Mai Pal Do Pal Ka Shayar Hun : Aane Wala Kal Jane Wala Hai : 2024.

 
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 Mai Pal Do Pal Ka Shayar Hun
Aane Wala Kal Jane Wala Hai.2024. 
Culture  Special.2024. 
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राधिका कृष्ण शक्ति. त्रिशक्ति.नव शक्ति. महा.शक्ति.प्रस्तुति.
सांस्कृतिक पत्रिका.
आने वाला कल जाने वाला है.  
     : अंक : ५.
 संस्कृति दिवस  विशेषांक.
एम.एस .मीडिया.प्रस्तुति 

आने वाला कल जाने वाला है जाने वाला हैं : आवरण पृष्ठ : ० 


पल दो पल मेरी कहानी है : आवरण पृष्ठ कोलाज : शक्ति. ज्योति सिद्धांत विदिशा. जयपुर.  
बीती 

फोर स्क्वायर होटल : रांची : समर्थित : आवरण पृष्ठ : विषय सूची : मार्स मिडिया ऐड : नई दिल्ली.

प्रारब्ध : पृष्ठ : ०
पत्रिका / अनुभाग.
शक्ति. सम्पादकीय डेस्क. दर्शन ड्योढ़ी :

' या देवी सर्वभूतेषु ' महा शक्ति ' रूपेण संस्थिता '


राधिका महा शक्ति. नैनीताल डेस्क.
मीरा महाशक्ति. नैनीताल डेस्क.
रुक्मणि महाशक्ति.नैनीताल डेस्क.
महा लक्ष्मी.कोलकोता डेस्क.
महाशक्ति.नैनीताल डेस्क.
महासरस्वती.नर्मदा डेस्क.जब्बलपुर.
नव शक्ति.शिमला.डेस्क.
रानी पदमावत.जयपुर डेस्क.
इंद्रप्रस्थ डेस्क.नई दिल्ली डेस्क.
---------


विषय सूची : प्रारब्ध : ०
सम्पादित.
डॉ. सुनीता ' शक्ति ' प्रिया.

आवरण : पृष्ठ : ०. हार्दिक आभार प्रदर्शन : पृष्ठ : ०.
प्रारब्ध पृष्ठ : ०.
शक्ति. सम्पादकीय डेस्क. दर्शन ड्योढ़ी : प्रारब्ध पृष्ठ : ०.
दर्शन ड्योढ़ी : महालक्ष्मी : दर्शन : प्रारब्ध पृष्ठ : ०.
देव शक्ति डेस्क.हिमाचल.प्रारब्ध पृष्ठ : ०.
देव शक्ति : प्रार्थना : प्रारब्ध पृष्ठ : ०.
 गणपति वंदना : प्रारब्ध पृष्ठ :०.
 महा शक्ति वंदना : प्रारब्ध : पृष्ठ : ०.
 आत्म दीपो भवः : प्रारब्ध  : पृष्ठ : ०. 
आत्म शक्ति प्रार्थना : प्रारब्ध : पृष्ठ : ०.
. कृष्ण दर्शन. संभवामि युगे युगे : प्रारब्ध पृष्ठ : ०.
राधिकाकृष्ण : महाशक्ति : इस्कॉन डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / १.
रुक्मिणीकृष्ण : महाशक्ति : दर्शन  दृश्यम : विचार डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / २ .
त्रिशक्ति : विचार धारा : नैनीताल डेस्क : पृष्ठ : १.
त्रि - शक्ति : दर्शन. पृष्ठ : १ / ०. 
त्रिशक्ति : विचार : दृश्यम : पृष्ठ : १ / ० /.
त्रिशक्ति :  लक्ष्मी डेस्क : सम्यक दृष्टि कोलकोता :  पृष्ठ : १ / ० / १.
त्रिशक्ति : शक्ति डेस्क : सम्यक वाणी : नैनीताल : पृष्ठ : १ / ० / २.
त्रिशक्ति : सरस्वती डेस्क :सम्यक कर्म : जब्बलपुर : पृष्ठ : १ / ० / ३.   
सम्पादकीय : पृष्ठ : २.
आकाश दीप : पद्य संग्रह : सम्पादकीय : प्रस्तुति : पृष्ठ : ३.
तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : शक्ति : सम्पादकीय : प्रस्तुति. पृष्ठ : ४.
आकाश दीप : गद्य संग्रह : धारावाहिक विशेषांक : पृष्ठ ५.  : ये मेरा गीत : जीवन संगीत : कल भी कोई दोहराएगा : पृष्ठ : ६.
पल दो पल मेरी कहानी है : फ़िल्मी कोलाज़ : पृष्ठ : ७.
आपने कहा : दिवस : त्यौहार : विशेष :पृष्ठ : ८ . : ये कौन चित्रकार है : कला दीर्घा : पृष्ठ : ९
:दृश्य माध्यम : लघु फिल्में: पृष्ठ : १०
समाचार : चित्र : विशेष : दृश्य माध्यम : न्यूज़ शॉर्ट रील : पृष्ठ : ११.
कल आज और कल : वर्ष : २०२४ : फोटो दीर्घा : विशेष : कल : पृष्ठ : १२. चलते चलते : अच्छे तो अच्छा चलते हैं : शॉर्ट रील : दृश्यम : पृष्ठ : १३ .

पत्रिका / अनुभाग.
ब्लॉग मैगज़ीन पेज के निर्माण सहयोग के लिए
' तुम्हारे लिए. '
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हार्दिक आभार प्रदर्शन : पृष्ठ : ०
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शिमला.डेस्क
संपादन



शक्ति. वनिता शालिनी.
संयोजिका / मीडिया हाउस ,हम मीडिया परिवार
की तरफ़ से
आपके लिए धन्यवाद ज्ञापन

पत्रिका के निर्माण / संरक्षण के लिए
हार्दिक आभार

शक्ति. प्रो.डॉ.भावना.
उज्जैन.मध्य प्रदेश.

दिव्य भविष्यवाणी समर्थित. 


देव शक्ति डेस्क.हिमाचल.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९८६.
संस्थापना वर्ष : १९८९.महीना :अक्टूबर : दिवस :६
संपादन.


शक्ति.डॉ.सुनीता मीना प्रिया.
मुक्तेश्वर.नैनीताल.

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देव शक्ति : प्रार्थना :  प्रारब्ध : पृष्ठ : ०.
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 गणपति वंदना : प्रारब्ध : पृष्ठ : ० 
मेरी श्रेष्ठ  दिव्य आत्म ' शक्ति ' देव प्रस्तुति. 
गणपति वंदना : प्रथमतः  
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श्री गणेशाय नमः
वक्तुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
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 महा शक्ति वंदना :  प्रारब्ध : पृष्ठ : ०
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महाशक्ति दृश्यम. 


या ' देवी ' सर्व भूतेषु ' महा शक्ति  ' रूपेण संस्थिता 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

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आत्म दीपो भवः : देव शक्ति : विचार : प्रारब्ध  : पृष्ठ : ० 
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नैनीताल डेस्क. 
संपादन. 


शक्ति. डॉ. सुनीता मीना प्रिया. 
मुक्तेश्वर.नैनीताल.


असत्य : हार : समर्पण.
  
' इंसान ' की सबसे बड़ी ' हार ' उस ' वक़्त ' हो जाती है 
जब वो ' खुद ' सही होकर भी ' गलत ' लोगों के आगे 
' सिर ' झुका लेता हैं 



मन और मकान. 


मन और ' मकान ' वक़्त पर साफ करना जरुरी है 
वरना मकान में बेमतलब ' सामान ' और मन में ' गलतफहमियां ' भर जाती हैं 

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 आत्म त्रि : शक्ति देव प्रार्थना : प्रारब्ध : पृष्ठ : ०
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संपादन.
शक्ति : डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति '  प्रिया. 
 

 प्रातः : संध्या कालीन  
  आत्म ' शक्ति ' प्रार्थना
  ' हम ' सभी ' देव - शक्ति ' परिवार की 



त्रि शक्ति : आत्म शक्ति प्रार्थना :
प्रार्थना : वैष्णव जन तो तेने कहिये,जे पीड परायी जाणे रे । पर दुःखे उपकार करे तो ये,मन अभिमान न आणे रे ॥


कवि : नरसी मेहता.१५ वी शदी.गुजरात.
प्रार्थना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं


फिल्म : दो आँखें बारह हाथ.१९५७.
प्रार्थना : ऐ मालिक तेरे बन्दे हम
नेकी पर चले बदी से डरे.
सितारे : वी.शांता राम.संध्या.
गीत कार : भरत व्यास. संगीत कार : बसंत देसाई. गायिका : लता.


प्रार्थना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं

मुन्नालाल महेशलाल आर्य ज्वेलर्स.चौक पर. बिहारशरीफ.समर्थित.



एम. एस. मीडिया. प्रस्तुति. 
कृष्ण दर्शन. संभवामि युगे युगे.  प्रारब्ध : पृष्ठ : ०. 

राधिका कृष्ण दर्शन.


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राधिकाकृष्ण : महाशक्ति : इस्कॉन डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / १.
---------------
तुम्हारे लिए. 
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
संस्थापना वर्ष : १९७८. महीना : जुलाई : दिवस : ४.
संपादन.
अनु ' राधा '

नैनीताल.

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राधिका कृष्ण : महाशक्ति : शब्द चित्र : विचार : पृष्ठ : ० / १.
--------- तुम्हारे लिए. संपादन / अनु ' राधा ' / नैनीताल.

समय कर्म
कभी नहीं रुकता आज यदि ' बुरा ' चल रहा हैं
तो अवश्य ' अच्छा ' आएगा आप केवल ' निस्वार्थ ' भाव से कर्म कीजिए
और वही आपके ' हाथ ' में हैं



शाश्वत प्रेम


' रंग ' में तेरे मैं रंगी
मुझे और ' रंग ' ना भाए
बांध लिया किस ' डोर ' में कोई और ' नज़र ' नहीं आए


वो सब देख रहा है, ?

सब सुन रहा है ....वो सब देख रहा है, ?
वाणी, प्रार्थना ,पीड़ा, संघर्ष, साथ , संयम और कर्म


' ईश्वर ' और ' माफ़ी '

सदैव ' अपनों ' को ' माफ़ ' करना सीखिए
क्योंकि हम भी ' ईश्वर ' से यही ' उम्मीद ' रखते हैं


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राधिका कृष्ण : महाशक्ति : दिव्य दर्शन : दृश्यम : विचार : पृष्ठ : ० / १ .
--------- तुम्हारे लिए. संपादन / अनु ' राधा ' / नैनीताल.



राधा : मुझे तुम्हारी नजरों में सही होना हैं.


कृष्ण : की हर बात का आधार है राधा :



कृष्ण है विस्तार  यदि तो सार है राधा 
राधा ; मैंने तुम्हारी आँखों में देखा है


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राधिका कृष्ण : महाशक्ति : दिव्य दर्शन : दृश्यम : विचार : पृष्ठ : ० / १
--------- तुम्हारे लिए संपादन / अनु ' राधा ' / नैनीताल.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
संस्थापना वर्ष : १९७८. महीना : जुलाई : दिवस : ४.


रिश्ते - नाते 
दूसरों की ' बातें ' सुनकर अपने ' रिश्तें ' ख़राब मत कीजिए 
क्योंकि रिश्ते ' अपने ' होते हैं ' दूसरों ' के नहीं 



शाश्वत ' प्रेम '
शाश्वत ' प्रेम ' में डूबा हुआ ' ह्रदय ' उतना ही ' पवित्र ' हैं
जितना कि पवित्र ' गंगाजल ' से भरा हुआ ' कलश '


राधिका ' कृष्ण 'दर्शन
जिंदगी ' आसान ' नहीं होती इसे आसान बनाना पड़ता हैं
कुछ ' अंदाज ' से कुछ ' नजरअंदाज ' से
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रुक्मिणीकृष्ण : महाशक्ति : दर्शन  दृश्यम : विचार डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / २ .
-------------
रुक्मिणी डेस्क.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०.
संस्थापना वर्ष : १९९६. महीना : जनवरी : दिवस : ६ .
संपादन.
 

शक्ति. डॉ. सुनीता सिन्हा.

*

राधा : रुक्मणि : महालक्ष्मी का स्वरुप : एक ही
*

' नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः
भावार्थ.
यह श्लोक श्रीमद्भगवद्गीता का है. इसका अर्थ है कि आत्मा को शस्त्र नहीं काट सकते,
न ही आग उसे जला सकती है. न पानी उसे भिगो सकता है, न हवा उसे सुखा सकती है.


कृष्ण : मौन रहो शिशुपाल : शिशुपाल वध. 


कृष्ण दर्शन : दृश्यम. 
संघर्ष में पति का ' धैर्य ' और पत्नी का ' शौर्य '
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मीराकृष्ण : महाशक्ति डेस्क : मुक्तेश्वर : नैनीताल. पृष्ठ : ० / ३ .
---------------
मीरा डेस्क.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९८६.
संस्थापना वर्ष : २०२४. महीना : अक्टूबर : दिवस : ६ .
संपादन.



शक्ति. मीना सिंह
मुक्तेश्वर. नैनीताल.

एम. एस. मीडिया. प्रस्तुति दृश्यम

वैष्णव जन तो तेने कहिये,जे पीड परायी जाणे रे

कवि नरसी मेहता. गुजरात.१५ वी शदी

कृष्ण दर्शन ' मन ' दर्पण


तोरा ' मन ' दर्पण कहलाए ' मन ' ही ईश्वर ' मन ' ही देवता ' मन ' से बड़ा न कोय 

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मीराकृष्ण : मुक्तेश्वर डेस्क : विचार : नैनीताल. पृष्ठ : ० / ० :
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मीरा : ' गोविन्द ' बोलो ' हरि ' गोपाल बोलो.
राधा रमण हरि गोविन्द बोलो
संपादन शक्ति. मीना सिंह
मुक्तेश्वर. नैनीताल.


ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने,
प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः.
भावार्थ
वासुदेवनन्दन परमात्मा स्वरूपी
भगवान श्रीकृष्णको वंदन है,
उन गोविंदको पुनः नमन है,
वे हमारे कष्टोंका नाश करें
प्रणाम करने वालों के क्लेश का नाश करने वाले
श्रीकृष्ण, वासुदेव, हरि, परमात्मा एवं गोविन्द
के प्रति हमारा बार-बार नमस्कार है.


सम्यक कर्म.
जो कुछ भी ' कर्म ' आपको करना है वह ' लालच ' के साथ
नहीं, 'अहंकार ' के साथ नहीं परन्तु ' प्रेम ', ' करुणा ', ' विनम्रता ' और
' भक्ति ' के साथ करना है

कृष्ण दर्शन.

 

त्रिशक्ति : विचार धारा. 


मातृत्व छाया अस्पताल. बबुरबन्ना बिहार शरीफ. समर्थित
 : त्रिशक्ति : विचार धारा. 
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त्रि - शक्ति : प्रस्तुति : पृष्ठ : १ / ०. 
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नैनीताल डेस्क.
 

महालक्ष्मी : महाशक्ति : महासरस्वती.

नैनीताल डेस्क. 
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
संस्थापना वर्ष : १९७८.महीना : जुलाई .दिवस :४.  


त्रि - शक्ति : दर्शन. पृष्ठ : १ / ०. 
---------------
संपादन.
 त्रि - शक्ति : डेस्क : नैनीताल : पृष्ठ : १ / ०. 
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त्रिशक्ति : विचार : दृश्यम : पृष्ठ : १ / ० / .
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त्रिशक्तियां ' महालक्ष्मी ' ,' महाशक्ति ' और ' महासरस्वती '


तीन पिंडियों रूप में : वैष्णो देवी कटरा के दर्शन
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त्रिशक्ति : शिक्षण : दृश्यम :  विचार : पृष्ठ : १ / ० /.
---------
संपादन. त्रि - शक्ति.
नैनीताल.डेस्क.
समझ शक्ति.


तू जगदाता विश्व विधाता तू ही सुबह तू ही शाम,हे राम  


' लक्ष्य ' कभी ' दो ' नहीं हो सकते 
और ' रास्ता ' कभी एक ' नहीं ' हो सकता 


' सम्यक स्मृति '

क्या ' अभिमान ' क्या ' स्वाभिमान ' मिथ्या हैं
सब ...क्या कुछ यहीं छोड़ कर जाना हैं निश्चित करो..
नेकी या बदी ... काम क्रोध ईर्ष्या या ' सम्यक स्मृति '
जब प्रत्यक्ष रहें तो लड़ते रहें ....झगड़ते रहें
न दिखें तो प्रत्येक ' क्षण ' याद किया....बेहतर हैं उनके लिए जीते जी जी ले
रोक लो रूठ कर उनको जाने न दो

©️®️ डॉ.सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया.


' विश्वास '

' विश्वास ' का अर्थ यह नहीं होता है कि 
जो मैं चाहूंगा वही ' भगवान ' करेंगे पर यह है कि ' प्रभु ' वही करेंगे 
जो मेरे लिए सही होगा  

' सर्वश्रेष्ठ ' कौन 

देने वाला सदैव ही ' सर्वश्रेष्ठ ' होता है चाहे उसके जरिए कहे गए ' समर्थन ' का शब्द हो 
या मुसीबत के समय बढ़ाए गए ' मदद ' के हाथ 


टाइम्स मीडिया प्रस्तुति. 
--------------
त्रिशक्ति : सम्यक दृष्टि लक्ष्मी डेस्क : कोलकोता : पृष्ठ : १ / १  
--------------


 महालक्ष्मी डेस्क : कोलकोता : 
संस्थापना वर्ष : २००३. महीना : जून. दिवस :२.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७९.
संपादन : शक्ति : सीमा

दिव्य दर्शन : महालक्ष्मी :  वंदना : पृष्ठ : १ / १ 
संपादन. 
महालक्ष्मी डेस्क : कोलकोता.


 
विष्णु प्रिया लक्ष्मी : दरबार : दर्शन : पंकज वासिनी देवसु पूजयति सतगुण वर्षनी


नमस्तुते ' महामाये ' श्री पीठे सुरपूजिते
शंख चक्र गदा हस्ते ' महालक्ष्मी ' नमोस्तुते

---------
महालक्ष्मी डेस्क : कोलकोता : दिव्य चित्र विचार : पृष्ठ : १ / १ 
-----------
 महालक्ष्मी : जीवन : दर्शन
कोलकोता डेस्क. 
संपादन : शक्ति सीमा 

  

 टाइम्स मिडिया लाइव प्रस्तुति. 

सहिष्णुता और प्रतिकार. 

स्वजनों से ' प्रतिकार ' का क्या औचित्य...युवराज ?
' रणभूमि ' में बिखरे पड़ें ' खून ' के छीटें भी ' खून ' से नहीं 
पानी से ही ' निर्मल '  होंगे 




घमंड
दुर्योधन : कृष्ण के ' बंदी ' बनाने का प्रयास



घमंड
घमंड एक मानसिक बीमारी है
जिसका उपचार यथा ' समय ' और ' प्रकृति ' ही देती हैं

राम कृष्ण दर्शन 


रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई  । 
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।।


दृश्यम : तीसरी मुट्ठी में जो देने लगे बैकुंठ तो लक्ष्मी


' हरि ' दर्शन

तुम ' हरि ' को ढूंढ़ते हो यही ' ग़लती ' करते हो
तुम हरि में खो जाओ हरि तुम्हें स्वयं ' ढूंढ़ ' लेंगे
------------

' तुलसी ' पूजन दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 


टाइम्स मीडिया प्रस्तुति. 


महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी,
आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।
*

सच्ची प्रार्थना.

 प्रार्थना ' शब्दों ' से नहीं ' ह्रदय ' से होनी चाहिए 
क्योंकि ' ईश्वर ' उनकी भी सुनते हैं 
जो ' बोल ' नहीं सकते, सिर्फ़ सम्यक ' कर्म ' करते हैं  



ईश्वर की ' शरण ' में ' निस्वार्थ ' जाईये 
वो सब ' जानते ' हैं कि आपको क्या चाहिए ?


इंसान ही ' इंसान ' की दवा है 
कोई ' दुःख ' देता है तो कोई ' सुकून ' बन जाता है 


किसी को डर है कि ' भगवान ' देख रहा है 
किसी को ' भरोसा ' है कि ' भगवान ' देख रहा है 


एम. एस. मीडिया. प्रस्तुति. 
------------
त्रिशक्ति : शक्ति : सम्यक दृष्टि : नैनीताल डेस्क : पृष्ठ : १ / २.
----------
नैना देवी डेस्क / नैनीताल. 
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
संस्थापना वर्ष : १९९८. महीना : जुलाई. दिवस : ४.


संपादन. 
नैना देवी डेस्क / नैनीताल. 
    दिव्य शक्ति दर्शन : वंदना : पृष्ठ : १ / २ 
संपादन.
नैना देवी डेस्क / नैनीताल. 

 


या देवी सर्वभूतेषु ' महाशक्ति ' रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम

 -------
  दिव्य शक्ति : दृश्यम : विचार : दर्शन : पृष्ठ : १ / २. 
--------
नैना देवी  / नैनीताल डेस्क.
सम्पादित : शक्ति.


' शांति ' और ' सुकून '

इन्सान कितना ही अमीर क्यों न बन जाए 
' तकलीफ ' बेच नहीं सकता 
और ' सुकून ' खरीद नहीं सकता 

 

दृश्यम : शक्ति है ' भक्ति ' है  ' भक्ति ' है  ' शक्ति ' है


    दिव्य शक्ति : शब्द चित्र : विचार : दर्शन  : पृष्ठ : १ / २. 
संपादन.
नैना देवी डेस्क / नैनीताल. 


एम. एस. मीडिया प्रस्तुति. 

फ़िर ' सुबह ' होगी. 

हर सुबह एक नया अवसर है 
कुछ सीखने का कुछ समझने का कुछ पाने का 



' ज़िंदगी '
 


ज़िंदगी सँवारने को तो पूरी ' ज़िंदगी ' पड़ी है,
चलिए वो लम्हा ' सँवार ' लेते हैं जहाँ ' ज़िंदगी ' खड़ी है.
--------
मन के जीते जीत



आर्थिक स्थिति कैसी भी हो
ख़ुश रहने के लिए मानसिक स्थिति का मजबूत होना जरुरी हैं

मेरा ' मन '

जो मनुष्य अपने ' मन ' को नियंत्रित नहीं करते,
मन उन्हें ' नियंत्रित ' कर लेता है और उनके लिए
वह ' शत्रु ' के समान ही कार्य करता है




तन ' मन ' और ' धन '.

' यथार्थ ' यह नहीं की कहाँ हमें ' धन ' मिलता हैं 
' तात्पर्य ' यह होना चाहिए कि हमारा ' मन ' कहाँ मिलता हैं ? 



' संगत ' 
 किसी की ' संगत ' से अगर आपके ' विचार ' शुद्ध होने लगे 
तो समझ लेना वह ' साधारण ' व्यक्ति नहीं है 



' दरियां ' बनकर किसी को ' डूबाने ' से बेहतर है 
की ' जरियाँ ' बनकर किसी को ' बचाया ' जाए 


वक़्त ' सही ' तो सब ' सही '.
 


' दिखावा ' 

दिखावे की ' दुनियाँ ' से परे हैं हम 
थोड़े अच्छे ' थोड़े ' बुरे हैं  ' हम ' 


' बुराई ' और ' भलाई '
' भलाई ' करते रहिए बहते ' पानी ' की तरह 
' बुराई ' खुद ही किनारे लग जायेगी ' कचरे ' की तरह. 


मैं हूँ ना. 

कभी कभी हजार ' तसल्लियों ' और लाख ' दिलासों ' से बढ़कर 
सिर्फ तीन ' लफ्ज़ ' हौसला देते हैं 
मैं हूँ ना 


प्रथम मीडिया प्रस्तुति. 
--------------
त्रिशक्ति : सरस्वती : नर्मदा डेस्क : सम्यक कर्म : पृष्ठ : १ / ३.
----------------
नर्मदा डेस्क : जब्बलपुर.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९८२.
संस्थापना वर्ष : १९८९. महीना : सितम्बर. दिवस : ९.
संपादन.शक्ति अनीता.

नर्मदा डेस्क : जब्बलपुर.
-----------
भारती : श्वेतपद्मासना : दर्शन पृष्ठ : १ / ३.


या देवी सर्वभूतेषु ' बुद्धि ' रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम
प्रथम मीडिया प्रस्तुति
-----------
त्रिशक्ति : सम्यक आचरण : दृश्यम विचार : नर्मदा डेस्क : पृष्ठ : १ / ३.
----------
संपादन : नर्मदा डेस्क : जब्बलपुर.
शक्ति : अनीता.
साभार : शक्ति जया किशोरी.


दृश्यम : तू करता वही है जो तू चाहता है
-----------
त्रिशक्ति : सम्यक आचरण : शब्द चित्र विचार : नर्मदा डेस्क : पृष्ठ : १ / ३.
----------
संपादन : नर्मदा डेस्क : जब्बलपुर.
शक्ति : अनीता.
----------
सम्यक कर्म : सम्यक संकल्प

महासरस्वती  : जीवन : दर्शन  : आस और विश्वास 


त्रिशक्तियां '
महालक्ष्मी ',' महाशक्ति ' और ' महासरस्वती '
के ' महासम्मेलन ' और उनके ' एकीकरण '
से ही ' महाशक्ति ' का उद्भव सुनिश्चित हैं.


मैत्री शक्ति विश्वास 
कृष्ण सुदामा 

कोई ' माने ' या न माने मुझको ये ' विश्वास ' है
जब तक तुम ' साथ ' हो सब कुछ मेरे ' पास ' है

अपनी ' गलतियों ' के ' वकील ' ना बनें 
दूसरों के ' कर्मों ' के ' न्यायधीश ' ना बनें 
लेकिन सबको ' सम्मान ' और ' सदभाव ' 
देने वाला ' कानून ' जरूर बनें.


 ' संस्कार ' से ' संसार ' जीता जाता है
' अहंकार ' से नहीं


-------------
महाशक्ति : सम्यक कर्म. प्रस्तुति : पृष्ठ : १ / ४ / 
-----------
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०.
संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी . दिवस : ६
नैनीताल डेस्क :
 .  ' शक्ति ' डॉ. सुनीता ' शक्ति ' प्रिया. 


ॐ नमो शिवाय 


ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । 
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥ 

इस मंत्र का हिंदी अर्थ है कि हम भगवान शिव की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो सुगंधित हैं और हमारा पोषण करते हैं। जैसे फल शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है 
वैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं।

' कीमत '


जिंदगी में ' अहमियत ' उसी को दो जो
तुम्हारी ' कीमत ' समझता हो

दिव्य भविष्य वाणी समर्थित. 


ए. एंड एम. मीडिया
शिमला डेस्क प्रस्तुति.


नवशक्ति शक्ति :सम्यक संकल्प . पृष्ठ : १ / ५   
शिमला डेस्क : प्रस्तुति :
संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी. दिवस : ५ 
श्यामली : डेस्क : शिमला.
-------------
संपादन


शक्ति : रेनू  अनुभूति नीलम. 
 नव शक्ति रूपेण संस्थिता  

जीवन शिक्षण.
नवशक्ति नव जीवन : दृश्यम विचार
साभार : शक्ति जया किशोरी.


अपने तो वो हुए जो ' दुःख ' में साथ खड़े हुए


जीवन शिक्षण.
नवशक्ति नव जीवन : चित्र विचार : पृष्ठ : १ / ५ 
शिमला डेस्क
सम्पादित : शक्ति रेनू अनुभूति नीलम

मन ' विजय ' करें


' धैर्य ', ' संयम ', अटल ' विश्वास ',
सकारात्मक ' सोच ', ' संकल्प ',
सम्यक ' वाणी ' और सतत सम्यक ' कर्म ' से ही
असंख्य ' मानव मन ' जीत लेने के साथ साथ
' विश्व विजय ' की ' कामना ' संभव हैं
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दिन विशेष : पृष्ठ : १/६
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नैनीताल. डेस्क.
संपादन.


शक्ति : बीना मीना भारती
नैनीताल.

 २६ दिसंबर.वीर बाल दिवस :


हम कभी न भूले हैं गुरु गोविन्द सिंह जी के पुत्रों 
: बाबा जोराबर सिंह जी बाबा फतेह सिंह जी का 
बलिदान 

२३ दिसंबर : राष्ट्रीय किसान दिवस 


लाल बहादुर शास्त्री : जय जवान जय किसान 



१६ दिसम्बर १९७१ : विजय दिवस.
बांगला देश में पाक के ऊपर भारत की विजय गाथा 


वीर सैनिकों के शौर्य और बलिदान को कोटि कोटि नमन 

 
 
१० दिसम्बर : मानवाधिकार दिवस 


१० दिसम्बर : 
विश्व मानवाधिकार दिवस के लिए 
सब के लिए ' न्याय ',  ' स्वतंत्रता ' और ' समानता ' के  अधिकार को सुनिश्चित करें 


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आने वाला कल जाने वाला है


शिव लोक : हॉस्पिटल : बिहार शरीफ : नालन्दा : डॉ. ब्रज भूषण सिन्हा समर्थित.
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सम्पादकीय : पृष्ठ : २.
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संस्थापिका.
मातृ शक्ति.


निर्मला सिन्हा.
१९४० - २०२३.
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संपादकीय शक्ति समूह. पृष्ठ : २. ---------

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प्रधान संपादिका.



शक्ति : रेनू ' अनुभूति ' नीलम. 
नव शक्ति. श्यामली डेस्क. शिमला.
संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी. दिवस : ५.
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कार्यकारी संपादक.


नैना देवी. नैनीताल डेस्क 
शक्ति. डॉ. सुनीता ' शक्ति ' प्रिया.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०.
संस्थापना वर्ष : १९९६. महीना : जनवरी : दिवस : ६ .
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सहायक. कार्यकारी संपादक.


शक्ति. सीमा वाणी अनीता.
कोलकोता डेस्क संस्थापना वर्ष : १९९९.महीना : जून. दिवस : २.
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विशेषांक संपादक.


शक्ति : मानसी शालिनी कंचन.
नैनीताल डेस्क .
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स्थानीय संपादक.


शक्ति : बीना मीना भारती.
नैनीताल.
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संयोजन.


शक्ति. मीना शालिनी.
वनिता शबनम.

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क़ानूनी संरक्षण.
' शक्ति '


शक्ति. सीमा कुमारी.
डिप्टी चीफ लीगल एड डिफेंस काउंसिल.
शक्ति. विदिशा.
विधिवक्ता / नई दिल्ली.
लीना शक्ति. अधिवक्ता. उच्च न्यायलय. रांची
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पत्रिका संरक्षक.


चिरंजीव नाथ सिन्हा.
चिरंजीव नाथ सिन्हा, ए.डी.सी.पी. लखनऊ. 
मुकेश कुमार (भा.पु.से.) समादेष्टा झा.स.पु. ४ / रा.औ.सु.बल बोकारो
रश्मि श्रीवास्तवा.  ए.एस .पी.
राज कुमार कर्ण, डी. एस. पी. ( सेवानिवृत  ).पटना 
विजय शंकर, डी. एस. पी.  ( सेवानिवृत  )
डॉ. मो. शिब्ली नोमानी. डी. एस. पी. 
कर्नल  सतीश कुमार सिन्हा ( सेवानिवृत ) हैदराबाद.
कैप्टन अजय  स्वरुप, देहरादून , इंडियन नेवी  सेवानिवृत ).

विशेष संरक्षण. 


विकास वैभव (भा.पु.से.)
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 दिग्दर्शिका शक्ति.


शक्ति. दया जोशी. सम्पादिका
दैनिक भास्कर.नैनीताल.
केदार दर्शन. नैनीताल.
शक्ति.डॉ. मीरा श्रीवास्तवा.पुणे

दिग्दर्शक / मंडल.


रवि अनुपम नवीन 
 
रवि शंकर शर्मा. संपादक. दैनिक भास्कर.नैनीताल.
अनुपम चौहान.संपादक.समर सलिल.लख़नऊ.
डॉ. नवीन जोशी.संपादक. नवीन समाचार .नैनीताल.
मनोज कुमार पांडेय.संपादक.ख़बर सच है.नैनीताल.
अनिल लढ़ा .संपादक. टूलिप टुडे.राजस्थान.
डॉ.आर. के. दुबे. लेखक ,संपादक.नई दिल्ली.
रंजना : स्तंभ कार स्वतंत्र लेखिका. हिंदुस्तान :नई दिल्ली.
अशोक कर्ण : फोटो संपादक. पब्लिक एजेंडा. नई दिल्ली.

आध्यात्मिक संरक्षक : श्री  गोविन्द जी.उत्तर प्रदेश.  
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संपादकीय शक्ति समूह : आत्म ' शक्ति ' विचार. पृष्ठ : २.
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शक्ति. मैहर डेस्क. सतना. मध्य प्रदेश.
संस्थापना वर्ष : १९८९.
प्रादुर्भाव वर्ष : २०२४. महीना. नवंबर. दिवस : २५.
सम्पादित.



शक्ति. मैहर डेस्क. सतना.
शक्ति. शवनम.माधुरी.श्वेता.

जीवन शिक्षण.
नवशक्ति नव जीवन विचार.


तू लाली है ' सवेरे ' वाली 
सकारात्मक सोच. 



कबीर.
 
ऐसी ' वाणी ' बोलिए मन का आप खोए, 
औरन को शीतल करे, आपहुं ' शीतल ' होए.


ईमानदारी.

ईमानदारी का अर्थ है,
' सच्चाई ', ' निष्ठा ', ' सम्मान ', और ' सरलता ' जैसे सकारात्मक गुणों का पालन करना
' ईमानदारी ' की ताकत इतनी बड़ी है 
  की बेईमान आदमी भी खुदके घर का चौकीदार 
      ईमानदार  रखना चाहते है



' अन्त 'और ' अनन्त 



' अन्त '  का भी अन्त  होता  है।, कुछ भी कहाँ ' अनन्त ' होता है।,
 पतझड़ भी एक घटना है।, बारह महीने कहाँ ' बसन्त ' होता है।


ए ' जिंदगी ' गले लगा ले. 

एक बेहतर ' जिंदगी '  निरंतर की ' समझ ', सतत ' संघर्ष ' और सम्यक ' संवाद ' 
से ही मिलती है...सदैव ' याद ' रखें  
डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया. नैनीताल.  


सम्यक ' साथ ' और ख़ुशी.

आप ' ख़ुश ' हैं अच्छी बात है
आपकी वजह से कोई और ' ख़ुश ' हो जाए ये और भी ' अच्छी बात ' है
जीवन में ' स्वयं ' को ख़ुश रहना है तो स्वयं के लिए ' सिर्फ़ ' सम्यक ' साथ ' ढूँढ़िये


 हर ' सुबह ' एक नई ' शुरुआत ' का अवसर है,
अपनी सोच को ' सकारात्मक ' रखें, 
हर पल को ' आनंद ' और ' उत्साह ' से जीएं
' जिंदगी ' वही होती है, जैसा हम इसे देखते हैं... 
इसे ' मुस्कान ' और ' उम्मीदों ' से भर दें.

शक्ति. रेनू शब्द मुखर जयपुर.
------------ आकाश दीप : पद्य संग्रह : सम्पादकीय : प्रस्तुति : पृष्ठ : ३. -------------- शिमला डेस्क. संपादन.
प्रधान सम्पादिका. शक्ति. रेनू शब्द मुखर. जयपुर.
----------
लघु कविता. 

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क्रिसमस विशेष : कविता 

क्रिसमस की सार्थकता कर दो.


सांता !आज जब तुम आओगे 
तो एक काम करना, 
पल-पल फिसलते हुए रिश्तों को
अपने झोले से खुशियों का पुलिंदा 
मेरे नाम करते हुए उनको थामते जाना, 
कल तक जो रिश्ते अपने थे
उनमें भावों की ऊष्मा रिसने लगी है
कल तक जिन बातों में रस था
आज उनमें विष नजर आने लगा है
कल तक    इक- दूजे के 
सुख-दुख में 
ढाल बन कर साथ खड़े थे
आज वे बच कर निकलने लगे है
कल तक जिनको पाकर 
सूरज-सा खिल रहे थे
आज राख की ढेरी से बुझ रहे हैं
फिर भी ,कुछ अवशेष है
वो प्यार,वो साथ,वो भावनाएं,
 वो सपने जो साथ देखे थे



उन सबको हे सांता! 
खंडित होने से रोक लो तुम
बस इस इच्छा को
 इतने वर्षों की साधना को
ये सुंदर उपहार दे,
मेरे मन को अपने 
इंद्रधनुषी रंगों से
सराबोर कर 'सांता आया
 खुशियां लाया'
 पंक्ति को चरितार्थ कर
 क्रिसमस के त्योहार को सार्थक कर दो.


रेनू शब्दमुखर.
जयपुर. 
---------
अनंत प्रेम का अधिकार.

फोटो : रेनू 

सपने सीमित थे,  
पर मन के आकाश में  
उड़ानें अनंत
इसीलिए  
थामी मैंने वक्त की डोर
और मांगा प्रभु से  
बस एक वरदान
तुमसे स्नेह करने का  
स्वतंत्र अधिकार.
न सीमाओं का बंधन,
न इच्छाओं का भार,
केवल स्नेह की धारा,
जो बहती रहे निरंतर,
जग से परे
और स्वयं से भी
बस तुम्हारे लिए
अनंत प्रेम का अधिकार.

रेनू शब्दमुखर
--------------

अंत या आरम्भ.


पुरानी यादों व नए वादों का,
किस्सा बड़ा करीब है।
दिसम्बर और जनवरी का,
रिश्ता बड़ा अजीब है.

दोनों संवेदनशील हैं
और दोनों में गहराई है।
पता नही उन दोनों को,
वे एक ही पथ के राही हैं.

दोनों ही अतिसुन्दर हैं,
वही चेहरा, वही रंग है।
एक जैसी तारीखें हैं,
एक जैसा ही ढंग है.

जनवरी करती प्रेम,
यही उसकी पहचान है।
दिसम्बर कहे ना दे सकूँ,
तुझको कोई प्रतिदान है.

एक प्रेम का अंत है,
तो दूसरी आरम्भ है।
दोनों ही नासमझ हैं,
ये तो बस प्रारम्भ है.


एक को है तजुर्बा और
दूसरी को है विश्वास 
एक जाने की जिद में है,
एक को लौटने की आस.

दोनों जुड़े हुए हैं ऐसे, 
धागे के दो छोर हों जैसे,
एक दूजे से दूर भी रहकर,
देखो साथ निभाते कैसे.

जो दिसंबर छोड़ जाए,
वही जनवरी अपनाता है।
जो जनवरी के वादें हैं, 
दिसम्बर भी वही निभाता है.

देखने में ये साल के महज़,
दो महीने ही तो लगते हैं।
लेकिन सब कुछ बिखेरने
और समेटने का दम रखते हैं.

जब भी ये दोनों दूर जाते हैं, 
तो हाल बदल देते हैं।
और जब ये थोड़ा पास आते हैं,
तो साल बदल देते हैं.

 शक्ति. शालिनी राय. 
कवयित्री.

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सिर्फ़ तुम. लघु कविता.
डॉ. मधुप.
नैनीताल डेस्क.



ख़त्म हो जाती है हर चीज
अपने वक़्त पर,
बस खत्म नहीं होते
ख़ुद के बनाए अपने दिल के रिश्तें.
अपनों का प्रेम भरा सपनों का संसार
और प्यार भरी बोली
तुम्हारी ग़लती होते हुए भी
अपनी गलती मान लेना.
चुप ,खामोश,दिल का लगाव,
तुम्हारे लिए,
हर पल की परवाह, रखना.
तुम्हारी ख़ुशी, बस तुम्हारा ही रख रखाव
रात दिन का मधुर, सहिष्णु व्यवहार
हर दिन ,हर क्षण,
आँखों की निगहवानी
मौन,अनंत प्यार
और करते जाए तुमसे बस निस्वार्थ.

लघु कविता. 
डॉ.मधुप.  
ढूंढता हूँ तुझको मुझमें

बीत गई सारी
जिंदगी ढूंढने में
हमें ढूँढना क्या था ?
मिल भी न सकी
फिर ताउम्र उस सवाल
से भी न निकल सके
कि जो मिला था
जो मिला है
उसका करना क्या है ?

डॉ. मधुप.
नैनीताल डेस्क.
------------

प्रेम अब नहीं बस नामों तक.



प्रेमी क्या सचमुच प्रेमी है,  
या बस शब्दों का जाल है ?  
सच्चे भावों का अभाव है,  
या केवल छलावा और सवाल है?  
प्रीत के नाम पर सौदे होते,  
हर रिश्ते में दाम लगाए जाते.  
समर्पण अब खो गया कहीं,  
स्वार्थ का पर्दा ओढ़ा जाता.  
वो जो कहते थे तुम ही हो,  
क्या सच में वही तो नहीं,  
जो मुड़कर किसी और राह पर, 
अपनी छाया छोड़ गए वहीं.  
पहचान लो सच को देखो,  
जो साथ दे हर मौसम में.  
जो आँसू में भी मुस्कान रचे,  
और खड़ा रहे हर संग्राम में.  
प्रेम अब नहीं बस नामों तक,  
ये तो है त्याग और विश्वास.  
जो प्रेम को समझे वही प्रेमी है,  
वरना सब बस मिथ्या उपहास. 

शक्ति. रेनू शब्द मुखर. जयपुर.


लघु कविता. 
संपादन : पृष्ठ सज्जा.
 

शक्ति.श्वेता  
पुणे 
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ग़ज़ल. 

सारे शहर में बस वह ' तन्हा ' होगा


सारे शहर में बस वह तन्हा होगा 
तन्हाइयों में वह खुब रोया होगा

आदमी की कीमत वक्त ही जानता है
इसे जानने में वह‌ बहुत खोया होगा

आदमी की परख में उम्र गुजर गयी
शायद चैन से कभी वह सोया होगा

अनीश चलो ये सब भूल जाते हैं 
जो रोया था कभी वही रोया होगा 


अरुण कुमार सिन्हा. 


स्वतंत्र लेखक. 
झारखण्ड.

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तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : शक्ति : सम्पादकीय : प्रस्तुति. पृष्ठ : ४ .
--------------
संपादन.


शक्ति. नीलम पांडेय.
वाराणसी.
प्रधान सम्पादिका. 

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अलविदा २०२४ : सम्पादकीय आलेख : प्रस्तुति. पृष्ठ : ४ / ० .
----------

विदा लेते वर्ष २०२४ *  के दुखद दिनों को विस्मृत करें.


अरुण कुमार सिन्हा / झारखण्ड 


स्मृतियां दुखद और सुखद दोनों होती हैं,सुखद स्मृतियां जीवन को ऊर्जावान बनाती हैं और दुखद स्मृतियां मन को अशान्त करती हैं परन्तु दुखद स्मृतियां मनुष्य को उन परिस्थितियों से सचेष्ट रहने की भी प्रेरणा देती हैं कि जिन कारणों से उन परिस्थितियों का जन्म हुआ उनसे बचने की कोशिश करनी चाहिए ताकि वर्तमान में उसकी पुनरावृत्ति न हो और भविष्य सुरक्षित हो। 
ये बात अलग है कि कभी-कभी दुखद परिस्थितियों का मनुष्य के जीवन में आगमन अनायास और अप्रत्याशित रुप से हो जाता है जिसे धैर्यपूर्वक झेलना पड़ता है।
स्थिर मन और मस्तिष्क से उसका निदान ढुंढना पड़ता है कि उनका कोई विकल्प नहीं होता है।
हर पल क्षण संघर्षों की गाथा है, दुःख सुख है,सुख है सुख है और अगर दुःख है तो दुःख और कष्ट में से ही खुशियों की तलाश करना जीवन है और जीने का हुनर है कि इसका भी कोई विकल्प नहीं है,यही विकल्प है।
हर सबेरा आपके लिए एक नया सबेरा हो और जीवन का नया संदेश हो। सपरिवार सानन्द रहें। स्वस्थ रहें मस्त रहें।
जागने के दो अर्थ होते हैं,निन्द से जागना और चेतना से जागना, निन्द से तो समस्त संसार जागता रहता है पर चेतना के साथ जागना ही जागृत होना है। इसलिए जब जागो तभी सबेरा है। विदा लेते वर्ष के दुखद दिनों को विस्मृत करें और आने वाले नए वर्ष के लिए सबके सुखद समय की कामना करें। 
अगर इच्छाएं अच्छी हो ,उत्कट हो,सर्व कल्याण के लिए हो और उस दिशा में सही प्रयास के लिए आप तत्पर हो, आप स्वयं के लिए भी करें।  तो ब्रह्माण्डीय शक्तियां भी उन इच्छाओं की पूर्ति करने में लग जाती है। इसलिए इच्छा के साथ साथ सार्थक प्रयास सार्थक दिशा में होनी चाहिए।
सबका जीवन सुखमय स्वस्थ और समृद्ध हो,इसकी मंगलकामनाएं करें।
पृष्ठ संपादन :  डॉ. सुनीता 'शक्ति ' मीना प्रिया / नैनीताल डेस्क 
पृष्ठ सज्जा : शक्ति सीमा अनीता अनुभूति / शिमला डेस्क 

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हमने जो देखे सपने ....सच हो गए वो अपने...
' शक्ति ' डॉ. सुनीता मधुप. 
 

मेरे पहले सपने : मेरे अपनों की दुनियां : यह मेरा पहला सपना है, सम्यक साथ का। सम्यक साथ ही सब खुशियों का अभिकेंद्र रहा है। आप सकारात्मक होंगे।  वाणी भी संयमित हो जाएगी। 
सच कहें तो मुझे अपनी दुनियाँ अलग बनानी है। अच्छे जनों का चुनाव करना है। विश्वामित्र की भांति। सर्वश्रेष्ठ लोगों की तलाश ही वहां रखनी है। मैनें कोशिश भी कर रखी है। अपने भारत वर्ष, देवभूमि जैसे प्रदेश से अच्छे लोगों  के सम्यक साथ की तलाश व संकलन जारी है। सफल भी हो रहा हूँ। 
उस सम्यक साथ के लिए मैं कोई भी जोखिम उठा सकता हूँ .....मैं उनके लिए ढ़ेर सारी सहिष्णुता रखूं , और उस ' सम्यक साथ ' के लिए सद्बुद्धि हासिल कर सकूँ यह मेरी ईश्वर से सदैव प्रार्थना होती है। हो सके तो मैं उनके लिए जीवन पर्यन्त उनकी निजताउन्नति, उनके सम्मान, विकास  के लिए सम्यक वाणी ' के साथ ' सम्यक कर्म ' करता रहूं,यह मेरा दृढ़ संकल्प होगा  । 
मात्र इतना करने से ही दुनियां के आर्य जनों का साथ मिल सकता है , इससे ही समस्त विश्व और समय पर विजय पाया जा सकता है...
वैसी दुनियाँ जिसमें सिर्फ प्यार ही प्यार हो, लगाव हो ,सम्बन्धों का बेहतर रख रखाव हो। आपस की जरूरतों को समझें। फैसले और झगड़ें भी अपने भीतर हो, सब के सामने नहीं। जीवन की आख़िरी साँस तक एक दूसरे के ईमान- धरम को माने। मेरे अपनों के बीच में हम का भाव हो। एक दूसरे के लिए समर्पण ,त्याग, वलिदान की भावना हो ...आप देखें ,समझें और विचार करें ..ऐसा  हो रहा है या नहीं..? 
हो रहा है, ना.. !  

संदर्भित गाना. 
फिल्म : परिवार.१९६८
सितारे : जीतेन्द्र, नंदा.    
गाने : हमने जो देखे सपने. 
गीत : गुलशन बाबरा. संगीत : कल्याण जी आनंद जी. गायक : महेंद्र कपूर ,लता.
*

गाना देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 

नैनीताल डेस्क 
स्तंभ संपादन : सज्जा 
शक्ति  सीमा अनीता ' शक्ति ' प्रिया.  

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 आकाश दीप : गद्य संग्रह  : धारावाहिक विशेषांक : पृष्ठ ५ /०.
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संपादन 


शक्ति : मानसी शालिनी कंचन
नैनीताल.

आकाश दीप : गद्य संग्रह : सम्पादकीय : धारावाहिक : पृष्ठ ५  / ०.
क्रिसमस विशेष
------------
यात्रा विशेषांक : उत्तराखंड  परिशिष्ट .पृष्ठ ५ / ०     
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सेंट जॉन्स इन द विल्डरनेस चर्च : 
१८५६ से पूर्व की स्थिति. फोटो : साभार  : नैनीताल 

सेंट जॉन्स इन द विल्डरनेस : ‘ जंगल के बीच ईश्वर का घर.’ 
नैनीताल का सबसे पुराना चर्च.
डॉ. मधुप रमण. ये पर्वतों के दायरें,नैनीताल.
उत्तराखंड यात्रा वृतांत ३. धारावाहिक. अंक ९ से साभार ली गयी.
 
नैनीताल सेंट जॉन्स इन द विल्डरनेस चर्च : और सिर्फ तुम : फोटो कोलाज : डॉ. सुनीता 

मुझे दिसंबर और जनवरी महीना बेहद अच्छा लगता है क्योंकि मैदानी इलाके में रहते हुए मुझे पहाड़ों,
यथा अपने घर की याद आने लगती है। इन दिनों सर्दियां पड़ रही होती है। धुंद रास्तें में पसरी होती है। 
रास्तें खाली मिलते है। लोग घरों में कैद होते हैं। आबादी नहीं के बराबर दिखती है। 
२५ दिसंबर के आस पास शांता क्लॉज के कदमों की आहट सुनाई देने लगती है। चीड़ और देवदारों के घने जंगलों से रेंडीयरों के द्वारा स्लेज खींची जाने की आवाजें भी मेरे स्नो हाउस तक आने लगती है। चांदनी बर्फ़ के ढलानों पर बिछी होती है। हलकी नीलिमा फैली होती है। मुझे इसलिए नीला रंग बेहद पसंद है। 
बर्फ़बारी में अपने घर के बाहर तुमने जुराबें टांगी की नहीं मैं अक्सर तुमसे पूछता भी हूँ। कहते है शांता 
सारी इच्छाएं पूरी करते हैं। जब कभी भी क्रिसमस पास होता है ईशा, चर्च ,कैंडल सब कुछ स्मृत हो जाता है। ईशा इसलिए याद आते हैं क्योंकि इतिहास साक्षी है कि ऐसा भी हाड़ मांस का व्यक्ति इस धरा पर पैदा हुआ जिसने सब पीड़ाएँ सही और समस्त जगत की मानवता की रक्षा के लिए अपना जीवन दे दिया। इसलिए जब कभी भी मैं अपने गांव ( पहाड़ी स्थान ) जा रहा होता हूँ तो वहाँ के चर्च को जरूर देखता हूँ क्योंकि जीवन की अवस्था में इस सन्यास आश्रम के काल में मुझे शांति और सम्यक साथ की बेहद तलाश है। जीवन का अर्थ ढूंढना है अब इस उम्र में अर्थ ( धन ) की उतनी अहमियत नहीं। जरुरत भी इतनी ही  जितनी की आवश्यकता हो। एक तेरा साथ हमको दो जहाँ से प्यारा है मिले तो हर सहारा है.....
हम विश्व के श्रेष्ठ हिन्दू धर्म के अनुयायी होने की बजह से ही सभी धर्मों के अच्छे सारों को अपने भीतर आत्मसात करने के लिए प्रेरित और सदैव तत्पर रहते हैं। नैनीताल प्रवास के दरमियाँ मैंने जिस चर्च को देखा है उसका व्योरा मैं आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। मेरी खुद की लिखी ये पर्वतों के दायरें,नैनीताल.उत्तराखंड यात्रा वृतांत ३.अंक ९ धारावाहिक से साभार ली गयी है,इस छोटे से अंश का आंनद उठाए। 
सेंट जोन्स चर्च : हालिया २०२४ में भी हम सेंट जोन्स चर्च गए थे,वहाँ बैठे थे प्राकृतिक सुषमा का आनन्द लिया था। वो तुम नहीं तो कौन थी, जिसने मुझे पवित्र बाइबिल, भागवत गीता की तरह ही पढ़ रखा है। समझ रखा है, अर्थ जान रखा है। वो तुम ही तो हो ,अनु जो मुझे पूरी शिद्दत से जानती हो, मेरे जीवन के सारांश को समझती हो ,....बिना बोले,  बिना कहे। 
बचपन, विलियम वर्ड्सवर्थ, सोलिटरी रीपर,स्कॉटलैंड की पहाड़ियां,रेनबो, ....चर्च, कैंडल पढ़ते पढ़ते मैं 
कब थोड़ा सनातनी थोड़ा ईसाई बन गया था मुझे तो पता ही नहीं चला, अनु !
मेरे रंग में रंगते रंगते आप भी कब से सनातनी हिन्दू से उदार हो रही थी ...इसकी भी मुझे जानकारी दिन ब दिन हो ही रही थी। परिवर्तन तो महसूस किया जा सकता था न ?
स्नो,रेन्डियर ,शांता, क्रिसमस ट्री,चर्च , जिंगल बेल , स्लेज से आप भी जुड़ने लगी है यह बोध तो मुझे बीते कई सालों से होने लगा था। जब से आप मेरी तरह सर्विस टू मैन इज सर्विस टू गॉड...आदि के सिद्धांतों में विश्वास रखने लगी थी। आप में बदलाव मेरे लिए तो पठनीय ही था।   
आज भी आप पूरे मनोयोग से क्रिसमस सेलिब्रेट करती है,मैं यह भली भांति जानता हूँ। मैंने देखा भी है। 
जब भी मैं कारण पूछता तो आप हँस कर कहती , '...आपके लिए ..मैं क्या नहीं कर सकती हूँ ...कुछ भी। देख लीजियेगा ...तुम्हारे लिए ....एक दिन आपकी जोगन बन भी बन जाऊंगी ...." 
याद है,अनु इधर पता नहीं क्यों पिछले एकाध सालों से मैं आपको नेस्ट टू सुप्रीम पॉवर ही मानने लगा हूँ न ? एकदम से सच्ची,अदृश्य शक्ति जैसी। न जाने क्यों याद कर लेने मात्र से ही सुरक्षित महसूस करने लगता हूँ ...
मुझे देखती हुई, मेरी हर पल की निगरानी करती हुई। रात में पहाड़ी धुंध में पसरती, खिली हुई चांदनी  जैसी...सुबह में कमल के पत्तों पर ठहरी ओस की बूंदों जैसी। मानो समस्त ब्रह्माण्ड में आप वर्तमान हो।

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गतांक से आगे : १  .
आर्य समाज  : नैना देवी मंदिर और चर्च : नैनीताल : 
डॉ. मधुप रमण. ये पर्वतों के दायरें,नैनीताल.
उत्तराखंड यात्रा वृतांत ३. धारावाहिक. अंक ९ से साभार ली गयी.

आर्य समाज  : नैना देवी मंदिर और चर्च : नैनीताल :  फोटो डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया. 

मुझे याद है आर्य समाज मंदिर में उस दिन मैं बहुत पहले ही उठ गया था। दूर नैना देवी का प्रवेश द्वार यहाँ से भी दिख रहा था। एकदम से चिर शांति दिख रही थी। 
कुछ लोग प्रातः ही आर्य समाज मंदिर में यज्ञ के लिए आ चुके थे। भजन कीर्तन का कार्यक्रम पहले की तरह चल ही रहा था। कोई आर्य समाजी अनूप जलोटा का भजन...कैसी लागी लगन ...मीरा हो गयी मगन ...गा रहा था।  
नित्य क्रिया से फ़राग़त होने के बाद नीचे बजरी वाले मैदान में उतर गया था। वही गोरखे से एक प्याली गर्म चाय ली और फूंक फूँक कर गर्म ही पीने लगा था। तब कोई यही दिन के आठ बज रहें थे। 
हम हाई कोर्ट के पास के रास्ते से ही सूखा ताल जाने वाले थे ना ? रात में भी हमने  नवीन दा से इस सन्दर्भ में ढ़ेर सारी बातें की थी। उन्होंने इसके इतिहास पर व्यापक प्रकाश भी डाला था। बस हमें वहां जाना और देखना मात्र था।   
सेंट जॉन्स इन द विल्डरनेस चर्च : हमने सुन रखा था नैनीताल का सबसे पुराना सूखाताल क्षेत्र में स्थित चर्च है। मैं बजरी बाले मैदान के मस्जिद के पास खड़ा तुम्हारी राह देख रहा था। 
कुछ देर में ही तुम आ गयी थी। हम पैदल ही हाई कोर्ट के रास्तें चढ़ाई के लिए निकल पड़े थे । 
साथ चलते हुए तुमने पूछा भी , ' ....थकेंगे तो नहीं ना .... ? ...चलना पड़ेगा..'
' देखता हूँ .... '
राह चलते चलते तुमने पुरानी बातें बतलानी शुरू कर दी थी,  '....इतिहास साक्षी है साल  १८४१ से ही  नैनीताल में बाहरी लोगों के बसने की प्रक्रिया आरम्भ हो गयी थी। अंग्रेज जहाँ कहीं भी गए उन्होंने अपने लिए चर्च बनवाए।  आबादी के बसने की  शुरूआत के साथ ही इस सरोवर नगरी  में अंग्रेजों के पूजास्थल के रूप में स्थान ढूंढना शुरू कर दिया था ...'
इस चर्च की स्थापना के लिए अंग्रेज अधिकारी प्रयासरत हो गए थे। 
अंत में इस कार्य हेतु कुमाऊं के वरिष्ठ सहायक कमिश्नर जॉन हैलिट बैटन ने काफी सोच विचार करने के बाद चर्च बनाने के लिए सूखाताल के पास इस स्थान को बेहतर समझते हुए चुना था । 
थोड़े देर सुस्ताने के लिए मैं सड़क के किनारे ही पत्थर पर बैठ गया था। तुमने थोड़ी देर ठहरते हुए फिर चर्च की कहानी दुहरानी शुरू कर दी थी , '...मार्च १८४४ में कोलकाता के बिशप डेनियल विल्सन एक पादरी के साथ नैनीताल भ्रमण के लिए आए। अथिति विशप को चर्च के लिए चुनी गई इस जगह पर ले जाया गया तो उन्हें पहली नजर में यह जगह इतनी पसंद आ गई कि उन्हें यह जगह जन्नत जैसी लगी। इसलिए बिशप ने इस चर्च को नाम दिया ‘ सेंट जॉन इन द विल्डरनेस , यानी ‘ जंगल के बीच ईश्वर का घर ’ 
टहलते हुए हमलोग चर्च के एकदम नजदीक पहुंच चुके थे। आस पास लगभग सन्नाटा पसरा हुआ था। पेड़ों की कतारें आसमान जैसे क्षितिज को छू रहीं थी। पूजा के लिए तो शांति की अतीव आवश्यकता होती है न । शांति हो तो मनन चिंतन में मन लगता है। है ना ,अनु  ? 
कुमाऊं के तत्कालीन कमिश्नर जीटी लूसिंगटन के आदेश पर अधिशासी अभियंता कैप्टन यंग ने चर्च की इमारत का एक मुकम्मल नक्शा बनाया। अक्टूबर १८४६ में चर्च का नक्शा पास हुआ और आगे चल कर विशप के कार्यकाल के १३ वर्ष पूरे होने के मौके पर १३  अक्टूबर १८४६ को चर्च की इमारत का शिलान्यास हुआ। और इसके बाद निर्माण कार्य शुरू हो गया ......' तुम अपने धुन में बोले जा रहीं थी। 


 दूर से दिखता सेंट जॉन इन द विल्डरनेस : फोटो : शक्ति : बीना नवीन जोशी. 

जानते है एक अनोखी बात ...?  
क्या .....? 
तुमने कहा , ' ...इस चर्च के शिलान्यास की पूरी दिलचस्प कहानी एक कांच की बोतल में लिखकर बोतल को इमारत की बुनियाद में रख दिया गया था। पता नहीं क्या सोच रही होगी। 
आगे चर्च की इमारत तो दिसंबर १८५६ में बन कर तैयार हुई, परंतु इससे पहले ही २ अप्रैल १८४८  को निर्माणाधीन चर्च को पहले ही आम अवाम के प्रार्थना के लिए खोल दिया गया। चर्च के निर्माण में उस समय लगभग १५ हजार रुपए खर्च हुए थे । यह धनराशि १८०७ में चंदे के रूप में जुटाई गई थी। इसके लिए  वहां मौजूद कमरों को  किराए पर लगाया गया भी था। याद रखने योग्य यह है कि  चंदे से जुटाए गए ३६० रुपए से रुड़की के कैनाल फाउंड्री से चर्च के लिए पीतल का घंटा भी बनवाया गया जिसे यहाँ स्थापित किया गया, जिसमें यह लिखा गया था - एक आवाज - शून्य में चिल्लाना। ' 
साल १८  सितंबर १८८० को नैनीताल में हुए प्रलयंकारी भूस्खलन हुआ जिसमें ४३ यूरोपियन सहित १५१ लोग मारे गए। इनमें से कुछ को चर्च में लगे कब्रिस्तान में दफनाया गया और इस भूस्खलन में मौत के मुंह में समा गए यूरोपियन नागरिकों की याद में चर्च मे एक पीतल की पट्टी 
पर सभी यूरोपियन मृतकों के नामों का उल्लेख किया गया, जिसे आज भी यहां देखा जा सकता है। '

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 गतांक से आगे : २ . 
ये पर्वतों के दायरें,नैनीताल.क्रिसमस सेलेब्रेशन : नैनीताल : सेंट जॉन्स इन द विल्डरनेस चर्च : 

मैं ,तुम ,मेरी तन्हाई और चर्च सेंट जॉन्स इन द विल्डरनेस. फोटो. डॉ.मधुप.नैनीताल.

इस बार भी गर्मियों में जब मैं नैनीताल गया था तो आप विदेश के दौरे पर थी। मैं तुम्हारे बिना ही सेंट जॉन्स इन द विल्डरनेस ‘ जंगल के बीच ईश्वर का घर ’ देखने अकेले ही चला गया था। हाई कोर्ट के पास ही मैंने किसी मोटर साइकिल वाले से लिफ्ट ले ली थी। सहर्ष तैयार हो गए थे। शायद वह भी चर्च ही जा रहे थे। जल्द ही हम वहाँ पहुंच गए थे। 
वहाँ कितनी चिर शांति पसरी पड़ी थी अनु...? चर्च खाली पड़ा था। पादरी भी नहीं थे।  सुबह ही तो हुई थी अभी। इतनी सुबह इतनी जल्दी लोग थोड़े ही आते हैं ?मैं कुछ पहले ही आ गया था। 
कुछ लोग दिखे जो सुबह सबेरे चहल कदमी करने आए थे। उनमें से ही किसी ने बताया चर्च अब प्रेयर टाइम में ही खुलता है ...रविवार के दिन...
निराशा हुई थी। चर्च खुला होता तो एक कैंडल भी जलाता अपनी तुम्हारी सुख समृद्धि के साथ साथ समस्त जगत के कल्याण के लिए। आज भी जब कभी कहीं भी मैं पहाड़ों पर दार्जलिंग ,कलिम्पोंग , गंगटोक,शिमला,डलहौज़ी, चम्बा, मसूरी,कसौली, नैनीताल, ऊटी,तथा कोडाईकैनाल की यात्रा पर गया मैंने आपके,सब के कल्याण लिए कैंडिल जलायी है,..आप इस बात को जानती भी है । 
सूरज की किरणें पेड़ों से छन कर चर्च की दीवारों पर गिर रहीं थी। सच में कोई भी यहाँ नहीं था। लेकिन मन की रिक्तता में भी तुम कहीं न कहीं वर्तमान ही थी न अनु। 
मेरे जीवन के हरेक क्षण में अणु बन कर तुम शामिल हो ... ऐसा लग रहा था जैसे आज भी मैं और मेरी तन्हाई में तुम इस चर्च के बारें में सब कुछ बतला रही थी ....
अब यहीं एकाकीपन और खालीपन जो मेरी आदत ही बन गयी है। मेरे एकांत को लेकर याद है तुमने कभी मुझसे सवाल भी किया था, " आप इतना अलग थलग क्यों रहना चाहते हैं ..भीड़ से हटकर.... ...सामाजिकता भी तो कोई चीज है न ..थोड़ा बदल क्यों नहीं लेते अपने आप को ...?
तब भी मैंने इतना ही कहा था , "... बदल नहीं सकता ...मेरे लिए समाज नहीं ...व्यक्ति महत्वपूर्ण है ..मैं भीड़ का हिस्सा नहीं बन सकता ...और फिर सच कहें अनु ! फिर समाज में अच्छें लोग हैं ही कहाँ ....? ...फिर ऐसे में उनलोगों के साथ उठने बैठने ,बातचीत करने में घुटन ही होगी न... इसलिए अलग थलग ही रहता हूँ ..."
"..अगर मैं इस भीड़ में शामिल हो गयी तो..क्या करेंगे आप ..? ", जैसे आप ने मुझसे जानना चाहा था।  ...बड़ी उत्सुकता से पूछते हुए आप मेरी तरफ देखने लगी थी। थोड़ी हँसी भी थी आपके चेहरे पर। 
"... तय है ..तब भी शायद  मैं आपके पीछे भागूंगा नहीं ..अपने पूरे धैर्य संयम के साथ ही भीड़ से हटकर आपके अकेले होने का इंतिजार ही करूँगा ...शायद अगले जनम तक .."
"..सच्ची ...अगले जनम तक ...प्रतीक्षा करेंगे..., " बड़ी भावुक हो गयी थी ...अपने दोनों हाथों की हथेलियों से चेहरा छुपाते हुए आप मुस्कुराने लगी थी...। ठंढ में निकलती धुआं होती मेरी नर्म सांसें आपके चेहरे को  रह रह कर छू रहीं थी। थोड़ी उष्णता प्रदान कर रही थी। 
चेहरे से हथेलियाँ हटाते हुए आपकी आँखों में देखते हुए मैंने कहा था, "... जी ..सोलह आने सच ...", 
मेरी इस तसदीक पर आपने स्मित मुस्कराहट के बीच ही कहा ," ... चलिए..ठीक है ...आप नहीं बदलते हैं तो मैं ही बदल लेती हूँ ...अपने आप को ..आपके लिए ...आपकी राधा जो हूँ  ...अपने और आपके लिए तो इतना तो कुछ करना ही पड़ेगा न ...?
यह था मेरे जीवन के एकाकीपन का गीत संगीत जो सेंट जॉन्स इन द विल्डरनेस ‘ जंगल के बीच ईश्वर का घर ’ के माहौल में इसके नाम के साथ ही सार्थक हो रहा था। 
मैं अकेला था भी ...नहीं भी .. आप तो हमसाया बन कर ही साथ रहती है न ..? कब मैं रिक़्त हुआ ..शायद नहीं ...
मैं ,तुम और मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करते हैं ..एकाध घंटे रहने के बाद जब मैं पैदल नीचे उतरा तो माल रोड पर टहलते हुए कैथोलिक चर्च तक़ चला गया था। अभी चर्च का आँगन सूना पड़ा था ..लोग नहीं के बराबर थे ..
चर्च की बेंच पर बैठते ही दस साल पहले का क्रिसमस सेलेब्रेशन याद आ गया जब मैं वीकेंड पर दिल्ली से नैनीताल के क्रिसमस पर मैं रिपोर्टिंग करने आया था तब आपभी मेरे साथ थी....

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गतांक से आगे : ३ .
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क्रिसमस की पूर्व संध्या : नैनीताल ; अयार पाटा बंगले की सजावट.
डॉ. मधुप. 
 
क्रिसमस के एक दो दिन पहले से ही नैनीताल में अच्छी खासी भीड़ जमा होने लगी थी। दुकानें सज गयी थी। गिफ्ट शॉप में क्रिसमस ट्री भरे पड़े थे। चर्च के रंग रोगन का काम सप्ताह पूर्व ही हो जाता है और ऐसा हो भी गया था। न जाने क्यूँ सैलानियों की आवाजाही इन दिनों पहाड़ों पर इतनी ठंढ के बाबजूद क्यों अधिक बढ़ जाती हैं। शायद क्रिसमस की शुरुआत के साथ नए साल की छुटियाँ मनाने के लिए  लोग पहाड़ की ओर रुख कर लेते हैं।  
सर्वधर्म की अच्छाई के प्रति प्रीत के भाव अपनाने का पाठ शायद आपने मुझसे ही सीखा था, यह भी कभी आपने बात चीत के दरमियाँ मुझे ही बतलाया था। आपको क्रिश्चियनिटी के प्रति झुकाव शायद मेरी लगाव की बजह से हुआ था मुझे ऐसा बार बार क्यों लगता है ,अनु ...। 


नैनीताल की पहाड़ियां : अयारपाटा का बंगला.कोलाज : डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया 

मुझे याद है क्रिसमस के लिए अपने अयारपाटा के बंगले को आपने बड़े सलीके से सजाया था। पूरे बंगले सहित फर्न के पौधे को आपने नीली कलर वाले चाइनीज बल्ब से सवार दिया था। एक बड़ा सा तारा जिसमें एक नीला बल्ब जल रहा होता है, आपने दरबाजें पर भी लगा रखा था।
भीतर बैठक खाने में मदर मरियम, पिता युसूफ ,शिशु इशू एकदम नवजात लग रहे थे, उनकी बड़ी प्यारी सी प्लास्टर ऑफ़ पेरिस की मूर्ति रखी हुई थी। इसके पार्श्व में गुलाबी रोशनी बिखर रही थी। इसकी हल्की किरण मदर मरियम की आँखों पर पड़ रही थी। इसके ठीक पीछे में सांता क्लाज की प्रतिमूर्ति लगी होती थी जिसमें जिंगल बेल जिंगल बेल की ट्यून लगातार बज रही थी । 
ठीक इसके पीछे ही तो आपने हरे रंग की क्रिसमस ट्री रख दी थी जिसमें लगा नीली रौशनी बाले बल्ब जगमगा कर टिमटिमा  रहें  होते थे । याद है कभी मैंने आपको बतलाया था कि इस हरे भरे 
क्रिसमस ट्री के पीछे बस इतनी सी ही मान्यता है कि यह खुशहाली का प्रतीक होता है। इसके घर में लाने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है जो हमारी जिंदगी के लिए बेहतर है ।
२५ दिसंबर को ईसा के जन्म की खुशी में स्वर्ग के दूतों ने फर्न के पेड़ों को रोशनी, फूलों और सितारों से सजा दिया था। उन्हीं की याद में आज भी क्रिसमस के दिन क्रिसमस ट्री को सफेद रूई ,लाइट, टॉफियों,घंटियों और छोटे-छोटे उपहारों  से सजाया जाता है। 
वनीला के स्वाद वाला केक  हमलोगों ने दो तीन पाउंड का मॉल रोड से पहले  ही मंगा रखा था। जिस तरह हिंदू धर्म के त्योहारों में लोग एक दूसरे को मिठाई बांटते हैं उसी तरह क्रिसमस पर केक खाने और बांटने की परंपरा है। लोग एक दूसरे के साथ अपनी खुशियां बांटते हैं और इसके पीछे मानना है कि  केक बांटने  और साथ खाने से मैत्री बढ़ती है आपस के तनाव और अवसाद भी खत्म होते हैं । अच्छी सोच है न अनु !
मोज़े : आपने खिड़कियों में रंग बिरंगे कई मोज़े भी टांग रखें थे। आपने यह भी याद रखा था कि मैंने कभी शायद आपको यह बतलाया था कि मोजें में सेंटा ढ़ेर सारी खुशियां लेकर आते हैं ,इसलिए इन्हें खिड़कियों पर लगाना चाहिए । सांता बच्चों और बड़ों के लिए भी गिफ्ट लेकर आते  हैं यह भी हमने आपको ही बताया था ,इसके पीछे सोची गई वजह यह है कि इन मोजों को घर में टांगने से आर्थिक तंगी दूर होगी और धन वृद्धि भी होगी । 
घंटियों की बाबत आप मुझे ही बतला रही थी , " जानते हैं  क्रिसमस ट्री में लगी घंटी की मधुर ध्वनि से लोग फेंगशुई के अनुसार मानते हैं  कि घंटियां बजने पर निकलने वाली ध्वनि से पूरे घर की नकारात्मक उर्जा बाहर हो जाती है...इसलिए मैं भी लगाती हूँ ।
मोमबत्ती :  जिस तरह हिंदू धर्म में आस्था के दीपक लगाकर इष्ट देवी देवताओं की आराधना की जाती है उसी तरह से क्रिसमस में मोमबत्ती जला कर लोग प्रभु यीशु से प्रार्थना करते हैं कि आम जीवन से दुख के अंधकार को दूर हो तथा सुख शांति का प्रकाश सभी के जीवन में सर्वत्र फैले। रंग बिरंगी मोमबत्तियां जलाने का भी अपना अलग ही महत्व है...।  
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शॉर्ट रील : नैनीताल क्रिसमस : सजावट 


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गतांक से आगे : ४ .
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क्रिसमस की पूर्व संध्या  नैनीताल और मॉल रोड का कैथोलिक चर्च. 
डॉ. मधुप. ये पर्वतों के दायरें,नैनीताल.

क्रिसमस की पूर्व संध्या  : नैनीताल : फोटो : डॉ. सुनीता ' शक्ति ' प्रिया .
 
२५ दिसंबर। बड़ा दिन। हम जानते ही है इस दिन से ही उत्तरी गोलार्ध में रातें छोटी होने लगती हैं और दिन बड़े होने लगते हैं। नैनीताल में सुबह होने को थी। सुबह भी पूरब की अपेक्षा थोड़ी देर से ही होती है। 
मैंने तय कर लिया था सुबह आठ बजे चर्च खुलने के साथ ही हमदोनों चर्च में कैंडिल जला आयेंगे। तब ज्यादा भीड़ नहीं होगी। और हमें मॉल रोड तल्ली ताल स्थित कैथोलिक चर्च पैदल ही जाना था। मार्निंग वॉक के लिए आप जल्दी उठ गयी थी। आप भी मेरी तरह समय ,शब्द और संस्कार की बेहद पाबंद है यह देखना समझना मुझे हमेशा से अच्छा लगा है और लगता भी रहेगा । इसलिए तो मुझे आप से असीम लगाव है ,अनु। 
अभी सात बज रहें थे। अयारपाटा के बंगले के आस पास बैसी ही चिर परिचित ख़ामोशी फैली थी जैसी पहले  होती है। जंगल का इलाका है,पेड़ पौधे अधिक है । इसलिए यहाँ कुछ ठंढ अधिक ही होती है। 
सुबह की लेमन टी लेकर हम नीचे चर्च की तरफ वॉक के लिए निकल पड़े थे। 
नीले सलवार समीज, बादामी कलर की जैकेट तथा स्पोर्ट्स शू में आप के व्यक्तित्व में इजाफ़ा हो रहा था। आप बेहद शांत ,संयमित और खूबसूरत दिख रही थी। 
रास्ते चलते पूछा था आप ने , " ...आप बताएंगे कि इस धर्म में कब से लगाव रखने लगे थे ...? "  
"..बचपन से ही ..जब से मैंने विलियम वर्ड्सवर्थ को पढ़ा है ..पहाड़ों के सपनें देखने लगा हूँ .. कोनिफर्स के पेड़ देखें हैं  ...चर्च गया हूँ  ..कैंडिलें जलाई हैं ..कई दफ़ा सोचा है ..कई बार विचार किया है ..तब से ही मैं इस धर्म में विश्वास करने लगा हूँ, ..अनु। "
"...यहाँ शांति ही शांति हैं ...दिखावा नहीं के बराबर है ..पाखंड नहीं ही होता है .. ..लोगों के चित में शांति है ,आचार व्यवहार में शांति है...सहिष्णुता है ...मन में शांति है। मैं तो सम्यक धर्म सम्यक साथ को ही एक ही  मानता हूँ ..क्योंकि अच्छें जन अच्छें विचार ..." 
मैं कई एक इसाईओं से इंटरव्यू के सिलसिले में मिला हूँ। उनके साथ बातें की हैं। 
मैं देख रहा था आपके बढ़ते हुए कदम थोड़े सुस्त थे। मैं जानता हूँ आप पहाड़ी है आप तेज चल सकती थी ,लेकिन आप धीरे ही चल रही थी क्योंकि मेरे कदम धीरे थे ..और आपको मेरी जिंदगी में हर क्षण का  साथ जो निभाना था... । 
आप भली भांति जानती है कि मैं मैदानी इलाके से हूँ ,मैं इतना तेज़ नहीं चल सकता ..सांसे फूलने लगेंगी। इसलिए धीरे धीरे बाजू में  चलते हुए आप ने मेरी बाहें पकड़ रखी थी। ..कितना ख़्याल और असीम लगाव रखती हैं आप....हमारे लिए... 
इसलिए मैंने भी तो एक कसम उठाई हैं कि इस जीवन में अपने जीते जी आपको कोई तक़लीफ़ नहीं होने दूंगा ..आपकी इच्छाएं ही मेरा धर्म मेरा ईमान होंगी .. ऐसी मेरी कोशिश होगी। 
हम चर्च पहुँच चुके थे। आज के दिन दरवाज़ा कुछ पहले ही खुल गया था। हल्की भीड़ भी वहां थी। हमने कैंडिल का पैकेट्स पहले ही रख लिया था। 
प्रेयर का समय अभी नहीं हुआ था। कुछ बच्चें आनंदित होकर आपस में ही केरोल गा रहें थे। दूर कहीं उपर से ही जिंगल बेल ..जिंगल बेल का अपना दीर्घ परिचित केरोल सुनाई दे रहा था .. 
हम दोनों चर्च के भीतर बीच वाली बेंच पर बैठ गए थे एक दूसरे के करीब..आपने तब भी मेरा हाथ नहीं छोड़ा था...लगातार मोबाइल में बज रहें रिंग टोन्स से यह प्रतीत हो रहा था क्रिसमस के मैसेज हम तक आ रहें थे। हमारे मध्य मौन पसरा हुआ था। 
हमने लाई हुई अपनी कैंडिलें जला ली थी..इसे सैंड ट्रे में रख दिया था। वहां और भी मोमबत्तियां पहले से जल रही थी। किसी ने जलाई होगी। जब मैं मोमबत्तियां जला रहा था तो आपने अपनी उंगलियों से मेरे हांथों को स्पर्श कर रखा था..
मैंने जब पूछा आप भी एक कैंडिल जला लो तो प्रत्युत्तर में आपने कहा था .." देख लीजिए ...आपके साथ ही तो जला रही हूँ..". यह कहते हुए दिखलाने के लिए आपने मेरी हाथों को ज़ोर से दवा दिया था। 
आप  कह रही थी , "..मैं अपने आपके हर धरम करम में आपके साथ हूँ ..मैं प्रभु से प्रार्थना करती हूँ कि हर जन्म में मुझे आपका साथ ही मिले .. बस मुझे और कुछ नहीं चाहिए..आप होंगे ..तो आपके सम्यक साथ से मेरा जीवन ऐसे ही कष्ट मुक्त और प्रकाश मय हो जाएगा। ...होगा न ..?..आप ही मेरे धरम है आप ही मेरे करम .., सुन रहें है न ? ..."
मैं नजरें उठा कर कभी कभी आपको ही देख ही रहा था। पलकें  उठा कर एक बार भगवान की तरफ़ भी मैंने देखा जैसे पूछना चाह रहा था  ..." हे भगवान ! जीवन क्या है ..धर्म क्या है ..समझायेंगे ? स्वयं का धर्म क्या होना चाहिए ..? "
जवाब भी अपने साथ अपने अन्तःमन में ही था ..सब के साथ प्रेम पूर्ण ,सहनशील व्यवहार ही तो जीवन का सार है। क्या यहीं प्यार है ..किसी की इच्छा पर समर्पित होना ..उसका ख्याल रखना ..किसी को चोट नहीं पहुँचाना ही तो हमारा सर्वश्रेष्ठ मानव धर्म होना चाहिए न। "
चीफ प्रीस्ट वहां पहुंच चुके थे। प्रेयर की घड़ी समीप थी। थोड़े ही समय में प्रेयर शुरू भी हो गया था । मुख्य प्रार्थना सभा में शामिल होने के बाद हमने रोटी का एक टुकड़ा ,चैलिस में रखे वाइन जैसे तरल पदार्थ की कुछेक बुँदें प्रसाद के रूप में ग्रहण की और बाहर निकल आए। 
बाहर धुप अच्छी खिली हुई थी। आप चाय कॉफी की शौक़ीन हैं मैं यह जानता था। यह सोच कर हम मॉल रोड पर लगने वाले टी स्टॉल की तरफ बढ़े थे। सच कहें तो यह शौक भी आपको मेरी बजह से ही लगा था। अब तो आप बेहतर चाय और कॉफ़ी भी बनाना जान गयी थी। 
यह भी सच है कि आपके हाथों की बनी चाय और कॉफ़ी का कोई जवाब नहीं। इलायची,आदि वाली थोड़ी दूध ..थोड़ी ज्यादा शक्कर वाली चाय ..मेरी कमजोरी रही है। इसके साथ ब्रिटानिया का ब्रिस्क बिस्किट्स मिल जाए तो क्या कहना ? आप इस सन्दर्भ में मेरी पसंद का बहुत ख्याल भी रखती हैं यह भी मैं जानता हूँ।  
मेरे लिए आपके हाथों की बनी चाय और कॉफ़ी पीना अमृत के सामान ही हैं न..?  दिव्य प्रसाद जैसा। ..पास के स्टॉल से हमने दो कॉफ़ी की प्याली ले ली थी और साथ में ब्रिटानिया ब्रिस्क बिस्किट्स का एक पैकेट भी। थोड़ी दूर चलते हुए अपर मॉल रोड में रखी बेंच पर बड़ी इत्मीनान के साथ बैठ गए थे ..हमदोनों ..और कॉफ़ी की चुस्कियां लेने लगे थे। 
हमारे सामने झील थी। दायी तरफ थोड़ी दूर हटकर गवर्नर वोट हाउस क्लब था। झील में एक दो पाल वाली नौकाएं तिरती हुई दिख रही थी। लोअर मॉल रोड पर गाड़ियों की आवाजाही बढ़ गयी थी। पर्यटक नए साल मनाने चले आ रहें थे। 
घर वापस लौटते हुए हमने चॉकलेट्स, स्वीट्स, गिफ्ट्स और कैंडिल्स की खरीददारी भी की क्योंकि आपने अपने बंगले पर शाम को क्रिसमस सेलेब्रेशन को लेकर जान पहचान वाले बच्चों को बुलाया भी था।
शायद एक छोटा सा इवेंट होना था यही कोई शाम के ६ -७ बजे। इसकी तैयारी भी करनी थी। पैदल चलते हुए हमें लगभग दो घंटे लग ही गए थे १२ - १ बजे तक़ हम अपने बंगले में थे।

नैनीताल लोअर और अपर मॉल रोड में क्रिसमस की भीड़ : फोटो :  डॉ.सुनीता ' शक्ति ' प्रिया. 

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गतांक से आगे : ५ .
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बंगले में क्रिसमस की  शाम 


क्रिसमस की रौनक नैनीताल में   : फोटो : 
:  डॉ.सुनीता ' शक्ति ' प्रिया.

शाम के ६ - ७ बजे से थोड़ा  पहले बच्चें आने लगे थे। आस पास तल्ली ताल शेरवुड के ही बच्चें थे। उनकी उम्र यहीं कोई १२ से १३ साल के मध्य ही रही होगी। ठीक शिशु ईशु के सामने केक सजा दिया गया था। 
मेरी सोच के हिसाब से जन्मदिन के उपलक्ष्य पर कैंडिल जलाई गयी क्योंकि मैं फूंक कर कैंडिल को बुझाने में विश्वास नहीं करता हूँ। इसलिए आपने मेरी इच्छा अनुसार किसी छोटी बच्ची श्रुति सलोनी से कैंडिल जलवाया। जैसे ही कैंडिल जली पीछे से क्रिसमस केरोल की ट्यून चला दी गई। बच्चें एक्शन्स में आ गए थे। 
जिंगल बेल .. जिंगल बेल जिंगल आल दे वे की मधुर ध्वनि कानों में गूंजने लगी थी। कुछेक बच्चों ने जमीन पर रखें रंग बिरंगे गुब्बारें को हवा में तिरा दिया था । जो भी आपने बच्चों को अपने एक्शन्स में स्टेप्स बतलाया था,सिखलाया था  वे किसी माहिर लिटिल चैम्प्स की तरह अनुकरण कर रहें थे। क्रिसमस केरोल पर उन्होंने बेहतर स्टेप्स ,एक्शन्स के साथ मन को भाने वाला डांस दिखलाया। 
आपने फिर बड़े सलीके से केक काट कर उसे ट्रे में सजा दिया था। एक अलग ट्रे में बिस्किट्स ,कुकीज़ और चॉकलेट्स भी रखे हुए थे। फिर आपने उनके गिफ्ट्स के लिए पेंसिल बॉक्स में उनके लिए उपयोगी कलर पेन्सिल , रबर ,कटर का भी इन्तजाम कर रखा था। 
बच्चों ने आओ तुम्हें चाँद पर ले जाए फ़िल्मी गाने पर अच्छा मूवमेंट्स भी दिखाया जिसमें उनके साथ आपने मुझे भी अपने स्टेप्स में शरीक कर ही लिया था। म्यूजिक धुन बदल रही थी।
एकाध घंटे की मस्ती के बाद उन्हें मैगी नूडल्स परोसा गया। बच्चों की इस अंतहीन खुशी में ही हम दोनों की ख़ुशी थी। 
मैं कह सकता हूँ कि मुझे आप पर गर्व हैं। आप जहीन हैं ,दूरदर्शी हैं,सहनशील, कर्मठ ,संयमित और न जाने सब कुछ है। इसलिए तो मैंने आपके समक्ष ऐसी अभिलाषा रखी है, वसीयत किया हैं कि मेरे सामने मेरे रहते मेरे सपनें  मीडिया संभाग, मेरे ब्लॉग ,मेरे चैनल  को आप संभाले। आप इतनी सक्षम भी है कि आप किसी भी दायित्व को भली भांति निभा सकती हैं। 
मैंने शायद आपको कभी कहा भी था ,याद है न अनु ! मेरे दो ही सपनें हैं। एक कि मैं दुनियाँ का सबसे बड़ा प्रोफेशनल ब्लॉगर हो जाऊं। मेरे यूट्यूब चैनल की लोकप्रियता पूरे समस्त जगत में हो। मैं इस सन्दर्भ में मैं आपसे अक्सर ये बातें करता रहता हूँ। 
और दूसरा नैनीताल में  एक छोटा सा घर हो। इन दोनों सपनों की तामीर की जवाबदेही मैं आपको सौपता हूँ। यह भी मैंने पूरे होशोहवास में ही आपसे कहा था। और आपने बड़ी शांति से सुन लिया था। 
कितनी अजीब है कि कभी कभी अपनी जिंदगी में कुछ अनचाहे काम भी करने पड़ जाते है। आपके ख्यालात मीडिया, मीडिया पर्सन को लेकर अच्छे नहीं हैं शायद इसलिए कि आप झूठ ,फरेब ,गॉसिप से दूर रहने वाली हैं शख़्सियत हैं और आपकी नजरों में हम मीडिया पर्सन झूठ ,फरेब ,गॉसिप से ही अपना काम चलाते हैं। 
लेकिन अपनी तरफ से आपकी तस्दीक के लिए मैं इतना ही कहूंगा सब मीडिया पर्सन वैसे नहीं होते...जैसा आपने सोच रखा है। फिर मैं तो फ़ीचर सेक्शन यथा फोटो ,कहानी ,कविता ,यात्रा वृतांत,संस्मरण ,आलेख से जुड़ा हुआ हूँ जो हमारी भावनाओं , संबेदनाओं से जुड़ी होती है। और में लोगों की मात्र खुशी के लिए लिखता हूँ और लिखता रहूँगा यहीं मेरी ईमानदार कोशिश होगी ...
मैं अपने ख्यालों में था उधर बच्चों का क्रिसमस सेलेब्रेशन जारी था।  
रात्रि के नौ बजने जा रहें थे। बच्चों को विदा करने का भी वक़्त आ चुका था। आपने ड्राइवर को आदेश दिया कि बच्चों को उनके घरों तक छोड़ दे। इसके पहले बच्चें जाए आपने सभी को एक एक पेंसिल बॉक्स गिफ्ट में दिया था। 
जाते समय बच्चों के भाव से भरे शब्द ' थैंक यू आंटी ..आई लव यू आंटी ..में कभी न अटने समाने वाली ख़ुशी थी जो हमारी मधुर स्मृतिओं की धरोहर थी। जिसे हम कदाचित कभी न भूला पाए...।  
उन तस्वीरों को हम दोनों आज तक नहीं भुला पाए हैं ... इति शुभ.  

स्तंभ संपादन : सज्जा. शक्ति मीना सिंह 
नैनीताल डेस्क.
डॉ. सुनीता सीमा ' शक्ति ' प्रिया 



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१८८६. मुन्नालाल महेश लाल आर्य एंड संस ज्वेलर्स. पटना रांची रोड. बिहार शरीफ. समर्थित.
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ये मेरा गीत : जीवन  संगीत : कल भी कोई दोहराएगा : पृष्ठ : ६.
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नैनीताल डेस्क. 
संपादन 


शक्ति. डॉ. सुनीता मीना प्रिया.   
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 सर्वकालिक : मेरी पसंद. 
डॉ. सुनीता  ' शक्ति ' प्रिया अनुभूति. 
ये मेरा गीत : जीवन  संगीत : कल भी कोई दोहराएगा 
साभार
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फ़िल्म : प्रोफेसर. १९६२. 
सितारे : शम्मी कपूर. कल्पना. 
गाना : आवाज़ दे के हमें तुम बुलाओ 
मोहब्बत में इतना न हमको सताओ 
गीत : शकील बदायूनी. संगीत : शंकर जय किशन  गायक : लता. रफ़ी.

 
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.

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क्रिसमस. विशेष संगीत.  


फिल्म : जख्मी. १९७५ .
सितारें : सुनील दत्तआशा पारेख.राकेश रोशन. 
गाना : आओ तुम्हें चाँद पर ले जाए  . 
गीत : गौहर कानपुरी . संगीत :बप्पी लहरी . गायक : लता ,सुषमा श्रेष्ठ . 
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.
फिल्म : रात और दिन
सितारे : प्रदीप कुमार नरगिस दत्त फिरोज खान
गाना : दिल की गिरह खोल दो
चुप न बैठो कोई गीत गाओ.


गीत : शैलेन्द्र. संगीत : शंकर जयकिशन. गायक : मन्ना डे. लता
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.

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फिल्म : इम्तिहान. १९७४
सितारे : तनूजा. विनोद खन्ना. बिंदु
गाना : रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
गीत : मजरूह सुल्तान पुरी. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायक : किशोर कुमार.



गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.


फ़िल्म : तुम्हारी कसम. १९७८.
सितारे : नवीन निश्चल. पद्मिनी कपिला.
गाना : हम दोनों मिल के कागज़ पे दिल के
चिट्ठी लिखेंगे जवाब आएगा
गीत : आनंद बख्शी. संगीत : राजेश रोशन. गायक : मुकेश. आशा भोसले.


गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.


फ़िल्म : दिल ने फिर याद किया. १९६६  
सितारे : धर्मेंद्र. नूतन. रहमान. 
गाना :  दिल ने फिर याद किया 
बर्फ़ सी लहर आयी हैं
गीत : जी एस रावेल संगीत : सोनिक ओमी.
गायक : रफ़ी. सुमन कल्याणपुरी. मुकेश.



गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 

फिल्म : मदर इंडिया. १९५७. 
सितारे : राज कुमार. नरगिस.सुनील दत्त  
गाना : दुनियाँ में हम आए है तो जीना ही पड़ेगा.
जीवन हैं अगर ज़हर तो पीना ही पड़ेगा  


गीत : शकील बदायूंनी. संगीत : नौशाद गायिका : लता. उषा मंगेशकर. मीना. 
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं
 
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फ़िल्म : पगला कहीं का.१९७०. 
सितारे : शम्मी कपूर आशा पारेख 
गाना : तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे.
 

गीत : हसरत जयपुरी. संगीत : शंकर जयकिशन. गायिका : लता. 
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 

फिल्म : सीमा. १९७१.
सितारे : कबीर बेदी. सिम्मी ग्रेवाल. राकेश रौशन. 
गाना : जब भी ये दिल उदास होता है. 


गीत : गुलज़ार. संगीत : शंकर जयकिशन. गायक : रफ़ी. शारदा. 
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 


फ़िल्म : संयोग. १९६१. 
सितारे : अनीता गुहा. प्रदीप कुमार 
गाना : लो भूली दास्ताँ लो फिर याद आ गयी.

 
गीत : राजेंद्र कृष्ण. संगीत : मदन मोहन. गायिका : लता. 
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं  


फिल्म : कभी कभी.१९७६. 
सितारे : अमिताभ बच्चन. राखी. शशि कपूर.
गाना : कभी कभी मेरे दिल में ख़्याल आता है 
कि जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिए 



गीत : साहिर लुधयानवी. संगीत : ख़य्याम गायक : मुकेश.
 गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं  


ये मेरा गीत : जीवन  संगीत : साभार 
फिल्म : कभी कभी.१९७६. 
सितारे : अमिताभ बच्चन. राखी. शशि कपूर.
गाना : मैं पल दो पल का शायर हूँ पल दो मेरी कहानी है 
पल दो मेरी हस्ती है पल दो पल मेरी जुबानी है.


  
गीत : साहिर लुधयानवी. संगीत : ख़य्याम गायक : मुकेश. 
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं  


फ़िल्म : सफ़र. १९७०.
सितारे : राजेश खन्ना. शर्मीला टैगोर. फिरोज खान. 
गाना : नदियाँ चले चले रे धारा 
तुझको चलना ही होगा 
गीत : इंदीवर संगीत : कल्याण जी आनंद जी  गायक : मन्ना डे. 


गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं  
ए एंड एम मीडिया. शिमला डेस्क. प्रस्तुति
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शक्ति. डॉ. ममता कौशाम्बी : ममता हॉस्पिटल : बिहार शरीफ. समर्थित. 
--------------
मैं पल दो पल का शायर हूँ : फ़िल्मी कोलाज : पृष्ठ : ७ 
------------
शिमला डेस्क. 
संपादन.

 

शक्ति : वनिता अनुभूति स्मिता.

मैं सांसों की हर साँस में बस रहा हूँ आवाज़ दे के हमें तुम बुलाओ : डॉ.सुनीता ' शक्ति ' प्रिया.
हमदोनों मिल के कागज़ पर दिल के चिट्ठी लिखेंगे : कोलाज. डॉ.सुनीता ' शक्ति ' प्रिया.
साथी न कारवां है ये तेरा इम्तिहां है, रुक जाना नहीं तू कहीं हार के:कोलाज. डॉ.सुनीता शक्ति प्रिया.
दिल ने फिर याद किया बर्फ़ सी लहर आयी हैं : कोलाज. डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया.
मेरी खामोशियों को समझो तुम जिंदगी याद में गुजारी हैं : कोलाज. डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया.  
जाने कौन आस पास होता हैं जब भी ये दिल उदास होता हैं : कोलाज. डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया.  
लो भूली दास्ताँ वो अब याद आ गयी कोलाज. डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया. 
तू अब से पहले सितारों में बस रही थी कहीं तुझे जमीन पर... कोलाज. डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया. 
मैं पल दो पल का शायर हूँ पल दो पल मेरी कहानी है : कोलाज. डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया.


जिंदगी का सफ़र ये है कैसा सफ़र कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं : कोलाज. डॉ. सुनीता शक्ति प्रिया.



------------- : ये कौन चित्रकार है : कला दीर्घा : पृष्ठ : ९ ------------- शिमला डेस्क. संपादन

शक्ति. जया अनुभूति रश्मि.


प्रेम न बारी उपजे, प्रेम न हाट बिकाए : कलाकृति : अज्ञात 

शक्ति ' रूपेण संस्थिता : लोक कला : ऐप्पन : उत्तराखंड : दीप्ती बोरा : नैनीताल

उत्तराखंड की लोक कलाकृति : गणपति : ऐप्पन : शक्ति : दीप्ती बोरा : नैनीताल 


कहीं दूर जब दिन ढल जाए सांझ की दुल्हन बदन चुराए : कलाकृति : अज्ञात


जाह्नवी ऑय केयर रिसर्च सेंटर : बिहार शरीफ़. नालन्दा. डॉ. अजय समर्थित 
----------------
जिंदगी का सफर कोई समझा नहीं  : संक्षिप्त : समाचार : लघु फिल्में : पृष्ठ : १० . 
----------
हस्तिनापुर. 
इन्द्रप्रस्ठ  डेस्क. नई दिल्ली. 
संपादन.


 

शक्ति. सोनी शवनम सुमन .
इन्द्रप्रस्ठ डेस्क. नई दिल्ली 

 

शॉर्ट रील : साभार : शिमला : क्रिसमस सेलेब्रेशन 


शॉर्ट रील : हुस्न पहाड़ों का : शिमला की बर्फ़बारी 



शक्ति :  दीप्ती बोरा :बात क्या हैं पता कुछ नहीं हैं 


शक्ति :  दीप्ती बोरा : नैनीताल : १८  दिसंबर. 


साभार : शुभश्री. कोलकोता .कहीं ये वो तो नहीं. 


दृश्यम : मेरे प्यार भरे सपने कहीं कोई न छीन लें 


साभार : जिंदगी का सफर : शिमला.


साभार : लघु फिल्में : जो देती हैं सदाएं वो हवाएं


संक्षिप्त : यात्रा लघु फिल्म : चार रास्तें जहाँ ले चले 

साभार : फेस बुक : चाय : चुस्की : यादें और मधुर बातें. 


नैनीताल : सफ़र : दृश्यम : साभार : इंस्टा ग्राम.


नैनीताल : बिछड़ गए तो ये दिल उम्र भर लगेगा नहीं
 


 जो साथ चले उसे साथ लेते चलो.....

--------
समाचार : चित्र : विशेष : दृश्य माध्यम : न्यूज़ शॉर्ट रील : पृष्ठ : ११.
----------
नैनीताल डेस्क
सम्पादित.

शक्ति. बीना शालिनी स्मिता.

राजगीर महोत्सव. २०२४.  
जुबिन नौटियाल : मेरे घर  राम आए हैं : १ 


जुबिन नौटियाल : मेरे घर  राम आए हैं : २ 


लेटस इन्स्पायर ' बिहार '
श्री विकास वैभव :भा.पु.से.
फिर से गौरव शाली और समृद्ध बिहार बनाए : २०४७

मैं बदलूँगा बिहार : विकास वैभव :
भा.पु.से.


साभार : ओम पर्वत पर होने लगे ओम के दर्शन

नैनीताल : शॉर्ट फिल्म : फैजान अली.
-----------
आने वाला कल जाने वाला है : वर्ष : २०२४ : फोटो दीर्घा : विशेष : कल : पृष्ठ : १२.
-----------
पदमावत. डेस्क.जयपुर
संपादन.
 


शक्ति. ज्योति तूलिका विदिशा.


शांता, रेन्डियर, स्लेज,स्नो, क्रिसमस, बचपन : सपने और मेरे अपने, सम्पादित:डॉ सुनीता शक्ति प्रिया.   


यादें न जाए बीते दिनों की : शिमला :  रिज : पहाड़ियां : और क्रिसमस : फोटो : डॉ.सुनीता शक्ति प्रिया  

शिमला रिज : क्रिसमस के पहले : फोटो : मनोज ठाकुर  : शिमला.
मुक्तेश्वर : नैनीताल में जाड़े की पहली बर्फ़ बारी  : फोटो : शक्ति : मीना सिंह. 
 तुलिप  गार्डेन की खूबसूरती  : शक्ति अविधा : अमेरिका.
रात के हमसफ़र हो किधर को चले : सिडनी हार्बर : फोटो : शक्ति : स्वाति आनंद ऑस्ट्रेलिया. 
 
हारबर ब्रिज सिडनी : ऑस्ट्रेलिया का मनोरम दृश्य : फोटो : शक्ति : स्वाति आनंद. ऑस्ट्रेलिया.


एम. एस. मीडिया. प्रस्तुति
------------
चलते चलते : आपकी फरमाइश : आपने कहा : शुभ कामनाएं : पृष्ठ : १३
------------
देव भूमि डेस्क. हिमाचल.
नैनीताल शिमला.
सम्पादित.
 


शक्ति. डॉ. सुनीता अनुभूति प्रिया.
--------------
आपने कहा : लो भूली दास्ताँ फिर याद आ गयी : पृष्ठ : १३.
-----------
शॉर्ट रील.
शॉर्ट रील : इंस्टा ग्राम : साभार : ख़ुशी : उत्तराखंड.

ऐसा न हो काश कभी प्यार में वादें टूटे तो



तेरी बिंदियाँ रे हाय हाय तेरी बिंदियाँ रे


दिल ने दिल से क्या कहा क्या पता


चलते चलते मुझे कोई मिल गया था

सपनों में खो गयी : तेरे कारण तेरे कारण
तेरे कारण मेरे साजन.


शॉर्ट रील : ये शमा शमा हैं इंतिजार का


चला भी आ : ओ जाने वाले आ जा तेरी याद सताए


दिल अपना और प्रीत परायी

ख़ुशी : उत्तराखंड : मेरे महबूब में क्या नहीं.
जिंदगी की ' दास्ताँ ' चाहे कितनी हो हसीन
शॉर्ट रील : बहुत न तरसाना तुम लौट के आ जाना. 
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शॉर्ट रील : फेस बुक : साभार : पारुल : लखनऊ.

कभी बोले मैं कभी बोले तूँ : पारुल

पारुल : लखनऊ : अजी की गल है कोई नहीं
-------------- 

----------
मुझे भी कुछ कहना है : चलते चलते : पृष्ठ : १३
-----------------

सम्पादित : शक्ति. डॉ. सुनीता ' शक्ति ' प्रिया.
नैनीताल डेस्क.


निर्मला सिन्हा.
मातृ शक्ति
महापरि निर्वाण दिवस.

स्मृति : १५.१२.२४

--------
मुझे भी कुछ कहना है. शॉर्ट रील : पृष्ठ : १३
-----------

सम्पादित : शक्ति. डॉ. सुनीता ' शक्ति ' प्रिया.
नैनीताल डेस्क.


प्रिया : नेपाल : ये दिल और उनकी निगाहों के साए : शॉर्ट रील.  
-----------
शॉर्ट रील : साभार : युगल : समीर दीपाली 

रहें न रहें हम महका करेंगे बन के सबा बागे वफ़ा में


देखते देखते यह साल भी गुजर गया. 


------------
मुझे भी कुछ कहना है : दृश्यम  : पृष्ठ : १३.
------------

सम्पादित : शक्ति. डॉ. सुनीता ' शक्ति ' प्रिया.
नैनीताल डेस्क.


एक ' नजर '.
तेरी खुद की ' तस्वीर ' में जो शोख ' रंग ' भरा हैं मैंने
इस बाबत मुझसे पूछ कर बस देखा है तुम्हें ' एक नज़र ' सब ने

@ डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया.

--------
अज्ञात : वो जिंदगी ही क्या जो छाँव छाँव चली.

------------
मुझे भी कुछ कहना है : दिल की गिरह खोल दो : चुप न बैठो : पृष्ठ : १३.
------------
शिमला डेस्क.
सम्पादित
डॉ. सुनीता सीमा ' शक्ति ' अनुभूति.

जानने और समझने में ,

बहुत ' फर्क ' होता है किसी को जानने और समझने में ,
जानता वो है जो ' पास ' होता है और समझता वो है जो ' खास ' होता है ।।
शिकायतें
जिंदगी की आधी शिकायतें ऐसे ही दूर हो जाये, अगर लोग एक दूसरे के बारे में बोलने की जगह, एक दूसरे से बोलना सीख जाएं।
ग़लतफहमी.
गलतफ़हमी का ' अहसास ' तो तब हुआ
जब हमने कहा , " रुको ,मत जाओ
और वो समझे , " रुको मत, जाओ
गुलज़ार
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चलते चलते : पृष्ठ : १३ :
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सम्पादित
डॉ सुनीता ' शक्ति ' अनीता सीमा.

संघर्ष ' परिस्थितियाँ '

जीवन में कुछ ' परिस्थितियाँ ' ऐसी भी होती हैं जिसे झेलने के अलावा और कोई रास्ता नहीं होता ….
यहीं अपने साथ हो तो ' जीवन संघर्ष ' का आनंद ही कुछ और हो

बचपन से ' सच ' बोलना सभी सिखाते हैं, लेकिन सच सुनना कोई नहीं सिखाता है.
सीखेंगे यदि हम सच को ' संजीदगी ' से कुशल प्रवक्ता की तरह
संयमित हो कर संयमित वाणी में बोले
' सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात्, न ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम्.

' राम ' को समझो ' कृष्ण ' को जानो
 


 ' ख्याल '
' सवाल  ' करने वाले तो बहुत मिलते हैं , लेकिन...... 
बिना ' सवाल ' किये ' ख्याल ' रखने वाले नसीब से मिलते हैं

' समय ' से भी ज्यादा ' महंगी ' ' भावनाएं ' होती हैं, जो आपको ' समझे ' उसी पर समय ' खर्च ' करिए


अपनेपन.

वैसे तो ' जिंदगी ' में ' आवाज ' देनेवाले ढेरों मिल जायेंगें 
लेकिन बैठिए वहीं जहाँ ' अपनेपन ' का अहसास हो ।।


जीत हार : अस्त्र शस्त्र

शब्दों से मैंने ' दुनियाँ ' जीतते हुए देखी हैं 
और सब कुछ ' हारते ' हुए भी मैंने यहीं देखा हैं 
इसलिए शब्द ही आपके ' अस्त्र शस्त्र ' हैं 
ध्यान से इसे ' प्रयोग  ' में लाए 


ख़ुदा गवाह 

जीवन में कुछ ' कार्य ' और कुछ ' नेकियाँ  '
ऐसी भी करनी चाहिए,
जिसका ' खुद ' के सिवा कोई दूसरा ' गवाह ' ना हो.

जब व्यक्ति की ' निष्ठा ' अटल होती है,
तब नियति भी उसकी ' सफलता ' निश्चित करती है.


चले ही जाना था नज़र चुरा के यूँ 
फिर थामी थी तुमने मेरी कलाई क्यों  

रोक लो रूठ कर उन्हें जाने न दो.



---------
Editorial : English : Page : 0 
-----------
Chief Editor.
Ujjain Desk .MP.


Shakti : Prof. Dr. Roop Kala Prasad.
Department of English.
Shakti : Prof. Dr. Bhwana
Department of S. Sc.
Shakti : Tanu Shree.
--------
Executive Editor. English
Nainital Desk.


Dr.Sunita ' Shakti ' Priya.
--------
Assistant. Executive Editor
--------------

Nainital Desk.
Shakti. Madhvee Seema.
-----------
Blog Magzine
Chief Patron.

Shree Vikash Vaibhav
IPS

Exclusive Visitor of the page
Shree Deepak Rawat Commissioner Uttarakhand
Shakti Vandana Singh. IAS. Uttarakhand
Shree Pankaj Bhatt. IPS. Uttrakhand.
Shree Vikash Vaibhav.IPS. Bihar.

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Tri Shakti : Theme English : Page : 2
-------------

Editor.
 Dr.Sunita ' Shakti ' Seema  Anita. 

Times Media presenting 
---------
Cartoon of the Day : Trishakti : Mahalaxmi : Theme : Page : 2 / 1.
-----------
Mahalaxmi Desk / Kolkotta. 
Editing.
Shakti Seema.
 

Seen : Somewhere. 
you have approached the right city, gentleman ! 
....the city of adventure...
don't you feel travelling by our city road is 
full of thrilling  adventures..



M S Media presenting 
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 Photo of the Day : Trishakti : Mahashakti : Theme : Page : 2 /.2
----------
Mahashakti Desk : Nainital
   Editing : Dr.Sunita ' Shakti '.Priya.

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Art  of the Day : Trishakti : Mahasaraswati : Theme : Page : 2 /.3
----------
Narmada Desk : Jabbalpur.
   Editing :  ' Shakti '.Anita.


hoppes never die whenever our life exists till the last breathe: art :Shakti Sushmita. Shimla
With lots of reverence & respect.
I pay my sincere, deep, and heartfelt regards to my all Divine Shaktis , exclusively my ' Atmashakti ' as Trishaktis : ' Mahalakshmi' , ' Mahashakti ' & ' Mahasaraswati '
throughout life whose blessings and caring I need..

Times Media :
Desk : Kolkotta.
Editor.
Shakti Seema ' Shakti ' Anita.

presenting.
---------
News Gallery : Reels : English : Page : 3
----------
Dav Children enjoying Christmas Day on 24 th of December.
News : Report : Dr.Sunita Seema ' Shakti ' Anita.
.

Jingle Bell Jingle Bell : Video Clips : Shakti Sudipta. 

Nalanda / ER / As usually the school closes on 25th of December that is why the school kids share their secular feelings by celebrating the Christmas on 24th of December in the Dav schools..
On that very day It witnesses the day when a man like messiah takes birth like a rising star on the earth for the sake of humanity. He shows his extreme tolerance and forgiveness for
the oppressors whom he met in his life.
Celebration : Christmas Day is a time to gather with loved ones and friends, exchange gifts, enjoy delicious food, and create cherished memories together. Every year, people celebrate Christmas by decorating their homes, organising festive activities in schools, setting up Christmas trees, and preparing delectable dishes to share with one another.
On Christmas Eve, families often hang red stockings, sing Christmas carols, and leave out milk and cookies near the fireplace or by the Christmas tree, hoping for Santa Claus to arrive and shower them with gifts and blessings. Read further for a Christmas Day essay in English and to understand the significance of Christmas Day.


Jingle Bell Jingle Bell : What fun it is to ride and sing : collage : Dr.Sunita Shakti Priya.

Morning Celebration : By this early morning, the Dav school was filled with holiday cheer on the eve of Christmas day, when the primary wing held a Christmas Masquerade on the school stage on the occasion of Merry Christmas Day one day before.
Really It was a day full of fun and pleasure with a lovely gesture of Santa when small kids of S P Arya, PG Campus ,Biharsharif , and other Dav schools also participated and enjoyed themselves in the Masquerade Parade.
Many of the school kids atired themselves as Shanta were alluring the public in the morning assembly.
Kids were excited to share that the Christmas celebrations at SP Arya DAV Public School were filled with joy and creativity. Students showcased their Christmas festive spirit through the beautiful decorative Christmas trees, stars , themed crafts, and joyful dances.
Under the guidance of their choreographer teachers as Shakti Anwesha , Alpana Preeti and Anita they stepped over the dias and danced on the recorded Christmas songs jingle bell jingle bell.
The teacher , kids spectators were spellbound at the thrilling sight and at end, they could not held their applause in appreciation.



MD / Times Media :
Desk : Kolkotta.
Shakti Seema Shakti Anita

Desk : Nainital.
MD / MS Media : Shakti : Dr.Sunita ' Shakti ' Priya.

Desk : Narmada : Jabbalpur.
MD / Pratham Media : Shakti Anita.


Desk : Shimla. New Delhi.
MD/ A& M Media : Shakti
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Photo  Gallery : Reels : English : Page : 3
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Nainital Desk.
Editor
Shakti Priya Seema Anita.
*
school kids going for the Christmas celebration : Shanta's Songs Jingle bells Jingle Bells 
Christmas enthusiasm among the Davian Kids : Photo : Dr.Sunita Shakti Priya. 
*

A & M Media Presents.
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You Said it : Wishes : Days : English : Page : 4
---------------
Shimla Desk.
Editor.
' Shakti '. Dr.Sunita Seema Anubhuti Priya.
----------
Peace, Love and Prosperity.


May our media family flourish 
With new changes, peace, love and prosperity.
May our media be blessed with the almighty’s blessings, 
Cherishing every moment with new people and their new knowledge.
May the journey to capture the new forum 
Being achieved with a great spirit and dedications.
May we all live a happy, healthy and joyous year ahead,

Shakti  Priya Sunita.  

Happy new year one and all.

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Wishes : Days : English : Page : 4
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Merry  Christmas Wishes 
with a heart touching GIF.


' Shakti ' Editors Group  and united ' Hum ' 
Media Family wishing you all a very Happy Merry Christmas 
and loveable Coming New Year 2025.


*
Christmas Carol : Jingle Bell Jingle Bell..
Times Media Presenting
It is better to be aloe than to 
be lost in the crowd.
 


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You Said it : English : Page : 4
---------------
Nainital Desk.
Editor. 


Shakti.Madhvee.
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Christmas Wishes 
Short Poem.

 Let us soar high and very high
.....Over why ?


Let us soar high and very high
Over why ?
Square and Fare   
In the open and  limitless sky,
With my beloved one 
By this Christmas O ! My Lord
For special someone
Without any restrictions 
With no stress and  fear
Let it be fair in divine love 
O ! My God 
O ! My God let us  
be under your stare.


Dr. Madhup. 
poem  : editing.decoration.  
Shakti.' Dr. Sunita Seema Priya.
Darjeeling
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स्वजनों से प्रतिकार का क्या औचित्य...युवराज ?
रण भूमि में बिखरे पड़ें खून के छीटें भी खून से नहीं 
पानी से ही साफ़ होंगे 

Comments

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