Guru Govind Dono Khade : Shikshan Divas
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Guru Govind Dono Khade.
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राधिका कृष्ण शक्ति. त्रिशक्ति.नव शक्ति. महा.शक्ति.प्रस्तुति.
सांस्कृतिक पत्रिका.
गुरु गोविन्द दोनों खड़े काके लागू पाय : अंक : १
संस्कृति दिवस विशेषांक.
महा.शक्ति.मीडिया.प्रेजेंटेशन@जीमेल.कॉम
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आवरण पृष्ठ :
महाशक्ति :राधिका कृष्ण मीरा : विचार धारा.
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राधिकाकृष्ण : महाशक्ति : इस्कॉन डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / ० :
राधिकाकृष्ण : महाशक्ति : इस्कॉन डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / ० :
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
संस्थापना वर्ष : १९७८. महीना : जुलाई : दिवस : ४.
संपादन
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अनु ' राधा '
नैनीताल.
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राधिका कृष्ण : महाशक्ति : दिव्य दर्शन दृश्यम : विचार : पृष्ठ : ० / ० :
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गुरु ' गोविन्द ' दोनों खड़े
संपादन / अनुराधा / नैनीताल
दिव्य ज्ञान दर्शन : राधिकाकृष्ण : शॉर्ट रील.
साभार
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राधा : कृष्ण : रुक्मिणी
राधा कृष्ण की शक्ति थी
जो है मेरा सब है तेरा : राधिका कृष्ण
बरसाने में गूंजे राधे राधे
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राधा सहस्त्र नाम यात्रा
श्री ' रुक्मणि ' राधे राधे श्री ' सत्यभामा ' राधे राधे
' कृष्ण ' है विस्तार यदि तो सार है ' राधा '
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राधिका कृष्ण : महाशक्ति : शब्द चित्र : विचार : पृष्ठ : ० / ० :
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गुरु ' गोविन्द ' दोनों खड़े
संपादन / अनुराधा / नैनीताल
संपादन / अनुराधा / नैनीताल
राधिकाकृष्ण.
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सूरदास. मेरो मन ' अनत ' कहां ' सुख ' पावै।
जैसे उड़ि ' जहाज ' कौ पंछी पुनि ' जहाज ' पै आवै॥
अनंत ' प्रेम कहानी '
दृष्टि कोण
कभी कभी ' शब्द ' और सोच ' दूरियाँ ' बढ़ा देते है कभी हम ' समझ ' नहीं पाते,
और कभी ' समझा ' नहीं पाते तब ' धैर्य ' से रखी गई ' विवेक पूर्ण ' ' समझ शक्ति '
ही ' समस्याओं ' का निदान ढूंढ़ लेती है
⭐
सत्य का अनुसंधान
⭐
' विश्वास ' ' कर्म '
सबसे पहले ईश्वर में असीम ' विश्वास '
तत्पश्चात उसके समक्ष अपने जीवन के सम्यक ' कर्म '
' प्रार्थना ' फ़िर ...' धैर्य ' ... देखें ' ईश्वर ' आपके साथ होंगे
और ' सफलता ' आपके चरणों में
' राधिका कृष्ण '
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यदि अपने ' अन्तर्मन ' ने अपनी ' गलती ' मान ली हो तो
अपनी तरफ़ से ' सुधार ' की पहल
' संवाद ' के जरिए ' शीघ्र ' अति शीघ्र करनी चाहिए
⭐
विषम से विषम ' परिस्थितियों ' में भी
बिना फल की चिंता किए अपनों के लिए
कभी भी सम्यक ' कर्म ', ' व्यवहार ', ' प्रीत '
तथा ' वाणी ' का परित्याग न करना ...यही तुम्हें ' एकीकृत '
व ' शक्तिशाली ' बनाए रखेगा
⭐
रसखान,
प्रेम अयनि श्री राधिका, प्रेम-बरन नंदनन्द ।
प्रेम-वाटिका के दोऊ, माली मालिन द्वन्द्व ॥
प्रेम-वाटिका के दोऊ, माली मालिन द्वन्द्व ॥
भावार्थ
श्री राधा प्रेम का धाम है और श्री कृष्ण प्रेम का साक्षात रूप है ।
अत: राधा और कृष्ण का जोड़ा प्रेम वाटिका के मालिन और माली का जोड़ा हैं ।
अत: राधा और कृष्ण का जोड़ा प्रेम वाटिका के मालिन और माली का जोड़ा हैं ।
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मेरे जीवन के ' सार ' में ' प्रेम ' मात्र एक शब्द था जब तक तुम ' अर्थ ' बन के आए न थे
©️®️ डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया
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रुक्मिणीकृष्ण : महाशक्ति : दृश्यम : विचार डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / २ .
रुक्मिणीकृष्ण : महाशक्ति : दृश्यम : विचार डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / २ .
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रुक्मिणी डेस्क.नैनीताल
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०.
संस्थापना वर्ष : १९९५. महीना : जनवरी : दिवस : ६.
संपादन.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०.
संस्थापना वर्ष : १९९५. महीना : जनवरी : दिवस : ६.
संपादन.
शक्ति. डॉ. सुनीता सिन्हा .
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रुक्मिणीकृष्ण : महाशक्ति : दृश्यम : विचार डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / २ .
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रुक्मिणीकृष्ण : महाशक्ति : दृश्यम : विचार डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / २ .
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गुरु ' गोविन्द ' दोनों खड़े.
संपादन / डॉ. सुनीता / नैनीताल
साभार
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राधा जी ने क्यों मिटाई सभी की ' चेतना ' से
' राधे कृष्ण ' के ' विवाह ' की ' स्मृतियाँ '
राधा : हर मंदिर में मेरे साथ ही तुम ' प्रेम वश ' नज़र आओगे
द्वारिकाधीश से ज्यादा गोवर्धनधारी के रूप में ही जाने जाओगे
कृष्ण ज्ञान : जिनके मस्तिष्क पर धर्म होता है.
' क्रोध ' का परित्याग कर ' सत्य ', ' त्याग ', धर्म ' , ' शांति ' तथा ' सर्वकल्याण '
के ' सन्मार्ग ' का ' अनुसरण ' करना ही जीवन है , पार्थ !
⭐
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रुक्मिणीकृष्ण : महाशक्ति : शब्द चित्र : विचार डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / २ .
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रुक्मिणीकृष्ण : महाशक्ति : शब्द चित्र : विचार डेस्क : नैनीताल. पृष्ठ : ० / २ .
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रुक्मिणी डेस्क.नैनीताल
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०.
संस्थापना वर्ष : १९९५. महीना : जनवरी : दिवस : ६.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०.
संस्थापना वर्ष : १९९५. महीना : जनवरी : दिवस : ६.
संपादन / डॉ. सुनीता / नैनीताल.
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गुरु ' गोविन्द ' दोनों खड़े.
कर्म
' भाग्य ' या ' संयोग ' से कुछ नहीं होता,
आप अपने ' कर्मों ' से ही अपना ' भाग्य ' स्वयं बनाते हैं
श्री कृष्ण कहते हैं
' जीवन ' में कभी ' निराश ' नहीं होना चाहिए
' जीवन ' में कभी ' निराश ' नहीं होना चाहिए
क्योंकि कमज़ोर आपका ' समय ' होता है, आप नहीं
⭐
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किस ' व्यक्ति ' को ' स्वीकार ' करना
चाहिए और किसका ' परित्याग '....
यह तो उस व्यक्ति के ' संस्कार ' ,' आचरण ' ,
'कर्म ' और ' वाणी ' से दिख जाता है
यदि हम अपनी प्राप्त समस्त
'इन्द्रियों ' का प्रयोग करना सीखें
चाहिए और किसका ' परित्याग '....
यह तो उस व्यक्ति के ' संस्कार ' ,' आचरण ' ,
'कर्म ' और ' वाणी ' से दिख जाता है
यदि हम अपनी प्राप्त समस्त
'इन्द्रियों ' का प्रयोग करना सीखें
विषम से विषम ' परिस्थितियों ' में भी
बिना ' फल ' की ' चिंता ' किए अपनों के लिए
कभी भी सम्यक ' कर्म ', ' व्यवहार ', ' प्रीत '
तथा ' वाणी ' का परित्याग न करना ...यही तुम्हें ' एकीकृत '
व ' शक्तिशाली ' बनाए रखेगा, पार्थ !
बिना ' फल ' की ' चिंता ' किए अपनों के लिए
कभी भी सम्यक ' कर्म ', ' व्यवहार ', ' प्रीत '
तथा ' वाणी ' का परित्याग न करना ...यही तुम्हें ' एकीकृत '
व ' शक्तिशाली ' बनाए रखेगा, पार्थ !
जीवन दर्शन
⭐
' नेक नामी ' और ' बदनामी ' में अंतर क्या है…
' नेक नामी ' स्वयं बहुत परिश्रम कर कमाना पड़ता है, '
बदनामी ' लोग बिना श्रम के ही आपको कमा के दे देते हैं…
⭐
गुरु ' गोविन्द ' दोनों खड़े.
संपादन / डॉ. सुनीता / नैनीताल.
विचार करें
⭐
कृष्ण ज्ञान.
क्या ' सत्य ' हैं क्या 'असत्य ' है ?
क्या ' उचित ' है क्या ' अनुचित '.... ? इसका ज्ञान तो
किसी के ' बतलाने ' ' कहने ' से हटकर स्वयं के ' विवेक '
और स्वयं की ' अनुभूति ' में ही
उत्पन्न होना चाहिए... पार्थ !
...निर्भीकता से विचार करते हुए उस ' धर्म ' के ' सन्मार्ग ' का
भयरहित हो कर ' अनुगमन ' करो
M.S. Media ©️®️ डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया
⭐
सत्य ' न्याय ' और धर्म के लिए
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जो ' स्वयं ' को पढ़ रहा है स्वयं के भीतर ' अंतर्मन ' में झांक रहा है अपनी कमियों
खूबियों को परख रहा हैं केवल वही ' बदल ' रहा है
अन्यथा जो मात्र ' परनिंदा ' ' परदोष ' निकालने व ' विरोध ' करने मात्र में लगा हुआ हैं
वह ' नकारात्मक ' व्यक्ति
अपने ' जीवन काल ' में ही ' अधपतन ' की ओर ही अग्रसर हो जाता हैं
©️®️ डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया
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' अश्वत्थामा ' हत: ' नरो ' ना ' कुञ्जरो ' वा : कृष्ण - ' युधिष्ठर ' के इस ' अर्ध सत्य '
में ही जीवन सत्य ' धर्म विजय ' का सार छिपा था... उस कल्याणकारी ' असत्य ' के ग्रहण करने में
ही कोई ' सत्य ' निहित है.....
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' क्रोध ' का परित्याग कर ' सत्य ', ' त्याग ', धर्म ' , ' शांति ' तथा ' सर्वकल्याण '
के ' सन्मार्ग ' का ' अनुसरण ' करना ही जीवन है , पार्थ !
©️®️ डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया
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मीराकृष्ण : महाशक्ति डेस्क : मुक्तेश्वर : नैनीताल. पृष्ठ : ० / ३ .
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मीरा डेस्क.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९८६.
संस्थापना वर्ष : १९८९. महीना : अक्टूबर : दिवस : ६ .
संपादन.
मीराकृष्ण : महाशक्ति डेस्क : मुक्तेश्वर : नैनीताल. पृष्ठ : ० / ३ .
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मीरा डेस्क.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९८६.
संस्थापना वर्ष : १९८९. महीना : अक्टूबर : दिवस : ६ .
संपादन.
शक्ति. मीना सिंह
मुक्तेश्वर. नैनीताल.
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मीराकृष्ण : मुक्तेश्वर डेस्क : दृश्यम : विचार : नैनीताल. पृष्ठ : ० / ० :
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मीराकृष्ण : मुक्तेश्वर डेस्क : दृश्यम : विचार : नैनीताल. पृष्ठ : ० / ० :
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गुरु ' गोविन्द ' दोनों खड़े.
संपादन / मीना सिंह / मुक्तेश्वर
मीरा : ' गोविन्द ' बोलो ' हरि ' गोपाल बोलो.
मीरा : ' गोविन्द ' बोलो ' हरि ' गोपाल बोलो.
⭐
कृष्ण दर्शन ' मन ' दर्पण
तोरा ' मन ' दर्पण कहलाए
' मन ' ही ईश्वर '
मन ' ही देवता
' मन ' से बड़ा न कोय
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मीराकृष्ण : मुक्तेश्वर डेस्क : शब्द : विचार : नैनीताल. पृष्ठ : ० / ० :
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मीराकृष्ण : मुक्तेश्वर डेस्क : शब्द : विचार : नैनीताल. पृष्ठ : ० / ० :
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संपादन / मीना सिंह / मुक्तेश्वर
मीराबाई
मेरो तो ' गिरधर ' गोपाल दुसरो न कोय
जा के सिर ' मोर मुकुट ', मेरो पति सोई
मीरा हो गई मगन
व ' बलिदान ' का होना अति आवश्यक है
⭐
ज़िन्दगी में जो भी करना है
स्वयं के सामर्थ्य और अपने कर्म पर कीजिए,
लोगों के भरोसे पर नहीं क्योंकि,
विश्वास के निमित जन मिलते ही कहाँ हैं
⭐
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त्रि - शक्ति : प्रस्तुति : पृष्ठ : १ / ०.
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महा लक्ष्मी : महा शक्ति : महासरस्वती
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
संस्थापना वर्ष : १९७८. महीना : जुलाई . दिवस : ४.
नैनीताल डेस्क
त्रि - शक्ति : दर्शन.
⭐
संपादन.
शक्ति.
⭐
सम्पादित
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त्रिशक्ति : विचार : दृश्यम : पृष्ठ : १ / ०.
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⭐
त्रिशक्तियां ' लक्ष्मी ' ,' शक्ति ' और ' सरस्वती '
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त्रिशक्ति : शिक्षण : दृश्यम : विचार : पृष्ठ : १ / ०.
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संपादन. त्रिशक्ति.
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शिक्षण : दिवस विशेष.
कृष्ण : जीवन : दर्शन अपेक्षा व उपेक्षा
वास्तव में ' भय ' से बड़ा कोई ' शत्रु ' ही नहीं हैं :
भय से छूटने के लिए ' मनुष्य ' अन्याय को मान्य कर लेता है
⭐
कृष्ण ज्ञान तीन शस्त्र : धर्म : धैर्य : साहस से ही विजय है
एक अच्छा शिक्षक एक मोमबत्ती की तरह होता है
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त्रिशक्ति : जीवन शिक्षण : शब्द चित्र विचार : पृष्ठ : १ / ०.
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त्रिशक्ति : जीवन शिक्षण : शब्द चित्र विचार : पृष्ठ : १ / ०.
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गुरु गोविन्द दोनों खड़े
संपादन : त्रिशक्ति
अमर्यादित ' असंयमित ' ' वाणी ' ही
समस्त जीवन ' संघर्ष ' के मूल में है
अपनी वाणी पर ' संयम ' और ' जीत ' ही
' विश्व विजय ' का प्रारब्ध है ,पार्थ !
⭐
जो स्वयं की ' आँखों 'से देखो , अपने ' कानों ' से सुनो वही ' विश्वास ' के योग्य है
तदुपरांत सम्पूर्ण धैर्य विवेक से बिना किसी पूर्व ' अवधारणा ' के
सत्य के अनुसन्धान में सदैव लगे रहो....
परिणाम सर्वदा सुखद व आश्चर्य जनक होंगे
©️®️ डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया
⭐
कितना कीमती था ' समय ' सम्यक ' साथ ' और ' संबंध '
जीवन भावनाएं : आर्य नियम
सम्यक जीवन का राग : मध्यम मार्ग
यश तो आपके आचरण से मिलता है
सूरदास : कृष्ण भक्ति
मैया ! मोरी, मैं ' नहीं ' ' माखन ' खायो
उन पत्तों की ' अहमियत ' नहीं जो ' शाख ' से अलग हैं
महाशक्ति ' राधिका कृष्ण ' से साभार
⭐
आपका ' स्वभाव ' कितना भी अच्छा क्यों ना हो,
लोग आपके बारे में तभी ' अच्छा ' बोलेंगे जब आप उनके ' काम ' आयेंगे।
⭐
हम ' त्रिशक्तियों ' के सम्यक सम्मेलन, तथा ' हरि ' की कृपा से उत्पन्न चार
शिव - शक्तियों का उद्भव ' माधव ' की बांसुरी से निकले उस सम्मोहित ' धुन ' की भांति होंगी
जिसे सुन समस्त ' जगत ' ही पागल ही होगा
⭐
पार्थ ! स्वयं के जीवन में दो ' परीक्षाएं ' अवश्य
ही ' उत्तीर्ण ' करनी चाहिए
सुख में ' विनम्रता ' की और दुःख में ' धैर्य ' की
की गई ' निंदा ', ' आलोचना ' से मात्र विचलित न हो
हर किसी निरर्थक ' प्रश्न ' व ' क्रिया ' के लिए ' प्रतिक्रिया '
देने की ' आवश्यकता ' ही नहीं है , पार्थ
किसी के ' मन ' और ' मौन ' को बहुत कम ' लोग ' समझ पाते हैं
⭐
यदि ' मनुष्य ' अपने ' जीवन ' में कुछ सीखना चाहे
तो जीवन में की गई उसकी प्रत्येक ' भूल ' उसे कुछ न कुछ उसे ' सीखा ' ही देती है
---------------
त्रिशक्ति : सम्यक वाणी : महालक्ष्मी : मुझे भी कुछ कहना है : पृष्ठ : १ / १
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महालक्ष्मी दर्शन.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७९.
महा लक्ष्मी : डेस्क : कोलकोता :
संस्थापना वर्ष : २००३. महीना : जून. दिवस : २.
महा लक्ष्मी : डेस्क : कोलकोता :
संस्थापना वर्ष : २००३. महीना : जून. दिवस : २.
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संपादन.
कोलकोता डेस्क
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--------------
⭐
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साभार : दृश्यम : विचार.पृष्ठ : १ / १.
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महालक्ष्मी डेस्क / कोलकोता
गुरु ' गोविन्द ' दोनों खड़े
सम्पादित : शक्ति. सीमा सिंह.
विचार करें
⭐
मन के ' विपरीत ' हो तो हरि की ' इच्छा '
⭐
हरि दर्शन
तुम ' हरि ' को ढूंढ़ते हो यही ' ग़लती ' करते हो
तुम हरि में खो जाओ हरि तुम्हें स्वयं ' ढूंढ़ ' लेंगे
शॉर्ट : रील : तीसरी मुट्ठी में देने लगे वैकुण्ठ
तो लक्ष्मी ने रोक लिया हैं
अनंत चतुर्दशी : हरि ' अनंत ' हरि कथा ' अनंता '
अनंत चतुर्दशी की ' हार्दिक ' शुभकामनाएं
-----------
शब्द चित्र : दृश्यम : विचार.पृष्ठ : १ / १.
------------
सम्पादित
' शक्ति ' सीमा सिंह. कोलकोता डेस्क
कृष्ण ज्ञान.
सकारात्मक ' सोच ' से ' जीवन ' की
हर ' कठिनाई ' आसान ' हो जाती है
अपने जीवन काल में ' स्वाभिमान ' इतना भी ना वर्धित करें कि ' अभिमान ' बन जाए
न इतना ' न्यून ' करें कि ' स्वयं का ' अभिमान ' ही मर जाए
⭐
चाहे कोई कितना भी बड़ा ' शतरंज ' का ' खिलाड़ी ' क्यों न हो
अंततः ' छल ' ' प्रपंच ' का अंत ' मात ' ही होता है ….
⭐
स्वयं की ' आत्म शक्ति ' ही बतला देती है कि क्या ' सही ' है क्या ' गलत ' है
लेकिन कुछेक ' अपनों ' के लिए ' मोह वश ' हम गलत ' निर्णय ' लेने के लिए ' विवश ' मात्र हो जाते है
कृष्ण शिक्षण ज्ञान.
⭐
-----------
शब्द चित्र : दृश्यम : विचार.पृष्ठ : १ / १.
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महालक्ष्मी डेस्क / कोलकोता
गुरु ' गोविन्द ' दोनों खड़े
सम्पादित : शक्ति. सीमा सिंह.
⭐
बहुत संभलकर चलना पड़ता है ' संबंधों ' की वारिश में , जनाब
क्योंकि इसका रेनकोट ' बाज़ार ' में नहीं मिलता है
क्योंकि इसका रेनकोट ' बाज़ार ' में नहीं मिलता है
⭐
जो जितना ' शैव - वैष्णव ' जनों के लिए
' सम्मान ' ' धैर्य ', ' स्नेह ' ,' त्याग ', सम्यक ' वाणी ' और ' व्यवहार ' रखेंगे
वो उतने ही ' दिव्य ' होते चले जायेंगे
⭐
फिल्म ' रफ़्तार ' १९७५.
अभिलाष ( गीत कार )
से साभार
संसार है एक नदियां ' दुःख सुख ' दो किनारे हैं
ना जाने कहाँ जाए हम बहते ' धारे ' हैं
चलते हुए जीवन की ' रफ़्तार ' में एक लय है
एक ' राग ' में एक ' सुर ' में संसार की हर ' शय ' है
एक ताल पर..... ' गर्दिश ' में ये ' चाँद सितारें ' हैं
⭐
धरती पे ' अंबर ' की आँखों से बरसती है
एक रोज़ यही ' बूँदें ' फिर ' बादल ' बनती है
इस बनने बिगड़ने के ' दस्तूर ' में सारे हैं
ना जाने कहाँ जाए हम बहते ' धारे ' हैं
⭐
कोई भी किसी के लिए अपना ना ' पराया ' है
रिश्तों के उजाले में हर आदमी ' साया ' है
' कुदरत ' के भी देखो तो ये ' खेल ' निराले हैं
ना जाने कहाँ जाए हम बहते धारे हैं
⭐
है कौन वो ' दुनियाँ ' में न ' पाप ' किया जिसने
बिन उलझें ' काँटों ' से है ' फूल ' चुने जिसने
बेदाग़ नहीं कोई यहाँ ' पापी ' सारे हैं
संसार हैं एक ' नदियाँ ' ' सुख दुःख ' दो किनारे हैं
न जाने कहाँ जाए हम बहते ' धारे ' हैं
⭐
यदि आप हरेक बात ' ह्रदय ' पर ही ले लेंगे ….
तो सर्वदा ' दुखी ' ही रहेंगे ….
इसलिए हरेक वाक्य को ' विवेक ' और ' तर्क '
के ' आधार ' पर ही ' ग्रहण ' करना चाहिए
⭐
सबके जीवन की ' घड़ी ' में उसका एक ' समय ' है
लेकिन सबका ' समय ' ' अलग अलग ' है जो उसके किये गए ' कर्मों ' से सुनिश्चित होता है
⭐
' प्रशंसा ' यदि सम ' उचित ' है तो हमारा ' उत्साह ' बढ़ाती है
लेकिन ' आवश्यकता ' से अधिक हो तो हमें ' लापरवाह ' भी बना दे ती है..
⭐
अति सर्वत्र वर्जयेत् ...सत्य है..... ' बोलना ' और ' प्रतिक्रिया ' करना जरूरी है...,
लेकिन कभी भी ' संवाद ' में ' संयम ' और ' सभ्यता ' का
' परित्याग ' नहीं होना चाहिये..
⭐
अमर्यादित, ' असत्य पूर्ण ', ' वाणी ' ही सभी जीवन ' संघर्षों ' का मूल कारण हैं, पार्थ !
इसे सदैव अपने ' संस्कार गत ' रखना ही होगा
दूसरों के लिए नहीं तो कम से स्वयं के ' परिजनों ' के लिए अति ' आवश्यक ' है
⭐
------------
त्रिशक्ति : सम्यक दृष्टि : महा शक्ति : नैनीताल डेस्क : पृष्ठ : १ / २.
त्रिशक्ति : सम्यक दृष्टि : महा शक्ति : नैनीताल डेस्क : पृष्ठ : १ / २.
----------
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७६.
⭐
शक्ति : दर्शन
सिंहवाहिनी ' शक्ति '
नैना देवी : नैनीताल डेस्क
-----------
साभार : दृश्यम : विचार.पृष्ठ : १ / २ .
------------
नैना देवी : नैनीताल डेस्क
संपादन / शक्ति रंजीता
⭐
गुरु ' गोविन्द ' दोनों खड़े
कृष्ण ज्ञान : जीवन दृश्यम
⭐
गुरु ' गोविन्द ' दोनों खड़े
अपनी भारतीय ' सभ्यता ' ,' संस्कृति ' और ' संस्कार ' पुराने ही अच्छे है
वो चाहे ' ह्रदय ' का हो या फिर ' समय ' का
ईमानदारी ' जिंदगी ' भर निखरती है
जितिया पर्व
हम सभी ' शक्ति ' बहनों की तरफ़ से जगत की
समस्त ' मातृ शक्तियों ' को ' जितिया ' पर्व
की ' अनंत ' ( श्री हरि ) शुभकामनाएं
हम सभी ' शक्ति ' बहनों की तरफ़ से जगत की
समस्त ' मातृ शक्तियों ' को ' जितिया ' पर्व
की ' अनंत ' ( श्री हरि ) शुभकामनाएं
वक़्त बदलता ही इसलिए है ताकि
इस ' भीड़ ' में ' अपनों ' को पहचान सके
उत्साही मन और मुस्कुराता हुआ चेहरा
हरि अवतरित राम कृष्ण दर्शन :
अनंत चतुर्दशी की अनंत शुभकामनाएं
दृश्यम : गोविन्द का कर्म ज्ञान
नैना देवी : नैनीताल डेस्क
-----------
शब्द चित्र : शक्ति : विचार.पृष्ठ : १ / २ .
------------
गुरु ' गोविन्द ' दोनों खड़े
वो चाहे ' ह्रदय ' का हो या फिर ' समय ' का
संपादन / शक्ति. रंजीता
⭐
दीपक : स्वभाव : प्रकाश : महल : झोपड़ी
' क्षमा '
तुम्हारा ' ईश्वर ' तुम्हें सबसे अधिक बार ' क्षमा ' करता है
फिर ' माँ ' और इसके बाद तुम्हारा दिव्य ' प्रेम ' ...
इसके अतिरिक्त,तुम्हारे ' अनजाने ' में किए गए भूलवश ' अपराधों '
के लिए इस ' संसार ' में कोई ' अन्य '
तुम्हें अंतर मन से ' क्षमा ' नहीं कर सकता है
©️®️ डॉ. सुनीता मधुप शक्ति प्रिया
⭐
शब्द चित्र
' विश्वास ' और ' धैर्य ' जीवन के दो मजबूत स्तंभ हैं
ज्ञान वश किसी भी ' चेतन ' निर्दोष को ' पीड़ा ' पहुँचाना
भी एक ' हिंसा ' व मानवीय ' अपराध ' ही है
दीदी मैं तेरे माथे की बिंदी,हिंदी
तब तक ' मेहनत ' मत छोड़ो जब तक़
लम्बी जुबान को समेट कर रखें
हर हाल में ' मुस्कुराना ' सीखिए.
वक़्त इम्तिहान लेकर सिखाता है
' भावनाओं ' के सामने झुक जाता है.....
⭐
⭐
श्री गणेशाय नमः
वक्तुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
' तीज ' विशेष सजीव विचार
ओम ' शक्ति ' शिवाय नमः
--------------
त्रिशक्ति : सम्यक आचरण : महा सरस्वती : नर्मदा डेस्क : पृष्ठ : १ / ३ / ०
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९८२.
नर्मदा डेस्क : जब्बलपुर.
नर्मदा डेस्क : जब्बलपुर.
संस्थापना वर्ष : १९८९. महीना : सितम्बर. दिवस : ९.
संपादन.
⭐
' शक्ति ' अनीता. जब्बलपुर
शारदा : श्वेतपद्मासना : दर्शन
-----------
त्रिशक्ति : सम्यक आचरण : दृश्यम विचार : नर्मदा डेस्क : पृष्ठ : १ / ३ /०.
----------
गुरु ' गोविन्द ' दोनों खड़े
संपादन.
⭐
ज्ञान ,विवेक , मधुर वाणी की देवी सरस्वती नमस्तुभयं
जया किशोरी : दृश्यम : सत्याग्रह के लिए पूर्ण वहिष्कार
जया किशोरी : कृष्ण दर्शन : दृश्यम
कृष्ण ने भी हँस कर ' गांधारी ' का ' शाप ' स्वीकारा था
-----------
त्रिशक्ति : सम्यक आचरण : शब्द चित्र विचार : नर्मदा डेस्क : पृष्ठ : १ / ३ /०.
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गुरु ' गोविन्द ' दोनों खड़े
संपादन.
' शक्ति ' अनीता. जब्बलपुर
⭐
जीवन राग
⭐
' शब्द '
शब्द ' चाबियों ' की तरह होते हैं
यदि आप सही ढंग से ' चुनते ' हैं तो वो किसी का भी ' दिल ' खोल सकते हैं
और किसी का ' मुँह ' बंद भी कर सकते हैं
उतना ही ऊँचा होगा
सर्व ' कल्याण ' और
सम्यक ' परिणाम ' के लिए
' प्रतिज्ञा ' छोड़नी भी
एक भली ' प्रतिज्ञा ' ही, है
⭐
ऋषि संदीपन से गुरुकुल में
शिक्षा लेते कृष्ण और सुदामा
⭐
विचारों से ' असहमत ' होते हुए भी
सहमति के ' बिंदुओं ' को खोजना
प्रत्येक का सम्यक ' कर्म ' ही उसका सम्यक ' धर्म ' है
हम चार शक्ति बहनें जीवन की सार हैं
शांति से जीने के लिए दो ही सर्वोत्तम उपाय
' भूल ' और ' क्षमा '
जीवन में ' शांति ' से जीने के लिए दो ही उपाय ' सर्वोत्तम ' हैं.....
' क्षमा ' कर दो उन्हें, जिन्हें आप ' भूल ' नहीं सकते.....
या भूल जाओ उन्हें जिन्हें आप ' क्षमा ' नहीं कर सकते.....
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' समझ '
जीवन में सबसे कठिन ' दौर ' वह नहीं है, जब कोई हमें ' समझता ' नहीं है,
बल्कि वह है, जब हम अपने आपको नहीं ' समझ ' पाते ….
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' नजरिया '
मैं हर किसी के लिए अपने आपको अच्छा ' साबित ' नहीं कर सकता
लेकिन मैं उनके लिए ' बेहतरीन ' हूँ जो मुझे समझते हैं
व्यक्ति को ' स्वयं ' के ' दृष्टिकोण ' में सही होना चाहिए
बाकी दुनियाँ तो ' भगवान ' से भी दुःखी है
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क्रिया ' और ' प्रतिक्रिया '
आपको हर किसी को हर क्षण ' जवाब ' देने और हर ' क्रिया ' पर
' प्रतिक्रिया ' करने की आवश्यकता ही नहीं है
बेहतर है ' प्रत्युत्तर ' देने के बजाय धैर्य पूर्वक मौन ही रहा जाए
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सुन्दर ' फूल ' ही ' साक्षी ' है अक्सर वही तोड़े जाते हैं
जो ' मनमोहक ' व ' अच्छे ' होते हैं
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सम्यक ' वाणी ' सम्मत ' व्यवहार '
अपनी ' बुद्धि ' , ' विवेक' , ' ज्ञान ' संयमित ' वाणी ', तथा ' व्यवहार'
से अपनों को तो ' जीता ' जा ही सकता है
तदुपरांत समस्त ' विश्व विजय ' की भी कामना की जा सकती है
अन्यथा ' वाणी ', सम्मत ' व्यवहार' पर न रखने वाले ' जन ' अपने को तो ' खो ' ही देते हैं
' समग्र ' खोने में भी तनिक ' देर ' नहीं लगती
कम से कम अपनों से इस ' व्यवहार नीति ' की शुरुआत करें
©️®️ डॉ सुनीता अनीता सीमा रंजीता
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किसी को भी यहाँ ' सम्पूर्णता ' नहीं मिलती ' जिंदगी ' बहुत कुछ देकर भी
किसी न किसी ' चीज़ ' के लिए हमें ' फ़कीर 'बना ही देती है
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शिक्षा से बड़ा कोई ' वरदान ' नहीं है
गुरु के ' आशीर्वचन ' से बड़ा सम्मान नहीं है
सदैव अपने जीवन में ' सद्गुरु ' और ' सम्यक ज्ञान ' की ' खोज ' में लगे ही रहें
©️®️ डॉ. सुनीता रंजीता सीमा अनीता
दिव्य भविष्य वाणी समर्थित
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महाशक्ति : सम्यक कर्म. प्रस्तुति : पृष्ठ : १ / ४ /
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प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०.
संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी . दिवस : ६
नैनीताल डेस्क :
शक्ति . डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया.
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महाशक्ति : सम्यक कर्म. दृश्यम : प्रस्तुति : पृष्ठ : १ / ४ /
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शक्ति . डॉ.सुनीता रंजीता प्रिया.
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मनुष्य के संबंधों का आधार है : अपेक्षा : कृष्ण दर्शन
कृष्ण दर्शन : जो मनुष्य शांत और एकाग्र रहें
द्रौपदी : माधव आप तो भविष्य देख लेते है
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महाशक्ति : सम्यक कर्म. शब्द चित्र : विचार : प्रस्तुति : पृष्ठ : १ / ४ / ०
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नैनीताल डेस्क
गुरु ' गोविन्द ' दोनों खड़े
संपादन.
शक्ति . डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया.
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श्री विष्णवे नमः
हरि की ' इच्छा '
मन के ' विपरीत ' हो तो हरि की ' इच्छा '
सत्यमेव ' जयते '
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महा शक्ति शब्द चित्र विचार
ॐ नमो शिवाय
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बदलाव के लिए ' समय ' का ' इंतज़ार ' मत करें क्योंकि ,
बदलाव ' समय ' के हाँथ में नहीं आपके ' हाथ ' में है
सत्यमेव ' जयते '
झूठे लोगों को ' सच ' का हमेशा पता होता है
कदाचित सच्चे लोगों को शायद ' झूठ ' का पता ना हो
तथापि अंततः ' सत्यमेव जयते ' ही होता है
भाग्यशाली
' भाग्यशाली ' वे नहीं होते है
जिन्हें ' सब कुछ ' मिल जाता है
बल्कि ' वे ' होते है जिन्हें जो मिलता है उसे वे
अपने ' कर्मों ' वाणी और ' व्यवहार ' से
अपना अच्छा ' भाग्य ' बना लेते है
जिंदगी कुछ भी नहीं तेरी मेरी ' कहानी ' है
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बदलाव के लिए ' समय ' का ' इंतज़ार ' मत करें क्योंकि ,
बदलाव ' समय ' के हाँथ में नहीं
आपके ' हाथ ' में है …
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दिमाग ठंढ़ा हो तो ' फ़ैसले ' ग़लत नहीं होते
' भाषा ' मीठी हो तो ' अपने ' दूर नहीं होते जीवन में जब कभी भी ' उलझनें ' बढ़ जाए
तो थोड़ी ' शिथिलता ' ' अवहेलना ' अपना लें क्योंकि जीवन में ' उलझनों ' की गाँठ, ' दुःख ' से परित्राण पाने का सही तरीका यही होता है....लेकिन जिससे ' कारण ' हुआ उससे ही हल की ' साझेदारी ' करें किसी ' अन्य ' से नहीं
©️®️ डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया.
⭐
जीवन : शिक्षण
सुख की ख़ोज में हम ' ब्रह्मचर्य ' से बढ़ते हुए ' ' गृहस्थ ' तत्पश्चात ' वानप्रस्थ आश्रम ' की तरफ़
आ गए...अब तक हमें मात्र ' दुःख , ' क्लेश ' और ' तनाव ' का ही अनुभव मिला
.....अब विचार करते है काश ! हम बालक ही होते...तो कुछेक दिन और प्रसन्न हो लेते
©️®️ डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया
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मानव ' जीवन ' में महान बनने की कोई ' पाठशाला ' नहीं होती
आपके किए गए
कर्म,' वाणी ', ' व्यवहार ' और ' आचरण ' ही आपको महान बनाते हैं
शक्ति : रेनू अनुभूति नीलम.
गुरु ' गोविन्द ' दोनों खड़े
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जीवन शिक्षण
राहें ' जिंदगी ' की कभी ' आसान ' नहीं होती
हर कदम पर मुश्किलों की पहचान होती है
जो ठान ले आगे बढ़ने की क़सम उसी के लिए मंजिलें आसमान होती हैं
©️®️ शक्ति : रेनू अनुभूति नीलम.
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' संवाद '
विवेकशील ' प्राणी ' जो अपने प्रिय संत, ' आर्यजनों ' से निर्भीकता पूर्वक साथ निभाता हुआ ससम्मान
किए गए ' संवाद ' सतत रखेंगे वो निश्चित ही ' सन्मार्ग ' की ओर उन्मुख होंगे....
उन्हें स्वयं के व्यर्थ के ' अभिमान ' से हटकर मात्र ' बातचीत ' का क्रम जारी रखना होगा
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रूठती तो हमेशा खुशियाँ ही है दुःखों के कहाँ इतने नख़रे होते हैं
नाजुक वक़्त है ना रखना किसी से बैर हो सके तो हाथ जोड़ कर ईश्वर से माँगना सब की ख़ैर
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कुछ तो ' अच्छा ' है सभी में
फिर जरा सी ' बुराई ' है भी तो उसका ' हिसाब ' क्या करना
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कोई भी ' इंसान ' इतना ' श्रेष्ठ ' तब भी नहीं होता
जितना कि उसको उसकी ' जीत ' पर हम बताते हैं,
न ही वह इतना ' बुरा ' होता है जितना उसकी ' हार ' पर लोग समझते हैं।
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' इंद्र ' के प्रकोप से बचाने वाले ' गोवर्धन धारी '
' राधा ' के साथ निश्छल निःस्वार्थ ,आध्यात्मिक प्रेम ,
गुरुकुल मित्र ' सुदामा ' के साथ निभाई गयी आजीवन मित्रता रखने वाले '
' धर्म ' एवं ' मर्यादा ' की रक्षार्थ
सखी ' द्रौपदी ' की ' मर्यादा ' के संरक्षक,
शांति दूत , प्रिय सखा गांडीव धारी ' अर्जुन ' के दिव्य सारथी, पथ प्रदर्शक ,
भ्राता ' शिशुपाल ' के लिए असीम धैर्य रखने...
९९ गलतियों को क्षमा करने की सहनशक्ति रखने वाले,
' भागवत गीता ' के ' कर्मवाद ' के प्रवर्तक
' अधर्म ' के विरुद्ध ' धर्म ' के राज्य की संस्थापना में पांडवों को यथेष्ठ सहायता प्रदान करने वाले
' महाभारत ' युद्ध में हेतु वगैर शस्त्र उठाये विजय सुनिश्चित करने वाले
६४ कलाओं से युक्त एकमात्र ' योगेश्वर ' ' कृष्ण ' ही ' भगवन ' है
जो हम समस्त प्राणियों के सर्वोत्तम जीवन के ' दर्शन ' व ' शिक्षण ' है
©️®️ डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया.
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त्योहार : आज : विशेष : शुभ कामनाएं : पृष्ठ : १ / ६
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संपादन
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शक्ति. बीना मीना भारती
नैनीताल.
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२८.०९. २०२४.
शहीदे आजम : भगत सिंह जयंती.
त्योहार : दिवस : विशेष : शुभ कामनाएं
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कर्मा पूजा की हम ' शक्ति ' मीडिया.
परिवार की तरफ से ढ़ेर सारी शुभकामनाएं
करमा झारखंड के प्रमुख त्योहारों में से एक है.
यह पर्व झारखंड- बिहार के अलावा ओडिशा, बंगाल,
छत्तीसगढ़ और असम में आदिवासी समुदाय द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है.
इस पर्व में बहनें अपने भाइयों की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं
और उनके दीर्घायु के लिए पूजन करती हैं.
मान्यता है कि इस पर्व को बहनें अपने भाइयों के लिए करती हैं.
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शिक्षक : शिष्य दिवस की मधुर शुभकामनाएं
दृश्यम : टीचर टीचर आप अगर न होते.
डॉ. आर. के. प्रसाद. हड़्डी रोग विशेषज्ञ समर्थित
सम्पादकीय : पृष्ठ :२
निर्मला सिन्हा.
१९४० - २०२३
१९४० - २०२३
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संपादकीय शक्ति समूह.
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प्रधान संपादिका.
रेनू ' अनुभूति ' नीलम.
नव शक्ति. श्यामली डेस्क. शिमला.
संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी. दिवस : ५.
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कार्यकारी सम्पादिका.
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डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया
महाशक्ति डेस्क.नैनीताल
महाशक्ति डेस्क.नैनीताल
संस्थापना वर्ष : १९९९. महीना : जनवरी. दिवस : ६
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सीमा वाणी अनीता
कोलकोता डेस्क
संस्थापना वर्ष : १९९९.महीना : जून. दिवस : २.
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विशेषांक संपादक
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मानसी शालिनी कंचन
नैनीताल.
नैनीताल.
बीना मीना भारती
नैनीताल.
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वरिष्ठ सम्पादिका
डॉ. मीरा श्रीवास्तवा
पूना.
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अतिथि सम्पादिका
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रीता रानी.
जमशेदपुर
लेखिका कवयित्री
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संरक्षिका नेत्री.
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डॉ. भावना माधवी.
उज्जैन. महाकाल.---------
संयोजिका
मीडिया हाउस.
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मीडिया हाउस.
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वनिता. शिमला
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आकाश दीप :पद्य संग्रह :सम्पादकीय : प्रस्तुति. पृष्ठ : ३.
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शिमला डेस्क
संपादन.
प्रधान सम्पादिका.
रेनू शब्द मुखर. जयपुर
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हसिकाएँ.शॉर्ट रील.
युवा हास्य कवि : सूरज मणि. वाराणसी
स्त्री ' वन ' की तुलना में स्त्री ' टू ' ने लगभग दोगना अधिक बिज़नेस किया है
इस बात से साबित हो गया है
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लघु चित्र कविता.
जीवन राग
डॉ. सुनीता मधुप
मैं, मैं हूँ मैं ही रहूँगी
मै ' राधा ' नहीं बनूंगी, मेरी प्रेम कहानी में.. किसी और का पति हो, रुक्मिनी की आँख की किरकिरी मैं क्यों बनूंगी, मैं ' राधा ' नहीं बनूँगी. मै ' सीता ' नहीं बनूँगी, मै अपनी पवित्रता का, प्रमाणपत्र नहीं दूँगी, आग पे नहीं चलूंगी वो क्या मुझे छोड़ देगा- मै ही उसे छोड़ दूँगी, मै सीता नहीं बनूँगी. ना मैं ' मीरा ' ही बनूंगी, किसी मूरत के मोह मे, घर संसार त्याग कर, साधुओं के संग फिरूं एक तारा हाथ लेकर, छोड़ ज़िम्मेदारियाँ- मैं नहीं मीरा बनूंगी. ⭐
अज्ञात कवयित्री
क्रमशः जारी
यशोधरा मैं नहीं बनूंगी
मैं, मैं हूँ मैं ही रहूँगी
यशोधरा मैं नहीं बनूंगी
छोड़कर जो चला गया
कर्तव्य सारे त्यागकर
ख़ुद भगवान बन गया,
ज्ञान कितना ही पा गया,
ऐसे पति के लिये
मै पतिव्रता नहीं बनूंगी,
यशोधरा मैं नहीं बनूंगी।
उर्मिला भी नहीं बनूँगी मैं
पत्नी के साथ का
जिसे न अहसास हो,
पत्नी की पीड़ा का ज़रा भी
जिसे ना आभास हो,
छोड़ वर्षों के लिये
भाई संग जो हो लिया-
मैं उसे नहीं वरूंगी
उर्मिला मैं नहीं बनूँगी।
मैं गाँधारी नहीं बनूंगी,
नेत्रहीन पति की आँखे बनूंगी,,
अपनी आँखे मूंद लू
अंधेरों को चूम लू
ऐसा अर्थहीन त्याग
मै नहीं करूंगी,,
मेरी आँखो से वो देखे
ऐसे प्रयत्न करती रहूँगी,,
मैं गाँधारी नहीं बनूँगी।
*मै उसी के संग जियूंगी,
जिसको मन से वरूँगी,
पर उसकी ज़्यादती
मैं नहीं कभी संहूंगी
*कर्तव्य सब निभाऊँगी
लेकिन, बलिदान के नाम पर
मैं यातना नहीं सहूँगी , मैं मैं हूँ,
और मैं ही रहुँगी
अज्ञात कवयित्री
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आँखों में ' समंदर ' है
वो हँसती तो बहुत है
पर आंखों में उदासी का समुंदर छिपा है,
सदियों की कुछ कहानियां जो होठों तक नहीं आ पाईं।
वो बोलती तो बहुत है
जैसे शब्दों का सैलाब हो,पर दिल की बात
उसकी मौन भाषा से भी कभी सामने न आई ।
वो मिलती तो है अपनेपन से
पर हर मुलाकात में छुपा एक अजनबीपन है,
जैसे हर जवाब में कोई सवाल दबा हो।
मुस्कुराहटों के उस पार एक खामोश चाह है,
जो वक्त की परतों में खोई सी लगती है।
जब उससे मुलाकात हुई तो जाना हर शख्स के भीतर भी,
एक अनकही दास्तान होती है।
वो दास्तान जो कभी कागज़ पर नहीं उतरती,
पर उसकी आंखों में तैरती रहती है।
रेनू शब्दमुखर.
प्रधान सम्पादिका
जयपुर.
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प्रेम पीड़ा नहीं : एक निर्वाण है
प्रेम करो
हाँ, निरंतर प्रेम करो
जब तक प्रेम खुद न कह दे
मैं हूँ तेरा संगी
संगीत की धुन
आकाश की अनंतता
धरती की समरसता
प्रेम वह जीवन की छाँव है,
सुकून का बहलाव है,
आह ! एहसास की लहरें,
जो आत्मा को छू जाती हैं.
पर याद रखो
प्रेम पीड़ा नहीं
आनंद का अनन्त प्रवाह.
प्रेम की यह गूंज
संगीत की अदृश्य राग है
धरती पर एक अमृतवृष्टि आकाश की नीली छांव है.
प्रेम करो प्रेम की गहराई में
जहाँ कोई भी दुःख न हो
बस स्वर्गीय सुंदरता की अनुभूति
जीवन की पूर्णता की धुन हो।
रेनू शब्दमुखर
कवयित्री
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धूप का सफ़र
अज्ञात
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गुरु ' गोविंद ' दोनों खड़े काके लागूं पाय .....
धर्म,जाति से परे हो जिसने, ज्ञान चक्षु खोल दिया, गुरु गोविंद के लिए जिसने,सही तराजू खोज लिया. मोल नहीं गुरु का कोई, गोविंद से जिसने जोड़ दिया, मसी,कागद छुए बिना कबीर ने,सहजता से बोल दिया. गोविंद से परिचित कराने वाला ,गुरु दिव्य रश्मिरथी है, जोत से जिसके हर प्राणी,तमस पार कर जाता है. नमन वंदन है भारत भूमि को,जिसने ऐसा संत दिया, खेवनहार गुरू पाकर जीव,भवसागर से तर पाता है. गुरु गोविंद हों जब साथ खड़े,गुरु की शरण में जाता है.
शक्ति नीलम पाण्डेय
प्रधान सम्पादिका
वाराणसी
⭐
काश रह सकूँ
मैं तेरे साथ
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हिंदी दिवस पर
लघु चित्र कविता.
हिंदी मैं
माथे की बिंदी
अभिलाषा बन कर
चमकती रहूंगी,सदा
तेरे भाल पर,
मैं तुम्हारी ' आत्म शक्ति '
तेरे ' भाग्य माथे ' की ' बिंदी बिंदी '
जीवन भर साथ रहूंगी मैं तेरे संग
जुबां पर बनकर मिश्री घुल कर
बन कर मिठास मैं हिंदी हिंदी
डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया
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हिंदी दिवस पर
लघु चित्र कविता.
तू मेरे मन की ' अभिव्यक्ति ' है
साहित्य सर्जना की ' शक्ति ' है
हम हृदय से करते हैं वंदन
है बारंबार ये अभिनन्दन
तू जन-गण-मन की अभिलाषा
मेरी मातृभूमि की है भाषा
तू माँ भारती की बिंदी है
तू सबकी प्यारी हिंदी हैं.
साहित्य सर्जना शक्ति है
तू वेदों की अभिव्यक्ति है
जो तुझको प्रेम करे जग में,
तू निकट उसे ही रखती है,
है अलंकार, रस, छंद तू ही,
तू प्रेम, तू ही आनन्दी है,
तू सबकी प्यारी हिन्दी है.
कवियों का सम्मान भी है,
हर लेखक का अरमान भी है.
जिसने तुझे ढंग से पहचाना
तू देती उसे पहचान भी है,
तेरे भाव सदा उत्कृष्ट रहे
अंग्रेजी की प्रतिद्वंद्वी है,
तू सबकी प्यारी हिन्दी है.
जिसने सीखी तेरी बोली,
तू बस उसके संग-संगहो ली।
तूने ही दिया सम्मान उसे,
बन माथे की चंदन रोली
तन, मन से हुई समर्पित मैं
'शालिनी' करे तुकबन्दी है
तू सबकी प्यारी हिन्दी है.
शालिनी राय
कवयित्री.
नैनीताल डेस्क
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समय और परिवर्तन
कृष्ण ने कहा
सत्य और ' धर्म ' के लिए
लड़ते हुए ' अकेले ' भी रहो
तो लड़ो
पहले भी ' अकेले 'ही लड़ता रहा था
पर कोई आत्म ' शक्ति ' साथ होती थी
आज भी वैसे ही लड़ रहा हूँ
लेकिन अब जब
समय ' परिवर्तनशील ' है
तो ' अब ' लगता है
शायद कोई है ?
और नहीं भी
डॉ. मधुप
पुनः सम्पादित : प्रिया. दार्जलिंग
⭐
' शिक्षक '
फोटो : जया
' शिक्षक दिवस ' पर
सोचती हूं मैं,
हर बार.
शिक्षक दिवस होता है,या
शिक्षक की वजह से,
' दिवस ' होता है.
अज्ञान का अंधकार,
दूर हो सकता है क्या ?
सैकड़ों दीयों की जगमग से.
दूर हो सकता है क्या?
सूरज की रोशनी से !
नहीं मिला उत्तर अब तक !
इक अंधेरे घर में जैसे,
नहीं देख पाती हैं,
ख़ुद को भी
अपनी ही आंखें.
दूसरी तरफ,
गुरु का संबल,
दूर कर देता है,अंधकार
मन का सारा,
और, जिस तरह,
मन की,नहीं होती आंखें,
फिर भी,पढ़ लेता है,हर चेहरा वो,
हर दूरी तय कर,
पहुंच सकता है कहीं भी जो,
गुरु की पारखी आँखें,
और उनका स्नेहिल हस्त,
कर देता है, हम सबका
जीवन मार्ग प्रशस्त.
नीलम पांडेय.
वाराणसी.
प्रधान सम्पादिका.
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तारे जमीन पर : गद्य संग्रह : सम्पादकीय : प्रस्तुति. पृष्ठ : ५ .
--------------
संपादन
शक्ति नीलम पांडेय.
वाराणसी.
प्रधान सम्पादिका.
⭐
साभार : वसीम बरेलबी : लघु फिल्म
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शर्तें नहीं लगायी जाती ' दोस्ती ' के साथ
कीजे मुझे कबूल मेरी हर कमी के साथ
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हिंदी दिवस : सम्पादकीय : आलेख : ५ / ०
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' हमारी भाषा हमारा ' अभिमान ' हिंदी दिवस : आलेख.
मुकेश ठाकुर. स्वतंत्र लेखक
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' निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल,
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को शूल.'
हमें अपनी बात कहने और समझाने के लिए भाषा की आवश्यकता होती है।भाषा ही हमारी प्रगति की प्रथम सीढ़ी है। हमारा चिंतन,नव निर्माण की कल्पना हम अपनी भाषा में ही करते हैं।हमारी प्रत्यक्ष भाषा कोई भी हो सकती है,लेकिन हमारे सपने,हमारे विचार,हमारी कल्पनाएं सब मातृभाषा में ही आते हैं।अतः हमारी उन्नति हमारी का मूल हमारी मातृ भाषा है।अपनी मातृभाषा के ज्ञान के बिना हमाराआत्मिक दर्द किसी को नही समझा सकते।भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी है और भारत हमारी मातृभूमि। ' अतःहमारी मातृ भाषा हमारा अभिमान है।' चारों वेद,महाभारत, रामायण जैसे काव्य भी हिंदी जननी संस्कृत में ही लिखे है।हिंदी रस,छंद,अलंकारों से समृद्ध भाषा है जो अन्य किसी भाषा में नहीं हैं।
हर शब्द का अपना विशेष अर्थ है,' जब स्वामी विवेकानन्द जी राष्ट्रभाषा सम्मेलन में शिकागो गए तो स्टेशन पर लेने आये व्यक्ति इंग्लिश में बात करने लगे,लेकिन विवेकानन्द जी ने हिंदी में ही उत्तर दिया,तो वह व्यक्ति समझे इनको इंग्लिश नहीं आती,तो उन्होनें हिंदी में बात करना शुरू किया।
थोड़ी देर बाद जब विवेकानन्द जी ने उनके बारे में इंग्लिश में पूँछा ति वह व्यक्ति दंग रह गए,बोले आपको इंग्लिश आती थी तो चुप क्यों रहे, विवेकानन्द जी ने कहा आप अपनी भाषा का सम्मान करते है तो मैंने भी अपनी मातृभाषा का सम्मान किया,जब आपने मेरी माँ का सम्मान किया तो मैंने भी आपकी माँ का सम्मान किया। ' हमारी भाषा हमारा अभिमान है।' देश विदेश में भी हिंदी साहित्य ने धूम मचा दी है।
किन्तु अपने ही देश में हिंदी गरीब है,माता पिता इंग्लिश मीडियम से बच्चों को पढ़ाना पसंद करते है,
क्यूंकिअंग्रेज चले गए किंतु प्रतियोगी परीक्षाएं अभी भी इंग्लिश में ही होती है। राष्ट्र भाषा होते हुए अभी भी सरकारी काम इंग्लिश में ही होते है।मेडिकल,इंजीनियरिंग सभी परीक्षाएं इंग्लिश में होती हैं।हिदीं को सम्मान दिलाने के जो संघर्ष विवेकानंद जी और गाँधी जी ने किए आज हम उस पर पानी फेर रहे हैं। हमें हमारे बच्चों को शिक्षा से अलग हिंदी के महत्त्व को समझाना होगा।
आज हम सब इस अवसर पर संकल्प लें कि हम अपनी मातृभाषा हिंदी को गर्व और सम्मान के साथ आगे बढ़ाएँगे। हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं, यह हमारी संस्कृति और पहचान का प्रतीक है। अपनी भाषा को अपनाना आत्मसम्मान की ओर पहला कदम है।
अगर सपनों को ऊँचाइयाँ देनी हैं, तो अपनी जड़ों से जुड़कर आगे बढ़ना होगा। हिंदी से जुड़े रहिए, प्रेरणा लेते रहिए, और सफलता की नई ऊँचाइयों को छूते रहिए। आप सभी को हिंदी दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
एक डोर में सबको जो है बाँधती वह हिंदी है
हर भाषा को सगी बहन जो मानती वह हिंदी है
भरी पूरी हो सभी बोलियाँ यही कामना हिंदी है
गहरी हो पहचान आपसे यही साधना हिंदी है.
स्तंभ संपादन : शालिनी रॉय.
पृष्ठ सज्जा : शक्ति मीडिया
नैनीताल डेस्क
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गुरु ' गोविन्द ' दोनों खड़े : सम्पादकीय : आलेख : ५ / ०
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जीवन का मुख्य उद्देश्य अब सिर्फ मन की शांति, आर्य जन की खोज और
सम्यक गुरु और साथ की तलाश करना ही हैं।
डॉ.सुनीता मधुप ' शक्ति प्रिया. '
फिर वही तलाश : अच्छे जन की : सूरज मणि
फिर वही तलाश जारी थी। भले लोगों की। एकदम से अनजाने लोगों की। इंटरनेट पर ऐसी अनजानी हस्तियों की तलाश जारी रहती है । मैं मानता हूँ समझदारी से सम्यक तरीक़े से संवाद होना चाहिए। भला बुरा जैसा भी हो, संवाद हीनता की स्थिति न बनने पाए। जो वक्ता प्रवक्ता की तरह बोलते हैं। उनके लिए तो कोई समस्या नहीं आन पड़ती हैं।
नैनीताल के मेरे मित्र संपादक डॉ. नवीन जोशी , बांसुरी बादक बिल्लू ,ग़ज़ल गायिका पीनाज मसानी इस फिर वही तलाश की एक महत्वपूर्ण कड़ी थे जिनसे मेरी अचानक की मुलाकात थी। तो आज की अचानक की इस कड़ी में सम्यक साथ मिला था २७ वर्षीय युवा हास्य कवि सूरज मणि का।
नंबर मेरे पास था। इनकी हास्य कविताएं सुनी ,वीडिओ भी देखी। लगा आज इनसे ही छोटी सी मुलाक़ात बात चीत के जरिए कर लेते हैं। नम्बर लगा देने पर ढंग से बातें भी हुई। मूलतः वाराणसी के रहने वाले सूरज मणि एक साहित्यकार है । कवि सम्मेलन में पेशेवर कवि की तरह भाग लेते हैं। आप मुझे पहली मुलाक़ात में ही अच्छे लगने लगे। उम्मीद करते है मेरे अनुज जैसे सूरज मणि से आगे का सम्यक साथ बना ही रहेगा
दो सालों से एक आर्य जन को मैंने स्कूल में शिक्षकों को सम्मानित करते हुए देखा। पेशे से वो चिकित्सक हैं। उनसे परिचय मेरा अधिक पुराना नहीं है। दो तीन चार मुलाकातें हुई। डॉ. साहिब विचार और संस्कार से अच्छे लगे। चरण स्पर्श भी मैं उनके ही करता हूँ जहाँ जिनके व्यक्तित्व में थोड़ी विशालता देखता हूँ।
डी ए भी जैसी संस्था में सदैव आर्यों की तलाश , देखता करता रहा हूँ। एकाध या बिरले को छोड़ कर सभी आम ही दिखते हैं। कभी पाकिस्तान में जन्में महात्मा ग्रोवर हाल के दिनों तक बिहार और आर्य समाज में ने कभी अपने लिए विशेष जग़ह बनाई थी। आम ख़ोज अभी भी जारी ही है। आस पास के समूह में मैंने तलाश की। डॉ. ब्रज भूषण सिन्हा जैसे लोग मिले। चिकित्सक अध्यापक हैं। पठन पाठन का उन्हें शौक हैं। उनके आने का कारण तलाशा। निःस्वार्थ ही लगा।
डी ए भी जैसी संस्था में सदैव आर्यों की तलाश , देखता करता रहा हूँ। एकाध या बिरले को छोड़ कर सभी आम ही दिखते हैं। कभी पाकिस्तान में जन्में महात्मा ग्रोवर हाल के दिनों तक बिहार और आर्य समाज में ने कभी अपने लिए विशेष जग़ह बनाई थी। आम ख़ोज अभी भी जारी ही है। आस पास के समूह में मैंने तलाश की। डॉ. ब्रज भूषण सिन्हा जैसे लोग मिले। चिकित्सक अध्यापक हैं। पठन पाठन का उन्हें शौक हैं। उनके आने का कारण तलाशा। निःस्वार्थ ही लगा।
आर्य समाज तथा इसके नियम क्या हैं ? सब सत्यविद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं, उन सबका आदिमूल परमेश्वर है। ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनंत, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वांतर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और सृष्टिकर्ता है, उसी की उपासना करने योग्य है। वेद सब सत्यविद्याओं का पुस्तक है। वेद का पढ़ना–पढ़ाना और सुनना–सुनाना सब आर्यों का परम धर्म है। सत्य के ग्रहण करने और असत्य के छोडने में सर्वदा उद्यत रहना चाहिए। सब काम धर्मानुसार, अर्थात् सत्य और असत्य को विचार करके करने चाहिए। संसार का उपकार करना इस समाज का मुख्य उद्देश्य है, अर्थात् शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक उन्नति करना। सबसे प्रीतिपूर्वक, धर्मानुसार, यथायोग्य वर्तना चाहिये। अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि करनी चाहिये। प्रत्येक को अपनी ही उन्नति से संतुष्ट न रहना चाहिये, किंतु सब की उन्नति में अपनी उन्नति समझनी चाहिये।सब मनुष्यों को सामाजिक, सर्वहितकारी, नियम पालने में परतंत्र रहना चाहिये और प्रत्येक हितकारी नियम पालने में स्वतंत्र रना चाहिए।
क्या हम इनमें से किसी भी एक नियमों का पालन करते हैं। अगर नहीं करते हैं तो केवल पढ़ देने मात्र का कोई औचित्य नहीं होता है
क्रमशः जारी
स्तंभ संपादन : सज्जा
नैनीताल डेस्क
शक्ति : सीमा रंजीता अनीता
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गुरु ' गोविन्द ' दोनों खड़े : सम्पादकीय : आलेख : ५ / ०
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शक्ति नीलम पांडेय.
वाराणसी.
' गुरू कुम्हार सीस कुंभ है '
फोटो : साभार : नेट गुरु : ब्रह्मा, विष्णु, महेश, विश्वामित्र, संदीपन स्वयं माधव. शिष्य : राम लक्ष्मण, कृष्ण सुदामा, अर्जुन |
गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढ़ि-गढ़ि काढ़ै खोट।
अन्तर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट॥
भावार्थ :- गुरु कुम्हार है और शिष्य घड़ा है। गुरु ही हैं जो भीतर से हाथ का सहारा देकर, बाहर से चोट मार-मारकर और गढ़-गढ़ कर शिष्य की बुराई को निकालते हैं। दोहा कबीर का है।
भारतरत्न ,भारत के द्वितीय राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और कई महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रह चुके महान दार्शनिक डा.कृष्णन के जन्मदिन शिक्षक दिवस पर डा राधाकृष्णन को शत शत नमन करते हुए अब बात करते हैं, गुरू शिष्य परम्परा की।
वैदिक काल : वैदिक काल से ही गुरु-शिष्य की परंपरा चली आ रही है. गुरु-शिष्य की परंपरा नई पीढ़ी तक पहुंचाने का सोपान है. गुरु द्वारा जो शिक्षा या विद्या शिष्य को सिखाई जाती है,उस ज्ञान को अर्जित कर बाद में शिष्य गुरु के रूप में अपने शिष्यों को उसकी शिक्षा देता है. यही क्रम चलता रहता है और शिक्षा व विद्या का विस्तार गुरु-शिष्य की परंपरा से होता रहता है।
भारतीय परंपरा में शिक्षा दान का कार्य त्यागी लोगों ने ही किया। जब तक ऐसा रहा तब तक भारत का कल्याण हुआ। स्वामी विवेकानंद के अनुसार इस देश में शिक्षा दान का भार पुन त्यागी लोगों को नहीं दिया जाता तब तक भारत को दूसरे देशों के तलवे चाटने होंगे।केवल पांडित्य प्रदर्शनकारी गुरु नहीं हो सकते। सच्चे गुरु यश, धन आदि जैसी स्वार्थ-सिद्धि लिए शिक्षा नहीं देते। वे प्रेम और कर्तव्यवश अपना कार्य करते हैं।
भारतीय वांग्मय में हमें गुरुकुल व्यवस्था के विहंगम दिग्दर्शन होते हैं। वैदिक काल में शिक्षा को व्यवस्थित रूप देने के क्रम में सर्वप्रथम दो प्रश्न उभरे। प्रथम ‘ क्या ’ सिखाया जाए तथा द्वितीय ‘ कैसे ’ सिखाया जाए? इन प्रश्नों के अन्तर्गत उन विषयों का समावेश हुआ जिनके ज्ञान से मानव समाज में उपयोगी भूमिका निभाने में सक्षम हो सका।
प्राचीन काल में शिक्षारूप यह उच्च कोटि का कार्य नगरों और गाँवों से दूर रहकर शान्त, स्वच्छ और सुरम्य प्रकृति की गोद में किया जाता था। इनका संचालन राजाश्रय व जनसहयोग से होता था। इन गुरुकुलों में हर वर्ण के छात्र साथ पढ़ते थे। गरीब-अमीर में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं था। सबको समान सुविधाएं दी जाती थी। गुरुकुल में प्रवेश की उम्र आठ साल की होती थी।नई शिक्षा नीति कई मायने में विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास को गति प्रदान करने वाली सिद्ध होगी। अब बात करते हैं
प्रिय शिक्षक राधाकृष्णन : एक ऐसे शिक्षक की जिसके लिए सर्वविदित है कि वर्ष १९२१ मैसूर के महाराजा कॉलेज के भव्य सभागार के बाहर फूलों से सजी-धजी एक बग्घी खड़ी थी। इस बग्घी के चारों ओर छात्रों का विशाल हुजूम उमड़ा हुआ था। इस बग्घी को खींचने के लिए घोड़े नहीं जुड़े हुए थे बल्कि इसे छात्रों को ही खींचना था।
अब उस शख्स की बात करते हैं जिसे इस बग्घी की सवारी करनी थी... ये शख्स कोई और नहीं बल्कि थे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन। छात्रों के प्रिय शिक्षक राधाकृष्णन का कोलकाता यूनिवर्सिटी में तबादला हो गया था इसलिए छात्र उन्हें इतनी भावपूर्ण-स्नेहिल बधाई दे रहे थे।
भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन अपनी राजनीतिक शख्सियत से इतर एक महान शिक्षक भी थे इसीलिए इनके जन्मदिवस यानी ५ सितंबर को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
५ सितंबर को ही शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है ?... इसके पीछे भी एक दिलचस्प किस्सा है- ' यह बात वर्ष १९६२ की है जब डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हो गए थे और उनका निवास दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन बन चुका था। इसी दरम्यान उनके जन्मतिथि की तारीख यानी ५ सितंबर आने को थी।
जब उनके कुछ दोस्त और छात्र ने उनसे उनका जन्मदिन मनाने का निवेदन किया तब उन्होंने कहा कि यदि उनके जन्मदिन को वार्षिक शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो ये उनके लिए बेहद सौभाग्य की बात होगी। उनके चाहने वालों ने ठीक ऐसा ही किया... तबसे वार्षिक तौर पर ५ सितंबर को शिक्षक दिवस मनाने की शुरूआत हुई।
बाद में इस दिन को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
पूरी दुनिया ५ अक्टूबर को शिक्षक दिवस मनाती है पर भारत में ५ सितंबर को ही शिक्षक दिवस ' डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ' जी की इच्छा का सम्मान करते हुए मनाया जाता है।
सादा जीवन उच्च विचार यह मुहावरा सुनने में मनमोहक है किंतु इसके अनुरूप जीवन को ढालना अत्यंत कठिन है इस मुहावरे को साकार कर जीवन में उतारने वाले डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन और महापुरुषों की श्रेणी में आते हैं जिनकी कथनी और करनी में कोई अंतर न था वह जो कहते थे उसे करके ही दम लेते थे डॉ राधाकृष्णन ने जीवन को कठिन तपस्या के रूप में लिया पर स्वयं को किस की आग में तपा कर कुंदन बना दिया तदनंतर उन की चमक से संपूर्ण विश्व में प्रकाशित हो उठा ले किसी राजनीतिक दल अथवा जोशीले भाषणों के बल पर दुनिया में पूजनीय नहीं हुए बल्कि उन्होंने उस सम्मान और ऊंचाइयों को अपनी योग्यता के बल पर प्राप्त किया उनका जीवन एक शिक्षक के रूप में आरंभ हुआ था लेकिन अपने बौद्धिकता और योग्यता के बल पर उन्होंने एक महान दार्शनिक और लेखक के रूप में ख्याति अर्जित की साथ ही एक ओजस्वी वक्ता के रूप में पहचाने गए जब डॉक्टर राधाकृष्णन राष्ट्रपति पद पर आसीन हुए तो उन्हें ₹ १०,००० मासिक वेतन मिलता था लेकिन यह मात्र ढाई हजार रुपे मासिक वेतन लेते थे उनके वेतन की शेष राशि देश की उन्नति और विकास के कार्यों में खर्च होती थी डॉक्टर राधाकृष्णन देश के प्रति समर्पित व्यक्ति थे ।
माता-पिता, गुरू और वैसे हर व्यक्ति जिससे हमने कुछ सीख ली को नमन-वंदन करते हुए सभी को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं...
पृष्ठ सज्जा : शक्ति. डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया.
स्तंभ संपादन : शक्ति. बीना अनुभूति भारती
नैनीताल डेस्क .
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गुरु : ' गोविन्द ' : दोनों खड़े : ये मेरा गीत जीवन संगीत : पृष्ठ : ६.
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नैनीताल डेस्क
संपादन.
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शक्ति. सीमा रंजीता अनीता.
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ये मेरा गीत जीवन संगीत :
डॉ. सुनीता मधुप ' शक्ति ' प्रिया.
फिल्म : बुड्ढा मिल गया. १९७१
सितारे : नवीन निश्चल.अर्चना.
गीत : मजरूह सुल्तानपुरी. संगीत : आर डी वर्मन.गायक : किशोर कुमार
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं
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फिल्म : महबूबा. १९७६.
गाना : बरसो बीत गए हमको मिले बिछड़ें
सितारे : हेमा मालिनी.राजेश खन्ना.योगिता बाली
गीत : आनंद बख्शी संगीत : आर डी वर्मन. गायिका : लता
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं
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फिल्म : तीन देवियाँ. १९६५
गाना : लिखा है तेरी आँखों में किसका अफसाना.
सितारे : देव आनंद. नंदा. कल्पना. सिम्मी ग्रेवाल.
गीत : मजरूह सुल्तानपुरी संगीत : एस डी वर्मन गायक : किशोर कुमार. लता.
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं
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फिल्म : सम्बन्ध .१९६९
सितारे : देव मुखर्जी. अंजना मुमताज़
गाना : चल अकेला चल अकेला
हज़ार मील लम्बे रास्तें तुझको बुलाते
गीत : प्रदीप कुमार. संगीत : ओ पी नैयर. गायक : मुकेश.
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फिल्म : पगला कही का.१९७०
सितारे : शम्मी कपूर. आशा पारेख.
गाना : तुम मुझे यूँ भूला न पाओगे.
गीत : हसरत जयपुरी. संगीत : शंकर जयकिशन. गायिका : लता.
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं
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फ़िल्म : मेरा नाम जोकर.१९७०
सितारे : राज कपूर. सिम्मी ग्रेवाल. केसेनिया रियाबिनकिना. पद्मिनी.मनोज कुमार
गाना : कल खेल में हम हो न हो
गर्दिश में तारे रहेंगे सदा
गीत : शैलेन्द्र संगीत : शंकर जयकिशन गायक : मुकेश
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं
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फ़िल्म : रफ़्तार. १९७५.
सितारे : विनोद मेहरा. मौसमी चटर्जी.
गाना : संसार है एक नदियां सुख दुःख दो किनारे है
कोई भी किसी के लिए अपना न पराया है
गीत : अभिलाष. संगीत : सोनिक ओमी. गायक : मुकेश. आशा भोसले.
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाए
फिल्म : इम्तिहान.१९७४.
सितारे : विनोद खन्ना. तनूजा.
गाना : रुक जाना नहीं तू कही हार के.
गीत : मजरूह सुल्तान पुरी. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायक : किशोर कुमार.
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साभार : गुरु मंत्र.
आवाज : संजीवनी भालेन्दे
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाए
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फ़िल्मी कोलाज़ : पृष्ठ : ७. किसी राह में : गुरु गोविन्द दोनों खड़ें
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संपादन
शक्ति वनिता अनुभूति स्मिता
शिमला डेस्क.
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आपने कहा : दिवस : त्यौहार : विशेष :पृष्ठ : ८ .
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संपादन
शक्ति माधवी वाणी भावना
कोलकोता डेस्क
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शक्ति समूह की ' जयकार ' का इससे अच्छा ' संपादन ' हो ही नहीं सकता।
वैसे भी कहा गया है कि शक्ति के बिना तो ' शिव ' भी ' शव ' तुल्य ही होते हैं।
सुनील कुमार ,
सेवानिवृत स्टेशन मैनेजर पॉवर ग्रीड पटना
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दिवस : त्यौहार : विशेष :पृष्ठ : ८ .
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राधिका अष्टमी तिथि : महालक्ष्मी की कृपा
फोटो : शालिनी.
नैनीताल डेस्क
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आप सभी को महालक्ष्मी व्रत की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं
प्रतिवर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत का शुभारंभ हो जाता है
और आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर इसका समापन होता है।
षोडशोपचार पूजन विधि द्वारा किया गया यह महालक्ष्मी व्रत धन की देवी लक्ष्मी को समर्पित है।
यह पवित्र १६ दिवसीय महालक्ष्मी व्रत करने से
महालक्ष्मी की कृपा उनके भक्तों पर सदैव बनी रहती है।
@ शालिनी.साहित्य सृजन
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जय महालक्ष्मी
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दिनांक ६ ,७ को ' तीज ', ' वराह जयंती ', ' गौरी हब्बा '
गणेश चतुर्थी को ' हम ' सभी ' शक्ति ' परिवार की
तरफ़ से हार्दिक शुभकामनाएं.
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गुरु गोविन्द दोनों खड़े : ये कौन चित्रकार है : कला दीर्घा : पृष्ठ : ९
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संपादन
शक्ति : रंजीता अनुभूति प्रिया
शिमला डेस्क.
इतनी ' शक्ति ' हमें देना दाता मन का ' विश्वास ' कमज़ोर हो न : कला कृति : आकांक्षा :
तेरी आँखों के सिवा इस दुनियाँ में रखा क्या है : कलाकृति : सुकृति : चयन : रंजीता अनुभूति प्रिया |
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समाचार : चित्र : विशेष : दृश्य माध्यम : न्यूज शॉर्ट रील : लिंक्स : पृष्ठ : ११.
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संपादन.
नैनीताल डेस्क.
मानसी शालिनी कंचन.
नैनीताल.
नैनीताल.
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संक्षिप्त समाचार : आस पास : पृष्ठ : ११ / ०
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बिहार / सं स : नालंदा : आस पास : पृष्ठ : ११ / ० / १
शक्ति शालिनी रॉय
नैनीताल डेस्क
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राजगीर में हुआ दो दिवसीय जिला स्तरीय फिलाटेली प्रदर्शिनी २०२४ का आरंभ.
समाचार संकलन.
शक्ति सीमा अनीता.
माननीय मंत्री श्री श्रवण कुमार,द्वारा दो दिवसीय जिला स्तरीय फिलाटेली प्रदर्शिनी २०२४ का उदघाटन. फोटो : शक्ति |
नालंदा / संवाद सूत्र .दिनांक १८ सितम्बर। छोटी सी आशा लेकर आज सूरज उदित हुआ था। समय चलायमान भी था और हमारा साथ भी दे रहा था। सुबह के दस सवा दस का समय था। बुधवार का दिन था। उमस भरा ही दिन कहा जा सकता था। हम सभी समय पर पहुंच चुके थे।
समयानुसार माननीय मंत्री श्री श्रवण कुमार, ग्रामीण विकास एवं संसदीय कार्य विभाग बिहार सरकार के कर कमलों द्वारा दो दिवसीय जिला स्तरीय फिलाटेली प्रदर्शिनी २०२४ का उदघाटन संपन्न हुआ।
प्रदर्शिनी के उदघाटन समारोह में कुन्दन कुमार,अधीक्षक, डाकघर, नालंदा मण्डल द्वारा अपने सम्बोधन में सभी का इस प्रदर्शनी में आगमन पर स्वागत किया गया व दो दिनों में होने वाले कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी दी गई।
माननीय श्री अनिल कुमार, भारतीय डाक सेवा, मुख्य डाक महाध्यक्ष, बिहार के द्वारा विशेष आवरण के बिमोचनकर्ता थे तो माननीय श्री मनोज कुमार, भारतीय डाक सेवा, डाक महाध्यक्ष, पूर्वी प्रक्षेत्र भागलपुर कीअध्यक्षता में कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी ।
इस शुभ अवसर पर माननीय सांसद श्री कौशलेन्द्र कुमार, नालंदा लोक सभा, प्रदर्शनी के बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे।
नालंदा डाक प्रमंडल, द्वारा दो दिवसीय जिला स्तरीय डाक टिकट प्रदर्शिनी का शुभारंभ नालंदा विश्वविद्यालय राजगीर में किया गया। प्रदर्शिनी का नेतृत्व श्री कुन्दन कुमार, अधीक्षक डाकघर, नालंदा मण्डल द्वारा किया गया। मौके पर नालंदा विस्वविद्यालय, राजगीर के कुलपति श्री अभय कुमार सिंह भी विशिष्ट अतिथि के रूप मे उपस्थित रहे। डाक विभाग का उद्देश्य डाक टिकट जारी करने के साथ साथ उससे संबन्धित इतिहास की जानकारी देना।
श्री अनिल कुमार, भारतीय डाक सेवा, मुख्य डाक महाध्यक्ष, बिहार ने अपने सम्बोधन मे इस डाक टिकट प्रदर्शनी के भव्य आयोजन की सराहना की।
इस प्रदर्शिनी में आगंतुकों की सुविधा के लिए एक काउंटर बनाया गया। इस मौके पर कुन्दन कुमार, डाक अधीक्षक नालंदा सहित श्री मनोज कुमार, सहायक डाक अधीक्षक (मू ), डाक निरीक्षक श्री इंदेश विक्रांत, विवेक कुमार, विकास राय, श्री अमलेश कुमार डाकपाल प्रधान डाकघर एवं डाक विभाग के अन्य अधिकारीगण व कर्मचारीगण भी उपस्थित रहे।
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गतांक से आगे : १ : दूसरा दिन
राजगीर : दो दिवसीय जिला स्तरीय फिलाटेली प्रदर्शिनी २०२४ :
प्रेरक प्रसंग : छोटी सी आशा : जीने की आशा
समाचार आलेख : शक्ति : सीमा अनीता
चाँद तारों को छूने की आशा आसमानों में उड़ने की आशा : फोटो : शक्ति : अनीता सीमा |
प्रतिभागियों के मध्य होने वाली विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं में हम नौनिहालों के साथ एक छोटी सी आशा लेकर उतरे थे। हम स्वस्थ्य खेल भावना की मानसिकता रखने वाले प्रतिभागियों की तरह पूरी खेल भावना के साथ होने वाली प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेने की आकांक्षा रखते हैं।
खेल भावना में तो हार जीत लगी होती है। हमें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना है। दो या दो से अधिक व्यक्तियों या समूहों के बीच किसी समान इच्छित वस्तु के लिए प्रतिद्वंद्विता, जिसके परिणामस्वरूप आमतौर पर एक विजेता और एक पराजित होता है, लेकिन जरूरी नहीं कि पराजित पक्ष ही नष्ट हो जाए।
एक सार्थक प्रयास में कनिष्ठ वर्ग में चतुर्थ वर्ग की नन्ही फलक ने चित्र कला प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल कर लिया तो दूसरी तरफ़ वर्ग छ की रितिका राज ने अपना तृतीय स्थान पर काबिज हुई।
सबसे महत्वपूर्ण था डाक टिकटों के डिज़ाइन के सन्दर्भ हुई वरिष्ठ वर्ग की प्रतिस्पर्धा। डाक टिकटों के डिज़ाइन और उनके जारी होने के समय की सामाजिक-राजनीतिक वास्तविकताओं के कारण, वे टिकट संग्रहकर्ताओं के लिए काफ़ी कीमती होते हैं.
भारत में स्मारक डाक टिकट जारी किए जाते हैं, जिन पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के लोगों की तस्वीरें होती हैं. इसमें सप्तम वर्ग की छात्रा स्वाति द्वितीय पादन पर रही। अब ख़ुशी हमारे दरवाज़े पर दस्तक़ देने लगी थी। हम सभी शक्ति समूह की मेहनत रंग लाने लगी थी। प्रयास जब सफलता में तब्दील होने लगती है तो पाँव जमीन पर नहीं पड़ते हैं।
अब थी बारी नृत्य की। अनोखी ,भाव्या, इना ,शिफ़ा ,कृति , शरण्या और प्रिया को हम शक्ति बहनों यथा अन्वेषा , अनीता , प्रीति ,का बच्चों के साथ नृत्य की भाव भंगिमा , स्टैपिंग्स का प्रयास का सही आकलन मंच पर दिखना और दिखाना था।
भारत के बंगाल लोक नृत्य के प्रसिद्ध लोक धुन ' फागुनीरो मोहनाय ' पर हमारी छात्राओं ने मनभावन प्रस्तुति दी। उम्मीद तब ही जगने और जगाने लगी थी इस वर्ग में भी हम कुछ न कुछ जरूर हासिल करेंगे। हमें मनोबांछित परिणाम भी मिला। हमारे नृत्य को खूब सराहना मिली। हम इतनी ख़ुशी में ही बहुत खुश थे। मंचासीन लोगों ने हमारी मुक्त कंठ से प्रसंशा की थी जो हमारे लिए सबसे बड़ा पारितोषिक था।
घर लौटे तो गहरी शाम हो चुकी थी। हम सभी को घर लौटते लौटते आठ सवा आठ बज चुके थे। थकान थी मगर काफूर हो चुकी थी। नृत्य में मिले द्वितीय स्थान की प्रशस्ति हम सभी की ख़ुशी की खास वजहें थी।
उधर हमारी शक्ति बहनें डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया एक प्रेरक प्रसंग छोटी सी आशा : जीने की आशा को लिपिबद्ध कर रहीं थी। यह थी हमारी एकता की शक्ति।
औपचारिक क्रियाओं के बाद प्रतियोगिता में भाग लेने का भी अवसर आ गया था। आज डाक विभाग द्वारा बच्चों के लिए पत्र लेखन प्रतियोगिता, चित्रकता प्रतियोगिता, डाक टिकट चित्रकला, क्विज प्रतियोगिता
( प्रारम्भिक राउंड ) का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिताओं में २५ स्कूलों के लगभग ११०० विधार्थियों ने भाग लिया था । बताते चले इन प्रतियोगिताओं में सभी विजेता प्रतिभागियों का चयन कमेटी के द्वारा किया गया था। विजेता प्रतिभागियों को आज १९ सितम्बर को प्रदर्शिनी के समापन समारोह के अवसर पर सम्मानित भी किया जाना था।
पिछली बार हम सबों का नेतृत्व समाचार संकलन के लिए शक्ति समूह की सम्पादिका रंजीता कर रहीं थी। इस बार समाचार,व छाया चित्र के संकलन का यह दायित्व मुझे सीमा और अनीता को उठानी थी।
सांस्कृतिक गतिविधियों को लेकर डी ए वी बिहार शरीफ, पावर ग्रीड की एक छोटी सी टीम जा रही थी राजगीर नालंदा विश्वविद्यालय के परिसर को लेकर अभिमुख थी ।
मुझे याद है पिछली बार राजगीर महोत्सव में समाचार संकलन के लिए मैं और मेरी शक्ति समूह सम्पादिका की टीम राजगीर आ चुकी थी। हमने अच्छी ख़ासी मेहनत की थी।
इस बार डी ए वी विधार्थी प्रतिभागियों के साथ प्रीति सिंह व अनीता आई हुई थी। सम्पादिका समूह की छायाकार अनीता ही फोटो के लिए तत्पर की गई थी। बच्चे बहुत ही उत्साही थे। इस बार समाचार संपादन का कार्य डॉ. सुनीता रंजीता को न्यूज़ फीचर डेस्क से ही करना था। एकदम से नयी कोलकोता की अन्वेषा भी हमारे साथ थी।
लोक नृत्य : संदर्भित गीत
लोक धुन : ' फागुनीरो मोहनाय '
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं
समाचार स्तंभ : संपादन.
पृष्ठ सज्जा : डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया.
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बिहार / सं स : नालंदा : आस पास : पृष्ठ : ११ / ० / २
डी.ए.वी. विद्यालयों में शिक्षक दिवस समारोह संपन्न : याद किए गए डॉ. राधाकृष्णन.
संकलन : अंशिमा सिंह. शिक्षा विद.
याद किए गए सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन के जीवन आदर्श : फोटो : शक्ति. |
नालन्दा / संवाद सूत्र : समस्त देश भर की तरह बिहार के विभिन्न विद्यालयों यथा पटना ,नालन्दा , मुजफ्फरपुर, भागलपुर , मुंगेर ,मोहनियां,गया, के निजी, सरकारी ,गैर सरकारी ,डी.ए.वी. विद्यालयों में प्राचार्य, तथा विद्यार्थियों द्वारा श्रद्धा पूर्वक सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन याद किए गए। सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन को स्मृत करने के साथ साथ हमारा यह सार्थक प्रयास होना चाहिए कि उनके आदर्शों को हम अपने जीवन में उतारे। उनकी सादगी उनका त्याग अनुकरणीय है
नालंदा जिला मुख्यालय बिहार शरीफ शहर के हृदय में अवस्थित सत्य प्रकाश आर्य डी.ए.वी. विद्यालय में ५ सितंबर, गुरुवार को शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर पवित्र वातावरण बना रहा। इस अवसर पर विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती अंशिमा सिंह ने डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर पुष्पांजलि अर्पित की। समस्त विद्यालय परिवार ने अपने राष्ट्र की महान विभूति की जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित की।
नन्हें बच्चों ने जहां अपनी तोतली बोली में ‘ वी लव यू टीचर ' के संगीत पर सभी को झूमने पर विवश कर दिया, वहीं पाँचवी कक्षा की छात्रा सान्वी स्नेह ने ‘ गुरु ब्रह्मा , गुरू विष्णु' के संगीत की लय पर अपना नृत्य प्रस्तुत किया । अनेशा सरकार के नृत्य के दौरान तालियाँ अविराम गति से बजती रहीं ।
इस पुनीत अवसर पर प्रधानाचार्या ने शिक्षकों एवं छात्रों को संबोधित करते हुए डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के महान चरित्र का गुणगान किया एवं सभी से यह आग्रह किया कि हम अपने चरित्र को उज्जवल बनाएं , अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए जीवन पथ में अग्रसर हों।
घ्यातव्य है कि एस.पी. आर्य डी.ए वी. विद्यालय ने वैदिक संस्कृति के साथ शिक्षा प्रदान कर समाज में अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है । आशा है वर्तमान प्रधानाचार्या अपने उत्साही सहकर्मियों के साथ विद्यालय को इस दिशा में और आगे ले जाएंगी।
स्तंभ संपादन : रंजना. नई दिल्ली
स्तंभ सज्जा : डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया
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न्यूज़ लिंक : समाचार : पृष्ठ : ११ / १.
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संपादन.
शक्ति : दया जोशी.
केदार दर्शन : नैनीताल.
समाचार : संक्षिप्त
राजगीर में हुआ दो दिवसीय जिला स्तरीय
फिलाटेली प्रदर्शिनी २०२४ का आरंभ.
केदार दर्शन : समाचार : विस्तृत : लिंक
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गुरु : गोविन्द : दोनों खड़े : फोटो दीर्घा : : विशेष : पृष्ठ : १२.
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संपादन.
डॉ.सुनीता रंजीता प्रिया.
नैनीताल डेस्क.
जीवन से विघ्न को दूर कर सुख सम्पति और आत्मबल दे हे ! गणपति बिघ्नहर्ता : डॉ सुनीता रंजीता प्रिया |
गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु गुरु देवो महेश्वरा : फोटो : संपादन : शक्ति : सीमा अनीता सिंह |
शक्ति सीमा अनीता का सम्मान ' शक्ति ' डॉ. रत्नशीला सिन्हा के द्वारा :संपादन :डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया
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डॉ. रत्नशीला का सम्मान शिक्षिका सुदीप्ता सिद्धांत तथा तनु श्री के लिए : शक्ति : अनीता सीमा सिंह |
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चलते चलते : अच्छा तो हम चलते है सन्देश : पृष्ठ : १३.
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संपादन.
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जिंदगी कैसी ये पहेली है ' सन्देश ' :
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इंसान को उसके ' हालात ' नहीं
' ख्यालात ' परेशान करते हैं,
हालात तो ' वक़्त ' के साथ बदलते रहते हैं,
लेकिन ख्यालात बदलना इतना ' आसान ' नहीं होता
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शक्ति : प्रादुर्भाव : मूलांक. २,४,५ ,६,७,९
दोनों घर
मैं उनके वो
मेरे दिल में रहते हैं
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' अनुसन्धान '
अनुसन्धान जारी ही है वैसे आर्य ' जनों ' की
जो ' दिखने ', ' बोलने ' और ' मन कर्म वचन ' में
शिव हो या शक्ति
स्त्री की ' भावनाएं ' सराय जैसी नहीं है
रिश्तों की जमापूंजी
स्वयं को जानने के लिए ' मौन ' उतना ही जरुरी है
जितना दूसरों को जानने के लिए उनको सुनना
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' सफलता ' आपको दुनियां से परिचय कराती है ,
और ' हार ' दुनियां को आपसे ' परिचय ' कराती है
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' सम्मान ' का ' दरवाजा ' इतना छोटा और तंग होता है कि..
उसमें ' दाखिल ' होने के लिए ' सर ' को झुकाना पड़ता है
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' शक्ति ' रूपेण संस्थिता
हमने अपने जीवन में ' सम्यक ' साथ को ही महत्ता दी है
मुझे अपनी साथ की भली दिव्य ' आत्म शक्तियों ' पर असीम ' गर्व ' है जो हमारे
रास्तें ' निष्कंटक ' करते हुए सुगम करेंगी सर्वदा साथ निभाएगी
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व्यक्ति और समाज : सदैव सम्यक ' व्यक्ति ' का चुनाव करें ' समाज ' का नहीं
व्यक्ति से ही ' समाज ' बनता है
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बैंक के ' लॉकर ' की तरह रिश्तों की जमापूंजी बने एकदम ' गोपनीय ' व ' व्यक्तिगत '
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' हमराज़ '
जिंदगी में यदि ' खुश ' रहना है तो कुछ ' राज ' अपने सीने में भी छुपाए रखें
ढूंढ़े से भी भरोसे के ' हमराज़ ' दोस्त मिलते नहीं हैं
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जो अपनों के लिए व्यक्तिगत रूप से मधुर संयमित धैर्य पूर्वक भाषा का प्रयोग करता रहेगा
हर दिल पर वही राज करेगा ...इसलिए ' सार्वजानिक ' हो कर अपनों के लिए
बोलने से हजार बार सोचे...
कहे गए शब्द वापस नहीं आते ....और उसकी गलत ' व्याख्या ' भी हो ही जाती है
©️®️ डॉ सुनीता रंजीता सीमा अनीता
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चलते चलते : शॉर्ट रील : दृश्यम : पृष्ठ : १३ / १ .
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संपादन
डॉ. सुनीता रंजीता मीना
नैनीताल डेस्क
अपनी संस्कृति : प्रकृति : और प्रेम
साभार : फेस बुक
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साभार : वीडियो रील
हम तुम कितने पास हैं कितने दूर है चाँद सितारे
एक सी दोनों की हालत हो जरुरी तो नहीं
गाना : दुनियाँ करे सवाल तो हम क्या जबाव दे
फिल्म : बहू बेगम
गायक : मुकेश : फिल्म सरस्वती चंद्र
तन भी सुन्दर मन भी सुन्दर तू सुंदरता की प्रतिमा है
दो बहनों की प्रेम कहानी : तेरे बिन मैं न रहूं मेरे बिना तू
दिल की गिरह खोल दो चुप न बैठो मेरे पास आओ
पारुल : लखनऊ : कोई किसी से पल भर न अलग हो
गाना : दुनियाँ करे सवाल तो हम क्या जबाव दे
फिल्म : बहू बेगम
दृश्यम : वो जो न हँसते है बात बात पर
ज़रा अब हंस भी ले
कार्टून शॉर्ट फिल्म : डुडू बुबू प्रेम कहानी
पारुल : शॉर्ट रील : पूरी सोलह आने सच्ची मेरी प्रेम कहानी
मैंने कोई ख़ुशी नहीं मांगी तेरे सिवा
दिल क्या करे
वो दिल कहाँ से लाऊँ : साभार : संगीता
पारुल : लखनऊ की मस्ती
जी रही हूँ मैं कि मुझको प्यार है
ऊँची ऊँची दीवारों सी इस दुनियाँ की रस्में
मैं राही मेरी मंजिल है तू
निकिता : भूल मत जाना अपनी जोगन को
कोई नहीं है फिर भी है मुझको क्या जाने किसका इंतिजार
पारुल : लखनऊ की मस्ती
जी रही हूँ मैं कि मुझको प्यार है
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राधिका कृष्ण
सत्य ' न्याय ' व धर्म के लिए
स्वीकार और परित्याग
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' विश्वास ' ' कर्म '
सबसे पहले ईश्वर में असीम ' विश्वास '
तत्पश्चात उसके समक्ष अपने जीवन के सम्यक ' कर्म '
' प्रार्थना ' फ़िर ...' धैर्य ' ... देखें ' ईश्वर ' आपके साथ होंगे
और ' सफलता ' आपके चरणों में
सूरदास : ' कृष्ण ' भक्ति
मैया ! मोरी, मैं ' नहीं ' ' माखन ' खायो
मैया ! मोरी, ' मैंने ' हीं ' माखन ' खायो
अज्ञात तजुर्बा
विचारों से ' असहमत ' होते हुए भी ' सहमति ' के बिंदुओं को खोजना ही
' सुखी ' रहने का एकमात्र ' मूल मंत्र ' है
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सकारात्मक ' सोच ' से जीवन की हर ' कठिनाई ' आसान हो जाती है
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किस ' व्यक्ति ' को ' स्वीकार ' करना चाहिए और किसका ' परित्याग '
यह तो उस व्यक्ति के ' संस्कार ' ,' आचरण ' , ' कर्म ' और ' वाणी ' से दिख जाता है
यदि हम अपनी प्राप्त समस्त इन्द्रियों का प्रयोग करना सीखें
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जीवन दर्शन
' सत्य ' का ' अनुसंधान ' एक लम्बी ' प्रक्रिया ' है, राधे
जिसमें ' साक्ष्यों ' का परीक्षण स्वयं के ' धैर्य '
' विवेक ' की कसौटी के आधार पर तटस्थ हो कर ' पंच परमेश्वर ' की भांति करना पड़ता है
' श्रेष्ठ ' वही है जिसमें ' दृढ़ता ' हो परन्तु ' हठ ' नहीं
मधुर ' वाणी ' हो इसमें ' कटुता ' नहीं
' दया ' हो उसमें ' दुर्वलता ' नहीं
' ज्ञान ' हो मगर ' अहंकार ' नहीं
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जितिया पर्व
हम सभी ' शक्ति ' बहनों की तरफ़ से
समस्त ' मातृ शक्तियों ' को ' जितिया ' पर्व की ' अनंत ' ( श्री हरि ) शुभकामनाएं
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अमर्यादित ' असंयमित ' ' वाणी ' ही समस्त जीवन ' संघर्ष ' के मूल में है
अपनी वाणी पर ' संयम ' और ' जीत ' ही ' विश्व विजय ' का प्रारब्ध है ,पार्थ !
⭐
' शब्द '
शब्द ' चाबियों ' की तरह होते हैं
यदि आप सही ढंग से ' चुनते ' हैं तो वो किसी का भी ' दिल ' खोल सकते हैं
और किसी का ' मुँह ' बंद भी कर सकते हैं
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English : Page : 0
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Editorial : Page : 1
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Chief Editor.
Prof.Dr. Roop Kala Prasad .
Department of English
Prof. Dr.Bhwana.
Department of S.Sc.
Ujjain Desk. MP
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Executive Editor
⭐
Shakti Seema Ranjita Priya
Darjeeling.Kolkata.Desk
⭐
a short passionate poem
Where My Every Heart Beat
Priya
Darjleeng
The purity of joy and shallow healed feelings
Paved its way towards your heart
Paved its way towards your heart
With the crave is to be with you forever
Filled my mind with everlasting love.
Never be wrong to judge me with my age
As my heart beat is equal till my death
As my heart beat is equal till my death
Just be aside to hold me tight
Guiding me as you are always my sight.
The purity of my feeling are every time true
Forecasting your beauty and appreciating your crew
Forecasting your beauty and appreciating your crew
Shine like a star of my journey till the end
And never vanish away like a rainbow in the vain
Your every glimpse gives me strength to rule
The day out with the family and friends to spool
The day out with the family and friends to spool
Be always my charming and daring companion
Where my every heart beat just belongs to you.
Priya
Darjleeng
Editing : Dr. Sunita.Madhup
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Theme Page : English Page : 2.
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Editor.
We ' r '
famous 4 Sisters for 4 themes.
Dr.Sunita Ranjita Seema Anita.
Nainital Desk.
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Theme Mesmerizing : Picture Thoughts. English : Page : 2 / 0.
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Editor.
Shakti Anita. Narmada Desk.Jabbalpur.
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We all Shakti ' Hum ' Family wishing a very Happy Jitiya ... !
to all Matri Shaktis....
Sending warm wishes on Jitiya for a prosperous and healthy future.
because miracles happen everyday.
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We all ' Shakti ' Sisters wishing
a very Happy Hartalika Teej to each other on the love based passionate day special
this : Teej by having too much tolerance power
to protect the goodness ' Om Namah Shivay
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Theme Photo of Day: GIF : English Page : 2 / 1
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Editor.
Shakti : Ranjita
Nainital Desk.
Observing the Coming of Navratri
for the unification of all Shaktis of goodness converging them in to
' Mahashakti '
---------- Theme Page : My Published Cartoon : English Page : 2/ 3. --------- of the Bygone Days. Editor Shakti Seema / Kolkata Desk.
------------ Theme Page Brief : News of the Day : English : Page : 2/4 ----------- Cultural News : Shakti. Dr. Sunita ⭐ a two day Philately Exhibition gets underway at the world famous Nalanda University
Nalanda : Today a two day Philately Exhibition gets underway at the world famous Nalanda University in Nalanda under the keen observation of Nalanda Postal Division. It will highlight the cultural heritage of Nalanda District through the stamps...in coming days under the keen observation of Nalanda Postal Division. Photo Gallery : English Page : 4. ----------- Nainital Desk Editor. Editor : Dr.Sunita Ranjita Meena.
|
On the occasion of teej being ready to step in the temple of Shiva Parvati for conjugal bliss: Photo Anjel : Mukteshwar. Nainital |
Unleashing Your Inner Artist with Our Exquisite Henna Designs : Teej photo . Dr.Renu Ashok. |
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Day : Birthday Wishes : Page English : Page : 5 /0
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Editor
Vanita Shakti
Shimla Desk.
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Day Wishes : English : Page
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World Environmental Health Day 2024
Survival for Ourselves.
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Birthday Wishes : English : Page
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Our ' Shakti ' Team Family ' Hum '
wishes warmly our Shakti Editor
Rashmi / Kolkotta. Desk.
on her auspicious Birthday
27.09. 2024.
Mulank 9
Our ' Shakti ' Team Family ' Hum '
along with.
Vidisha. Lawyer. New Delhi.
MD / Promoter. M.S. Media.
wishes
Many Many Happy Returns of the Special Birth Day of
Jaipur.
on
23.9.24.
a GIF Decorated Birthday Wishes
for
⭐
the Guiding Inspiring Force,
Tanu Shree Sanyal
Kolkota
too
who made me a free lance Cartoonist
for The ' Hindustan ', ' The Times of India. '
Dr. Sunita Madhup ' Shakti ' Priya.
⭐
Our ' Shakti ' Team Family ' Hum ' wishes
Many Many Happy Returns of the Birth Day of
Jaya Solanki ( Didi Sa ) / & Tarun Solanki Jodhpur / Shakti Editor Rajasthan
whose birthdays are on
16 th & 17 th of September 2024.
Our Shakti Team wishes
Many Many Happy Returns of the Birth Day
for Chief Editor ( English )
Prof. Dr.Roop Kala Prasad.
on 13.9.24.
⭐
with our Shakti Sisters wishes Radha Ashtami
Radha Ashtami is a cherished Hindu festival celebrating the birth of Radha Rani, an incarnation of Goddess Lakshmi. Known as the embodiment of pure love and devotion, Radha's deep connection to Lord Krishna has made her a symbol of selfless dedication.
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We Shakti Editors of Hum united family for Different Desks placing our
heartiest wishes to one of our Sisters Shakti Editor ' Anita ' for all
prosperity and happiness in her life
Anita.
Narmada Desk : Jabbalpur
on the auspicious occasion of her Birthday
falling on 9 th of September 2024.
Many Many Happy Returns of the Day
We all Shakti Sisters
Media Desk.
Trishakti,Navshakti, Mahashakti.
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You Said It : Days : Wishes : English Page : 6
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Editor
Shakti Seema Anita
Kolkotta Desk.
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Day Special.
Aap Ne Kaha.
Dr.Madhup Sunita.
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Remembering my all ancestors
Pitra Matri Shakti
Dukh Bhanjan Prasad
Nirmala Sinha.
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Aap Ne Kaha.
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Ankita Vinayak. Jodhpur
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Shikha Sinha. Patna.
अनीता रंजीता सीमा
अपरिवर्तनशील
कर्म
भाग्य या संयोग से कुछ नहीं होता,
आप अपने कर्मों से ही अपना भाग्य स्वयं बनाते हैं
कभी भी न बदलें सम्यक ' सोच ' ' साथ ', ' वाणी ' और ' सन्मार्ग '
जीवन राग
ख़ुदा सलामत रखे
उन दो दिलों के एक दूसरे के आशियानों को
क्योंकि दो दिल
मिल के रह रहें हैं
मुहब्बत से एक दूसरे के
दिल के आशियाने में
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ReplyDeleteep going on Shaktis with publishing such pages . Thanks a lot Shakti Editors team for this.
Soni Kanchan, Haldia. Kolkata
शक्ति समूह की जयकार का इससे अच्छा संपादन हो ही नहीं सकता। वैसे भी कहा गया है कि शक्ति के बिना तो “शिव" भी "शव" तुल्य ही होते हैं।🙏🙏
ReplyDelete......सुनील , पटना
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ReplyDeleteThis teaching special Guru ' Govind ' Dono Khade based story Blog Magazine Page is too good, thanks a lot to the Shakti Editors Team Group for publishing such a nice post, Keep going on....Shikha. Patna.
ReplyDeleteI love this page very much. I hope this blog can be a good part of my life. Thanks a lot to shakti editors team and all members.
ReplyDeleteNice presentation
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