Diye Jalte Hain : Deepawali 3
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कृण्वन्तो विश्वमार्यम.
Diye Jalte Hain.
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आवरण पृष्ठ. ०
दिए जलतें हैं : दीपवाली : फोटो विदिशा |
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दिए जलते हैं : दीपावली ३.
Diye jalte Hain. Deepawali. 3
A Complete Heritage Account over Culture & Festival.
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पृष्ठ. ० आवरण पृष्ठ.मंगलकामनाएं.
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मीडिया परिवार की तरफ़ से. |
धनतेरस.
दीपावली.
गोवर्धन पूजा,
भैया दूज : चित्रगुप्त पूजा,
तथा सूर्योपासना छठ पर्व
की मंगलकामनाएं
आवरण : पृष्ठ ०. सुबह और शाम
आज का सुविचार .
आज की : कृति : तस्वीर : पाती :
सम्पादकीय : पृष्ठ १. पृष्ठ २.
पृष्ठ ३ .फोटो दीर्घा. आज कल.
पृष्ठ ४. फोटो दीर्घा.दीपावली २०२१ बीते दिनों की
पृष्ठ ५. भजन. यूट्यूब लिंक्स
पृष्ठ ६.आपने कहा
पृष्ठ ७. कला दीर्घा :
पृष्ठ ८.संस्मरण
पृष्ठ ९.में देखें
पृष्ठ १०. व्यंग्य चित्र आज कल : मधुप
पृष्ठ ११.सीपियाँ :
पृष्ठ १२. न्यूज़ रिपोर्टिंग : दीपावली : कल आज और कल
पृष्ठ १३ . मंजूषा : दिल से तुमने कहा.
सहयोग. |
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देखें सुबह और शाम .पृष्ठ ०.
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कहते हैं ना सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा ,यू ए ई. की दिवाली .
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कुणाल / यू ए ई.
कुणाल / यू ए ई. कहते हैं ना सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा । यू ए ई में मैं विगत ३ सालों से रह रहा हूं ,व्यस्तता इतनी है कि दम मारने की भी फुर्सत नहीं मिलती है। लेकिन त्योहारों में अपने वतन की याद बहुत आती है। आखिर हम हिंदुस्तानियों के लिए तो मानना पड़ेगा कि हम हिंदुस्तानी बड़े सजीव होते हैं। हमारे दिलों में हमारी परम्पराएं धड़कती हैं। हम दिल से हिदुस्तानी होते है। मैं भारत में झारखण्ड से हूँ। रांची मेरा आशियाना है। अपने घर से बाहर हूँ। परदेश में रहते हुए अपने लोगों की याद बहुत आती है ख़ासकर त्योहारों में तो एक अजीब सा ख़ालीपन घर कर जाता है। घर से बाहर आप अपने वतन की याद करेंगे यह स्वाभाविक ही होगा।
भारत से समय में ढाई घंटा पीछे चलने वाले यू. ए. ई. में दिवाली की शाम कुछ ज्यादा नहीं होती है । दिवाली की शाम भी आम दिनों की तरह ही होती हैं। उन जगहों पर सजावट दिखेगी जहाँ भारतीय रहते हैं।
शाम में ऑफिस से लौटने के पश्चात मैंने अपने पुश्तैनी घर की दिवाली की परंपरा को याद किया ,लक्ष्मी जी की आराधना की , धूपबत्ती दिखाई खुद मिठाई भी खा ली। और आस - पड़ोस में दीपावली की रौनक को देखने के लिए निकल पड़ा जो देखा , मैंने आपको बताला रहा हूँ ।
बालकनी में आप लड़ियों की सजावट भी देख सकते हैं , उनकी बालकनी से सजावट देखने के क्रम में ही आप अनुमान लगा सकते हैं कि वहां कोई न कोई हिंदुस्तानी रहता ही है जो अपनी सभ्यता और संस्कृति से असीम लगाव रखता हैं ,और परदेश में अपनी विरासत को महफ़ूज रखना चाहता है ।
ज्यादा पटाखों के शोर और रौशनी तो नहीं देखी जा सकती है लेकिन हा माल और दुकानों में हैप्पी दिवाली के बोर्डिंग और होर्डिंग्स दिख जाएंगे और वहां पर से आप अपनों के लिए चॉकलेट और स्वीट्स खरीद सकते हैं और गिफ़्ट दे सकते हैं ।
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Special Correspondent.
Diye Jalte Hain in Japan 🪔 ”
It was 10:30 AM morning and it’s a usual, a normal day in Japan.
In land of rising sun, all I could hope for jalte diya le🪔. Every time I recall this , shine of my face got more brighter than maximum brightness of my computer screen.
Today’s my fingers are rolling at much faster speed , typing on keyboard for office work and wishing “Happy Diwali “ to n number of messages popping on my phone.
Fingers, eyes, mind , heart.. umm … I guess I was divided into 2 parts , 2 worlds…
And all of sudden we got a broadcast message from my manager “Please plan Finish off work and leave by 2-3 PM JST”.
And all of sudden everything just got changed.
We have 3 hours before sun sets, and it was enough for engineers like us to make a day worth to remember, isn’t it!!!
While going back , plans were running our mind, much faster than japan renowned bullet train.
Plan was simple, to go clean your house, do a bit of shopping, be in Full Tradition Indian attire, gather at a common place , and cook(all delicious we can eat.( all thanks to Youtube)
Lighting diyas with all and saying “Happy Diwali”.. aah I felt each letter..
Also got to know that there is 2 Days diwali celebration planned by Japan called Indo-Japan diwali fest.
We all rushed next day there.
And ..and couldn’t believe how a country, which is far far from our mother India, is not only carrying but infact living our culture with such a grace. Most of Japanese people were in full kurta/saree.
“I have been learning Kathak from past 17 years“ said Masako Sato san who made everyone in awe with her charismatic kathak dancing skills .
Later, as it is said, we Indians breathe Bollywood..
A Japanese girls group set stage on fire with their 1 hour uninterrupted energetic dance , made whole Yokohama go bleeding Bollywood..
Aah!!! what a day it was when I recall it midnight, sitting in balcony of my always empty apartment.
I lit a diya and said “Happy Diwali “ to myself and to universe, saw whole japan with eyes of that diya and believe me ,that moment, I didn’t feel alone!!!
I don’t recall when my eyes got heavy and when did I fall sleep in arms of Jalta diya 🪔.“ Diye Jalte Hain ”
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डॉ. मधुप रमण .
यात्रा वृतांत.
पावापुरी की दीपावली : जैनियों के लिए महावीर स्वामी के निर्वाण का उत्सव .नालन्दा
पावापुरी का जल मंदिर तथा इसके पहुंचने का रास्तां : फोटो विदिशा. |
डॉ. मधुप रमण / पावापुरी. पिछले दिनों की बात है। महीना अक्टूबर का ही । महीना के मध्य के
दिनों में हमलोग यू हीं बुद्ध की ज्ञान स्थली नालंदा के स्थानीय ऐतिहासिक जगहों के भ्रमण पर थे। हमारे साथ मेरे मित्र इलाहाबाद बैंक के मैनेजर श्याम थे जो गाड़ी चला रहे थे। सुबह की वेला में अचानक हमलोगों का मन कर गया कि कि दीपावली के पहले पावापुरी चलते हैं। इन दिनों पावापुरी में जैनियों की खूब आवाजाही लगी रहती है। न जाने कहाँ कहाँ से जैनी पावापुरी में जमा होने लगते हैं। आख़िर नालन्दा स्थित पावापुरी में जैनियों की दीपावली महावीर स्वामी के निर्वाण का उत्सव के रूप में मनाई जो जाती है। नौ किलोमीटर के फासले तय करने के लिए हमने अपनी गाड़ी पटना - रांची राष्ट्रीय मार्ग की तरफ़ मोड़ दी । बिहारशरीफ़ से आठ, नौ किलोमीटर की दूरी पर ही तो हैं पावापुरी। महावीर स्वामी का निर्वाणस्थल। दीपावली में ही तो देश विदेश के जैनियों की भीड़ हमारे पावापुरी में लगती हैं ना।
दिनों में हमलोग यू हीं बुद्ध की ज्ञान स्थली नालंदा के स्थानीय ऐतिहासिक जगहों के भ्रमण पर थे। हमारे साथ मेरे मित्र इलाहाबाद बैंक के मैनेजर श्याम थे जो गाड़ी चला रहे थे। सुबह की वेला में अचानक हमलोगों का मन कर गया कि कि दीपावली के पहले पावापुरी चलते हैं। इन दिनों पावापुरी में जैनियों की खूब आवाजाही लगी रहती है। न जाने कहाँ कहाँ से जैनी पावापुरी में जमा होने लगते हैं। आख़िर नालन्दा स्थित पावापुरी में जैनियों की दीपावली महावीर स्वामी के निर्वाण का उत्सव के रूप में मनाई जो जाती है। नौ किलोमीटर के फासले तय करने के लिए हमने अपनी गाड़ी पटना - रांची राष्ट्रीय मार्ग की तरफ़ मोड़ दी । बिहारशरीफ़ से आठ, नौ किलोमीटर की दूरी पर ही तो हैं पावापुरी। महावीर स्वामी का निर्वाणस्थल। दीपावली में ही तो देश विदेश के जैनियों की भीड़ हमारे पावापुरी में लगती हैं ना।
हम एकाध घंटे के भीतर ही जल मंदिर पहुंच चुके थे। वहां वैसी ही चिर शांति फैली हुई थी जैसी पूर्व में हमें मिलती है। बौद्ध तथा जैन तीर्थ स्थलों के भ्रमण करने यह बात तो दीगर है कि हमें अध्यात्म के लिए सही व माकूल वातावरण मिल जाता है। आप घंटों वहां बैठ कर मनन चिंतन कर सकते है। सुबह सुबह ही पर कुछेक पर्यटक राजस्थान के दिख ही गए । पूछने पर पता चला जैनी ही थे।
झील की सतह पर तिरोहित होते हुए सूरज की किरणें तिर रहीं थी । पानी की सतह पर लालिमा बिखर कर लगभग मिल गयी थी। या कहें पसर गई थी हमलोग नालन्दा अवस्थित कुण्डलपुर से महावीर की जन्म तीर्थ भूमि देख कर लौट रहें थे। और अब २४ वें तीर्थंकर महावीर स्वामी के निर्वाण स्थल के समीप थे।
तालाब कुछ सौंदर्य विहीन, वीरान ,उजड़ा दिख रहा था । पानी नहीं के बराबर था । घांस पतवार से जल मंदिर का तालाब भरा पड़ा था। कमल की डंटलें पानी से ऊपर दिख रहीं थी। मछलियां तिरती नहीं दिख रहीं थी। अन्यथा बरसात के दिनों में जब तालाब में पानी होता था तो ढ़ेर सारी मछलियां सतह पर दिख जाती थी। बहुत दिनों बाद हम जल मंदिर आए थे।
इतिहास : जैन धर्म मानने वालों के अनुसार २४ वें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने इसी स्थल पर निर्वाण प्राप्तकिया था। जैन धर्म के मतालम्बियों के अनुसार २४ वें तीर्थंकर महावीर स्वामी का निर्वाण स्थल इसी पुरी गांव में हुआ था । ऐसा प्रतीत होता है इस निर्वाण स्थल के मुख्य स्थान से जैन श्रद्धालुओं द्वारा चारों तरफ मिट्टी उठाने का क्रम निरंतर जारी ही रहा जिससे कालांतर में एक तालाब का निर्माण हो गया था। बाद में बीच में छोटा सा मगर आकर्षक मंदिर का निर्माण हो गया। स्वर्ण मंदिर की तरह जल के मध्य बने इस मंदिर को जल मंदिर कहा जाता है। प्रवेश द्वार से ही एक पैदल मार्ग बना हुआ हैं जो तालाब के मध्य में बने एक चबूतरें से जुड़ता हैं। और इसी समतल, आयताकार चबूतरें पर सफ़ेद संगमरमर से बना है महावीर स्वामी का मंदिर।
दिगम्बर जैन मतावादियों के अनुसार इस स्थल पर ही महावीर स्वामी ने निर्वाण प्राप्त किया था परंतु श्वेतांबर जैन मतावादी पुरी गांव के मंदिर को ही महावीर स्वामी का स्वर्ग आरोहण का स्थल मानते हैं। जल मंदिर के गर्भगृह में ही भगवान महावीर स्वामी के पैर संगमरमर पर अंकित है जो जैन तीर्थयात्रियों के लिए बड़ा ही पूज्य है।
गतांक से आगे : १
महावीर स्वामी : त्रिरत्न : पांच अणुव्रत
त्रिरत्न : मंदिर के चारों तरफ़ परिक्रमा करते हुए महावीर स्वामी के बारे में ही सोच रहा था। क्या था ? राजपुत्र थे महावीर स्वामी । भोग विलास की जिंदगी व्यतीत कर सकते थे। लेकिन नहीं किया। जीवन के दर्शन में कष्टों का निवारण खोजने में लग गये। त्रिरत्नों की ख़ोज की। महावीर स्वामी के त्रिरत्न क्या थे ? इनका तुम्हारे हमारे जीवन से क्या सम्बन्ध हो सकता है।
सच कहें तो अपने जीवन के भीतर भी इस आपधापी में बुद्ध तथा महावीर स्वामी की अनमोल बातों पर थोड़ा ध्यान दे ही देना चाहिए। मनन चिंतन कर लें। कुछ बातें अपने लिए भी अच्छी लगेंगी। बुद्ध मेरे प्रिय है। उन्के अष्टांगिक मार्ग में ही मैं अपने जीवन के हल ढूँढता हूँ। उनकी कही गयी अनमोल बातों में तो मैं सम्यक् साथ के लिए सदैव प्रयासरत रहता हूँ। मेरी समझ में वह व्यक्ति सबसे अधिक भाग्यशाली है जिसे बेहतर साथ मिला। हमें इसके लिए सदैव दृढ़ रहना सीखना होगा। महावीर स्वामी ने कर्म के बन्धनों के विनाश और कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति के लिए तीन साधनों के अनुकरण का उपदेश दिया था , जिसे जैन धर्म में त्रिरत्न कहते हैं। क्या ये त्रिरत्न मनुष्य को निर्वाण की अवस्था तक पहुँचने में मदद दे सकते हैं तथा सन्मार्ग की ओर ले जाते है ?
सम्यक् ज्ञान : सम्यक् ज्ञान से तात्पर्य है सच्चा और सम्पूर्ण ज्ञान, जो तीर्थंकरों के उपदेशों से प्राप्त होता है।
मेरी समझ में अच्छे ज्ञान प्राप्ति के हमें सदैव क्रिया शील रहना चाहिए।
सम्यक् दर्शन : सम्यक् दर्शन का अर्थ है, तीर्थंकरों में पूरी श्रद्धा और अखण्ड विश्वास तथा सत्य के प्रति श्रद्धा रखना। साधारण अपने जीवन के संदर्भ में अपने आस पास बेहतर और भला देखने के लिए तत्पर होना चाहिए। अपने आस पास अच्छा देखने की कोशिश आपको सकारात्मक रखेंगी ।
सम्यक् चरित्र : इसे सम्यक् व्यवहार भी कहते हैं। इसका अर्थ है सदाचार पूर्ण जीवन व्यतीत करना। जब मनुष्य अपनी इन्द्रियों तथा कर्मों पर पूरा नियंत्रण कर लेता है तथा इन्द्रियों की विषय वासना में नहीं फँसता तो उसका आचरण शुद्ध हो जाता है। अमूमन हमें सभी के साथ मानवीय व्यवहार करना चाहिए।
पांच अणुव्रतों : के पालन करने की बात महावीर ने कही। महावीर के पांच अणुव्रतों अहिंसा ,सत्य ,अस्तेय ,ब्रह्मचर्य तथा अपरिग्रह में हम अपने आम जीवन में कम से कम अहिंसा ,सत्य का पालन तो कर ही सकते है न ? मेरे अनुभव के आधार पर यह तो जरूर कहा जा सकता है कि यदि हम सत्य की ख़ोज के लिए दृढ़ हो जाए तो हमारे जीवन की तमाम समस्याएं निराकृत हो सकती हैं । मैंने अपने जीवन के अनुभवों से बार बार कहा है ,रुक जाओ ,ठहर जाओ, एकांत में एक दूसरे की सुन लो ,सत्य को परख लो।
क्रमशः जारी :
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आज का आभार / सहयोग .पृष्ठ ०.
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निर्माण / संरक्षण.
डॉ.अजय कुमार. नेत्र रोग विशेषज्ञ.
डॉ.सुनील कुमार. शिशु रोग विशेषज्ञ.
डॉ.राजीव रंजन. शिशु रोग विशेषज्ञ.
डॉ.इंद्रजीत कुमार.एम.डी.हृदय रोग विशेषज्ञ.
डॉ.अमरदीप नारायण. हड्डी,नस रोग विशेषज्ञ.
उमाकांत गुप्ता. तनिष्क ज्वेलर्स.
अतुल रस्तोगी .मुन्ना लाल महेश लाल आर्य ज्वेलर्स.
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आज की बात . जीवन सुरभि. पृष्ठ ०.
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संकलन.
सीमा धवन : पश्चिम बंगाल.
Light for your brightful future.
Crackers for your demolish of your failure.
Rangoli for your colourful life.
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"...अपने डर को कभी भी अपना भविष्य तय न करने दें .."
" ...आप आज जो करते हैं वह आपके सभी कल को सुधार सकता है..."
"....अच्छी बातें मुक़म्मल होने में बाज़िब समय लेती हैं.."
"...आपके सीखने की सबसे अच्छी बात यह है
कि कोई भी इसे आपसे नहीं ले सकता...."
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जीवन सुरभि पृष्ठ ०.
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पृष्ठ.० आज की : कृति
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संपादन
प्रिया. दार्जलिंग.
विघ्नहर्ता गणेश की वंदना के साथ : कृति नेहा सुमन |
supported by .
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आज का गीत : जीवन संगीत.पृष्ठ ०.
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संपादन.
अनुभूति सिन्हा.
शिमला.
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आकाश दीप.
जलाए मैंने तुम्हारी याद में,
तुम्हारे लिए,
हां, सिर्फ तुम्हारे लिए
उम्मीदों के कई आकाश दीये ,
इस दिवाली,
तुम तक सन्देश पहुंचाने के लिए ही ,
कुछ तो तुम तक़ पहुंचे ही होंगे,न ?
इस उम्मीद में,
इस घने अँधेरे में भी,
हो सके तो बस एक दीया,
प्रेम से विश्वास का जला लो,
अगर जीना है तो,
लोग क्या कहेंगे ?
इस डर, और बहम
अपने भीतर से हटा लो,
कितना बेहतर हो,
जो तुम अपने दृढ़ विश्वास से ही,
अपने रस्मों और रिवाज़ से ही,
खुद को ही नहीं,
समाज को भी बदल डालो.
...अपने भीतर के डर, और बहम
के अंधकार को
हमेशा के लिए मिटा डालो ...
मेरी मानो तो,
बस आज एक दिन नहीं,
इस तरह हर दिन
हां, इस तरह ही ,अपनी
शुभ दीपावली मना लो.
डॉ.मधुप.
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भावनाओं की बाती.
जला लो इस दिवाली
अपने अन्तःमन में शाश्वत प्रेम का
एक ऐसा दीया,
इस तरह कि,
कष्टों के तिमिर दूर हो जाए,
अंधेरों की लाख आंधियों में भी,
भावनाओं की बाती न बुझने पाए,
संरक्षित हो दिव्य शक्तियों से
आप - हम सभी,
और आप त्रि - शक्तियों की तरह,
मेरे सात जन्मों में,
मेरी रक्षा कवच बन जाए.
सर्वकालिक
उन्नति के सन्मार्ग स्वतः
त्रि - शक्तियों की कृपा से,
मेरे आप सबों के,
जीवन की सभी दिशाओं में,
आप ही प्रशस्त हो जाए.
डॉ.मधुप
©️®️ M.S.Media.
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अपना जहाँ रोशन करते हैं.
अंतर्मन में दीप जला,
सारे शौक ताक़ पर रख
स्वहित को छोड़,
पर हित में जीवन लगाते हैं,
आओ दीवाली कुछ इस तरह मनाते हैं.
सबके जीवन में नवल ज्योति ,
नव प्रकाश ला
नव जीवन से परिचय करा
जीवन सबका महकाते हैं
आओ दीवाली कुछ इस तरह मनाते हैं.
भूखे ,नंगे ,कोढ़ी ,लाचार को,
मनचाहे उपहार दे,
उनकी आँखों की मृदुल चमक से
चल रेन अपना जहाँ रोशन करते हैं
चलो दीवाली कुछ इस तरह मनाते हैं.
भटके हुए है राही जीवन - पथ में जो
नैराश्य के गर्त में फूंक रहे हैं
उनमें नए अरमान ,
आशा,नव सोच जागृत कर
नई उमंग के मीठे पकवान खिला
जीवन उनका रसमय बनाते है,
आओ दीवाली कुछ इस तरह मनाते हैं.
आपस के मन - मुटाव मिटा क्रोध अनल ,
लालच विष से मुक्त करा सबको,
प्रेम से गले लगा पावन त्योहार मनाते है,
चल दीवाली कुछ इस तरह मनाते हैं.
देश को खोखला करने वाले तत्वों को,
जड़ से मिटाने का प्रण ले,
प्रकाश अभिनन्दन से नाता जोड़,
चल फ़िर से और खुशियों के दीप जला
वसुधैव कुटुंबकम की संस्कृति का
परचम फहराते हैं
आओ रेनू कुछ इस तरह
दिवाली मनाते हैं
प्रेम से सबको गले लगाते हैं.
सहायक संपादक.
रेनू शब्दमुखर. जयपुर.
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ये जो दीए जल रहे हैं.
अनेक अंतहीन इच्छाओं - प्रतीक्षाओं के बीच,
ये जो दिए जल रहे हैं ,
अमावस की घोर अंधियारी रात्रि में,
दीपकों के ज्योत विहस उठें ।
टिमटिमाती लौ में,
हो रहे हैं प्रदीप्त,
आधे - अधूरे स्वप्न उन हाथों के,
जिनका स्पर्श पा ये सांचे में ढले थे।
मलिन स्मित उन अधरों की भी,
जीवनाचाक ने मुस्कान जिनकी ,
अपनी चकरी में घूमा डाली।
इनकी टिमटिमाती लौ में,
प्रदीप्त हो रही है,
द्वार पर बनाई हुई रंगोली की आभा,
जिसमें रमणी ने अपने नेह रंग,
चुटकियों के पोरों से बिखेर दिया,
रंग- आकृति के सौन्दर्य धरा पर।
इनकी टिमटिमाती लौ में,
प्रदीप्त हो रहे हैं,
आस्था के वो बीज,
जिसे माटी की मूरतों में बोकर ,
डगमगाते विश्वास को भी हल के नोक तले दबाकर,
बद्ध करों ने फुसफुसाए हैं प्रार्थना के दो बोल।
इनकी टिमटिमाती लौ में,
प्रदीप्त हो रही हैं,
गौरवपूर्ण अश्रुजल से सींचित,
अमर प्रतीक्षाएँ वीर-वधुओं की।
तो अनेक अंतहीन प्रतीक्षाएं भी,
जो कई बार छली जाती हैं,
जैसे अभिशप्त हो,
अपूर्णता के लिए,
पर फिर भी खुद को जीवंत रखती हैं,
किसी छद्म विश्वास के साथ।
टिमटिमाते लौ ने समो लिया
उल्लास - हर्ष के प्रकाश को,
तो विषाद - उच्छावास के अंधेरे को भी।
पूर्णता, प्रसन्नता, आमोद ही नहीं,
संघर्ष, व्यथा के भी मौन गीत गाती हैं ये।
विविध जीवनाराग की बाती,
अलग - अलग देहरी पर,
टिमटिमाने का धर्म,
निभा रही हैैं।
रीता रानी.
जमशेदपुर, झारखण्ड.
-----------
हर दिन करवा चौथ.
डॉ.सत्यवान सौरभ.
हिसार. हरियाणा
जिनके सच्चे प्यार ने, भर दी मन की थोथ ।
उनके जीवन में रहा, हर दिन करवा चौथ ।।
हम ये सीखें चाँद से, होता है क्या प्यार ।
कुछ कमियों के दाग से, टूटे न ऐतबार ।।
मन ने तेरा व्रत लिया, हुई चाँदनी शाम ।
साथी मैंने कर दिया, सब कुछ तेरे नाम ।।
मन में तेरा प्यार है, आँखों में तस्वीर ।
हर लम्हे में है छुपी, बस तेरी तासीर ।।
अब तो मेरी कलम भी, करती तुमसे प्यार ।
नाम तुम्हारा ही लिखे, कागज़ पर हर बार ।।
मन चातक ने है रखा, साथी यूँ उपवास ।
बुझे न तेरे बिन परी, अब ‘ सौरभ ’ की प्यास ।।
तुम राधा, मेरी बनो, मुझको कान्हा जान ।
दुनियां सारी छोड़कर, धर लें बस ये ध्यान ।।
मेरे गीतों में बसी , बनकर तुम संगीत ।
टूटा हुआ सितार हूँ, बिना तुम्हारे मीत ।।
माने कब हैं प्यार ने, ऊँच -नीच के पाश ।
झुकता सदा ज़मीन पर, सज़दे में आकाश ।।
संपादन : अनुपम चौहान .संपादक। समर सलिल
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पृष्ठ.० आज की : तस्वीर
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ग्रेटर नॉएडा की दीपावली : फोटो सुमन |
--------------
प्रधान संपादक.
डॉ. मनीष कुमार सिन्हा.
नई दिल्ली.
डॉ. आर. के. दुबे. |
सहायक संपादक
रेनू शब्दमुखर. जयपुर.
-----------
सुनो
मैं नहीं चाहती कि,
तुम्हारे लिए,
कुछ भी अनकहा छोड़ दूं,
इसलिए आज मैं कहती हूं,
कि मेरे पास तुम्हें देने के लिए,
सिर्फ़ प्रेम ,प्यार ,समर्पण ,विश्वास,
पाक दिल से तुम्हारे लिए है,
जो विश्वास करते हो मुझ पर,
उस विश्वास का,
आकाश का सा विस्तार है , तुम्हारे लिए,
हां, मेरे सपने जो मैं तुम्हारे साथ मिलकर,
प्राप्ति का मार्ग खोजती हूं,
उन सपनों की अटूट उम्मीद हो तुम,
क्योंकि मेरे अमोल सपने में,
तुम ही तुम हो,
पल - पल , हर पल ,
मैं तुम्हारे ही साथ हूँ .
फोटो : डॉ.मधुप |
तुम्हारी बंसी में
राधा की आँखों में,
उसकी प्यारी बातों में ,
मैं तुम्हारे ही आस पास हूँ ,
और हाँ , हम ना मिले,
कोई बात नहीं,
पर मैं कविता की पाक संवेदना में ,
तेरा एहसास लिए,
तुझ तक ,तेरी रूह तक़
पहुँच ही जाउंगी,
यह भी सच है
कुछ भी अनकहा छोड़कर नहीं जाउंगी.
भावनाओं का सैलाब लुटा कर,
मैं अपने भरोसे की पोटली,
ख्वाहिशों का पुलिंदा,
तेरे नाम कर जाउंगी ,
अब तो नहीं कहोगे की,
कुछ अनकहा ही छोड़ जाओगी.
सहायक संपादक.
रेनू शब्दमुखर. जयपुर.
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फोटो एडिटर.
अशोक कर्ण.
भूत पूर्व फोटोग्राफर. हिंदुस्तान दैनिक. पटना - रांची.
भूत पूर्व फोटो एडिटर
पब्लिक एजेंडा .नई दिल्ली.
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संवाददाता विशेष.
शिल्पी. अमेरिका.
ऋषि किशोर. कनाडा.
कुणाल. यू. ए. इ.
अविरल. जापान.
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पृष्ठ निर्माण सहयोग : आभार. तनिष्क |
Picture gallery is awesome. Nice collection and Nice editing, Mam . Collection is too good . Loved it
ReplyDeleteकरवा चौथ पर प्रियंका सौरभ का आलेख एवं मधुप रमन का सम्पादन- सह- लेखन प्रशंसनीय है |
ReplyDeleteAcha lga padh ke sir...😊
ReplyDeletePhoto gallery of Deepawali is just wow... Waiting for more such photos
ReplyDeleteAppreciable photo gallery!👍
ReplyDeleteWow! Superb news reporting. A big round of applause for u...
ReplyDeleteअति मनमोहक तस्वीर, सुन्दर आवरण अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeletevery beautiful blog
ReplyDeleteभाषा शैली अत्यंत ही सुंदर है और साथ ही में जैन मंदिर का वर्णन इतने अच्छे रूप से किया गया है कि ऐसा लगता है कि हम आंखों के सामने पावापुरी जल मंदिर को देख रहे हैं
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteएक मोहक प्रस्तुति , पावापुरी और इसकी दिवाली को बिम्बों के सहारे शानदार उकेरा है आपने।लगता है उन सारे रंगों को अपनी बाहों में लेकर हमें सौंप दिया है।
ReplyDelete