Ye Jate Huye Lamho Zara Tahro : Alvida 2023.

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Ae Jate Huye Lamho ZaraThahro : Alvida 23.
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ये जाते हुए लम्हों जरा ठहरो : अलविदा २३ : सांस्कृतिक पत्रिका.
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हिंदी अनुभाग.
आवरण पृष्ठ : ०. ये जाते हुए लम्हों जरा ठहरो : २०२३.    

आवरण पृष्ठ : ०. ये जाते हुए लम्हों जरा ठहरो : २०२३. कोलाज : विदिशा. 
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हिंदी अनुभाग : विषय सूची. 


आवरण  : विषय सूची :  प्रारब्ध : पृष्ठ ०.
महाशक्ति के विचार. पृष्ठ : ० / १. 
सन्देश / शुभ कामनाएं. पृष्ठ : ० / २.  
विषय सूची : आवरण पृष्ठ : ० / ३. 
जीवन सार संग्रह. पृष्ठ : १  
 आज का आभार / सहयोग पृष्ठ : १ / ०.  
जीवन मंथन : मुझे भी कुछ कहना है : पृष्ठ १ / १. 
जीवन सुरभि : विचार : पृष्ठ : १ / २. 
जीवन सुरभि : राधे : कृष्ण : विचार :  पृष्ठ  : १ / २ / १. 
 जीवन सुरभि :  शक्ति विचार  : पृष्ठ  : १ / २ / २.
जीवन दर्शन : पृष्ठ  :  १ / ३.
सम्पादकीय : पृष्ठ : २. 
सुबह / शाम की पोस्ट : आकाश दीप : गद्य संग्रह  : सम्पादकीय : पृष्ठ ३ / ०.
 सुबह / शाम की पोस्ट : पद संग्रह : सम्पादकीय : सीपिकाएँ. ३ / १.
सम्पादकीय लेख : आलेख : संग्रह. पृष्ठ : ४. 
ऐ जाते हुए लम्हों  : फोटो दीर्घा : २०२३ . पृष्ठ : ५. 
सम्पादकीय कविताएं : ऐ जाते हुए लम्हों : पृष्ठ : ६.
कला दीर्घा : ऐ जाते हुए लम्हों  : २०२३ : पृष्ठ : ७.  
वो लाली है सवेरे वाली  फोटो दीर्घा : २०२४ . पृष्ठ : ८ . 
 ऐ जाते हुए लम्हों खबरें / दृश्य  दीर्घा : २०२३ . पृष्ठ : ९.
 ऐ जाते हुए लम्हों : तराने : फिल्मी गाने : पृष्ठ : १० .   
 ऐ जाते हुए लम्हों : कही अनकही  : कोलाज : पृष्ठ : ११. 
दिल ने फिर याद किया : पृष्ठ : १२. 
चलते चलते : पृष्ठ : १३. 
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महिला सशक्ति करण की एकमात्र ब्लॉग मैगज़ीन 
परमार्थ के लिए देश हित में 
त्रि - शक्ति निर्मित विकसित,अधिकृत और नवशक्ति समर्थित.

मातृत्व छाया समर्थित 
महाशक्ति डेस्क. 
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महाशक्ति के विचार. पृष्ठ : ० / १.
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संपादन.

डॉ. सुनीता रंजीता 
प्रिया.
 नैना देवी डेस्क.नैनीताल.
 

         अपने भीतर की संरक्षित गर्वित प्रवल आत्म ' शक्तियां  ' ही हमारी ' ऊर्जा ' हैं  
          ' जीने ' की वजह हैं, ' ख़ुशी ' है, समस्त ' समस्याओं ' का ' निवारण ' हैं 

 

विचार : महाशक्ति.
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   किसी का 'सरल स्वभाव' उसकी ' कमज़ोरी ' नहीं  होती.


कबीर 

   लाली मेरे लाल की, जित देखूँ तित लाल, 
लाली देखन मैं गयी, मैं भी हो गई लाल


' वाणी ' और ' पानी ' दोनों में मनुष्य की ' छवि ' नजर आती हैं
' पानी ' स्वच्छ हो तो ' चित्र ' नजर आता है 
और ' वाणी ' मधुर हो तो ' चरित्र ' नजर आता है


          अपने भीतर की संरक्षित गर्वित प्रवल आत्म ' शक्तियां  ' ही हमारी ' ऊर्जा ' हैं  
          ' जीने ' की वजह हैं, ' ख़ुशी ' है, समस्त ' समस्याओं ' का ' निवारण ' हैं 



' कर्म ' ध्यान से कीजिये 
न किसी की ' दुआ ' खाली जाती है और न ही ' बद्दुआ ' 

आज हम अपनी ' दुआओं ' का असर देखेंगे 
 जीवन जोत ' ज्वाला देवी ' की तरह जलती रहे, देखेंगे  

झूठ में सदैव से ही झूठा आकर्षण होता है 
परन्तु सच में सत्य की स्थायी स्थिरता होती है 

अपनों के लिए सदैव दृढ़ मानसिक शक्ति बनें कमजोरी नहीं 
डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया.  

          अपने भीतर की संरक्षित प्रवल आत्म ' शक्ति ' ही हमारी ' ऊर्जा ' हैं  
          ' जीने ' की वजह हैं, ' ख़ुशी ' है, समस्त ' समस्याओं ' का ' निवारण ' हैं  
' इतनी ' शक्ति ' हमें देना ' दाता ' मन का ' विश्वास ' कमजोर हो न '
हम चलें  नेक रस्ते पे हमसे ' भूल ' कर कोई भूल हो ना  


"...जीती बाजी ' 
प्रेम ' की मैं खेलूं ' पी ' के संग 
       जीत गयी तो ' 
पिया मोरे '...हारी ' पी के संग '..." 


ख़ुसरो.


ऐसी ' वाणी ' बोलिए मन का ' आपा '  खोए, 
औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए. 


   लाली मेरे लाल की, जित देखूँ तित लाल, 
लाली देखन मैं गयी, मैं भी हो गई लाल


  प्रेम न बाड़ी  उपजे, प्रेम न हाट बिकाई,
  राजा परजा जेहि रुचे, सीस देहि ले जाई.

कबीर 
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सुबह और शाम  : ओम नमो शिवाय : भक्ति शक्ति संगीत : पृष्ठ : ० / २  
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संपादन.

 

त्रि शक्ति प्रस्तुति ⭐ नव शक्ति समर्थित.
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शुभ प्रभात / संध्या  


भोर / सांझ  : भक्ति : शक्ति : संगीत. 

मेरी पसंद. 
डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया. 
नैनीताल. 
फिल्म : गुड्डी.१९७१. 
सितारे : धर्मेंद्र. जया भादुड़ी.
गाना : हमको मन की शक्ति देना. 


गीत : गुलज़ार. संगीत : वसंत देसाई. गायिका : वाणी जयराम.   

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फिल्म : मैं चुप रहूंगी १९६२ 
सितारे : मीना कुमारी. सुनील दत्त. 
गाना : तुम्ही हो माता पिता तुम ही हो. 
गीत : राजेंद्र कृष्ण. संगीत : चित्रगुप्त.  गायिका  : लता मंगेशकर. 


गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं
https://www.youtube.com/watch?v=PrXdnAwmUhA
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फिल्म : बैराग १९७६ 
सितारे : दिलीप कुमार,सायरा बानू. 
गाना : ओ शंकर मेरे कब होंगे दर्शन 
गीत : आनंद बख्शी. संगीत : कल्याण जी आनंद जी. गायक : महेंद्र कपूर.
 


गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं  
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फिल्म : पूरब और पश्चिम.१९७०. 
  सितारे : मनोज कुमार. सायरा बानू. 
गाना : ओम जय जगदीश हरे
गीत : इंदीवर संगीत : कल्याण जी आनंदजी  गायक : महेंद्र कपूर. लता.


गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं  

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फिल्म : अँखियों के झरोखें से.१९७८.  
सितारे : सचिन. रंजीता.  
गाना : बड़े बड़ाई न करें बड़े न बोले बोल 
गीत : रविंद्र जैन. संगीत : रविंद्र जैन. गायक : हेमलता. जसपाल सिंह.



गाना सुनने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं. 
https://www.youtube.com/watch?v=zdfKb5njqtU
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फिल्म : गीत गाता चल १९७५ 
सितारे : सचिन सारिका.
गाना : मंगल भवन अमंगल हारी 
गीत : रविंद्र जैन. संगीत : रविंद्र जैन : गायक : जसपाल सिंह

  

गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 

त्रि शक्ति प्रस्तुति ⭐ नव शक्ति समर्थित.
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जीवन सार संग्रह : पृष्ठ : १ 
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जीवन सुरभि : पृष्ठ : १ / ० 
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या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता.


शक्ति : डेस्क  
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संपादन.



रंजीता / नैनीताल. 
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जीवन सुरभि : राधे : कृष्ण. विचार : पृष्ठ : १ / ० / १ . 
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नूतन वर्ष २०२४ मंगल मय हो. 


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राधे राधे बरसाने वाली राधे. 


भजन सुनने के लिए पृष्ठ में नीचे दिए गए लिंक दवाएं. 
https://www.youtube.com/watch?v=4rURry0UFB8

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राधे : कृष्ण. 
 दिव्य तस्वीर : साभार.


बिहारी. 

मेरी भव – बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ, 
जा तन की झाईं परै, स्यामु हरित – दुति होई.

भावार्थ.
 
प्रस्तुत दोहे में बिहारी जी कहते हैं कि 
वह त्रिलोक की प्यारी ' राधिका ' जी मेरी सांसारिक बाधाओं को दूर करें, 
जिनके गौरवर्ण यानी गोरी शरीर की चमक पड़ने से ' श्रीकृष्ण ' भी फीकी कान्ति वाले हो जाते हैं। 
अर्थात् राधा के सामने श्रीकृष्ण भी तुच्छ नज़र आते हैं।


राधा ऐसी बावरी, कृष्ण चरण की आस 
छलिया मन ही ले गयो अब किस पर विश्वास ? 


माना की जग की नजरों में उनका प्रेम अधूरा आधा है,
पर हर मन्दिर हर कण में कृष्ण के संग बस राधा है.
 

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः 
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः '
भागवत गीता. 

" पवित्र, समर्पित ' मन ' ही दुनियाँ का सर्वोत्तम ' तीर्थ ' है. " 



' ईश्वर ने ' जिंदगी '  दी है ..वो ही हमें ' मार्ग ' भी बतलाएगा ' 



किसी के ' मन ' और ' मौन ' को बहुत कम लोग ही समझ पाते है.


" यदि जगत में प्रत्येक कार्य मनुष्यों द्वारा सम्भव होता 
तो ' ईश्वर ' का ' अस्तित्व ' ही नहीं होता 
जहाँ हमारे प्रयत्नों का अंत होता है.
   वही से ' ईश्वर ' का आरम्भ होता है " 

" आओ अपने ' मन मंदिर ' में ' प्रेम ' और ' विश्वास ' का ऐसे ' दीप ' जलाएं
जिसे हजार ' 
अविश्वास ' की ' आँधियाँ ' भी ना बुझा पाए ..
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जीवन सुरभि : पृष्ठ : १ / ० / २.  
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शक्ति डेस्क.  

संपादन. 


रंजीता / नैनीताल. 
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' कभी कभी ' खो भी जाना चाहिए,
ये देखने के लिए कि कौन ' तलाशने ' आता है ?


' जब तक ' कष्ट'  सहने की ' क्षमता ' जाग्रत नहीं होती,
अपेक्षित ' लाभ ' भी नहीं मिलता...'


' दोस्तों ' के मुस्कुराने का असर मेरी ' सेहत ' पर होता है...
और लोग पुछते है, ' दवा ' का नाम क्या है..?


 ' कभी कभी ' संबंध ' भी कितने नाजुक होते हैं
लोग ' शब्दों ' को पकड़कर ' इंसान ' को ही छोड़ देते हैं.. '


' वक़्त ' किसी का नहीं होता है ..बाजार में हमने उन नोटों को भी कबाड़ के भाव बिकते देखा, 
जो कभी पूरा ' बाजार ' खरीदने की ताकत रखते थे.


' मन ' से ज्यादा उपजाऊ जगह कोई नहीं है..क्योंकि वहाँ जो भी कुछ बोया जाए,
 बढ़ता जरूर है चाहे वह  ' विचार ' हो, ' नफरत ' हो या फिर ' प्यार ' हो.


" छोटी छोटी ' बातें ' दिल में रखने से बड़े बड़े ' रिश्ते ' कमजोर हो जाते हैं
बड़ी ' सोच ' बड़ा दिल जिंन्दगी की हर सुबह ' खुशहाल ' बनाते हैं "


सलाह, हारे हुए की तजुर्बा, जीते हुए का
और दिमाग, खुद का इंसान को जिंदगी में कभी हारने नहीं देता

" सच्चे ' इंसान ' गलती कर सकते हैं
     पर किसी के साथ ' गलत ' नहीं कर सकते.."


' रिश्तों '  की कभी प्राकृतिक ' मौत ' नहीं होती, ' अहंकार '  उनकी हत्या करता है,
आओ हम अपने ' अहंकार ' को खत्म करें....और रिश्तों को जीवित रखें


हमेशा मुस्कुराते रहें ' अपने ' लिए तो कभी ' अपनों ' के लिए 



आशा और निराशा सिक्के के दो पहलू हैं. 
आशा है तो हौसले हैं, हौसले हैं तो उम्मीद है, उम्मीद है तो सफलता है. 
इसके विपरीत निराशा है, तो कुछ भी नहीं है, न हौसले, न उम्मीद और न ही सफलता.

' मन ' को हमेशा, ' जीत ' की ' उम्मीद ' सदैव करनी चाहिए....
   भाग्य बदले या ना बदले, लेकिन समय जरूर बदलता है....

अटूट रिश्ते के हैं ये मान : समझ,साथ, समय,संवाद,सहिष्णुता और सम्मान.  
 डॉ. मधुप.  


ज्ञान एक ऐसा निवेश है जिसका मुनाफा हमें 
जीवन के अंत तक मिलता है
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जीवन मंथन :  : मुझे भी कुछ कहना है : पृष्ठ १ / २ . 
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या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी  रूपेण संस्थिता.

महालक्ष्मी ' डेस्क 


' नवभोर स्नेहवंदनम : आप पर ' महालक्ष्मी ' की ' कृपा दृष्टि ' सदैव बनी रहे. 
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संपादन.


 सीमा धवन. कोलकोता.


 .".आने वाले नूतन वर्ष २००५ की मेरी यह अभिलाषा होगी कि 
मेरी समस्त शक्तियां : ' महाशक्ति '' त्रिशक्ति ' तथा ' नव शक्ति 'जो मेरे जीवन की आधार शिला हैं  वो मेरे लिए स्वतंत्र,  प्रतिबन्ध रहित, विश्वस्त ,संवेदनशील और मेरी स्थायी ,आत्मीय शक्ति बनी रहें.." 

डॉ. मधुप. 


हे ! भगवान तूने जो दिया उसका कोई हिसाब नहीं 
जैसे जैसे मैं सर को झुकाता चला गया वैसे वैसे तू मुझे उठाता चला गया 


' नवभोर स्नेहवंदनम ' : ' सुबह ' की पवित्र मंगल वेला पर 
ईश्वर आप समस्त जनों को अक्षय ' आरोग्य ' धन ऊर्जा प्रदान करें  


  आप समस्त एकत्रित त्रिशक्तियाँ ' लक्ष्मी ',' सरस्वती ' और ' शक्ति ' के स्वरुप में  
हम सबों के लिए  मानसिक संबल बन कर जीवन आधार बनें  


देख लेना ' गलती ' से कभी कोई अपना न छूटे देखो ' दिल ' न किसी का टूटे. 
डॉ. मधुप. 


" काश ये सब को समझ आ जाये।..आपस में एक दूसरे के प्रति भलाई की भावनास्नेह का भाव
और एक दूसरे की सफलता में स्वयं आनंदित होना ही हमारी जीत है। "

रेनू शब्द मुखर. सम्पादिका.जयपुर

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जीवन दर्शन :सम्यक दृष्टि : पृष्ठ : १ / ३ . 
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या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि रूपेण संस्थिता.
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वीणा वादिनी . 


सरस्वती डेस्क 
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संपादन / संकलन.

 

अनीता. 
मेहर डेस्क / जब्बलपुर.
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ओम सूर्याय  नमः 


शिकायतों की भी अपनी इज्जत होती है 
न सबके सामने सरे आम की जाती है 
  न अपनों के सिवाय हर किसी से की जाती है 


रहीम. 

' जैसी परे सो सहि रहे, कहि रहीम यह देह,
धरती ही पर परत है, सीत घाम औ मेह.'

अर्थ : रहीम कहते हैं कि जैसी इस देह पर पड़ती है – 
सहन करनी चाहिए, क्योंकि इस धरती पर ही सर्दी, गर्मी और वर्षा पड़ती है. 
अर्थात जैसे धरती शीत, धूप और वर्षा सहन करती है, 
उसी प्रकार शरीर को सुख-दुःख सहन करना चाहिए


कबीर. 

   कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हँसे हम रोये। 
ऐसी करनी कर चलो, हम हँसे जग रोये ॥


' दुःख ' में सुमिरन सब करे ' सुख ' में करै न कोय।
जो ' सुख ' में सुमिरन करे दुःख काहे को होय ॥

कबीर 
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आज का आभार / निर्माण / संरक्षण. / सहयोग .पृष्ठ : १ / ४    
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 संयोजिका. 
मिडिया हाउस
 
 
वनिता / शिमला.
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आभार प्रदर्शन 
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सहयोग. 

डॉ. दीना नाथ वर्मा. 
दृष्टि क्लिनिक. बिहार शरीफ़. 
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इस ब्लॉग मैगज़ीन पेज के निर्माण के सहयोग  के लिए 
हम आपका हार्दिक आभार प्रगट करते हैं.
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त्रि शक्ति प्रस्तुति ⭐ नव शक्ति समर्थित 
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सम्पादकीय : पृष्ठ : २. 
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प्रधान ⭐ संपादक.
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रेनू शब्द मुखर : जयपुर.
 नीलम पांडेय : वाराणसी. 
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प्रधान 
कार्यकारी 
⭐ 
संपादक.
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डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया.
नैनीताल डेस्क.
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सहायक संपादक
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अनीता सीमा 
जब्बलपुर.
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अतिथि संपादक 


मानसी कंचन / नैनीताल.
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सुबह / शाम की पोस्ट : आकाश दीप : गद्य संग्रह : सम्पादकीय : पृष्ठ ३ / ०.
क्रिसमस विशेष
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यात्रा विशेषांक : उत्तराखंड  परिशिष्ट .पृष्ठ ३ / ०     
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सेंट जॉन्स इन द विल्डरनेस चर्च : 
१८५६ से पूर्व की स्थिति. 

सेंट जॉन्स इन द विल्डरनेस : ‘ जंगल के बीच ईश्वर का घर.’ 
नैनीताल का सबसे पुराना चर्च.
डॉ. मधुप रमण.  
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ये पर्वतों के दायरें,नैनीताल.
उत्तराखंड यात्रा वृतांत ३.धारावाहिक.अंक ९. से साभार 
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मुझे दिसंबर और जनवरी महीना बेहद अच्छा लगता है क्योंकि मैदानी इलाके में रहते हुए मुझे पहाड़ों,
यथा अपने घर की याद आने लगती है। इन दिनों सर्दियां पड़ रही होती है। धुंद रास्तें में पसरी होती है। 
रास्तें खाली मिलते है। लोग घरों में कैद होते हैं। आबादी नहीं के बराबर दिखती है। 
२५ दिसंबर के आस पास शांता क्लॉज के कदमों की आहट सुनाई देने लगती है। चीड़ और देवदारों के घने जंगलों से रेंडीयरों के द्वारा स्लेज खींची जाने की आवाजें भी मेरे स्नो हाउस तक आने लगती है। चांदनी बर्फ़ के ढलानों पर बिछी होती है। हलकी नीलिमा फैली होती है। मुझे इसलिए नीला रंग बेहद पसंद है। 
बर्फ़बारी में अपने घर के बाहर तुमने जुराबें टांगी की नहीं मैं अक्सर तुमसे पूछता भी हूँ। कहते है शांता 
सारी इच्छाएं पूरी करते हैं। जब कभी भी क्रिसमस पास होता है ईशा, चर्च ,कैंडल सब कुछ स्मृत हो जाता है। ईशा इसलिए याद आते हैं क्योंकि इतिहास साक्षी है कि ऐसा भी हाड़ मांस का व्यक्ति इस धरा पर पैदा हुआ जिसने सब पीड़ाएँ सही और समस्त जगत की मानवता की रक्षा  के लिए अपना जीवन दे दिया। इसलिए जब कभी भी मैं अपने गांव ( पहाड़ी स्थान ) जा रहा होता हूँ तो वहाँ के चर्च को जरूर देखता हूँ क्योंकि जीवन की अवस्था में इस सन्यास आश्रम के काल में मुझे शांति और सम्यक साथ की बेहद तलाश है। जीवन का अर्थ ढूंढना है अब इस उम्र में अर्थ ( धन ) की उतनी अहमियत नहीं। जरुरत भी इतनी ही  जितनी की आवश्यकता हो।    
हम विश्व के श्रेष्ठ हिन्दू धर्म के अनुयायी होने की बजह से ही सभी धर्मों के अच्छे सारों को अपने भीतर आत्मसात करने के लिए प्रेरित और सदैव तत्पर रहते हैं। नैनीताल प्रवास के दरमियाँ मैंने जिस चर्च को देखा है उसका व्योरा मैं आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। 
मेरी खुद की लिखी ये पर्वतों के दायरें,नैनीताल.उत्तराखंड यात्रा वृतांत ३.धारावाहिक.अंक ९.से साभार ली गयी है,इस छोटे से अंश का आंनद आप भी उठाए। 
वो तुम नहीं तो कौन थी, जिसने मुझे पवित्र बाइबिल , भागवत गीता की तरह ही पढ़ रखा है। समझ रखा है, अर्थ जान रखा है। वो तुम ही तो हो ,अनु जो मुझे पूरी शिद्दत से जानती हो, मेरे जीवन के सारांश को समझती हो ,....बिना बोले,  बिना कहे। 
बचपन, विलियम वर्ड्सवर्थ, सोलिटरी रीपर,स्कॉटलैंड की पहाड़ियां,रेनबो, ....चर्च, कैंडल पढ़ते पढ़ते मैं 
कब थोड़ा सनातनी थोड़ा ईसाई बन गया था मुझे तो पता ही नहीं चला, अनु !
मेरे रंग में रंगते रंगते आप भी कब से सनातनी हिन्दू से उदार हो रही थी ...इसकी भी मुझे जानकारी दिन ब दिन हो ही रही थी। परिवर्तन तो महसूस किया जा सकता था न ?
स्नो,रेन्डियर ,शांता, क्रिसमस ट्री,चर्च , जिंगल बेल , स्लेज से आप भी जुड़ने लगी है यह बोध तो मुझे बीते कई सालों से होने लगा था। जब से आप मेरी तरह सर्विस टू मैन इज सर्विस टू गॉड...आदि के सिद्धांतों में विश्वास रखने लगी थी। आप में बदलाव मेरे लिए तो पठनीय ही था।   
आज भी आप पूरे मनोयोग से क्रिसमस सेलिब्रेट करती है,मैं यह भली भांति जानता हूँ। मैंने देखा भी है। 
जब भी मैं कारण पूछता तो आप हँस कर कहती , '...आपके लिए ..मैं क्या नहीं कर सकती हूँ ...कुछ भी। देख लीजियेगा ...तुम्हारे लिए ....एक दिन आपकी जोगन बन भी बन जाऊंगी ...." 
याद है,अनु इधर पता नहीं क्यों पिछले एकाध सालों से मैं आपको नेस्ट टू सुप्रीम पॉवर ही मानने लगा हूँ न ? एकदम से सच्ची,अदृश्य शक्ति जैसी। न जाने क्यों याद कर लेने मात्र से ही सुरक्षित महसूस करने लगता हूँ ...
मुझे देखती हुई, मेरी हर पल की निगरानी करती हुई। रात में पहाड़ी धुंध में पसरती, खिली हुई चांदनी  जैसी...सुबह में कमल के पत्तों पर ठहरी ओस की बूंदों जैसी। मानो समस्त ब्रह्माण्ड में आप वर्तमान हो।    
मुझे याद है आर्य समाज मंदिर में उस दिन मैं बहुत पहले ही उठ गया था। दूर नैना देवी का प्रवेश द्वार यहाँ से भी दिख रहा था। एकदम से चिर शांति दिख रही थी। 
कुछ लोग प्रातः ही आर्य समाज मंदिर में यज्ञ के लिए आ चुके थे। भजन कीर्तन का कार्यक्रम पहले की तरह चल ही रहा था। कोई आर्य समाजी अनूप जलोटा का भजन...कैसी लागी लगन ...मीरा हो गयी मगन ...गा रहा था।  
नित्य क्रिया से फ़राग़त होने के बाद नीचे बजरी वाले मैदान में उतर गया था। वही गोरखे से एक प्याली गर्म चाय ली और फूंक फूँक कर गर्म ही पीने लगा था। तब कोई यही दिन के आठ बज रहें थे। 
हम हाई कोर्ट के पास के रास्ते से ही सूखा ताल जाने वाले थे ना ? रात में भी हमने  नवीन दा से इस सन्दर्भ में ढ़ेर सारी बातें की थी। उन्होंने इसके इतिहास पर व्यापक प्रकाश भी डाला था। बस हमें वहां जाना और देखना मात्र था।   
सेंट जॉन्स इन द विल्डरनेस चर्च : हमने सुन रखा था नैनीताल का सबसे पुराना सूखाताल क्षेत्र में स्थित चर्च है। मैं बजरी बाले मैदान के मस्जिद के पास खड़ा तुम्हारी राह देख रहा था। 
कुछ देर में ही तुम आ गयी थी। हम पैदल ही हाई कोर्ट के रास्तें चढ़ाई के लिए निकल पड़े थे । 
साथ चलते हुए तुमने पूछा भी , ' ....थकेंगे तो नहीं ना .... ? ...चलना पड़ेगा..'
' देखता हूँ .... '
राह चलते चलते तुमने पुरानी बातें बतलानी शुरू कर दी थी,  '....इतिहास साक्षी है साल  १८४१ से ही  नैनीताल में बाहरी लोगों के बसने की प्रक्रिया आरम्भ हो गयी थी। अंग्रेज जहाँ कहीं भी गए उन्होंने अपने लिए चर्च बनवाए।  आबादी के बसने की  शुरूआत के साथ ही इस सरोवर नगरी  में अंग्रेजों के पूजास्थल के रूप में स्थान ढूंढना शुरू कर दिया था ...'
इस चर्च की स्थापना के लिए अंग्रेज अधिकारी प्रयासरत हो गए थे। 
अंत में इस कार्य हेतु कुमाऊं के वरिष्ठ सहायक कमिश्नर जॉन हैलिट बैटन ने काफी सोच विचार करने के बाद चर्च बनाने के लिए सूखाताल के पास इस स्थान को बेहतर समझते हुए चुना था । 
थोड़े देर सुस्ताने के लिए मैं सड़क के किनारे ही पत्थर पर बैठ गया था। तुमने थोड़ी देर ठहरते हुए फिर चर्च की कहानी दुहरानी शुरू कर दी थी , '...मार्च १८४४ में कोलकाता के बिशप डेनियल विल्सन एक पादरी के साथ नैनीताल भ्रमण के लिए आए। अथिति विशप को चर्च के लिए चुनी गई इस जगह पर ले जाया गया तो उन्हें पहली नजर में यह जगह इतनी पसंद आ गई कि उन्हें यह जगह जन्नत जैसी लगी। इसलिए बिशप ने इस चर्च को नाम दिया ‘ सेंट जॉन इन द विल्डरनेस , यानी ‘ जंगल के बीच ईश्वर का घर ’ 
टहलते हुए हमलोग चर्च के एकदम नजदीक पहुंच चुके थे। आस पास लगभग सन्नाटा पसरा हुआ था। पेड़ों की कतारें आसमान जैसे क्षितिज को छू रहीं थी। पूजा के लिए तो शांति की अतीव आवश्यकता होती है न । शांति हो तो मनन चिंतन में मन लगता है। है ना ,अनु  ? 
कुमाऊं के तत्कालीन कमिश्नर जीटी लूसिंगटन के आदेश पर अधिशासी अभियंता कैप्टन यंग ने चर्च की इमारत का एक मुकम्मल नक्शा बनाया। अक्टूबर १८४६ में चर्च का नक्शा पास हुआ और आगे चल कर विशप के कार्यकाल के १३ वर्ष पूरे होने के मौके पर १३  अक्टूबर १८४६ को चर्च की इमारत का शिलान्यास हुआ। और इसके बाद निर्माण कार्य शुरू हो गया ......' तुम अपने धुन में बोले जा रहीं थी। 

सेंट जॉन इन द विल्डरनेस : फोटो नवीन जोशी 

जानते है एक अनोखी बात ...?  
क्या .....? 
तुमने कहा , ' ...इस चर्च के शिलान्यास की पूरी दिलचस्प कहानी एक कांच की बोतल में लिखकर बोतल को इमारत की बुनियाद में रख दिया गया था। पता नहीं क्या सोच रही होगी। 
आगे चर्च की इमारत तो दिसंबर १८५६ में बन कर तैयार हुई, परंतु इससे पहले ही २ अप्रैल १८४८  को निर्माणाधीन चर्च को पहले ही आम अवाम के प्रार्थना के लिए खोल दिया गया। चर्च के निर्माण में उस समय लगभग १५ हजार रुपए खर्च हुए थे । यह धनराशि १८०७ में चंदे के रूप में जुटाई गई थी। इसके लिए  वहां मौजूद कमरों को  किराए पर लगाया गया भी था। याद रखने योग्य यह है कि  चंदे से जुटाए गए ३६०
 रुपए से रुड़की के कैनाल फाउंड्री से चर्च के लिए पीतल का घंटा भी बनवाया गया जिसे यहाँ स्थापित किया गया, जिसमें यह लिखा गया था - 
एक आवाज - शून्य में चिल्लाना। ' 
साल १८  सितंबर १८८० को नैनीताल में हुए प्रलयंकारी भूस्खलन हुआ जिसमें ४३ यूरोपियन सहित १५१ लोग मारे गए। इनमें से कुछ को चर्च में लगे कब्रिस्तान में दफनाया गया और इस भूस्खलन में मौत के मुंह में समा गए यूरोपियन नागरिकों की याद में चर्च मे एक पीतल की पट्टी 
पर सभी यूरोपियन मृतकों के नामों का उल्लेख किया गया, जिसे आज भी यहां देखा जा सकता है। '

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गतांक से आगे : १ 
मैं ,तुम ,मेरी तन्हाई और चर्च सेंट जॉन्स इन द विल्डरनेस.

मैं ,तुम ,मेरी तन्हाई और चर्च सेंट जॉन्स इन द विल्डरनेस. फोटो. डॉ.मधुप.नैनीताल.
 
इस बार भी गर्मियों में जब मैं नैनीताल गया था तो आप विदेश के दौरे पर थी। मैं तुम्हारे बिना ही सेंट जॉन्स इन द विल्डरनेस ‘ जंगल के बीच ईश्वर का घर  देखने अकेले ही चला गया था। हाई कोर्ट के पास ही मैंने किसी मोटर साइकिल वाले से लिफ्ट ले ली थी। सहर्ष तैयार हो गए थे। शायद वह भी चर्च ही जा रहे थे। जल्द ही हम वहाँ पहुंच गए थे। 
वहाँ कितनी चिर शांति पसरी पड़ी थी अनु...? चर्च खाली पड़ा था। पादरी भी नहीं थे।  सुबह ही तो हुई थी अभी। इतनी सुबह इतनी जल्दी लोग थोड़े ही आते हैं ?मैं कुछ पहले ही आ गया था। 
कुछ लोग दिखे जो सुबह सबेरे चहल कदमी करने आए थे। उनमें से ही किसी ने बताया चर्च अब प्रेयर टाइम में ही खुलता है ...रविवार के दिन...
निराशा हुई थी। चर्च खुला होता तो एक कैंडल भी जलाता अपनी तुम्हारी सुख समृद्धि के साथ साथ समस्त जगत के कल्याण के लिए। आज भी जब कभी कहीं भी मैं पहाड़ों पर दार्जलिंग ,कलिम्पोंग , गंगटोक,शिमला,डलहौज़ीचम्बा, मसूरी,कसौलीनैनीतालऊटी,तथा कोडाईकैनाल की यात्रा पर गया मैंने आपके,सब के कल्याण लिए कैंडिल जलायी है,..आप इस बात को जानती भी है । 
सूरज की किरणें पेड़ों से छन कर चर्च की दीवारों पर गिर रहीं थी। सच में कोई भी यहाँ नहीं था। लेकिन मन की रिक्तता में भी तुम कहीं न कहीं वर्तमान ही थी न अनु। 
मेरे जीवन के हरेक क्षण में अणु बन कर तुम शामिल हो ... ऐसा लग रहा था जैसे आज भी मैं और मेरी तन्हाई में तुम इस चर्च के बारें में सब कुछ बतला रही थी ....
अब यहीं एकाकीपन और खालीपन जो मेरी आदत ही बन गयी है। मेरे एकांत को लेकर याद है तुमने कभी मुझसे सवाल भी किया था, " आप इतना अलग थलग क्यों रहना चाहते हैं ..भीड़ से हटकर.... ...सामाजिकता भी तो कोई चीज है न ..थोड़ा बदल क्यों नहीं लेते अपने आप को ...?
तब भी मैंने इतना ही कहा था , "... बदल नहीं सकता ...मेरे लिए समाज नहीं ...व्यक्ति महत्वपूर्ण है ..मैं भीड़ का हिस्सा नहीं बन सकता ...और फिर सच कहें अनु ! फिर समाज में अच्छें लोग हैं ही कहाँ ....? ...फिर ऐसे में उनलोगों के साथ उठने बैठने ,बातचीत करने में घुटन ही होगी न... इसलिए अलग थलग ही रहता हूँ ..."
"..अगर मैं इस भीड़ में शामिल हो गयी तो..क्या करेंगे आप ..? ", जैसे आप ने मुझसे जानना चाहा था।  ...बड़ी उत्सुकता से पूछते हुए आप मेरी तरफ देखने लगी थी। थोड़ी हँसी भी थी आपके चेहरे पर। 
"... तय है ..तब भी शायद  मैं आपके पीछे भागूंगा नहीं ..अपने पूरे धैर्य संयम के साथ ही भीड़ से हटकर आपके अकेले होने का इंतिजार ही करूँगा ...शायद अगले जनम तक .."
"..सच्ची ...अगले जनम तक ...प्रतीक्षा करेंगे..., " बड़ी भावुक हो गयी थी ...अपने दोनों हाथों की हथेलियों से चेहरा छुपाते हुए आप मुस्कुराने लगी थी...। ठंढ में निकलती धुआं होती मेरी नर्म सांसें आपके चेहरे को  रह रह कर छू रहीं थी। थोड़ी उष्णता प्रदान कर रही थी। 
चेहरे से हथेलियाँ हटाते हुए आपकी आँखों में देखते हुए मैंने कहा था, "... जी ..सोलह आने सच ...", 
मेरी इस तसदीक पर आपने स्मित मुस्कराहट के बीच ही कहा ," ... चलिए..ठीक है ...आप नहीं बदलते हैं तो मैं ही बदल लेती हूँ ...अपने आप को ..आपके लिए ...आपकी राधा जो हूँ  ...अपने और आपके लिए तो इतना तो कुछ करना ही पड़ेगा न ...?
यह था मेरे जीवन के एकाकीपन का गीत संगीत जो सेंट जॉन्स इन द विल्डरनेस ‘ जंगल के बीच ईश्वर का घर  के माहौल में इसके नाम के साथ ही सार्थक हो रहा था। 
मैं अकेला था भी ...नहीं भी .. आप तो हमसाया बन कर ही साथ रहती है न ..? कब मैं रिक़्त हुआ ..शायद नहीं ...
मैं ,तुम और मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करते हैं ..एकाध घंटे रहने के बाद जब मैं पैदल नीचे उतरा तो माल रोड पर टहलते हुए कैथोलिक चर्च तक़ चला गया था। अभी चर्च का आँगन सूना पड़ा था ..लोग नहीं के बराबर थे ..
चर्च की बेंच पर बैठते ही दस साल पहले का क्रिसमस सेलेब्रेशन याद आ गया जब मैं वीकेंड पर दिल्ली से नैनीताल के क्रिसमस पर मैं रिपोर्टिंग करने आया था तब आपभी मेरे साथ थी.... 

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गतांक से आगे : २.
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क्रिसमस की पूर्व संध्या : अयार पाटा बंगले की सजावट. 

क्रिसमस के एक दो दिन पहले से ही नैनीताल में अच्छी खासी भीड़ जमा होने लगी थी। दुकानें सज गयी थी। गिफ्ट शॉप में क्रिसमस ट्री भरे पड़े थे। चर्च के रंग रोगन का काम सप्ताह पूर्व ही हो जाता है और ऐसा हो भी गया था। न जाने क्यूँ सैलानियों की आवाजाही इन दिनों पहाड़ों पर इतनी ठंढ के बाबजूद क्यों अधिक बढ़ जाती हैं। शायद क्रिसमस की शुरुआत के साथ नए साल की छुटियाँ मनाने के लिए  लोग पहाड़ की ओर रुख कर लेते हैं।  
सर्वधर्म की अच्छाई के प्रति प्रीत के भाव अपनाने का पाठ शायद आपने मुझसे ही सीखा था, यह भी कभी आपने बात चीत के दरमियाँ मुझे ही बतलाया था। आपको क्रिश्चियनिटी के प्रति झुकाव शायद मेरी लगाव की बजह से हुआ था मुझे ऐसा बार बार क्यों लगता है ,अनु ...। 

नैनीताल की पहाड़ियां : अयारपाटा का बंगला.

मुझे याद है क्रिसमस के लिए अपने अयारपाटा के बंगले को आपने बड़े सलीके से सजाया था। पूरे बंगले सहित फर्न के पौधे को आपने नीली कलर वाले चाइनीज बल्ब से सवार दिया था। एक बड़ा सा तारा जिसमें एक नीला बल्ब जल रहा होता है, आपने दरबाजें पर भी लगा रखा था।
भीतर बैठक खाने में मदर मरियम, पिता युसूफ ,शिशु इशू एकदम नवजात लग रहे थे, उनकी बड़ी प्यारी सी प्लास्टर ऑफ़ पेरिस की मूर्ति रखी हुई थी। इसके पार्श्व में गुलाबी रोशनी बिखर रही थी। इसकी हल्की किरण मदर मरियम की आँखों पर पड़ रही थी। इसके ठीक पीछे में सांता क्लाज की प्रतिमूर्ति लगी होती थी जिसमें जिंगल बेल जिंगल बेल की ट्यून लगातार बज रही थी । 
ठीक इसके पीछे ही तो आपने हरे रंग की क्रिसमस ट्री रख दी थी जिसमें लगा नीली रौशनी बाले बल्ब जगमगा कर टिमटिमा  रहें  होते थे । याद है कभी मैंने आपको बतलाया था कि इस हरे भरे 
क्रिसमस ट्री के पीछे बस इतनी सी ही मान्यता है कि यह खुशहाली का प्रतीक होता है। इसके घर में लाने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है जो हमारी जिंदगी के लिए बेहतर है ।
२५ दिसंबर को ईसा के जन्म की खुशी में स्वर्ग के दूतों ने फर्न के पेड़ों को रोशनी, फूलों और सितारों से सजा दिया था। उन्हीं की याद में आज भी क्रिसमस के दिन क्रिसमस ट्री को सफेद रूई ,लाइट, टॉफियों,घंटियों और छोटे-छोटे उपहारों  से सजाया जाता है। 
वनीला के स्वाद वाला केक  हमलोगों ने दो तीन पाउंड का मॉल रोड से पहले  ही मंगा रखा था। जिस तरह हिंदू धर्म के त्योहारों में लोग एक दूसरे को मिठाई बांटते हैं उसी तरह क्रिसमस पर केक खाने और बांटने की परंपरा है। लोग एक दूसरे के साथ अपनी खुशियां बांटते हैं और इसके पीछे मानना है कि  केक बांटने  और साथ खाने से मैत्री बढ़ती है आपस के तनाव और अवसाद भी खत्म होते हैं । अच्छी सोच है न अनु !
मोज़े : आपने खिड़कियों में रंग बिरंगे कई मोज़े भी टांग रखें थे। आपने यह भी याद रखा था कि मैंने कभी शायद आपको यह बतलाया था कि मोजें में सेंटा ढ़ेर सारी खुशियां लेकर आते हैं ,इसलिए इन्हें खिड़कियों पर लगाना चाहिए । सांता बच्चों और बड़ों के लिए भी गिफ्ट लेकर आते  हैं यह भी हमने आपको ही बताया था ,इसके पीछे सोची गई वजह यह है कि इन मोजों को घर में टांगने से आर्थिक तंगी दूर होगी और धन वृद्धि भी होगी । 
घंटियों की बाबत आप मुझे ही बतला रही थी , " जानते हैं  क्रिसमस ट्री में लगी घंटी की मधुर ध्वनि से लोग फेंगशुई के अनुसार मानते हैं  कि घंटियां बजने पर निकलने वाली ध्वनि से पूरे घर की नकारात्मक उर्जा बाहर हो जाती है...इसलिए मैं भी लगाती हूँ ।
मोमबत्ती :  जिस तरह हिंदू धर्म में आस्था के दीपक लगाकर इष्ट देवी देवताओं की आराधना की जाती है उसी तरह से क्रिसमस में मोमबत्ती जला कर लोग प्रभु यीशु से प्रार्थना करते हैं कि आम जीवन से दुख के अंधकार को दूर हो तथा सुख शांति का प्रकाश सभी के जीवन में सर्वत्र फैले। रंग बिरंगी मोमबत्तियां जलाने का भी अपना अलग ही महत्व है...।  

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गतांक से आगे : ३ .
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क्रिसमस की सुबह नैनीताल और मॉल रोड का कैथोलिक चर्च. 

क्रिसमस की सुबह : नैनीताल : फोटो : एम. एस. मिडिया.
 
२५ दिसंबर। बड़ा दिन। हम जानते ही है इस दिन से ही उत्तरी गोलार्ध में रातें छोटी होने लगती हैं और दिन बड़े होने लगते हैं। नैनीताल में सुबह होने को थी। सुबह भी पूरब की अपेक्षा थोड़ी देर से ही होती है। 
मैंने तय कर लिया था सुबह आठ बजे चर्च खुलने के साथ ही हमदोनों चर्च में कैंडिल जला आयेंगे। तब ज्यादा भीड़ नहीं होगी। और हमें मॉल रोड तल्ली ताल स्थित कैथोलिक चर्च पैदल ही जाना था। मार्निंग वॉक के लिए आप जल्दी उठ गयी थी। आप भी मेरी तरह समय ,शब्द और संस्कार की बेहद पाबंद है यह देखना समझना मुझे हमेशा से अच्छा लगा है और लगता भी रहेगा । इसलिए तो मुझे आप से असीम लगाव है ,अनु। 
अभी सात बज रहें थे। अयारपाटा के बंगले के आस पास बैसी ही चिर परिचित ख़ामोशी फैली थी जैसी पहले  होती है। जंगल का इलाका है,पेड़ पौधे अधिक है । इसलिए यहाँ कुछ ठंढ अधिक ही होती है। 
सुबह की लेमन टी लेकर हम नीचे चर्च की तरफ वॉक के लिए निकल पड़े थे। 
नीले सलवार समीज, बादामी कलर की जैकेट तथा स्पोर्ट्स शू में आप के व्यक्तित्व में इजाफ़ा हो रहा था। आप बेहद शांत ,संयमित और खूबसूरत दिख रही थी। 
रास्ते चलते पूछा था आप ने , " ...आप बताएंगे कि इस धर्म में कब से लगाव रखने लगे थे ...? "  
"..बचपन से ही ..जब से मैंने विलियम वर्ड्सवर्थ को पढ़ा है ..पहाड़ों के सपनें देखने लगा हूँ .. कोनिफर्स के पेड़ देखें हैं  ...चर्च गया हूँ  ..कैंडिलें जलाई हैं ..कई दफ़ा सोचा है ..कई बार विचार किया है ..तब से ही मैं इस धर्म में विश्वास करने लगा हूँ, ..अनु। "
"...यहाँ शांति ही शांति हैं ...दिखावा नहीं के बराबर है ..पाखंड नहीं ही होता है .. ..लोगों के चित में शांति है ,आचार व्यवहार में शांति है...सहिष्णुता है ...मन में शांति है। मैं तो सम्यक धर्म सम्यक साथ को ही एक ही  मानता हूँ ..क्योंकि अच्छें जन अच्छें विचार ..." 
मैं कई एक इसाईओं से इंटरव्यू के सिलसिले में मिला हूँ। उनके साथ बातें की हैं। 
मैं देख रहा था आपके बढ़ते हुए कदम थोड़े सुस्त थे। मैं जानता हूँ आप पहाड़ी है आप तेज चल सकती थी ,लेकिन आप धीरे ही चल रही थी क्योंकि मेरे कदम धीरे थे ..और आपको मेरी जिंदगी में हर क्षण का  साथ जो निभाना था... । 
आप भली भांति जानती है कि मैं मैदानी इलाके से हूँ ,मैं इतना तेज़ नहीं चल सकता ..सांसे फूलने लगेंगी। इसलिए धीरे धीरे बाजू में  चलते हुए आप ने मेरी बाहें पकड़ रखी थी। ..कितना ख़्याल और असीम लगाव रखती हैं आप....हमारे लिए... 
इसलिए मैंने भी तो एक कसम उठाई हैं कि इस जीवन में अपने जीते जी आपको कोई तक़लीफ़ नहीं होने दूंगा ..आपकी इच्छाएं ही मेरा धर्म मेरा ईमान होंगी .. ऐसी मेरी कोशिश होगी। 
हम चर्च पहुँच चुके थे। आज के दिन दरवाज़ा कुछ पहले ही खुल गया था। हल्की भीड़ भी वहां थी। हमने कैंडिल का पैकेट्स पहले ही रख लिया था। 
प्रेयर का समय अभी नहीं हुआ था। कुछ बच्चें आनंदित होकर आपस में ही केरोल गा रहें थे। दूर कहीं उपर से ही जिंगल बेल ..जिंगल बेल का अपना दीर्घ परिचित केरोल सुनाई दे रहा था .. 
हम दोनों चर्च के भीतर बीच वाली बेंच पर बैठ गए थे एक दूसरे के करीब..आपने तब भी मेरा हाथ नहीं छोड़ा था...लगातार मोबाइल में बज रहें रिंग टोन्स से यह प्रतीत हो रहा था क्रिसमस के मैसेज हम तक आ रहें थे। हमारे मध्य मौन पसरा हुआ था। 
हमने लाई हुई अपनी कैंडिलें जला ली थी..इसे सैंड ट्रे में रख दिया था। वहां और भी मोमबत्तियां पहले से जल रही थी। किसी ने जलाई होगी। जब मैं मोमबत्तियां जला रहा था तो आपने अपनी उंगलियों से मेरे हांथों को स्पर्श कर रखा था..
मैंने जब पूछा आप भी एक कैंडिल जला लो तो प्रत्युत्तर में आपने कहा था .." देख लीजिए ...आपके साथ ही तो जला रही हूँ..". यह कहते हुए दिखलाने के लिए आपने मेरी हाथों को ज़ोर से दवा दिया था। 
आप  कह रही थी , "..मैं अपने आपके हर धरम करम में आपके साथ हूँ ..मैं प्रभु से प्रार्थना करती हूँ कि हर जन्म में मुझे आपका साथ ही मिले .. बस मुझे और कुछ नहीं चाहिए..आप होंगे ..तो आपके सम्यक साथ से मेरा जीवन ऐसे ही कष्ट मुक्त और प्रकाश मय हो जाएगा। ...होगा न ..?..आप ही मेरे धरम है आप ही मेरे करम .., सुन रहें है न ? ..."
मैं नजरें उठा कर कभी कभी आपको ही देख ही रहा था। पलकें  उठा कर एक बार भगवान की तरफ़ भी मैंने देखा जैसे पूछना चाह रहा था  ..." हे भगवान ! जीवन क्या है ..धर्म क्या है ..समझायेंगे ? स्वयं का धर्म क्या होना चाहिए ..? "
जवाब भी अपने साथ अपने अन्तःमन में ही था ..सब के साथ प्रेम पूर्ण ,सहनशील व्यवहार ही तो जीवन का सार है। क्या यहीं प्यार है ..किसी की इच्छा पर समर्पित होना ..उसका ख्याल रखना ..किसी को चोट नहीं पहुँचाना ही तो हमारा सर्वश्रेष्ठ मानव धर्म होना चाहिए न। "
चीफ प्रीस्ट वहां पहुंच चुके थे। प्रेयर की घड़ी समीप थी। थोड़े ही समय में प्रेयर शुरू भी हो गया था । मुख्य प्रार्थना सभा में शामिल होने के बाद हमने रोटी का एक टुकड़ा ,चैलिस में रखे वाइन जैसे तरल पदार्थ की कुछेक बुँदें प्रसाद के रूप में ग्रहण की और बाहर निकल आए। 
बाहर धुप अच्छी खिली हुई थी। आप चाय कॉफी की शौक़ीन हैं मैं यह जानता था। यह सोच कर हम मॉल रोड पर लगने वाले टी स्टॉल की तरफ बढ़े थे। सच कहें तो यह शौक भी आपको मेरी बजह से ही लगा था। अब तो आप बेहतर चाय और कॉफ़ी भी बनाना जान गयी थी। 
यह भी सच है कि आपके हाथों की बनी चाय और कॉफ़ी का कोई जवाब नहीं। इलायची,आदि वाली थोड़ी दूध ..थोड़ी ज्यादा शक्कर वाली चाय ..मेरी कमजोरी रही है। इसके साथ ब्रिटानिया का ब्रिस्क बिस्किट्स मिल जाए तो क्या कहना ? आप इस सन्दर्भ में मेरी पसंद का बहुत ख्याल भी रखती हैं यह भी मैं जानता हूँ।  
मेरे लिए आपके हाथों की बनी चाय और कॉफ़ी पीना अमृत के सामान ही हैं न..?  दिव्य प्रसाद जैसा। ..पास के स्टॉल से हमने दो कॉफ़ी की प्याली ले ली थी और साथ में ब्रिटानिया ब्रिस्क बिस्किट्स का एक पैकेट भी। थोड़ी दूर चलते हुए अपर मॉल रोड में रखी बेंच पर बड़ी इत्मीनान के साथ बैठ गए थे ..हमदोनों ..और कॉफ़ी की चुस्कियां लेने लगे थे। 
हमारे सामने झील थी। दायी तरफ थोड़ी दूर हटकर गवर्नर वोट हाउस क्लब था। झील में एक दो पाल वाली नौकाएं तिरती हुई दिख रही थी। लोअर मॉल रोड पर गाड़ियों की आवाजाही बढ़ गयी थी। पर्यटक नए साल मनाने चले आ रहें थे। 
घर वापस लौटते हुए हमने चॉकलेट्स, स्वीट्स, गिफ्ट्स और कैंडिल्स की खरीददारी भी की क्योंकि आपने अपने बंगले पर शाम को क्रिसमस सेलेब्रेशन को लेकर जान पहचान वाले बच्चों को बुलाया भी था।
शायद एक छोटा सा इवेंट होना था यही कोई शाम के ६ -७ बजे। इसकी तैयारी भी करनी थी। पैदल चलते हुए हमें लगभग दो घंटे लग ही गए थे १२ - १ बजे तक़ हम अपने बंगले में थे।

लोअर और अपर मॉल रोड में क्रिसमस की भीड़ : फोटो डॉ.सुनीता.   

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गतांक से आगे : ४ .
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बंगले में क्रिसमस की  शाम 


क्रिसमस की रौनक नैनीताल में   : फोटो एम एस मिडिया.

शाम के ६ - ७ बजे से थोड़ा  पहले बच्चें आने लगे थे। आस पास तल्ली ताल शेरवुड के ही बच्चें थे। उनकी उम्र यहीं कोई १२ से १३ साल के मध्य ही रही होगी। ठीक शिशु ईशु के सामने केक सजा दिया गया था। 
मेरी सोच के हिसाब से जन्मदिन के उपलक्ष्य पर कैंडिल जलाई गयी क्योंकि मैं फूंक कर कैंडिल को बुझाने में विश्वास नहीं करता हूँ। इसलिए आपने मेरी इच्छा अनुसार किसी छोटी बच्ची श्रुति सलोनी से कैंडिल जलवाया। जैसे ही कैंडिल जली पीछे से क्रिसमस केरोल की ट्यून चला दी गई। बच्चें एक्शन्स में आ गए थे। 
जिंगल बेल .. जिंगल बेल जिंगल आल दे वे की मधुर ध्वनि कानों में गूंजने लगी थी। कुछेक बच्चों ने जमीन पर रखें रंग बिरंगे गुब्बारें को हवा में तिरा दिया था । जो भी आपने बच्चों को अपने एक्शन्स में स्टेप्स बतलाया था,सिखलाया था  वे किसी माहिर लिटिल चैम्प्स की तरह अनुकरण कर रहें थे। क्रिसमस केरोल पर उन्होंने बेहतर स्टेप्स ,एक्शन्स के साथ मन को भाने वाला डांस दिखलाया। 
आपने फिर बड़े सलीके से केक काट कर उसे ट्रे में सजा दिया था। एक अलग ट्रे में बिस्किट्स ,कुकीज़ और चॉकलेट्स भी रखे हुए थे। फिर आपने उनके गिफ्ट्स के लिए पेंसिल बॉक्स में उनके लिए उपयोगी कलर पेन्सिल , रबर ,कटर का भी इन्तजाम कर रखा था। 
बच्चों ने आओ तुम्हें चाँद पर ले जाए फ़िल्मी गाने पर अच्छा मूवमेंट्स भी दिखाया जिसमें उनके साथ आपने मुझे भी अपने स्टेप्स में शरीक कर ही लिया था। म्यूजिक धुन बदल रही थी।
एकाध घंटे की मस्ती के बाद उन्हें मैगी नूडल्स परोसा गया। बच्चों की इस अंतहीन खुशी में ही हम दोनों की ख़ुशी थी। 
मैं कह सकता हूँ कि मुझे आप पर गर्व हैं। आप जहीन हैं ,दूरदर्शी हैं,सहनशील, कर्मठ ,संयमित और न जाने सब कुछ है। इसलिए तो मैंने आपके समक्ष ऐसी अभिलाषा रखी है, वसीयत किया हैं कि मेरे सामने मेरे रहते मेरे सपनें  मीडिया संभाग, मेरे ब्लॉग ,मेरे चैनल  को आप संभाले। आप इतनी सक्षम भी है कि आप किसी भी दायित्व को भली भांति निभा सकती हैं।
मैंने शायद आपको कभी कहा भी था ,याद है न अनु ! मेरे दो ही सपनें हैं। एक कि मैं दुनियाँ का सबसे बड़ा प्रोफेशनल ब्लॉगर हो जाऊं। मेरे यूट्यूब चैनल की लोकप्रियता पूरे समस्त जगत में हो। मैं इस सन्दर्भ में मैं आपसे अक्सर ये बातें करता रहता हूँ। 
और दूसरा नैनीताल में  एक छोटा सा घर हो। इन दोनों सपनों की तामीर की जवाबदेही मैं आपको सौपता हूँ। यह भी मैंने पूरे होशोहवास में ही आपसे कहा था। और आपने बड़ी शांति से सुन लिया था। 
कितनी अजीब है कि कभी कभी अपनी जिंदगी में कुछ अनचाहे काम भी करने पड़ जाते है। आपके ख्यालात मीडिया, मीडिया पर्सन को लेकर अच्छे नहीं हैं शायद इसलिए कि आप झूठ ,फरेब ,गॉसिप से दूर रहने वाली हैं शख़्सियत हैं और आपकी नजरों में हम मीडिया पर्सन झूठ ,फरेब ,गॉसिप से ही अपना काम चलाते हैं। 
लेकिन अपनी तरफ से आपकी तस्दीक के लिए मैं इतना ही कहूंगा सब मीडिया पर्सन वैसे नहीं होते...जैसा आपने सोच रखा है। फिर मैं तो फ़ीचर सेक्शन यथा फोटो ,कहानी ,कविता ,यात्रा वृतांत,संस्मरण ,आलेख से जुड़ा हुआ हूँ जो हमारी भावनाओं , संबेदनाओं से जुड़ी होती है। और में लोगों की मात्र खुशी के लिए लिखता हूँ और लिखता रहूँगा यहीं मेरी ईमानदार कोशिश होगी ...
मैं अपने ख्यालों में था उधर बच्चों का क्रिसमस सेलेब्रेशन जारी था।  
रात्रि के नौ बजने जा रहें थे। बच्चों को विदा करने का भी वक़्त आ चुका था। आपने ड्राइवर को आदेश दिया कि बच्चों को उनके घरों तक छोड़ दे। इसके पहले बच्चें जाए आपने सभी को एक एक पेंसिल बॉक्स गिफ्ट में दिया था 
जाते समय बच्चों के भाव से भरे शब्द ' थैंक यू आंटी ..आई लव यू आंटी ..में कभी न अटने समाने वाली ख़ुशी थी जो हमारी मधुर स्मृतिओं की धरोहर थी। जिसे हम कदाचित कभी न भूला पाए...।  
उन तस्वीरों को हम दोनों आज तक नहीं भुला पाए हैं ... इति शुभ.  

सिर्फ तुम्हारे लिए / तेरी मेरी कहानी. 

नैनीताल में फ़िल्माया गया 
संदर्भित गीत : आज का संगीत  
फिल्म : अभी तो जी ले.१९७७.  
सितारे : डैनी. जया भादुड़ी 
गीत : नक्श लायल पूरी.  संगीत : सपन जगमोहन. गायक : आशा भोसले किशोर कुमार.


गाना सुनने के लिए पृष्ठ में नीचे दिए गए लिंक दवाएं. 


 

यात्रा विशेषांक : सज्जा / संपादन 
डॉ.सुनीता रंजीता / नैनीताल. 



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सुबह / शाम की पोस्ट : आकाश दीप : पद्य संग्रह : सम्पादकीय : पृष्ठ ३ / ०.
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संपादन. 

नीलम पांडेय / वाराणसी. 
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प्रेम लौट रहा हो.



दिसंबर की सर्द, 
ठंडी हवाएं,
गुनगुनी धूप और तेरा ख़्याल 
जैसे मीठा सा ख्वाब,
अंतर्मन को छूकर जैसे 
लिखी हो प्रेम की इबारत
 तेरे ख्यालों में डूबकर 
मुखर हुए हो इसके अनमोल शब्द
और अदरक वाली चाय 



जो पीते हो तुम वाह की चुस्की के साथ
दिल में खलिश सी तेरी मौजूदगी
मानो पाकर तेरा साथ
जीवंत हो गए पल सारे
न जाने कितने दिनों की
 अनुपस्थिति का हल पल भर में
एक चाय की घूँट से छूमंतर
मानो प्रेम लौट रहा हो
अदरक वाली चाय
दिसंबर की ठंड और गुनगुनी धूप 
में तेरा ख़्याल  बनकर
क्योंकि प्रेम लौटने के लिए
कोई तिथि निश्चित नहीं
वह तो चला आता है किसी भी अहसास में,
किसी भी क्षण
किसी भी रूप में
 तजुर्बे और विश्वास की डोर से
 बंधा ये पाक रिश्ता 
तेरी मौजूदगी ही मानो मेरी सांस है।
चाहे वो मीठे ख़्याल  हो
या तेरा होना ।

रेनू शब्दमुखर.
जयपुर.
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कुछ ख्वाब हकीक़त में बदल गए. 
साभार : किरण मर्म 

जब भी आँखों में अश्क़ भर आए 
अज्ञात 
 
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क्रिसमस विशेष : कविता 

क्रिसमस की सार्थकता कर दो.


सांता !आज जब तुम आओगे 
तो एक काम करना 
पल-पल फिसलते हुए रिश्तों को
अपने झोले से खुशियों कापुलंदा
मेरे नाम करते हुए उनको थामते जाना 
कल तक जो रिश्ते अपने थे
उनमें भावों की ऊष्मा रिसने लगी है
कल तक जिन बातों में रस था
आज उनमें विष नजर आने लगा है
कल तक इक-दूजे के 
सुख-दुख में 
ढाल बन कर साथ खड़े थे
आज वे बच कर निकलने लगे है
कल तक जिनको पाकर 
सूरज-सा खिल रहे थे
आज राख की ढेरी से बुझ रहे हैं
फिर भी ,कुछ अवशेष है
वो प्यार,वो साथ,वो भावनाएं,
 वो सपने जो साथ देखे थे



उन सबको हे सांता! 
खंडित होने से रोक लो तुम
बस इस इच्छा को
 इतने वर्षों की साधना को
ये सुंदर उपहार दे,
मेरे मन को अपने 
इंद्रधनुषी रंगों से
सराबोर कर 'सांता आया
 खुशियां लाया'
 पंक्ति को चरितार्थ कर
 क्रिसमस के त्योहार को सार्थक कर दो.


रेनू शब्दमुखर
जयपुर 

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ए  जाते हुए लम्हों : फोटो दीर्घा : २०२३. पृष्ठ : ५. 
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संपादन.
अतिथि संपादक 


मानसी कंचन / नैनीताल.

२०२३ के आगमन के स्वागत की तैयारी : जनवरी : फोटो : डॉ.मधुप.   
सिक्किम की खूबसूरत वादियां : फोटो : शशांक शेखर : सिक्किम. 
यादें न जाए बीते दिनों की : शिमला : रिज : पहाड़ियां : और क्रिसमस : फोटो : डॉ.सुनीता.  
शिमला रिज : क्रिसमस के पहले : फोटो : मनोज ठाकुर  : शिमला 
शिमला की वादियों में : कल की ढ़लती शाम : फोटो : मनोज ठाकुर : शिमला. 
हिमाचल यात्रा प्रसंग : ज्वाला देवी : भोले : फोटो रेनू : जयपुर. कोलाज : विदिशा : नई दिल्ली.  
शिमला : रिज : क्रिसमस सेलेब्रेशन पुरानी यादें : फोटो : अर्चना फूल 
आज की सुबह : पहाड़ों की रानी मसूरी : फोटो : आशा. 
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 ये जाते हुए लम्हों जरा ठहरो : गाने तराने  : पृष्ठ : १० .
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संपादन. 
डॉ. सुनीता रंजीता.

 
आज का संदर्भित गीत : जीवन संगीत. 
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जीवन : भक्ति : संगीत. 
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आज का गीत. 
आज का गीत : जीवन संगीत.
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मेरी सर्वकालिक पसंद 
डॉ.मधुप.  
फ़िल्म : एक नज़र.१९७२ .      
सितारें : अमिताभ बच्चन .जया भादुड़ी . 
गाना : पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने हैं . 
गीत : नीरज . संगीत : एस. डी. वर्मन. गायक : रफ़ी ,लता.


गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं. 

https://www.youtube.com/watch?v=HT5u7cQaoyQ
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फिल्म : समझौता.१९७३.
गाना : समझौता ग़मों से कर लो 
सितारे : अनिल धवन.योगिता बाली.शत्रुघ्न सिन्हा.
गीत : इंदीवर. संगीत : कल्याण जी आनंद जी. गायिका : लता मंगेशकर.

     
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं. 

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फिल्म : प्रेम पुजारी १९७०.
सितारे : देव आनंद.वहीदा 
गाना : कितना मधुर कितना मदिर 
गीत : नीरज. संगीत : एस डी वर्मन गायक : किशोर कुमार.

    

गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 

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फिल्म : दोस्ती.१९६४.  
गाना : चाहूंगा मैं तुझे साँझ सबेरे 
सितारे : सुधीर कुमार. सुशील कुमार.संजय खान. 
गीत : मजरूह सुल्तानपुरी. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायक : रफ़ी.



गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.  
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फ़िल्म : सच्चाई.१९६९.
गाना : सौ बरस की जिंदगी से अच्छी है 
प्यार के दो चार दिन 
सितारे : शम्मी कपूर. साधना. संजीव कुमार.
गीत : राजेंद्र कृष्ण. संगीत :शंकर जयकिशन. गायक : रफ़ी. आशा भोसले. 

    

गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 
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फिल्म : जख़्मी. १९७५. 
सितारे : सुनील दत्त. आशा पारेख. 
गाना : आओ तुम्हें चाँद पे ले जाए 
गीत : गौहर कानपुरी संगीत : बप्पी लहरी गायिका : लता. सुषमा श्रेष्ठ.
 

गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 

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फिल्म : शंकर सीता अनसूया. १९६५.
गाना : हमने जग की अजीब तस्वीर देखी 
गीत : प्रदीप. संगीत : पंडित शिवम्. गायक : प्रदीप. 


गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 
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फिल्म : राजा और रंक.१९६८.  
गाना : तू कितनी अच्छी है ..ओ माँ 
सितारे : निरुपा राय. महेश 
गीत : आनंद बख्शी.संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायिका : लता. 


गीत सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं
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फिल्म : शागिर्द.१९६७.  
सितारे : जॉय मुखर्जी. सायरा बानू. 
गाना : कान्हा आन पड़ी मैं  तेरी द्वार.
गीत : मजरूह सुलतान पुरी. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायिका : लता


   गाना सुनने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं. 

https://www.youtube.com/watch?v=3FrlKIIntYU
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मेरी सर्वकालिक पसंद : डॉ.मधुप. 
मेरे सर्वप्रिय, खूबसूरत, अति भद्र अभिनेता नवीन निश्चल. के लिए. 
मेरी पसंद : डॉ. मधुप. 
फिल्म : हँसते जख़्म.१९७५. 
सितारे : नवीन निश्चल. प्रिया राजवंश. 
गाना : तुम जो मिल गए हो.
गीत : कैफ़ी आज़मी. संगीत : मदन मोहन. गायक : रफ़ी. लता मंगेशकर.


गाना सुंनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं   
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फ़िल्म : नादान.१९७१.  
सितारे : नवीन निश्चल.आशा पारेख. 
गाना : जीवन भर ढूँढा जिसको. 
गीत : हसरत जयपुरी. संगीत : शंकर जय किशन. गायक : मुकेश. 


गीत सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं
https://www.youtube.com/watch?v=dN0Jd-pEMCs
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फिल्म : धुंध.१९७३.  
सितारे : नवीन निश्चल. जीनत अमान. संजय खान. 
गाना : संसार की हर शय का इतना ही फ़साना है 
गीत : साहिर लुधियानवी संगीत : रवि  गायक : महेंद्र कपूर 


गीत सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं

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     फ़िल्म : प्रियतमा.१९७७      
सितारें : जीतेन्द्र. नीतू सिंह. 
गाना : मैं जो बोलूं न तो न.मैं जो बोलूं हाँ तो हाँ 
गीत : योगेश. संगीत : राजेश रोशन. गायक : उषा मंगेशकर.किशोर कुमार.


गीत सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं
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फिल्म : बॉर्डर.१९९७.  
गाना : ए जाते हुए लम्हों जऱा ठहरो 
सितारे : सुनील सेठी. शरबानी मुखर्जी 
गीत : जावेद अख़्तर. संगीत : अनु मलिक. गायक : रूप कुमार राठौड़.


गीत सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं

 https://www.youtube.com/watch?v=tNnMmWu0PCg
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फ़िल्म : एक महल हो सपनों का. १९७५ .
सितारें : धर्मेंद्र .शर्मिला टैगोर.लीना चंदावरकर       
गाना : दिल में किसी के प्यार का जलता हुआ दिया है  
गीत : साहिर लुधियानवी. संगीत : रवि. गायिका : लता.


गीत सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं
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ये जाते हुए लम्हों जरा ठहरो : २०२३ : कही अनकही : कोलाज : पृष्ठ : ११ .
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संपादन. 


रंजीता प्रिया. 
नैनीताल.

तुम मेरी आँखों से देखो दुनियाँ सारी, समझौता ग़मों से कर लो : कही अनकही : डॉ. सुनीता रंजीता.  
इस दुनियाँ की रीत की ख़ातिर मैंने साथ निभाई हैं :  कही अनकही : डॉ सुनीता रंजीता.   
 देखो ख़फ़ा न हो ...किस्मत से मिल गए हो मिल के जुदा न हो : कही अनकही : डॉ. सुनीता रंजीता. 
और इस दिल में उनको छुपा के चलूँ ...तो चलूँ तो चलूँ : कही अनकही : डॉ सुनीता रंजीता. 
मैं जो बोलूं हा तो हाँ मैं जो बोलूं न तो ना : कोलाज : डॉ.सुनीता रंजीता. 
दिल में किसी के प्यार का जलता हुआ दिया दुनियाँ की आँधियों से ये बुझेगा क्या डॉ.सुनीता रंजीता. 
संसार की हर शय का इतना ही फ़साना है एक धुंध से आना है : कही अनकही : डॉ सुनीता रंजीता.
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दिल ने फिर याद किया : पृष्ठ : १२ 
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संपादन. 
 

 
स्मिता / न्यूज़ एंकर.

 
कविता.तुम्हारे लिए. 
विश्वास


तुम हो मेरी शक्ति 
मेरे जीने की, 
तुम्हारे विश्वास के नील गगन का 
 कोने में टिका हुआ   
मैं हूँ ध्रुव तारा ,अटल,
अचल,  
तुम्हारे लिए, 
जिसकी दिशा कभी भी नहीं 
बदलती है. 
हाँ विश्वास की डोर हो 
हाथों में, तो 
अपने ग्रहों की  दशा 
अपने मन के अनुकूल ही   
बदल जाती है. 

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और  
कभी कभी ये लगता है. 


वक़्त रेत की तरह फिसलता जा रहा हैं, 
 शेष रह गए हैं, कई काम जिंदगी के. 
मंजिलें  दूर ही रह गयी हैं, 
और तुम तक आवाज़ भी 
नहीं पहुंच पा रही हैं,
 आगे चलता हूँ, जितना अकेले, 
उतना ही पीछे ढ़केल देते हैं, लोग 
कभी कभी ये लगता है, 
ये सपने , 
ये बादल
धुंद में ही सब खो जाएंगे 
यह काम तो अकेले का नहीं है ,न अनु !
मैं पूछता हूँ तुमसे,   
क्या तेरे मेरे सपने इस जनम में 
पूरे हो पाएंगे ?

डॉ.मधुप.
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दिल ने फिर याद किया : शॉर्ट रील / उसने कहा था / पृष्ठ : १२ / १.
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संपादन.

 
डॉ. सुनीता रंजीता .नैनीताल.डेस्क 

 वो दिल कहाँ से लाऊँ : साभार : फेसबुक 
ख़ुशी के पल कहाँ ढूंढूं : साभार 

पूजा : तुम मेरे साथ हो न तो क़ायनात मेरे साथ है  


अनुभव अग्रवाल. 

अटूट रिश्ते के हैं ये मान : 
समझ,साथ, समय, सहिष्णुता और सम्मान 
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वो ख़ूबसूरत एहसास हो तुम : शार्ट रील : साभार : पूजा 
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चलते चलते : दिल जो न कह सका : हिंदी अनुभाग : पृष्ठ : १३.  
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पाँति शुभ दिन / रात्रि की
 
संपादन.


 प्रिया रंजीता
दार्जलिंग.
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फोटो : साभार : फेस बुक. 


तेरे ख्याल में हम इस कदर खोए रहते हैं 
पूरी नींद में भी हम आधे ही सोए रहते हैं 

 
तुम थे तुम ही रहोगे. 
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कविता. 

कृष्ण की अग्नि परीक्षा.
 

हो सके तो राधे मेरा मर्म समझ लेना 
बार बार सीता की तरह कृष्ण की अग्नि परीक्षा न लेना 
मैं तुम्हारे हिस्से का दुःख सहन कर लूंगा 
मेरे जीवन का सुख तुम अपने हिस्से कर लेना. 

डॉ. मधुप. 
---------
हो सके तो समझ जाना तुम 

हो सकता है... मैं कभी प्रेम ना जता पाऊं तुमसे..
लेकिन कभी
तुम्हे देर हो रही हो ऑफिस के लिए
और मैं आलू का पराठा लिए तुम्हे खिलाने को भागूँ तुम्हारे पीछे पीछे तो..
समझ जाना तुम..

तुम्हारी फाइल्स, वॉलेट, रुमाल.. गाड़ी की चाभियां
जब मिल जाये तुम्हे एक जगह व्यवस्थित तो
समझ जाना तुम...

जब तुम्हारी छोटी सी नाराजगी पर नम हो जाये मेरी आँखें
तो उन आंसुओ को देखकर
समझ जाना तुम...

तुम्हारा मनपसन्द खाना जो मुझे बनाते नही आता था..
कभी मेज़ पर सजा हुआ देखो तो
समझ जाना तुम...

तुम घर से दूर हो और मैं हर थोड़ी देर में..
किसी अजीबोगरीब बहाने से करती रहूँ तुम्हे कॉल तो
समझ जाना तुम...

कोई बुजुर्ग जब हमें दे ' जोड़ी बनी रहे ' का आशीष
उस वक़्त मेरी मुस्कुराहट को देखकर
समझ जाना तुम...


तुम हो उदास परेशान ..परिस्थिति ना हो हमारे अनुकूल
तब मैं बिना कुछ कहे रख दूँ तुम्हारे हाथ पर अपना हाथ तो समझ जाना तुम...

कहीं बाहर जाना हो हमे
और मैं पहनूं तुम्हारे दिलाये हुए पसन्दीदा झुमके तो
समझ जाना तुम....

तुम्हे देखते हुए कभी लिखूं कोई ग़ज़ल ..
तो उसमें अपने ज़िक्र को पढ़कर
समझ जाना तुम...

यूं ही कभी हो जाये हमारी अनबन
और मैं गुस्से में कह दूँ कि नही करती तुमसे प्यार..
तो मेरे कांपते होंठो को देखकर
समझ जाना तुम....

हो सकता है मैं कभी प्रेम ना जता पाऊं तुम्हे...

साभार : वैदेही.
नया साल सुखद पल होगा 
टूटी पत्तियों को मैं फिर से जोड़ दूँ : साभार : रचना श्रीवास्तवा. 
वो शाम यूही बीत गई : रचना श्रीवास्तवा 

 तुम्हारे सारे दुःख : रचना श्रीवास्तवा.
जिस दिन मिलना होगा तुमसे : रचना श्रीवास्तवा.

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जीवन : दर्शन : सांध्य गीत : चलते चलते. पृष्ठ : १३ / २ 
  
 संपादन : डॉ. सुनीता रंजीता प्रिया.  
नैना देवी डेस्क.नैनीताल. 

१९४० - २०२३ 


रहना नहीं देश वीराना है. इस पार्थिव शरीर का गुमान कैसा ? 
व्यंग्य चित्रकार, ब्लॉगर,लेखक को मातृ शोक. 

डॉ. मधुप रमण.

 रहना नहिं देस बिराना है। यह संसार कागद की पुड़िया, बूँद पड़े घुल जाना है।

पार्थिव शरीर का गुमान क्यों ? रहना नहीं देश वीराना है.इस पार्थिव शरीर का गुमान क्यों ? इस नश्वर शरीर से अर्जित धन का घमंड कैसा ? जब सब कुछ यही छोड़ कर जाना होता है। श्मशान में जलती हुई चिताएं जीवन में वैराग्य भाव ही संचित करती हैं। यही वो जगह है जहाँ जीवन के सबसे कड़वे सच से सामना होता है। तब यही प्रश्न हमारे समक्ष होता है इस मरणशील जीवन में अपने क्षणभंगुर, आत्म सुख के लिए,छल प्रपंच, झूठ - सच,दंभ क्यों करते है ? जब कि यही यथार्थ है कि हम खाली हाथ आए है और खाली हाथ जाएंगे भी। 
ये जीवन है और इस जीवन का समस्त काल इन चार आश्रमों यथा ब्रह्मचर्य, गृहस्थ,वाणप्रस्थ,सन्यास  में विभाजित होता हुआ अंत में महापरिनिर्वाण में समाप्त हो जाता है। 
जीवन वृत्त : नालन्दा जिला मुख्यालय बिहार शरीफ शहर के धनेश्वर घाट निवासी अधिवक्ता रवि रमण और व्यंग्य चित्रकार तथा ब्लॉगर डॉ.मधुप रमण की मां ने अंततः छोटी अवधि की बीमारी के उपरांत इस इहलोक से चिर स्थायी विदाई ले ही ली। उन्होंने अपने परिजनों  के समक्ष आख़िरकार दिनांक १५ दिसम्बर को पटना के पाली विनायक हॉस्पीटल में अपनी जिंदगी की जंग लड़ती रही हालांकि डॉक्टर्स ने अपनी तरफ़ से उन्हें बचाने की भरसक कोशिश की थी।  
उनके परिजनों के द्वारा निर्मला सिंहा की स्मृति में २६.१२.२०२३ को मेरे अपनों के द्वारा श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जा रही है जिसमें बंधु ,बांधव,परिजनों के अतिरिक्त अन्य लोगों श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित होकर तस्वीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे। आप सभी महानुभावों, मेरे अपनों से ऐसी आशा है कि आप इस श्रद्धांजलि व शांति भोज में सम्मिलित होकर मेरे परिवार के लिए संबल प्रदान करेंगे।   
ज्ञात हो पूर्व प्रधानाध्यापिका निर्मला सिंहा पिछले दो महीने से बीमार चल रही थी अंततः जीने की उत्कट लालसा रखने,डॉक्टरों के जीवन संरक्षण के अथक प्रयास के बावजूद ईश्वर ने उन्हें १५.१२.२०२३ को अपने पास बुला ही लिया।  
उपस्थित आम जनों की राय में वह एक बहुत ही, ईमानदार, परिश्रमी ,कर्तव्य निष्ठ,लगनशील,संघर्ष शील  व दयालू महिला रही है। एक बहुत ही उच्च कोटि की प्रशासिका होने के नाते वह अपने सहकर्मियों में अत्यंत प्रसिद्ध रही है। 
उनकी जीवन यात्रा वर्ष १९४० में पटना साहिब से शुरू हुई जो जीवन के अंतिम पड़ाव में दिनांक १५.१२.२०२३ को बाढ़ के सती घाट में विश्रामित हुई। २८.१०.१९४० को  पटना में जन्मी निर्मला सिंहा ने अपनी प्रारंभिक व उच्चतर शिक्षा पटना विश्व विद्यालय हिंदी विभाग से प्राप्त की आगे बतौर शिक्षक शिक्षा क्षेत्र में योगदान देने के लिए वर्त्तमान नालन्दा जिला मुख्यालय बिहारशरीफ में बहाल हुई। शिक्षा क्षेत्र में अंत में हरनौत प्रोजेक्ट विद्यालय से प्रधानाध्यापिका के पद से निवृत्त हुई। 
यदि यह सच है की आत्मा अजर अमर है।  सिर्फ शरीर ही नष्ट होता है तो मेरी ममतामयी माँ की यश ,कीर्ति ,नेक नामी, समाज तथा देश हित में किए गए जनहित के लिए किए गए कार्य तथा अपने परिजनों के लिए आशीर्वाद अक्षुण्ण ही रहेगा। 
समस्त संयुक्त एम. एस. मिडिया के परिवार समूह यथा, सम्पादक ,कार्यकारी संपादक, संयोजक, तथा इस ब्लॉग मैगज़ीन से  जुड़े कवि ,लेखक, चित्र कार स्तम्भकार  की तरफ से दिवंगत आत्मा को कोटिशः श्रद्धा सुमन अर्पित है। हम ईश्वर से प्रार्थना करेंगे कि आप इस अवस्था में मेरे तथा मेरे समस्त परिवार के लिए आत्म शक्ति बनें। 
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः '

संदर्भित भजन. 
भजन : वैष्णव जन तो तेने कहिये.
मूल भाषा : गुजराती. समय : १५ वी शदी  
गीत : नरसी मेहता.गायिका :पलक.


भजन सुनने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 

मूल भजन : गुजराती. भाषा

वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड़ परायी जाणे रे
वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड़ परायी जाणे रे
पर दुख्खे उपकार करे तोये मन अभिमान ना आणे रे
वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड़ परायी जाणे रे
सकळ लोक मान सहुने वंदे नींदा न करे केनी रे
वाच काछ मन निश्चळ राखे धन धन जननी तेनी रे
वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड़ परायी जाणे रे
सम दृष्टी ने तृष्णा त्यागी पर स्त्री जेने मात रे
जिह्वा थकी असत्य ना बोले पर धन नव झाली हाथ रे
वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड़ परायी जाणे रे
मोह माया व्यापे नही जेने द्रिढ़ वैराग्य जेना मन मान रे
राम नाम सुन ताळी लागी सकळ तिरथ तेना तन मान रे
वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड़ परायी जाणे रे
वण लोभी ने कपट- रहित छे काम क्रोध निवार्या रे
भणे नरसैय्यो तेनुन दर्शन कर्ता कुळ एकोतेर तारया रे
वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड़ परायी जाणे रे
पर दुख्खे उपकार करे तोये मन अभिमान ना आणे रे
वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड़ परायी जाणे रे 
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जीवन धर्म : दर्शन : रहना नहिं देस बिराना है : गतांक से आगे : १.
 
जीवन हमें  परमात्मा को प्राप्त करने के परम लक्ष्य के लिए मिला है
प्रस्तुति : मनोज पांडेय ( संपादक ,खबर सच है ) नैनीताल.

परमात्मा को प्राप्त करने के परम लक्ष्य ही है जिंदगी : 
 
सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने कहा यह जो मनुष्य जीवन हमें मिला है यह परमात्मा को प्राप्त करने के परम लक्ष्य के लिए मिला है। जो केवल ब्रह्म ज्ञान के द्वारा संभव है। इस आत्मा को बंधनों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। जिस प्रकार यह स्थान हल्द्वानी नाम भी है कि किसी भी बात का हल मन में परमात्मा के आने से स्वयं हो जाता है। परमात्मा को प्राप्त करने के बाद मनुष्य में मानवीय गुण प्राप्त होते हैं जिससे यह जीवन तो सुंदर होता ही है औरों के लिए भी कल्याणकारी होता है तभी यह मानव जीवन भी मुकम्मल होगा। जिस प्रकार प्रकृति को स्वच्छ रखना भी हमारा कर्तव्य है जिसको हम प्रदूषण न करके वृक्ष लगाकर कूड़े को उचित स्थान पर ही डालने पर शुद्ध किया जा सकता है उसी प्रकार इस जीवन को स्वच्छ बनाने के लिए मनों का मैल केवल सत्संग से ही धोया जा सकता है। 
उदाहरण देते हुए समझाया की जिस प्रकार कस्तूरी मृग अपनी खुशबू को जंगल में इधर-उधर ढूंढता है मगर वह खुशबू उसके अंदर ही निहित होती है, उसी प्रकार इंसान भी परमात्मा को इधर-उधर ढूंढ रहा है लेकिन परमात्मा आत्मा रूप में उसके अंदर विराजमान है बस यही जानकारी ब्रह्म ज्ञान के द्वारा प्राप्त कर इंसान ईश्वर को और स्वयं को जान जाता है। जिसके पश्चात मुक्ति संभव है। जीवन में अहंकार आता है तो अनेक विकार जीवन में स्वत ही उत्पन्न हो जाते हैं और जब अहंकार समाप्त होता है तो समर्पण भाव जीवन में होना संभव है। जैसे लोहे का जंग उसे लोहे को अंदर से ही कमजोर कर देता है उसी प्रकार अहंकार भी मन को कमजोर कर देता है। फिर जीवन में नेगेटिव भाव आने संभव है अगर इस परमात्मा के साथ मन को लगा कर रखेंगे फिर जीवन में मन में पॉजिटिविटी सकारात्मकता ही बनी रहेगी और मन भक्ति में लगा रहेगा।
संपादन व सज्जा  : अनीता सीमा. 
जबलपुर 
Mamta Hospital supporting : Diye Jalte Hain.English Section.
 

English Section Diye Jalte Hai : Cover Page : 0


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Contents : English : Page :1.
English Section Diye Jalte Hai : Cover Page : 0
Contents : English : Page :1.
Editorial : English Page : 2.
Theme Page : Page : 3.
Cartoon of the Day. English : Page :3 / 0.
Thought for the Day. 3 / 1
Photo of the Day. 3 / 2
Editorial Articles English  : Page : 4.
 Photo Gallery : Memories : 2022. Page : 5.
Photo Gallery : Memories : 2023. English : Page : 6.
Short Reels / News  / Visuals : Memories. English : Page : 7.
You Said It : Comment Box : English : Page : 8.
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Editorial : English Page : 2.
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Executive Editor.

Dr. Sunita Ranjita Priya.
Nainital.Desk.
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Assistant Executive 
Editor.
Seema Anita. Kolkotta.
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Thought of the Day : English Section : Theme Page : 3 /1. 
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' Do the right thing,even no one is looking. ' 


 ' There are many opportunities in every single day and today
is the perfect day to seize them all. ' 

    "Confidence' comes from' discipline 'and' training..."

 '   Every great achievement starts with the decision 
to try and the confidence to act  '
" Live life to express not to impress.."
" ...When you wish good for others...
Good things come back to you "
' You cannot grow unless you are willing to change... '

Good things come back to you

Positive Vibes.
Editor.


Seema Anita.
Kolkotta.

" Mindset is everything to be successful..
You don't need a beautiful face & a heroic body 
What you need is a skilful mind and the ability to perform " 
 

 '..Don't compare yourself to others be like the Sun & Moon 
and shine when its your time.. ' 


 Always believe that something wonderful is about to happen.


' Keep doing your best everyday and if no one is proud of you 
be proud of yourself...'



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Photo of the Day. English Section : 3 / 2.
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Editor.


Suman / New Delhi.

Shimla Ridge before Christmas Celebration at evening : photo : Manoj Thakur. 

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Editorial / Write - Ups / Articles : English  : Page : 4.
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Editor.


Priya Ranjita. 
Darjleeng.


The Journey of Life that I took in 2023. 
with full of tears but with a ray of hope.

Priya / Darjeeling.

The days were not so cool and easy for me to tolerate and bind in one page. Many obstacles had ventured in my life with lots of difficulties and pain. The never ending shed of sorrows has stepped in my life with unexpected and unrevealed manner creating the memories of loss. 
As the year end approached, it had also taught me a lot of lessons and had given me good experiences that the one whom I had thought my everything when they had nothing had changed to everything making me nothing.

twinkling Darjeeling at  my nightmare  with some rays of  lights : photo Dev.

The starting of the year was filled with tears and it ended with the reality of tears. Though I had missed a lot of things in my life, since the priority and importance had never stepped, dwelling in fear and worries are now became a part of a new journey.
The year had taught me that you can be important to someone until and unless they need you and once they are done, no one bothers your sacrifices and compromises that you had taken in the due course of time, fulfilling their needs. It has also taught me that no matter what the situation is, we should know how to love our self and how to protect our self-respect.
It was not so easy and comfortable as I wished some days but the reality cannot be denied. The year had shown me the real faces behind the mask. They had entered in my life with the intention to drag and pull me down while I was trying to protect them from all the storms and difficulties. I underwent with such a trauma where I had to start with the complications and difficulties from the ground level but above all it was good that the mask had been removed and the clear picture was in front of me.
I just hope the new year may bring me the healing power and the divine may protect me from those people. I wish that the wheel of fortune may change and provide me with the strength and courage to deal with every situation. I feel someone's strength behind me always braving me to come over the unexpected grief.
I pray for all the living beings to recreate a habitat of peace, prosperity and happiness in their life. I command the nature of life to give all the beautiful memories and rid the sadness and fear. I claim that angels may worship everyone reading this article with everlasting love and peace with the fulfillment of every wish.

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The waves to and fro

a Short Poem

click : priya. 

The waves to and fro,
Rolled me with its warmth,
The bright sun was steaming me
With its crunchy rays of stuns.
The speed that rolled me upside down,
Were something that took me with the pace
To the depth where the shells were lying,
Laughing at my face.
I screamed with fear and a blink of tear,
Rolled my cheek, with a sound of dear,
Suddenly, I took the hold of a ball,
Where I saw my beautiful world.
I raised and walked with the shallow feet,
That drained me down with the sandy slush,
Step by step was a first-time wave,
Where I enjoyed the day all sound.


Priya / Darjleeng.
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Short Reels / News  / Visuals : Memories. English : Page : 7.
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Editor.

Bani / Vardhaman.
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 Philosophy of my life. News Theme Page : . 
Handsome is that does handsome. 


It's Explanation. Dr. Madhup.
I got this feel by loving the most lovable, handsome, kind and leading actor Naveen Nishchal from his film Dundh,1973 and Nadaan,1971,from my core of heart. Such a good, gentle person so far he has been in his life who sacrificed his life for the sake of his family and friends.
I wish to follow him at all but in exclusion of his tragic end.I wish that my life should be  trending like him. Be a good one. Keep patience for every one especially for your beloved ones. Be loyal for your relationship. Do the good jobs as after your final dispersal your work.deeds,your good humanity based action would be remembered forever. Remember only once pious life is given to everyone. Utilize it. Right Company will lead you to Right Thoughts, Right Actions and Right  Work,
I always seek my life philosophy in this song which you should visit it too.

Related Song.
Film : Dundh.1973.
Starring : Navin Nishchol.Jeenat Aman. Sanjay Khan.
Song : Sansar ki har shay ka itana hi fasana hai.
Lyrics : Sahir Ludhiyanvee. Music : Ravi. Singer : Mahendra Kapoor.


Visit the link after pressing the link.

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You Said It : Comment Box : English : Page : 8.
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Editing.
Media Coordinator.
Vanita / Shimla.
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You Said It : 
A great deal of thanks to the ' Shakti Group ' for sharing and publishing  such a nice,fabulous,and a worth reading page for us. Special thanks to the Chief Editor, Renu Shabd Mukhar and Nilam jee for their passionate writings in this page. And exclusive thanks to the Executive Editor Dr. Sunita Ranjita Priya for such a nice editing and a decorative page making of this blog magzine page. Anjani  

Comments

  1. It's nice & fabulous page, thank you Dr.Raman....vimal News18 India.

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  2. Ye Jate Huye Lamho Zara Tahro : Alvida 2023 is a very nice story. Thank you very much, Dr. Madhup Raman... Sikha Sinha, Patna.

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  3. सभी खंड बहुत सुंदर हैं लेकिन विशेष रूप से नवीन निश्चल का गाना. मुझे यह पसंद आया। टीम के सभी सदस्यों का धन्यवाद।

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  4. Soothing and nice world out here… Thanks for keeping it fresh and healthy here. Great articles!

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  5. It is a nice worth reading page.Containing lots of good articles. Thanks a lot media team.

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  7. Wish a fabulous success to the whole editors team for their tireless effort coupled with innovative and creative qualities.When and where get or given a chance to write something, only superlative thoughts about this media comes to my mind.Sluggish power of time can't prove strong to overshadow its glory . Thanks to the whole Shakti Group especially to the editor Renu Shabdmukhar, Nilam and the executive editor Dr. Sunita Ranjita Priya. Proud to be your reader of your blog magazine page.
    Dr. Amit Kumar Sinha.

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  8. It is a too good, too much interesting page for everyone will enjoy reading the blog magazine page.

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