Jyoti kalash Chhalke : Dev Deepawali 25.
©️®️M.S.Media.
Shakti Project.
Shakti Project.
कृण्वन्तो विश्वमार्यम.
In association with.
A & M Media.
Pratham Media.
Times Media.
Presentation.
Cover Page.0.
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Dev Deepawali.
Volume : 1 Series : 5.
a Social Media.Web Blog Magazine Page.
Address.
https://msmedia4you.blogspot.com/2025/10/jyoti-kalash-chhalke-dev-deepawali-25.html
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Cover Page.
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Jyoti kalash Chhalke : Dev Deepawali 25. Photo Slide : Shakti Priya. Dr.Sunita Madhup
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देव दीपावली : शक्ति : आवरण पृष्ठ.
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रिश्तों की जमापूंजी : बैंक ऑफ़ इंडिया : प्रबंधक. शक्ति. नेहा : समर्थित.
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| आ रहे प्रकाश पर्व : देव दीपावली की हमारी हार्दिक अनंत शिव शक्ति शुभकामनायें. |
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शक्ति.नेहा.आर्य.अतुल.मुन्नालाल महेश लाल आर्य एंड संस ज्वेलर्स.रांची रोड.बिहार शरीफ.समर्थित.
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शक्ति.तनु .आर्य.रजत निदेशक : स्वर्णिका ज्वेलर्स : सोहसराय : बिहार शरीफ समर्थित.
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शक्ति : महाशक्ति दर्शन : पृष्ठ : १ / २.
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शक्ति रूपेण संस्थिता नमस्तस्य
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शक्ति : महाशक्ति दर्शन : पृष्ठ : १ / २.
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शक्ति रूपेण संस्थिता नमस्तस्य
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शक्ति : महाशक्ति : डेकोरेटिव : जी आई एफ.
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महाशक्ति मीडिया एडवरटाइजिंग : शक्ति.
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महाशक्ति. नैना देवी डेस्क.
नैनीताल. प्रादुर्भाव वर्ष :१९७६.
संस्थापना वर्ष : १९९८.महीना :जुलाई. दिवस :४.
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सम्पादित.
शक्ति * नैना @ डॉ.सुनीता प्रिया.
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शक्ति * नैना @ डॉ.सुनीता प्रिया.
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शरीर : आत्मा : शाश्वत प्रेम,सम्बन्ध जन्म जन्मांतर के.
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जहाँ से संकुचित संकीर्ण मानवीय विचारों का अंत होता है , सीमाएँ समाप्त होती है
वहीं से अंतरआत्मा,उसकी वाणी, शाश्वत प्रेम,जन्म जन्मांतर सम्बन्ध की शुरुआत होती है.
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| शक्ति. डॉ. रत्नशिला आर्य डॉ.. ब्रज भूषण सिन्हा. शिव लोक हॉस्पिटल बिहार शरीफ नालन्दा : समर्थित. |
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तारे जमीन पर : देव दीपावली : शक्ति आलेख : पृष्ठ : ४
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संपादन
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देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह : शक्ति आलेख : ४ /१
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शक्ति. प्रिया डॉ.सुनीता मधुप अनुभूति.
भगवान विष्णु और देवी तुलसी का विवाह : भगवान विष्णु ने वृंदा ( तुलसी )के त्याग और सच्चे प्रेम का सम्मान करते हुए उन्हें वरदान दिया कि वे तुलसी के रूप में सदैव पूजी जाएंगी और बिना तुलसी के उनकी व किसी की भी कोई भी पूजा पूर्ण नहीं होगी।
वृंदा भगवान विष्णु की परम भक्त थीं और उन्होंने अपने पति,असुर जलंधर की वजह से उन पर श्राप दिया था।
कार्तिक शुक्ल द्वादशी को तुलसी और शालिग्राम का यह विवाह होता है, जिसे देवउठनी एकादशी के अगले दिन मनाया जाता है. तुलसी विवाह : शालिग्राम ( भगवान विष्णु ) का विवाह तुलसी के साथ भी किया जाता है, जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण परंपरा है।
कहानी वृंदा : जालंधर : और छल : भगवान विष्णु की : वृंदा ने भगवान विष्णु को छल करने और पतिव्रता धर्म को भंग करने के कारण श्राप दिया था। विष्णु ने छल से वृंदा के पति जालंधर का रूप धारण किया, जिससे वृंदा का सतीत्व नष्ट हो गया। इस कृत्य से क्रोधित होकर, वृंदा ने विष्णु को पत्थर बनने का श्राप दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया और शालिग्राम बन गए।
भगवान विष्णु के छल का कारण : जालंधर नामक राक्षस देवताओं के लिए एक बड़ा खतरा था और उसकी पत्नी वृंदा के सतीत्व के कारण उसे कोई नहीं हरा पा रहा था। देवताओं की प्रार्थना पर, विष्णु ने जालंधर के रूप में वृंदा के पास जाकर छल से उसका सतीत्व भंग किया, जिससे जालंधर की शक्ति समाप्त हो गई।
सतीत्व भंग : वृंदा की प्रतिक्रिया : जब वृंदा को पता चला कि उसके साथ छल हुआ है और उसके पति का वध हो गया है, तो वह क्रोधित हो गई। उसने भगवान विष्णु को भी स्त्री-वियोग सहने और पत्थर बनने का श्राप दिया।
परिणाम : वृंदा का श्राप स्वीकार करते हुए, भगवान विष्णु शालिग्राम पत्थर बन गए। वृंदा ने भी आत्मदाह कर लिया, जिसके बाद उसके स्थान पर तुलसी का पौधा उग आया।
वरदान और विवाह : भगवान विष्णु ने बाद में वृंदा को तुलसी के रूप में रहने का वरदान दिया और कहा कि उनकी पूजा तुलसी के बिना अधूरी होगी। तभी से तुलसी और शालिग्राम के विवाह (तुलसी विवाह) की परंपरा शुरू हुई।
भगवान विष्णु के छल का कारण : जालंधर नामक राक्षस देवताओं के लिए एक बड़ा खतरा था और उसकी पत्नी वृंदा के सतीत्व के कारण उसे कोई नहीं हरा पा रहा था। देवताओं की प्रार्थना पर, विष्णु ने जालंधर के रूप में वृंदा के पास जाकर छल से उसका सतीत्व भंग किया, जिससे जालंधर की शक्ति समाप्त हो गई।
सतीत्व भंग : वृंदा की प्रतिक्रिया : जब वृंदा को पता चला कि उसके साथ छल हुआ है और उसके पति का वध हो गया है, तो वह क्रोधित हो गई। उसने भगवान विष्णु को भी स्त्री-वियोग सहने और पत्थर बनने का श्राप दिया।
परिणाम : वृंदा का श्राप स्वीकार करते हुए, भगवान विष्णु शालिग्राम पत्थर बन गए। वृंदा ने भी आत्मदाह कर लिया, जिसके बाद उसके स्थान पर तुलसी का पौधा उग आया।
वरदान और विवाह : भगवान विष्णु ने बाद में वृंदा को तुलसी के रूप में रहने का वरदान दिया और कहा कि उनकी पूजा तुलसी के बिना अधूरी होगी। तभी से तुलसी और शालिग्राम के विवाह (तुलसी विवाह) की परंपरा शुरू हुई।
आखिर कौन है ये शालिग्राम ? शालिग्राम भगवान विष्णु का एक निराकार और विग्रह रूप है, जो नेपाल की काली गंडकी नदी से प्राप्त एक पवित्र पत्थर है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह भगवान विष्णु का ही एक रूप है, जिन्हें तुलसी के श्राप के कारण हृदयहीन शिला का रूप धारण करना पड़ा था।
उत्पत्ति और नाम : शालिग्राम को नेपाल में गंडकी नदी के तट पर पाया जाता है, और जिस स्थान पर भगवान विष्णु का मंदिर है, उसी के नाम पर इसका नाम ' शालिग्राम ' पड़ा।
भगवान विष्णु का रूप : इन्हें भगवान विष्णु का ही एक रूप माना जाता है, ठीक वैसे ही जैसे शिवलिंग को भगवान शिव का निराकार रूप माना जाता है।
पवित्रता : माना जाता है कि जिस घर में शालिग्राम होता है, वहां वास्तु दोष नहीं होता, और सुख-समृद्धि बनी रहती है।
उत्पत्ति और नाम : शालिग्राम को नेपाल में गंडकी नदी के तट पर पाया जाता है, और जिस स्थान पर भगवान विष्णु का मंदिर है, उसी के नाम पर इसका नाम ' शालिग्राम ' पड़ा।
भगवान विष्णु का रूप : इन्हें भगवान विष्णु का ही एक रूप माना जाता है, ठीक वैसे ही जैसे शिवलिंग को भगवान शिव का निराकार रूप माना जाता है।
पवित्रता : माना जाता है कि जिस घर में शालिग्राम होता है, वहां वास्तु दोष नहीं होता, और सुख-समृद्धि बनी रहती है।
विविध रूप : शालिग्राम के कई प्रकार होते हैं लगभग ३३ प्रकार, जो उनके आकार, रंग और चिन्हों के आधार पर भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों से संबंधित होते हैं।
पूजा : शालिग्राम की पूजा के कई लाभ बताए गए हैं, जैसे कि रोग और संताप का नाश होना और लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होना।
देवउठनी एकादशी व्रत : ज्योतिष में देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह को खास मौका माना गया है. इस दिन व्रत रखने और तुलसी विवाह से सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
पूजा : शालिग्राम की पूजा के कई लाभ बताए गए हैं, जैसे कि रोग और संताप का नाश होना और लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होना।
देवउठनी एकादशी व्रत : ज्योतिष में देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह को खास मौका माना गया है. इस दिन व्रत रखने और तुलसी विवाह से सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
हालांकि, इस बार एकादशी और तुलसी पूजन के समय और तारीख को लेकर संशय की स्थिति है.
हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह का विशेष महत्त्व है.
हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह का विशेष महत्त्व है.
इस दिन सभी व्रत रखते हैं और तुलसी विवाह करते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. जीवन में हर समस्या दूर होती है.हालांकि, इस बार एकादशी और तुलसी पूजन के समय और तारीख को लेकर संशय की स्थिति है.बहुत से लोगों के मन में शंका है कि एकादशी और तुलसी विवाह कब होता है. हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी श्री हरि विष्णु योग निद्रा से जागते हैं. इसी दिन गौधुली बेला में तुलसी का विवाह होता है, जो शालिग्राम से होता है.
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संपादन : शक्ति शालिनी वनिता शालिनी अनीता.
स्तंभ सज्जा :: शक्ति अनुभूति सीमा मंजिता स्वाति
शिमला डेस्क
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शक्ति : सम्पादकीय : तमसो मा ज्योतिर्गमय : आलेख : ४ /०
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असतो मा सद्गमय,तमसो मा ज्योतिर्गमय.
दीपों से ज्योतिर्मय काशी वासियों का देव महोत्सव ' देव दीपावली '
' शक्ति 'नीलम
लेखिका. कवयित्री.
प्रधान सम्पादिका
वाराणसी.
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पार्वती संगे काशी से हरिद्वार..हर-हर महादेव.हर- हर गंगे..फोटो : शक्ति : निवेदिता
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काशी से हरिद्वार तक : काशी से हरिद्वार तक दीपों से ज्योतिर्मय गंगा घाटों की छवि देख श्रद्धा से दोनों हाथ जुड़ जाते हैं मन में एक ही भाव उठता है " तमसो मा ज्योतिर्गमय ".... आलोकित पथ करो हमारा हे जग के अंतर्यामी ......
" ..हर-हर महादेव...हर- हर गंगे..
काशी विश्वनाथ गंगे,माता पार्वती संगे " ...
के जयघोष के बीच आस्था, भक्ति और विश्वास की अद्भुत त्रिवेणी में डूबकी मारती काशी ! इस अभूतपूर्व दृश्य को कैमरे में संजोते सैलानी...सब कुछ शब्दों में समेट पाना निःसंदेह असंभव-सा जान पड़ता है आज। धार्मिक और सांस्कृतिक काशी विश्वनाथऔर उत्तरवाहिनी गंगा की नगरी काशी का विश्वप्रसिद्ध ऐतिहासिक महोत्सव-'' देव दीपावली " कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है।
हर की पौड़ी* : हर की पौड़ी हरिद्वार में लाखों श्रद्धालु माटी के दिए जलाकर इस त्यौहार को ऐतिहासिक बना देते हैं। ऐसी मान्यता है कि त्रिपुरासुर के आतंक से त्रस्त देवताओं की विनती पर इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का बध किया और देवताओं को मुक्ति प्रदान कर त्रिपुरासुर कहलाए। प्रसन्न देवताओं ने स्वर्ग में दीप जलाकर अपनी खुशी प्रकट की। दीपोत्सव का त्योहार तब से मनाए जाने की परंपरा है।काशी की देव दीपावली* : काशी में दीपोत्सव मनाए जाने के पीछे ऐसी मान्यता है कि राजा दिवोदास ने अपने राज्य काशी में देवताओं के प्रवेश पर रोक लगा रखी थी । कार्तिक पूर्णिमा के दिन शिव ने वेश बदल कर गंगा नदी में स्नान करने पहुंच गए जिसकी सूचना राजा को मिल गई और तब उसने प्रतिबंध हटा लिया था।
लाखों की संख्या में जग मग करते मिट्टी के दियों से सजे काशी के घाटों की छटा देखने वालो की संख्या लाखों में होती है। देव दिवाली पर काशी में मौजूद होना मेरे लिए अद्भुत अनुभव है। फोटोज़ में कुछ लम्हों की कोशिश कर रहे हैं।सच में देवताओं को काशी की धरती पर उतारते देखने जैसा अनुभव है ये। मन में दोहराए जा रही हूं...
" हो ना तम का निशान अब कहीं पर,
चांद उतर के आ जाए इस जमीं पर। "
माटी का दीया हाथ में लिए आकाश की ओर नजरें उठाए जन समूह अपलक इस सौंदर्य को आत्मसात करने में लगा है। ना कोई बड़ा ना कोई छोटा, अमीरी गरीबी की सीमा से परे रौशनी का यह त्यौहार सबके लिए शुभ हो,कल्याणकारी भावनाओं से ओतप्रोत हो। शुभ देव दिवाली
" सभी के दीप सुंदर हैं, हमारे क्या तुम्हारे क्या ?
उजाला हर तरफ़ है,इस किनारे.. उस किनारे क्या ?"
स्तंभ : सज्जा : शक्ति अनुभूति सीमा मंजिता स्वाति
शिमला डेस्क
संपादन : शक्ति शालिनी वनिता शालिनी अनीता
शुभकामनाएं : दिल जो न कह सका : चलते चलते : पृष्ठ : १३.
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संपादन
शक्ति. प्रिया डॉ.सुनीता सीमा
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शुभकामनाएं : जन्म दिन : पृष्ठ : १३.
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संपादन
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शक्ति शालिनी माधवी डॉ.अनु भावना
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शुभकामनाएं : जन्म दिन की.
३१.अक्टूबर.
शक्ति.अवतरण दिवस.
शुभकामनाएं : जन्म दिन की.
३१.अक्टूबर.
शक्ति.अवतरण दिवस.
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*
शक्ति.भारती.
नैनीताल.
*
नीति विचार शक्ति सम्पादिका.
वेब ब्लॉग मैगज़ीन पेज महाशक्ति मीडिया.
*
को उनके जन्म दिन: शक्ति अवतरण दिवस ३१ अक्टूबर. मूलांक ४.
के मनभावन पावन अवसर पर
' हम ' एकीकृत देव शक्ति ' मीडिया ' परिवार की तरफ़ से ढ़ेर सारी प्यार भरी
'अनंत ' ' शिव शक्ति ' शुभकामनाएं '

*
शक्ति.भारती.
नैनीताल.
*
नीति विचार शक्ति सम्पादिका.
वेब ब्लॉग मैगज़ीन पेज महाशक्ति मीडिया.
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को उनके जन्म दिन: शक्ति अवतरण दिवस ३१ अक्टूबर. मूलांक ४.
के मनभावन पावन अवसर पर
' हम ' एकीकृत देव शक्ति ' मीडिया ' परिवार की तरफ़ से ढ़ेर सारी प्यार भरी
'अनंत ' ' शिव शक्ति ' शुभकामनाएं '
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दिल जो न कह सका : चलते चलते : पृष्ठ : १३
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संपादन
शक्ति नैना प्रिया मीना अनुभूति
मेरी पसंद
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फिल्म : धुएं की लकीर.१९७४
गाना : तेरी झील सी गहरी आँखों में
कुछ देखा हमने देखा क्या देखा
सितारे : रमेश अरोरा.परवीन बॉबी.
गीत : साजन देहलवी. संगीत : श्याम जी घनश्याम जी. गायक : नितिन मुकेश वाणी जयराम.
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को
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MS Media Powered
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English Section.
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Shakti.Pooja. Arya.Dr.Rajeev Ranjan. Child Specialist.Biharsharif. supporting
Day Special.Wishes.
Editor.
Shakti Priya Madhvee Seema.Garima.
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31 of October
Sardar Ballabh Bhai Patel 150 Jayanti
Celebrated as the Unity Day.
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Shree Ganeshay Namah.
ReplyDeleteAgain nice presentation