Bal Divas : 25

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आवरण : पृष्ठ 
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सम्पादकीय शक्ति समूह : पृष्ठ : २ 
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प्रधान सम्पादिका 
नवशक्ति डेस्क 
शिमला 

शक्ति शालिनी रेनु नीलम अनुभूति
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तारे जमीन पर : बच्चें मन के सच्चे : शक्ति : आलेख : २ / २
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तारे जमीन पर
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बाल दिवस : शक्ति सम्पादकीय आलेख
शक्ति. प्रिया रेनू डॉ.सुनीता अनुभूति
जयपुर डेस्क.
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बाल दिवस : बच्चें मन के सच्चे : फोटो : शक्ति. शैली कृष्णा मुंबई

चाचा के प्रेम से बनी उनकी जयंती : बाल दिवस : नेहरू जी को बच्चें प्रिय थे। या कह सकते है बच्चों को नेहरू जी प्रिय थे। इसलिए नेहरू की जयंती को बाल दिवस भारत का एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है जो हर वर्ष १४ नवंबर को पूरे देश में बड़े उत्साह और आनंद के साथ मनाया जाता है।
यह दिन हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की जयंती को समर्पित है। नेहरू जी बच्चों से अत्यधिक प्रेम करते थे और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए हमेशा प्रयासरत रहते थे। बच्चे उन्हें स्नेहपूर्वक चाचा नेहरू कहकर पुकारते थे।
बाल दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य समाज में बच्चों के अधिकारों, उनकी शिक्षा और उनके समग्र विकास के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। इस दिन स्कूलों और अन्य शैक्षिक संस्थानों में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रतियोगिताएँ और रचनात्मक गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं, जिनसे बच्चों में आत्मविश्वास और उत्साह बढ़ता है। बाल दिवस केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि यह हमें याद दिलाता है कि बच्चों को प्रेम, सुरक्षा और समान अवसर देना हम सभी की जिम्मेदारी है। वे नौनिहाल हमारे देश के भविष्य है।
बचपन : शारीरिक : मानसिक विकास की अवस्था : बचपन सब के लिए प्यारा। क्योंकि बच्चें मन के सच्चें हैं । कोशिश हमें भी उनकी तरह होने का करते रहना चाहिए। प्रिय बच्चों बचपन मुस्कुराता रहे। अपने अंदर के बच्चे को हमेशा जिंदा रखिए। आपको देखती हूँ तो सदैव लगता है तारे जमीन पर उतर आए हैं।
बचपन की मुख्य विशेषताओं में शारीरिक विकास तेजी से विकास, मांसपेशियों और हड्डियों का निर्माण , के साथ साथ मानसिक विकास सोच, स्मृति और भाषा कौशल में सुधार,भावनात्मक विकास भावनाओं को समझना और नियंत्रित करना, और सामाजिक विकास साथियों के साथ घुलना-मिलना और सामाजिक नियमों को सीखना शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, बच्चों में जिज्ञासा और सीखने की प्रबल इच्छा होती है और वे खेलने में बहुत रुचि लेते हैं। हमें भी सीखने की प्रवृति का त्याग कभी नहीं करना चाहिए।
झगड़ा जिस के साथ करें अगले ही पल फिर बात करें :

फोटो : शैली कृष्णा : मुंबई
 
जनाब साहिर लुधियानवी बच्चों के लिए फरमाते हैं बच्चें ख़ुद रूठें ख़ुद मन जाएँ फिर हम-जोली बन जाएँ. झगड़ा जिस के साथ करें अगले ही पल फिर बात करें. इन को किसी से बैर · नहीं होता है। इंसाँ जब तक बच्चा है तब तक समझो सच्चा है. जूँ-जूँ उस की उम्र बढ़े मन पर झूठ का परदा है। कुछ तो इन बच्चों से सीखें। बच्चें बने। निर्दोष हो।
बचपन हर गम से बेगाना होता है : बचपन आज भी जिंदादिली से जीने की राह बताता है। आप सभी को हम सभी की ओर से बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ! बच्चें आप सभी दिल के उतने ही करीब होते हैं जितना कोई अपना किसी के लिए होता है। इन सालों में मैंने सिर्फ नहीं पढ़ा ही , बल्कि आपके साथ सीखा,हँसा और हर पल आपको बढ़ते हुए देखा है।
शिशुओं का विहार सब के लिए एक घर उपवन की तरह है, और आप सभी राष्ट्र आँगन के वो अनमोल फूल हो,जिनकी खुशबू से ये आँगन,समाज और राष्ट्र महकता है।
सन्देश : दिल से निर्दोष बनें जटिल नहीं : बाल दिवस पर अपनी तरफ से बस एक संदेश देना चाहती हूँ अपने सपनों को ऊंचा उड़ान दो, कभी हार मत मानो और हमेशा अपने हृदय में मानवीय संवेदनाओं को सजीव रखो। किताबें,पाठ्यक्रम, सब जरूरी हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है एक अच्छा इंसान बनना,जो अपनी संस्कृति,अपने परिवार और अपने राष्ट्र के प्रति कर्तव्यशील हो।
आपके उज्ज्वल भविष्य के लिए हमारी अनगिनत शुभकामनाएं और अपना अपार स्नेह। हमेशा याद रखो, हम सभी अपने बचपन पर गर्व करती हैं और हमेशा गर्व करती रहेंगी आपके साथ हैं । हँसते रहें , मुस्कुराते रहें बाल दिवस की अनंत शिव शक्ति हार्दिक शुभकामना

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संपादन :शक्ति मंजिता
स्मिता वनिता नीलम
सज्जा : शक्ति माधवी सीमा वाणीअनिता

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