Khelenge Ham Holi : Aai Jhum ke Basant

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कृण्वन्तो विश्वमार्यम. 
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Khelenge Ham Holi  : Aai Jhum Ke Basant.  
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A Live / Archive  Blog Magzine Page.
Khelnge Ham Holi  : Festival Page.
Volume 1.Series 2. 
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बसंत, प्यार और हो-ली. 
खेलेंगे हम होली. 
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आवरण पृष्ठ : ० 

खेलेंगे हम होली : आवरण पृष्ठ सज्जा  : विदिशा .

हिंदी अनुभाग.

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विषय फोटो : पृष्ठ : ० 
संपादन. 

अशोक कर्ण. 
पूर्व हिंदुस्तान टाइम्स स्टाफ फोटोग्राफर. 

महाशिवरात्रि में काशी विश्वनाथ की शोभा : साभार : पुण्डरीक : वाराणसी.  
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विषय सूची : पृष्ठ ०. 
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संपादन / संकलन.


अनीता.जब्बलपुर. 
मध्यप्रदेश. 
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आवरण पृष्ठ : ० 
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ये जीवन है. सुविचार. 


साधु से ज्ञान लें.  
मनोज कुमार पांडेय. संपादक. नैनीताल.
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आवरण पृष्ठ : ०. 
विषय फोटो : संपादन.अशोक कर्ण.रांची.पृष्ठ : ०
विषय : सुविचार. संपादन. अनीता.जब्बलपुर.पृष्ठ : ० 
 शुभकामनायें : आभार पृष्ठ : संपादन.स्मिता. पटना.पृष्ठ : ० 
मॉर्निंग पोस्ट : संपादन.डॉ.रंजना. नालंदा.पृष्ठ : १.  
आज की पाती : संपादन.मानसी.नैनीताल.पृष्ठ : १.  
जीने की राह : संपादन.रश्मि.कोलकोता.पृष्ठ : १ 
आज का गीत : संपादन. प्रिया.दार्जलिंग.पृष्ठ : १. 
मेरी अनुभूति : संपादन.रंजीता.नेपाल.पृष्ठ : १. 
छोटी सी बात : संपादन.तनु.नैनीताल.पृष्ठ :१.
आज की कृति .संपादन.अनुभूति सिन्हा.शिमला.पृष्ठ : १.
सम्पादकीय : पृष्ठ : २. 
थीम पृष्ठ : बसंत / प्यार.
संपादन.राजेश.पृष्ठ : ३. 
कही अनकही : संपादन. डॉ.सुनीता रंजीता.नैनीताल.पृष्ठ : ४.   
फोटो दीर्घा : संपादन.डॉ.भावना अनीता.मध्य प्रदेश.पृष्ठ : ५. 
कला दीर्घा संपादन.मंजीत.नई दिल्ली.पृष्ठ : ६. 
 सीपियाँ : मैं का से कहूं : संपादन.कंचन.नैनीताल.पृष्ठ : ७.
व्यंग्य चित्र. आज कल : संपादन.तनुश्री सान्याल.नैनीताल.पृष्ठ : ८. 
कतरनें : ख़बरों की.संपादन.वनिता.पटना.पृष्ठ : ९. 
आपने कहा. संपादन. सुमन.नई दिल्लीपृष्ठ १०. 
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Bizeal Cakes wishing you a colourful festival : Vivek.

    शुभकामनायें : पृष्ठ ०   
संकलन / संपादन.


स्मिता.न्यूज़ एंकर. 
पटना.
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शुभकामनायें : पृष्ठ ० 

महाशिवरात्रि की : १८ फरवरी.
फोटो : साभार. 
टीम मिडिया की तरफ से महाशिवरात्रि की : हार्दिक शुभकामनायें. 
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श्रद्धांजलि. पृष्ठ ० 
पुलवामा के शहीदों को : १४ फरवरी.     


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आज का आभार / 
सहयोग .पृष्ठ ०. 
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निर्माण / संरक्षण.


डॉ.सुनील कुमार
शिशु रोग विशेषज्ञ. नालंदा. 
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हम आपके सहयोग के लिए आपका 
हार्दिक आभार प्रगट करते हैं. 

अच्छा तो हम चलते हैं 

 

मिलते है अगले दिन होली के रंगों के साथ.  

वनिता ( एम. एस. मीडिया. को ऑर्डिनेटर )
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 सुबह और शाम की पोस्ट : पृष्ठ ०.
आलेख.  
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संपादन / संकलन.


डॉ. रंजना.  
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ममता हॉस्पिटल की तरफ़ से आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं. 

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प्रेम मोह और भक्ति के बीच की अवस्था है.


आलेख.
नीलम पांडेय.वाराणसी.  

बसंत ऋतु का आगमन प्रकृति में व्याप्त वह संजीवनी बूटी है जो उस प्रेममय ऊर्जा की ओर संकेत करती है किसका अनुभव सृष्टि की सबसे श्रेष्ठ अनुभूति है। सौन्दर्य मनुष्य के व्यक्तित्व को प्रभावित करता है, और प्रेम उस सौन्दर्य में समाया रहता है। प्रेम में आसक्ति होती है। यदि आसक्ति न हो तो प्रेम प्रेम न रहकर केवल भक्ति हो जाती है।
प्रेम मोह और भक्ति के बीच की अवस्था है। प्रेम के फूल जिसके पास भी बरसते हैं, वही सम्राट हो जाता है। गोपियों के श्री कृष्ण प्रेम की एक झलक श्रीमद् भागवत महापुराण में देखिए -

अटति यद् भवानह्नि कानने, त्रुटिर्युगायते त्वामपश्यताम्।
कुटिल कुन्तलं च श्रीमुखं च ते, जड़ उदीक्षतां पक्ष्मकृद् दृशाम्। 

भाग  १०.३१.१५ दर्शन करती हुई गोपियाँ “ ओ श्यामसुंदर ! जब तुम सुबह गायों को चराने जाते हो तो तुम्हारी दिव्य छवि को निहार कर तुम्हारे दर्शन की प्यास को शांत करते हैं। तुम्हारी उस अति सुंदर दिव्य छवि को मन में बसा कर किसी प्रकार दिन व्यतीत करते हैं । गौचारण के उपरांत तुम्हारे वन से लौटने वाली 
फोटो : साभार 
छवि के दर्शन की लालसा में एक-एक क्षण युग के समान व्यतीत होता है । 
जब तुम सयंकाल को वापस आते हो तो हम तुम्हारे अत्यंत मनोहर मुख कमल व घुँघराली अलकावली का रसपान करते नहीं अघाते । 
किंतु हमें ब्रह्मा पर क्रोध आता है कि पूरे शरीर में केवल दो ही आंखें बनाई और  उन आँखों पर  पलक बना दी जो कि लगातार झपकती है । ब्रह्मा ने इस बात पर विचार ही नहीं किया कि ये पलकें तुम्हारे दर्शनों का सुख प्राप्त करने में बाधा हैं । " 
गोपियों के अतिशय  प्रेम की इस अवस्था की कल्पना कौन कर सकता है ?
प्रेम या प्यार  एसा शब्द है जिसका नाम सुनकर ही हमें अच्छा महसूस होने लगता है, इस शब्द में वो एहसास है जिसे हम कभी नहीं खोना चाहते। इस शब्द में ऐसी पॉजिटिव एनर्जी है जो हमें मानसिक और आंतरिक खुशी प्रदान करती है। कभी कभी कष्टदेय भी होती है ......।


प्रेम समर्पण का नाम है.
तेरी मेरी कहानी.
 
तो यह है 'प्रेम' जहां कि सबकुछ समाप्त हो जाने के बाद भी जो कुछ बचा रहता है वही देने के लिए तत्परता है। यही प्रेम है । प्रेम समर्पण का नाम है । त्याग करने का कारण है। अपने प्रिय के लिए कुछ कर के देखें एक सुखद अनुभूति होगी। प्रेम देने मात्र का नाम है लेने का नहीं । हम आजकल बच्चे की तरह का प्रेम करते हैं। हम सिर्फ लेना जानते हैं, देना नहीं । और यही स्वार्थ पूर्ण प्रेम जो बिकाऊ है, प्रेम का सबसे निचला स्तर है। इस स्तर पर पहुंच कर मानव फिर अपनी सारी अस्मिता ही खत्म कर डालता है।
फोटो ; साभार 
बसंत उत्सव प्रेम की वह उर्वर भूमि है जहां सृष्टि का प्रत्येक जीव आनंद की चरम-सीमा तक पहुंच सकता है। प्रेम की अनुभूति हर कोई नहीं कर सकता तभी तो कहा गया है :-
प्रेम न बाड़ी उपजे, प्रेम ना हाट बिकाए,
राजा परजा जेहि रुचे, सीस देई ले जाए.

मैंने इक कथा पढ़ी थी एक बच्चे से एक वृक्ष को प्रेम हो गया वह बच्चा रोज उसके नीचे आकर खेलता। वृक्ष काफी खुश होता। वह  जब भी बच्चे कोअपने पास पाता ,उसके सुख का सुख की कोई सीमा नहीं होती। वह खुशी में डूबा रहता । बच्चा उस वृक्ष के नीचे काफी समय बिताता। वह अपने छोटे हाथों से वृक्ष की टहनियों  को पकड़ने की चेष्टा करता और जब वह पकड़ नहीं पाता वृक्ष अपनी टहनी झुका लेता और जब बच्चा उसकी टहनी से झूलता तो उसे अपूर्व आनंद का अनुभव होता  धीरे-धीरे समय बीतता गया वह बच्चा बड़ा होता गया ।
अब वह पहले से भी ज्यादा समय वृक्ष के नीचे बिताता । उस पेड़ पर चढ़ता, फलों को तोड़ता फूल से खेलता। कभी-कभी उस फूल का मुकुट बनाकर  राजा बन बैठता । वृक्ष जब यह सब देखता है तो उसे मन ही मन अपूर्वानंद की प्राप्ति होती। किंतु समय के साथ साथ वह बच्चा बड़ा और बड़ा हुआ और फिर उसे पढ़ाई के सिलसिले में बाहर जाना पड़ा। अब वृक्ष और बच्चे के बीच मिलने की का जो समय था वह काफी लंबा होता गया ।लेकिन जब कभी भी वह बच्चा वृक्ष के नीचे आकर बैठता या उसके पास से गुजरता तो उस बच्चे के के पास से गुजरती हवा वृक्ष को आनंद विभोर कर देती ।
बच्चा और बड़ा हुआ । काम के सिलसिले में उसे दूर जाना पड़ा। वह पैसे कमाने, जीवन को अच्छा बनाने के चक्कर में पड़ा तो फिर वृक्ष से मिलने का समय और लंबा हो गया। धीरे-धीरे वर्ष बीत गए जब वहां आया तो वृक्ष ने कहा कि मैं तुम्हारा साथ चाहता हूं तुम्हारी प्रतीक्षा करता हूं और जब तुम मेरे पास कुछ पल के लिए आ जाते हो तो मुझे उस सुख का अनुभव होता है जो कहीं और प्राप्त नहीं हो पाता। किंतु बच्चा तो अब पैसा कमाने की होड़ में था । पेड़ से या उसकी भावनाओं को समझने से बिल्कुल परे था। धीरे-धीरे समय 
फोटो ; साभार 
बीतता गया और फिर एक समय ऐसा आया जब वह बच्चा गांव वापस आया । 
एक दिन पेड़ के नीचे बैठा, काफी चिंतित था। वृक्ष ने उससे पूछा कि क्या मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं ? तब उसे उसने कहा कि मुझे घर बनाना है और इसके लिए बहुत सारी लकड़ी चाहिए । पेड़ ने अपने कहा कि मेरी टहनियां काट लो और तुम अपना घर बना लो। बच्चे ने टहनिया काट डाली। अपने घर में लगाए तब भी वृक्ष खुश था कि वह किसी न किसी तरह से उस बच्चे के काम आया । 
समय बीतता गया और फिर एक दिन वह लड़का उस पेड़ के नीचे बैठा काफी चिंतित दिख रहा था। पेड़ ने कहा कि तुम इतने चिंतित क्यों हो? क्या मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकता हूं? तब उस लड़के ने कहा कि मुझे दूर देश जाना है जहां जाने के लिए मुझे एक नाव चाहिए । वृक्ष ने कहा कि मेरे तने को तुम काट लो और उससे नाव बना लो ।और फिर लड़के ने ऐसा ही किया उस वृक्ष के तने से नाव बनाए और दूर देश चला गया ,पैसे कमाने। अब एक छोटा सा पेड़ बन के रह गया था वह वृक्ष । 
समय बीतता गया बच्चा वृद्ध हो गया । और फिर एक समय ऐसा आया जब वह उस पेड़ के नीचे आकर रूका तो उसने देखा कि अब तो पेड़ के पास कुछ भी नहीं है। फिर भी पेड़ ने कहा क्या मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकता हूं ? 
तो यह है 'प्रेम' जहां कि सबकुछ समाप्त हो जाने के बाद भी जो कुछ बचा रहता है वही देने के लिए तत्परता है। यही प्रेम है । प्रेम समर्पण का नाम है । लेने का नहीं ।

संपादन /  डॉ. मधुप.   


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 बसंत और फ़लसफ़ा प्यार का. आलेख.  
 डॉ.मधुप रमण.


फिल्म : बालिका बधू.१९७६. 
सितारें : सचिन .रजनी शर्मा.
गाना : बड़े अच्छे लगते हैं 
गीत :  आंनद बख़्शी संगीत : आर. डी. वर्मन.  गायक : अमित कुमार   
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बड़े अच्छे लगते है..ये धरती..ये नदियां..ये रैना और तुम. 

बड़े अच्छे लगते है.... ,ये धरती,ये नदियां, ये रैना और तुम.....

प्रेम एक सम्यक सोच है जो सम्यक कर्म के लिए प्रेरित करता है। यह अनमोल , पवित्र विचारधाराओं का संकलन  है जो हम सभी के अन्तः मन में  यथा समय अनुसार सदैव पनपता रहता है। यथार्थ है कि इसके लिए कोई सीमा नहीं होती। न जाति का, न जन्म का , न उम्र का। यह शाश्वत है। सम्यक कर्मसम्यक सोच तथा सम्यक भावना ही मुझे प्रेम की अनुभूति करवाती है। तत्पश्चात मैं पर हित के लिए प्रेरित होता हूँ। मैं अन्तःमन के वारिधि में उठने वाले मन की वर्चियों के लिए सबसे ज्यादा सम्यक साथ को ही इसके मूल में पाता हूँ। 
इसलिए मैंने सदैव ईश्वर से प्रार्थना की है मुझे इस धरा के सर्वश्रेष्ठ कारक तत्वों के संपर्क में रहने का अवसर प्रदान करों । मैं व्यक्तिवादी हूँ सामाजिक नहीं। सर्वश्रेष्ठ व्यक्तियों से निर्मित समाज की मैं कल्पना करता हूँ। 
मुझे प्यार है प्रकृति से, ईश्वर की बनाई गयी कृति से,मानव की कलाकृति से। मुझे हर तरफ़ अच्छी दिखने वाली खूबसूरत चीजों से प्यार है। बुद्ध के अष्टांगिक सम्यक मार्ग में विश्वास रखने वाला एक साधारण प्राणी हूँ। सम्यक कर्म, सम्यक सोच तथा सम्यक भावना में विश्वास रखता हूँ। प्यार एक सकारात्मक सोच है जहां भावना के भीतर रचनात्मक संसार के लिए आप संवेदनशील होते हैं। यह वो पल हैं जब सब कुछ बड़े अच्छे लगने लगते हैं।
साल १९७६ में  फ़िल्म निर्माता शक्ति सामंत,तथा बंगाली निर्देशक तरुण मजूमदार निर्देशित एक उम्दा फ़िल्म आयी थी बालिका बधू जिसमें सचिन और नवोदिता रजनी शर्मा अभिनय करते दिखे थे। इस फिल्म में  किशोर कुमार के पुत्र अमित कुमार का गाया हुआ का एक गाना बहुत ही लोकप्रिय और कर्णप्रिय हुआ था।
मुझे हर पल याद आता है, वह गाना था। 
तब के बिनाका गीत माला में भी ख़ूब बजता था '...बड़े अच्छे लगते है..,ये धरती ये नदियां ये रैना और तुम...इस गाने की सार्थकता,मैं अपनी एकांत,अनबूझी जिंदगी के फ़लक में खोजता हूँ। कभी भीड़ से घिरे लेकिन अपने अकेलपन की इस तन्हाई में अक़्सर मेरे दिल में ये ख्याल आता है कि मुझे भी बड़े अच्छे लगते है ...
ये धरती जो किंचित मेरी हो,प्रकृति तथा पर्यावरण प्रेमी होने की बजह से शायद कहीं किसी हिमाचल की पहाड़ी स्थित चम्बे दा गांव में हो। या फिर नैनीताल की पहाड़ियों में जहां बादल झूम के चलते हुए जमीन को चूमते हुए चलते हो। 
जहां शोर और संस्कृति में प्रदूषण नाम की चीज न हो। लगाव हो ,सादगी हो ,समर्पण हो,अपने भारतीय संस्कार हो,छल प्रपंच की लेश मात्र जग़ह न हो। जहां सीधे साधे लोग बसते हो। ये नदियां निःसंदेह हिमालय की गोद से निःसृत होती, बल खाती नदियों यथा गंगा ,यमुना,तिस्तारावी,ब्यास ,झेलम ,चिनाब ,तथा सतलुज, दरियां  का पानी भी मन को खूब भाता है। हमने अपने विविध भारतीय लोक संस्कृति को पनपते देखा। जोड़ने वाली इसके पानी में ही प्यार,समर्पण ,जन हित का भाव है, हमारी सहिष्णु , सनातनी देव सभ्यता की झलक हैं,गति है । सदियों से ये नदियां हमारी सभ्यता संस्कृति की पर्याय रहीं है को सींचती आयी है.....
 
पढ़े गतांक से आगे. १   
फ़लसफ़ा प्यार का तुम क्या जानो..


प्रेम शब्द ही व्यापक है। संकुचित नहीं किया जा सकता है। सकारात्मक सोच ही प्रेम है और यह बिना बाधा के जन्म लेता है । सोचें , भला कौन रोक सकता है आप को आपकी कल्पना में उड़ान भरने से। कोई तो नहीं न ? 
कौन जान सकता है कि आप इस पल क्या सोच रहें हैं, अगले पल क्या सोचेंगे ? चोरी चोरी तो कुछ भी अपने ह्रदय में  ,कोई भी , किसी के लिए भी ख़्याल जन्म ले सकता हैं न । आप सब के साथ रहते हुए भी कहीं और होते हैं। भीड़ में अकेले होते हैं। कभी हंसते है तो कभी पल भर में कुछ ख़्याल कर उदास हो जाते है। कह सकते है कि आप हद से ज्यादा भावुक है और दिल है कि मानता नहीं। आप किसी के लिए निरंतर कुछ अच्छा करने के लिए विवश हो जाते हैं। यहीं प्रेम है। हा यहीं प्रेम है 
जो हर किसी के मन में मन के भीतर बतौर अनकही कहानी की तरह राज बनकर उसकी मौत के साथ दफ़न हो जाता है। 
अंतर्मन में पनपने वाला एक मधुर एहसास है जो जीवन के अवसाद और निराशा के सूने रेगिस्तान में मरुद्यान की भांति आहिस्ता आहिस्ता विकसित होता है । आपके जीवन से कष्टों का निवारण करता है। आपको ख़ुश रखता है। 
यदि आप लेखक,कवि, फ़िल्मकार और कलाकार है तो आपमें रचनात्मक प्रवृतियां जन्म लेंगी। काल ,उम्र, जीवन की सीमा से परे मेरे एकाकी जीवन में यह अहसास मुझे प्रारंभ से पेंटिंग,कविता,कहानी तथा लेखन ,फोटोग्राफी तथा यात्रा वृतांत से जुड़ी छोटी छोटी फिल्म के निर्माण के लिए प्रेरित करता रहा । इसका सीधा सम्बन्ध अच्छा लगने से ही है जो कभी भी हुआ,किसी के साथ हुआ, किसी समय हुआ। मैं अपनी रचनात्मक प्रवृतियों के लिए तहे दिल से उनलोगों के लिए हार्दिक आभार प्रगट करता हूँ जिनके लिए मैं लिखता रहा हूँ । 
मेरा नाम जोकर : सन १९७० में एक फ़िल्म आयी थी। मेरा नाम जोकर। फ़लसफ़ा प्यार का समझना है तो यह फ़िल्म जरुर देखें। यकीन करें हम में से हर किसी की कहानी कहीं न कहीं इससे मिलती जुलती जरूर दिखेगी। बशर्तें हम इस हकीक़त को चोरी चुपके दिल से स्वीकारें। सच लगेगा प्यार हुआ एक बार ही नहीं ,सौ बार हुआ। क्योंकि इस फ़िल्म की नायिका की फ़लसफ़ा की तरह ' जुदा नहीं होंगे तो फिर मिलेंगे कैसे राजू ? हम मिलते रहे बिछड़ते रहे। हर किसी को कोई कभी न कभी बड़े अच्छे लगते है के मीठे एहसास को दिल में संजोए मिला ही है।
शय से प्यार हैं : 
मैंने यह भली भांति अनुभूत किया हैं कि मुझे संसार की हर ख़ूबसूरत दिखने वाली शय से प्यार हैं। हर नेक काम करने वाले बन्दों से इश्क़ हैं। ये पेड़,ये पौधे,ये पत्तें ,ये चेहरें, ये हवाएं मुझे बेहद अच्छे लगते हैं । कभी कभी तो ऐसा लगता है ये जो मन की सीमा रेखा है उसके परे भी मन दौड़ने लगता है। या फिर कहें समाज की बनाई गयी बंदिशें हैं को मन तोड़ने लगता हैं। क्या आपको ऐसा नहीं लगता है कि उल्फ़त में ज़माने की हर रस्म,हर रिवाजों को ठुकरा दे ? मन में स्वयं से जानू ना ,समझू ना जैसे कई सवाल भी खड़े होने लगते हैं। क्या ऐसे वक़्त हालात हमारे वश में होते है। नहीं ना ? लेकिन इन भावों को हम इसे संकुचित और संकीर्ण नहीं कह सकते । 
बड़े अच्छे लगते है : हमें इसके बाद सब बड़े अच्छे लगने लगते है। क्योंकि सम्यक दृष्टिकोण,सम्यक कर्म के लिए मन उतावला होने लगता है। प्यार या प्रेम एक अजन्मा ,अमरणशील एहसास है जो दिमाग से नहीं दिल से पैदा होता है। प्यार अनेक भावनाओं का संगम हैं जिनमें अलग विचारों का समावेश होता है। प्रेम स्नेह से लेकर खुशी की ओर धीरे-धीरे अग्रसर करता है। या एक मजबूत आकर्षण और निजी जुड़ाव  की भावना है जो सब कुछ भूल कर उसके साथ जाने को प्रेरित करती है। शब्दों से परे एक दिली एहसास है जिसे दिल से महसूस किया जा सकता है तथा जिसके बिना हमें अपना जीवन निरर्थक लगता है और हम मृतप्राय हो जाते हैं। और यह एहसास तो हर किसी के दिल में १९७०  में आयी राज कपूर की निर्देशित और
अभिनीत फ़िल्म मेरा नाम जोकर के हर दिल अजीज क़िरदार राजू की तरह ही जिन्दा हैं जो ईमानदारी से हर किसी के साथ दिल से जुड़ा भी, परिस्थिति वश जुदा भी हो गया। माया मेम साब की छाया में तो यह बाल मन हर वक़्त खोया रहा। अक्सर अतीत में जाने कहाँ गए वो दिन की याद करता हूँ और भविष्य के ताने बाने में न जाने आने वाला दिन कैसा होगा सोचता रहता हूँ ? क्योंकि क्या हमसबों को लगता नहीं कि आज फिर जीने की तमन्ना अभी भी शेष है ? यह अनकहा सच  है कि हमारे जीवन के फ़साने में अफ़साने की ग़हरी धुंध है जिसमें हम सभी को फ़ना हो जाना है। लेकिन मेरी भी यह अभिलाषा है कि अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मैं सौ बार जनम लूँ। 
इति शुभ. 
डॉ.मधुप रमण. 
कार्टूनिस्ट, यूटूबर,ब्लॉगर,स्वतंत्र कवि - लेखक.

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संदर्भित. गाना 
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फिल्म : उस्तादों के उस्ताद .
१९७६. 
सितारें : प्रदीप कुमार. शकीला .
गाना : सौ बार जनम लेंगे.  
गीत : असद भोपाली. संगीत : रवि. गायक : रफ़ी    
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संकलन  / संपादन. प्रिया. दार्जलिंग. 
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आज का गीत : जीवन संगीत. पृष्ठ १.
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फिल्म : पगला कही का.१९७०.  
सितारें : शम्मी कपूर, आशा पारेख 
गाना : तुम मुझे यू भुला न पाओगे. 
गीत : हसरत जय पूरी. संगीत : शंकर जयकिशन. गायक : रफ़ी.
 
simply  press the given video link.
https://www.youtube.com/watch?v=kaThNEq6FzU

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फ़िल्म : राजा और रंक. १९६८  
सितारें : संजीव कुमार.नाजिमा. कुमकुम. 
गाना : संग बसंती अंग बसंती. 
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गीत : आनंद बख्शी संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल गायक : रफ़ी.लता.मन्ना डे 
 
https://www.youtube.com/watch?v=ONCh05dpCmM

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 मेरी पसंद :


फिल्म : हसीना मान जाएगी.१९६८.  
सितारें : शशि कपूर. बबीता. 
गाना : चले थे साथ मिल के. 
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गीत : अख़्तर रोमानी.  संगीत : कल्याण जी आनंद जी. गायक : रफ़ी. 

https://www.youtube.com/watch?v=iaTPUj00hUI

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फिल्म : जिस देश में गंगा बहती है.१९६०.  
सितारें : पद्मिनी. राज कपूर. 
गाना : ओ बसंती पवन पागल.

 गीत : शैलेन्द्र. संगीत : शंकर जय किशन.  
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https://www.youtube.com/watch?v=K9Caih79_rs

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फिल्म : दाग .१९६८. 
सितारें : राजेश खन्ना.शर्मिला टैगोर . 
गाना : हम और तुम तुम और हम.  
गीत : साहिर लुधियानवी. संगीत : एस.डी.वर्मन. गायक : किशोर कुमार.
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https://www.youtube.com/watch?v=POzkDD9KF4s

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फिल्म : कन्यादान. १९६८. 
सितारें : शशि कपूर.आशा पारेख. 
गाना : लिखे जो खत तुझे 
गीत : नीरज. संगीत : शंकर जय किशन. गायक : रफ़ी. 
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https://www.youtube.com/watch?v=DRBxROqWOPk

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फिल्म : तेरे घर के सामने. 
सितारें : देव आंनद .नूतन.
 गाना : दिल का भवर करें पुकार.
गीत : हसरत जयपुरी.  संगीत : एस डी वर्मन. गायक : रफ़ी. 
 
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https://www.youtube.com/watch?v=uZ2grmrFxQk

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फिल्म : ज्वेल थीफ.१९६७. 
सितारें : देव आनंद, बैजंती माला.
गाना : दिल पुकारे आ रे आ रे. 
गीत : आनंद बख्शी.  संगीत : एस डी वर्मन. गायक : रफ़ी लता 
 
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https://www.youtube.com/watch?v=w9MxzYWkHDA

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फिल्म : सिलसिला.१९८१.  
सितारें : अमिताभ बच्चन. रेखा 
गाना : नीला आसमां सो गया 
गीत : जावेद अख़्तर.  संगीत : शिव हरि.  गायक : अमिताभ बच्चन.
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https://www.youtube.com/watch?v=Z9tZU5MSvBQ

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फ़िल्म : मिलाप.१९७२.  
सितारें : शत्रुघ्न सिन्हा. रीना रॉय. 
गाना : कई सदियों से कई जन्मों से 
गीत : नक़्श लायलपुरी. संगीत : बृज भूषण. गायक : मुकेश.  

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https://www.youtube.com/watch?v=y2xozlsc6hY

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फिल्म : ख़ामोशी. १९६९. 

सितारें : राजेश खन्ना.वहीदा रहमान. धर्मेंद्र  
गाना : वो शाम कुछ अजीब थी.
गीत : गुलज़ार. संगीत : हेमंत कुमार. गायक : किशोर कुमार.  
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https://www.youtube.com/watch?v=MDXFi3avqo0
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फिल्म : लोफर. १९७३.
सितारें : धर्मेंद्र.मुमताज 
गाना : मैं तेरे इश्क़ में मर जाऊं न कहीं.    
गीत : आंनद बख़्शी. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायिका : लता   
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https://www.youtube.com/watch?v=GFxRXX1STO8
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संकलन / संपादन. प्रिया. दार्जलिंग.

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मेरी पसंद : डॉ.मधुप.
  


फिल्म : चिराग.१९६९ 
सितारें : सुनील दत्त.आशा पारेख.     
गाना : तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है.    
गीत : मजरूह सुल्तानपुरी.संगीत : मदन मोहन. गायक : रफ़ी लता . 
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https://www.youtube.com/watch?v=hD6pJW-CX0E



फिल्म : आन मिलो सजना.१९७०
सितारें : राजेश खन्ना. आशा पारेख. विनोद खन्ना    
गाना : तेरे कारण तेरे कारण 
गीत : आनंद बख़्शी .संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारेलाल. गायक : लता . 
simply press the given below link.
https://www.youtube.com/watch?v=rfTQOOKvroQ

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फिल्म : ब्लैकमेल.१९७३ . 
सितारें : धर्मेंद्र. राखी. शत्रुघ्न सिन्हा   
गाना : पल पल दिल के पार 

simply press the given below link.
गीत : राजेंद्र कृष्ण.संगीत : कल्याण जी आनंद जी. गायक : किशोर कुमार. 
https://www.youtube.com/watch?v=AMuRRXCuy-4

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फिल्म : कच्चे धागे. १९७३
सितारें : विनोद खन्ना. मौसमी चटर्जी. कबीर वेदी  
गाना : हाय हाय एक लड़का मुझको ख़त लिखता है
गीत : आनंद बख़्शी. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायिका : लता . 
simply press the given below link.
https://www.youtube.com/watch?v=igsUJh5_Ur0

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फिल्म : बदलते रिश्तें. १९७८. 
सितारें : जीतेन्द्र. रीना रॉय. ऋषि कपूर  
गाना : मेरी सांसों को जो महका रही हैं 
गीत : अनजान .संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल .गायक : लता. महेंद्र कपूर.
simply press the given below link.
https://www.youtube.com/watch?v=brJmK-nbN7Y

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फिल्म : गाइड. 
सितारें : देवानंद. वहीदा रहमान 
गाना : गाता रहा मेरा दिल. 
गीत : नीरज.संगीत : एस डी वर्मन.गायक : किशोर कुमार. लता.
simply press the given below link. 
  https://www.youtube.com/watch?v=3cvrVYVjESY 

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फिल्म : शर्मीली.१९७१
सितारें : शशि कपूर.राखी 
गाना : खिलते हैं गुल यहाँ 
गीत : नीरज. संगीत : एस डी वर्मन. गायक : किशोर कुमार    

Simply Press the below given link. 
https://www.youtube.com/watch?v=HBgKPyi1aXA

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फिल्म : गाइड .१९६५ 
सितारें : देवानन्द. वहीदा रहमान. 

गाना : आज फिर जीने की तमन्ना है . 
गीत : शैलेन्द्र. संगीत : एस. डी.वर्मन. गायिका  : लता .  
Simply Press the below given link.
https://www.youtube.com/watch?v=BpLyDTEw3Z4

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फिल्म : जीने की राह. १९६९ .
सितारें : जीतेन्द्र. तनुजा. 
गाना : आने से उसके आये बहार . 
गीत : आंनद बख्शीसंगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायक : रफ़ी.  
Simply Press the below given link.
https://www.youtube.com/watch?v=TkAglmfFbmY

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फिल्म : उस्तादों के उस्ताद .१९६३. 
सितारें : प्रदीप कुमार.
शकीला. अशोक कुमार 
गाना :
सौ बार जनम लेंगे.  
गीत : असद भोपाली. संगीत : रवि. गायक : रफ़ी    
Simply Press the below given link. 

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फिल्म : ममता . १९६६ .
सितारें : अशोक कुमार .सुचित्रा सेन .धर्मेंद्र  
गाना : रहें न रहें हम . 
गीत : मजरूह सुल्तानपुरी 
पुरीसंगीत : रौशन . गायिका : लता. सुमन कल्याणपुर   
Simply Press the below given New link.
https://www.youtube.com/watch?v=BDAyzXC-ayE

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फिल्म : दुनिया. १९६८.
सितारें : देवानन्द. वैजयन्ती माला. 
गाना : फ़लसफ़ा प्यार का तुम क्या जानो. 
गीत : 
हसरत जयपुरीसंगीत : शंकर जय किशन. गायक : रफ़ी  
Simply Press the below given link.
https://www.youtube.com/watch?v=g8t76WtSNIY

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फिल्म : जीने की राह. १९६९ .
सितारें : जीतेन्द्र. तनुजा. 
गाना : आप मुझे अच्छे लगने लगे. 
गीत : आंनद बख्शीसंगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायिका : लता 
Simply Press the below given link.
https://www.youtube.com/watch?v=VHVgbsVdPZM

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फिल्म : आज और कल .१९६३.
सितारें : सुनील दत्त. नंदा. तनुजा 
गाना : ये वादियां ये फिजाएं बुला रहीं हैं तुम्हें. 
गीत : साहिर लुधियानवी. संगीत : रवि. गायक : रफ़ी.
Simply Press the below given link.
https://www.youtube.com/watch?v=M1l52x3wXYw
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फिल्म : उपकार. १९६७.
सितारें : मनोज कुमार.आशा पारेख.  
गाना : आयी झूम के बसंत.  
गीत : प्रेम धवन. संगीत : 
कल्याण जी आनंद. गायक : महेंद्र कपूर.
Simply Press the below given link.
https://www.youtube.com/watch?v=8Fcrweiz3wk
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संकलन / संपादन.


प्रिया. दार्जलिंग. 
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जीने की राह .पेज : १ 
संपादन / संकलन. 



रश्मि. 
कोलकोता. 


तुम्हारे लिए.
 

 आपबीती : ट्वीट ऑफ़ द डे   
एम. एस. मिडिया. पेज : १  
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ना में  हां   
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ना कहें या न।  एक ही है। कहते है न , जिसने ना में जीना सीख लिया उसने सही में इस दुनियां में हां में रहना सीख लिया। गैरों,या कहें दूसरों से ना सुनने के तो हम आदी हो सकते हैं। हम ज्यादा प्रभावित भी होते नहीं। क्योंकि दिल से नहीं लेते है। लेकिन अपनों से एकदम से सपाट न सुनना अस्थिर कर देता है।आदतन ना की लय जिंदगी के हाँ की लत को झकझोर देती ही हैं। सपनों का यथार्थ धरातल यही है। 
हम सबों को अपनों से जो हां की सुंनने की जो आदत होती है उनके न से परेशानी हो सकती है।
मगर भूले नहीं यहीं जीवन है। आप न के लिए भी तैयार रहें।आप यह मान के चलें कि आपने सही समझते हुए ही प्रयास किया,और कहा। जवाब न का मिला। याद रखें अपने सही सुझाव दिया। नहीं सामने आया। कोई बात नहीं। भूल जाए उस  को। फिर कभी फिर सही। गीता का सार ही समझ लें..शायद जो हुआ वो सही था। 
दोनों की अलग अलग अपेक्षाएं हो सकती हैं। स्वाभाविक हो कि उनकी अपेक्षाएं में आपकी उपेक्षा हो गयी हो। उनका अपना भी कुछ नजरियां हो सकता है। सोच भी अपने हिसाब से ही। दूसरी तरफ भी जा कर सोचें। लेकिन हम दोनों पक्षों की तरफ से सोचें तो हमें शीघ्र हाँ सुनने और जवाबकर्ता की तरफ़ से न कहने की क्या जल्दबाजी नहीं होती है ? होती है न । 
शायद इससे बचा जा सकता है। देखते है ,सोचते है .. जैसे उत्तर की संभावनाओं में भी देर से होने वाले न या कहें हाँ की खूबसूरती ही छिपी हो सकती है। 
क्या संभव जो कब, किस समय उसने जो ' न ' कहा वह आपके हाँ में ही तब्दील हो जाए ...और आप को उनके ना में ही इस जीवन का हाँ ढूंढना है।
हालांकि शीघ्रता में ' ना ' कहने वाले भी कभी सोचते है, पछताते भी है, विचार भी करते है कि कहीं हमने सुनने कहने में जल्दबाजी तो नहीं कर दी। ऐसी परिस्थिति में फैसले बदले भी जा सकते हैं। सही जीने के माने भी यही हैं। 

आगे भी जारी.. 
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संवाद . 
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संवाद एक अहम चीज है। इसे सदैव मेरे अपनों के लिए जारी रखें। संवाद विहीनता की स्थिति कभी भी न आने दें।  रोज की बातचीत से संबंधों में  मधुरिमा आती  है। अच्छी बातों के लिए प्रशंसा करना भी संवाद
क़ायम करना ही होता है। याद रहे जिंदगी फलसफा के साथ हक़ीक़त में भी जी जाती  है। यह हमें  सरसता के साथ जोड़ता है। निहायत ही अपनों के लिए संवाद बनाए रखने में कभी भी अहम नहीं रखना चाहिए  कि बात चीत का दायित्व सामने वाले पर ही है । अपनों के लिए सबको कभी कभी अपनी तरफ़ से पहल जारी ही रखनी चाहिए। यदि आपने संबंधों को परख लिया है, द्वैत संबंधों में गहरी सूझ बूझ है तो खूब बातें करें। समय निकालें, कहीं पर्यटन के लिए आप बाहर पहाड़ों या मनभावन जगहों के सैर के लिए जा सकते हैं। इससे जीवन की नीरसता से आप बाहर निकलेंगें  रचनात्मक पहलुओं के लिए किए गए संवाद के निमित  आप व्हाट्स अप, फेस बुक, ब्लॉग पेज के माध्यम से आपस में  डिजिटल सहयोग कर सकते हैं। 
त्योहारों के लिए की गई शुभकामनाएं, जन्म दिन के लिए कहे गए शब्द आपके लिए अमृत वचन है। संकोच न करें बेहद अपनों के लिए तो आप इतना तो कह सकते ही  है न ?
अपने परखे, विश्वसनीय, समझे सुलझे सम्बन्घों के लिए संवाद संचार माध्यम को कहीं से भी बाधित न होने दें चाहे वो फ़ोन कॉल्स हो या फिर  व्हाट्स अप का माध्यम. यदि आपने कोई कॉल मिस्ड किया तो कोई बात नहीं समय होने पर प्रत्युत्तर जरूर देना चाहिए.  

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सर्व प्रिय. 
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सबसे अच्छा मित्र, प्रिय, दिल से वह है जो आपका सबसे बेहतर  हमराज हो और आप दोनों एक दूसरें में अटूट विश्वास रखते हो। हालांकि अपने जज्वात अपने भीतर ही रखने चाहिए क्योंकि जो भी बातें आप कह देतें हैं वो आपके अधिकार में नहीं रह जाता है। इसलिए सोच समझ कर ही अपनी बातें कहनी चाहिए। वह जो आपके प्रेम और भावनाओं का अनमोल संरक्षक हो,आपकी निजता का बेहद ख़्याल रखता हो आपके मान - सम्मान के लिए पल प्रति पल सचेत हो।आपके - उसके बुरे वक़्त में आपस के हर राज को अपने सीने में दफ़न कर लेता हो। यकीन मानिए आपके लिए वो एक बेहतर इंसान है निश्चित ही वह आपसे बेइंतहां इज्जत और मुहब्बत करता हैं। गलती से अपनी जिंदगी से उसे कभी जाने मत दीजिए। 
वो जो आप के सकारात्मक कार्य के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रसंशा करता हो और आपकी गलतियों को व्यक्तिगत तौर से निहायत ही अपनेपन और एकांत में समझाता हो, सुधार के लिए सुझाव देता हो, समझ लेना वह तुम्हारे हृदय में रहता है। तुम्हें दुनिया का सर्वश्रेष्ठ इंसान मिल गया। और तब अपने आप को भाग्यशाली समझें।
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सम्बन्ध.
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सबसे पहले अपने नेक और बेहतर रिश्तों पर भरोसा रखें। बेहतर लोगों के साथ जुड़ें। गहराई से देखने मात्र समाज में या कहें आम जीवन में सगे - संबंधियों, अपने पराए के साथ  किए गए आचरण से ही व्यक्ति विशेष का अंदाजा बड़ी सुगमता से लगाया जा सकता है। स्वयं की देखी, कही सुनी,समझी  बातों पर ही केवल यकीन करें। सदैव सच की ख़ोज में रहें। रिश्तें वैसे ही बनाए जो भरोसे के लायक हो सुख दुःख से समभाव में आपका साथ दे सकें । क्रोध को आपसी संबंधों में स्थान न लेने दें। अफ़वाहों पर ध्यान न दें। परस्पर के पसंद नापसंद का ख़्याल रखें। अपने विश्वसनीय स्वयं के अर्जित परखे हुए संबंधों के लिए सदैव, आश्वश्त रहें। शांत, निर्भीक, एकाकी तथा  विवेकशील बनें। अपने द्वैत संबंधों को लेकर हमेशा सचेतसंयमितसंतुलित, सचेष्ट और संवेदनशील रहें आपके सम्बन्ध निर्विवादतः सदैव संरक्षित रहेंगें। ऐसा मेरा मानना है।  

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विश्वास, आस्था और शक्ति . 
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आस्था और विश्वास स्वयं की बात होती है. याद है मैंने नारी शक्ति यथार्थ आपको शक्ति स्वरूपा माना है, कभी कहा भी है। और आपमें अटूट विश्वास रखता हूँ। मैं समझता हूँ मैं केवल आपका शरणार्थी हूँ मात्र। आप मुझे जैसे रखो। आप शक्ति बन कर सदैव साथ भी रहीं। रक्षा का कारण बनी। जब भी मैं संकट में रहा, कुछ चीजें भूल गया, मैंने अपनी त्रि शक्तियों को याद किया। भूली चीजें मिल गयी और आश्चर्य..मैं रक्षित हुआ..मेरे संकट दूर भी हो गए। विश्वास यहाँ आस्था का है, और शायद संयोग का भी। शायद जब कभी भी अकेले सफ़र के लिए निकलता हूँ तो मेरे रास्तें की सुरक्षा आप कर रहीं होती हैं ऐसा मेरा मानना है । आप मेरी रक्षाकवच हैं यह मेरी अनुभूति है। 


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मेरी अनुभूति : मेरे एहसास : पृष्ठ १.
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संपादन / संकलन.


रंजीता.
वीरगंज, नेपाल. 

जब कभी सुनोगे गीत मेरे  : कोलाज : डॉ.सुनीता.
संग बसंती अंग बसंती रंग बसंती छा गया : कोलाज : डॉ.सुनीता. 
चले थे साथ मिल के चलेंगे साथ मिल के :कोलाज : डॉ.सुनीता. 
न जा रे ..ना जा ..रोको कोई ओ बसंती पवन पागल :  डॉ.सुनीता.  
हम और तुम तुम और हम : कोलाज : डॉ.सुनीता.  
लिखे जो खत तुझे जो तेरी याद में हजारों रंग के नजारें बन गए  : डॉ.सुनीता.  
दिल का भंवर करे पुकार प्यार का राग सुनो :  कोलाज : डॉ.सुनीता.  
दिल पुकारे आ रे आ रे, अभी न जा मेरे साथी : कोलाज : डॉ.सुनीता.  
देखा एक ख़्वाब तो सिलसिले हुए : कोलाज : डॉ.सुनीता.  
कई सदियों से कई जन्मों से तेरे प्यार को तरसे मेरा मन : कोलाज : डॉ.सुनीता.  
वो कल भी पास पास थी ..आज भी क़रीब है :  कोलाज : डॉ.सुनीता. 
    मुझसे नजरें चुराने की कोशिश न कर : कोलाज : डॉ.सुनीता. 
इनके सिवा अब तो कुछ भी मुझको नज़र आता नहीं : कोलाज : डॉ.सुनीता.    
तेरे कारण तेरे कारण सपनों में खो गयी : कोलाज : डॉ.सुनीता.  
यह कैसा रिश्ता है यह कैसा बंधन है  : कोलाज : डॉ.सुनीता.  
तेरा मेरा जनम जनम का रिश्ता हैं : कोलाज : डॉ.सुनीता.
मेरी सांसों को जो महका रही है :  डॉ.सुनीता.
बदले दुनियाँ सारी तुम न बदलना :  डॉ.सुनीता.
खिलते हैं गुल यहाँ खिल के बिखरने को : डॉ.सुनीता.  
आ जा के  खो जाए ख्वाबों  ख्यालों में : डॉ.सुनीता. 
आज फिर जीने की तमन्ना है : डॉ.सुनीता.
आने से उसके आए बहार जाने से उसके जाए बहार : डॉ.सुनीता.
 महका करेंगे बन के कली,बन के सबा बागे-वफ़ा में डॉ.सुनीता.
सौ बार जनम लेंगे सौ बार फ़ना होंगे : डॉ.सुनीता.
फलसफ़ा प्यार का तुम क्या जानों : डॉ.सुनीता.
आप मुझे अच्छे लगने लगे : डॉ.सुनीता.
मेरा कहा न सुनो दिल की बात तो सुन लो : डॉ.सुनीता. 
आयी झूम के बसंत,झूमों संग संग में : डॉ. सुनीता.  
 


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पृष्ठ : १. 
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आज की पाती. 
पृष्ठ १.
संकलन / संपादन.


मानसी.
नैनीताल.
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प्रेम के सात रंग.
डॉ मधुप.  
 
अति लघु कवितायें.
पहली. 

समर्पण. 


 तुम्हारी, 
लरजती आँखों की 
 उठती गिरती पलकों में 
 हमेशा मैंने
केवल ' हां ' ही देखा. 
' न ' कहाँ था ?
बोलो
--------

दूसरी लघु कविता.

साहस.

फोटो : साभार 


घर छोड़ा,
द्वार छोड़ा, 
नाता तोड़ा
 आप से जोड़ा
लो रंग गयी तेरे श्याम रंग में, 
बनकर  मीरा बावली हो गयी मैं,
लो मैं तेरे वास्तें
सब छोड़ के 
गयी मैं. 

--------
 
तीसरी लघु कविता. 

ख़ामोशी.


ज्यादा कुछ कहा नहीं 
कुछ ज़्यादा सुना नहीं, 
हमने पढ़ी सिर्फ़,  
नैनों की भाषा, 
और क़िताबें दिल की


नैनों की भाषा. 

जैसे  पूरे हो गए, 
सारे,अनकहें अरमान,
 धरा पर ही, जैसे
झुक गया हो आसमान.
 ------------ 

चौथी लघु कविता. 

साथ. 


रहें वो हमारे साथ 
ता ज़िन्दगी
हमसफ़र बन कर,  
फिर भी शिकायत रहीं 
ताउम्र उनको, 
कि हम कहाँ उनके साथ थे ?
अब तुम ही बतलाओ,न ?
हम कहाँ थे 
और किसके साथ थे ?
--------
पांचवी लघु कविता. 

ख़्याल.


परवाह इतनी 
तुम्हारी 
कि खुद का वजूद 
भी याद नहीं  
हर पल,
बस एक ही,  
तुम्हारा ख़्याल 
तुम्हारे लिए
कि तुम कहीं भी रहो 
ख़ुश रहो. 
 -------------

छठवीं लघु कविता.

समझ. 

 
स्वर हमारे, 
शब्द तुम्हारे,
दृष्टि हमारी 
दृश्य तुम्हारे, 
वहीं सुनना है,हमें  
जो सुनाओ तुम,
जीत आपकी हो,
हमेशा.   
देखो न !
हम तो 
तुम्हारे लिए ही , 
सिर्फ़ तुमसे 
हम ही हारे.  
------------

सातवीं लघु कविता.

विश्वास.


दिन के उजाले में, 
देखना
वो तुम्हारा ध्रुब तारा 
दिखेगा नहीं.
 घबड़ाना नहीं,
जब कभी शाम होगी, 
फिर रात भी होगी, 
तुम्हारे मन के क्षितिज में, 



वो तेरे आस का 
तारा
सितारा  
मिलेगा वहीं,
स्थिर,उसी दिशा में,
चमकता हुआ, 
दिशा बतलाता हुआ,
था, है और रहेगा,   
सिर्फ तुम्हारे लिए. 
.    
पुनः सम्पादित
प्रिया : दार्जलिंग. 
----------

सुनो साँवरे.


रेनू शब्दमुखर.
जयपुर.
  
 

न जाने क्यों
नीला रंग मुझे भाता है ? 
असीमित ऊर्जा लाता है ,
आत्मविश्वास की चमक से 
चमकाता है 
और हाँ,आकाश का 
भी नीला होता है,  
सुनो साँवरे !

साभार : फोटो

तुम तो नीले 
साँवरा, नीला,आकाश का विस्तार, 
न जाने क्यों मन को इतना भाता है ?
गतिमान और जीवनदायिनी 
शक्ति प्रदान कर, 
सकारात्मक और स्फूर्त भी रखता है, 
सुकून की हवा से, 
स्फूर्त रख न जाने कहाँ से गहरी,
ऊर्जा प्रदान कर जाता है ?
------------

तुम्ही तुम हो.


मुकम्मल इश्क को 
जुबां कह दूँ तो, 
इतना ही समझना 
तुम्हारे लिए काफी है. 
तुम्ही तुम थे
तुम्ही तुम हो, 


तुम्ही तुम रहोगे
मुझमें हर पल
तुम्हारी यादों की महक ही, 
गुलाब की सी , 
मुझे महकाती है, 
चहकाती है. 

-----------

तुम्हारा साथ.


अपना सामीप्य बिखेरता है 
पता है कैसे ?
हर पल तुम्हारी स्मृतियों   , 
की महक महकती है, 
और जो तुम 
मेरे लिए दुआ का कवच, 
बुनते हो न जिसके भीतर, 
मैं महसूसती हूँ तुम्हारा साथ,

 

तुम्हारा एहसास 
जो मुझमें एक नव स्फूर्ति संचित कर, 
प्राणों में उल्लास भर देता है, 
और उसी से उल्लसित हो, 
सारे गम को तिलांजलि दे, 
मंजिल की ओर अविराम गति से, 
कदम बढ़ाती हुई, 
सोचती जाती हूँ कि, 
तुम्हारे जैसा पाक ह्रदय 
कोई और हो नहीं सकता... 

फोटो : डॉ.मधुप.  

भले ही तुम अलग हो ,
मगर हो तो मुझमें ही ,
हाँ मेरे भीतर हो ,
मेरी हर सांस सांस में ,
मेरे हर रोम रोम में, 
तुमको ही मैं तो पाती हूँ. 
मेरे हर शब्द में, 
हर अहसास में, 
मेरी कविता के हर भाव में ,
सिर्फ तुम तुम हो, 
सच कहूं तो, 
तुम्हारे पाक प्रेम ने, 
मेरे स्नेहिल संसार को रच, 
प्रीत की बंसी के, 
सम्मोहन से बांध लिया. 

 
रेनू शब्दमुखर 
जयपुर  
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कुछ ऐसा रंग बिखेरा है
बसंत ने.


हरियाली और बसंत ने मिल के ,
कुछ ऐसा रंग बिखेरा है.
 भीनी-भीनी खुशबू से जिस के,
भींग उठा है तन - मन मेरा.
संजोए बैठी हूं अब तक,
तुम्हारे दिए गुलाब को मैं,
जिसकी रंगत सिमटी है,
बरस भर के बाद,
कागज़ के पन्नों पर अब भी.
महक उठे हैं सूखे गुलाब फिर से,
 यादों की खुशबू से 
अब भी बहकी जाती हूं.

फोटो : निवेदिता 

बसंत ने हर रंगों में छिपा के रखा है,
 मोह लेने का हुनर कुछ ऐसा.
कि खिल उठे मन का हर कोना,
कुछ बसंती
कुछ गुलाबी सा,
समाने लगा है मुझमें,
तुम्हारे पास होने का अहसास.
ठीक - ठीक वैसा ही, 
 जैसे कल की ही सारी बात हो


नीलम पांडेय.
वाराणसी
-------------
होली गीत. 


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 आज की बात : छोटी सी बात . पृष्ठ १.
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संपादन / संकलन. 


तनुश्री सान्याल. 
नैनीताल. 
--------------
साभार. 

साहस. 
नजरें झुका ली मैंने. 

ख़ामोशी 
---------
आज की कृति . पृष्ठ १.
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अनुभूति सिन्हा.शिमला. 

बनारस के घाट , कलाकृति : अनुभूति सिन्हा . शिमला. 

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Page : 2.
Editorial Page.
link sharable at.
सम्पादकीय. पृष्ठ : २. 
मुख्य  संपादक.
डॉ.मनीष कुमार सिन्हा. 
नई दिल्ली.   


सम्पादकीय पृष्ठ : २. 



कृण्वन्तो विश्वमार्यम.
हम सभी टीम मीडिया सम्पूर्ण विश्व को आर्य बनाने चले.गर्व से कहें कि हम भारतीय हैं.
-------------------
संपादक मंडल 


रवि शंकर शर्मा . संपादक . नैनीताल. 
डॉ. नवीन जोशी.  संपादक . नैनीताल. 
मनोज पांडेय. संपादक . नैनीताल.
अनुपम चौहान. संपादक . लखनऊ .  
डॉ. शैलेन्द्र कुमार सिंह.लेखक.रायपुर. 
-------------
मुख्य सहायक संपादक.  


डॉ. आर. के. दुबे .
--------------


रेनू शब्दमुखर. जयपुर. 
रीता रानी. जमशेदपुर 
-----------
कार्य कारी संपादक 


प्रिया : दार्जलिंग 
डॉ सुनीता सिन्हा. नैनीताल 
अनुभूति सिन्हा : शिमला 
कंचन पंत : नैनीताल 
रंजिता : बीरगंज : नेपाल 
नमिता : रानीखेत 
---------------
संयोजिका 
नीलम पांडेय 
वाराणसी. 


  
------------------
प्रसंग / पृष्ठ : ३.
-------------------
Theme Page 3.
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बसंत / प्यार / होली विशेषांक.पृष्ठ ३. 
लेख.अनुभाग.
संपादक. 

राजेश रंजन वर्मा. 
स्वतंत्र लेखक, हिंदुस्तान. 
©️®️ M.S.Media. 
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आलेख : बसंत / प्यार / होली विशेषांक. पृष्ठ ३ / १. 

फिल्म नदिया के पार में होली की मस्ती का दृश्य 

प्रेम : नाम एक रूप अनेक.


अरूण सिन्हा. कवि,लेखक.
दुमका, झारखण्ड.

प्रेम : नाम एक रूप अनेक. चर्चा प्रेम की हो और श्री राधे कृष्ण की बात न हो तो वह प्रेम हो ही नहीं सकता है। इनके प्रेम में एक साथ लौकिकता और अलौकिकता, भौतिकता और आध्यात्मिकता का बोध होता है। इस प्रेमानुभूति का एक छोटा सा प्रसंग सुनाना चाहता हूँ । एक बार श्री कृष्ण सर की वेदना से पीड़ित थे। कोई औषधि कारगर नहीं हो रही थी। नारद जी को आभास होते ही वहाँ पहुँच गए, नमन किया और कुशलक्षेम जानना चाहा। देवकीनन्दन की बात सुनते ही नारद जी द्रवित होकर बोल उठते हैं, ' हे केशव, आप कहें तो मैं अपने हृदय के रक्त से लेपन करके इस वेदना को खत्म कर सकता हूँ । 'इस पर श्री कृष्ण ने कहा कि, हे देवर्षि, अगर कोई भक्त मुझे चरणोदक( चरणामृत / चरण धोया जल ) 
पीला दे तो मैं स्वस्थ हो जाउँगा। '
नारद जी पहले रुक्मिणी जी के पास आते हैं और उनकी व्यथा कथा कहते हैं। तब रुक्मिणी जी कहती हैं कि, ' हे देवर्षि, यह अपराध, यह पाप हमसे नहीं हो सकता है। मै महापाप की भागी नहीं बन सकती हूँ, आप कोई अन्य उपाय कीजिए। '
नारद जी तब राधा जी के पास आते हैं और उन्हें भी अवगत कराते हैं। 
राधा जी ने कुछ न कहा और एक सुन्दर पात्र में जल भर कर ले आयीं और अपने दोनों श्री चरणों को उसमें डुबो कर पात्र नारद जी को थमाते हुए कहा कि, ' हे देवर्षि, मैं भले ही नरक गामिनी बनुँ, रौरव नरक जाउँ, महापाप का भागी बनुँ पर आप शीघ्र अति शीघ्र जाकर मेरे कन्हैया की वेदना को ठीक करने का काम करें। मैं जन्म जन्मान्तर तक आपका उपकार मानूंगी। ' 
प्रेम भक्ति निष्ठा तो रुक्मिणी जी के हृदय में भी श्री कृष्ण के प्रति था पर वे तर्क में पड़ गयी। राधा जी इस तर्क में न पड़कर वेदनाहरण को ही मूल समझा। जब प्रेम अपने चरम पर पहुँचता है, उद्दात्त हो जाता है तो अद्वैत हो जाता है, एकात्म हो जाता है। 
प्रेम और भक्ति को समझने के लिए प्रेम को नहीं उसके मर्म को समझना होगा। यही प्रेम का अंतिम सत्य है। यही प्रेम है।

राधे कृष्ण : फोटो नेट से साभार 
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कही अनकही : पृष्ठ : ४.
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supported by.


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संकलन / संपादन. 


डॉ.सुनीता रंजीता
नैनीताल. 
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हर घड़ी. 
विश्वास. 
कभी अपनों के लिए. 
विजेता. 
रिश्ते नाते. 
शिकवा नहीं. 
समय और संबंध. 
सोचते सोचते. 
अधूरी दास्तान. 
बदलाव.
संगत. 
रिश्ते ऐसे 
ख़ामोशी. 
सबसे अच्छी हार. 
नजरें झुका ली मैंने. 
अच्छे लोग. 
तेरी मेरी कहानी हैं. 
जब तक तू साथ है. 
खुश रखो अपनों को. 
खुशियां ही मिले 
वहां भी. 
एक परवाह. 
मेरी दुआ. 
यादों के सहारें. 
समय,शब्द और संस्कार. 

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 पृष्ठ ५ : फोटो दीर्घा. 
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यादें बसंत और होलीविदेश की.
संकलन / संपादन.


अनीता.जब्बलपुर. 
मध्यप्रदेश. 

नीला ,पीला ,हरा ,गुलाबी रंग होली नेपाल की : फोटो मुकेश. 
पोखरा में होली के मनभावन रंग : फोटो नियामा शाह.
ऑस्ट्रेलिया में रंगों की सौगात : फोटो सनी. 
powered by.

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यादें बसंत और होली  देश की.
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संकलन / संपादन.
डॉ.भावना.
उज्जैन.मध्य प्रदेश.

मीरा मंदिर : राजस्थान : फोटो : रिचा कर्ण ( यू.एस.ए. )
महाशिवरात्रि में काशी : फोटो साभार. 
पुणे, महाराष्ट्र में होली की मस्ती : फोटो शिवानी .
हल्द्वानी ,नैनीताल वृद्धा आश्रम की होली : फोटो मनोज पांडेय. 
बसंत के चपल चरण : फोटो : छवि : कोलकता.  


 
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पृष्ठ ६ :कला दीर्घा. 
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बसंत में आत्म अभ्युदय का उगता सूरज : कला अज्ञात 
कांगड़ा सिख मिनिएचर : गुरु नानक देव : मंजीत कौर.


संकलन / संपादन.


मंजीत कौर. 
नई दिल्ली. 


कांगड़ा सिख मिनिएचर : गुरु नानक देव : मंजीत कौर.

कांगड़ा  मिनिएचर : गणेश  : मंजीत कौर.
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पृष्ठ : ७. सीपियाँ : मैं का से कहूं 
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सहयोग. 


रवि रंजन, समाजसेवी : होली की हार्दिक शुभकामनाएं : 

संकलन / संपादन. 



कंचन पंत. 
नैनीताल. 
---------
फिर से अफ़साने बनेंगे.



हर दिन जो कह नहीं 
पाया एक शब्द,
तुमसे ,देखो न, 
वही अनकहे शब्द
कविता
फिर कहानी
अब अफ़साने बन गए . 
जीवन की यह रीत है, 
जीना ही प्रीत है, 


पहले भी, 
आगे भी, 
कही और भी, 
ऐसे अफ़साने बनें 
कश्मकश की, 
 ऐसी अनकही कहानी बनेगी 
गर कही सुनी  गयी  
तो देखना एक दिन जाने ये लोग , 
 सबकी प्यारी जुबानी  बनेगी 

 डॉ. मधुप.
पुनः सम्पादित : प्रिया. दार्जलिंग   
------
तिनका ख्वाबों का.


गुदगुदाती - सी वो शाम !
सागर किनारे इक
दूजे की हाथ थाम,
बढ़ते जा रहे थे अविराम.
रेत में सने थे हमदोनों के पांव,
अनकही सी चुप्पी में भी,
 मन में उठ रहे थे तूफ़ान.
पहली बार लगा कि,
है मुश्किल थाह लगाना,
मन को गहराई का.



बोल पड़े थे तभी तुम अचानक,
क्या साथ दोगी 
सारी उमर तुम यूं ही ?
और फिर मै चुनने लगी थी,
इक - इक तिनका ख्वाबों का.
उम्मीदों के धागे से बुनकर 
मैंने सपनों का सुंदर महल,
पल भर में बना लिया था.
और फिर चल पड़े थे,
अंतहीन सफ़र पर 
तुम और हम.


नीलम पांडेय.
  वाराणसी.  
-------------

गीत.
गोपी - कृष्ण रासलीला. 


डॉ.आर.के.दुबे. 
सहायक संपादक. 
------------

बसंत.

फोटो : साभार 

लो आ गया ऋतु बसन्त
ओढ़ चूनर रंग - बिरंग
बिछ गई मखमली घास
छा गया चहुँ ओर उमंग.
कलियों ने आँखे खोलीं,
पत्तों ने फैलाये पँख,
फूलों के वन्दनवार से,
सज गया घर - द्वार.
 झुक-झुक देने लगी,
  कलियाँ भी सलामी,
खुशबू की चादर फैली,
मन भरमाया छाई मस्ती.
उड़े रंग गुलाल के,
प्रेम की है लाली छाई,
पिया के रंग में,
अब रंग गई राधा बाई.
कौन सा रंग चुन लूँ मैं,
धानी , केसरिया या 
नीला , हरा - गुलाबी,
भाये मोहे तो बस
प्रेम - रंग लाली.



पूनम सिन्हा.
 
वाराणसी.
 
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ग़जल.
 

हमने बताओ कब किसे कहा है


हमने जो दिल का गम कहा है,
सब ने मिल कर गजल कहा है.

एक दर्द हो तो सह भी ले सब,
हमने कितने दर्दों  सितम सहा है.

अंजुमन में सबकी सुना है सबने, 
हमने बताओ कब किसे कहा है.

फिक्र जमानें की किया है किसने
हमनें क्या क्या  सब नहीं सहा है

अनीश सफ़र है बसर है सबका,
सफ़र तो सबका कटता चला है.


अरुण अनीश. 
झारखंड 
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पृष्ठ ८ . व्यंग्य चित्र. आज कल : मधुप.
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संपादन. 
तनुश्री सान्याल. 
नैनीताल. 

होली का रंग. 
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पृष्ठ ९ .कतरनें : ख़बरों की.
   
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संपादन. 


वनिता .पटना 
एम. एस. मिडिया. कोऑर्डिनेटर 

नैनीताल में भी याद आ गए महात्मा नारायण दास ग्रोवर

आर्य समाज के पुरोधा , बिहार डी ए वी आंदोलन  के प्रणेता : कोलाज. डॉ सुनीता. 

संवाद सूत्र : साल २००५ का। जब हम नैनीताल में थे। सुबह हवन आदि में भाग लेना था। शहर के आर्य समाजी वहां आए हुए थे। मुझे याद है जब मैंने नैनीताल आर्य समाज धर्मशाला के बुजुर्ग सदस्य से महात्मा नारायण दास ग्रोवर के बारे में पूछा था तो उन्होंने भी उनसे सुपरिचित होने का दावा किया था तब किंचित उस धर्मशाला में रहने का अवसर भी उन जैसे आर्य समाजी के जानकर होने की वजह से ही मिला था।     
आज ६ फरवरी २०२३ को डी ए वी के संवाद सूत्र के लिए मेरे मित्र अभय कुमार मिश्रा ने जब यह जानकारी मुझे मिडिया न्यूज़ फ़ीचर डेस्क के लिए दी कि आज हमलोगों  डी ए वी  के साधु झोला बाबा या कहें महात्मा नारायण दास ग्रोवर को उनकी पुण्य तिथि पर  याद कर रहें  है, तो अनायास ही मुझे उनका चेहरा याद आ गया। मुझे उनसे भी तीन चार बार मिलने का मौका मिला ही था। सादगी ,गाँधीवादी विचारधारा के पोषक और प्रवर्तक रहें थें महात्मा नारायण दास ग्रोवर।  
स्वाधीनता के पहले १५ नवंबर १९२३ को पाकिस्तान के ईसाखेल में जन्में व्यक्ति से मैं मिलना चाह ही रहा था, जिसने शिक्षा के  क्षेत्र में विकास के लिए २० वी २१ वी शदी में बिहार में अभूतपूर्व योगदान दिया है।आज भी हम उन्हें बिहार - झारखण्ड डी ए वी  आंदोलन के सूत्रधार बतौर जानते हैं। 
अपना सर्वाधिक समय पंजाब में बतौर शिक्षक बिताया। शायद मैं उनका इंटरव्यू लेना चाह रहा था। या कहें शायद मैं उनसे १९४७ के विभाजन के दंश के बारे में जानना चाह रहा था। लेकिन किसी कारणवश यह काम पूरा नहीं हो सका। 

मिडिया न्यूज़ फ़ीचर डेस्क : नई दिल्ली.


आपने कहा. पृष्ठ १० . 
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संकलन / संपादन.

 
सुमन. 
नई दिल्ली. 

कुछ अधूरा रह जाता है : अनु राज 
प्रेम और विश्वास 
नाम और निशां 

मोम की गुड़िया. 
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पृष्ठ ११. अंग्रेजी अनुभाग.
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supporting.
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English Section : 11.
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Contents Page : 12.
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English Section : 11.
Contents Page : 12.
Editorial Page. Page 13.
Thought of the Day. Page 14.
Photo of the Day. Page 15.
Tweet of the Day.Only for You : Page 16.
Theme Page : 17.
My Heart is Beating : Poems Section
Page : 18.
You Said It. Page : 19
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Editorial Page. Page 13.
---------- 
Patrons 



Chief Editor. 
Dr. Manish Kumar Sinha. 
Chairman EDRF. New Delhi.

 

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Assistant Chief Editor.


Dr. R.K. Dubey.
Dr. Roopkala Prasad.
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Executive Editor.


Priya :  Darjeeling.
Dr. Pramod Kumar.
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Asst. Executive Editor.
Seema Dhawan. West Bengal.
Dr. Amit Kumar Sinha.
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Media Coordinator
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Vanita.
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Photo Editor. 


Ashok Karan. 
Ex Hindustan Times Photographer.
Kamlendu. Kolkatta .( Free Lance Photographer )
Subodh Rana. Nainital. ( Free Lance Photographer )
Kalindi . Dharamshala.  ( Free Lance Photographer )

supporting.



Patrons.
Chiranjeev Naath Sinha. A.D.S.P. Lucknow.
Col. Satish Kumar Sinha. Retd. Hyedrabad.
Capt. Ajay Swaroop ( Retd. Indian Navy.) Dehradun.
Raj Kumar Karn. ( Retd. D.S.P.)
Vijay Shankar ( Retd. D.S.P. )
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Dr. Prashant. Health Officer. Gujrat. 
Dr.Bhawna. Ujjain
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Visitors.
Pankaj Bhatt. S.P. Nainital.
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Stringers. Abroad.
Manvendra Kumar.Live India News 24.
Kumar Saurabh.Public Vibe.
Er. Shiv Kumar. India TV.
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Legal Umbrella.


Seema Kumari. ( Sr.Advocate.)
Sarsij Naynam ( Advocate.High Court.New Delhi).
Rajinish Kumar ( Advocate. High Court.)
Ravi Raman ( Sr. Advocate )
Dinesh Kumar ( Sr. Advocate )
Sushil Kumar ( Sr. Advocate )
Vidisha ( Lawyer )
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Page Making & Design : Er. Snigdha, Er. Aryan Siddhant. Bangalore
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Thought of the Day. Page 14.
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Seema Dhawan. West Bengal.
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"..You get what you give.."
"..Always remember that you are unique.. "

loyal friend.

"..When you believe in yourself anything is possible..."
"..Intelligence plus character that is the goal of true education.."
"..The way to get started is to quit talking and begin doing. "
"..Work hard to build yourself a good future. "
"..Don't decrease the goal but increase the effort.."
" All you can do is try your best..."


fact of the life.

"..Dream big dream high and always believe that you can do anything if you want to.."
"..Never give up trying ..." 
"...Do the best "
"..You don't get what you wish for, you get what you work for.."
"...Do one thing everyday that scares you..."
"..Your mind will always believe what you tell it." 
"...As you know more you grow more.."
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Photo of the Day. Page 15.
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Photo Editor's Choice.

Crowd in Mahashivratri at Kashi Vishwanath : photo Pundarik Mahraj. 

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Tweet of the Day.Only for You.
M.S.Media. Page 16.
©️®️ M.S.Media.

 only.
 

for 24 Hours.

Dr. Sunita.

aaj phir jeene ki Tamanna hai.

Health Tips.

"..Somewhat a fifteen minute stay or walk in the sun for those reaching 50 years around 
makes us healthy and wealthy. Keep this in your practices.."
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Themes Page : 17.


Writer / Presenter 
Priya. Darjeeling.
  
Valentines Week ' is on its way. 
the most awaited week of Love.

eternal love with nature and beauty : collage : Dr. Sunita.

We are with the lovable month February. Really love is a passion that never dies. All together we find ourselves remaining very sensitive to the most awaited week of Love “ Valentines Week  ” which  is on its way. 
And we really feel that all around the world the couples around ourselves are usually excited to know about the Valentine Week 2023 with the complete details. 
And they always remain very curious about how to celebrate this week.
So in fact we want to inform all the people, beautiful couples and lovers that awaited  Valentine Week 2023 very eagerly starts from 7th February and ends on 14th February 2023 with Valentine’s Day. All seven days fall in this week in a such a way we can satisfy our friends, dear ones and beloved ones.Valentine's Week is celebrated from February 7 to February 14. The week starts with Rose Day and ends with Valentine’s Day.

a. 1st Day. The Very First Day of our feeling  : Rose Day.

The festival of love begins with 
a. Rose Day on 7th Feb (Tuesday) has been followed observed by all of us a Rose Day that is indeed much expressing for someone that you care. People were seen buying roses and giving to their beloved ones. A Rose in different colour is one of
the most significant tokens of love and passion which you have.
Itself defines why it is important and a part of Valentine's week.
History of the Rose Day : The story of rose day is believed to be like this, the Greek god whose name was Eros loved his wife Athena the Greek goddess and she loved roses which is why Eros used to give her roses as a symbol of love. 
It is said that the Victorians started the culture of exchanging roses to communicate unspoken feelings casting in side the heart. They sought a way to reveal their feelings. 
However, a Red Rose stands being  a symbol of love and passion but there are so many other shades as well and every colour stands different in the expression of love.
It is believed that giving roses to your loved ones on this special day is the first step of expressing your love. 
A red rose defines your passion and desires towards the another person. This colour of rose is defined as the epitome ( प्रतीक ) of love, this could be the best day for you to express your feeling and say ‘I love you’ to your loved ones. 

2nd Day. b. Propose Day on 8th Feb ( Wednesday )
Doing very creative good for someone 

b. Propose Day on 8th Feb (Wednesday), is followed by Rose day, propose day is celebrated on the second day of Valentine's week to express love and affection to your loved one. 
In our opinion on this very day propose day
should be celebrated in such a way when you should be impressing someone to do something very good, creative and lovable thing. You should be very emotional to each and every one's sentiments  including all the community.
Significance of propose day : Propose day is a significant day for couples who are in a romantic relationship. It is a day to make their love official by proposing to their partners.
 
3rd. Day. c. the 3rd day of the Valentine week celebrated as a Chocolate Day.

c. Chocolate Day  has been celebrated in the most - awaited week of the year Valentine Week on 9th Feb (Thursday) 2023
Every year,Chocolate Day is celebrated among the beloved ones in the 3rd day of the Valentine week of February with a lot of passion, love grandeur and pomp all across the world.
This week is specially dedicated to love, the power of love and urges people to express their emotions to the ones they love by offering chocolates to one another. 
People who are in relationships, spend the week with their partners. 
People who have crush on someone, choose this time of the year to express their feelings to them by sharing the pieces of chocolates. And people, who are single, spend the week with their near and dear ones to feel the togetherness. 
On this day we add sweetness to our family friends and beloved's life by sharing with them a box of delicious chocolates so that their lives should be sweetened.

4th Day. d.Teddy Day is celebrated on 10th Feb (Friday).
The Cutest Gift for the Children.
 
Teddy Day 2023 : Always we love to have a teddy bear with us.If you visit anyone's house you will get this toy there. Really it seems to be the cutest one.  
When we look into the history the soft toy gets its name from Theodore Teddy ' Roosevelt, the 26th President of the United States. February 10, the fourth day of the Valentine's Week, is celebrated as Teddy Day every year. On this day, people gift teddy bear soft toys to their loved ones.
A little teddy bear perfectly embodies the feelings someone's  love, warmth, and care. It has also been an ideal gift given for not just a romantic partner but also for children, parents, or anyone you adore. While each day of Valentine's Week has something special to offer, Teddy Day has to be the cutest one.

5th Day : Promise Day : Keep your Promises till the last Breathe.

e. Promise Day Then, on 11th Feb (Saturday), 
What is a promise ? I mean a word which you have to someone exclusively. And I feel that is to be completed if you keep your words for your beloved ones. And in our common life everyone should be honestly sticky to one's words should never stand meaningless.
On this day, couples make a promise to each other, so that their relationship will always be strong and no doubts or suspicions can create a place in their relationship.
On this day, people promise to love their partners or crushes forever. They also commit to working on their relationship, gift each other sweet tokens of love, and more. You can make this day special by sharing romantic messages with your partner.
From the bottom of my heart, I want to make a promise that I will always love you and care for you until my last breath. And whatever I have made a promise to you,I will pray to Almighty to be completed in coming days. 

6th Day. f. When words are not enough to express the feelings. 
Hug Day on 12th Feb (Sunday).

f.  Hug Day on 12th Feb (Sunday), As we near the end of Valentine's Week, people throughout especially in the European countries  are getting ready to celebrate Hug Day with their special someone, exclusive one.
It is celebrated on the sixth day of Valentine's Week.This year,it will be cared on Sunday, February 12. Hug Day is one of the most awaited occasions in the
Valentine's week. 
And rightly too on this day, people meet their loved ones and comfort them by hugging,by  putting their  arms around somebody, especially to show that they love him / her. They  hold something close to your body, as hugs are a gesture of love, warmth and belonging. 
It passes a warm message to your loved ones when you feel that you are not expressive enough to show your emotions. When words can't be explaining an emotion in a complicated situation. 
After all, nothing fixes emotional cracks, doubts or anxiousness about the future better than a big warm hug. After Hug day, people celebrate Kiss Day and Valentine's Day on February 13 and 14.


7th Day.g. Kiss Day : that surrenders someone to that beloved ones.

g. Kiss Day on 13th Feb ( Monday) Kiss Day 2023 : A day before Valentine's Day, people celebrate Kiss Day. It is the seventh day of Valentine's Week and falls on
February13.
courtesy. photo.
Usually Kissing is in such a lovable position of someone that surrenders someone to the beloved in ones passion.  
On this day,people seal their relationship with a kiss or show affection towards their partner. There are different types of kisses, like hand kisses, neck kisses, forehead kisses, French kisses, and more, and each holds significance on Kiss Day. You can make the day extra special by gifting your significant other something they like alongside a sweet message to convey your feelings on Kiss Day.


h.Valentine Day 2023 : The Most Awaited Day for the lovers 

h.Valentine Day 2023 and finally there on 14th Feb (Tuesday).
Valentine’s Day, is also called as St.Valentine’s Day, holiday (February 14) when lovers express their affection with greetings and gifts to loved ones. 
Now it has been a very famous day for the romance loving people throughout the world. 
Given their similarities, it has been suggested that the holiday has origins in the Roman festival of Lupercalia, was held in mid-February. The festival, which was celebrated the coming of spring, included fertility rites and the pairing off of women with men by lottery. 
courtesy :  photo
At the end of the 5th century, Pope Gelasius first forbids the celebration of Lupercalia and is sometimes attributed with replacing it with St. Valentine’s Day, but the true origin of the holiday is vague at best. Valentine’s Day did not come to be celebrated as a day of romance until about the 14th century.
Although there were several Christian martyrs named Valentine, the day may have taken its name from a priest who was martyred about 270 ce.
Formal messages, or valentines, were appeared in the 1500s, and by the late 1700s commercially printed cards were being used by the people. 
The first commercial valentines in the United States were printed in the mid-1800s. Valentines commonly depict Cupid, the Roman god of love, along with hearts, traditionally the seat of emotion. Because it was thought that the avian mating season begins in mid-February, birds also became a symbol of the day. Traditional gifts include candy and flowers, particularly red roses, a symbol of beauty and love.

Courtesy Sources : Net.
Editing.Dr. Madhup

 
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My Heart is Beating : Poems Section
Page : 18.
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 Poem. 
Priya. Darjeeling.
------------
Love ❤️

Thoughts of every moment,
Filled with the missing company,
Cherishes me with a smile,
When you give me your company.


The hugs and the cares,
Of every single layer,
Is as beautiful as a secret prayer,
Deep in the thoughts of my dear.

The journey we took together
Were like a bird sitting on a twig,
Chirping and creeping with each other,
Those  memories were neither very big.


The way of loving and showing love,
Of yours is like a tiger cub,
Not so fearful and not so dull,
But it's the slow poison love that keeps me all.

Keep me loving and keep me caring,
As long as I stay in this universe,
Bless me with all the happiness and joy,
And always be with me like a sweet lie.
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You Said It.Page : 19
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Dr.Amit Kumar Sinha,

Comments

  1. शानदार प्रस्तुति , एक खूबसूरत शुरुआत।

    ReplyDelete
  2. डॉ ०मधुप रमण के द्वारा पुराने फिल्मों की जानकारी देना सराहनीय कदम हैl

    ReplyDelete
  3. उत्कृष्ट प्रस्तुति, उत्तम संकलन

    ReplyDelete
  4. This time the picture collage is incredible and the most attractive.. other than this, कही अनकही especially nazare jhuka li and sangati are quite appreciable

    ReplyDelete
  5. डाॅ. मधुप रमण जी ने ' जीने की राह' काॅलम के माध्यम से जीवन-दर्शन को बखूबी प्रस्तुत किया है |

    ReplyDelete
  6. हिंदी माध्यम में , बहुत ही उत्कृष्ट जीवन दर्शन ।

    ReplyDelete
  7. I accepted my responsibility to go through the ✨ Blog Magazine Page...it is a very nice page representing the women empowerment. I will be very happy to be a part of the Shakti Editor Desk... Bani Roy. Vardhman. Kolkotta.

    ReplyDelete

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