बिहार शरीफ़ / डॉ.मधुप रमण

शाम होने की कगार पर है। मधुर मधुर दीपक मेरे जल जल जल कर मेरे पथ आलोकित कर। उनके जलने कि तैयारी हो चुकी है । शनैः शनैः स्वेच्छा से कुछेक लोग तालाब परिसर में जुटे,दीप जले और बिहार शरीफ़ के धनेश्वर घाट स्थित तालाब के गलियारे आलोकित हो गए। माहोल भक्ति पूर्ण हो गया। बिहार शरीफ़ धनेश्वरघाट स्थित तालाब परिसर का दृश्य ज्ञात हो कोरोना काल में बहुत कुछ बदल चुका हैं । पूजा की रीत भी बदल गयी है। सरकारी नियमों को देखते हुए हमारे संस्कार भी बदल चुके हैं। जीवन का प्रश्न मात्र जो हैं। हम भी परिवर्तित हो चुके हैं। बदलना भी ज़रूरी है क्योंकि यही नियति की मांग है समय की जरूरत भी। अब सभी पूजा के रीत रिवाज़ भी कोरोना के नियम के अंतर्गत व्यक्तिगत सुरक्षा स्वास्थय को ध्यान में पूरे किये जा रहें हैं। हमें कोरोना जैसी महामारी पर विजय जो प्राप्त करनी हैं। कई सालों से बिहार शरीफ़,स्थित धनेश्वर घाट तालाब में भी काशी के तर्ज़ पर कार्तिक पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा ...