Ya Devi Sarvabhuteshu ' Shakti ' Rupen Sansthita : Navratri 2024.

 

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 Ye Devi Sarvabhuteshu 
Shakti Rupen Sansthita.
Culture Festival Navratri Special. 2024. 
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राधिका कृष्ण शक्ति. त्रिशक्ति.नव शक्ति. महा.शक्ति.प्रस्तुति.
सांस्कृतिक पत्रिका.
या देवी सर्व भूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता  : अंक : ५     
शक्ति संस्कृति दिवस  विशेषांक.    
महा.शक्ति.मीडिया.प्रेजेंटेशन@जीमेल.कॉम   
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  आवरण पृष्ठ : 

या देवी सर्व भूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः : आवरण : विदिशा.

फोर स्क्वायर होटल : रांची : समर्थित : आवरण पृष्ठ : विषय सूची : मार्स मिडिया ऐड : नई दिल्ली.

सम्पादकीय डेस्क
राधिका महा शक्ति. नैनीताल डेस्क.
मीरा महाशक्ति. नैनीताल डेस्क.
रुक्मणि महाशक्ति.नैनीताल डेस्क.
महा लक्ष्मी .कोलकोता डेस्क.
महाशक्ति. नैनीताल डेस्क.
महासरस्वती.नर्मदा डेस्क. जब्बलपुर
नव शक्ति. शिमला.डेस्क.
रानी पदमावत. जयपुर डेस्क.
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पत्रिका / अनुभाग.
' या देवी सर्वभूतेषु '

पत्रिका / अनुभाग.
ब्लॉग मैगज़ीन पेज के निर्माण सहयोग के लिए
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हार्दिक आभार प्रदर्शन : पृष्ठ : ०
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संपादन


शक्ति वनिता.
शिमला
संयोजिका / मीडिया हाउस
आपके लिए धन्यवाद ज्ञापन

निर्माण / संरक्षण के लिए


डॉ. सुनील कुमार सिन्हा
शिशु रोग विशेषज्ञ. ममता हॉस्पिटल.
बिहार शरीफ / नालंदा. समर्थित


विषय सूची : प्रारब्ध

या देवी सर्वभूतेषु.

आवरण पृष्ठ : ०
प्रारब्ध पृष्ठ : ०
तुम्हारे लिए : शब्द चित्र : पृष्ठ : ०
त्रिशक्ति : प्रस्तुति : पृष्ठ : १ / ०.
त्रिशक्ति : सम्यक वाणी : महालक्ष्मी : मुझे भी कुछ कहना है : पृष्ठ : १ /१
त्रिशक्ति : सम्यक दृष्टि : महाशक्ति : नैनीताल डेस्क : पृष्ठ : १ /२
त्योहार : आज विशेष : पृष्ठ : १ /६
आकाश दीप : पद्य संग्रह : सम्पादकीय : प्रस्तुति : पृष्ठ : ३.
तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : सम्पादकीय : प्रस्तुति : पृष्ठ : ५.
फ़िल्मी  कोलाज़ :  इतनी शक्ति हमें देना दाता :  शक्ति रूपेण संस्थिता : पृष्ठ : ७.
आपने कहा : दिवस : त्यौहार : विशेष :पृष्ठ : ८ .
शक्ति रूपेण : ये कौन चित्रकार है : कला दीर्घा : पृष्ठ : ९
समाचार : चित्र : विशेष : दृश्य माध्यम : न्यूज़ शॉर्ट रील : पृष्ठ : ११.
चलते चलते : शॉर्ट रील : दृश्यम : पृष्ठ : १३ / १.

या देवी सर्वभूतेषु. प्रारब्ध पृष्ठ : ०


गणपति वंदना : प्रारब्ध पृष्ठ : ०
सुबह सवेरे
मेरी श्रेष्ठ दिव्य आत्म ' शक्ति ' देव प्रस्तुति
गणपति वंदना : प्रथमतः
श्री गणेशाय नमः
वक्तुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥


विद्या पीठ पाठशाला. बिहार शरीफ. निदेशक. शिशुपाल. नालंदा समर्थित 
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शुभ ' देव  शक्ति ' आगमन विचार : तुम्हारे लिए : शब्द चित्र : पृष्ठ : ० / ०   
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नैना देवी डेस्क नैनीताल 
संपादन 

शक्ति डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया.

सीपिकाएँ 

शक्ति तेरे चपल चरण.

पड़ें धरा पर आज तेरे चपल चरण,
जो ' शक्ति '  मेरी जिंदगी में, 
 निहारती थी ' डगर ' तेरा, 
अधीर था यह  चंचल मन. 
 चिर प्रतीक्षित था तेरा ' आना ', 
स्वागत के लिए, 
आतुर थे कब से मेरे ' नयन '.  


शक्ति. डॉ सुनीता रंजीता प्रिया.


  देव ' शक्ति ' विचार. शब्द चित्र : पृष्ठ : ० / ० 

 अपनों के लिए न ' विद्वेष ' हो न  ' अहंकार ' हो न ' मिथ्या हठ ' हो 
सम्पूर्ण  ' सहन शक्ति ', और ' समझ शक्ति ' के साथ  मात्र तुम्हारी सद ' इच्छा  ' के लिए 
अपना सर्वस्व समस्त  ' जीवन ' समर्पित  हो यही ' आत्म शक्ति ' आलोकित  ' दिव्यअनंत प्रेम है  :


' शक्ति ' साथ 
निरर्थक  है  यदि  ' जीवन ' में  ' संघर्ष ' में न हो 
सार्थकता इस बात में है  कि संघर्ष में ' शिव - शक्तियों ' का ' साथ ' कभी न छूटे 
प्रसन्नता इस ' लक्ष्य ' में है कि हम साथ मिल कर भी  ' बुराईओं ' के विरुद्ध लड़ें 



देव ' शक्ति ' विचार.
⭐ 
स्मित ' हँसी ' 
' मुख ' मंडल पर फैली आपकी  स्मित ' हँसी '
' देव - शक्तियों ' के दिव्य ' हस्ताक्षर ' हैं,
उसे व्यर्थ की  अपनी ' पीड़ा ' से धुलने 
या अनावश्यक ' क्रोध ' 
से ' नष्ट ' न होने दें 


देव ' शक्ति ' विचार.
 
' सकारात्मकता ' 

जब कभी भी अपने ' जीवन ' में  'अमावस्या '  अपनों के लिए 
' नकारात्मक ' भाव आ जाए तो ' सकारात्मक ' होने के लिए 
अपने मधुर ' क्षणों ' को ' स्मृत ' करना जो तुमने उसके ' साथ ' बिताए हैं 

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राधिका कृष्ण मीरा : महा शक्ति : विचार धारा. पृष्ठ : ० / १.
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तुम्हारे लिए 
संपादन 
शक्ति डॉ. सुनीता रंजीता मीना .
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राधिकाकृष्ण : महाशक्ति : इस्कॉन डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / १ / ० :
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
संस्थापना वर्ष : १९७८. महीना : जुलाई : दिवस : ४.
संपादन
अनु ' राधा '

नैनीताल.
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राधिका कृष्ण : महाशक्ति : दिव्य दर्शन दृश्यम : विचार : पृष्ठ : ० / ० :
---------
शक्ति रूपेण संस्थिता
संपादन / अनुराधा / नैनीताल 


दिव्य ज्ञान दर्शन : राधिकाकृष्ण : देव शक्ति : शॉर्ट रील.
साभार

राधा : कृष्ण : रुक्मिणी
राधा कृष्ण की शक्ति थी


जो है मेरा सब है तेरा : राधिका कृष्ण

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रुक्मिणीकृष्ण : महाशक्ति : दृश्यम : विचार डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / २ .
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रुक्मिणी डेस्क.नैनीताल
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०.
संस्थापना वर्ष : १९९५. महीना : जनवरी : दिवस : ६.
संपादन.



शक्ति. डॉ. सुनीता सिन्हा .

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रुक्मिणीकृष्ण : महाशक्ति : दृश्यम : विचार डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / २ .
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गुरु ' गोविन्द ' दोनों खड़े. 
संपादन / डॉ. सुनीता  / नैनीताल
साभार
  कृष्ण दर्शन : जो मनुष्य शांत और एकाग्र रहें 


द्रौपदी : माधव आप तो भविष्य देख लेते है 
राधा जी ने क्यों मिटाई सभी की ' चेतना ' से 
' राधे कृष्ण ' के ' विवाह ' की ' स्मृतियाँ '


राधा : हर मंदिर में मेरे साथ ही तुम ' प्रेम वश ' नज़र आओगे 
द्वारिकाधीश से ज्यादा गोवर्धनधारी के रूप में ही जाने जाओगे 

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मीराकृष्ण : महाशक्ति डेस्क : मुक्तेश्वर : नैनीताल. पृष्ठ : ० / १ / ३ .
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मीरा डेस्क.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९८६.
संस्थापना वर्ष : १९८९. महीना : अक्टूबर : दिवस : ६ .
संपादन.



शक्ति. मीना सिंह
मुक्तेश्वर. नैनीताल. 
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मीराकृष्ण : मुक्तेश्वर डेस्क : दृश्यम : विचार : नैनीताल. पृष्ठ : ० / १ / ३
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मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोय 
संपादन / मीना सिंह / मुक्तेश्वर 
मीरा : ' गोविन्द ' बोलो ' हरि ' गोपाल बोलो.

कृष्ण दर्शन ' मन ' दर्पण


तोरा ' मन ' दर्पण कहलाए
' मन ' ही ईश्वर '
मन ' ही देवता
' मन ' से बड़ा न कोय
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मीराकृष्ण : मुक्तेश्वर डेस्क : शब्द : विचार : नैनीताल.
पृष्ठ : ० / १ / ३
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संपादन 

शक्ति. मीना सिंह  
मुक्तेश्वर 

मीरा हो गई मगन


अनंत प्रेम के लिए ' विश्वास ', ' धैर्य ', ' भाग्य '
व ' बलिदान ' का होना अति आवश्यक है

डॉ. ममता सुनील समर्थित ममता हॉस्पिटल समर्थित
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त्रि - शक्ति : प्रस्तुति : पृष्ठ : १ / ०. 
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महा लक्ष्मी : महा शक्ति : महासरस्वती 
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
संस्थापना वर्ष : १९७८. महीना : जुलाई . दिवस : ४.  
नैनीताल  डेस्क 


त्रि - शक्ति : दर्शन. 
संपादन.
शक्ति.


 शक्ति. सीमा ' रंजीता ' अनीता. 
 नैनीताल.डेस्क. 

सम्पादित 
  -----------
त्रिशक्ति : विचार : दृश्यम : पृष्ठ : १ / ०.
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त्रिशक्तियां ' लक्ष्मी ' ,' शक्ति ' और ' सरस्वती '

तीन पिंडियों रूप में : वैष्णो देवी कटरा के दर्शन
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त्रिशक्ति : शिक्षण : दृश्यम :  विचार : पृष्ठ : १ / ०.
---------
संपादन. त्रिशक्ति.
 

नवरात्रि की ' शक्ति ' की अनंत शुभकामनाएं. 
शक्ति वंदना हे ' गिरी नंदनी ' विश्व की ' स्वामिनी ' 


 प्रकृति : प्रेम 

प्रेम पूर्ण ' रिश्ते ' और ' मित्रता  ' निभाने के लिए 
झुकना कोई ' गलत ' बात नहीं है 
क्योंकि ' सूरज ' भी  तो उदित  ' चन्द्रमा ' की शीतलता  
के  लिए  ' अस्त ' हो जाता है  



आश्विन : कृष्ण पक्ष : अमावस्या : शुभ महालया
त्रि ' शक्तियों ' का ' नव शक्ति ' रूप में : आगमन
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त्रिशक्ति : सम्यक वाणी : महालक्ष्मी : मुझे भी कुछ कहना है : पृष्ठ : १ / १
--------------
महालक्ष्मी दर्शन.


प्रादुर्भाव वर्ष : १९७९.
महा लक्ष्मी : डेस्क : कोलकोता :
संस्थापना वर्ष : २००३. महीना : जून. दिवस : २.
-------------
संपादन.

' शक्ति ' सीमा सिंह.
कोलकोता डेस्क
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-----------
साभार : दृश्यम : विचार.पृष्ठ : १ / १.
------------
महालक्ष्मी डेस्क / कोलकोता
या देवी सर्वभूतेषु : शक्ति रूपेण संस्थिता
सम्पादित : शक्ति. सीमा सिंह.

महालक्ष्मी : जीवन दर्शन

' विनम्रता ' साधारण ' व्यक्ति ' को 
भी 'असाधारण '  ' भगवान ' बना देती है 


हरि दर्शन

तुम ' हरि ' को ढूंढ़ते हो यही ' ग़लती ' करते हो
तुम हरि में खो जाओ हरि तुम्हें स्वयं ' ढूंढ़ ' लेंगे




व्यवहार घर का शुभ ' कलश ' है,और ' इंसानियत ' घर की ' तिजोरी ' 
मधुर वाणी घर की ' धन दौलत ' है 
और ' शांति ' घर की ' महालक्ष्मी '
------------
त्रिशक्ति : सम्यक दृष्टि : महा शक्ति : नैनीताल डेस्क : पृष्ठ : १ / २.
----------
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
नैना देवी डेस्क / नैनीताल. 
संस्थापना वर्ष : १९९८. महीना : जुलाई. दिवस : ४.
संपादन. 


' शक्ति ' रंजीता.

शक्ति : दर्शन


सिंहवाहिनी ' शक्ति '
नैना देवी : नैनीताल डेस्क
-----------
साभार : दृश्यम : विचार.पृष्ठ : १ / २ .
------------
या देवी सर्वभूतेषु : शक्ति रूपेण संस्थिता.
नैना देवी : नैनीताल डेस्क
संपादन / शक्ति रंजीता

जीवन ' शक्ति ' 

' उदय ' किसी का ' अचानक ' नहीं होता
' सूरज ' भी धीरे धीरे ही ' आलोकित ' होता है
धैर्य और ' तपस्या ' जिसमें है वही ' संसार ' को
प्रकाशित कर सकता है


कोई ' आहार ' में ' विष ' घोल दे.....
अपनी ' सोच ' और ' विचार ' दृढ़ता से ' सम्यक ' रखें


रहीम
जो रहीम उत्तम ' प्रकृति ', का करि सकत ' कुसंग '
चन्दन ' विष ' व्यापत नहीं, लिपटे रहत ' भुजंग '

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त्रिशक्ति : सम्यक आचरण : महा सरस्वती : नर्मदा डेस्क : पृष्ठ : १ / ३ / ०
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९८२.
नर्मदा डेस्क : जब्बलपुर.
संस्थापना वर्ष : १९८९. महीना : सितम्बर. दिवस : ९.
संपादन.


' शक्ति ' अनीता. जब्बलपुर

शारदा : श्वेतपद्मासना : दर्शन


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त्रिशक्ति : सम्यक आचरण : दृश्यम विचार : नर्मदा डेस्क : पृष्ठ : १ / ३ /०.
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या देवी सर्वभूतेषु : बुद्धि : रूपेण संस्थिता. 
संपादन.
' शक्ति ' अनीता. जब्बलपुर.

आत्म शक्ति

' आत्म शक्ति '

स्वयं की अपनी ' क्षमता ' व ' आत्म शक्ति ' को जानकर 
यदि पूरी ' दृढ़ता ' से ' हम ' किसी भी कठिनतम  ' लक्ष्य ' के लिए 
कोई भी ' कार्य ' सतत करेंगे तो वो ' एक दिन ' अवश्य ' सफल ' होंगे 


कभी भी न बदलें सम्यक ' सोच ', ' साथ ', ' वाणी 'और सन्मार्ग

©️®️ डॉ. सुनीता रंजीता सीमा अनीता

डॉ. दीनानाथ वर्मा : दृष्टि क्लिनिक : बिहार शरीफ : नालन्दा : समर्थित
-------------
महाशक्ति : सम्यक कर्म. प्रस्तुति : पृष्ठ : १ / ४ / 
-----------
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०.
संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी . दिवस : ६
नैनीताल डेस्क :
शक्ति . डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया. 
-------------
महाशक्ति : सम्यक कर्म. दृश्यम : प्रस्तुति : पृष्ठ : १ / ४ / 
-----------
शक्ति रूपेण संस्थिता 
संपादन.


शक्ति . डॉ.सुनीता रंजीता प्रिया. 


मनुष्य के संबंधों का आधार है : अपेक्षा : कृष्ण दर्शन 



महा शक्ति शब्द चित्र विचार पृष्ठ : १ / ४ / 
सम्पादित 
शक्ति . डॉ.सुनीता रंजीता प्रिया. 

ॐ नमो शिवाय 

सही ' समय ' पर अपने ' लक्ष्य ' के निमित ' जीवन ' के सही ' निर्णय ' ले लीजिए अन्यथा बाद में ' समय ' सोचने , संभलने का अवसर नहीं देता है …

 दिव्य भविष्य वाणी समर्थित 
-------------
नवशक्ति  शक्ति : .सम्यक संकल्प . शिमला डेस्क : प्रस्तुति : पृष्ठ : १ / ५
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संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी . दिवस : ५
श्यामली : डेस्क : शिमला

संपादन
-------------


शक्ति : रेनू अनुभूति नीलम.

शक्ति रूपेण संस्थिता  
जीवन शिक्षण

राहें ' जिंदगी ' की कभी ' आसान ' नहीं होती 
हर कदम पर मुश्किलों की पहचान होती है 
जो ठान ले आगे बढ़ने की क़सम उसी के लिए मंजिलें आसमान  होती हैं  
 
----------
त्योहार : आज : चित्र : विशेष : शुभकामनाएं : पृष्ठ : १ / ६
------------
संपादन


शक्ति : बीना मीना भारती
नैनीताल डेस्क
 

शक्ति ' सम्पादिका समूह ' की तरफ़ से इस नवराते


सातवें दिवस ' शक्ति ' कालरात्रि ' की पूजा के अवसर पर

शारदीय नवरात्रि की हम सभी शक्तियों की तरफ़ से आप सबों को 
हार्दिक अनंत ' शक्ति ' पूर्ण शुभकामनाएं 

 

सप्तम शक्ति ' कालरात्रि ' नमः


या देवी कात्यायनि महामाये नमः


पंचम दिवस ' शक्ति ' स्कंदमाता '


चतुर्थ दिवस ' शक्ति ' कूष्माण्डा :

तृतीय दिवस ' शक्ति ' चंद्र घंटा


नवरात्रि के द्वितीय दिवस : ब्रह्मचारिणी  

नवरात्रि के प्रथम  दिवस शैल पुत्री 
------------
महात्मा गाँधी व लाल बहादुर शास्त्री की


जयंती पर शत शत नमन : २.१० २०२४.


डॉ. आर. के. प्रसाद. हड़्डी रोग विशेषज्ञ समर्थित 

सम्पादकीय : पृष्ठ :२

संस्थापिका.
मातृ शक्ति.


निर्मला सिन्हा.
१९४० - २०२३
-------------
संपादकीय शक्ति समूह. --------- प्रधान संपादिका. शक्ति : रेनू ' अनुभूति ' नीलम. नव शक्ति. श्यामली डेस्क. शिमला. संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी. दिवस : ५. ----------


---------
कार्यकारी सम्पादिका.


शक्ति डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया
महाशक्ति डेस्क.नैनीताल
संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी. दिवस : ६
---------

सहायक कार्यकारी सम्पादिका.


शक्ति : सीमा वाणी अनीता कोलकोता डेस्क संस्थापना वर्ष : १९९९.महीना : जून. दिवस : २.
---------
विशेषांक संपादक


शक्ति : मानसी शालिनी कंचन
नैनीताल.
---------
स्थानीय संपादक


शक्ति : बीना मीना भारती
नैनीताल.
---------
वरिष्ठ सम्पादिका

डॉ. मीरा श्रीवास्तवा
पूना.

---------
अतिथि शक्ति सम्पादिका समूह

 संपादक. लेखिका. कवयित्री.


शक्ति : रीता रानी.जमशेदपुर
 शक्ति : दया जोशी. नैनीताल 
शक्ति : नमिता सिंह.रानी खेत 
शक्ति : रंजना. नई दिल्ली   
 
---------
संरक्षिका नेत्री.



 शक्ति : डॉ. भावना माधवी स्मिता .
उज्जैन. महाकाल.

---------
संयोजिका
मीडिया हाउस.

शक्ति वनिता. शिमला
---------
क़ानूनी संरक्षण.
' शक्ति '


शक्ति सीमा कुमारी.
डिप्टी चीफ लीगल एड डिफेंस काउंसिल
शक्ति विदिशा.
विधिवक्ता / नई दिल्ली.
------------
आकाश दीप : पद्य संग्रह : सम्पादकीय : प्रस्तुति : पृष्ठ : ३
--------------
शिमला डेस्क
संपादन


प्रधान सम्पादिका
रेनू शब्द मुखर

लघु कविता

मेरे मन की सर्व ' शक्ति ' हो तुम

फोटो : साभार नेट से 

मेरे सपने 
मेरे अपने 
मेरे मन की सर्व शक्ति हो तुम
मेरे मन की सर्व शक्ति हो तुम,
 मेरे नव जीवन के 
नव निर्माण की भक्ति  हो तुम.    
हो  प्रेमपूर्ण सुन्दर 
भविष्य का निर्माण फिर 
असत्य ,भय और 
असुरों का संहार फिर. 
डरें नहीं, 
थमें नहीं, 
हो मधुर सम्भाषण
की बस थोड़ी सी पहल  
अपनों के साथ,
 हो वैसी ही पुराने सन्मार्ग पर टहल 
देख लेंगे इस जनम में ही ,आप
विश्वामित्र की तरह 
विश्व के मित्रों का 
इस धरा पर 
एक नई धरा का 
निर्माण फिर. 

डॉ. मधुप.

सीपिकाएँ 

शक्ति तेरे चपल चरण.

पड़ें धरा पर आज तेरे चपल चरण,
जो ' शक्ति '  मेरी जिंदगी में, 
 निहारती थी ' डगर ' तेरा, 
अधीर था यह  चंचल मन. 
 चिर प्रतीक्षित था तेरा ' आना ', 
स्वागत के लिए, 
आतुर थे कब से मेरे ' नयन '.  


शक्ति. डॉ सुनीता रंजीता प्रिया.


सीपिकाएँ

प्रेयसी रूप ' मधुरात्रि ' हूँ.
मैं शक्ति स्वरूपा नारी हूँ,


फोटो : स्वयं : शालिनी रॉय

मैं शक्ति स्वरूपा नारी हूँ,
सम्मान की अधिकारी हूँ.

मै जीवन की निर्मात्री हूँ,
मै सकल भाव की धात्री हूँ.
मैं मातृ रूप में सृष्टि हूँ,
प्रेयसी रूप मधुरात्रि हूँ.

हूँ काल रूप में दुर्गा मै, 
मै सकल विश्व पर भारी हूँ,
मैं शक्ति स्वरूपा नारी हूँ.

राधा बनकर है प्रेम जिया,
मैंने ही कृष्ण को कृष्ण किया.
उस प्रेम रूप को पाने को,
मीरा बनकर विषपान किया.

ना समझ सका मुझको कोई,
मै एक पहेली न्यारी हूँ,
मैं शक्ति स्वरूपा नारी हूँ.

थी जनक सुता बनकर आई,
कर प्रणय राम से हरषाई.
पत्नीव्रत धर्म निभाने को,
भटकी वन मे बन परछाई.
 
मै अपने राम रूप पति पर,
तन, मन, धन, से बलिहारी हूँ,
मैं शक्ति स्वरूपा नारी हूँ.

मै नारायण की शक्ति हूँ,
मै प्रेम भाव और भक्ति हूँ.
मै ही करती विरत जग से,
मै ही जग की अनुरक्ति हूँ.

मै जगत-चितेरे ब्रह्मा की,
सुंदर सी इक फनकारी हूँ
मैं शक्ति स्वरूपा नारी हूँ.

हर पुष्प नया हर हार नया,
मेरा जीवन है हर बार नया.
इस जगत-बेल को सींचित कर,
करती इसमे संचार नया.

जिसमे आते नित पुष्प नए 
उन भावो की फुलवारी हूँ 
मैं शक्ति स्वरूपा नारी हूँ.

हर बार झुकी सबके आगे,
हर बार रही सबसे आगे. 
दो परिवारो की मर्यादा,
को बचा रही बढ के आगे.

हर बार उपेक्षा की शिकार,
मै प्रेम प्यास की मारी हूँ,
मैं शक्ति स्वरूपा नारी हूँ.

कवयित्री. शालिनी राय.
नैनीताल डेस्क


तेरा हमसाया हूँ मैं

©️®️ M.S.Media.

फोटो : प्रिया 

जिंदगी का मज़ा 
तो हमसफ़र 
तेरे साथ चलने में था, 
 रूठने मनाने में था.
क्या करें  
दूर हूँ ,मजबूर हूँ 
अलग नहीं मैं 
 तेरे साथ सदा 
  तेरे लिए मैं बहुत मगरूर हूँ. 
बसे हैं हम एक है, 
दूसरे की साँसों में, 
एक दूसरे के लिए 
की जाने वाली इबादत में, 
आपस की दुआओं में तो जरूर हूँ ,
ए हमसफ़र तेरी हमसाया हूँ 
सुरूर हूँ 
तेरे दिल का मैं ही 
तो इकलौती सुकून हूँ 

प्रिया / दार्जलिंग
संपादन : डॉ.सुनीता मधुप.
-----------
तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : शक्ति : सम्पादकीय : प्रस्तुति. पृष्ठ : ५ .
--------------
संपादन

शक्ति नीलम पांडेय.
वाराणसी.
प्रधान सम्पादिका. 
----------
सम्पादकीय शक्ति आलेख : ५ / १
------------
सम्पादकीय शक्ति आलेख.  



लेखिका. 
प्रधान सम्पादिका  : नीलम पांडेय.
वाराणसी. 

तप, त्याग, साधना, शक्ति की आराधाना...
आस्था, प्रेम और समर्पण का अद्भुत संगम नवरात्रि...
--------------
नवरात्रि के प्रथम  दिवस शैल पुत्री 
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प्रथमं शैलपुत्री.......... तप,त्याग, साधना, शक्ति की आराधाना का अनुष्ठान पर्व नवरात्रि ! आस्था, प्रेम और समर्पण का अद्भुत संगम नवरात्रि......मां के नव रूपों में समाये अष्ट सिद्धियों और नव निधियों समेत शक्ति के हर रूपों में जागृत करने और पाने का पर्व है। सृष्टि के आरंभ से चली आ रही भारतीय
आध्यात्मिक परंपरा - ' 
यत्र नार्येस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता ' की अद्भुत कड़ी के रुप में नवरात्रि पर्व हमारे बीच मौजूद है। जीवन में हर प्रकार की चुनौतियों का सामना करने के लिए खुद को तैयार करने के हमारे प्रयास का जीता जागता उदाहरण है।  
गर्भ में पल रहा शिशु मां से अपार संभावनाएं ले कर इस दुनिया में आता है। मानव के अंदर बीज रूप में हर प्रकार की शक्ति मौजूद है और उसी शक्ति को जागृत करने का अनूठा पर्व है ' नवरात्रि '। 
धरती को रावण के रावणत्व से मुक्ति : मर्यादा पुरुषोत्तम राम के द्वारा धरती को रावण के रावणत्व से मुक्ति दिलाने के लिए शक्तिस्वरूपा मां की आराधना करना इस बात का अनूठा उदाहरण है। जब भी हमारी चुनौती बड़ी हो, मानव कल्याण हमारा लक्ष्य हो, हमें शक्ति की आराधाना करनी चाहिए, ताकि हम विजयी हों। नवरात्रि के प्रथम दिन ' शैलसुता पार्वती ' की आराधना की जाती है। मां दुर्गा को सर्वप्रथम शैलपुत्री के रूप में पूजा जाता है। हिमालय के यहां पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण उनका नामकरण हुआ  ' शैलपुत्री '। इनका वाहन वृषभ है, इसलिए यह देवी ' वृषारूढ़ा ' के नाम से भी जानी जाती हैं। इस देवी ने दाएं हाथ में त्रिशूल धारण कर रखा है और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है। यही देवी प्रथम दुर्गा हैं। ये ही सती के नाम से भी जानी जाती हैं। उनकी एक मार्मिक कहानी है। 
एक बार जब प्रजापति ने यज्ञ किया तो इसमें सारे देवताओं को निमंत्रित किया, भगवान शंकर को नहीं। सती यज्ञ में जाने के लिए विकल हो उठीं। शंकरजी ने कहा कि सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया है, उन्हें नहीं। ऐसे में वहां जाना उचित नहीं है। 
सती का प्रबल आग्रह देखकर शंकरजी ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी। सती जब घर पहुंचीं तो सिर्फ मां ने ही उन्हें स्नेह दिया। बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव थे। भगवान शंकर के प्रति भी तिरस्कार का भाव था। दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक वचन कहे। इससे सती को क्लेश पहुंचा। 
वे अपने पति का यह अपमान न सह सकीं और योगाग्नि द्वारा स्वयं को जलाकर भस्म कर लिया। इस दारुण दुःख से व्यथित होकर शंकर भगवान ने उस यज्ञ का विध्वंस करा दिया। यही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं। 
पार्वती और हेमवती भी इसी देवी के अन्य नाम हैं। शैलपुत्री का विवाह भगवान शंकर से हुआ। शैलपुत्री शिवजी की अर्द्धांगिनी बनीं। इनका महत्व और शक्ति अनंत है। इनकी  कृपा से भक्तों का भय दूर होता है, शांति और उत्साह मिलता है। 
मां यशज्ञानमोक्षसुख, समृद्धि प्रदान करती हैं. नव दिनों तक चलने वाला यह पर्व तीन अक्टूबर तक चलेगा औरचार अक्टूबर को विजयादशमी या दशहरा का त्योहार मनाया जाएगा। जय माता दी। 

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नवरात्रि के द्वितीय दिवस : ब्रह्मचारिणी  
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शक्ति दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की आराधना

ब्रह्मचारिणी  : नवरात्रि के द्वितीय दिवस देवी भक्तों के द्वारा मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की आराधना की जाती है। " दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू ।  देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥ "
मां दुर्गा की नवशक्ति का दूसरा स्वरूप 
ब्रह्मचारिणी का है। यहां ब्रह्म का अर्थ तपस्या से है। मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल देने वाला है। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है। नारद मुनि की प्रेरणा से शैलसुता ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की। कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व बताते हुए सराहना की और कहा- हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की। यह तुम्हीं से संभव थी। तुम्हारी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे। अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ।  देवी ब्रह्मचारिणी की तपस्या से आशुतोष शिव ने प्रसन्न होकर तथास्तु कहकर उन्हें अपना आधा अंग भी प्रदान किया।  देवी ब्रह्मचारिणी की कथा का सार यह है कि जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से सर्व सिद्धि प्राप्त होती है। दुर्गा पूजा के दूसरे दिन देवी के इसी स्वरूप की उपासना की जाती है। तपत्यागवैराग्यसदाचारशुचिता और दृढ़ संकल्प से किया हर कार्य सफल होता है। मां सबकी मनोकामना पूर्ण करें....
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नवरात्रि के तृतीय दिवस 
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तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति. चतुर्थकम्।।


मां चंद्रघंटा : पीड़ा क्लेश को हरने वाली देवी .जय माता चंद्रघंटा .नवरात्रि की नौ देवियों में तीसरे रूप में माता चंद्रघंटा के रुप में आराध्य मां, असुरों के विनाश हेतु अवतरित हुई थीं। असुरों की शक्ति को क्षीण करके, देवताओं का हक दिलाने वाली देवी चंद्रघंटा शक्ति का दिव्य रूप हैं। शास्त्रों के ज्ञान से परिपूर्ण, मेधा शक्ति धारण करने वाली देवी चंद्रघंटा संपूर्ण जगत की पीड़ा को मिटाने वाली हैं। भयंकर दानवों को मारने वाली  देवी का मुख मंद मुस्कान से कान्तिवान, निर्मल, अलौकिक तथा चंद्रमा-सा उज्ज्वल है महिषासुर ने देवी के ऐसे दिव्य,अलौकिक स्वरूप पर प्रहार किया। तब उनके प्रेमस्नेह का रूप  भयंकर ज्वालामुखी की भांति लाल होने लगा, यह क्षण आश्चर्य से भरा हुआ था। उनके इस रूप का दर्शन करते ही महिषासुर भय से कांप उठा। दानव महिषासुर  माता के सामने टिक नहीं सका, उसके प्राण निकल गये। आखिर यमराज के समान विकराल स्वरूप वाली माता को देखकर भला कौन जीवित रह सकता है ? देवी चंद्रघंटा अद्भुत शक्ति स्वरूपा हैं। 
परमात्मस्वरूपा देवी चंद्रघंटा के प्रसन्न होने पर जगत का अभ्युदय होता है। जगत का समस्त क्षेत्र हरा - भरा, पावन हो जाता है, परंतु देवी चंद्रघंटा के क्रोध में आ जाने पर तत्काल ही असंख्य कुलों का सर्वनाश हो जाता है। माता चंद्रघंटा की उपासना साधक को आध्यात्मिक एवं आत्मिक शक्ति प्रदान करती है।अपने मस्तक पर घंटे के आकार के अर्धचन्द्र को धारण करने के कारण माँ चंद्रघंटा नाम से पुकारी जाती हैं। भक्तवत्सल मां चंद्रघंटा सबकी रक्षा करने वाली है। हे जग जननी सांसारिक बंधनों में बंधे हम सबकी रक्षा करो। हमें शक्ति प्रदान करो ताकि हम सब अपने जीवन पथ पर अग्रसर हो सकें। 

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नवरात्रि के चतुर्थ  दिवस 
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सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।  
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्मांडा शुभदास्तु मे। 

नवरात्रि के चौथे दिन देवी को कूष्मांडा के रूप में पूजा जाता है। इस देवी की आठ भुजाएं हैं, इसलिए अष्टभुजा कहलाईं। इस देवी का वाहन सिंह है और इन्हें कुम्हड़े की बलि प्रिय है। संस्कृत में कुम्हड़े को कुष्मांड कहते हैं इसलिए इस देवी की कूष्मांडा के नाम पूजा - अर्चना की जाती है। अपनी मंद, हल्की हंसी के द्वारा अण्ड यानी ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इस देवी को कूष्मांडा नाम से अभिहित किया गया है। जब सृष्टि नहीं थी, चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था, तब इसी देवी ने अपने ईषत्‌ हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसीलिए इसे सृष्टि की आदिस्वरूपा या आदिशक्ति कहा गया है। इनके सात हाथों में क्रमशः  कमण्डलधनुष, बाणकमल पुष्प, अमृतपूर्ण कलशचक्र तथा गदा हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। इनके ही दिव्य तेज़ से दसों दिशाएं आलोकित है। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में इन्हीं का तेज़ व्याप्त है। पवित्र मन से नवरात्रि के चौथे दिन इस देवी की पूजा - आराधना करने से भक्तों के रोगों और शोकों का नाश होता है तथा उसे आयु ,यश ,वल और आरोग्य प्राप्त होता है। अत्यल्प सेवा और भक्ति से ही प्रसन्न होने वाली माँ का आशीर्वाद सच्चे मन से पूजा करने वाले भक्तों को सुगमता से प्राप्त हो जाता है। जग जननी कुष्मांडा माता की जय हो।

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नवरात्रि के छठवें  दिवस 
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षष्ठं कात्यायनीति च 
वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥
स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।

मां कात्यायनी : नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की आराधना की जाती है। मां कात्यायनी अपने भक्तों को शक्ति प्रदान करती हैं। मां का यह स्वरूप बेहद शांत और हृदय को सुख देने वाला है। उत्तम वर प्राप्ति हेतु मां कात्यायनी की पूजा अर्चना करने का भी उल्लेख मिलता है। गोपियों के द्वारा श्रीकृष्ण को पतिरूप में पाने के लिए कात्यायनी की पूजा अर्चना की गई थी। देवी आदिशक्ति होने के बावजूद मां दुर्गा को कात्यायनी का रूप क्यों लेना पड़ा आइए जानते हैं। 
जब दानव 
महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बढ़ गया तब भगवान ब्रह्मा, विष्णुमहेश तीनों ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया। महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की। इसी कारण से यह कात्यायनी कहलाईं। 
पौराणिक कथा : इसके अलावा पौराणिक कथा के अनुसार जब महर्षि कात्यायन ने मां नवदुर्गा की घोर तपस्या की। तब माता उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी पुत्री के रूप में उनके घर में जन्म लेने का वरदान दिया था। देवी दुर्गा का जन्म महर्षि कात्यायन के आश्रम में हुआ था। मां का पालन-पोषण ऋषि कात्यायन ने किया था। देवी दुर्गा ने ऋषि कात्यायन के यहां आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन जन्म लिया था। माता के जन्म के बाद ऋषि कात्यायन ने अपनी पुत्री मां दुर्गा का तीन दिनों तक पूजन भी किया था। महिषासुर राक्षस का अत्याचार बढ़ जाने के कारण देवताओं ने आदिशक्ति मां कात्यायनी से विनती की कि वे ही उन्हें इस दानव से मुक्ति दिला सकती हैं। मां कात्यायनी ने उसका वध कर देवताओं की कामना पूरी की थी। 
चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दूलवर वाहना। कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानव घातिनी॥‘ 
इस मंत्र से देवी का ध्यान करके नवरात्र के छठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए। मां की शरण में जाने वाले को सुगमता से धर्म अर्थ काम मोक्ष की प्राप्ति  होती है। जय माता आदिशक्ति। 

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नवरात्रि के सातवें दिवस : कालरात्रि 
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एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥


सप्तमं कालरात्रीति...उत्तर भारत के तकरीबन हर गांव में मां काली का मंदिर स्थापित करने के पीछे ज़रूर ही कोई ख़ास वजह है। वर्ष में एक बार गांव के पुजारी के द्वारा सार्वजनिक रूप से मां की पूजा अर्चना और ग्रामवासियों के सुख सौभाग्य की कामना करना इस बात का द्योतक है कि मां का यह रुप भक्तों की आस्था और विश्वास का केन्द्र है। कई घरों में आज भी विवाह के अवसर पर वर-वधू को पहनाए जाने वाले वस्त्र सबसे पहले मां काली को चढ़ाए जाते हैं। 
सदैव शुभफल देनेवाली  माँ कालरात्रि का स्वरुप भयानक है।  माँ कालरात्रि के स्मरण मात्र से नवग्रह बाधाएं शांत हो जाती है, इनकी उपासना से अग्निभय ,शत्रुभय , जलभय ,संकट सब खत्म हो जाते है। नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित है। मां कालरात्रि ने दुष्टों का संहार कर घने काले कोहरे में लिप्टी सृष्टि को प्रकाशमय बनाया था। 
दुर्गा देवी  का सातवां स्वरूप कालरात्रि
 अत्यंत भयंकर है। इनका रंग काला होने के कारण ही इन्हें कालरात्रि कहते हैं। असुरों के राजा रक्तबीज का वध करने के लिए देवी दुर्गा ने अपने तेज से इन्हें उत्पन्न किया था। इनके शरीर का रंग  घने अंधकार की तरह एकदम काला है, सिर के बाल बिखरे हुए हैं और गले में बिजली की तरह चमकने वाली माला है। इनका रूप भले ही भयंकर हो, लेकिन ये सदैव शुभ फल देने वाली मां हैं। इसीलिए ये शुभंकरी कहलाईं और इनसे भक्तों को किसी भी प्रकार से भयभीत, आतंकित होने या डरने की जरूरत नहीं है। ये अपने भक्तों को हमेशा शुभ फल देती है। माता कालरात्रि का रूप यह दर्शाता है कि एक करूणामयी माँ अपनी सन्तान की सुरक्षा के लिए आवश्यकता होने पर अत्यंत हिंसक और उग्र भी हो सकती है। जगत जननी मां कालरात्रि मां दुर्गा की तीन महाशक्तियों में से एक हैं। नवरात्रि के सातवें दिन से मां का पट भक्तों के दर्शन करने के लिए खोल दिए जाते हैं । शीघ्र प्रसन्न होने वाली मां कालरात्रि सभी को शुभ फल देने वाली हों.... जय मां अम्बे।

पृष्ठ : संपादन : सज्जा : 
शक्ति : डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया / नैनीताल डेस्क 
क्रमशः जारी 

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सम्पादकीय शक्ति भक्ति आलेख : दूनागिरि शक्तिपीठ : पृष्ठ : ५ / २ 
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प्रसिद्ध वैष्णो देवी शक्तिपीठ 
सदृश रामायण - महाभारतकालीन द्रोणगिरि वैष्णवी शक्तिपीठ दूनागिरि

शक्ति : बीना नवीन जोशी 
स्वतंत्र लेखिका. सह संपादिका 
@ नवीन समाचार, नैनीताल, 

 
हिमालय की गोद में बसे आध्यात्मिक दूनागिरि शक्तिपीठ : फोटो : बीना नवीन जोशी 

दूनागिरि शक्तिपीठ : हिमालय की गोद में बसे आध्यात्मिक महिमा से मंडित और नैसर्गिक प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर दूनागिरि शक्तिपीठ का अपार महात्म्य है। आइए आज हम आपको इस शक्तिपीठ के दर्शनों को लिए चलते हैं। दूनागिरि पहुंचने के लिए अल्मोड़ा से ६५ किमी,रानीखेत से ३८ किमी और द्वाराहाट से १४ किमी की दूरी पर मंगलीखान नाम के स्थान पहुंचा जाता है। 
यहां एक शिवालय और हनुमान मंदिर है। यहां से आगे करीब ४०० पैदल सीढ़ियां मंदिर तक पहुंचाती हैं। पास ही दुधौली में कुमाऊं मंडल विकास निगम का पर्यटक आवास गृह भी है। दूनागिरि मंदिर का प्राचीन प्रवेश द्वार भी बेहद सुंदर है।  
दो स्वयंभू सिद्ध पिंडी शैलपुत्री एवं ब्रह्मचारिणी : दूनागिरि शक्तिपीठ में जम्मू के प्रसिद्ध वैष्णो देवी शक्तिपीठ की तरह ही वैष्णवी माता के दो स्वयंभू सिद्ध पिंडी  विग्रह मौजूद हैं। इन्हें माता शैलपुत्री एवं ब्रह्मचारिणी का स्वरूप माना जाता है। कहते हैं कि वैष्णो देवी और दूनागिरि में अन्य शक्तिपीठों की तरह माता के कोई अंग नहीं गिरे थे, वरन माता यहां स्वयं उत्पन्न हुई थीं। 
इसलिए दूनागिरि को माता वैष्णवी का गोपनीय शक्तिपीठ भी माना जाता है, और इसी कारण ५१  शक्तिपीठों में इसकी गणना नहीं की जाती है, वरन इस शक्तिपीठ की गणना शक्ति के प्रधान उग्र पीठों में भी होती है।
पहली पौराणिक कथा :  विष्णु के शरीर से दिव्य तेजपुंज के रूप में ‘ वैष्णवी शक्ति ’कहते हैं कि पद्म नाम के कल्प में असुरों से पराजित इंद्र आदि देवताओं की रक्षा के लिए भगवान विष्णु के शरीर से दिव्य तेजपुंज के रूप में ‘ वैष्णवी शक्ति ’ का जन्म हुआ था। यह भी कहा जाता है कि दूनागिरि शक्तिपीठ में वैष्णो देवी की तरह ही देवी ने उमा हैमवती का रूप धारण कर इंद्र आदि देवताओं को ब्रह्मज्ञान का उपदेश दिया था। विराट हिमालय की गगनचुंबी पर्वत श्रृंखलाओं के दृश्यों के साथ इस स्थान पर प्रकृति की छटा मन को मोहित कर आत्मविभोर करने के साथ ही भक्ति भाव व आध्यात्मिकता की अलौकिक अनुभूति जगाती है।
दूसरी पौराणिक कथा : संजीवनी बूटी युक्त  जैव विविधता के अनुसार कहा जाता है कि त्रेता युग में राम-रावण युद्ध के दौरान लक्ष्मण को शक्ति लगने पर जब हनुमान जी आकाश मार्ग से संजीवनी बूटी लेकर लंका के लिए जा रहे थे, तब यहीं पास में स्थित भरतकोट के अपभ्रंश भटकोट में तपस्या कर रहे भरत ने उन्हें अपना घुटना जमीन पर टेक कर तीर मारा था, जिस कारण उनके हाथ से संजीवनी बूटी युक्त पर्वत का एक हिस्सा यहां गिर गया था। इसलिए जैव विविधता से परिपूर्ण इस बेहद पवित्र स्थान पर मृत व्यक्तियों को जीवित करने की क्षमता युक्त संजीवनी जैसी दिव्य जड़ी-बूटियों की उपस्थिति भी बताई जाती है। भरत का घुटना टेकने का स्थान भी निकट के पहाड़ पर स्पष्ट दिखाई देता है।
द्वापर युग पांडुखोली पांडवों  का अज्ञातवास : इसके अलावा द्वापर युग में पांडव इसी क्षेत्र में स्थित पांडुखोली नामक स्थान पर अज्ञातवास के दौरान रहे थे। कहते हैं कि उनके गुरु द्रोणाचार्य के तपस्या करने की वजह से ही यहां का नाम मूलतः द्रोणगिरि और अपभ्रंश दूनागिरि पड़ा था। इसी क्षेत्र में गर्ग मुनि का आश्रम भी था, जिनकी तपस्या के प्रभाव से गगास नदी का उद्गम हुआ। यह स्थान शुकदेव एवं जमदग्नि जैसी ऋषियों की तपोभूमि भी रही।
यह देवी शिव की शक्ति : वहीं स्कंद पुराण के ‘मानस खंड’ के द्रोणाद्रिमाहात्म्य के अनुसार यह देवी शिव की शक्ति है जिसे ‘महामाया हरिप्रिया’ और सिंह वाहिनी दुर्गा और ‘वह्निमती’ के रूप में भी जाना जाता है। कत्यूरी राजाओं ने दूनागिरि देवी के अव्यक्त विग्रहों को रूपाकृति प्रदान की, तथा मंदिर में गणेश, शिव एवं पार्वती के कलात्मक भित्ति चित्रों को स्थापित किया।
अखंड ज्योति : कोई पशु बलि नहीं : वैष्णवी शक्तिपीठ होने के कारण ही यहां किसी प्रकार की पशु बलि नहीं चढ़ाई जाती, यहां तक कि नारियल भी मंदिर परिसर में नहीं तोड़ा जाता है। मंदिर में अखंड ज्योति लगातार जलती रहती है।
यहां वर्ष भर श्रद्धालुओं का आवागमन बना रहता है। आश्विन मास के नवरात्रों में दुर्गाष्टमी को यहां श्रद्धालुओं का बहुत बड़ा मेला लगता है। क्षेत्र के सभी नवविवाहित युगल यहां नियमपूर्वक आकर अपने सुखी दांपत्य जीवन के लिए तथा अन्य लोग माता की कृपा-आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पहुंचते हैं। निःसंतान दंपति पूरी रात्रि हाथ में जलता हुआ दीपक लेकर खड़े होकर तपस्या कर संतान प्राप्त करते हैं, और मनौती पूरी होने पर अपने नवजात शिशु को लेकर माता के दर्शन को आते हैं।

स्तंभ संपादन : 
शक्ति : दया जोशी / सम्पादिका / केदार दर्शन / नैनीताल 
शक्ति : नमिता सिंह / रानीखेत 
पृष्ठ सज्जा : शक्ति : डॉ.सुनीता रंजीता मीना / नैनीताल डेस्क   


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सम्पादकीय शक्ति आलेख : ५ / ०
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अहिंसा ' सत्य के लिए आग्रह के अन्वेषक आज़ादी के महानायक राष्ट्र पिता
“ स्वच्छ भारत के स्वप्न द्रष्टा ”
आलेख : मुकेश ठाकुर


साभार

उनके परम अनुयायी लाल बहादुर शास्त्री को उनके जयंती पर
याद करने की एक छोटी सी पहल
लेखक : डॉ. मधुप

बापू ने कहा था स्वच्छता में ही ईश्वर का वास होता है : फोटो : मनोज पांडेय : नैनीताल.

पूरी दुनियाँ को ' अहिंसा ' सत्य के लिए आग्रह का पाठ पढ़ाने वाले आज़ादी के महानायक राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी जी एवं ' जय जवान जय किसान ' का नारा देने बाले भारत के पूर्व प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर देश वासियों ने उन्हें स्मृत करते हुए शत शत नमन किया। हमने भी याद किया।
महात्मा ने सत्य के लिए आग्रह करते हुए अपनी मांग न माने जाने पर शांति पूर्ण तरीके से बहिष्कार करने की बात कही थी। उनके दर्शन और उनकी कार्यप्रणाली की स्मृति हो गई तो लाल बहादुर शास्त्री जी अपनी कर्मठता , दृढ़ता और भारत पाक युद्ध में कभी न भूलने वाली विजय के लिए स्मृत हुए।
महात्मा गाँधी जी के समाज सुधार से जुड़ी कुप्रथाओं को हटाने तथा स्वच्छता अभियान को आगे बढ़ाने का सार्थक सराहनीय प्रयास भी कई संस्थानों ने किया।
हमारे प्रिय जन नायक द्वितीय यशस्वी प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने स्वतंत्रता संग्राम में एक सक्रिय भूमिका निभाई। वे महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू जैसे महान नेताओं से प्रभावित थे और उनके सिद्धांतों का अनुसरण करते थे। शास्त्री जी ने १९२१ में असहयोग आंदोलन में भाग लिया और कई बार जेल भी गए। उन्होंने नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई।
स्वच्छ भारत अभियान महात्मा गांधी ने अपने आसपास के लोगों को स्वच्छता बनाए रखने संबंधी शिक्षा प्रदान कर राष्ट्र को एक उत्कृष्ट संदेश दिया था। उन्होंने “ स्वच्छ भारत ” का एक उज्जवल सपना देखा था जिसके लिए वह चाहते थे कि भारत के सभी नागरिक एक साथ मिलकर देश को स्वच्छ बनाने के लिए कार्य करें। बता दे बापू स्वयं अपना कार्य करते थे।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बापू के विचारों की प्रासंगिकता और भी अनुकरणीय हो गया है । बापू ने कहा था स्वच्छता में ही ईश्वर का वास होता है । इसी विचारधारा को सामाजिक स्तर पर प्रचारित करते हुए डी.ए.वी. तथा देश के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों द्वारा २ अक्टूबर २०२४ को ' स्वच्छता ही सेवा है ' अभियान को मूर्त रूप दिया गया।
दुनिया के मानचित्र पर सत्य और अहिंसा के प्रति समर्पित एवं संकल्पित भाव से भारत का मान मर्दन करने वाले, ' भगवदगीता ' को अपने जीवन के कर्म क्षेत्र में अक्षरश: चरितार्थ कर संपूर्ण संसार का मार्गदर्शन करने वाले बापू के जन्मदिवस पर सोहनलाल द्विवेदी की यह पंक्तियां अर्पित है :-

हे कोटि चरण, हे कोटि बाहु, हे कोटि रूप, हे कोटि नाम !
तुम एक मूर्ति , प्रतिमूर्ति कोटि, हे कोटि मूर्ति, तुमको प्रणाम ।

बापू के प्रति लोगों की अलग-अलग धारणाऍं हैं । जिनका जैसा सॉंचा , उनके वैसे गॉंधी । यही कारण है कि लोगों की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के बीच गॉंधी का मूल स्वरूप और उनके समुज्ज्वल विचार कहीं न कहीं पीछे छूट रहे हैं।वस्तुतः गाँधी के कई रूप हैं। वकील गाँधी, पत्रकार गाँधी, सत्याग्रही गाँधी, औऱ सत्य को ईश्वर मनाने वाले गाँधी।
राजनीति में धर्म और नैतिकता की स्थापना करने वाले गाँधी। रामराज्य की अवधारणा देने वाले गाँधी, रामचरित मानस से प्रेरणा लेने वाले गाँधी। नमक जैसी छोटी चीज को बड़ा विषय बनाकर गंभीर आंदोलन खड़ा करने वाले गाँधी। न जाने कितना कुछ है गाँधी में। एक सिरा पकड़िए तो दूसरा छोर छूट जाता है। गाँधी स्वयं एक आख्यान हैं। गाँधी से गुजरना एक महाकाव्य से गुजरने जैसा है।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बापू के विचारों की प्रासंगिकता और भी अनुकरणीय हो गया है। बापू ने कहा था स्वच्छता में ही ईश्वर का वास होता है।

स्तंभ आलेख संपादन
शालिनी रॉय / नैनीताल डेस्क
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इतनी शक्ति हमें देना दाता : ये मेरा गीत जीवन संगीत : पृष्ठ : ६
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नवरात्रि : शक्ति : विशेष : डांडिया : गीत : संगीत : साभार
नैनीताल डेस्क
संपादन.

शक्ति. सीमा रंजीता अनीता.
नैनीताल डेस्क.

फिल्म : गुड्डी : १९७१
सितारे : धर्मेंद्र. जया भादुड़ी
गाने : हम को मन की शक्ति देना
गीत : गुलज़ार संगीत : वसंत देसाई. गायिका : वाणी जयराम


गाना देखने सुनने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं

डांडिया नवरात्रि :  विशेष. 
फिल्म : सपने साजन के.१९९२.  
सितारे : राहुल रॉय. करिश्मा कपूर 
गाना : मेरा पागल जिया न माने 
गीत : समीर. संगीत : नदीम श्रवण. गायक : कुमार सानू. अलका यागनिक.


गाना देखने सुनने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं. 


फिल्म : खूबसूरत. १९९९
सितारे : संजय दत्त. उर्मिला मार्तोंडकर.
गाना : घूँघट में चाँद होगा घूँघट में चांदनी


गीत : संगीत : जतिन ललित गायक : कुमार सानू. कविता कृष्ण मूर्ति.
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं
फिल्म : अंकुश.१९८६.
सितारे : नाना पाटेकर. निशा सिंह. मदन जैन.
गाना : इतनी शक्ति हमें देना दाता मन का विश्वास कमजोर हो न


गीत : अभिलाष. संगीत : कुलदीप सिंह. गायक : सुषमा पगधरे. सुषमा श्रेष्ठ
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं
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फ़िल्मी  कोलाज़ : इतनी शक्ति हमें देना दाता : शक्ति रूपेण संस्थिता : पृष्ठ : ७.
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संपादन 
शक्ति : वनिता अनुभूति स्मिता. 


शिमला डेस्क.
नींद उड़ा के ले गए मेरी अँखियों से.. सपने साजन के डांडिया  कोलाज  डॉ.सुनीता रंजीता प्रिया .
घूँघट में चाँद होगा घूँघट में चाँदनी चुपके से देखेगी साजन को सजनी :  डॉ.सुनीता रंजीता प्रिया . 

हम न सोचें हमें क्या मिला है हम ये सोचें किया क्या है अर्पण : फिल्म : अंकुश : डॉ.सुनीता रंजीता प्रिया
 
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आपने कहा : दिवस : त्यौहार : दृश्यम : शब्द चित्र : विशेष : पृष्ठ : ८ .
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संपादन 
शक्ति माधवी वाणी भावना
 


कोलकोता डेस्क

शक्ति विशेष दिन की विशेष शुभकामनाएं 

सप्तमी ' शक्ति ' ' कालरात्रि ' का जीवन संरक्षण 

छठवीं शक्ति कात्यानी की कृपा
पंचम शक्ति ' स्कन्दमाता ' की कृपा
चतुर्थ शक्ति ' कुष्मांडा ' की कृपा


आपने कहा :
शालिनी रॉय
सम्पादिका / नैनीताल डेस्क
बहुत ही खूबसूरत ऑनलाइन पत्रिका। बेहतरीन सम्पादन। हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं.
सुनील कुमार
सेवानिवृत : पॉवर ग्रीड अधिकारी. पटना.
अति प्रशंसनीय संपादन
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शक्ति रूपेण संस्थिता : ये कौन चित्रकार है : कला दीर्घा : पृष्ठ : ९
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संपादन


शक्ति : रंजीता अनुभूति प्रिया
शिमला डेस्क

इतनी शक्ति हमें देना दाता हम चले नेक रस्ते पर हमसे भूल कर भी कोई भूल हो न : अनुभूति :

शुभ महालया : कलाकृति : समृद्धि
दूर अज्ञान के हो अंधेरे तू हमें ज्ञान की रौशनी दें  इतनी शक्ति हमें देना दाता : डॉ. सुनीता मधुप.
शक्ति की कलात्मक अभिव्यक्ति : कलाकृति : अज्ञात : साभार 
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चित्र : विशेष : आलेख : समाचार : दृश्य माध्यम : न्यूज़ शॉर्ट रील : पृष्ठ : ११.
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संपादन


डॉ. सुनीता रंजीता बीना जोशी
नैनीताल डेस्क.
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हिंदी धारावाहिक : पृष्ठ : ११ / ०   .यात्रा संस्मरण.
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यात्रा संस्मरण. 

नवरात्रि  नैनीताल और  माँ  नैना देवी मंदिर,का दर्शन

यात्रा वृतांत ये पर्वतों के दायरें से साभार.कोलाज : डॉ.सुनीता रंजीता प्रिया   

डॉ. मधुप रमण.
©️®️ M.S.Media.

नवरात्रि की शुरुआत होने वाली थी। पितृ पक्ष के कुछ ही दिन शेष रह गए थे। दिल्ली से हमारी पत्रिका के  प्रधान संपादक मनीष दा ने फ़िर से मुझे आग्रह किया कि इस साल भी  नैनीताल से दशहरे की कवरेज मुझे ही करनी होगी।  क्योंकि मैं नैनीताल से प्रारंभ से ही जुड़ा हुआ हूँ वहां के पत्रकारों के संपर्क में हूँ ,और लिखता रहा हूँ इसलिए उन्होंने यह दायित्व मुझे ही सौप दिया। 
डॉ. मधुप 

हालांकि इस बार मैं पश्चिम बंगाल में किसी पहाड़ी जगह सिलीगुड़ी , मिरिककलिम्पोंगकुर्सियांग  या दार्जलिंग जैसे इलाक़े से दशहरे की कवरेज करना चाहता था। 
पश्चिम बंगाल के  दशहरे के बारे में मैंने काफ़ी कुछ सुन रखा था। सोचा था इस बार अपनी आँखों से वहां की धार्मिक ,सांस्कृतिक,आस्थां से परिचित हूँगा। लेकिन मुझसे कहा गया वहां से  प्रिया नवरात्रि की कवरेज कर रहीं हैं या करेंगी इसलिए मुझे अपनी मन पसंदीदा जग़ह  नैनीताल से ही नवरात्री की कहानी लिखनी होगी। 
अतः इसके लिए मुझे तैयार होना होगा। सच कहें बात तो दरअसल में कुछ और थी। 
आप इन दिनों प्रशासकीय कार्यों के निमित यूरोप में हो रहे सम्मलेन में शिरक़त करने  के लिए दस दिनों के लिए स्विट्ज़र लैंड के दौरे पर थी। और आपकी अनुपस्थिति में नैनीताल में रहना ,भ्रमण करना फिर लिखने जैसे दायित्व को पूरा करना एक बड़ा ही मुश्किल कार्य प्रतीत हो रहा था। 
सच ही है ना ? तुम्हारे बिना नैनीताल में कुछेक दिन गुजार लेना कितना मुश्क़िल होगा ,अनु। शायद मैं ही जानता हूँ। संभवतः प्रेत योनि में भटकने जैसा ही मात्र। 
लेखन कार्य के लिए शक्ति व परिश्रम चाहिए । मानसिक शांति भी तो जो निहायत ही जरुरी है। मेरी मानसिक शांति ,मेरी शक्ति सब कुछ तुममें तो निहित है ,न। शायद निहित रहता है और युग - युगांतर तक तुम में ही केंद्रित रहेगा। और फिल वक़्त तुम मेरे साथ हो नहीं तो इस कार्य को सफलता पूर्वक कैसे कर पाऊंगा, मैं वही सोच रहा था ? मैं दुविधा की स्थिति में था। लेकिन पत्रकारिता से जुड़ा एक महत्वपूर्ण दायित्व दिया गया था इसलिए इसे भी मुकम्मल करना ही था, इसलिए दृढ़ होना पड़ा । जाने की तैयारी करनी ही पड़ी। 
रिपोर्ट,फोटो  और कवरेज के लिए इधर उधर भटकना,वो भी आपके सहयोग के बिना कितना दुष्कर कार्य होगा, हैं न अनु ? रात - दिन तुम्हारी यादों की घनी धुंध अपने मनो मस्तिष्क पर छाई  रहेंगी। बाक़ी की कल्पनाएं धुंधली धुंधली सी दिखेंगी , ऐसे में मैं लिखने जैसे गुरुतर भार के साथ कितना न्याय कर पाऊंगा यह तो गोलू देवता ही जानेंगे। सच तो यही है न जो कुछ भी मैं लिखता हूँ, वह अंतर्मन के प्रभाव में रहता है।  इधर हाल फिलहाल जो भी लिखता रहा ,उसके पीछे की छिपी प्रेरणा शक्ति तो आप ही रहीं   हैं  न ! शायद एक बजह भी। 
आपने फ़ोन पर मुझे सख़्त हिदायत दे दी थी कि मुझे अयारपाटा वाले बंगले में ही ठहरना है,आपके नए बंगले में। लेकिन मैंने मन ही मन में निश्चित कर लिया था कि मैं वहां नहीं ठहरूंगा। मल्ली ताल के आर्य समाज मंदिर में ही रुकूंगा क्योंकि शायद थोड़े पल के लिए आपकी यादों के घने सायों से बाहर निकलने की नाकामयाब कोशिश क़ामयाब हो जाए.....और मन चित शांत कर लिख सकें। इस सन्दर्भ में मैंने अपने संपादक मित्र  नवीन दा से बातें कर भी ली थी। वह जाकर वहां कमरा ठीक कर देंगे। मैं यह भी भली भांति जानता था इस लिए गए आत्म निर्णय से आप हमसे बेहद नाराज़ होंगी। लेकिन कुछ कहेंगी भी नहीं यह भी मैं जानता ही हूँ। 
कोई अपने घर के रहते मंदिर ,धर्मशाला और गुरुद्धारे में भला रुकता है क्या ,नहीं न ? पागल पंथी ही है, सब यही कहेंगे न ?....
 
धारावाहिक सम्पादन पृष्ठ सज्जा,
मीना प्रिया भारती  : नैनीताल डेस्क  
क्रमशः जारी
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सम्पादकीय : समाचार : आपबीती  /  लेख : पृष्ठ : ११  / १
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 ' सत्यमेव जयते ', ' बुराई पर अच्छाई ' की जीत की ' शक्ति ' यथावत ही बनी रहेगी.
बीते साल :  सम्पादकीय : समाचार : आपबीती  /  लेख : पृष्ठ : ११  / १ 
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डॉ. मधुप.

' ...मेरी ' आत्म शक्ति ' ही प्रवल है तो मैं सुरक्षित हूँ ...संरक्षित हूँ वो नहीं तो मैं कुछ भी नहीं हूँ.."
जीने की राह : ' सत्यमेव जयते ' , ' बुराई पर अच्छाई ' की जीत की शक्ति


शक्ति डेस्क. : सर्व प्रथम मुझे अपने अंतर मन की शक्ति पर असीम गर्व हुआ था । कल भी था आज भी है। क्योंकि वो  मेरी आदि से अनंत तक की  कल्पना थी, आज भी हैं। फिर मैंने त्रि - शक्ति की कल्पना की। कहावत सुना था महालक्ष्मी और सरस्वती में स्नेह नहीं होता। 
मैंने अपनी आत्म शक्ति को जो काफी प्रवल है, ज़िद्दी हैं ,सर्वव्यापी हैं ,बुद्धिमती भी हैं।  मेरे हरेक सम्यक कर्म में वर्तमान हैं। इस अभूतपूर्व शक्तियों के संतुलन व समायोजन  के कठिन कार्य के लिए मैंने उन्हें ही सुनिश्चित किया। शक्ति को उन दोनों को समायोजित करना था। उन्होंने ने तीनों को अपने भीतर समाहित कर महा शक्ति का स्वरुप ले लिया। यह सुखद है। 
नवराते का तीसरा दिन : शक्ति  चंद्रघंटा : पीड़ा क्लेश को हरने वाली देवी  चंद्रघंटा नवरात्रि की नौ देवियों में तीसरे रूप में देवी  चंद्रघंटा के रुप में आराध्य हुई जिसने संतुष्टि और आरोग्य को हम सब के जीवन में सुनिश्चित किया था । प्रातः कालीन सभा में नन्ही शक्तियों का पुनः जागरण प्रारंभ हो गया था। चित्र मय शक्ति की सजीव झांकी की समस्त तैयारी हो चुकी थी। 
आज नवराते के तीसरे दिन जागरूक नौनिहालों ने फिर से आपके नेतृत्व में महिषासुर मर्दिनी के माध्यम से यहीं सन्देश दिया कि  ' सत्यमेव जयते ' , ' बुराई पर अच्छाई ' की जीत की शक्ति यथावत ही रहेगी। यहीं रीत होगी यहीं प्रीत होगी। आज नवरात का तीसरा दिन था। 


सत्यमेव जयते ', ' बुराई पर अच्छाई ' की जीत की ' शक्ति ' यथावत ही बनी रहेगी.फोटो : शक्ति 

मां चंद्रघंटा : पीड़ा क्लेश को हरने वाली देवी .जय माता चंद्रघंटा .नवरात्रि की नौ देवियों में तीसरे रूप में माता चंद्रघंटा के रुप में आराध्य मां, असुरों के विनाश हेतु अवतरित हुई थीं। आज उनका ही पवित्र दिन था। वर्तमान शक्तियों ने ही आदि महाशक्ति के अभ्युदय की उम्दा परिकल्पना की थी जो हमारे समक्ष प्रस्तुत भी की गयी थी। निहित सदेंश था जहाँ नारियों की पूजा होगी वहीं देवताओं का वास होगा।  
शक्ति समूह ने बच्चों के साथ मिल कर असुरों की शक्ति को क्षीण करके, देवताओं का हक दिलाने वाली देवी चंद्रघंटा शक्ति का प्रतीकात्मक दिव्य रूप को प्रस्तुत किया था जो अतीव सराहनीय था। नन्हें मुन्नें बच्चों ने डांडिया की धुन पर माँ शेरा वाली के फेरें भी लगाए। काल के पंजें से माता बचाओं के पार्श्व संगीत उपस्थित जनों ने बच्चों की धार्मिक भावना की अप्रतिम प्रस्तुति की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। इस गरिमा पूर्ण झांकी का संचालन शक्ति समूह कर रहीं थीं। आपके जरिए बेहतरीन समायोजन था कई शक्तियों को केंद्रित करने का। श्लाघनीय रहा। गर्व रखेंगे सदा हम। 
आप अपरिवर्तनशील रहें। अक्षुण्ण  वादों से बंधे लोग मुझे पसंद हैं। मैं सदैव गौरवशाली अतीत में ही सुनहरे वर्तमान की झलक देखता हूँ। 
शक्ति आज की आध्यात्मिक बात चीत के सिलसिले में मैं यही कहना चाहता हूँ सार्वजनिक तौर पर हुए मेरे अपनों के बीच हुए विवाद को मैं बमुश्किल भुला पाता हूँ। जब यह तीन चार जनों के मध्य घटित होता है तो दूसरों के कटाक्ष मुझे सदैव याद आते रहते हैं। मैं अपनी शक्ति से ही गुज़ारिश करता हूँ कि मुझे उन घटनाओं से उबरने की शक्ति प्रदान करें। इन अवस्थाओं से बचा जा सकता है। बचने की कोशिश भी होनी चाहिए। यह हमारी सम्यक सोच होती है सम्यक कर्म के लिए। बहुत ही निहायत पोशीदा तरीक़े से किसी भी समस्या का हल ढूंढा जा सकता है। 
एकांत की हुई किसी भी बुरी घटना को भी भुलाने में हमें समय लगता है। लेकिन भुला जाता हूँ। 
कई के सामने हुए विवादों को देर से भुला पाता हूँ। इसे हम सभी को  याद रखना चाहिए। अपनी तो आदत है कि हम कुछ नहीं कहते।

स्तंभ संपादन सज्जा 
शक्ति : प्रिया दया जोशी 
नैनीताल डेस्क 





शिव लोक : हॉस्पिटल : बिहार शरीफ : नालन्दा : डॉ ब्रज भूषण सिन्हा समर्थित
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शक्ति रूपेण संस्थिता : फोटो दीर्घा : विशेष : आज कल : पृष्ठ : १२
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शक्ति बहनें : हम चार


डॉ. सुनीता सीमा रंजीता अनीता
नैनीताल डेस्क
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यादें न जाए बीते दिनों की : वर्ष : २०२३ : शक्ति फोटो दीर्घा : विशेष : कल : पृष्ठ : १२ / ०.
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संपादन


शक्ति सीमा रंजीता अनीता
नैनीताल डेस्क


नन्ही 
अन्तःमन की शक्तियों का अवतरण प्रातः कालीन सभा में : फोटो : शक्ति : सीमा रंजीता अनीता.
  
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आने वाला कल जाने वाला है : वर्ष : २०२४ : शक्ति फोटो दीर्घा : आज विशेष : पृष्ठ : १२ / १ .
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संपादन.


शक्ति : डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया
   नैनीताल डेस्क.  

प्रधान सम्पादिका शक्ति ' नीलम ' डांडिया नृत्य में भाग लेते हुए : फोटो : निवेदिता : वाराणसी 

ओ शेरों वाली सबसे बड़ा तेरा नाम : डांडिया नृत्य : नन्ही शक्तियों का : फोटो : डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया

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चलते चलते : अच्छे तो अच्छा चलते हैं : शॉर्ट रील : दृश्यम : पृष्ठ : १३ . 
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संपादन.

 
डॉ.सुनीता रंजीता मीना 
नैनीताल डेस्क 
संस्कृति : प्रकृति : प्रेम और अध्यात्म 
साभार : फेस बुक.
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अच्छा तो हम चलते हैं : सन्देश  : पृष्ठ : १३ / १ . 
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' अच्छाई ' को ' ग्रहण ' करने ' बुराई ' का ' परित्याग ' करने के क्रम में 
 जितनी भी ' अग्नि परीक्षा ' देनी पड़ी , ' जीवन संघर्ष ' करना पड़ें ....करना चाहिए     

©️®️ शक्ति : डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति '  प्रिया

ख़राब समय : बेहतर भविष्य 



न हम अपने रास्ते बदलते हैं , न अपने इरादे बदलते है न अपनी बातें बदलते है 
  अपने शौक और स्वभाव ,जनाब उम्र और जबावदेही से ढल जरूर जाते  है 
लेकिन  बदलते ही कहाँ है ?

जो चीजें आपका ' दिल ' तोड़ देती हैं,
वही चीजें आपकी ' आंखें ' खोल देती है

' समय ' सीखा देता है आपको ' जिंदगी ' जीने का हुनर 
फिर क्या ' नसीब ' क्या तक़दीर और क्या हाथों की ' लक़ीर ' 

चेहरे पर मुस्कान का ये मतलब नहीं है कि जीवन में संघर्ष नहीं है 


मन की धुन सुनो तो जीवन संगीत मय है 
दुनियाँ की सुनोगे तो बेसुरा राग ही है
 
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चलते चलते : शॉर्ट रील : दृश्यम : पृष्ठ : १३ / १ . 
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साभार : निकिता : जीती हूँ तुम्हें देख कर 


रोका कई बार मैंने दिल की उमंग को 


मेरी पसंद : सारे जग से निपट लू अकेली 




शक्ति ' बहनों ' का ' डांडिया ' नृत्य 
मेरा पागल जिया न माने मेरी बैचनी कोई  न जाने

English : Page : 0  .


Editorial Page : 1 

Chief Editor

 

Prof. Dr. Roop Kala Prasad.
Department of English.
Prof. Dr. Bhwana
Department of S. Sc.
Ujjain Desk .MP

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Executive Editor.
-----------

Shakti : Seema Ranjita Priya.
Darjeeling.Kolkotta. Desk.


Shakti Correspondent  
Abroad : 


Shilpi Lal : USA
Avidha : USA
Meera Roy Choudhary : USA
---------
Editorial Page : 1 / 0
a short passionate poem.


Shakti Priya 
Darjleeng.

The Glittering Shine That 
the Rays of the Sun Touched

photo :  priya 
with the sandy wash and soothing breeze 
The gurgle of the water splashing the waves
Triggered my mind with the flow of gaze
Contemplated my thoughts for a sudden raise
And rolled me towards it with every haze

 The waves took the victory over my feet’s
With the sandy wash and the smooth and soothing breeze
Stopped me where I was supposed not be freeze
But it took me away with it’s ease 

The glittering shine that the rays of the sun touched
Where the most beautiful view that shattered my eyes
With unforgettable journey to the beach with every sight
And created a memory full of joy and excite.
 
The pictures seemed so fresh and fruity
Where every flavour was captured with lots of equity
Forecasted my thoughts to go around with super goodie
Where every angel are around to bless me with their beauty.

Edited 
Dr.Sunita Madhup.

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Shakti Theme English Page : 2
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Editor
 
We ' r '
famous 4 Sisters for 4 themes.
Shakti Dr.Sunita Ranjita Seema Anita.
Nainital Desk.
---------
Theme Mesmerizing : Art . English : Page : 2 / 0.
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Editor.


Shakti Anita.
Narmada Desk.Jabbalpur.

Shakti : an expressive art of Adil Emam & Shaiqe Alam : Editor : Shakti Neelam.

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Day : Birthday Wishes : Page English : Page : 5 /0
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Editor 



Vanita Shakti 
Shimla Desk.
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Day Wishes :  English : Page
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Birthday Wishes : English : Page

Our entire ' Shakti ' Editor Team Family ' Hum '
warmly wishes  our Shakti Editor 


Meena Singh 
Editor 
Meera Desk  
 Mukteshwar Nainital 
on  her auspicious Birthday
06.10. 2024.
Mulank 6 


Tum Jiyo Hazar Saal 
Ye Meri Hai Arzoo
Dr.Sunita Madhup Shakti Priya.

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You Said It : Days : Wishes : English Page : 6
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Editor 


Shakti Seema Bani Anita
Kolkotta Desk.
Happy Navratri Shakti 



Shikha Sinha. Patna.
Happy navratri to all. 
I love this page very much and I wonder that these show the power of women 
and seem itself as shakti. 
Thanks to the editing team and other members. Thank you
Besttejaswinblog
I have an unflinching faith that the Omnipotent Supreme Consciousness is controlling the whole world with omniscient and omnipresent charismatic power. Hence the sentient aura of that power is visible in the mundane arena .This feature is highlighted by this literary platform.I am of the opinion that the Editorial Board and the other erudite contributors are doing commendable job. Thanks
स्वयं की अपनी ' क्षमता ' व ' आत्म शक्ति ' को जानकर 
यदि पूरी ' दृढ़ता ' से ' हम ' किसी भी कठिनतम  ' लक्ष्य ' के लिए 
कोई भी ' कार्य ' सतत करेंगें तो वो ' एक दिन ' अवश्य ' सफल ' होंगे 

Comments

  1. Shakti, the Godess keep having triumph over the evils with all goodnesses....

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  2. अति प्रशंसनीय संपादन
    .....सुनील

    ReplyDelete
  3. बेहद खूबसूरत पत्रिका, शानदार सम्पादकीय

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  4. बहुत ही खूबसूरत ऑनलाइन पत्रिका। बेहतरीन सम्पादन👌। हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं💐

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  5. I have an unflinching faith that the Omnipotent Supreme Consciousness is controlling the whole world with omniscient and omnipresent charismatic power. Hence the sentient aura of that power is visible in the mundane arena .This feature is highlighted by this literary platform.I am of the opinion that the Editorial Board and the other erudite contributors are doing commendable job. Thanks

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  6. Happy navratri to all. I love this page very much and I wonder that these show the power of women and seem itself as shakti. Thanks to the editing team and other members. Thank you

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