Ya Devi Sarvabhuteshu .3. Navratri Special

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कृण्वन्तो विश्वमार्यम.
Ya Devi Sarvabhuteshu.
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Ya Devi Sarvabhuteshu.Navratri.3
या देवी सर्वभूतेषु : नवरात्रि विशेषांक. 
A Complete Heritage  Account over Culture  & Festival.
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Volume 3.Section.A.Page.0.Cover Page.
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नवरात्रि , मनोरंजन  विशेषांक.अंक - ३ 
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हिंदी  अनुभाग. ०.प्रारब्ध 
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आवरण पृष्ठ : ०  
संपादन. विदिशा. नई दिल्ली. 
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या देवी सर्व भूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता नमस्तस्ये 
नमस्तस्ये..नमो नमः : कोलाज : विदिशा.



चित्र सन्देश  :  हार्दिक साभार. 

महिला सशक्तिकरण की एकमात्र ब्लॉग मैगज़ीन. 
परमार्थ के लिए देश हित में. 
त्रि शक्ति निर्मित, विकसित, अधिकृत और समर्थित.


 त्रिशक्ति प्रस्तुति.नव - शक्ति प्रायोजित.

   
आवरण  : विषय सूची :   प्रारब्ध : पृष्ठ ०. 
आज का आभार / सहयोग .पृष्ठ : १. 
 जीवन  सार संग्रह :  पृष्ठ : २. 
 सुबह / शाम की पोस्ट : पृष्ठ : ३ . 
सम्पादकीय . पृष्ठ : ४.  
हिंदी अनुभाग. ४ : सम्पादकीय . आज की पाँती : ५          
हिंदी अनुभाग. ४ : शेरों वाली  फोटो दीर्घा : पृष्ठ : ६ / ० 
 दिल ने फिर याद किया / खबरें / कही अनकही  /  क्षणिकाएं /  शुभकामनाएं  : पृष्ठ : ७  
आज का गीत जीवन संगीत : शक्ति / भक्ति / अध्यात्म / पृष्ठ : ८ . 
शक्ति : कला  दीर्घा : पृष्ठ : ९ . 
हिंदी धारावाहिक : पृष्ठ : १०  .यात्रा संस्मरण. 

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हिंदी  अनुभाग. ०/०   प्रारब्ध. 
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त्रि शक्ति.  प्रस्तुति  नव शक्ति. प्रायोजित.
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महिला सशक्तिकरण की एकमात्र ब्लॉग मैगज़ीन. 
इस पत्रिका के निर्माण सहयोग के लिए
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हिंदी  अनुभाग. ०/ ३. प्रारब्ध. 
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 दिव्य  : वाणी : महाशक्ति.  

 
"...धीरज, धर्म, मित्र, अरु नारी, 
    आपद काल  परिखिअहिं   चारी..., 

अर्थ : अनुसुइया ने सीता को बताया धैर्य, धर्म, मित्र और पत्नी की 
परख आपत्ति के समय होती है

श्रीरामचरित मानस :


गौतम बुद्ध

गौतम बुद्ध ने  ' मध्यम मार्ग ' को ही सर्वश्रेष्ठ  मार्ग कहा है,
...न वीणा के तार को इतना कस दो कि वो टूट जाए 
न इतना ढ़ीला छोड़ों कि उनसे सुर ही न निकले.. 

कबीर.
 
"..सोना  सज्जन  साधू  जन , टूट  जुड़े  सौ  बार,
      दुर्जन  कुम्भ  कुम्हार  के , एइके  ढाका  दरार..."



"..मुसीबत से ज्यादा तू न डर न खौफ खा
तू जीतेगा जरूर एक दिन बस आज के लिए तो हौसला रख.." 

संपादन.


    रंजीता प्रिया.
   दार्जलिंग.


मेरी अभिलाषा. 

"....' समय 'और ' साथ ' को ही साबित करने दें कि 
      किसने कितना अपनों के लिए ' त्याग ', ' धैर्य' , ' सहिष्णुता ' ,
       अगाध ' विश्वास' , असीम ' प्रेम 'और ' वाणी ' पर संयम रखा...? , 
     .....सुख दुःख में सम भाव रखते हुए  आपसी सम्बन्धों का निर्वाह किया.. "

 डॉ. मधुप.    
 

"..कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन
हमारा अस्तित्व हमारे कर्म से है, किसी के नजरिए से नहीं 

 

       आप मेरी अंतर मन की ' शक्ति ' 
          त्रि - देवियाँ  यथा ' लक्ष्मी ', ' सरस्वती ', और ' शक्ति 'की 
                 एकाकार स्वरूप ' महाशक्ति ' की कल्पना को यथार्थ करें...... 


"....' शक्ति ' आप ' त्रिशक्तियों ' के मूल केंद्र में हैं और 
    आप स्वयं नौ रूपों में ' नव शक्ति ' की तरह विद्यमान भी  हैं...
अपने मूल और नौ रूपों को पहचानें ..
एक दूसरे तथा अपनों के लिए विश्वस्त रहें.. 
       आसुरी शक्ति के खिलाफ संगठितएकत्रित हो और ' महाशक्ति ' बनें.." 

 डॉ. मधुप.   
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आज का आभार / सहयोग .पृष्ठ : १  
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निर्माण / संरक्षण.


डॉ. सुनील कुमार

शिशु रोग विशेषज्ञ. 
ममता हॉस्पिटल नालंदा. 
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हम आपके सहयोग के लिए 
हार्दिक आभार प्रगट करते हैं.
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आभार. प्रदर्शन

 
वनिता / शिमला 
संयोजिका / मीडिया हाउस.
 
आपके लिए.
धन्यवाद ज्ञापन.

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त्रि शक्ति  प्रस्तुति ⭐ नव शक्ति समर्थित .
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सुबह सबेरे. 

  

आप का दिन शुभ हो.
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 जीवन  सार संग्रह : पृष्ठ : २ .
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मुझे भी कुछ कहना है : पृष्ठ २ / १ . 
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संपादन.


 सीमा धवन. 
 काली घाट डेस्क. कोलकाता. 
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त्रि शक्ति समर्थित नव शक्ति विचार.



मुश्किलों से कह दो उलझा ना करे हमसे 


"...कुछ हासिल करने के लिए जरूरी नहीं कि दौड़ा ही जाऐ बहुत सारी चीजें 
     ठहरने से भी प्राप्त हो जाती हैं  जैसे ' सुकून ', ' शांति ' और ' परमात्मा '.."  


"....कल्पनाएं सुन्दर होती है उनसे जिया नहीं जा सकता है ..
पर जीने की वज़ह बन सकती हैं 
वास्तविकता कड़वी होती है उन्हें छोड़ा नहीं जा सकता 
क्योंकि वह अनुभवी बनाती हैं..."    


" ....इस ' नवरातनव शक्ति ' आपके जीवन में 
   पुरुषार्थ के नौ श्रेष्ठ गुणों को समाहित करें.." 

 

"..या देवी सर्वभूतेष...शक्तिरूपेण संस्थिता...
नमस्तस्यै नमस्तस्यै...नमस्तस्यै नमो नम:.."

नवरात्रि की आप सबको बहुत बहुत शुभ कामनाएं.

 
".....फुर्सत मिले जब भी, तो सारी रंजिशें भुला देना...,
कौन जाने सांसों की मोहलत कहाँ तक है 
   अपनों का साथ हो सके तो अंतिम सांस तक निभाना..." 
..फुर्सत मिले ना , तो सुनो सारी रंजिशें भुला देना.

डॉ. सुनीता रंजीता. 



  मेरी अभिलाषा. 

"....' समय 'और ' साथ ' को ही साबित करने दें कि 
      किसने कितना अपनों के लिए ' त्याग ', ' धैर्य' , ' सहिष्णुता ' ,
       अगाध ' विश्वास' , असीम ' प्रेम 'और ' वाणी ' पर संयम रखा...? , 
     .....सुख दुःख में सम भाव रखते हुए  आपसी सम्बन्धों का निर्वाह किया.. "
 


"... मेरी आत्म शक्तियां ! यदि हो सके तो तू हम सभी के  ' सम्यक जीवन ' के लिए  .. 
       सिर्फ ' सम्यक साथ ' के निमि  ' सम्यक कर्म  ' करती रहना ... 


' ...मेरी आत्म शक्ति ही हैं तो मैं सुरक्षित हूँ ...संरक्षित हूँ 
वो नहीं तो मैं कुछ भी नहीं हूँ.."  


 " .... ' देवासुर '  संग्राम में जैसे ' ईश्वर ' ने रखा था ' शक्ति ' पर  विश्वास 
               वैसे ही ' शक्ति ' भी रखें अपने ' ईश्वर ' पर असीम विश्वास की आस ..." 
  
    डॉ. मधुप.  


"..हम सभी ' शक्तियों ' की वसीयत है कि हम सभी बहनों का प्यार और सम्बन्ध 
त्रिशक्ति ' उद्धृत 
नव शक्ति ' जैसी अभेद ,अटूट और अति विश्वसनीय हो जाए.."   
डॉ.सुनीता रंजीता / नैनीताल. 

 

" ...अपने आप पर विश्वास रखें और आप अजेय रहेंगे... "


"...यदि आप प्रयास नहीं करेंगे तो आपको कभी भी 
   पता नहीं चलेगा कि आप कितने सक्षम हैं.." 

"....किसी भी चीज़ में अच्छा होने में कभी देर नहीं होती..."


"...नियमित बनें एक चीज जो वापस नहीं ला सकते है वो है बीता हुआ समय.."
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जीवन सुरभि : विचार : पृष्ठ  : २ / २. 
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 साभार : विचार : राधे : कृष्ण.


अपनों के लिए समाधान बनें : समस्या नहीं. 

शाश्वत प्रेम अनंत है. 


संपादन / संकलन.
 

 रंजीता. 
 नैना देवी डेस्क. नैनीताल.

 
राधे : कृष्ण. 


गीतं मधुरं रूपं मधुरं 


क्षणिकाएं. 

शुभ नवरात्रि. 

पड़ें धरा पर आज तेरे चपल चरण,
जो
शक्ति  मेरी जिंदगी में, 
 निहारती थी
डगर तेरा, 
अधीर था  यह  चंचल
मन
 चिर प्रतीक्षित था तेरा आना, 
स्वागत के लिए, 
आतुर थे कब से मेरे
नयन


नाराजगी

"...अपनों से गुस्सा कभी हम, सरे आम नहीं करते 
लड़  लेंगे अकेले में हम, नाराजगी खुले आम नहीं करते.."

डॉ. मधुप. 

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' जीवित्पुत्रिका '  व्रत की शुभकामनाएं.
 

जीवन सुरभि : विचार :

"..आंधियां पूरी हसरत से सर अपना पटकती रह गयी..
पर बच गए वो पेड़ जिनमें झुकने का हुनर था.."


" समय को समझना समझदारी है 
     तो समय पर समझना ज़िम्मेदारी है..."  

अपनी जिंदगी के किसी भी दिन को मत कोसे  
     क्योंकि अच्छे  दिन खुशियाँ लाते  हैं  और बुरा दिन अनुभव ;     
एक सफल जिंदगी के लिए दोनों जरूरी होता  है.  

"....किसी को पाने के लिए हमारी सारी खूबियां कम पड़ जाती है, 
और खोने के लिए एक ग़लतफ़हमी ही काफी होती है..
लेकिन यह ग़लतफ़हमी उनके लिए नहीं जो अपनी ' शक्ति ' पर दृढ़ विश्वास रखते हैं ..     

"...प्रीत पूर्ण मैत्री कब किससे हो जाए ..अंदाजा नहीं होता 
दोस्ती एक ऐसे घर के मंदिर के समान है जिसका कोई दरवाजा नहीं होता 
अंतरंग के लिए इसके द्वार हमेशा खुले होते हैं.."


"...नेत्र केवल हमें दृष्टि प्रदान करते हैं, परंतु हम कब किसमें क्या देखते हैं,
ये तो हमारी भावनाओं पर ही निर्भर करता है..."


"...मिलेंगे राहों में ...मेलें कई , मुसाफ़िर को गुमराह करने के लिए 
   एक सीधे रास्ते का इरादा ही है काफी, मुकाम तक पहुंचने के लिए.." 

"....जिसने कभी विपत्तियां देखी नहीं 
होगा उसे ताक़त का कभी ' अभिज्ञान ' नहीं
सच कहा है आपने, जो मन बसे हो ' राधे - कृष्ण '
      ' शक्ति ' बसे घर आपनो तो हो विपत्ति का आभास नहीं..."     
  

"...समय बहाकर ले जाता है नाम और निशान.... 
  कोई हम में रह जाता है कोई अहम में रह जाता है.. "

"...दुनिया की सबसे अच्छी दवा है जिम्मेदारी,
एक बार पी लीजिए जनाब , जिंदगी भर थकने नहीं देगी..."


"..लोग आइने के सामने कभी रु ब रु भी न होते 
अगर लोग अपना ' चित्र ' नहीं ' चरित्र ' आईने में देख लेते.." 
 
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सम्यक दर्शन : शक्ति : पृष्ठ   / ३ / 
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संकलन.

 
अनीता / 
मेहर डेस्क / जब्बलपुर.

' शक्ति '  ने किया ' महाशक्ति ' का आवाहन : कोलाज : डॉ. सुनीता रंजीता. नैनीताल.   

 
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 शक्ति : की कला कृति : पृष्ठ  २ / ४.  
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संकलन / संपादन 


अनुभूति सिन्हा. 
शिमला. 
मेरी समस्त आत्मशक्तियाँ बनी आप महाशक्ति : कला : साभार। 

इतनी शक्ति हमें देना  शक्ति मन का विश्वास कमजोर हो न : डॉ मधुप. कला कृति : साभार.  
 कृति शक्ति की : मिथिला पेंटिंग : कला : अज्ञात 




 
  सुबह / शाम की पोस्ट : पृष्ठ ३  / १ .


रेनू शब्द मुखर 
जयपुर. 
 
नवरात्रि पर्व : शक्ति की आराधना का पर्व.

शक्ति के दर्शन : फोटो : अजय स्वरुप : देहरादून .

नवरात्र, हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहारों में से एक है, जो माता दुर्गा की पूजा और आराधना के लिए विशेष रूप से मनाया जाता है।
नवरात्रि मुख्य रूप से साल में २  बार मनाया जाता है एक चैत्र मास में और दूसरी अश्विन मास पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि हर साल अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से सुरु होती है और दशमी तिथि को मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन के साथ समाप्त होती है ।
 नवरात्रि का अर्थ होता है 'नौ रातें', जो नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व की महत्वपूर्णता को दर्शाता है।
नवरात्रि के दौरान, लोग माता दुर्गा की पूजा, अर्चना, आरती, भजन और व्रत करते हैं। इस अवसर पर विशेष रूप से नौ रूपों (नवदुर्गा) की पूजा की जाती है, जिन्हें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री के नाम से जाना जाता है। इन रूपों की पूजा से भक्त नौ दिनों तक व्रत रखते हैं और उनकी शक्ति और सामर्थ्य की आराधना करते हैं।
नवरात्रि का यह पर्व शक्ति और सामर्थ्य की प्रतीक है, जो भक्तों को दुर्गा माता की कृपा, शांति और समृद्धि की प्राप्ति का आशीर्वाद देता है। यह उत्सव भारतीय संस्कृति में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को भी दर्शाता है, क्योंकि दुर्गा माता का रूप महिला शक्ति को प्रतिष्ठित करता है। 
इस पर्व के दौरान लोग तन्मयता और उत्साह के साथ पूजा करते हैं और अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन की कामना करते हैं।
नवरात्रि का यह पर्व हमें ध्यान में लाने और भगवान की शक्ति में विश्वास करने का अद्वितीय अवसर प्रदान करता है। यह विश्वास करने की शक्ति हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायता करती है और जीवन को संपन्नता और समृद्धि से भर देती है। नवरात्रि का  पर्व हमें साकार और निराकार शक्ति के महत्व को समझाता है और हमें धार्मिक उत्साह और भक्ति में आमंत्रित करता है।

गतांक से आगे 
नवरात्रि विशेष रूप से जयपुर में गरबा और डांडिया रातें 

नवरात्रि विशेष रूप से जयपुर में गरबा और डांडिया रातों के लिए जानी जाती है।
दैनिक भास्कर का अभिव्यक्ति गरबा महोत्सव विश्व भर में प्रसिद्ध है।पूरे नौ दिन तक चलने वाले इस उत्सव में हजारों की संख्या में राजस्थानी रंग में गुजराती परंपरा को निभाते हुए नजर आएंगे।डांस के साथ ही देश भर के जायकों का लुत्फ़ उठाया जाएगा।
जगह-जगह गरबा नृत्य की तैयारी होती दिखाई देती है।जीवंत रंगों,लय और सांस्कृतिक उत्साह की दुनिया  कदम रखते हुए बस नवरात्र सबकी जुबां पर यही सुनाई देता है।
गुलाबी शहर की राजसी सुंदरता के बीच आयोजित,नवरात्रि का उत्सव  एक अविस्मरणीय अनुभव बनता है।
लेकिन एक और चीज़ है जिसका हर किसी को नवरात्रि का इंतज़ार रहता है और वो है जयपुर के दुर्गा पूजा पंडाल।राजस्थान में बंगाल का वैभव साकार होता दिखाई देता है, विश्व विरासत थीम पर दुर्गा पूजा महोत्सव अपनी आभा से सबको बरबस अपनी ओर खींचता है।
दुर्गा बाड़ी जयपुर में स्थापित सबसे पुराने और भव्य पूजा पंडालों में से एक है।हर साल प्रतीक्षित त्योहार को उसी धूमधाम और भव्यता के साथ आयोजित किया जाता है।
 चूंकि इस साल दुर्गा पूजा को यूनेस्को से विश्व विरासत का दर्जा मिला है, इसलिए आयोजकों ने इस साल के पंडाल को एक भव्य महल की तरह सजाया है। दूर-दूर तक मशहूर इस जगह पर भारी संख्या में लोग अपनी मौजूदगी दर्ज कराने आते हैं।
इसी तरह जयपुर में लक्ष्मी पूजा, काली पूजा और सरस्वती पूजा जैसे कई आयोजनों के लिए मशहूर कालीबाड़ी सोसायटी इस साल दुर्गा पूजा ला रही है। बंगाली संस्कृति,जीवंत रंगों और दिलचस्प खाद्य पदार्थों का मिश्रण, यह जगह वास्तव में उत्सव की आभा चारों ओर बिखेरती है।जिसके रंग में रंगा वहाँ प्रत्येक जन दिखाई देता है।
इसी तरह जय क्लब की रौनक भी नवरात्र में तारीफे काबिल होती है।
जय क्लब के लॉन में यह उत्सव किया गया है, जहाँ सभी लोग इकट्ठा होते हैं और दुर्गा पूजा के उत्सव में भाग लेते हैं। दशमी तक चलने वाले इस क्लब में शाम को जयपुर के स्थानीय कलाकार प्रस्तुति देते है।
कुल मिलाकर हर व्यक्ति नवरात्र के उत्सव में खुशी से सराबोर हुआ नजर आता है।


रेनू शब्दमुखर
जयपुर
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दो महान सपूत महात्मा गांधी जी और लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर शत-शत नमन.

देश के दो महान सपूत महात्मा गांधी  जी और लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर शत-शत नमन
महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री, ये दो नाम भारतीय इतिहास में अद्वितीय स्थान रखते हैं। इन दोनों महान नेताओं का जन्म २ अक्टूबर को हुआ था और इसी दिन को उनकी जयंती मनाई जाती है।
महात्मा गांधी, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता थे। उन्होंने अहिंसा के सिद्धांत पर आधारित आन्दोलनों से भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए लगातार संघर्ष किया। उनकी नेतृत्व में ही भारत ने अंग्रेजी शासन से मुक्ति प्राप्त की थी। उनके विचारशीलता और आत्मसमर्पण ने उन्हें एक महान आध्यात्मिक नेता बना दिया।दूसरी ओर, लाल बहादुर शास्त्री एक शक्तिशाली और ईमानदार नेता थे। उन्होंने भारतीय संविधान और संकल्पना के प्रति पूर्ण समर्पण दिखाया। उनका नारा था, ' जय जवान, जय किसान ' जो आज भी हमारी राष्ट्रीय भावना का प्रतीक है। उनकी प्रशासनिक दक्षता और सजीव शैली ने भारत को विश्व में एक महत्वपूर्ण स्थान पर पहुँचाया।
इन दोनों महान नेताओं की जयंती पर हमें उनके आदर्शों का सम्मान करते हुए उनकी उपदेशों का पालन करना चाहिए। यह हमें एक और मौका प्रदान करती है कि हम उनके संदेशों को अपनाकर एक उत्तम भविष्य की ओर अग्रसर हो सकें।
शेष : जारी : 
अनुच्छेद संपादन / सज्जा  : डॉ. सुनीता रंजीता
नैनीताल डेस्क.   

हिंदी  अनुभाग .२.  सम्पादकीय . पृष्ठ : ४.   


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संपादकीय : पृष्ठ : ४ /० 
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दिव्य शक्ति वाणी 

"...आइए हम अपने नव - जीवन के प्रत्येक शुभ दिन की शुरुआत 
     अपनी ईश्वरीय - शक्ति  को स्मृत करते हुए अपने कृतज्ञ हृदय से करें.."


महा शक्ति के विचार. 


सहयोग,साथ,स्व इच्छा व शक्ति की कड़ी.
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कार्यकारी ⭐ संपादक  
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डॉ. सुनीता रंजीता.
नैनीताल.
-------------
सहायक कार्यकारी संपादक. 
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अनीता सीमा. 
जब्बलपुर. 
-------------
प्रधान  ⭐ संपादक  
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रेनू शब्दमुखर. जयपुर.
नीलम पांडेय. वाराणसी.
-----------
    वरिष्ठ सम्पादिका.  
 


डॉ. मीरा श्रीवास्तवा.
पूना ( महाराष्ट्र )
------------
संरक्षिका.
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⭐.

 
डॉ. भावना. 
  उज्जैन. मध्य प्रदेश.  


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हिंदी अनुभाग. ३ : आलेख / लेख : पृष्ठ : ४ / १ .
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संपादन.

 

डॉ. सुनीता रंजीता.
नैनीताल.नैना देवी डेस्क. 
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हिंदी अनुभाग. ४  : सम्पादकीय : आपबीती  / लेख : पृष्ठ : ४ / १ . 
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जीने की राह : सत्यमेव जयते ' , ' बुराई पर अच्छाई ' की जीत की शक्ति
 
 
  
  डॉ. मधुप. 

' ...मेरी आत्म शक्ति ही है तो मैं सुरक्षित हूँ ...संरक्षित हूँ 
वो नहीं तो मैं कुछ भी नहीं हूँ.."


सत्यमेव जयते ', ' बुराई पर अच्छाई ' की जीत की ' 
शक्ति ' यथावत ही बनी रहेगी.

शक्ति डेस्क. : सर्व प्रथम मुझे अपने अंतर मन की शक्ति पर असीम गर्व हुआ था । कल भी था आज भी है। क्योंकि वो  मेरी आदि से अनंत तक की  कल्पना थी, आज भी हैं। फिर मैंने त्रि - शक्ति की कल्पना की। कहावत सुना था महालक्ष्मी और सरस्वती में स्नेह नहीं होता। 
मैंने अपनी आत्म शक्ति को जो काफी प्रवल है, ज़िद्दी हैं ,सर्वव्यापी हैं ,बुद्धिमती भी हैं।  मेरे हरेक सम्यक कर्म में वर्तमान हैं। इस अभूतपूर्व शक्तियों के संतुलन व समायोजन  के कठिन कार्य के लिए मैंने उन्हें ही सुनिश्चित किया। शक्ति को उन दोनों को समायोजित करना था। उन्होंने ने तीनों को अपने भीतर समाहित कर महा शक्ति का स्वरुप ले लिया। यह सुखद है। 
आज नवराते के तीसरे दिन जागरूक नौनिहालों ने फिर से आपके नेतृत्व में महिषासुर मर्दिनी के माध्यम से यहीं सन्देश दिया कि  ' सत्यमेव जयते ' , ' बुराई पर अच्छाई ' की जीत की शक्ति यथावत ही रहेगी। यहीं रीत होगी यहीं प्रीत होगी। आज नवरात का तीसरा दिन था। 


मां चंद्रघंटा : पीड़ा क्लेश को हरने वाली देवी .जय माता चंद्रघंटा .नवरात्रि की नौ देवियों में तीसरे रूप में माता चंद्रघंटा के रुप में आराध्य मां, असुरों के विनाश हेतु अवतरित हुई थीं। आज उनका ही पवित्र दिन था। वर्तमान शक्तियों ने ही आदि महाशक्ति के अभ्युदय की उम्दा परिकल्पना की थी जो हमारे समक्ष प्रस्तुत भी की गयी थी। निहित सदेंश था जहाँ नारियों की पूजा होगी वहीं देवताओं का वास होगा।  
शक्ति समूह ने बच्चों के साथ मिल कर असुरों की शक्ति को क्षीण करके, देवताओं का हक दिलाने वाली देवी चंद्रघंटा शक्ति का प्रतीकात्मक दिव्य रूप को प्रस्तुत किया था जो अतीव सराहनीय था। नन्हें मुन्नें बच्चों ने डांडिया की धुन पर माँ शेरा वाली के फेरें भी लगाए। काल के पंजें से माता बचाओं के पार्श्व संगीत उपस्थित जनों ने बच्चों की धार्मिक भावना की अप्रतिम प्रस्तुति की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। इस गरिमा पूर्ण झांकी का संचालन शक्ति समूह कर रहीं थीं। आपके जरिए बेहतरीन समायोजन था कई शक्तियों को केंद्रित करने का। श्लाघनीय रहा। गर्व रखेंगे सदा हम। 
आप अपरिवर्तनशील रहें। अक्षुण्ण  वादों से बंधे लोग मुझे पसंद हैं। मैं सदैव गौरवशाली अतीत में ही सुनहरे वर्तमान की झलक देखता हूँ। 
शक्ति आज की आध्यात्मिक बात चीत के सिलसिले में मैं यही कहना चाहता हूँ सार्वजनिक तौर पर हुए मेरे अपनों के बीच हुए विवाद को मैं बमुश्किल भुला पाता हूँ। जब यह तीन चार जनों के मध्य घटित होता है तो दूसरों के कटाक्ष मुझे सदैव याद आते रहते हैं। मैं अपनी शक्ति से ही गुज़ारिश करता हूँ कि मुझे उन घटनाओं से उबरने की शक्ति प्रदान करें। इन अवस्थाओं से बचा जा सकता है। बचने की कोशिश भी होनी चाहिए। यह हमारी सम्यक सोच होती है सम्यक कर्म के लिए। बहुत ही निहायत पोशीदा तरीक़े से किसी भी समस्या का हल ढूंढा जा सकता है। 
एकांत की हुई किसी भी बुरी घटना को भी भुलाने में हमें समय लगता है। लेकिन भुला जाता हूँ। 
कई के सामने हुए विवादों को देर से भुला पाता हूँ। इसे हम सभी को  याद रखना चाहिए। अपनी तो आदत है कि हम कुछ नहीं कहते।  
 
 
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हिंदी अनुभाग. ३ : सम्पादकीय : आपबीती  / लेख : पृष्ठ : ४  /१ . 
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शक्ति डेस्क. से पता नहीं आज फिर से लिखने की इच्छा हो गयी। यह आपबीती शक्ति को समर्पित भी है। ऊपर लिखी गयी पाँति की भी चर्चा करूंगा। सुबह काफी हड़बड़ी थी। समय पर पहुंचना था। जब भी घर से निकलता हूँ तो एक बार आप की याद आती है। आलमीरे में शक्ति की मूर्ति को एक बार देख लेता हूँ ...तब ही बाहर निकलता हूँ। ....आप मेरी सुरक्षा कवच जो होती है,शायद इसलिए । 
घर से निकलते ही चार पांच किलोमीटर तक़ की दूरी की लिफ्ट मोटर साइकिल वाले से मिल गयी थी। लिफ्ट इसलिए लेता हूँ कि अनजाने लोगों से मिल सकूँ। अपने ब्लॉग मीडिया मैगज़ीन पेज को अनजाने लोग मगर बेहतर के जरिए प्रमोट कर सकूँ। साथ में यूट्यूब का सब्सक्राइबर भी ढूंढ सकूँ।  
मैं जानता हूँ यह जोख़िम भरा होता है, और मेरे अपनों को मेरी यह भीख मांगने वाली आदत भी पसंद नहीं है। मेरी दुनियां मेरी ज़िद पर ही टिकी हुई है। और मैं दुनियाँ की परवाह भी नहीं करता। 
वह उधर ही जा रहे थे। इसलिए साथ हो लिए।  रास्ते पर कीचड़ जमा पड़ा था।  लेकिन थोड़ी दूर ही आगे बढ़े थे कि अनदेखे तीखे मोड़ पर सामने तेज़ गति से आती एक मोटर सायकिल से टकराते हुए बचे। मोटर सायकिल वाले ने बमुश्किल ब्रेक लगाया जिससे मोटर सायकिल फिसलती हुई नीचे गिर गयी।  मेरा वाया पैर सायकिल के नीचे दबा हुआ था। एक पल के लिए लगा हड्डी टूटी। मेरे अपने सब याद आ गए। मैंने जब मोटर सायकिल वाले से सायकिल उठाने की बात कही तब जा के उसने अपनी मोटर सायकिल उठाई  तो मैं निकल पाया।
एक पल के लिए खड़े हो कर सोचने लगा ...पता नहीं ...शरीर का कौन सा अंग टूटा फटा है। कहाँ कटा फटा है। लेकिन हैरत है शक्ति कहीं खरोंच तक़ नहीं आई।  पैर भी सलामत थे। सच में लोकोक्ति याद आ गई.... जाको राखे साईआं मार सके न कोय .. मगर मेरे लिए तो साईआं नहीं शक्तियां ही थी न ? 
ये तुम नहीं तो कौन थी शक्ति ? जो मेरे स्वयं से विस्मृत होते मेरे जीवन की अदृश्य सुरक्षा कवच बनी हुई है । वो तो तुम ही थी न , शक्ति ! बोलो न ? इसलिए मैंने अपनी दैविक शक्ति के लिए ही लिखा है ' ...मेरी आत्म शक्ति ही हैं जो सदैव मेरे साथ रहती है। वो है तो मैं सुरक्षित हूँ...संरक्षित हूँ...वो नहीं तो मैं कुछ भी नहीं हूँ.."
पहुंचने के बाद मैंने सभी अपनों की राहें देखी। सभी भगवान की दया से समय पर पहुंच चुके थे। इसके लिए मैं ईश्वर को आभार प्रगट करता हूँ.... 
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आगे जारी... गतांक से आगे 
भाई हो तो ऐसा 

: ठंडी  सड़क ,पाषाण देवी , नैनीताल और तेरी  मेरी यादें :  फोटो डॉ. मधुप 

दोपहर के बाद हम सभी अपनी अपनी ड्यूटी से फरागत पा चुके थे। घर लौटने की बारी थी। बादल वैसे ही घिरे हुए थे। छिटपिट बारिश हो भी रही थी। मेरे पास कुछ भी नहीं था, न छाता ,न रेन कोट। बस मोबाइल बचाने हेतु एक ले दे के पॉलीथिन ही थी । 
भूलने की बीमारी की वज़ह से ज्यादा सामान अपने पास नहीं रखता हूँ ,शक्ति ! लगता है जैसे कब कहाँ कौन सी चीज भुला दूँगा पता नहीं। बस आपके भरोसे ही जिंदगी जा रही है। देख लेना कभी इस तरह से ही अनजाने रास्तें पर भटकते न मिल जाऊं तुमसे कहीं। क्योंकि तब शायद कुछ भी याद ही न रहे। 
न जाने क्यों इस बार कुछ हट कर सोचने लगे थे अपने मुंहबोले भाईयों  के बारे में। मुझे अपने मुंहबोले भाइयों से भी बड़ा स्नेह है। 
वीरगंज से जुड़े स्नेहिल भाई नित्या, जो एक शिक्षा विद है इस ब्लॉग पेज के संरक्षक भी है से भी हमारा ह्रदय का सम्बन्ध है। बहुत भावुक और शांत रहते है। कम बोलते है इसलिए वाणी पर भी नियंत्रण है । असीम स्नेह रखता हूँ। यह सच है कि हम सभी एक परिवार से ही है। २००७ के साल जब मैं नेपाल भ्रमण के लिए  यात्रा पर  गया हुआ था ,तब मैंने वीरगंज शहर को नजदीक से देखा था। तब शायद वही रह रहे थे। 
हमारे एक अन्य प्रिय भाई भी है नाम है उनका पी के ( प्रभा कांत ) । फिल्म वाले पी के नहीं। उनको याद करने के साथ साथ हमें आमिर खान की फिल्म  पी के भी याद आ गयी । फ़िल्म बहुत अच्छी लगी थी। ख़ास कर उस समय जब पी के एक लाइव टेलीकास्ट डिस्कशन में   जग्गु ( अनुष्का शर्मा )  के लिए सरफ़राज़ ( सुशांत सिंह ) की मुहब्बत को बाबा के समक्ष सही व जायज़ ठहरा देते हैं। 
उनसे दिल का रिश्ता हमारा  नैनीताल में क़ायम हुआ था। हम वहां एक परिवार की तरह रहे थे। नैना देवी मंदिर की कहानी, घोड़ा खाल मंदिर के अनुभवों को उन्होंने हमसे कहा था। इसलिए शर्तियां कहता हूँ साथ रहने घूमने के लिए अवसर निकाल लीजिए ,रिश्ते पुख़्ता होते है।  हमने एकाध सुबह और शाम साथ नैनीताल आर्य समाज धर्मशाला में बिताई थी। मॉल रोड पर सुबह सुबह चाय भी पी थी। तब से हमारे उनके सम्बन्धों में कहीं भी प्रतिबन्ध नहीं है। बचन बद्धता है हमारी कि हम सदैव एक दूसरे के लिए उपलब्ध रहेंगे। और रहते भी है। 
हमारे साथ के पी के भी रिश्तें निभाने वाले है। साथ नहीं छोड़ते। स्कूटी पर जब वापिस लौट रहे थे तो अधिकारवश हम भी उनके साथ हो लिए । उन्होंने बारिश से बचने के लिए लाल रंग की छोटी सी छतरी भी दे दी। यह लाल रंग मेरा पीछा नहीं छोड़ती है ,शक्ति। यह आपका प्रतीक रंग ही है न ...? मुझे भली लगती है,बड़ी प्यारी भी। चलते चलते ...आपकी याद आ गयी थी । 
बड़ी धीरे धीरे स्कूटी चला कर वो लम्बे रास्ते से घर आए। ट्रक वालों ने हमारे कपड़े पर बेहिसाब कीचड़ फेंक दिया था। उनका रेन कोट भी गन्दा हो गया था। हमने सोचा दाग़ है तो अच्छे है। छिपाना क्या। पता नहीं क्यों मुझे दूसरों में दोष निकालने वाले इस आधी दुनियाँ, से चिढ़ सी हो गयी है। 
घर के क़रीब पहुंचे तो जब मैं छतरी लौटने लगा तो बड़े प्यार से कहा , ' भींग जाएंगे ..छतरी ले जाइए ..शाम में लौटा दीजिएगा .." सच कहे तो मैं भींगता ही रहा था। ' 
अंदर अंतर मन में  बारिश हो ही रही थी स्नेह की ,लगाव की । मैं आने वाली इस नवरात्रि अपने इस नए बने परिवार की समृद्धि की कामना करता हूँ जिसमें शक्ति है अपने नौ स्वरूपों में। और साथ हैं उनकी त्रि शक्ति बहनें भी सरस्वती, लक्ष्मी और स्वयं शक्ति । उनसे जुड़ें उनके लोग भी है। यह शाश्वत सत्य है कि हरेक को इन शक्तियों की कृपा दृष्टि चाहिए ही। फिर यह मेरी सोच है कि इन त्रि शक्तियों के मध्य मैं संतुलन कायम कर सकूँ। कोई न कोई तो है न , शक्ति.. ? इन सभी अच्छी घटना क्रम के पीछे ? भली शक्तियां, ...प्यारी  शक्तियां,....मेरी ' शक्ति '। 
सारे जहाँ की खुशियाँ आपको नसीब हो। आप सही रहेंगी तो यह धरा भी संरक्षित रहेगी ऐसी मेरी कल्पना है ....यथार्थ भी भूले नहीं इस दीपावली हम महालक्ष्मी को भी याद करेंगे। फिर सरस्वती को तो सदैव हमारे साथ रहनी ही।  जय श्री राधे कृष्ण.... 
डॉ. मधुप. 


संपादन : डॉ सुनीता रंजीता. 
शक्ति डेस्क.नैना देवी.नैनीताल. 



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आलेख / लेख. माता नंदा - सुनंदा : पृष्ठ : ४ / २ 
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डॉ. नवीन जोशी,नैनीताल.

 नंदा महोत्सव : नंदा देवी मंदिर : अल्मोड़ा : फोटो : राज किशन. 

माता नंदा-सुनंदा की प्राण प्रतिष्ठा एवं दर्शन  सर्वधर्म संभाव की बेहतर मिसाल. 

डॉ. नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल. एक शताब्दी से अधिक पुराना, १२१ वें वर्ष में आयोजित हो रहा सरोवरनगरी का नंदा महोत्सव लगातार समृद्ध हो रहा है। पिछली शताब्दी और इधर तेजी से आ रहे सांस्कृतिक शून्यता की ओर जाते दौर में भी यह महोत्सव न केवल अपनी पहचान कायम रखने में सफल रहा है, वरन इसने सर्वधर्म संभाव की मिशाल भी पेश की है। हम यहां बताना चाहते हैं कि आप बुधवार सुबह पांच बजे से अपने प्रिय एवं भरोसेमंद ‘नवीन समाचार’ पर भी माता नंदा-सुनंदा की प्राण प्रतिष्ठा एवं दर्शनों के ‘लाइव दर्शन’ कर सकेंगे। इसके लिए सुबह से आप ‘ नवीन समाचार ’ पर जुड़ सकते हैं।
पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी यह देता है, और उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं व गढ़वाल अंचलों को भी एकाकार करता है। यहीं से प्रेरणा लेकर कुमाऊं के विभिन्न अंचलों में फैले मां नंदा के इस महापर्व ने देश के साथ विदेश में भी अपनी पहचान स्थापित कर ली है।
इस मौके पर मां नंदा सुनंदा के बारे में फैले भ्रम और किंवदंतियों को जान लेना आवश्यक है। विद्वानों के इस बारे में अलग अलग मत हैं, लेकिन इतना तय है कि नंदादेवी, नंदगिरि व नंदाकोट की धरती देवभूमि को एक सूत्र में पिरोने वाली शक्तिस्वरूपा मां नंदा ही हैं। यहां सवाल उठता है कि नंदा महोत्सव के दौरान कदली वृक्ष से बनने वाली एक प्रतिमा तो मां नंदा की है, लेकिन दूसरी प्रतिमा किन की है। सुनंदा, सुनयना अथवा गौरा पार्वती की।
एक दंतकथा के अनुसार मां नंदा को द्वापर युग में नंद यशोदा की पुत्री महामाया भी बताया जाता है जिसे दुष्ट कंश ने शिला पर पटक दिया था, लेकिन वह अष्टभुजाकार रूप में प्रकट हुई थीं। त्रेता युग में नवदुर्गा रूप में प्रकट हुई माता भी वह ही थी। यही नंद पुत्री महामाया नवदुर्गा कलियुग में चंद वंशीय राजा के घर नंदा रूप में प्रकट हुईं, और उनके जन्म के कुछ समय बाद ही सुनंदा प्रकट हुईं। राज्यद्रोही षड्यंत्रकारी  ने उन्हें कुटिल नीति अपनाकर भैंसे से कुचलवा दिया था।
उन्होंने कदली वृक्ष की ओट में छिपने का प्रयास किया था लेकिन इस बीच एक बकरे ने केले के पत्ते खाकर उन्हें भैंसे के सामने कर दिया था। बाद में यही कन्याएं पुर्नजन्म लेते हुए नंदा-सुनंदा के रूप में अवतरित हुईं और राज्यद्रोहियों के विनाश का कारण बनीं। इसीलिए कहा जाता है कि सुनंदा अब भी चंदवंशीय राजपरिवार के किसी सदस्य के शरीर में प्रकट होती हैं। इस प्रकार दो प्रतिमाओं में एक नंदा और दूसरी सुनंदा हैं। अन्य किंवदंती के अनुसार एक मूर्ति हिमालय क्षेत्र की आराध्य देवी पर्वत पुत्री नंदा एवं दूसरी गौरा पार्वती की हैं।
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गतांक से आगे : ४  / २  / १  

मां नंदाद्वापर युग में नंद यशोदा की पुत्री  ' महामाया '

मां नंदा : उत्तराखंड की विजय देवी : फोटो : नेट से साभार 

यशोदा की पुत्री महामाया : एक दंतकथा के अनुसार मां नंदा को द्वापर युग में नंद यशोदा की पुत्री महामाया भी बताया जाता है जिसे दुष्ट कंस ने शिला पर पटक दिया था, लेकिन वह अष्टभुजाकार रूप में प्रकट हुई थीं। त्रेता युग में नवदुर्गा रूप में प्रकट हुई माता भी वह ही थी। यही नंद पुत्री महामाया नवदुर्गा कलियुग में चंद वंशीय राजा के घर नंदा रूप में प्रकट हुईं, और उनके जन्म के कुछ समय बाद ही सुनंदा प्रकट हुईं। 
राज्यद्रोही शडयंत्रकारियों ने उन्हें कुटिल नीति अपनाकर भैंसे से कुचलवा दिया था। उन्होंने कदली वृक्ष की ओट में छिपने का प्रयास किया था लेकिन इस बीच एक बकरे ने केले के पत्ते खाकर उन्हें भैंसे के सामने कर दिया था। बाद में यही कन्याएं पुर्नजन्म लेते हुए नंदा - सुनंदा के रूप में अवतरित हुईं और राज्यद्रोहियों के विनाश का कारण बनीं। 
इसीलिए कहा जाता है कि सुनंदा अब भी चंदवंशीय राजपरिवार के किसी सदस्य के शरीर में प्रकट होती हैं। इस प्रकार दो प्रतिमाओं में एक नंदा और दूसरी सुनंदा हैं। अन्य किंवदंती के अनुसार एक मूर्ति हिमालय क्षेत्र की आराध्य देवी पर्वत पुत्री नंदा एवं दूसरी गौरा पार्वती की हैं।
नंदा का जन्म गढ़वाल की सीमा : इसीलिए प्रतिमाओं को पर्वताकार बनाने का प्रचलन है। माना जाता है कि नंदा का जन्म गढ़वाल की सीमा पर अल्मोड़ा जनपद के ऊंचे नंदगिरि पर्वत पर हुआ था। गढ़वाल के राजा उन्हें अपनी कुलदेवी के रूप में ले आऐ थे, और अपने गढ़ में स्थापित कर लिया था। इधर कुमाऊं में उन दिनों चंदवंशीय राजाओं का राज्य था। १५६३ में चंद वंश की राजधानी चंपावत से अल्मोड़ा स्थानांतरित की। इस दौरान १६७३ में चंद राजा कुमाऊं नरेश बाज बहादुर चंद ( १६३८ - १६७८ ) ने गढ़वाल के जूनागढ़ किले पर विजय प्राप्त की और वह विजयस्वरूप मां नंदा की मूर्ति को डोले के साथ कुमाऊं ले आए।
मां नंदा : उत्तराखंड की विजय देवी : कहा जाता है कि इस बीच रास्ते में राजा ने गरुड़ - बागेश्वर मार्ग के पास स्थित डंगोली गांव में रात्रि विश्राम के लिए रुके। दूसरी सुबह जब विजयी राजा का काफिला अल्मोड़ा के लिए चलने लगा तो मां नंदा की मूर्ति आश्चर्यजनक रूप से दो भागों में विभक्त मिली। इस पर राजा ने मूर्ति के एक हिस्से को वहीं ' कोट भ्रामरी ' नामक स्थान पर स्थापित करवा दिया, जो अब ' कोट की माई ' के नाम से जानी जाती हैं।
अल्मोड़ा लाई गई दूसरी मूर्ति को अल्मोड़ा के मल्ला महल स्थित देवालय ( वर्तमान जिलाधिकारी कार्यालय ) के बांऐ प्रकोष्ठ में स्थापित कर दिया गया। इस प्रकार विद्वानों के अनुसार मां नंदा चंद वंशीय राजाओं के साथ संपूर्ण उत्तराखंड की विजय देवी थीं। 
कुछ विद्वान उन्हें राज्य की कुलदेवी की बजाय शक्तिस्वरूपा मां के रूप में भी मानते हैं। उनका कहना है कि चंदवंशीय राजाओं की पहली राजधानी में मां नंदा का कोई मंदिर न होना सिद्ध करता है कि वह उनकी कुलदेवी नहीं थीं वरन विजय देवी व आध्यात्मिक दृष्टि से आराध्य देवी थीं।
जबकि चंदवंशीय राजाओं की कुलदेवी मां गौरा पार्वती को माना जाता है। कहते हैं कि जिस प्रकार गढ़वाल नरेशों की राजगद्दी भगवान बदरीनाथ को समर्पित थी, उसी प्रकार कुमाऊं नरेश चंदों की राजगद्दी भगवान शिव को समर्पित थी, इसलिए चंदवंशीय....  नरेशों को 'गिरिराज चक्र चूढ़ामणि' की उपाधि भी दी गई थी। इस प्रकार गौरा उनकी कुलदेवी थीं, और उन्होंने अपने मंदिरों में बाद में जीतकर लाई गई नंदा और गौरा को राजमंदिर में साथ-साथ स्थापित किया।
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गतांक से आगे : ४  / २  / २. 

  मां नयना की नगरी नैनीताल में माता नंदा-सुनंदा 
की ' लोक जात ' का आयोजन.

नैनीताल झील से सटे नैना देवी मंदिर का परिसर : कोलाज : विदिशा 

अपनी पुस्तक कल्चरल हिस्ट्री आफ उत्तराखंड के हवाले से प्रो. रावत ने बताया कि सातवीं शताब्दी में बद्रीनाथ के बामणी गांव से नंदा देवी महोत्सव की शुरूआत हुई, जो फूलों की घाटी के घांघरिया से होते हुए गढ़वाल पहुंची। तब गढ़वाल ५२  गण पतियों ( सूबों ) में बंटा हुआ था। उनमें चांदपुर गढ़ी के शासक कनक पाल सबसे शक्तिशाली थे। उन्होंने ही सबसे पहले गढ़वाल में नंदा देवी महोत्सव शुरू किया। प्रो. रावत बताते हैं कि आज भी बामणी गांव में मां नंदा का महोत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
वर्तमान नंदा महोत्सवों के आयोजन के बारे में कहा जाता है कि पहले यह आयोजन चंद वंशीय राजाओं की अल्मोड़ा शाखा द्वारा होता था, किंतु १९३८ में इस वंश के अंतिम राजा आनंद चंद के कोई पुत्र न होने के कारण तब से यह आयोजन इस वंश की काशीपुर शाखा द्वारा आयोजित किया जाता है, जिसका प्रतिनिधित्व वर्तमान में नैनीताल सांसद केसी सिंह बाबा करते हैं।
नैनीताल की स्थापना के बाद वर्तमान बोट हाउस क्लब के पास नंदा देवी की मूल रूप से स्थापना की गई थी, १८८० में यह मंदिर नगर के विनाशकारी भूस्खलन की चपेट में आकर दब गया, जिसे बाद में वर्तमान नयना देवी मंदिर के रूप में स्थापित किया गया। यहां मूर्ति को स्थापित करने वाले मोती राम शाह ने ही १९०३ में अल्मोड़ा से लाकर नैनीताल में नंदा महोत्सव की शुरुआत की। शुरुआत में यह आयोजन मंदिर समिति द्वारा ही आयोजित होता था।
१९२६ से यह आयोजन नगर की सबसे पुरानी धार्मिक सामाजिक संस्था श्रीराम सेवक सभा को दे दिया गया, जो तभी से लगातार दो दो विश्व युद्धों के दौरान भी बिना रुके सफलता से और नए आयाम स्थापित करते हुए यह आयोजन कर रही है। यहीं से प्रेरणा लेकर अब कुमाऊं के कई अन्य स्थानों पर भी नंदा महोत्सव के आयोजन होने लगे हैं। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। 
मां नयना की नगरी में होती है मां नंदा की ‘लोक जात’, वर्ष दर वर्ष लगातार समृद्ध हो रहा है नंदा देवी महोत्सव - यहां राज परिवार का नहीं होता आयोजन में दखल, जनता ने ही की शुरुआत, जनता ही बढ़चढ़ कर करती है प्रतिभाग। 
प्रदेश में चल रही मां नंदा की ‘ राज जात ’ से इतर मां नयना की नगरी नैनीताल में माता नंदा-सुनंदा की 'लोक जात' का आयोजन किया जाता है। अमूमन १२ वर्षों के अंतराल में आयोजित होने वाली 'लोक जात' के इतर सरोवरनगरी में १२१ वर्षों से हर वर्ष अनवरत, प्रथम व द्वितीय दो विश्व युद्ध होने के बावजूद बिना किसी व्यवधान के न केवल यह महोत्सव जारी है, वरन हर वर्ष समृद्ध भी होता जा रहा है। बिना राज परिवार द्वारा शुरू किए जनता द्वारा ही शुरू किए गए और जनता की ही सक्रिय भागेदारी से आयोजित होने वाले इस महोत्सव को आयोजक भी मां नंदा की ‘लोक जात’ मानते हैं।
गढ़वाल को एक सूत्र में पिरोने वाली मां नंदा का महोत्सव १९०३ से लगातार बीच में दो विश्व युद्धों के दौरान भी जारी रहते हुऐ १२१  वर्षों से अनवरत जारी है। यहां के बाद ही प्रदेश के अनेक स्थानों पर नंदादेवी महोत्सवा आयोजित हुए हैं, लिहाजा नैनीताल को नंदा महोत्सवों का प्रणेता भी कहा जाता है। सरोवरनगरी में नंदा महोत्सव की शुरुआत नगर के संस्थापकों में शुमार मोती राम शाह ने १९०३ में अल्मोड़ा से लाकर की थी।

आलेख : संपादन / सज्जा
डॉ. सुनीता रंजीता.नैनीताल डेस्क 
आलेख : डॉ. नवीन जोशी, संपादक
नवीन समाचार, नैनीताल 
२२  सितंबर २०२३

 
 

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हिंदी अनुभाग. ४ : सम्पादकीय . आज की पाँती : ५     
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संपादन.


रेनू शब्द मुखर / जयपुर.
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सीपिकाएँ.

 कहीं खो न जाए वह : एक दिन 

जोड़ते जोड़ते कहीं  
वह ख़ुद टूट न जाए  एक दिन 
किसी टूटे सितारे की 
तरह कहीं गर्दिश 
में रात में  खो जाएगा  एक दिन. 

डॉ. मधुप. 
 
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कहूं अपने आप से 

 
 
मेरे मन की सर्व शक्ति हो तुम

फोटो : साभार नेट से 

मेरे सपने 
मेरे अपने 
मेरे मन की सर्व शक्ति हो तुम,
 मेरे नव जीवन के 
नव निर्माण की भक्ति  हो तुम.    
हो  प्रेमपूर्ण सुन्दर 
भविष्य का निर्माण फिर 
असत्य ,भय और 
असुरों का संहार फिर. 
डरें नहीं, 
थमें नहीं, 
हो मधुर सम्भाषण
की बस थोड़ी सी पहल  
अपनों के साथ,
 हो वैसी ही पुराने सन्मार्ग पर टहल 
देख लेंगे इस जनम में ही ,आप
विश्वामित्र की तरह 
विश्व के मित्रों का 
इस धरा पर 
 एक नई धरा का 
निर्माण फिर. 

डॉ. मधुप. 
   लघु कविता.   
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भूल गया सब कुछ.



डॉ. मधुप.
 

एक आदमी 
जो खो रहा हैं अपनी याददाश्त,
भटकता हुआ शहर दर शहर , 
 ढूंढ रहा है,
अपने...अतीत के खंडहर में,
यहाँ वहाँ, 
अपनों को, 
सपनों को,
  उन यादों की सुनहरी ईटों को , 
अपनों के लिए  
सपनों का  महल बनाने वास्ते, 
 अपने बारे में उसे 
कुछ भी मालूम नहीं, 
गर मिल जाए किसी को
तो पंहुचा देना, 
उसका पता है 
नैना देवी, 
नैनीझील,
नैनीताल. 
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हिंदी अनुभाग. ४ : शेरों वाली  फोटो दीर्घा : पृष्ठ : ६ / ०  
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संपादन / संकलन 

 
डॉ. सुनीता रंजीता 
नैनीताल डेस्क.

शक्ति न्यूज़ रिपोर्टिंग के क्षण और विभिन्न मुद्राएं : कोलाज :  फोटो : डॉ.मधुप.  
शक्ति समूह का शक्ति प्रदर्शन : पश्चिम बंगाल पूजा पंडाल : फोटो : कुणाल सिन्हा. 
आसनसोल दुर्गा पूजा पंडाल की अप्रतिम खूबसूरती : फोटो : कुणाल सिन्हा. 
संतोष मित्रा स्क्वायर : अयोध्या थीम : शक्ति का पंडाल : फोटो : रश्मि. कोलकोता. 
नालंदा :  बिहार शरीफ के सर्वश्रेष्ठ चार पंडाल : फोटो : डॉ. सुनीता रंजीता.  
माँ कात्यानी : शक्ति पीठ : छत्तरपुर मंदिर : नई दिल्ली : फोटो : विदिशा. 

शक्ति : त्रिशक्तियों की पूर्ण विजय आसुरी शक्तियों पर : बिहारशरीफ : फोटो : डॉ सुनीता रंजीता.
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फोटो दीर्घा : पृष्ठ : ६ / १ : ओ शेरों वाली बिगड़ी बना दे मेरा काम :  बीते दिनों की 
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संपादन / संकलन.



प्रिया. दार्जलिंग 


 
श्री गणेशाय नमः : गणपति बप्पा मोरिया ! ..अगले बरस तू जल्दी आ : फोटो : नरेंद्र : मुंबई. 
प्रकाश मान दिव्य महा शक्ति का दरवार और साम्राज्य : फोटो : रश्मि. कोलकोता  
बुर्ज ख़लीफ़ा की अनुकृति : कोलकोता शक्ति पंडाल : शुभोजीत घोषाल.  
रांची : दुर्गा पंडाल : गत वर्ष शक्ति समूह का अप्रतिम प्रदर्शन  : फोटो : अशोक कर्ण. 
शिमला काली बाड़ी : दुर्गा पूजा : फोटो : अनुभूति सिन्हा. 
अमेरिका में शक्ति की आराधना :  फोटो : मीरा रॉयचौधरी : अमेरिका.
माँ दुर्गा : सिद्धि प्राप्ति' का साधन : फोटो रश्मि. कोलकात्ता.
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि  रूपेण संस्थिता : फ़ोटो : बिहार शरीफ़ ,नालंदा. डॉ सुनीता रंजीता . 
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संपादन / संकलन.
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  दिल ने फिर याद किया / खबरें / कही अनकही  /  क्षणिकाएं /  शुभकामनाएं  : पृष्ठ : ७ 
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संकलन / संपादन .

 

रंजीता  प्रिया. 
दार्जलिंग. 

  दिल ने फिर याद किया / साभार 

अंताक्षरी : मुखड़े : पृष्ठ : ७ /१.

हमसे सनम क्या परदा : फ़िल्म : अनामिका 

श्रुति भावे : पिया तोसे नैना लागी रे 



चेहरा क्या देखते हो : 
साभार : संचिता बसु 


जरा तस्वीर से तू निकल कर .. : साभार रिंकू झा.


चांदी ले जा रे सोना ले जा रे साभार रिंकू झा.  


दूर नहीं मैं तुझसे साथी साभार रिंकू झा 


क्या मौसम आया है : साभार : संचिता बसु 


सारे जग से निपट लूँ अकेली . 

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संक्षिप्त खबरें / दृश्य माध्यम : पृष्ठ : ७ / २.
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संपादन. 
 
 या देवी सर्व भूतेषु : डॉ. मधुप. 


रावणत्व का दहन : दिल्ली : शार्ट रील : विदिशा. 
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कही अनकही  /  : पृष्ठ : ७ / ३  .
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संपादन. 


डॉ. सुनीता रंजीता. 
नैनीताल डेस्क. 

मगर हमारी ख़ामोशी की बात ही अलग है 

हमारे पास  ख़्वाब ही तो है 
 
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मुझे भी कुछ कहना है : क्षणिकाएं : पृष्ठ : ७ / ४ .
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संकलन / संपादन 
सुमन.



नई दिल्ली.
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काफ़ी हो तुम 



तुम तक लौट आना : क्षणिकायें : अज्ञात 
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साभार 


 गहरी नींद की तरह आना, 
रचना श्रीवास्तव 
 
फिर मिलना : रचना श्रीवास्तव  
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त्रिशक्ति समर्थित नव शक्ति प्रायोजित .

उम्र चाहे कोई भी हो  : इमरोज़ 

प्रेम के एक क्षण : दीपाली. 

वो बेशुमार मुझमें हैं  : 
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       शुभकामनाएं जन्म दिन : दिवस / पृष्ठ : ७ / ५   
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संपादन.


मानसी पंत 
नैनीताल. 
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२ अक्टूबर :  गाँधी शास्त्री जयंती 
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जन्म दिन.

मातृ वन्दना.

 
निर्मला सिन्हा. 
२८.१०.४०.
 
जन्म दिन की हार्दिक शुभ कामनाएं / 
निवेदक. डॉ. मधुप.  
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रश्मि 

 
कोलकोता.

हमारी   संवाददाता को उनके 
जन्म दिन २७ सितम्बर  के उपलक्ष्य पर हम मीडिया परिवार की 
तरफ़ से ढ़ेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं. 

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उसने कहा / शुभकामनाएं / दिवस की /  




' जीवित्पुत्रिका '  व्रत की शुभकामनाएं 

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आज का गीत जीवन संगीत : शक्ति / भक्ति / अध्यात्म / पृष्ठ : ८ .  
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संकलन / प्रस्तुति.

 

रंजीता  प्रिया. 
दार्जलिंग. 
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फिल्म : सुहाग.१९८०.  
गाना : काल के पंजें से 
सितारे : अमिताभ बच्चन. रेखा. 
गीत : आनंद बख़्शी. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायक : रफ़ी.आशा
  

गाना देखने सुनने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं. 

डांडिया नवरात्रि :  विशेष. 
फिल्म : सपने साजन के.१९९२.  
सितारे : राहुल रॉय. करिश्मा कपूर 
गाना : मेरा पागल जिया न माने 
गीत : समीर. संगीत : नदीम श्रवण. गायक : कुमार सानू. अलका यागनिक.



गाना देखने सुनने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं. 

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फिल्म : बरसात की एक रात.१९९१. 
सितारे : अमिताभ बच्चन. राखी.अमजद खान 
गाना : काली राम का खुल गया पोल.
गीत : आनंद बख्शी. संगीत : आर डी वर्मन. गायक : किशोर कुमार.

गाना देखने सुनने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.
https://www.youtube.com/watch?v=emlmVxs_kq0
  
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फ़िल्म : सत्यम शिवम् सुंदरम. १९७५. 
सितारे : शशि कपूर. जीनत अमान. 
गाना : ईश्वर सत्य है सत्य ही शिव है शिव ही सुन्दर है 
गीत : नरेंद्र शर्मा. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल गायिका  : लता 


गाना देखने सुनने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.
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आज का गीत जीवन संगीत : मनोरंजन / नृत्य / डांडिया / गरवा : नवरात्र  / पृष्ठ : ८ / १ .  
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संकलन / प्रस्तुति.


डॉ. सुनीता रंजीता.
नैनीताल डेस्क
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फिल्म : ख़ूबसूरत.१९९९.  
सितारे : संजय दत्त. उर्मिला मार्तोंडकर.
  गाना : घूँघट में चाँद होगा घूँघट में चांदनी 
गीत : संगीत : जतिन ललित. गायक : कुमार सानू. कविता कृष्ण मूर्ति. 



गाना देखने सुनने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.

ममता हॉस्पिटल की तरफ़ से आप सभी को नवरात्रि  की हार्दिक शुभकामनाएं. 
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मेरी अनुभूति : मेरी शक्ति : भक्ति : अध्यात्म  : कोलाज : पृष्ठ : ८ / १ . 
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संपादन.
रश्मि. कोलकोता.

काली राम का खुल गया पोल बीच बजरिया फट गया ढ़ोल : डॉ.सुनीता रंजीता.  
 
जागो उठ कर देखो.... जीवन जोत उजागर है : कोलाज : डॉ.सुनीता रंजीता. 
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आज का गीत जीवन संगीत : मनोरंजन / नृत्य / डांडिया / गरवा : नवरात्र कोलाज  / पृष्ठ : ८ / २  .  
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नींद उड़ा के ले गए मेरी अँखियों से.. सपने साजन के डांडिया  कोलाज  डॉ.सुनीता रंजीता. 
घूँघट में चाँद होगा घूँघट में चाँदनी चुपके से देखेगी साजन को सजनी : कोलाज : डॉ.सुनीता रंजीता. 
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शक्ति : कला  दीर्घा : पृष्ठ : ९ . 
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संकलन / संपादन.


कंचन पंत 
नैनीताल.

अपने भीतर के रावणत्व पर रामत्व की विजय : शुभ दशहरा : फोटो : साभार. 
इतनी शक्ति हमें देना  शक्ति मन का विश्वास कमजोर हो न : डॉ मधुप. कला कृति : साभार  
शक्ति की कलात्मक अभिव्यक्ति  :  कलाकृति  :  अज्ञात साभार.

माँ दुर्गा की कला कृति : कृति : दर्पण मंडल.कोलकोता. 
शक्ति : दुर्गा में  कलात्मकता : फोटो : सुदीप्तो घोष. 
 
आज की : कला कृति : दर्पण मंडल : शुभ विजयादशमी.
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हिंदी धारावाहिक : पृष्ठ : १०  .यात्रा संस्मरण.
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यात्रा संस्मरण. 

नवरात्रि  नैनीताल और  माँ  नैना देवी मंदिर,का दर्शन

यात्रा वृतांत ये पर्वतों के दायरें से साभार.  

डॉ. मधुप रमण.
©️®️ M.S.Media.

नवरात्रि की शुरुआत होने वाली थी। पितृ पक्ष के कुछ ही दिन शेष रह गए थे। दिल्ली से हमारी पत्रिका के  प्रधान संपादक मनीष दा ने फ़िर से मुझे आग्रह किया कि इस साल भी  नैनीताल से दशहरे की कवरेज मुझे ही करनी होगी।  क्योंकि मैं नैनीताल से प्रारंभ से ही जुड़ा हुआ हूँ वहां के पत्रकारों के संपर्क में हूँ ,और लिखता रहा हूँ इसलिए उन्होंने यह दायित्व मुझे ही सौप दिया। 
डॉ. मधुप 

हालांकि इस बार मैं पश्चिम बंगाल में किसी पहाड़ी जगह सिलीगुड़ी , मिरिककलिम्पोंगकुर्सियांग  या दार्जलिंग जैसे इलाक़े से दशहरे की कवरेज करना चाहता था। 
पश्चिम बंगाल के  दशहरे के बारे में मैंने काफ़ी कुछ सुन रखा था। सोचा था इस बार अपनी आँखों से वहां की धार्मिक ,सांस्कृतिक,आस्थां से परिचित हूँगा। लेकिन मुझसे कहा गया वहां से  प्रिया नवरात्रि की कवरेज कर रहीं हैं या करेंगी इसलिए मुझे अपनी मन पसंदीदा जग़ह  नैनीताल से ही नवरात्री की कहानी लिखनी होगी। 
अतः इसके लिए मुझे तैयार होना होगा। सच कहें बात तो दरअसल में कुछ और थी। 
आप इन दिनों प्रशासकीय कार्यों के निमित यूरोप में हो रहे सम्मलेन में शिरक़त करने  के लिए दस दिनों के लिए स्विट्ज़र लैंड के दौरे पर थी। और आपकी अनुपस्थिति में नैनीताल में रहना ,भ्रमण करना फिर लिखने जैसे दायित्व को पूरा करना एक बड़ा ही मुश्किल कार्य प्रतीत हो रहा था। 
सच ही है ना ? तुम्हारे बिना नैनीताल में कुछेक दिन गुजार लेना कितना मुश्क़िल होगा ,अनु। शायद मैं ही जानता हूँ। संभवतः प्रेत योनि में भटकने जैसा ही मात्र। 
लेखन कार्य के लिए शक्ति व परिश्रम चाहिए । मानसिक शांति भी तो जो निहायत ही जरुरी है। मेरी मानसिक शांति ,मेरी शक्ति सब कुछ तुममें तो निहित है ,न। शायद निहित रहता है और युग - युगांतर तक तुम में ही केंद्रित रहेगा। और फिल वक़्त तुम मेरे साथ हो नहीं तो इस कार्य को सफलता पूर्वक कैसे कर पाऊंगा, मैं वही सोच रहा था ? मैं दुविधा की स्थिति में था। लेकिन पत्रकारिता से जुड़ा एक महत्वपूर्ण दायित्व दिया गया था इसलिए इसे भी मुकम्मल करना ही था, इसलिए दृढ़ होना पड़ा । जाने की तैयारी करनी ही पड़ी। 
रिपोर्ट,फोटो  और कवरेज के लिए इधर उधर भटकना,वो भी आपके सहयोग के बिना कितना दुष्कर कार्य होगा, हैं न अनु ? रात - दिन तुम्हारी यादों की घनी धुंध अपने मनो मस्तिष्क पर छाई  रहेंगी। बाक़ी की कल्पनाएं धुंधली धुंधली सी दिखेंगी , ऐसे में मैं लिखने जैसे गुरुतर भार के साथ कितना न्याय कर पाऊंगा यह तो गोलू देवता ही जानेंगे। सच तो यही है न जो कुछ भी मैं लिखता हूँ, वह अंतर्मन के प्रभाव में रहता है।  इधर हाल फिलहाल जो भी लिखता रहा ,उसके पीछे की छिपी प्रेरणा शक्ति तो आप ही रहीं   हैं  न ! शायद एक बजह भी। 
आपने फ़ोन पर मुझे सख़्त हिदायत दे दी थी कि मुझे अयारपाटा वाले बंगले में ही ठहरना है,आपके नए बंगले में। लेकिन मैंने मन ही मन में निश्चित कर लिया था कि मैं वहां नहीं ठहरूंगा। मल्ली ताल के आर्य समाज मंदिर में ही रुकूंगा क्योंकि शायद थोड़े पल के लिए आपकी यादों के घने सायों से बाहर निकलने की नाकामयाब कोशिश क़ामयाब हो जाए.....और मन चित शांत कर लिख सकें। इस सन्दर्भ में मैंने अपने संपादक मित्र  नवीन दा से बातें कर भी ली थी। वह जाकर वहां कमरा ठीक कर देंगे। मैं यह भी भली भांति जानता था इस लिए गए आत्म निर्णय से आप हमसे बेहद नाराज़ होंगी। लेकिन कुछ कहेंगी भी नहीं यह भी मैं जानता ही हूँ। 
कोई अपने घर के रहते मंदिर ,धर्मशाला और गुरुद्धारे में भला रुकता है क्या ,नहीं न ? पागल पंथी ही है, सब यही कहेंगे न ?....
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नवरात्रि  नैनीताल और  माँ  नैना देवी मंदिर,का दर्शन.
गतांक से आगे : १. कहानीकारों का जीवन : जीवन चलने का नाम 

 देर रात ही हमें दिल्ली से अपने गंतव्य स्थान के लिए निकलना पड़ा। पत्रकारों ,कहानीकारों का जीवन ऐसे ही जोख़िम भरा होता है। कब हमें रिपोर्टिंग के लिए जाना पड़े ,कहाँ जाना पड़े ,कोई सुनिश्चित नहीं होता । हम आदेश के पालक होते हैं। पल में हम कहाँ होंगे हम भी नहीं जानते है। 
कैमरा , लैप टॉप , मोबाइल ,बैटरीवाई फाई ,चार्जर,आई कार्ड, डेविड कार्ड  बगैरह आदि सब मैंने अपने बैग में सुबह रख लिया था। देर दोपहर तक़ ९०२ किलोमीटर की दूरी तय कर हमें नैनीताल पहुंच ही जाना था । सुबह नौ के आस पास मैं बरेली पहुंच चुका था। 
मेरी सुविधा के लिए ही  मेरे बड़े भाई जैसे हल्द्वानी के संपादक रवि शर्मा ने अपनी कार भिजवा दी थी जिससे मैं शीघ्र अति शीघ्र नैनीताल पहुंच सकूँ । कितना ख़्याल रखा था भैया ने ? कैसे मैं आपका आभार प्रगट करूँ। 
सच अनु कभी कभी ख़ुद से मन के बनाए गए  रिश्तें कितने संवेदनशील होते है । स्थायी भी , है ना। कभी कुछ कहना नहीं पड़ता है। हम बेजुबान होते हुए भी सब समझ जाते है। जरुरत के हिसाब से एक दूसरे के चुपचाप काम आ जाते हैं।  इसी आस्था का नाम ही तो पूजा है ना, ..किंचित समर्पण भी । 
अपराहन तीन बजे तक़ मैं नैनीताल में पहुंच चुका था। थोड़ी ठंढ मेरे एहसास में थी। नीचे तो मैदानों में अभी भी उमस वाली गर्मी ही थी। 
तल्ली ताल बस स्टैंड से गुजरते हुए जब लोअर माल रोड के लिए मेरी गाड़ी मुड़ी तो अनायास ही तुम्हारा सलोना चेहरा मेरे सामने आ गया था। यहीं कोई पिछले साल की ही तो बात थी न ? दशहरे का समय भी था। आपके गृह प्रवेश के सिलसिले मैं आया हुआ था। आपने अयारपाटा में एक पुराना ही मकान ख़रीदा था। 
सामने वायी तरफ़ माँ पाषाण देवी का मंदिर दिखा तो सबकुछ देखा अनदेखा दृश्य चल चित्र की भांति अतीत से निकल कर मेरी आखों के समक्ष आने लगा था । एक बड़ा सा चट्टान का टुकड़ा न जाने कब पहाड़ से टूट कर झील में समा गया था। शायद पिछले साल ही अगस्त के महीने में । लेकिन माँ पाषाण देवी को रत्ती भर नुकसान नहीं हुआ था। अभी भी इस तरफ़ से बड़े बड़े बोल्डर गिरे पड़े दिख रहें  थें । तुमने कभी कहा था माँ पाषाण देवी ही नैनीताल की रक्षा करती है। 
मुझे याद है ........मैं आपके अयारपाटा के बंगले में ठहरा हुआ था ,ऊपर वाली बालकनी से सटे रूम में जिसकी खिड़कियां बाहर खुलती थी । एक इकलौता कम पत्तों वाला पेड़ शायद अभी भी हो वहां पर। 

अयारपाटा के डोर्थी सीट से दिखती नैनीताल की पहाड़ियां : फोटो महेश.

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शक्ति पीठ नैनीताल और  माँ  नैना देवी मंदिर,का दर्शन.
गतांक से आगे : २ .

सप्तमी
 की देर रात ही हमें अपने गंतव्य स्थान के लिए निकलना पड़ा। पत्रकारों ,कहानीकारों का जीवन ऐसे ही जोख़िम भरा होता है। कब हमें रिपोर्टिंग के लिए जाना पड़े ,कहाँ जाना पड़े ,कोई सुनिश्चित नहीं होता । हम आदेश के पालक होते हैं। पल में हम कहाँ होंगे हम भी नहीं जानते है। कैमरा , लैप टॉप , मोबाइल ,बैटरीवाई फाई ,चार्जर,आई कार्ड, डेविड कार्ड  बगैरह आदि सब मैंने अपने बैग में सुबह रख लिया था। देर दोपहर तक़ ९०२ किलोमीटर की दूरी तय कर हमें नैनीताल पहुंच ही जाना था । 
सुबह नौ के आस पास मैं बरेली पहुंच चुका था। मेरी सुविधा के लिए ही  मेरे बड़े भाई जैसे हल्द्वानी के संपादक रवि शर्मा ने अपनी कार भिजवा दी थी जिससे मैं शीघ्र अति शीघ्र नैनीताल पहुंच सकूँ । कितना ख़्याल रखा था भैया ने ? कैसे मैं आपका आभार प्रगट करूँ। 
सच अनु कभी कभी ख़ुद से मन के बनाए गए  रिश्तें कितने संवेदनशील होते है । स्थायी भी , है ना। कभी कुछ कहना नहीं पड़ता है। हम बेजुबान होते हुए भी सब समझ जाते है। जरुरत के हिसाब से एक दूसरे के चुपचाप काम आ जाते हैं।  इसी आस्था का नाम ही तो पूजा है ना, ..किंचित समर्पण भी । 
अपराहन तीन बजे तक़ मैं नैनीताल में पहुंच चुका था। थोड़ी ठंढ मेरे एहसास में थी। नीचे तो मैदानों में अभी भी उमस वाली गर्मी ही थी। 
तल्ली ताल बस स्टैंड से गुजरते हुए जब लोअर माल रोड के लिए मेरी गाड़ी मुड़ी तो अनायास ही तुम्हारा सलोना चेहरा मेरे सामने आ गया था। यहीं कोई पिछले साल की ही तो बात थी न ? दशहरे का समय भी था। आपके गृह प्रवेश के सिलसिले मैं आया हुआ था। आपने अयारपाटा में एक पुराना ही मकान ख़रीदा था। 
सामने वायी तरफ़ माँ पाषाण देवी का मंदिर दिखा तो सबकुछ देखा अनदेखा दृश्य चल चित्र की भांति अतीत से निकल कर मेरी आखों के समक्ष आने लगा था । एक बड़ा सा चट्टान का टुकड़ा न जाने कब पहाड़ से टूट कर झील में समा गया था। शायद पिछले साल ही अगस्त के महीने में । लेकिन माँ पाषाण देवी को रत्ती भर नुकसान नहीं हुआ था। अभी भी इस तरफ़ से बड़े बड़े बोल्डर गिरे पड़े दिख रहें  थें । तुमने कभी कहा था माँ पाषाण देवी ही नैनीताल की रक्षा करती है। 
मुझे याद है ........मैं आपके अयारपाटा के बंगले में ठहरा हुआ था ,ऊपर वाली बालकनी से सटे रूम में जिसकी खिड़कियां बाहर खुलती थी । एक इकलौता कम पत्तों वाला पेड़ शायद अभी भी हो वहां पर। 

अयारपाटा के डोर्थी सीट से दिखती नैनीताल की पहाड़ियां : फोटो महेश.
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हिंदी धारावाहिक : यात्रा संस्मरण. 
गतांक से आगे : ३ .

महाष्टमी के दिन मैं कैसे भूल सकता हूँ ? शक्ति स्वरूपा लाल सुर्ख साड़ी,

महाष्टमी : आज की तरह ही एक साल पूर्व भी  नवरात्रि अष्टमी महागौरी की तिथि थी।आपने सुबह  सबेरे चाय की प्याली देते समय यह बतला दिया था कि आज हमें माँ पाषाण देवी के दर्शन करने हेतु जाना है। आप अष्टमी का व्रत भी रखेंगी।
मां पाषाण देवी के दर्शन के बाद ही कुछ फल का आहार लेंगी। दिन भर उपवास में बीतेगा। 
मैंने यह तय कर लिया था कि मैं नहा धोकर पूरी तरह से तैयार मिलूंगा ताकि आप की पूजा,आराधना में तनिक भी विलंब ना हो सके और आप नियमित समय से पूजा कर सके । 
याद है अनु  हम कितना समयबद्ध थे। प्रातः ८ बजे तक हम तैयार भी हो गए थे।
यहीं तो शाश्वत प्रेम हैं न, अनु.....? बिन बोले सम्यक मार्ग ,सम्यक कर्म की ओर हम सभी प्रवृत हो। है ना ....! 
माल रोड पर लम्बा जाम लगा हुआ था, और मेरी गाड़ी कतार में खड़ी थी। मुझे शायद इसकी तनिक फ़िक्र भी नहीं थी ,मैं तो कहीं और खोया हुआ था । अतीत में ,ये वही पल दो पल की हमारी तुम्हारी यादें हैं जो मेरे जीवन भर की अर्जित सम्पत्ति है। 
महाष्टमी के दिन मैं कैसे भूल सकता हूँ ? शक्ति स्वरूपा लाल सुर्ख साड़ी,पैरों में आलता लगाए, पीली चुनरी और हल्के आभूषण के श्रृंगार में आप दिव्य रूप में जैसे मां की शक्ति का प्रतीक ही दिख रही थी।शांति  स्वरूपा भी। 
सच कहें तो मुझे शांति और शक्ति दोनों अधिकाधिक चाहिए था ,है न। शांति लिखने मात्र के लिए और शक्ति स्वास्थ्य के लिए। ये दोनों चीजें ही अहम हैं हमारे लिए। मन अशांत हो तो लिख नहीं पाता हूँ। सब ख़ुशी व्यर्थ रहती है । शक्ति नहीं है तो जीवन आश्रित और निरर्थक हो जाता है ,किसी शरणार्थी की भांति । 

नैनी झील ,ठंढी सड़क और माँ पाषाण देवी मंदिर : फोटो विदिशा 

पूजा की थाली,चढ़ाई जाने वाली दूध की बनी आवश्यक सामग्री आदि लेकर घर से चलते हुए हम 
तल्लीताल स्टैंड तक पहुंच गए थे। और वहां तक मैंने खुद ही गाड़ी चलाई थी। तल्लीताल के बस स्टैंड में कार को खड़ी करते हुए हम ठंडी सड़क की तरफ पैदल ही बढ़ गए थे। मुझे मालूम था पाषाण देवी का मंदिर यही कहीं झील के मध्य में ही स्थित है। 
आगे बढ़ते हुए तुम कह रही थी, '..जानते हैं ...तल्लीताल मल्लीताल में इन दिनों नवरात्रि के अवसर पर रामलीला का जबरदस्त आयोजन होता है जिसे देखने के लिए स्थानीय लोगों की काफी भीड़ जमा होती है...' 
सच में मुझे रामलीला की भीड़ भी दिखी थी मल्ली ताल में। निर्माण कार्य प्रगति पर था इसलिए आम लोगों को काफ़ी परेशानी हो रही थी। 
मुझे याद आया प्रत्यक्ष था कि ५०० मीटर की दूरी तक हमें पैदल ही चलना था क्योंकि इधर ठंडी सड़क पर कोई रिक्शा आदि नहीं चलता है । हम बड़े आराम से कदम बढ़ा रहे थे,ताकि बातें भी होती रहें, कहानी भी बयां होती रहे। 
हाथ में पूजा की थाली लिए ठंडी  सड़क पर चलते हुए आपने माता पाषाण देवी के बारे में बतलाना शुरू कर दिया था। मैं जिज्ञासु बना आपकी बातों को बड़ा एकाग्रता से ध्यान पूर्वक सुन रहा था।

ठंढी सड़क और माँ पाषाण देवी प्रवेश द्वार : फोटो साभार 

मां पाषाण देवी : शक्ति पीठें  '..माता  की भक्ति में ही अपरंपार शक्ति है। मां तो सती का रूप ही है। आपको भी ज्ञात है कि माँ पार्वती की देह से अलग होकर उनके अंग जहाँ - जहां गिरे वहां शक्तिपीठें निर्मित होती चली गईं। प्रतीत होता है माता पार्वती के नयन नैनीताल में गिरे थे और उनसे निःसृत होती आंसुओं की धारा से नैनी झील का निर्माण हुआ था । .....क्योंकि दिखने इस झील की आकृति ही आँख जैसी ही हैं। '
'.....याद है आपको ...जब हम चाइना पीक गए थे तो वहां से नीचे झील देखी थी ,तो यह झील माँ की आँखों जैसी दिख रही थी । .....दिख रही थी  न ?' 
' ...इस झील के किनारे ही मल्लीताल में माता नैना देवी का मंदिर है जो आपने देखा ही है। और ठीक उस जगह से ही तल्लीताल की तरफ जाने के लिए ठंडी सड़क आरम्भ होती है। ...हमलोग तो मंदिर कितनी दफ़ा गए है,गए है न ....?

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शक्ति पीठ नैनीताल और  माँ  नैना देवी मंदिर,का दर्शन.
गतांक से आगे. ४ . माँ नैना देवी का दर्शन. 


माँ नैना देवी का दर्शन.नैनी झील और तुम : फोटो डॉ. मधुप 

आज आश्विन शुक्ल पक्ष की नवमी की तिथि थी। सिद्धिदात्री  का दिन था। आर्य समाज मंदिर से सुबह सबेरे ही मैं नहा धो कर माता के दर्शन के लिए निकल गया था। सोचा पहले माता के दर्शन के बाद कुछ काम करूँगा। 
इस मंदिर परिसर में तो हम कितनी बार आ चुके थे अनु ..? ...है ना ! यही कोई चार पांच बार ..
माँ  नैना देवी मंदिर : सबेरे के आठ बज रहे थे। धूप अभी तीखी नहीं हुई थी। मंदिर में सैलानी थे ही नहीं। ले दे के स्थानीय लोग ही थे। मैंने चढ़ावे के लिए कुछ प्रसाद ले लिया था। मंदिर में प्रवेश करते ही हनुमान जी दिख गए। 
नैनीताल में नैनी झील के ठीक उत्तरी किनारे पर जन आस्था का मंदिर नैना देवी मंदिर स्थित है। सन १८८० में जब भयंकर भूस्खलन  नैनीताल में आया था तब यह मंदिर उस प्राकृतिक आपदा में नष्ट हो गया था। बाद में भक्त जनों और श्रद्धालुओं ने इसे दोबारा बनाया था । यहाँ सती या कहें माता पार्वती की शक्ति के रूप की पूजा की जाती है। इस मंदिर में उनके दो नेत्र वर्त्तमान हैं जो नैना देवी को दर्शाते हैं। 
नैनी झील के बारे में माना जाता है जब शिव सती  की मृत देह को लेकर कैलाश पर्वत जा रहें  थें  तब जहां जहां उनके शरीर के खंडित अंग गिरे  वहां वहां शक्ति पीठों की स्थापना हुई। नैनी झील के स्थान पर देवी सती के नेत्र गिरे थे। इसलिए इसी धार्मिक भावना से प्रेरित होकर इस मंदिर की स्थापना की गयी थी। 
माँ नयना देवी के मंदिर के देखभाल का जिम्मा अमर उदय ट्रस्ट करती है। 
पौराणिक गाथा : वही है जो हमने कई बार सुनी है। जब शिव सती के जले अंग को लेकर की कैलाश पर्वत की तरफ जा रहें थे तो उनके भीतर बैराग्य भाव  उमड़ पड़ा था। उन्होंने सती के जले हुए शरीर को कंधे पर डालकर आकाश भ्रमण करना शुरू कर दिया था तो देव गण चिंतित हो गए थे। ऐसी स्थिति में सती के शरीर को खंडित किया गया। अतएव जहां जहां पर सती के शरीर के विभिन्न अंग गिरे वहां वहां पर शक्तिपीठों के निर्माण हो गए। यहां पर नैनीताल में सती  के नयन  गिरे थे इसलिए यह स्थान नैनीताल हो गया। वहीं पर नैना देवी के रूप में उमा अर्थात नंदा देवी का स्थान हो गया आज का नैनीताल वही स्थान है जहां पर उस देवी के नयन  गिरे थे। नैनों  से बहते अश्रुधार ने यहाँ ताल का रूप ले लिया था इसलिए यह ताल नैनीताल कहलाया। तब से निरंतर यहां पर शिव - पार्वती की पूजा नैना देवी के रूप में की जाती है। 
अन्य मंदिर : नैना देवी जो मुख्य मंदिर है इसके अलावह यहाँ भैरव ,माँ संतोषी ,नवग्रह ,राधा कृष्ण ,भगवान शिवबजरंग वली का मंदिर तथा, दशावतार कक्ष भी बने हुए हैं । मंदिर से सटे नैना देवी का धर्मशाला भी हैं जहाँ भक्त गण ठहर भी सकते हैं। 
इसके लाल टिन वाली छत देखते ही मुझे राजेश खन्ना ,तथा आशा पारेख अभिनीत  फ़िल्म कटी पतंग याद आ गयी थी जिसमें पूजा करने के लिए दोनों यहाँ आते हैं। तब उसी फ़िल्म में मैंने नैना देवी मंदिर को पहली बार सिल्वर स्क्रीन में देखा था। इसके बाद तो न जाने कितनी बार देखा। जब कभी भी मैं नैनीताल आता आप मुझे यहाँ दर्शन के लिए ले ही आती थी। 
पंडित जी ने कुछ फूल दे कर प्रसाद मुझे वापस कर दिया था। नैना देवी के दर्शन के बाद मैंने परिसर में अन्य देवी देवताओं के भी दर्शन किए। लेकिन न जाने क्यों मुझे यह बार बार लगता रहा जैसे तुम मेरे साथ हो ...और  मंदिर की परिक्रमा साथ कर रही हो ...
मंदिर परिसर में कई धागें और कई चुनरियाँ बंधी मिली थी जो लोगों ने अपने मन्नतों के लिए बाँधी थी । अरमानों के धागें, मनोकामनाओं की अनगिनित चुनरियाँ ,है न ,अनु । इनमें से दो तीन तो आपकी भी होंगी ही न ?
याद है ,मैंने एक बार इन धागों के बारें में आपसे पूछा भी था तो आप हंस कर टाल गयी थी... ' क्या करेंगे जान कर ? ,...जिस दिन आपकी हमारी मनोकामना पूरी होगी आप भी जान ही लेंगे ......। 
फ़िर एक बार बिना पूछे ही बतला दिया था ... ' ..कुछ नहीं ...बस आपके साथ जनम जनम का साथ चाहती हूँ ....'
तब मैंने कहा भी था ...' आख़िर मुझमें क्या है ,अनु ...मैं तो बस एक साधारण इंसान हूँ ...तुच्छ प्राणी मात्र हूँ ...
'.... साधारण नहीं ..बहुत कुछ है आप में ..! ..कितना ख़्याल रखते है ,मेरा ...सब का.. ! ..सच कहें ... तो लोग ठीक से समझ ही न पाए आपको ....!
'..सही तो है ... क्या लोग समझ पाए मुझे ...नहीं न ..? ' , स्वयं की तरह व्यक्तिवादी होने की बजह से मैं अन्य से अपने लिए शांति ,धैर्य और सत्य के अन्वेषण की ही बात करता हूँ न ...? 
तुमसे ही तो मैंने जीने की कला सीखी  है , तुम अक़्सर मुझे समझाते रहती थी,  ' ...किसी नतीजें पर पहुँचने से पहले ....रुक जाओ ,ठहर जाओ ,समझ लो ..सत्य जान लो ,अपनों से संवाद कर लो ..सारी समस्याएं निराकृत हो जाएंगी ..शीघ्रता मत करो ..। 

था झील का किनारा. नैना देवी से दिखती नैनी झील : छाया चित्र डॉ. मधुप.

सच में तुम्हारे बिना कितना अकेला हूँ , मैं ..भाव से ...संवाद से ..अस्तित्व से ..व्यक्तित्व से। एकदम सा अधूरा ..अपूर्ण...। 
तुम्हारी अनुपस्थिति में आज उदासी के बादल फ़िर से मेरे मन में घनीभूत हो गए थे। जैसे मेरी ऑंखें कब की बरस जाएंगी। 
उदास होते हुए मैं मंदिर से सटे रेलिंग के किनारे झील को देखने सरक आया था कि झील के मध्य में तैरती हुई नौकाओं को देख कर मुझे फिर से कुछ याद आ गया.....  
सच कहें तो झील के बीच में तुम्हें ही तलाश कर रहा था ,अनु । तुम्हारे लिए, तुम्हारी तलाश में पहाड़ियों में चिर निरंतर से भटकती हुई आत्मा ही बन गया हूं ना मैं ? हैं ना। 
तुम्हें याद हैं ना ,अनु इसी झील के किनारे इसी मंदिर परिसर में वापस लौटने के क्रम में तुमने मेरी सूखी हाथों को अपनी बर्फ़ जैसी कनकनी देने वाली नर्म हथेली से स्पर्श कर कहा था , ' ....ऐसा करते है नाव किराये पर ले लेते है ...और यही से तल्ली ताल चलते है...।' 
झील के उस पार,तल्लीताल :ऐसा कह कर तुम अपनी बच्चों वाली ज़िद ले कर बोट में बैठ गयी थी,है ना ? 
क्या करता,मुझे भी तुम्हारा साथ देने के लिए तुम्हारे लिए नाव में बैठना पड़ा था। नाव वाले से तुमने चप्पू भी ले लिए थे या कहें छीन ही लिया था और हम सभी नाव खेते हुए झील के बीचोबीच पहुंच गए थे। पानी से कितना डर लग रहा था। हमदोनों में से कोई भी तैरना नहीं जानता था। सामने ठंढी सड़क पर स्थानीय लोग आ जा रहें थे। बाहर वाले शायद कम ही होंगे। 
गोलू देवता मंदिर की तरफ़ देखते हुए न जाने तुम इतना भावुक क्यों हो गयी थी ..' इस झील में मैं डूब कर मर जाऊं ...और आप मेरी आँखों के सामने हो तो समझूंगी जीना सार्थक हो गया है ... भला  तुम कैसी बहकी बहकी बातें कर रही थी ,अनु । 
भगवान न करें ऐसा हो जाए। गोलू देवता का आशीर्वाद सब के ऊपर हो। सभी लोग सुखी रहें और निरोग भी। पहाड़ी लोगों के आराध्य देव है गोलू देवता। तुम भी तो अतीव विश्वास करती हो ना। तब संध्या  आरती का वक़्त हो रहा था ...न ? 

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शक्ति पीठ नैनीताल और  माँ  नैना देवी मंदिर,का दर्शन.
आखिरी क़िस्त .गतांक से आगे.५ .विजयादशमी

विजयादशमी. और जलते रावण के पुतले : फोटो : महेश. 

आज विजयादशमी की तिथि थी। महानवमी के बाद पूरे देश में असत्य पर सत्य की विजय का पर्व दशहरा धूमधाम से मनाया जाता है। इसी​ दिन भगवान श्रीराम ने दशानन रावण का वध किया था ,तभी से इस दिवस को समस्त भारत में विजयादशमी के पर्व बतौर मनाया जाता है। 
नवरात्रि समाप्त हो चुकी थी। आज दशमी का पर्व था। लोगों से मिलकर उनके साथ की गई बातचीत के आधार पर ख़ास कर आज की विशेष रिपोर्टिंग कर मुझे लौटना भी था।  सामान बगैरह मैंने पूर्व में ही बांध लिया था। मल्लीताल के फ्लैटस एवं तल्लीताल बस स्टैंड के पास में रावण तथा उसके कुल के पुतले दहन की तैयारी की जा चुकी थी। तल्लीताल में चूंकि जगह ज्यादा नहीं थी इसलिए रावण के पुतले को छोटा आकार ही दिया गया था। 
मल्लीताल के बजरी वाले मैदान में इसकी पूरी तैयारी प्रशासन ने कर ली थी। चूँकि यह मैदान बड़ा था मेरे आर्य समाज मंदिर के समीप था तो शाम सवा सात बजे की रिपोर्टिंग कर लौट भी सकता था।हल्द्वानी लौटने के लिए कार का इंतजाम हो चुका था। इसलिए कोई हड़बड़ी या चिंता वाली बात नहीं थी। हमें महज़ समयबद्ध रहना था। 
हम विजयादशमी पर्व के निहित संदेश पर अब भी हम गौर कर ले। इस त्योहार का यह संदेश हमारे समक्ष है ,इसे देने का प्रयास इसके निमित इसलिए किया गया है कि व्यक्ति के द्वारा किए गए हज़ार महान कर्मों के उपर उसके पाप भारी पड़ जाते हैं। और उसका पतन आरम्भ हो जाता है। इसलिए हमें अधर्म से बचना चाहिए। और धर्म के रास्ते में आने वाली हर रुकावट व्यक्ति के धैर्य की परीक्षा है, पर उस संघर्ष के आगे जीत भी है जैसे राम की हुई थी ।
हर युग में राम और रावण जैसे लोग होते हैं। सतयुग में थे कलयुग में तो भरे पड़े हैं। यहाँ सीता भी बदनाम हो जाती हैं।  सीता पर उंगली उठाने वाले लोग भी बहुतेरे हैं । कल्पना कीजिए सीता पर भी प्रश्न  उठ गए तो हम और आप कहाँ है । कैकई मंथराशबरी केवट , विभीषण , कुंभकर्ण ,जटायु , सूर्पनखा जैसे लोग हमारे आस पास ही मौजूद रहते  हैं। हमारा जीवन एक रंगमंच के समान है जहां हर मानव को अपना किरदार मिला हुआ है।  ईमानदारी से अच्छें क़िरदार निभाने का अवसर मिला है जिसे बड़ी शिद्दत से निभाने का प्रयास कीजिए। सच के लिए खड़े हो जाए। 
रावण दहन : शाम होते ही लोगों की भीड़ जमा होने लगी थी। सैकड़ों की तादाद में लोग आ रहें थे। उनमें से कुछ रावणत्व वाले भी लोग होंगे ही जो विद्वान लंकेश को भस्म करने पहुंचे थे। समय के साथ ही राम ने पुतले में आग लगा दिया गया और रावण जलने लगा इस सवाल के साथ कि हर साल तुम लोग तो मुझे जला रहें हो लेकिन मुझे सिर्फ़ इतना बता दो कि रामराज कब ला रहें हो...। 
धीरे धीरे भीड़ हटने लगी थी। मैं भी आर्य समाज मंदिर लौट चुका था। अब लौटने की बारी थी। मैंने नवीन दा को दिल से आभार प्रगट करते हुए घर लौटने की सूचना दे दी थी। 
वहाँ से वापसी का सफ़र : समय गतिशील था। आठ बजे के आस पास मेरी गाड़ी काठ गोदाम लौट रही थी। नौ बजे वहाँ से वापसी की ट्रेन थी। तुम्हारी यादों के साथ ही इस भागमभागी में मैंने अपना कार्य  भलीभांति पूरा कर लिया था।
अब सिर्फ़ तुम : मेरे मानस पटल के एक कोने में जैसे तुम शक्ति स्वरूपा हो कर हर समय उपस्थित रही थी, और मुझे जैसे निर्देशित करती  रही थी । ...इतना सब कुछ तुम्हारे बिना , लेकिन बिना किसी बाधा के  समस्त कार्य का संपन्न हो जाना  ,अनु .. आश्चर्य ही था न। बोलो न ... सच कहें ....प्रतीत हो रहा था जैसे कोई दिव्य शक्ति काम कर रही हो ...
आप हरदिन अपनी प्रशासकीय व्यस्तता के बाबजूद  भी स्विट्जरलैंड से नित्य दिन टेलीफ़ोन,मोबाइल  से मेरे बारें में पूछती रहीं थी ,स्वास्थ्य के बारें में जानकारी लेती रही। हिदायत देती रहीं।  
इस भावना के लिए मैं तुम्हारे लिए क्या कहूं ...कौन से शब्द दूँ ,समझ नहीं पाता हूँ। ..शून्य में खो जाता हूँ। सोचता हूँ ...आभार प्रगट करूँ ..या आँखें बंद कर मान लूँ कि यही शाश्वत  प्रेम है। एक दूसरे को समझ लेना ,वक़्त बेवक़्त ख़्याल रखना ही तो अमर प्रेम है ....
समय पर मैं काठ गोदाम पहुँच चुका था। ...ट्रेन खुल चुकी थी, समय पर ही। अब आगे का सफ़र जारी था वापसी का .... इति शुभ । 


आलेख : संपादन / सज्जा
डॉ. सुनीता रंजीता.
नैनीताल डेस्क




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 English Section : 
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Cover Page : Design : Vidisha.


Beautiful Classic presentation of  :Shakti : with unlimited power : Courtesy Photo 

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Contents Page : 1
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English Section : Cover Page : 0
English Section : Contents Page : 1.
English Section : Editorial Page : 2.
English Section : Motivational  Page : 3. 
Thought of the Day. Page : 3 / 1.
Art  of the Day : 3 / 2.
 Photo / Clip of the Day : 3 / 2.
Theme Inside  : Page 3.
 Theme  :  Editorial :  Page : 4 : My Experiences with Shakti :
Photos Gallery : Navratri : 2023. Page : 5.
News Gallery. Page : Page : 6.
Art  Gallery : Page : 7.
Video Gallery. Page : Page : 8.
Chalte Chalte : Page : 9.
You Said it : Blog Comments Box :  Page : 10. 

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English Section : Editorial Page : 2. 
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Chief Editor.


Prof. Dr. Roopkala Prasad.
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Executive Editor.
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Dr. Sunita Priya. 
Darjleeng.
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Assist. Executive Editor.
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Ranjita Seema.
Nainital Desk.
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Photo Editor.
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Dr. Renu.
Ranchi.
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Abroad.

Shilpi Lal : USA.
Abidha. USA.
Meera Roy Chaudhary. USA.
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English Section : Motivational  Page : 3.
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Editor.
शुभरात्रि
w

Anita Seema. 
Maihar Desk. Jabbalpur.
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Thought of the Day. Page : 3 / 1.

"..Believe in yourself you have 
more potential than you think.."

The Taste of the thought will not change.


"...The two most powerful warriors are 
the Patience & Time.."


"....If it doesn't challenge you 
     it doesn't change you..."

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How stressed you are.
remember how blessed you are.
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Art  of the Day : 3 / 2

Editor.


Dr. Rinky. Ranchi.


a artistic view of tri shaktis : courtesy art : net.
an artistic beautiful imagination of Siddhidatri in our inside : photo : courtesy.
My imagination of my Unforgettable Shakti that exclusively lives in me : courtesy 
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Theme Inside  : Page 4 .
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Tweet of the Day. Tumhare Liye. Page : 4 / 1
Editor.
Priya  

Darjeeling
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Tweet only. for 24.Hours.



Powered by Tri - Shakti. 
& Promoted  by Nav Shakti 
M.S.Media. Page 4.
©️®️ M.S.Media.


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Dr. Madhup Raman. 
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Tweet : 0.  
tri - Shakti with its nine sisters :  Omnipotent for me & us for this Navratri.
it will save me from any mis happenings.

You said it ," If it doesn't challenge you it doesn't change you."

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With the sentence the more they will try to disunite us the more we will be united. I start this tweet with my supreme Shakti. I told you earlier that so many irrelevant, negative evil posts are coming to my facebook. Why these evil posts do mean ? These are being unnecessarily tagged to my face book to distract me from my core belief over , Tri - Shakti, and Nav Shakti at all. But they could not do that. I am such a great fundamentalist person who doesn't keep changing myself very frequently.
And I am also sensing the exact meaning of these posts.
Why the frequent attacks are coming over us including my brother, my sister. Raids are coming to us in our daily routine day to day. Intentionally  Evil forces are working against us to harass us mentally . Once again we have to claim acid tested unity amongst us in friendship. We have to be alert too much careful with others that are forever unbelievable. 
Remember one of my tri Shaktis claims "...The two most powerful warriors are the Patience & Time.."
And the second one "....If it doesn't challenge you it doesn't change you..as a strong man." Really life is a challenge to be accepted. 
Shakti you the supreme power never be frightened of that what will happen to you. Noting will be against of you. Ultimately  victory will be ours and evil untruth has to be defeated at last.
Some conspirators hidden behind us are active against us. We have to be careful. I guessed somewhat they got the clues of disunity amongst us while my bro was loosing his patience when I was asking silently him about the preparation of the result. He burst into anger before some of us that were noticing us. From that day onwards morning started being blue. Now I am very shocked of having any talk within our family and being hesitant. I don't want to give any clues to them. I have made an elert to our family to whom we have to be watchful. Simply don't cooperate such people. Keep insisting on Satyagraha.
This should not be . Alas ! that day bro would have been patient somewhat  for a while this should not have happened .Life is full of mystery. We have to keep more strength, love, patience, for one another. The days are never the same .
And the above all Shakti along with her nine sisters and tri-shakti will never stop writing as these are inspirational to us.
Today I was pleading myself in myself for saving the key word from Mundko Upnishad  Satymev Jayte. I was claimed by witnesses flawless during my cross examine. Shakti say to my bro," I am always with him will never leave him  but he has to keep patience while uttering any harsh word before anyone.
You may feel.   
  
Episode  editing :  Dr. Sunita Ranjita.
Naina Devi Desk .Nainital.
to be continued...

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Photos Gallery : Navratri : 2023. Page : 5.
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Editor.


Dr. Renu / Ranchi.

Decorative Pooja Pandal : Nalanda : photo : Dr.Ranjita Sunita.

What a ! Beauty of the Pooja Pandal : Durgapur : photo : Trinka Sinha.
the best pooja pandal decoration in Nalanda : collage : Shakti.
Images of Goddess Durga at Ranchi Pandal : photo : Ashok Karan.

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 Write Ups Page : Page : 6.
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Editor.

Priya. Darjeeling.

Dashain celebrated  as a victory over the evils

Dashain celebrated  as a victory over the evils

It is celebrated to commemorate the day, the goddess Durga killed demons known as Mahishasura. Durga has many manifestations but her most powerful is the Goddess Kali, who is specifically celebrated during Dashain on the ninth day. Kali represents death, as she helped Durga to defeat the demons.
Every year, on the 10th day of Navratri, this dasain is celebrated as a victory over the evil, a victory bounding the peace, a victory showing the respect to elders and a victory teaching the juniors regarding the rituals that our four fathers had been carrying till date making an assurance that they will too be responsible to carry and flourish ahead.
Dasain, it’s basically a festival of blessings that we get from our elders and we bless our juniors with peace, prosperity, happiness, joy and long life. It’s a get together moment where they come closer to each other forgetting the sorrows and tears, and marking it with smile. It’s a moment where every household will have something new to present in regard to delicious food and beverages.
There are many ways to celebrate this beautiful festival as it is to honor, color and happiness in the festivities and new clothes are often bought. More publicly, swings are put up by local teens and adults, in parks where it’s easily accessible. It is said that if someone leaves the ground at least once during Dashain, a safe passage is guaranteed into heaven after death, and thus the swings continue this well-wish across the celebrations.
HAPPY DASHAIN TO ALL
Theme Editor.
Ranjita Seema.
Nainital Desk.
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Art  Gallery : Page : 7.
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  Video Gallery. Page : Page : 8.
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Chalte Chalte : Page : 9.
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Editor. 
 

Ranjita Priya.
Darjleeng.
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Only a Positive & Passionate Line for  Someone.
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तेरी ही फ़िक्र.
 
सुबह और शाम, 
काम ही काम. 
बस एक ही जिक्र, 
तेरी ही फ़िक्र, 
कैसे हो तुम्हारा नाम, 
चाहे हम क्यों 
न हो जाए गुमनाम. 
सुबह और शाम 

डॉ.मधुप  
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Tu Jahan Jahna Rahega
Mera Saya Saath Rahega.



The Sweet Song.for a Sweet Dream.
main aur mere ehsas.




" You are still important to me, with or without  any conservation"
" You have always enamoured me with your striking smile. ..
" ..wait to see your smile in the morning so bright.." 

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Apaki Pasand. Geet Subh Ratri ke.
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Film : Safar.1970.
Satrring : Firoz Khan. Sharmila Tagore. Rajesh Khanna
Song : Jo Tumko Pasand Ho Wohi Baat Karenge.
Lyrics : Indeevar Music :  Kalyan Jee Aanand Jee.Singer : Mukesh.


Press the link to enjoy listening the song.

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Sur Jindgi ka :  Sung by Someone 

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Film : Bingi Raat.1965.
Dil Jo Na Kah Saka
Starring : Pradeep Kumar. Meena Kumari.Ashok Kumar.
Lyrics : Majrooh Sultanpuri  Music : Roshan. Singer :  Rafi
 

Press the link for enjoy listening the song.

Good Night.

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You Said it : Blog Comments : Page : 10. 
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Editor 


Smita.
News Anchor. Patna.
 "..All the tri - Shaktis are present in our soul.."
Vanita.
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You Said it : Blog Comments Box :  Page : 10. 

"....जरा ठहरो नज़र भर के देख लूँ तुम को 
      जमीन पर चाँद कहाँ रोज उतरते है.." 




Comments

  1. Nice. Thankyou editorial team.

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  2. It’s a nice beginning. thanks team media . Running under the impression of Nari Sakti. Thanks for publishing my Photo. Narendra Mumbai

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  3. It's a very nice beginning, thank you editors for making such a fabulous page based on Navratri. Special thanks to the Executive Editor Dr. Sunita Ranjita, Nainital.
    Shailly- Mumbai.

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  4. It is a very nice page

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  5. It's really a great learning journey to be at this literary conclave. I express my gratitude to Dr Raman sir for being the Dronacharya for me & making me aware about this portal.

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  6. Your sentiments touching me a lot, Dr.Raman .Thank you so much for the unification of our family in such a nice way . Special thanks to the editors, Dr. Sunita Ranjita for editing this memory

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  7. It is a wonderful blog page Everyone should visit this blog page. Thank you editor.

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  8. कितनी शानदार बाते लिखी है आपने। आप लिखते रहिए।

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  9. I am amazed with the page and the content. Ll recommend to everyone

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  10. It is s very nice page. Every one should visit this page.

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  11. A & M Media Advertising wishes you all a very and purposeful Dussehra 2023. Thank you very much for regular visiting this Blog Magazine Website. Regards.

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  12. Beautifully captured and superbly scripted

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  13. Amazing pictures.Beautifully presented.

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