Musafir Hoon Main Yaaron : Na Ghar Hai Na Thikana.Travelogue 3.

  ©️®️ M.S.Media.
कृण्वन्तो विश्वमार्यम. 
In Association with.
A & M Media.
Pratham Media.
Times Media.
Presentation.
---------------------
Blog Address : msmedia4you.blogspot.com
email : m.s.media.presentation@ gmail.com
Theme Address.
https://msmedia4you.blogspot.com/2023/04/musafir-hoon-main-yaaron-na-ghar-hai-na.html
----------------------------
email : addresses.
email :  prathammedia2016@gmail.com
email :  m.s.media.presentation@gmail.com
email : anmmedia@gmail.com
email : timesmedia302022@gmail.com
--------------------------------------
Musafir Hoon Main Yaaron : Na Ghar Hai Na Thikana.
Travelogue Series 3.  
--------------------------------------
A Live / Archive  e - Blog Magzine Page.
Musafir Hoon Main Yaaron  : e - Travelogue Magazine .
Volume 1. Travelogue Series 3. 
----------------
हिंदी अनुभाग.
मुसाफिर हूँ मैं यारों : न घर है ना ठिकाना.  
यात्रा विशेषांक.३. 
--------------------------------------
आवरण पृष्ठ : ० 


मुसाफिर हूँ मैं यारों : न घर है ना ठिकाना. कोलाज : विदिशा.
-----------------
  
त्रि शक्ति अधिकृत और प्रायोजित. 
---------------
विषय सूची : पृष्ठ ०. 
---------------
आवरण पृष्ठ : ०. 

विषय : सुविचार. संपादन. डॉ.रतनिका.आगरा .पृष्ठ : ०.
आज का आभार : वनिता. एम. एस. मीडिआ. को ऑर्डिनेटर.पृष्ठ : ०.
चलते चलते : यात्रा  विशेष.सुबह शाम की पोस्ट : डॉ.मधुप. पृष्ठ०.   
आज का गीत : संपादन.प्रिया. दार्जलिंग.पृष्ठ : १.
 फिल्मी सफरनामा : कोलाज. संपादन. रश्मि. कोलकोता. पृष्ठ १. 
आज की तस्वीर : यात्रा विशेष संपादन.शिल्पी.यू.एस.ए.पृष्ठ : १.
आपबीती : ट्वीट ऑफ़ द डे.संपादन. रेनू शब्द मुखर.जयपुर.पेज : १. 
सम्पादकीय.संपादन.पृष्ठ : २. डॉ.सुनीता रंजीता.नैनीताल.    
कही अनकही : जिंदगी का सफ़र : संपादन. डॉ. सुनीता प्रिया. पृष्ठ : ४.
              मेरा भारत महान : फोटो - कोलाज दीर्घा.संपादन.अनीता.जब्बलपुर.पृष्ठ : ५.           
कला दीर्घा.सफ़र के रंग : संपादन. अनुभूति सिन्हा.शिमला.पृष्ठ : ६.  
सीपियाँ : मैं का से कहूँ : संपादन.कंचन.नैनीताल.पृष्ठ : ७.
प्यार का राग सुनो  : म्यूजिक मस्ती. संपादन.सृष्टि. पृष्ठ : ९. 
आपने कहा. सुमन. नई दिल्ली.पृष्ठ १० . 
   
------------
विषय : सुविचार. पृष्ठ : ० 
-----------


रेनूशब्द  मुखर : जब मौन पाँव पसारने लगे... 

------------
संपादन / संकलन.


डॉ. रतनिका.
आगरा.
------------
ये जीवन है.सुविचार. 


मनोज कुमार पांडेय. संपादक. नैनीताल.
-----------------------


सीखना ही है तो किसी की खामोशी को समझना सीखो 
बातों का क्या है एक बात के हजारों मतलब होते है.. 



जरूरत नहीं की हम सबको पसंद आए,
बस जिन्दगी ऐसे जियो की रब को पसंद आए.




".....तू कितनी भी खूबसूरत क्यूँ न हो जिंदगी 
        खुश मिज़ाज दोस्तों के बगैर अच्छी नहीं लगती...." 




"...
समय जब निर्णय करता है 
तो कभी गवाहों की भी जरूरत नहीं पड़ती..."



बातों की मिठास कभी अंदर का भेद नहीं खोलती 
क्योंकि मोर को देखकर यह कौन कह सकता हैं कि  
यह सांप को भी खा जाता है ...




अगर कोई आपकी क़ीमत न समझे तो निराश मत होना, 
क्योंकि कबाड़ के व्यापारी को हीरे की परख नहीं होती..
 



बड़ी बात ये नहीं है कि तुम्हारी रफ्तार क्या है, 
ज़रूरी ये है कि
तुम्हारी दिशा क्या है....?



"..आईना फैला रहा है ख़ुदफरेबी का ये मर्ज़....
हर किसी से कह रहा है आप जैसा कोई नहीं... "



ऐ मेरी प्यारी ज़िंदगी, ला तेरे हाथों की उंगलियां दबा दूं, 
कब से थक गई होगी मुझे नचाते - नचाते....






"....रख लो आईने हज़ार तसल्ली के लिए
   पर सच के लिए तो आँखें ही मिलानी पड़ेगी ,
खुद से भी और भगवान से भी... "



"...छिपाने से बातें बिगड़ जाती हैं,
बताने से
रिश्ते मज़बूत होते हैं..
रिश्तों को
सहेजना सीखें.."

 ⭐

"......जो होना है वो होकर रहेगा, 
      तू कल की फ़िक्र में आज की हंसी बर्बाद न कर..." 



".....आपके करम ही आपकी पहचान है 
            वरना एक नाम के हजारों इंसान है......."
  



------------------
आज का आभार.पृष्ठ ०.  
-------------------  

संरक्षण / निर्माण.  


डॉ.भावना.
उज्जैन.मध्य प्रदेश.  
--------------
 इ ब्लॉग मैगज़ीन के  निर्माण तथा सरंक्षण में आपके अतुलनीय सहयोग के लिए 
हम सभी टीम मिडिया के सदस्य डॉ. भावना. का हार्दिक आभार प्रगट करते हैं...
----------------- 
वनिता. 
एम. एस. मीडिआ.को ऑर्डिनेटर. 
---------------

---------  
शुभकामनायें : पृष्ठ ०. 
-------------
 ३ मई अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हम टीम मीडिआ 
की तरफ से आप सभी को हार्दिक बधाई. डॉ. नवीन जोशी. नैनीताल.   


ईद मुबारक. 

संकलन / संपादन.

स्मिता.
न्यूज़ एंकर.पटना.

--------------------
चलते चलते : यात्रा  विशेष. 
    सुबह शाम की पोस्ट : पृष्ठ०.  
-------------

डॉ.मधुप. 

  आ अब .....  लौट चलें...  

चरैवेति चरैवेति : घर वापसी का समय आ गया। इस प्रचंड गर्मी में ही सर्दियों के मौसम को फिर से महसूस करने का वो चिर प्रतीक्षित पल भी समीप ही है। 
जीवन एक सफर है। और हम सभी मुसाफ़िर हैं यारों। हमें तुम्हें ,उन्हें चलना ही होगा। कई लोग मिलेंगे। बिछड़ भी जायेंगे। कुछ जिंदगी भर यादों के साथ रहेंगे। कुछ भूलवश रास्तें में ही छूट जाएंगे। 
साल भर की घुटन , पिछड़ी सोच ,बीमार मानसिकता में जी रही जिंदगी को तनाव ,प्रदूषण से मुक्त कराने के लिए हमें फिर से पहाड़ों का रुख करना ही होता है । जलवायु परिवर्तन लाजमी हो जाता है। पर्यटन हमारे जीवन की एक आवश्यक क्रिया हो गयी है। अपनी सोच , क्रिया शीलता और मानसिकता को भी शुद्धता चाहिए। 


पर्यटन जरुरी है 
नयी कल्पना,नई दुनियाँ नए लोग से मिलने के लिए : कोलाज : विदिशा 

नई दुनियाँ नए लोग : हम अपने भीतर कुछ नयी कल्पना, नव निर्माण और जीवन दर्शन के नवीन आलोकित रास्तें खोजने के लिए ही जाते है। सम्यक साथ ,सोच के साथ सम्यक दर्शन का लाभ मिल सके। दुःख है , दुःख का कारण भी है इसका निस्तार भी है। इसकी ख़ोज ही तो सतत जारी है।  
डोर्थी सीट में महेश सुनाथा जी से मुलाकातें होगी। उनके टी स्टॉल पर चाय पीने की तलब होगी। पत्ते के प्लेट में परोसी गई दाल ,चावल ,सब्ज़ी का खाना होगा। फिर ढ़ेर सारी बातें होंगी। सीखने सिखलाने के क्षण होंगे। 
ये वो पढ़े लिखे इंजिनीयर लोग है, जिन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत दिल्ली ,मुंबई जैसे शहरों से की,लेकिन शांति , सुकून की तलाश में फिर से वापस हो कर हिमालय की गोद में आ गए। मैदानी संस्कृति इन्हें रास नहीं आयी।   
इतिहास गवाह है शुरू से ही लेखक , कवि , चित्रकार , फ़िल्मकारदार्शनिक ,नेता, अभिनेता अपने अपने उदेश्य, यथा कल्पना, सृजन, विषयवस्तु तथा स्वास्थ्य लाभ  के लिए पर्वतों पर डेरा डालने के लिए जाते आते रहें हैं।  
सम्यक परिवर्तन के लिए एक बेहतर संवेदनशील  संस्कृति की जरूरत है। स्थान का परिवर्तन होना आवश्यक हो जाता है। बीमार जिंदगी को भी जीने के लिए पहाड़ों की ताज़ी हवा चाहिए... हालांकि पहाड़ भी वैसे नहीं रहें जैसे कभी १८ वी १९ वी शदी में हुआ करते थे। अंग्रेजों की लत हमें भी लग गयी,और हमने मैदानी इलाके की संस्कृति यहाँ भी ला दी..है 


गतांक से आगे : १ 

चलते चलते मिल गया था कोई... 

a wider view of Himalaya from Mall Road Almora. photo Raj Kishan.

चलते चलते  इस यात्रा में न जाने कितने लोग मिल जायेंगे ? इस दफ़ा भी शायद कोई शार्ट रील मेकर अल्मोड़ा की अंजू भंडारी मिल जाए जिनसे ढ़ेर सारी बातें हो । उनसे अल्मोड़ा के इतिहास के बारे में जानकारी मिल सकें। 
क्या पता फिर से किसी अपरिचित शहर में अल्मोड़ा के जैसा ही अनजाने लोगों  की निस्वार्थ भाव से मदद करने के लिए ही रोहित मेहता , मनीष विष्ठ जैसे भद्र जन किसी भी जायज़  मुसाफ़िर की मदद करने के सामने आ जाए।
कैसे भूला जाऊं कि दैनिक भास्कर के स्थानीय वरिष्ठ संपादक रवि शंकर शर्मा को जो नैनीताल से वापसी के समय हल्द्वानी में अपनी कार ले कर मुझसे मिलने चले आए थे। अपने घर ले गए। प्रेम से खाना खिलवाया। वापसी सफर के लिए काठ गोदाम रेलवे स्टेशन तक भी साथ रहें। रात में सफर में खाने के लिए  स्नेह सिक्त रोटियां भी खाने के लिए दे दी थी । 
फिर नैनीताल के आर्य समाज मंदिर में दस बारह दिनों का प्रवास बिना खर्चे का हमारे संपादक मित्र नवीन जोशी की ही तो देन है ना ...?
स्वर्ग आख़िर है कहां ? यहीं कहीं तो है। एकदम से आपके आस पास। सब आपके कर्मों का ही तो फल होता है ना आप सब कुछ स्वर्ग - नरक यहीं देख लेते हैं। मैंने अपने ट्रवेलॉग में जितने लोगों का जिक्र किया उनसे पहले मैं कभी मिला भी नहीं था। एकाध लोगों से मेरी बातें मोबाइल पर होती रहती थी। लेकिन समय आने पर उन्होंने सिद्ध कर दिया कि अभी भी पृथ्वी पर देवदूत जैसे लोग रहते है।  कहते है ना ? भोले भाव मिले रघुराई ...
सन सेट पॉइंट ब्राइट एंड कार्नर  : अलमोड़ा के  मनीष विष्ठ से प्राप्त सहायता को मैं कैसे भुला सकता हूँ जिनकी वज़ह से मॉल रोड स्थित एक बेहतर शिखर होटल में रहने के लिए मात्र ५०० रुपये की रकम में ढंग का कमरा मिल गया। होटल वाले ने चाय की भी पेशकश की थी। 
जब अल्मोड़ा में शाम ढल रही थी तो वो मुझसे सन सेट पॉइंट ब्राइट एंड कार्नर में  मिलने भी आ गए थे।उधर पहाड़ों के पीछे सूर्य ढल रहा था इधर  सम्बन्धों की मधुरिमा यादगार रात बन कर जेहन में उतर रही थी। 
नंदा देवी  और रोहित का मिलना : नंदा देवी मंदिर में ही एक अन्य स्थानीय रोहित मिल गए जिन्होंने लिफ़्ट संस्कृति में मेरा साथ देते हुए कसार देवी के मंदिर पॉइंट तक यात्रा की थी। रास्ते में ज़ू भी दिखलाया था। नंदा देवी मंदिर शहर का प्रसिद्ध आस्था का स्थल है जहाँ हर कोई आता है। मैंने भी अल्मोड़ा दर्शन नंदा देवी मंदिर के दर्शन के बाद ही शुरू की थी। 
ऐसे अंध विश्वास आप मैदानों में अपरिचितों पर तो कम से नहीं कर सकते हैं। मुझे याद है मुझे रोहित ने मुझे गोलू देवता का मंदिर भी दिखलाया था। हालांकि बड़ी लम्बी लाइन थी दूर से देवता के दर्शन करने के साथ अपनी मन्नतों के साथ वापस हो गया था। 
कसार देवी मंदिर : कसार देवी मंदिर की ऊंचाई से न केवल अल्मोड़ा शहर की नैसर्गिक खूबसूरती दिख रही थी। बल्कि पहाड़ी लोगों के ह्रदय की विशालता भी अनुभूत हो रही थी। कसार देवी पॉइंट अल्मोड़ा का बेहद ख़ूबसूरत पॉइंट है।  शिखरों से बहती ठंढी हवा के झोकों में आप अपनी सारी परेशनियां भुला जायेंगे। यदि आप अल्मोड़ा में है तो इसे जरूर देखें। 
बाल मिठाई : फिर हमलोगों ने साथ में अल्मोड़ा की बाल मिठाई भी खाई थी जो यहाँ की प्रसिद्ध मिठाई है। मॉल रोड पर टहलते हुए ढ़ेर सारी दूकानें आप को मिल जाएंगी। 
पंत संग्रहालय : मॉल रोड पर चहल कदमी करते हुए आप पंत संग्रहालय भी देख सकते हैं।  
पर्यटन का लक्ष्य होना चाहिए। इसका उद्देश्य ही होता है कि हम अपनी तथा मिलने वाली दो संस्कृतियों का तुलनात्मक अध्ययन कर सके, अपनी ख़ामियों को सुधार सकें। अच्छी चीजें जो स्वीकार करने योग्य है उसे ग्राह्य कर सके। पहाड़ियों की सादगी और सीधापन समझने लायक होता है। यह मैंने भी देखा है कभी आप भी देंखे ...

इति शुभ. 
चलते चलते : यात्रा  विशेष. 
संपादन / डॉ.सुनीता रंजीता


संदर्भित गाना.
-----------
फिल्म : सफर.१९७०.  
सितारे : राजेश खन्ना.शर्मीला टैगोर. फ़िरोज खान. 
गाना : नदियाँ चले चले रे धारा... 
गीत :  इंदीवर. संगीत : कल्याणजी आनंदजी. गायक : मन्ना डे.


   गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दबाएं.
 


.
-----------
यात्रा  विशेष. 
आज का गीत : जीवन संगीत. पृष्ठ १.
----------------
संकलन / संपादन.

प्रिया. दार्जलिंग. 
-----------
सहयोग. 
 
जाह्नवी आई केयर & रिसर्च सेंटर.
---------------
साभार. 
--------------
मेरी पसंद : डॉ.मधुप. 
----------------
फिल्म : मौसम : १९७५.  
सितारे : संजीव कुमार.शर्मीला टैगोर. 
गाना : दिल ढूंढता है फिर वही. 
गीत : गुलज़ार. संगीत : मदन मोहन. गायक  : भूपेंद्र. लता. 


गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दबाएं. 

--------------

फिल्म : मन की ऑंखें. १९७०  
सितारे : धर्मेंद्र. वहीदा रहमान. 
गाना : दिल कहे रुक जा रे रुक जा..
गीत : साहिर लुधियानवी.संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारेलाल.गायक : रफ़ी.



गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दबाएं.   

---------
फिल्म : दोस्त.१९७४. 
सितारे : धर्मेंद्र.हेमा मालिनी.शत्रुघ्न सिन्हा.
गाना : गाड़ी बुला रही है. 
गीत : आनंद बख़्शी.संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायक : किशोर कुमार.


गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दबाएं.  
-------------
फिल्म : सफर.१९७०.  
सितारे : राजेश खन्ना.शर्मीला टैगोर. 
गाना : जिंदगी का सफर ये कैसा सफर. 
गीत :  इंदीवर. संगीत : कल्याणजी आनंदजी. गायक : किशोर कुमार 


गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दबाएं. 

------------

फिल्म : झील के उस पार.१९७३.  
सितारे : धर्मेंद्र, मुमताज.
गाना : चल चले ए दिल करे. 
गीत : आनंद बख्शी. संगीत : राहुल देव वर्मन.स्वर : लता मंगेशकर. 


गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दबाएं.
 

---------------

फिल्म : आप की क़सम.१९७४.
सितारे : राजेश खन्ना. मुमताज.   
गाना : ज़िंदगी के सफर में...
दोस्तों शक दोस्ती का दुश्मन है 
गीत : आनंद बख्शी. संगीत : आर डी वर्मन. गायक : किशोर कुमार.


गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दबाएं. 
----------------- 
 
फिल्म : परिचय.१९७२.
सितारे : जीतेन्द्र,जया भादुड़ी.
गाना : मुसाफिर हूँ मैं यारों.
गीत : संगीत : आर. डी. वर्मन. गायक : किशोर कुमार. 



गाना सुनने देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दबाएं.
 

-----------
जिंदगी का सफर : फिल्मी सफरनामा  : कोलाज : पृष्ठ १. 
-----------
मेरी अनुभूति मेरे एहसास.  
संपादन / संकलन.


रश्मि. 
कोलकोता. 
दिल ढूंढता है फिर वही फुरसत के रात दिन को : डॉ. सुनीता रंजीता.
नदियां चले ....चले रे धारा.. तुझको चलना होगा  कोलाज़ : डॉ. सुनीता रंजीता.

किताबे ग़म में ख़ुशी का कोई फ़साना ढूंढो  : कोलाज़ : डॉ. सुनीता रंजीता.  
दिल कहे रुक जा रे रुक जा है ये जो बात इस जगह है कहीं पर नहीं : कोलाज़ : डॉ. सुनीता रंजीता.  
सर पर है बोझ सीने में आग..फिर भी ये गा रही है : कोलाज़ : डॉ. सुनीता रंजीता.  
पर्वत के पीछे एक सुन्दर सपनों का संसार हो : कोलाज़ : डॉ. सुनीता रंजीता. 
मुझे चलते जाना है बस चलते जाना..मुसाफ़िर हूँ मैं यारों : कोलाज : डॉ. सुनीता रंजीता.  
जिंदगी के सफर में गुजर जाते है जो मकां वो फिर नहीं आते : कोलाज : डॉ. सुनीता रंजीता.
जिंदगी का सफर कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं : कोलाज़ : डॉ. सुनीता रंजीता. 


सहयोग. 
----------------
यात्रा  विशेष.
आज की तस्वीर :  पृष्ठ : १.
संपादन.

 
शिल्पी.
यू.एस.ए.

केदारनाथ के लिए उड़नखटोले की उड़ान : फोटो : नमिता. 
हालिया गंगोत्री में हुई बर्फ़बारी की तस्वीर : फोटो : डॉ नवीन जोशी. 

बेपनाह मुहब्बत की अमिट निशानी : ताज के दीदार : फोटो : डॉ.भावना.  

------------
आपबीती : ट्वीट ऑफ़ द डे. पेज : १ 
---------------  

संपादन / संकलन. 



रेनू
शब्दमुखर. 
जयपुर.  


त्रि शक्ति अधिकृत और प्रायोजित.
तुम्हारे लिए.
 

जीने की राह .पेज : १   
-----------
जिंदगी हर कदम एक नई जंग है... 
डॉ.मधुप.  
 
आप मेरी आत्म - शक्ति हैं। आज फिर याद आ गयी। अपने जीवन के इस फ़लसफ़े में अपनी तन्हाई में अमूमन आपसे, स्वयं से बातें करता हुआ ही मैं जीने की राह ढूंढ़ता हूँ। यही मेरे जीने का अध्यात्म है। जीने की कला भी। मौन रहकर, धैर्य के साथ मैंने अपने जीवन संघर्ष में कठिनाईओं से झूझने की कला भी विकसित की है । फिर भी साधारण मानव होने की बजह से कभी कभी हारने लगता हूँ। कभी कभी मेरे साथ इस जीवन के संघर्ष में अभिमन्यु की स्थिति ही हो जाती है। साथ ही साथ आचार्य विनोबा भावे  भी याद आ जाते हैं। उनकी तरह प्रार्थना के साथ कर्म करते हुए वैसे तो हर दिन, प्रति पल आपको याद करता हूँ। आप से कल्पित बातों के जरिए मैं अपनी आसन्न परेशानी का हल भी खोजता हूँ। दिलासा दिलाता हूँ। और ऐसी आशा करता हूँ कि आप में ही निहित अपनी त्रि - शक्तिओं  की मदद के बदौलत इस जीवन में आने वाली अचानक की परेशानियों से उबर भी पाऊंगा। जीवन है तो छोटी - बड़ी समस्या आती ही रहेंगी। इधर दस पन्दरह दिनों से काफी कुछ मुश्किलातों से गुजरता रहा हूँ, मैं । सच कहें शक्ति तो यह भी तो एक लोक की उक्ति ही है न, "....देह धरे को दंड है..." 
अनिल कपूर अभिनीत फिल्म मेरी जंग का यह गाना ..जिंदगी एक नई जंग है...जीत जायेंगे हम ...तू अगर संग है..भी अनायास ही याद आ रहा है। 
ये  जीवन है : इस जीवन का अर्थ भी समझना ही है। संघर्ष करना, कष्टों से,भावनाओं से,आने वाली नित्य परेशानी का सही हल ढूंढ़ना ही तो जीवन के कर्म क्षेत्र का नियम, है न शक्ति। 
और फिर उन तमाम समस्यायों के उपर आपकी बदौलत विजय पाना भी होता है। यह सब कुछ आसान तो नहीं होता है ना। समस्याएं जो हाल फिलहाल में मेरे जीवन में आयी.... 
इधर कुछ दिनों की मेरी अनुपस्थिति में भावनात्मक परम्पराओं को खंडित करने की कोशिश भी की गयी । इस विषम परिस्थिति में धैर्य के साथ ही उसे संरक्षित करने हल प्राप्त करने की कोशिश की जा रही है। अभी भी जारी है।  
ठीक उसके दस पन्दरह दिन पहले कलम यानि लिखने पढ़ने की कला के माध्यम के कहीं गुम हो जाने से बुद्धि की देवी सरस्वती रूठती प्रतीत हुई थी। ब्लॉग पर लिखना आज कल मेरा प्रिय शगल या कहें मेरी आदत बन चुकी है। 
लिखना बाधित हुआ था। ..हालाँकि शक्ति प्रदत लेखनी के पुनः उपलब्ध होने से राहें आसान तो हुई। इसके लिए भी मेरा आभार है आपके लिए । और यह भी केवल मैं ही समझ सकता हूँ । आगे फिर कहीं अनजाने में गर्मी लू से बचने के लिए मास्क ही गुम हो गया। आज कल न जाने क्यूँ अपने आप को आत्म केंद्रित नहीं कर पा रहा हूँ। चीजें भुली जा रहीं हैं। ठीक आज अचानक अब जादुई बक्सा या कहें कंप्यूटर जवाब दे गया है तो लगा जैसे शून्य की स्थिति आ गई है। वन टेरा बाईट में फंसी उन मेमोरीज का क्या होगा ? अपनी यादों से दूर जाना मुझे पसंद नहीं। जैसे इस उम्र में कोई खिलौना टूट गया हो। यूँ तो जादुई बक्सा पूर्व से ही संकेत दे रहा था। आज कल हम व्यक्तियों से ज्यादा अपने गैजेट्स को अधिक तरजीह दे रहें हैं। गलत है ना ? हम इंसान कम मशीन अधिक हो गए है। 
भला मैं समझ भी कैसे पाता ? अगर समस्या साधारण रही तो कोई बात नहीं। अगर हार्ड डिस्क ख़राब हो गया तो क्या होगा ? पूरी तरह से अंधेरे में चला गया हूँ। किसी तरह से वैकल्पिक व्यवस्था से यह इवनिंग पोस्ट जारी कर रहा हूँ....ऐसी परिस्थिति में धैर्य और संयम ही एकमात्र उपाय है। 
कल क्या होगा..शक्ति ही जाने...।  
आज आखिर एक दो घंटे के अथक प्रयास के बाद कंप्यूटर हार्ड वेयर के जानकार तकनीशियन ने कह ही डाला , " नो, सर...नो चांस..इट इज डेड...हार्डडिस्क ख़त्म हो चुका है....नो चांस टू रिकवर। " 
अंतिम आशा की किरण भी डूब गयी थी।  
इसके साथ ही उस हार्डडिस्क में कैद ढ़ेर सारी स्मृतियाँ, जैसे बहुमूल्य फोटो, नवीनतम रचनाएँ, कविताएं, कहानियां आदि बहुत कुछ मृत हो गयी थी। मेरे लिए यह हताशा के क्षण थे। चश्में के आगे धुंधलापन छा गया था। मेरे लिए शून्यता की स्थिति ही बन गयी  थी। एक दिन इसी तरह से माया ,छाया सभी ख़त्म हो जाएगी  ना ...?
सोच रहा था शक्ति जो आज है वो कल नहीं रहेगा। जो स्थायी दिखता है वो चिर स्थायी है ही नहीं। जो जन्मा है उसे मरना ही है। फिर जीवन का मतलब क्या ? क्या है हमारे बीच जो अमरणशील हो ...आप ही बताएं... जो स्थायी हो..
जब तक जीवन में साँस है .. संघर्ष जारी है ....जिंदगी हर कदम पर एक नई जंग है ....
    

संदर्भित गाना.
----------
फिल्म : मेरी जंग. १९८५.
सितारे : अनिल कपूर.मीनाक्षी शेषाद्रि.
गाना : जिंदगी हर कदम एक नई जंग है... 
गीत : आनंद बख़्शी. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायक : शब्बीर कुमार . लता.
  

  
गाना सुनने देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दबाएं. 

------------
जीने की राह .पेज : २.   
------------------
तुम्हारे लिए.


डॉ.मधुप.

फलसफा : हम और तुम. का लोग क्या जानें ?

संदर्भित गाना.
----------
फिल्म : दाग  १९७३.
सितारे : राजेश खन्ना.शर्मिला टैगोर.राखी  
गाना : हम और तुम तुम और हम ... 
गीत : साहिर लुधियानवी. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायक : किशोर कुमार . लता.

गाना सुनने देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दबाएं.


सन १९७३ में यश राज चोपड़ा की एक फिल्म आयी थी दाग। यह फिल्म खूब हिट साबित हुई थी। अभिनेता थे राजेश खन्ना अभिनेत्रियां थी शर्मीला टैगोर और राखी। इस फिल्म के सभी गानें प्रचलित हुए थे।  एक गाना था ..हम और तुम ..तुम और हम। खुश हैं यूँ आज मिल के ...जैसे किसी संगम पर मिल जाए दो नदियां ..तन्हां बहते बहते...
गीत साहिर लुधियानवी ने लिखा था। संगीत लक्ष्मी कांत प्यारे लाल का था। पार्श्व गायन किशोर दा और लता ने किया था। लोकेशंस थी शिमला तथा उसके आस पास की। 
फिल्म चूंकि हिमाचल की दिलक़श वादियों में शूट हुई थी। पहाड़ी ढ़लान पर बर्फ़ की चादर बिछी है। देवदारों के घने सायें है। धूप भी खिली है। हवा में ख़ुश्की है। रास्तें बर्फ़ से सफ़ेद हो चुके है। धुंद ,कोहरा ,बर्फ़ इस फिल्म का हिस्सा रहा था । प्रेम ,ख़ामोशी, एकाकीपन, अनजानेपन का माहौल, रहस्य इस फ़िल्म की ख़ूबसूरती थी जो मुझे आज भी अच्छी लगती है । 
तीसरा कौन : पहाड़ों से असीम लगाव होने की वजह से इस फिल्म और इसके गाने में ही मैंने अपने जीने की एक राह ढूंढी है। दर्शन ढूंढ़ने का सार्थक प्रयास किया है। जीने के तरीकें ढूंढें है । आस पास की ख़ुशियों को अपने लिए सहेजने, खोजने और उस पर अनुसंधान करने की कोशिश की है । यह पूरी तरह से मेरी व्यक्तिगत सोच है। 
मैं एक व्यक्तिवादी शख़्सियत का मालिक हूँ। एक समय, एक पल में केवल एक, कोई भी दो के अस्तित्व और उनकी उपस्थिति में ही यकीन  रखता हूँ। मेरे आस पास तीसरा कौन का विकल्प नहीं होता, उसकी मौजूदगी मुझे सहज नहीं करती है। 
एक मिसाल : आम जीवन से  : आम जीवन से एक उदाहरण लेते है। आप जब कभी भी किसी से बात करते है तो शर्तिया आप कहने वाले होते है, सुनंने वाले की तरफ मुखातिब होते है। और आपको बात करने,सुनने और सुनाने के लिए भी एक ही व्यक्ति चाहिए। आप एक साथ दस के साथ भावनात्मक बार्तालाप नहीं ही कर सकते है। इसलिए यहाँ हम और तुम का ही फिलोसोफी ही काम आती है। 
निजता की सुरक्षा : क्या आपको नहीं लगता कि आप दो के मसले में तीसरे की जरुरत है ही नहीं। यह भी सच है कि जो भावुक, सृजनशील होते है वो मूलतः एकाकी प्रवृति के ही होते है। अपनी हर आयी समस्या को निहायत ही निजी तरीक़े से दो के मध्य ही निपटाने की भरसक कोशिश करते है। किसी भी तीसरे व्यक्ति की अप्रिय दखलंदाजी उन्हें बर्दाश्त नहीं होती है। सार्वजनिक तौर उनकी समस्या पर चर्चा उनकी पसंदगी में होता ही नहीं है। 
हाँ मेरी,आपकी, सब की  यह कोशिश जरूर होती है कि हमारा साथ सम्यक का हो। मेरी सर्वाधिक कोशिश इस बात पर ही होती है। मैं श्रेष्ठ लोगों के ही संपर्क में ही रहूं यह मेरे जीवन का एकमात्र उसूल रहा है । यह स्वाभाविक भी है हर किसी के लिए कि हर कोई सर्वश्रेष्ठ की ही तलाश में रहता है...। मेरी भी तलाश जारी ही है ....

ख़्याल रखें ..हम रहें या ना रहें ...लेकिन उनका रहना बहुत जरुरी है ..


मेरे जीवन की तू लाली है सबेरे वाली : फोटो : महेश सुनाथा : टिफ़िन टॉप, नैनीताल. 


सभ्य तरीक़ा : हम और तुम के व्यक्तिगत अनमोल जीवन के इस फलसफे में बात चीत का ढ़ंग भी अत्यंत शालीन होता है। बातें इतने सलीक़े की हो, आहिस्ता हो कि हम और तुम ही सुन सके। 
पार्श्व में बैठे व्यक्ति को आपकी निजी बातें , अन्य की दृष्टि में अनर्गल प्रलाप से उनके कार्य में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए । आवाज़ धीमी होनी चाहिए। यह एक सभ्य संस्कृति की पहचान होती है। सभ्य लोगों की भी परिभाषा भी । दो की बातें तीसरी तक सुनी भी नहीं जानी चाहिए। 
क्रोध , सत्याग्रह और नियंत्रण :  हम अपने अप्रिय, अनियंत्रित तौर तरीक़े से बात करते हुए अनायास ही आते - जाते , जाने - अनजाने लोगों की निगाहों में आ जाते हैं । आप हम सभी कभी न कभी अपने गुस्से पर नियंत्रण खोते हुए अनाप शनाप बोल जाते है। अपनों  के लिए इस पर नियंत्रण रखा जाए। इससे बचा जा सकता है। 
वहाँ उस कारण बने विरोधी व्यक्ति विशेष से परहेज किया जा सकता है। उसके साथ सत्याग्रह और असहयोग के तरीक़े अख़्तियार किए जा सकते है। बात यहाँ फिर से सम्यक साथ की ही आ जाती है। 
दूसरी बात यदि आपके मध्य कोई अप्रिय, कटु, मतान्तर, मतभेद के शब्दों का आदान प्रदान होता है भी तो उसे दो के मध्य ही रहने दें । आम अवाम तक़ नहीं पहुंचना चाहिए । यदि वह हम तुम आप तक़ ही सीमित रहता है तो निजता बनी रहती है। 
जीवन से सीखें। कौन अपने प्रिय जनों की बातें, लड़ाई झगड़ें आम से हिस्सेदारी करना चाहता है ?  शायद कोई भी नहीं। बस पल भर के लिए उफनते  क्रोध में सबकुछ अपभ्रंश में चला जाता है। अपनों के लिए तो कम से कम अपनी वाणी पर तो नियंत्रण रखें ही । 
याद रखिए हम तुम  कहें या अन्य परिवार के आपसी झगड़ें, अंतर ,क्लेश कभी भी बाहर नहीं ही आना चाहिए। मेरी मानिए बाहर के लोग हंसी ही उड़ाते है। मदद और सहयोग के लिए सही व्यक्ति सामने बहुत कम  ही आते  हैं । कभी न कभी आपकी निजता की अन्य से किसी न किसी दिन साझेदारी करेंगे ही। तब आप पहचाने सम्यक साथ किसका है ? 
झगड़िये भी लेकिन हम तुम के दायरे में  : इसलिए बोलिए, लड़िए, झगड़िये भी लेकिन हम तुम के दायरे में ही। सब के सामने नहीं। सलाह देनी भी हो तो व्यक्तिगत तरीक़े से अकेलेपन में। सच मानिए यह सब को अच्छा लगता है। आर्य जनों के लिए सुलह और संवाद के अवसर हर पल क़ायम रखिए। श्रेष्ठ दोस्ती के लिए राहें सदैव खुली रखें। शिकवें गिले भूलने भुलाने के अपनी मनो मस्तिष्क की खिड़कियां हमेशा खुली रखिए। अपने अहम को किनारे कर लीजिए..जाने वाला एक एक पल लौटने वाला नहीं है। विचार करें ।   
 

कोलाज : जीने की राह : डॉ.सुनीता.  

जीने की राह : जीवन के इस दर्शन में, जीने की इस राह के निमित अपनों के लिए निकाला गया कीमती वक़्त, थोड़ी समझदारी ,कभी अपनी तरफ़ से भी की गयी पहली पहलअधिक सहिष्णुता लाज़मी है .. अपना कर देखिए। जीवन सफ़ल होगा। 
ऐसा न हो आपके अपनों में से किसी ने आपसे बात करने के लिए  वक़्त माँगा, "...आपसे बातें करनी है ,और आपने ने समय नहीं दिया..। "
सोचिए आप उनके प्रिय है, आदर्श हैं  तो वो आपकी इच्छा, आपके हाँ या ना दोनों का सम्मान करते रहें हैं और करते ही रहेंगे । लेकिन  होना क्या चाहिए था , क्या हो गया ..?
यह मेरी अपनी विचार धारा है ..मेरी मानिए मेरी आत्मशक्ति भी यहीं कहती है ...शायद मानती भी है। 
ख़्याल रखें ..हम रहें या ना रहें ...लेकिन  रहना उनका बहुत जरुरी है .. बस इसी सोच में ही हम सभी अपनों के ख़ुशहाल जीवन का सही हल है .....

पुनः सम्पादित 
इति शुभ. 
संदर्भित गाना.
-----------
फिल्म : जीने की राह.१९६९  
सितारे : जीतेन्द्र. तनूजा. 
गाना : एक बंजारा गाये जीवन के गीत सुनाए 
गीत : आनंद बख्शी. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल . गायक : रफ़ी 
.

गाना सुनने देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दबाएं.
--------------
आज की पाती.पृष्ठ : १.  
-----------------
संकलन / संपादन.

 
मानसी पंत. नैनीताल. 
----------------
साभार. 

दो जहाँ में फ़र्क है सिर्फ़ एक साँस का. 
---------
लघु कविता. 

तमस हटा प्रकाश कर. 

फोटो : साभार 

तमस हटा प्रकाश कर, 
ख्वाहिशों को तू आकाश कर, 
गिरा ही है अभी मिटा नहीं, 
संकट अभी टला नहीं, 
उठ संभल संकल्प दृढ़ कर, 
नियति के विरुद्ध युद्ध कर. 
भाग्य अभी बना नहीं, 
क़िस्मत अभी लिखी नहीं, 
ठोकरों से सबक सीख, 
कर्म कर 
भविष्य लिख. 

 सरिता शर्मा. 

पुनः सम्पादित 
-----------
साभार. 

इतिहास की तरह : रचना श्रीवास्तव 
सुमति अय्यर : तुम्हारी याद. 
गुफ़्तगू की हद : हसन मंटो
 मार्क ट्वेन :  सच और अफ़वाह. 
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं : गुलज़ार. 
परपीड़ा : हरि शंकर परसाई. 
वक़्त सीखा रहा है. 
मैं जा रही हूँ : केदारनाथ सिंह. 
--------------
सम्पादकीय. पृष्ठ : २. 
मुख्य  संपादक.


डॉ.मनीष कुमार सिन्हा.  
नई दिल्ली.  
---------------
संपादक मंडल.


रवि शंकर शर्मा. संपादक.नैनीताल.
डॉ.नवीन जोशी.संपादक.नैनीताल.
मनोज पांडेय.संपादक.नैनीताल.
           अनुपम चौहान.संपादक.लखनऊ .            
डॉ.शैलेन्द्र कुमार सिंह.लेखक.रायपुर.  
----------- 
सह संपादक.


डॉ.आर.के.दुबे. 
----------- 
विशेष संपादक.


रेनू शब्दमुखर.जयपुर.
नीलम पांडेय. वाराणसी.   
रीता रानी.जमशेदपुर.  
-----------------

कार्यकारी संपादक.


डॉ. सुनीता रंजीता. 


सहयोग.
 
परमार्थ के लिए देश हित में 
त्रि शक्ति अधिकृत और प्रायोजित. 

 
टीम मिडिया. 

कृण्वन्तो विश्वमार्यम.
हम सभी सम्पूर्ण विश्व को आर्य बनाने चले.गर्व से कहें कि हम भारतीय हैं.
------------------
प्रसंग / पृष्ठ : ३.
-------------------
------------------
 यात्रा विशेषांक. पृष्ठ ३.
----------------- 
लेख / संस्मरण अनुभाग.
संपादक.
 

रंजना.  
नई दिल्ली. 
स्वतंत्र लेखिका . हिंदुस्तान. 
©️®️ M.S.Media. 
----------------
यात्रा संस्मरण : ३ / ० जोशी मठ .
लेखिका. ख़ुशी. चमोली.
  
रुत हैं पहाड़ों का : जोशी मठ औली को हम कैसे भुला पाएंगे.

रुत हैं पहाड़ों का : यहाँ बारहों महीने मौसम जाड़ों का : फोटो ख़ुशी 

रुत हैं पहाड़ों का : जहाँ  बारहों महीने मौसम जाड़ों का रहता है। एक मनुष्य के जीवन में सुंदरता एवं शांति का बहुत महत्व होता है। यह दोनों चीज अपने आप में ही खास है। देखा जाए तो सुंदरता तो हमारे चारों तरफ है परंतु शांति यह कुछ ही जगहों तक सीमित है। पहाड़ों में जो सादगी है वह अन्यत्र कहाँ ? अब जब शांति की बात आ ही गई है तो आज हम आपको अपने पहाड़ों के बारे में बताते हैं। यहाँ चप्पे चप्पे पर सन्नाटा बिखरा पड़ा है। सर्वत्र शांति ही शांति देखने को मिलती है वह शायद ही दुनिया के किसी कोने में हो। प्रकृति के अद्भुत खेल देखना हो तो पहाड़ चले आइए। कल कल करते झरनें ,शोर मचाती नदियाँ , फल फूलों से लदे पेड़ बर्फ आच्छादित चोटियां सब कुछ देखने को मिल जाएगा।  
पहाड़ ऐसे हैं जहाँ सालों भर सर्दियों का मौसम होता है। गर्मियों में तो यह जगह जन्नत होती है लेकिन सर्दियों में बर्फ़ कहर बन कर टूट पड़ता है। 
जब पहाड़ों की बात आ ही गई है तो चलते हैं अपने जोशीमठ की तरफ। जोशीमठ जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य देवस्थल बर्फबारी इत्यादि के लिए विश्व भर में प्रख्यात है। 
जोशीमठ जोकि उत्तराखंड का ह्रदय माना जाता है आज ऐसी आपदा आन पड़ी है कि वहां के स्थानीय लोग बुरी तरह से डरे हुए हैं। हालिया जोशी मठ की जमीनें धसने से यहाँ डर और दहशत का मौहाल हो गया था। काश ये पहाड़ हमारी बजह से न टूटते। 
गुरु शंकराचार्य का मठ : आज थोड़ी जानकारी जोशीमठ की भी ले ली जाए। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित एक शहर है जिसका नाम जोशीमठ है। यूं तो घूमने के लिए अनेक जगह है परंतु जोशीमठ की बात ही निराली है। यही वह स्थान है जहां गुरु शंकराचार्य जी को ज्ञान की प्राप्ति हुई और ३ मठों में से पहले मठ की स्थापना की गई। 
बद्रीनाथ औली नीति घाटी इत्यादि के वजह से जोशीमठ एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल बन गया है जहां प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं एवं पर्यटक आते हैं। यहां घूमने के लिए और भी कई जगह है परंतु जो भी पर्यटक यहां आता है बर्फ देखने की बहुत ही तलब होती है। हर साल लगभग डेढ़ लाख पर्यटक औली का सफर तय करते हैं। 
औली एक दिलकश पर्यटन स्थल : औली एक अत्यंत ही खूबसूरत जगह है जहां हर साल नवंबर के महीनों से बर्फ गिरने शुरू हो जाती है। गिरते हुए बर्फ को देख के यूं लगता है मानो ठंडी-ठंडी कपास आसमान से नीचे गिर रही हो। और कुछ ही क्षणों में सारे वृक्ष पेड़ -पौधे सब बरसे ढक जाते हैं यूं लगता है मानो किसी ने उन पर सफेद चादर बिछा दी हो। 
ओली अपने प्राकृतिक रूप के लिए जानी जाती ही है परंतु उसमें एक मानवकृत झील है जो कि सर्दियों के महीने में पूरी तरह जमी होती है कहां जाता है कि इतना गहरा और इतना बड़ा है कि अगर कभी वह झील टूट गया तो पूरा जोशीमठ उसके गिरफ्त में आ सकता है। 
यह तो हमारी औली के बात परंतु जोशीमठ में ऐसे अनेक स्थान है जो मनभावनीय है। अब थोड़ी बात जोशीमठ की भी कर ली जाए। 
बद्रीनाथ धाम : सच कहें तो जोशी मठ बद्रीनाथ धाम का प्रवेश द्वार है। हिन्दुओं के चार धामों में से एक धाम है बद्रीनाथ धाम जो विष्णु जी को समर्पित है। बद्रीनाथ जाने का रास्ता जोशीमठ से होकर गुजरता है यह जोशीमठ से लगभग ४५ किलोमीटर दूर है। जैसे-जैसे बद्रीनाथ धाम नजदीक आता जाता है श्रद्धालुओं की दिल की धड़कन तेज हो जाती है। 
यहां घूमने आए लोग भारत का सीमांत गांव मानानारदकुंड, वासुकीताल आदि  जगह घूम सकते हैं। इस गांव  के स्थानीय लोग उनसे बने स्वेटर और जंगलों से तोड़ी हुई तुलसी इत्यादि घूमने आए हुए पर्यटकों को बेचकर अपना जीवन यापन करते हैं। अगर कभी किसी व्यक्ति को जोशीमठ आने का अवसर प्राप्त हो तो उससे यह नम्र निवेदन है कि वह औली एवं बद्रीनाथ जरूर से जरूर जाएं। 

अलंकरण / संपादन
डॉ.सुनीता रंजीता. नैनीताल 


------------------- 
यात्रा संस्मरण :  ३ / १. केदार नाथ.
लेखिका. 


नमिता 
रानीखेत.
  
पर्वत के उस पार : भोले का संसार. 

रूद्र प्रयाग अलकनंदा तथा मन्दाकिनी का संगम : फोटो : नमिता. 

मनुष्य का मन। यही मन तो मनुष्य को देव से जोड़ता है। मेरा मन भी देवभूमि से जुड़ गया है। आंखों को जागते सोते वहीं के सपने दिखते हैं। यह मेरी यात्रा वृतांत भोले नगरी केदार की है, जहां जाने के लिए लोग सोचते हैं,हिम्मत जुटाते हैं,तब भी नहीं पहुंच पाते है। भोले की नगरी में भोले के भक्तों के लिए द्वार सदा खुले रहते हैं। 
केदार बाबा तक पहुंचने के लिए केवल भोले का रूप ही आंखों में बसना चाहिए। लोग माया को दरकिनार कर ही उस नगरी तक अपने आप पहुंच सकते हैं।
मेरी इस केदारनाथ यात्रा वृतांत में मैं अपने अनुभवों को दर्शाने की कोशिश करूंगी। मैंने जब इस यात्रा को प्रारंभ किया तो मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि बाबा मेरे हाथों को पकड़ मुझे अपने संग लिए जा रहे थे। 
अक्टूबर का महीना था। गुलाबी सर्दी दस्तक पहाड़ों पर दे चुकी थी। दिन की गुनगुनी धूप तन - मन में गुदगुदी भर रही थी। और सर्द रात का तो क्या कहना ? मैं अपने आप को संभालने में ही लग हुई थी । 
४ अक्टूबर २०२२ प्रातः बजे की बात है हमारे ड्राइवर भैया अरुण अपनी ऑल्टो कार लेकर हमारे घर पहुंच कर जैसे ही फोन की घंटी बजाई हम सब खुश होकर बाहर निकलने लगे। 
तभी मैंने भैया की कॉल को उठा कर कहा, "...अभी आई.... ।"
नीम करोली बाबा को प्रणाम कर हम, मेरी बुजुर्ग मां और मेरी सखी वनिता सब अपनी गाड़ी तक पहुंच कर अपनी अपनी सीट पर बैठ गए थे।  और मन में मन ही मन बाबा को याद कर उनके आशीर्वाद को ग्रहण करने लगे ।
यात्रा का प्रारम्भ : इस बार हमारी यात्रा हरिद्वार से ना होकर कुमाऊं के रानीखेत शहर से हमने प्रारंभ किया। हमने अपनी यात्रा द्वारहाटसोमेश्वर होते हुए प्रारंभ की। गैरसेन जो अभी उत्तराखंड का शीतकालीन मुख्यालय बनने जा रहा है वहीं से होते हुए हम गढ़वाल की सीमा में प्रवेश कर गए।  मेरे घर से महज २७० किलोमीटर की दूरी पर केदार बाबा की नगरी है। 
हमने अपनी यात्रा घंटों में पूरी की,रास्ते में ऊंची - ऊंची, हरी - भरी देवदार के वृक्ष कल - कल करते झरने नदियों के किनारे सुंदर विशाल पहाड़ प्राकृतिक नजारों का क्या कहना आंखों में कैद कर तुरंत कैमरे में कैद करने की परंपरा बनाए हुए पूरे रास्तों का आनंद लेते हुए हम गतव्य स्थान पर पहुंच गए ।

फाटा से गुजरते हुए : गुप्त काशी : फोटो नमिता.
 
शाम की सर्द हवाओं का लुफ्त उठाते हुए हमसभी होटल में सामान रखकर फाटा के छोटे से कस्बे में सैर करने निकल पड़े थे।चारों ओर केवल यात्री होटल, गाड़ियां, भोजनालय और रोजमर्रा की चीजों की दुकानें ही दिख रही थीं ।
पहाड़ों की सीधी सादी जीवनशैली को परखने, थोड़ी बहुत चहल कदमी करने के बाद हम सबने रात के खाने में गरम-गरम रोटी और सब्जी ली शीघ्र ही खाना खाकर वापस अपने कमरे में चले आए थे । लंबी दूरी तय करने के बाद थकान तो हो ही गई थी। इसलिए कमरे में पहुंचते ही रजाई में हम सब दुबक कर सो गए। हमारे होटल का कमरा पहाड़ से सटा हुआ था। अतः सन्नाटा होते ही और बीती रात झींगुर की आवाजें  और पहाड़ों से गिरते हुए पानी का शोर निरंतर सुनाई देता रहा। सच कहें तो सुनना बड़ा ही भयावह लग रहा था। 
नींद नहीं आ रही थी, बस सुबह का इंतजार था। मैंने देखा लगभग सभी लोग सो ही गए थे। मैं बरामदे में निकल पहाड़ों को निहारने लगी हुई थी। ऊंचे काले पहाड़ ऐसे दिख रहे थे मानो मेरे पास ही खड़े हो। एक तरफ मैंने देखा कि दूर सड़क पर आती जाती गाड़ियों की उजली पीली रोशनी दिख रही थी । बसें  सवारियों को भर भर कर बाबा की नगरी लाने और ले जाने में लगी हुई थी।
मेरी नींद तो गायब ही थी। पहली बार हमारी जमात में केवल महिलाएं ही यात्रा कर रही थी इसलिए थोड़ी डरी हुई थी। फिर भी मन को समझाते ,दृढ़ करते हुए कमरे में चली आई थी। जो होगा देखा जाएगा। पूरी रात घड़ी देखने में ही मैंने बिताई। 
सुबह होते ही शोर सुनकर हम भी बाहर आ गए थे। सुबह के लगभग बज रहे थे। चाय की तलब के कारण चाय की दुकान तक पहुंच गए। देखा लोग अभी अपनी - अपनी दुकानों की सफाई ही कर रहें  थे । हम सब थोड़ा आगे बढ़कर प्रकृति को निहारने लगे ।

---------
गतांक से आगे. १. 
------------
समुद्र तल से १०५०० फीट की ऊंचाई पर हेलीपैड के करीब. 

जामू हेलीपैड से केदार नाथ के लिए उड़ान : फोटो : नमिता. 

प्रकृति से बातें प्राकृतिक नजारों का आनंद लेते हुए आगे बढ़ते हम वापस अपने चाय की दुकान पर आ गए तब तक सवेरा हो चुका था। और हम जल्दी - जल्दी चाय पी कर अपने कमरे में वापस पहुंच गए। नित्य क्रिया कर्म से निवृत्त होकर सुबह का नाश्ता अपने कमरे के सामने वाले होटल से कर हम सब अरुण भैया के साथ जामू हेलीपैड पर जाने के लिए निकल गए ......
गाड़ी में बैठते ही करीब आधा किलोमीटर,आगे बढ़ने पर हरे रंग के बोर्ड पर जामू हेलीपैड का दिशा निर्देश देखकर मन प्रफुल्लित हो गया था, क्योंकि पहली बार हेलीकॉप्टर पर यात्रा करने का मौका मिल रहा था। हेलीपैड करीब समुद्र तल से १०५०० फीट की ऊंचाई पर थी, गाड़ी धीरे धीरे जंगलों के बीच से टूटी - फूटी रास्ते से बढ़ रही थी।  
बार-बार अरुण भैया को ब्रेक और एक्सीलेटर का प्रयोग करते देख ,मैं डर रही थी क्योंकि मैं आगे बैठ  देख रही थी, कि गाड़ी को ऊपर चढ़ाने में उन्हें काफी दिक्कत हो रही थी। २.५ किलोमीटर का रास्ता तय करने में हमें करीबघंटा लगा,जब मैंने अपनी गाड़ी के ऊपर से हेलीकॉप्टर को गुजरते देखा तो सांस में सांस आई कि हम अपने गंतव्य पर पहुंच गए। 
गाड़ी रुकी, रुकते ही देखा कि वहां दो हेलीपैड बने हैं। कुछ रेस्ट हाउस भी निर्मित हैं। और हेलीपैड के बाहर टिन की बनी छोटी - छोटी झोपड़ियों वाला होटल भी था। कहने को छोटा था पर गरम - गरम घर के बने खाने का स्वाद आप वहां पर बैठ कर ले सकते थे। दिन के १० बज रहे थे हमारा बोर्डिंग समय बजे का था । हमने गाड़ी की डिक्की से केवल एक छोटा बैग उतारा और बाकी सामान उसी डिक्की में छोड़ अरुण भैया को सुपुर्द कर चल दिए। 
सामने की सुंदर चोटियां सफेद बर्फ से ढकी हुई थी। दिन में तेज धूप खिली थी। चारों ओर हरे भरे पेड़ और घाटियां ही नजर आ रही थी। हम सब भी अपना टिकट लेकर आगंतुक प्रतीक्षालय में प्रवेश कर गए थे । फार्म भरकर वजन करा कर अपना टोकन नंबर लेकर हम आजाद हो गए ।
अब बस ३ बजे शाम का इंतजार था। हम सब बस मनोरम दृश्यों का आनंद ले रहें थे । पहली बार हेलीपैड को इतने नजदीक से देखने का मौका मिल रहा था। सवारियों को चढ़ते - उतरते देख मन आनंदित हो रहा था । अनगिनत हेलीकॉप्टर हवा में उड़ानें भर रही थी। उनका आना - जाना लगा हुआ था। बच्चों की तरह हमारी आंखें आकाश पर टिकी हुई थी। जैसे हेलीकॉप्टर आता था हम तुरंत उठ देखते और लोगों से उनका अनुभव पूछते कि बाबा के दर्शन के बाद आपको कैसा लगा ? 
लोगों के ललाट पर लगी भोले के चंदन को देखकर ही उनके चेहरे का सुकून बता देता था, कि वह कितने संतुष्ट हैं ? लोग बड़े ही प्रेम भाव से मुस्कुरा कर " जय बाबा केदार " कहते हैं। और उन्हें देखकर ऐसा लगता था कि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो गई है। 

केदारनाथ की पहाड़ियां के शीर्ष पर मंडराते बादल : फोटो : नमिता. 

और उन्होंने अपने जीवन में सब कुछ पा लिया वह जो चाहते थे। घड़ी की सुइयां आगे बढ़ रही थी दोपहर १ बजे हम लोगों ने निश्चय किया कि कुछ खा तो ले। खाने के लिए हमने बाहर के होटल में बैठकर गरमा - गरम चावल  दाल - रोटी और पहाड़ी सब्जियों का आनंद लिया। भोजन करके वापस पहाड़ी लोगों से वहां के भौगोलिक स्थितियों का उनसे जायजा लिया और उनकी यादों को सुना। और अपनी यादों में उनकी यादों को संजोया। 
भोजन करने के बाद जब हम लौट रहें थे, तो हमारा टोकन नंबर पुकारा गया। और हमें बोर्डिंग द्वार के जरिए हमें भीतर प्रवेश करा लिया गया। साथ में यात्रीगण को निर्देश दिया गया कि आप लोग कोई इशारा नहीं करेंगे। हमसभी सुकून से अपनी सीटों पर बैठ गए थे। दिल की धड़कनें बढ़ी हुई थी। डर भी लग रहा था कि हेलीकॉप्टर की सवारी करने में न जाने कैसा रोमांच मिश्रित भय महसूस होगा ?

---------
गतांक से आगे. २. 
------------
भोले बाबा केदार की नगरी में 

जय श्री केदार के प्रवेश द्वार :  फोटो नमिता. 
समय आया, हमारी बारी आई ,हम सब हेलीकॉप्टर में अपने बेल्ट बांध बैठ गए। वहाॅ का मंजर ऐसा था कि ठीक से हम दृश्यों का अवलोकन भी नहीं कर पा रहे थे ,पर धीरे-धीरे हिम्मत बढ़ी और खिड़की के किनारे बैठ ऐसा लग रहा था, कि हम हवा में  तैर  रहें हो। सामने से  घाटियों के बीच से गुजरते ही और हेलीकॉप्टर के पंखियों  की आवाज को सुनते ही भय लग रहा था । 
बाबा का नाम लेकर मन में सोच रहे थे ,कि पता नहीं सही सलामत चौपर के उड़ान भरने के बाद सही जगह पर हम उतर पाएंगे कि नहीं । जीवन का सब को भय होता है ,फिर भी मन को मजबूत कर खिड़की से पलकों को उठाकर बाहर देखने की कोशिश कि बाहर का मनोरम दृश्य देखकर हतप्रभ रह गई । घाटियों के बीच से चौपर नीचे - ऊपर कर उड़ रहा था ,चौपर के बड़े-बड़े पंखे सिर पर घूम रहे थे। २  से ३  मिनट के बाद छोटे-छोटे घर पहाड़ों के ऊपर पंक्तिबद्ध दिखने लगे थे। तभी मुझे एहसास होने लगा कि अब हम मंदिर के करीब पहुंचने लगे हैं । 
तभी अचानक बाबा के मंदिर का शिखर दिखने लगा शंकराचार्य जी कि कहना है ,कि मंदिर के शिखर दर्शन से भी उतना ही पुण्य मिलता है जितना कि गर्भ गृह में बैठ कर पूजा करने पर मिलता है । सभी व्यक्तियों के चेहरे पर खुशी की लहर देखते बन रही थी। श्रद्धा से सब लोगों के हाथ अपने आप जुड़ गए थे। 

बाबा की नगरी में  : फोटो नमिता. 

५ से ६ मिनट की यात्रा कैसे खत्म हो गई ,पता ही ना चला धीरे -धीरे चॉपर केदारनाथ  के हेलीपैड पर रुका,हम सभी जल्दी से नीचे उतर कर हमने अपने जमीन पर फेंके हुए बैग उठाकर लंबी सांसे ली।  " जय बाबा केदार " कह कर ऊपर बने सड़कों पर चढ़ने लगे । 
केदारनाथ के मौसम का हाल बड़ा अजीब होता है, पल में धूप पल में बादल यह लुका छुपी वाला मौसम हमें भी देखने को मिला । जब हम जामू में थे, तो धूप खिली हुई थी । केदार आने पर आकाश में काले बादल घूमते देखा । उतरते ही बूंदाबांदी शुरू हो गई हमने छाता भी अपने साथ नहीं रखा था । ऐसा सोचा ही नहीं था कि ऐसा भी होगा । 
हम सब भींगने की चिंता छोड़ आगे कदम बढ़ाने लगे । हेलीपैड से महज डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर बाबा विराजमान थे । बाबा को देखने की लालसा के सामने बारिश की बूंदे कुछ भी नहीं थी । हम सब ११,७५५ फीट की ऊंचाई पर थे लोग घोड़े, पालकी ,कंडी पर बैठ कर आ जा रहें  थे । 
मैंने अपनी माता जी से पूछा कि कोई असुविधा तो नहीं। परंतु जोश से भरे उत्तर को सुनकर मैं भी जोश में भर गई । धीरे-धीरे हम मनोरम दृश्यों , बगल से बहती मंदाकिनी की धारा के सामने केदार की ऊंची चोटियों को बर्फ से ढके पूरे दृश्यों का आनंद लेते हुए आगे बढ़ रहे थे।
रेतश कुंड  : आगे बढ़ने पर हम सरस्वती नदी के किनारे ही रेतश कुंड मिला जिसके सामने रुके। मान्यता है, कि उस कुंड का निर्माण कामदेव के भस्म होने पर उनकी पत्नी रति के आंखों से निकले हुए अश्रु धारा से हुई थी। इस कुंड में अगर आप श्रद्धा पूर्वक भाव से ओम नमः शिवाय का जाप करेंगे तो पानी मे बुलबुले निकलने लगेंगे।
हम सभी इस क्रिया में  शामिल हो गए और देखने लगे कि सच्चाई क्या है ? परंतु ईश्वर की महिमा अपरंमपार शिव के रूप को बुलबुलों के रूप में कुंड मे देख बहुत आश्चर्य हुआ ? बार-बार शिव को बुलाने में हम सब लीन हो गए। लोगों की उत्सुकता बढ़ने लगी बाबा की नगरी में केवल चमत्कार ही तो है । केदारनाथ पांच पर्वत ,पांच कुंड,और ३ नदियों का संगम है । वहां से हम सब आगे बढ़ने लगे चलते-चलते मंदिर परिसर में पहुंचकर बाबा के परिसर पर मत्था टेक हम अपने आप को धन्य महसूस करने लगे।

---------
गतांक से आगे.३ . 
------------

पल पल में बदलते मौसम का ऐसा मिजाज : काली घटा छाई 

बाबा की नगरी का अवलोकन ऊंचाई से : फोटो :  नमिता.
 
बदले मौसम का ऐसा मिजाज : हमारे बुजुर्गों की मान्यताएं है ,कि जब भी कोई शुभ - मुहूर्त की घड़ी आती है ,तो आकाश से बूंदाबांदी होने लगती है । हमारे कदम केदारनाथ में रखते ही मौसम का ऐसा मिजाज बदल गया, कि चारों ओर काले बादल गरजने लगे थे। सच्चाई यह है यह दृश्य देखकर थोड़ी देर के लिए हम सब सहम गए, फिर भी मन को मजबूत कर भोले से आशीर्वाद लिया और कहा कि बस अब हम आपके ही शरण में है। 
हमने अपने पुरोहित  पुष्पेंद्र जी को मोबाइल से सूचना दी, कि हम बाबा के परिसर में खड़े हैं। उन्होंने तुरंत कहा आप वहीं खड़े रहे..हम अभी आते है । 
मंदिर का भव्य रूप और फूलों के सिंगार को देखकर आंखें अचंभित हो रही थी। रोम-रोम में भक्ति भावना दौड़ रही थी। मंदिर के अग्रभाग में बैठे नंदी बैल बाबा की पहरेदारी कर रहे  थे । चारों ओर लाल मनोकामनाओं  के तोरण हवा में  हिल रहें थे। वातावरण पूरी तरह से शिवमय हो गया था।  
लोगों की भीड़ ऐसी थी कि चलना भी मुश्किल हो रहा था। हम भी पंडाल के एक कोने में दुबके हुए थे, तभी फोन आया मैंने कहा, ' हैलो ! ...बाबा कहां है...आप  ?
उन्होंने कहा, ' मैं मंदिर परिसर में प्रसाद की दुकान के पास खड़ा हूं। ' 
इधर-उधर नजर दौड़ाई तो वह दिख गए। मैं प्रफुल्लित होकर उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेकर उनके साथ हो ली। हमने रात्रि विश्राम के लिए उनसे कमरे की बात की और कहा कि बाबा के चरण में ही रात काटने की इच्छा है। तो उन्होंने हमें परिसर से ५० मीटर की दूरी पर एक टेंट घर दिलवा दिया ।
हमने वहां अपना झोला रखा और बाबा को धन्यवाद दिया और कहा कि आपने हमारी बातें सुन ली। उनकी ही कृपा से हमें छाता मिला, छाता लेकर हम सब मंदिर परिसर की परिक्रमा में निकल पड़े। वर्षा की बूंदे जब छाते की किनारे से टपक कर बदन पर पड़ती तो एहसास होता की यहाँ ठंड कितनी है । 

नदी किनारे शंकराचार्य समाधि स्थल के दर्शन : फोटो : नमिता. 
शंकराचार्य का  समाधि स्थल : हम सब उनके साथ शंकराचार्य के समाधि स्थल की ओर बढ़े जो  मंदिर परिसर और भीम शिला के ठीक पीछे बनवाया गया था। ऊपर से तो पता ही नहीं चल रहा था। काले - काले बादल आकाश में दौड़ लगाकर लगा कर घूम-घूम  रहे थे । 
केदारनाथ पर्वत तो ऐसा दिख रहा था,कि मानो हमारे हाथों के पास है। कभी इतनी नजदीक से बर्फ से ढके पहाड़ों का अवलोकन नहीं किया था। बातें करते हुए हम शंकराचार्य की मूर्ति के पास पहुंच गए,प्रवेश करते ही महामृत्युंजय की ध्वनि सुनकर ऐसा प्रतीत होने लगा मानो हमारे करीब ईश्वर आ गए हैं।
मंदिर की परिक्रमा करने के बाद हम नीचे पहुंच गए जहां कि उनकी काले रंग की भव्य प्रतिमा थी।उनकी प्रतिमा को देख ऐसा प्रतीत हो रहा था कि अब वह कुछ देर में प्रवचन ,देकर हमें ज्ञान देंगे ।शंकराचार्य जी का दर्शन कर हम वापस लौटे तो अंधेरा हो चुका था ।तरह-तरह के साधुओं  का रूप देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था ,कि हम एक ऐसी दुनिया में है जहां केवल भक्तों का व बसेरा है।

---------
गतांक से आगे.४ . 
-----------
केदार नाथ में बाबा की संध्या आरती

केदार नाथ में संध्या आरती का दृश्य : फोटो नमिता. 

शंकराचार्य जी का दर्शन कर हम वापस लौट रहे थे, तो लगभग अंधेरा हो ही चुका था। तरह-तरह के साधुओं का अद्भूत रूप देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था, कि भोले की एक दुनिया ऐसी भी है, जहां केवल उनके भक्तों का ही बसेरा है। 
लंबी जटाएं ,भभूत से रंगा पूरा शरीर, ललाट पर भोले की आकृति। पूरे शरीर पर बधछाला के वस्त्र देख ऐसा प्रतीत हो रहा था ,कि भोले अपने गण - मूल को लेकर पृथ्वी पर विचरण कर रहे हैं। चारों तरफ छोटे-छोटे टेंट यात्रियों के लिए सफेद ,नीले ,लाल रंग की लगे हुए थे। साधु अपने भिन्न-भिन्न वेशभूषा में 
छाता ओढ़े  बैठे थे, और कह रहे थे  माई भिक्षा दे । 
ये सही बात है कि ईश्वर के दरबार में सबकी रोजी -रोटी होती है। मंदिर परिसर पहुंचते-पहुंचते शाम हो गई थी। मंदिर रंगीन रोशनी में नहाई हुई बड़ी मनभावन लग रही थी । मंदिर के पीछे २०१३ की त्रासदी में आई भीमशीला  भोले की पहरेदारी कर रही थी। हम सब भी भीम शिला पर माथा टेककर  भीम शिला को धन्यवाद देकर आगे बढ़े कि आप के कारण ही भोले बाबा का मंदिर केदारनाथ यहां सुरक्षित हैं।
ढोल नगाड़े की ध्वनि चारों ओर बजने लगी भोले -भोले की जय -जयकार होने लगी।
मैंने पंडित जी से पूछा ?क्या संध्या आरती का समय हो गया है। उन्होंने कहा जल्दी पंक्ति बंद हो जाए अब आरती मंदिर के भीतर शुरू हो गई है ,फिर द्वार भक्तों के दर्शन के लिए खोले जाएंगे ।
बूंदा-बांदी हो रही थी, महिला -पुरुषों की पंक्ति बनी हुई थी । हम सब पंक्तिबद्ध होकर भोले का स्मरण कर रहे थे ,तभी मंदिर का द्वार खुला पुरोहित सुंदर वेशभूषा में सुशोभित ढोल -नगाड़े के साथ आगे आए  आग की लपटें उठ रही थी। नंदी का खूब स्वागत हो रहा था। बाबा के गण सुंदर-सुंदर वेशभूषा में  सुशोभित होकर सामने प्रांगण में नृत्य कर बाबा का नाम ले लेकर झूम रहे थे । 
बाबा की जय -जय कार हो रही थी ,पूरी वादियां बाबा की जय-जय कारें से गूंज रही थी। बड़ा ही मनोरम दृश्य था।सब  लोग टकटकी लगाए थे। आरती खत्म होते ही बाबा के पट संध्या दर्शन के लिए भक्तों के लिए खोल दिए गए। हम सब धीरे-धीरे उत्तर द्वार से मंदिर में प्रवेश करने लगे। दीवारें चांदी से सजी हुई थी। पांचों  पांडव और माता द्रोपदी की तस्वीरें पत्थरों पर जीवंत भाव में उकेरी हुई थी। मन में तरह-तरह के प्रश्न आ रहें  थे, कि किसने, कब ,क्यों ,कैसे ,इसका निर्माण कराया? 
पर प्रश्न पर विराम देकर मैं बाबा के नाम जपने में लग गई। नाम जपते -जपते मैं मंदिर के गर्भगृह तक पहुंच गई। वहां बाबा को चांदी की चादर ओढ़े देखकर मन प्रफुल्लित हो गया।माथा टेक कर हम सब वहां से बाहर निकले और पश्चिम दरवाजे से बाहर की ओर निकल गए। बाहर निकलने पर रमणीक दृश्य था  हमने एक बार मंदिर की परिक्रमा की और तरह-तरह के सुंदर-सुंदर रंगों में रंगे हुए साधुओं को भिक्षा दिया ,और बाबा के प्रांगण में बैठकर ध्यान कर हम सब कुछ भोजन कर अपने टेंट घर में  रात्रि विश्राम के लिए चले गए.... ।
---------
गतांक से आगे.५ . अंतिम क़िस्त. 
-----------
चारों तरफ बर्फ़ ही बर्फ़ : इगलू में रहने का एहसास. 

बर्फ़ ही बर्फ़ : इगलू में रहने का एहसास. 

टेंट घर में प्रवेश करते ही ठंड का एहसास होने लगा रजाई तो बर्फ के समान लग रही थी।  रजाई के भीतर घुसते ही ऐसा महसूस हुआ, कि हम - सब बर्फ से बने इगलू के भीतर गोते लगा रहे हैं। ठंड के मारे नींद नहीं आ रही थी। बड़ी देर बाद बाबा भोले का नाम लेते - लेते कब नींद आ गई  पता ही ना चला ।
सुबह सबेरे : अचानक घंटे की आवाज सुनाई दी, तो नींद खुली अगल-बगल से आवाज आने लगी थी । 
टेंट - घर का चेन खोलकर जब बाहर निकले ,तो देखा चारों तरफ घना अंधेरा ही था।  
केदार पर्वत  पर फैले बर्फ के चादर पर चांद की रोशनी पड़ रही थी, और चारों तरफ दूधिया रोशनी बिखर रही थी। एकदम शांति ही थी। केदार घाटी में जीने के लिए हलचल शुरू हो चुकी थी। 
लोगों को देखा कि गर्म पानी का बाल्टी  ५० रुपए  में खरीद कर ले जा रहे थे अपने -आप को शुद्ध करने के लिए। मैंने भी अपने -आप को शुद्ध करने के लिए बर्फीले पानी से अपने चेहरे को धोया, तो लगा कि पाला मार गया है।  नसें जम सी गई हैं । 
भोले- भोले कर फिर से उनके दर्शन के लिए पंक्तिबंंघ हो गई। सुबह की आरती के बाद गर्भ गृह में भोले के दर्शन कर हमने मोक्ष की प्राप्ति कर ली। 
प्रातः कालीन हमने जब सूरज की लालिमा की रोशनी को पर्वत से झांकते देखा,इस अलौकिक दृश्य को देख मैं सोचने लगी कि इस सुंदरता का वर्णन किस रूप में करूं। गर्भ गृह से बाहर निकल अमृत कुंड से जल भर बाबा का प्रसाद  लेकर भैरव के दर्शन के लिए  मंदाकिनी  नदी के किनारे -किनारे चल पड़ी ।करीब केदारनाथ से ५०० मीटर की दूरी पर बाबा का मंदिर स्थापित है। 
मान्यताएं हैं ,कि भैरव केदारनाथ मंदिर के चौकीदार हैं,और उनकी पूजा-अर्चना के बिना यात्रा अधूरी है। सुंदर बुग्याल : भैरव के मंदिर के चारों तरफ केदार पर्वत की श्रृंखलाएं फैली हुई है। भैरव मंदिर के ऊपर सुंदर बुग्याल भी थे । गाय,भेडें  चर रही  थी। मुझे भी बुग्याल तक जाने की इच्छा हुई, तभी मुझे अपनी चौपर से लौटने के समय का एहसास हुआ।
अपने मन की इच्छा को मन में दबाए हुए हम नीचे जल्दी-जल्दी उतरने लगे। तभी घंटी बजी मां ने कहा जल्दी आओ,तभी काले काले -बादल उमड़ घुमड़ कर धरती पर उतरने लगे। बहुत जोरों की भूख लगी हुई थी। 
भंडारे का स्वाद : सोचा कि नीचे उतरने पर कुछ भोजन करूंगी, तभी अचानक नीचे उतरते भंडारा दिखा। स्वादिष्ट गरम- गरम ,पूरी, दाल ,चावल और  सूजी का हलवा खा कर  मन तृप्त हो गया।
मन ही मन ईश्वर को धन्यवाद देते हुए आगे की ओर जल्दी-जल्दी तेज कदमों से उतरने लगे, और बाबा को साष्टांग प्रणाम कर फिर दरबार में बुलाने की इच्छा उनके सामने प्रकट की।  
और हम सब टेंट घर से अपना बैग लेकर विभिन्न मुद्राओं के नागा साधुओं को देखते-देखते आगे बढ़ने  लगे थे। तभी मेरे मित्रों की फोन की घंटी बजने लगी कि मौसम विभाग ने केदारनाथ में मौसम को रेड अलर्ट घोषित कर दिया गया है। 
यहां की खिली धूप को देखकर विश्वास ही नहीं हुआ। बाबा के द्वार को छोड़ने की  इच्छा ,किसे होती है।  पर क्या करें समय की पाबंदी, और यह सोचते - सोचते हमसभी  हेलीपैड पर पहुंच गए थे । वहां आलू पराठा नाश्ता कर अपना टोकन नंबर लेने गए थे। 
घर वापसी : हमारा टोकन नंबर १९ था । दिन के करीब १० बज रहे थे। आधे घंटे में हमारी बारी उड़ान भरने के लिए आती । तभी अचानक चॉपर की उड़ान खराब मौसम के कारण स्थगित कर दी गई। बूंदा-बांदी शुरू हो गई तो वापस लौटने की चिंता सताने लगी। 
बाबा से कुशल पूर्वक पहुंचने का अनुरोध मन ही मन कर रही थी ,तभी अचानक धूप खिल गई । 
अरुण भैया ने जामू से फोन किया,  ' ...मैडम आपकी चॉपर ने उड़ान भर ली है ..। "
हम सभी उपर में अपनी अपनी बारी का इंतजार करने लगे थे।  तभी घोषणा हुई हमने सुना कि टोकन नंबर १९ तैयार हो जाएं। हमारी बारी पहले आ गई, क्योंकि बहुत से यात्रियों ने डर से पहले ही केदार घाटी छोड़ दिया था। 
हम सब जल्दी से चौपर में  बैठ गए। बाबा को धन्यवाद दे कर केदारनाथ का दृश्य का अवलोकन करते हुए वापस जामू पहुंच गए। एक सुखद औरअविस्मरणीय यात्रा का अनुभव अपने साथ समेटे हुए हम वापस अपने घर मजखली पहुंच गए । जय केदार !


अलंकरण / संपादन
डॉ.सुनीता रंजीता

-----------------
यात्रा वृतांत : ३ / १. राजस्थान. 
--------------
लेखिका.
 

रावी वत्स.
    नई दिल्ली.   
  
डूबते सुरज की खुबसूरती पहाड़ों से अलग सोने के रेतीले मैदान में 
जैसलमेरजोधपुर.

जैसलमेर का किला : फोटो : रावी वत्स.नई दिल्ली.  

घूमना किसे पसंद नहीं है। बच्चा बुढ़ा जवान सभी चाहते हैं कि नए नए जगहों पर जाएं उसे देखें और समझें। यह अलग बात है कि हमेशाहर किसी के लिए यह संभव नहीं है। कुछ यात्रा यादगार होती है खासकर तब जब वह पहली बार कालेज ट्रिप में की गई हो।
मैं कुछ महीनों के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज में पढ़ रही थी। वो कोरोना काल था। धीरे धीरे सब जगह छूट मिलने लगी थी हिदायतों के साथ। मेरे लिए कालेज की लड़कियों के साथ जाने का पहला अनुभव था इसलिए मैं अति उत्साहित थी।
हमें जैसलमेर और जोधपुर दोनों जगह जाना था। लक्जरी बस में राजेंद्र प्लेस दिल्ली से सभी सवार हो गई।कुल आठ बस एक साथ खुली। सभी के घरवाले बस तक छोड़ने आए और ढेर सारी हिदायतें हमारे साथ बांध दी गयी ।
मैं प्रथम वर्ष में थी बाकी  सभी हमसे सीनियर थी । सबसे अच्छी बात हमारी पर्यटक गाइड भी हमारी 
सीनियर दीदी ही थी। बस चालक और उनके दो सहयोगियों को छोड़ दिया जाए तो हम सब की सब महिलाएं ही थी। पूरी तरह महिला शक्ति। बस खुलते ही म्यूजिक सिस्टम फूल टू मस्ती में चालू हो गया था । अंग्रेजी, पंजाबी, हिंदी गानों  पर नाचना ओह ! जैसे अभी की बात हो  । गजब की इनर्जी थी हम सभी में । मैं अपने कैमरे के साथ के पूरे सत्र में उलझी रही ।
शाम छः बजे दिल्ली से निकले और सुबह सुबह जैसलमेर पहुंच गए। बीच में दो जगह लाइन होटल में रुकना और थोड़ी सी रिफ्रेशमेंट के साथ शरारत भी की हमने। आधी रात को लाइन होटल में झूले  झूलना और ढेर सारी आईसक्रीम .....सब कुछ  अविस्मरणीय था । 
जैसलमेर में हम कंट्री क्लब रिसोर्ट में ठहरे थे। पहली बार कमरा शेयर कर रही थी किसी बाहर की लड़की के साथ।पर हां मस्त मस्त अनुभव रहा। सुबह की ब्रेकफास्ट के साथ ही हम सब तैयार थे दर्शनीय स्थल देखने और जानने के लिए ।
जैसलमेर का प्रसिद्ध किला, संग्रहालय, रेगिस्तान में ऊंट की सवारी ,लोकल मार्केट, बहुत था देखने को ।
चलते चलते हम इधर उधर दृष्टिपात कर  रहे थे। हम सब फिर भी देखने की ललक में आगे चलते ही जा रहे थे ।
मूलतः जैसलमेर पुराने राजा महाराजा का इलाका रहा है। एक एक महल की अपनी कहानी है।उन कहानियों को बताने वाले स्थानीय लोगों की भी अपनी जुबानी अलग कहानी है । इसलिए इतिहास के पन्नों को खंगाल कर जानना बेहतर विकल्प होगा । खैर हम कहानियां सुनते हुए आगे बढ़ते गए । दोपहर का खाना वहीं महल के रेस्तरां में  दाल बाटी चूरमा  और फिरनी में ही पेट ओवरलोड हो गया।
उगते सुरज और डूबते सुरज की खुबसूरती पहाड़ों से अलग बिल्कुल स्वर्ण रुप में रेतीले मैदान से दिखते हैं जो अत्यंत मनभावन है ।
राजा जैसल ने ११५६ में यहां बेहद ही खूबसूरत और सुरक्षित किला बनवाया था आज भी आने वाले पर्यटक के लिए मुख्य आकर्षण है ।
जैसलमेर का प्राचीन नाम भावनगर भी था और यह प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता का हिस्सा था। आज भी सभ्यता की बहुत सी धरोहरें यहां है। यदि इतिहास को खंगालने लगेंगे तब जैन धर्म, बौद्ध धर्म महाभारत काल सब का कुछ न कुछ जिक्र यहां प्रमाणिक तौर पर मिल जाएगा।
सोनार किला : यहां का मुख्य आकर्षण है। तीस फीट ऊंची  चारदीवारी से घीरा सोनार किला। सूर्य की रौशनी पड़ने पर सोने जैसा चमकता है इसलिए सोनार किला भी कहते हैं। हवेलियां ,जैन मंदिर ,जलाशय रेगिस्तान और कला महोत्सव पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र है। एक से बढ कर एक हस्तशिल्पों भी भरमार है यहां । दर्शनीय स्थल .... पहले नम्बर पर आता है... 
जैसलमेर किला : ८६० साल पुराना जैसलमेर किला। सन ११५५ में राजपूत राजा रावल जैसल ने इस किले का निर्माण करवाया था। इतना मजबूत और बेहतरीन नक्काशी वाले किले का निर्माण  उस दौर में हुआ था जब कहा जाता है कि भारतीय जनता पिछड़ी हुई थी ।

ऊंट की सवारी का आंनद : फोटो : रावी वत्स. 

सुनहरी बालू से बने इस किले पर जब सुर्य की किरणें पड़ती है जब  ऐसा लगता है जैसे पूरा किला सोना से बना हुआ है। इसलिए इसे सोनार फोर्ट या गोल्डन फोर्ट भी कहते हैं । उस जमाने में  यहां से रेशम के धागों का व्यापार भी होता था। जैसलमेर को युनेसको  द्वारा महलों का शहर भी घोषित किया गया है ।
अन्य दर्शनीय स्थल : ताजिया टावर , गाडीसरलेक ,जैन मंदिर, सलीम सिंह की हवेली ,पटलों की हवेली ,नाथमल जी की हवेली ,डेजर्ट कल्चर सेंटर ,संग्रहालय, डेजर्ट सफारी ,बाड़ा बाग ,कुलधारा और रामदेवरा मंदिर
इतने सारे दर्शनीय स्थलों को देखते देखते तक जाएं तब रात में होने वाले राजस्थानी नृत्य का आनंद  लेते ही सारी थकान दूर हो जाती है । राजस्थान में हो और कठपुतली डांस न देखें फिर सब अधुरा ही रह जाएगा ।
हमलोग ठहरे स्टूडेंट्स तो हमने खाने नाचने के साथ साथ कैमल सफारी ,डेजर्ट सफारी और एयर बैलून जैसे खेलों को कुछ अधिक ही इंज्वॉय किया था ।
कैसे आए : जैसलमेर देश के बाकी हिस्सों से जुड़ा हुआ है। हालांकि यहां हवाई अड्डा नहीं है । नजदीकी हवाई अड्डा जोधपुर में है २७५ किलोमीटर दूर । रेल व बस से आप कहीं से भी आ सकते हैं ।
कहां  ठहरें : पाकेट के अनुरूप, होटल, रिसोर्ट,महल सब कुछ उपलब्ध है। राजस्थान टुरिज्म की अच्छी व्यवस्था है ।
क्या खाएं: स्थानीय लज़ीज़ खाना दाल बाटी चुरमा ,तीखी मिर्ची की चटनी के साथ बाजरे का व्यंजन किसी का भी स्वाद बना देता है । वापस आते आते सभी इतने तक चुके थे कि खरीददारी करने की हिम्मत नहीं बची सिवाय ऊंट के चमड़े वाले कुछ बैग्स के।

रावी वत्स
अलंकरण / संपादन.
विदिशा. 


सहयोग. 
---------------
कही अनकही : जिंदगी का सफ़र  : पृष्ठ : ४.
---------------
------------
संकलन / संपादन. 
-----------


डॉ. सुनीता प्रिया
नैनीताल. 
दिल ढूंढ़ता है फुरसत के रात दिन को. 
आते हैं लोग जाते हैं लोग. 

एक सफ़र ऐसा भी रहा. 
जिंदगी को बहुत प्यार मैंने दिया. 

रेनू शब्दमुखर : तेरे साथ सफर करती है 

दोस्तों शक दोस्ती का दुश्मन है.. 


------------
अतुलनीय  भारत  : फोटो दीर्घा. पृष्ठ ५.


संपादन.अनीता. 
जब्बलपुर.मध्य प्रदेश.

ऊटी की दिलकश वादियों में नीले बादलों का डेरा : फोटो : विदिशा. 
पल पल दिल के पास तुम रहते हो : फोटो : हिमाचल : रेनूशब्द मुखर. 
कोडाई केनाल की एक बेहद ख़ूबसूरत झील : फोटो : विदिशा. 
गुलमर्ग कश्मीर की वादियों में ग्लेशियर के मध्य : फोटो : विदिशा. 
डायमंड हारबर कोलकोता  में डूबता हुआ सूरज : फोटो : रश्मि. 
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर : वाराणसी : फोटो : विदिशा. 
पर्वत के उस पार भोले बाबा केदार के दर्शन : फोटो नमिता 

-------------- 

अतुलनीय  भारत  : कोलाज दीर्घा. 
संपादन.अनीता. 
जब्बलपुर.पृष्ठ ५.

अतुलनीय भारत की प्रकृति,खूबसूरती और संस्कृति की एक झलक : कोलाज : विदिशा. 
नालंदा विश्व विद्यालय मुख्य स्तूप के चार कोण : फोटो : डॉ.सुनीता.  
 नालंदा विश्व बिद्यालय देखने आए पर्यटक : फोटो  १९९२ : कोलाज : विदिशा.
पर्वत के उस पार भोले का संसार : केदारनाथ : फोटो : नमिता.  कोलाज : विदिशा. 
 
सहयोग. 
----------------
कला दीर्घा. सफ़र के रंग. पृष्ठ ६.  
---------------
संपादन.

अनुभूति सिन्हा.
शिमला.  
चलो री ..किसी प्यासे परदेशी के आने के पहले : कला कृति :  जयराज. 
...कहीं करती होगी..वो..मेरा इंतिजार : कला कृति : मणि भूषण. 
नील  गगन की  छाँव में दिल ..पंछी बन उड़ जाता है : कला : अज्ञात : संपादन : मणिभूषण. 
चल चले ये दिल करे चल कर किसी का इंतिजार झील के उस पार : कृति : जयराज. 
 ये पर्वतों के दायरे : ये शाम का धुआं : कृति : प्रवीण सैनी. मेरठ.  
-----------------
सीपियाँ : मैं का से कहूँ. पृष्ठ : ७
-----------------
साभार : 


तुम्हारी परछाई मेरी ज़िंदगी : रचना श्रीवास्तव 


प्रेम की मृत्यु : अमृता प्रीतम.
 

हरिवंशराय बच्चंन. उसे बताना क्या ?  
-----------
कल्पना : मेरे पहलू में वो आए. 
----------


कल्पना : कुछ हसरतें बाकी रह गयी है.

-----------
संपादन संकलन.


कंचन पंत.
नैनीताल.
------------
साभार : फेसबुक 

आवाज़ : निधि. 


सच को मैंने सच कहा.


उससे मोहब्बत है तो है. पक्तियाँ : दीप्ती मिश्र की.
 
मात्र ग़जल सुनने  के लिए  प्ले दबाएं. 

---------
मैं कौन हूँ ?


 सोचती हूँ 
मैं कौन हूँ ?
क्या उद्देश्य है मेरा ?
मनुष्य जन्म लिया तो क्या करूँ 
मैं फिर पाती हूँ कि 
मुझमें मनन शक्ति है,
चिंतन शक्ति है 
जो मुझे पशु से 
स्वतंत्र अस्तित्व देती है 
जो मेरी सम्पदा है .
निरंतर आगे बढ़ना ही 
कुछ नया करना, 
ही मेरी मनुष्यता है 
प्रतिपल अनुभव लूँ ,
जो आज है कल 
उससे बेहतर करूँ, 
जीवन जीने के इस अवसर को 
व्यर्थ ना मैं करूँ, 
जीवन को अपने भीतर से सृजित करूं 
अनगढ़ पत्थर के रूप में 
जीवन का कुशल मूर्तिकार बनूँ 
यह हम पर है कि 
मूर्ति रावण की 
या राम की गढूं 
जीवन के कोरे कागज़ पर. 

रेनू शब्दमुखर.
जयपुर.
-----------
मातृ दिवस पर 

लघु कविता. 

माँ. 

फोटो : साभार 

माँ का आशीर्वाद और दुआएं 
बच्चे के साथ होती है, 
कहीं भी रहे बच्चे 
फिक्र उन्हीं की उनके पास होती है. 
निश्छल ,निस्वार्थ प्यार जिसका, 
बच्चों की दौलत होती है, 
माँ से दिन की शुरुआत और 
जीवन की मिठास होती है. 
मातृत्व की छाया ही, 
हर उलझन का समाधान होती है, 
सच बताऊँ दोस्तों जन्मदात्री माँ ही, 
बच्चों की जन्नत होती है. 


रेनू शब्दमुखर.
जयपुर.

---------------

कल्पना : चुपके चुपके. 

-----------

लघु कविता.

जब दिन में तमस छा जाए 


डॉ. मधुप रमण.


जब दिन में तमस छा जाए 
सत्य का सूरज 
असत्य के काले बादलों 
से घिर जाए. 

फोटो : साभार 

मित्र कौन शत्रु कौन 
जब अंतर्मन भेद न कर पाए ?
अंतिम रोशनी भी 
आखिरी साँस 
की तरह ख़त्म होती जाए.
इस प्रलयंकारी झंझावत में
धूल भरी आंधी में  
राह दिखे, 
न किसी का साथ रहे,
 
फोटो : साभार 

जीना भी हो तो कैसे जिया जाए ?
 ए मेरी आत्मशक्ति, 
सिर्फ़ मुझे आप ही समझाए
हो सके तो आप ही  बताए 
क्या मिटा दूँ उस मुण्डकों उपनिषद
के लिखे शब्द सत्यमेव जयते को 
लिख दूँ  अ - सत्यमेव जयते हो. 
जब दिन में तमस छा जाए ...
सच का सूरज 
बादलों से घिर जाए ...

©️®️ M.S. Media. 
पुनः सम्पादित : प्रिया दार्जलिंग 
----------

 कुछ नहीं कहते. 


अपनी तो ये आदत है कि
हम कुछ नहीं कहते, 
क्यों नहीं कहते ? 
तुमसे ?
उससे ,सबसे ?
तुमसे जो कहते, 
तो तुम किसी और से कहते, 
वो किसी और से कहते, 
इस कहा सुनी  में ही,  
बढ़ जाती है अपनी परेशानी,  
कभी कम नहीं होते अपने दर्द के सायें, 
कुछ और ही बढ़ते चले जाते... 
इसलिए ..अपनी तो ये आदत है कि,
हम कुछ नहीं कहते.
ये जिंदगी ..अब तक के सफ़र में 
न मिला कोई हमख्याल, 
जिससे कि हम भी 
तेरी मेरी अपनी 
कहानी
 बयां  करते. 
 करें किस हमसफ़र से 
अपने दर्दे दिल की हिस्सेदारी ?  
अपनी तो ये आदत है कि
हम कुछ नहीं कहते... 
 

डॉ. मधुप रमण.
©️®️ M.S. Media.  
पुनः सम्पादित /  प्रिया. दार्जलिंग 
----------- 

सुबह की धूप.


मैं तेरे घर की
दहलीज़ पर, 
तुम्हारे लिए,
हाँ सिर्फ तुम्हारे लिए, 
खिली हुई,  
अभी अभी की सुनहरी
सुबह की धूप की तरह हूँ. 
नई आशा की किरण लिए हुए, 
 सकारात्मक सोच को लिए,



सिर्फ तुम्हारे लिए,
तुम्हारे ना में भी 
अपने जीवन के सिर्फ हाँ ,
का अर्थ ढूंढ़ते हुए. 
बस इतना तो विश्वास रखना, 
हर दिन 
तेरे मन के बंद  
दरबाजे पर हाँ, 
बन कर दस्तक़ देता रहूंगा , 
रुकूंगा भी बहुत देर तलक, 
फिर कहीं दूर घाटियों में, 
मौन चुपचाप, 
स्याह पेड़ों के पीछे, 
 अंधेरों में गुम हो जाऊंगा. 

डॉ. मधुप रमण.
©️®️ M. S. Media.
---------------- 
लघु कविता. 

तुम होते तो ऐसा होता. 


कभी अपनी यादों को समेट  कर, 
कभी अपनी यादों को मिटा कर, 
ये जिंदगी खुश हो कर ऐसे ही आगे बढ़ती है.   
उन गुजरे लम्हों को याद कर, 
तुम होते तो ऐसा होता, 
तुम मेरे पास होते, 
तो न जाने क्या क्या होता... ?


वो जिंदगी क्या जिसमें तेरी याद ही न हो 
वो यादें ही क्या जो मुझसे जुदा हो जाए ?
इन सुनहरी यादों को ही तो इतिहास 
बनाना है तेरे मेरे लिए आज कल, 
अपने अनमोल रिश्ते सहेज कर. 
 

कोई याद मेरे जेहन से 
कोई मिटा न सके 
पलकों में उन यादों को कैद करके 
अपने जीवन की इसे तक़दीर समझ कर  
चलते रहना है ताउम्र 
तुम्हारे बेमिसाल प्यार की 
विरासत संभाल कर. 


प्रिया. 
दार्जलिंग.

------------
प्यार का राग सुनो : म्यूजिक मस्ती. पृष्ठ ९.  
---------------
संपादन संकलन.


सृष्टि. 
कोलकोता.

सावन का महीना पवन करे शोर : गाना : प्रस्तुति : पुनीत शर्मा. मुंबई. 
आओ हुजूर तुमको सितारों में ले चलूँ : गाना : 
प्रस्तुति : पुनीत शर्मा. मुंबई 
आ अब लौट चलें : गाना : प्रस्तुति : पुनीत शर्मा. मुंबई  
 मोरनी बागा में बोले आधी रात मा.... प्रस्तुति : गाना :  पुनीत शर्मा : मुंबई. 

---------------
आपने कहा. पृष्ठ १० . 
---------------



संकलन / संपादन.

 
सुमन. 
नई दिल्ली. 
----------
साभार. 

गलतियां और विफलता. 

तू भी बिल्कुल चाँद की तरह है.. 
नूर भी भी है,गुरुर भी है और दूर भी है... 

रचना श्रीवास्तव : मिलना तय है. 
सारी कायनात वहीं रुक जायेगी. 

कल्पना : अरमां ही जला करते हैं 
मेरा मुझ में बाकी क्या है 
केशव तिवारी : जिसने भी विदा ली. 
प्रेम में प्रतिकार नहीं होता. प्रेमचंद 

वो समझे मेरे मिज़ाज को. 
-----------
पृष्ठ ११. अंग्रेजी अनुभाग
English Section.Page 11.
-------------
  Musafir Hoon Main Yaaron : Na Ghar Hai Na Thikana.Travelogue  3.  
powered by Tri shakti.
------------

Cover Page Photo English Section : 11.
--------------

a click over the formation of clouds in Newcastle : Australia. Photo : Ashok Karn.

-----------------
Contents Page : 12.
-----------------
Contents List.
Cover Page : 11.
Contents Page : 12.
Editorial Page : Dr. R.K. Dubey. Patna. Page : 13.
Thought of the Day : Seema Dhawan : West Bengal. Page 14.
Photo of the Day : Ashok Karn. Ranchi. Page 15.
 World's Heritage Photo  : Avidha. Page 16.
Theme Travel : Page : 17. 
Health Tips for these Days : Editor : Dr. Achala : Page : 18. 
-----------
-----------
Editorial Page. Page 13.
---------- 



Chief Editor. 
Dr. Manish Kumar Sinha. 
Chairman EDRF. New Delhi.

supporting.
 
-------------------
Assistant Chief Editor.


Dr. R.K. Dubey.
Dr. Roopkala Prasad.
-----------
Executive Editor.


Priya : Darjeeling.
----------


Asst. Executive Editor.
Seema Dhawan. West Bengal.
Dr. Pramod Kumar.
Dr. Amit Kumar Sinha.
----------
Media Coordinator
--------------
Vanita.
-----------
Photo Editor. 


Ashok Karan. 
Ex Hindustan Times Photographer.
Kamlendu. Kolkatta .( Free Lance Photographer )
Subodh Rana. Nainital. ( Free Lance Photographer )
Kalindi . Dharamshala.  ( Free Lance Photographer )

supporting.



Patrons.
Chiranjeev Naath Sinha. A.D.S.P. Lucknow.
Col. Satish Kumar Sinha. Retd. Hyedrabad.
Capt. Ajay Swaroop ( Retd. Indian Navy.) Dehradun.
Raj Kumar Karn. ( Retd. D.S.P.)
Vijay Shankar. ( Retd. D.S.P. )
Anup Kumar Sinha. Entrepreneur. New Delhi.
Dr. Prashant. Health Officer. Gujrat. 
Dr. Bhawna. Ujjain
--------------
Special Visitor.
Pankaj Bhatt. S.P. Nainital.
--------------
Stringers. Abroad.
Avidha : USA.
Shilpi Lal. USA.
Rishi. Canada.
Aviral. Japan.
Himanshu. Australia.
-------------
Clips Editors.
Manvendra Kumar. Live India News 24.
Kumar Saurabh. Public Vibe.
Er. Shiv Kumar. India TV.
----------------
Legal Umbrella.


Seema Kumari. ( Sr. Advocate.)
Sarsij Naynam ( Advocate.High Court.New Delhi).
Rajinish Kumar ( Advocate. High Court.)
Ravi Raman ( Sr. Advocate )
Dinesh Kumar ( Sr. Advocate )
Sushil Kumar ( Sr. Advocate )
Vidisha ( Jr. Advocate )
---------------
--------------------------------------
Page Making & Design : Er. Snigdha, Er. Aryan Siddhant. Bangalore
-----------------------------------


Tears are prayers too.
------------
Thought of the Day. Page 14.
--------------
"..Work hard and stay sensitive and positive..
It is the best part of the life..."

Editor.


Seema Dhawan : West Bengal.
------------------

"...Never say I can't always say I will try..."
"...Trust the magic of  the new beginnings..."
"...Stay humble work hard and be kind.."
"...Don't compare yourself to others just be yourself..."
"..What we think we become.."
"....Be proud of who you are..."
"...Take every chance drop every fear...."
".....Make improvements not excuses..."
"....Go wherever your dreams take you...."
"...Learn something new everyday..."
"...What you do today can improve all your tomorrows...."
"...Happiness is not something readymade. It comes from your own actions..." 
"...If you put your mind to it you can accomplish anything.."
".....Always remember beginning is the hardest part in the life.."
"...In order to change your life you must change your thoughts.."
"...Work hard dream big to build a good future for yourself.."
"...The best way to gain self confidence is to do what you are afraid to do..."
"....If you never try you'll never know..."
"...Small progress is still a progress keep moving..."
" ....The more you practice the better you get..." 
"....Train your mind to see the good in everything..."
-------------------
Photo of the Day. Page 15.
----------------
Editor : Ashok Karan.

the rising sun from the Tiffin Top, Nanital : photo Mahesh Sunatha.
a beautiful hill station Pahalgam in Kashmir : photo Dr. Madhup.

Jindgi kaisi ye paheli : Kisi ko rulaye kisi ko hasayen : photo Dr. Bhawana. 
Tincha Waterfall. Indore. Photo Jitendra.
The Himlayan View from Shital Mukteshwar Nainital India : photo Nadir.
------------------
 Around the World : Photos  : Page 16.
------------------
Editor.


Avidha. USA.

Tiger Nest Monastery Bhutan at 3120 meter : Apoorva Rastogi.
clouds in the sky Gabon central middle Africa : photo Sanjeev. 
Lake Pichola : Udaipur City Rajasthan. India.: photo Dr. Bhawna.
Kedarnath Temple  at Evening : photo Namita. Collage : Vidisha. 
a click over the surfing at Nelson Way in Australia : photo Ashok Karan.

an overview  of Sydney Town Australia : photo Ashok Karan.

--------------
Theme Travel : Page : 17. 
---------------
Theme Travel  : Page : 17 / 0. Jaldapara to Bhutan.
----------------- 
My Travel Experiences for Wild Life Santuary Jaldapara to Phunsling.   


Ashok Karn.
Ex. Hindustan Times Staff Photographer.

in Bhutan with my friends : photo : Ashok Karan.

Way to Alipur Dwar :  I still remember that it was Sarhul day in the month of April 2016, when one of my journalist friends Shaji was going to cover election in West Bengal and offered me a trip to North East area of WB to cover that event which I readily agreed and set out for the same. 
As Sarhul festival was in full fervor so the roads of Ranchi was chock a block resulting our taxi driver drop a kilometer before and requested us to move on feet up to railway station as the time was running very fast and we saw the approaching train and we almost ran to catch the train Hatia Alipur Dwar in which we had the reservation. Luckily we boarded it at around 6:30 PM. 
Here I must mention that Sarhul festival is one of the very colorful and important Tribal festivals all the youngsters, old and new boys and girls move with huge flags, posters, banners and dances in very colorful attire all over the main road as well as in tributaries roads making the city completely chocked. So if any person or persons have to catch trains, buses, flights, or in emergency situation then they have to have face this situation.
After almost 20 hrs of journey we reached Jaldapara a station 3 hrs away from Jalpaiguri, where we dropped and received by our another friend Vinod Panday who works for JMM in Ranchi. He told us on way to our rest house which was like resort very beautiful and comfortable in the surroundings of deep jungle. 
Jaldapara famous for the National Park : Jaldapara is a national park and wild life Santuary which is situated at the foothills of the Eastern Himalayas in Alipurduar, district of northern West Bengal and on the banks of Torsa river and is situated  at an altitude of 61 mts and is spread across 216.51 kms vast grass land with the patches of riverine forest. It was established in 1941 for preserving and protecting the great Indian rhinoceros.
Here I came to know that one of the districts of Bhutan Phunsling is just 20 kms away from there. So we freshen up fast and again set out for Bhutan and crossing the border was not a problem, just we shown our identity and entered into another country very easily. We moved around for two hours there and our eyes balls become wide to see the environment, cleanness of roads, markets which was bubbling with local as well as Indian people. I also shot few pictures over there for souvenir. In the mean time I got a call of my wife asking about my well being. I told her that you only go to offshore country (As she recently returned from Australia) see I am also in a foreign land. Then with very sweet memories of Phunsling we came back to our resort. There we found very eye-catching colorful lights playing  for the tourist which we enjoyed for half an hour and went to our cottage.
Bengali cuisines : - Our friend ordered fried fish and other palatable dishes for start ups and dinner. I must appreciate the Bengalies regarding their cuisines. We were served fried fish first that it tells the whole story of their palatable cuisines. The fish was sliced so precisely and then fried so well and served with green salads in our plates. We first enjoyed that with gulping few pegs of good liquors after that they served dinner which were also very mouth watering.   
I recommend the tourists to go and enjoy the serenity of Jaldapara wild life Sanctuary once. It will be lifetime experience.

Ashok Karan.
----------------
Theme Travel  : Page : 17 / 1. Nalanda.
----------------- 
Nalanda the World Heritage Site of Bihar.


 Dr. Madhup Raman.
Tour & Travel Account.

Collage of  World Heritage Site Nalanda : Vidisha.

Episode : 1.
Bygone ages : a little discovery by me 

Bygone ages It was around 80s when two friends were moving towards Nalanda for visiting the remains.They did not inform their parents and that time it was a matter of risk and threat for the minor students. Keeping it secret as an adventure silently they were moving to their destination. One was riding a bicycle and second one was sitting. They had to reach near the gate about 3 kilometers back unfortunately the bicycle got punctured.They hardly had some money to get the entry ticket. But now what could they do. No way, but  to repair the cycle,going back  was only the left option for them. Ultimately they had to return back without visiting the place.It was the first and full of adventure journey for me and my friend Dr.Prashant that ended with low spirits without completion. That time I had decided to keep researching on and on  over this monument. And I did.
Nalanda is really living its past once again after being second one world heritage site in Bihar.It is for all only that the name of the district derives itself from the ancient university, Nalanda. Not only we the people of Nalanda district but entire India feel very proud and privileged to say that UNESCO now declares the remains of ancient university as a world heritage site on 16th of July 2016
Despit a submission of an unfavorable report by a Japanese member of the supervisory committee that visited the site last year on 26 September 2015, Nalanda University started blinking its name on the UNESCO web site. After all with this long awaited announcement taken in the bespeaking session of UNESCO at Istanbul in Turkey during 10th to 20th of July Nalanda, Nalam with da, literally meaning Nalam i.e. ‘lotus’,a symbol of knowledge and Da means ‘given’ has many lotuses simply came under the lime light of the whole world. And with this the responsibilities of Archaeological Survey of India for caring and developing the World Heritage Site have been increased too in all auspects.
   Discovery. The remains and ruins of the Nalanda University have been echoing its glorious story of historicity and famousity since 1915-1916 with its first identification by the British explorer Alexendar Cunningham in 1917, around the vicinity of an ancient, religious village Badagaon. However it keeps its history back to Lord Buddha and his favorite disciple Sariputra who was born here and Buddha  used to visit frequently this site. Now it became the second one UNESCO protected site in Bihar and 33rd site in our country. Earlier the Mahabodhi Temple of Bodhgaya claimed itself being as the first UNESCO site in Bihar.

A scholarly look of Nalanda University.

Episode : 2.
Nalanda with its scholarly look.

Nalanda with its scholarly look always has been coveting pupils from all over the world goes back in 5th to 6th century BC when evidences say that Lord Buddha used to visit this place frequently. The great Maurayan King Ashoka built here a grand stupa, a dome shaped Buddhist monument to honour a monk. Soon the monks and scholars from different parts of the country started gathering here for their discourses and debates. And by the 5th century under the patronage of Kumargupta first, the famous ruler of Gupta Dynasty flourished as a monastery ,a residential place for the Buddhist monks. The inscriptions say further under the ages of Gupta ,Vardhan and Pala Dynasty Nalanda after getting lots of donations and grants reached its new height and  horizon during 5th to 12th century.
    Past .Being enlisted in the world heritage site there will be a sudden increase in itinerant visitors, tourists will be visiting this site with sheer and great curiosity. As before its destruction it radiated the light of knowledge throughout the world almost being the first ever International residential school of Buddhism.
        
A series of Mahaviharas.

A prime ancient University. 
Under both the philosophy of Mahayana and Hinyana the university was running with the capacity of 10000 students and 2000 eminent teachers had earned a good name and fame around the world during the 5th and 12th century A.D.To remember many renowned Chinese travellers like Hieun Tsang and ITsing in 7th century A.D. stayed here and studied the Indian Buddhist culture and philosophy. Even Hieun Tsang served this Buddhist institution as well as a student and a scholar teacher. In his travelling account he has an extended description about the curriculum, other activities and architectural structures of the premises. He took away valuable Buddhist scriptures from Nalanda with himself to China for further references.
Hieun Tsang (602 - 664 AD) As he started his travel  at the age of 26 in 629 A.D. and he remained in India for at least 16 years. After his return he wrote much about India in his famous book 'Si-yu-ki'.
Itsing & Huien Tsang.


He described in his account about a three to six storeyed high 
building namely Sangharama while another most  imposing structure is the Sariputra Stupa can  be seen from very far away from the campus erected in different successive layers in different times. Three  stair cases seen in northern side of the main stupa are evident for such a thrice time construction in different phases of Ashoka,Guptas and Palas.
ITsing (635 - 713) The next Chinese pilgrim.
ITsing arrived here around 673 BC spent here a long time too giving an account about this university campus that housed 8  monastic buildings and over 300 apartments.It includes stupas(mounds),chaityas(temples), shrines, viharas (residential and educational buildings) and important art works in stucco,fine plaster used for coating wall surfaces or moulding into architectural decoration in stone and metal wall.We find a thirty metre wide passage runs from north to south direction with the row of the temples on the west and the series of monasteries on the east of it. Nalanda stands out as the most ancient university in the Indian Subcontinent with its sheer prestige.The Nalanda Mahavihara site is located at Nalanda

Huien Tasang Travel Route.

Episode : 3.
Worth seeing places around Nalanda. 

District near Badgaon in the sate of  Bihar, comprises the archaeological remains of a monastic and scholastic institution dating from the 3rd century B.C from Ashoka the great to the 13th century A.D beneath the patronage of different rulers as Kumargupta first, (413-455A.D.) Gupta Dynasty Gupta Dynasty, Harshavardhan ( 606-647A.D.),Vardhan Dynasty and the Dharmpala and Devpal, Pala Dynasty from Bengal ( 8th century  to 12th century A.D.)

Stucco in Nalanda Remains.

Once upon a time it engaged in the organized transmission of knowledge of Buddhist philosophy and thought over an uninterrupted period of 800 years throughout the world.
  Various subjects like theology, grammar, logic, astronomy, metaphysics, medicine and philosophy were taught by the renowned scholars like.
  Scholars  Nagarjuna, Aryadeva,Vasubandhu, Dharmapala, Suvishnu, Asanga, Silabhadra, Dharmakriti,  Shantarakshita, and above all the Chinese travelers  Huien Tsang and Itsing. The historical development of the site testified to the development of Buddhism into a religion and the flourishing of monastic and educational traditions.
  Decline.The decline of the institution started being noticed in the later Pala Kings of east India but it received the final blow in around 1200 A.D. by the invader Bakhtiyar Khilji.

Nalanda shooting location in a film Johny Mera Naam  

        
Nalanda Remains in a film Johny Mera Naam. Another tale about its famousity is that a very popular romantic filmy song ‘O Mere Raja’ of a very famous film ‘Jony Mera Naam’,1970 by an actor producer Dev Anand with the actress dream girl, Hema Malini was shot here in backdrop of Nalanda. Its popularity reached around the country. For being the witnesses of this location people from every nook and the corner started coming to this site.
       About 2 km area centering around the university will be lying under the buffer zone will be paid special care and attention by the Archaeological Survey of India and Government of Bihar for its proper care, development and safety. More facilities will be provided by and by for the tourists and visitors indeed. Before long inside and outside the campus of stupa and remnants site area will be creating ample opportunities of employment for the people of surrounding area.
      
Sheelbhadra
Yet more developments needed  As it is obvious to all of us that the conservation and protection of the world heritage sites wouldn’t be  possible without the financial resources and help to meet world heritage needs.Sources of income include the world heritage fund, which receives most of its income from compulsory valuable contributions from different countries (states parties). And it comes from voluntary contributions too. Other sources of income include profits derived from sales of world heritage publications, or funds-in-trust that are donated by countries to support the related projects for achieving the goals and objectives for specific purposes .The World Heritage Committee allocates the  funds according to the urgency of requests of the state parties but the priority is given to the most threatened sites.
    Worth seeing places around Nalanda. With a hope of an all-around development nearby Nalanda, the world heritage site, worth seeing places as 
     Kundalpur.1.6 km away from the remains, the birth place of 24th and the last Tirthankar, Lord Mahavira according to the Digambar sect,
     Badagaon It is a holy tank where the Hindu devotees celebrated the Lok Parv Chhath.  
     Surya Mandir.Adjacent to this tank here remains a very ancient temple dedicated to Lord Surya.

Episode : 4. 
Worth Seeing places around Nalanda. 
Kundalpoor the birth place of Mahaveer : Nandavart Mahal

     Wat Thai Temple. A Thai archecture based temple covets the tourists to visit the place.
     Huien Tsang Memorial Hall. The hall encompasses the memory of a Chinese traveller Huien Tsang who stayed at Nalanda and studied Buddhism and Hindu philosophy.
     Pushkarani Lake.A very ancient and too beautiful lake needs to be cared by the government has capacity to generate revenue for the Bihar tourism. From southern view it gives a look of Kundalpoor and from the northern point it presents a scenic beauty of Huein Tsang Memorial Hall.   
    Nav Nalanda Mahavihar A deemed university where an effort was done to re establish the prestige of ancient university Nalnanda. 

Scenic Beauty of the Pushkarani Lake.

    Biharsahrif and 13 km away Biharsharif, the headquarter of district Nalanda and  a centre of Islamic and Buddhist culture will be in reality of more prosperity. Once again people will be listening to the footsteps of visitors at their doorsteps from different far-off areas and countries as it had been once upon a time in the bygone ages.

How to reach Nalanda.

    How to reach For reaching  Nalanda we can use either the roadways or the railways.
    Roadways It is well connected through road from capital city Patna and important city Gaya with ample means of transportation. But for outsiders those using public transport should plan this tour in the day hours.
   State Transport Normal / AC / Non AC Buses : Bihar State Road Transport Corporation also provides luxurious coaches  for the travellers that run from Patna to Rajgir via Biharsharif. 
Through the reliable sources it comes to us that five buses including AC and Non AC buses are running from Patna to Rajgir. For further Bus Enquiry travellers may contact : 9798047742. And traveller's destination Nalanda remains in the route.  
    Railways The nearest railhead on Delhi - Howarah main line via Patna is Bakhtiyarpur that is about 49 kms away from  Nalanda. Through the loop line via Biharsharif, the district headquarter, it is connected .Now Nalanda is connected too  by the another loop line via Tilaya ,Rajgir from Gaya Junction that falls  in the main line  Delhi - Howarah via Gaya. 
    Airways The nearest airport Patna 93 kms away is in well connection with all major cities of India while the another international air port Gaya also provides  opportunities to reach Gaya then by the roadway  to Nalanda.
  Tour Plan with a Stay.If you have 24 hours to spend in Nalanda is enough for covering entire Nalanda.Get up early in the morning have a cup of tea.Take a bathe.Get a planned and comfortable start from Kundalpoor by 6 a.m.morning cover Badgaon,Surya Mandir,Swetambar Temple,Huein Tsang Memorial Hall,Black Buddha,Nalanda Remains.
Take your breakfast at Bihar tourism promoted restaurant at the gate of remains.
Then visit Nalnada Museum and Nav Nalanda Mahavihar and lastly Bat Thai Temple.
  Means :  If you have own vehicle no problems enjoy your trip. Otherwise  e-rickshaws and tongas are available here.
  Distance : remains from Patna about 85 kilometers, from Gaya 81 kilometers,and from the smart city Biharsharif 9 Kilometers away only. Staying at  Gaya and Patna by early morning we can visit this seat of learning destination very easily.

Dr. Madhup Raman
Free Lance Cartoonist,Blogger & Vlogger.
Editing : Priya. Darjeeling.



---------------
Theme Travel  : Page : 17 / 2. New Castle,Barbeque.
----------------- 
Travelogue :  Ashok Karan.
Once upon a time at New Castle in Australia.

scenic beauty of New Castle Sea Beach in Australia : photo Ashok Karan.

It was July 21, 2019, when I was at New Castle in Australia which is 158 kms South of Sydney, a very calm, less populated and salubrious place. The place is so calm and quiet that sometimes it looks like a deserted city. One can find very less people on roads, in buses, trains, light trains etc. but you can find people bubbling with colorful attire in markets, there you can find some life. You can also find life on sea beaches such as Nobbies, Merewether, New Castle where people throng specially on 2nd half of Friday to Saturday and Sunday. Because five days working system is followed there. Just 2nd half of Friday people join clubs, barbeques eateries and different kinds of eatables with beers or liquor enjoy. Whole week they work for 40 hrs and at the weekends they full enjoy. All the markets, shopping malls, offices open from 10:am to 5:pm. 
In the meantime Sunny told me one day that lets have barbeque which I couldn’t understand. So one day he drove us to Nelson Bay a very beautiful place about one hrs drive from New Castle. In the meantime he bought some eateries and materials for barbeques, which was surprising me that what is and where is barbeque? But when we reached Nelson Bay my eyes become wide open after seeing the serenity, beauty and neat and clean atmosphere of that area. And there I find barbeque which was like a dining table. In fact that was stove built near road side, parks and rest areas. If anybody has to cook something then push the button below and that apparatus become hot for 20 mts and then switch off automatically. If your materials are not cooked in that period then again push the button and it will again become hot for 20 mts, not to carry gas stove to your destination. The Australian Government has provided this very useful apparatus to their tax payers plenty of in a park or roadside and that is very clean and useful. Denizen over there don’t litter garbage anywhere, for those dustbins are kept so you can put your garbage in that.
There I met one Aussie who was sipping beer and had a very powerful and heavy motorcycle of BMW made so I just interacted with him and came to know that he is waiting for his daughter who resides in Sydney is coming to meet him. Then he hurriedly told that he have had enough beer as his daughter is coming so he is stopping to have it more. I appreciated his motorcycle and his gesture. I also offered him few bites of barbecued chicken which he had and praised my wife for her culinary skill.
Aussies generally go into the sea for surfing, fishing, for sporting etc. On holidays they go into the sea by motor able boats to catch the fishes or they catch it with angular then slice them and barbeque machine is already there cook them and have them with beer with family and friends. Here I have to mention that each and every house you can find boat kept on tailor, whenever they require they into the sea and enjoy their days.
After having barbequed meal we set out for about one kilometer uphill to get the scenario of Nelson Bay, for the time being it was difficult to ascend but slowly we enjoyed it. Seeing New Castle from above was  very captivating and shot some frames for the readers.

Ashok Karan.
Ex Hindustan Times Photographer. 
Ex Photo Editor. Public Agenda. 

---------------
Theme Travel  : Page : 17 / 3.Pahalgam.
----------------- 
Pahalgam a sheer Heaven on the Earth
Dr. Madhup Raman. Travel Diary.
Free Lance Cartoonist, Vlogger , Blogger.

Once upon a time I heard a lot about Pahalgam and Jammu and Kashmir that the heaven only dwells around this area. I got the rare opportunity in 2010 when the terrorist activities were slow down and we the universal itinerants somehow dared to travel this place in our fix.
Again I was around Leh - Kargil Valley by 2019 I travelled once again Shrinagar, Sonmarg, 
Gulmarg and Pahalgam area.

Scenic beauty of Pahalgam : collage : Vidisha.

I remember somehow we  were much afraid of our team member safety however we travelled far and wide throughout Jammu Kashmir. We were in a team of universal travelers with all positive sporting elite attitude. Dr. Bhawana, Bani from Calcutta were with us.
You can easily stay in any hotel with the right room rents. A stay away home is also available after being a paying guest. 
Pahalgam is the most beautiful tourist spot and a worth seeing place in Jammu Kashmir. We had  an unforgettable visit for Jammu and Kashmir for the last year.
Pahalgam is a very beautiful and charming hill station for all, the people as film directors s, producers, thinkers, philosophers, tourists, guides, artists, painters and poets with the mountain trails that run northeast to Amarnath Cave Temple.
The Lidder River runs through the mountain valley and around Pahalgam with scenic beauty.
Being a tourist by car we can visit the outskirts of Pahalgam as
A. Worth seeing places in Outskirts of Pahalgam.
(a).Chandan Wari :  the base camp of Amarnath Yatra. It always remains in news in July August when the Baba Amaranath Yatra starts. Thousands of pilgrims get registered themselves from Pahlagam Chandan Wari.
(b). Aru Valley : 
(c). Betab Valley : The Betab Valley is popular attraction for shooting. Many movies have been shot here. The most scenic and quiet attractions of Kashmir after the shooting location of a film Betab featured by Sunny Deol and Amrita Singh remained a lime light for the travellers.
B. Worth seeing places inside the city Pahalgam
Locally by horse we can visit these five points. Going up to the hills and reaching Mini Switzerland is unforgettable for the travelers.  
(a). Kanimarga a high altitude based meadow.
(b).The Waterfall point.
(c). The Kashmir Valley.
(d). Davyan.
(e). Baisaran or the Mini Switzerland

Editing : Priya Darjeeling
---------------
Theme Travel  : Page : 17 / 4. Rajgir Bihar.
-----------------

Dr. Renu / Ranchi.
 

A trip of Rajgir a city of five hills. 

an evening at Virayatan : Rajgir. photo : Ashok Karan.

As I am a qualified woman and working as H.O.D in a B.Ed. college in Ranchi, so I had applied for some higher posts in Virayatan B.Ed College, Pawapuri, Nalanda distt of Bihar and subsequently got a call to appear in the interview on August 21, 2016. 
To reach there is quite difficult, one has to go the Patna first by train then catch a bus for Bihar Sharif and then you have to go to Rajgir. Or if you catch a bus for Rajgir from Ranchi, then there is no bus for the same. In that case one has to drop at Bihar Sharif highway by 3 am and wait for the day break on the highway to get any vehicle for Rajgir which is 20 kms away. 
So I requested my hubby to solve this problem. After much churning of our brains, lastly we decided to go there by own vehicle a SUV, so we set out early in the morning on that particular day, on way when we reached Rajauli boarder which connects to Bihar and Jharkhand there was massive checking of vehicles. In fact they were checking liquors only, as we came to know that  recently the Bihar Government imposed complete ban on this particular thing. And after that as soon as we entered into Bihar we faced very rough stretch up to Nawada which is 35 kms away, anyhow we reached the venue by 11: 30. 
The venue was selected at Virayatan in Rajgir which is a very beautiful place situated beneath the mountains making the surrounding and its serenity very calm and quiet.
It is made for Jains pilgrims who use to come over there from all over world for paying their obeisance and for worshipping. It is very pious place  neatly maintained. 
It has a canteen where one can get purely vegetarian meals and can get accommodation after paying the rent which is in affordable range. As I was facing the interview board, my hubby moved around and booked a well maintained accommodation in its campus. 
Luckily I got selected in that interview. After finishing my formalities I set out to see the very high quality pictorial view of many incidents of Lord Mahavira life. It is very beautiful place for family to hang out.
After that we took lunch and retired for the day as we had driven about 250 kms continuous and were tired. In the evening we moved around the campus seeing it captivating view we become mesmerized and after that we went to the city which is a small town bubbling with public and there were so many eateries joints so we had some as the environment was cool and we were enjoying the every moment over there.  
Rajgir is very calm and quiet place surrounded by five hills named Ratnagiri, Vipuloachai, Vaibhavagiri, Rongiri and Udaygiri. It is an important Buddhist, Hindu and Jain pilgrimage site. The Rajgir hills also known as “Rajgriha” hills. it lies central regions of the Indian state of Bihar. It was the first seat of power in the ancient kingdom of Magadha. It was the state centre of the power of Mauryan emperors. Historically, Rajgir was also considered one of the place favored by spiritual leaders like Lord Mahavira and Gautam Buddha.
Rajgir means king of mountains. People all over the world also go to see the Shanti Stupa which a peace pagoda of Japanese, situated about 8 kms away from Rajgir railway station. 
Yester year’s legendry film personality Late Devanand also shot his film here in 1969, “Johny Mera Naam” which was a big hit at that time and one of his famous song “O Mere Raja” picturized over there, putting Rajgir on national as well as international map. 
Rajgir is also primarily famous for hot water spring. In winter People from all over the world come there to have bath in that. There are so many places to visit in Rajgir such as 1. Jarasandh Ka Akhara, 2. Naulakha temple, 3. Ancient monuments, 4. Nalanda ruins which is 10 kms away from Rajgir, 5. Jal Mandir Pawapuri which is about 30 kms away. 
Lot of accommodations are available from budgetary to high end. A three star hotel of Ashoka is also available. Presently an international cricket stadium is coming up. People can also enjoy jungle safari and can walk on the Glass Bridge.
In this way, after enjoying the trip and   lot of sweet memories etched deep into mind we came back to Ranchi. I wish everybody to go and enjoy every moment over there.
Dr. Renu.
Editing : Seema Dhawan.



 --------------
Travel / News / Short Reel / you Tube Links : Page 18.
----------------
Selection / Editor.
Vidisha.
New Delhi.
-------------
Bhule Bisre Nagmein.
Courtesy : Facebook.


Short Reel : Songs Sung by eyes.
----------
Courtesy 
Lipika Samanta  on Saxophone.


Tune : Pyar Hamara Amar Rahega 
Courtesy : Bikash Studio. Press the given below link.

----------------

Enjoy watching Pahadi Dances by opening the facebook  lite 

courtesy : Facebook. 
पहाड़ी नृत्य : वफ़ा की मेहंदी रचाऊँगा ये मेरा वादा है. 
Press the below given red link for watching video.
https://www.facebook.com/PahariOfficial/videos/1217097125592091/?mibextid=kgD8tqJhEpGAe4Sj
---------------
Enjoy watching Pahadi Dances by opening the facebook lite .

courtesy : Facebook.  
पहाड़ी नृत्य : जिसे देख मेरा दिल धड़का.  
Press the given below red link for watching video.
------------------

Visit, like and Subscribe the Channel.
Mujhe Bhi Kuch Kehna Hain.


Worth seeing places in Nalanda.
Press the given below red link. 

--------------
Health Tips for these Days : Page : 19. 
---------------
Editor.


Dr. Archana.
Apollo Hospital. Kolkata.
-------------
-------------------
 Medicine of the Day in Homeopathy 18 / 1. for Loo & Sun Stroke.
-------------------
 Dr. Indradeo Kumar / Dr. Sheo Shankar.

Now this Summer is continued with Loo waves. We always brave the extreme loo waves these days being the worst sufferers.
In Homeopathy some medicines are suggestive to us these days by our family Dr. Indradeo.  
a. Gelsemium 30.  works as a preventive medicine for us in these days.
b. Natrum Carb 30. also works as a preventive medicine in loo now a days .
Dose : Alternate days  alternate medicine. Start with Gelsemium 30  
3 drops for 2 or 3 times in a day Morning, Afternoon. Evening.
Another day Start with Natrum Carb  30 
3 drops for 2 or 3 times in a day Morning, Afternoon. Evening.  
Duration : for  7 days will keep safety for a week. Continue it for one week.
if sun or heat stroke affects the patient then there will be a little change in the medicine.
c. Glonoine.
 30.  
Dose : 4 times  2 drops 
d. Belladonna. 30  
Dose : 4 times  2 drops  
It works after the sun stroke suffered persons.
Dose : 3 times in a day if continues for 2 or 3 days.
Advice : Take plenty of  water, fruits,ORS Solutions, Glucose,
Avoid exposure of  direct sun if going outside covering  your face is must. 
Note : It is only a suggestion for the patient who had a call with us. You are sternly suggested  always be in touch with your doctor It is only the first suggestive aid. 

------------
You Said It. Page 20.
-------------
Editor.


Archana Phull. Shimla.
----------
"..Be a rainbow in someone's cloud.."
----------------

Ekla Chlo Re.


Prof. K. N. Deivedi. BHU.
Courtesy : Photo : Buddahm Sharanam Gachchhami.
--------------
Punit Sharma. Mumbai.
This is an online show PREMIER today at 7:45 pm.. You can visit  this link enjoy live music.

 Press the given link.
---------
Punit Sharma. Mumbai.
presents Full Show Sampada Goswami  & Alok Katdare.

Press the given link.
 https://youtu.be/axLB-94DyeI


Comments

  1. It is a worth reading page,everyone can visit this blog

    ReplyDelete
  2. This is my favourite song. Very nice. Thank you M. S. Media team.

    ReplyDelete
  3. This is really a good beginning.People of other parts of our country will be acquainted with the history of Nalanda and other historical places.

    ReplyDelete
  4. मनभावन यात्रा- वृतांत

    ReplyDelete
  5. This is really a worth reading platform. Those who love traveling must read this blog page. Here they can get much information about different places and most importantly the hill stations... Thanks a lot joint media houses for your efforts.

    ReplyDelete
  6. Amazing posts... Keep posting

    ReplyDelete
  7. Amazing posts... Keep posting

    ReplyDelete
  8. The photo gallery of this section is too much attractive

    ReplyDelete
  9. Excellent travelogue discription. Please keep it up.

    ReplyDelete
  10. It's a too fabulous blog magazine page.Thanks to joint media houses team.Adv Nisha

    ReplyDelete
  11. Very beautiful composed blog and editing job was done perfectly.
    TRINKA Sinha
    Asansol , West Bengal

    ReplyDelete
  12. Very nice blog and going through it gives lots of pleasure and knowledge.

    ReplyDelete
  13. It is a nice page. Every one should go through it

    ReplyDelete
  14. It is a worth reading page.thanks editors

    ReplyDelete
  15. It is a nice page

    ReplyDelete
  16. I went through this page. It is a very nice page.

    ReplyDelete
  17. It is a nice blog page

    ReplyDelete
  18. I like to visit this page

    ReplyDelete

Post a Comment

Don't put any spam comment over the blog.

Popular posts from this blog

Talk of the Day : Our Town Education.

Home Assignment : Vacation. Class 9

Home Assignment : Vacation. Class 10.