त्रिवेंद्रम कोवलम बीच की एक शाम : फोटो डॉ.आर.के.दुबे.
---------------- Lines of the Day : Page 1. ----------------- आज की पाती : पृष्ठ १.
संकलन / संपादन.
रश्मि .पश्चिम बंगाल संकलन / संपादन. ------------ गीत ----------- रीता रानी जमशेदपुर
जीवन आस्वादन.
ढलती शाम के हलके धुँधलके में, विस्तृत नीलश्याम फलक पर नि:शब्द पसरे मौन में , थमी - धीमी - थमी सी हवा , और उड़ते पाँखों के दूर होते गुंजन के बीच, जीवन के आस्वादन की तीक्ष्णता, का स्वाद बहुत चढ़कर आया।
समग्र उपद्रव समेटे अपने अंतः स्थल में, ज्यों लहरें शांत हो पसर गई अथाह तक , रेत पर उसी वारिधि के किनारे , पाँवों को लंबा फैलाये , मन की तरंगित वर्चियों को , समर्पित कर उसके रहस्यमयी अतल में , निर्निमेष नजरों से देखते हिल्लोल में , जीवन के आस्वादन की तीक्ष्णता , का स्वाद बहुत चढ़कर आया ।
अनुत्तरित प्रश्नों के उहापोह के बीच.
जीवन के बेलगाम उद्विग्न भागमभाग के बीच , छलमयी विडम्बनापूर्ण उपस्थिति नीरवता की, कुछ अपरिभाषित, कुछ द्वंदमय, कुछ इच्छित । कभी मनभावन , कभी बेढंगी ,कभी अनिश्चित , पलों के दूब - कंकड़ पर पाँव धरते हुए , जीवन के आस्वादन की तीक्ष्णता, का स्वाद बहुत चढ़कर आया।
कमलिनी से पूर्ण दृष्टिमोहिनी ताल में, उन्मीलित श्वेत - गुलाबी पुष्पों को तकते , जलमध्य में लरजती निजछवि को देख, अन्तर्मन तलैया में उतराते -तैरते , अनुत्तरित प्रश्नों के उहापोह के बीच , जीवन के आस्वादन की तीक्ष्णता, का स्वाद बहुत चढ़कर आया।
अर्थ : वारिधि : समुद्र. वर्चियों :
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नीन्दिया री, नयना ना सताओ.
नीन्दिया री,नयना ना सताओ, इनमें बसे खाब साजन के. तारे बारात लाए, चंदा चांदनी लाए, बदरिया री चंदा ना छुपाओ , नयना दिखे मोरे साजन के.
फूल बगिया खिलाई, कलियां झूम गीत गाई, बेअरिया री झोंका ना चलाओ, खुशबू उड़ जाए ना साजन के.
भौंरे दरबारी गाएं, डाल डाल पंक्षी गाएं , कोयलिया री राग पीलू ना गाओ, मन मोरा रीझे ना साजन के.
नई सृष्टि होने लगी, नई दृष्टि आने लगी, नजरिया री और ना दिखाओ, ये तो देखेगी मुख साजन के.
ये तो बसंती हवा है चल चल कुछ कहती है बसंतिया री कुछ ना सुनाओ, मैं तो सुनूं आहट साजन के.
डॉ. आर. के. दुबे.
----------- अहिल्या.
मासूम देखती रही हूं उन आंखों को, बड़ी शिद्दत से. जिनमें,अपनी दुनियां बसा ली थी मैंने. गुनगुनाती,सपने बुनती, मुस्कुराती रही थी वर्षों से. मुखौटे के नीचे की , सच्चाईयों से परे, कितनी मासूम,बेखबर रही थी मैं. उस अहिल्या की तरह, जिसे छलने, शापित करने वाला, कोई और नहीं देवता, देवतुल्य पति ही था.
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कीमत. धरती ने ओढ़ ली है रंग बसंती, गुलाबी हवाएं, तन - मन महकाती. इन सबसे परे भी है इक आवाज़, मिट्टी की महक से भरे, साग की बोरियां लिए जो, गांव से रोज शहर तक आती, जोड़ देती हैं, शहर को गांव से, सांवली - सलोनी युवतियां. छोटे शहरों को बांधे रखती हैं, यादों के झरोखे से भी. पैसे के मोल - तोल में उलझा शहरी, शायद, लगा नहीं पाता कीमत.
नीलम पांडेय संयोजिका.वाराणसी.
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रेनू शब्दमुखर. ------------ रिश्तों की पाक दुनिया को.
कई बार सोचती हूँ कि काश कोई थर्मामीटर होता, जो रिश्तों की पाक दुनिया को, अपनी माप से साबित कर देता, क्योंकि कई बार कई रिश्तें, झूठ के आवरण तले, वट वृक्ष की तरह अपना आधिपत्य जमा लेते है.
और उस झूठ के आलीशान महल में यमराज सरीखे, लोग अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं, जब वह महल सहसा टूटता है, तो वो रिश्ते अंतस को झिंझोड़ कर, सोचने पर मजबूर कर देते है, कि रिश्तों की पवित्रता, नापने का थर्मामीटर, बन जाए तो रिश्ते लहुलुहान, होने से बच जाए.
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संरक्षण.
जला लो अपने अन्तःमन में अपनी आत्म शक्ति के लिए शाश्वत विश्वास का एक ऐसा दीया, इस तरह कि, कष्टों के तिमिर दूर हो जाए, अंधेरों की लाख आंधियों में भी, भावनाओं की बाती न बुझने पाए,
| त्रि - शक्ति : साभार फोटो |
संरक्षित हो दिव्य शक्तियों से आप - हम सभी, और आप त्रि - शक्तियों की तरह, मेरे सात जन्मों में, मेरी रक्षा कवच बन जाए. सर्वकालिक उन्नति के सन्मार्ग स्वतः त्रि - शक्तियों की कृपा से, मेरे आप सबों के, जीवन की सभी दिशाओं में, आप ही प्रशस्त हो जाए.
डॉ.मधुप ©️®️ M.S.Media. ------------- बरगद की पीर.
चिरंजीव नाथ सिन्हा. ए.डी.एस.पी. लखनऊ.
जमाने से सबके ताने सुनता आया हूँ, सारे आरोप चुपचाप सहता आया हूँ, पर आज मैं मौन तोड़ने निकला हूँ, खुले मंच पर अपनी बात रखने आया हूँ. यों आरोपों की लंबी है फेरहिस्त, पर खास-खास आज गिनाता हूँ. अव्वल कि मैं सबसे जलता हूँ. किसी को फलने-फूलने नहीं देता, मुझमें समाई है जमींदारी की बू , सारी ज़मीन खुद ही हड़पना चाहता हूँ. खिलने-बढ़ने की बात तो दूर, मैं अपने नीचे किसी को पनपने तक नहीं देता हूँ. तुम कहने वाले तो कह कर चले जाते हो, पर कभी सोचा है तुमने कि ये लांछन कितना आहत कर देते हैं मुझे, छील देते हैं खुरच-खुरच कर मेरी चमड़ी, ऊपर से मजबूत दिखने वाली मेरी जड़ें, सवालों के कटघरे में खड़ी डगमगा जाती हैं, मेरे दिल की बात जबतक लब पर आती है, तबतक मेरी छाती तुम्हारे सवालों के अगले तीर से बींध जाती है, उसकी लंबी कड़ी देह मेरे अधखुले होठों को चीर हलक में धंस जाती है. पर अब नहीं, और नहीं, आज अगर चुप रह गया तो हमेशा के लिये मुल्जिम करार दिया जाऊंगा. तो, सुनो समाज के नंबरदारों! मानता हूँ मैं कि मेरी छाया में कोई पौधा पनप नहीं सकता, पर सच पूछो तो मैं अपने नीचे किसी को पनपने देना भी नहीं चाहता. हैरत और हिकारत से क्यों देख रहे हो मुझे, युगों-युगों से लांछित किये हो मुझे तो तुम्हें आज सुनना ही पड़ेगा, मेरे इस हठ को, नहीं-नहीं मेरी पीर को सुनना ही पड़ेगा, मेरे शब्दों को सुनने के लिए तुम्हें, अपने कानों के बंद दरवाज़े खोलना ही पड़ेगा, मेरी ही नजर से मुझे परखना पड़ेगा. क्यों मैं किसी को पनपने दूं अपने नीचे, तुम ब्रितानी कंपनी की तरह पहले तिज़ारत करने आओगे, फिर मेरी जड़ों और मिट्टी को खोद कर मेरी जगह पर मेरी ही कब्र बना दोगे, मेरे साथी,परिंदे जो मेरी शांत छांव में इक्टठे सुस्ताते हैं, अपने अपने मन की सुनते सुनाते हैं, वे बिखर जायेंगें और अपने-अपने हिस्से की बात करते हुये, अलग अलग समूहों में बंट जायेंगे.
वट सावित्री की पूजा करने वाली महिलायें कहाँ फेरे लेगीं, खेत की गुड़ाई कर लौटे थके-हारे प्रेमचंद के होरी को धनिया रोटी कहाँ खिलायेगी ? अरे ये आँखें क्यों नम हो आईं तुम्हारी, होंठ क्या आहिस्ता से बुदबुदाने लगे, दूर खड़े हो मुझ पर उठने वाली उंगलियाँ, क्यों मुझे हौले से सहलाने लगी ?
चिरंजीव. मौलिक - स्वरचित. १४ /०१ /२०२३ --------------- बदगुमानी.
जितेंद्र. आई. आई. टी. इंदौर.
कुछ पत्तें गिरे पड़े हैं बेख़बर, शायद, बदगुमान हो चुके हैं, बेख़बर, एक लम्हा था, जब वे जुड़ें थे पेड़ों से, कितना हरा, कितना भरा, था रंग, रूप, यौवन उनका… पर हाय ! क्यों बड़े हुए ? टूट आ गिरे यूँ जमीं पर, कुछ लम्हें तो सुख से बीता, साथ संगी पत्तों के, पर हवा की सुर्खियां दिशा बदल बहने लगी… लचर थे, अनजान थे पत्तें अभी नाजुक थे… समय की ये सरफ़रोशी समझ पा न सके वे… झोंको के संग बहने लगे, जब तक न हो गए जीर्ण - शीर्ण, आए पेड़ों के नीचे वे पुनः कुछ दब गए मिट्टी में तो, कुछ जल गए अलाव में… जो बचे,वे गिरे पड़े थे बेख़बर… शायद, बदगुमान हो चुके थे बेख़बर… --------
रेनू शब्दमुखर.
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लघु कविता.
अभिव्यक्ति. तुम पर भरोसा करना, मतलब भगवान के दर पर माथा टेकना, खूबसूरत अहसास से भर जाना, मन को अलौलिक सुकूँ देता, तुम्हारा हर कदम सबसे अलग, दुनिया से विलग हो तुम, पाक प्रेम हो तुम, सच है प्रेम अहम से परे, स्वयं का विसर्जन, आत्मा का एकाकार होना. -----------
अपने साथ नयेपन के सूरज की उजास लाओं, आने वाले कल में महकी हुई बहारों की खुशबू फैलाओं नया साल नया मौसम,नई आशाएँ नई है दुनियाँ,नई उमंग नई सोच है,नई तरंग नया गीत है गाने वाला, मन को चहकाने वाला, स्नेह और आत्मीयता से स्वागत आने वाले कल का हो बस यही मेरी तेरी इच्छा सब के लिए फलीभूत हो ------------
अनगिनत दीप जलाकर नववर्ष मनाएं,नववर्ष मनाएं.
मंगलमय हो, यह नववर्ष , उम्मीदों का हो चरमोत्कर्ष, आशा के अनगिनत दीप जलाकर, नववर्ष मनाएं, नववर्ष मनाएं, बीते साल की कड़वाहट मिटाकर, दिल पर से कुछ बोझ हटाकर, थोड़ा हंस के और मुस्कुराकर, बगिया में सुंदर फूल खिलाएं, नववर्ष मनाएं, नववर्ष मनाएं! रहें स्वस्थ और खिलखिलाएं, हो पूरी आपकी हर कामनाएं, ईश्वर भी ऐसी कृपा बरसाए, हंसते गाते वर्ष बीत जाए, नववर्ष मनाएं, नववर्ष मनाएं. ---------
विश्व हिंदी दिवस.
हिंदी. माथे दुल्हन की बिंदी सबकी पहचान है हिंदी, हिन्द की जान है हिंदी तत्सम से निकली, तद्भव में जा मिली, देशज बोले, विदेशी को भी साथ ले, सबका करती सम्मान ये हिंदी हर भाषा के शब्दों का ये मेल, संगम,अद्भुत और निराला है जन-जन के गले का हार भी, मिलता सबका प्यार-दुलार भी, भावनाओं का ये सूत्रधार भी, करते हैं सब स्वीकार भी, राष्ट्र भाषा का दर्जा क्यों नहीं? जिसकी है हकदार ये हिंदी.
नीलम पांडेय. संयोजिका.वाराणसी. --------------------------------------
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लेख.अनुभाग, संपादक.
राजेश रंजन वर्मा. स्वतंत्र लेखक, हिंदुस्तान. ©️®️ M.S.Media. --------------- बिहार : यात्रा / संस्मरण / पृष्ठ ३ / ४.
नीलम पांडे. वाराणसी. एक बार अवश्य देखें कैमूर पहाड़ी का तुतला भवानी जलप्रपात
अगर आप प्राकृतिक सौंदर्य का खूबसूरत नज़ारा देखना चाहते है तो बिहार के रोहतास जिले में एक बार अवश्य आगमन करें। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रकृति की असीम कृपा इस जिले पर बनी हुई है। तुतला भवानी वाटरफॉल बिहार के रोहतास जिले में है। यह डेहरी अनुमंडल के तिलौथू प्रखण्ड में स्थित है। यह डेहरी ऑन सोन से करीबन २२ किलोमीटर दूर कैमूर पर्वत शृंखला के गोद में स्थित है। मां तुतला भवानी कैमूर पहाड़ियों की हरी भरी घाटियों में विराजमान है। माता के दर्शन के लिए नवरात्र के समय काफी भीड़ होती है। कुछ समय पहले तक श्रद्धालुओं के लिए यहाँ कोई सुविधा मौजूद नहीं थी और पथरीले मार्ग से होते हुए दर्शन के लिए जाना पड़ता था लेकिन अब श्रद्धालुओं के लिए झूला पुल का निर्माण कर दिया गया है।जिसके माध्यम से सभी लोग माता के दर्शन के लिए बड़े ही आसानी से मंदिर तक पहुँच जाते है। यह झूला पुल बेहद ही आकर्षक है और इस पुल से जलप्रपात और चारों ओर हरी भरी घाटियों को देखने का एक अलग ही सुकून महसूस होता है। माँ तुतला भवानी मंदिर परिसर तक पहुँचने के लिए आपको कार पार्किंग से लगभग डेढ़ किलोमीटर पैदल चलना पड़ेगा लेकिन यह रास्ता काफी रोमांचित करने वाला होता है और माता के कृपा से आपको इस थकान का अहसास भी नहीं होता। वर्तमान में वन विभाग ने ऑटो रिक्शा की व्यवस्था कर दी है और झूला पुल तक पहुंचना बेहद आसान हो गया है।अगर आप प्राकृतिक सौंदर्य का खूबसूरत नज़ारा देखना चाहते है तो बिहार के रोहतास जिले में एक बार अवश्य आगमन करें। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रकृति की असीम कृपा इस जिले पर बनी हुई है। तुतला भवानी वाटरफॉल बिहार के रोहतास जिले में है। यह डेहरी अनुमंडल के तिलौथू प्रखण्ड में स्थित है। डेहरी ऑन सोन से करीबन २२ किलोमीटर दूर कैमूर पर्वत शृंखला के गोद में स्थित मां के इस मंदिर में, खासकर नवरात्र के वक़्त श्रद्धालुओं की लम्बी कतार माँ तुतला भवानी के दर्शन के लिए लगी रहती है। इस जलप्रपात के चारो तरफ हरियाली की चादर ओढ़े धरती और सुंदर पहाड़ ही नजर आएंगे। जब आप तिलौथू बाजार से तुतला भवानी जलप्रपात की ओर बढ़ेंगे तब आपको कुछ ऐसा नजारा दिखेगा जैसे आसमान के बादलों के साथ कैमूर पर्वत श्रृंखला का मिलन हो रहा है। यह दृश्य इतना शानदार होता है कि इसे शब्दों में बयां कर पाना काफी मुश्किल है। इस अद्वितीय और मनमोहक है वादियों में घूमने और पिकनिक मानाने के लिए दूर-दूर से लोग आते है। तुतला भवानी जलप्रपात का आनंद लेने के अलावा माँ तुतला भवानी के दर्शन करने के लिए दूर दराज से लोग आते है।
गतांक से आगे.
कैसे पहुंचे : यदि आप सड़क के माध्यम से तुतला भवानी वाटरफॉल पहुँचना चाहते है तब आपको कोलकाता -नई दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग एन. एच - १९ ( पुराना नाम एन. एच - २ ) से डेहरी ऑन सोन पहुँचना होगा। यह राष्ट्रीय राजमार्ग डेहरी ऑन सोन शहर के बीच से गुजरता है। यहाँ पहुँचने के बाद आपको राष्ट्रीय राजमार्ग बदलना पड़ेगा। आपको डेहरी-यदूनाथपुर राष्ट्रीय राजमार्ग एन. एच - ११९ के रास्ते यात्रा करना होगा। फिर आप करीबन २० किलोमीटर यात्रा करने के बाद तिलौथू मुख्य बाजार पहुँच जाएंगे। यहाँ से आपको तुतला भवानी वाटरफॉल का सांकेतिक बोर्ड ( साईन बोर्ड ) देखने को मिलेगा जिससे आप सही दिशा में यात्रा करते हुए अपने मंजिल तक पहुँच जाएंगे। मां तुतला भवानी मंदिर बेहद ही प्राचीन है। मां की प्रतिमा के अगल बगल मौजूद शिलालेख से साफ़ पता चलता है कि यह उस समय के स्थानीय राजा द्वारा उकेरा गया है। मां जगद्धात्री दुर्गा (मां तुतला भवानी) शिलालेख पर १९ अप्रैल ११५८ ( विक्रम सवंत १२१४ के ज्येष्ठ माह ) लिखा हुआ है जो मंदिर के पुरातन काल का होने का परिचय देता है। मां की गोद और प्रकृति की रमणीक और प्रदूषणमुक्त वादियों में वाटरफाल को निहारना, शीतल जल में नहाना, झूला पुल पर झरने के जल की छीटों में भींगते चल कर मां के दर्शन और पर्वत शिखर से धरती को निहारना ... यह अनुभव शब्दों में व्यक्त करना बेहद मुश्किल है। एक सीमा के बाद शब्द भी भावनाएं व्यक्त करने में सक्षम नहीं हो पाते और यहां आने के बाद आप कुछ ऐसा ही अनुभव करेंगे। ---------
यात्रा / संस्मरण / पृष्ठ ३ / २. मेरी नैनीताल यात्रा का गीत, जीवन का संगीत. डॉ. मधुप. पृष्ठ सज्जा : प्रिया दार्जलिंग.
फिल्म : कटी पतंग .१९७१ . सितारें : राजेश खन्ना .आशा पारेख गाना : जिस गली में तेरा घर . गीत :आंनद बख़्शी. संगीत : आर. डी. वर्मन. गायक :मुकेश. Simply Press the below given link. https://www.youtube.com/watch?v=cCbErvTrZJg ---------- सह संपादन.
रंजीता.वनिता.
हा ये रस्में ये कस्में सभी तोड़ कर...
बूंदें पड़ रही थी। मौसम बहुत सर्द नहीं था। परदे पर चल रही थी शक्ति सामंत की निर्देशित व निर्मित, गुलशन नंदा की कहानी पर आधारित फिल्म कटी पतंग जो साल १९७१ में देश के सभी सिनेमा हाल में प्रदर्शित हुई थी। गाना था जिस गली में तेरा घर न हो बालमा.. जिसे मुकेश ने गाया था। गीत आंनद बख़्शी के थे और संगीत दिया था आर. डी. वर्मन. ने। मैं जैसे रजत परदे में खो ही गया ही था। जिन सितारों पर यह गाना फिल्माया गया था वे थे राजेश खन्ना और आशा पारेख। राजेश खन्ना उस समय सुपर स्टार बन चुके थे। उनका एक जबरदस्त क्रेज था। लोकेशंस नैनीताल का ही था। नैनीताल स्थित नैना मंदिर से शॉट्स शुरू होता हैं।
नैना देवी मंदिर में पूजा करते कमल और माधवी : कोलाज : डॉ सुनीता. राजेश खन्ना ( कमल ) और आशा पारेख ( माधवी ) मंदिर में पूजा करने आते हैं.... और फिर तल्ली ताल उतरने के लिए नाव लेते है। नाव मल्ली ताल नैना देवी मंदिर से तल्ली ताल की तरफ बढ़ती है। कमल स्वयं नाव चला रहें होते हैं और माधवी उनके सामने बैठी होती है। तभी गाने का अंतरा शुरू होता है। कैमरे का एक एंगल बोट हाउस क्लब को फिल्माता होता है तो दूसरी तरफ दूसरे कैमरे का एंगल तल्ली ताल को कवर कर रहा होता है। गाने के बीच में कुछेक स्टील्स शॉट्स हैं जो अर्थानुसार प्रयोग में लाए गए हैं । गाने के अंतिम अंतरे में नाव दूर झील के मध्य में आकर स्थिर हो जाती है। और उपर से बादल के कई टुकड़ें आकर कोहरे बन कर ठहर जाते हैं। और गाने की इस तरह समाप्ति होती हैं।
गाना : जिस गली में तेरा घर न हो बालमा : कोलाज : डॉ सुनीता.
गाने का फिल्माकंन : जैसा कि नैनीताल भ्रमण के दरमियां मीडिआ के ज्ञात सूत्रों से पता चला कि निर्माता, निर्देशक शक्ति सामंत को इस गाने को फिल्माने में काफी दिक्कतें झेलनी पड़ी थी। शूटिंग के समय अभिनेता राजेश खन्ना को देखने के लिए झील में तिरती हुई नौकाओं में पर्यटकों की काफी भीड़ शूटिंग स्थल के आस पास लग जाती थी। जिससे गाने फिल्माने में काफी मुश्किलातें आ रही थी। यह देखते हुए निर्माता, निर्देशक शक्ति सामंत ने उस दिन सारी नौकाएं किराए पर ले ली। इसलिए इस गाने में जो भी आस पास पाल वाली नौकाएं दिखती है उसमें फिल्म के ही एक्स्ट्रा कलाकार होते हैं जो स्वाभाविक सैलानी बतौर दिखते हैं।
--------------- तेरे मेरे सपने जैसा है नैनीताल. गतांक से आगे : १
| my passion begins for Nanital reading a Story : Tumahre Liye in 1978 by Himanshu Joshi ( Editor, Hindustan) |
ऊपर मैंने प्रारम्भ में ही मैंने गाने का लिंक दे दिया हैं इसे देख ले। नैनीताल के नैनी लेक में फिल्माए गए फ़िल्म कटी पतंग के मुकेश का गाया हुआ वो अति मनभावन गाना ...जिस गली में तेरा घर न हो बालमा .. भी सुन लीजिए जिसे अभिनेता राजेश खन्ना और फ़िल्म अभिनेत्री आशा पारेख पर फ़िल्माया गया था। जिसने मेरे मन और मेरी सोच मेरी भावनाओं को बहुत हद तक़ प्रभावित किया था । पहली बार नैनीताल की प्राकृतिक ख़ूबसूरती मेरे युवा मन को भा गयी,मेरे दिल में घर कर गयी थी। इसके बाद नैनीताल के सपने मुझे बार बार आने लगे। कई बार मैंने नैनीताल की तस्वीर तल्ली ताल ,मल्ली ताल अपनी कल्पना में बनाई,सहेजा और लिखता रहा। शेष मुझे नैनीताल से जोड़ने में अनजाने में तब की १९७८ में प्रकाशित होने वाली पत्रिका साप्ताहिक हिंदुस्तान के साहित्यकार हिमांशु जोशी के धारावाहिक उपन्यास ' तुम्हारे लिए ' ने पूरा किया था जिस प्रकाशित धारावाहिक को मैंने सन १९७८ से अभी तक़ आज तक़ सुरक्षित कर रखा है।अल्मोड़ा के विरागशर्मा तथा नैनीताल की अनुमेहा के क़िरदार को, उनकी ख़ूबसूरत प्रेम कहानी को अपनी आस पास की जिंदगी में तलाश करता मैं यहाँ तक़ आया हूँ। कहानी के घटना क्रमों को पढ़ने के बाद शायद यही से सीख लेते हुए मैंने जाना है समय के रहते ही हमें अच्छे साथ के लिए ... प्रयास रत होना चाहिए। श्रेष्टता छूटने न पाए। कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना,या लोग क्या कहेंगे की मानसिकता से ऊपर उठना होगा। व्यक्ति वादी होने की बजह समाज से हटकर मैं श्रेष्ठ,आर्य व्यक्तियों पर विश्वास रखना ज़्यादा पसंद करता हूँ और मेरे लिए वही समाज है।
जब पहली दफा १९९८ में नैनीताल गया तो मल्लीताल,तल्लीताल,अयारपाटा, नैनीताल बोट हाउस क्लब, बैंड स्टैंड ,पोनी स्टैंड,चाइना पीक को देखा। नैनादेवी के परिसर में भी बदलाव आया है, झील की तरफ उतरती हुई वो सीढ़ियां नहीं दिखी जो फिल्म में दिखलाई गई थी। पूछने पर मालूम हुआ इन सीढ़ियों से झील में उतर कर खुदकशी की घटनाएं होने लगी। इसलिए मंदिर परिसर की झील में उतरने वाली सीढ़ियों को बंद कर दिया गया हैं। दीवारें खींच दी गयी हैं। यहीं से आप बोट हाउस क्लब, गार्डन, ठंढी सड़क सभी लोकेशंस देख सकते हैं जो इस फिल्म में दिखलाया गया है। मंदिर परिसर में नैना देवी में मौजूदा पेड़ों के पीछे से चाइना पीक वैसे ही दिखती है जैसा इस फिल्म में दिखलायी गयी है। सत्तर - नब्बें के दशक में नैनीताल में इतनी घनी आबादी नहीं थी लेकिन धीरे धीरे पहाड़ सिमटते जा रहें हैं। वसाहट बढ़ती ही जा रही हैं। फिर भी नैनीताल का आकर्षण स्नो व्यू पॉइंट, चाइना पीक,और डोर्थी सीट से बना ही हुआ हैं।
Nainital during British time : 1883.courtsey photo internet
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मुझे याद हैं कुछ अपने सपनें हैं नैनीताल को लेकर। इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर एम.एस.मीडिआ की कोऑर्डिनेटर वनिता काम भी कर रही है,सपनों को अंजाम तक पहुंचाने के लिए वो खुली आँखों से ख़ाका भी खींच रहीं हैं। बल्कि मैं कहूंगा आज वो हमसे आगे हैं और मैं उनका अनुयायी हूँ। कुछेक मेरे अपनों की दुआ भी चाहिए ऐसा लगता हैं। हालात ऐसे लग रहें है इस ड्रीम प्रोजेक्ट में सपनों के बनने वाले महल जहाँ उड़ते बादल फ़र्श बनेंगे और धुंध की दीवारें होंगी की तामीर जरूर पूरी होगी। फिर से मेरी तरफ़ से एम.एस.मीडिआ की को- ऑर्डिनेटर वनिता को साधुवाद,और ढ़ेर सारी शुभकामनाएं । इति शुभ।
--------------- यात्रा / संस्मरण / पृष्ठ ३ / १.
पहाड़ों
की वादियों में खोया मन पुकारे : गंगटोक. आलेख : राजेश रंजन वर्मा.
दिल पुकारे आ रे आ रे : गंगटोक शहर : फोटो : प्रिया.
बचपन से ही मेरी तीव्र लालसा
थी पहाड़ियों पर बसे शहर गंगटोक और दार्जिलिंग घूमने की थी । मैंने सुना था कि यहाँ के
दृश्य अत्यंत मनमोहक और यहाँ के लोग बड़े परिश्रमी और ईमानदार होते हैं। आखिरकार वह
दिन भी आया एक लम्बे अरसे के बाद जब मुझे इन स्थलों को करीब से महसूस करने का अवसर
मिला। मैं सपरिवार हाजीपुर ( बिहार ) से सिलीगुड़ी के लिए संध्या प्रहर ७ बजे वातानुकूलित
बस से सपरिवार रवाना हुआ और अगले दिन प्रातःकाल ८ बजे सिलीगुड़ी ( प. ब.) पहुँच गया था । यहाँ बोलेरो से गंगटोक के लिए सुबह १० बजे प्रस्थान किया। तीस्ता नदी के किनारे की सॅंकरी
सड़क से गुजरते हुए नदी का तेज़ प्रवाह और नदी में राफ्टिंग का दृश्य अत्यंत मनमोहक
लग रहा था। दोपहर ३ बजे गंगटोक शहर पहुँच गए थे। अल्पकालिक आशियाने ( होटेल ) में हमें ठहरना था। जून
की गर्मी में भी यहाँ सर्द का अहसास हो रहा था। शहर की खूबसूरती : सिक्किम की राजधानी ' गंगटोक ' पहाड़ियों पर
बसा एक ऐसा खूबसूरत शहर है जहाँ पहुँचकर पर्यटकों का दिल पहाड़ियों में रम-सा जाता
है। तिस्ता नदी के किनारे बसा और फूलों की घाटियों की तरह सजा यह शहर सचमुच बेजुबां
होकर भी बहुत कुछ कह जाता है। कहीं पहाड़ियों की ओट से निकलते बादलों के गुबार तो
कहीं लुका - छिपी खेलती धूप, कहीं घने -घने, लम्बे -लम्बे वृक्ष तो कहीं इन वृक्षों के
झुरमुटों से झांकते हुए ऊॅंचे - ऊॅंचे, रंग - बिरंगे मकान, कहीं स्वप्निल ऊँचाई तो कहीं तीखे ढाल, यही यहाँ की खूबसूरती
है। काली, पतली, तीखी और सॅंकरी सड़कें ऊॅंचे स्थलों से देखने पर अत्यंत सर्पीली लगतीं
हैं। असमतल भूभाग होने से यहाँ कहीं से भी शहर के विहंगम दृश्य का नज़ारा लिया जा
सकता है। यहाँ होटेल के कमरों के नर्म बिस्तरों पर लेटकर भी पर्यटक सुंदर विहंगम दृश्य
का आनंद लेते देखे जाते हैं। गहरी घाटियों के दृश्य तो अत्यंत मनमोहक, भयावह एवं रोमांचक
था। बादल कहीं घाटियों में नज़र आते तो कहीं
सिर के ऊपर से गुज़रने की अनुभूति कराते। फूलों की मनमोहक छटा और इससे सुगंधित
वातावरण मन को लुभा रहा था। यहाँ की जीवन शैली : यहाँ का जीवन अत्यंत कठिन है। यहाँ का असमतल
ज़मीन मैदानी क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरती है। ऊँचाइयों पर पैदल चलना सचमुच थकान पैदा करने वाला
होता है। यहाँ के जीवन में रच-बस चुके लोगों के लिए यह आम बात है पर पर्यटकों के लिए
एक कठिन चुनौती है। गंगटोक का जीवन प्रायः इन ऊंचाइयों पर पैदल चलने से बचाने हेतु जगह-जगह पर सीढ़ियों का भी निर्माण कराया गया है। ये सीढ़ियां ऊंची एवं लम्बी दूरी को चंद ऊॅंचाई में ही अत्यंत कम कर देती हैं। यह
पैदल यात्रियों के लिए खास कर पर्यटकों के लिए अति आवश्यक है। कहीं - कहीं दो ऊॅंचे
स्थलों को जोड़ने के मुख्य मार्ग पर रोपवे का भी निर्माण किया गया है। रोपवे द्वारा
इस दूरी को लिफ्ट के माध्यम से तय किया जाता है। महात्मा गाँधी मार्ग : ' यहाँ के मुख्य मार्ग ' महात्मा गाँधी मार्ग ' पर पहुँचने के लिए
इसी लिफ्ट का सहारा लिया जाता है। स्वच्छता
के प्रति यहाँ के लोगों की सजगता और अनुशासन बहुत ही अच्छी लगी जो देखते ही बनती है। यहाँ के निवासी चाहे शहरी हो या ग्रामीण,गंदगी
न तो स्वयं फैलाते हैं और न ही दूसरों को फैलाने देते हैं। सबसे रोमांचक है यहाँ की
सॅंकड़ी और कच्ची-पक्की सड़कों पर चलने वाली विभिन्न प्रकार की गाड़ियाँ। भारी दुपहिया मोटर
वाहन एवं छोटे- छोटे भारी मोटर वैन एवं गाड़ियाँ इन ऊॅंचे एवं सॅंकरे रास्तों को बखूबी
पार करती है। व्यापार एवं अर्थ-व्यवस्था : यहाँ की लड़कियाँ व महिलाएँ प्रायः व्यापार एवं अर्थ-व्यवस्था को संभालती
हुई देखी जातीं हैं जबकि पुरूष प्रायः सैन्य और यातायात - व्यवस्था को। दोनों के बीच यह तालमेल यहाँ की सुंदर जीवन
शैली का ही मिसाल है। यहाँ के स्त्री - पुरूष मैदानी भागों के स्त्री-पुरूष की अपेक्षा
शारीरिक रूप से ज्यादा मज़बूत होते हैं। शारीरिक श्रम वाले कार्य भी स्त्रियाँ बखूबी
निभाती देखी जातीं हैं। ठंडा प्रदेश होने के कारण यहाँ स्त्री - पुरूष शराब का सेवन
समान रूप से एक साथ करते पाये जाते हैं। मुख्य बाज़ार : यहाँ का मुख्य बाज़ार महात्मा गॉंधी मार्ग
है। पर्यटक मुख्य रूप से यहीं
खरीददारी करने आते हैं। यहाँ हर प्रकार के ऊनी वस्त्र ,यहाँ की स्थानीय एवं विशेष
परम्परागत चीज़ें मिल जातीं हैं। यहाँ के जायके भी प्रसिद्ध हैं | खरीदारी के लिए यह
उपयुक्त बाज़ार है। यहाँ पहुँचने के अनेक रास्ते एवं साधन है। यहाँ का बाज़ार सुबह ८ बजे से शाम ७ बजे तक गुलज़ार रहता है।
------------- समाचार / संस्मरण / पृष्ठ ३ / ० . जोशीमठ की आपदा.
ख़ुशी. जोशीमठ. सह संपादन / रंजीता. वीर गंज.नेपाल.
जोशीमठ में आजकल रातें डरावनी हो गयी हैं। लोग ढंग से सो नहीं पा रहें हैं। एक अत्यंत खूबसूरत पहाड़ी शहर जो उत्तराखंड का ह्रदय माना जाता है में आज ऐसी आपदा आन पड़ी है कि वहां के स्थानीय लोग बुरी तरह से हो रही त्रासदी से डरे हुए हैं। जोशीमठ स्थित औली जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य देवस्थल बर्फबारी इत्यादि के लिए विश्व भर में प्रख्यात है। यहीं से आप सिखों के पवित्र स्थल हेम कुंड साहिब भी जाते है। और जोशीमठ ही बद्री विशाल ,माना गांव जाने का प्रवेश द्वार भी है। न जाने क्यों आज उस देव स्थल को न जाने किस ने नजर लगा दी हैं ? मानो पेड़ों पर एक चहचहाती चिड़िया अचानक से मौन हो गई हो। ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे पूरा का पूरा जोशीमठ ही पाताल लोक में समा जाएगा। लोग ऐसा कह रहे हैं कि जो प्रलय २०१३ में केदारनाथ में आया था बिल्कुल वैसा ही कुछ फिर से एक बार जोशीमठ में आने वाला है। जोशीमठ उत्तराखंड का वह महत्वपूर्ण मार्ग है जहां से यात्री बद्रीनाथ के दर्शन के लिए जाते हैं। जोशीमठ करोड़ों यात्रियों को आश्रय देता है। आपदा की शुरुआत : आज उस जोशीमठ में तहलका मचा हुआ है, जगह-जगह रोड फट रहे हैं, घरों की दीवारों में दरार आ रही हैं, होटल की इमारतें गिर रही हैं। लोगों को अपना प्रिय स्थान अपने खून पसीने की मेहनत से कमाए हुए घर को छोड़कर जाना पड़ रहा हैं। सभी की अपनी जान को खतरा हो गया है। हालांकि पिछले कुछ समय से ऐसी खबरें सुनने-देखने में आ रहीं थी पर, उस वक्त इक्का - दुक्का मानकर इन पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा था। सवाल यह उठ रहा है कि जोशीमठ में ही आखिर यह सारी भौगोलिक घटनाएं क्यों हो रही है ? इन सारी घटनाओं के कारण क्या हैं ? एनटीपीसी का टनल : ज्ञात है एनटीपीसी के द्वारा टनल निर्माण जो हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के तहत बनाया जा रहा है। उसके कारण मध्य रात्रि में जमीन के नीचे विस्फोट किया जाता है, जिससे यह दरारें और भी बढ़ती जा रहीं हैं। चौड़ी हो जाती हैं । उत्तराखंड में जो हिमालय पर्वत की श्रेणियां हैं, हाल में ही बनी है। इसलिए वो बहुत ही यंग माउंटेन कहलाती हैं। ऐसे में जो पहाड़ियां पहले से ही कमजोर हैं और हम वहां तोड़फोड़ करेंगे या निर्माण करेंगे,तो उसके दुष्परिणाम सामने आएंगे ही। उदाहरण के लिए वहां जो रास्तें बनाए जा रहें हैं उसके लिए पेड़ भी काटे गए हैं। और ब्लास्टिंग भी की गई हैं । ऐसे में कमजोर पहाड़ियां और भी कमजोर ही होंगी और टूटेंगी। लगभग ६०० घरों में अभी तक दरारें आ चुकी हैं। ५० से ज्यादा घरों को खाली करवाया जा चुका है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री धामी जी ने यहां स्वयं आकर लोगों से बातचीत की है , पीड़ित लोगों को सांत्वना देने की कोशिश की है। और सरकार ने यह वादा किया है कि पीड़ित लोगों को ४००० प्रति महीना भुगतान के रूप में दिया जाएगा। लगातार एन डी.आर.एफ एंड एस.टी.आर.एफ. की सेनाएं यहां की जांच पड़ताल कर रही है। वर्तमान रूप में जितने भी कार्य चालू थे सभी को बंद करवा दिया गया है। जितने भी सड़क निर्माण हो रहे थे बाईपास निर्माण हो रहें थे ,सब को स्थगित कर दिया गया है। स्थानीय आंदोलन : जोशीमठ के लोग अत्यंत ही भयभीत हो चुके हैं सुनने में आया है कि अभी कुछ दिन पहले लोगों ने मशाल जलाकर प्रदर्शन भी किया था जिससे कि सरकार कुछ ठोस कदम उठाए। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस घटना के लिए मीटिंग बुलाई और कुछ ठोस कदम उठाए हैं जो कि जल्द ही लागू होंगे। उम्मीद है कि जोशीमठ एक बार फिर से पहले जैसे हो जाएगा फिर से यात्री वहां घूम सकेंगे औली, फूलों की घाटी एवं बद्रीनाथ की यात्रा कर सकेंगे। |
| supporting |
-------------- अनकही : मन की कही : पृष्ठ ४. -------------- साभार.
ख़ामोशी
रिश्ते - नाते शक्ति पर ही विश्वास है. रिहाई नहीं. वजह बनें तेरा साथ : अर्थ
तेरी आरज़ू साथ रहना.
अनकही : मन की कही : पृष्ठ ४.
एक राज
संकलन / संपादन.
डॉ. सुनीता रंजीता. नैनीताल.
विश्वास.
प्यार में लोग.
सारी खुशियां.
मेरे अपने.
एक तेरी ही
तुम्हारे लिए.
मेरी शक्ति
सम्बन्ध निभाना ---------------- Photo Gallarey : Page 5. ---------------
-------------- पृष्ठ ५. फोटो दीर्घा. ----------------- पहाड़ विशेष. संकलन / संपादन.
मानसी पंत. नैनीताल.
युद्ध स्मारक कोहिमा : फोटो किन्तसो औली के खूबसूरत नजारें : फोटो सुबोध राणा.
रिज शिमला में मस्ती कर रहें लोग : फोटो अर्चना फूल. डोर्थी सीट से दिखता सेंट जोन्स स्कूल नैनीताल : फोटो : अरूप : हल्दिया.
मनाली की प्राकृतिक छटा : फोटो डॉ.प्रमोद. मनाली : ये पौधें ये पेड़ ये हवाएं : फोटो डॉ.प्रमोद.वादियों के बीच रचा बसा एक खूबसूरत शहर गंगटोक : फोटो प्रिया.
चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाए हम दोनों : फोटो. डॉ मधुप. | मसूरी की सर्द सुबह : फोटो : सुनील अरोरा. | चमोली के पहाड़ों पर हुई हाल की बर्फ़बारी : फोटो आरुषि |
| औली के नजारें .फ़ोटो : सुबोध राणा.
|
|
-------------- पृष्ठ ६ .कला दीर्घा. -------------- संकलन / संपादन.
रंजीता. वीरगंज.नेपाल.
पोंगल आर्ट : फोटो ऋषभ. चेन्नई. खुद की लड़ाई अस्तित्व के लिए और लोग क्या कहेंगे : कला : सलोनी. वसंत का आगमन : कला : अज्ञात. ------------- पृष्ठ ७. सीपियाँ. ------------- संकलन / संपादन.
कंचन पंत. नैनीताल. -------------- लघु कविता. ----------- बोलो ! है ना ?
आपकी न और मेरी हा का फलसफा तेरे मेरे जीवन का जैसे पूरा सच जैसे साँझ उषा जैसे रात दिन जैसे दुःख सुख जैसे बिछड़ना मिलना जैसे रोना हँसना सच तो यहीं है न और मेरी हा... तेरी न जीवन की बड़ी सच्चाई बोलो ! है , ना ?
डॉ. मधुप. ---------
सिर्फ़ तुम.
मैं शब्द हूं, तुम अर्थ बन कर विस्तार दे दो. मैं तो बस इक ख़्वाब हूं तुम इस, सपनों के बनने वाले इस महल की, तामीर बन कर आकार दे दो. फक़त किस्सें - कहानियों में, दर्ज हो कर न रह जाऊं मैं, तुम सिर्फ़ हा कह कर, इसे हक़ीक़त का अंजाम दे दो.
डॉ. मधुप.
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कौन हूँ मैं ?
हवाओं के संग उड़ने चली थी मैं, पर तूफानों के ज़ोर से बिखरती गयी मैं. पतंग बन कर आसमान को जो छूना चाहा था, कटी पतंग बन कर, नीले अम्बर से धरती पर आ गिरी मैं. जिंदगी को जीना चाहा था, हंस कर मैंने, मगर रास्तें के काँटों में उलझती चली गयी मैं. कई एक सवालों से घिरी हूँ, कौन हूँ मैं ? बंदिशों के बीच एक सहमी, डरी हुई, एक नन्हीं सी जान बन कर रह गयी मैं.
प्रिया. दार्जलिंग ------------
रेनू शब्दमुखर. ------------ रिश्तों की पाक दुनिया को.
कई बार सोचती हूँ कि काश कोई थर्मामीटर होता, जो रिश्तों की पाक दुनिया को, अपनी माप से साबित कर देता, क्योंकि कई बार कई रिश्तें, झूठ के आवरण तले, वट वृक्ष की तरह अपना आधिपत्य जमा लेते है.
और उस झूठ के आलीशान महल में यमराज सरीखे, लोग अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं, जब वह महल सहसा टूटता है, तो वो रिश्ते अंतस को झिंझोड़ कर, सोचने पर मजबूर कर देते है, कि रिश्तों की पवित्रता, नापने का थर्मामीटर, बन जाए तो रिश्ते लहुलुहान, होने से बच जाए.
---------
रक्षिता.
हूँ गर्वित आज मैं, अपनी आत्म शक्ति पर त्रि शक्ति रक्षित संगठित आपस में एकत्रित हो एकीकृत मुझमें समाहित मुझपर समर्पित केंद्रित वाणी से संयमित ओज,विवेक,स्नेह से परिपूरित सचेष्ट थी सावधान थी मौन थी सजग थी तभी तो विपदाएं हमारे जीवन से सौ योजन कोस दूर थी
डॉ. मधुप. ------------- ग़ज़ल. दिल तलबग़ार हैं तेरे मीठे बोलों का आज. डॉ. आर.के.दूबे.
सहायक संपादक. ब्लॉग पत्रिका. -------------- लघु कविता. ------------ ना.
ना के दुःख और मर्म को जाना, जिसने ना में जीना सीख लिया, समझो, उसने दुनियां में हा से जीना सीख लिया. सुख के तो सब होते हैं आकांक्षी, देखो,मैंने असीम कष्टों में भी जीना सीख लिया, है ,ना ?
डॉ. मधुप. पुनः सम्पादित प्रिया दार्जलिंग ------------
तैयार हैं हम.
रक्षा कवच आओं बन जाएं एक दूजे के लिए अफवाहों के इस गर्म बाज़ार में, एक दूसरे के मान सम्मान के लिए. सर्वस्व न्योछावर वलिदान को तैयार हैं हम एकता लिए एक दूसरे के लिए अभेद ढ़ाल के साथ अपनी ,तुम्हारी ,सब की सुरक्षा के लिए वाणी ( बोली ) पर रख कर असीम नियंत्रण अपनी शक्तियों को साध मौन रह कर, निकले मात्र हमारे मुख से समझदारी भरे नपे तुले शब्द, कि हो न कभी हम लापरवाह कि सभी दिशाओं से, कि शत्रु बहुरूपिये घात प्रतिघात के लिए, बैचैन हैं आज नहीं तो कल, होशियार हैं तैयार है.
डॉ.मधुप. ©️®️ M.S.Media. -----------
यथार्थ.
ये जीवन है इस जीवन का.. मैंने हा जाना, आपने ना सिखलाया, मैंने रोशनी देखी थी, आपने अँधेरा दिखलाया. मैंने क़ामयाबी तलाशी, नाकामयाबी मिली, अपनी जीत सोची थी, हार मिली, यही है यही है इस जीवन का यथार्थ. डॉ.मधुप. ©️®️ M.S.Media. ----------- साजिशें.
फोटो : साभार.
कुचक्र हैं अविश्वास है अपनों को तोड़ने की साजिशें भी तेरे आस पास हैं. घेरा बड़ा जटिल है तेरे बाजूओं में ही शत्रुओं का वास हैं. वाणी पर रखो नियंत्रण , इंद्रियों को रखो खुला , शत्रुओं की पहचान हैं, अपनों पर रखों विश्वास, संवादों पर रखो आस, सुनो सब की, करो सोच विचार कर मन की, कुचक्र हैं अविश्वास है साजिशें तेरे आस पास हैं... डॉ.मधुप. ©️®️ M.S.Media. --------- सत्याग्रह.
यदि आप मेरी आत्म शक्ति हैं, तो मेरे स्वयं के मान सम्मान का भी, हक़दार आप ही हैं. मेरी सादगी विनम्रता पर यदि, आंच आने पाए तो ऐसी स्थिति में ही, क्यों नहीं महात्मा गाँधी बहुत याद आए ? छोड़ देते हैं ताउम्र उनका साथ, असहयोग आंदोलन का रास्तां अपना लेते है, आर्य , अहिंसक बनकर ही फिरंगी जुल्म के सामने सत्याग्रही बन कर फिर से खड़े हो जाते हैं, तो कल की नयी सुबह में ही, पराधीन सपनें सुख नाही का अर्थ, भी शीघ्र ही भली भांति समझ जाते है.
डॉ.मधुप. ©️®️ M.S.Media. ----------- ख़्याल. फोटो : डॉ. मधुप.
खोजते रहें उम्र भर दूसरे की ख़ुशी में ही, जो अपनी ख़ुशी, लौटे तो जिंदगी के सफ़र से, खाली हाथ ही रहा, जो लोगों को दिखा वो मेरे लिए अनदेखा था, जो लोगों ने कहा तुम्हारे लिए अनकहा था. जो था, उनके लिए नहीं था, जो तुम्हारे लिए था, वो सब तो तेरे मेरे साथ दफ़न था, बेहिसाब. जब हिसाब करना, तो तुम ही तब बतलाना, इस लेन देन में क्या खोना ? क्या पाना ? डॉ.मधुप ©️®️ M.S.Media. ------------ तारें जमीं पर.
आज मैंने गंगा को कावेरी से मिलते देखा, दो शक्तियों की अनेकता में एकता की शक्ति भी देखा. दो भिन्न मगर अच्छी उत्तर - दक्षिण की संस्कृति गंगा - बोल्गा को आपस में जुड़ते भी देखा. स्वप्निल गगन से, अंधियारे की हट गयी वो काली रेखा, दिन के उजाले में ही आज हमने, तारों को ज़मीन पर उतरते देखा.
( सार : सम्यक साथ )
डॉ.मधुप. ©️®️ M.S.Media. पुनः सम्पादित प्रिया दार्जलिंग ------------ वफ़ादार.
उसने मुझे धीरे से पूछा, "..अच्छा मुझे तुम बतलाओं, .. तुम मुझसे अकेले में ही क्यों मिलना चाहते हो .. ?" मैंने सीधा कहा, "अरे ! कुछ नहीं सोच लो, दुनिया का हर वफ़ादार, अपने मालिक से, उसे महफूज रखने के लिए अपनी उसकी वफा के लिए, अकेले में ही तो मिलता है, न !" ------------- साथ.
वसीयत थी उसकी, मगर कैसी ? मरने के बाद भी मुझे, लिटा देना उसके साथ ही मुझे, क्योंकि बातें अभी बाक़ी हैं , मेरे उस सोए हमराज़ के सीने में ही , अपनी ही ज़िंदगी की कई कहानियां राज बन कर दफ़न हैं, आधी सच्ची आधी झूठी.
डॉ.मधुप ©️®️ M.S.Media. पुनः सम्पादित प्रिया दार्जलिंग -----------
रेनू शब्दमुखर. ------------ रिश्तों की पाक दुनिया को.
कई बार सोचती हूँ कि काश कोई थर्मामीटर होता, जो रिश्तों की पाक दुनिया को, अपनी माप से साबित कर देता, क्योंकि कई बार कई रिश्तें, झूठ के आवरण तले, वट वृक्ष की तरह अपना आधिपत्य जमा लेते है.
और उस झूठ के आलीशान महल में यमराज सरीखे, लोग अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं, जब वह महल सहसा टूटता है, तो वो रिश्ते अंतस को झिंझोड़ कर, सोचने पर मजबूर कर देते है, कि रिश्तों की पवित्रता, नापने का थर्मामीटर, बन जाए तो रिश्ते लहुलुहान, होने से बच जाए. ----------
महकी हुई बहारों की खुशबू.
अपने साथ नयेपन के सूरज की उजास लाओं आने वाले कल में महकी हुई बहारों की खुशबू फैलाओं नया साल नया मौसम,नई आशाएँ नई है दुनियाँ,नई उमंग नई सोच है,नई तरंग नया गीत है गाने वाला, मन को चहकाने वाला, स्नेह और आत्मीयता से स्वागत आने वाले कल का हो बस यही मेरी तेरी इच्छा सब के लिए फलीभूत हो.
-------------- होनी तो जीना सिखलाए.
लघु कविता
अफसाने बन गए कुछ.
कुछ छप गए कुछ छुप गए वे चोर हो गए वे नाग हो गए।
कुछ नप गए कुछ नाप गए कुछ तुल गए कुछ तौल गए।
वे बख्त में आ गए वे बख्त दिखा गए कुछ बिखर गए कुछ सज गए ।
कुछ नजरों में आ गए कुछ नजरों से उतर गए अफसाने बन गए कुछ अनीश कुछ हकीकत हो गए। ---------- गज़ल. फोटो : डॉ. मधुप.
तमाम उम्र खुद को समझाता रहा
खामोश रहे पर कुछ न कहा, जो मिला बस जिया और सहा.
तमाम उम्र कहते ही रहें सब, कहने सुनने को कुछ न रहा.
दर्दोगम वो भी समझे हम भी, दर्द आँसुओं में बस ढलता रहा.
दरिया की रवानगी बनके जिया, जज्ब सीने में दर्द लिए जीता रहा.
तमाम उम्र खुद को समझाता रहा, अनीश जिन्दगी का बसर होता रहा.
अनीश. दुमका / झारखण्ड supporting. ------------ Incredible India Photos : Page 8 -------------- पृष्ठ ८.संस्मरण.फोटो : अतुलनीय शेष भारत. संकलन / संपादन.
अनीता. जब्बलपुर.
Rani Durgawati Madan Mahal Fort Jabbalpur : Courtesy Photo. a side view of Golden Temple Amritsar : photo Randheer. Husaain Sagar Lake Hyderawad a must visit place : photo Bhawana.
a scenic beauty of Kovlam Beach : photo Soniya.
| An eye catching scene of sun rising at Sajnekhali in Sunderban : photo Kamlendu.
|
| people celebrating pongal at Chennai : photo Rishav. |
| Bhangarh : a Haunted Fort in Alvar ,Rajasthan. photo : Dr. Bhwana. Ujjain |
greeting of the new year : photo Nividita Pandey. Dwarika near Seabeach : photo Nivedita Varanasi.
sun setting in Kerla for the new : photo Rashmi. West Bengal. Atherpalli Water fall Kochi Kerla : Photo Rashmi. tee estates at Munnar Hills in Kerla : photo Rashmi.
Lohagarh Hariyana Masti Farm house ki : photo Suman. Karoge yaad to har baat yaad ayegi. Alvida 2022 : Dr. Madhup. ------------- पृष्ठ ९. व्यंग्य चित्र .आज कल : मधुप ---------------- पृष्ठ १० . न्यूज़ क्लिप्स.
Report from Girnar Hills, Junagarh Gujarat : Dr. Prashant.
an archive snowfall news report from Mussoorie : Sunil Arora. ------------------------ Credit Page : 11. -------------------- Courtesy.
Smita. News Anchor.
Patrons.
Chiranjeev Nath Sinha. A.D.S.P Lucknow. Col. Satish Kumar Sinha. Retd. Hyderabad. Captain Ajay Swaroop ( Retd. Indian Navy). Dehradoon. Raj Kumar Karan. Retd. D.S.P. Vijay Shankar. Retd. Sr. D.S.P. Anoop Kumar Sinha. Entrepreneur. New Delhi. Dr. Prashant. Health Officer Gujrat. Dr. Bhwana. Ujjain. ------------------------ Visitors Pankaj Bhatt S.P Nainital ------------------------ Stringers. Abroad Meera.USA Shilpi Lal. USA. Rishi Kishore. Canada. Kunal Sinha. Kubait. Aviral. Japan. ----------------------- Clips : Editors. Manvendra Kumar. Live India News 24. Kumar Saurabh. Public Vibe. Er. Shiv Kumar. Reporter. India TV ------------------------ Legal Umbrella.
Seema Kumari ( Sr. Advocate) Sarsij Naynam ( Advocate. High Court New Delhi) Rajnish Kumar ( Advocate. High Court ) Ravi Raman ( Sr. Advocate) Dinesh Kumar ( Sr. Advocate) Sushil Kumar ( Sr. Advocate) Vidisha ( Lawyer ) ------------------------ पृष्ठ ११ . अनुभाग अंग्रेजी --------------- English Section. Page11. Editors' Group.
Dr. R. K. Dubey. Senior Editor. Dr. Roop Kala Prasad. Patna
---------- Assistant Editors.
Dr. Amit Kumar Sinha. Patna. Dr. Pramod Kumar. ----------- Executive Editors. Seema Dhawan. West Bengal.
Maya Upadhaya. Ranchi.
-------------- Page : 11 / 0 : Post of the Day. ------------- The Real Story of a Girl... Priya. Darjeeling ----------------- Episode 1.
Raidak village : courtesy photo
The remote footpath, which was under the dense observation of the thick forest, lies a small village named Raidak. It was so remote that even the roads, medicals, stations were not available. It was in that village, a small girl was born in a very poor family. The family were suffering with poverty and the neighbours were very far to lend the help from. When she was born there was a very heavy rainfall with thunder and lightning. No one was seen to help them during such a critical situation. The mother suffered starvation and her milk was not even enough to feed her little child. The poor father started wandering in the lonely valleys to find the fruits and nuts for his wife and his little daughter. Their life was full of miseries and slowly he started moving towards another village to find the labour work. The whole day he used to work and in the evening he returned back with the palm full of food for his family. After few days..he realised that it was not possible for him to feed his family wandering from place to place. For few days, he worked so hard that he was able to store some food which would last for a month for his wife and little daughter. Than he decided to move towards the town hopping for a small job which would make their life easier. He left his poor wife and his daughter in their condition and set for a long journey, promising them that he would return back soon with good clothes and food for them. He very well knew that during his absence, his family would be left alone but he firmly decided to do something better for his family. The eyes filled with tears left the village forwarding every step towards the town. The poor wife along with her little cutie started working very hard for their survival. She was truly devoted towards her husband and did as what he said. After seventeen days, a new happiness stepped their life when......, Episode 2.
a pahadi village. He came with a very unique and gentle look stepping with a smile. Every step of his boots kept a footprint on the sandy route which were once bare and dull. The glimpse of his little daughter made him over joyed to hug her and kiss her. His wife who was carrying the little baby girl at her back sobbed in tears but were of happiness. He went inside the house and started unpacking every thing. He brought so many things for them and a huge bag which was kept aside was fully loaded with eatables. His wife became very happy seeing such good foods after a long time. Both of them started a step and were away from starvation. But it did not went long. Every thing changed and gradually they came back to their state as what they were before. Now the baby girl was about eight months old. Her mother was once again pregnant and she was not able to breast feed her as her milk was not enough so the baby girl was fed on crush of grain flour. But the biggest problem was how were they going to survive in such conditions. Lack of food made her ill and her daughter too was declining her health. The man became very upset seeing such condition, so he once again decided to move towards town and seek a secure job. Episode 3.
Again with the same feelings, the man stepped out and went very far. Luckily he got a job in the electrical field. His main task was to pull the electrical wires through the forest area and stand the electrical line. Though the work that he was doing was not easy but compared to his family's condition, he thought he had to accomplish the task given to him. As he went on working, he found the job quite satisfactory for him and he thought to bring his family with him and start a new settlement. So after working for three months, he went back home and brought his family with him towards the town. Though it was not actually a town as we see today, but it was a town for him as the village was fully crowded and there was a small basic health unit and a small primary school. The army gate was near by the forest area where he was working. Though it was not an easy task for a new settlement but some how he managed thinking " something is better than nothing". The baby girl was now eleven months old when they migrated to a new place. She too started her every walk falling and again leaning back to the walls. She found new friends to play with and her first playing item was the clay, which her mother used to bring to apply over the walls and the floor. The day was passing by in the rolling cloud of dust and the baby girl was growing trying herself to become independent by herself. The problem of starvation vanished and they started living a happier and healthier life. But suddenly something strike their life.....
Episode 4.
When the baby girl was eighteen months old, her mother gave a birth to a son. Now their family had a new member. They were very happy but the god lead them with a new hardship again.It is said that " god waits and sees, how long a man can suffer the pain to keep the faith on against the god". So it might be the way one's KARMA decides one's life. After few days, mother was taking the warmth from the chimney that of olden days and the little son was on her arms but the baby girl was eating the hot heated maize near her father in another room. Then mother asked her to bring the diaper cloth for her brother, but who knows that the diaper cloth would change the life of the girl. As the girl ran with the cloth towards her mother, there was a torn in the cloth where her foot got locked and she fell down in the burning coal, red and hot. She screamed in pain,( just imagine the skin of a eighteen months baby). Father came out rushing and picked her in his arms but the baby girl stopped crying as she was totally unconscious. Hardly somewhere her father could feel the heart beat as her pulses were shrinking down.
To be continued...... Editing : Seema Dhawan. West Bengal.
----------------- You Said It. Page 12. --------------- आपने कहा. पृष्ठ १२ -----------
क्या तुम याद रखोगे ?
आपने कहा : पृष्ठ १२ .
फुर्सत ही न मिली
लम्हा साथ है
कितने रंग
कौन है तेरे साथ
संकलन.
सुमन. नई दिल्ली. ----------
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मीडिया टीम की ओर से टीम के सभी सदस्यों, प्रतिभागियों एवं पाठकों को नववर्ष-2023 की हार्दिक शुभकामनाएँ |
ReplyDeleteWow! I love the picture gallery... Pictures related to mountains are the most adorable... Keep going and happy new year 🎉
ReplyDeleteGreat work team MS media
ReplyDeleteVery interesting memory work of team MS media
ReplyDeleteVery interesting memory work of MS media
ReplyDeleteIncredible... Other than write up I loved कहीं अनकही and picture gallery is very nice.. thanks to MS media and all editors
ReplyDeleteBrilliant work!
ReplyDelete"मैं शब्द-सा सीमित हूं, मुझे अर्थ बन विस्तार दे दो "-'अनकही' की इस पंक्ति में शायद वह सब कुछ है जो M.S.Media में है 👌👌कल्पना,संवेदना,रोमांच, सौंदर्य, भावुकता और इन सबसे परे यथार्थ को गुनगुनाती कविता👌👍
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ReplyDeleteIt's fabulous page. Thanks to all joint media house editors. It's a nice work and great effort of all editors.
ReplyDeleteसिक्खों के बलिदान को आपने बहुत गरिमा पूर्ण ढंग से वर्णन किया है।मुसलमानों के धोखेवाज़ी का सटीक वर्णन है।साधुवाद आपको।
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