीताल. प्रादुर्भाव वर्ष :१९७६. 
संस्थापना वर्ष : १९९८.महीना :जुलाई. दिवस :४.
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सम्पादित. 
शक्ति नैना @ डॉ..सुनीता शक्ति* प्रिया.

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शक्ति. शब्द चित्र विचार
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सम्यक साथ और दृष्टि
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जो तुम्हें आनंदित करे, निर्विवादतः सम्यक साथ,दृष्टि व सोच ही होगी 
जो स्वयं और दूसरे को प्रसन्न करें.... वहीं सत्य हैं।

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जीवन :  हौसला 

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बहुत मुश्किल है, उस शख्स को गिराना,
जिसको जीवन में  ' चलना ' ही पत्थरीले ' रास्तों '  ठोकरों ने सिखाया हो, 
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निःसंदेह बड़ा आदमी बनना अच्छी बात है,
मंगर अच्छा आदमी बनना बहुत बड़ी बात है, सब विचार करें 
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मुन्ना लाल महेश लाल आर्य एंड संस ज्वेलर्स. समर्थित 
 शक्ति : षष्ठी : सूर्य देव : छठ पूजा
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की अनंत शिव शक्ति शुभकामनाओं के साथ. 



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शक्ति : षष्ठी : सूर्य देव : छठ पूजा की अनंत शिव शक्ति शुभकामनाओं के साथ.

ममता हॉस्पिटल बिहार शरीफ : शक्ति डॉ.ममता. आर्य डॉ.सुनील कुमार: समर्थित

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सम्पादकीय : पृष्ठ : २.
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शक्ति रूपेण संस्थिता.

संरक्षण शक्ति
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शक्ति. रश्मि श्रीवास्तवा.भा.पु.से.
शक्ति. अपूर्वा.भा.प्र.से.
शक्ति.साक्षी कुमारी.भा.पु.से.
शक्ति.जसिका सिंह. अधिवक्ता.उच्च न्यायलय. प्रयाग राज
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संपादकीय शक्ति समूह.
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प्रधान शक्ति संपादिका.
नव शक्ति.
श्यामली : डेस्क : शिमला.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९९९.
संस्थापना वर्ष :२०००.महीना : जनवरी.दिवस :५.


शक्ति : शालिनी रेनू नीलम 'अनुभूति '.
*
शक्ति. कार्यकारी सम्पादिका.


शक्ति. डॉ.सुनीता शक्ति*प्रिया.
नैना देवी.नैनीताल डेस्क.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०..
संस्थापना वर्ष : १९९६. महीना : जनवरी : दिवस : ६.
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सहायक.कार्यकारी.
शक्ति.संपादिका.


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शक्ति.डॉ.अर्चना सीमा वाणी अनीता.
कोलकोता डेस्क.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७९.
संस्थापना वर्ष : १९९९.महीना : जून. दिवस :२.

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दृश्यम :फोटो.
शक्ति सम्पादिका
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शक्ति.नैना डॉ.अनु रितु मीना.
नैनीताल डेस्क.
*

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महाशक्ति न्याय संहिता : विधिक सेवा : परामर्शदातृ संस्था : जागरूकता : क़ानूनी सलाह : समर्थित.


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आकाश दीप : शक्ति षष्ठी : पद्य संग्रह : सम्पादकीय : प्रस्तुति : पृष्ठ : ३.
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संपादन
शक्ति

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शक्ति शालिनी मानसी रेनू अनुभूति
*
सिर्फ तुम
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शक्ति. रेनू शब्द मुखर.
प्रधान सम्पादिका.
जयपुर .
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भाविकाएँ
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तेरी मेरी कहानी है

संदर्भित फोटो : शक्ति : रेनू
*
मैंने पूछा जीवन से,
तू इतना कठिन क्यों है?
हर मोड़ पर पहेली सी,
हर राह में कड़ी परीक्षा क्यों है ?
जीवन मुस्कराया धीरे से,
आँखों में थी एक चमक, बोला-
"अगर मैं आसान होता,
तो कहाँ होती तुममें ये दमक ?
"आसान राहें भुला दी जाती
जैसे कोई पुरानी कहानी,
मगर जो चल पड़े कॉंटों पर,
वो बन जाते हैं मिसालें पुरानी
"तुम्हें गिरते देख, उठते देखा,
मैं खुद को पहचानता हूँ,
तुम्हारे संघर्ष में ही तो,
मैं हर दिन नया जीवन पाता हूँ
सच है ,मैं कठिन हूँ
पर हर कठिनाई में मेरा प्यार है
मैं चाहता हूँ तुम खुद को पाओ,
तुम्हारी हर जीत में मेरा उपहार है
*
सम्पादन सज्जा : शक्ति प्रिया डॉ. मधुप सुनीता
दार्जलिंग डेस्क
*
अनुगूँज.
शक्ति शालिनी
प्रधान सम्पादिका


कवयित्री लेखिका प्रधान सम्पादिका
*
भाविकाएँ
*
छठी माई के कठिन बरतिया.

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सदर्भित : फोटो : छठ : शक्ति रितु
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छठी माई के कठिन बरतिया, दिना गइलै नकचाय- २ छठी माई के सुनर बिटियवा, काहे गईलीं कुम्हिलाय- २ के हो गाई छठी माई के गीतिया, मनवा गइले बुझाय- २ कहवां उड़ी गईली चिरईया, काहे लौटि न आए- २ छठी माई के कवन कारजवा, छठी माई लेहलीं बोलाय- २ शारदा मईया केरी गीतिया, सुन मनवा मोहाय- २ छठी माई के प्यारी बिटियवा छठी माई लेहलीं बोलाय- २ अमर रहें हो छठी मईया, हे हो बिटिया तोहार- २ जेतना तू इहवाँ दुलरलू, ओहउं करिहा दुलार- २
*
सज्जा : संपादन
शक्ति प्रिया डॉ सुनीता सीमा अनीता

*
नज़्म 
शम्स को अब्र में निहाँ देखा.
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फोटो शक्ति शालिनी

हमने गुलों का तबस्सुम देखा,
हमने कली को गुमसुम देखा।
हमने जब भी यह जहाँ देखा,
शम्स को अब्र में निहाँ देखा।।

हमने ज़मीं से आसमाँ देखा,
खूबसूरत सा इक जहाँ देखा।
सुस्त हैं आज धूप के साये,
शम्स को अब्र में निहाँ देखा।।

ज़र्द होकर गिरे हैं सब पत्ते,
हमने बहार-ए-गुलिस्तां देखा।
रक़्स करती हैं ओस की बूँदें,
शम्स को अब्र में निहाँ देखा।।

धूप भी आज क्यों थकी सी है?
दिखती मायूस, बेबसी सी है!
कोहसारों पर वो समाँ देखा,
शम्स को अब्र में निहाँ देखा।।


*
संदर्भित : फोटो
तेरी झील सी गहरी आँखों में
*
छुप गया नूर तमाम शब आया,
हमने हर सू ग़म-ए-खिज़ाँ देखा।
वो हवा भी अब बे-सबब ठहरी,
शम्स को अब्र में निहाँ देखा।।

मौजों में अब वो शोर नहीं है,
हमने दरिया को पशेमाँ देखा।
ठहरा है पानी किसी झील का,
शम्स को अब्र में निहाँ देखा।।

वो तसव्वुर में माह-रू आए,
हमने आँखों में इक जहाँ देखा।
और इस हिज्र की ग़ज़ल में भी,
शम्स को अब्र में निहाँ देखा।।

​ये फ़ज़ा ऐसी दुआ सी है,
जैसे ख़ुदा को यहाँ देखा।
राज़ है कोई आफ़ताब में,
शम्स को अब्र में निहाँ देखा।।
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*
उर्दू अदब के कुछ
कठिन शब्द व उनके अर्थ: -
*
शम्स-सूरज, अब्र-बादल, निहाँ-छिपा, कोहसारों-पर्वतीय श्रृंखला, रक़्स- नृत्य), नूर: रोशनी, तमाम शब: सारी रात, ग़म-ए-खिज़ाँ: पतझड़ का ग़म, बे-सबब: बिना कारण, मौजों: लहरों, दरिया: नदी, पशेमाँ: शर्मिंदा, उदास, तसव्वुर: कल्पना, ख़्याल, माह-रू: चाँद जैसा चेहरा (प्रियतम), हिज्र: जुदाई, ग़ज़ल: एक प्रकार की कविता, फ़ज़ा: वातावरण, माहौल, आफ़ताब: सूरज (शम्स का पर्यायवाची), राज़: रहस्य
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एम एस मीडिया शक्ति प्रस्तुति
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भाविकाएं
तुम मुझे भूला न पाओगे पृष्ठ : ३.
*
शक्ति स्मिता
पाटलिपुत्र डेस्क

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फिर कब आएगा छठ त्योहार ?



एक साल का अब इंतजार
फिर आएगा छठ त्योहार
मिलेंगे सगे संबंधी रिश्तेदार
होंगी माँ, भाई बहन की बातें हजार
यादों में बस जाएंगी
आँगन में गुंजती हँसी की बौछार

*
सन्दर्भ फोटो : छठ : शक्ति स्मिता 
*
छठ के बाद का सुनापन
जैसे बेटी की विदाई का खालीपन
फिर दूर हुए अपने
अपनों का अपनापन
ठेकुआ, फलों की गठरी बाँध
छोड़ आए अपना अगना, दुआर
एक साल का अब इंतजार
फिर आएगा छठ त्योहार
*
शक्ति स्मिता
एंकर पटना दूरदर्शन
पाटलिपुत्र डेस्क
*
सज्जा संपादन
शक्ति नीलम वनिता मंजिता बीना जोशी
लीवर. पेट. आंत. रोग विशेषज्ञ. शक्ति. डॉ.कृतिका. आर्य. डॉ.वैभव राज :किवा गैस्ट्रो सेंटर : पटना : बिहारशरीफ : समर्थित.
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तारे जमीन पर : लोक पर्व : गद्य संग्रह : शक्ति : सम्पादकीय : प्रस्तुति. पृष्ठ :४.
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संपादन
शक्ति
* वाराणसी डेस्क. शक्ति नीलम अनुभूति शालिनी प्रीति. * शक्ति षष्ठी आलेख : ४ / २ शक्ति आरती अरुण.
सामाजिक समरसता एवं समावेशिता, सभ्यता एवं संस्कृति,
प्रकृति एवं पर्यावरण.

विज्ञान तथा अध्यात्म एवं भारतीयता का अद्भुत समन्वय एवं समागम :: सूर्य षष्ठी व्रत या छठ पूजा.

त्योहारों और उत्सवों की विविधता : भारत वैश्विक स्तर पर एक ऐसा देश है जिसका स्वरूप एक विशाल सागर की तरह है जिसमें वैश्विक सभ्यता एवं संस्कृतियां मिलकर एकाकार हो गयी है और इसीलिए कहा भी जाता है कि, अनेकता में एकता हिन्द की विशेषता।
भारत भूमि पर्व त्योहारों और उत्सवों की भूमि है जहां हर प्रदेश के ऋतु की विशिष्टता के अनुरूप तीज त्योहारों के आयोजन होते हैं जिसकी विविधता उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम में देखी जा सकती है। लेकिन उन सारे पर्व त्योहारों में कार्तिक मास में भारत के हिन्दी पट्टी विशेषकर बिहार, उत्तरप्रदेश, झारखण्ड और दिल्ली में इसका आयोजन एक बड़े उत्सव के रूप में किया जाता है। ऐसे इसका मुख्य केन्द्र बिहार और पूर्वी उत्तरप्रदेश रहा है परन्तु आज की तारीख में इसका स्वरूप वैश्विक होता जा रहा है। दक्षिण और उत्तर पूर्व के कुछ हिस्सों को छोड़कर यह सम्पूर्ण रूप से भारतीय हो चुका है। यहां तक कि बिहार और यू पी के लोग संसार के जिस कोने में जाकर बसे हैं, वहां इसका आयोजन कर रहे हैं। प्रकृति एवं पर्यावरण, और छठ : यह अद्भुत उत्सव है जो एक साथ त्योहार,पर्व और व्रत है जो अन्य किसी भारतीय त्योहारों में देखने को नहीं मिलता है। जैसा कि आलेख के शीर्षक में ही कहा गया है कि यह प्रकृति, पर्यावरण, सामाजिक समरसता, विज्ञान, अध्यात्म और संस्कृति का उत्सव है जो प्राकृतिक सत्ता के प्रतीक सूर्य की उपासना करने के साथ साथ एक साथ अनेक सन्दर्भों से जुड़ा हुआ है। हम सबसे पहले इसके सामाजिक समरसता को ही लेते हैं तो इसमें जिस सूप में नैवेद्य ( फल सहित ) रखकर अर्घ्य दिया जाता है वह सूप डोम या मुसहर के द्वारा बनाया जाता है जिसे अति निम्न या अछूत समझा जाता है परन्तु इस पवित्र पर्व का वह मुख्य अंग हो जाता है। कुम्हार के यहां से मिट्टी का दीया कटोरा और पनवारी के यहां से पान सुपारी लाया जाता है। फल आदि की ९० - ९५ % दूकानें मुस्लिम समाज की होती है जहां से नारियल सहित सारे फल खरीदे जाते हैं। नाई व्रती सहित सभी सदस्यों के नाखून काटने ( नरहनी से स्पर्श कराना ) का काम करता है जिससे शुद्ध होकर नहाय‌ खाय की शुरुआत की जाती है। है न अद्भुत कि समाज के हर वर्ग के लोगों की हिस्सेदारी होती है। सारे नदी पोखर के घाट साफ और स्वच्छ कर दिए जाते हैं। गांव शहर की सड़कें धोकर साफ कर दी जाती है मानो प्रकृति और पर्यावरण का श्रृंगार कर दिया जाता है। चारो तरफ पवित्रता का माहौल बन जाता है। यह आनन्द उत्सव के साथ साथ चार दिनों की साधना होती है,लोग सूर्य के प्रति अपनी श्रद्धा, सम्मान और निष्ठा प्रकट करते हुए पारिवारिक आरोग्य एवं सर्व कल्याण की कामना करते हैं। समाज और देश की सुख शांति की कामना करते हैं।
यह विशुद्ध प्राकृतिक पूजा ही सिर्फ नहीं है बल्कि यह हिन्दू जीवन के वैज्ञानिक कर्मकांड, सामुदायिक चेतना बोध,पुराण परम्पराओं और आध्यात्मिक चेतना से भी जुड़ा पर्व और व्रत है जिसकी जड़ें ऋग्वैदिक काल से लेकर रामायण, महाभारत और मध्ययुगीन भारतीय हिन्दू सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन से जुड़ी हुई है।
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गतांक से आगे :
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सूर्य पूजा की ऐतिहासिकता : शक्ति षष्ठी आलेख : ४ / २
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शक्ति. आरती अरुण.


सूर्य पूजा की ऐतिहासिकता : ऋग्वेद में उषा ( प्रातःकालीन सूर्य )और प्रत्यूषा ( संध्या कालीन सूर्य ) की पूजा और आराधना का प्रावधान रहा है जो आज भी प्रातः अर्घ्य और संध्या अर्घ्य का प्रतीक है। रामायण में जानकी जी द्वारा भी सूर्य आराधना के प्रसंग मिलते हैं और महाभारत में भी कष्टों से निवारण के लिए द्रौपदी द्वारा सूर्य व्रत के प्रसंग मिलते हैं। साम्ब पुराण में पुत्र प्राप्ति के लिए राजा प्रियंवद को महर्षि कश्यप द्वारा सूर्य पूजा के लिए निर्देशित किया गया था। ब्रह्मा जी की मानस पुत्री षष्ठी के नाम पर इसे सूर्य षष्ठी या छठी मैया का भी सम्बोधन दिया जाता है जो दूध पूत और आरोग्य का आशीर्वाद देती हैं। ईरानी सभ्यता और संस्कृति में सौर उपासना और आराधना एक महत्वपूर्ण विषय है जिसमें उनके सौर पुरोहितों को मागी या मग कहा जाता था और उन्हें भारत में भी सौर पूजा आराधना के लिए आमंत्रित किया गया था। अग्नि मंदिर में अग्नि पूजा उसी सौर ऊर्जा की पूजा का प्रतीक है और आज भी पारसियों के अगियारी होते हैं।। मध्ययुगीन भारत में भारत के हिन्दू समाज के पांच पंथों में सौर मत या पंथ बड़ा महत्वपूर्ण था जिसके प्रमाण आज भी मोढेर मंदिर ( गुजरात ) मार्तण्ड मंदिर ( कश्मीर) और सूर्य मंदिर कोणार्क मंदिर आदि के रूप में मौजूद हैं। इसी कालखंड में शैव, शाक्त और वैष्णव मतों के बढ़ते प्रभाव और इस्लामी आक्रमण के कारण यह पंथ गौण होता चला गया परन्तु यह सूर्य षष्ठी या छठ व्रत के रूप में पुनर्जीवित होकर स्थापित हो गया। आज इसका स्वरूप धीरे धीरे भारत की सीमाओं से पार चला जा रहा है। अब जहां तक इसके वैज्ञानिक, सामाजिक, आर्थिक, प्राकृतिक, सांसारिक और सांस्कृतिक आदि कारणों की बातें हैं तो ये सारे कारण इस व्रत में एक साथ समाहित हैं। पौरोहित्य नेतृत्व के सम्पन्न : समरसी और समावेशी छठ : हिन्दू समाज में यही एक पर्व और व्रत है जो बिना पौरोहित्य नेतृत्व के सम्पन्न किया जाता है।
इसका सामाजिक पक्ष समरसी और समावेशी है जिसमें जाति, वर्ग, ऊंच नीच,अमीर गरीब आदि सारे भेद स्वत: स्फूर्त मिट जाते हैं। एक ही नदी पोखर घाटों पर लोग समेकित रूप में बड़ी श्रद्धा और निष्ठा के साथ भगवान आदित्य को अर्घ्य दिया जाता है।
बरसात खत्म होते ही ऋतु परिवर्तन के कारण होने वाले आधि व्याधियों से यह शरीर की रक्षा करता है। उपवास व्रतियों को रोगमुक्त करता है जिसे आज का आधुनिक विज्ञान भी स्वीकार करता है कि 48 घंटों का लागातार अनाहार और निर्जल रहना बीमार और मृत कोशिकाओं को पुनर्जीवित कर देता है। यह हमारी सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है। हम प्रकृति की शाश्वत और सनातन सत्ता की आराधना उपासना कल भी करते थे,आज भी करते है। यह व्रत एक साथ आस्था, श्रद्धा, विश्वास, विज्ञान, प्रकृति,अध्यात्म और सामाजिकता का प्रतीक है। हम सूर्य की पूजा उपासना सिर्फ इसलिए नहीं करते हम इन्हें एक देवता मानते हैं बल्कि हमारे सौरमंडल के ये मुखिया और अक्षूण्ण ऊर्जा के स्रोत हैं और हमारी सृष्टि के सृजन,लय और संहार के कारण शक्ति हैं जिसे आज का खगोल भौतिकी भी स्वीकार करता है। अन्य मत पंथों में सूर्य भले एक आकाशीय पिण्ड भर है परन्तु हिन्दू जीवन दर्शन और चिन्तन में यह देवेश्वर के रूप में पूजित हैं और प्राचीन काल से इनका अस्तित्व वैश्विक रहा है। सूर्य पूजा का इतिहास चीन, जापान,मिस्र,ईरान,ईराक,माया,इन्का और ग्रीको रोमन सभ्यता और संस्कृतियों में भी पाया जाता रहा है जिनके प्रमाण आज भी अवशेषों और अभिलेखों में उपलब्ध हैं। सबका मंगल हो सबका कल्याण हो
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पृष्ठ संपादन : शक्ति प्रिया माधवी शालिनी अनीता.
पृष्ठ सज्जा : शक्ति मंजिता सीमा स्वाति अनुभूति
* -------- शक्ति षष्ठी आलेख : ४ / १. ------

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श्रीकृष्ण के पौत्र साम्ब : श्राप : छठ : नालन्दा : बड़गांव
शक्ति प्रिया डॉ सुनीता मधुप अनुभूति
पाटलिपुत्र डेस्क.
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नदी का तीर और छठव्रतियों की कष्टी परंपरा : शक्ति निवेदिता विदिशा सिमरन

कृष्ण : मगध : जरासंध सोलह जनपदों में मगध सर्वाधिक शक्तिशाली महाजनपद था। काफी प्रमाण है कि भगवान कृष्ण मगध आये थे। उनके रथों के निशान अभी भी राजगृह में देखे जा सकते हैं।
कृष्ण का जरासंध से घनिष्ठ संबंध था, जो मगध का शक्तिशाली राजा था और कंस का ससुर था। कंस की मृत्यु के बाद, जरासंध ने श्रीकृष्ण से बदला लेने के लिए १७ बार मथुरा पर आक्रमण किया। हर बार श्रीकृष्ण की सेना ने उसकी सेना को नष्ट कर दिया, लेकिन श्रीकृष्ण ने उसे बार-बार जीवित छोड़ दिया क्योंकि उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि जरासंध को भीम द्वारा वध किया जाएगा।
कई दिनों तक चले आपसी मल्ल युद्ध में अंततः भगवान श्री कृष्ण के संकेतों के आधार पर भीम ने जरासंध को दो टुकड़ों में काटकर और फिर दोनों टुकड़ों को अलग-अलग दिशाओं में फेंककर मारा, ताकि वे दोबारा न जुड़ सकें। इस तरह जरासंध मारा गया, बंदी राजाओं और नारियों को मुक्ति मिली ।
अभी भी राजगृह स्थित स्वर्ण भंडार से ५०० मीटर दूर जरासंध के अखाड़े को देखा जा सकता है।
निर्माण : नालंदा बिहार में स्थित एक जिला है जो अपने प्राचीन ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थान जिला मुख्यालय बिहार शरीफ से मात्र ९ किलोमीटर दूर राजगीर बोध गया मार्ग पर है। कभी दुनिया का सबसे बड़ा शिक्षण केंद्र था, जिसमें प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर आज भी मौजूद हैं। यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है। उस समय पंजाब स्थित तक्षशिला, भागलपुर का विक्रमशिला तथा बिहार शरीफ का ओदन्तपुरी समकालिक विश्वविद्यालय हुआ करता था।
प्राचीन विश्वविद्यालय : सम्राट अशोक के समय से बुद्ध चैत्य गुप्त कुमार के समय नालंदा एक बहुत बड़ा बौद्ध मठ बन चुका था जो ५ वीं से १२ वीं शताब्दी ईस्वी तक शिक्षा का केंद्र था। यहाँ हजारों छात्र और विद्वान यथा फ़ाहियान , व्हेनसांग, इत्सिंग, नागार्जुन आदि थे जो बौद्ध धर्म, आयुर्वेद, चिकित्सा, गणित, खगोल विज्ञान और अन्य विषयों का अध्ययन अध्यापन कार्य करने के लिए आर्यावर्त तथा दुनिया भर से आते थे।
विनाश : १२ वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी के आक्रमण के दौरान इस विश्वविद्यालय को जला दिया गया था।
वर्तमान : आज भी इसके खंडहर देखे जा सकते हैं, जो एक समय के गौरव और ज्ञान का प्रतीक हैं। यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है।


श्रीकृष्ण के पौत्र साम्ब : श्राप : छठ : नालन्दा जिला मुख्यालय स्थित बड़गांव की कथा भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र साम्ब से जुड़ी है, जिन्हें ऋषि दुर्वासा के श्राप से कुष्ठ रोग हुआ था। एक प्रसिद्ध दैनिक के हवाले से जानकारी है कि साम्ब ने भगवान सूर्य की उपासना करके रोग से मुक्ति पाई, और इसी संदर्भ में नालन्दा के बड़गांव में सूर्य की आराधना की गई थी, जिसे बाद में छठ पूजा का आधार माना जाने लगा। यहाँ की जनश्रुति के अनुसार, साम्ब ने मगध तथा विभिन्न स्थानों पर सूर्य मंदिर बनवाए, जिनमें बड़गांव भी शामिल है, और यह कथा सूर्य पूजा के महत्व को दर्शाती है।
श्राप और रोग : द्वापर युग में, भगवान कृष्ण के पौत्र साम्ब को ऋषि दुर्वासा के श्राप से कुष्ठ रोग हो गया था। उपचार और सूर्य की पूजा: नारद मुनि की सलाह पर, साम्ब को कुष्ठ रोग से मुक्ति पाने के लिए सूर्य देव की उपासना करने की सलाह दी गई।
बड़गांव में उपासना: साम्ब ने सूर्य देव के १२ सूर्य मंदिरों का निर्माण कराया, जिनमें से बड़गांव जिसे पहले बर्राक कहते थे) भी एक है। यहां ४९ दिनों तक सूर्य की उपासना की गई।

बड़गांव तालाब : सूर्य मंदिर : छठ पूजा का आरंभ : फोटो : शक्ति. प्रिया डॉ. सुनीता सीमा अनीता.
छठ पूजा का आरंभ : इस उपासना के बाद से ही बड़गांव में छठ पूजा का आरंभ हुआ, जो आज भी आस्था का केंद्र है। मंदिर और तालाब : बड़गांव में एक प्राचीन सूर्य मंदिर और सूर्य तालाब है, जिसके बारे में मान्यता है कि इसमें स्नान करने से असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है।

* तमसो मा ज्योतिर्गमय:दीपावली: चित्र गुप्त :भाई दूज:की शुभ कामनाओं के साथ.

दृष्टि क्लिनिक:आर्य डॉ दीनानाथ वर्मा. फिजिसियन.किसान बाग बिहार शरीफ.समर्थित.

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शक्ति षष्ठी : कला दीर्घा : रंग बरसे : पृष्ठ : ९.
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संपादन
शक्ति

छठ पर्व : आदित्य देव : लोक परंपराएँ : मिथिला आर्ट : सम्पादन : विदिशा

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समाचार : चित्र : विशेष : दृश्य माध्यम : न्यूज़ शॉर्ट रील : पृष्ठ : ११.
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शक्ति. मीना शबनम रितु स्मिता
रांची डेस्क
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* जोड़े जोड़े सुपवा चढ़ाई तोरे : छठी मैया शॉर्ट रील : प्रस्तुति : शक्ति मृगनयनी *


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साभार : शक्ति : रितू : छठ : शॉर्ट रील
केलवा जै फरले घाउद से उ पर सुग्गा मडराय
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शक्ति रितु : के करे ली छठ व्रतिया
से उनके लागी :

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शक्ति.नेहा.आर्य.अतुल.मुन्नालाल महेश लाल आर्य एंड संस ज्वेलर्स.रांची रोड.बिहार शरीफ.समर्थित. *
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 शक्ति षष्ठी : आदित्य देव : फोटो दीर्घा : पृष्ठ : १२.
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संपादन शक्ति
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नैना शक्ति.डॉ.अनु रितु मीना.
नैनीताल डेस्क.
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 शक्ति षष्ठी आदित्य देव की पूजा : उतर प्रदेश : थीम फोटो : शक्ति शालिनी नीलम रितू सीमा. 
शक्ति षष्ठी :उगतेसूरज  की आराधना शक्ति के द्वारा ही फोटो शक्ति प्रिया डॉ.सुनीता सीमा अनीता 
नालंदा लोक पर्व. शक्ति द्वारा सूर्य षष्ठी की आराधना डूबते सूर्य : शक्ति प्रिया  माधवी अनीता सीमा 
देव सरिता गंगा में दिव्य स्नान :और सूर्य षष्ठी व्रत की तैयारी : नैना शक्ति डॉ अनु रितु. रांची डेस्क
सूर्यषष्ठी व्रत नहायखाय सफाई.तैयारी,स्नान और प्रसाद:फोटो :शक्ति रितु सीमा नैना डॉ.अनु

 
English Section.
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MS Media Powered.
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Shakti.Pooja. Arya.Dr.Rajeev Ranjan. Child Specialist.Biharsharif. supporting 
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Shakti Shashti :  Dev Aditya : Lok Parv : Chhath 
Blog Magazine Page
English Section.




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Contents Page : English.
Cover Page : 0.
Contents Page : 1.
Shakti Editorial Page : 2.
Shakti Vibes English Page : 3
Shakti Editorial Writeups : 4.
Short Reel : News : Special : English : Page : 5.
Shakti Photo Gallery : English : Page : 6.
Shakti : Kriti Art Link : English : Page : 7
Days Special : English : Page : 8.
You Said It : Page : 9
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Shakti Editorial : English Page : 2.
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Chief Editor.
Baroda * Desk.

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Shakti : Prof. Dr. Roop Kala Prasad.
Shakti : Prof. Dr. Bhwana
Shakti : Madhvee.
Shakti : Baisakhi.



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Executive Editor
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Editor :
Shakti. Manjita Seema Priya Tanu Sarvadhikari.
Darjeeling Desk.
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Shakti Editorial Writeups : English : Page 4.
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Editor
Shakti Priya Bhagwanti Madhvee Seema
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Chhath Puja and the eternal connection between humans and nature
Ashok karn
Ex. Photographer. Hindustan Times.

people paying offerings to the setting sun in Lok Chhath Parv : Ashok karn 

The sacred day of Kharna : Heartfelt wishes on the auspicious occasion of Chhath Puja, especially on the sacred day of “Kharna”, which marks the second day of this divine festival. The Kharna (also known as Lohanda) holds immense spiritual significance. It represents restraint, purity, and self-discipline. On this day, devotees — known as Vratis — observe a strict nirjala fast (without water) throughout the day, symbolizing complete devotion and self-purification. As the sun sets, devotees take a holy dip in the Ganga or in clean water, wear new clothes, and prepare offerings of kheer (made with jaggery and milk), roti, and fruits placed in earthen or copper vessels. These are then offered to Lord Surya (Sun God) and Chhathi Maiya with prayers for health, happiness, and prosperity. After worship, devotees partake in the Kharna Prasad themselves and lovingly distribute it among family, neighbors, and community members — spreading the essence of togetherness, purity, and gratitude. This day marks the spiritual and physical purification of the devotee, believed to cleanse the soul and prepare them for the rigorous fasting of the following days Sandhya Arghya (Evening Offering) and Usha Arghya (Morning Offering). Through Kharna, devotees seek forgiveness, divine blessings, and inner peace while embracing positivity and spiritual strength. Across towns and villages, the atmosphere turns divine — rivers and ponds are cleaned, roads are adorned with lights and flowers, and devotional songs of Chhath Puja echo through loudspeakers, filling the air with spiritual fervor. The markets, too, come alive with the vibrant sale of Chhath Puja essentials — bamboo baskets, fruits, earthen pots, and puja materials — as families prepare to celebrate this festival of the Sun with devotion and joy. About Chhath Puja : A four-day festival dedicated to Lord Surya and Chhathi Maiya, expressing gratitude to nature and the life-sustaining power of the Sun. The word “Chhath” means “Sixth,” referring to the sixth day of the lunar month of Kartika when the main rituals are observed.
Celebrated predominantly in Bihar, Jharkhand, Eastern Uttar Pradesh, and parts of Nepal, it holds great importance after Navratri. Rituals at a Glance 1. Day 1 – Nahiyah Khaye: Devotees bathe in a river and consume a sanctified meal prepared with that holy water. 2. Day 2 – Kharna: A day-long fast ends with offerings of jaggery kheer, roti, and fruits to the setting sun. 3. Day 3 – Sandhya Arghya: Devotees gather near water bodies with bamboo baskets filled with offerings to worship the setting sun. 4. Day 4 – Usha Arghya: Early morning prayers are offered to the rising sun, marking the end of a 36-hour fast. Chhath Puja beautifully emphasizes gratitude, simplicity, and the eternal connection between humans and nature — celebrating the Sun as the universal source of life, light, and equality.

Chhath Puja – The Sacred Essence of “Kharna” Text & Photos by – Ashok Karan
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A& M Media Supporting 
with our warm wishes of Deepawali 
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Arya.Arun Kumar Verma.DO. LIC. Biharsharif Supporting.

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Shakti Photo Gallery : Shakti Shashti : English : Page : 6.
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Editor
Shakti Naiba Priya.Smita Madhvee Seema
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Lok Parv Chhath Our Memories of Bygone Days : Patna :Shakti Priya Renu Smita Vanita  
Sunshine is the symbol Chhath Puja remind us to stay positive : Dr.Sunita Bhwana Ritu Anubhuti
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'Kharna' signifies purification, prompting devotees to fast from sunrise to sunset to cleanse their bodies.photo: Shakti Priya Smita Ritu Seema
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Shakti Dr.Ratnika.Dermatologist Skin Specialist.Lucknow.Supporting

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MS Media Powered.

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You Said It .English : Page : 9
Editor.
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Shakti. Seema Anupriya
Madhvee Suman
New Delhi Desk.
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It's really wonderful. It's photography and colour combination are very nice. And overall the Shakti Editorial Team is working unitedly for any Blog Magazine Page in a very nice way and manner .... a great applause for them...
Shakti Anupriya.Analyst
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It is a nice traditional festive Outlook of Indian Culture..
Proud to be an Indian
Shakti. Seema
*
We Shaktis editors can present our Festive Indian Cultural traditions in a very nice and glorious way..
Dr.Sunita Sinha.
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It is a very nice beginning based on Indian tradition,culture
Shakti

Comments

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    Rashmi Varanasi

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